hotaks444
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फस गयी रिंकी पार्ट--1
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक नयी कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ अब ये तो आप ही बताएँगे कहानी आपको कैसी लगी मुझे आपके जबाब का इंतजार रहेगा अब कहानी का मज़ा लीजिए
वैसे तो ये कहानी बहुत पुरानी है लेकिन इस घटना को मैं आज तक नही भूल पाया हूँ इसलिए सोचा इस कहानी को आपके साथ शेअर करूँ
मेरे घर के पास एक लड़की रहती है -नाम रिंकी शर्मा, उमर – कोई 18 साल , 12 थ क्लास में पड़ती थी, वैसे देखने ,मे तो वो कोई बोहत खोबसूरत नही थी पर मैने उसे इस लिए चुना क्योकि एक तो वो मेरे लिए आसान शिकार साबित हो सकती थी दूसरे मुझे उसकी शकल खास पसंद ना होते हुए भी उस के मम्मे / चुचे बोहत पसंद थे , आप यकीन करे या ना करे पर जिस वक्त मैं उस के चुचो को देखता था बस मेरी साँस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह जाती थी. यकीन जानिए उस के बूब्स इस दिनिया की सब से मुलायम / सॉफ्ट चीज़ हैं.जीभ लगते ही ऐसा लगता है जैसे मूह मैं ही घुल जाएगे. उनकी बस एक झलक देखते ही मैं तो पागल हो उठा था दिल करता था उसे सबके सामने ही बाँहो मैं भर लू और चूसना शुरू कर दू. – और उस के बाद कभी ना रुकु- कभी भी नही.
बस इस तरह के मंसूबे ले कर मैं उस को पटाने की यानी फसाने की प्लॅनिंग करने लगा. वो अक्सर शाम को अपनी छत पर आ जाती थी , मैं भी अपनी छत पर चला जाता था , थोड़ा सा मैं भी घूरता था तो थोड़ा सा वो भी लाइन देती थी. पर समस्या एक थी की बात इस से आगे नही जा पा रही थी. वो अपने मा – बाप की अकेली संतान थी – मा घर पर ही रहती थी इस लिए उसका अपनी मा से अलग मिल पाना मुस्किल हो रहा था ,
कई बार मैने सोचा की उसे अपने घर बूलौऊ पर समस्या यह थी की मेरी कोई सिस्टर थी ही नही जिसके पास वो आ सके और मेरे पेरेंट्स वर्किंग हैं .इस लिए मेरे पास तो टाइम ओर स्पेस था पर उसके पास नही , और फिर मोहल्ले वालो का भी तो ध्यान रखना था ,
फिर अभी तक मैने कुछ कन्फर्म भी नही किया था यानी कि मैं पक्का यह नही जानता था कि वो मुझ मे किस हद तक इंट्रेस्टेड है, हो सकता है वो बस फ्लर्ट करती हो और अभी आगे के लिए तय्यार ना हो. इस कंडीशन मैं उसको पटाने मैं टाइम इनवेस्ट करना पड़ सकता था, जो की मेरे पास नही था या कहे की मुझ से सबर नही हो पा रहा था.
पर यह भी पासिबल था के वो भी बस मेरे सिग्नल का इंतज़ार कर रही हो.
फिर भगवान ने मेरी सनली , दशहरे से एक दिन पहले मैने अपनी चाल चली. जब वो घर से बाहर आ रही थी मैने ईक पर्ची जिस पर कुछ नही लिखा हुआ था उसके सामने फेक दी- यह देखने के लिए कि वो उठाती भी है के नही. पर जैसा की मैने कहा उस ने उठाई ओर अंदर चली गयी , पर उसके उठाने से एक बात तो कन्फर्म हो गयी की दोनो तरफ है आग बराबर लगी हुई.
बस मैने सोच लिया की अब वेट करने की कोई वज़ह नही, जल्दी से जल्दी उसे प्रपोज़ करना होगा, ताकि मैं उसके और करीब आ साकु.
