hotaks444
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अशोक की मुश्किल
भाग 7
महुआ की फ़तह…
गतांक से आगे…
जल्दी सो जाने के कारण दूसरे दिन दोनों की नींद जल्दी खुल गई। रोजमर्रा के कामों से निबट के महुआ ने चाय और नाश्ता बनाया, फ़िर दोनों ने ब्रेड अण्डे के साथ जम के नाश्ता किया।
चाचा बैठक मे आकर बैठ गये और महुआ को बुलाया जब महुआ आई तो चाचा बोले –“महुआ बेटी कल के इलाज से तू सुपाड़े के अलावा एक इन्च और लण्ड अपनी चूत में लेने में कामयाब रही इसका मतलब अगर हम दोनों मेहनत करें तो शायद एक हफ़्ते से भी कम में तू अशोक से पूरा लण्ड डलवा के चुदवाने लायक बन सकती है मेरे कहे मुताबिक लगातार इलाज करवाती रहे। यहाँ इस अकेले घर में हम दोनों को और कोई काम तो है नहीं सो क्यों न हमलोग लगातार इलाज मन लगाकर इस काम को जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करें?”
महुआ –“ठीक कहा चाचाजी। मैं भी जल्द से जल्द अशोक के लायक बन के उसे दिखाना चाहती हूँ।
चन्दू चाचा –“तो ऐसा कर ये साड़ी खराब करने के बजाय अगर स्कर्ट ब्लाउज हो तो साड़ी उतार के स्कर्ट ब्लाउज पहन ले।
उधर महुआ स्कर्ट ब्लाउज पहनने गई इधर चन्दू चाचा ने अपना मलहम का डिब्बा बैग से निकाल के महुआ की चूत के इलाज की पूरी तैयारी कर ली। चन्दू चाचा ने स्कर्ट ब्लाउज पहने महुआ को आते देखा। स्कर्ट ब्लाउज में उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन और भारी चूतड़ थिरक रहे थे ।
चन्दू चाचा ने हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में खींच लिया। उनकी गोद में बैठते ही महुआ ने चन्दू चाचा का लण्ड अपनी स्कर्ट में गड़ता महसूस किया। उसने अपने चूतड़ थोड़े से उठाये और चन्दू चाचा की धोती हटा के उनका लण्ड नंगा किया और अपनी स्कर्ट ऊपर कर चन्दू चाचा का लण्ड अपने गुदाज चूतड़ों मे दबा कर बैठ गई
चन्दू चाचा ने उसका ब्लाउज खोलते हुए कहा- वाह बेटी ऐसे ही हिम्मत किये जा।
बटन खुलते ही महुआ ने ब्लाउज उतार दिया । चन्दू चाचा उसके खरबूजे सहलाने दबाने और निपल मसलने लगे। कुछ ही देर में महुआ के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। अचानक महुआ ऊठी और चन्दूचाचा की तरफ़ मुँह घुमाकर उनकी गोद में दोनों तरफ़ पैर कर बैठ गई । चन्दू चाचा ने देखा महुआ की चूचियाँ उनके मसलने दबाने से लाल पड़ गई हैं। अब महुआ की चूत चन्दूचाचा के लण्ड पर लम्बाई मे लेट सी गई। महुआ ने अपने एक स्तन का निपल चन्दूचाचा के मुँह में ठूँसते हुए सिसकारी भरते हुए कहा कहा –“ स्स्स्स्ससी इलाज शुरू करो न चाचा।”
चन्दू चाचा –“अभी लो बेटा।”
कहकर चन्दू चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके खोल फ़ाँकों के बीच थोप दिया फ़िर अपने लण्ड के सुपाड़े पर भी मलहम थोपा और उसे महुआ के हाथ में पकड़ा दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियाँ थाम सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने में मस्त हो गये। उनकी हरकतों से उत्तेजित महुआ ने उनका लण्ड अपने हाथ में ले अपनी चूत के मुहाने पर रखा और सिसकारियाँ भरते हुए अपनी चूत का दबाव लण्ड पर डाला। पक से सुपाड़ा चूत में घुस गया । मारे मजे के महुआ और चन्दू चाचा दोनों के मुँह से एक साथ निकला –
“उम्म्म्म्म्म्म्म्ह”
