XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी - Page 10 - SexBaba
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XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग २५


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बचपन की चाहत , मस्त माल[/font]







[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहने की बात नहीं की डबलबेड पर पहुँचने से पहले हम दोनों के कपडे उतर चुके थे , और आज अपने और उनके दोनों के कपडे मैंने ही उतारे।


पहुंचते ही मैंने इनाम भी सुनाया ,और हुकुम भी.

" आज मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी की पहली चाहत से मिलवाउंगी , तेरा पहला प्यार जिसका नाम लेके तूने पहली बार मुट्ठ मारी। लेकिन आँखे बंद और मैं जैसे कहूँ वैसे करना , आँख खुलनी नहीं चाहिए तेरी और हाँ हचक के चोदना उसे”


उन्होंने तुरंत आँखे बंद कर ली।

" भैया ,आओ न इत्ती देर से इन्तजार कर रही हूँ तेरा , बहुत मन कर रहा है। "

आवाज एक किशोरी की थी , जी उनके ममेरी बहन कम मस्त माल की ,… गुड्डी की।


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"मिलो मेरी सेक्सी छिनार ननद , … अपने बचपन के मस्त माल , पक्की चुदवासी , गुड्डी से , आज दबा दबा के मसल मसल के कच्चे टिकोरों की ऐसी की तैसीकर देना , इस छिनार की अनचुदी चूत को , हचक हचक के चोद के फाड़ के भोसड़ा कर देना। "

उनके कान में मैं अपनी सेक्सी हस्की आवाज में बोला।[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं उनके पीछे थी ,और अपनी लेसी काली ब्रेजियर[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और काली साटिन की थांग से जबरदस्त ब्लाइंड फोल्डउनकी आँखों पे बाँध दिया।

और एक मिनट बाद मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच रखा था , अपने कड़े कड़े गदराये उरोज उसके सीने पे रगड़ रही थी,





" भैय्या ,भैय्या , मुझसे पकड़ो न हाँ और जोर से , कस के , हग मी हग मी हार्ड। कित्ते दिनों से में इन्तजार कर रही थी इसी के लिए , भैय्या मेरे प्यारे भैय्या , वेटएंड वेटिंग , बहुत मन कर रहा है ,आज , … दबा दो ,मसल दो। "[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं परफेक्ट मिमिक थी , न सिर्फ गुड्डी की किशोर आवाज , बल्कि उसका उतावलापन , उसकी उँगलियों की हरकतें सब कुछ एकदम गुड्डी की तरह ,…


उनकी आँखे एकदम बंद थी लेकिन होंठ बेताब ,उतावले बेचैन थे। शुरू में तो वो थोड़ा झिझके , पहले किस के समय , लेकिन मेरी मोंस की आवाज , सिसकियाँ,फुसफुसाहटें ,और वो फिर अपनी सपनो की दुनिया में खो गए।

अगले ही पल उनके प्यासे , भूखे होंठ ने कचाक से मेरे कड़े ,खड़े निपल को काट लिया।

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“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।

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" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "


मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए

, लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।



हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।


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लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,


वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,

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" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "

और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।



एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।


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और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।




" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,…

स दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,.... "

और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उनकी हालत खराब थी।

मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।


मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी

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न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन ,

जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट ,


उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,

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और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।





और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।


" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … "

मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।

:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। "

वो बोले।


मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,


"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "

" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , "

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मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।

" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "

एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,

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" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "






मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,

हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।

बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।


" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]छोट छोट जोबना दाबे में मज़ा देय


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" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्ते कड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[

…………………

" लो न भैय्या ,मैं तो हरदम से तुम्हे खुद देने को तैयार थी अपनी चूंचियां , दबा दो ओह्ह ओह्ह हाँ ऐसे ही , मैं चाहे चीखूं चिल्लाऊं ,प्लीज भैय्या खूब जोर जोर से मसलो , रगड़ो , और आगे से भी जब भी तेरा मन करे , .... अगर तुम ज़रा भी शर्माएं न , या तुमने पूछा न तो मैं गुस्सा हो जाउंगी। हाँ , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। "


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मैं बोली ,गुड्डी की आवाज में।

फिर तो दोनों हाथों से मेरी चूंचियों की वो रगड़ाई हुयी

और बीच बीच में कभी वो निपल काट लेते तो कभी चूंची पे दांत गड़ा देते।


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मैं उन्हें और उकसा रही थी और चढ़ा रही थी एकदम अपनी उस कच्ची कली ननद की तरह।


लेकिन अब मैं भी गीली हो रही थी ,मेरा मन कर रहा था बस अब ये हचक के पेल दें।


उनका हथियार अब एकदम तैयार था मस्ती से बर्स्ट कर रहा था।


उसे दबाते मैंने कहा ,




" भैया अब डाल दो न , प्लीज बहुत मन कर रहा है ,लेकिन रुकना मत मैं चाहे जितना चीखूं चिल्लाऊं , आज फाड़ दो न मेरी। "

" तू भी तो साफ साफ़ बोल ,बोल न गुड्डी ,क्या डाल दूँ ,कहाँ डाल दूँ ,"


मस्ती में भरे जोर से मेरी गीली चूत पे अपना मोटा सुपाड़ा रगड़ते ,चिढ़ा के वो बोले।



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लेकिन मैं अब पीछे हटने वाली नहीं थी।



[size=x-small]कोमल
मोहे रंग दे , मज़ा लूटा होली में, जोरू का गुलाम , और होली के रंग ( कहानी ) अल्फाबेट ( चित्र वयस्क ), मज़ा होली का ( चित्र -ग्लैमर ) मेरे चंद पसंदीदा शायर


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 Reactions:PRASKUMD854 and Sexy launda



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komaalrani
Well-Known Member

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Jun 24, 2020


बहुत हुयी अब आँख मिचौली

खेलूंगी मैं रस की होली

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" भैय्या यही ,अपना मोटा मस्त लंड , अपनी गुड्डी की कसी कच्ची चूत में डालो न भैय्या। "

जोर से उनके लंड को अपनी चूत पे रगड़ते मैं बोलीं।


फिर क्या था मेरी दोनों टांगें उनके कंधे पे , जांघे पूरी तरह फैली , और एक धक्का पूरी ताकत से ,…


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लेकिन मैंने भी अपनी चूत खूब जोर से सिकोड़ ली थी जिससे उन्हें यही लगे की अपनी कुँवारी अनचुदी ममेरी बहन की चूत में लंड पेल रहे हैं।

एकदम एक लजीली शर्मीली किशोरी की तरह जो पहली बार घोंट रही हो ,





ओह्ह उईइइइइइइइइ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फट गयी भैय्या मेरी बहुत दर्द हो रहा है , ओह्ह आह , नहीईईईईईईईईई ,निकाल लो बहुत ,ओह्ह्ह्ह फाड़ दी भैय्या तूने मेरी , आह।


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मैं चीख रही थी ,चिल्ला रही थी चूतड़ पटक रही थी ,सिसक रही थी /




