Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग - Page 12 - SexBaba
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Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग

" अच्छा बताती हू भाभी. आप लोगों के जाने के थोड़ी ही देर बाद मैं भी निकल गयी. वो बाहर बाइक पे इंतजार कर रहा था, और मैं उछल के उसके पीछे बैठ गयी. बहोत कस के तेज चलाता है वो भाभी. मैं तो कस के, उसका पीछे से पकड़
के, बैठी थी. 10-12 किलोमीटर के बाद जब गाँव का रास्ता चालू हुआ ना तो झटके और बढ़ गये. झटके खा खा के तो मेरे चूतड़ की हालत खराब हो रही थी.

थोड़ी देर मे गाँव शुरू हो गया, दोनो ओर गन्ने के घने घने खेत, आमराई. एक पनघट के पास हम रुके . वहाँ कुछ लड़कियाँ पानी भर रही थी और लगता था उसकी परिचित है. उन्होने पानी तो पिलाया लेकिन खूब चुहुल भी की. हम
लोग फिर आगे बढ़े तो वो रास्ता बदल के एक घनी आमराई के अंदर से ले गया. वहाँ एकदम सन्नाटा था. उसने मुझे उतार के बैक पे अपने आगे बैठा लिया और कस के चूमने लगा. थोड़ी ही देर मे मुझे आगे की ओर झुका के उसने मेरा टॉप हटा दिया और पहले तो मेरे उभार ब्रा के उपर से ही कस के चूमता रहा .फिर एक झटके मे उसने मेरी ब्रा खोल के मेरे कबूतरों को आज़ाद कर दिया और कस के रगड़ने मसलने लगा. मस्ती के मारे ,मेरी आँखे बंद होने लगी.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज पर पढ़ रहे हैं अचानक उसने लके से मेरे निपल काट लिए. जैसे ही मेरी आँखे खुलीं तो उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया. खूब खुल के हम दोनो मस्ती कर रहे थे. फिर वो मुझे आगे वैसे ही बिठा के ले गया, बाइकर बेब्स की तरह. ब्रा तो उसने पहले ही जब्त कर ली थी . टॉप्स मे मेरे जोबन साफ दिख रहे थे. जब हम फार्म हाउस के पास पहुँचे तो मैं तो एकदम दंग रह गयी.

किले की तरह..चारों ओर से फेनस्ड, घने पेड़ और गेट पे बहोत तगड़ी सेक्यूरिटी. सेक्यूरिटी गार्ड ने उसे जबरदस्त सल्यूट किया. और उसके बाद, पहले तो खूब बड़े घने पेड़ जैसे जंगल और फिर दूर तक बांसो की झुरमुट, और फिर एक और
फेम्स के बाद खेत, बाग, बड़ा सा लान और फिर उसका फार्म हाउस. घर क्या महल लग रहा था. वो मुझे अपने कमरे मे ले गया और वो इत्ता उतावला हो रहा था भाभी, कि उसने सीधे, मुझे उठा के अपने बेड पे पटक दिया. तभी एक गाँव की
सी औरत आई..सिर्फ़ साड़ी मे. लंबी खूब गदराई, बड़े बड़े साफ दिखते मम्मे,

निम्मो. उसने पूछा क़ि कुछ खाने पीने को ले आऊ तो नीरज ने बोला अभी नही. कुछ देर बाद. अपने और मेरे कपड़े उतारते उसने बताया कि घर मे सिर्फ़ वही रहती है और उससे कुछ दुराव छिपाव नही है,निम्मो सब जानती है. और वही सारा काम करती है.अंदर आने की और किसी को इजाज़त नही है इसलिए वहाँ टोटल प्राईवेसी है. भाभी वो इत्ता बेताब था कि उसका लंड ..पूरी तरह तना..खड़ा मोटा.बिना और कुछ किए , सीधे मेरी टांगे उसके कंधे पे और उसने हचक से पेल दिया मेरी चूंची पकड़ के. और मैं भी मस्ती से गीली हो रही थी. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज पर पढ़ रहे हैं हचक हचक कर खूब ताक़त से उसने क्या चोदा. क्या मसल्स थी भाभी..रेग्युलर जिम जाता है वो..और मैं भी कस कस के उसके हर धक्के का जवाब दे रही थी, उसकी चौड़ी छाती मे अपनी चूंचिया रगड़ रही थी. और आधे घंटे से भी ज़्यादा इस तरह नॉन स्टॉप रगड़ के चोदने के बाद.. मुझे दो बार झाड़ के ही वो झाड़ा. और जब वो मेरे उपर से उठा तो बड़ी देर तक मैं उठ नही पाई.


जब उठ के मैने देखा तो मेरे कपड़े गायब..और पास मे दो चाँदी की ग्लास मे कुछ पे.. चंदन की महक सी और ..एक प्लेट मे मिठाइयाँ और पेस्ट्री. इसका मतल्ब जब हम लोग चुदाई मे लीन थे तो निम्मो वहाँ आई थी और.. अपनी गोद मे
बिठा के पिलाते हुए वो बोला कि ये स्पेशल शराब चंदन की है जो सिर्फ़ पुराने रजवाड़ों मे मिलती है. और सच मे भाभी थोड़ी ही देर मे. मैं सब शरम लिहाज भूल चुकी थी और कस के उसका लंड सहला रही थी जो थोड़ी ही देर मे खड़ा हो गया.
 
खा पी के एक बार मैं फिर ताक़त महसूस कर रही थी. नीरज ने निम्मो को आवाज़ दे के बुलाया और उससे एक साड़ी मँगवाई. मैने भी सोचा कि, जैसा देस वैसा भेष. वो मुझे बाहर दिखाने चल पड़ा. उसने भी सिर्फ़ एक शर्ट पहन रखा था. बाहर एक घनी आम की बगिया थी और जो मैं उसके अंदर घुसी तो देखती रह गयी. एक स्विम्मिंग पूल और उसके बगल मे एक नेचुरल फल और चारो ओर इत्ते घने पेड़ की बाहर से कुछ दिखाई ना दे. जैसे ही मैं पूल के पास पहुँची..नीरज ने शरारत से मुझे उसमे धकेल दिया और मैं एक झटके मे ही पूरी तरह भीग गयी.


