hotaks444
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फिर वो तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुराते हुए बोली – “पींडी में अपनी उस रात की हर्कत की वजह से तो नहीं डर गये थे?” मैं कुछ नहीं बोला और अपनी नज़रें झुका लीं तो वो बोली – “इसमें शर्माने की ज़रूरत नहीं... तुम्हें क्या लगता है कि उस दिन जो तुम मेरे साथ कर रहे थे वो क्या मेरी रज़ामंदी के बगैर मुमकिन था!” खाला की बात सुन कर मैं चौंकते हुए बोला – “मैं समझा नहीं खाला!” खाला बोलीं – “मैं उस दिन नशे में ज़रूर थी लेकिन इतना भी मदहोश नहीं थी कि तुम्हारे मंसूबे ना समझ पाती... उस दिन जो कुछ तुम मेरे साथ कर रहे थे और आगे करने वाले थे उसमें मेरी पूरी रज़ामंदी शामिल थी...!”
उनकी बात सुनकर मेरा दिल खुशी से उछलने लगा मगर मैं अपने जज़बतों पर काबू रखते हुए बोला – “ये.. ये सच कह रही हैं आप?” वो हंसते हुए बोलीं – “एक औरत को मर्द की नज़र पहचानते देर नहीं लगती। मैं तो काफ़ी अर्से से तुम्हारे दिल की बात जानती थी... तुम्हें क्या लगा कि मुझे पता नहीं चलता था कि अक्सर मेरी ब्रा-पैंटी और सैंडलों तक पे अपनी मनि इखराज़ करने वाला कौन है? फिर उस दिन होटल में जब तुम मुझे ज्यादा शराब पिलाने लगे तो मैं उसी वक़्त तुम्हारे इरादे समझ गयी थी। उस दिन अगर नज़ीर नहीं आता तो.... वैसे तुम्हें अफ़्सोस तो खूब हुआ होगा उस दिन कि जो मज़े तुम मेरे साथ करना चाहते थे वो मज़े तो मुझे चोद कर नज़ीर ले गया!”
खाला अब काफ़ी खुल कर बोल रही थीं तो मैंने भी खुल कर जवाब दिया कि – “उस दिन तो मैं काफ़ी खतावार महसूस कर रहा था लेकिन जब उस दिन नज़ीर और करामत हमारे घर पे अम्मी को और आपको चोद कर गये तो ज़रूर दिल में ये ख्याल आया कि जब नज़ीर और करामत जैसे ग़लीज़ इंसान आप जैसी हसीन औरत को चोद सकते हैं मैं क्यों नहीं?”
“तो तुम्हारा ख़याल है कि तुम चोदने में नज़ीर और करामत जैसे तजुर्बेकार मर्दों से बेहतर हो... अपनी उम्र देखी है... इतनी सी उम्र में कुछ ज्यादा पर-पुर्ज़े नहीं निकल आये तुम्हारे?” – अम्बरीन खाला तंज़िया लहज़े में बोलीं तो जोश में मेरे मुँह से निकल गया – “लेकिन मैं भी बच्चा नहीं हूँ और फिर राशिद तो मुझसे भी छोटा है...?” मुझे अपनी गलती का एहसाअस हुआ तो मैं आगे बोलते-बोलते रुक गया लेकिन गोली तो बंदुक से निकल चुकी थी।
“राशिद? राशिद का इस सबसे क्या ताल्लुक.. क्या मतलब है तुम्हारा?” – अम्बरीन खाला ने चौंकते हुए पूछा। मैंने उन्हें हिचकते-हिचकते बताया कि उनके बेटे ने मेरी अम्मी के साथ क्या किया था। सुन कर उन्हें यकीन नहीं हुआ। उन्होंने हैरत से कहा – “राशिद ऐसा कैसे कर सकता है? और वो भी अपनी खाला के साथ! तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो?” मैंने अपना मोबाईल निकाला और उन्हें कहा – “आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ तो ये देखिये।” तस्वीरें देख कर वो चौंक गयीं। वो बोलीं – “तुमने यास्मीन या राशिद को तो नहीं बताया ना कि तुम यह जान चुके हो?” मैंने उन्हें जवाब दिया – “ये देख कर मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं राशिद की गर्दन नापने वाला था। किसी तरह मैंने अपने गुस्से पर काबू किया पर मैं यह राज़ अम्मी के सामने जाहिर करने से अपने आपको नहीं रोक पाया।”
यह सुन कर खाला कर बोलीं – “राशिद पे क्यों गुस्सा हो रहे हो, शाकिर। मैं तुम्हारी खाला हूँ और तुम भी तो मुझे चोदने के कितने अर्से से ख्वाब देख रहे हो और फिर होटल में तुमने भी मेरे साथ वही करने की कोशिश की थी जो राशिद ने अपनी खाला के साथ किया है।” मैंने कहा – “खालाजान, मैंने तो सिर्फ कोशिश की थी। राशिद ने तो मेरी अम्मी की चूत हासिल भी कर ली। और होटल में वो दो कौड़ी का नजीर आपकी इज्ज़त का मज़ा लूट कर चला गया पर मुझे क्या मिला?”
