XXX Kahani एक भाई ऐसा भी - Page 7 - SexBaba
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XXX Kahani एक भाई ऐसा भी

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अब आगे
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उसकी बात सुनकर सभी हैरत से एक दूसरे की तरफ देखने लगे...आख़िर काजल कहना क्या चाह रही थी...अच्छा भला, सीधा साधा सा खेल चल रहा था...स्ट्रीप पोकर में एक दूसरे को नंगा करने का...फिर ये स्लेव बनाने से क्या होगा...इससे अच्छा तो नंगा ही कर दो उसको...

पर जीती वो थी इसलिए मर्ज़ी भी उसकी ही चलनी थी, राणा ने सभी को चुप रहकर आगे का तमाशा देखने का इशारा किया..क्योंकि वो शायद समझ चुका था की काजल का दिमाग़ किस तरफ जा रहा है...और अगर वो सही है तो, काजल जो भी कर रही है, उसमे बहुत मज़ा आने वाला था..

काजल ने सारिका को अपने साथ उपर चलने के लिए कहा..वो बेचारी अपनी आँखों में हज़ारों सवाल लेकर उसके पीछे -2 उपर वाले कमरे की तरफ चल दी..

और उनके जाते ही सभी एक दूसरे से ख़ुसर फुसर करने लगे...और उनके नीचे आने का इंतजार भी..

और करीब 10 मिनट के बाद उनके नीचे आने की आवाज़ सुनाई दी..

सभी टकटकी लगाकर सीढ़ियों की तरफ देखने लगे..

और उन्हे देखकर सभी अपने खड़े हुए लंड के साथ - 2 खुद भी अपनी सीट से उठ खड़े हुए ...

नज़ारा ही कुछ ऐसा था उनके सामने..

काजल ने सच मे सारिका को अपनी स्लेव बना लिया था..उन दोनो ने कुछ अजीब से कपड़े भी पहन लिए थे...जिसमे काजल एक मास्टर और सारिका उसकी स्लेव लग रही थी..

सारिका को काजल ने एक चैन से बाँध रखा था...और वो अपने घुटनो और हाथों के बल किसी कुत्तिया की तरह चल रही थी उसके पीछे..

उन दोनो को ऐसे सेक्सी कपड़ों मे ऐसे मास्टर-स्लेव के किरदार मे आता हुआ देखकर सभी के लंड फटने वाली हालत में आ गये..

काजल ने काफ़ी इंग्लीश मूवीस देखी हुई थी और उसे बचपन से ही साइट्स पर इंग्लिश स्टोरीस पड़ने का भी शोंक था, और शायद ये आइडिया उसके दिमाग़ में वहीं से आया था, जो शायद वो कब से करना चाहती थी..और आज तो मौका भी था और दस्तूर भी...

ऐसे मौके का फायदा उठाकर वो खेल-2 में सबका मनोरंजन भी कर रही थी और अपने -2 जिस्म की नुमाइश भी...

काजल ने हील वाले सेंडिल पहने हुए थे और उपर से उसकी सेक्सी टांगे नंगी थी...और उसने सारिका को एक सफेद शर्ट पहनाई हुई थी...जिसमें उसके लटक रहे मुम्मों पर चिपके निप्पल काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..

काजल अपनी स्लेव को लेकर सोफे तक आई


काजल : "दोस्तों....ये है मेरी स्लेव....सारिका ....''

सारिका की शर्ट के 2 बटन खुले होने की वजह से उसके गोरे-2 बूब्स सभी को साफ़ नज़र आ रहे थे...राणा, बिल्लू और गणेश तो पागल से हो चुके थे...

और उससे भी बड़ी और मज़े की बात ये थी की सारिका को भी उन सबमे बड़ा मज़ा आ रहा था..