" पूरी मंदाकिनी लगती हो.." हंस के वो बोला. और जो मैने नीचे झुक के देखा तो वास्तव मे मेरे दोनो चूंचिया सफेद साड़ी से उसी तरह साफ झलक रही थी जैसे राम तेरी गंगा मैली में, मंदाकिनी की तरह दिखतीं थी. पानी की धार सीधे मेरी चूंचियों पे पड़ रही थी. शैतानी मे मैने पहले तो अपना आँचल हटा के नीरज को खुल के जोबन का जलवा दिखाया और फिर उसे दिखाते हुए पानी की मोटी धार सीधे अपनी गोरी जांघों के बीच लेना शुरू कर दिया, खूब अच्छी तरह फैला के. साड़ी मेरी जाँघो के बीच चिपक गयी थी और मेरी चूत के प्यासे होंठ साफ दिख रहे थे और उन्हे उछाल के मैं पानी से खेल रही थी जैसे पानी की मोटी धार से चुदा रही हू. मैं जो चाहती थी, वो असर नीरज पे साफ दिख रहा था. उसका लंड उसकी शर्ट फाड़ रहा था. उसके चेहरे से उत्तेजना साफ झलक रही थी.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मैने उसे भी झरने मे खींच लिया और अपनी मुसीबत बुला ली. पीछे से मुझे पकड़ के वो अब कस के मेरी चूंचिया दबाने लगा और उसकी धिन्गामस्ती मे मेरी साड़ी पूरी तरह खुल गयी. फिर मैं उसको क्यों छोड़ती, मैने भी उसकी शर्त पकड़ के नींचे खींच दी. अब दोनों पूरी तरह नंगे थे..फल के नीचे. वो पीछे से मुझे पकड़ के मेरे उभार कभी मसलता कभी निपल पकड़ के खिचंता कभी अपनी उंगली मेरी कसी चूत मे सीधे पेल देता. और उसका सख़्त लंड भी मेरे चूतड़ की दरार के बीच कभी गान्ड मे कभी बुर मे ठोकर मार रहा था. मेरा तो मन कर रहा था कि बस वो वैसे ही चोद दे..लेकिन तभी मैं फिसली और मुझे बचाने के लिए जो वो झुका तो वो सरक के पानी के अंदर. मैं किनारे पे बैठ के उसे चिढ़ा रही थी कि पानी मे ही खड़े हो के उसने मेरी जांघे फैला दीं और उसका मूह सीधे मेरी चूत पे. भाभी क्या एक्सपर्ट चटोरा है...पहले तो जीब से उसने थोड़ी देर हल्के हल्के चाटा और फिर होंठों के बीच मे ले के खुल के चूसने लगा...उपर से मेरे उपर अभी भी झरने के चिमटे पड़ रहे थे और नीचे पूल मे खड़े होके...अब उसकी जीब कस कस के मेरी चूत चोद रही थी.होंठ क्लिट पे रगड़ रहे थे और मैं झड़ने के एकदम पास..मेरे चूतड़ अपने आप हिल रहे थे और तभी कुछ हुआ कि मैं सरक के पानी मे और वो उपर जहाँ मैं बैठी थी..उसका मस्त लंड खुन्टे की तरह
खड़ा..मैने उससे बहोत रिक्वेस्ट कि वो मेरा हाथ पकड़ के मुझे बाहर निकाल ले.

..लेकिन अब उसकी हँसने की बारी थी.

आख़िर उसने एक शर्त रखी कि मैं उसका लंड चुसू जैसे वो मेरी चूत चूस रहा था..जो मैने तुरंत नखडे से खारिज कर दी. लेकिन अब उसका लंड प्यासा था. वो कहने लगा , अच्छा थोड़ा सा अच्छा सिर्फ़ सुपाडा...मन तो मेरा भी बहोत कर रहा था कि उस लालीपाप को गप्प कर लू पर उसे चिढ़ाने मे तड़पने मे भी मज़ा आ रहा था. अच्छा बस एक किस हल्का सा, वो बोला.

" चलो तुम भी क्या याद करोगे किस दिलवाली से पाला पड़ा था." मैं बोली और अपने गुलाबी होंठ उसके उत्तेजित सुपाडे के पास ले जाके हटा लिया. अब तो उसकी हालत खराब हो गयी. मैने एक हाथ से उसका मोटा लंड पकड़ा और फिर अपने रसीले होंठों से पहले तो हल्के हल्के उसके सुपाडे का चमड़ा हटाया और फिर सीधे उसके गुलाबी सुपाडे पे किस कर लिया. मेरी जीब उसके सुपाडे के चारों ओर,आगे पीछे और फिर एक बार मे ही उसका सुपाडा गप्प कर लिया . मेरे हाथ उसके
बाल्स को सहला रहे थे, भींच रहे थे, मेरे किशोर होंठ उसके सख़्त लंड को रगड़ते हुए उसे और अंदर ले रहे थे. मेरी मखमली जीब नीचे से उसके लंड को चाट रही थी और जल्द ही उसका आधा लंड मेरे मूह के अंदर था. मैं कस कस के चूस रही थी, चाट रही थी और मेरी बड़ी बड़ी आँखे उसकी आँखों मे खुशी देख रही थी. वो भी मेरा सर पकड़ के कस के अपनी ओर खींच रहा था ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं और कुछ देर मे पूरा लंड अंदर...वो कस कस के मेरा मूह चोद रहा था और मै अपने हलक मे उसके सुपाडे की धनक महसूस कर रही थी. थोड़ी देर के लिए जब मेरा गाल और हलक दर्द करने लगे तो मैने उसके लंड को बाहर निकाला और फिर अपने गालों पे रगड़ के साइड से चूम चूस के अपनी चूंचियों के बीच ले के दबाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर ब्रेस्ट पे फक करने के बाद उसका इरादा कुछ और हो, उसके पहले मैने उसे फिर से मूह मे ले लिया और अब उसका लंड शुरू से ही कस के चूसने लगी. जब वो झड़ने के कगार पे पहुँच गया तो बोलने लगा की गुड्डी प्लीज़ निकाल लो. अब मैं नही रुक सकता. मैं झड़ने वाला हू. तेरे मूह मे गिर जाउन्गा..प्लीज़ प्लीज़. 
 
मैं तो कहना चाहती थी कि तो झाड़ ना मेरे राजा किसने माना किया है. झाड़, तेरे माल का मूह है..पर मेरा मूह तो उसके लंड से भरा था, इसलिए मैं जो कर सकती थी, किया. कस के उसकी कमर को अपने हाथों से बाँध के उसे अपनी ओर खींचा और खूब कस के चुसते हुए उसकी ओर प्यार से ऐसे देखा कि मानो कह रही होउँ, झाड़ ना राजा , भर दे मेरे मूह को. जल्द ही वो झड़ने लगा..पर मैं बिना रुके उसे उसी तरह चुसती रही. सारा का सारा उसका वीर्य मैं पी गयी. दो चार बूँद जो मेरी चूंची पे गिरा उसे मैने उंगली मे लपेट के बड़े स्वाद से गॅप कर लिया और जो होंठ पे लगा था उसे भी चाट लिया.


