MmsBee रंगीली बहनों की चुदाई का मज़ा - Page 2 - SexBaba
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MmsBee रंगीली बहनों की चुदाई का मज़ा

मैं- ये क्यों लिए?
सोनाली- रात को पता चलेगा।
मैं- ओके।
उसके बाद दोनों ने सारे ड्रेस पहन कर मुझे दिखाए और जब रात हो गई तो खाना आदि खाने के बाद हम लोग रेस्ट करने लगे।
कुछ देर रेस्ट करने के बाद दोनों कपड़े उतार कर मेरे कमरे में आ गईं, मेरी जरा आँख लग गई थी.. तो दोनों ने मुझे उठाया।
मैं बोला- मेरे जिस्म में दर्द हो रहा है।
तो दोनों मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपनी चूचियों को तेल में डुबो कर मेरे बदन पर घुमाने लगीं।
मैं ये चूचियों से मसाज करना पॉर्न मूवी में देख चुका था.. लेकिन आज पहली बार मेरे साथ भी यही हो रही थी।
अब तो दोनों की चूचियों भी बड़ी और सख्त हो चुकी हैं.. मेरे मिलने से पहले छोटी-छोटी टेनिस की गेंद जैसे आकार की थीं। लेकिन मेरे मिलने के बाद तो फुटबाल सी हो गई हैं तो मसाज भी बड़ी आसानी से हो रही थी और मुझे मजा भी आ रहा था।
फिर मैं पीछे को मुड़ गया.. तो दोनों अपने हाथों और चूचियों से मेरी पीठ पर मसाज देने लगीं और मसाज के बहाने मेरे पूरे शरीर में तेल लग गया था।
दीदी ने सोनाली के चूतड़ों पर तेल लगाया और मेरे पीठ पर बिठा कर आगे को धकेल दिया.. तेल के कारण फिसलन होने के कारण वो सीधे मेरे सिर के पास आ कर रुकी। फिर तो दोनों इसी तरह आगे-पीछे करते हुए मेरी पीठ की मालिश करती रहीं और मैं चूतड़ों की इस मसाज का मजा लेता रहा।
कुछ देर मसाज का मजा देने के बाद दोनों सामने झुक कर गाण्ड हिलने लगीं.. एक तो तेल लगने के बाद गाण्ड वैसे ही खूबसूरत दिख रही थी और हिलने के बाद तो और भी कयामत लग रही थी।
अब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं भी उठ गया.. दोनों में ज्यादा सेक्सी दीदी की गाण्ड लग रही थी.. सो मैंने दीदी को गोद में उठाया और उसकी चूत के पास लंड सटा कर झटके मारने लगा।
तभी मैंने देखा की सोनाली भी रबर के लंड को पहन कर आ गई। मैं ये देख कर समझ गया कि इसका क्या इस्तेमाल होगा। मैं उसको देख कर मुस्कुरा दिया।
सोनाली- दीदी ने एक साथ दो लंड का मजा नहीं लिया है.. सो आज उसका मन पूरा कर देती हूँ।
मैं- हाँ कर दो।
सुरभि- क्या करने वाले हो तुम दोनों?
सोनाली और मैं- कुछ नहीं.. बस देखती जाओ.. आगे-आगे होता है क्या?
मैं नीचे लेट गया और दीदी को अपने ऊपर लिटा लिया और चूत में लंड डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।
उसकी गाण्ड का छेद सोनाली के सामने थी.. सो सोनाली ने उसकी गाण्ड के मुँह पर लंड रखा.. और झटका मारना चाहा.. लेकिन वो फिसल कर बाहर आ गया।
 
