यह सुनकर चम्पा के गाल लाल हो गये। वो केवल मुस्कुराई और घर चली गई। वापसी में मनु रिक्शे पर चम्पा के बगल में बैठकर पूरे रास्ते बुर को सहलाता रहा और सेठ से चुदवाने के लिए मनाता रहा। दोनों घर आ गये। मनु सेठानी को चोदकर बहुत खुश था और उसने निश्चय किया की कल ही वो अपनी माँ को चोदेगा।
रात में खाना खाने के बाद अपने कमरे में आया तो देखा की उसकी बहन बिल्कुल नंगी बैठी है और चूत को मसल रही है। मनु ने ममता को बांहों में जकड़कर चूमा और चूची को दबाया। ममता ने फटाफट अपने भाई को भी नंगा कर दिया और बेड पर सीधा लिटा दिया। ममता भाई की जांघों के बीच घुटनों पर बैठ गयी और झुककर भाई के लण्ड को मुँह में ले लिया। एक हाथ से लण्ड को जड़ से पकड़ी थी और दूसरे हाथ से बाल्स को भी दबा रही थी।
मनु को बहुत अच्छा लग रहा था। ये पहला मौका था की किसी ने उसके लण्ड को मुँह में लिया था। मनु बहन के बालों को सहला रहा था और आह्ह… आह्ह… करके मजा ले रहा था।
ममता अपनी जीभ को पूरे लण्ड पर चला रही थी और कभी-कभी लण्ड को मुँह से निकालकर बल्स को चाटती थी और गाण्ड के छेद पर भी जीभ चलाती थी। इस तरह ममता खूब मजे से भाई के लण्ड का मजा ले रही थी। जीभ से सहला-सहलाकर गाण्ड का छेद खुल गया था। ममता ने भाई की गाण्ड में एक उंगली गाड़ दी और उंगली से भाई की गाण्ड मारने लगी।
फिर उसने गाण्ड पर थूका और दो उंगली घुसाकर गाण्ड मारने लगी। करीब 15 मिनट तक लण्ड को चूसने और गाण्ड मारने के बाद मनु के लण्ड ने पानी छोड़ दिया और जोश में अपनी बहन के सिर को लण्ड पर दबा दिया। ममता ने पूरा पानी गले के नीचे उतार लिया। लण्ड को जीभ से साफ करने के बाद उसने मुँह से लण्ड को निकाला और छपाक से दोनों उंगली को गाण्ड से बाहर निकाला।
मनु ने बहन को अपने सीने पर खींच लिया और पूछा- “कहाँ से ये सीखा… बहुत मजा आया बहना…”
ममता ने भाई को किस करते हुवे कहा की उसकी दोस्त सुधा ने सिखाया- “आज उसका बाप और नौकरानी रिंकू ऐसे ही प्यार कर रहे थे। अब तुम मेरी चूत चाटो…” ममता दोनों पाँव फैलाकर सीधा लेट गयी- “भैया मेरी चूत तुम्हारा इंतजार कर रही है…”
मनु ने जांघों के बीच बैठकर दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़कर चूत के क्लिट पर जीभ को ऊपर-नीचे किया।
ममता- “आहह… भैया… बहुत अच्छा…”
मनु अपनी उंगली और जीभ से बहन की चूत और गाण्ड को चाट रहा था। कभी-कभी दाँत से क्लिट को दबाकर खींचता था और ममता उछल पड़ती थी। चूत को चाटते-चाटते मनु दोनों हाथ आगे बढ़ाकर टाइट चूची को भी दबाने लगा। कभी उंगली से चूत की फांक को फैलाकर जीभ अंदर करता, तो कभी गाण्ड चूसने लगता था। करीब 10 मिनट चाटने के बाद उसने एक उंगली बहन की गाण्ड में घुसाया। गाण्ड गीली हो गयी थी और एक नहीं दो-दो उंगली आराम से गाण्ड के अंदर चली गयी।
ममता ने अपने हाथों से दोनों टांगों को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया था और चूतड़ उछाल-उछाल कर चूत चुसाई का मजा ले रही थी। मनु एक साथ चूची दबा रहा था, चूत चाट रहा था और बहन की गाण्ड में उंगली पेल रहा था। ममता खूब जोर-जोर से कमर उछाल रही थी और भाई से चुसाई का मजा ले रही थी। ममता की चूत ने पानी छोड़ दिया।
