hotaks444
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रंगीन हवेली
भाग 2
ठकुराईन का इन्साफ़
दरअसल ठाकुर रोज रात मे हवेली की किसी एक औरत को चोदने के लिये बुलवाता था लेकिन सप्ताह मे एक बार अय्यासी का दरबार लगाता था। जब पहली बार इन तीनों को एक साथ बुलवाया था तो इनके आदमी फरियाद लेकर ठकुराईन के पास गये थे।ठकुराईन के पूछने पर बेला के पति बलदेव उर्फ बल्लू ने डरते हुए कहा –
“मालकिन अभी तक तो ठाकुर साहब हम मे से किसी एक की औरत को अपनी सेवा मे बुलवाते थे हमे कोई एतराज नहीं क्योंकि हमारा तो काम ही आप सबकी सेवा करना है और हमारी औरतो की तरह हम सब भी दोस्त हैं सो अगर तीन मे से दो भी घर मे हो तो हमारा भी काम चल जाता था क्योंकि हम सब भी मर्द हैं हमें भी रात मे औरत की जरूरत पड़ती है।”
सुनकर ठकुराइन मुस्कुरायी उन्होंने एक भरपूर नज़र तीनो मर्दों पर डाली नीरा का पति नन्दू ठिगना पर मजबूत जिस्म का मालिक था शीला का पति धीरा लम्बा तगड़ा बाडीबिल्डर जैसा था बल्लू का कद बीच का बदन तगड़ा कसरती पर थोड़ा भारी था फिर ठकुराइन मुस्कुराते हुए बोली –
“ ठीक तुम लोग अभी काम से आये हो थके होगे नहाधो आओ तुम्हारा इन्साफ़ होगा।”
जब वे नहाधोकर आये तो देखा ठकुराइन के कमरे मे उनके पलंग से अलग एक बहुत बड़ा गददा बिछा है उसपर गाव तकिया लगाये ठकुराइन मुस्कुराते हुए अपनी पीठ के बल अधलेटी हैं उनके बदन पर कपड़ों के नामपर सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज थे। जिसमें से उनका गदराया गुलाबी बदन जगह जगह से झॉक रहा था। उनके बड़े गले के लोकट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े उरोज फ़टे पड़ रहे थे इन तीनों को देखकर मुस्कुराते हुए बोली –
“आओ आओ बैठो बैठो। अब मुझे विस्तार से बताओ कि ठाकुर साहब के कमरे मे तुमने क्या देखा।”
तीनो ने एक दूसरे की तरफ़ देखा फिर नन्दू ने कहना शुरू किया –
“अब क्या बताये मालकिन मैने देखा ठाकुर साहब की नंगी गोद में नीरा पेटीकोट ऊपर किये अपने बड़े बड़े गुदाज नंगे चूतड़ों के बीच में उनके साढे सात इंची हलव्वी लण्ड को दबाये बैठी थी।”
ठकुराइन मुस्कुराते हुए बोली –
“अरे तेरा हिसाब साफ़ करना तो बहुत ही आसान है।”
यह कहकर उन्होंने खीचकर उसे बगल में बैठा लिया और झटके से उसकी धोती खीचकर निकाल दी फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे अपना पेटीकोट ऊपर उठाने लगी पहले उनकी पिण्डलियाँ फिर मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ दिखे और फिर पावरोटी सी फूली दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों चूत देखकर तीनों दंग रह गये। अपना पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर नन्दू की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठ गयीं। फिर बोली –
“अब बताओ फिर क्या हुआ।”
ठकुराइन का यह मस्ताना रूप देखकर उनकी हिम्मत बढ़ी और धीरा बोला –
“हमने देखा ठाकुर साहब के एक तरफ़ शीला और दूसरी तरफ़ बेला बैठी थी । ठाकुर साहब के हाथ उनकी गरदनों के पीछे से होकर उनके ब्लाउज में घुसे हुए थे और उनके उरोजों से खेल रहे थे।”
ठकुराइन चहकी –
“अरे ये तो और भी आसान है आ जाओ दोनों फ़टाफ़ट।” इतना सुनना था कि दोनों ठकुराइन की तरफ झपटे। ठकुराइन के ब्लाउज में एक तरफ से धीरा ने हाथ डाला और दूसरी तरफ से बल्लू ने । ठकुराइन के ब्लाउज के बटन चुटपुटिया वाले थे कसा ब्लाउज दो दो हाथों का तनाव बरदास्त नहीं कर पाया चुटपुटिया वाले बटन एकदम से सारे के सारे खुल गये और उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन कबूतरों की तरह फ़डफ़ड़ा़कर बाहर आ गये। धीरा और बल्लू अपने दोनों हाथों से उनके एक एक विशाल स्तन को थाम कर उनके निप्पल को कभी चूसने लगते तो कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलने लगते। उधर नन्दू का लण्ड ठकुराइन के बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतडों के बीच साँप की तरह लम्बा होकर उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत तक फैल रहा था। वो ठकुराइन के गोरे गुलाबी गुदाज कंधों पर मुंह मार रहा था उनकी गोरी गदरायी कमर को सहलाते हुए उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोल रहा था और उनकी गोल नाभी में उंगली डाल रहा था। ठकुराइन सिसकारी भरते हुए बोली –“इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आहऔर बताओ आगे क्या हुआ।”
