desiaks
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- Aug 28, 2015
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हैलो दोस्तो, मैं चन्दन अपनी आगे की कहानी लेकर फिर से हाजिर हूँ।
सबसे पहले सभी पाठकों का धन्यवाद जिन्होंने मेरी कहानी को सराहा।
मेरी कहानी ‘जुरमाना क्या दोगे’ को आप लोगों ने बहुत प्यार दिया।
मुझे बहुत मेल आए और सबने आगे की कहानी की पूछी।
तो दोस्तो, मैं अपनी और रूचि की कहानी बारे में आगे बताता हूँ।
हम लोग पूरे मज़े से चुदाई कर रहे थे.. जब भी मौका मिलता.. हम दोनों चुदाई कर लेते.. कभी दिन में तो कभी रात में…
फिर मैं अपनी छुट्टियों में अपने मामा जी के घर कुछ दिन रहने के लिए गया।
मुझे देख सब खुश थे, पर मुझे तो रूचि की याद आ रही थी।
मामा जी का घर बहुत बड़ा है और उन्होंने एक बगीचा भी बना रखा है।
मामा जी की एक लड़की है जिसका नाम निशा है..
वो बहुत सुन्दर और ग़दर माल है।
उसके लिए पहले तो मेरे मन में कुछ गलत नहीं था..
पर एक दिन मैं रूचि से ‘फ़ोन-सेक्स’ कर रहा था तभी मुझे लगा कि मेरे पीछे कोई है..
मैंने मुड़ कर देखा तो वहाँ निशा खड़ी थी।
मेरे तो होश उड़ गए.. मैंने फ़ोन बंद किया और दूसरे कमरे में आ गया।
मैं सोच रहा था कि आज तो मार पड़ेगी.. फिर निशा मेरे कमरे में आई और कहने लगी- किस से बातें कर रहे थे?
मैंने उससे बोल दिया- किसी से नहीं…
उसने मुझे आँखें दिखाते हुए बोला- मैंने सब सुन लिया है…
मैंने उससे मेरे और निशा के बारे में सब बता दिया तो उसने कुछ नहीं कहा और उठ कर जाने लगी, तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर उससे किसी से न कहने का ‘प्रॉमिस’ लिया।
उसने कहा- ऐसी बातें किसी से नहीं कहते.. डोंट वरी.. मैं किसी से नहीं कहूँगी।
फिर मेरी जान में जान आई।
इस वाकिये के बाद.. उसके साथ मेरा जाना-अनजाना एक रिश्ता सा बन गया था।
एक दिन मैं और निशा पेड़ से बेर तोड़ रहे थे।
निशा ने एक ढीली सी टी-शर्ट पहनी हुई थी और वो स्टूल के ऊपर खड़ी हुई थी और मैं नीचे खड़ा था।
मैं नीचे से उसे बेर दिखाता और वो बेर तोड़ लेती।
तभी मेरी नज़र निशा की टी-शर्ट के अन्दर गई.. क्योंकि वो बहुत ढीली थी और नीचे से खुली हुई थी.. जिससे नीचे से उसके मम्मे साफ़ दिख रहे थे।
उसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी..
उसके बड़े-बड़े उछलते हुए आम देख कर मेरा बुरा हाल होने लगा था।
मेरा लंड फटने को होने लगा.. फिर मैंने हिम्मत करते हुए उसकी टी-शर्ट में नीचे से हाथ डाल दिया..
तो उसे एकदम झटका लगा और वो गुस्से में नीचे उतरी और मेरे गाल पर एक थप्पड़ मार दिया और भुनभुनाते हुए अन्दर चली गई।
फिर सारा दिन मेरी उसे बुलाने की हिम्मत नहीं हुई।
चूंकि रात में हम दोनों एक साथ सोते थे तो उस समय मैंने उससे ‘सॉरी’ बोला.. वो बिना कुछ बोले आँखें बंद करके लेट गई।
मैं भी लेट गया फिर कुछ देर बाद निशा बोल पड़ी- मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
मैंने उससे कहा- बहुत सुन्दर…
उसने पूछा- तुम्हें मेरे अन्दर सबसे सुन्दर क्या लगता है?
तो मैंने उससे कहा- तेरे होंठ।
वो एकदम से उठी और मेरे गाल पर एक और थप्पड़ मार दिया और बोली- कुत्ते होंठ अच्छे लगते हैं तो मम्मे क्यों दबा रहा था?
