hotaks444
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मेरी जीभ अब उनके गंद के छेद को चाट रही थी...कस कस के लप लप।
ओह्ह ...मजे से वो चूतड उचका रहे थे लेकिन फ़िर बोले,
यार लेकिन उसका छेद इत्ता कसा छोटा...टाईट...उफ्फ्फ़ ...
अरे राजा...तुम बुधू हो, कच्चे कसे छेद में जायेगा, तभी तो पर्परयेगी, चीखेगी चिल्लायेगी, लेकिन मेरी कसम अगर तुमने एक सूत भी बाहर छोडा तो.....तुम तो अपनी उस बहन कम माल के बारे में भी यही कह रहे थे याद है छे महीने भी नहीं हुया....बढ़ी सीधी है....भोली है....और मैंने क्या शर्त बंधी थी १० दिन के अन्दर ५ मर्दों से चुदवाने के बाद तुम्हारे सामने वो ख़ुद खड़ी होगी चूत फैला के ...और हुआ ना वही...और देखो....इसको भी मैं इत्ती चुदवासी बना दूंगीं...हर जीजा क्या चाहता है होली में मालूम है ना...
हाँ एक दम हंस के वो बोले,
छोटी छोटी चून्चीया हों बुर बिना बाल की,
छोड़ो राजा कस के साल्ली है कमाल की।
उनका लंड चूसना रोक के मई बोली....और उसकी तो छोटी छोटी झांटे भी आनी शुरू हो गयी हैं....हल्की हल्की भूरी भूरी....
सही कहती हो सोच के रुका नहीं जाता....
अच्छा अब सो जाओ....कल वो आयेगी ना बहन कम माल...गुड्डी....तो बस उसे उसी में झाड़ना...
बेचारे उसी तरह सो गए।
अगले दिन दोपहर में हम लोग गडे वाली गली गए....यानी गुड्डी के घर।
गुड्डी और अल्पी अभी आई थीं गाईड कैम्प से....उन्हें देख के वो चमक दोनों के चहरे पे आई जो किसी सुहागन के चहरे पे आती है....होली में बाहर से कमा के लौटने वाले पति को देख के....
एक दम चुदवासी लग रही थीं।
दोनों उनके पीछे पड़ गयीं ....पिकचर दिखलाने के...तय हुया की मैं ड्राईव कर के अल्पी को उस के घर छोड़ दूंगी और तीन से छ का टिकट ले आउंगी....और लौटते हुए अल्पी को पिक अप कर लूंगी।
ओह्ह ...मजे से वो चूतड उचका रहे थे लेकिन फ़िर बोले,
यार लेकिन उसका छेद इत्ता कसा छोटा...टाईट...उफ्फ्फ़ ...
अरे राजा...तुम बुधू हो, कच्चे कसे छेद में जायेगा, तभी तो पर्परयेगी, चीखेगी चिल्लायेगी, लेकिन मेरी कसम अगर तुमने एक सूत भी बाहर छोडा तो.....तुम तो अपनी उस बहन कम माल के बारे में भी यही कह रहे थे याद है छे महीने भी नहीं हुया....बढ़ी सीधी है....भोली है....और मैंने क्या शर्त बंधी थी १० दिन के अन्दर ५ मर्दों से चुदवाने के बाद तुम्हारे सामने वो ख़ुद खड़ी होगी चूत फैला के ...और हुआ ना वही...और देखो....इसको भी मैं इत्ती चुदवासी बना दूंगीं...हर जीजा क्या चाहता है होली में मालूम है ना...
हाँ एक दम हंस के वो बोले,
छोटी छोटी चून्चीया हों बुर बिना बाल की,
छोड़ो राजा कस के साल्ली है कमाल की।
उनका लंड चूसना रोक के मई बोली....और उसकी तो छोटी छोटी झांटे भी आनी शुरू हो गयी हैं....हल्की हल्की भूरी भूरी....
सही कहती हो सोच के रुका नहीं जाता....
अच्छा अब सो जाओ....कल वो आयेगी ना बहन कम माल...गुड्डी....तो बस उसे उसी में झाड़ना...
बेचारे उसी तरह सो गए।
अगले दिन दोपहर में हम लोग गडे वाली गली गए....यानी गुड्डी के घर।
गुड्डी और अल्पी अभी आई थीं गाईड कैम्प से....उन्हें देख के वो चमक दोनों के चहरे पे आई जो किसी सुहागन के चहरे पे आती है....होली में बाहर से कमा के लौटने वाले पति को देख के....
एक दम चुदवासी लग रही थीं।
दोनों उनके पीछे पड़ गयीं ....पिकचर दिखलाने के...तय हुया की मैं ड्राईव कर के अल्पी को उस के घर छोड़ दूंगी और तीन से छ का टिकट ले आउंगी....और लौटते हुए अल्पी को पिक अप कर लूंगी।