धीरा और बल्लू ठकुराइन के बड़े बड़े गुलाबी कबूतरों को सहलाते और अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच उनकी चोंच मसलते हुए बोले –
“पता नहीं मालकिन क्योंकि फिर हम चले आये आपके पास फ़रियाद लेकर।”
ठकुराइन ने चुटकी ली –
“ अभी तो कह रहे थे कि तुम भी मर्द हो क्या अन्दाज़ा नहीं लगा सकते।”
यह कहते हुए उन्होंने झटसे उनकी धोतियॉं खीचकर निकाल दी अब उनके नीचे के बदन बिलकुल नंगे थे ठकुराइन ने देखा कि उनके औजार बार बार हवा में ऊपर नीचे हो रहे हैं। ठकुराइन भी हवा में लहराते फौलादी लण्डों को देखकर मस्त हो रही थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों में उनका एक एक लण्ड थाम लिया और सहलाने लगी। ठकुराइन के ऐसा करने से वे और भी जोश में आ गये और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं को जोर जोर से दबाने और उनके निप्पल को कभी चूसने कभी चुभलाने लगे। तभी नन्दू ने ठकुराइन की गोरी पावरोटी सी फूली चूत को फैलाया और अपनी अंगुली उसमें डाल दी ठकुराइन के मुंह से एक सिसकारी सी निकली वो अपने होंठों को दांतों में दबाये थी। वह अपने आपको रोक नही पा रही थी। वह नन्दू को उत्साहित कर रही थी। नन्दू का लण्ड भी चूत के लिए तड़प रहा था। अचानक ठकुराइन उठ गयी और पलट कर नन्दू की तरफ घूम कर फिर से उसकी गोद में बैठ गयीं। ऐसा करने से उनकी चूचियॉं धीरा और बल्लू के हाथों से छूट गयी नन्दू ने उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को देखा धीरा और बल्लू ने चूचियों को दबादबाकर निपलों को मसल़मसल़कर और होंठों से चूसकर लाल कर दिया था। उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुंह खुला था और उसके फौलादी लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह की दोनों फूली फांको की तरफ़ मुंह उठाये था । नन्दू की उत्तेजना आपे से बाहर हो रही थी उसने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियों दबोच ली और उठकर उनपर मुंह मारने लगा । अब ठकुराइन ने नन्दू के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा चूत पर धरा और धीरे धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये जब मजा बढ़ा तो उन्होंने अपने दोनों हाथों में धीरा और बल्लू का एक एक लण्ड थाम लिया और वो सिसकारियॉं भरते हुए उछल उछलकर धक्के पे धक्का लगाने लगी उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ नन्दू के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे उनकी गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी उभरी चूचियां भी उछल रही थी जिन्हें नन्दू कभी मुंह से तो कभी दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करता कभी पकड़ में आ जाते तो कभी उछल कूद में फिर से छूट जाते करीब आधे घंटे तक की उठापटक में नन्दू ने उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचने बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटने सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने के बाद दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला –“उम्म्म्म्म्म्म्म्हहहहहहहहहहह
वो जोर से उछली और अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक नन्दू का लण्ड धॅंसा लिया और चूत को लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ने लगी।
धीरा व बल्लू के लण्ड अभी भी उन्होंने अपने हाथों में पकडे हुए थे जो बुरी तरह फनफना रहे थे। खासतौर से धीरा और उसका लण्ड बुरी तरह फनफना रहा था उसकी हालत बहुत खराब थी यह हालत देखकर ठकुराइन मुस्करायी –
“घबराओ नहीं मैं अभी आधी ही झड़ी हूँ और एक रात में मैं कम से कम दो राउण्ड तो चुदवाती ही हूँ।”
बल्लू ने धीरा और ठकुराइन की तरफ देखा और बोला,“तो फिर ठीक है मालकिन आप अभी आधे रास्ते पर हो सो इसे भी निपटा लो मैं इत्मिनान से दूसरे राउण्ड में चोदूँगा क्योकि आधे राउण्ड से मेरा काम नहीं चलता।”
ठकुराइन मुस्कराते हुए बोली “अच्छा ये बात है तो फिर तैयार रहना ।”