खाला मेरा गाल सहलाते हुए प्यार से बोलीं – “तो मैं कहाँ इंकार कर रही हूँ... अगर उस रात होटल में नज़ीर नहीं आ गया होता तो मैं तो मैं उसी रात तुम्हें अपनी चूत दे चुकी होती!” “तो आपको सच में मुझसे चुदवाने में कोई एतराज़ नहीं है!” – मैंने पूछा। खाला बोलीं – “मुझे तो क्या एतराज़ हो सकता है लेकिन ये बताओ तुम्हारी अम्मी का क्या रियेक्शन था जब तुमने उन्हें बताया कि तुम्हें उनके और राशिद के नाजायज़ रिश्ते का इल्म हो चुका है?”
मैंने अपनी और अम्मी की सारी हक़ीकत बयान कर दी। खाला ये सुन कर हैरान हुई लेकिन फिर तंज़िया मुस्कान के साथ बोलीं – “यास्मीन को लगता है कि कुछ ज्यादा ही गर्मी चढ़ी है... अपने भांजे के साथ-साथ बेटे का भी लंड ले रही है... तभी उस दिन तुम्हारे सामने नज़ीर और करामत से चुदवाने में उसे ज़रा भी शरम नहीं आयी!”
मैं अपनी अम्मी की हिमायत करते हुए बोला – “खाला आप भी तो कुछ कम नहीं हैं... आपको शायद याद नहीं है लेकिन उस दिन नशे में आपने अपनी हरामकारी के कईं राज़ फ़ाश कर दिये थे...!” मेरी बात सुनकर शर्म से उनके गाल लाल हो गये और पूछा कि नशे मे वो क्या-क्या बोल गयीं। मैंने उन्हें जब सब कुछ तफ़्सील से बताया तो वो काफ़ी शर्मिंदा हुईं। मैंने कहा कि – “मेरे हाथों में आपकी इज्ज़त भी महफूज़ रहेगी क्योंकि मैं ये बातें कभी किसी से नहीं कहुँगा।”
फिर अम्बरीन खाला बोलीं – “मैं तुमसे चुदवाने को तैयार हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है कि जब तुम मुझे चोदो तो यस्मीन और राशिद भी उस वक्त मौजूद हों... जब तुम मुझे चोदो तो राशिद भी यास्मीन को चोदेगा... बस तुम उन दोनों को इस बात के लिये राज़ी कर लो!”
मुझे भी खाला की बात सुनकर बेहद खुशी हुई क्योंकि अनजाने में ही सही राशिद ने मेरी अम्मी को मेरी आँखों के सामने चोदा था। मैं भी उसकी अम्मी को उसके सामने चोदना चाहता था। मैंने कहा कि – “अम्मी को तो इसमें कोई एतराज़ नहीं होगा और राशिद को भी मैं किसी तरह राज़ी कर लुँगा।“ फिर उसी दिन मैंने राशिद से भी बात की। इधर-उधर की बात ना करके मैंने सीधे उस से पूछा – “तुमने कितनी बार ली है मेरी अम्मी की?”
वो चौंक कर बोला – “खाला की...? क्या...? ये क्या कह रहे तो तुम?” मैं गुस्से से बोला – “क्या का क्या मतलब? तुमने उनकी चूत के अलावा कुछ और भी ली है?” राशिद सकपका कर बोला – “ये क्या बक रहे हो तुम, शाकिर भाई? तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है।” मैंने उसे मोबाईल वाला वीडियो दिखाते हुए पूछा – “अच्छा, तो ये क्या है?”