जब उपर जाकर काजल ने सारिका को बताया की वो क्या करना चाहती है तो सारिका को विश्वास ही नही हुआ की उसकी भोली सी दिखने वाली सहेली इतनी ख़तरनाक सोच रखती है...वो नीचे बैठे ठरकियों को पूरी तरह से तडपा-तड़पाकर मजे लेना चाहती थी...और साथ ही उनके पैसे भी...जिसका प्लान काजल ने उसे समझा दिया..

वैसे भी ऐसा रोल प्ले करके उन दोनो को अंदर से काफ़ी मज़ा आ रहा था...वो जब पक्की सहेलियाँ थी तो ऐसे ही रोल प्ले करके वो बंद कमरे में काफ़ी मज़े लेती थी...कभी वो टीचर स्टूडेंट बन जाती थी और कभी इंस्पेक्टर मुजरिम...और आज उसी रोल प्ले वाली गेम को सबके सामने पेश करके वो खुद तो मज़े ले ही रही थी उनकी हालत भी खराब कर रहीं थी..

क्योंकि जो चाल काजल के दिमाग़ में थी, उसके हिसाब से अगली गेम अगर उसके हिसाब से चली तो सबके लंड के साथ-2 वो उनके पैसे भी अंदर ले लेगी..

काजल ने सारिका से कहा : "चलो, जाकर सभी को विश करो...''

काजल किसी मालकिन की तरह उस स्लेव बनी सारिका पर अपना हुक्म चला रही थी..

सारिका अपने हाथों और पैरों पर चलती हुई राणा की तरफ बढ़ने लगी...उसकी शर्ट से झाँक रहे मुम्मे देखकर पहले से ही राणा की हालत खराब थी, उसे ऐसे अपनी तरफ आता देखकर वो तो सुध बुध खोकर उसकी गहरी आँखो में देखता रह गया.



वो धीरे-2 चलती हुई उसकी टाँगो के बीच पहुँची..और उसके खड़े हुए लंड के ठीक सामने जाकर उसने अपने होंठों की गर्म हवा छोड़ी और बोली : "हैल्लो मास्टर....कैसे है आप...''

जवाब मे सिर्फ़ उसके अंडरवीयर में क़ैद लंड ने एक जोरदार झटका मारा...जिसे सारिका ने बड़े ही करीब से महसूस किया...उसका तो मन कर रहा था की उसके अंडरवीयर को नीचे खिसकाए और चूस ले उसे ..पर अभी उसकी मास्टर यानी काजल का ये हुक्म नही था..

इसलिए वो वापिस पीछे आई और उसी तरह बिल्लू और गणेश की टाँगों के बीच जाकर उन्हे भी विश किया.

बिल्लू ने तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपने खड़े हुए लंड पर झुकाने की भी कोशिश की पर तभी काजल ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक हंटर टाइप का डंडा उसके हाथों पर मारा और बोली : "जब तक मैं नही कहूँगी, वो कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी का नही करेगी...''

खेल सच मे काफ़ी रोचक होता जा रहा था...

उनके मायूस चेहरों को देखकर काजल की हँसी निकल गयी और साथ ही निकला उसकी योजना का अगला चरण....

वो बोली : "अच्छा ठीक है...अगर तुम सभी इससे अपनी मर्ज़ी का कुछ करवाना चाहते हो तो इसके लिए तुम्हे पैसा खर्च करना पड़ेगा...''

सभी की आँखे चमक उठी...अपनी मर्ज़ी से वो उसके साथ कुछ भी कर सकते थे...

सभी एक साथ चिल्ला पड़े...पहले मैं...पहले मैं..

काजल : "पर वो जो भी करेगी , दूर से ही ...तुम इसको हाथ नही लगा पाओगे...''

सभी एक बार फिर से मायूस हो गये..पर फिर भी, जितना मिल रहा था उसे भी वो खोना नही चाहते थे..काजल ने हर एक्ट की कीमत भी उन्हे बता दी, दस हज़ार रूपए ...जिसे देने में उन्हे कोई परेशानी नही थी..

