hotaks444
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इस रात की सुबह नही
आज के दिन का ज़रूर मेरी जिंदगी से कोई गहरा नाता है …….दो साल पहले यही दिन था जब मैने पहली बार किसी स्त्री को नग्न देखा था …..वो भी जबरदस्त ढंग से चुद्ते ….लाइव! …..आज फिर से देखने का मौका मिल सकता है ….
मैं बड़ी दीदी अनिता ओर राजन जीजाजी के घर उनके मुन्ने को देखने मम्मी के साथ आया हुआ हूँ …..
मैने दीदी के बगल वाला कमरा लिया है ……. मेरे ओर दीदी के कमरे के बीच इंटरकॅनेकटिड दरवाजे के उपर शीशे वाले पोर्षन मे दीदी के कमरे की तरफ से ही टॉम & जेर्री की तस्वीर वाला पेपर चिपका हुआ है ……. मैने मौका देखकर टॉम की दोनो आँखो के पेपर खरोंच दिया है …..अब कुर्सी लगाकर मेरे कमरे से दीदी के कमरे का लगभग हर हिस्सा टॉम की आँखो से दिख रहा है ………..
छोटी दीदी सुनीता की शादी की रात …….बारिश आने के पूरे आसार थे …..
एक बजे जब शादी समाप्त हुई तो बूँदा-बाँदी शुरू हो चुकी थी ….दूल्हा –दुल्हन को सुहागकक्ष मे भेज दिया गया ओर सारे लोग अपने सोने के लिए जगह ढूढ़ने लगे …..
बुआजी पिछली तीन रातों की तरह कोमल भाभी के घर निकली …… आज छत पर तो सोया नही जा सकता ……मैने स्टोररूम मे देखा , थोड़े अड्जस्टमेंट से एक बिस्तर वहाँ लगाया जा सकता था …..
तभी मा मुझे देखते ही बोली …तू बुआ को पहुँचाने नही गया ?, कोमल का घर दूर है ओर बारिश होने वाली है … जल्दी से उनके पीछे जा ...
मैं बाहर निकला …..वी शेप वाले गाँव के अंदर का रास्ता काफ़ी लंबा था परंतु शॉर्टकट वाले सीधे रास्ते मे खेतों से होकर गुज़रना पड़ता था …… तेज बिजली चमक रही थी ……मैने आगे तीन चार अज्नबियो को खेतों की ओर जाते हुए देखा ….शायद बाराती थे ओर टाय्लेट के लिए उधर खेतों की तरफ जा रहे थे……
मैं भी उसी रास्ते पर बढ़ रहा था क्योंकि शॉर्टकट यही था ……थोड़ी देर मे वो लोग अंधेरे मे ओझल हो गये ……….तभी तेज बारिश शुरू हो गयी ….मैं तुरंत एक बड़े पेड़ के नीचे रुका ……. ……रुक रुक कर चमक रही बिजली मे पगडंडी से सटे पुराने स्कूल के खंडहर के बरामदे मे मुझे कोमल भाभी ओर बुआ की झलक दिखाई पड़ी …..मैने चैन की साँस ली …….
दस मिनट बाद वो दोनो मुझे कहीं नज़र नही आई …..कहाँ चली गयी? मैं बड़बड़ाया ओर उसी तेज बारिश मे मैं खंडहर की तरफ बढ़ने लगा ……….स्कूल के अहाते मे पहुँचते ही मेरे कदम ठिठक गये ……अंदर से भाभी ओर बुआ की कराहने की आवाज़ आ रही थी ……मैं अंदर की ओर लपका …..टूटी खिड़की से जैसे ही मैने अंदर झांका , मैं सन्न रह गया ……..
वही चार अजनबी बाराती , जिन्हे मैने आगे खेतों की ओर जाते देखा था , दो- दो के गुट मे भाभी ओर बुआ को दबोचे हुए थे……
..बुआ बिकुल नंगी अपने ही साड़ी पर लेटी थी ….एक आदमी अपना लंड निकालकर उनके मुँह मे ठूँसा हुआ था ओर दूसरा उनकी जांघों के बीच बैठकर उन्हे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था ….बुआ भी अपनी कमर उचकाकर उसका साथ दे रही थी …..यानी अपनी बेरहम चुदाई को एंजाय कर रही थी ……
इधर कोमल भाभी की भी साड़ी खुलकर नीचे पड़ी थी ….. उनके ब्लाउज के सारे बटन टूट चुके थे ऑर पीछेवाला आदमी खड़े खड़े उनकी ब्रा उपर कर उनकी चुचियों को बेरहमी से मसल रहा था …..दूसरा आदमी उनकी पेटिकोट के गॅप वाली जगह से फाड़कर उनके सामने घुटनो के बल बैठकर उनकी बुर को कुत्ते की तरह चाट रहा था ………भाभी उसका सर अपनी बुर पर दबाती हुई मस्ती मे सीसीया रही थी ….यानी वो भी एंजाय कर रही थी …….
