XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी - Page 15 - SexBaba
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XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मॉम[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अचानक उनकी आवाज का टोन बदला ,एकदम आइस कोल्ड ,तलवार की धार की तरह शार्प ,



" स्ट्रिप "

वो बस पत्थर से हो गए ,जैसे उन्हें समझ में न आरहा हो क्या हुआ।

" सूना नहीं। "

मम्मी की आवाज अब और कडक होगयी।

बस अब उन्होंने पल्लू खोलना शुरू किया ,लेकिन मम्मी की आवाज एकदम ठंडी और बिजली की तरह कड़क ,

" डोंट यू लिसेन ,आई सेड स्ट्रिप , , नाट डिसरोब , ... स्ट्रिप इन अ अट्रैक्टिव वे "


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अब तो मैं भी सहम गयी थी ,मैंने उनकी चोट को कुछ हल्का करने के लिए मुस्कराते हुए बोला ,

" अरे जैसे वो तेरी वो छिनार बहिनिया ,कच्चे टिकोरे वाली स्ट्रिपटीज करेगी न , जब हम सब उसको ट्रेन कर देंगे , मुजरा करवाएंगे उससे ,

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लेकिन वो जैसे सिर्फ मम्मी की बात सुन रहे थे ,

क्या चक्कर लिया उन्होंने धीमे से और साड़ी का पल्लू चक्कर लेते हुए पेटीकोट से निकाला , फिर कुछ लजाते कुछ ललचाते ,

कुछ छिपाते कुछ दिखाते , कभी झुक के अपने क्लीवेज का जलवा तो कभी पीछे से नितम्बो का जादू ,...

थोड़ी देर में साडी उनके पैरों पर लहराती ,सरसराती गिर पड़ी।

एकदम पद्मा खन्ना ,जानी मेरा नाम वाली ,
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मेरे हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे ...[/font]
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मैंने खुल के गाया ,

लेकिन अबकी मम्मी ने नहीं देखा मेरी ओर , उनके मन में कुछ और था।

और अब मैं समझ चुकी थी उनका सोना ,ये कहना की मिलते हैं ब्रेक के बाद ,कल सिर्फ बहाना था। और एक तरह से सच भी , आखिर बारह कब के बज गए थे ,और तारीख बदल चुकी थी।


निगाहें तो मेरी भी उन पर से नहीं हट रही थीं ,

पिंक कच्छी लो कट डीप बैकलेस चोली ,गुलाबी साटिन का पेटीकोट ,

' गुड '

मम्मी के मुंह से हलके से निकला ,मम्मी की लंबी लंबीगोरी गोरी उँगलियाँ उनके गुलाबी गालों पर फिसल रही थीं ,पिघल रही थीं।

चाँद खिड़की से चुपके से अपना रस्ता भूलके झाँक रहा था ,पुराना लालची।


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मेरी निगाहे भी बस वहीँ ठहर गयी थीं ,

सब कुछ रुका हुआ था.

अचानक खूब भरे भरे रसीले स्कारलेट लिप ग्लास कोटेड होंठों पर मम्मी के लंबे तीखे नाख़ून और ,बिल्ली की तरह नोच लिए।

गुड वो बोलीं और फिर उनकी उंगलिया पैडेड ब्रा से उभरे उभारों पर आ के टिक गयीं ,कभी छूती कभी बस हलके से सहला देतीं।

मम्मी लगता है 'कहीं और' पहुँच गयी थी।

' बैठ जाओ '

मम्मी बहुत हलके से बोलीं लेकिन अब उनके कान जैसे मम्मी के हर शब्द का वेट कर रहे थे और वह कुर्सी पर बैठ गए।

बस।

मम्मी ने फर्श पर गिरी फैली उनकी पिंक पटोला साडी उठायी और कस के उनके हाथ पैर कुर्सी से बाँध दिए बल्किं गांठे भी चेक कर ली।

सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में कुर्सी पे बैठे वो अब टस से मस नहीं हो सकते थे।

माम बस उंनसे कुछ कदम दूर पलंग पर बैठ गयीं और उन्हें प्यार से देखती सराहती , पूछा ,

" बोल कैसे लग रहा है " .

और खुद ही जवाब दिया , "

मैं तो अपना माल ठोक बजा के ही लेती हूँ। "
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फिर उन्होंने वो हरकत की जिससे उनकी क्या किसी भी मर्द की हालत खराब हो जाती।

जोर से उन्होंने अंगड़ाई ली और दोनों कबूतर आलमोस्ट ट्रांसपरेंट नाइटी से चिपक गए ,उड़ने को बेताब।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सास , हॉट सास[/font]



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फिर उन्होंने वो हरकत की जिससे उनकी क्या किसी भी मर्द की हालत खराब हो जाती।


जोर से उन्होंने अंगड़ाई ली और दोनों कबूतर आलमोस्ट ट्रांसपरेंट नाइटी से चिपक गए ,उड़ने को बेताब।

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यहां तक तो गनीमत थी , चट चट कर दो चुटपुटिया बटन खुल गए। क्लीवेज तो अभी भी दिख रहा था , अब दोनों मांसल गोलाइयाँ आलमोस्ट निप्स तक अनावृत्त ,खुल के जादू कर रही थीं।



लेकिन उसके बाद मम्मी ने जो किया बस वो पागल नहीं हुए।



मम्मी ने उन्हें दिखाते ललचाते ,अपनी फ्रंट ओपन ब्रा के हुक खोल दिए और उसे बाहर निकाल दिया।



परफेक्ट विक्टोरिया सीक्रेट

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और ब्रा उनके चेहरे के ऊपर लहराने लगीं , कभी वो उनके गालों को छू जाती तो कभी इंच भर दूर

मम्मी अब खड़ी हो गयी थीं , झुकने पर मम्मी के उभार बस उनके चेहरे पर ,



किसी भी दिन तो वो ,......पर आज उनके हाथ पैर बंधे थे , इंच भर भी नहीं हिल सकते थे बिचारे।



लेकिन पेटीकोट में तो उनके तंबू तना हुआ था।

" लगता है इन्हें अपनी बहन के मस्त टिकोरे याद आ रहे हैं ,तभी इतना तन्ना रहे हैं। "



" एकदम सही कह रही है तू लेकिन ज़रा चेक कर ले न "


और मम्मी ने झुक के उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया , पर उसके पहले अपनी हाइ हील से हलके से उसे मसल दिया ,और तारीफ़ से तक मेरी ओर देखा,

