XXX Kahani दोस्त बना साला - SexBaba
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XXX Kahani दोस्त बना साला

hotaks444

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Nov 15, 2016
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दोस्त बना साला पार्ट --1

हाई! आज मैं आपको अपनी एक स्टोरी बता रहा हूँ. यह उस वक़्त की बात है जब मैं 20 साल का था. मेरे कॉलेज मैं छुट्टिया थी जिनकी वजह से पूरा दिन घर पर होता था. घर पर सिर्फ़ मैं मुझसे छ्होटी बहन कंचन और मोम-डॅड थे. मेरा एक ख़ास दोस्त था रमेश. मैं उसके साथ फिल्म देखता और गेम खेलता. बस इसी तरह टाइम पास हो रहा था. एक बार जब हम दोनो एक पार्क मैं अकेले बैठे थे तो मैने उससे कहा, "यार आजकल बहुत बोरियत होती है. टाइम नही पास होता." वह मेरी बात सुन बोला, "तू दिन भर क्या करता रहता है?" "करना क्या यार टीवी देखना, मॅगज़ीन और तेरे साथ घूमना बस." वह बोला, "यही सब मैं भी करता हूँ पर बोरियत दूर करने का एक बहुत ही अच्छा रास्ता है मेरे पास जिससे मैं अपनी बोरियत दूर करता हूँ. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है इन छुट्टियो मैं." "यार तू क्या करता है?" "अरे कुच्छ नही बस मज़ा लेता हूँ." "किस का मज़ा?" "यार तू गधा है. मैं एक खूबसूरत लड़की का मज़ा लेता हूँ, उसकी चुचियों का, उसकी चूत का मज़ा." मैं उसकी बात सुन हैरान होता बोला, "यार तू तू सचमुच मज़े ले रहा है. कौन है वह? मेरा भी काम बनवा दे यार." वह बोला, "यार मैं उसके साथ तेरा काम नही बनवा सकता तू खुद कोई लड़की फसा ले. या पैसे खर्च कर." "पर यार मैं कैसे फसाउ कोई लड़की और तू तू जानता है हमलोगों के पास इतने पैसे कहाँ? यार तू अपनी वाली के साथ ही मेरा भी काम बना दे ना." "नही यार ये नही हो सकता." "अरे कौन है वह कि तू मेरा काम नही बनवा सकता?" "अगर तू वादा कर कि तू किसी को नही बताएगा तू मैं तुझे बता सकता हूँ." "मैं वादा करता हूँ." "देख यार किसी को बताना नही. जैसे तुम और तुम्हारी बहन ही हो अकेले वैसे ही मेरी भी सिर्फ़ एक छ्होटी बहन है, सपना. बस यार हम दोनो भाई बहन एक दूसरे की बोरियत मिटाते हैं." मैं हैरान होता बोला, "कैसे?" "अरे कैसे क्या? हम दोनो रात भर खूब मज़ा लेते हैं. तू चाहे तू तू भी अपनी बोरियत मिटा सकता है." "कैसे?" "तेरी भी छ्होटी बहन है. तू उसके साथ मज़ा लेकर अपनी बोरियत दूर कर." मुझे उसकी बात सुन बुरा नही लगा. मैं कुच्छ सोचने लगा तो वह बोला, "क्या सोच रहा है यार" "यही की तू अपनी बहन के साथ…." "तू क्या हुवा इसमे कोई नुकसान नही है. सोच अगर मेरी बहन घर से बाहर किसी से चुदवा लेती तो मेरी कितनी बदनामी होती. घर पर मुझसे चुदवाने मैं उसकी बदनामी भी नही होती और जब चाहे मज़ा लेती है. तू भी अपनी बहन को मज़ा दे दे वरना वह बाहर किसी से चुद गयी तू तू किसी को मुँह दिखाने वाला नही रहेगा." मैं चुप रहा तू वह बोला, "तुझे एक राज़ की बात बताउ. "क्या?" "यही