दशहरे के दिन हमारे सहर मे राम की बारात निकलती है , यह एक बड़ा सा जल्लूस होता है जिस मैं सभी लोग सिरकत करते हैं. जब बारात हमारी गली के सामने से गुजर रही थी तो सब लोग वाहा आ कर खड़े हो गये. मैं जा कर रिकी के पास खड़ा हो गया और उस से बाते करने लगा. जैसे ही मैने देखा की सब लोगो का [ खास तोर पर उसकी मा का ध्यान कही और है मैने रिंकी को कहा की मैं उस से फ्रेंडशिप करना कहता हूँ यह सुन कर यो हल्का सा मुस्कुरई पर उस ने कोई जवाब नही दिया . इस का मतलब हां था .
वो भीड़ मैं जा कर कड़ी हो गयी मैं भी उसके पीछे गया, और फिर मैने राम का नाम ले कर उसका हाथ पहली बार पकड़ा. मेरा हाथ से अपना हाथ उसने छुड़ाने की कोशिश की पर बोहत ज़्यादा नही. [ दोस्तो यह हमेशा याद रहे की कोई भी लड़की कभी भी पहली बार मे आपको पसंद करते हुए भी आपको पूरा जवाब नही देगी, यानी हाँ नही कहेगी.] उसके जवाब हमेशा ना मे हाँ वेल होंगे.]कुछ सेकेंड्स का यह टाइम मुझे ऐसा लगा के बस मैं बयान नही कर सकता.
उस रात मैने फ़ैसला किया की अब दीपावली तक की सारी छुट्टिया मैं रिंकी पर ही इनवेस्ट करूँगा. सो अपने इधेर उधेर घूमने के सारे प्रोग्राम मैने कॅन्सल कर्दिये.
जब भी मुझे मोका मिलता मैं उसकी छत पर कोई रोमॅंटिक से लाइन लिख कर फेक देता.जल्द ही उधर से भी जवाब आने सुरू हो गये. मैं समझ चूक्का था की चिड़या जाल मैं आ चुकी है अब मुझे आगे बढ़ना चाहिए.
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक नयी कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ अब ये तो आप ही बताएँगे कहानी आपको कैसी लगी मुझे आपके जबाब का इंतजार रहेगा अब कहानी का मज़ा लीजिए
वैसे तो ये कहानी बहुत पुरानी है लेकिन इस घटना को मैं आज तक नही भूल पाया हूँ इसलिए सोचा इस कहानी को आपके साथ शेअर करूँ
मेरे घर के पास एक लड़की रहती है -नाम रिंकी शर्मा, उमर – कोई 18 साल , 12 थ क्लास में पड़ती थी, वैसे देखने ,मे तो वो कोई बोहत खोबसूरत नही थी पर मैने उसे इस लिए चुना क्योकि एक तो वो मेरे लिए आसान शिकार साबित हो सकती थी दूसरे मुझे उसकी शकल खास पसंद ना होते हुए भी उस के मम्मे / चुचे बोहत पसंद थे , आप यकीन करे या ना करे पर जिस वक्त मैं उस के चुचो को देखता था बस मेरी साँस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह जाती थी. यकीन जानिए उस के बूब्स इस दिनिया की सब से मुलायम / सॉफ्ट चीज़ हैं.जीभ लगते ही ऐसा लगता है जैसे मूह मैं ही घुल जाएगे. उनकी बस एक झलक देखते ही मैं तो पागल हो उठा था दिल करता था उसे सबके सामने ही बाँहो मैं भर लू और चूसना शुरू कर दू. – और उस के बाद कभी ना रुकु- कभी भी नही.
