Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग - Page 11 - SexBaba
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Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग

मैंने उसके लिये एक गहरे गले की टाइट वेस्टर्न ड्रेस निकाली जिसमें उसका शरीर तो ढंका रहे पर उसके सारे उभार और कटाव अच्छी तरह दिखाई दें, और खाना लगाने में लग गयी। 

तैयार होकर वो इत्ती सुंदर लग रही थी जैसे करीना कपूर। लंबी, गोरी, जानदार उभार, पतली कमर बड़ी-बड़ी आँखें। उसने हल्का मेक-अप किया था जो बहुत ही अच्छा लग रग रहा था। 

“हे आज चुदवा मत लेना। थोड़ा उसको तड़पाना, इंतजार करने देना…” मैंने समझाया। 

गुड्डी- “ठीक है भाभी…” वो जाने के लिये बेताब थी। 

“और जल्दी आना, आधे घंटे के अंदर…” 

गुड्डी- “एकदम, भाभी…” और चंचल हिरणी की तरह वो निकल भागी। 

आधा घंटा, एक घंटा, डेढ घंटा वो नहीं आई। मैं इंतजार कर रही थी। पूरे दो घंटे के बाद वो कहीं प्रगट हुई। 

अंगूठे और उँगली के सहारे, चुदाई के इंटरनेशनल सिम्बल को दिखाते हुए मैंने पूछा- “क्यों, हुआ क्या?” 

गुड्डी- “नहीं भाभी। आपने मना किया था तो…” वो बहुत खुश लग रही थी। और उसके दोनों हाथ गिफ्ट पैक्स से भरे हुए थे। उसने मुझे दिखाया, रेवलान का इंपोटेर्ड मेक-अप किट, ढेर सारी चाकलेट और पीटर पैन की सेक्सी, लेसी इम्पोर्टेड ब्रा और पैंटी का सेट। पैंटी क्या रेड कलर की सेक्सी थांग थी। 

“हे उससे बोलती, पहना देता ना…” हँसकर मैं बोली।
 
" अरे भाभी उसे इतना सीधा मत समझना, एक तो वो पहना के ही माना." खिलखिला के वो बोली, और उसने अपने ड्रेस का शोल्डर स्ट्रॅप नीचे सरका दिया. एक प्यारी सी गुलाबी हाफ कप लेसी ब्रा मे उसके जोबन छलक रहे थे. " भाभी प्लीज़, मेरी एक रिक्वेस्ट है, प्लीज़ मेरी अच्छी भाभी, मना मत करना." मुझे बाहों मे कस के भर के वो बोली.

" ठीक है बोल... आज तक तेरी कोई बात मैने टाली है, पर पहले मेरी फीस." और मैने भी उसे कस के भींच के, उसकी ब्रा का कप स्ररका उसके गुलाबी निपल अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. और कुछ देर चूस के बोली, " बोल, लेकिन ये बता... क्या क्या किया उसने ..."

" भाभी, ऑलमोस्ट सब कुछ, सिवाय उसके जो आपने मना किया था. हाँ कल उसने रिक्वेस्ट किया है मुझसे अपने साथ चलने को. उसके फार्म हाउस पे. कल सनडे है, इसलिए उसकी भी दुकान बंद रहेगी. यहाँ पे वो कहता है कि उसके सर्वेंट्स रहते है और किसी ने उसके पेरेंट्स से कह दिया तो... इसी लिए... 5-6 दिन मे उसके पेरेंट्स फिर आ जाएँगे.. प्लीज़ भाभी. खाली दिन भर की बात है. बहोत रिक्वेस्ट कर रहा था... कह रहा था कि इतने दिन से इसी दिन का इंतजार था उसे." वो बोली.


" और तेरी पहले वाली ब्रा पैंटी..."

" वो उसने अपने पास रख ली... निशानी के तौर पे. पर भाभी कल का प्रोग्राम पूरा आपके उपर है. कुछ करिए ना.

" चल ठीक है देखती हू, पर पहले घूस दे तो मुझे" और उसकी ड्रेस कमर तक नीची कर के,उसकी ब्रा से दोनों कबूतरों को मैने आज़ाद कर दिया और दोनों को बारी बारी से चूसने लगी. थोड़ी देर मे ही वो सिसकिया भर रही थी.

" अच्छा बोल, पकड़ा था उसका. कितना बड़ा है." रुक के मैने पूछा.

" भाभी अच्छा ख़ासा लंबा है, मोटा भी है. पकड़ाया तो था उसने पर. मारे शर्म के मैने आँखे बंद कर ली. हंस के वो बोली.

" अच्छा, तो सारी अदा, लटके झटके सीख लिए तूने." मैने चिढ़ाया. 

वह बस फिर से हंस दी.

" बस एक प्राब्लम है. कल तेरे भैया घर पे रहेंगे, तो....दिन भर के लिए ..कैसे... चल मैं कोई रास्ता निकालती हू. और हाँ मैं जा रही हू, चाय बनाने और तू ये ड्रेस उतार के अपने असली रूप मे आ जा, फ्रॉक मे. और तुझे तो आज म्यूज़िक क्लास मे भी जाना होगा.

" हाँ भाभी. बस मैं ये ड्रेस चेंज करके आती हू अभी."

चाय पीते हुए मैने उससे कहा," मेरी प्यारी ननद रानी, मेरा एक काम कर दोगि, म्यूज़िक क्लास के बाद. ज़रा ख़लील के यहाँ चली जाना, उसे पेमेंट देना है. ये ले 500 रुपये. और हाँ अपनी नाप भी दे देना. उसे तेरे लिए मैं कुछ कपड़े दे आई थी उसे. ज़रा जल्दी जाना. आज कल वो दुकान थोड़ा जल्दी बंद कर देता है. और वैसे भी पहले तुझे म्यूज़िक क्लास से ज़्यादा तो. यार के साथ आँख मटक्का मे समय लगता था पर अभी तो वो गाव गया है.. जल्दी जाना. ये नही कि किसी नये यार को पटाने लग जाना."


" ठीक है, भाभी." चाय का प्याला रखते हुए वो बोली.

" अरे रुक ज़रा, ये बता तेरे यार के जो दोस्त थे ना, जो उसके साथ रहते थे. उनमे से तो कोई नही तुझे लाइन मारता."

" मरते है भाभी.. लड़कों को तो आप जानती ही है. कुछ कुछ बोलते है...कई तो फ्लाइयिंग किस भी देते है."

" अरे तू फिर जवाब क्यों नही देती. बेचारों का थोड़ा तो दिल रख दिया कर, ज़रा आँखों की बांकी अदा, थोड़ा कमर और चूतड़ मटका के, कभी मुस्कान, कभी जलवे."

" ठीक है भाभी." 
मुस्करा के वोबोली और जैसे ही वो चलने को हुई मैने फिर रोक लिया.