उसी समय चाचा चन्दू चाचा ने हपक के उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर मुँह मारा । दरअसल चाचा को महुआ की बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियों में ज्यादा ही मजा आ रहा था इसीलिए उनकी सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने की रफ़्तार में तेजी आती जा रही थी। जैसे जैसे उनकी रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे वैसे महुआ भी अपनी चूत का दबाव लण्ड पर बढ़ा रही थी और उसकी चूत मलहम के कमाल से रबड़ की तरह फ़ैलते हुए चन्दू चाचा का लण्ड अपने अन्दर समा रही थी। जब लण्ड अन्दर घुसना बन्द हो गया तो महुआ ने नीचे झुक कर देखा आज, कल के मुकाबले एक इंच ज्यादा लण्ड चूत में घुसा था इस कामयाबी से खुश हो चुदासी महुआ अपनी कमर चला के चाचा के लण्ड से चुदवाने लगी।
चन्दू चाचा –“शाबाश बेटा इसी तरह मेहनत किये जा, तू जितनी मेहनत करेगी, उतनी ही जल्दी तुझे कामयाबी मिलेगी और अशोक को ताज्जुब से भरी खुशी होगी और वो तेरा दीवाना हो जायेगा।”
अगले पाँच दिन चन्दू चाचा और महुआ ने चुदाई की माँ चोद के रख दी। चाहे बिस्तर में हों, बैठक में, रसोई में या बाथरूम में जरा सी फ़ुरसत होते ही चन्दू चाचा महुआ को इशारा करते और दोनों मलहम लगा के शुरू हो जाते पाँचवें दिन शाम को दोनों इसी तरह कुर्सी पर बैठे चुदाई कर रहे थे और कि अचानक महुआ चन्दू चाचा का पूरा लण्ड लेने में कामयाब हो गई वो खुशी से किलकारी भर उठी बस फ़िर क्या था चन्दू चाचा ने उसे गोद में उठाया और ले जा के बिस्तर पर पटक दिया और बोले –“शाबाश बेटा आज तू पूरी औरत बन गई अब सीख मर्द औरत की असली चुदाई, तेरा आखरी पाठ।”
ये कह चन्दू चाचा ने महुआ की हवा में फ़ैली दोनों टांगे उठाकर अपने कंध़ों पर रख लीं
अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा उसकी अधचुदी बुरी तरह से भीगी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही धक्के में पूरा लण्ड ठाँस दिया और धुँआधार चुदाई करने लगा। महुआ को आज पहली बार पूरे लण्ड से चुदाने का मजा मिल रहा था सो वो अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकालते हुए चूतड़ उछाल उछाल के चुदा रही थी। जिस तरह महुआ चूतड़ उछाल रही थी उसे देख चन्दू चाचा बोले-
“शाबाश बेटी अब मुझे पूरा भरोसा हो गया कि तू अशोक को खुशकर वैद्यराज चुदाईआचार्य चोदू चन्द चौबे चाचा उर्फ़ चोदू वैद्य का नाम ऊँचा करेगी।”
चन्दू चाचा भी आज पाँच दिनों से मन मार कर आधे अधूरे लण्ड से चुदाई कर कर के बौखलाये थे सो आज पूरी चूत मिलने पर धुँआधार चोद रहे थे। दोनों की ठोकरों की ताकत और जिस्म टकराने की फ़ट फ़ट की आवाज बढ़ती जा रही थी आधे घण्टे की धुँआधार चुदाई के बाद अचानक महुआ के मुँह से निकला –
" अहह और जोर से चोदू चाचा जल्दी जल्दी ठोक मेरी चूत, वरना झड़ने वाली है चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
चन्दू चाचा –“ ले अंदर और ले मैं भी अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये। साँसों पे काबू पाने के बाद महुआ ने चाची को फ़ोन मिलाया।
जब फ़ोन की घण्टी बजी, उस समय चम्पा चाची पलंग पर लेटी दोनों टाँगे फ़ैलाये अशोक के लण्ड से अपनी चूत कुटवा रही थी उनका गदराया जिस्म अशोक के पहाड़ जैसे बदन के नीचे दबा हुआ था और अशोक उन्हें रौंदे डाल रहा था। चम्पा चाची बड़बड़ा रही थीं –“हाय इस लड़के का तो मन ही नहीं भरता, अरी महुआ! देख तेरा आदमी चाची को पीसे डाल रहा है अहह अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह!”
