desiaks
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11
उस समय मौसा जी 33 साल के और मौसी जी 30 साल की थी. कीर्ति मेरी ही उमर की थी और कमल उस से 2 साल छोटा था. मौसा जी का खुद का कारोबार था. जो उन ने पापा की मदद से जमाया था. जिसकी वजह से वो पापा को बहुत मानते थे.
समय बीतता जा रहा था और सारे बच्चे बड़े होते जा रहे थे. अब मैं 10थ मे आ गया था और कमल भी मेरी ही स्कूल मे 8थ मे पढ़ रहा था. वो मुझ से सिर्फ़ 2 साल छोटा था. इसलिए हम किसी दोस्त की तरह ही रहते थे.
मगर मौसी जी के लाड प्यार की वजह से कमल बिगड़ता जा रहा था. स्कूल मे भी उसकी संगति कुछ ग़लत तरह के लड़को के साथ हो गयी थी. मैने कमल से उन लड़को से दूर रहने को कहा. मगर उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया. इसलिए अब मैं उस से कटा कटा सा रहने लगा था.
एक दिन मैं छ्होटी माँ के साथ मौसी के घर गया. तब मौसी ने हमें रात वही रुकने को कहा तो, हम लोग वही रुक गये. मैं कमल के साथ उसके कमरे मे रुका.
रत को मेरी नींद खुली तो, कमल कमरे मे नही था. मैने सोचा की बाथरूम मे होगा.
लेकिन जब कुछ देर तक इंतजार करने के बाद भी, मुझे बाथरूम मे कोई हलचल समझ मे नही आई तो, मैने उठ कर देखा. मुझे वहाँ कमल नज़र नही आया. मैने सोचा शायद कुछ करने बाहर गया होगा.
मगर जब बहुत देर तक वो नही आया तो, मैने उसे बाहर निकल कर इधर उधर देखा. तब वो मुझे मौसा मौसी के कमरे के बाहर दिखाई दिया. वो दरवाजे के किसी छेद से अंदर झाँक रहा था.
अब मैं बच्चा तो था नही, जो उसके इस तरह अपने मॅमी पापा के कमरे मे झाँकने का मतलब ना समझ पाता कि, वो इतनी रात को अपने मॅमी पापा के कमरे मे क्या देख रहा है.
मुझे उसकी ये हरकत बहुत खराब लगी. लेकिन मैं चुपचाप रूम मे आकर लेट गया. काफ़ी देर बाद कमल लौटा और सीधे बाथरूम मे घुस गया. अब ये समझना मुस्किल नही था कि, वो इस समय बाथरूम मे क्या कर रहा होगा.
बाथरूम से निकल कर उसने एक ठंडी सांस ली और एक नज़र मेरी तरफ देख कर वापस सो गया. मुझे ये तो मालूम था कि, उसकी हरकते खराब है और लड़कियों की बात तो दूर वो स्कूल की मॅडमो को भी गंदी नज़र से देखता है. लेकिन ये बात आज पता चली थी कि, उसकी गंदी नज़रो ने, उसके माता पिता तक को नही छोड़ा था.
तभी मेरे दिमाग़ मे विचार आया कि, कीर्ति भी तो जवान दिखने लगी है और वो देखने मे भी बहुत सुंदर है, तो क्या कमल अपनी सग़ी बहन पर भी बुरी नज़र रखता है.
ये बात सोचते ही मेरे दिमाग़ मे कीर्ति का चेहरा घूमने लगा और ना चाहते हुए भी वो सब सोचने लगा. जो आज से पहले कभी मैने कीर्ति के बारे मे नही सोचा था. मगर ये सब सिर्फ़ एक पल के लिए ही था. अगले ही पल मैने सारे विचारो को परे धकेल दिया और कीर्ति मेरी बहन है, ये सोचते हुए सो गया.
दूसरे दिन मेरी नींद बहुत सुबह खुल गयी. मैने देखा तो कमल बिस्तर पर नही था. मुझे शक़ हुआ कि, ये कमीना फिर कही रात वाली हरकत तो नही कर रहा है. मैं तुरंत छुपते छुपाते मौसा मौसी के कमरे की तरफ चला गया.
