hotaks444
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माया ने लगाया चस्का
दोस्तो हिन्दी में थोड़ी सी प्राब्लम है आशा करता हूँ इसके लिए माफ़ कर देंगे क्योकि ये कहानी मैने बहुत समय पहले पोस्ट की थी अब इस फोरम पर पोस्ट कर रहा हूँ सारी कहानी एक साथ जय भाई की तरह पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि मेरी एक कहानी मैं और मेरा परिवार पहले से ही चल रही है हैल्लो दोस्तों मेरा नाम विकी है. में २५ साल का हूँ और मुंबई में आयुवेद डॉक्टर हूँ , में नेट पे सर्फ़ करते हूँ राजशर्मास्टॉरीज पे आ गया, मेने इसकी कहानीया पढ़ी तो मुझे बहूँ त आनद मिला और मुझे ये काफी दिल बहलाने वाली और रोचक लगी पर मेंने देखा के इस पे कहानी लिखने वालो ने सेक्स के बारे में अपनी कहानी के माध्यम से कुछ अजीब सी भ्रान्तिया फेला रखी है जो में अपनी कहानी के द्वारा साफ़ करना चाहता हूँ . तो पहले कुछ सही बात समजले जो की आपको एक डॉक्टर बता रहा है.
१. सेक्स में बहूँ त बड़ा लंड हो तो ही आनद आता है यह बात गलत है. सेक्स में बड़े नहीं कड़े लंड का होना जरुरी है. लंड कड़ा होने पर सामान्यतः ४ से ५.५ इंच या ज्यादा से ज्यादा ६ या ६.५ इंच होता है. ये केवल ३ इंच का हो तो भी सेक्स में वोही आनद मिलता है. सेक्स में बहूँ त बड़े की नहीं कड़े लंड की जरुरत होती है. असल में एकदम कड़े लंड से स्त्रियों को आनद मिलता है. तो लंड को बड़े करने की नहीं कड़े करने की सोचो.
२. बहूँ त जोर जबरदस्ती से किया हूँ आ सेक्स जिसमे स्त्री को बहूँ त दर्द हो उसमे मर्दानगी नहीं होती. स्त्रीयो को बड़े प्यार से किया गया सेक्स ही पसंद होता है जिससे उसकी भावनाओ को संतुष्टि मिले और वो भी सेक्स में सक्रिय हो और इस तरह का सेक्स आपको और आपके पार्टनर को ताजगी और आनद प्रदान करता है.
३. सेक्स जानवर की तरह करने से नहीं, पार्टनर को आनद देने से सफल माना जाता है. सेक्स एक अच्छी वर्जिस है जिससे कमजोरी नहीं आरोग्य प्रदान होता है, आप तनाव मुक्त होते है.
४. सेक्स में जबरदस्ती औरत कभी पसंद नहीं करती, सेक्स जितना लम्बा चला सको उतना आनद बढेगा और चरम सीमा का आनद ज्यादा मिलेगा. याद रखे स्त्री की चूत का केवल अगला १.५ – २ इंच का उपरी हिस्सा ही संवेदनशील होता है. हलाकि चूत के अन्दर की दीवारे काफी सॉफ्ट और सवेंदना युक्त होती है जिसमे कड़े फौलाद जैसे चिकनाई युक्त लंड का प्यार के रगड मारता हूँ आ पेलना बड़ा आन्द्प्रद होता है. जब औरत चुदाई के वक्त आँखों को मुंदने लगे तो समजो आप उसे आनद दे रहै हो. वो अपने होंठो से सिसकिया लेने लगे और मीठी आवाजे निकलने लगे उसी तराहमें और लय में उससे चोदना चाहिए.
५. सेक्स की खास बात है फोरप्ले और आफ्टर प्ले. सेक्स में पहले ये जानो के आपके पार्टनर को कहा ज्यादा उतेजना होती है, बहूँ त सी औरते अपनी पीठ पर, कान से पिछले हिस्से में किस कराने में ज्यादा उत्तेजित हो जाती है. आप पीछे से कंधो पे, पीठ पे, कान के बूट पे, किस करते हूँ ए चुचियायो को मर्दन करगे तो वो जल्दी जड़ जाती है. उसकी चूत भी इससे जल्दी चिकनी हो जाती है और बाद में आप लंड उसकी चूत में डालोगे तो वो बहूँ त आनद पायेगी और वो आपकी गुलाम बन जाएगी. होंठो को और स्त्री की छाती को चुसना एक आर्ट है. औरत का बदन एक संगीत के तार जैसा होता है अगर सही तार को ज़न्कृत करोगे तो सही सुर निकलेगा वरना बेसुरा संगीत आपका और आपके पार्टनर का मजा किरकिरा कर देगा. तो यह साज कैसे बजाते है वो कभी मुझसे सिख लेना.