" मालूम है मैने उसे बोला है. आज तेरी वो नाप वैसे ही लेगा जैसे वो मेरी चोली की लेता है, तो फिर अपनी ये चढ्ढि बनियान उतार के जाना."
 और उसने मेरे सामने, दोनो उतार के मुझे दे दिया और चूतड़ मटकाती चल दी.
 
क्लास उसकी 7 बजे ख़तम होती थी. मैं सोच रही थी वो साढ़े सात बजे तक आ जाएगी.लेकिन 8 बज गया, फिर साढ़े 8, 9. मुझे चिंता होने लगी. मैने सोचा कि खुद चल के देखु क्या. बस अच्छी बात ये थी कि राजीव भी अभी नही आए थे, अपने दोस्त के यहाँ से. सवा नौ बजे वो आई, टाँगे थोड़ी फैली, थकि थकि सी. हाथ मे एक दोना जिसमे ताजी इमरतियाँ थी. उसने रुपये मुझे पूरे के पूरे वापस कर दिए.

" हे! क्या हो गया मैने तुझसे नाप देने को कहा था. तू क्या क्या दे आई. और ये पैसा, क्या लिया नही उसने . अच्छा चल मैं तेरे लिए गरम चाय ले आती हू बैठ. पूरी बात बता."
 चाय पीते हुए रुक रुक कर उसने सारा किस्सा बताया.

" भाभी, पैसे के बदले उसने कुछ और ले लिया." हंस के वो बोली.

" वो तो मुझे लग रहा है, लेकिन तू साफ साफ बता. शुरू से." 
मैं बोली.

" भाभी, मुझे पहुँचने मे थोड़ी देर हो गयी थी. वो शटर गिरा ही रहा था. मुझे देख के, उसने मुझे तो अंदर कर लिया और फिर अंदर से शटर गिरा के नाप लेने की तैयारी करने लगा. मुझसे पूछा, " क्यों, अपनी भाभी की तरह नाप देगी या.."

" भाभी की तरह ." मैने बोल दिया. फिर तो उसने शटर पे अंदर से लॉक लगा दिया और मुस्करा के कहा कि अब ड्रेसिंग रूम मे जाने की कोई ज़रूरत नही है यही लेता हू. फिर बोला कि तुम्हारी भाभी अपने हाथ से अपना सीना उघाड़ के देती है नाप. तू भी उठा ले. सीना तो भाभी मैने उघड़ दिया पर मारे शर्म के मेरी आँख अपने आप बंद हो गयी. और जब उसने सीने के नीचे फीता लगाया ना...भाभी मेरी तो हालत खराब हो गई. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मेरे निपल अपने आप खड़े हो गये. फिर उसने वहाँ से निपल तक ..फिर सीने को...मैं एकदम गीली हो गयी थी. और फिर जब सीना नाप के वो कमर का नाप लेने लगा तो मैने आँख खोली. भाभी, क्या मोटा मजबूत लंबा खुन्टा था. उसका पाजामा पूरी तरह तना था. लेकिन उसकी ग़लती नही थी. शुरुआत मुझसे ही हो गयी. जब उसने मेरा नाडा खोला, अंदर की नाप लेने के लिए तो मेरा हाथ अपने आप चला गया. मैने उसके पाजामे का नाडा खोल दिया और उसका मोटा सख़्त... बाहर आ गया और उसके बाद तो उसने फिर मुझे वही...कपड़ों के ढेर पे लिटा के.."

" कैसा था लंड उसका."

" जबरदस्त भाभी, लेकिन उसका सुपाडा तो.... एकदम अलग, उस पे कोई चमड़ा नही था और उसका रंग भी गुलाबी नही था. धूसर. लगभग उसके लंड जैसा ही, और इतना सख़्त कि..उसे देख के ही भाभी मेरा क्ंट्रोल अपने उपर से एकदम ख़तम हो गया. झुक के. मैने उसे पकड़ कर चूम लिया. इतना मोटा था कि मेरे मूह मे क्या घुसता, लेकिन मेरे होंठ अपने आप...उसे चूमने चाटने लगे..एक अलग ढंग का , जैसा अपने बताया था ना मेरी जीभ बिना कुछ सोचे समझे उसके सुपाडे के पीछे वाले हिस्से पे चाटने लगी. थूक लगा लगा के एक दम गीला कर दिया..बहोत ही कड़ा, बिना चमड़े के एकदम अलग ..."

" उन लोगों के यहा बचपन मे ही बच्चे के लंड से आगे वाला चमड़ा काट देते है इसे, ख़तना कहते है. " उसकी बात काट के मैने, समझाया . 

पर वो चालू थी, " भाभी, उसने मुझे फिर लिटा के वही..बहोत रगड़ा मेरी चूत पे..और मैने भी, जैसा अपने समझाया था ना, टाँगे खूब पूरी ताक़त से फैला दी थी.एकदम हवा मे उठा के...और जब उसने चुचि पकड़ के पेला ना, तो सच बताऊ भाभी, मेरी तो जान निकल गयी...आँख के सामने तारे नाच गये..उसका सुपाडा जब घुसा ना लगा किसी ने पूरा मुक्का मेरी चूत मे पेल दिया हो. रगड़ते घिसटते..बस भाभी बता नही सकती, मैं तड़प रही थी, फदफडा रही थी लेकिन उस बेरहम ने. शुरू से ही फूल स्पीड ...जल्दी उस को भी थी और मुझे भी. हचक हचक रगड़ के चोद रहा था बिना एक मिनट भी रुके, स्पीड धीमी किए. लेकिन आधे घंटे से ज़्यादे ही चोद के झाड़ा और मैं तो दो तीन बार झाड़ चुकी थी तब तक." किस्सा सुनाते सुनाते वो फिर गरम हो गयी थी.

मैं भी उपर से प्यार से अपनी ननद के मम्मे सहला रही थी. मम्मे दबाते हुए मैने पूछा, " फिर आगे क्या हुआ, बोल ना."

" अरे भाभी मैं शायद तब भी बच के ..लेकिन वो पाजामा पहन ही रहा था कि उसके सुपाडे को देख के मेरा मन नही माना. मैने ललचा के उसकी एक चुम्मि ले ली. अब बस ..वो उसे मेरे मूह मे घुसेडने लगा. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मैने मूह नही खोला तो उसने मेरी नाक कस के बंद कर दी और जैसे ही मैने साँस के लिए मूह खोला, उसने मेरे बाल पकड़ के कस के घुसेड दिया. उस समय तो चुदाई के बाद तो वो थोड़ा ढीला सा था, चुदाई के जस्ट बाद, लेकिन मूह की गर्मी पा के तो वो ऐसे फूलने लगा.
 

