hotaks444
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थकान की वजह से मेरी आँख लग गयी, कुछ देर बाद मा ने मुझे उठाया शाम करीबन 4.00 - 4.30 बजे थे, मा ने मुझे कहा हाथ मूह धोले और नीचे आके चाइ पी ले, में फ्रेश होके नीचे चला गया, मा ताइजी और दीदी बैठे थे, तभी ताइजी ने कहा के वो आज शाम की आरती के लिए पास ही के एक प्रसिद्ध मंदिर में जाना चाहती है, मा ने कहा ताइजी से, दीदी में भी चलूंगी और दीदी भी जाना चाहती थी, ताइजी ने कहा के में उन्हे मंदिर ले चलूं, और ताइजी ने मुझ से कहा के जाके पार्वती और भोला को बुला आओ ताकि घर में ताउजी का ध्यान रख सके, और पार्वती घर का काम और खाना बना सके, में तुरंत पंप हाउस की ओर चल पड़ा, वहाँ देखा पार्वती और भोला खेतों में काम कर रहे हैं, मेने उन्हे बताया के ताइजी ने घर बुलवाया है, वो दोनो तुरंत मेरे साथ घर की ओर चल पड़े, भोला आगे चल रहा था उसके पीछे पार्वती और उसके पीछे में, मेरा ध्यान पार्वती की गांद पे पड़ा, वो एक दम गोल थी और सारी के अंडर नाच रही थी जब वो चल रही थी, फिर वो पीछे मूडी और देखा में उसकी गांद को देख रहा हूँ, एक कातिल मुस्कान देके पूछने लगी क्या देख रहे हो साहेब, भोला हमारी बात नही सुन सकता था, मेने कहा तुम्हारी गांद बड़ी लाजवाब है, अगली बार इससे ज़रूर मारूँगा वो कहने लगी, के ना बाबा आपका वो बोहत बड़ा है, मुझे अभी भी दर्द हो रहा है, बातें करते करते हम कुछ देर में घर पोहच् गये देखा ताइजी दीदी और मा तैयार थी, मा ने क्रीम कलर की सारी और मॅचिंग ब्लाउस पहना था, और ताइजी ने पीले रंग की सारी पहनी थी और दीदी ने गुलाबी कलर का सूट पहना था, तीनो ही कातिल लग रही थी, और पार्वती की गांद ने मेरी भूख और बढ़ा दी थी, हम मंदिर के लिए चल पड़े, मंदिर करीबन आधे घंटे की दूरी पे था और मैं रोड से रिक्शा या बस मिल जाती थी, में जान बुझ के तीनो के पीछे चल रहा था, मुझे तीनो की मतवाली गांद को देखने मिल रही थी, सबसे बड़ी ताइजी की थी फिर मा और दीदी की उन दोनो से छोटी थी, ताइजी ने पीछे मूड के देखा, और इशारे से पूछा क्या हुआ, मेने इशारे में उनसे कहा किस दो, वो इशारे में बोली बाद में, कुछ देर चलने के बाद हम मैं रोड पे आगाये और हमे एक रिक्शा भी मिल गयी, अब हम 4 लोग थे और किसी एक को किसी ना किसी की गोदी में बैठना था, पहले ताइजी बैठी और फिर दीदी ताइजी की गोद में बैठ गयी फिर मा और में, मा मेरे राइट साइड बैठ थी, और हमारा बदन एक दूसरे से चिपका हुआ था, और मा के बदन का स्पर्श मुझे उत्तेजित कर रहा था, मा के शरीर से एक भीनी भीनी खुश्बू आराही थी, में थोड़ी थोड़ी देर में अपने आप को मा से चिपका लिया करता था, और ऐसे बिहेव करता जैसे रोड खराब होने की वजह से ऐसा हो रहा है, मा मेरे राइट में होने की वजह से में जान बूझकर किसी ना किसी कारण मा के बूब्स को अपनी कोहनी से टच कर रहा था, कुछ देर ऐसा करने पे जब मा ने कोई रिक्षन नही दिया तो में कोनी मा की चुचियों पे घिसने लगा, मा ने कुछ रिक्षन नही दिया, और वैसे ही बैठी रही, में समझ नही पाया के उन्हे एहसास हुआ के नही, के में अपनी कोनी से उनकी चुचियों से खेल रहा हूँ, मा की चुचियाँ कोमल और मुलायम थी, मुझे रास्ता कैसे कटा पता नही चला और हम मंदिर पोहच् गये, वहाँ बोहत भीड़ थी, और वो एक बोहत पुराना मंदिर था, और बोहत से लोग दर्शन के लिए आए हुए थे, और बड़ी लंबी लाइन थी दर्शन की, स्टील के पाइप्स से लाइन बनाई हुई थी, खैर हमने पूजा की थाली ली और लाइन में खड़े हो गये, भीड़ को देख के लग रहा था के कम से कम 1 से 1-1.30 घंटा लग जाएगा, ताइजी सबसे आगे खड़ी हुई थी और फिर दीदी और फिर मा