hotaks444
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सही समय कब आएगा ये उस वक्त मुझे नहीं मालूम था। पर शायद समय मेरे लिए बलवान था। उसी दिन ऐसा मौका आया की मै मेरे दामाद की बाहोमे नंगी थी और वो मेरे दीवानगी का मीठा फल मुझे दे रहा था।
रविसे फ्री होकर मै बेडरूमसे बाहर भाग आई। मेरी बेटीका नहाना अभी पूरा नहीं हुआ था। मैंने भगवानका शुक्र माना और रसोइमे नाश्तेकी तय्यारीमें जुट गई। उतनेमे नेहा नहाके आई। वो भगवानकी पूजा करने लगी। मै उससे बात करके नहाने चली तो उसने डॉक्टरसे चेक-अपके बारेमें बात की। मैंने उसे डॉक्टरसे फोनपे समय लेनेको कहा और नहाने चली।
बाथरूममें मुझे एकांत मिला। नंगी होकर मैंने अपने बदनको सामनेवाले शिशेमे देखा। मेरा फिगर काबिले-तारीफ है ये मुझे पता था। मगर मुझसे दस-बारा साल छोटा मेरा दामादभी इसके लिए पागल हो जाये ऐसा क्या है ये मै देख रही थी। सामनेसे देखनेपर मेरे वक्ष बहोत आगे आये हुए लगते है। मेरे चुचिके अंगूर बहोत बड़े है। दोनों अंगूर करीब एक इंच बड़े और आगे आये हुए है।इससे मेरी चूची एकदम नुकीली लगती है। निशाकोभी यही काफी पसंद थे। वो हमेशा अपने दो उन्गलिसे उसे मरोड़ती थी। शर्माजीतो उसे इतना चूसते थे की पूछो मत। मैंने भी अपने दो उन्गलिमे उसे पकडके मरोड़ा। मेरे बदनमें अजीबसी हलचल हुई। फिर मैंने खुदको आइनेमें एक साइड से देखा। मेरा सही आकर्षण तो यही था। मेरे चुतड आड़े फैलनेसे ज्यादा पिछेकी ओर बड़े थे। साइड से देखनेवाला ऊपर आगे आई हुई मेरे वक्ष और पीछे आये हुए मेरे नितंब , इन दोनों से खुद को कंट्रोल करना मुश्किल समझता।मेरा चेहरा इतना खास नहीं था पर मेरे वक्ष और नितंब मेरे चेहरेको बहोत आकर्षक बनाते थे। फिर मैंने अपनी नजर मेरे जान्घोके बीच डाली। मेरी चूत हमेशा साफ़ रहती है। चुतके बाल मै रेगुलर साफ़ करती हु। आज भी मैंने मेरे चूतपे ऊँगली फिराई। मुझे लगा के आज चूत साफ़ करनी जरुरी है। इसलिए मैंने क्रीम लगाके उसे बिलकुल चिकना बनाया। मेरे जेहनमें कही तो ये बात होगी की अबकी बार मै उसे अपने दामाद केलिए तैयार कर रही हु। इसीलिए मै बहोत दिलसे साफ़ कर रही थी। चूत के साफ़ होतेही सुबह का खेल याद आया। मेरी उंगलीसे मै चुतमे अन्दर-बाहर कर रही थी। थोडा समय मै रविको सपनेमें लेकर हस्त-मैथुन कर रही थी तो नेहा ने आवाज लगाई। मै तुरंत नहाके बाहर आई। नेहा पूजा निपटके डॉक्टरसे बात करके मेरी राह देख रही थी। नेहा ने कहा की डॉक्टरने ग्यारह बजे का समय दिया है। साडेनौ तो बज चुके थे। मैंने तुरंत नाश्ता तैयार किया। नेहाने रवि को उठाके सीधे नाश्तेके टेबलपे लाया।हम तीनोने नाश्ता किया।
रवीको कुछ सामान खरीदना था। मुझे भी ताजी सब्जी और कुछ घरका जरुरी सामान लेना था। हमने मिलके तय किया के रवि नहा-धोके सीधे बाजार आएगा और तब तक हम चेक-अप करके बाजार पहुचेंगे। इसलिए मै और नेहा ऑटोसे डॉक्टरके पास गए। रवि मेरी स्कूटी लेकर बादमें बाजार आनेवाला था।