६ मेरे चुदाई के सौकीन दोस्तों, मेरी बात याद रखना सेक्स एक योगा है. सम्भोग मतलब दोनों सामान रूपसे एक दुसरे को भोगे. सेक्स में स्त्री का सक्रिय होना बहूँ त जरुरी है. वो कैसे? इसके लिए आप गुप्त रूप से मुझे मेल करे. मैंने बहूँ त कपलो को बहैतरीन सेक्स सिखाया है. सेक्स के पीछे दुनिया ऐसे ही पागल नहीं है. यह कुदरत का एक अजीबो गरीब करिश्मा है जो नशीब वाला ही भोग सकता है.
अब में तुमे में अपनी सच्ची कहानी बताता हूँ . में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मुंबई में पढाई की है. जब में १८ साल का था तब मुंबई मेडिकल की पढाई करने गया था. पहले ये बता दू के में एक २५ साल का युवक हूँ , मेरी लम्बाई ५-७ की है, में थोडा गोरा और चिकना भी हूँ . मेरा लंड ५.७५ इंच लम्बा और करीब १.५ इंच चौड़ा है. में बचपन से ही वर्जिश करता हूँ तो मेरा बदन काफी ट्यून किया हूँ आ और काफी कसा हूँ आ है. में एक सुखी परिवार से तालुक रखता हूँ , पैसे की कभी कोई कमी नहीं थी. में अपने पापा का एकलौता बेटा हूँ . हॉस्टल में मेरिट में ३-४ मार्क कम होनेकी वजहसे जगह नहीं मिली तो पापा मेरी कोलेज में आए तो परेशान हूँ ए लेकिन हमारी कोलेज के चपरासी मनोहरचाचा और पापा की अच्छी पहचान हो गयी थी उसने एडमिशन के दौरान काफी मद्दद की थी और वो पापा से काफी प्रभावित हूँ ए थे. उन्होने मुझे अपने मकान में अपना छतवाला कमरा मुझे रु. ७५०० प्रति मॉस पेइंगगेस्ट किराये पर दे दिया. कमरा एटेच बाथ और आगे बड़ी से छत जहा वो लोग कपडे सुखाया करते थे. मेरा कमरा कोलेज से केवल २ की.मी. दूर था. तो में वहा अपना सामान ले के पहूँ च गया. पहली बार थी तो पापा और मोम भी साथ आये उन्हों ने भी वही खाना खाया और जिससे उस परिवार हमारे फेमिली जैसा हो गया और में चाचा के परिवार का एक सदस्य सा हो गया. जाते वक्त चाचा चाची ने मेरे मोम डेड को मेरी चिंता न करने का भरोशा देते हूँ ए बिदा किया, पापा ने भी उन्हें वेकेसन में बच्चो के अमदाबाद आने का न्योता दिया मानो जैसे रिश्तेदार हो गए.
दोस्तो हिन्दी में थोड़ी सी प्राब्लम है आशा करता हूँ इसके लिए माफ़ कर देंगे क्योकि ये कहानी मैने बहुत समय पहले पोस्ट की थी अब इस फोरम पर पोस्ट कर रहा हूँ सारी कहानी एक साथ जय भाई की तरह पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि मेरी एक कहानी मैं और मेरा परिवार पहले से ही चल रही है हैल्लो दोस्तों मेरा नाम विकी है. में २५ साल का हूँ और मुंबई में आयुवेद डॉक्टर हूँ , में नेट पे सर्फ़ करते हूँ राजशर्मास्टॉरीज पे आ गया, मेने इसकी कहानीया पढ़ी तो मुझे बहूँ त आनद मिला और मुझे ये काफी दिल बहलाने वाली और रोचक लगी पर मेंने देखा के इस पे कहानी लिखने वालो ने सेक्स के बारे में अपनी कहानी के माध्यम से कुछ अजीब सी भ्रान्तिया फेला रखी है जो में अपनी कहानी के द्वारा साफ़ करना चाहता हूँ . तो पहले कुछ सही बात समजले जो की आपको एक डॉक्टर बता रहा है.
१. सेक्स में बहूँ त बड़ा लंड हो तो ही आनद आता है यह बात गलत है. सेक्स में बड़े नहीं कड़े लंड का होना जरुरी है. लंड कड़ा होने पर सामान्यतः ४ से ५.५ इंच या ज्यादा से ज्यादा ६ या ६.५ इंच होता है. ये केवल ३ इंच का हो तो भी सेक्स में वोही आनद मिलता है. सेक्स में बहूँ त बड़े की नहीं कड़े लंड की जरुरत होती है. असल में एकदम कड़े लंड से स्त्रियों को आनद मिलता है. तो लंड को बड़े करने की नहीं कड़े करने की सोचो.
२. बहूँ त जोर जबरदस्ती से किया हूँ आ सेक्स जिसमे स्त्री को बहूँ त दर्द हो उसमे मर्दानगी नहीं होती. स्त्रीयो को बड़े प्यार से किया गया सेक्स ही पसंद होता है जिससे उसकी भावनाओ को संतुष्टि मिले और वो भी सेक्स में सक्रिय हो और इस तरह का सेक्स आपको और आपके पार्टनर को ताजगी और आनद प्रदान करता है.