मैं नीचे लेट गया और दीदी को अपने ऊपर लिटा लिया और चूत में लंड डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।
उसकी गाण्ड का छेद सोनाली के सामने थी.. सो सोनाली ने उसकी गाण्ड के मुँह पर लंड रखा.. और झटका मारना चाहा.. लेकिन वो फिसल कर बाहर आ गया।
उसे अभी नकली लौड़े से गाण्ड मारने का अनुभव नहीं था ना.. सो मैं रुक गया सोनाली के उस रबर वाले लंड को पकड़ कर दीदी की गाण्ड के छेद के पास ले गया। मैंने इशारा किया और तभी सोनाली ने झटका मारा.. तो लंड सीधा गाण्ड में घुस गया.. रबर का ये लौड़ा मेरे लौड़े से बहुत पतला लंड था। तब भी दीदी की आह्ह.. निकल गई।
अब हम दोनों साथ झटके मारने लगे और दीदी भी 2 लंड एक साथ ले कर मजे ले रही थी।
कुछ देर ऐसे चुदाई करने के बाद मैं दीदी की दोनों टाँगों के बीच आ गया और दोनों टाँगों को कंधे पर रख कर झटके मारने लगा।
फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया लंड को चूत में पेल कर दीदी को चुम्बन करने लगा।
तभी सोनाली मेरे चूतड़ों पर फिर से तेल लगाने लगी और लगाते-लगाते ही वो मेरी गाण्ड में उंगली घुसेड़ने लगी.. तो मैं उसको हटाने लगा।
तो दीदी ने मुझे पकड़ लिया और सोनाली अपना रबर वाला लंड मेरी गाण्ड में डालने लगी.. वो पेन जितना पतला था। उसने पूरा अन्दर डाल दिया और मेरे ऊपर लेट गई.. तो मैंने उसको हटा दिया।
अब मैंने दीदी को छोड़ कर सोनाली को उल्टा किया और उसकी गाण्ड के छेद पर अपना लंड लगा कर एक ही झटके में पूरा गाण्ड की जड़ तक अन्दर पेल दिया.. और जोरदार झटका मारने लगा।
सोनाली कराह उठी..
गाण्ड चुदाई के बीच-बीच में मैं उसके चूतड़ों पर भी चपत मारने लगा। कुछ देर बाद चूतड़ों को छोड़ कर उसकी चूचियों को मसलने लगा और पीछे से गाण्ड में झटके मारता रहा। मैंने सोनाली को तब तक नहीं छोड़ा.. जब तक मैं झड़ नहीं गया और झड़ कर हम तीनों बिस्तर पर एक साथ लेट गए।
सुरभि- क्या बात है आज सोनाली की जबरदस्त चुदाई हो गई।
सोनाली- आप को भी तो आज मजा आया होगा.. एक साथ दो लंड लिए हैं।
सुरभि- हाँ बहुत मजा आया।
मैं- सोनाली को तो एक साथ दो लंड खाने का अच्छा ख़ासा अनुभव है।
सुरभि- क्या सच में?
मैं- उसी से पूछ लो.. बताओ सोनाली।
सोनाली- हाँ..
सुरभि- कब और किसके साथ?
तो मैंने और सोनाली ने मिल कर पूरी कहानी बता दी..
सोनाली- दीदी आप भी लेना चाहोगी क्या?
सुरभि- नहीं बाबा..
सोनाली- ओ के!
सुरभि- और तुम भी छोड़ दो.. घर में रहने तक ये सब ठीक है.. लेकिन घर से बाहर नहीं लेना.. कल को किसी को पता चल गया.. तो बदनामी होगी।
सोनाली- नहीं पता चलेगा..
सुरभि- क्यों नहीं पता चलेगा? कहीं उससे झगड़ा हुआ और उसने सबको बता दिया तो?
सोनाली- नहीं ना बताएगा..
सुरभि- क्यों नहीं बताएगा।
सोनाली- क्योंकि सुशान्त उसकी दोनों बहनों को चोद चुका है।
 