उन अज्नबियो के साथ मारपीट करना फ़िजूल था ……वैसे भी भाभी ओर बुआ को नंगी देखकर मेरा लंड तंबू बन चुका था ……मैने उसे आज़ाद कर अपने हाथो से सहलाते हुए भाभी ओर बुआ को चुद्ते हुए देखने लगा …….. तभी उस आदमी ने उठकर भाभी के पैरों को फैलाकर अपना फंफनाता लंड भाभी की बुर मे पेल दिया …..
आहह……………भाभी की सिसकारी गूँजी
उधर बुआ को चोदने वाला आदमी झाड़ चुका था …….दूसरा आदमी बुआ को कुतिया बनाकर पीछे से पेल रहा था …… इधर भाभी की गांद मे भी दूसरे ने अपना लंड डाल दिया था ओर उनको सॅंडबिच बनाकर खड़े खड़े दोनो तरफ़ से पेल रहा था …….
अंदर बुआ ओर भाभी की कामुक कराहट फैली थी …….
कोमल भाभी को तीन लोगों ने जबकि बुआ को दो लोगों ने बारी बारी पेला …….लेकिन सारे फिसड्डी निकले ….बीस मिनट मे ही सारा कार्यक्रम समाप्त हो गया …. मैं भी झाड़ चुका था ……..
सारे अजनबी भाग गये …….तभी बुआ साड़ी लपेटती हुई फुस्फुसाइ ……. कुत्तो ने सारे कपड़े खराब कर दिए और ठीक से मज़ा भी नही दिया
इस मामले मे अनिता बहुत भाग्यशाली है ……भाभी बोली
क्या कहती हो ? क्या उसके साथ भी ऐसा ??……..बुआ उत्सुकतावश पूछी
नही बुआ ,…………वो राजन जीजाजी का बहुत तगड़ा है ना ….बिल्कुल घोड़े की माफिक ……
सच मे ?….बुआ आश्चर्यमिश्रित स्वर मे बोली …….तुमने लिया है ??
हां बुआ,……मुझे तो दो लोगों से एक साथ चुद्कर भी उतना मज़ा नही आया …..जितना अकेले जीजाजी के साथ ……………………
दोनो अब पगडंडी पर पहुँच गयी
मैं जीजाजी के बारे सोचते हुए वापिस लौटने लगा ………………
घर पहुँचकर देखा तो सारे लोग अपना जगह पकड़ चुके थे …..स्टोररूम मे भी मेरी चुनी हुई जगह पर बिस्तर लगा था ……जो भी था शायद बाथरूम( जो स्टोररूम के ठीक सामने था) गया था….. कमरे मे ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था ओर पंखा चल रहा था ……..मैने इधर –उधर देखा ……..खिड़की खुली थी लेकिन हवा नही आ रही थी क्योंकि सामने एक दीवाल से दूसरी दीवाल तक रस्सी बँधा पड़ा था जिसपर ढेर सारे कपड़े टँगे पड़े थे ……मैं कपड़े हटाने के लिए आगे बढ़ा तो देखा वहाँ एक बेंच पड़ा था जिसपर दो बोरियाँ रखी थी ……मेरे सोने का जुगाड़ हो गया …..मैने बोरियाँ उठाकर नीचे रखा ……गद्दे स्टोररूम मे ही पड़े थे ……मैने एक के उपर एक , दो गद्दे डालकर अपने भींगे कपड़े निकाले ओर वहाँ चड्डी मे ही बैठ गया ……खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी …….
मैं चुपचाप वही सो गया ….फिर चूड़ियों की आवाज़ से ही मेरा नींद खुला ………घड़ी देखा ….चार बज रहे थे …… मैं रस्सी पर टँगे कपड़ो के बीच से झाँका …….
मेरी सिसकारी निकलते निकलते रह गया ……….
