लेकिन मैं भी, भाभी. मैं उसके सुपाडे को कस के चूसने लगी, नीचे से जीभ से चाट रही थी. डिल्डो पे अपने जैसे प्रैक्टिस करवाई थी ना ..थोड़ी ही देर मे मुझे लग रहा था मेरा गाल बर्स्ट कर जाएगा इत्ता मोटा हो गया. लेकिन मेरा सर पकड़ के वो पेलता ही रहा. पूरे हलक तक घोंटा के ही, हलक पे मुझे उसके सुपाडे की चोट लग रही थी..करीब आधा लंड तो उसने फोर्स करके चुसा ही दिया था.कुछ देर बाद उसने निकाला और मुझे अपनी मशीन के सहारे निहुरा दिया और फिर उसी तरह ऐसे कस कस के चोदा और अबकी तो भाभी और देर तक...मैं अपनी टाँगे कस के फैलाए हुए थी लेकिन हर धक्का...बहोत देर तक बिना रुके चोदता रहा और जब झाड़ा तो मैं उठ नही पा रही थी.किसी तरह कपड़ा पहना और वापस आई. पैसे उसने मेरे सीने के बीच मे वापस डाल दिए. अभी तक भाभी बस उसका मोटा सुपाडा मेरी आँख के सामने,.."
" अरे पठान का लंड है कोई मामूली चीज़ नही है. देख , उस का कारण है. जो तुम सुपाडे के रंग की बात कर रही हो ना..तो सुपाडे के उपर चमड़ा ना होने से वो रगड़ खा खा के वैसा हो जाता है. और इस का एक बहोत बड़ा फ़ायदा ये होता है कि बचपन से ही रगड़ खा खा के वो डाइसएम्सेटेज हो जाता है. और इसलिए चुदाई मे रगड़ खा के वो जल्दी नही झड़ता.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं कयि स्प्रे भी आते है जैसे क्लाइमेक्स, वो सुपाडे को डिसेमटिसेज़ ही करते है, जिससे मर्द जल्दी ना झडे पर उनके साथ तो नेचुरल दिसेंसीतायजेशन हो जाता है." मैने उसे समझाया और हंस के बोली, " इसी लिए मेरी ननद रानी हिन्दुस्तान की ज़्यादातर लड़किया ख़ान की दीवानी होती है, शाहरुख ख़ान, सलमान ख़ान, फ़रदीन ख़ान और पहले के जमाने मे, फ़िरोज़ ख़ान, संजय ख़ान..और तूने भी तो अपने कमरे मे शोहेब अख़्तर का पोस्टर लगा रखा है. तो इस का मतलब है मन ही मन तू भी..किसी की. क्यों बोल है कोई."
" धत्त भाभी..." शर्मा के वो हंस दी. कुछ देर रुक के बोली," लेकिन भाभी आपको इतना सब कैसे मालूम है कही आपने किसी .."
" एकदम चुदाई के मामले मे मैं एकदम धर्म निरपेक्षह हू, मैने कित्ति बार..सच मे उसका मज़ा ही अलग है, अरी बुद्धू, वैरायटी इज द स्पाइस आफ लाइफ. और वैसे मालूम है तेरे भैया भी..हनीमून मे तो वो हरदम चालू ही रहते थे..इसलिए उनका सुपाडा भी हरदम खुला ही रहता था और पैंट से रगड़ रगड़ खा खा के...तो तू भी, जब भी मौका मिले छोड़ना नही." उसके गाल को पिंच करके मैं बोली.
" अरे भाभी मैं ही बुद्धू हू. मेरी सहेली है ना साइदा...उसका भाई अरमान, उससे तीन चार साल बड़ा, अलीगढ़ मे पढ़ता है...टेन्निस चॅंपियन है यूनिवर्सिटी का, स्विम्मिंग मे भी. बॉडी बिल्डिंग करता है. बड़ा हॅंडसम है. मेरे पीछे पड़ा है कस के. अभी जब छुट्टियों मे आया था ना तो, उसका बस चलता तो...और वो साइदा भी.खुल के उकसाती रहती है उसको..."
" क्यों साइदा फँसी है क्या उससे.."
"अरे नही भाभी. वो बिचारी बड़ी सीधी है, उस तरह की लड़की नही है. वो तो मेरे पीछे पड़ी है की... मैं दे दूं उसके भाई को."
" तो तो क्या साइदा का किसी से चक्कर नही है. अब तक कोरी है." मैने और छेड़ा.