चूत से सफेद गाढ़ा रस बाहर आने लगा और मनु ने चूत फैलाकर सारा रस चाट लिया। मनु ने बहन की चूत चाटते हुए सोचा की कल दो और चूत, चम्पा और रेखा की भी इसी तरह चाटेगा। मनु से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसे लगा की झड़ जाएगा और फटाक से सीधा बैठकर लण्ड को बहन की चूत पर रखा। लण्ड से सफेद रस निकलकर चूत पर फैलने लगा। ममता ने रस को चूत पर फैलाया और हाथों में उठा-उठाकर रस को प्यार से चाटने लगी। दोनों थक चुके थे। एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गये।
अगले दिन मनु स्कूल नहीं गया। उसने सोच रखा था की आज माँ (चम्पा) को चोदना है। माँ ने बार-बार उसे स्कूल जाने के लिए कहा लेकिन मनु नहीं माना। मनु मौके का इंतेजार करता रहा। करीब 10:30 बजे चम्पा नहाने गयी। 15 मिनट के बाद बाहर आई एक ब्लैक पेटीकोट और सफेद ब्रा में। बालों को तौलिया से बाँध रखा था। मनु ने सोचा बस यही मौका है। जैसे ही चम्पा मनु के बगल से निकली, मनु ने दोनों हाथों से माँ के कंधों को दबाकर उसे दीवाल से सटा दिया और खूब जोर से चूमने लगा। फिर कंधों से हाथ हटाकर दोनों मस्त चूचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा।
मनु चम्पा को बहुत बेदर्दी से मसल रहा था। कल मनु ने रेखा की चूचियों को प्यार से सहलाया था और अभी माँ की चूची को आँटे की तरह मसल रहा था। 5 मिनट तक चूमने और मसलने के बाद मनु ने अपना मुँह माँ के होंठों पर से हटाया और कहा- “तुम बहुत ही रसीली हो। तुम्हारे होंठ बहुत टेस्टी हैं…”
चम्पा ने अपनी चूची सहलाते हुए कहा- “तुम तो मुझे मार ही डालोगे। ऐसे कोई मसलता है, प्यार से सहलाओ और मजा लो…” कहते हुए चम्पा ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया। चूचियों को ब्रा से बाहर निकाला और कहा- “अब मजा लो, प्यार से…”
मनु ने थोड़ी देर तक दोनों नंगी चूचियों को मसलकर मजा लिया। कभी चूची को नीचे से उठाकर दबोचता था, तो कभी घुंडियों को मसलता था। थोड़ा मसलने के बाद ही निपल कड़े हो गये और लंबे भी, ½ इंच से बड़े निपल्स के चारों ओर एक ब्राउन कलर का घेरा करीब एक इंच की गोलाई में फैला था। चूची और भी टाइट हो गयी। मनु ने एक निपल को मुँह में लेकर चुभलाना चालू किया और दूसरी चूची को मसलता रहा। बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूसा और एक हाथ को नीचे नाभि पर लाया। पेट को सहलाते-सहलाते नाभि के छेद पर उंगली गोल-गोल घुमाया और हाथ नीचे बढ़ाया।
पेटीकोट का नाड़ा हाथ में आया और झटके से नाड़ा खींच दिया। नाड़ा खुलते ही पेटीकोट जमीन पर गिर पड़ा। मनु का हाथ उसकी बुर पर था। बुर पर हल्के-हल्के बाल थे। मनु उंगली से बुर के होंठों को मीजने लगा। माँ का बदन तन गया। चम्पा की बुर का मजा लेते लेते मनु ने अपना पायजामा खोलकर नीचे गिरा दिया। लण्ड पूरा तना हुआ था और चम्पा की बुर पर खटखटाने लगा। चूमना और सहलाना छोड़कर दोनों हाथों से चम्पा के दोनों उभरे हुये चूतरों को जकड़कर लण्ड को बुर में जोर से दबाया। फिर उसी पोज में उसे बेतहासा चूमने लगा।