तभी फ़ोन की घण्टी बजी चाची ने लेटे लेटे चुदते हुए फ़ोन का स्पीकर आन किया और हाँफ़ती सी आवाज में कहा –“हलो!”
महुआ –“हलो चाची! हाँफ़ रही हो क्या अशोक ज्यादा ही थका रहा है?”
महुआ ने चाची को छेड़ा ।
चम्पा चाची(अशोक की कमर में टाँगे लपेट मुँह पे उंगली रख और आँखें तरेर कर आवाज न करने और चुदाई धीमी करने का इशारा करते हुए)-“अरे नहीं रसोईं की तरफ़ थी सो फ़ोन उठाने के लिए दौड़ के आई इसीलिए साँस उखड़ रही है।” चाची ने झूठ का सहारा लिया।
महुआ –“छोड़ो चाची! अब मैं बच्ची नहीं रही चन्दू चाचा ने मेरा इलाज कर मुझे जवान औरत बना दिया आप की टक्कर की, सो फ़िकर ना करें मैं कल सुबह आ रही हूँ आपको अशोक की तरफ़ से दी जाने वाली इस रोज रोज कि थकान और हाँफ़ी से छुटकारा दिलाने।”
जवाब में अशोक ने चाची की चूत में जोर का धक्का मारते हुए कहा –“शाबाश महुआ! जल्दी से आजा ! मेरा मन तुझसे जल्द जल्द कुश्ती करने को हो रहा है।”
महुआ –“बस आज और सबर करो राजा! कल से तो अपनी कुश्ती रोज ही होगी और सबर भी क्या करना, तुम तो साले वैसे भी मजे कर ही रहे हो, इस खबर की खुशी में और जी भर के चाची को खुश करो और उनका आशीर्वाद लो।”
चम्पा चाची(पलट कर अशोक को नीचे कर ऊपर से उछल उछल के उसके लण्ड पर चूत ठोकते हुए)-“अरे! मैं बाज आई ऐसे बेटी दामाद से, बेटी जल्दी से आजा और ले जा अपने इस पहलवान को, तो मैं कुछ चैन की साँस लूँ। फ़िर चाहे तू कुश्ती लड़ या दंगल। अच्छा अब रात बहुत हो गई है सोजा। कल जब तू आ जायेगी तब बात करेंगे।”
महुआ फ़ोन रखते रखते भी छेड़ने से बाज नहीं आई –“ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ आप अपना कार्यक्रम जारी रखें।”
इतना कहकर महुआ ने फ़ोन काट दिया।
तभी अशोक ने नीचे से कमर उछाल चूत में लण्ड ठाँसते हुए नहले पे दहला मारा –“अरे चाची चैन की साँस लेने की तो भूल जाओ । ये पहलवान वो शेर है जिसके मुँह में खून लग गया है वो भी तुम्हारा, कहने का मतलब जिसके लण्ड को चस्का लग़ गया है वो भी तुम्हारी इस मालपुए सी चूत का अब ये इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला है नहीं, वैसे भी आपने वादा किया है कि अब जबतक मैं यहाँ हूँ आप रोज मेरे लण्ड से अपनी चूत फ़ड़वायेंगी और जब भी मैं यहाँ आऊँगा आपकी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पाऊँगा।”
चाची ने मुस्कुरा के आँखें तरेरीं और चूतड़ उछालते हुए बोलीं -“अपने मतलब की ऐसी बातें सब कैसी याद हैं, अभी कोई काम की बात बताऊँ तो दूसरे ही दिन कहेगा कि चाची मैं भूल गया।”
अशोक हँसते हुए उनके उछलते बिखरते उरोजों पर मुँह मारने लगा।…………
क्रमश:………………
भाग 7
महुआ की फ़तह…
गतांक से आगे…
जल्दी सो जाने के कारण दूसरे दिन दोनों की नींद जल्दी खुल गई। रोजमर्रा के कामों से निबट के महुआ ने चाय और नाश्ता बनाया, फ़िर दोनों ने ब्रेड अण्डे के साथ जम के नाश्ता किया।
चाचा बैठक मे आकर बैठ गये और महुआ को बुलाया जब महुआ आई तो चाचा बोले –“महुआ बेटी कल के इलाज से तू सुपाड़े के अलावा एक इन्च और लण्ड अपनी चूत में लेने में कामयाब रही इसका मतलब अगर हम दोनों मेहनत करें तो शायद एक हफ़्ते से भी कम में तू अशोक से पूरा लण्ड डलवा के चुदवाने लायक बन सकती है मेरे कहे मुताबिक लगातार इलाज करवाती रहे। यहाँ इस अकेले घर में हम दोनों को और कोई काम तो है नहीं सो क्यों न हमलोग लगातार इलाज मन लगाकर इस काम को जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करें?”