सुरभि- क्या सच में?
सोनाली- उसी से पूछ लो.. बताओ सुशान्त..
मैं- हाँ दीदी।
सुरभि- अरे ये लंड है कि क्या है.. किसी को नहीं छोड़ा है क्या?
मैं- क्या करूँ.. मैं तो सम्भल जाऊँगा.. लेकिन ये लंड है कि मानता ही नहीं है। जो मुझे पसंद आ जाती है.. यह लंड अपना रास्ता खुद ही ढूँढ लेता है।
सोनाली- अब तक कोई ऐसी लड़की है.. जिसके पीछे तू पड़ा हो.. लेकिन वो नहीं पटी हो तुमसे?
मैं- हाँ हैं ना.. बहुत हैं.. लेकिन उनमें से एक है.. जिसके पीछे मैं पिछले 3 साल से पड़ा हुआ हूँ.. लेकिन लाइन ही नहीं दे रही है।
सुरभि- कौन है?
मैं- साधना मेम.. मेरे कॉलेज में टीचर हैं.. पिछले 3 साल से उनके लिए तड़फ रहा हूँ.. लेकिन साली की चूत अब तक मिली नहीं है।
सुरभि और सोनाली- मिल जाएगी.. जल्दी ही.. मुझे पूरा भरोसा है।
मैं- क्या बात है.. इतना भरोसा है मुझ पर?
सुरभि और सोनाली- हाँ क्योंकि जो लड़का अपनी सग़ी बहन को नहीं छोड़ता है.. वो हरामी अपनी टीचर को क्या छोड़ेगा।
मैंने हँसते हुए- हाँ यह बात भी सही है.. वैसे तुम दोनों अब मेरी बहन नहीं हो..
सुरभि और सोनाली- हाँ हमें भी भाई बोलते हुए अच्छा नहीं लगता।
मैं- हाँ आज से मैं दीदी और छोटी नहीं बोलूँगा.. आज से सुरभि को बड़ी बीवी और सोनाली को छोटी बीवी बोलूँगा।
सुरभि और सोनाली- ओके.. और हम दोनों तुमको पतिदेव।
मैं- हाँ लेकिन सिर्फ़ हम लोगों के बीच ही.. बाहर जैसे हम लोग एक-दूसरे से जैसे बात करते थे.. वैसे ही बात करेंगे।
सुरभि और सोनाली- ओके मेरे पतिदेव।
मैं- अच्छा मेरी दोनों बीवियों.. अब हमें सोना चाहिए..
दोनों मेरी बाँहों में नंगी ही सो गईं..
जब मैं सुबह उठा.. तो देखा बिस्तर पर मैं अकेला सोया हुआ हूँ।
*****
 
अब वो मेरी बहनें नहीं.. दो बीवियाँ बन गई हैं। अगले दिन मैं जैसे ही उठा.. मुझे मेरी बीवी बगल में नहीं दिखी.. तो मैंने आवाज़ दी.. तो दोनों एक साथ अपनी गाण्ड मटकाती हुई आईं।
मैं- हैलो स्वीटी.. कल रात मज़ा आया..
सोनाली और सुरभि एक साथ बोलीं- हाँ.. बहुत मजा आया.. वैसे भी अब तो आप हमारे पति बन गए हैं।
मैं- अभी नहीं.. आज हम लोग शादी करते हैं.. तब होंगे।
सुरभि- शादी.. वो कैसे करोगे?
मैं- मेरे पास एक आइडिया है।
सोनाली- क्या आइडिया है बताओ.. कोर्ट मैरिज करोगे क्या?
मैं- नहीं.. आज हम अपने फ्लैट में शादी करेंगे और सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे.. मोमबत्ती जला कर फेरे लेंगे।
सुरभि और सोनाली एक साथ चहकीं- वाउ रोमाँटिक आइडिया है।
मैं- तो चलो रेडी हो जाओ।
सुरभि और सोनाली फिर एक साथ बोलीं- तो हम दोनों पहले पार्लर जाते हैं।
मैं- पार्लर क्यों?
सुरभि- अरे यार आज शादी है हमारी.. तो सजने तो जाना होगा ना..
मैं- हाँ ये भी सही है.. तो तुम दोनों पार्लर जाओ और मैं मार्केट से कुछ सामान लेकर आता हूँ।
वे दोनों एक साथ बोलीं- ओके..
मैं मार्केट से दुल्हन का सारा सामान ले आया और तब तक दोनों भी पार्लर के लिए रेडी होकर आ गई थीं।
मैंने दोनों को कपड़े दे दिए और बोला- शाम तक सब कुछ रेडी रखना..
मैं अपने काम से चला गया। शाम को जब मैं घर लौटा.. तो मैंने देखा कि मेरे घर के एक हॉल में दोनों सजी-धजी बैठी हुई थीं.. और हॉल पूरा सज़ा हुआ था।
मैं उनको इस रूप में देखकर मुस्कुराया और जल्दी से अपने कमरे में जाकर तैयार होकर आ गया।
अब मैं वापस हॉल में आ गया। मैंने जींस और कुर्ता पहन रखा था.. लेकिन वो दोनों भी लहंगा-चुन्नी में मस्त आइटम लग रही थीं।
सुरभि दीदी ने लाल लहंगा और डोरी वाली चोली पहनी हुई थी और सोनाली ने हल्के गुलाबी रंग का लहंगा और जरी के काम वाली चोली पहनी थी।
उन दोनों के चूतड़ों के उभार मस्त दिख रहे थे और चोलियाँ चूचियों तक ही थीं। चोली और लहंगे के अलावा बाकी का भाग नंगा था.. मतलब कमर.. पेट पूरा नंगा था.. मेरा तो फिर से लंड खड़ा हो गया।
मैं- दोनों हॉट और सेक्सी लग रही हो.. एकदम कंटाप माल लग रही हो।
सोनाली बोली- ऊऊहह.. तैयार भी तो इसी लिए हुए हैं।
मैं- मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है यार..
सुरभि- तो कंट्रोल करो.. अभी कुछ नहीं मिलने वाला है।
मैं- कुछ नहीं.. थोड़ा बहुत तो मिलना चाहिए ना यार..
सोनाली- नो.. कुछ नहीं.. सब कुछ मिलेगा.. लेकिन कुछ देर बाद..
 