वीडियो देखते ही उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। वो सर झुका कर बोला – “शाकिर भाई, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मुझे ये नहीं करना चाहिए था पर मैं बहकावे में आ गया।” मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और कहा – “अच्छा, तो मेरी चालाक अम्मी ने तुम्हारे जैसे मासूम बच्चे को बहका दिया था?” राशिद बोला – “मुझे माफ कर दो, भाई। मैं अब ऐसी गलती कभी नहीं करुँगा। मैं अपनी अम्मी की कसम खाता हूँ... यास्मीन खाला ने ही पहल की थी... मेरा यक़ीन करो!”
उनकी बात सुनकर मेरा दिल खुशी से उछलने लगा मगर मैं अपने जज़बतों पर काबू रखते हुए बोला – “ये.. ये सच कह रही हैं आप?” वो हंसते हुए बोलीं – “एक औरत को मर्द की नज़र पहचानते देर नहीं लगती। मैं तो काफ़ी अर्से से तुम्हारे दिल की बात जानती थी... तुम्हें क्या लगा कि मुझे पता नहीं चलता था कि अक्सर मेरी ब्रा-पैंटी और सैंडलों तक पे अपनी मनि इखराज़ करने वाला कौन है? फिर उस दिन होटल में जब तुम मुझे ज्यादा शराब पिलाने लगे तो मैं उसी वक़्त तुम्हारे इरादे समझ गयी थी। उस दिन अगर नज़ीर नहीं आता तो.... वैसे तुम्हें अफ़्सोस तो खूब हुआ होगा उस दिन कि जो मज़े तुम मेरे साथ करना चाहते थे वो मज़े तो मुझे चोद कर नज़ीर ले गया!”
खाला अब काफ़ी खुल कर बोल रही थीं तो मैंने भी खुल कर जवाब दिया कि – “उस दिन तो मैं काफ़ी खतावार महसूस कर रहा था लेकिन जब उस दिन नज़ीर और करामत हमारे घर पे अम्मी को और आपको चोद कर गये तो ज़रूर दिल में ये ख्याल आया कि जब नज़ीर और करामत जैसे ग़लीज़ इंसान आप जैसी हसीन औरत को चोद सकते हैं मैं क्यों नहीं?”
“तो तुम्हारा ख़याल है कि तुम चोदने में नज़ीर और करामत जैसे तजुर्बेकार मर्दों से बेहतर हो... अपनी उम्र देखी है... इतनी सी उम्र में कुछ ज्यादा पर-पुर्ज़े नहीं निकल आये तुम्हारे?” – अम्बरीन खाला तंज़िया लहज़े में बोलीं तो जोश में मेरे मुँह से निकल गया – “लेकिन मैं भी बच्चा नहीं हूँ और फिर राशिद तो मुझसे भी छोटा है...?” मुझे अपनी गलती का एहसाअस हुआ तो मैं आगे बोलते-बोलते रुक गया लेकिन गोली तो बंदुक से निकल चुकी थी।
“राशिद? राशिद का इस सबसे क्या ताल्लुक.. क्या मतलब है तुम्हारा?” – अम्बरीन खाला ने चौंकते हुए पूछा। मैंने उन्हें हिचकते-हिचकते बताया कि उनके बेटे ने मेरी अम्मी के साथ क्या किया था। सुन कर उन्हें यकीन नहीं हुआ। उन्होंने हैरत से कहा – “राशिद ऐसा कैसे कर सकता है? और वो भी अपनी खाला के साथ! तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो?” मैंने अपना मोबाईल निकाला और उन्हें कहा – “आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ तो ये देखिये।” तस्वीरें देख कर वो चौंक गयीं। वो बोलीं – “तुमने यास्मीन या राशिद को तो नहीं बताया ना कि तुम यह जान चुके हो?” मैंने उन्हें जवाब दिया – “ये देख कर मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं राशिद की गर्दन नापने वाला था। किसी तरह मैंने अपने गुस्से पर काबू किया पर मैं यह राज़ अम्मी के सामने जाहिर करने से अपने आपको नहीं रोक पाया।”
यह सुन कर खाला कर बोलीं – “राशिद पे क्यों गुस्सा हो रहे हो, शाकिर। मैं तुम्हारी खाला हूँ और तुम भी तो मुझे चोदने के कितने अर्से से ख्वाब देख रहे हो और फिर होटल में तुमने भी मेरे साथ वही करने की कोशिश की थी जो राशिद ने अपनी खाला के साथ किया है।” मैंने कहा – “खालाजान, मैंने तो सिर्फ कोशिश की थी। राशिद ने तो मेरी अम्मी की चूत हासिल भी कर ली। और होटल में वो दो कौड़ी का नजीर आपकी इज्ज़त का मज़ा लूट कर चला गया पर मुझे क्या मिला?”