हे बताता हू तुझे, कह के वो भी पानी मे आ गया और पकड़ने की कोशिश की तो मैं तैर के भागी. पूल के घर की ओर वाले किनारे पे पहुँचते उसने मुझे पकड़ के अपनी बाँहो मे भर के कहा दिस ईज़ दा बेस्ट, एवर हॅप्पेन्न्ड टू मी. मैने हंस के कहा ये तो अभी शुरुआत है. हम दोनो पानी से बाहर निकल आए. वहाँ निम्मो ने पहले से ही ड्रिंक्स और खाने का समान रखा था. थोड़ी देर मे ही हम लोग ताज़ा दम होगये.

अब नीरज की बारी थी . उसने मुझे वही घास पे लिटा के..अबकी बार उसे कोई जल्दी नही थी..पहले उंगली से फिर होंठों से...बड़ी देर तक तड़पाता रहा और जब मैं झड़ने लगी तो उसने लंड मेरे अंदर पेल दिया. वो थोड़ी देर चोदता . फिर रुक
जाता, फिर चालू हो जाता , फिर रुक के मेरी चूंचियों का कस के मज़ा लेता. कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उसने मुझे घुटने के बल कर के कुतिया की तरह कर फिर पूरी ताक़त से कस के चोदा. घंटे भर चोद के ही वो झाड़ा और मैं तो...न
जाने कित्ति बार झाड़ चुकी थी.


मैने उसे चिढ़ाया, हे तंग ही करोगे या कुछ खिलाओगे भी. मैने फिर से अपनी साड़ी पहन ली थी और उसने भी शर्ट. वो मुझे ले के लोन मे पहुँचा जहाँ बारबिक लगा था. खुद अपने हाथ से सीख कबाब बनाए और भी ढेर सारी चीज़े...और साथ मे बिकार्डी...बहोत मज़ा आया. हम लोगों ने एक दूसरे को छेड़ छेड़ के खाया. खाने के बाद वो अपना फार्म दिखाने ले गया, बाग , खेत. हम लोग पेड़ पे चढ़े. एक गन्ने के खेत के बीच मे तो उसने मुझे पकड़ के चोदना ही शुरू कर दिया था कि मैं निकल भागी. लेकिन बाहर बाग मे उसने मुझे पकड़ लिया और वही एक बाँस की खटिया पे तीसरी बार चोद दिया. खुली हवा मे चुदने मे अलग ही मज़ा आ रहा था. पहले उपर चढ़ के फिर साइड से चोदते समय एक दो बार उसने मेरी गान्ड मे उंगली भी कर दी. शाम होने पे हम लोग घर मे गये और फिर वापस शहर.."
 
" पर तू तो कह रही थी कि तू दिया के यहाँ से..." मैने पूछा.

" हाँ . रास्ते मे वो मिल गयी. नीरज के साथ बाइक पे देख ही मुझे लगा कि वो कैसी सुलग रही है." उसने रोक के बताया कि उसकी भाभी को आज ही बच्चा हुआ है और वो हस्पताल जा रही है. नीरज ने उसे भी लिफ्ट दे दी. मैने नीरज से कहा कि मैं हॉस्पिटल से हो के आ जाउन्गि और जब उसने मुझे किस्सि दी ना भाभी तो बस, दिया तो..."

" अरे तो हॉस्पिटल मे क्या हुआ.. वो बता न"

" वही तो बता रही हू. वहाँ वो डॉक्टर मिल गया , जो मैने बताया ना कि मेरे उपर आशिक हो गया था. उसने बड़ी सहायता की उन लोगों की. मेरे चक्कर मे. उस ने भाभी से कहा कि , " मेरा नेग.." तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ के कहा कि ये ले लो मेरी छोटी ननद. और फिर तो वो मुझे हाथ पकड़ के अपने कमरे मे ले गया. उसे भाभी के लिए कुछ टॉनिक अपने कमरे से भेजना था. मैने दिया से साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया कि भाभी अकेले रहेंगी. खैर जब मैं उसके कमरे मे पहुँची ना तो टॉनिक तो एक बहाना था. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं उसकी और भाभी की मिली जुली चाल...हम लोग बात करते रहे और फिर कब मैं उसकी गोद मे थी पता नही. उसने बहोत रिक्वेस्ट की चुम्मि देने की तो मैं मान गयी, फिर उसके बाद वो मेरे सीने पे चुम्मि लेने की ज़िद करने लगा तो मैने टॉप उठा दिया. मैं भूल गयी थी कि ब्रा तो मैं नीरज को दे आई थी. फिर उसके बाद उसकी जादू भरी उंगलियों ने वो खेल किया कि मैं पूरी तरह गीली हो गयी और जब तक मैं सम्हलती उसने मुझे पूरी तरह....


फिर तो वो भी मेरी तरह हो गया और उसकी उंगलियों और जीब ने ऐसा छेड़ा ऐसा मस्त किया कि....भाभी मैं उसे मना नही कर पाई.

" तो तू उससे भी चुदवा आई.."

" हाँ भाभी और वो भी दो बार. पहले तो बिस्तर पे भाभी जम के चोदा. वो मेरी चूत की बहोत तारीफ कर रहा था. वो गेयिंगोकेलाइज्स्ट है ना उसे सब पता है. वो कह रहा था कि मेरी मसल्स्स ऐसी है वहा की मैं कितनी बार चुदवाती रहू वो एक दम टाइट रहेगी लेकिन फिर भी मुझे उसने एक इंपोर्टेड क्रीम दी है लगाने को. और हाँ, जब मैने ये बताया कि मैं पिल लेती हू तो उसने कहा कि उसके पास एक इंजेक्षन है जिससे महीने मे सिर्फ़ एक बार ले लेने पे कोई ख़तरा नही रहता है. अगली बार जब मेरा पीरियड ख़तम हो तो मैं उसके पास जा के लगवा सकती हू. जब मैं चलने लगी तो फिर एक बार टेबल के सहारे निहुरा के... पता नही इन मर्दों का क्या है भाभी. एक बार मे मन ही नही भरता.."


" अरे, मर्दों को क्यों दोष देती है तेरे जोबन पे निखार ही ऐसा आया है. चल जल्दी कर खाना लगाते है तेरे भैया भूखे आ रहे होंगे." फिर मुझे कुछ आइडिया आया और मैने गुड्डी के कान मे कहा और उसके भी चेहरे पे चमक आ गयी. 

वो बोली, " आपकी बात ठीक है, लेकिन भाभी आज मैं दे नही पाउन्गि..एकदम मेरी जांघे फॅट रही है.5 बार भाभी आज...टांगे दर्द के मारे...पूरी देह टूट रही है..कल आप जो कहेंगी वो.."