मैं- वही तो.. कुछ देर इंतज़ार नहीं हो रहा है.. मन हो रहा है कि बस शुरू हो जाऊं और खास करके तुम दोनों ने कपड़े भी इतने हॉट पहने हैं कि मैं तो क्या.. कोई बूढ़ा भी कंट्रोल नहीं कर पाएगा।
सुरभि और सोनाली एक साथ हंसने लगीं।
मैं- ह्म्म्म्म .. ओके.. जो करना है.. जल्दी करो।
सुरभि- हाँ बस अब शुरू ही कर देती हूँ।
मैं लण्ड पर हाथ फेरता हुआ बोला- हाँ जल्दी करो।
सोनाली- ओके आओ.. अब शुरू करते हैं।
इतना सुनते ही मैंने सीधा सुरभि को बांहों में लिया और चूमने लगा।
तभी सोनाली बीच में आई और हम दोनों को अलग करते हुए बोली- अभी रूको.. वो हम दोनों को हाथ पकड़ कर सामने एक जगह पर ले गई.. जहाँ एक मोटी मोमबत्ती रखी थी। उसने मोमबत्ती जलाई और मेरे कंधे पर एक धोती रख कर सुरभि की ओढ़नी से गाँठ बाँध दी और बोली- अब फेरे शुरू करो..
मैं बोला- मैं फेरा अलग स्टाइल में शुरू करूँगा।
मैंने सुरभि को गोद में उठा लिया.. मेरा एक हाथ उसकी नंगी कमर पर था और दूसरा नंगी पीठ पर कर घूमने लगा।
दो फेरे लेने के बाद मैंने सोनाली को भी बुला लिया और हम तीनों ने मिल कर फेरे पूरे किए। फेरे पूरे होने के बाद मैंने दोनों की माँग को भरा और मंगलसूत्र पहनाया।
इस तरह हम तीनों की शादी हो गई और आज मुझे एक नहीं दो-दो बीवियाँ चोदने को मिल गई थीं। मैंने दोनों को गले से लगाया।
मैं- अब तो तुम दोनों मेरी बीवियाँ बन गई हो.. चलो सुहागरात मनाते हैं।
सुरभि और सोनाली एक साथ बोलीं- हाँ हम दोनों कमरे में जा रही हैं.. ‘आप’ कुछ देर में आना।
मैं- आप?
सुरभि- हाँ.. पत्नियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती हैं।
मैं- ओहो.. तो चलो हम भी साथ चलते हैं।
सुरभि और सोनाली एक साथ बोलीं- नो कुछ देर बाद आना.. आप हमारे पतिदेव हैं।
मैं- अपने पति को तड़फा रही हो..
सुरभि- नहीं तड़फा नहीं रही हूँ.. बस कुछ देर बाद आ जाइएगा।
मैं- ठीक है.. जैसी आपकी इच्छा।
सोनाली- हाँ ये हुई ना हमारे पति जैसी बात..
दोनों गाण्ड मटकाती हुई कमरे में चली गईं और मैं लण्ड सहलाता हुए इंतज़ार करता रहा। कुछ देर इंतज़ार के बाद मुझे अन्दर बुलाया.. मैं जैसे ही अन्दर गया।
 
मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि ये मेरा ही कमरा है.. क्योंकि पूरा कमरा बड़े ढंग से सजाया हुआ था.. हल्की दूधिया रोशनी जल रही थी और उस लाइट में मुझे तो सिर्फ़ मेरी दोनों बीवियों के दूधिया गुंदाज बदन दिख रहे थे। मैं जैसे ही अन्दर गया.. उन दोनों ने मुझे एक कुर्सी पर बैठाया और बोलीं- आओ स्वामी आपका मुँह मीठा कराते हैं।
सुरभि एक रसगुल्ले को लेकर मेरी तरफ़ आई.. मैंने आधा रसगुल्ला अपने मुँह में दबा कर सुरभि को अपनी तरफ़ खींचा और बचा हुआ आधा रसगुल्ला उसको खिलाने लगा।
जैसे ही हम दोनों नजदीक आए.. हम रसगुल्ला खाने के साथ ही होंठों का चुम्बन करने लगे।
अभी तो रसगुल्ला दुगना मीठा लग रहा था। मीठा रसगुल्ला और ऊपर से सुरभि के रसीले होंठ.. आह्ह.. मजा आ गया। कुछ देर बाद हम अलग हुए और मैं सोनाली को भी किस करने लगा.. कुछ देर चुम्बन करने के बाद हम अलग हुए।
सोनाली- अब आगे दीदी के साथ मजा करो.. मैं बाद में आऊंगी। वैसे भी मैं एक बार मना चुकी हूँ.. दीदी का इधर फर्स्ट-टाइम है।
मैं- तब तक तुम क्या करोगी?
सोनाली- लाइव शो का मजा लूँगी.. इतना सेंटी क्यों हो रहे हो.. इसके बाद मैं ही आने वाली हूँ।
मैं- ओके मेरी जान.. लव यू।
सोनाली- ओके.. एंजाय करो।
अब सोनाली सामने सोफे पर बैठ गई और सुरभि दूध का गिलास लेकर मेरे पास आई। मैंने थोड़ा दूध पिया और थोड़ा उसको भी पिलाया।
मैंने उसको गोद में उठा लिया और बोला- मुझे तुम्हारे ये वाले दूध पीना है।
मैं उसकी चोली के ऊपर की खुली जगह पर किस करने लगा.. तो उसके गहने मुझे दिक्कत करने लगे। मैंने उसको बिस्तर के पास बैठाया और एक-एक करके उसके सारे गहने उतार दिए।
फिर गर्दन और चूचियों के बीच की जगह पर किस करने लगा.. साथ ही मैं उसकी कमर को भी सहलाए जा रहा था।
वो मुझे पकड़े हुए थी और मैं चोली के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके पीछे गया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा और आगे हाथ बढ़ा कर उसकी मस्त चूचियों को भी दबाने लगा।
उसकी गर्दन पर किस करते-करते मैं नीचे को बढ़ने लगा और उसकी नंगी पीठ पर किस करने लगा.. साथ ही मैं उसकी चूचियों को भी दबाता रहा।
 