लेकिन मैं भी, भाभी. मैं उसके सुपाडे को कस के चूसने लगी, नीचे से जीभ से चाट रही थी. डिल्डो पे अपने जैसे प्रैक्टिस करवाई थी ना ..थोड़ी ही देर मे मुझे लग रहा था मेरा गाल बर्स्ट कर जाएगा इत्ता मोटा हो गया. लेकिन मेरा सर पकड़ के वो पेलता ही रहा. पूरे हलक तक घोंटा के ही, हलक पे मुझे उसके सुपाडे की चोट लग रही थी..करीब आधा लंड तो उसने फोर्स करके चुसा ही दिया था.कुछ देर बाद उसने निकाला और मुझे अपनी मशीन के सहारे निहुरा दिया और फिर उसी तरह ऐसे कस कस के चोदा और अबकी तो भाभी और देर तक...मैं अपनी टाँगे कस के फैलाए हुए थी लेकिन हर धक्का...बहोत देर तक बिना रुके चोदता रहा और जब झाड़ा तो मैं उठ नही पा रही थी.किसी तरह कपड़ा पहना और वापस आई. पैसे उसने मेरे सीने के बीच मे वापस डाल दिए. अभी तक भाभी बस उसका मोटा सुपाडा मेरी आँख के सामने,.."


" अरे पठान का लंड है कोई मामूली चीज़ नही है. देख , उस का कारण है. जो तुम सुपाडे के रंग की बात कर रही हो ना..तो सुपाडे के उपर चमड़ा ना होने से वो रगड़ खा खा के वैसा हो जाता है. और इस का एक बहोत बड़ा फ़ायदा ये होता है कि बचपन से ही रगड़ खा खा के वो डाइसएम्सेटेज हो जाता है. और इसलिए चुदाई मे रगड़ खा के वो जल्दी नही झड़ता.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं कयि स्प्रे भी आते है जैसे क्लाइमेक्स, वो सुपाडे को डिसेमटिसेज़ ही करते है, जिससे मर्द जल्दी ना झडे पर उनके साथ तो नेचुरल दिसेंसीतायजेशन हो जाता है." मैने उसे समझाया और हंस के बोली, " इसी लिए मेरी ननद रानी हिन्दुस्तान की ज़्यादातर लड़किया ख़ान की दीवानी होती है, शाहरुख ख़ान, सलमान ख़ान, फ़रदीन ख़ान और पहले के जमाने मे, फ़िरोज़ ख़ान, संजय ख़ान..और तूने भी तो अपने कमरे मे शोहेब अख़्तर का पोस्टर लगा रखा है. तो इस का मतलब है मन ही मन तू भी..किसी की. क्यों बोल है कोई."

" धत्त भाभी..." शर्मा के वो हंस दी. कुछ देर रुक के बोली," लेकिन भाभी आपको इतना सब कैसे मालूम है कही आपने किसी .."

" एकदम चुदाई के मामले मे मैं एकदम धर्म निरपेक्षह हू, मैने कित्ति बार..सच मे उसका मज़ा ही अलग है, अरी बुद्धू, वैरायटी इज द स्पाइस आफ लाइफ. और वैसे मालूम है तेरे भैया भी..हनीमून मे तो वो हरदम चालू ही रहते थे..इसलिए उनका सुपाडा भी हरदम खुला ही रहता था और पैंट से रगड़ रगड़ खा खा के...तो तू भी, जब भी मौका मिले छोड़ना नही." उसके गाल को पिंच करके मैं बोली.

" अरे भाभी मैं ही बुद्धू हू. मेरी सहेली है ना साइदा...उसका भाई अरमान, उससे तीन चार साल बड़ा, अलीगढ़ मे पढ़ता है...टेन्निस चॅंपियन है यूनिवर्सिटी का, स्विम्मिंग मे भी. बॉडी बिल्डिंग करता है. बड़ा हॅंडसम है. मेरे पीछे पड़ा है कस के. अभी जब छुट्टियों मे आया था ना तो, उसका बस चलता तो...और वो साइदा भी.खुल के उकसाती रहती है उसको..."

" क्यों साइदा फँसी है क्या उससे.."

"अरे नही भाभी. वो बिचारी बड़ी सीधी है, उस तरह की लड़की नही है. वो तो मेरे पीछे पड़ी है की... मैं दे दूं उसके भाई को."

" तो तो क्या साइदा का किसी से चक्कर नही है. अब तक कोरी है." मैने और छेड़ा.

" भाभी आप भी. अब इतना भी नही सीधी है वो. क्या नाम है उसका...अरे...अंजुम..अच्छी ख़ासी फँसी है उसके साथ.जबसे चौदह की हुई, तबसे चुदवा रही है,उससे. बगल मे ही घर है, जब चाहते है तब....और भाभी, वो उसकी सग़ी...खास बुआ का लड़का है...." हंस के वो बोली.

" ठीक वही रिश्ता....जो तुम्हारा और राजीव का है... क्यों." 
हंस के, उसकी चुचि दबा के मैं बोली.

" धत्त भाभी...आप भी " 
शर्मा के उसके गाल गुलाब हो गये.

" अरे तू शरमाती क्यों है, अर्जुन और सुभद्रा मे भी तो यही रिश्ता था , तो बोल कब प्रोग्राम है राजीव के साथ"
 मैने फिर चिढ़ाया.

" जब आप कहे. आप सिर्फ़ बोलती है दिलवाती कभी नही. आपकी ये ननद पीछे हटने वाली नही" अब वह वापस अपने रंग मे आ गयी.

" और ये दोने मे इमरति. ये कहाँ से लाई." हँसते हँसते वो दुहरी हो गयी.

" अरे भाभी, जब बाबी टेलर्स से निकली तो रास्ते मे कल्लू हलवाई की दुकान पड़ती है ना. वही गरमागर्म इमरतियाँ बन रही थी. दुकान पे उस का लड़का नंदू बैठा था. आज कल उस को हमारे स्कूल की कैंटीन का ठेका मिल गया है, और वो वही बैठता है. मुझे देख के, उसने बुला के इमारती खिलाई भी और ये दी. जब मैं पैसा देने लगी तो बोला कि अरे तुमसे मैं पैसा थोड़ी लूँगा मुझे तो..और हंस के मैने बोला की अभी इंतेजार करो...."


" अरे बिचारे का दिल तोड़ दिया तुमने,.." इमारती खाती मैं बोली.

" नही भाभी...मैने मना थोड़े किया बिचारे को. बस इंतेजार करने को बोला है वो भी इमारती खाते खाते हंस के बोली.

" अच्छ चल हाथ मूह धो के किचन मे आ जा. खाना लगवाने मे मेरी मदद कर. तेरे भैया आते ही होंगे." खाना लगवाते हुए उसने फिर कहा कि कल के प्रोग्राम का क्या होगा. 

जान बुझ के मैने पूछा, " कौन सा प्रोग्राम.."

" अरे भाभी वही नीरज के साथ. फार्म हाउस जाने का कुछ तो रास्ता निकालो ना भाभी. प्लीज़."