की तू अगर अपनी बहन को नही चोदेगा तू कोई और चोदेगा. अगर बुरा ना मानो तू एक बात बताउ?" "नही मानूँगा बताओ." "जब मैं तुझको बुलाने तेरे घर जाता हूँ तू कभी-कभी तेरी बहन कंचन दरवाज़ा खोलती है. तो मैने एक दो बार तेरी बहन की चुचियों को टच किया था पर उसने ज़रा भी बुरा नही माना. यार तू बुरा ना मान पर आज तुझे जब बुलाने तेरे घर गया था तू भी तेरी बहन ने ही दरवाज़ा खोला था. आज तू मैने उसकी पूरी चूची को पाकर कर दबाया था. तेरी बहन की चुचियाँ तो मेरी बहन सपना की चुचियों से भी ज़्यादा टाइट हैं. तुझे अपनी बहन के साथ बहुत मज़ा मिलेगा." उसके मुँह से अपनी बहन के बारे मैं ऐसा सुन बुरा नही लगा. मुझे चुप देख वह बोला, "यार तू बुरा ना मान पर सभी लरकियाँ चुदवाना चाहती है और तेरी बहन भी खूबसूरत और जवान है. उसका मंन भी करता होगा वरना वा मुझसे अपनी कभी नही दब्वाती. तू अपनी बहन को चोद." मैं उससे बोला, "पर यार ये कैसे होगा?" "तूने कभी किसी को चोदा है या नही" "नही यार कभी नही." "तब तू कुच्छ नही कर पाएगा और उसे डरा भी देगा." "यार तू ही कुच्छ कर ना." "अच्छा एक काम करते हैं. मैं एक बार तेरी बहन को चोद्कर उसे चुदवाना सिखा दूँ. और तू मेरी बहन को चोद कर चोदना सीख ले." "हां यार यह ठीक रहेगा." "तू ठीक है ऐसा करते हैं पहले तू मेरे घर आजा और मेरी बहन को चोद्कर सीख ले फिर मैं तेरी बहन को चोद कर उसे चोदना सिखा दूँगा." फिर हमलोगो का अगले दिन शाम के 4 बजे का प्रोग्राम बना. घर आया तो मुझे आज अपनी बहन कंचन बहुत प्यारी लगी मैं उसे कनखियों से देख रहा था. मैं रात भर अपनी बहन की चुदाई की कल्पना करता रहा. अगले दिन सोकर उठा और कल की बात सोचता रहा. किसी तरह शाम के 4 बजे और मैं रमेश के घर पहुँचा. बेल बजाई तो रमेश ने दरवाज़ा खोला और मुझे देख खुश होता बोला, "अरे आओ यार मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था." मैं उसके साथ घर के अंदर गया और उसके रूम मैं सोफा पर बैठ गया. वह थोड़ी देर मेरे साथ बैठा बाते करता रहा. मैं उसकी खूबसूरत बहन सपना के बारे मैं सोच रहा था. उसने वही से अपनी बहन सपना को आवाज़ देकर चाइ लाने को कहा. 10 मिनिट बाद उसकी खूबसूरत बहन एक ट्रे मैं चाइ और बिस्किट्स लेकर आई.
 
वह गुलाबी रंग का शलवार कुर्ता पहने थी जिसमे वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसने ट्रे टेबल पर रखी और चाइ कप मैं निकाली फिर चली गयी. मैं उसे ही देख रहा था. वह एकदम नॉर्मल थी. हम दोनो ने चाइ पी. अब तक 4:30 बज गया था. चाइ पीने के बाद रमेश ट्रे लेकर बाहर चला गया. मैं वही बैठ रहा. 