वो भी अब जब आधे से ज्यादा लंड घुस चुका था तो कभी मेरी चूंचियां सहलाते तो कभी होंठ चूम के ढांढस दिलाते।

कुछ देर में मैंने दर्द कम होने का , और हलके से चूतड़ उचकाया ,

फिर क्या था वो , हचक के चुदाई की उन्होंने और नाम ले ले के।


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गुड्डी ले ले , घोंट मेरा लंड , बहुत मन करता था तुझे चोदने का यार किती बात तुझे देख के मुट्ठ मारा , ओह्ह ले ले

और मैं भी एकदम गुड्डी की आवाज में कभी चीखती तो कभी सिसकती तो कभी उन्हें उकसाती


" दो न भैय्या ,पूरा दो ओह्ह दर्द हो रहा है लेकिन अच्छा भी लग रहा है। "


और अब वह भी पूरे मूड में थे , बस ऐसे चोद रहे थे ,जैसे अपनी ममेरी बहन कम मस्त माल को ही हचक के चोद रहे हों।




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और मैं भी एक कम उमर की कच्ची किशोरी की तरह जिसकी चूत में पहली बार मोटा मूसल घुस रहा हो ,
चीख रही थी,सिसक रही थी ,चूतड़ पटक रही थी।

मैंने चूत खूब कस के सिकोड़ रखा था और उनका मूसल रगड़ता ,दरेरता,फाड़ता घुस रहा था।


उन्होंने अपने लेसन इतने दिनों में अच्छी तरह से सीख लिया था।


वह जान गए थे की उनका पहला काम , प्लीज करना , मजे देना , सटिस्फाई करना है और इससमय भी ,

उनकी उंगलियां ,होंठ और सबसे बढ़कर मूसल , गुड्डी बनी मुझे मजे देने में लगा हुआ था।

उनके होंठ निपल चूसने में लगे थे ,


और दूसरा निपल उनकी अंगूठे और तरजनी के बीच ,

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धक्को की रफ्तार और ताकत अब बढ़ गयी थी , मेरी चीखों और सिसकियोंके बीच , हर चौथा पांचवा धक्का सीधे बच्चेदानी पे ,



साथ में लंड के बेस को जिस तरह वो क्लिट पे रगड़ देते मैं गिनगीना उठती।


और सबसे मजा तो तब आता जब वो चोदते हुए खुश होके बोलते ,

" ओह्ह गुड्डी क्या मस्त चूत है तेरी रानी , क्यों तड़पाया मुझे इत्ते दिन तूने। "


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और मैं भी जोर जोर से अपने जोबन उनके सीने पे रगड़ती ,

अपने लम्बे नाखून उनके कंधो पे धँसाती ,उन्हें और जोर से अपनी ओर खींचती बोलती,


ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैय्या ,ओह्ह चोदो न मैं भी तू तुमसे चुदवाने को इतने दिनों से तड़प रही थीं , तुम्ही बुद्धू थे ,

तुम कभी भी चोद देते न मैं मना थोड़े ही करती "





और जवाब में उनका अगला धक्का मेरी चूत को चीर के रख देता।


" ओह्ह गुड्डी यार बहुत मजा आरहा है तुझे चोदने में ,ओह्ह आह क्या मस्त छोटी छोटी चूंचियां हैं तेरी ,

ओह क्या कसी चूत है है , मैं ही बुद्धू था , सच में तुझे पकड़ के कब का जबरदस्ती पेल देना चाहिए था। "



गुड्डी बनी मैं गुड्डी की आवाज में बोलती ,

ओह भैय्या , हाँ ओह्ह जैसे भाभी के साथ करते हो वैसे करो न खूब जोर जोर से ओह्ह्ह हाँ ,
बहुत मजा आ रहा है भैया , अब तक क्यों नहीं चोदा मुझे ,
मेरी सारीसहेलियां कब की अपने भाइयों से चुदवा चुदवा के मजे ले रही हैं। ओह्ह अह्ह्ह्हह्ह जोर से हाँ हाँ "




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मारे मस्ती के वो अपना मोटा लंड ,सुपाड़े तक निकाल के फिर एक झटके में पूरा अंदर ढकेल देते ,
और जोर सेबोलते ,

" गुड्डी मेरी जान ,आज तो तूने मुझे बहनचोद बना ही दिया , सच बोल क्या तेरा सच में मन करता था मेरा लेने का , बोल आज खुल के बता न अब तो बहनचोद बन ही गया मैं "

“भैय्या हाँ अरे बहनचोद बन गए तो अपनी इस बहन के साथ खुल के मजे लो न , हचक हचक के चोद बहनचोद आज। हाँ भैय्या , मेरी सारी सहेलियां मुझे इतनाछेड़तीं थी , तेरा नाम लेके , इतना उकसाती थीं , तेरा इतना स्मार्ट भाई है ,
तगड़ा , तुझसे इतना घुला मिला , तुझे इतना चाहता है घोंट ले इसका।


दे दे जुबना का दान , लेकिन मैं इतना लिफ्ट देती थी पर , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह , पर तुम ही बुद्धू थे एकदम। बहुत मन करता था भैय्या तेरे साथ मजे करने का तेरा अंदर घोंटनेका ,

मैंने तो तय कर लिया था मेरी सहेली फटेगी तो तुझसे ,
लेकिन इत्ते दिन बाद, ओह्ह हां बहुत मजा आ रहां है , ओह्ह "




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गुड्डी बनी मैं उन्हें और उकसा रही थी , चढ़ा रही थी।

फिर तो उन्होंने वो हचक हचक के चोदा , पांच -छ मिनट में मैं झड़ गयी ,

उन्हें चोदते १२-१५ मिनट हो गए थे।





थोड़ी सी रफ़्तार कम हुयी बस ,

और उसके बाद दुबारा ,

मैं जब दुबारा झड़ी तो वो मेरे साथ झड़े और सारी की सारी मलाई अंदर। [





ब्लाइंड फोल्ड मेरी ब्रेसियर और पैंटी का ऐसे ही मैंने लगा रहने दिया।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे फिर मैंने गुड्डी की आवाज मैं

आधे पौन घंटे के ब्रेक के बाद मूसल फिर तैयार था , और मैं भी चुदवासी।

गुड्डी बनी मेरा सेकेण्ड राउंड चालू हो गया।



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और ये पहले से भी भीषण था।

और जिस तरह वो खुल के बोल रहे थे गुड्डी के छोटे छोटे उभारो के बारे में , अब मुझे पता चला की उनकी ममेरी बहिन की कच्ची अमिया ने क्या जादू कर रखा था।



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खूब खुल के रगड़ा मसला , चूसा ,कचकचा के काटा , और गुड्डी की आवाज में मैं भी भी उन्हें खूब उकसाया।

और चुदाई में चूतड़ उठा उठा कर उनका मैं साथ दे रही थी।

और पोज बदल बदल कर , अब तक ब्लाइंड फोल्ड के बाद भी हम दोनों एक दूसरे की देह को अच्छी तरह जान चुके थे , और मन की गहराई में छुपी हर वासना इच्छा को भी


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अबकी भी मुझे झाड़ने के बाद ही वो झड़े।



तीन बार झड़े वो ,

कम से कम कटोरी भर गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरी चूत में लबालब भरी थी ,छलकती , लेकिन एक बूँद भी मैंने बाहर नहीं निकलने नहीं दिया।


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मेरी पूरी देह टूट रही थी

रात भी खत्म होने के कगार पर थी। रात की कालिख धीमे धीमे हलकी हो रही थी।


और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।

मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था , झुक के मैंने उनके आँखों पे बंधी अपनी काली लेसी ब्रेजियर और पैंटी खोल दी ,उसके साथ ही हमदोनों अपने रोल से बाहर.