" अच्छा चल, तू भी क्या याद करेगी. मैने ये सोचा है कि एक मेरी सहेली है. उसके पीछे ये बहोत दिनों से पड़े है. यही रहते है वो लोग. आज मैने उस से बात कर ली है, कल एक रिज़ॉर्ट मे मिलने के लिए...जब वो आएँगे तो मैं उनसे बात कर लूँगी. वो तो तुरंत राज़ी हो जाएँगे . तुम्हे तो कतई वो नही ले चलना चाहेंगे पर उपर उपर पूछेंगे. तो तू कह देना कि तेरा टेस्ट है तुझे पढ़ना है इसलिए तू नही चल पाएगी. हाँ और जो वो तेरी सहेली है ना, जो उस दिन आई थी..

" दिया..जिसकी भाभी की डेलिवरी.."

" हाँ हाँ वही...तो तू ये भी कह देना कि तू बीच मे हो सकता है दिया के यहाँ जाय, जॉइंट स्टडी के लिए...तो मैं तुझे ड्यूप्लिकेट चाभी दे दूँगी."

" पर भाभी, आपकी सहेली तो शादीशुदा होगी..ना" वो बोली.

" अरे यार तुझे आम खाने से मतलब है या ..कल तू नीरज के साथ दिन भर उसके फार्म हाउस पे मस्ती करना ना..अच्छा चल बताती हू. ये ..स्वापिंग के चक्कर मे थे तो वो ...दोनो....अब मान गये है."


" स्वापिंग ..मतलब भाभी.."

" मतलब कि मैं उसके हसबेंड के साथ और वो मेरी सहेली राजीव के साथ...या दोनो मर्द मिल के मेरे साथ या ..उसके साथ. अच्छा चल राजीव आ गये है जा के दरवाजा खोल."
 
अगले दिन वैसे ही हुआ. मैं और राजीव सुबह ही रिसार्ट के लिए चल दिए. चलने के पहले मैने गुड्डी के गाल पे कस के पिंच करके बेस्ट आफ लक बोल दिया. उसके लिए मैने एक पेस्तल कलर की टी शर्ट और लो हिप हागिंग जींस निकाल के रख दी थी और 'सब कुछ' समझा भी दिया.

जब शाम को हम लोग लौटे तो तब तक वो घर नही लौटी थी. वो कुछ देर बाद आई तो मैने राजीव को सुनाते हुए कहा, हे दिया के यहाँ से आ रही है.

" भाभी, आप को कैसे पता चला कि मैं दिया के यहाँ से आ रही हू" मुझ से धीरे से वो बोली.

" अरे .वो तो मैने ऐसे ही तेरे भैया को सुनाने के लिए कह दिया था. क्या कहती . कि किससे चुदवा के आ रही है..अच्छा चल किचन मे चल के बाते करते है. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं आज मैं बाजार से काफ़ी कुछ पैक करवा के ले आई हू. तेरे भैया भूखे होंगे." और हम दोनों किचन मे पहुँच गये. चिकेन टिक्का और कबाब ओवेन मे रख दिए गरम होने को...और मैं मटन दो प्याजा का पॅकेट खोल रही थी, कि उसने कहा, 

" भाभी पहले आप बताइए आप और भैया ने कैसे मज़ा लिया, स्वापिंग का. और हाँ मैं दिया के यहाँ से ही आ रही थी."

" अच्छा चल, बताती हू. अंजलि, मेरी सहेली, उस के हज़्बेंड को मैने देखा नही था पहले. उस की शादी मेरे शादी के एक साल के बाद हुई और हम लोग जा नही पाए थे. हाँ अंजलि ने बताया ज़रूर था उसके बारे मे. और जब मैने देखा तो...खूब गोरा चिट्टा.. लेकिन थोड़ा लड़कियों जैसा, एकदम नमकीन..चिकना, दुबला पतला. और उसे देख के एक बार तो वो चौंके ,लेकिन जैसे पुरानी पहचान हो, खुश हो के बोले
" अरे भोन्सडी के...तू..साले..इतने दिनों के बाद..कहाँ मरा रहा था इतने
दिनों से और मेरी साली को फाँस लिया...साले."
 और उसे कस के बाहों मे भर लिया.


" भाभी...भैया..ऐसे बोलते है वो भी पब्लिकलि.."
 गुड्डी चकित होके बोली.

" अरे यार तूने मर्दों को सुना नही कैसे कैसे बोलते है आपस मे. हम लोगों से भी खुल के." मैने बात आगे बढ़ाई. " सुन तो टोक मत..और वो धीरे से उनके कान मे बोला, " लेकिन गुरु, तूने भी बड़ा मस्त माल फँसा है..पटाखा है..एकदम ..आगे पीछे दोनों ओर क्या उभार है, एल. पी है क्या..दोनों ओर. मिला ना भाभी से.."

" एकदम..एल पी है और वो भी 90 मिनट वाली. दोनों ओर चलती है." और मेरी ओर मूड के बोले,

" हे ये सुनील है. मेरा बचपन का दोस्त और ये तेरी भाभी."

मेरा माथा तो पहले से ही ठनका था, लेकिन नाम सुनके पक्का हो गया कि ये वही है.

" कौन भाभी" गुड्डी ने पूछा.

" अरे वही मैने बताया ना था तुझे, जिसके साथ उनकी चलती थी. सबसे पहले जब वो 8 मे पढ़ते थे, उसकी गान्ड मारी थी और फिर 4 साल तक...उसी से मेरी सहेली अंजलि की शादी हो गयी थी."

" अरे भाभी जी कहाँ खो गयी, ये देवर कब से बेचैन था आपसे मिलने के लिए. एकदम पास आ के वो हंस के बोला.

" अरे आप से तो दोहरा रिश्ता है. देवर का भी और मेरी प्यारी सहेली के पति के नाते, जीजा का भी." मैने उसे कस के पकड़ के कहा.

" तब तो मैं दोनों ओर से लूँगा." मेरे नितंबो को कसी शलवार के उपर से सहलाता धीरे से वो बोला.

" एकदम...और देवर का तो अर्थ ही होता है, द्वितीयो वर..इसलिए तो मैं आई हू. हाँ और देवर का एक और अर्थ होता है, जो भाभी से बार बार माँगे, दे बुर, दे बुर."

" तो...दो ना.." 
वो अपने सीने से मेरे जोबन कस के दबा के बोला.

" अरे इसी लिए तो आई हू , लो ना जी भर के कोई कसर मत छोड़ना." जींस के उपर से उसके बुर्ज को दबा के,खुल के सहलाते. मैं मुस्करा के बोली.

" हे बहनचोद.. भोन्सडी के. कहाँ छिपा के रखा है मेरी साली को." राजीव ने बेताब होके उससे पूछा.

" अरे आ गयी मैं..जीजू." और अंजलि ने आ के सीधे उन्हे अपनी गोरी बाहों मे कस के भर लिया.
गोरी चिट्टि, बॉब कट बाल, टॉप से छलकते उसके मस्त बड़े बड़े मम्मे, कसे कसे त्राउजर को फाडते चूतड़...एकदम पक्की पंजाबी कुड़ी लग रही थी.
 