मगर कमल वहाँ नही दिखा. मैने सोचा हो सकता है कि, ये कीर्ति के कमरे मे गया हो. लेकिन वहाँ देखने पर भी वो वहाँ भी नही दिखा. अब मेरे मन मे सवाल आया कि, यदि कमल यहाँ नही है, तो फिर वो गया कहाँ.
मेरा मन तो नही था, पर फिर भी मैने छ्होटी माँ के कमरे मे देखना ठीक समझा और जब मैने छ्होटी माँ के कमरे मे देखा तो, मेरा खून खौल गया. क्योकि कमल छ्होटी माँ के साथ उनसे लिपट कर सो रहा था.
रात की उसकी हरकत देख कर, अब वो मुझे बच्चा नही लग रहा था. छ्होटी माँ का तो, मुझे कोई डर नही था, पर मुझे लगा कि, ये कही मेरी बहनो के साथ कोई हरकत ना करे. अब मैं अपनी बहनों के साथ, उसे एक पल के लिए भी अकेला छोड़ना नही चाहता था.
बात कुछ भी नही थी, फिर भी मैं एक अजीब से डर से घिर गया और छ्होटी माँ के पास गया. मुझे सुबह सुबह देख कर छ्होटी माँ बोली “क्या हुआ पुन्नू. क्या तुझे यहाँ नींद नही आ रही.”
मैं बोला “हां छ्होटी माँ, मुझे नींद नही आ रही थी. आप जल्दी उठो. हम घर जाएगे.”
छ्होटी माँ बोली “अरे ये अचानक तुझे क्या हो गया. अभी दिन तो निकलने दे. फिर घर चलेगे.”
मैं अब वहाँ किसी भी हालत मे रुकना नही चाहता था. मगर छ्होटी माँ की बात मानकर मुझे रुकना पड़ रहा था.
मैं बोला “ये कमल यहा आकर कब सो गया.”
छ्होटी माँ बोली “अरे रात को नामिता रो रही थी तो, ये उठ कर आ गया और फिर उसे खिलाते खिलाते यही सो गया.”
मैं सोचने लगा कि, ये तो मेरे सामने ही सो गया था. फिर इसने नामिता के रोने की आवाज़ कैसे सुन ली. कहीं ये साला रात को छ्होटी माँ के कमरे के चक्कर तो नही लगा रहा था.
छ्होटी माँ उठ चुकी थी, इसलिए मैं वापस कमल के कमरे मे आ गया और लेट गया. फिर अचानक मेरे दिमाग़ मे कमल के कमरे की तलाशी लेने की बात आई और मैं उठ कर कमल के कमरे का समान तलाशने लगा.
उसके समान की तलाशी लेते हुए मुझे कुछ सेक्स स्टोरी की बुक्स मिली. ऐसी बुक्स ना मैने कभी देखी थी और ना ही पढ़ी थी. इसलिए मैं उन्हे जल्दी जल्दी देखने लगा. सारी बुक्स इन्सेस्ट स्टोरी और सेक्स पिक से भरी पड़ी थी. मैने सारी बुक्स जहाँ से जैसे उठाई थी, वापस वही वैसे ही रख दी.
फिर कुछ देर बाद मैं फ्रेश होने चला गया और फ्रेश होने के बाद मैं तैयार होने लगा. तब तक कमल भी आ गया. मुझे तैयार होते देख कर बोला “यार तुम तो सुबह बहुत जल्दी उठ जाते हो. क्या आज भी स्कूल जाने का इरादा है.”
मैं बोला “स्कूल नही, अब घर जाने का इरादा है.”
कमल बोला “यार पहली बार तो मेरे घर मे रुक रहे हो. कम से कम दो तीन दिन तो रुकना चाहिए था.”
मैं बोला “नही मुझे घर के सिवा कही अछा नही लगता. मैं तो आज पहली बार अपने घर से बाहर रुका हूँ. अगली बार जब आउन्गा, तब ज़रूर दो तीन दिन रूकुगा.”
कमल बोला “जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. तुम जाना चाहते हो तो जाओ, पर मैं मौसी और अमिता नामिता को अभी नही जाने दूँगा.”
मैं बोला “मुझे तो आज जाना ही है. हां छ्होटी माँ और अमिता, नामिता यदि रुकना चाहती है तो रुक सकती है. मैं उनसे चलने की ज़िद नही करूगा.”