सबसे पहले राणा ने अपने दिल की बात बताई : "सारिका को बोलो की ये तुम्हे पालतू कुतिया की तरह प्यार करे...तुम्हे चाटकार..अपनी जीभ से...''

शायद ये उसकी फेंटसी थी, उसने भी एक मूवी में ऐसे देखा था, और काजल और सारिका को ऐसा करता देखकर उसके मन में वो बात फिर से उभर आई...वैसे तो वो अपने आप को चटवाना चाहता था सारिका से..पर उसके लिए काजल ने मना कर दिया था...इसलिए उसने काजल ऐसा करने को कहा..

काजल भी मुस्कुरा दी...और सारिका की तरफ देखकर उसे अपनी तरफ खींचा..

सारिका की चूत तो पहले से ही पनिया गयी थी ये सुनकर...वो चलती हुई उसके पास आई और सीधा अपनी जीभ उसकी मोटी जाँघ पर रख दी...

पुर कमरे मे एक नही कई सिसकियाँ गूँज उठी..

एक तो काजल की और बाकी उन तीनों की..

सारिका ने उसकी जाँघ को अच्छी तरह से चाटा ...और फिर धीरे-2 वो नीचे की तरफ जाने लगी...और उसके मखमली घुटनों के बाद उसकी सॉलिड पिंडलियों पर भी उसने अपनी लार से गीलापन छोड़ दिया..

और वो वहीं नही रुकी...उसने काजल के पैरों पर भी अपनी जीभ की कलाकारी दिखाई...ये सब करते हुए उसको खुद भी काफ़ी मज़ा आ रहा था...

और फिर उसने धीरे-2 अपनी जीभ से उसके लेदर के सेंडिलस को भी चाटा ...जैसा की असली स्लेव करती है...वो तो पूरी कैरेक्टर में घुस चुकी थी...खुद भी मज़े ले रही थी और देखने वालो को भी मज़े दे रही थी...
 
सभी उसकी ऐसी परफॉर्मेंस देखकर तालियाँ बजाने लगे...

अब बिल्लू की बारी थी...

उसने दस हज़ार रूपए दिए और बोला : "मुझे तो उसको नंगा देखना है...''

वो तो वैसे भी वो हो ही जाती, शायद अगली 2-3 गेम्स में ..पर उसका उतावलापन अपनी जगह सही भी था... सारिका के जवान जिस्म को नंगा देखने की चाहत उसे कब से थी...आज वो पूरी होने जा रही थी..

काजल ने उसे इशारा किया और सारिका अपने पैरों पर खड़ी हो गयी..

वो बिल्लू के सामने आकर बैठ गयी...और अपनी शर्ट को दोनो तरफ से पकड़कर उसने दोनो तरफ खींचना शुरू कर दिया...और एक-2 करते हुए उसकी शर्ट के बटन टूट कर नीचे बिखरने लगे...

अब सारिका सिर्फ़ ब्रा मे बैठी थी उसके सामने...

बिल्लू तो इतनी पास से उसकी ब्रा में क़ैद मुम्मों को देखकर फिर से बावला हो गया..

और फिर सारिका ने हंसते हुए अपनी ब्रा के हुक भी खोले और उसे एक ही झटके मे उतार कर फेंक दिया...

और कमरे मे हर शख्स ने पहली बार उसे टॉपलेस देखा..

एकदम कड़क थे उसके बूब्स...सामने की तरफ तने हुए...भरे हुए, दोनो हाथों मे मुश्किल ही आए..पर ज़्यादा बड़े भी नही...इतने रसीले और बड़े रसगुल्लों को अपने सामने देखकर सभी के मुँह में पानी आ गया..

पर कोई कुछ कर तो नही सकता था ना..

और फिर सारिका ने अपनी पेंटी को पकड़ा और उसे भी उतार दिया..