3-4 मिनिट बाद कमरे के बाहर से दोनो के हस्ने की आवाज़ आई तो मैं दरवाज़े को देखने लगा. तभी वह दोनो अंदर आए. अब मेरा दिल एकदम से धरकने लगा. रमेश सिर्फ़ लूँगी मे था और उसकी बहन सपना ब्लाक टाइट शर्ट और ब्लच मिनी स्कर्ट पहने थी. शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी दोनो बरी- बरी चुचियाँ से शर्ट फटी जा रही थी. रमेश अपनी बहन के बगल से हाथ डाले उसकी दोनो चुचियों को अपने हाथ से पकरे उसे धक्का देता अंदर ला रहा था और वह खिल-खिलाकर हंस रही थी. तभी उसने मुझे देखा तो चुप हो गयी और मुझे देखती मुस्कराने लगी. वह मुझे जानती थी. मैं भी दोनो को देख रहा था. वह दोनो पास आए और मेरे वाले सोफा पर ही बैठ गये. सपना बीच मैं बैठी थी. उसने एक पल मुझे देखा फिर अपनी भाई की तरफ मूड गयी और फिर खिल- खिलाने लगी. रमेश भी हंसते उसकी चुचियों को टच कर रहा था. दोनो को अपने सामने ऐसा करते देख मैं हक्का-बक्का था. तभी सपना हंसते हुवे बोली, "ओह्ह भाय्या जाओ तुम बहुत मज़ाक करते हो." वह दोनो आपस मैं इसी तरह की हरकत 2-3 मिनिट करते रहे फिर. सपना ने अपनी हँसी रोक कर कहा, "आहह भाय्या अब 3-4 दिन आराम रहेगा. मम्मी पापा तू 4 दिन बाद आएँगे. भाय्या?" "क्या है?" "ये आपके दोस्त तू बहुत डर रहे हैं. ये इतना डर क्यों रहे हैं?" "क्या पता तुम ही पूछ लो." वह मेरी तरफ मूडी और मेरे कंधे पर हाथ रख बोली, "आप घबरा क्यों रहे हैं?" "ज्ज्ज जी नही नही मैं मैं न.. नही तो." वह फिर खिल-खिलाकर हस्ने लगी. मैं उसकी उठती बैठती चुचियों को देखने लगा. मंन किया कि पकड़ लूँ पर डर गया. वह कुच्छ देर हँसती रही फिर मेरे दोनो हाथो को पकड़ मेरी आँखो मैं देखती बोली, "आप मेरे भाय्या के सबसे आछे दोस्त हैं. भाय्या आपकी बहुत तारीफ्फ करते हैं. कहते थे कि मेरा दोस्त बेचारा लल्लू है. कभी किसी लड़की को टच नही किया. कोई बात नही लो मेरी टच कर लो." और इतना कह उसने मेरे दोनो हाथो को अपनी चुचियों पर रख लिया. उसकी चुचियों पर हाथ रखते ही मेरी धड़कन तेज़ हो गयी. मेरा गला सूख गया. मैं चुपचाप हाथ रखे रहा तो वह फिर खिल- खिलाकर हासणे लगी. हंसते-हंसते बोली, "भाय्या आप सच कहते थे कि आपका दोस्त लल्लू है. लो अब हाथ मैं दे दिया तू भी चुप बैठा है कुच्छ करता ही नही." उसकी बात सुन हिम्मत कर मैने धीरे से उसकी चुचियों को दबाया तो मैं मज़े से भर गया. फिर दो तीन बार दोनो को दबाया तो वह अपने हाथ से अपनी शर्ट के बटन को खोलने लगी. शर्ट खुलते ही उसकी दोनो खूबसूरत कसी चुचियाँ नंगी हो गयी. वह शर्ट के नीचे कुच्छ भी नही पहने थी. मैं उसकी चुचियों को देखने लगा तो उसका भाई और मेरा दोस्त रमेश आगे आ दोनो चुचियों को पकड़ मसल्ते हुवे बोला, "लो यार अब तुम चुप बैठे हो और फिर कहोगे की बोर होते रहते हो. लो करो जो मंन मैं आए. मैं तो अपनी बहन की चुचियों को चूस-चूस कर पीता हूँ." इतना कह वह मेरे सामने अपनी बहन की एक चूची को अपने मुँह मैं लेकर पीने लगा तो सपना ने मुझे दूसरी वाली को पीने का इशारा किया. मैं भी झुककर उसकी दूसरी चूची को पीने लगा. वह एक को अपने भाई के मुँह मैं दे दूसरी चूची को अपने भाई के दोस्त के मुँह मैं देकर चुस्वकार मज़ा ले रही थी. मुझे अनोखा मज़ा मिल रहा था और मैं उसकी चूची को चूस्ते हुवे सोच रहा था कि सच यह तो बहुत मज़ा देने वाली चीज़ है.