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" एकदम पत्थर " उनकी निगाहें बिना बोले बोल रही थीं।



पेटीकोट उतर चुका था और 'वो'ऐसा खड़ा था ,पैंटी को बस फाड़ता।





" सही कह रही है तू ये साला तो एकदम पक्का बहनचोद है ,बहन की कच्ची अमिया को याद करके ये हाल है तो जब सामने मिलेगी तो बस चढ़ ही जाएगा "

और ये बोलते हुए मम्मी पलंग पे बैठ गयीं ,एक पैर फर्श पर और दूसरा धीमे धीमे उठा के उन्होंने पलंग पर रख लिया।



नाइटी पहले तो मम्मी के घुटनो तक चढ़ गयी और ऊपर , ... फिर और ऊपर ,...[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हलकी हल्की काली झुरमुट , एकदम उनकी गोरी गोरी काँखों से मैचिंग ,..[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग ४०[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गोरी गोरी काँखे[/font]


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नाइटी पहले तो मम्मी के घुटनो तक चढ़ गयी और ऊपर , ... फिर और ऊपर ,...


हलकी हल्की काली झुरमुट , एकदम उनकी गोरी गोरी काँखों से मैचिंग ,..




………………………





उंनकी निगाहें वहीँ और ;खूंटे' की हालत खराब ,

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मम्मी ने टाँगे थोड़ी और फैलायीं और अपने तरकश से दूसरा तीर चलाया ,



" सच बोल ,किसकी याद कर के ये हाल हो रहा है ,अपनी उस छिनार बहन की या मेरी समधन की गजब के जोबन है ना। "

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सच में इतना कडा मैंने 'उसे ; कभी न देखा था।



मुझे ये देख कर बहुत मजा आ रहा था ,बस मैंने मम्मी के होंठ पर सीधे अपने होंठ ,



" बोल ये कर सकते हो अपनी मम्मी के साथ "मैंने छेड़ा।


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"अरे ये तो कुछ नहीं देख अभी क्या क्या करेगा ये मेरी समधन के साथ ,घबड़ा मत तेरे सामने करेगा।"


मुझे मालूम था ,मम्मी की कौन सी चीज उनकी हालत सबसे ज्यादा ख़राब करती थी ,और



ये बात मम्मी को भी मालुम थी ,



मम्मी के गदराये कड़े कड़े रसीले जोबन।





और मम्मी ने नाइटी के बाकी हुक भी खोल दिए और छलक कर दोनों कबूतर , उड़ने को बेताब , बाहर।






उनके चेहरे का टेंसन देखते बनता था और वो मोटा सांप भी अब उनकी पैंटी से बाहर झाँकने लगा था। एकदम सख्त।



मैं उनको तड़पाने के खेल में शामिल हो गयी थी , मेरी उँगलियाँ उनके कड़े निपल के चारो ओर ,उन्हें दिखाते ललचाते घूम रही थी।



" बोल मेरी समधन के भी ऐसे ही है न ," मम्मी ने छेड़ा
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" हाँ ,ऐसे ही खूब रसीले,... बड़े बड़े ,... " उनके मुंह से निकल गया।



मेरे होंठ जो मम्मी के होंठों पर थे , उनसे अलग हो गए

" हे देख मैं अपनी मम्मी के साथ कैसे मजे लेती हूँ ,तू ले सकता है क्या अपनी मम्मी के साथ "





और मेरे होंठ सीधे मम्मी के निपल्स पर , पहले हलके हलके लिक करती रही , फिर चूसना शुरू कर दिया।



मम्मी ने जोर से मेरे सर को पकड़ के अपनी ओर दबाया और मजे लेते उनसे बोलीं ," बोल न "

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मस्ती से उनकी हालत खराब थी ,हाँ हाँ तुरंत उनके मुंह से निकल पड़ा।



" सिर्फ उनकी चूंची चूसेगा या चोदेगा भी समधन को। "

मम्मी ने रगड़ा और कस के।



उनका खूँटा लग था की उनकी पैंटी बस फाड़ के निकल जाएगा।



और मम्मी ने हाथ बढ़ा के उनकी उनकी पैंटी खोल दी , और रामपुरी चाक़ू की तरह वो झटक के बाहर आ गया।

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खूब मोटा और कड़क,






मैं और मम्मी अब पलंग के किनारे बैठी थीं ,और जिस तरह मम्मी की निगाहें वहां चिपकी थीं साफ़ लग रहा था सास को दामाद का पसंद आ गया है।



फुसफुसाते हुए मुझसे बोलीं बोलीं , " है कड़क न " ,

और मैं मुस्करा उठी।



मैंने एक बार तारीफ़ की निगाह से उनकी ओर देखा, बिना बिना नागा रोज मुझे तीन बार झाड़ के ही झड़ता था।



हाँ साइज में , किस्से कहानियों के ९ इंच वालों की तरह नहीं था , लेकिन एक तो तलवार की साइज के साथ तलवारबाजी आनी भी जरुरी है और उसके बारे में मुझसे ज्यादा कौन जानता था ,खासतौर से उनकी इस स्पेशल बर्थडे के बाद से ,जब से उनकी झिझक हिचक ख़तम हुयी है।



और साइज में भी उनका ६+ इंच भारतीय औसत से कहीं आगे था , करीब ७५% से तो क्याद बड़ा ही था ( ३८. ८४ %--- ५. १ से ६ इंच, ३२.४९ % --३.१ से ५ इंच और ३. ७६ % तीन इंच से भी छोटा ). वह उन १६. ६९ % में थे जिनकी साइज ६ इंच से ७ इंच के बीच होती है।)





मॉम की इस तारीफ़ भरी निगाह का और छेड़ने का मेरे पास एक ही जवाब था,



चुम्मी ,



मेरे होंठ जो उनके रसीले होंठों पर थे सरक कर सीधे उनके ३६ डी डी उभारों पर आगये , पहले तो नाइटी के ऊपर से ,और फिर नाइटी सरका केसीधे तनतनाये निपल पर ,



मैं चूस भी रही थी ,चाट भी रही थी जीभ से फ्लिक भी कर रही थी ,

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उनकी निगाहे हम दोनों की ओर लगी थी ,ललचाती।