उन्होंने धीरा को इशारे से बुलाया धीरा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था वह उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा। ठकुराइन ने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया उनके के बीच मे दबी अपनी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का लाल मुंह अपने दोनो हाथों से खोल कर दिखाते हुए कहा आजा प्यारे धीरा चूत तैयार है धीरा ने चूत के मुंह की दोनों फूली फांको के ऊपर अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा धरा और उसे चूत पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर में ठकुराइन मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो गयीं और सिसकारियॉं भरने लगी और बोली अब जल्दी डाल। धीरा समझ गया उसने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियाँ दबोच उनके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला “ओहहहहहहहहहहह शाबाश धीरा सुपाड़ा तगड़ा है अब बाकी लण्ड भ़ी डाल कर दिखा।”
धीरा बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाने गुलाबी होंठों को चूसने लगा। ठकुराइन की चूत एक लण्ड से चुदने के बाद भी बेहद गरम थी। धीरा को ऐसा लग रहा था जैसे लण्ड अन्दर खिचा जा रहा हो या चूत अपने मुंह की दोनों फूली फांको मे लण्ड दबाकर उसे अन्दर चूस रही हो। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन के मुँह से निकला- “आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह शाबाश लगा धक्का।”
धीरा ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बाहर ह़ी धीरे धीरे ऐसा किया था कि ठकुराइन के मुँह से निकला- “अबे थोड़ा जोर जोर से। शाबाश लगा धक्के पे धक्का धक्के पे धक्का चोद ठकुराइन की चूत को उधर तेरी बीबी ठाकुर साहब के लण्ड से जम के मजे ले रही होगी। तू भी मजे ले उनकी बीबी की चूत चोद के। मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस और जोर जोर से चोद।”
धीरा मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाकर चोदने लगा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए चोदने लगा हर धक्के पे उनके मुंह से आवाजें आ रही थी-
आह आहहहह उम्म्म आहहहहहहहहहहहहहहह उम्म्म्ह
उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को देख धीरा पागल हो रहा था ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दी जिससे लण्ड उनकी चूत की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था फिर उन्होंने दोनों टांगे उठाकर धीरा के कंध़ों पर रख दी अब हर धक्के पे उनकी चिकनी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ धीरा की जांघों और लण्ड के आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे जिससे फट फट की आवाज आ रही थी। लम्बे चौड़े धीरा ने दोनों हाथों में उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर उन्हें गोद में उठा लिया और खड़ा हो गया। उनके गुलाबी मांसल बाहों बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी उनके निपलों को होंठों दांतों मे दबा चूसते हुए चोदने लगा ठकुराइन भी ऊपर से अपने गुदगुदे गददेदार चूतड़ उछाल उछाल कर गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर चुदवा रही थी। करीब आधे घंटे तक पागलों की तरह उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते तो कभी दांतों मे दबा निप्पलो को तो कभी बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाते व चूसते हुए और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर संगमरमरी जांघ़ों और भारी चूतड़ों पर जहॉ तहॉं मुंह मारते हुए चोदने के बाद ऐसा लगा कि अचानक दोनो के जिस्म ऐठ रहे हों तभी धीरा ने ठकुराइन को नीचे गद्दे पर लिटा दिया और हुमच हुमचकर धक्के मारने लगा कि अचानक तभी ठकुराइन ने जोर से अपने चूतड़ों को उछाला और धीरा ने अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा़ ।
ठकुराइन के मुंह से जोर से निकला- उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्फ्फहहहहहहहहहहह ।
वो नीचे से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी चूत मे जड़ तक धीरा का लण्ड धॉंसकर झड़ रही थी और धीरा भी उनके गदराये जिस्म को बुरी तरह दबाते पीसते हुए दोनों हाथों में उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ रहा था। दोनों निढाल हो एक दूसरे के ऊपर पड़ गये।