 
[size=large]दो तीन मिनिट बाद रमेश अलग हुवा और मुझे कुच्छ देर अपनी बहन की चूची को पीते देखने के बाद बोला, "चल सपना बेड पर चलते हैं." "चलो भाय्या." वह उठी और अपने भाई के बेड पर आकर लेट गयी. हम दोनो भी उसके पास आए तो रमेश ने सपना का स्कर्ट खींचकर उतार दिया. वह नीचे ब्लॅक पॅंटी पहने थी जिसमे से उसकी चूत उभरी हुई थी. मैं उसे देखने लगा तो वह बोली, "उम्म क्या देख रहे हैं आप? क्या कभी देखी नही किसी की?" "श न्न्न नही." "इतने बड़े हो गये और किसी की नही देखी. अपनी बहन कंचन की भी नही?" "हाए नही." "ओह्ह कैसे भाई हो? मेरे भाय्या तू मुझे एक साल से चोद रहे हैं और एक तुम हो की अपनी बहन की चूत भी नही देखी. हाए आपके ऊपर बहुत तरस आ रहा है. कंचन बहुत खूबसूरत है उसकी तो मुझसे भी अच्छी होगी." वह खुलकर बिना शरम के बोल रही थी. उसका बड़ा भाई चुपचाप उसकी चुचियों को चूस और मसल रहा था. उसे जैसे मतलब ही नही था कि उसकी बहन मुझसे क्या बात कर रही है. वह मेरे गाल पर हाथ फेर बोली, "आप मेरे भाई के सबसे अच्छे दोस्त हैं इसलिए मैं आपको अपनी दिखाउन्गी. लीजिए चड्डी हटाकर देख लीजिए मेरी चूत." उसकी बात सुन खुश हो गया. काँपते हाथों से उसकी काली चड्डी को एक तरफ किया तो उसकी चिकनी बिना बॉल वाली गोरी-गोरी चूत मेरी आँखो के सामने चमकने लगी. मैं ललचाया सा देखने लगा तो वह बोली, "लो मज़ा जैसे चाहो." मैने उसकी चूत पर हाथ रखा तो मेरा लंड झटके खाने लगा. दो तीन बार हाथ फिराने के बाद उसकी चूत की दोनो फांको को खोलकर अंदर का गुलाबी च्छेद देखा तो मुँह मैं पानी आ गया. वह बोली, "चाट कर देखो मज़ा आ जाएगा." मैं कई स्टोरी मैं लिखा देख चुक्का था कि चूत चाटने मैं बहुत मज़ा मिलता है इसलिए उसकी बात सुन चाटने को तैय्यर हुवा.. रमेश उसकी चुचियों मैं खोया हुवा था. मैने उसकी चड्डी को एकदम अलग कर दिया और अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी. चूत की सोंधी खुश्बू से नाक मस्त हो गयी. पूरी चूत पर ऊपर से नीचे तक जीभ चलाकर चाटने लगा. सच लड़की मैं बहुत मज़ा भरा होता है. रमेश सच कह रहा था कि वह कभी बोर नही होता. अभी 3-4 मिनिट ही चॅटा था कि वह अपने पैरों से धक्का दे मुझे अपनी चूत से अलग कर बोली, "हटो दूर, तुमको तो कुच्छ भी नही आता."[/size]
 
[size=large][size=large]दोस्त बना साला पार्ट --2
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[size=large][size=large]मैं हैरान होता अलग हुवा तो रमेश भी उसकी चुचियों से मुँह हटा बोला, "क्या हुवा सपना?" "ओह्ह भाय्या आपके दोस्त तो बिल्कुल बुद्धू हैं. इनको तो लड़की को मज़ा देना आता ही नही. ना तो यह चुचियों को ही चूसना जानते है और ना ही चूत को चाटना. इतनी देर से चाट रहेहै पर ज़रा भी मज़ा नही आया. जाओ मैं नही चटवाउन्गि इनसे." मैने घबराकर अपने दोस्त को देखा तो वह अपनी बहन से बोला, "अरे मेरी प्यारी बहन इसे मैं सीखा दूँगा. इसे सिखाने के लिए ही तो यहाँ लाया हूँ वरना यह अपनी बहन को मज़ा ना दे रहा होता. आज सीख कर जाएगा तू कल अपनी बहन को सिखाने लाएगा फिर यह भी हमारी तरह घर पर