और मम्मी आज मेरी हर हरकत का जवाब मुझे नही बल्कि ,उन्हें दे रही थीं।



वैसे भी बार मॉम की निगाहे उनके तने फड़फड़ाते खूंटे की ओर ही मुड़ रही थीं ,



एक झटके से उन्होंने 'उसे' अपनी गोरी गोरी मुलायम मुट्ठी में कस के पकड़ा और पूरी ताकत से चमड़ी पकड़ के खीँच दी ,





पहाड़ी आलू ऐसा बड़ा सा खूब मोटा गुलाबी सुपाड़ा बाहर ,तड़पता ,फड़फड़ाता ,भूखा ,...[/font]





[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मम्मी मैं भी आऊं आप दोनों के साथ , ... हलके से सिसकी के साथ उनके मुंह से आवाज निकल पड़ी।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]माँ बेटी ,....[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और दामाद

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मम्मी मैं भी आऊं आप दोनों के साथ , ... हलके से सिसकी के साथ उनके मुंह से आवाज निकल पड़ी।

……………………

और जवाब में मम्मी के लंबे शार्प नाख़ून ,रेड पेंटेड ,...सीधे उनके मांसल सुपाड़े पे गड गए।

और यही नहीं पहले तो उन्होंने अंगूठे से उनके खुल एक्सपोज्ड पी होल को सहलाया ,दबाया और फिर , ... मंझली ऊँगली का नाख़ून अंदर ,


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सिसकते हुए वो अचानक से चीख पड़े ,...

बिना उनकी चीख की परवाह किये ,मम्मी मुझसे बोली

" ये नयी दुल्हन तो बहुत चीखती है ,इसका मुंह बंद करना पडेगा। "

और मुंह बंद करने के लिए इससे अच्छा क्या होता ,

मम्मी की सफ़ेद कॉटन पैंटी जो उन्होंने जब से यहां आयी थी तब से पहन रखी थी ,दो दिन से भी उपर ,


उनके अगवाड़े पिछवाड़े का सब ' गंध ,स्वाद ' सब कुछ उसमें समाया ,



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उनकी देह के हर छेद का रस सीज सीज कर ,उसे भिगाता हुआ ,

एकदम देह रस से गमकता ,



उसकी बॉल बनाकर सीधे उनके मुंह के अंदर ,पूरी ताकत से ठूंस दी।

और उसे बंद करने के लिए ?


शायद एक पल सोचना पड़ा होगा लेकिन मम्मी की ३६ डीडी धवल लेसी हॉफ कप सेक्सी ब्रा से अच्छा और क्या होता ,उनका मुंह बंद करने के लिए ,जिसे देख कर वो हरदम ललचाते रहते थे।



बस दो दिन की मॉम के रस से भीगी गीली पैंटी उनके मुंह में और ब्रा मुंह के बाहर ,

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मुझे प्रेजिडेंट गाइड का इनाम मिला था ,मेरी बाँधी गाँठ कोई नहीं खोल पाता था ,मेरे सिवाय।

बस मैंने गाँठ बाँध दी ,और अब गोंगो की आवाज के अलावा कुछ भी नहीं निकल सकता था उनके मुंह से।

" यार तेरी तो चांदी हो गयी ,मॉम का देह रस सीधे तेरे मुंह में और उससे भी बढ़कर ब्रा तेरे होंठों पर ,लेले मन भर स्वाद। "


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मैंने छेड़ा।


लेकिन मम्मी दूसरे काम में लगी थीं ,उन्होंने उनकी भी 'पैंटी और ब्रा भी उतार दी।



और अब वो गाँठ उन्होंने अपने दामाद की लगाई जो मैंने गर्ल गाइड के समय कभी भी नहीं सीखी थी न किसी ने सिखाया था ,

हाँ सुना जरूर था।

और जब बॉबी जासूस बन कर उनकी फेवरिट 'फेमडाम' पिक्चरों के खजाने का पता लगाया तो देखा भी,

सी बी टी

कॉक एंड बॉल टार्चर


और मम्मी वही कर रही थीं, उसका बहुत लाइट रिफाइंड संस्करण ,

और मैं देख रही थी ,सीख रही थी।


ब्रा और पैंटी , से उन्होंने बॉल और कॉक को बांध दिया ,चार पांच चक्कर , और इस कस के ,..

बस मोटा सुपाड़ा खुल कर खुला था।

जैसे गिफ्ट रैप करते हैं न बस वैसे ही उन्होंने एक फूल की तरह गाँठ बाँध दी। खूब कस के।

और अपने दामाद के गाल पे प्यार से हलकी सी चपत लगाते बोलीं ,

" मुन्ना , अब हम कुछ भी करें , तू कुछ भी कर ,.... लेकिन झड़ेगा नहीं। पक्का ,मेरी गारंटी। "


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और जैसे अपनी बात के सबूत के तौर पे जोर जोर से मॉम ने उनका खड़ा सुपाड़ा रगड़ा। खूब जोर जोर से ,

उनके दामाद के चेहरे से लग रहा था की बस मस्ती से उनकी हालात खराब हो रही है ,लेकिन


कम तो छोड़िये पृ कम की भी एक बूँद नहीं निकली।

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" रात भर तड़पाऊंगी रज्जा लेकिन झड़ने नहीं दूंगी समझे। "[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग ४१[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]रात भर तड़पाऊंगी रज्जा[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और जैसे अपनी बात के सबूत के तौर पे जोर जोर से मॉम ने उनका खड़ा सुपाड़ा रगड़ा। खूब जोर जोर से ,


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उनके दामाद के चेहरे से लग रहा था की बस मस्ती से उनकी हालात खराब हो रही है ,लेकिन


कम तो छोड़िये प्री कम की भी एक बूँद नहीं निकली।


रात भर तड़पाऊंगी रज्जा लेकिन झड़ने नहीं दूंगी समझे। "
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मम्मी की आवाज में जो सेक्स था ,और आवाज से बढ़कर उनके मम्मो का जादू ,मम्मी की ब्रा तो उनका मुंह बंद करने के काम में लगी थी।


बस उनके गदराये छलकते जोबन अब इंच भर भी दूर नहीं थे उनके तड़पते होंठो से।



पारदर्शी नाइटी का कवर भी अब खुला हुया था।


कुछ देर में मॉम मेरे साथ फिर पलंग पर बैठगयी थीं

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और अब उनकी स्टिलेटो सैंडल फिर से मैदान में आगयी।