मेरी बात सुनकर कमल खुश हो गया. उसे उम्मीद थी कि, छ्होटी माँ उसकी बात मान कर वहाँ रुक जाएगी. लेकिन वो ये नही जानता था कि, मैं छ्होटी माँ से सुबह उसके जागने से पहले ही घर जाने की बात कर चुका था.
छ्होटी माँ इस बात को भी अच्छे से जानती थी कि, मैं घर के सिवा कही भी रात बिताना पसंद नही करता हूँ और घर मे भी मैं उनके और अमि निमी के बिना नही रह सकता हूँ. इसी वजह से कल मैं यहाँ आ गया था.
मगर अब कल की कमल की हरकत देखने के बाद, मैं वहाँ एक पल भी रुकना नही चाहता था और अब मुझे कमल के छ्होटी माँ के सामने रुकने की ज़िद करने की कोई परवाह नही थी. क्योकि मेरे बिना छ्होटी माँ के वहाँ रुकने का सवाल ही पैदा नही होता था.
मैं अभी इन्ही सोचो मे गुम था कि तभी कीर्ति आई और बोली “पुन्नू चलो, पापा तुम्हे नाश्ते के लिए बुला रहे है.”
कीर्ति उस समय ब्लॅक जीन्स और ब्लू टी-शर्ट पहनी थी. आज पहली बार वो मुझे इतनी सुंदर लग रही थी और मैं ना चाहते हुए भी उसे देखे जा रहा था.
मुझे इस तरह अपने आपको घूरते देख कर कीर्ति बोली “कहाँ खो गये, नाश्ता करने चलना है या नही.”
उसकी बात सुन मैं एक पल के लिए चौका और मेरा ध्यान टूटा.
मैं बोला “तुम चलो, मैं अभी आता हूँ.”
उसके जाने के बाद मुझे अपनी हरकत पर बहुत गुस्सा आया और मैने फिर अपने मन मे कहा “अबे साले वो तेरी बहन है. कमल की तरह, तू क्यो अपनी नियत और नज़र खराब कर रहा है.”
ऐसा सोच कर मैने अपने सर को झटका और फिर नाश्ता करने के लिए कमरे से बाहर निकल आया.
उस समय मौसा जी 33 साल के और मौसी जी 30 साल की थी. कीर्ति मेरी ही उमर की थी और कमल उस से 2 साल छोटा था. मौसा जी का खुद का कारोबार था. जो उन ने पापा की मदद से जमाया था. जिसकी वजह से वो पापा को बहुत मानते थे.
समय बीतता जा रहा था और सारे बच्चे बड़े होते जा रहे थे. अब मैं 10थ मे आ गया था और कमल भी मेरी ही स्कूल मे 8थ मे पढ़ रहा था. वो मुझ से सिर्फ़ 2 साल छोटा था. इसलिए हम किसी दोस्त की तरह ही रहते थे.
मगर मौसी जी के लाड प्यार की वजह से कमल बिगड़ता जा रहा था. स्कूल मे भी उसकी संगति कुछ ग़लत तरह के लड़को के साथ हो गयी थी. मैने कमल से उन लड़को से दूर रहने को कहा. मगर उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया. इसलिए अब मैं उस से कटा कटा सा रहने लगा था.
एक दिन मैं छ्होटी माँ के साथ मौसी के घर गया. तब मौसी ने हमें रात वही रुकने को कहा तो, हम लोग वही रुक गये. मैं कमल के साथ उसके कमरे मे रुका.
रत को मेरी नींद खुली तो, कमल कमरे मे नही था. मैने सोचा की बाथरूम मे होगा.
लेकिन जब कुछ देर तक इंतजार करने के बाद भी, मुझे बाथरूम मे कोई हलचल समझ मे नही आई तो, मैने उठ कर देखा. मुझे वहाँ कमल नज़र नही आया. मैने सोचा शायद कुछ करने बाहर गया होगा.
मगर जब बहुत देर तक वो नही आया तो, मैने उसे बाहर निकल कर इधर उधर देखा. तब वो मुझे मौसा मौसी के कमरे के बाहर दिखाई दिया. वो दरवाजे के किसी छेद से अंदर झाँक रहा था.
अब मैं बच्चा तो था नही, जो उसके इस तरह अपने मॅमी पापा के कमरे मे झाँकने का मतलब ना समझ पाता कि, वो इतनी रात को अपने मॅमी पापा के कमरे मे क्या देख रहा है.