 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग २६[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ऊपर मैं ,नीचे तुम[/font]





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और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।



मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था ,

झुक के मैंने उनके आँखों पे बंधी अपनी काली लेसी ब्रेजियर और पैंटी खोल दी ,

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उसके साथ ही हमदोनों अपने रोल से बाहर,




मैं जोर जोर से अपनी चूत उनके मुंह पे रगड़ रही थी ,

जिसे थोड़ी देर पहले उन्होंने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के चोदा था
और उनकी गाढ़ी कटोरी भर मलाई उसमें भरी थी।

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कुछ दिन पहले ही वो चूत चाटने के नाम पे बिदकते थे

लेकिन अब तो पक्के चूत चटोरे ,

और मैंने तय किया था की इन्हे नंबरी कम -स्लट बना के छोडूंगी /




" चाट बहनचोद , अपनी गुड्डी के यार अभी बहन समझ के रहा था न जरा अब अपनी जीभ से चाट चाट के साफ कर दो।"






उनकी जीभ आलरेडी मेरी बुर के अंदर , हर कोने में चारो ओर , अच्छी तरह से चाट चुट के ,…


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और उनकी इस चूत चटाई से मैं दो बार फिर झड़ गयी।



अपनी थकी चूत को कुछ आराम देने के लिए मैंने पोजीशन थोड़ी बदली और



अब बजाय अगवाड़े के पिछवाडे का छेद सीधे उनके मुंह पे ,[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और मैंने भी दोनों हाथ से अपने नितम्बों को फैला लिया और सीधे अपनी गांड उनके होंठ पे ,चेहरे पे ,

अबदोनों हाथों से मैं जोर जोर से उनके बाल पकड़ के अपनी ओर खींच के

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
" चाट साले , अपनी ममेरी बहन के भंडुए चाट , गांड हाँ खूब जोर से अंदर तक जुबान डाल के ,हाँ हाँ ऐसे ही चाट बहनचोद। तेरी उस छिनाल बहना की गांड भी ऐसेमस्त चाटने लायक है , खूब गांड मटका मटका के पूरे शहर में आग लगा रखी है छिनार ने , बोलती है मेरे भैया ये मेरे भइया वो ,उसी भैया से सबके सामने खुलेआँगन में गांड न मरवाई तो , बोल मारेगा न उस गुड्डी छिनार की गांड , बोल साल्ले बोल , "
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मैं जोर जोर से उनके ऊपर बैठी गांड सीधे उनके मुंह के ऊपर रगड़ रही थी , बिचारे मेरी बात का क्या जवाब देते ,बस गों गों आवाजें निकाल पा रहे थे।

लेकिन मैं सुनना तो उनके मुंह से अपनी उस छिनाल ननद का हाल खुलासा सुनना चाहती थी , इसलिए मैंने जरा सा चूतड़ सरकाया , जोर से उनका बाल खींचा औरबोला



" अरे जरा खुल के बोल न अपनी बहिना के गांड के बारे में कैसे लगती है छिनाल की गांड , "



झिझकते शर्माते उनके बोल फूटे ,



"हाँ हाँ ,उसके ,उसका पिछवाड़ा , उसकी ,… गांड बहुत मस्त है। "



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[/font]

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और जोर से अपनी भारी भारी जांघो के बीच उनके सर को दबाते , उन्हें हड़काते मैं बोली ,



" अरे बहन के भडुवे , तेरी सारे खानदान की गांड मारू , उस छिनार की बुर चोदते शर्म नहीं लगेगी ,[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]नाम लेने में शर्म लगती है। पूरे शहर के लौंडे उस साल्ली का नामले ले के मुट्ठ मारते हैं , बिना नागा और तू उस का नाम लेने में ,....
बोल साफ नाम ले के ,क्या करेगा उसकी गांड का जब मैं दिलवाऊँगी ,बोल ,…
 "
[/font]


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[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]



" हाँ हाँ ,गुड्डी के छोटे छोटे चूतड़ बहुत मस्त हैं, चाटूंगा उनको , जो बोलोगी वो सब करूंगा। "

अब वो बोले।



और इनाम के तौर पे मैंने फिर अपनी गांड से उनका मुंह सील कर दिया ,

[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और फिर गांड के बाद थोड़ी ही देर में एकबार फिर चूत चटाई ,



[/font]

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[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।


सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" बेड टी "[/font]



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[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।


सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी।


मैंने अपनी निगाह नीचे की ,मखमली अँधेरे को कच्ची धूप हलके हलके सहला रहा थी और उसके बीच , मेरे लम्बे घने बाल आगे मेरे पथरीले कड़े उरोजों को थोड़ाछिपाते , थोड़ा दिखाते , उनपे नाख़ून और दांत के निशान और खूब कड़े इंच भर के कांच के कंचे ऐसे निपल ,[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]नीचे पतली सिंहनी सी कमर , गहरी नाभी , जहाँ हलकी हलकी पसीने की बूंदे झलक चमक रही थीं।

और उसके ठीक नीचे जाकर मेरी निगाह ठिठक कर अटक गयी ,

मेरी गुलाबी परी के अधखिले होंठ,अधखुले जैसे सुबह की किरन ने छेड़ के किसी सोती कली को अभी जगाया हो ,



और उन अधखुले गुलाबी होंठों के बीच रात की गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मलाई का एक कतरा ,जैसे अब निकला तब निकला।

मेरे अधखुले , फड़कते भगोष्ठ उन के प्यासे नदीदे होंठों से मुश्किल से इंच दो इंच भर दूर रहे होंगे। और उन का चेहरा मेरी जाँघों के बीच कस के दबा ,भींचा , सुनहली धूप का एक शरारती टुकड़ा आके मेरे गुलाबी भगोष्ठों के बीच में आके बैठ गया था।



मैंने अपने रसीले निचले होंठ थोड़ा और नीचे किया और वो तड़प उठे ,

" प्लीज दो न , दो न प्लीज "




मैं कौन होती अपने प्यासे साजन को तरसाने वाली , … मैंने दो उँगलियों से अपने तितली की तरह फड़कते अधखुले निचले होंठों को खोल के ,… और अबउनकेप्यासे भूखे होंठों के बीच मेरे रसीले होंठ।

वो दुष्ट ,उसने अपनी जीभ से पहले एक लकीर सी खींची मेरे दोनों फड़कते तड़पते भगोष्ठों के चारो ओर , और मैं और तड़प उठी।