" अरे आज मैं देने को थोड़ी कह रही हू.और कल वो चोदेन्गे भी नही. आज तो बस जैसा मैने कहा था ना.."



" ठीक है भाभी..एकदम" और वो ड्रिंक लगाने और तैयार होने चली गई. 

और मैं उपर उन्हे बुलाने. उनकी हालत खराब थी...दिन भर की उत्तेजना के बाद 'बेचारे' को कोई रिलीफ़ नही मिली थी और वो तनतनाया हुआ था . वैसे आज उसे कोई रिलीफ़ मिलने वाली भी नही थी. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं मैं थोड़ा उपर ही रुक गयी और ' भाई-बहन' के बीच का सीन वहीं से देखने लगी. मुझे लगा अभी भी शायद किसी के सामने होने से दोनों और खास तौर से राजीव थोड़ा हिचकते है. और मेरी बात सही निकली.
 
राजीव जैसे ही पहुँचे गुड्डी पहले से तैयार खड़ी थी, एक नूडल स्ट्रॅप, लो कट टॉप और छोटी सी लाल स्कर्ट में, किसी सेक्शी रीमिक्स डॅन्स गर्ल की तरह...ग्लास मे उनकी फेवोवरिट विस्की डालते हुए. उनके बैठते ही वो उनकी गोद मे बैठ गयी और पहले ग्लास को ले के अपनी अधखूली गोलाईयों पे लगाके जैसे ग्लास की ठंडक का अहसास कर रही हो, फिर उनके होंठों पे लगाया. लेकिन उनके पीने के पहले ही उसने हटा लिया और अपने खूब गाढ़ी लाल रंग की लिपस्टिक लगे होंठों पे लगा के गटक कर गयी. ग्लास मे दुबारा उसने एक पटियाला पेग बनाया और जहाँ उसके लिपस्टिक के ताज़ा निशान थे ठीक वही से उसे, पूरा एक बार मे ही पिला दिया और जब वो पिला रही थी तो गुड्डी के उभार उनके सीने से खूब रगड़ रहे थे. पर उसने इत्ते पे ही नही छोड़ा.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज पर पढ़ रहे हैं एक कबाब मूह मे लेके उन्हे वो छेड़ रही थी .जैसे ही वो होंठ पास लाते वो मूह पीछे कर लेती. लेकिन राजीव भी अब मूड मे आ गये थे और कस के उसका सर पकड़ के कस के कबाब तो अपने मू मे किया ही उसके रसीले होंठ भी खुल के गडप गये. गुड्डी ने अपने को अलग करने की कोई कोशिश नही की बल्कि वो भी खुल के उनके होंठों का रस लेने लगी. इस धिन्गामस्ती मे उसका एक नूडल स्ट्रॅप नीचे सरक के गिर गया और उसकी एक गोलाई का उपरी हिस्सा अब खुल के झाँक रहा था. पर उसको बिना ठीक करने की परवाह किए उसने दूसरा पेग बना के उनको पिलाना शुरू किया.


राजीव की निगाह उसकी गोरी अधखूली गोलाई पे, जैसे चिपक गयी थी. पर गुड्डी जान बुझ के अनजान बनी हुई थी. थोड़ी देर में, तीन चार पेग के बाद, कबाब खिलाते हुए गुड्डी ने जान बुझ के एक टुकड़ा अपनी गहराइयों के बीच गिरा दिया और
उनसे इसरार किया कि वो निकल दे. राजीव ने निकाला तो लेकिन अब उसकी दोनों गोलाइयाँ काफ़ी दूर तक खुल गयीं थी. एक के तो निपल भी हल्के हल्के दिख रहे थे. इतना राजीव के लिए बहोत था. उनका हाथ सीधे वही पहुच गया जहाँ अब तक उनकी लालचाई निगाह थी और हल्के से उसके खुले उभार को सहलाने लगा.


गुड्डी ने उसके हाथ को अपने उरोजो पे कस के दबा के सिसकी भर के बोला, " भैया ये क्या कर रहे हो." आवाज़ उसकी मना कर रही थी पर उसकी सारी देह और खास तौर से उसके सीने पे, कस के दबाते हुए हाथ खुल के कह रहे थे कि वह क्या चाहती थी. अब तो वो खुल के सहलाने, दबाने लगे. गुड्डी को भी जैसे परवाह नही हो. वो फिर पेग बनाने और उन्हे पिलाने मे लग गयी. लेकिन स्कर्ट उसके उठने और बैठने से जैसे खुल गयी थी और उसके नितंब अब सीधे उसके पाजामे से रगड़ खा रहे थे. वो खुद खुल के अपना सीना उनके सीने से रगड़ रही थी. राजीव के लिए रुकना मुश्किल हो रहा था. जब मैं पहुँची तो उनके दोनों हाथ, उसकी किशोर चूंचियों को रगड़ने मसलने मे लगे थे. बोतल आधी से ज़्यादा खाली हो चुकी थी. हंस के मैं बोली, " लगे रहो लगे रहो," और खाना निकालने लगी. 

गुड्डी उनकी गोद से उठने लगी तो मैने उसके कंधे दबा के मना कर दिया और कहा कि तेरे भैया आज बहुत भूखे और थके है. तू ऐसे ही आज उनकी गोद मे बैठ के उन्हे खिला. फिर क्या था मेरे सामने ही..बचा खुचा टॉप भी नीचे सरक गया था और वो खुल के मज़े ले रहे थे. खाने मे भी हम ने, जो भी कामोत्तेजक चीज़े हो सकती थी वो सब बनाई थी. जल्द ही लग रहा था कि कही उनका पाजामा फाड़ के कही उनका लिंग बाहर ना निकल जाय. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज पर पढ़ रहे हैं खाते खाते कभी वो उसकी उंगलियाँ काट लेते कभी रसीले होंठ. पर मेरी ननद भी कम दुष्ट नही थी. वो कभी अपने गुलाबी गाल उनके गाल पे रगड़ती कभी . और एक बार तो उसने सीधे अपना खुला हुआ जोबन उनके गालों से रगड़ दिया. और उन्होने भी ...क्या करते वो उसके खड़े निपल अपने मूह मे ले लिए. 
 