दुल्हन के कपड़ों मे सजी सुनीता दीदी सामने दीवाल से चिपकी खड़ी थी …..जीजाजी उनको दीवाल से सटाये हुए होटो को चूस रहे थे ओर हाथों से दीदी के ब्लाउज के बटन खोल रहे थे ……देखते ही देखते दीदी की चुचियाँ ब्रा से भी आज़ाद होकर बाहर उछल पड़ी ……… मस्त मांसल चुचियों के बीच निपल प्रत्यक्ष मे खड़े अपने मर्दन का इंतजार कर रहे थे ………जीजाजी उसे मसलने लगे ……. फिर झुककर उसे चूसने लगे …… दीदी अपना हाथ नीचे कर जीजाजी के लंड को मुठिया रही थी…….जीजाजी और झुके ओर दीदी की साड़ी –पेटिकोट को उठाकर दीदी के हाथ मे पकड़ा दिया ओर खुद घुटने के बल बैठकर दीदी की पैंटी को निकाल दिया ओर उनकी नंगी बुर् को चाटने लगे …………….
दीदी मचलने लगी …..
आहह…….मेरा दिल धड़ धड़ कर रहा था ………मैं पहली बार पूरे प्रकाश मे खुली बुर देख रहा था ….वो भी अपनी बहन की …..उसकी सुहागरात को ……अपनी पेटिकोट उठाए हुए अपने जीजा से बुर चटवाती हुई …….. मस्ती मे अपने होन्ट काटती हुई ......
फिर दीदी दीवाल से सटे ही बैठ गयी ऑर जीजाजी का लंड अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी ……मोटा लंड मुस्किल से उनके मुँह मे समा रहा था ………
तभी जीजा जी ने पूछा ….तुम्हारे पति को कुछ पता चला ?………
नही ……. जीजाजी का लंड मुँह से निकालते हुए दीदी बोली …….एकदम अनाड़ी हैं……..दो शॉट मारा ओर शांत ….जीजाजी मुझे आपकी बहुत याद आएगी …….
घबराओ मत…..मैं हूँ ना …….तुम्हारी उबल्ति चूत को ठंडा करने के लिए …….
फिर जीजाजी ने दीदी को बेड पर चित लिटा दिया ओर उनकी नंगी जाँघो के बीच आकर अपना मूसल बुर के छेद पर भिड़ाकर अंदर ठेलने लगे ……
मेरी साँसे रुकने लगी ……इतना मोटा दीदी की छोटी सी बुर मे जाएगा कैसे ?................आख़िरकार जीजाजी ने अंदर पेल ही दिया ……दीदी की सिसकी कमरे मे गूँजी ……..
इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………………………….
अब जीजाजी ने दीदी को ढकाधक पेलना शुरू किया ……….भींगा लंड बाहर आता ओर कचह…की आवाज़ के साथ अंदर घुस जाता ……….दीदी बेडशीट को ज़ोर से पकड़े थी ……..जीजाजी पेले जा रहे थे …. ओर दीदी अपनी कमर उचकाते हुए चुदवा रही थी……..
मेरा लंड कछे से बाहर निकल्कर लपलापा रहा था , मानो उसे दस वियाग्रा का डोस दे दिया गया हो ………दीदी को चुद्ते देख मैं भी अपना लंड मसल्ने लगा ………….
उधर जीजाजी झाड़ गये , इधर मैं ………
तूफान के गुजरने के बाद दीदी जीजाजी से लिपट कर खूब रोई …….मानो सुबह के बजाय अभी ही उनकी विदाई हो………
सुबह दीदी की विदाई के बाद धीरे धीरे सारे मेहमान भी जाने लगे ….पर बुआ नही गयी ….
आज पूरे दिन बुआ, जीजाजी की खातिरदारी मे ही लगी रही …..कई बार बुआ वेवजह झुककर जीजाजी को अपने हुस्न का दीदार करा चुकी थी ओर साथ मे मुझे भी, क्योंकि आज मेरी नज़र बुआ के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी …….
रात को सोने के समय सुहागकक्ष दीदी-जीजाजी को मिला…..ओर मेरा कमरा बाकी सारे लोगो के लिए …..लेकिन बुआ ने एलान किया कि वो काफ़ी थकि है इसलिए अकेली सोएगी ………जीजाजी ने बुआ को स्टोररूम मे जगह के बारे मे बताया ………बुआ स्टोररूम मे बिस्तर लगाकर खाना खाने चली गयी ….