खाला मेरा गाल सहलाते हुए प्यार से बोलीं – “तो मैं कहाँ इंकार कर रही हूँ... अगर उस रात होटल में नज़ीर नहीं आ गया होता तो मैं तो मैं उसी रात तुम्हें अपनी चूत दे चुकी होती!” “तो आपको सच में मुझसे चुदवाने में कोई एतराज़ नहीं है!” – मैंने पूछा। खाला बोलीं – “मुझे तो क्या एतराज़ हो सकता है लेकिन ये बताओ तुम्हारी अम्मी का क्या रियेक्शन था जब तुमने उन्हें बताया कि तुम्हें उनके और राशिद के नाजायज़ रिश्ते का इल्म हो चुका है?”
मैंने अपनी और अम्मी की सारी हक़ीकत बयान कर दी। खाला ये सुन कर हैरान हुई लेकिन फिर तंज़िया मुस्कान के साथ बोलीं – “यास्मीन को लगता है कि कुछ ज्यादा ही गर्मी चढ़ी है... अपने भांजे के साथ-साथ बेटे का भी लंड ले रही है... तभी उस दिन तुम्हारे सामने नज़ीर और करामत से चुदवाने में उसे ज़रा भी शरम नहीं आयी!”
मैं अपनी अम्मी की हिमायत करते हुए बोला – “खाला आप भी तो कुछ कम नहीं हैं... आपको शायद याद नहीं है लेकिन उस दिन नशे में आपने अपनी हरामकारी के कईं राज़ फ़ाश कर दिये थे...!” मेरी बात सुनकर शर्म से उनके गाल लाल हो गये और पूछा कि नशे मे वो क्या-क्या बोल गयीं। मैंने उन्हें जब सब कुछ तफ़्सील से बताया तो वो काफ़ी शर्मिंदा हुईं। मैंने कहा कि – “मेरे हाथों में आपकी इज्ज़त भी महफूज़ रहेगी क्योंकि मैं ये बातें कभी किसी से नहीं कहुँगा।”
फिर अम्बरीन खाला बोलीं – “मैं तुमसे चुदवाने को तैयार हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है कि जब तुम मुझे चोदो तो यस्मीन और राशिद भी उस वक्त मौजूद हों... जब तुम मुझे चोदो तो राशिद भी यास्मीन को चोदेगा... बस तुम उन दोनों को इस बात के लिये राज़ी कर लो!”
मुझे भी खाला की बात सुनकर बेहद खुशी हुई क्योंकि अनजाने में ही सही राशिद ने मेरी अम्मी को मेरी आँखों के सामने चोदा था। मैं भी उसकी अम्मी को उसके सामने चोदना चाहता था। मैंने कहा कि – “अम्मी को तो इसमें कोई एतराज़ नहीं होगा और राशिद को भी मैं किसी तरह राज़ी कर लुँगा।“ फिर उसी दिन मैंने राशिद से भी बात की। इधर-उधर की बात ना करके मैंने सीधे उस से पूछा – “तुमने कितनी बार ली है मेरी अम्मी की?”
वो चौंक कर बोला – “खाला की...? क्या...? ये क्या कह रहे तो तुम?” मैं गुस्से से बोला – “क्या का क्या मतलब? तुमने उनकी चूत के अलावा कुछ और भी ली है?” राशिद सकपका कर बोला – “ये क्या बक रहे हो तुम, शाकिर भाई? तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है।” मैंने उसे मोबाईल वाला वीडियो दिखाते हुए पूछा – “अच्छा, तो ये क्या है?”
वीडियो देखते ही उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। वो सर झुका कर बोला – “शाकिर भाई, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मुझे ये नहीं करना चाहिए था पर मैं बहकावे में आ गया।” मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और कहा – “अच्छा, तो मेरी चालाक अम्मी ने तुम्हारे जैसे मासूम बच्चे को बहका दिया था?” राशिद बोला – “मुझे माफ कर दो, भाई। मैं अब ऐसी गलती कभी नहीं करुँगा। मैं अपनी अम्मी की कसम खाता हूँ... यास्मीन खाला ने ही पहल की थी... मेरा यक़ीन करो!”