खेला करेगा." इतना कह वह अपनी बहन की चूत के पास आया और बोला, "देखो मैं चाट रहा हूँ फिर ऐसे ही तुम चाटना." उसने एक हाथ से सपना की चूत की दोनो फाँक खोली और अपनी जीभ को चूत मैं अंदर बाहर करते चूस-चूस कर चाटने लगा. कुच्छ देर मैं ही सपना हाए हाए करने लगी तू वा अलग होता बोला, "लो अब तुम इसी तरह चॅटो." फिर मैने भी उसी तरह उसकी चूत मैं अपनी जीभ पेल-पेल कर चाटना शुरू किया तू थोरी देर मैं ही सपना सिसकिया लेने लगी. अब वह अपनी गांद को तेज़ी से ऊपर उच्छाल रही थी और बुदबुदा रही थी, "हां हाए ऐसे ही चॅटो और चॅटो मेरा निकलने वाला है." 3- 4 मिनिट चॅटा था कि उसकी चूत ने मेरे मुँह पर अपना नमकीन पानी फेंकना शुरू कर दिया.. जीभ मैं नमकीन स्वाद लगा तो मैं और तेज़ी से चाटने लगा. एक मिनिट बाद वह ठंडी पड़ गयी तो मैं अलग हुवा. रमेश अपनी बहन की हालत देख बोला, "सपना क्या हुवा मेरी जान?" "ओह्ह भाय्या मज़ा आ गया. यह तो एक बार मैं ही सीख गये. ओह्ह भाय्या अब ज़रा इनका दिखाइए तो.. देखें कैसा है इनका." उसकी बात सुन बोला, "यार अब तू भी कपड़े अलग कर नंगा हो जा और अपना लंड दिखा मेरी बहन को." मैं हिचकिचाया तो वह बोली, "ओह्ह भाय्या यह तो शरमाते हैं. चलो कोई बात नही आप ही आओ." उसकी बात सुन मैने जल्दी से अपने कपड़े अलग कर दिए तो वह मेरे लंड को देख खुश होते बोली, "उउंम हाए देखने मैं तो साइज़ बड़ा लग रहा है. देखे चोदने मैं कैसा है." वह आगे आई और मेरे लंड को पकड़ लिया. पहली बार किसी लड़की ने लंड को टच किया था. लंड तेज़ी से झटके लेने लगा तो उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरी कमर के पास बैठ गयी और फिर मेरे लंड को अपने मुँह मैं लेकर चाटने लगी. मैं उसकी इस हरकत पर मर मिटा. मैं लंड चटवाने के अनोखे मज़े को ले रहा था. रमेश अब पिछे से अपनी बहन की चूत चाट रहा था. कुच्छ देर तक चाटने के बाद बोली, "ओह्ह भाय्या अब चुदवा दो अपने दोस्त के प्यारे लंड से." इतना कह वह चित हो लेट गयी तो रमेश बोला, "देखो मैं जैसे बताउ वैसे ही तुम डालना." फिर वह अपनी बहन के ऊपर आया और अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया फिर दोनो चुचियों को अपनी मुट्ही मैं भर लंड को दबाने लगा.. लंड धीरे-धीरे अंदर घुसने लगा. ज़रा सी देर मैं पूरा चला गया तो वह दोनो चुचियों को दबाते धक्के लगाने लगा. दो मिनिट बाद अपने लंड को बाहर कर बोला, "लो आओ अब तुम चोदो." उसके बताए तरीके से मैने लंड को उसकी बहन की चूत मैं डाला. मेरा लंड कुच्छ कसा-कसा गया था. वह मेरे लंड को अपनी चूत मैं लेने के बाद बोली, "भाय्या इनका तो आपसे ज़्यादा लंबा और मोटा है. हल्का-हल्का दर्द हो रहा है जबकि आपका घुसता है तो ज़रा भी पता नही चलता. भाय्या अब आप इनको रोज़ लाइएएगा." "ठीक है मेरी जान. मेरा छ्होटा है इसलिए इसकी कुँवारी बहन मैं कसा जाएगा. अब तू चुदवा ले मेरे दोस्त के मोटे लंबे और ताज़े लंड से." फिर मैने अपने दोस्त की बहन की चुदाई शुरू कर दी. वह आअहह ऊओह हाए हाए करने लगी. 