कुछ देर किस करने के बाद उसकी चोली की कपड़े की चौड़ी पट्टी को अपने दांतों के बीच दबा कर खींच दिया.. चोली एकदम से खुल गई। मैंने चोली को हटा दिया और अब वो ऊपर सिर्फ़ रेड ब्रा में थी.. जो पीछे एक पतली सी डोर से बन्धी हुई थी। जिसकी वजह से नीचे से उसकी आधी चूचियों को ऊपर की तरफ़ उठी हुई थीं।
वैसे भी सुरभि की चूचियाँ मेरी जिन्दगी की अब तक की सबसे बेस्ट चूचियाँ थीं। एकदम गोल बॉल की तरह.. और दूध की तरह गोरी चूचियां.. एकदम टाइट.. अगर ब्रा नहीं भी पहने.. तब भी एकदम सामने को तनी रहें.. झूलने की कोई गुंजाइश नहीं।
मैं उसकी अधखुली चूचियों को ही चूमने लगा।
कुछ देर किस करने के बाद मैं उसकी ब्रा के अन्दर उंगली डाल कर निप्पल को ढूँढने लगा।
वैसे ढूँढने की ज़रूरत नहीं थी.. निप्पल खुद इतना कड़क था.. जो कि दूर से ही ब्रा के ऊपर दिख रहा था।
मैंने उसके निप्पल को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाल लिया। गुलाबी निप्पल को देख कर लग रहा था कि वो बाहर निकलने का इंतज़ार ही कर रहा था.. मानो बुला रहा हो कि आओ और चूसो मुझे..
मैं कौन सा पीछे रहने वाला था मैं भी टूट पड़ा उस पर.. मैं उसके एक निप्पल को मसलने लगा और दूसरे को होंठ के बीच दबाने और चूसने लगा।
कुछ देर बाद मैंने अधखुली चूचियों के ऊपर चिपकी ब्रा भी खोल दिया.. जैसे ही ब्रा को खोला.. उसकी दोनों चूचियाँ छलकते हुए बाहर आ गईं।
मैं पहले भी बता चुका हूँ कि सुरभि की चूचियाँ मेरे अब तक की सबसे बेहतरीन चूचियाँ हैं.. तो जैसे ही उसकी मदमस्त चूचियाँ उछलते हुए बाहर आईं.. मैं चूचियों पर टूट पड़ा।
मैं उसकी मस्त चूचियों को चूसने और मसलने लगा और पूरी चूचियों को मुँह में लेने की कोशिश करने लगा। वो इतनी बड़ी गेदें थीं.. जिनके साथ खेल तो सकते थे.. लेकिन खा नहीं सकते थे। मैं बस उसकी गेदों से खेलता रहा। वो भी चूचियों को मसलवाने के मज़े ले रही थीं।
अब तो वो ऊपर से पूरी नंगी थी.. एक तो गोरा बदन और दूधिया रोशनी में कयामत लग रही थी। मैं उसके पूरे बदन को चूमता-चाटता रहा।
तभी सोनाली बोली- दीदी आपके कपड़े उतर गए और पतिदेव अभी तक कपड़े में हैं।
सुरभि हँसते हुए मेरे कपड़े उतारने लगी, मैंने भी अपने कपड़े उतारने में उसका साथ दिया, अब मैं भी ऊपर से पूरा नंगा हो गया, मैंने उसको अपनी तरफ़ खींचा और गले लगा लिया।
हम दोनों एक-दूसरे के बदन पर किस करने लगे और एक-दूसरे को जकड़ कर पकड़े हुए थे। अब मैं उसके चूतड़ों को लहंगे के ऊपर से ही मसलने लगा और वो मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. और उसके पकड़ने के बाद तो और टाइट हो गया.. मेरा लौड़ा बिल्कुल लोहे की तरह सख्त हो गया था।
सुरभि ने उसको पैंट से बाहर निकाला.. तो आज़ादी महसूस हो रही थी..
लेकिन वो आजादी अधिक देर तक कायम नहीं रह सकी, सुरभि लंड को मसलने लगी और वो मेरे पेट पर किस करते हुए नीचे की तरफ़ बढ़ रही थी।
 
वो मेरे खड़े लंड के आस-पास किस करने लगी। मैंने तो आज की सुहागरात की तैयारी में पहले से ही झांटों का जंगल साफ़ कर रखा था।

वो अपने मुलायम होंठ से मेरे लंड पर किस करने लगी.. और कुछ देर में लंड के ऊपर वाले भाग को चाटने लगी। वो मेरे लंड को पूरा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी, कुछ ही देर के बाद पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी।

आज पहली बार मुझे महसूस हो रहा था कि यह दिल से लंड चूस रही है.. क्योंकि बता नहीं सकता.. कितना मज़ा आ रहा था।

वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके सिर को सहला रहा था। वो मेरे लंड को मसल-मसल कर चूस रही थी.. जैसे किसी पोर्न मूवी में लंड चूसते हैं। मैं तो अन्दर तक हिल गया था.. उसने मुझे लंड चूस कर ही आधा मज़ा दे दिया था।

वो मेरा लौड़ा तब तक चूसती रही.. जब तक मैं झड़ नहीं गया।

मेरे झड़ने के बाद वो मेरा सारा माल पी गई और लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया, फ़िर मेरे बगल में लेट गई और मेरे बदन पर उंगली फिराने लगी।