मुझे उसकी ये हरकत बहुत खराब लगी. लेकिन मैं चुपचाप रूम मे आकर लेट गया. काफ़ी देर बाद कमल लौटा और सीधे बाथरूम मे घुस गया. अब ये समझना मुस्किल नही था कि, वो इस समय बाथरूम मे क्या कर रहा होगा.
बाथरूम से निकल कर उसने एक ठंडी सांस ली और एक नज़र मेरी तरफ देख कर वापस सो गया. मुझे ये तो मालूम था कि, उसकी हरकते खराब है और लड़कियों की बात तो दूर वो स्कूल की मॅडमो को भी गंदी नज़र से देखता है. लेकिन ये बात आज पता चली थी कि, उसकी गंदी नज़रो ने, उसके माता पिता तक को नही छोड़ा था.
तभी मेरे दिमाग़ मे विचार आया कि, कीर्ति भी तो जवान दिखने लगी है और वो देखने मे भी बहुत सुंदर है, तो क्या कमल अपनी सग़ी बहन पर भी बुरी नज़र रखता है.
ये बात सोचते ही मेरे दिमाग़ मे कीर्ति का चेहरा घूमने लगा और ना चाहते हुए भी वो सब सोचने लगा. जो आज से पहले कभी मैने कीर्ति के बारे मे नही सोचा था. मगर ये सब सिर्फ़ एक पल के लिए ही था. अगले ही पल मैने सारे विचारो को परे धकेल दिया और कीर्ति मेरी बहन है, ये सोचते हुए सो गया.
दूसरे दिन मेरी नींद बहुत सुबह खुल गयी. मैने देखा तो कमल बिस्तर पर नही था. मुझे शक़ हुआ कि, ये कमीना फिर कही रात वाली हरकत तो नही कर रहा है. मैं तुरंत छुपते छुपाते मौसा मौसी के कमरे की तरफ चला गया.
मगर कमल वहाँ नही दिखा. मैने सोचा हो सकता है कि, ये कीर्ति के कमरे मे गया हो. लेकिन वहाँ देखने पर भी वो वहाँ भी नही दिखा. अब मेरे मन मे सवाल आया कि, यदि कमल यहाँ नही है, तो फिर वो गया कहाँ.
मेरा मन तो नही था, पर फिर भी मैने छ्होटी माँ के कमरे मे देखना ठीक समझा और जब मैने छ्होटी माँ के कमरे मे देखा तो, मेरा खून खौल गया. क्योकि कमल छ्होटी माँ के साथ उनसे लिपट कर सो रहा था.
रात की उसकी हरकत देख कर, अब वो मुझे बच्चा नही लग रहा था. छ्होटी माँ का तो, मुझे कोई डर नही था, पर मुझे लगा कि, ये कही मेरी बहनो के साथ कोई हरकत ना करे. अब मैं अपनी बहनों के साथ, उसे एक पल के लिए भी अकेला छोड़ना नही चाहता था.
बात कुछ भी नही थी, फिर भी मैं एक अजीब से डर से घिर गया और छ्होटी माँ के पास गया. मुझे सुबह सुबह देख कर छ्होटी माँ बोली “क्या हुआ पुन्नू. क्या तुझे यहाँ नींद नही आ रही.”
मैं बोला “हां छ्होटी माँ, मुझे नींद नही आ रही थी. आप जल्दी उठो. हम घर जाएगे.”
छ्होटी माँ बोली “अरे ये अचानक तुझे क्या हो गया. अभी दिन तो निकलने दे. फिर घर चलेगे.”
मैं अब वहाँ किसी भी हालत मे रुकना नही चाहता था. मगर छ्होटी माँ की बात मानकर मुझे रुकना पड़ रहा था.
मैं बोला “ये कमल यहा आकर कब सो गया.”
छ्होटी माँ बोली “अरे रात को नामिता रो रही थी तो, ये उठ कर आ गया और फिर उसे खिलाते खिलाते यही सो गया.”
मैं सोचने लगा कि, ये तो मेरे सामने ही सो गया था. फिर इसने नामिता के रोने की आवाज़ कैसे सुन ली. कहीं ये साला रात को छ्होटी माँ के कमरे के चक्कर तो नही लगा रहा था.