मम्मी ने ,क्या कोई मथानी से दही मथेगा ,अपनी दोनों सैंडल के बीच


जिस तरह से उनके पगलाए लन्ड को वो रगड़ रही थी।

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और मैं खिलखिला रही थी ,हंस रही थी।

" तुम अब लाख कोशिश करो नहीं झड़ोगे और झड़ोगे तो अपनी मां बहन के भोंसडे में, "


माँ ने अपना फैसला सुनाया।



" चलो एक मौक़ा और ,अगर हम जब ग्रीन सिगनल देंगे तो भी ,जिस किसी के लिए भी ग्रीन सिंगनल देंगे उसी के साथ। "


मैंने हंस के सजा थोड़ी हलकी की[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,],लेकिन एक बात मुझे कुछ साफ़ नहीं समझ में आयी और मैंने मम्मी के कान में अपना शक जाहिर कर दिया ,[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" मम्मी आपकी समधन की बात तो ठीक है , मेरी ननद ,... भोंसडे वाली। वो बिचारी तो अब तक अनचुदी है अपने प्यारे भैया के लन्ड के इंतज़ार में। "




" अरे तो तुझे यहां ले आएगी न ,नथ तो यही उतारेगा लेकिन आठ दस दिन इसके मजा लेने के बाद ,गाँव भेज देना मेरे पास। दस बारह दिन मेरे पास रहेगी न तो , सोलहवें सावन का मजा अच्छे से ले लेगी ,अगवाड़ा पिछवाड़ा सब। "




फिर कुछ देर रुक कर उनकी और देख के मुस्कराते हुए बोलीं ,

" अरे फिर मैंने इसे पांच बच्चो का आशीष भी दिया है वो भी चार साल में , वो भी उसी की बुर से निकलेंगे ,आखिर इस का पुराना माल है , नथ उतारने से थोड़े ही काम चलेगा ,उसे गाभिन भी करना पडेगा न। तो जल्दी ही वो भी हो जायेगी ,... । "[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मम्मी चाहे जितना धीमे बोल रही हों ,वो चाहे जितना अनसुनी कर रहे हों , ... लेकिन मैं साफ़ समझ रही थी ,कान पारे वो सब सुन रहे हैं।



और यह सब कहते हुए भी मम्मी ने उनके खूंटे को अपनी सैंडल के बीच मसलना नहीं बंद किया और साथ में वो अपनी ४ इंच की हील[/font]






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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कभी कभी उनके सुपाड़े में
गड़ा देती थीं।

और जिस तरह से वो तनतना रहे थे ,सिसकियाँ भर रहे थे ,... ये साफ़ था की उन्हें बहुत मजा आ रहा है।

बाहर हलकी हलकी बारिश शुरू हो गयी।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सावन का मस्त मौसम था।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सावन[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
बाहर हलकी हलकी बारिश शुरू हो गयी।


सावन का मस्त मौसम था।
……………….

" हे इस खिलौने को ज़रा बरामदे में चलते हैं न , थोड़ा झूला झुलाते है। "



मम्मी बोलीं[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और मम्मी ने उनकी साडी की एक लीश बना के पहले तो उनकी कमर में फंसाया और फिर जो कॉक और बॉल्स में गाँठ बंधी थी उसमें से डाल के ,आलमोस्ट खींचते हुए बाहर बरामदे में ले आयीं।


जहाँ झूला पड़ा हुआ था।


मन तो झूला झूलने का होता था , लेकिन शहर में आम और नीम के दरख्त घर के बाजू में तो होते नहीं न ही अमराइयाँ ,जहां चार पांच हम उम्र लड़कियां ,भौजाइयां झूले की पेंगों के साथ मस्तियाँ कर सकें ,कजरी की धुन के साथ चिकोटियां काट के भाभियों से बीते रात की कहानियां पूछ सकें।[/font]


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गाँव तो शहर में आता नहीं ,कहीं बहुत दूर ख़तम हो जाता है।

और अब शादी के बाद एक बार जब मैं गाँव गयी तो देखा अब गाँव में भी गांव नहीं रहा।

रहते तो हम लोग लखनऊ में थे ,

लेकिन पास में ही मलीहाबाद के पास काफी बड़े आम के बाग़ थे , पुराना मकान था , और साल में एक दो बार मैं भी चली जाती थी ,ख़ास तौर से सावन में ,...

वो घर आज कल की जुबान में फ़ार्म हाउस में तब्दील हो गया था।

लेकिन मॉम का निज़ाम अब भी पुराने ज़माने वाला था ,सख्त भी ,मुलायम भी। और मॉम भी अब लखनऊ में भी कहां ,... शाम दिल्ली में तो दिन मुम्बई में ,...

पर इस के बावजूद आमों के मौसम में वो अभी भी महीने भर तो गाँव में रहती ही थीं।




तीज में यहां भी क्लब में मेहंदी ,झूला ,गाने होते थे ,लेकिन जैसे बचपन में गुड्डे गुड़िया का खेल खेलते थे न बस वैसे ही गाँव गांव ,एकदम आज के बम्बइया फिल्मों की भोजपुरी ,न वो रस न वो मिठास ,न अपनापन।

चलिए कहाँ की बात कहाँ ले पहुंची।

यहाँ झूला बरामदे में पड़ा था ,बस इनसे कह के चुल्ले पे दो रस्सियां डलवा के ,

बीच में एक पीढ़ा सा डाल के, बरामदा खूब लंबा सा था ,इसलिए पेंग मारने की जगह भी ,और आँगन सटा था तो बारिश की फुहार ,पुरवाई ,...