2-3 मिनिट तक रमेश अपनी बहन की चुदती चूत को देखता रहा फिर उठकर उसके मुँह के पास गया और अपने लंड को उसके मुँह मैं घुसेर दिया तो वह अपने भाई के लंड को चूसने चाटने लगी. 2 मिनिट बाद रमेश का झरने लगा. वह अपने लंड के पानी को उसकी चुचियों पर गिरा रहा था. मैं अभी चोद रहा था. रमेश झारकर सुस्त हो उसके बगल मैं लेट गया. 10 मिनिट की चुदाई के बाद मैं हाए हाए करते बोला, "ओह्ह सपना मेरा भी अब झरने वाला है." मेरी बात सुन वह जल्दी से उठी और अपनी चूत से मेरे लंड को बाहर निकाल उसे अपने मुँह मैं लेती बोली, "झरो मेरे मुँह मैं हाए तुम्हारे पहले पानी को पीना है मुझे." अगले ही पल तेज़ शॉट के साथ मैं झरने लगा. मेरे लंड का गाढ़ा पानी उसके मुँह मैं गिरने लगा जिसे वह पीती गयी. झरने के बाद उसने लंड को फिर मुँह मैं ले लिया और चाटकार सॉफ किया. रमेश पास मैं लेटा हम दोनो को देख रहा था. झरने के बाद हम लोग बेड पर ही लेटकर सुस्ताने लगे. 15 मिनिट बाद हम लोगो ने अपने कपड़े पहने और सपना बाहर चली गयी. 5 मिनिट बाद वह 3 गिलास दूध लेकर वापस आई. दूध पीते हुवे वह मुझसे बोली, "आप तो बहुत अच्छे चुदक्कर हैं.[/size][/size]
 
आपसे आपकी बहन बहुत खुश रहेगी. आप रोज़ आईएएगा. भाय्या ना हो तो भी." "हां मेरी जान अब तो तुम्हारे बिन रहा नही जाएगा." "आप अब अपनी बहन को भी चोदियेगा. कभी कुच्छ किया है कंचन के साथ." "न्न्न नही." "ओह्ह तू आप कैसे करिएगा. खैर कोई बात नही मेरे भाय्या आपकी बहन को पटाकर चोदेन्गे फिर आप भी उसको चोदियेगा." फिर मैं अपनी बहन को अपने दोस्त को देने का वादा कर अपने घर वापस आया.. अब मैं बहुत खुश था. पहली बार किसीलड़की को चोदा था वह भी इतनी खूबसूरत और जवान कि क्या बताएँ. घर आकर अपनी जवान 17 साल की छ्होटी बहन कंचन को देखा तो आज वह मुझे बहुत खूसूरत लगी. इसकी चुचियाँ तो सपना की चुचियों से ज़्यादा टाइट और बड़ी लग रही थी. पहले तो मैं उसपर ज़्यादा ध्यान नही देता था पर आज मैं उसको दूसरी नज़र से देख रहा था. रात हुई तो मैं सोने लेट गया पर नींद नही आई और आँखो मैं सपना का नंगा बदन घूमता रहा. किसी तरह सोया तो सपने मैं भी वही दिखती रही. अगली सुबह देर से सोकर उठा. कंचन इस वक़्त रोज़ की तरह मेरे रूम मैं झारू लगा रही थी. वह झुककर झारू लगा रही थी जिससे उसकी दोनो चुचियाँ उसके कुर्ते से आधी बाहर को दिख रही थी. जिन्हे देखकर मैं मस्त हो गया. वैसे तो वह रोज़ इन्ही कपड़ो मैं घर पर रहती थी पर पहले मैं उसकी तरफ गौर नही करता था पर कल की घटना से अब मैं उसे ही देखे जा रहा था. तभी उसने मुझे अपनी तरफ इस तरह से देखते पाया तो वह शर्मा गयी और जल्दी से अपने कपड़ो को ठीक कर लिया.. मैं झेंपकर उठा और नाहकर फ्रेश हुवा. उसने ब्रेक फास्ट रेडी कर दिया था. मोम डॅड ड्यूटी पर जा चुके थे वह और मैं घर पर अकेले थे.. हम दोनो नाश्ता करने बैठे तो मैं उसे ही देख रहा था. आज उसे मेरा बदला रूप नज़र आ रहा था. वह कुच्छ नर्वस हो रही थी. इस वक़्त वह भी नहा धोकर एक पिंक स्कर्ट और येल्लो शर्ट मैं थी. मैं उसकी चुचियों को ही घूर रहा था. तभी एक स्पून टेबल से नीचे गिरा तो वह उसे उठाने को झुकी तो मैं फिर उसकी चुचियों की झलक