" भाभी आप भी. अब इतना भी नही सीधी है वो. क्या नाम है उसका...अरे...अंजुम..अच्छी ख़ासी फँसी है उसके साथ.जबसे चौदह की हुई, तबसे चुदवा रही है,उससे. बगल मे ही घर है, जब चाहते है तब....और भाभी, वो उसकी सग़ी...खास बुआ का लड़का है...." हंस के वो बोली.
" ठीक वही रिश्ता....जो तुम्हारा और राजीव का है... क्यों." हंस के, उसकी चुचि दबा के मैं बोली.
" धत्त भाभी...आप भी " शर्मा के उसके गाल गुलाब हो गये.
" अरे तू शरमाती क्यों है, अर्जुन और सुभद्रा मे भी तो यही रिश्ता था , तो बोल कब प्रोग्राम है राजीव के साथ" मैने फिर चिढ़ाया.
" जब आप कहे. आप सिर्फ़ बोलती है दिलवाती कभी नही. आपकी ये ननद पीछे हटने वाली नही" अब वह वापस अपने रंग मे आ गयी.
" और ये दोने मे इमरति. ये कहाँ से लाई." हँसते हँसते वो दुहरी हो गयी.
" अरे भाभी, जब बाबी टेलर्स से निकली तो रास्ते मे कल्लू हलवाई की दुकान पड़ती है ना. वही गरमागर्म इमरतियाँ बन रही थी. दुकान पे उस का लड़का नंदू बैठा था. आज कल उस को हमारे स्कूल की कैंटीन का ठेका मिल गया है, और वो वही बैठता है. मुझे देख के, उसने बुला के इमारती खिलाई भी और ये दी. जब मैं पैसा देने लगी तो बोला कि अरे तुमसे मैं पैसा थोड़ी लूँगा मुझे तो..और हंस के मैने बोला की अभी इंतेजार करो...."
" अरे बिचारे का दिल तोड़ दिया तुमने,.." इमारती खाती मैं बोली.
" नही भाभी...मैने मना थोड़े किया बिचारे को. बस इंतेजार करने को बोला है वो भी इमारती खाते खाते हंस के बोली.
" अच्छ चल हाथ मूह धो के किचन मे आ जा. खाना लगवाने मे मेरी मदद कर. तेरे भैया आते ही होंगे." खाना लगवाते हुए उसने फिर कहा कि कल के प्रोग्राम का क्या होगा.
जान बुझ के मैने पूछा, " कौन सा प्रोग्राम.."
" अरे भाभी वही नीरज के साथ. फार्म हाउस जाने का कुछ तो रास्ता निकालो ना भाभी. प्लीज़."
" अच्छा चल, तू भी क्या याद करेगी. मैने ये सोचा है कि एक मेरी सहेली है. उसके पीछे ये बहोत दिनों से पड़े है. यही रहते है वो लोग. आज मैने उस से बात कर ली है, कल एक रिज़ॉर्ट मे मिलने के लिए...जब वो आएँगे तो मैं उनसे बात कर लूँगी. वो तो तुरंत राज़ी हो जाएँगे . तुम्हे तो कतई वो नही ले चलना चाहेंगे पर उपर उपर पूछेंगे. तो तू कह देना कि तेरा टेस्ट है तुझे पढ़ना है इसलिए तू नही चल पाएगी. हाँ और जो वो तेरी सहेली है ना, जो उस दिन आई थी..
" दिया..जिसकी भाभी की डेलिवरी.."
" हाँ हाँ वही...तो तू ये भी कह देना कि तू बीच मे हो सकता है दिया के यहाँ जाय, जॉइंट स्टडी के लिए...तो मैं तुझे ड्यूप्लिकेट चाभी दे दूँगी."
" पर भाभी, आपकी सहेली तो शादीशुदा होगी..ना" वो बोली.
" अरे यार तुझे आम खाने से मतलब है या ..कल तू नीरज के साथ दिन भर उसके फार्म हाउस पे मस्ती करना ना..अच्छा चल बताती हू. ये ..स्वापिंग के चक्कर मे थे तो वो ...दोनो....अब मान गये है."
" स्वापिंग ..मतलब भाभी.."
" मतलब कि मैं उसके हसबेंड के साथ और वो मेरी सहेली राजीव के साथ...या दोनो मर्द मिल के मेरे साथ या ..उसके साथ. अच्छा चल राजीव आ गये है जा के दरवाजा खोल."