" क्या भूल गये साली की गाली को.." वो बोली. मेरी शादी मे सबसे तगड़ी गालिया खुल के उसी ने सुनाई थी.

" और तू भूल गयी कोहबर का वादा, अपने तले मे... जीजा की तली लेने का." उसके मम्मे कस के दबोच के वो बोले.

" अरे जीजू इसी लिए तो आई हू. बड़े दिन से इंतेजार था, बड़ी तारीफ सुनी थी इस तली की." और वो भी खुल के पैंट के उपर से उनके टेन्पोल को दबा के बोली.

हम दोनों पुराने फ़्रेंड है..हंस के सुनील बोला. मेरे मूह से निकलते निकलते रह गया, बचपन के.

कमरे मे पहुँच के तय हुआ कि पहले वॉटर पार्क का मज़ा लेंगे उसके बाद खाना और फिर 'प्रोग्राम'. वो दोनों बेचारे बेताब थे लेकिन हम जानते थे कि अगर 'वो' शुरू हो गया तो रिसार्ट का मज़ा धरा रह जाएगा.ड्रिंक्स के लिए भी दोनो बेताब थे. कमरे मे व्हिस्की की दो दो बोटले रखी थी पर अंजलि ने सॉफ मना कर दिया दिया कि दारू के बाद पानी मे जाना ख़तरे से खाली नही है. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं राजीव बोले यार फिर अपना वो स्पेशल सिगरेट ही पिलाओ. सुनील ने मूड के सिगरेट बना के सुलगाई और उसको भी दी. जैसे ही दोनों ने सूतका लगाया, मुझे कुछ शक हुआ. दो चार कश के बाद मैने अंजलि को इशारा किया और उसने राजीव के होंठों से और मैने सुनील से सिगरेट छीन ली. वो बेचारे बाहर चले गये हमे गालिया देते, लॉकर रूम से कपड़ा ले के चेंज करने.


जैसे हम दोनों ने सुट्टा लगाया एकदम क्लियर हो गया , इसमे है कुछ. सीधे हमारे निपल खड़े हो गये और चूत मस्त गीली. लेकिन हम दोनो ने पूरी पी के ख़तम की. कॉलेज के दिन याद आ गये. अंजलि हम दोनो के लिए टू पीस लैयकरा की, बिकिनी लाई थी और जान बुझ के थोड़ी छोटी. वॉटर पार्क का ये नियम था कि वहाँ ड्रेस उन्ही से लेनी पड़ती थी. चुचिया खुल के छलक रही थी. हम दोनों ने सरोंग पहना और बाहर आ गये. वहाँ दोनो लोग, छोटे से स्विम्मिंग ट्रंक मे थे जिसमे से उनके बुर्ज सॉफ दिख रहे थे.

सबसे पहले हम लोग टनेल वॉटर राइड मे गये. इसमे एक लंबी टनेल स्लाइड थी जिसमे खूब तेज़ी से पानी बह रहा था और जगह जगह, तेज शावर गिर रहे थे. अंजलि को राजीव ने कस के अपनी गोद मे चिपका के बैठा रखा था और उसके
हाथ उसके उभारों से खेल रहे थे. अंजलि बेचारी टनेल स्लाइड मे जाने से घबरा रही थी कि, सुनील ने इशारा किया और मैने दोनों को हल्के से धक्का दे दिया. वे स्लाइड पे फिसलने लगे. मैं भी सुनील के गोद मे ठीक उनके पीछे थी.उसका का हाथ भी मेरी बिकिनी ब्रा मे था. थोड़ी ही देर मे हम दोनो एक दम गीले हो गये . स्लाइड मे बीच मे जहाँ तेज धार थी,

मैने अपनी जांघे फैला दी और धार सीधे मेरी..जांघों के बीच. सुनील भी कम शरारती नही था. उसने मेरी पैंटी ज़रा सी सरका दी तो धार सीधे चूत पे. हम लोग हो हो कर के, फिसलते जा रहे, मज़ा ले रहे थे और सुनील की उंगलिया...

अंजलि ने मुझे बताया था कि सुनील पक्का चूत चटोरा है और उसकी उंगलिया भी...वो चाहे तो घंटे भर तपता रहे और चाहे तो 5 मिनट मे रख कर दे. स्लाइड से निकल के हम एक फाल मे गये और और उसके बाद एक वॉटर कैनन पे..जहाँ पानी की तेज धार पाइप से आप डाल सकते है. मैने अंजलि की जाँघो को सेंटर करके धार सीधे उसके सेंटर पे डाली. उसकी थॉंग जैसी पैंटी वैसे ही उसकी चिकनी चूत मे चिपकीहुई थी. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं अब उसके निचले लिप्स भी सॉफ दिख रहे थे. वो बचने के लिए पूल मे कूद गयी जहाँ सारी वॉटर स्लाइड मिलती थी और जहाँ से हमने शुरू किया था. राजीव ने उसका पीछा किया तो उसने राजीव को दिखा के अपनी ब्रा उतार के दूर फेंक दी और पानी से बाहर निकल अपने पानी से भीगे कड़े रस कलश दिखा के उसे ललचा रही थी. जैसे ही राजीव उसकी ओर बढ़े, वो तैर के निकल भागी, जल की मछली थी वो. पर राजीव भी कम नही थे. जल्द ही जहाँ शैलो एंड था, वहाँ उन्होने उसे पकड़ लिया.
 
सुनील की गोद मे बैठी मैं उन लोगों की जल क्रीड़ा देख रही थी और हिला हिला के अपने चूतड़ उसके खड़े शिश्न पे रगड़ रही थी. सुनील भी, उसका एक हाथ मेरी ब्रा मे था और दूसरा पैंटी मे..जाड़े के दिन होने से वॉटर पार्क पूरा खाली था और हम लोग खुल के मज़ा ले रहे थे. जब मेरी निगाह अंजलि की ओर पड़ी तो मैं मुस्काराए बिना नही रह सकी. तेरे भैया ने उसे कस के दबोच लिया . ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं उनके हाथ कस के उसके रसीले जोबन का रस ले रहे थे, मसल कर रगड़ कर..और जब मैने पूल के नीले पानी के अंदर झाँका तो...अंजलि की दोनो टाँगे फैली हुई थी और राजीव उसके बीच मे..जैसे कोई मॅसिव लंड की पिक्चर्स हो ना वैसे ही...खूब मोटा कड़ा और अंजलि की पतली कमर पकड़ के पानी के अंदर ही उसने पूरी ताक़त लगा, हचक से पेल दिया. बेचारी अंजलि. मेरे सामने बिकिनी पहनने के पहले ही उसने, दो दो उंगलियो से अपनी बुर मे स्पेशल वॉटर प्रूफ लूब्रिकॅंट जम के लगाया था लेकिन..फिर भी उसकी चीख निकल गयी. उसकी पतली कमर पकड़ के उठा के, वो अब उसे हचक हचक के पानी के अंदर चोद रहे थे. थोन्ग उसकी, उन्होने सरका दी थी.. इधर सुनील ने भी मेरा बिकनी टॉप हटा के मुझे टॉप लेस कर दिया था. उसके एक हाथ की उंगलिया मेरे खड़े निपल रोल कर रही थी और दूसरे हाथ की दो मोटी मोटी उंगलियाँ, मेरी चूत के अंदर घुस के चूत मंथन कर रही थी.