महुआ –“ठीक कहा चाचाजी। मैं भी जल्द से जल्द अशोक के लायक बन के उसे दिखाना चाहती हूँ।
चन्दू चाचा –“तो ऐसा कर ये साड़ी खराब करने के बजाय अगर स्कर्ट ब्लाउज हो तो साड़ी उतार के स्कर्ट ब्लाउज पहन ले।
उधर महुआ स्कर्ट ब्लाउज पहनने गई इधर चन्दू चाचा ने अपना मलहम का डिब्बा बैग से निकाल के महुआ की चूत के इलाज की पूरी तैयारी कर ली। चन्दू चाचा ने स्कर्ट ब्लाउज पहने महुआ को आते देखा। स्कर्ट ब्लाउज में उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन और भारी चूतड़ थिरक रहे थे ।
चन्दू चाचा ने हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में खींच लिया। उनकी गोद में बैठते ही महुआ ने चन्दू चाचा का लण्ड अपनी स्कर्ट में गड़ता महसूस किया। उसने अपने चूतड़ थोड़े से उठाये और चन्दू चाचा की धोती हटा के उनका लण्ड नंगा किया और अपनी स्कर्ट ऊपर कर चन्दू चाचा का लण्ड अपने गुदाज चूतड़ों मे दबा कर बैठ गई
चन्दू चाचा ने उसका ब्लाउज खोलते हुए कहा- वाह बेटी ऐसे ही हिम्मत किये जा।
बटन खुलते ही महुआ ने ब्लाउज उतार दिया । चन्दू चाचा उसके खरबूजे सहलाने दबाने और निपल मसलने लगे। कुछ ही देर में महुआ के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। अचानक महुआ ऊठी और चन्दूचाचा की तरफ़ मुँह घुमाकर उनकी गोद में दोनों तरफ़ पैर कर बैठ गई । चन्दू चाचा ने देखा महुआ की चूचियाँ उनके मसलने दबाने से लाल पड़ गई हैं। अब महुआ की चूत चन्दूचाचा के लण्ड पर लम्बाई मे लेट सी गई। महुआ ने अपने एक स्तन का निपल चन्दूचाचा के मुँह में ठूँसते हुए सिसकारी भरते हुए कहा कहा –“ स्स्स्स्ससी इलाज शुरू करो न चाचा।”
चन्दू चाचा –“अभी लो बेटा।”
कहकर चन्दू चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके खोल फ़ाँकों के बीच थोप दिया फ़िर अपने लण्ड के सुपाड़े पर भी मलहम थोपा और उसे महुआ के हाथ में पकड़ा दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियाँ थाम सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने में मस्त हो गये। उनकी हरकतों से उत्तेजित महुआ ने उनका लण्ड अपने हाथ में ले अपनी चूत के मुहाने पर रखा और सिसकारियाँ भरते हुए अपनी चूत का दबाव लण्ड पर डाला। पक से सुपाड़ा चूत में घुस गया । मारे मजे के महुआ और चन्दू चाचा दोनों के मुँह से एक साथ निकला –
“उम्म्म्म्म्म्म्म्ह”
उसी समय चाचा चन्दू चाचा ने हपक के उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर मुँह मारा । दरअसल चाचा को महुआ की बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियों में ज्यादा ही मजा आ रहा था इसीलिए उनकी सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने की रफ़्तार में तेजी आती जा रही थी। जैसे जैसे उनकी रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे वैसे महुआ भी अपनी चूत का दबाव लण्ड पर बढ़ा रही थी और उसकी चूत मलहम के कमाल से रबड़ की तरह फ़ैलते हुए चन्दू चाचा का लण्ड अपने अन्दर समा रही थी। जब लण्ड अन्दर घुसना बन्द हो गया तो महुआ ने नीचे झुक कर देखा आज, कल के मुकाबले एक इंच ज्यादा लण्ड चूत में घुसा था इस कामयाबी से खुश हो चुदासी महुआ अपनी कमर चला के चाचा के लण्ड से चुदवाने लगी।