मैं उठा और उसके लहँगे को घुटनों तक उठा दिया और उसके पैरों को चूमने लगा।

उसके एकदम चिकने पैरों को चूमते-चूमते मैं ऊपर को बढ़ने लगा और अपने सिर को उसके लहँगे के अन्दर घुसेड़ दिया। अब मैं उसकी मरमरी जाँघों को चूमने लगा। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मेरे हाथ उसकी पैन्टी पर गए.. जो गीली हो चुकी थी। मुझसे अब बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हुआ और मैं उसकी भीगी पैन्टी को चाटने लगा।

मुझे नमकीन सा स्वाद लग रहा था.. और कुछ देर यूं ही पैन्टी के ऊपर से चाटने के बाद मुँह से ही पैन्टी को साइड कर दिया और उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा।

उसने भी आज ही चूत को साफ़ किया था.. एक भी बाल नहीं था और ऊपर से इतनी मखमल सी मुलायम चूत.. आह्ह.. मजा आ गया।

आप सोच सकते हो मुझे उसकी चूत को चाटने में कितना मजा आ रहा होगा। लेकिन उसकी पैन्टी बार-बार बीच में आ जा रही थी.. तो मैंने उसकी पैन्टी को उतार दिया।

अब नंगी चूत देख कर मैं उसको किस करने लगा और अपनी पूरी जीभ चूत के अन्दर डाल कर चूसने लगा। मेरी पूरी जीभ चूत के बहुत अन्दर तक चली जा रही थी.. वो भी मस्त हो कर अपनी चूत को उठा रही थी।

कुछ देर ऐसा चला.. फिर मैंने उंगली से चूत की फांकों को अलग किया और जीभ को और अन्दर तक ले गया। उसकी ‘आह्ह..’ निकल गई.. मैं पूरी मस्ती से जीभ को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
 
उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और उसने अपनी जांघों से मेरे सिर को दबा लिया.. तभी अचानक उसकी चूत ने एक जोरदार पानी की धार छोड़ दी.. जिससे मेरा पूरा चेहरा भीग गया। वो झटके ले-ले कर पानी छोड़ती रही और फिर निढाल हो कर लेट गई।

कुछ देर बाद मैंने भी उसको छोड़ दिया करीब 5 मिनट के बाद मैं फिर से हरकत में आ गया और उसकी नाभि पर उंगली घुमाने लगा.. तो वो खुद मेरे ऊपर लेट गई और ‘लिप किस’ करने लगी।

कुछ देर ‘लिप किस’ करने के बाद हम दोनों एक-दूसरे के बदन पर किस करने लगे और एक-दूसरे को चूसने लगे। मैंने कुछ देर ऐसा करने के बाद उसके लहँगे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके भरे हुए चूतड़ों को दबाने लगा।

कुछ देर दबाने के बाद उसके लहँगे को नीचे कर दिया और उसके चूतड़ों को क़ैद से आज़ाद करवा दिया।

उसने भी चुदास से भरते हुए अपने लहँगे को पूरा बाहर ही कर दिया और अब वो भी पूरी नंगी हो गई.. मैं तो पहले से ही नंगा था।
हम दोनों ही नंगे हो चुके थे और वो मेरे ऊपर भी लेटी हुई थी.. सो मेरा लंड उसकी चूत से सटा हुआ था.. और लंड खुद ही अपना रास्ता ढूँढ रहा था।

मेरा कड़क लौड़ा उसकी चूत के दरवाजे को खटख़टा रहा था।

मैं अभी सोच ही रहा था कि तभी सुरभि ने मेरे लंड को पकड़ कर चूत का रास्ता दिखा दिया, लंड ने भी जरा सी मदद मिलते ही अपना रास्ता ढूँढ लिया.. सीधा आधा भाग चूत के अन्दर घुसता चला गया।

उसके मुँह से ‘आह्ह.. उई.. माँ..’ की आवाज़ आई।

मैं उसके चूतड़ सहलाने लगा और चूचियों को मुँह में लेकर एक जोरदार झटका मारा और पूरा लौड़ा उसकी चूत के अन्दर घुसता चला गया।