अंजलि ने सच ही कहा था कि उसकी उंगलियों मे जादू है. और मैं भी अपने रसीले चूतड़ उसके ट्रंक के अंदर तने लंड पे रगड़ रही थी और जब मैने अंजलि की ओर देखा तो वो दोनों जबर्जस्त चुदाई मे मस्त थे. राजीव का मोटा मूसल जैसा लंड उसकी कसी चूत मे सतसट जा रहा था. अंजलि की खुल के सिसकिया निकल रही थी . वो अपने दोनो हाथ से पूल मे लगे सपोर्ट को कस के पकड़े थी और अपने मस्त चूतड़ से कस कस के धक्के दे चुदाई का मज़ा लूट रही थी.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं और जो हालत उन दोनो की थी, लग रहा था वो थोड़ी देर मे ही झड़ने के कगार पे पहुँच जाएँगे. अंजलि की चुचिया पानी के बाहर थी और वो उसे कस के निचोड़ रहे थेऔर यहाँ यही हाल मेरी चुचियों का सुनील कर रहा था. मेरी जांघे खुल के फैली थी जहा न सिर्फ़ सुनील अब उसे खुल के अपनी दो मोटी उंगलियों से सतसट चोद रहा था, बल्कि अपने एक्सपर्ट अंगूठे से मेरे क्लिट को भी कस के रगड़ रहा था.

तभी वहाँ एक वेट्रेस आई, ड्रिंक सर्व करने. मैने उससे ड्रिंक ले लिया मैं खुद भी पी रही थी और अपने हाथों से सुनील को भी पिला रही थी क्यों कि उसके तो दोनो हाथ व्यस्त थे. लेकिन मुझे एक शरारत सूझी. वहाँ पूल मे जगह जगह पानी की तेज धार गिर रही थी. मैने वेट्रेस से कहा.. और उसने मुस्करा के हामी भरी. थोड़ी ही देर मे पानी की एक मोटी तेज धार घूम के पूरी तेज़ी से राजीव और अंजलि के बीच गिरने लगी और उस का फोर्स इतना था कि.. अंजलि और राजीव अलग हो गये.. और फिर तो तैर के अंजलि किनारे जा लगी और पूल के बाहर. एक तौलिए से अपने को
सुखाने और छुपाने की बेकार कोशिश करती हुई. 

सुनील ने राजीव को छेड़ा, " क्यों बॉस, के.एल.पी.डी. कर दिया.... साली ने."

" के.एल.पी.डी. क्या होता है, भाभी.." बड़े भोलेपन से गुड्डी ने पूछा.

" अरे इत्ता भी नही जानती...खड़े लंड पे धोखा." प्यार से उसके गाल पे चपत लगा के बात मैने आगे बढ़ाई."

अंजलि ने बात सम्हाली. वो बोली कि आगे का कम अब कमरे मे और राजीब को उनका लंड पकड़ के ही कमरे मे खींच ले गयी और पीछे पीछे मैं और सुनील. वो दोनो इतने दुष्ट कि हम दोनों को टॉप लेस ही रहना पड़ा.अंजलि ने ड्रिंक बनाया और हम सबने साथ साथ पीना शुरू किया. राजीव अपने खड़े मोटे लंड की ओर इशारा कर के बोले, साली..इस का क्या होगा. अभी लीजिए जीजू..और उनकी टाँगों के बीच बैठ के पहले तो उनके सुपाडे को चूमा चाटा फिर गप्प से अपने मूह मे ले लिया और कस कस के चूसने लगी. उधर सुनील की गोद मे बैठ के ड्रिंक्स बना रही थी और सुनील कस कस के मेरी चुचि चूस रहा था.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मुझे एक आइडिया आया. मैने ग्लास से व्हिस्की अपने मम्मों पे डालनी शुरू की और फिर दोनों को बारी बारी से पिलाना शुरू किया. पूरा मस्ती का आलम था. उधर अंजलि ने भी दो आइस क्यूब अपने मूह मे लिए और थोड़ी व्हिस्की डाल के चुभालना शुरू किया और फिर एक झटके मे....राजीव का लंड गप्प कर लिया. एक और आइस क्यूब ले के वो उसके बॉल्स पे लगाती रही और ..फिर पीछे. मम्मों के बाद अपनी आर्म्पाइट से लगा के शराब दोनों को पिलाने लगी.


सुनील व्हिस्की से सराबोर मेरी चुचिया चाट रहा था काट रहा था. मूह से लंड को निकाल के थोड़ी देर अपने गुलाबी गालों पे अंजलि सहलाती रही. फिर राजीव से बोली..क्यों बहन चोद आ रहा है मज़ा चुसवाने का तेरा वो माल..क्या नाम था यार उनकी उस बहन का जो शादी मे बहोत चूतड़ मटका रही थी. मैं मुस्करा के बोली, गुड्डी. तो फिर वो चालू हो गयी..हाँ जीजू तो तेरी वो बहना भी चुसती है ऐसे मस्त. अबतक अब तक तो उस पे हाथ सॉफ कर के छीनाल बना दिया होगा.
कंटिन्यूड…


भाग ९ समाप्त
 
ननद की ट्रैनिंग – भाग 10
(लेखिका - रानी कौर) 

दरवाजे पे नॉक हुआ. हम दोनों ने अपने को ढकने की कोशिश की पर तब तक वेट्रेस अंदर थी. लेकिन वो भी टॉपलेस..और राजीव और सुनील ने हम दोनों को फिर से टॉप लेस कर दिया. बोतल ख़तम हो चुकी थी. हमने उसे फिर एक बोतल विस्की
और वोदका का आर्डर दिया. खाने के साथ भी चुहुल जारी थी. बेचारे राजीव की हालत खराब थी. पहले पूल मे उन फिनिश्ड चुदाई..और फिर अब अंजलि ने चूस चूस के. वो अभी भी उनके खुन्टे पे खुल के बैठी थी और अपनी गान्ड की दरार मे
उसे रगड़ रही थी. हम लोगों ने खाना शुरू ही किया था कि...
सुनील का मोबाइल बजा.


सुनील के चेहरे पे चिंता की रेखाए दौड़ गयी. वो हाँ हाँ बोल रहा था और हम सब लोग उसी की ओर देख रहेते. सुनील ने बताया कि उसके एक दोस्त कोहली की कार का आक्सिडेंट हो गया है. उसको तो चोट नही आई है हल्का इंजूर्ड है. लेकिन जिस साइकल वाले से उसकी टक्कर हुई थी..उसे ज़्यादा चोट लगी है. और पोलीस भी मौके पे पहुँच गयी है, जो उसकी वाइफ को जो ड्राइव कर रही थी, को अरेस्ट करना चाहती है. और आज छुट्टी है तो रात भर उसे हवालात मे रखेंगे. कल दोपहर के बाद ही जमानत हो पाएगी.