चन्दू चाचा –“शाबाश बेटा इसी तरह मेहनत किये जा, तू जितनी मेहनत करेगी, उतनी ही जल्दी तुझे कामयाबी मिलेगी और अशोक को ताज्जुब से भरी खुशी होगी और वो तेरा दीवाना हो जायेगा।”
अगले पाँच दिन चन्दू चाचा और महुआ ने चुदाई की माँ चोद के रख दी। चाहे बिस्तर में हों, बैठक में, रसोई में या बाथरूम में जरा सी फ़ुरसत होते ही चन्दू चाचा महुआ को इशारा करते और दोनों मलहम लगा के शुरू हो जाते पाँचवें दिन शाम को दोनों इसी तरह कुर्सी पर बैठे चुदाई कर रहे थे और कि अचानक महुआ चन्दू चाचा का पूरा लण्ड लेने में कामयाब हो गई वो खुशी से किलकारी भर उठी बस फ़िर क्या था चन्दू चाचा ने उसे गोद में उठाया और ले जा के बिस्तर पर पटक दिया और बोले –“शाबाश बेटा आज तू पूरी औरत बन गई अब सीख मर्द औरत की असली चुदाई, तेरा आखरी पाठ।”
ये कह चन्दू चाचा ने महुआ की हवा में फ़ैली दोनों टांगे उठाकर अपने कंध़ों पर रख लीं
अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा उसकी अधचुदी बुरी तरह से भीगी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही धक्के में पूरा लण्ड ठाँस दिया और धुँआधार चुदाई करने लगा। महुआ को आज पहली बार पूरे लण्ड से चुदाने का मजा मिल रहा था सो वो अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकालते हुए चूतड़ उछाल उछाल के चुदा रही थी। जिस तरह महुआ चूतड़ उछाल रही थी उसे देख चन्दू चाचा बोले-
“शाबाश बेटी अब मुझे पूरा भरोसा हो गया कि तू अशोक को खुशकर वैद्यराज चुदाईआचार्य चोदू चन्द चौबे चाचा उर्फ़ चोदू वैद्य का नाम ऊँचा करेगी।”
चन्दू चाचा भी आज पाँच दिनों से मन मार कर आधे अधूरे लण्ड से चुदाई कर कर के बौखलाये थे सो आज पूरी चूत मिलने पर धुँआधार चोद रहे थे। दोनों की ठोकरों की ताकत और जिस्म टकराने की फ़ट फ़ट की आवाज बढ़ती जा रही थी आधे घण्टे की धुँआधार चुदाई के बाद अचानक महुआ के मुँह से निकला –
" अहह और जोर से चोदू चाचा जल्दी जल्दी ठोक मेरी चूत, वरना झड़ने वाली है चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
चन्दू चाचा –“ ले अंदर और ले मैं भी अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये। साँसों पे काबू पाने के बाद महुआ ने चाची को फ़ोन मिलाया।
जब फ़ोन की घण्टी बजी, उस समय चम्पा चाची पलंग पर लेटी दोनों टाँगे फ़ैलाये अशोक के लण्ड से अपनी चूत कुटवा रही थी उनका गदराया जिस्म अशोक के पहाड़ जैसे बदन के नीचे दबा हुआ था और अशोक उन्हें रौंदे डाल रहा था। चम्पा चाची बड़बड़ा रही थीं –“हाय इस लड़के का तो मन ही नहीं भरता, अरी महुआ! देख तेरा आदमी चाची को पीसे डाल रहा है अहह अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह!”