स्कर्ट उसका सरक के कमर तक आ चुका था और घर मे तो वो पैंटी पहनती नही थी इसलिए सीधे... मैने खीर परोसते हुए गुड्डी को इशारा किया और वो अपने दोनो पैर फैला के सीधे उनकी कमर के चारों ओर करके,बैठ गयी. मैने एक झटके मे उनके पाजामे का न सिर्फ़ नाडा खोला बल्कि उसे नीचे तक खीच के उतार दिया. अब तो उनका भूखा मोटा खुन्टा सीधे, गुड्डी की गोरी जांघों के बीच...गुड्डी ने उसे एडजस्ट करने के बहन,सीधे उसे अपनी यौवन गुफा के मुहाने पे सेट कर लिया. उनका सुपाडा मारे जोश के आधा खुल गया था और उसके किशोर भगोश्ठो के बीच टक्कर मार रहा था. वो जान बुझ के उन्हे धीरे धीरे खीर खिला रही थी, ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं अपनी किशोर कोमल योनि को उनके मस्त तननाए लंड पे रगड़ते, उसे छेड़ते. खीर का आख़िरी कौर खिलाते हुए वो उनके जैसे और नज़दीक आई और कस के अपनी चूत उसके लंड पे ठेल दी. सुपाडा अब थोड़ा सा चूत के अंदर और वो एकदम बेताब...उन्होने गुड्डी के कान मे कुछकहा. पर हंस के वो उनकी गोद से उठ गयी और खुल के उनके उत्थित शिश्न को दबा के बोली, " भैया, आज नही कल . कल पक्का. मैं एकदम प्रामिस कर रही हू. आज मैं बहोत थकि हू."

उनकी आँखो की अबूझ प्यास जैसे पलीड कर रही हो , प्लीज़.लेकिन वो चूतड़ मटकाती उठ गयी. मैने भी उनके खड़े लंड को पकड़ा और उठा के ले गई. चलते चलते गुड्डी से मैने कहा कि, " हे टेबल और किचन साफ कर देना. और मेज पे मैने दूध रख दिया है. सोने से पहले पी लेना."

" एकदम भाभी..." टेबल साफ करते वो बोली. उसके यौवन कलश अभी भी टॉप के बाहर झाँक रहे थे.

मैने उसके दूध मे सेडेटिव मिला दिया था. वो कम से कम 8-10 घंटे सोने वाली थी. कमरे मे पहोंच के मैने उन्हे कस के तंग करना शुरू कर दिया. वो सम्हलते उसके पहले उनका खड़ा बेताब लंड मेरे होंठों के बीच मे था.चूस चूस के, चाट चाट के मैने उनकी हालत खराब कर दी. कभी मेरी जीब उनके पी हॉल को तंग करती, कभी बाल्स को चुसती चाटती. और वो जब झड़ने के करीब हो जाते तो मैं रुक जाती. दो तीन बार ऐसे कर के जब उनकी हालत खराब हो गयी और मुझे लगा कि अब वो बस झड़ने ही वाले है मैने कस के उनके लंड के बेस पे दबा दिया, जिससे उनका फ्लो रुक गया और उनसे दूर हट के, थोड़ा प्यार थोड़ा गुस्से से बोली,

" क्यो?, चोदा क्यों नही, अपनी उस लाडली छीनाल बहन को. अगर मेरी तबीयत ठीक होती या मेरी जगह कोई और होती, अंजलि होती. तो क्या इस तरह बच के, चूतड़ मटका के जा पाती. कस के तुम पटक के ज़बरदस्ती चोद नही देते. अरे वो तेरी रखैल है..तेरा उस पे मुझसे या अंजलि से कम हक नही. पटक के निहुरा के चोद देना चाहिए था कस के. अगर अब वो साली छीनाल तुझसे बच गयी तो . बोल.अब अगर मिली तो क्या करोगे."

" चोद दूँगा पटक के साली को. बिना चोदे छोड़ूँगा नही. बहोत छीनालपना करती है..." उसके लोहे से कड़े लंड पे थोड़ा मैं पाउडर लगा के और चिकना कर रही थी. फिर मैने उसकी धीरे धीरे मूठ मारनी शुरू की.मेरे होंठ उसे चूम रहे थे , कभी मैं उसके निपल को फ्लिक कर रही थी. थोड़ी ही देर मे फिर वो एकदम कगार पे था. फिर मैं रुक गयी और बोलने लगी,
" देख. तेरी रखैल बनाउन्गि मैं उसे. तो थोड़ी ज़ोर ज़बरदस्ती नही करोगे तो कैसे चलेगा. चीखने चिल्ल्लाने दो साली को. कोई छेद मत छोड़ना साली का . बोलो लोगे मज़ा पीछे वाले छेद का."


" हाँ हाँ एकदम. बिना गान्ड मारे साली की छोड़ूँगा नही. जब वो चलती है ना चूतड़ मटका मटका के तो मेरे देख के खड़ा हो जाता है. कैसी है. तुमने तो देखी होगी."
 वो जोश मे बोले.

" अरी बड़ी मस्त है. एकदम टाइट. कोरी. अभी तो ढंग से उंगली भी नही घोंटी साली ने..चीखे चिल्लायेगि बहोत पर उसी मे तो असली मज़ा है." मैं मूठ मारते मारते बोली. अब वो फिर एकदम कगार पे थे. मैं फिर रुक गयी. लेकिन थोड़ी देर बाद मैं उनके उपर आ गई और अपनी बड़ी बड़ी चूंचियों के बीच उनके लंड ले लिया और चूंचियाँ हल्के हल्के मसलने लगी. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं थोड़ी ही देर मे वो मेरी चूंचियों को इस तरह दबा के चोद रहे थे जैसे उनकी बहना की चूत हो. मैने बोला भी..क्यों बहन की चूत समझ के चोद रहे हो. और फिर सारी रात इसी तरह तड़पाया मैने. मज़ा तो उन्हे खूब दिया लेकिन झड़ने नही दिया, एक बार भी. 
 
यहाँ तक कि एनल वैयब्रेटर से उनकी गान्ड भी मारी, उनके हाथ गुड्डी की ब्रा पैंटी से बाँध के. जो ब्ल्यू बाल्स कहते है ना एकदम हालत वही थी. और मैने उनके सुपाडे पे किस करके बोला कि, अब जब तू अपनी बहना को चोद के कस के उसकी चूत मे झडेगा ना, तभी कोई और चूत मिलेगी तुझे . तब तक भूखा रहना. और जब एक बार वो थोड़े शिथिल हुए, जब उनक बाल मे मैने बर्फ लगा दी, जाड़े की रात मे तो मैने एक काक रिंग भी पहना दी.ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं अब तो और...सुबह होने वाली थी मैने उन्हे ड्रिंक पिलाया जिसमे वही सेडेटिव मिला था जो मैने गुड्डी को पिलाया था.


सुबह होते होते वो घोड़े बेच के सो चुके थे. पर लंड का झंडा उनका उसी तरह फहरा रहा था.