मैंने उससे पकड़ लिया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसे चुम्बन करने लगा।
पहले उसने छूटने की कोशिश की.. पर मैं उसे चुम्बन करता रहा।
फिर वो मेरा साथ देने लगी.. मैं उसके मम्मे दबा रहा था और उसे चुम्बन कर रहा था.. कभी उसके होंठों पर कभी उसके गाल पर… तो कभी उसकी गर्दन पर।
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट भी उतार दी और उसके मम्मे मेरे सामने उछल पड़े थे।
मैं उन्हें चूसने लगा..
वो बोल पड़ी- चन्दन यह सही नहीं है…
मैंने उससे कहा- चुप हो जाओ, आज मैं तुम्हारे बेर तोड़ कर ही रहूँगा…
उसे भी मज़ा आ रहा था और वो भी सिसकारियाँ ले रही थी।
मैंने उसका पजामा भी उतार दिया.. अब वो सिर्फ पैन्टी में थी।
मैं उसकी जाँघों पर चुम्बन करने लगा..
फिर मैंने अपनी टी-शर्ट और पजामा भी उतार दिया और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर चुम्बन करने लगा।
उसकी पैन्टी पूरी गीली हो गई थी।
वो बहुत मादक आवाजें निकाल रही थी.. जिससे मुझे भी जोश आ रहा था।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी और उसकी चूत को चूसने लगा।
वो सिसकारियाँ ले रही थी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी।
कुछ देर चूसने के बाद उसके बदन में करंट सा दौड़ गया और वो झड़ने लगी।
मैं उसका सारा पानी पी गया।
फिर मैंने उसके मुँह के पास अपना लण्ड किया तो उसने चूसने से मना कर दिया।
मैंने उससे कहा- चूसना मत.. एक पप्पी तो कर दो।
तो वो मान गई.. जैसे ही वो चुम्बन करने लगी.. मैं झटके से लंड उसके मुँह में घुसा दिया।
वो कुछ नहीं बोली बस ‘ऊँ.. ऊँ’ की आवाजें निकालने लगी।
मैं उससे बोला- डार्लिंग चूसो.. मज़ा आएगा।
फिर वो चूसने लगी.. मैं उसके मम्मे दबा रहा था और वो फिर से गरम हो गई।
उसने अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
मैंने उसके मुँह से लंड निकाल लिया और उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चूत के ऊपर लंड को घिसने लगा।
वो बोली- कुत्ते अन्दर डाल.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने जैसे ही लंड का टोपा उसकी चूत में घुसाया..
वो बोली- धीरे चोद.. मेरा पहली बार है।
मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रखा और एक शॉट मार दिया।
उसके मुँह से घुटी सी चीख निकल गई.. जो मेरे मुँह में दब कर रह गई।
उसकी आँखों से आंसू निकल आए थे।
मैंने उससे कहा- डार्लिंग बस थोड़ी देर और.. फिर तो मज़े ही मज़े हैं।
पर वो बोली- मुझे नहीं करना बाहर निकालो इसे…
मैं अब कहाँ सुनने वाला था.. मैंने उसके मुँह पर मुँह रखा और एक शॉट मार दिया..
लंड अब पूरा अन्दर जा चुका था और मैं उसके खून के चिपचपेपन को महसूस कर सकता था।
निशा रोने लगी..
मैं उसे चुम्बन करने लगा और उसके मम्मे दबाने लगा।
मैं उससे समझाने लगा- अब दर्द नहीं होगा.. अब बस मजा शुरू होने वाला है।
कुछ देर बाद निशा नीचे से चूत हिलाने लगी.. मैं समझ गया कि इसका दर्द कम हो गया है।
फिर मैं भी उसे चोदने लगा..