उसकी ‘ऊऊहह आहूऊऊहह..’ की तेज आवाज़ आने लगी.. तो मैं रुक गया और कुछ देर चूचियों को दबाता रहा.. चूमा.. फिर से लण्ड के झटके मारने लगा।

अब उसे भी उतना दर्द नहीं हो रहा था.. बल्कि कुछ ही देर में उसको भी मजा ही आने लगा था। क्योंकि वो इसी लंड से पिछले 3 साल से चुद रही थी.. सो ये दर्द कम और मजा ज्यादा दे रही थी और पिछले तीन साल में मुझे भी पता लग गया था कि इस चूत को कैसे सम्भालना है।

खैर.. मैं झटके मार रहा था और उसके मुँह से सीत्कार निकल रही थी। इतनी मादक सीत्कार थी.. जिसको सुन कर कोई भी पागल हो जाए। मैं तो इस सीत्कार का दीवाना था ही।

कुछ देर ये सब चलता रहा.. फिर मैंने उसको गोद में उठा लिया और उसकी रसीली चूत में ‘घपाघप..’ चोटें मारने लगा।

अपने लंड से कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसको पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया.. जिसमें वो कमर से ऊपर बिस्तर पर थी.. और उसके चूतड़ और पैर नीचे थे।

मैं भी बिस्तर के नीचे ही खड़ा रहा। मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और उसके एक पैर को अपने कंधों पर उठा लिया.. जिससे उसकी चूत मेरे सामने खुल उठी थी।

फिर मैंने उसकी चूत में लंड पेल दिया और झटके मारने लगा। अब मेरे इन झटकों से उसका पूरा जिस्म हिल रहा था।
 
सबसे ज्यादा मजा उसके अमृत फलों को चूसने में आ रहा था.. खास करके निप्पलों को चचोरने में.. मानो वे खुद ही चूसने को बुला रहे हों। उसकी हिलती हुई चूचियाँ तो ऐसे लग रही थीं.. जैसे पानी में कोई दो बड़े से नारियल तैर रहे हों।

जब मैं झटका मारता था.. तो चूचियाँ उसके सिर की तरफ़ को उछलती थीं और फिर से नीचे की तरफ़ को आ जाती थीं। नीचे से उसकी चूत में मेरा लंड तो अपना काम कर ही रहा था.. लेकिन जब भी मैं झटके मारता.. मेरे पैर भी उसके मुलायम और गुदाज चूतड़ों को छू कर मज़े लेने लगते थे।

कुछ देर इसी तरह चोदने के बाद मैंने उसको बिस्तर से उतार कर पूरा खड़ा कर दिया। अब मैं उसको पीछे से चूमने लगा.. पहले चूतड़ों को चुम्बन करने लगा और दबाने लगा। फिर उसके एक पैर को बिस्तर पर रख दिया और अपने लंड के सुपारे को फिर से उसकी चूत के मुँह पर लगाया और अन्दर तक पेल दिया।

अब तो मेरा लंड बड़ी आसानी से अन्दर चला गया.. बिना किसी परेशानी के.. और मैं भी उसकी चूचियों को पकड़ कर हचक कर अपना लौड़ा पेलने लगा.. साथ ही लौड़ा अन्दर ठेलते समय मैं उसकी चूचियों को भी जोर से भींचने लगा।

पूरे कमरे में फिर से एक बार मादक सीत्कारें गूँजने लगीं। कुछ देर हम दोनों ऐसे ही चुदाई का खेल करते रहे.. फिर उसको दीवार से सटा कर उसकी चूत का मजा लेने लगा।

कुछ देर चूत का मजा लेते-लेते उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझसे एकदम से चिपक गई।

मैं समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है.. सो मैंने अपना लंड निकाल कर उसको अपने से चिपकाए रखा.. और वो झड़ने लगी और मैंने उसको नंगा ही उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।

तब तक सोनाली भी चूत में उंगली करके खुद को झाड़ चुकी थी। फिर भी मैं उसके पास गया और एक राउंड उसको भी चोदा.. और हम तीनों नंगे ही एक ही बिस्तर पर सो गए। मैं बीच में लेटा था और वो दोनों मेरे दोनों बगलों में पड़ी थीं।
*****

samapt
 
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