छ्होटी माँ उठ चुकी थी, इसलिए मैं वापस कमल के कमरे मे आ गया और लेट गया. फिर अचानक मेरे दिमाग़ मे कमल के कमरे की तलाशी लेने की बात आई और मैं उठ कर कमल के कमरे का समान तलाशने लगा.
उसके समान की तलाशी लेते हुए मुझे कुछ सेक्स स्टोरी की बुक्स मिली. ऐसी बुक्स ना मैने कभी देखी थी और ना ही पढ़ी थी. इसलिए मैं उन्हे जल्दी जल्दी देखने लगा. सारी बुक्स इन्सेस्ट स्टोरी और सेक्स पिक से भरी पड़ी थी. मैने सारी बुक्स जहाँ से जैसे उठाई थी, वापस वही वैसे ही रख दी.
फिर कुछ देर बाद मैं फ्रेश होने चला गया और फ्रेश होने के बाद मैं तैयार होने लगा. तब तक कमल भी आ गया. मुझे तैयार होते देख कर बोला “यार तुम तो सुबह बहुत जल्दी उठ जाते हो. क्या आज भी स्कूल जाने का इरादा है.”
मैं बोला “स्कूल नही, अब घर जाने का इरादा है.”
कमल बोला “यार पहली बार तो मेरे घर मे रुक रहे हो. कम से कम दो तीन दिन तो रुकना चाहिए था.”
मैं बोला “नही मुझे घर के सिवा कही अछा नही लगता. मैं तो आज पहली बार अपने घर से बाहर रुका हूँ. अगली बार जब आउन्गा, तब ज़रूर दो तीन दिन रूकुगा.”
कमल बोला “जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. तुम जाना चाहते हो तो जाओ, पर मैं मौसी और अमिता नामिता को अभी नही जाने दूँगा.”
मैं बोला “मुझे तो आज जाना ही है. हां छ्होटी माँ और अमिता, नामिता यदि रुकना चाहती है तो रुक सकती है. मैं उनसे चलने की ज़िद नही करूगा.”
मेरी बात सुनकर कमल खुश हो गया. उसे उम्मीद थी कि, छ्होटी माँ उसकी बात मान कर वहाँ रुक जाएगी. लेकिन वो ये नही जानता था कि, मैं छ्होटी माँ से सुबह उसके जागने से पहले ही घर जाने की बात कर चुका था.
छ्होटी माँ इस बात को भी अच्छे से जानती थी कि, मैं घर के सिवा कही भी रात बिताना पसंद नही करता हूँ और घर मे भी मैं उनके और अमि निमी के बिना नही रह सकता हूँ. इसी वजह से कल मैं यहाँ आ गया था.
मगर अब कल की कमल की हरकत देखने के बाद, मैं वहाँ एक पल भी रुकना नही चाहता था और अब मुझे कमल के छ्होटी माँ के सामने रुकने की ज़िद करने की कोई परवाह नही थी. क्योकि मेरे बिना छ्होटी माँ के वहाँ रुकने का सवाल ही पैदा नही होता था.
मैं अभी इन्ही सोचो मे गुम था कि तभी कीर्ति आई और बोली “पुन्नू चलो, पापा तुम्हे नाश्ते के लिए बुला रहे है.”
कीर्ति उस समय ब्लॅक जीन्स और ब्लू टी-शर्ट पहनी थी. आज पहली बार वो मुझे इतनी सुंदर लग रही थी और मैं ना चाहते हुए भी उसे देखे जा रहा था.
मुझे इस तरह अपने आपको घूरते देख कर कीर्ति बोली “कहाँ खो गये, नाश्ता करने चलना है या नही.”
उसकी बात सुन मैं एक पल के लिए चौका और मेरा ध्यान टूटा.
मैं बोला “तुम चलो, मैं अभी आता हूँ.”
उसके जाने के बाद मुझे अपनी हरकत पर बहुत गुस्सा आया और मैने फिर अपने मन मे कहा “अबे साले वो तेरी बहन है. कमल की तरह, तू क्यो अपनी नियत और नज़र खराब कर रहा है.”
ऐसा सोच कर मैने अपने सर को झटका और फिर नाश्ता करने के लिए कमरे से बाहर निकल आया.