फिर वो दुष्ट जोभ सीधे मेरे तिलस्म के बटन पे , मेरी पिंकी को फ्लिक करने लगी , और मैं जोर जोर से सिसकियाँ भर उठी।





लेकिन कुछ देर में क्या कोई खेला खाया लंड घुसेगा , जिस तरह से उनकी जीभ मेरी तड़पती चूत में घुस गयी और कोई कोना न बचा होगा ,रात की मलाई का एकएक कतरा ,

" साल्ला पक्का कम स्लट बन गया है , एकदम चूत चटोरा। इसकी उस बिचारी ममेरी बहन की क्या हालत होगी जब उसकीकच्ची चूत इससे मैं चटवाउंगी , "

और जैसे उन्होंने मेरे मन की बात सुन ली हो और खुश हो के वो ,खूब जोर जोर से चूसने चाटने लगे.बीच बीच में मेरी क्लिट पे भी ,जोर जोर से वो चूसता औरकभी चूसने के साथ जीभ से क्लिट को प्रेस भी कर देता।

मेरी हालत खराब थी ,मेरी आँखे कब की मूँद चुकी थीं , जांघे खूब फैली बस लग रहा था अब गयी ,तब गयी ,एक जोर का प्रेशर जाँघों के बीच बन रहा था और मैंने अपने को अपने बालम के हवाले कर दिया था . उसके दोनों तगड़े हाथ भी अब मेरे कमर पे थे और मुझे जोर जोर से अपनी ओर खींच रहे थे ,

मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी और मुझसे ज्यादा वो ये बात जान रहा था।

लेकिन तभी एक और प्रेशर चालू हो गया। सुबह का टाइम था और ये टाइम ही था , … फिर कल रात मैंने कई वाइन के पेग और उस के बाद इत्ती उनकी बनायीकॉकटेल ,

मेरी अपनी चूत की मसल्स पर बहुत कंट्रोल था , मैं रेगुलर केजेल एक्सरसाइज करती थी लेकिन इस समय प्रेशर बहुत बढ़ रहा था। मैंने छुड़ाने की कोशिश करते हुएकहा ,प्लीज छोडो , बाथरूम , बस , छोडो न।

उसकी आँखों में अजब की शरारत छा गयी और हाथों में न जाने कहाँ से बला की ताकत आ गयी। उसने खूब जोर से मेरे कमर को अपनी ओर खींच लिया और जैसेकोई तितली पंख फड़फड़ाये , मेरे क्लिट और चूत के होंठों पे उसकी जुबान ,

" छोड़ो न ,प्लीज ,"[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं अब बेताब हो रही थी , किसी भी पल ,

" उंहु , बिन बोले उसने सर हिला के मना किया।

[



" प्लीज , सुसु आ रही है बस अभी कर के आती हूँ जाने दो वरना यहीं हो जायेगी , छोडो न " झुंझला के मैं बोलीं।

" तो हो जाने दो न " बिना रुके अबकी उसने बोला और पूरी क्लिट मुंह में दबा के जोर जोर से चूसने लगा।




मेरी आँखों के सामने कितनी गोल्डन शावर की मूवीज नाच गयीं ,जो हमने साथ देखी थीं , फीमेल डॉमिनेटिंग फोर्सफुली मेकिंग , ....

उसकी आँखों में शरारत नाच रही थी ,एक पल रुक के वो बोला ,

" हो जाने दो न ,मेरी बेड टी हो जायेगी ,"

" लेकिन बेडटी रोज पीनी पड़ती है। "

मैंने भी शरारत से मुस्करा के कहा। अब मैं भी मूड में आ गयी थी।

उसके होंठ अब सीधे यूरेथ्रा ( योनि का मूत्र -छिद्र ) पर आ गए थे ( बहुत कम मर्द होंगे जिन्हे उसकी लोकेशन भी मालूम होगी ). जोर जोर से सीधे अब वो उसी कोचूस रहे थे , एक पल के लिए रुक के बोले ,

" एकदम और सिर्फ एक बार नहीं , चाहे जितनी बार चाहो उतनी बार। तू नहीं देगी तो जबरदस्ती पी लूंगा। "

और ये कह के उन्होंने ' वहां' बहुत हलके से दांत लगा दिया ,

अब मेरे लिए रुकना मुश्किल था। एक बर्निंग सेंसेशन हो रहा था , प्रेशर बहुत ज्यादा हो रहा था मैं क्यों पीछे रहती शरारतों में उनसे और मैंने अपनी एक शर्त औरलगा दी,

" सिरफ बेड टी से काम नहीं चलेगा , फिर ब्रेकफास्ट भी कराऊंगी , "

मैंने झुक के उनकी आँखों में झांकते हुए साफ साफ कहा और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हामी भर दी।

और अब इस प्रेशर को रोकना मुश्किल हो गया।


उनके दोनों होंठ जोर से मेरी चूत दबोचे हुए थे और पूरी ताकत से चूस रहे थे , जीभ मूत्र छिद्र को छेड़ रही थी , अब किसी भी पल ,

" एक भी बूँद अगर बाहर गिरी न तो बहुत पीटूंगी "







मैं बोली और उस के ही साथ ,

आई हैड क्रास्ड प्वाइंट आफ नो रिटर्न एंड इट स्टार्टेड ,


पहले तो एक दो बूँद , फिर ट्रिकल ,


सुनहली धूप में वो सुनहली धार साफ़ दिख रही थी।




और मैंने आँख बंद कर ली। उसके बाद तो जैसे बाँध टूट पड़ा , कुछ देर बाद बस इतनी रिलीफ मिली और जब मैंने अपनी आँख खोली ,



वो अपने वादे के पक्के थे , एक भी बूँद बाहर नहीं गयी , सब ,…



और उसके बाद बिना रुके जिस तरह से उन्होंने ' उससे ' पूरी तरह भीगी गीली मेरी चूत को चूसना शुरू किया, बस मेरी जान नहीं निकली। मैंने पूरी ताकत से अपनेलम्बे लाल नेल पालिश से रंगे नाखून उनके कंधो में पैबस्त कर रखे थे। क्या कोई सक्शन पम्प सक करेगा , और बीच में मेरी क्लिट पे कभी जीभ से फ्लिक कभीदांत से हलके से , कुछ ही देर बाद एक के बाद एक वेव्स मेरी देह में उठनी शुरू हो गयीं , एक लहर खत्म नहीं होती की दूसरी चालू हो जाती।





मेरी पूरी देह पिघल रही थी।





मैं बिलकुल आपा खो चुकी थी , पता नहीं कब तक ये चलता रहा ,



मैं बस ये कह सकती हूँ की मेरा अबतक का ये बेस्ट आर्गाज्म था।



और उस के बाद मैं एक बार फिर बिस्तर पे जैसे बेहोंश पड़ गयी और थोड़ी देर बाद आँखे खुली ,उन की आवाज से ,