मम्मी ने इसे हैमॉक की तरह करवा दिया ,आते ही। वहां से पूरा घर भी नजर आता था।

बस उसी झूले पे इन्हें चढ़ा दिया।



कमरे से निकलने के पहले इनके हाथ पैर तो खुल ही गए थे लेकिन एक बार फिर जैसे ही इनके हाथों ने रस्सी पकड़ी ,वो फिर बांध दिए गए।

बांधे गए अबकी मेरी ब्रा से


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और बांधने वाली मैं थी ,एकदम सख्त गांठे।

और मम्मी उनसे उनकी टाँगे उठवाने में लगीं थी।

" टांग उठा ,और ऊंचा जैसे तेरी माँ बहन उठाती हैं न हाँ वैसे ही ,और ,चौड़ा कर और ,और,... अरे छिनारों ने तुझे टांग फैलाना भी नहीं सिखाया , खुद तो झांटे बाद में आयीं ,टाँगे पहले फैलाना शुरू कर दिया ,... "

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मम्मी मेरी इनइमीटेबल मम्मी ,असली प्यारी वाली ,... आज पूरे रंग में थीं।

और उन्होंने टाँगे खूब ऊँची ,चौड़ी कर दिया।



बस मम्मी ने झूले की रस्सी से उन उठी फैली टांगो को बाँध दिया।


और एक्जामिन किया ,... लेकिन अभी भी उन्हें कुछ कमी लगी।

पास पड़े केन के सोफे पर के सारे कुशन वो उठा लायीं ,


और जैसे कोई मरद ,

गौने की रात अपनी नयी नवेली दुल्हन के चूतड़ के नीचे ,बिस्तर पर के सारे तकिये लगा के ऊंचा उठा दे ,जिससे मोटा लौंडा भी वो घचाक से घोट सके ,बिलकुल वैसे।

और अब उनके चूतड़ एकदम हवा में उठे थे , दूर से भी दिख रहे थे।

लेकिन मॉम का काम इससे भी ख़तम नहीं हुआ।


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इधर उधर बिना मुझसे कुछ बोले ,वो कुछ ढूंढती रही और उन्हें मिल भी गया।


एक लंबा मोटा सा डंडा ,

बस वो उन्होंने उनके खुले पैरों और झूले की रस्सी से ऐसे बाँध दिया की बस ,

अब वो लाख कोशिश कर लें, पैर उनके ऐसे ही खुले रहने वाले थे।



मैं प्यार से उनके बाल बिगाड़ रही थी ,सहला रही थी।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और मम्मी भी , उनकी प्यारी प्यारी लम्बी लंबी गोरी नटखट उँगलियाँ ,


उनके मोटे तड़पते छटपटाते खूंटे के 'बेस' को सहला रही थीं ,छू रही थीं , रगड़ रही थीं।

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कभी मम्मी का अंगूठा उनके मांसल सुपाड़े को दबाता तो कभी घिस देता ,

और अचानक ,


मॉम के लंबे तीखे नाखूनों ने , खूब जोर से सुपाड़े पे खरोंच लिया।


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पैंटी का गैग उनके मुंह में ठूंसे होने के वावजूद , हलकी सी चीख निकल गयी।




और मैंने भी साथ में, आखिर मम्मी के दामाद थे तो मेरे मेरे भी तो साजन थे , मेरी छिनार ननदिया के बचपन के यार ,


मेरे होंठ जो उनकी चौड़ी छाती पे प्यार से टहल रहे थे ,चूम रहे कभी जीभ की नोक से उनके निप्स को हलके से फ्लिक करते थे ,

उनके निप्स भी उनकी छुटकी बहिनिया की तरह एक दम टनटना रहे थे।

और अचानक ,

मैंने भी , कचकचा के उनके निप्स को काट लिया , हलके से नहीं पूरी ताकत से।

दर्द से वो बिलबिला उठे।



कभी नीम नीम ,कभी शहद शहद



कभी वो मजे से पागल हो उठते तो कभी दर्द से।


मेरी और मम्मी दोनों की जुगलबंदी चल रही थी साथ साथ।

ऊपर का हिस्सा मेरे जिम्मे ,नीचे का उनके हवाले।

लेकिन उन्हें कैसे लग रहा था , उनकी हालत का असली अंदाज उनके खूंटे के कड़ेपन से लग रहा था।


इतना कड़ा ,इतना तगड़ा तो मैंने उसे तब भी नहीं देखा था जब उन्होंने वियाग्रा की डबल डोज ली थी।

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और मम्मी की हरकते रुकने का नाम नहीं ले रही थी , उनकी उँगलियाँ ,उनके नाख़ून हर बार तड़पाने के नए तरीके ढूंढ़ रहे थे।




उनके नाख़ून कभी उनके पी होल में तो कभी उनके बॉल्स को स्क्रैच कर लेते ,

कभी वो मुट्ठी में उनके बॉल्स को लेके जोर से मसल देती ,

कभी हलके से उनके बौराये पगलाये लन्ड पे चपत लगा देतीं।

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मैं मम्मी की हरकतें देख रही थीं।

मम्मी ने मुझे देखते हुए देखा तो मुस्करा के दूर हट गयीं , जैसे कह रही हों अब तेरी बारी।


मैंने एक जोर का झटका दिया और काले काले बादलों ने चाँद को घेर लिया।

मेरे लंबे घने बाल खुल गए।[/font]



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और फिर मेरे बालों ने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया ,







पहले तो हलके हलके उनके तड़पते खूंटे को मैं और तड़पाती रही ,फिर उससे बांधकर , कस के ,.... आगे पीछे ,...

पूरे दस मिनट तक ,

आज तक इस ट्रिक से वो पांच छ मिनट में ही ,लेकिन आज

और आधे घंटे से ऊपर हो गए थे मुझे और मॉम को उन्हें तंग करते छेड़ते ,उसके बाद मेरे काले बालों का ये जादू ,
,.

लेकिन मैं छोड़ने वाली नहीं थी उन्हें इतनी आसानी से ,इत्ता मस्त खड़ा लन्ड हो और ,...

थोड़ी देर मेंरे होंठ उनके सुपाड़े पर सपड़ सपड़ और फिर उसके बाद ,

टिट फक ,...

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वो तड़प रहे थे ,मचल रहे थे , अपने चूतड़ पटक रहे थे , पर,...

बांसुरी ऐसे ही मस्त कड़ी थी ,


अब मुझे समझ में आया सी बी टी का असली मजा उनकी लन्ड की ताकत के साथ जो मम्मी ने गाँठ लगाई थी ये उसी का नतीजा था।


मम्मी नेकहा भी तो था , तू चाहे जो कुछ भी कर ले अब ये झड़ने वाला नहीं।

ये तो किसी भी लड़की के लिए एक सपना हो सकता है ,

एक लंबा खूब मोटा कड़क लन्ड ,जो तब तक न झड़े वो जब तक न चाहे।

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मैंने मम्मी की ओर मुस्करा के देखा और उन्होंने भी मेरा मतलब समझ के, न वो सिर्फ मुस्करायीं ,बल्कि जोर से आँख मार के उन्होंने मुझे अपने पास बुला भी लिया। बांहों में मुझे भींच के बोलीं ,
[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" अब इस छिनार की नथ उतारने का समय आ गया है। बहुत तड़प रही है बिचारि। "[/font]



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"एकदम मम्मी लेकिन ज़रा अपने इस माल को ठीक से देख तो लीजिये। "

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मैंने टुकड़ा लगाया।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]क़तल की रात[/font]

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने मम्मी की ओर मुस्करा के देखा और उन्होंने भी मेरा मतलब समझ के, न वो सिर्फ मुस्करायीं ,बल्कि जोर से आँख मार के उन्होंने मुझे अपने पास बुला भी लिया। बांहों में मुझे भींच के बोलीं ,


" अब इस छिनार की नथ उतारने का समय आ गया है। बहुत तड़प रही है बिचारि। "

"एकदम मम्मी लेकिन ज़रा अपने इस माल को ठीक से देख तो लीजिये। "


मैंने टुकड़ा लगाया।


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…..