रविसे फ्री होकर मै बेडरूमसे बाहर भाग आई। मेरी बेटीका नहाना अभी पूरा नहीं हुआ था। मैंने भगवानका शुक्र माना और रसोइमे नाश्तेकी तय्यारीमें जुट गई। उतनेमे नेहा नहाके आई। वो भगवानकी पूजा करने लगी। मै उससे बात करके नहाने चली तो उसने डॉक्टरसे चेक-अपके बारेमें बात की। मैंने उसे डॉक्टरसे फोनपे समय लेनेको कहा और नहाने चली।
बाथरूममें मुझे एकांत मिला। नंगी होकर मैंने अपने बदनको सामनेवाले शिशेमे देखा। मेरा फिगर काबिले-तारीफ है ये मुझे पता था। मगर मुझसे दस-बारा साल छोटा मेरा दामादभी इसके लिए पागल हो जाये ऐसा क्या है ये मै देख रही थी। सामनेसे देखनेपर मेरे वक्ष बहोत आगे आये हुए लगते है। मेरे चुचिके अंगूर बहोत बड़े है। दोनों अंगूर करीब एक इंच बड़े और आगे आये हुए है।इससे मेरी चूची एकदम नुकीली लगती है। निशाकोभी यही काफी पसंद थे। वो हमेशा अपने दो उन्गलिसे उसे मरोड़ती थी। शर्माजीतो उसे इतना चूसते थे की पूछो मत। मैंने भी अपने दो उन्गलिमे उसे पकडके मरोड़ा। मेरे बदनमें अजीबसी हलचल हुई। फिर मैंने खुदको आइनेमें एक साइड से देखा। मेरा सही आकर्षण तो यही था। मेरे चुतड आड़े फैलनेसे ज्यादा पिछेकी ओर बड़े थे। साइड से देखनेवाला ऊपर आगे आई हुई मेरे वक्ष और पीछे आये हुए मेरे नितंब , इन दोनों से खुद को कंट्रोल करना मुश्किल समझता।मेरा चेहरा इतना खास नहीं था पर मेरे वक्ष और नितंब मेरे चेहरेको बहोत आकर्षक बनाते थे। फिर मैंने अपनी नजर मेरे जान्घोके बीच डाली। मेरी चूत हमेशा साफ़ रहती है। चुतके बाल मै रेगुलर साफ़ करती हु। आज भी मैंने मेरे चूतपे ऊँगली फिराई। मुझे लगा के आज चूत साफ़ करनी जरुरी है। इसलिए मैंने क्रीम लगाके उसे बिलकुल चिकना बनाया। मेरे जेहनमें कही तो ये बात होगी की अबकी बार मै उसे अपने दामाद केलिए तैयार कर रही हु। इसीलिए मै बहोत दिलसे साफ़ कर रही थी। चूत के साफ़ होतेही सुबह का खेल याद आया। मेरी उंगलीसे मै चुतमे अन्दर-बाहर कर रही थी। थोडा समय मै रविको सपनेमें लेकर हस्त-मैथुन कर रही थी तो नेहा ने आवाज लगाई। मै तुरंत नहाके बाहर आई। नेहा पूजा निपटके डॉक्टरसे बात करके मेरी राह देख रही थी। नेहा ने कहा की डॉक्टरने ग्यारह बजे का समय दिया है। साडेनौ तो बज चुके थे। मैंने तुरंत नाश्ता तैयार किया। नेहाने रवि को उठाके सीधे नाश्तेके टेबलपे लाया।हम तीनोने नाश्ता किया।
रवीको कुछ सामान खरीदना था। मुझे भी ताजी सब्जी और कुछ घरका जरुरी सामान लेना था। हमने मिलके तय किया के रवि नहा-धोके सीधे बाजार आएगा और तब तक हम चेक-अप करके बाजार पहुचेंगे। इसलिए मै और नेहा ऑटोसे डॉक्टरके पास गए। रवि मेरी स्कूटी लेकर बादमें बाजार आनेवाला था।