desiaks
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग २५
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बचपन की चाहत , मस्त माल[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहने की बात नहीं की डबलबेड पर पहुँचने से पहले हम दोनों के कपडे उतर चुके थे , और आज अपने और उनके दोनों के कपडे मैंने ही उतारे।
पहुंचते ही मैंने इनाम भी सुनाया ,और हुकुम भी.
" आज मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी की पहली चाहत से मिलवाउंगी , तेरा पहला प्यार जिसका नाम लेके तूने पहली बार मुट्ठ मारी। लेकिन आँखे बंद और मैं जैसे कहूँ वैसे करना , आँख खुलनी नहीं चाहिए तेरी और हाँ हचक के चोदना उसे”
उन्होंने तुरंत आँखे बंद कर ली।
" भैया ,आओ न इत्ती देर से इन्तजार कर रही हूँ तेरा , बहुत मन कर रहा है। "
आवाज एक किशोरी की थी , जी उनके ममेरी बहन कम मस्त माल की ,… गुड्डी की।
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........................
"मिलो मेरी सेक्सी छिनार ननद , … अपने बचपन के मस्त माल , पक्की चुदवासी , गुड्डी से , आज दबा दबा के मसल मसल के कच्चे टिकोरों की ऐसी की तैसीकर देना , इस छिनार की अनचुदी चूत को , हचक हचक के चोद के फाड़ के भोसड़ा कर देना। "
उनके कान में मैं अपनी सेक्सी हस्की आवाज में बोला।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं उनके पीछे थी ,और अपनी लेसी काली ब्रेजियर[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और काली साटिन की थांग से जबरदस्त ब्लाइंड फोल्डउनकी आँखों पे बाँध दिया।
और एक मिनट बाद मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच रखा था , अपने कड़े कड़े गदराये उरोज उसके सीने पे रगड़ रही थी,
" भैय्या ,भैय्या , मुझसे पकड़ो न हाँ और जोर से , कस के , हग मी हग मी हार्ड। कित्ते दिनों से में इन्तजार कर रही थी इसी के लिए , भैय्या मेरे प्यारे भैय्या , वेटएंड वेटिंग , बहुत मन कर रहा है ,आज , … दबा दो ,मसल दो। "[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं परफेक्ट मिमिक थी , न सिर्फ गुड्डी की किशोर आवाज , बल्कि उसका उतावलापन , उसकी उँगलियों की हरकतें सब कुछ एकदम गुड्डी की तरह ,…
उनकी आँखे एकदम बंद थी लेकिन होंठ बेताब ,उतावले बेचैन थे। शुरू में तो वो थोड़ा झिझके , पहले किस के समय , लेकिन मेरी मोंस की आवाज , सिसकियाँ,फुसफुसाहटें ,और वो फिर अपनी सपनो की दुनिया में खो गए।
अगले ही पल उनके प्यासे , भूखे होंठ ने कचाक से मेरे कड़े ,खड़े निपल को काट लिया।
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“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।
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" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "
मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए
, लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।
हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।
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लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,
वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,
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" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "
और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।
एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।
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और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।
" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,…
स दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,.... "
और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उनकी हालत खराब थी।
मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।
मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी
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न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन ,
जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट ,
उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,
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और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।
और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।
" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … "
मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।
:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। "
वो बोले।
मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,
"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "
" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , "
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मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।
" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "
एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,
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" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "
मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,
हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।
बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बचपन की चाहत , मस्त माल[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहने की बात नहीं की डबलबेड पर पहुँचने से पहले हम दोनों के कपडे उतर चुके थे , और आज अपने और उनके दोनों के कपडे मैंने ही उतारे।
पहुंचते ही मैंने इनाम भी सुनाया ,और हुकुम भी.
" आज मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी की पहली चाहत से मिलवाउंगी , तेरा पहला प्यार जिसका नाम लेके तूने पहली बार मुट्ठ मारी। लेकिन आँखे बंद और मैं जैसे कहूँ वैसे करना , आँख खुलनी नहीं चाहिए तेरी और हाँ हचक के चोदना उसे”
उन्होंने तुरंत आँखे बंद कर ली।
" भैया ,आओ न इत्ती देर से इन्तजार कर रही हूँ तेरा , बहुत मन कर रहा है। "
आवाज एक किशोरी की थी , जी उनके ममेरी बहन कम मस्त माल की ,… गुड्डी की।
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........................
"मिलो मेरी सेक्सी छिनार ननद , … अपने बचपन के मस्त माल , पक्की चुदवासी , गुड्डी से , आज दबा दबा के मसल मसल के कच्चे टिकोरों की ऐसी की तैसीकर देना , इस छिनार की अनचुदी चूत को , हचक हचक के चोद के फाड़ के भोसड़ा कर देना। "
उनके कान में मैं अपनी सेक्सी हस्की आवाज में बोला।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं उनके पीछे थी ,और अपनी लेसी काली ब्रेजियर[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और काली साटिन की थांग से जबरदस्त ब्लाइंड फोल्डउनकी आँखों पे बाँध दिया।
और एक मिनट बाद मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच रखा था , अपने कड़े कड़े गदराये उरोज उसके सीने पे रगड़ रही थी,
" भैय्या ,भैय्या , मुझसे पकड़ो न हाँ और जोर से , कस के , हग मी हग मी हार्ड। कित्ते दिनों से में इन्तजार कर रही थी इसी के लिए , भैय्या मेरे प्यारे भैय्या , वेटएंड वेटिंग , बहुत मन कर रहा है ,आज , … दबा दो ,मसल दो। "[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं परफेक्ट मिमिक थी , न सिर्फ गुड्डी की किशोर आवाज , बल्कि उसका उतावलापन , उसकी उँगलियों की हरकतें सब कुछ एकदम गुड्डी की तरह ,…
उनकी आँखे एकदम बंद थी लेकिन होंठ बेताब ,उतावले बेचैन थे। शुरू में तो वो थोड़ा झिझके , पहले किस के समय , लेकिन मेरी मोंस की आवाज , सिसकियाँ,फुसफुसाहटें ,और वो फिर अपनी सपनो की दुनिया में खो गए।
अगले ही पल उनके प्यासे , भूखे होंठ ने कचाक से मेरे कड़े ,खड़े निपल को काट लिया।
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "
मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए
, लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।
हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,
वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,
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" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "
और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।
एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।
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और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।
" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,…
स दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,.... "
और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उनकी हालत खराब थी।
मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।
मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन ,
जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट ,
उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।
और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।
" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … "
मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।
:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। "
वो बोले।
मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,
"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "
" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , "
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मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।
" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "
एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "
मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,
हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।
बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[[/font]