और मम्मी मेरी बात मान के एक बार फिर उनके पास गयीं और इस बार उनकी निगाह उनके उठे ,खूब मांसल गोरे गोरे गदराये चूतड़ों पर थी ,एकदम मक्खन जैसे चिकने ,मुलायम।



" साले अगर किसी की दुल्हन होता न तो रोज रात वो बिना नागा तेरी गांड मारता ,पक्की गारंटी है मेरी। "

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और ये कहते हुए बड़े प्यार से मम्मी ने उनके चूतड़ सहलाये , और मेरी ओर देखा , मैं क्यों मौक़ा छोडती ,बोल पड़ी ,

" अरे मम्मी , गांड तो इनकी अभी भी रोज बहुत प्यार से मारी जा सकती है। "

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मम्मी तब तक असली जगह का मौका मुआयना कर रही थीं।

एकदम कसा हुआ हलका सा ब्राउन छेद ,चारो और मसल्स से जकड़ा।




थोड़ी देर तक अपनी तर्जनी से मम्मी ने उसे रगड़ और उसे पुश करने की कोशिश की ,... लेकिन फेल।



उन्होंने जोर बढ़ाया पर तब भी , अंदर घुसाना बहुत मुश्किल लग रहा था।

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एक बार फिर मॉम ने मेरी ओर देखा और बोलीं ,

" तू सच कह रह थी अभी तक कोरी है इसकी "



और फिर अपनी बात का रुख मम्मी ने उनकी ओर मोड़ दिया ,

" सुन बहनचोद , मां के भंडुए , घबड़ा मत ,... परेशान होने की कोई बात नहीं है , जैसे तेरे इस टनाटन लौंडे से तेरी उस छुटकी बहिनिया की चूत फड़वाउंगी न वैसे ही तेरी इस कच्ची कसी गांड का भी जल्द इलाज करुँगी।[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब मैं आ गयी हूँ न ,तेरे इस लौंड़े को जैसे तेरी बहन की कसी चूत का मजा दिलवाऊंगी , तेरी माँ के रसीले भोंसडे का मजा दिलवाऊंगी ,

वैसे तेरी इस गांड को भी , ...
[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बहनचोद ,मादरचोद के साथ पक्का गांडू भी ,... "






कुछ देर तक माँ उन की उस कसी दरार में ऊँगली रगड़ रगड़ के मजा लेती रही , फिर मेरे पास आगयी और मुझसे बोलीं ,

"सिर्फ एक कमी ऐसी मस्त गांड पे , और ये तेरी गलती है।

सोच लोग गोरी गोरी हथेलियों में मेहंदी लगाते है ,पैरों में महावर लगाते है वैसे ही इस गोरे गोरे मखमली चूतड़ गुलाब के फूल खिले रहने चाहिए। ये घर में तब भी ,बाहर जाएँ तब भी , आफिस में हो टूअर पर हों , बस महावर की तरह ,तेरी याद आएगी जबी भी उन्हें वो दिखेंगे क्यों हैं न मुन्ने। "[/font]


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जैसे उनकी आदत थी मम्मी की हर बात में हाँ मिलाने की ,उन्होंने सर हिला के हामी भर दी। ( बोल तो सकते नहीं थे ,बिचारे उनके मुंह में मम्मी को दो दिन की पहनी ,मम्मी के देह रस में डूबी पैंटी जो ठुंसी थी। )


और मॉम ने मेरे कान में समझा दिया की क्या करना है।


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उन्होंने मुझे एक दस्ताना भी दे दिया पहनने को ,एकदम मिट्स की तरह था ,रेड लेदर ग्लव विद वेलक्रो फासेनर।

" पूरी ताकत से ,... "मुझसे बोलीं वो।

मैंने पहला हाथ लगाया ,लेकिन ज्यादा जोर से नहीं ज्जहां से नितंब शुरू होते हैं वही।

मॉम ने मुझे घूर के देखा और डांटा ,

" हे कोई यारी नहीं चलेगी ,ये नहीं काउंट होगा ,चल फिर से शुरू कर "

और उनसे बोलीं ,

हर स्पैंक के बाद ,तुझे नम्बर बोलना होगा , १ ,२ , ३ और साथ में अपनी माँ के नाम एक मस्त गाली।

अगर ज़रा भी हलकी हुयी न तो सोच ले मैं सबेरे की ट्रेन से वापस ,


अचानक मॉम को याद आया उनके मुंह में तो मम्मी की अगवाड़े पिछवाड़े के हर तरह के रस में भीगी पैंटी ठुंसी हुयी है। और मम्मी ने उनके मुंह से पैंटी निकाल ली।

और इस बार मेरा हाथ एकदम ऊपर तक गया ,और फिर ,...चटाक

दर्द से निकलती चीख को उन्होंने किसी तरह दबाया और बोला ,एक और फिर मम्मी की समधन के नाम मोटी सी ,


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मम्मी ने खुश हो के मेरी ओर देखा ,

दूसरा भी उसी जगह लगा ,लेकिन पहले से भी तगड़ा और वहां पर हल्का गुलाबी रंग खिल उठा ,

फिर और ऊपर

और उपर

दसवां सीधे गांड के छेद पर ,

दस बाएं चूतड़ पे और दस दाएं चूतड़ पे




लेकिन असली ताकत तो मम्मी के हाथ में थी ,उन्होंने तो बिना दस्ताने के ,मुझसे दस गुनी ताकत से

लेकिन साथ साथ मम्मी की आँख से कुछ बच नहीं सकता था ,

मेरे कान में बोलीं

" देख बहनचोद को कितना मजा आ रहा है , " उन्होंने उनके निप्स की ओर इशारा किया ,

" एकदम टनाटन हैं न "