" बेड टी। "[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और कुछ देर बाद जब वो तैयार होके आफिस जा रहे थे , आफ कोर्स मेरी लेसी पैंटीज में ,जो मैंने पिछले २४ घंटे से पहन रखी थी ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और जिसमें मेरी 'देह गंध ' के अलावा भी बहुत कुछ लगा था,


पतली सी चांदी पायल जो उनके नाजुक पैरों से एकदम चिपकी थी ,उन्हें उनके नए रूप ,नयी पोजीशन का अहसास दिलाते।


मैंने जोर से उनके होंठों को चूमा ( हाँ और मैंने उन्हें न पेस्ट करने दिया था मुंह वाश करने , जिससे 'गोल्डन बेड टी ' का स्वाद गंध दिन भर बची रहे )और शैतानी से पूछा






" क्यों मुन्ने को मजा आया बेड टी में "[/font]



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[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उन्होंने भी उतनी ही शैतानी से मुझे बाँहों में दबोच के कान में बोला ,



" लेकिन ब्रेकफास्ट नहीं मिला। "

खिलखिलाते अपने को छुड़ाते मैं बोली ,

" घबड़ा मत मिलेगा वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा मेरे मुन्ने। "

" और रात में मजा आया अपनी उस माल कम बहना को हचक हचक के नाम ले ले के चोदने में ,क्या मस्त चोद रहे थे साली को है न "
[/font]


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[/font]





[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने और छेड़ा।

और क्या जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने ,गौने की दुल्हन मात।

" अरे सोच यार जब ख्यालों में चोदने में उस माल को ये मजा आ रहा था तो सच में जब चोदेगा उस साल्ली को टांगे उठा के उसकी कच्ची चूत को तो कितना मजा आएगा ,घबड़ा मत अबकी तुझे तेरे मायके ले चलूंगी न तो उसकी दिलवाऊँगी , जरूर पक्का।

और जब वो आफिस जाने के लिए निकल चुके थे तो दरवाजा बंद करते मैं बोलीं

" बहन चोद तो तुझे बना ही दिया है , अब मादरचोद भी जल्द ही ,… "

बोला मैंने धीरे था , लेकिन उन्होंने सुना जरूर होगा।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मॉम के इंस्ट्रक्शंस[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उनके जाने के बाद मेरी आँख लग गयी , रत जगे का असर.


सोते सोते मैं सोच रही थी ,

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मेरी पूरी कोशिश है की उसके ऊपर जो झूठे वैल्यूज का सो काल्ड संस्कारों का बोझ उसके मायकेवालों ने लाद दिया था , वो सारे बड़े बड़ेपत्थर मैं किसी तरह ठेल ठाल के उसे मुक्त करा दूँ ,

जिससे ही शुड बी ट्रू टू हिज पर्सनाल्टी , वो खुल के जिंदगी का मजा ले सके , जो भी चीजें उसे बचपन से अच्छीलगती थीं , लेकिन जिसका मजा वो नहीं ले पाया। मुझे कल रात जिस तरह उसने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के , औ


र सबसे मजेदार तो जिस तरहआज आफिस जाते समय उसने मुझे चैलेन्ज किया ,

" ब्रेकफास्ट तो नहीं खिलाया न। "

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

मैं सोते सोते बुदबुदा रही थी

, घबड़ा मत मुन्ना , वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा।

मैं मुश्किल से आधे घंटे नींद में थी की मम्मी के फोन से नींद खुल गयी।





वैसे भी ये रोज का समय उनके आफिस जाने के बाद का मम्मी बेटी संवाद का होता था।

मैंने पहले भी कई बार कहा है की मॉम से मैं कुछ नहीं छिपाती थी।

और वो खोद खोद के सब बात पूछ भी लेती थीं।


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

जब मैंने उन्हें बताया की कैसे कल रात अपनी ननद बन के मैं चुदी और उनके मन की सब बातें बाहर आ गयीं ,

तो वो खूब खिलखिलायीं और बोली

"मैं तुझसे पहले ही कह रही थी चल पहले तू उसे पक्का बहनचोद बना और फिर मैं उसे मादरचोद बना के ही छोडूंगी। "[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" अरे मम्मी आप के मुंह में घी शक्कर , वो तो बहुत खुश हो जाएंगे , "

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मैंने भी हँसते हुए उनकी हाँ में हाँ लेकिन दलबदलने में मम्मी मेरी ,नेताओं के कान काटती थीं ,खास तौर से अगर उनकै जमाई राजा का मामला हो। पैदा उन्होंने मुझे किया लेकिन झट्ट से पाला बदल के अपने दामाद के सपोर्ट में आ जाती थीं।

जैसे मैंने उनसे 'बेडटी और ब्रेकफास्ट ' की बात की , एकदम से वो मेरे ऊपर अलफ्फ , और अपने दामाद की ओर से बोलने लगीं ,

" सही तो कह रहा था वो , मेरा मुन्ना। ब्रेकफास्ट तो कराना चाहिए था ना , और थोड़ा सा क्यों पूरा कराती पेट भर। "

लेकिन मैं भी तो अपनी मम्मी की बेटी थी ,पलट के जवाब दिया मैंने ,

" सब कुछ बीबी ही सीखा देगी तो सास क्या करेंगी आके , अब बाकी काम आपके जिम्मे। "

[/font]

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

वो जोर से खिलखिलायीं और चैलेन्ज स्वीाकार करते बोलीं,




" आने दे मुझे तू बिंचारे मेरे मुन्ने को जरा से ब्रेकफास्ट के लिए तड़पा रही है ,मैं तो उसे लंच डिनर सब करूंगी भर पेट और नहीं मानेगा तो जबरदस्ती।"


" एकदम मॉम ,वैसे भी वो आपके पिछवाड़े के दीवाने हैं , "

मैंने मम्मी को मक्खन लगाया , लेकिन बात सच भी थी।

" मुझे मालूम है ,"

खुश हो के मम्मी बोलीं , और जोड़ा ,

" लेकिन मैं भी उसके पिछवाड़े की दीवानी हूँ। "

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" मम्मी उनके पिछवाड़े का भी कुछ करना पडेगा , वो दरवाजा अभी तक बंद है। "


मैंने बोला और फिर हाल खुलासा सुनाया की कैसे कब वो चुदते चुदते रह गए थे और उस के बाद पांच छ बार बाल बाल बचे। "

" ये तो बहुत जुल्म है , माखन ऐसी गांड , ऐसा चिकना लौंडा , …चल अब तूने बोल दिया है तो उसका भी कुछ प्लान करते हैं। "

मॉम बोली।



फिर उन्होंने टॉपिक चेंज कर दिया उनके ड्रेस के बारे.