भाग 2
ठकुराईन का इन्साफ़
दरअसल ठाकुर रोज रात मे हवेली की किसी एक औरत को चोदने के लिये बुलवाता था लेकिन सप्ताह मे एक बार अय्यासी का दरबार लगाता था। जब पहली बार इन तीनों को एक साथ बुलवाया था तो इनके आदमी फरियाद लेकर ठकुराईन के पास गये थे।ठकुराईन के पूछने पर बेला के पति बलदेव उर्फ बल्लू ने डरते हुए कहा –
“मालकिन अभी तक तो ठाकुर साहब हम मे से किसी एक की औरत को अपनी सेवा मे बुलवाते थे हमे कोई एतराज नहीं क्योंकि हमारा तो काम ही आप सबकी सेवा करना है और हमारी औरतो की तरह हम सब भी दोस्त हैं सो अगर तीन मे से दो भी घर मे हो तो हमारा भी काम चल जाता था क्योंकि हम सब भी मर्द हैं हमें भी रात मे औरत की जरूरत पड़ती है।”
सुनकर ठकुराइन मुस्कुरायी उन्होंने एक भरपूर नज़र तीनो मर्दों पर डाली नीरा का पति नन्दू ठिगना पर मजबूत जिस्म का मालिक था शीला का पति धीरा लम्बा तगड़ा बाडीबिल्डर जैसा था बल्लू का कद बीच का बदन तगड़ा कसरती पर थोड़ा भारी था फिर ठकुराइन मुस्कुराते हुए बोली –
“ ठीक तुम लोग अभी काम से आये हो थके होगे नहाधो आओ तुम्हारा इन्साफ़ होगा।”
जब वे नहाधोकर आये तो देखा ठकुराइन के कमरे मे उनके पलंग से अलग एक बहुत बड़ा गददा बिछा है उसपर गाव तकिया लगाये ठकुराइन मुस्कुराते हुए अपनी पीठ के बल अधलेटी हैं उनके बदन पर कपड़ों के नामपर सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज थे। जिसमें से उनका गदराया गुलाबी बदन जगह जगह से झॉक रहा था। उनके बड़े गले के लोकट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े उरोज फ़टे पड़ रहे थे इन तीनों को देखकर मुस्कुराते हुए बोली –
“आओ आओ बैठो बैठो। अब मुझे विस्तार से बताओ कि ठाकुर साहब के कमरे मे तुमने क्या देखा।”
तीनो ने एक दूसरे की तरफ़ देखा फिर नन्दू ने कहना शुरू किया –
“अब क्या बताये मालकिन मैने देखा ठाकुर साहब की नंगी गोद में नीरा पेटीकोट ऊपर किये अपने बड़े बड़े गुदाज नंगे चूतड़ों के बीच में उनके साढे सात इंची हलव्वी लण्ड को दबाये बैठी थी।”
ठकुराइन मुस्कुराते हुए बोली –
“अरे तेरा हिसाब साफ़ करना तो बहुत ही आसान है।”
यह कहकर उन्होंने खीचकर उसे बगल में बैठा लिया और झटके से उसकी धोती खीचकर निकाल दी फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे अपना पेटीकोट ऊपर उठाने लगी पहले उनकी पिण्डलियाँ फिर मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ दिखे और फिर पावरोटी सी फूली दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों चूत देखकर तीनों दंग रह गये। अपना पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर नन्दू की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठ गयीं। फिर बोली –
“अब बताओ फिर क्या हुआ।”
ठकुराइन का यह मस्ताना रूप देखकर उनकी हिम्मत बढ़ी और धीरा बोला –
“हमने देखा ठाकुर साहब के एक तरफ़ शीला और दूसरी तरफ़ बेला बैठी थी । ठाकुर साहब के हाथ उनकी गरदनों के पीछे से होकर उनके ब्लाउज में घुसे हुए थे और उनके उरोजों से खेल रहे थे।”
ठकुराइन चहकी –
“अरे ये तो और भी आसान है आ जाओ दोनों फ़टाफ़ट।” इतना सुनना था कि दोनों ठकुराइन की तरफ झपटे। ठकुराइन के ब्लाउज में एक तरफ से धीरा ने हाथ डाला और दूसरी तरफ से बल्लू ने । ठकुराइन के ब्लाउज के बटन चुटपुटिया वाले थे कसा ब्लाउज दो दो हाथों का तनाव बरदास्त नहीं कर पाया चुटपुटिया वाले बटन एकदम से सारे के सारे खुल गये और उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन कबूतरों की तरह फ़डफ़ड़ा़कर बाहर आ गये। धीरा और बल्लू अपने दोनों हाथों से उनके एक एक विशाल स्तन को थाम कर उनके निप्पल को कभी चूसने लगते तो कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलने लगते। उधर नन्दू का लण्ड ठकुराइन के बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतडों के बीच साँप की तरह लम्बा होकर उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत तक फैल रहा था। वो ठकुराइन के गोरे गुलाबी गुदाज कंधों पर मुंह मार रहा था उनकी गोरी गदरायी कमर को सहलाते हुए उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोल रहा था और उनकी गोल नाभी में उंगली डाल रहा था। ठकुराइन सिसकारी भरते हुए बोली –“इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आहऔर बताओ आगे क्या हुआ।”