थोड़ी देर बाद निशा झड़ गई, पर मेरा अभी बाकी था।
मैं उससे चोदता रहा.. कुछ देर बाद मैं और निशा एक साथ झड़ गए।
फिर हम चुम्बन करने लगे.. बाद में जब हमने चादर देखी.. तो खून के दाग उस पर आ गए थे।
निशा उठने लगी.. तो उसे दर्द हो रहा था।
फिर मैंने उसे उठाया और टॉयलेट में ले गया।
फिर मैंने चादर भी टॉयलेट में जाकर धो दी। निशा को वापिस ला कर उसे एक दर्द-निवारक गोली दी और उससे कपड़े पहनाए।
चुम्बन करके फिर हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में सो गए। उसके बाद जब तक वहाँ रहा.. निशा और मैंने रोज़ चुदाई की।
उम्मीद है आप लोगों को मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी ईमेल जरूर कीजिएगा।
आपका अपना चन्दन।
सबसे पहले सभी पाठकों का धन्यवाद जिन्होंने मेरी कहानी को सराहा।
मेरी कहानी ‘जुरमाना क्या दोगे’ को आप लोगों ने बहुत प्यार दिया।
मुझे बहुत मेल आए और सबने आगे की कहानी की पूछी।
तो दोस्तो, मैं अपनी और रूचि की कहानी बारे में आगे बताता हूँ।
हम लोग पूरे मज़े से चुदाई कर रहे थे.. जब भी मौका मिलता.. हम दोनों चुदाई कर लेते.. कभी दिन में तो कभी रात में…
फिर मैं अपनी छुट्टियों में अपने मामा जी के घर कुछ दिन रहने के लिए गया।
मुझे देख सब खुश थे, पर मुझे तो रूचि की याद आ रही थी।
मामा जी का घर बहुत बड़ा है और उन्होंने एक बगीचा भी बना रखा है।
मामा जी की एक लड़की है जिसका नाम निशा है..
वो बहुत सुन्दर और ग़दर माल है।
उसके लिए पहले तो मेरे मन में कुछ गलत नहीं था..
पर एक दिन मैं रूचि से ‘फ़ोन-सेक्स’ कर रहा था तभी मुझे लगा कि मेरे पीछे कोई है..
मैंने मुड़ कर देखा तो वहाँ निशा खड़ी थी।
मेरे तो होश उड़ गए.. मैंने फ़ोन बंद किया और दूसरे कमरे में आ गया।
मैं सोच रहा था कि आज तो मार पड़ेगी.. फिर निशा मेरे कमरे में आई और कहने लगी- किस से बातें कर रहे थे?
मैंने उससे बोल दिया- किसी से नहीं…
उसने मुझे आँखें दिखाते हुए बोला- मैंने सब सुन लिया है…
मैंने उससे मेरे और निशा के बारे में सब बता दिया तो उसने कुछ नहीं कहा और उठ कर जाने लगी, तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर उससे किसी से न कहने का ‘प्रॉमिस’ लिया।
उसने कहा- ऐसी बातें किसी से नहीं कहते.. डोंट वरी.. मैं किसी से नहीं कहूँगी।
फिर मेरी जान में जान आई।
इस वाकिये के बाद.. उसके साथ मेरा जाना-अनजाना एक रिश्ता सा बन गया था।
एक दिन मैं और निशा पेड़ से बेर तोड़ रहे थे।
निशा ने एक ढीली सी टी-शर्ट पहनी हुई थी और वो स्टूल के ऊपर खड़ी हुई थी और मैं नीचे खड़ा था।
मैं नीचे से उसे बेर दिखाता और वो बेर तोड़ लेती।
तभी मेरी नज़र निशा की टी-शर्ट के अन्दर गई.. क्योंकि वो बहुत ढीली थी और नीचे से खुली हुई थी.. जिससे नीचे से उसके मम्मे साफ़ दिख रहे थे।
उसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी..
उसके बड़े-बड़े उछलते हुए आम देख कर मेरा बुरा हाल होने लगा था।
मेरा लंड फटने को होने लगा.. फिर मैंने हिम्मत करते हुए उसकी टी-शर्ट में नीचे से हाथ डाल दिया..
तो उसे एकदम झटका लगा और वो गुस्से में नीचे उतरी और मेरे गाल पर एक थप्पड़ मार दिया और भुनभुनाते हुए अन्दर चली गई।
फिर सारा दिन मेरी उसे बुलाने की हिम्मत नहीं हुई।
चूंकि रात में हम दोनों एक साथ सोते थे तो उस समय मैंने उससे ‘सॉरी’ बोला.. वो बिना कुछ बोले आँखें बंद करके लेट गई।
मैं भी लेट गया फिर कुछ देर बाद निशा बोल पड़ी- मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
मैंने उससे कहा- बहुत सुन्दर…
उसने पूछा- तुम्हें मेरे अन्दर सबसे सुन्दर क्या लगता है?
तो मैंने उससे कहा- तेरे होंठ।
वो एकदम से उठी और मेरे गाल पर एक और थप्पड़ मार दिया और बोली- कुत्ते होंठ अच्छे लगते हैं तो मम्मे क्यों दबा रहा था?