"मैं सोच रही हूँ अबकी आउंगी तो तेरे लिए कुछ साड़ियां ले आऊं " वो बोलीं।

मन ही मन मैं सोचा ,नेकी और पूछ पूछ लेकिन उन्हें चिढ़ाते बोली ,

" और अपने उस चाहने वाले कम दामाद के लिए कुछ नहीं लाइयेगा क्या ,मुंह फुलाकर बैठ जाएगा। "[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" एकदम लाऊंगी , उस के लिए तो मैं चुन चुन कर अपनी वो पुरानी साड़ियां ला रही हूँ जो मैंने खूब पहनी हैं और अब एकदम घिस गयीं हैं ,मेरी देह की महक औररस से भरपूर। हरदम सास की महक आती रहेगी उसे। लेकिन तुमने उस की लिए कुछ नए कपडे सिलवाये की नहीं उसके नाप के। "

और अब मुझे डांट पड़ गयी।



बात मॉम की सही थी।


थोड़ी देर तक हम दोनों इसी बारे में बात करते रहे , और फिर ऐज यूजुअल , बात उनकी समधन या मेरी सास के बारे में चालू हो गयी।

" मैं चढ़ा तो दूँगी उसे तेरी सास के ऊपर , लेकिन उसे तैयार करने का काम , छेड़ने का काम , मन में आग सुलगाने का काम तेरा भी है , वो बोलीं फिर उन्होंने कुछहिंट्स भी दिए।

घंटे बाहर माँ बेटी संवाद चलता रहा ,और जैसे ही मैंने फोन रखा मैंने देखा , मिसेज खन्ना की मिस्ड काल थी , गनीमत थी सिर्फ पांच मिनट पहले की।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग २७[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मिसेज खन्ना[/font]



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घंटे बाहर माँ बेटी संवाद चलता रहा ,और जैसे ही मैंने फोन रखा मैंने देखा , मिसेज खन्ना की मिस्ड काल थी , गनीमत थी सिर्फ पांच मिनट पहले की।


……………….

मुझे मालूम था की मिस्टर खन्ना आज अब्रॉड से कम्पनी के टूर से आये होंगे ,


इसलिए मिसेज खन्ना थोड़ी बिजी होंगी।

पर उनके फोन का मतलब था मैं उन्हें तुरंत फोन लगाऊं।

मिसेज खन्ना बहुत खुश थीं और मुझसे ज्यादा इनसे।

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लेकिन उसके पहले जो उन्होंने बात की उसे शेयर करना भी मुश्किल।



पहली बार ,मिसेज खन्ना ने मुझसे ज्यादा , 'उनके ' बारे में बात की।

मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कराहट दबायी। यही तो मैं चाहती थी।

एक बार मिसेज खन्ना ने उन्हें 'नोटिस' कर लिया तो मिस्टर खन्ना भी उन्हें नोटिस कर ही लेंगे।

मिस्टर खन्ना को अगर सच पूछिये किसी पर फेथ था तो वो मिसेज खन्ना पर। ये बात मैंने वहां ज्वाइन करते ही नोटिस कर लिया था ,समझिये एकदम पक्के जोरू के गुलाम ,आफिस के मामले में भी।

लेकिन दो बाते जो उन्होंने बाते वो इतनी बड़ी खुशखबरी थी की ,



एक तो कुछ उनके आफिस के 'रिऑर्गनाइज़ेशन' के बारे में थी।इन्ही से रिलेटेड,

और मुझसे मेरी ख़ुशी छिपाये नहीं छिप रही थी।

जैसे मिस्टर खन्ना ,मिसेज खन्ना की कोई बात टालने की सोच भी नहीं सकते थे उसी तरह मिसेज खन्ना भी सब बातें मिस्टर खन्ना से शेयर करती थी हीं ,उनकी ओपीनियन भी लेती थीं।

यहां तक की लेडीज क्लब की भी , और उन्हें मेरा वो सजेशन बहुत पसंद आया ,

लेडीज क्लब का,हसबेंड डे मनाने का।

बल्कि उन्होंने अगले हफ्ते दस दिन में ही हम लोग कर लें क्योंकि उन्होंने फिर कहीं बाहर जाना था।


मिसेज खन्ना बोलीं ,की जो मैंने कहा था की उस दिन सब हसबैंड फीमेल ड्रेस में आएं

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उस पर मिस्टर खन्ना ने कहा की ये सुपर्ब आइडिया है ,




और जो मेल कम्प्लीट फिटिंग वाले ड्रेसेज में आएंगे

उनका एक कैट वाक् भी होगा। और फिर फेमिनिन स्किल गेम्स ,...
जो फर्स्ट आएगा उसके लिए एक सरप्राइज पैकज होगा।
सरप्राइज पॅकेज भी मिसेज खन्ना ने बता दिया ,

चार दिन पांच राते अंडमान में ,एक सेवन स्टार होटल में कंपनी के कास्ट पे ,कम्प्लीट पैकेज।

फ्लाइट ,होटल ,स्पा ,गिफ्ट वाउचर्स।

और उन्होंने ट्रिक भी बता दी ,मैं तो तेरे वाले पे दांव लगाउंगी। ड्रे

स परफेक्ट होनी चाहिए , मिस्टर खन्ना ही जज रहेंगे , और हाँ उसी दिन उन्होंने बोला है

उसी कम्प्टीशन के बाद लेडीज क्लब की सेक्रेटरी भी वो अनाउंस करेंगे।


मेरे लिए स्टेक अचानक बढ़ गए।


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मेरे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी और चार दिन की ट्रिप के साथ मुझे उनकी फिकर लग रही थी।

दो महीने के बाद एनुअल असेसमेंट का टाइम था।


और इनके यहाँ इंक्रीमेंट ,प्रमोशन सब कुछ उसी पे, उनके जीतने का मतलब ,
अगर मिस्टर खन्ना ने उन्हें नम्बर वन बनाया तो ,...

हर चीज में उनका फायदा था।

क्या पता मंगल क्लब का भी मेम्बर बना ले।

हर मंगल को ये चार पांच लोग बैठ के ,कंपनी का सब कुछ ,...
ज्यादातर कंपनी के डायरेकटर्स थे ,२५ साल से ऊपर की सर्विस वाले।



उन्होंने बोला की एक दो दिन में वो लेडीज क्लब की मीटिंग बुलाने वाली हैं ,

कुछ देर तक हम लोगों ने बिचिंग की और फिर उन्होंने फोन रख दिया।
मैं अपनी ख़ुशी सम्भालती ,बटोरती उसके पहले घंटी बज गयी।[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ये ही थे।

लंच में ये घर आते थे , लेकिन आज कुछ अलग ही बात थी , महाखुश।

उन्होंने बोला की खन्ना साहेब ने आज आने के बाद मीटिंग बुलाई हेड आफ डिपार्टमेंट्स की

( उन्हें इस पोस्ट पर पहुँचने में कम से कम १०-१५ साल लगते अभी )

,लेकिन मीटिंग में उन्हें भी बुलाया और रिपोर्टिंग सिस्टम में चेंज कर के अब कई बातों में वो सीधे अब वो मिस्टर खन्ना को रिपोर्ट करेंगे।


दूसरी सबसे बड़ी बात ये थी की उन्हें परचेज कमेटी का टेक्नीकल मेंबर बना दिया गया



( उस साली छिनार अणिमा के हसबैंड को हटा के, जिसे इसी बात का बहुत घमंड था )