और एक ताजी चूत का झोंका बिल्लू के नथुनों से आ टकराया...ऐसा लगा उसे की उसकी चूत से गर्म भाप छोड़ी गयी है ख़ास उसके लिए..जिसकी खुश्बू में अपनी सुध बुध खोकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली...

सारिका पूरी की पूरी नंगी खड़ी थी सबके सामने...क्या तराशा हुआ जिस्म था उसका...उपर से नीचे तक माल थी वो लड़की..

सबने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को रोका हुआ था...भले ही वो कुछ नही कर पा रहे थे, पर इस खेल में उन्हे मज़ा बहुत आ रहा था.

अब गणेश की बारी थी..

उसने दस हज़ार काजल को सौंप दिए और अपने दिल की इच्छा बताई..

गणेश : "काजल, तुमने जो हंटर पकड़ा हुआ है अपने हाथ मे, उससे तुम इसकी गांड की पिटाई करके इसको लाल कर दो...''

ये सुनकर सभी चोंक गये...

सारिका : "ऐसा क्यो कर रहे हो तुम....मेरे से ऐसी क्या दुश्मनी है जो मेरी लाल करने पर तुले हो...''

वो हंस भी रही थी, की ऐसा क्यो बोल रहा है वो.

गणेश : "अब ये तो मुझे नही मालूम, पर यहाँ जब सभी अपनी - 2 इच्छा बता रहे हैं तो मैने भी बोल दी, वैसे ये काम मैं अपनी बीबी के साथ कब से करना चाहता हू...उसे नंगा करके अपनी गोद में लेकर उसकी भरी हुई गांड पर चपेटें लगाकर उसे लाल करना चाहता हू...और फिर उसे चूमना चाहता हू..पर वो मेरी इस बात को आज तक नही मान सकी...बोलती है की मैं पागल हू...ऐसा कौन करता है भला ...अब वो मना कर देती है तो उसकी मर्ज़ी, ये तो मना नही करेगी ना, इसको तो पैसे दे रहा हू मैं ...''

यानी अपने पैसे के बल पर वो अपने दिल की इच्छा को पूरा करवाना चाह रहा था...राणा और बिल्लू की तो जायज़ सी डिमांड थी, पर ये थोड़ी ख़तरनाक सी थी..

पर अपनी गांड पर हंटर पड़ने की बात सुनकर सारिका काफ़ी गर्म हो चुकी थी...केशव भी अक्सर उसे घोड़ी बनाकर जब चोदता था तो उसकी गांड पर बेतहाशा थप्पड़ मारकर उसे लाल कर देता था..उसे काफ़ी मज़ा आता था उसके हाथों की मार अपनी गांड पर खाकर...इसलिए उसने झट से वो पैसे लिए और अपनी गांड को काजल की तरफ करके खड़ी हो गयी..

जब उसको ही कोई प्राब्लम नही थी तो भला किसी और को क्या हो सकती थी...काजल ने उसे उसी सोफे के हत्थे पर उल्टा लिटाया, जिसपर बैठकर वो पहले खेल देख रही थी और हल्के हाथों से उसकी गोरी गांड पर हंटर बरसाने शुरू कर दिए...


हल्की डोरियाँ लगी थी हंटर के आगे...जो एक रेशमी सा एहसास छोड़ रही थी सारिका की मखमली गांड पर...और वो हर प्रहार से कराह उठती...दर्द से नही, मज़े से...क्योंकि उसे उसमें काफ़ी मज़ा मिल रहा था..

और धीरे-2 उसकी गोरी गांड लाल सुर्ख हो गयी...जिसे चूमकर काजल ने उसकी गर्मी को शांत किया..

और इस तरहा से उसका ये मास्टर-स्लेव वाला खेल वहीं ख़त्म हुआ..

सभी को काफ़ी मज़ा आया था..
 