" कौन कोहली लोग...? वही जिनके साथ हम लोगों ने 'प्रोग्राम' किया था." अंजलि बोली.

मैं और राजीव 'प्रोग्राम' सुन के मुस्काराए बिना नही रह सके. तभी मुझे कुछ याद आया और मैने भी राजीव से रिक्वेस्ट की कि, सक्सेना एस.पी.ट्रॅफिक, तो उसका दोस्त है और वो ज़रूर मदद कर सकता है. कुछ उस साइकल वाले को दे दिवा के...वरना रात भर मे तो हवालात मे पोलीस वाले. अंजलि ने भी कहा कि, हाँ जीजू प्लीज़. मिसेज़ कोहली आपका बहोत एहसान मानेंगी. तय ये हुआ कि वो दोनों अभी वही पहुँचेंगे और उनकी जमानत ले लेंगे. सक्सेना से इन्होने बात भी कर ली.

वो दोनो टेन्स थे, पर लंड दोनों के अभी भी खड़े थे. सुनील ने भरोसा दिलाया कि दो-तीन घंटे मे वो लोग लौट आएँगे और फिर उसके बाद... और हम लोगों से कहा कि खाना वाना खा के यही कमरे मे उनका वेट करे.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज पर पढ़ रहे हैं राजीव ने अंजलि से कहा..साली बचेगी नही तू. और अंजलि भी.. राजीव के लंड को दबा के हंस के बोली, कौन साली बचना चाहती है जीजू.. लौट के आइए मुझे भी बहोत इंतजार है इसका.

" तो भाभी.. क्या वो लोग.. दो घंटे बाद हुआ..." उत्सुकता से गुड्डी ने पूछा.

" कहाँ यार..दो घंटे बाद उन का फोन आया कि उस साइकल वाले को हॉस्पिटल मे अड्मिट करना पड़ा है और मिसेज़ कोहली की जमानत भी अभी एक घंटे बाद हो पाएगी. उन के दोस्त को भी हॉस्पिटल मे अड्मिट करना पड़ा है इसलिए वो लोग शाम तक ही आ पाएँगे."

" तो फिर ...क्या किया आप लोगो ने."

" अरे क्या करती..जो काम वो करते. मैने और अंजलि ने पूरी वोदका की बोतल साफ कर दी..खाना खाया और जो काम तेरे भैया, अंजलि के साथ करते,वो मैने उसके साथ किया." हंस के मैं बोली.

" मतलब, भाभी..."

" मतलब मेरी जान, कि हम लोगों ने जम के मज़ा लिया. दो बार ऑर उंगली, मूह सब कुछ और उसके बाद सिर्फ़ जीब का इस्तेमाल कर के उसने मुझे कस कस के झाड़ा. अंजलि को आख़िर ट्रैंड मैने ही किया था. बहोत मस्त चूत चाटती है." गुड्डी
के मम्मे प्यार से दबा के मैं बोली.

" आपने ट्रैंड किया था. मतलब भाभी."

" अरी वो मेरी बोरडिंग की रूम पार्टनर थी और मेरी जूनियर...पहले तो मैने उसकी जबरदस्त रैगिंग ली और फिर....वो मेरी रूम पार्ट्नर. शुरू मे जब आई थी, टेनथ पास करके ..एकदम सीधी थी पूरी बच्ची...शुरू मे तू थी ना जैसी एकदम
वैसी.. लेकिन हमारे कॉलेज मे बहोत घनघोर रैगिंग.."

" क्या होता है रैगिंग मे भाभी.. और क्या किया था अपने उसके साथ..." गुड्डी बेताब हो रही थी.
 

" अरे बिन्नो, क्यों बेताब हो रही है. मेडिकल मे जाएगी ना तो खुद ही जबरदस्त रैगिंग होगी तेरी. वहाँ तो कोक की बोतल तक घुसवा देते है सब कुछ सिखा देते है और मेडिकल मे तो सबसे भयानक, पर मेरे कॉलेज की भी उससे कुछ कम नही होती." उसके गालों पे चिकोटी काट के मैने बोला और आगे कहा, " शुरू मे 11'वी की लड़कियों को अलग रखते है रैगिंग के चक्कर मे. लेकिन मैं सच बताऊ, टीचर यहाँ तक कि प्रिन्सिपल भी हम लोगों के साथ ही थी बल्कि चढ़ती रहती थी. तो मैं और चार पाँच सीनियर लड़कियाँ उन सबों के कमरे मे रात मे गये और बाहर से सब के कमरे मे चितकनी बंद कर दीं कि अगर कोई शोर करे तो वो रूम ना खोल सके. अंजलि के कमरे के बाहर जाके मैने वरदान की आवाज़ मे कमरा खोलने को कहा. उनकी आवाज़ की मैं पक्की नकल कर लेती थी. जैसे ही उसने कमरा खोला, मेरी बाकी सहेलियों ने उसका मूह बंद कर अंदर से कमरा बंद कर लिया और सबसे पहले उसे ड्रेस कोड सिखाया गया."



" ड्रेस कोड वो क्या भाभी"

पूरे एक महीने तक फ्रेशर्स को ब्रा और पैंटी पहनने की इजाज़त नही थी. उनके सारे अंदर गारमेंट्स हम लोग जब्त कर लेते थे यहाँ तक कि जो वो पहने रहती थी और उनके नाम के एक बैग मे बंद कर दिया जाता था और फ्रेशर्स फंक्सन मे ही सबके सामने उसे ब्रा और पैंटी पहनने को मिलती थी. यही नही टॉप की दो बटन हमेशा खुली रखनी पड़ती थी. और अगर कुछ गड़बड़ हुआ तो एक बटन और.. वो बटन तोड़ दी जाती थी और यहाँ तक कि उसके स्कर्ट की उँचाई भी, और कोई भी सीनियर दिन रात क्लास, बाज़ार कही भी स्कर्ट या टॉप उठा के चेक कर सकता था कि उस लड़की ने कही ब्रा और पैंटी तो नही पहन रखी है.कम से 8-10 बार दिन मे ये चेकिंग होती थी. खैर, अंजलि की ब्रा और पैंटी जबरन हम लोगो ने उतरवाया.शर्म के मारे उसकी हालत खराब..अपने हाथों से उसने छिपाने की असफल कोशिश की. जबरन जब मैने उसका हाथ हटाया तो मैं दंग रह गयी,ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं रूई के फाहे ऐसे मुलायम, लेकिन उमर के हिसाब से विकसित. बहोत ही मस्त थे उसके उभार और उसी समय मैने तय कर लिया था कि मैं उसे अपनी बना के रहूंगी. वो गिदगिडाती रही लेकिन हम लोगों ने उसे कपड़े नही पहनने दिया और फिर उसे ले जाके उससे कहा कि वो बगल के कमरे की लड़की का नाम ले के बुलाए. थोड़ी ही देर मे सारी लड़कियाँ नंगी परेड करते हुए नीचे लौंज मे और उसके बाद तो उन सबकी शामत ...सबको नंगी पी.टी कराई गयी, हाथ उठा के, झुक के ..सबको सिखाया गया कि कैसे अपने सीनियर के सामने झुक के ..अपनी चूत और चूंची चेक कराएँगी और अपने नाम के आगे चूत मरानी और छीनाल लगाके बोलेंगी. यहाँ तक कि क्लास मे भी... और फिर दो दो के जोड़े बना के ..उनसे कहा गया कि एक दूसरे की खूब कस के चूंचिया रगड़े और चूत मे उंगली करे. जो पहले रुक जाता था उस की पिटाई भी होती थी. और फिर उन सबको लंड वंदना और चूत चालीसा सिखाई गयी.. हर काम के पहले लंड वंदना करनी होती थी नाश्ते के पहले खाने के पहले मेस मेम जो कमांडर थी.