चम्पा आँखें बंद करके चुपचाप खड़ी थी, शायद उसे शरम आ रही थी। कुछ देर के बाद चम्पा दीवाल से सटकर नीचे फिसलने लगी और अपने को फर्श पर सीधा लिटा लिया।
मनु उसके ऊपर छा गया। मनु चम्पा को बेतहाशा चूम रहा था, होंठों को, गालों को काट रहा था और चूचियों को मसल रहा था।
चम्पा ने महसूस किया की मनु का लण्ड पूरा तन गया है। चम्पा ने सोचा की अगर जल्दी नहीं चुदवाएगी तो उस दिन जैसा मनु का लण्ड फिर पानी छोड़ देगा। यह सोचकर चम्पा ने हाथ बढ़ाकर लण्ड को पकड़ा और बुर के मुहाने पर रखा और नीचे से गाण्ड को उछाला। पूरा लण्ड बुर के अंदर चला गया। उसकी बुर भी चुदवाने को बेताब थी और मनु का लण्ड चोदने को। मनु चम्पा को जोर-जोर से चोदने लगा।
लेकिन जमीन पर घुटनों में चोट लग रही थी। वह जोर-जोर से धक्का नहीं मार पा रहा था।
चम्पा को भी चूतड़ उछलने से चोट लग रही थी।- “चलो बेटे, बेड पर चुदाई करेंगे…”
दोनों अलग हो गये। तुरंत चम्पा बेड पर सीधा हो गयी। लेकिन मनु ने लण्ड अंदर नहीं घुसाया। उसने चम्पा की टांगों को पूरा फैला दिया और पूरी बुर को मुँह में भरकर चूसने लगा। बुर को चूसते-चूसते क्लिट को काट लेता था और चम्पा उछल पड़ती थी। अभी तक चम्पा ने 8 लण्ड का मजा लिया था लेकिन कभी किसी मर्द ने उसकी बुर को चूमा या चाटा नहीं था। सिर्फ़ उसकी एक नौकरानी और माँ ने कभी-कभी बुर को चूमा चाटा था लेकिन ऐसा मजा कभी नहीं आया था।
मनु पूरी जीभ बुर में डालकर बुर का स्वाद ले रहा था और दो उंगली गाण्ड में घुसाकर मजा ले रहा था। पिछली रात बहन ने चूत को चटवाकर मजा लेना सिखाया था और मनु माँ की बुर को चूस-चूसकर मजा ले रहा था। उंगली करते करते गाण्ड बिल्कुल गीली हो गयी थी और मनु को लगा की गाण्ड में लण्ड भी घुस जाएगा लेकिन पहले वो बुर का पूरा मजा लेना चाहता था। उसने एक बार फिर पूरी बुर को चूसा और आगे बढ़कर माँ के होंठों को चूमने लगा और एक हाथ से लण्ड को बुर में डालकर चोदने लगा। जोर-जोर से धक्का मारने लगा। हर धक्के के साथ चम्पा की आह्ह निकल जाती थी।
चम्पा- “कैसा लग है बेटे, माँ को चोदने में…”
मनु- “आह्ह माँ बहुत अच्छा लग रहा है। रोज चुदवाओगी?”
चम्पा- “मैं हमेशा लण्ड लेने को तैयार हूँ। बहुत साल पहले एक साथ 5-5 आदमियों से चुदवाई थी उस दिन भी इतना मजा नहीं आया था। धीरे-धीरे चोदो…”
मनु चुदाई करता रहा। कभी रुक कर चूची को मसलने लगता था।
चम्पा चीख उठती थी- “मादरचोद, रुकता क्यों है? गाण्ड में दम नहीं है तो चोदना शुरू क्यों किया?”
और मनु जोर-जोर से धक्का मरने लगा और पूछता- “विनोद का लण्ड खाओगी?”
चम्पा- “हाँ… बेटा, विनोद से चुदवाऊँगी…”
मनु- “सेठ का लण्ड बुर में लोगी?”
चम्पा- “हाँ… सेठ से भी चुदवाऊँगी…”
मनु- “सेठानी के सामने सेठ का लण्ड चूसोगी?”
चम्पा- “हाँ… चूसूँगी…”
मनु- “अपनी बेटी के सामने मेरा लण्ड बुर और गाण्ड में लोगी?”
चम्पा- “हाँ… लूँगी…”
मनु- “मेरे और दोस्तों से भी चुदवाओगी?”
चम्पा- “हाँ… सबसे चुदवाऊँगी…”
मनु- “साली, रंडी बनोगी?”