धीरा और बल्लू ठकुराइन के बड़े बड़े गुलाबी कबूतरों को सहलाते और अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच उनकी चोंच मसलते हुए बोले –
“पता नहीं मालकिन क्योंकि फिर हम चले आये आपके पास फ़रियाद लेकर।”
ठकुराइन ने चुटकी ली –
“ अभी तो कह रहे थे कि तुम भी मर्द हो क्या अन्दाज़ा नहीं लगा सकते।”
यह कहते हुए उन्होंने झटसे उनकी धोतियॉं खीचकर निकाल दी अब उनके नीचे के बदन बिलकुल नंगे थे ठकुराइन ने देखा कि उनके औजार बार बार हवा में ऊपर नीचे हो रहे हैं। ठकुराइन भी हवा में लहराते फौलादी लण्डों को देखकर मस्त हो रही थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों में उनका एक एक लण्ड थाम लिया और सहलाने लगी। ठकुराइन के ऐसा करने से वे और भी जोश में आ गये और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं को जोर जोर से दबाने और उनके निप्पल को कभी चूसने कभी चुभलाने लगे। तभी नन्दू ने ठकुराइन की गोरी पावरोटी सी फूली चूत को फैलाया और अपनी अंगुली उसमें डाल दी ठकुराइन के मुंह से एक सिसकारी सी निकली वो अपने होंठों को दांतों में दबाये थी। वह अपने आपको रोक नही पा रही थी। वह नन्दू को उत्साहित कर रही थी। नन्दू का लण्ड भी चूत के लिए तड़प रहा था। अचानक ठकुराइन उठ गयी और पलट कर नन्दू की तरफ घूम कर फिर से उसकी गोद में बैठ गयीं। ऐसा करने से उनकी चूचियॉं धीरा और बल्लू के हाथों से छूट गयी नन्दू ने उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को देखा धीरा और बल्लू ने चूचियों को दबादबाकर निपलों को मसल़मसल़कर और होंठों से चूसकर लाल कर दिया था। उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुंह खुला था और उसके फौलादी लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह की दोनों फूली फांको की तरफ़ मुंह उठाये था । नन्दू की उत्तेजना आपे से बाहर हो रही थी उसने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियों दबोच ली और उठकर उनपर मुंह मारने लगा । अब ठकुराइन ने नन्दू के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा चूत पर धरा और धीरे धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये जब मजा बढ़ा तो उन्होंने अपने दोनों हाथों में धीरा और बल्लू का एक एक लण्ड थाम लिया और वो सिसकारियॉं भरते हुए उछल उछलकर धक्के पे धक्का लगाने लगी उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ नन्दू के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे उनकी गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी उभरी चूचियां भी उछल रही थी जिन्हें नन्दू कभी मुंह से तो कभी दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करता कभी पकड़ में आ जाते तो कभी उछल कूद में फिर से छूट जाते करीब आधे घंटे तक की उठापटक में नन्दू ने उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचने बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटने सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने के बाद दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला –“उम्म्म्म्म्म्म्म्हहहहहहहहहहह
वो जोर से उछली और अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक नन्दू का लण्ड धॅंसा लिया और चूत को लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ने लगी।
धीरा व बल्लू के लण्ड अभी भी उन्होंने अपने हाथों में पकडे हुए थे जो बुरी तरह फनफना रहे थे। खासतौर से धीरा और उसका लण्ड बुरी तरह फनफना रहा था उसकी हालत बहुत खराब थी यह हालत देखकर ठकुराइन मुस्करायी –
“घबराओ नहीं मैं अभी आधी ही झड़ी हूँ और एक रात में मैं कम से कम दो राउण्ड तो चुदवाती ही हूँ।”
बल्लू ने धीरा और ठकुराइन की तरफ देखा और बोला,“तो फिर ठीक है मालकिन आप अभी आधे रास्ते पर हो सो इसे भी निपटा लो मैं इत्मिनान से दूसरे राउण्ड में चोदूँगा क्योकि आधे राउण्ड से मेरा काम नहीं चलता।”
ठकुराइन मुस्कराते हुए बोली “अच्छा ये बात है तो फिर तैयार रहना ।”