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अब आगे
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अब बेकार का परदा करना बेकार था...देखा जाए तो ये खेल भी एक जुए की तरह ही खेला था काजल ने, सबसे बोली लगवाई और पैसे जीत कर ले गयी..

राणा : "काजल, छोड़ो अब ये सब, असली बात पर आओ..पैसों की चिंता ना करो...''

काजल और सारिका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी..बाकी के दोनो दोस्त भी उन्हे देखने लगे..सभी समझ गये की आख़िरी बाजी की तैयारी हो रही है..

काजल : "कितने पैसे हार सकते हो आख़िरी गेम में ..''

राणा ने अपनी जेब के सारे पैसे निकाल कर सामने रख दिए...और उसकी देखा देखी बिल्लू और गणेश ने भी अपनी जेबें खाली कर दी...

टेबल के उपर नोटों का ढेर सा लग गया...करीब 70 हज़ार रुपय थे वो...सारिका तो पहले के जीते हुए पैसे उपर वाले कमरे में रख चुकी थी..उन्हे कहाँ रखेगी, यही सोचकर उसकी आँखे चौड़ी होती चली गयी..

काजल ने जैसे ही वो पैसे उठाने चाहे, राणा ने रोक दिया और बोला : "इन्हे ले जाओ..पर अब जो हम कहेंगे वो करोगे तुम दोनो..हमारी मर्ज़ी का...''

काजल ने सारिका की तरफ देखा..और आँखो ही आँखो मे सारिका ने अपनी स्वीकृति दे दी..राणा ने अपने हाथ हटा लिए..और काजल ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..

यानी बिना खेल खेले वो बाजी काजल और सारिका जीत गयी

उसने सारे पैसे उपर लेजाकर रख दिए और वापिस आकर खड़ी हो गयी उनके सामने...

सभी एक साथ उठे और सबने मिलकर काजल को घेर लिया...

सभी ने एक-2 करके उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

गणेश ने वो हंटर उसके मुँह मे ठूस दिया...और पीछे खड़े बिल्लू ने उसके मुम्मे के उपर की ब्रा निकाल कर नीचे कर दी..


वो तीनो उसके जिस्म से जोंक की तरहा चिपके हुए थे...सारिका बेचारी अकेली खड़ी हुई अपनी चूत मसल रही थी..और सोच रही थी की उसका नंबर कब आएगा..

बिल्लू और गणेश ने उसके कपड़े निकालते हुए उसके चेहरे को पकड़ा और उसके और राणा के मुँह को आपस मे मिला दिया...और फिर वो सारिका की तरफ चल दिए, उन्हे एक गहरी स्मूच मे डूबा कर..

राणा ने अपनी उंगलियाँ काजल के मुँह मे डाली , जिसे वो प्यासी चुड़ैल की तरह चूसने लगी..फिर उसने झुक कर उसके मुम्मों पर अपना मुँह रख दिया और उन्हे चूसने लगा...वो तड़प उठी..अपनी जीभ से उसके बदन को चाट्ता हुआ वो उपर आया और ज़ोर से स्मूच कर लिया..

बिल्लू और गणेश ने सारिका को घेर लिया, वो तो पागलों की तरह उसे नोचने लगे..उसके मुम्मों पर बिल्लू ने ऐसा हमला बोला जिसे महसूस करके वो चीखे मारने लगी..और गणेश तो सीधा उसके पीछे गया और मार के कारण लाल सुर्ख गांड पर अपनी जीभ रखकर उसे चाटने लगा...शायद आज उसकी दबी हुई इच्छा पूरी हुई थी..

फिर वो आगे की तरफ आया और उसकी चूत पर मुँह लगाकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगा..

सारिका तो हवा ही हवा में अपनी चूत चुस्वाकार डांस करने लगी..

ऐसा मज़ा तो उसने आज तक नही लिया था..

एक से करवाने का मज़ा अलग होता है, पर ऐसे 2-2 के साथ मज़े लेना उसके लिए बिल्कुल नया था, उसके अंदर की रंडी जाग उठी और वो ज़ोर -2 से चीखें मारती हुई चिल्लाने लगी..