और में लास्ट में खड़ा हुआ था, हम लाइन में घुसे तो भीड़ कम थी पर धीरे धीरे जैसे जैसे आरती का समय नज़दीक आ रहा था, भीड़ बोहत बढ़ गयी और खड़े रहने को खाली जगह नही थे, अब मा और मेरे बीच में एक इंच का फासला था, कुछ देर आगे बढ़ने के बाद, भीड़ बोहत ज़्यादा होने लगी, और लोग धक्का मुक्की करने लगे, और गर्मी भी हो रही थी, अब में ना चाहते हुए भी मा से जुड़ गया, और इसमे मेरा कोई हाथ नही था, यह भीड़ की वजह से हो रहा था, अब धीरे धीरे पीछे से धक्के बढ़ने लगे और भीड़ भी बोहत बढ़ गयी, अब मेरा शरीर मा से चिपक हुआ था, अचानक देखा मेरे लंड में हुलचूल हो रही है, और उसका कारण था मा की गांद, मेरा लंड मा की गांद से जुड़ा हुआ था, और धीरे धीरे बड़ा हो रहा था, मा की गांद मुलायम थी, और मेरे लंड को बड़ा मज़ा आरहा था, अब जब भी पीछे से धक्का आता में अपने आप को मा से और सटा लेता और अपना लंड उनकी गांद पे घिस देता, मुझे डर था के इस हरकत शायद मा नाराज़ होगी और शायद मुझे डाँट भी पड़ने वाली है, पर ऐसा कुछ नही हुआ, और मा भी कुछ नही बोल रही थी शायद उन्हे लग रहा होगा यह सब भीड़ की वजह से हो रहा है, धीरे धीरे भीड़ और बढ़ गयी और धक्के बोहत ज़्यादा आने लगे थे, अब मा की गांद और मेरा लंड एक दम सटा हुआ था, हवा तक के जाने की जगह नही थी, में भी भीड़ का फयडा उठा के मा की गांद से अपना लंड घिस रहा था, और उस स्तिति का आनंद ले रहा था, कुछ समय बाद मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था और अब में जानता था मा उसको महसूस भी कर रही होगी, में उनके रिक्षन का इंतज़ार करने लगा, कुछ देर बाद मा पीछे मूडी और मुझे देखा, उस वक़्त ना मा के चेहरे पे स्माइल थी ना गुस्सा था, में समझ नही पा रहा था के वो क्या सोच रही है, अब जैसे जैसे हम मंदिर के अंडर दाखिल हुए भीड़ के धक्के और बढ़ गये, मंदिर की एंट्रेन्स पे सीडी थी, मा दो सीडी चढ़ गयी और में नही चढ़ पाया क्यूँ की जगह नही थी, और अब धक्का लगने पे मेरे मूह मा की पीठ से टच हो जाता, मेरा मूह मा के ब्लाउस के नीचे वाले हिस्से पे लग रहा था, मा का पसीना मेरे लिप्स पे टच हुआ और उनके पसीने से एक अजीब से खुश्बू आरहि थी, मेने उनके पसीने का स्वाद पहली बार चखा था और मुझे बड़ा अछा लगा, मेने भी स्तिति का फयडा उठा के उनके पीठ से अपना मूह हर धक्के पे चिपका दे देता है, और मेने कई बार मा की पीठ को किस किया और एक बार तो अपनी जीभ से लीक भी किया, मुझे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आरहा था, अब धीरे धीरे हम मंदिर के अंडर आगाये, और आरती शुरू हो चुकी थी, सब का ध्यान आरती पे था और मेरे ध्यान मा पे था, मेने हिम्मत करके अपना एक हाथ मा की कमर पे रखा और ऐसे जताया जैसे धक्के की वजह से में अपना बॅलेन्स बनाने के लिए उनकी कमर का सहारा लिया वो कुछ नही बोली, और आरती में अपना ध्यान दे रही थी, मा की कमर की स्किन बोहत मुलायम थी, में धीरे धीरे अपना हाथ उनकी कमर पे घुमा रहा था, फिर जब आरती ख़तम हुई हम सब बाहर आए, हम बोहत थक चुके थे, मेने देखा मा मेरी तरफ देख नही रही है ना मुझ से बात कर रही है, और जब हमने घर के लिए लौटने के लिए रिक्क्षा पकड़ ली, मा मेरे पास ही बैठी हुई थी, में घबरा गया था, इसलिए लौट ते वक़्त मेने कुछ भी नही किया, कुछ देर में हम घर पोहच् गये और वहाँ पूजा पार्वती दोनो थे, पार्वती ने बताया के भोला सब काम करके घर चला गया क्यूँ की उस की तबीयत ठीक नही है, खैर हम सब ने हाथ मूह धोया और खाना खाने बैठ गये, खाना खाते वक़्त मेने देखा मा मेरी तरफ अभी भी देख नही रही थी, और मुझे बोहत चिंता हो रही थी के आगे क्या होने वाला है,