मेरे बारे मे किसी ने सोंचा ही नही ……..मैने चुपचाप पुरानी जगह को चुना ओर लेट गया …..
बुआ आते ही दरवाजा बंद की ओर चित लेट गयी ……फिर उन्होने अपने घुटने मोड़ कर अपनी साड़ी ऑर पेटिकोट नीचे खिसकाई …………
ओह………………बुआ की फूली बुर मेरे आँखो के सामने चमक रही थी ………..
फिर उन्होने एक लंबा बेगन निकाला ओर अपनी मस्तायी बुर मे घुसाने लगी ………
बुआ ने आँखे बंद कर रखी थी ओर उन्ह…इन्ह…..करते हुए पूरे बेगन को अपनी बुर मे घुसेड कर तेज़ी से अंदर बाहर कर रही थी …….वो ऐन्थ्ते हुए झाड़ रही थी …..झड़ने के बाद बेगन फेंककर नंगी ही सो गयी …..
बुआ की ऐसी चुदास देखकर मेरा मन कर रहा था कि जाकर उसपर चढ़कर उनको हचक हचककर चोदु …….पर मन मसोसकर रुका रहा ….अगर कहीं गुस्सा हो जाती तो मैं कहीं का नही रहता ….
एक घंटे बाद बाहर हल्की आवाज़ हुई ….बुआ झट से दरवाजे पर पहुँचकर झिर्री से बाहर झाँकी ओर दरवाजा खोल दिया …..जीजाजी बाथरूम जा रहे थे ….
जमाईजी …..लगता है कोई कीड़ा घुस गया है …..बुआ अपने बदन को खुजलाते हुए बोली …..बहुत तंग कर रहा है ……
जीजाजी अंदर आकर धीमे से बोले …….बेड झाड़ लीजिए बुआजी ….
बुआ झुककर बेड झाड़ने लगी …….उनका हेवी चूतर जीजाजी के जाँघो से टकरा रहा था ……जीजाजी भी माहिर खिलाड़ी थे…… मौका देखा ओर बुआ के पिछवाड़े से सत गये .....
आहह……………….लगता है कीड़ा मेरे कपड़ों मे घुस गया है ……..अपनी चुतडो को जीजाजी के मूसल पर रगड़ती हुई बुआ खड़ी हुई ………
बुआजी …….आप अपने कपड़े खोलकर झाड़ लीजिए ……जीजाजी ने धीमे कहा
दरवाजा तो बंद कर दीजिए, कोई देखेगा तो क्या कहेगा ? …….
जैसे ही जीजाजी दरवाजे की तरफ पलटे ओर दरवाजा बंद किया …….बुआ ने साड़ी खोलकर फेंकी …..ओर खिड़की की तरफ घूमकर , अपना पेटिकोट आगे से जाँघो तक उठाकर झूठमूठ झुक के देखने लगी …………..
जीजाजी बुआ के पास आए ओर उनके पीछे चिपकते हुए बोले …….अच्छा कीड़ा वहाँ घुस गया है …..लाइए मैं मसलकर मार दूं ……ओर अपना हाथ आगे लाकर बुआ की बुर को मुठ्ठी मे भींच लिया ……….
आहह………बुआ सिसकी
जीजाजी अपनी उंगली बुआ के बुर मे पेलकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे ……..बुआजी , लगता है कीड़े ने आपको गीला कर दिया है ……
हांजी ,…………लेकिन वो ऐसे नही मरेगा …….उसे किसी मोटे डंडे से दबाकर मारिए ……..बुआ हल्की वाय्स मे बोली
अभी लीजिए ……..ये कहते हुए जीजाजी ने बुआ को बेड पर झुका दिया ओर उनका पेटिकोट पीछे से उठाकर अपनी लूँगी खोलकर फन्फनाते मूसल को उनकी पनियाई बुर मे झटके से पेल दिया …..
उईईईई…मा…….मर गयी ………..बुआ हौले से कराही ……लेकिन जीजाजी उनकी कराहट को नज़रअंदाज करते हुए बिना रुके पेलते रहे ………बुआ तकिये को दांतो से दबाए अपनी जिंदगी की सबसे बेरहम दर्द भरी चुदाई का मज़ा लेने लगी ओर जब जीजाजी आधे घंटे बाद झाडे तो बुआ को खड़ा भी नही हुआ जा रहा था …..हान्फ्ते हुए वहीं नंगी लेट गयी ……
आज के दिन का ज़रूर मेरी जिंदगी से कोई गहरा नाता है …….दो साल पहले यही दिन था जब मैने पहली बार किसी स्त्री को नग्न देखा था …..वो भी जबरदस्त ढंग से चुद्ते ….लाइव! …..आज फिर से देखने का मौका मिल सकता है ….