" लंड वंदना..ये क्या भाभी.."

" अरे जैसे तू शुरू शुरू मे लंड और बुर का नाम लेने मे शरमाती थी ना ..तो सारी लड़कियाँ शरमाती है पर लंड के बिना किसी लड़की का काम चल सकता है क्या...बोलो..लंड वंदना मे सब लड़कियाँ ज़ोर ज़ोर से बोलती थी,

जो भरा नही है झान्टो से बहती जिसमे वीर्यधार नही
वह लंड नही वह नुन्नि है जिसको चुतो से प्यार नही.


और चूत चालीसा तो पूरे 15 पन्नो की थी जिसे न सिर्फ़ उन्हे याद करना था बल्कि जब कहा जाय ज़ोर ज़ोर से सस्वर सुनाना भी पड़ता था. उसकी शुरुआत होती थी...

दूज की चाँद सी चूत लिए फिरती थी एक नारी चुदासी.
टाँग फैला के पेल दिया तो , दूज से हो गयी पूरण मासी.


लेकिन मैने अंजलि की इत्टई जम के रैगिंग कराई कि अंत मे जो कंपटिशन हुआ उसमे वो बिग बी और कंडालिंग क्वीन दोनो कंपटिशन मे फर्स्ट आई.

" बिग बी और ये क्वीन क्या. भाभी."

" बिग बी यानी बिग बूब्स मतलब किसकी चूंचिया सबसे बड़ी सबसे मस्त है और कौन सबसे ज़्यादा देर तक दबवा, मसलवा सकती है, किसके निपल कित्ति जल्दी खड़े हो सकते है. और कंडालिंग क्वीन मे सब फ्रेशर को सबके सामने कांडलिंग करनी थी और कित्ति,मोटी और लंबी घोंट सकती है. और सबसे अंत मे फ्रेशर्स मे डब्लू डब्ल्लुएफ़ की औरतों की तरह फ़ाइट भी थी जिसमे सामने वाली को न सिर्फ़ नंगा करना पड़ता था बल्कि उसकी चूंची मसलने के साथ चूत मे उंगली भी कस कस के...अंजलि इसमे भी फर्स्ट आई थी."
 
" तो भैया लोग कब आए..." गुड्डी बहोत उत्तेजित हो रही थी और बात बदलते उसने पूछा.

" अरे उन लोगों के आते आते शाम हो गयी. रिज़ॉर्ट बंद होने वाला था. इसीलिए हम लोगों को वहाँ से वापस आना पड़ा. रास्ते मे हम लोग हॉस्पिटल भी गये. सुनील का वो दोस्त रिलीज़ होने वाला था. और वह मिसेज़ कोहली... तुम देखती. उमर मे मुझसे एक दो साल ही बड़ी होगी, गोरी गदराई और बहुत ही सेक्स की दीवानी..तेरे भैया पे तो लदी ही पड़ रही थी. बार बार धन्यवाद दे रही थी. अंजलि ने उसे चिढ़ा के कहा कि इन्हे दूसरे ढंग से धन्यवाद देना पड़ता है.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं तो वो कस के राजीव से चिपक के, अपनी बड़ी बड़ी छातियाँ,उनकी पीठ से रगड़ के बोली, अरे मैं कौन सी पीछे हटने वाली हू, जब चाहें, जैसे चाहे जितनी बार चाहे. और लौटते हुए सुनील ने बोला भी कि पोलीस वाले तो बयान और तलाशी लेने के बहाने नाप जोख करना चालू ही कर दिए थे और अगर राजीव ने न बोला होता तो रात भर हवालात मे उनकी अच्छी ख़ासी..बेचारे तुम्हारे भैया. वो एकदम भूखे रह गये.सामने से थाली भी गयी और साली भी. अंजलि ने पॅंट के उपर से उनके तननाए लंड को दबाकर प्रामिस किया की जल्द ही वह सूद सहित ब्याज चुका देगी.


अगले दिन तो मिलना मुश्किल था क्योंकि मैं आउट आफ आर्डर हो चुकी थी. इसलिए तय हुआ कि 4-5 दिन बाद अब हम लोग अंजलि के घर पे ही मिलेंगे, दो रात के लिए. लगातार. मैं सोच रही थी कि उन दिनो तुम्हे दूबे भाभी के यहाँ छोड़ दूँगी, तुम्हे कोई प्राब्लम तो नही होगी,"

" नही भाभी. और वो इतना कहती भी रहती है बेचारी..पर आप तो कह रही थी कि आप की आंटी जी कल से आने वाली है. एक दिन पहले ही....." गुड्डी हंस के बोली.

" अरे हो जाता है कभी कभी एकाध दिन इधर उधर. शायद अंजलि ने जो कस कस के चूसा था उस का असर रहा हो. तभी तो मैं कह रही थी तुम्हारे भैया को जबरदस्त भूख लगी होगी. कल रात भर उन्होने उपवास किया, आज की दावत के लिए सोच के और आज दिन मे भी सामने से थाली हट गयी और आज रात मे मेरी ये हालत ...हे तू क्यों नही करा देती उनको आज भोजन." रोटी सेंकती हुई मैं मुस्कराके बोली. वो बेल रही थी और मैं सेंक रही थी.

" नही भाभी आज मेरा पेट बहोत भरा है." वो नखडे से बोली.

" और तूने बताया नही.. क्या हुआ नीरज के साथ कहाँ कहाँ भरा उसने.. खुल के बोल"

" अरे वही जो होना था भाभी, आप तो सब जानती है" उसने फिर नखडा दिखाया.

" हे , खुल के बता मेरी ननद रानी. वरना वो जो बेलन है ना तेरे हाथ मे. सीधे तेरी चूत मे डाल दूँगी और तेरे पिछवाड़े, तेरी गान्ड मे ये गरम गरम चमचा, पेल के, फैला दूँगी." मैने हड़काया.
 
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