जब मैं उठी तो देर हो चुकी थी. मैं उन्हे देख के मुस्काराए बिना नही रह सकी . वो गहरी नींद मे थे और 12 -1 बजे से पहले उनके उठने का सवाल नही था,पर लंड उनका.. उसी तरह . मैं नीचे पहुँची तो गुड्डी भी जस्ट उठी ही थी और किचन मे चाय बना रही थी. मुझे चाय देते बोली, " भाभी कल आप ने मुझ से... बेचारे भैया को जबरदस्त टॉर्चर करवाया."


" चल कोई बात नही आज तू उनसे करवा लेना....टॉर्चर. पर इतनी दया आ रही है तो दे क्यों नही दिया कल बेचारे को."

" अरे भाभी डरती हू क्या मैं.करवा लूँगी...करवा तो मैं कल ही लेती पर इतनी कस के थकि थी." 
हंस के एक मस्त आंगड़ाई लेते हुए बोली और पूछा, " भाभी आपने कल क्या पिलाया दिया था. जबरदस्त नींद आई और थकान एकदम गायब."

" तो तैयार है तू आज, कुश्ती के लिए." हंस के मैने छेड़ा.

" एकदम भाभी.. आज किसी भी पहलवान से लड़ा दीजिए..आपकी ये ननद पीछे नही हटेगी."

" तुम्हारे भैया से भी..

"पहले तो वो थोड़ा शर्मा गयी फिर हंस के बोली, " एकदम भाभी, रोज तो आप लड़ती ही है एक बार मैं भी लड़ लूँगी."

हम दोनो नहा धो के तैयार ही हुए थे कि अल्पना आ गयी. फिर तो जैसे कोई तूफान आ गया हो.खूब हँसी धमाल, धिन्गा मुश्ति और उसने जो, गुड्डी को जम के गलियाँ सुनाई. थोड़ी देर के बाद जब गुड्डी उसके लिए नाश्ता बना रही ही थी, मैने उसे पूरी दास्तान सुनाई और ये भी सुनाया कि वो आज अपने भैया के साथ..तब तक गुड्डी आ गयी और मैं चुप हो गयी पर अल्पना को कौन रोक सकता था...वो जम के सुनाने लगी,

" अरे साली छीनाल, पूरी दुनिया को बँटाती फिरती है और मेरे जीजा को भूखा रखा. तुझे कितना बोल के गयी थी कि..पूरा ख्याल रखना. अरे तू मेरी सबसे पक्की सहेली है तो तू भी तो उनकी साली हुई ना. ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं अगर एक बार चुदवा लेती तो कौन सा तेरा घिस जाता...अगर आज तूने ज़रा भी छीनालपना किया ना तो तेरे हाथ पैर बाँध के, पहले तो अपने जीजू से चुदवाउन्गि फिर तेरी गली के गधो से."


उसकी बात काट के दोनों हाथों से कान पकड़ के हार मानती गुड्डी मुस्करा के बोली, " हाँ मेरी माँ . तू आ गयी ना तो बस अब तू जिससे कहेगी जितनी बार कहेगी, जैसे कहेगी, मैं चुदवा लूँगी. पर ये बता कि मनाली मे गाइड कॅंप मे तूने क्या मज़े उड़ाए. मैने सुना है कि, साउथ से कोई लड़ाकों का स्काउत का भी कॅंप आया था."

" अरे नही. मैने अपना जिजत्व बचा के रखा. नाडा नही खोलना किसी के आगे." हंस के अल्पना बोली.
 
मेरे बहोत पूछने पर उसने कबूला कि कॅंप मे मौज मस्ती तो काफ़ी हुई. पर शुरू के दो दिन तो जान पहचान मे लग गये और जब तक ' कुछ हुआ' तो अगले दो दिन उसकी एडी मे मोच आ गयी, रोहतांग पास के ट्रैकिंग मे. आख़िरी पाँच दिन तो... एकदम खुला खेल था. कोई लड़की नही बची लेकिन उन्ही दिनों उसके पीरियड्स आ गये. इसलिए. हंस के वो बोली,
" दीदी कमर के नीचे, कॅंप मे मैं पूरी तरह पवित्र थी. और वैसे, कोई लड़की बची नही थी. हाँ कमर के उपर की मैं गारंटी नही लेती. उस मामले मे तो सच मे मैं चैपियन थी. पर.."

" चल कोई बात नही . कमर के नीचे ..की कोर कसर तेरे जीजा पूरी कर देंगे." मैने कहा.

" हाँ दीदी 5 दिनों का व्रत मैं उन्ही से तुडवाउन्गि." वो हंस के बोली, "पर वो है कहाँ". उसने पूछा.

" उपर है शाम की पार्टी के लिए इंतजार कर रहे है. थोड़ी देर मे जा के उठा के नाश्ता वास्ता करा देना, पर पूरी भूख मत मिटाने लगना" और मैने उसे कान मे समझाया. हंस के वो मान गयी.


दोनों मस्त किशोरियाँ, खिलन्दड, पूरा घर चुहुल बाजियों, छेड़छाड़, शैतानियों से भरा...दोनों ने शलवार सूट पहन रखे थे. अल्पना ने गुलाबी और गुड्डी ने पीला, धानी. यहाँ तक कि चुन्नी भी ओढ़ रखी थी ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं पर जवानी की उठान सर फाडे, कहाँ छुपते है. दोनों साथ साथ बेड टी की ट्रे ले के 12- 1 बजे उपर गयी. वो बस कुनमूना रहे थे.पर दोनों को देख के नींद गायब हो गई.

" गुड मार्निंग हो गयी...जीजा जी." अल्पी बोली.

" अरे तू ...बस ज़रा पास आ जा तो फिर से गुड नाइट हो जाएगी दिन दहाड़े." खुश होके वो बोले.

" अरे पहले आप ठीक से जाग तो जाइए. फिर देखिए..लेकिन लगता है आपका कुछ हिस्सा पहले से ही जगा है." पाजामा फाडते टेंट पॉल की ओर इशारा करके वो बोली.

" अरे भैया, तेरा सपना देख रहे थे...उसका असर है." गुड्डी ने भी बड़ी अदा से उधर देख के कहा.

" ठीक है. जो मेरे साथ सपने मे कर रहे थे ना वो तेरे साथ सच्ची मुच्चि मे करेंगें, देखना. लेकिन जीजू. मुझे एक बात की बड़ी शिकायत है, अपने मेरी गैर हाज़िरी मे मेरी सहेली पे ज़रा भी ध्यान नही दिया. जब कि मैं आपसे कह के गयी थी कि उसे भी आप साली ही मानें" अल्पी बोली.