''अहहsssssssssssssssssssssssssssss .... और ज़ोर से चूस साले ..... अंदर तक डाल जीभ को....''

बिल्लू : "साली, इससे चुसवाती ही रहेगी क्या....चल मेरा लंड चूस, बड़ी देर से रोका हुआ है मैने...''

और वो दीवार के सहारे खड़ा हुआ और अपना लंड निकाल कर सारिका के सामने रख दिया...

सारिका ने पहले उसके लंड को अपने मुम्मे पर रगड़ा...

उसपर थूक डाल कर अच्छी तरह से गीला किया..

अपने मुम्मों की दीवारों से उसे अच्छी तरह से रगड़ा..

और फिर एक ही झटके मे उसे अपने मुँह मे लेकर चाट लिया..

बिल्लू सिहर उठा..और अपने पंजों पर खड़ा हो गया..

सारिका ने उसके लंड को चाटा ,चूसा और फिर झुक कर उसकी बॉल्स को भी चाट लिया..

ये बिल्कुल नया था बिल्लू के लिए..

फिर तो सारिका रुकी ही नही...उसने चूस - कर उसके लंड को पूरी तरह खड़ा कर दिया..

फिर उसने गणेश की तरफ देखा...उसका तो पहले से ही खड़ा था..

उसे भी उसने एक बार चूसा और फिर उसे वहीं ज़मीन पर लिटा कर उल्टी होकर उसके उपर बैठ गयी.

और अपनी चूत में उसके लंड को लेकर नाचने लगी...

''अहह....उम्म्म्मममममममममममममम''

और फिर सारिका ने गणेश के पैर पकड़े और अपनी गाण्ड उपर नीचे करती हुई चुदवाने लगी....बिल्लू भी साइड में आकर खड़ा हो गया और अपना लंड मसलने लगा उसके चेहरे के पास आकर..इतने करीब से बिल्लू के लंबे लंड को देखकर सारिका का मन उसके लिए ललचा गया...वो उसके लंड को अंदर लेने के लिए तड़प उठी...और एक ही झटके से वो गणेश के ऊपर से उठ खड़ी हुई और नीचे लेट गयी...और बिल्लू की तरफ बाहें करके उसे अपनी तरफ बुलाया..वो भागता हुआ सा आया और अपने खड़े हुए लंड को सीधा लेजाकर उसकी चूत में घोंप दिया..

''आआआआआआआआआआहह ..... ऊऊऊऊऊऊओह य्ाआआआआआआअ ...... उम्म्म्ममममममम ...कितना बड़ा है तेरा ................... अहह ....''

और उसके लम्बे लंड को अंदर महसूस करते हुए उसने पीछे खड़े गणेश के गीले लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और मसलना शुरू कर दिया..
 
एक साथ दो लंड उसकी गिरफ़्त में थे..एक उसकी चूत में और दूसरा उसके हाथ मे..

दोनो के साथ वो पूरे मज़े लेने के मूड में थी..

पुर कमरे मे सिसकारियाँ गूँज रही थी..

सही मानों में कहे तो ग्रुप सेक्स चल रहा था

चारों तरफ नंगे जिस्म बिखरे पड़े थे..

काजल से भी अब रहा नही जा रहा था.

अपनी सहेली को लंड के मज़े लेती देखकर उसने राणा को नीचे पटका, और उसके उपर सवार हो गयी...

और राणा ने उसकी नशीली आँखो मे देखते-2 नीचे से अपना लंड लेजाकर उसकी मखमली चूत पर लगा दिया

और एक ही झटके मे उसके अंदर दाखिल हो गया.