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और उससे भी बड़ी बात ये थी की उन्हें सी इस आर ( कारपोरेट सोशल रिस्पॉनसबिलिटी ) के फंड का
इंचार्ज बना दिया गया है और अब वो प्रपोज करेंगे और मिस्टर खन्ना अप्रूव , बीच में और कोई नहीं।


करीब १२८ करोड़ का सी इस आर फंड था।[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं समझ गयी ये सब मिसेज खन्ना का कमाल था।

और उसमें इनका भी हाथ था ,

आखिर कल खुल के मिसेज खन्ना को इम्प्रेस भी तो किया था इन्होने।


वह रोज जब लंच पे आते थे तो मेरे नीचे वाले होंठ उन्हें स्वीट डिश में मिलते थे

लेकिन आज तो इत्ती बड़ी खुशखबरी थी ,

( असल बात ये थी की मैं चाहती थी की उनके ऊपरी होंठों पे हमेशा मेरे निचले होंठों का स्वाद और महक रहे )
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]इसलिए स्वीट डिश भी स्पेशल थी ,[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]स्वीट डिश स्पेशल[/font]

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वह रोज जब लंच पे आते थे तो मेरे नीचे वाले होंठ उन्हें स्वीट डिश में मिलते थे

लेकिन आज तो इत्ती बड़ी खुशखबरी थी , ( असल बात ये थी की मैं चाहती थी की उनके ऊपरी होंठों पे हमेशा मेरे निचले होंठों का स्वाद और महक रहे ) इसलिए स्वीट डिश भी स्पेशल थी ,

उनके ' फेवरिट फ्रूट ' मैंगो की लम्बी लम्बी रसीली सुनहरी फांके

मैंने अपनी रसीली कोमल कोमल मखमली चूत की फांको के बीच बहुत देर से भींच रखी थी ,



और आज मेरी चूत , 'चूत रस' ( आम का एक नाम चूत भी तो है ) से लबालब भरी थी।

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सुबह की तरह एक बार फिर मैं उनके ऊपर थी


और वो लबड़ लबड़ ,सपड़ सपड़ चाट रहे थे।


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आफिस तो वो फार्मल ड्रेस में ही जाते थे ,

और वो पायल भी जो मैंने शरारत से उनको पहनाई थी ,उनकी बर्थडे के बाद ,

एक बहुत पतली सी सिल्वर एंकलेट में बदल गयी थी ,कोई घुंघरू नहीं सिर्फ एक पतली सी चेन ,



इनकी देह से चिपकी दुबकी रहती थी , इन्हें मेरा अहसास दिलाते।


आज वो इतने खुश थे की बस पूछो मत।




आज ये भी भी खूब जोश में लग रहे थे , दोनों होंठ उनके मेरे निचले होंठों से चिपके , जीभ अंदर घुसी , मैं उनके जीभ से चुद भी रही थी , चूसी भी जा रही थी ,


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बिना फार्मल प्रमोशन के भी पावर इक्वेशन में अचानक उनकी इम्पार्टेन्स उनसे दस पंद्रह साल सीनियर्स से भी बढ़ गयी थी और अनरिटेन पर्क्स भी। और सबसे बड़ी बात ये थी की मिस्टर खन्ना ने सबके सामने इनकी तारीफ़ की

और दो बातों में उनकी राय मान के डिसीज़न लिया।

और जब वो आफिस लौटे तो उनके होंठों पे और जहाँ कभी उनकी मूंछे रहा करती थीं ,

मेरी चूत का रस साफ़ साफ़ चमक रहा था। जो दूर से पहचाना जा सकता था।


दरवाजा बंद करने के बाद भी मैं बस यही सोच रही थी की कैसे हसबेंड नाइट में ये फर्स्ट आएं।


तिहरा फायदा , शादी के बाद हम लोग इनकी मायकेवालियों के चक्कर में हनीमून पर भी नही गए।[/font]

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मेरा ( और इनका भी )सारा सपना प्लान धरा रह गया तो बिलेटेड ही सही ,हनीमून हो जाएगा ,वो भी कंम्पनी के खर्चे पर।

दूसरे मेरा लेडीज क्लब की सेक्रेटरी बनना पक्का हो जाता

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लेकिन सबसे बड़ी बात ये एकदम मिस्टर खन्ना की निगाह में चढ़ जाते ,फिर पता नहीं शायद सीधे मंगल क्लब की मेम्बरशिप यानी डिसीजन मेकिंग सर्किल में , ...


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मुझे इनकी एबिलिटी में कोई शक नहीं था ,
बस अपने मायकेवालियों के चक्कर में थोड़े घुस्सू टाइप ,शर्मीले , वरना ,... लेकिन अब मैं थी न इनके साथ।

गनीमत थी मिसेज खन्ना ने मुझे कप्टीशन केबारे में बता दिया था और मिस्टर खन्ना की च्वॉयस के बारे में

ड्रेस में परफेक्शन , ...

यानी एकदम इनके नाप की सही फिटिंग की ड्रेस ,.. और कैटवाक थी तो कई ड्रेस ,...



लेकिन कैसे मैं इन्हें राजी करुँगी ,..

पर हर प्राब्लम की तरह मैंने इसका भी रास्ता ढूंढ लिया।

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इनकी ख़ुशी में मेरी ख़ुशी थी और इनकी सक्सेस में मेरी सक्सेस ,...

….

आफिस में भी



और जब वो आफिस लौटे तो उनके होंठों पे और जहाँ कभी उनकी मूंछे रहा करती थीं ,

मेरी चूत का रस साफ़ साफ़ चमक रहा था। जो दूर से पहचाना जा सकता था।

और उनके आफिस पहुंचने के आधे घण्टे के अंदर ही मिसेज डि मेलो ,

उनकी गोवानीज सेक्रेटरी ( वही जो उम्र में ३० + थी और साइज में ३६ डी +

,
और अब उनकी ट्रेनिंग में मेरी सिर्फ राजदार थी बल्कि सहयोगी भी ) ने उनके होंठों पे लगे रस के बारे में हँसते हुए मुझे फोन किया।


वो एक मीटिंग में चले गए थे।

आज मिसेज डी मिलो भी बहुत बहुत खुश थीं ,एक तो उनके नए असाइनमेंट ,

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बढ़ी हुयी फाइनेन्सनियल पावर से आखिर सारी फाइलें जाती भी तो मिसेज डी मेलो से होकर ,

फिर जोर सेक्रेटेरियल टोटेम पोल था , अब इनके डी फैक्टो हेड का काम मिलने से उनका भी दर्जा बढ़ गया था।

कुछ देर हम लोगों ने बातें की और फिर मैंने दो काम उन्हें पकड़ा दिए।



उनको असली सरप्राइज मिला , आफिस बंद होने के बस थोड़ी देर पहले।



मिसेज डी मेलो उनके केबिन में पहुंची ,...[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मिसेज डी मेलो[/font]


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उनको असली सरप्राइज मिला , आफिस बंद होने के बस थोड़ी देर पहले।


मिसेज डी मेलो उनके केबिन में पहुंची ,हाथ में तीन फेमिनिन ड्रेसेज के कैटलॉग और उनकी टेबल पे रख दिए ,