" अरे तेरी सहेली हाथ ही नही रखने दे रही थी.." वो लालचाई नज़रों से गुड्डी को देख के बोले.

" मैने ऐसा तो कभी नही कहा था.. भैया. अदा से जोबन उभार के वो बोली.

" अरे कहाँ हाथ नही रखने दे रही थी..यहाँ..यहाँ.." और अल्पी ने उनका हाथ पकड़ के गुड्डी के उभारों पे ..जांघों के बीच लगवा दिया. जब वो ट्री ले के लौट रही थी तो अल्पी फिर वापस गयी,

" देखो जीजू. दीदी ने पहले ही आपको मेरी शर्त बताई थी ना कि आप मेरी सहेली के साथ भी तो उस समय तो आप ने खुद ही कहा था कि आप उस की चूत को चोद चोद के भोसडा बना देंगे और इतने दिन हो गये लेकिन..ये कहानी आप राजशर्मा स्टॉरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं तो आज देखिए अब सबसे पहले ये मेरी सहेली की चूत मे घुसेगा फिर उसे कुछ और मिलेगा." उन के पाजामे मे उठे, खुन्टे पे पहले किस फिर चूस के वो बोली.

" एकदम मंजूर, लेकिन थोड़ा सा तो ..अभी.." बेताब वो बोले.

हाथ छुड़ा के वो निकल गयी और दरवाजे से चूतड़ मटका के बड़ी अदा से बोली, " करती हू तुमसे वादा...पूरा होगा तेरा इरादा थोड़ा सा ठहरो.."
 
उन्हे पूरे दिन के लिए उपर कमरे मे वनवास दे दिया गया था .ये कहा गया था कि देर शाम को जब उन्हे बुलाया जाय तभी वो नीचे आ सकते है. और खाना पीना सब उन्हे उपर ही... उनकी सेवा मे ...पूरी तरह कपड़ों मे छुपी दोनों टीनएजर्स..पर उनकी बांकी नज़रों के तीर...खुल के मज़ाक..अदा से जोबन को उभारना थोड़ा दिखाना और फिर अपेच कर के छुपा लेना..बेचारे बेताब हो रहे थे, सुलग रहे थे और वो दोनों और कस के आग लगा रही थी. मैं सोच रही थी कि परसों रात को उनका उपवास रहा, कल की दावत को सोच के और वह भी अंजलि के साथ, स्वीमिंग पूल मे शुरुआत के बाद ..और फिर दुबारा जब उनको अचानक जाना पड़ा ..फिर कल खाने के समय गुड्डी ने,रात भर मैने और अब दोनों टीनएजर्स ..की खूबसूरत छेड़छाड़.क्या हालत हो रही होगी,बेचारे की. और नीचे किचन मे भी दोनो चालू थी. मामला यहाँ भी कम गरम नही था


रात की तैयारियाँ चल रही थी. जब मैने अल्पी को हंस के वो स्पेशल बैगन की पकौड़ी के बार मे बताया तो वो तो एकदम दुहरी हो गयी. गुड्डी को पकड़ के बोली आज चल गाजर का हलवा बनाते है..तेरे तरीके से..और उसने गुड्डी की चूत मे एक खूब मोटी गाजर पेल दी. और हलवा तो एक गाजर से बनता नही इसलिए ढेर सारी...पर गुड्डी भी कम नही थी. उसने कहा कि भैया को सलाद मे मूली अच्छी लगती है इसलिए उनकी साली की बुर मे और ..उसने एक खूब लंबी मोटी जौनपुरी मूली घुसेड दी अल्पी की बुर मे. हाँ, मैं ये देख रहे थी कि इन सब खेलों मे दोनो मे से कोई झाड़ ना जाए, क्यों कि वो तो मेरे सैंया के साथ होना था. 


उन्हे नोन वेज पसमद है तो ढेर सारी नोन वेज डिशेज़ और अल्पी तो पंजाबी नोन वेज मे माहिर थी. तंदूरी चिकेन, कोरमा..हादी चिकेन...और ढेर सारे कबाब.


शाम को उन दोनों ने मुझे भी उपर हक दिया था जिससे मुझे भी फाइनल प्रीपरेशन के बारे मे कुछ पता नही था . हाँ, उन दोनो ने कहा था कि जैसे ही वो बुलाए मैं उन्हे ले के आऊ और उन्हे फ्रेश पाजामा कुर्ता और अंदर...रात शुरू हुई ही थी कि नीचे से आवाज़ आ गयी. मुझे लग रहा था कि मैं सपना देख रही हू. इतने दिनों से जो मैं ख्वाब देख रही थी..जैसे वो ज़मीन पे उतर आया है, क्या सच कल्पना जैसे दोनों का अंतर धूमिल हो गया हौं दोनों को देख के तो मैं अपनी आँखो पे विश्वास ही नही कर पाई.


बार डाँसर की जो ड्रेस गुड्डी ने प्ले के लिए बनवाई थी, कसी, लो कट..उसी मे दोनो. और जम के गाढ़ा मेक अप, आँखों मे काजल, मास्कारा, फाल्स आई लैशेज़, गाढ़ी लाल लिपस्टिक और फिर ज्वेलरी...पाजेब, करधनि..

जैसे ही वो बैठे, लग रहा था अरेबियन नाइट्स का सीन हो. दोनों जाँघो पे आ के बैठ गयीं और जम ढालने लगी. कभी एक अपने नशीले हाथों से पिलाती तो कभी दूसरी अदा से गाल पे गाल रगड़ के चोली से छलकते हुए उभारों से जाम टकरा के, पिला रही थी. और वो भी एक हाथ से गुड्डी की चूंची दबा रहे थे और दूसरे से अल्पी की. मैने उन्हे चिढ़ा के कहा कि आज तो आपकी दावत हो गयी.


दोनों हाथों मे लड्डू है.एकदम, अधखूली चोली के उपर से गुड्डी के मादक निपल्स रोल करते वो बोले. हम चारो खुल के पी, पिला रहे थे. थोड़ी ही देर मे सब बहकने लगे..उन दोनों के आँचल धलक रहे थे, स्ट्रिंग, बैकलेस चोली से जोबन खुल के छलक रहे थे..और उन्होने भी गुड्डी और अल्पी को जम के इसरार कर के पिलाया. साथ मे तरह तरह के कबाब, टिक्के. थोड़ी ही देर मे एक बोतल खाली हो चुकी थी. और गुड्डी ने दूसरी बोतल भी खोल दी. छेड़छाड़ मे उन्होने दोनो की उपर की चुनरी हटा के फेंक दी तो वो भी क्यों छोड़ती. उन्होने भी उनकी स्ट्रिप्टी करा दी..वो सिर्फ़ बनियान और अपने सिल्कन बक्सर्र शर्ट मे रह गये.