मैंने उससे पकड़ लिया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसे चुम्बन करने लगा।
पहले उसने छूटने की कोशिश की.. पर मैं उसे चुम्बन करता रहा।
फिर वो मेरा साथ देने लगी.. मैं उसके मम्मे दबा रहा था और उसे चुम्बन कर रहा था.. कभी उसके होंठों पर कभी उसके गाल पर… तो कभी उसकी गर्दन पर।
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट भी उतार दी और उसके मम्मे मेरे सामने उछल पड़े थे।
मैं उन्हें चूसने लगा..
वो बोल पड़ी- चन्दन यह सही नहीं है…
मैंने उससे कहा- चुप हो जाओ, आज मैं तुम्हारे बेर तोड़ कर ही रहूँगा…
उसे भी मज़ा आ रहा था और वो भी सिसकारियाँ ले रही थी।
मैंने उसका पजामा भी उतार दिया.. अब वो सिर्फ पैन्टी में थी।
मैं उसकी जाँघों पर चुम्बन करने लगा..
फिर मैंने अपनी टी-शर्ट और पजामा भी उतार दिया और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर चुम्बन करने लगा।
उसकी पैन्टी पूरी गीली हो गई थी।
वो बहुत मादक आवाजें निकाल रही थी.. जिससे मुझे भी जोश आ रहा था।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी और उसकी चूत को चूसने लगा।
वो सिसकारियाँ ले रही थी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी।
कुछ देर चूसने के बाद उसके बदन में करंट सा दौड़ गया और वो झड़ने लगी।
मैं उसका सारा पानी पी गया।
फिर मैंने उसके मुँह के पास अपना लण्ड किया तो उसने चूसने से मना कर दिया।
मैंने उससे कहा- चूसना मत.. एक पप्पी तो कर दो।
तो वो मान गई.. जैसे ही वो चुम्बन करने लगी.. मैं झटके से लंड उसके मुँह में घुसा दिया।
वो कुछ नहीं बोली बस ‘ऊँ.. ऊँ’ की आवाजें निकालने लगी।
मैं उससे बोला- डार्लिंग चूसो.. मज़ा आएगा।
फिर वो चूसने लगी.. मैं उसके मम्मे दबा रहा था और वो फिर से गरम हो गई।
उसने अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
मैंने उसके मुँह से लंड निकाल लिया और उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चूत के ऊपर लंड को घिसने लगा।
वो बोली- कुत्ते अन्दर डाल.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने जैसे ही लंड का टोपा उसकी चूत में घुसाया..
वो बोली- धीरे चोद.. मेरा पहली बार है।
मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रखा और एक शॉट मार दिया।
उसके मुँह से घुटी सी चीख निकल गई.. जो मेरे मुँह में दब कर रह गई।
उसकी आँखों से आंसू निकल आए थे।
मैंने उससे कहा- डार्लिंग बस थोड़ी देर और.. फिर तो मज़े ही मज़े हैं।
पर वो बोली- मुझे नहीं करना बाहर निकालो इसे…
मैं अब कहाँ सुनने वाला था.. मैंने उसके मुँह पर मुँह रखा और एक शॉट मार दिया..
लंड अब पूरा अन्दर जा चुका था और मैं उसके खून के चिपचपेपन को महसूस कर सकता था।
निशा रोने लगी..
मैं उसे चुम्बन करने लगा और उसके मम्मे दबाने लगा।
मैं उससे समझाने लगा- अब दर्द नहीं होगा.. अब बस मजा शुरू होने वाला है।
कुछ देर बाद निशा नीचे से चूत हिलाने लगी.. मैं समझ गया कि इसका दर्द कम हो गया है।
फिर मैं भी उसे चोदने लगा..
थोड़ी देर बाद निशा झड़ गई, पर मेरा अभी बाकी था।
मैं उससे चोदता रहा.. कुछ देर बाद मैं और निशा एक साथ झड़ गए।
फिर हम चुम्बन करने लगे.. बाद में जब हमने चादर देखी.. तो खून के दाग उस पर आ गए थे।
निशा उठने लगी.. तो उसे दर्द हो रहा था।
फिर मैंने उसे उठाया और टॉयलेट में ले गया।
फिर मैंने चादर भी टॉयलेट में जाकर धो दी। निशा को वापिस ला कर उसे एक दर्द-निवारक गोली दी और उससे कपड़े पहनाए।
चुम्बन करके फिर हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में सो गए। उसके बाद जब तक वहाँ रहा.. निशा और मैंने रोज़ चुदाई की।
उम्मीद है आप लोगों को मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी ईमेल जरूर कीजिएगा।
आपका अपना चन्दन।