सच में ,और अब तक मैं सीख गयी थी मेल अराउजल की सबसे बड़ी साइन है ,निप्स।

लेकिन अब उनकी चीख चिलाहट भी चालु हो हो गयी थी।

" अरे अगर गौने की रात दुल्हन चीखे चिलाये नहीं ,पूरे घर में उसकी चीखने की आवाज न गूंजे तो सास ननद क्या सोचेंगी। यही न की मायके में अपने भाइयों से फड़वा के आ रही है ,चीखने दे इसे। तभी तो गौने की रात का मजा आएगा। "

मम्मी बोलीं ,और अब हाथ की जगह उन्होंने टेबल टेनिस का बैट मुझे थमा दिया था।

और फिर मेरे बाद मॉम का नम्बर।

तीस चालीस मिनट तक बारी बारी से , और फिर मम्मी ही रुकीं बोली देख अब इस बहन के भंडुए की गांड का सिंगार पूरा हो गया है न।

पूरा गुलाबी ,कहीं कहीं लाल भी ,एक इंच जगह नहीं बची थी जहाँ हमारे हाथ के निशान न हो।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लेकिन मेरा दिमाग भी तो शैतान की चरखी ,...

मैंने वाटरप्रूफ इन्डेलिबिल क्रेयान उठाये और उनके पेट पर लिख दिया मोटा मोटा ,[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]रंडी ,बहनचोद।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मम्मी को मजा आ गया लेकिन उन्होंने उनके गांड के छेद की ओर इशारा किया

" असली चीज तो ये है। "

और हम दोनों ने मिल के उसे फैला दिया ,

[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][img=1x1]data:image/gif;base64,R0lGODlhAQABAIAAAAAAAP///yH5BAEAAAAALAAAAAABAAEAAAIBRAA7[/img][/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

फिर तो उसके चारो और ,एकदम कसी गुलाबी चूत की तरह दोनों ओर लोवर लिप्स मैने पेंट किये ,खूब मांसल

और एक तीर का निशान बना के लिख दिया[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" कंट"[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मम्मी उसे रगड़ते हुए उन्हें समझा रही[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"ये तेरी मेल चूत है इसे एकदम मस्त रखना ,साफ़ सुथरी ,मुलायम और रोज ऊँगली डाल के अंदर तक वैसलीन ,.. क्या पता किस दिन इसका नंबर लग जाए , और फिर मैं चेक भी करती रहूंगी। जैसे तेरी बहन अपने चूत को मक्खन की तरह मुलायम रखती है न एकदम उसी तरह ,समझ गयी। "[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उन्होंने जोर से हामी में सर हिलाया।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" यार इसका एक घर का नाम भी रख देते हैं न पुकारने का ,.. "[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घर का नाम
[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
मम्मी उसे रगड़ते हुए उन्हें समझा रही ये तेरी मेल चूत है इसे एकदम मस्त रखना ,साफ़ सुथरी ,मुलायम और रोज ऊँगली डाल के अंदर तक वैसलीन ,.. क्या पता किस दिन इसका नंबर लग जाए , और फिर मैं चेक भी करती रहूंगी। जैसे तेरी बहन अपने चूत को मक्खन की तरह मुलायम रखती है न एकदम उसी तरह ,समझ गयी। "


उन्होंने जोर से हामी में सर हिलाया।

" यार इसका एक घर का नाम भी रख देते हैं न पुकारने का ,.. "

और मैंने भी हामी में सर हिलाया।

कुछ देर तक हम माँ बेटी राय मशविरा करते रहे ,फिर मैंने ही मॉम को राय दी ,




" मम्मी इन्ही से पूछ लेते हैं न "


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और मम्मी ने इन्ही से पूछ लिया और सही भी किया ,आखिर उनका मुंह हम लोगों ने खोल तो दिया था न।


" हे बोल साल्ले , तुझे अपना माल , वो तेरी ममेरी बहन ,उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त लगती हैं न ,"



" हाँ मम्मी ,"

मुस्करा के बोले वो।

" बोल दिलवा दूंगी तो चोदेगा न अपनी उस छिनार ममेरी बहन को "


मॉम ने फिर साफ़ किया।

" हाँ ,मम्मी एकदम चोदूगा। "

उन्होंने न सिर्फ जोर जोर से सर हिलाया बल्कि मुंह खोल के भी बोला।

" चीखे चिल्लायेगी ,चूतड़ पटकेगी , जबरदस्ती चोदना पडेगा ,एकदम कोरी चूत होगी उसकी। "



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

मम्मी एकदम पीछे पड़ गयी थीं कबूलवाने के।



" हाँ मम्मी चाहे जो कुछ करे ,बिन चोदे छोडूंगा नहीं उसको। "

अब वो एकदम मूड में आ गए थे।

मम्मी उन्हें छोड़ के मेरे पास आगयी और मुझसे बोलीं ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" बस अब पक्का , इसका घर का नाम बहनचोद, हम तुम इसे घर। इसी नाम से बुलाएंगे। क्यों हैं न अच्छा नाम। "

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जवाब उनकी ओर से मैंने दिया ,

" हाँ मम्मी एकदम मीठा सा नाम है , और सिर्फ अपने घर में ही नहीं इनके मायके में भी मैं तो इन्हें इसी नाम से बुलाऊंगी ,क्यों बहनचोद ठीक है न। "

मैंने उनसे बोला।

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और गौने की दुल्हन की तरह वो झेंप गए।

मैंने क्रेयान उठाया और मोटा मोटा सुनहले ,लाल रंग से उनकी छाती पर लिख दिया 'बहनचोद ' और फिर उसे टैटूज़ के कलर से आलमोस्ट पक्का कर दिया।


लेकिन मम्मी का ध्यान एक बार फिर गोलकुंडा की तरफ चला गया था। सहलाते हुए बोलीं

" तेरी असली चीज तो यही है , तेरी माँ के भोंसडे और बहन की चूत से कम रसीला नहीं है ये "


और फिर उन्होंने उसमें ऊँगली घसेड़ने की नाकामयाब कोशिश की /

पास में एक टेबल पर ढेर सारी मोमबत्तिया रखी थीं ,हर साइज की ,हर मोटाई की।

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मैं उनका इरादा समझ के झट से उनके पास गयी और कान में फुसफुसाया ,

कुछ देर में मेरी बात मान गयी और एक पतली सी मोमबत्ती , ( एक ऊँगली के बराबर मोटी रही होगी ) लेकर जबरदस्ती उनकी गांड में पेल दिया और बत्ती वाला हिस्सा बाहर था।


मम्मी ने एक लाइटर जलाया ,

" बोल माँ के भंडुए , जला दूँ ये मोमबत्ती "

वो बिचारे सिहर गए।

" तो सुन ,अगले आधे घण्टे तक ,बिना रुके अपने घर की सारी लड़कियों का नाम ले ले के ,सारी औरतों का ,तेरी बहने लगे , तेरी बुआ मौसी चाची लगें सब , ..."