''आआआआआआआआआआआआआआहह उूुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफ्फ़ ढीईईरीई..... ''



ये सिर्फ़ दूसरा लंड था उसकी लाइफ का जो वो अंदर ले रही थी...अभी कल ही तो ताज़ा-2 चुदाई करवाई थी उसने...पर केशव के लंड से काफ़ी बड़ा था राणा का लंड ..इसलिए थोड़ी तकलीफ़ भी हुई उसे...

पर धीरे-2 उसकी तकलीफ मजेदार सिसकारियों मे बदल गयी.

राणा ने उसके हाथ को उसकी कमर पर रखकर अपने हाथ का दबाव दिया और बाँध सा दिया और नीचे से तेज और लगातार धक्के मारकर ज़ोर-2 से उसकी चुदाई करने लगा..

'ऊऊऊओ फक ....अहह उम्म्म्ममममममम ...येस्स....... ओह ... अहह ..... उम्म्म्मममममममम और ज़ोर से ...... अंदर तक .............अहह ....सस्स्स्स्सस्स....''

वहाँ सारिका की चूत बज रही थी और यहाँ काजल का बेंड............

और दोनो सहेलियाँ लंड के डंडो की मार पर अपनी कमर थिरका कर क़ेबरे कर रही थी..

सारिका अपने चरम पर थी...और बिल्लू भी....उसने आख़िरी मे जाकर जोरदार झटके मारते हुए अपना सारा माल उसकी चूत के अंदर निकाल दिया..

''आआआआआआआअहह ओह ...मैं तो गया .................... उम्म्म्मममममममम''

सारिका भी उसके गर्म पानी को महसूस करते हुए ढेर हो गयी..

गणेश भी उठकर जल्दी से उसके आगे आया और सारिका के संभलने से पहले ही अपने लंड को उसकी गीली सुरंग मे डाल कर धक्के मारने लगा...

एक बार फिर से वो मालगाड़ी की तरह हिचकोले खाने लगी..और उसका माल यानी बड़े-2 मुम्मे उपर नीचे हिचकोले खाने लगे..

''ऊऊऊऊऊऊऊहह ......मार डालोगे तुम दोनो मुझे तो .................उम्म्म्मममममम ....अहह ...... ''

पर उसकी शिकायत का कोई असर नही हुआ गणेश पर और उसने धक्के चालू रखे और जल्द ही वो भी हांफता हुआ उसकी चूत में अपने रस का योगदान देते हुए उसके रुई जैसे मुम्मों पर लुडक गया...

उधर राणा की ट्रेन तो पूरी गति से भागी जा रही थी..

और काजल भी हारने का नाम नही ले रही थी..

उसके हर झटके मे इतना ज़ोर था की हर बार ऐसा लगता की पहली बार लंड अंदर गया है उसके.

सारिका खिसक कर उसी सोफे पर आ गयी, जिसपर काजल की चुदाई चल रही थी...

शायद ये सोचकर की शायद दो लड़कियों को देखकर राणा जल्दी झड़ जाए और अगले राउंड की तैयारी हो..

काजल ने अपनी बगल मे लेटी हुई सारिका के मुम्मे चूसना शुरू कर दिया..और सारिका अपनी चूत मे इकट्ठे हुए माल को रगड़ती हुई फिर से सिसकने लगी..


राणा अब पूरी तेज़ी से काजल की चूत में अपना लंड पंप कर रहा था...बगल मे लेटी हुई सारिका को देखते हुए..

और जल्द ही उसने भी हार मान ली...

एक जोरदार झटके से उसके लंड की पिचकारियाँ भी काजल के अंदर जाने लगी

और वो बुरी तरह से झड़ता हुआ उसके नंगे बदन से लिपट गया..

''अहह ..... ओह कााआआआजल .............. उम्म्म्मममममममममम ... मैं तो गया................ ....''

और फिर वो भी अपने सुस्ता रहे दोस्तों के पास जाकर सिगरेट के सुट्टे मारने लगा..