मैं बड़ी दीदी अनिता ओर राजन जीजाजी के घर उनके मुन्ने को देखने मम्मी के साथ आया हुआ हूँ …..
मैने दीदी के बगल वाला कमरा लिया है ……. मेरे ओर दीदी के कमरे के बीच इंटरकॅनेकटिड दरवाजे के उपर शीशे वाले पोर्षन मे दीदी के कमरे की तरफ से ही टॉम & जेर्री की तस्वीर वाला पेपर चिपका हुआ है ……. मैने मौका देखकर टॉम की दोनो आँखो के पेपर खरोंच दिया है …..अब कुर्सी लगाकर मेरे कमरे से दीदी के कमरे का लगभग हर हिस्सा टॉम की आँखो से दिख रहा है ………..
छोटी दीदी सुनीता की शादी की रात …….बारिश आने के पूरे आसार थे …..
एक बजे जब शादी समाप्त हुई तो बूँदा-बाँदी शुरू हो चुकी थी ….दूल्हा –दुल्हन को सुहागकक्ष मे भेज दिया गया ओर सारे लोग अपने सोने के लिए जगह ढूढ़ने लगे …..
बुआजी पिछली तीन रातों की तरह कोमल भाभी के घर निकली …… आज छत पर तो सोया नही जा सकता ……मैने स्टोररूम मे देखा , थोड़े अड्जस्टमेंट से एक बिस्तर वहाँ लगाया जा सकता था …..
तभी मा मुझे देखते ही बोली …तू बुआ को पहुँचाने नही गया ?, कोमल का घर दूर है ओर बारिश होने वाली है … जल्दी से उनके पीछे जा ...
मैं बाहर निकला …..वी शेप वाले गाँव के अंदर का रास्ता काफ़ी लंबा था परंतु शॉर्टकट वाले सीधे रास्ते मे खेतों से होकर गुज़रना पड़ता था …… तेज बिजली चमक रही थी ……मैने आगे तीन चार अज्नबियो को खेतों की ओर जाते हुए देखा ….शायद बाराती थे ओर टाय्लेट के लिए उधर खेतों की तरफ जा रहे थे……
मैं भी उसी रास्ते पर बढ़ रहा था क्योंकि शॉर्टकट यही था ……थोड़ी देर मे वो लोग अंधेरे मे ओझल हो गये ……….तभी तेज बारिश शुरू हो गयी ….मैं तुरंत एक बड़े पेड़ के नीचे रुका ……. ……रुक रुक कर चमक रही बिजली मे पगडंडी से सटे पुराने स्कूल के खंडहर के बरामदे मे मुझे कोमल भाभी ओर बुआ की झलक दिखाई पड़ी …..मैने चैन की साँस ली …….
दस मिनट बाद वो दोनो मुझे कहीं नज़र नही आई …..कहाँ चली गयी? मैं बड़बड़ाया ओर उसी तेज बारिश मे मैं खंडहर की तरफ बढ़ने लगा ……….स्कूल के अहाते मे पहुँचते ही मेरे कदम ठिठक गये ……अंदर से भाभी ओर बुआ की कराहने की आवाज़ आ रही थी ……मैं अंदर की ओर लपका …..टूटी खिड़की से जैसे ही मैने अंदर झांका , मैं सन्न रह गया ……..
वही चार अजनबी बाराती , जिन्हे मैने आगे खेतों की ओर जाते देखा था , दो- दो के गुट मे भाभी ओर बुआ को दबोचे हुए थे……
..बुआ बिकुल नंगी अपने ही साड़ी पर लेटी थी ….एक आदमी अपना लंड निकालकर उनके मुँह मे ठूँसा हुआ था ओर दूसरा उनकी जांघों के बीच बैठकर उन्हे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था ….बुआ भी अपनी कमर उचकाकर उसका साथ दे रही थी …..यानी अपनी बेरहम चुदाई को एंजाय कर रही थी ……
इधर कोमल भाभी की भी साड़ी खुलकर नीचे पड़ी थी ….. उनके ब्लाउज के सारे बटन टूट चुके थे ऑर पीछेवाला आदमी खड़े खड़े उनकी ब्रा उपर कर उनकी चुचियों को बेरहमी से मसल रहा था …..दूसरा आदमी उनकी पेटिकोट के गॅप वाली जगह से फाड़कर उनके सामने घुटनो के बल बैठकर उनकी बुर को कुत्ते की तरह चाट रहा था ………भाभी उसका सर अपनी बुर पर दबाती हुई मस्ती मे सीसीया रही थी ….यानी वो भी एंजाय कर रही थी …….