खाना ख़तम होने के बाद गुड्डी ने उन्हे चाँदी की तश्तरी से जोड़ा पान निकाल के अपने होंठों मे ले के पेश किया. मैं मुस्काराए बिना नही रह सकी क्यों कि सिर्फ़ मुझे मालूम था कि उसमे क्या है..वो खास पलंग तोड़ पान था..जो मेरी सुहाग रात के दिन मेरी ननदों ने बेडरूम मे रखा था. और आज उसमे मैने उसके खास मसालों के साथ साथ इंपोर्टेड वियाग्रा का डबल डोज भी डाल दिया था.

जब गुड्डी ने पान दिया तो पान के साथ उन्होने उसके नाज़ुक होंठ भी गडप लिए और साथ साथ जीब उसके कोमल मूह मे ठेल दी. वो भी अब... अपने मूह मे उनकी जीब चूसने लगी. राजीव के हाथ कस कस के उसकी गोलाइयाँ नाप रहे थे. जब थोड़ी देर बाद उन्होने छोड़ा तो वो दोनों खड़ी हो गयी और मुज़रे की अदा मे झुक के सलाम कर ..नाच चालू हो गया. पीछे म्यूजिक सिस्ट्म पे धुन चालू थी.

पहले तो मुज़रे की अदा मे एक फिल्मी गाने पे और फिर तो मुज़रा रीमिक्स से लेके लैप डॅन्स तक सब कुछ...गुड्डी ने गाना शुरू किया...

चूड़ी टूटी मेरी कलाई मे सैयाँ के संग लड़ाई मे.

और झुक के अपनी क्लिवेज दिखा के नितंब मटका के, सैयाँ के संग किस तरह की लड़ाई हुई साफ पता चल रहा था. और वो दोनों इस तरह नैन मटक्का कर रही थी, कूल्हे मटका रही थी, अपनी चूंचिया उभार, उछाल रही थी, एक दूसरे को पकड़ के चूमा चाटि, फॉष इशारे कर रही थी कि कोई थर्ड ग्रेड रंडी भी मात खा जाए. और फिर दूसरा गाना अल्पी ने शुरू किया,

अरे, कली भौंरे पे मरने लगी है...

और राजीव को दिखा के उसे चूमने गाल काटने लगी. नाचते नाचते दोनों उनके पास आ गयीं और अल्पी ने गुड्डी को उनके बाँहों मे धकेल दिया. और अब उनकी बारी थी, चूमने और कचकाचके गाल काटने की. जब थोड़ी देर मे गुड्डी उनकी बाहों से आज़ाद हो के आई तो अल्पी ने एक मर्द का रूप धारण कर लिया था. गिरी हुई चुनरी की पगड़ी बना के. और फिर तो ..गुड्डी उसे देख के चालू हो गयी,
" लड़ाय लो, लड़ाय लो अंखिया हो लौन्डे राजा,
सास गयीं गंगा ससुर गये जमुना, सैया गये ननदी संग,
अरे लगाय लो छातियाँ , अरे दबाय दो छातियाँ हो लौन्डे राजा.
घर मे हूँ अकेली ना संग ना सहेली,
अरे दबाय दो, अरे लूट लो अरे चोद दो बुरिया हमार लौन्डे राजा."
 

जैसे गुड्डी ने कहा दबाय दो छातिया, अल्पी ने पीछे से पकड़ के, कस के उसके जोबन मसल दिए. और राजीव को दिखा के ललचा के थोड़ी चोली सरका के झलक भी दिखा दी. और फिर जब बड़ी अदा से अपनी कमर आगे पुश कर के गुड्डी ने बोला, चोद देओ. तो फिर अल्पी भी क्यों छोड़ती, उसने जोरदार धक्का दिया और उसका घाघरा उठा के, उसके भैय्या को भरत पुर का पूरा दर्शन करा दिया. दोनों ने एक बहोत पतली थॅग पहन रखी थी पर उससे क्या छिपता. और इतना ही नही, गुड्डी को पकड़ के उसकी टांगे अपनी कमर के सहारे कर के इस तरह चोदने का नज़ारा पेश किया कि कोई चुड़क्कड़ मर्द भी क्या करता. अगला गाना स्तन स्तवन का था,


"कैसे देखा उभरल बा ज़ुबना,
बहुते उथल बा दबाय दा सजना,
मीस मीस के एके पीसन कई देता,
रतिया भर दबाय के बिहन कई देता."


गुड्डी ने जिस तरह से अपना सीना उठा के जोबन दबाने का आह्वान किया और अल्पी ने भी पहले तो चोली के उपर से फिर थोड़ा सरका हटा के ..और फिर उसने गुड्डी की पीठ पर से उसकी चोली के बंद खोल दिए. अब तो उसके दोनों कबूतर आज़ाद थे. अल्पी ने वो चोली उठा के सीधे उनके उपर फेंक दी. गुड्डी ने अपने हाथो से छिपाने की कोशिस की पर अल्पी की ताक़त के आगे उसकी क्या चलती. अल्पी ने दोनों हाथों से पकड़ के उसे उभार के उन्हे दिखाया जैसे उन्हे पेश कर रही हो. और उन्हे दिखा, ललचा के हल्के हल्के मज़े से दबाना शुरू किया. 

पहली बार इस तरह खुल के वो गुड्डी के रस कलश देख रहे थे. उनके शर्ट मे तना कुतुब मीनार उनकी हालत बता रहा था. पर गुड्डी भी तो आख़िर अल्पी की ही सहेली थी. उसने बड़ी अदा से उसकी पीठ चूमते हुए, उसकी चोली के बाँध खोल दिए और उसे इस तरह फेंका कि वो सीधे उनके खुन्टे पे जा गिरा. और अब तो दोनों बिजली गिराती टीनएजर्स, जैसे अखाड़े मे कोई पहलवान लड़ते हों, एक दूसरी की चूंचियों से चूंचिया रगड़ते, सटा के..और थोड़ी ही देर मे दोनो उनके पास आ गयीं और वो उनको क्यों छोड़ती. उनको भी टॉपलेस कर दिया और अब वो भी सिर्फ़ बॉक्सर शर्ट मे थे. दोनो उरोज उनके उपर रगड़ रही थी. एक सीने पे तो दूसरा गालों पे. अल्पी ने तो आज हद ही कर दी थी.शर्ट के उपर से ही उनका खुन्टा अपने सीने के सहारे पकड़ के रगड़ने लगी. तब तक गुड्डी छिटक के अलग हो गयी और उसने अगला गाना शुरू कर दिया,( ये रतजगे की ट्रैनिंग का असर था)
 
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