तभी फ़ोन की घण्टी बजी चाची ने लेटे लेटे चुदते हुए फ़ोन का स्पीकर आन किया और हाँफ़ती सी आवाज में कहा –“हलो!”
महुआ –“हलो चाची! हाँफ़ रही हो क्या अशोक ज्यादा ही थका रहा है?”
महुआ ने चाची को छेड़ा ।
चम्पा चाची(अशोक की कमर में टाँगे लपेट मुँह पे उंगली रख और आँखें तरेर कर आवाज न करने और चुदाई धीमी करने का इशारा करते हुए)-“अरे नहीं रसोईं की तरफ़ थी सो फ़ोन उठाने के लिए दौड़ के आई इसीलिए साँस उखड़ रही है।” चाची ने झूठ का सहारा लिया।
महुआ –“छोड़ो चाची! अब मैं बच्ची नहीं रही चन्दू चाचा ने मेरा इलाज कर मुझे जवान औरत बना दिया आप की टक्कर की, सो फ़िकर ना करें मैं कल सुबह आ रही हूँ आपको अशोक की तरफ़ से दी जाने वाली इस रोज रोज कि थकान और हाँफ़ी से छुटकारा दिलाने।”
जवाब में अशोक ने चाची की चूत में जोर का धक्का मारते हुए कहा –“शाबाश महुआ! जल्दी से आजा ! मेरा मन तुझसे जल्द जल्द कुश्ती करने को हो रहा है।”
महुआ –“बस आज और सबर करो राजा! कल से तो अपनी कुश्ती रोज ही होगी और सबर भी क्या करना, तुम तो साले वैसे भी मजे कर ही रहे हो, इस खबर की खुशी में और जी भर के चाची को खुश करो और उनका आशीर्वाद लो।”
चम्पा चाची(पलट कर अशोक को नीचे कर ऊपर से उछल उछल के उसके लण्ड पर चूत ठोकते हुए)-“अरे! मैं बाज आई ऐसे बेटी दामाद से, बेटी जल्दी से आजा और ले जा अपने इस पहलवान को, तो मैं कुछ चैन की साँस लूँ। फ़िर चाहे तू कुश्ती लड़ या दंगल। अच्छा अब रात बहुत हो गई है सोजा। कल जब तू आ जायेगी तब बात करेंगे।”
महुआ फ़ोन रखते रखते भी छेड़ने से बाज नहीं आई –“ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ आप अपना कार्यक्रम जारी रखें।”
इतना कहकर महुआ ने फ़ोन काट दिया।
तभी अशोक ने नीचे से कमर उछाल चूत में लण्ड ठाँसते हुए नहले पे दहला मारा –“अरे चाची चैन की साँस लेने की तो भूल जाओ । ये पहलवान वो शेर है जिसके मुँह में खून लग गया है वो भी तुम्हारा, कहने का मतलब जिसके लण्ड को चस्का लग़ गया है वो भी तुम्हारी इस मालपुए सी चूत का अब ये इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला है नहीं, वैसे भी आपने वादा किया है कि अब जबतक मैं यहाँ हूँ आप रोज मेरे लण्ड से अपनी चूत फ़ड़वायेंगी और जब भी मैं यहाँ आऊँगा आपकी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पाऊँगा।”
चाची ने मुस्कुरा के आँखें तरेरीं और चूतड़ उछालते हुए बोलीं -“अपने मतलब की ऐसी बातें सब कैसी याद हैं, अभी कोई काम की बात बताऊँ तो दूसरे ही दिन कहेगा कि चाची मैं भूल गया।”
अशोक हँसते हुए उनके उछलते बिखरते उरोजों पर मुँह मारने लगा।…………
क्रमश:………………