और दोनो सहेलियाँ एक दूसरे की गुल्लक मे हाथ डालकर ये जाने की कोशिश करने लगी की किसमे कितना माल इकट्ठा हुआ है..



अभी तो पूरी रात पड़ी थी..

पूरी रात मे कैसे-2 वो चुदाई करवाएँगी..ये सोचते-2 दोनो के चेहरे पर एक अलग ही हँसी आ गयी..

और ये सिलसिला पूरी रात चला..

बाहर लोग दीवाली के पटाखे जला कर सो चुके थे

पर अंदर इन तीनो ने इन पटाखो को पूरी रात बजाया..

और दीवाली के पूरे मज़े लिए..

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समाप्त.
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काश भगवान मेरी बहन को भी ऐसी ही बुद्धी देता
 
Yogeshsisfucker said:
काश भगवान मेरी बहन को भी ऐसी ही बुद्धी देता

दीदी को चोद लिए क्य
 
Yogeshsisfucker said:
काश भगवान मेरी बहन को भी ऐसी ही बुद्धी देता

दीदी को चोदे हो हमतो मामा सेही।चुदते देखे
 
sexstories said:
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अब आगे
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और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था...एक बादशाह था...दूसरी बेगम....और तीसरा दस.

केशव ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा नही पाई थी..पर फिर भी केशव की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..

बिल्लू तो काजल के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..

और बिल्लू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर काजल का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े मे उभर आए...

और बिल्लू का अंदाज़ा बिल्कुल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के-2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत पर खुश हो गया.

पर काजल को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल नही था, क्योंकि गणेश ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..

बिल्लू ने पेक कर दिया.

अब गणेश की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे...क्योंकि सामने से चाल आ चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी वो देखना चाहता था की काजल के पत्ते कैसे हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..

और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..

और काजल के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...बिल्लू भी काजल के पत्ते देखकर मुस्कुरा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है काजल...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''

तब तक उपर से केशव भी आ गया...उसने भी बीच मे पड़े काजल और गणेश के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की काजल अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे काजल को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फैल सी होती दिख रही थी..

केशव : "अरे नही....ब्लूफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कैसी किस्मत है ...''

काजल के साथ एक बार और खेलने की बात सुनकर बिल्लू और गणेश मुस्कुरा दिए...पर काजल ने धीरे से केशव के कान मे कहा : "नही केशव...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँगी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद करो...''

केशव फुसफुसाया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''

और केशव के ज़ोर देने पर काजल फिर से खेलने लगी.

उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते हैं...

वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...केशव का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..

पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...बिल्लू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..

बिल्लू के बाद गणेश ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..

केशव ने काजल को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..

काजल ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..

पहला 7 नंबर था..

दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..

केशव मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सकेगा...अगर दोनो मे से कुछ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए 7 या 9 में से कुछ भी आ जाएगा..

पर जैसे ही काजल का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
अपनी दीदी को अपने लँड पे बिठाना और दोस्तो को उसकी चुची दीखना बहुत हिम्मत का काम है। जब से दीदी को मामा और उनके दोस्तो के साथ चुदते देखा है मज़ा आ गया है। 32 की चूची34 कि हो गयि है।और गाड़ तो यतना चौदा हो गया है पुछो मत।भाई
गांड के साथ बूर मे भी लंड। आजकल एक चचेरा भाई भी लगा हुआ है दीदीं की गांड के पीछे दोस्तो के साथ। उ बरा रंडीबाज है पक्का दीदी को खायेगा और दोस्तो को भी खिला देगा।
दीदी को भी चूदवाने मे मज़ा आता है पूरा।
 
को भाई है जो मेरी दीदी को चोदना चाहता है सब साथ मीलकर चोदंगे।गुरुप सेक्स किया जायेगा
कोई दीदी का बुर चाटेगा कोई गांर कोई मूह में लंड देगा।चूची तो।ईतना मैसना है की लाल हो जाये।
दीदी गोरी है
 
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