उन्होंने धीरा को इशारे से बुलाया धीरा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था वह उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा। ठकुराइन ने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया उनके के बीच मे दबी अपनी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का लाल मुंह अपने दोनो हाथों से खोल कर दिखाते हुए कहा आजा प्यारे धीरा चूत तैयार है धीरा ने चूत के मुंह की दोनों फूली फांको के ऊपर अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा धरा और उसे चूत पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर में ठकुराइन मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो गयीं और सिसकारियॉं भरने लगी और बोली अब जल्दी डाल। धीरा समझ गया उसने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियाँ दबोच उनके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला “ओहहहहहहहहहहह शाबाश धीरा सुपाड़ा तगड़ा है अब बाकी लण्ड भ़ी डाल कर दिखा।”
धीरा बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाने गुलाबी होंठों को चूसने लगा। ठकुराइन की चूत एक लण्ड से चुदने के बाद भी बेहद गरम थी। धीरा को ऐसा लग रहा था जैसे लण्ड अन्दर खिचा जा रहा हो या चूत अपने मुंह की दोनों फूली फांको मे लण्ड दबाकर उसे अन्दर चूस रही हो। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन के मुँह से निकला- “आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह शाबाश लगा धक्का।”
धीरा ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बाहर ह़ी धीरे धीरे ऐसा किया था कि ठकुराइन के मुँह से निकला- “अबे थोड़ा जोर जोर से। शाबाश लगा धक्के पे धक्का धक्के पे धक्का चोद ठकुराइन की चूत को उधर तेरी बीबी ठाकुर साहब के लण्ड से जम के मजे ले रही होगी। तू भी मजे ले उनकी बीबी की चूत चोद के। मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस और जोर जोर से चोद।”
धीरा मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाकर चोदने लगा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए चोदने लगा हर धक्के पे उनके मुंह से आवाजें आ रही थी-
आह आहहहह उम्म्म आहहहहहहहहहहहहहहह उम्म्म्ह
उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को देख धीरा पागल हो रहा था ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दी जिससे लण्ड उनकी चूत की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था फिर उन्होंने दोनों टांगे उठाकर धीरा के कंध़ों पर रख दी अब हर धक्के पे उनकी चिकनी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ धीरा की जांघों और लण्ड के आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे जिससे फट फट की आवाज आ रही थी। लम्बे चौड़े धीरा ने दोनों हाथों में उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर उन्हें गोद में उठा लिया और खड़ा हो गया। उनके गुलाबी मांसल बाहों बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी उनके निपलों को होंठों दांतों मे दबा चूसते हुए चोदने लगा ठकुराइन भी ऊपर से अपने गुदगुदे गददेदार चूतड़ उछाल उछाल कर गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर चुदवा रही थी। करीब आधे घंटे तक पागलों की तरह उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते तो कभी दांतों मे दबा निप्पलो को तो कभी बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाते व चूसते हुए और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर संगमरमरी जांघ़ों और भारी चूतड़ों पर जहॉ तहॉं मुंह मारते हुए चोदने के बाद ऐसा लगा कि अचानक दोनो के जिस्म ऐठ रहे हों तभी धीरा ने ठकुराइन को नीचे गद्दे पर लिटा दिया और हुमच हुमचकर धक्के मारने लगा कि अचानक तभी ठकुराइन ने जोर से अपने चूतड़ों को उछाला और धीरा ने अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा़ ।
ठकुराइन के मुंह से जोर से निकला- उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्फ्फहहहहहहहहहहह ।
वो नीचे से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी चूत मे जड़ तक धीरा का लण्ड धॉंसकर झड़ रही थी और धीरा भी उनके गदराये जिस्म को बुरी तरह दबाते पीसते हुए दोनों हाथों में उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ रहा था। दोनों निढाल हो एक दूसरे के ऊपर पड़ गये।