desiaks
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रंगीला अखबार लेकर टॉयलेट में घुस गया।
उसने अखबार के हर पृष्ठ पर सरसरी निगाह डाली।
कामिनी देवी के यहां हुई चोरी की खबर उसे कहीं दिखाई न दी।
वह टॉयलेट से बाहर निकला तो उसने चाय तैयार पाई।
उसने बड़े अनिच्छापूर्ण ढंग से चाय पी और जाकर बिस्तर पर लेट गया।
फौरन उसे नींद ने दबोच लिया।
मंगलवार : दोपहरबाद
तीन बजे के करीब रंगीला सोकर उठा।
वह नहाया धोया, उसने अपने कपड़े बदले और सड़क पर आ गया।
शाम का अखबार सड़क पर बिक रहा था।
उसने अखबार खरीदा, उसके मुख्यपृष्ठ पर निगाह पड़ते ही उसका दिल धक्क से रह गया। वहां मोटे मोटे अक्षरों में छपा हुआ था—
आसिफ अली रोड की धनाड्य महिला की हत्या।
उसने जल्दी जल्दी खबर पढ़ी और फिर अखबार को लपेट कर जेब में रख लिया।
पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक कामिनी देवी दम घुटने से मरी थी।
उसे उसके के मुंह में रूमाल नहीं ठूंसना चाहिये था।
एकाएक उसका गला सूखने लगा। उसने गला तर करने के लिये जोर से थूक निगली। लेकिन उस क्रिया में उसे अपनी जुबान गले में फंसती महसूस हुई।
एक बात हथौड़े की ही तरह उसके जेहन पर दस्तक दे रही थी।
अब वह चोरी का नहीं, हत्या का भी अपराधी था।
कौशल चावड़ी बाजार में कूचा मीर आशिक के एक बड़े जर्जर से मकान के एक कमरे में रहता था। वह इकलौता डिब्बे जैसा कमरा भी उसने अपने काशीनाथ नाम के एक दोस्त के साथ मिलकर लिया हुआ था। उसका वह दोस्त अपने गांव गया हुआ था इसलिए उन दिनों वह वहां अकेला था।
वह भी कमरे में आते ही सो गया था और फिर दोपहर के काफी बाद सोकर उठा था।
उठ कर उसने रगड़ कर शेव की और नए कपड़े पहने।
कौशल शक्ल सूरत में किसी से कम नहीं था और रहन सहन का सलीका भी उसे था। वह कद में असाधारण रूप से लम्बा था इसलिए उसका गठीला कसरती बदन भी कपड़ों के नीचे छुप सा जाता था।
उसके व्यक्तित्व में दो ही बातें थीं जो उसके पहलवान होने की चुगल करती थीं—उसके चपटे कान और उसकी मोटी गरदन।
कमरे से निकलने से पहले उसने अपनी जेब से हीरे की अंगूठी निकाली और बड़ी प्रशंसात्मक निगाह से उसका मुआयना किया। उसे पूरी उम्मीद थी कि उस अंगूठी से उसका वह मतलब हल हो सकता था जिसके लिए उसने अपने साथियों के साथ दगाबाजी करके उसे चुराया था। उस अंगूठी का रौब पायल पर गालिब हुए बिना नहीं रहने वाला था। उस अंगूठी की भेंट के बाद पायल उससे बेरुखी का रवैया अख्तियार किए नहीं रह सकती थी। और फिर अंगूठी तो अभी ट्रेलर था। हीरे जवाहरात की बिक्री के बाद जो दौलत कौशल को हासिल होने वाली थी, उसका तो एक अंश ही पायल के छक्के छुड़ा देने के लिए काफी था।
उसने अखबार के हर पृष्ठ पर सरसरी निगाह डाली।
कामिनी देवी के यहां हुई चोरी की खबर उसे कहीं दिखाई न दी।
वह टॉयलेट से बाहर निकला तो उसने चाय तैयार पाई।
उसने बड़े अनिच्छापूर्ण ढंग से चाय पी और जाकर बिस्तर पर लेट गया।
फौरन उसे नींद ने दबोच लिया।
मंगलवार : दोपहरबाद
तीन बजे के करीब रंगीला सोकर उठा।
वह नहाया धोया, उसने अपने कपड़े बदले और सड़क पर आ गया।
शाम का अखबार सड़क पर बिक रहा था।
उसने अखबार खरीदा, उसके मुख्यपृष्ठ पर निगाह पड़ते ही उसका दिल धक्क से रह गया। वहां मोटे मोटे अक्षरों में छपा हुआ था—
आसिफ अली रोड की धनाड्य महिला की हत्या।
उसने जल्दी जल्दी खबर पढ़ी और फिर अखबार को लपेट कर जेब में रख लिया।
पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक कामिनी देवी दम घुटने से मरी थी।
उसे उसके के मुंह में रूमाल नहीं ठूंसना चाहिये था।
एकाएक उसका गला सूखने लगा। उसने गला तर करने के लिये जोर से थूक निगली। लेकिन उस क्रिया में उसे अपनी जुबान गले में फंसती महसूस हुई।
एक बात हथौड़े की ही तरह उसके जेहन पर दस्तक दे रही थी।
अब वह चोरी का नहीं, हत्या का भी अपराधी था।
कौशल चावड़ी बाजार में कूचा मीर आशिक के एक बड़े जर्जर से मकान के एक कमरे में रहता था। वह इकलौता डिब्बे जैसा कमरा भी उसने अपने काशीनाथ नाम के एक दोस्त के साथ मिलकर लिया हुआ था। उसका वह दोस्त अपने गांव गया हुआ था इसलिए उन दिनों वह वहां अकेला था।
वह भी कमरे में आते ही सो गया था और फिर दोपहर के काफी बाद सोकर उठा था।
उठ कर उसने रगड़ कर शेव की और नए कपड़े पहने।
कौशल शक्ल सूरत में किसी से कम नहीं था और रहन सहन का सलीका भी उसे था। वह कद में असाधारण रूप से लम्बा था इसलिए उसका गठीला कसरती बदन भी कपड़ों के नीचे छुप सा जाता था।
उसके व्यक्तित्व में दो ही बातें थीं जो उसके पहलवान होने की चुगल करती थीं—उसके चपटे कान और उसकी मोटी गरदन।
कमरे से निकलने से पहले उसने अपनी जेब से हीरे की अंगूठी निकाली और बड़ी प्रशंसात्मक निगाह से उसका मुआयना किया। उसे पूरी उम्मीद थी कि उस अंगूठी से उसका वह मतलब हल हो सकता था जिसके लिए उसने अपने साथियों के साथ दगाबाजी करके उसे चुराया था। उस अंगूठी का रौब पायल पर गालिब हुए बिना नहीं रहने वाला था। उस अंगूठी की भेंट के बाद पायल उससे बेरुखी का रवैया अख्तियार किए नहीं रह सकती थी। और फिर अंगूठी तो अभी ट्रेलर था। हीरे जवाहरात की बिक्री के बाद जो दौलत कौशल को हासिल होने वाली थी, उसका तो एक अंश ही पायल के छक्के छुड़ा देने के लिए काफी था।