उन अज्नबियो के साथ मारपीट करना फ़िजूल था ……वैसे भी भाभी ओर बुआ को नंगी देखकर मेरा लंड तंबू बन चुका था ……मैने उसे आज़ाद कर अपने हाथो से सहलाते हुए भाभी ओर बुआ को चुद्ते हुए देखने लगा …….. तभी उस आदमी ने उठकर भाभी के पैरों को फैलाकर अपना फंफनाता लंड भाभी की बुर मे पेल दिया …..
आहह……………भाभी की सिसकारी गूँजी
उधर बुआ को चोदने वाला आदमी झाड़ चुका था …….दूसरा आदमी बुआ को कुतिया बनाकर पीछे से पेल रहा था …… इधर भाभी की गांद मे भी दूसरे ने अपना लंड डाल दिया था ओर उनको सॅंडबिच बनाकर खड़े खड़े दोनो तरफ़ से पेल रहा था …….
अंदर बुआ ओर भाभी की कामुक कराहट फैली थी …….
कोमल भाभी को तीन लोगों ने जबकि बुआ को दो लोगों ने बारी बारी पेला …….लेकिन सारे फिसड्डी निकले ….बीस मिनट मे ही सारा कार्यक्रम समाप्त हो गया …. मैं भी झाड़ चुका था ……..
सारे अजनबी भाग गये …….तभी बुआ साड़ी लपेटती हुई फुस्फुसाइ ……. कुत्तो ने सारे कपड़े खराब कर दिए और ठीक से मज़ा भी नही दिया
इस मामले मे अनिता बहुत भाग्यशाली है ……भाभी बोली
क्या कहती हो ? क्या उसके साथ भी ऐसा ??……..बुआ उत्सुकतावश पूछी
नही बुआ ,…………वो राजन जीजाजी का बहुत तगड़ा है ना ….बिल्कुल घोड़े की माफिक ……
सच मे ?….बुआ आश्चर्यमिश्रित स्वर मे बोली …….तुमने लिया है ??
हां बुआ,……मुझे तो दो लोगों से एक साथ चुद्कर भी उतना मज़ा नही आया …..जितना अकेले जीजाजी के साथ ……………………
दोनो अब पगडंडी पर पहुँच गयी
मैं जीजाजी के बारे सोचते हुए वापिस लौटने लगा ………………
घर पहुँचकर देखा तो सारे लोग अपना जगह पकड़ चुके थे …..स्टोररूम मे भी मेरी चुनी हुई जगह पर बिस्तर लगा था ……जो भी था शायद बाथरूम( जो स्टोररूम के ठीक सामने था) गया था….. कमरे मे ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था ओर पंखा चल रहा था ……..मैने इधर –उधर देखा ……..खिड़की खुली थी लेकिन हवा नही आ रही थी क्योंकि सामने एक दीवाल से दूसरी दीवाल तक रस्सी बँधा पड़ा था जिसपर ढेर सारे कपड़े टँगे पड़े थे ……मैं कपड़े हटाने के लिए आगे बढ़ा तो देखा वहाँ एक बेंच पड़ा था जिसपर दो बोरियाँ रखी थी ……मेरे सोने का जुगाड़ हो गया …..मैने बोरियाँ उठाकर नीचे रखा ……गद्दे स्टोररूम मे ही पड़े थे ……मैने एक के उपर एक , दो गद्दे डालकर अपने भींगे कपड़े निकाले ओर वहाँ चड्डी मे ही बैठ गया ……खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी …….
मैं चुपचाप वही सो गया ….फिर चूड़ियों की आवाज़ से ही मेरा नींद खुला ………घड़ी देखा ….चार बज रहे थे …… मैं रस्सी पर टँगे कपड़ो के बीच से झाँका …….
मेरी सिसकारी निकलते निकलते रह गया ……….