" मैडम ने बोला है आपको देने के लिए , सर आप इसमें से एक चुन लें , फिर आप को बाबीज टेलर के पास जाना है मेजरमेंट देने के लिए , वही जो बेस्ट लेडीज ओनली टेलर है , मैं भी वही सिलवातीं हूँ , एकदम परफेक्ट फिटिंग आती है , टाइट।

मैंने उससे फोन पे बात कर के आप के लिए टाइम ले लिया है। "



वो बहुत अनकम्फर्टेबल फील कर रहे थे मिसेज डी मेलो के सामने।

यही तो मैं चाहती थी ,उनकी जो मेल अथॉरिटी फिगर है वो आफिस में भी शैटर करना ,

खास तौर पे उनकी लेडी सेक्रेटरी के आगे जिसके सामने उन्हें 'बॉस 'करने की आदत थी।

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वो समझ नहीं पा रहे थे क्या बोलें ,


और जैसे उनकी आदत थी उन्होंने फाइलों और फोन में अपने को छुपाने की कोशिस की , लेकिन मिसेज डी मेलो से बचना आसान नहीं था ,

" सर ये फाइल्स अरजेंट नहीं और आप कैटलॉग देख लें ,बल्कि लेट मी सजेस्ट, "

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और वो एकदम झुक के , उनकी गोल गोल गोलाइयाँ ,गहरा क्लीवेज सब उनके आँख के सामने ,

जो पन्ना मिसेज डी मेलो ने खोला था , वो एक ग्रीन गरारा था , एकदम फेमिनिन।

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" बहुत जंचेगा , सर , आप जल्दी फाइनल कर लें और हाँ एक और काम था शायद आप की मदर इन ला ने भेजा है , दो स्टोरीज के लिंक , आप को टाइम न लगे इस लिए मैंने डाउन लोड करके आपके डेस्क टॉप पर डाल दी है।

उनका इंस्ट्रकशन बहुत क्लियर था , आप आफिस से निकलने से पहले दोनों स्टोरीज अच्छी तरह पढ़ लें शायद वो आप से इन स्टोरीज के बारे में बात करेंगी ,
मदर सन के रिलेशनशिप पे है , … आप १०- १५ मिनट में तो पढ़ ही लेंगें

मैंने आधे घंटे बाद का बाबीज के यहाँ टाइम लिया , ही इज वेरी पर्टिक्युलर सर। "

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वह बिचारे शर्मा रहे थे कुछ घबड़ा रहे थे लेकिन मिसेज डी मेलो कौन छोड़ने वाली थीं आसानी से , वो उनकी साइड मुड़ने लगी और बोलीं

सर मैं स्टोरीज खोल देती हूँ आप को टाइम लगेगा ढूंढने में।

और उन के मना करने से पहले उन्होंने स्टोरी खोल दी ,

माँ का प्यार।

"मिसेज डी मेलो आप चलिए मैं देख लूंगा "

, वो परेशान हो रहे थे।

' सर इट इज बिटवीन अस ,डोंट वरी और मैंने रेड लाइट लगा दी है , मिस्टर खन्ना भी आज जल्दी घर चले गए हैं , इसलिए आप निकल सकते हैं। "

और अपने बड़े बड़े नितम्ब मटकाते वो बाहर निकल गयीं। [[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग २८[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]शाम[/font]





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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जब वो शाम को आये तो एकदम अलफ़्फ़ , बोला तो कुछ नहीं ,
लेकिन उन्हें यह अच्छा नहीं लग रही थी की उनकी सेक्रेटरी भी ,…


और मुझे ये मालूम था ,

लेकिन उनकी आदतें ,पसंद नापसंद सुधारने की जिम्मेदारी तो अब मैंने ले ली।

उनका एटीट्यूड मैंने इग्नोर किया फिर कड़ी आवाज में पूछा ,

'नाप दे आये।'[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब वो डिफेंसिव हो गए , उनकी आवाज और अंदाज दोनों बदल गए ,
मुझे जैसे प्लीज करने के लिए बोल रहे हों ,बोले ,

" हाँ मैं एकदम टाइम पे पहुँच गया था। "

अब वह 'अच्छा बच्चा' बनने की कोशिश कर रहे थे।

" और मैंने कुछ चोली ,ब्लाउज के भी नाप लेने के लिए उसे बोला था , मॉम का फोन आया था , ये अंदाज से अच्छा नहीं लगता सही और टाइट फिटिंग होनी चाहिए। दे दिया न। "[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब मैंने पहली बार उनकी ओर देखा।

एक दम वो मुझे खुश करने के मूड में थे ,बहुत मीठी आवाज में बोले ,

" हाँ हाँ ,… वो भी दे दिया , अच्छा टेलर है। और कपडे भी बहुत अच्छे थे। "



मुझे खुश करने के चक्कर में उन्होंने ये भी ध्यान नहीं दिया की मैंने बोला है की मॉम का फोन आया था।

लेकिन मेरी आवाज का कड़ापन कम नहीं हुआ ,

" मैं चाय के लिए वेट कर रहीं ,प्लीज चेंज करो और चाय , थोड़ा जल्दी , … और हाँ साथ में पकौड़े भी। "


जैसे ही वो किचेन में घुसे मैं खुल के मुस्कराई।[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ये आदमी लोग भी न इन्हे टाइट लीश पे रखना पड़ता है ,

कब रिवार्ड दिया जाए और कब सख्त हुआ जाय ,इग्नोर किया जाय इन्हे कंट्रोल में रखने के लिए समझना बहुत जरूरी है।

और आज मैं स्क्रूज थोड़ा टाइट करना चाहती थी ,जरा सी गलती मिले तो मैं , …

और वो मौका मिल गया ,जब ये ट्रे में चाय ले के निकले ,
वह अपनी फ्रिल वाली पिंक एप्रन पहने थे ,


जो मिसेज तनेजा के कूकरी क्लास में उन्हें बेस्ट स्टूडेंट के इनाम के तौर पे मिली थी।




लेकिन उसके नीचे वही पेंट जो वो आफिस से पहन के आये थे।

पैंट्स ,स्ट्रिकटली आफिस ड्रेस थी , घर में कोई अगर पेंट पहन सकता था तो वो मैं थी।

मैने सिर्फ उनके पैंट को घूरा और उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया।

" असल में मुझे लगा की मुझे , … देर हो गयी थी और चाय के लिए ,… लेट हो रहा होगा। "

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मैंने कुछ नहीं बोला सिवाय इग्नोर करने के। कुछ भी बोलना मेरी शान के खिलाफ होता।


थोड़ी देर बाद जब वो चाय और पकौड़े ले के निकले तो एप्रन के नीचे पेटीकोट था।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और अब मैंने सोचा की बहुत हड़का लिया बिचारे को।

मैंने न सिर्फ बैठने के लिए कहा बल्कि , उन्हें एक पकौड़ा ऑफर भी किया और पकौड़े की तारीफ़ भी की।



उनकी तो बांछे खिल गयीं।[/font]
 
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