बस इस तरह के मंसूबे ले कर मैं उस को पटाने की यानी फसाने की प्लॅनिंग करने लगा. वो अक्सर शाम को अपनी छत पर आ जाती थी , मैं भी अपनी छत पर चला जाता था , थोड़ा सा मैं भी घूरता था तो थोड़ा सा वो भी लाइन देती थी. पर समस्या एक थी की बात इस से आगे नही जा पा रही थी. वो अपने मा – बाप की अकेली संतान थी – मा घर पर ही रहती थी इस लिए उसका अपनी मा से अलग मिल पाना मुस्किल हो रहा था ,
कई बार मैने सोचा की उसे अपने घर बूलौऊ पर समस्या यह थी की मेरी कोई सिस्टर थी ही नही जिसके पास वो आ सके और मेरे पेरेंट्स वर्किंग हैं .इस लिए मेरे पास तो टाइम ओर स्पेस था पर उसके पास नही , और फिर मोहल्ले वालो का भी तो ध्यान रखना था ,
फिर अभी तक मैने कुछ कन्फर्म भी नही किया था यानी कि मैं पक्का यह नही जानता था कि वो मुझ मे किस हद तक इंट्रेस्टेड है, हो सकता है वो बस फ्लर्ट करती हो और अभी आगे के लिए तय्यार ना हो. इस कंडीशन मैं उसको पटाने मैं टाइम इनवेस्ट करना पड़ सकता था, जो की मेरे पास नही था या कहे की मुझ से सबर नही हो पा रहा था.
पर यह भी पासिबल था के वो भी बस मेरे सिग्नल का इंतज़ार कर रही हो.
फिर भगवान ने मेरी सनली , दशहरे से एक दिन पहले मैने अपनी चाल चली. जब वो घर से बाहर आ रही थी मैने ईक पर्ची जिस पर कुछ नही लिखा हुआ था उसके सामने फेक दी- यह देखने के लिए कि वो उठाती भी है के नही. पर जैसा की मैने कहा उस ने उठाई ओर अंदर चली गयी , पर उसके उठाने से एक बात तो कन्फर्म हो गयी की दोनो तरफ है आग बराबर लगी हुई.
बस मैने सोच लिया की अब वेट करने की कोई वज़ह नही, जल्दी से जल्दी उसे प्रपोज़ करना होगा, ताकि मैं उसके और करीब आ साकु.
दशहरे के दिन हमारे सहर मे राम की बारात निकलती है , यह एक बड़ा सा जल्लूस होता है जिस मैं सभी लोग सिरकत करते हैं. जब बारात हमारी गली के सामने से गुजर रही थी तो सब लोग वाहा आ कर खड़े हो गये. मैं जा कर रिकी के पास खड़ा हो गया और उस से बाते करने लगा. जैसे ही मैने देखा की सब लोगो का [ खास तोर पर उसकी मा का ध्यान कही और है मैने रिंकी को कहा की मैं उस से फ्रेंडशिप करना कहता हूँ यह सुन कर यो हल्का सा मुस्कुरई पर उस ने कोई जवाब नही दिया . इस का मतलब हां था .
वो भीड़ मैं जा कर कड़ी हो गयी मैं भी उसके पीछे गया, और फिर मैने राम का नाम ले कर उसका हाथ पहली बार पकड़ा. मेरा हाथ से अपना हाथ उसने छुड़ाने की कोशिश की पर बोहत ज़्यादा नही. [ दोस्तो यह हमेशा याद रहे की कोई भी लड़की कभी भी पहली बार मे आपको पसंद करते हुए भी आपको पूरा जवाब नही देगी, यानी हाँ नही कहेगी.] उसके जवाब हमेशा ना मे हाँ वेल होंगे.]कुछ सेकेंड्स का यह टाइम मुझे ऐसा लगा के बस मैं बयान नही कर सकता.
उस रात मैने फ़ैसला किया की अब दीपावली तक की सारी छुट्टिया मैं रिंकी पर ही इनवेस्ट करूँगा. सो अपने इधेर उधेर घूमने के सारे प्रोग्राम मैने कॅन्सल कर्दिये.
जब भी मुझे मोका मिलता मैं उसकी छत पर कोई रोमॅंटिक से लाइन लिख कर फेक देता.जल्द ही उधर से भी जवाब आने सुरू हो गये. मैं समझ चूक्का था की चिड़या जाल मैं आ चुकी है अब मुझे आगे बढ़ना चाहिए.