दुल्हन के कपड़ों मे सजी सुनीता दीदी सामने दीवाल से चिपकी खड़ी थी …..जीजाजी उनको दीवाल से सटाये हुए होटो को चूस रहे थे ओर हाथों से दीदी के ब्लाउज के बटन खोल रहे थे ……देखते ही देखते दीदी की चुचियाँ ब्रा से भी आज़ाद होकर बाहर उछल पड़ी ……… मस्त मांसल चुचियों के बीच निपल प्रत्यक्ष मे खड़े अपने मर्दन का इंतजार कर रहे थे ………जीजाजी उसे मसलने लगे ……. फिर झुककर उसे चूसने लगे …… दीदी अपना हाथ नीचे कर जीजाजी के लंड को मुठिया रही थी…….जीजाजी और झुके ओर दीदी की साड़ी –पेटिकोट को उठाकर दीदी के हाथ मे पकड़ा दिया ओर खुद घुटने के बल बैठकर दीदी की पैंटी को निकाल दिया ओर उनकी नंगी बुर् को चाटने लगे …………….
दीदी मचलने लगी …..
आहह…….मेरा दिल धड़ धड़ कर रहा था ………मैं पहली बार पूरे प्रकाश मे खुली बुर देख रहा था ….वो भी अपनी बहन की …..उसकी सुहागरात को ……अपनी पेटिकोट उठाए हुए अपने जीजा से बुर चटवाती हुई …….. मस्ती मे अपने होन्ट काटती हुई ......
फिर दीदी दीवाल से सटे ही बैठ गयी ऑर जीजाजी का लंड अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी ……मोटा लंड मुस्किल से उनके मुँह मे समा रहा था ………
तभी जीजा जी ने पूछा ….तुम्हारे पति को कुछ पता चला ?………
नही ……. जीजाजी का लंड मुँह से निकालते हुए दीदी बोली …….एकदम अनाड़ी हैं……..दो शॉट मारा ओर शांत ….जीजाजी मुझे आपकी बहुत याद आएगी …….
घबराओ मत…..मैं हूँ ना …….तुम्हारी उबल्ति चूत को ठंडा करने के लिए …….
फिर जीजाजी ने दीदी को बेड पर चित लिटा दिया ओर उनकी नंगी जाँघो के बीच आकर अपना मूसल बुर के छेद पर भिड़ाकर अंदर ठेलने लगे ……
मेरी साँसे रुकने लगी ……इतना मोटा दीदी की छोटी सी बुर मे जाएगा कैसे ?................आख़िरकार जीजाजी ने अंदर पेल ही दिया ……दीदी की सिसकी कमरे मे गूँजी ……..
इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………………………….
अब जीजाजी ने दीदी को ढकाधक पेलना शुरू किया ……….भींगा लंड बाहर आता ओर कचह…की आवाज़ के साथ अंदर घुस जाता ……….दीदी बेडशीट को ज़ोर से पकड़े थी ……..जीजाजी पेले जा रहे थे …. ओर दीदी अपनी कमर उचकाते हुए चुदवा रही थी……..
मेरा लंड कछे से बाहर निकल्कर लपलापा रहा था , मानो उसे दस वियाग्रा का डोस दे दिया गया हो ………दीदी को चुद्ते देख मैं भी अपना लंड मसल्ने लगा ………….
उधर जीजाजी झाड़ गये , इधर मैं ………
तूफान के गुजरने के बाद दीदी जीजाजी से लिपट कर खूब रोई …….मानो सुबह के बजाय अभी ही उनकी विदाई हो………
सुबह दीदी की विदाई के बाद धीरे धीरे सारे मेहमान भी जाने लगे ….पर बुआ नही गयी ….
आज पूरे दिन बुआ, जीजाजी की खातिरदारी मे ही लगी रही …..कई बार बुआ वेवजह झुककर जीजाजी को अपने हुस्न का दीदार करा चुकी थी ओर साथ मे मुझे भी, क्योंकि आज मेरी नज़र बुआ के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी …….
रात को सोने के समय सुहागकक्ष दीदी-जीजाजी को मिला…..ओर मेरा कमरा बाकी सारे लोगो के लिए …..लेकिन बुआ ने एलान किया कि वो काफ़ी थकि है इसलिए अकेली सोएगी ………जीजाजी ने बुआ को स्टोररूम मे जगह के बारे मे बताया ………बुआ स्टोररूम मे बिस्तर लगाकर खाना खाने चली गयी ….