चम्पा- “हाँ… मैं रंडी हूँ… हाँ…”
दोनों गंदी-गंदी बातें करते-करते चुदाई कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को कसकर जकड़ लिया और मनु ने माँ की बुर में पानी छोड़ दिया। चम्पा उसे चूमने लगी और तब तक चूमती रही जब तक दोनों बिल्कुल ठंडे ना हो गये। मनु बेड से उतरकर खड़ा हो गया और घूर-घूर कर प्यार से चम्पा के बदन को देखने लगा।
मनु- “आखिर क्या है चम्पा में की सभी मर्द उसकी जवानी से खेलना चाहते हैं…” मनु ने अबतक चम्पा के अलावा अपनी बहन ममता और रेखा को ही ध्यान से देखा था।
कल सेठानी को जोश में आकर चोद लिया लेकिन आज जो मजा माँ को चोदने में आया वैसा कल नहीं आया था। सेठानी थोड़ी मोटी थी और कोई सुंदर भी नहीं थी।
लेकिन चम्पा का एक-एक अंग छील-छील कर बनाया गया था, करीब 5’5” लंबी, घने काले और लंबे बाल, आलमोस्ट गोल चेहरा, बहुत गोरा नहीं लेकिन बहुत आकर्षक रंग, बड़ी और चमकीली आँखें, गालों में बड़े-बड़े गड्ढे, आकर्षक होंठ, ऊपरी होंठ पतले जब की निचले होंठ मोटे और कूबसूरत कताव, जब वो हँसती थी तो उसके सफेद चमकदार दाँत दिखाई देते थे। उसकी आँखों और चेहरे पर हमेशा मुशकुराहट रहती थी। मनु की नजर उसकी लंबी गर्दन और चौड़े कंधों के नीचे फिसली, उसकी बांहें मोटी नहीं लेकिन मांसल थीं बिना मोटापा के, कुहनी तक शंकु के आकार में। उसकी चूचियां पूरी गोल, कसी और रसीली थीं, जिसका मज़ा वो ले चुका था। अब निपल्स सामान्य आकार में थे, आधा इंच लंबे और मोटे।
मनु अपनी कुँवारी बहन, सेठानी और अपनी प्रेमिका रेखा कि चूचियां मसल चुका था। हालांकी ममता और रेखा की चूचियां कसी थीं, जब की चम्पा की चूची स्पंजी थी। ये अपने भार के कारण थोड़ा लटक गईं थीं।
चम्पा मुश्कुराई और मनु से पूछा- “अब तो चोद लिया, फिर क्या देख रहा है?” उसने अँगड़ाई ली- “फिर चोदना है तो चढ़ जाओ। मेरी बुर तैयार है…”
मनु- “मैं देख रहा हूँ की आखिर तुममें क्या है की सभी तुम्हें चोदना चाहते हैं…”
चम्पा ने बेटे का लण्ड हाथ में लिया और मसलने लगी- “बहुत मस्त लण्ड है। बाप के लण्ड से करीब दो इंच लंबा और मोटा भी, सुपाड़ा भी बहुत मस्त है। लेकिन तेरे बाप का सुपाड़ा इससे भी बड़ा है। जब उसने पहली बार मेरी बुर में सुपाड़ा पेला था तो लगा की मैं मर जाऊँगी जबकि मेरी चूत को उससे पहले 5-5 लोगों ने चोद डाला था…” वो मनु के सुपाड़े को चुभलाने लगी।
मनु ने कई बार माँ की पहली चुदाई और उन 5 लण्डों के बारे में पूछा लेकिन वो बस सुपाड़ा चूसती रही। मनु शहर की सबसे आकर्षक और मशहूर महिला को चोदकर बहुत खुश था, सौभाग्य से वो उसकी माँ थी। उसने चम्पा की पहली चुदाई का आनंद लिया। उसको पिछली शाम सेठानी (रेखा की मां) की चुदाई से भी ज्यादा आनंद आया।
अब मनु रेखा की चूत में अपना लण्ड पेलना चाहता था।
मनु से छूटने के बाद चम्पा ने खाना पकाने से पहले कुछ समय के लिए विश्राम किया। लंच के बाद उसने फिर से खुद को अपने बेटे को पेश किया और इस बार बेटे के पूरे शरीर पर अपने फूले स्तन को रगड़ा- “बेटा, तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया है। शादी के बाद मैंने सोचा था, मैं किसी और को मुझे चोदने की अनुमति नहीं दूँगी, लेकिन तुमने मेरे चरित्र को खराब कर दिया। तुमने मुझे इतनी मस्ती दे दिया है की मेरी बुर अब अधिक से अधिक लण्ड चाहती है। बोलो अब किससे पहले चुदवाना है। उस मादरचोद विनोद से या तेरी रानी रेखा के बाप से…”
उसने मनु के खड़े लण्ड को सहलाया और कहा- “तुम केवल देखो कि मैं कैसे तुम्हारे सेठजी और गांव के अन्य अमीर लोगों से कैसे लूटने जा रही हूँ…” उसने लण्ड को निगला और चूसा। कुछ समय बाद उसने मनु से जोर से चोदने के लिए कहा। मनु ने चम्पा को चोदकर संतुष्ट कर दिया और उसके बाद दोनों सो गये।