३. सेक्स जानवर की तरह करने से नहीं, पार्टनर को आनद देने से सफल माना जाता है. सेक्स एक अच्छी वर्जिस है जिससे कमजोरी नहीं आरोग्य प्रदान होता है, आप तनाव मुक्त होते है.
४. सेक्स में जबरदस्ती औरत कभी पसंद नहीं करती, सेक्स जितना लम्बा चला सको उतना आनद बढेगा और चरम सीमा का आनद ज्यादा मिलेगा. याद रखे स्त्री की चूत का केवल अगला १.५ – २ इंच का उपरी हिस्सा ही संवेदनशील होता है. हलाकि चूत के अन्दर की दीवारे काफी सॉफ्ट और सवेंदना युक्त होती है जिसमे कड़े फौलाद जैसे चिकनाई युक्त लंड का प्यार के रगड मारता हूँ आ पेलना बड़ा आन्द्प्रद होता है. जब औरत चुदाई के वक्त आँखों को मुंदने लगे तो समजो आप उसे आनद दे रहै हो. वो अपने होंठो से सिसकिया लेने लगे और मीठी आवाजे निकलने लगे उसी तराहमें और लय में उससे चोदना चाहिए.
५. सेक्स की खास बात है फोरप्ले और आफ्टर प्ले. सेक्स में पहले ये जानो के आपके पार्टनर को कहा ज्यादा उतेजना होती है, बहूँ त सी औरते अपनी पीठ पर, कान से पिछले हिस्से में किस कराने में ज्यादा उत्तेजित हो जाती है. आप पीछे से कंधो पे, पीठ पे, कान के बूट पे, किस करते हूँ ए चुचियायो को मर्दन करगे तो वो जल्दी जड़ जाती है. उसकी चूत भी इससे जल्दी चिकनी हो जाती है और बाद में आप लंड उसकी चूत में डालोगे तो वो बहूँ त आनद पायेगी और वो आपकी गुलाम बन जाएगी. होंठो को और स्त्री की छाती को चुसना एक आर्ट है. औरत का बदन एक संगीत के तार जैसा होता है अगर सही तार को ज़न्कृत करोगे तो सही सुर निकलेगा वरना बेसुरा संगीत आपका और आपके पार्टनर का मजा किरकिरा कर देगा. तो यह साज कैसे बजाते है वो कभी मुझसे सिख लेना.
६ मेरे चुदाई के सौकीन दोस्तों, मेरी बात याद रखना सेक्स एक योगा है. सम्भोग मतलब दोनों सामान रूपसे एक दुसरे को भोगे. सेक्स में स्त्री का सक्रिय होना बहूँ त जरुरी है. वो कैसे? इसके लिए आप गुप्त रूप से मुझे मेल करे. मैंने बहूँ त कपलो को बहैतरीन सेक्स सिखाया है. सेक्स के पीछे दुनिया ऐसे ही पागल नहीं है. यह कुदरत का एक अजीबो गरीब करिश्मा है जो नशीब वाला ही भोग सकता है.
अब में तुमे में अपनी सच्ची कहानी बताता हूँ . में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मुंबई में पढाई की है. जब में १८ साल का था तब मुंबई मेडिकल की पढाई करने गया था. पहले ये बता दू के में एक २५ साल का युवक हूँ , मेरी लम्बाई ५-७ की है, में थोडा गोरा और चिकना भी हूँ . मेरा लंड ५.७५ इंच लम्बा और करीब १.५ इंच चौड़ा है. में बचपन से ही वर्जिश करता हूँ तो मेरा बदन काफी ट्यून किया हूँ आ और काफी कसा हूँ आ है. में एक सुखी परिवार से तालुक रखता हूँ , पैसे की कभी कोई कमी नहीं थी. में अपने पापा का एकलौता बेटा हूँ . हॉस्टल में मेरिट में ३-४ मार्क कम होनेकी वजहसे जगह नहीं मिली तो पापा मेरी कोलेज में आए तो परेशान हूँ ए लेकिन हमारी कोलेज के चपरासी मनोहरचाचा और पापा की अच्छी पहचान हो गयी थी उसने एडमिशन के दौरान काफी मद्दद की थी और वो पापा से काफी प्रभावित हूँ ए थे. उन्होने मुझे अपने मकान में अपना छतवाला कमरा मुझे रु. ७५०० प्रति मॉस पेइंगगेस्ट किराये पर दे दिया. कमरा एटेच बाथ और आगे बड़ी से छत जहा वो लोग कपडे सुखाया करते थे. मेरा कमरा कोलेज से केवल २ की.मी. दूर था. तो में वहा अपना सामान ले के पहूँ च गया. पहली बार थी तो पापा और मोम भी साथ आये उन्हों ने भी वही खाना खाया और जिससे उस परिवार हमारे फेमिली जैसा हो गया और में चाचा के परिवार का एक सदस्य सा हो गया. जाते वक्त चाचा चाची ने मेरे मोम डेड को मेरी चिंता न करने का भरोशा देते हूँ ए बिदा किया, पापा ने भी उन्हें वेकेसन में बच्चो के अमदाबाद आने का न्योता दिया मानो जैसे रिश्तेदार हो गए.