मेरे बारे मे किसी ने सोंचा ही नही ……..मैने चुपचाप पुरानी जगह को चुना ओर लेट गया …..
बुआ आते ही दरवाजा बंद की ओर चित लेट गयी ……फिर उन्होने अपने घुटने मोड़ कर अपनी साड़ी ऑर पेटिकोट नीचे खिसकाई …………
ओह………………बुआ की फूली बुर मेरे आँखो के सामने चमक रही थी ………..
फिर उन्होने एक लंबा बेगन निकाला ओर अपनी मस्तायी बुर मे घुसाने लगी ………
बुआ ने आँखे बंद कर रखी थी ओर उन्ह…इन्ह…..करते हुए पूरे बेगन को अपनी बुर मे घुसेड कर तेज़ी से अंदर बाहर कर रही थी …….वो ऐन्थ्ते हुए झाड़ रही थी …..झड़ने के बाद बेगन फेंककर नंगी ही सो गयी …..
बुआ की ऐसी चुदास देखकर मेरा मन कर रहा था कि जाकर उसपर चढ़कर उनको हचक हचककर चोदु …….पर मन मसोसकर रुका रहा ….अगर कहीं गुस्सा हो जाती तो मैं कहीं का नही रहता ….
एक घंटे बाद बाहर हल्की आवाज़ हुई ….बुआ झट से दरवाजे पर पहुँचकर झिर्री से बाहर झाँकी ओर दरवाजा खोल दिया …..जीजाजी बाथरूम जा रहे थे ….
जमाईजी …..लगता है कोई कीड़ा घुस गया है …..बुआ अपने बदन को खुजलाते हुए बोली …..बहुत तंग कर रहा है ……
जीजाजी अंदर आकर धीमे से बोले …….बेड झाड़ लीजिए बुआजी ….
बुआ झुककर बेड झाड़ने लगी …….उनका हेवी चूतर जीजाजी के जाँघो से टकरा रहा था ……जीजाजी भी माहिर खिलाड़ी थे…… मौका देखा ओर बुआ के पिछवाड़े से सत गये .....
आहह……………….लगता है कीड़ा मेरे कपड़ों मे घुस गया है ……..अपनी चुतडो को जीजाजी के मूसल पर रगड़ती हुई बुआ खड़ी हुई ………
बुआजी …….आप अपने कपड़े खोलकर झाड़ लीजिए ……जीजाजी ने धीमे कहा
दरवाजा तो बंद कर दीजिए, कोई देखेगा तो क्या कहेगा ? …….
जैसे ही जीजाजी दरवाजे की तरफ पलटे ओर दरवाजा बंद किया …….बुआ ने साड़ी खोलकर फेंकी …..ओर खिड़की की तरफ घूमकर , अपना पेटिकोट आगे से जाँघो तक उठाकर झूठमूठ झुक के देखने लगी …………..
जीजाजी बुआ के पास आए ओर उनके पीछे चिपकते हुए बोले …….अच्छा कीड़ा वहाँ घुस गया है …..लाइए मैं मसलकर मार दूं ……ओर अपना हाथ आगे लाकर बुआ की बुर को मुठ्ठी मे भींच लिया ……….
आहह………बुआ सिसकी
जीजाजी अपनी उंगली बुआ के बुर मे पेलकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे ……..बुआजी , लगता है कीड़े ने आपको गीला कर दिया है ……
हांजी ,…………लेकिन वो ऐसे नही मरेगा …….उसे किसी मोटे डंडे से दबाकर मारिए ……..बुआ हल्की वाय्स मे बोली
अभी लीजिए ……..ये कहते हुए जीजाजी ने बुआ को बेड पर झुका दिया ओर उनका पेटिकोट पीछे से उठाकर अपनी लूँगी खोलकर फन्फनाते मूसल को उनकी पनियाई बुर मे झटके से पेल दिया …..
उईईईई…मा…….मर गयी ………..बुआ हौले से कराही ……लेकिन जीजाजी उनकी कराहट को नज़रअंदाज करते हुए बिना रुके पेलते रहे ………बुआ तकिये को दांतो से दबाए अपनी जिंदगी की सबसे बेरहम दर्द भरी चुदाई का मज़ा लेने लगी ओर जब जीजाजी आधे घंटे बाद झाडे तो बुआ को खड़ा भी नही हुआ जा रहा था …..हान्फ्ते हुए वहीं नंगी लेट गयी ……