" जिनकी अभी झांटे नहीं निकलना शुरू हुयी हैं वो भी , मेरे पास पूरी लिस्ट है , सब का नाम ले के "

मैंने भी जोड़ा।

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" अपना नाम ले के ,अपनी ससुराल के मर्दों का नाम ले के , एक से एक गाली , और अगर रुके तो बस सोच ले , .... " मम्मी ने बोला ,और चूतड़ पर स्पैंकिंग चालु कर दी।

अगर किसी का नाम अवॉयड करने की वो कोशिश करते तो मैं बता देती और बोल भी देती ,

" ये मत सोच छोटी है तो चुदेगी नहीं , चोद चोद के बड़ी करवा दूंगी। "

आधी से ज्यादा रात बीत चुकी थी।

आधे घंटे से ज्यादा ही मम्मी ने उनसे गाली दिलाई ,चूतड़ पे हाथ जमाये ,


और फिर हम दोनों बिस्तर पर जाके बैठ गए , पास में ही।


दो घंटे से ऊपर हो गए थे उन्हें झूले में बंधे।


" इसकी बहुत सेवा कर दी हम दोनों ने अब इससे सेवा करवाते हैं। " मम्मी बोलीं

और मैंने भी हामी भर दी। बिचारे इतने देर से ,...


" चल बहनचोद तू भी क्या याद करेगा " और मम्मी ने उनके हाथ पैर खोल दिया।

हाँ उनका 'वो ' अभी भी बंधा था।


हाँ जब वो बिस्तर के पास आये तो बस उन्हें झुका के मम्मी ने एक बार फिर उनका हाथ उनके घुटने से बाँध दिया।

बड़ी रिक्वेस्ट की उन्होंने तो मम्मी ने अपना पैर उनकी और बढ़ाया ,


क्या मम्मी की सैंडल की चटाई की ,एकदम स्पिट क्लीन[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ऐसे मजे[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बड़ी रिक्वेस्ट की उन्होंने तो मम्मी ने अपना पैर उनकी और बढ़ाया ,



क्या मम्मी की सैंडल की चटाई की ,एकदम स्पिट क्लीन।[/font]


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खुश हो के मम्मी ने उन्हें अपने तलवे भी चाटने दिए और फिर गोरे गोरे पैर पिंडलियाँ और फिर वो मुड़ गयीं ,


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उनके नितम्ब हवा में थे , डॉगी पोज में।



उनके हाथ बंधे थे फिर भी ,


पहले नितंबों पे होंठों से जीभ से ,

फिर मीठे मीठे किस सीधे मम्मी के पिछवाड़े केछेद पे और उसके बाद जीभ ,अंदर


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मम्मी ने आँख के इशारे से मुझे उनके खूंटे को आजाद करने की इजाजत दे दी।


मारे खशी के उन्होंने अपनी आधी से ज्यादा जुबान मम्मी की रसीली गांड में ठेल दी।

मम्मी उन्हें उकसाती रही ,पुचकारती रहीं गरियाती रहीं ,[/font]

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" चाट रंडी के जने ,उसकी भी ऐसी ही चटवाउंगी अपने सामने ,फिर मारना उसकी गांड ,...
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]क्या चाटता है राजजा चाट और चाट "

और उन्होंने पूरी जुबान अंदर ठेल दी गोल गोल घुमाते रहे।


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आधे घण्टे तक उनकी जुबान मम्मी के पिछवाडे अंदर घुमती रही ,वो चाटते रहे ,मम्मी चटवाती रहीं ,...

तब जाके मम्मी ने उन्हें बाहर निकालने दिया।

और मैं अपने मौके के इन्तजार पे बैठी थी।

बस मैं खुद अपने चूतड़ फैलाके ,उनके मुंह पे और ,...उनकी जीभ अब मेरी रसीली गांड के अदंर।

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मम्मी अब उनके लन्ड के ऊपर बैठीं थी ,ड्राई हंपिंग करती रगड़ते ,

और साथ में मैं और मम्मी एक दूसरे को किस करते , कभी बूब्स रगड़ते। ..

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" बोल बहनचोद तू ले सकता है अपनी माँ के साथ ऐसे मजे। "[/font]


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उनका मुंह तो मेरे चूतड़ के नीचे दबा था , जीभ मेरी गांड के अंदर ,वो क्या बोलते।

लेकिन जवाब उनकी ओर से उनकी सास ने दिया ,

" तू समझती क्या है मेरे मुन्ने को मेरे तेरे सामने , चोदेगा उनको हचक हचक के गांड मारेगा देखना ,अरे ये सिर्फ बहनचोद ही नहीं मादरचोद भी है। "






हंस के मैंने उन्हें चिढाया।


सुबह की पहली किरण बस निकल रही थी।
………………………………………………………….



मैं और मम्मी सोने चले गए ,लेकिन वो नहीं। उनका लन्ड एकदम पागल हो रहा था बिना झड़े।




" घबड़ा मत मौक़ा मिलेगा इसे भी बस सेवा करते रहो "

मम्मी ने मुस्कराते हुए उसे जोर से मुठियाते रगड़ते कहा।


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" और क्या हम लोगों ने बोला है बस जब हम लोग ग्रीन सिगनल जब देंगे बस पूरी छूट "


मैंने हँसते उनके बाल बिगाड़ते बोला।

" सिर्फ एक चीज छोड़ के ,मेरी समधनों को ,इसकी ननदों की बिल में जब चाहो तब मलाई गिरा सकते हो ,तेरी मायकेवालियों के लिए पर्मांनेट ग्रीन सिग्नल "




मम्मी ने आल लाइन क्लियर दे दिया।

मम्मी और मैं एक दूसरे को पकड़ के सो गए ,रात भर के जगे ,थके थे हम दोनों।[/font]
 
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