पा गया. उसे शायद यह एहसास हो गया था कि मैं उसकी चुचियों को देखने की कोशिश कर रहा हूँ. किसी तरह नाश्ता करके वह अपने दूसरे काम करने लगी. मैं अपने रूम मैं आ गया था. आधे घंटे बाद वा मेरे रूम मैं आई और सफाई करने लगी. मैने देखा कि वा अब एक नयी शर्ट पहने थी जो कि एकदम वाइट और हल्की सी टॅंग्स्पेरेंट थी. यह शर्ट बड़े गले की थी और उसका ऊपर का एक बटन भी खुला था. वह अब बार-बार किसी ना किसी बहाने से मेरे सामने आ रही थी और अब वा झुक भी ज़्यादा रही थी जिससे मुझे उसकी चुचियाँ ठीक तरह से दिख रही थी. मैं समझ गया कि मेरे दोस्त की बहन सपना की बात सच है कि हर लड़की 15 की उमर के बाद चुदवाना चाहती है पर इज़्ज़त को डरती है और अगर उसे घर मैं ही कोई मिल जाए तो वह फ़ौरन तैय्यर हो जाती है चुदवाने को. अब मैने एक बात और सोची क़ी मेरे दोस्त ने तो अपनी चुदी बहन मुझे दी थी पर मेरी बहन तो एकदम ताज़ा माल है.. मैने सोचा की जब बहन को चुदवाना ही है तू क्यों ना पहले खुद ही उसे चोद्कर कुँवारा माल चखा जाए. यह ख्याल दिल मैं आते ही मैने सोचा कि ट्राइ करते है अगर सपना की बात सच है तो कंचन मुझसे ज़रूर चुदवायेगि. तब मैने प्लान बना उसे आवाज़ दी,
 
"कंचन.." "जी भाय्या." "क्या बात है आज तू बहुत काम कर रही है?" "ओ भाय्या आज कॉलेज जाना नही है तो सोचा कि आज अपने भाय्या का रूम अच्छी तरह से सॉफ कर दूँ." "ठीक है कंचन तुम बहुत अच्छी हो.. सुनो यह वाली अलमारी ठीक से सॉफ करना आओ यहाँ तो बताउ." वह पास आई तो उसके हाथ को पकड़ अपने पास कर एक अलमारी के पास ले गया. फिर उसे अलमारी दिखाने के बहाने-बहाने उसके बदन को छूने लगा. तभी मैने हाथ से उसकी एक चूची को टच किया पर वह चुप रही. दो तीन बार टच किया फिर भी उसने कुच्छ ना कहा तो हिम्मत बढ़ गयी. तब मैं काँपते हुवे अपने एक हाथ को उसकी बगल से डाल उसकी एक चूची पर रख दिया. मेरा पूरा हाथ उसकी टाइट चूची पर था और मैं कनखी से उसे देख रहा था. हाथ को उसकी चूची पर रख मैं उसे क्या-क्या सॉफ करना है यह बता रहा था और वह चुपचाप सुन रही थी. उसकी नज़रे नीची थी. इतना करने के बाद मैं समझ गया कि वह मेरी इस हरक़त का बुरा नही मान रही तो मैने धीरे से अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुवे उसकी चूची को दबाया. वह आँखे झुकाए अपनी चूची को देख रही थी. मैं समझ गया कि वह राज़ी है तो खुश होकर उसकी चूची को कसकर अपने हाथ मैं पकड़ लिया तो उसके मुँह से धीमी सी सिसकी के साथ निकला, "हाए भाय्या." उसका इतना कहना था कि मैं खुश हो गया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी पकड़ लिया. उसने जल्दी से अपने हाथो के मेरे हाथो पर रखा और बोली, "न्न्न नही भाय्या हाए छोड़िए मुझे सफाई करनी है." "क्यों अच्छा नही लग रहा?" "हटो भाय्या यह क्या कर रहे हो मैं आपकी बहन हूँ." "अच्छा मैं सब जानता हूँ तुम क्या चाहती हो. आज सुबह से ही तुम मुझे अपनी दोनो चुचियों को दिखा रही हो." मेरी खुली खुली बात सुन वह शरमाते हुवे बोली, "ऊओ न्न्न भाय्या छोड़ो ना आप क्या कह रहे हैं? मैं तो अपना काम कर रही हूँ." "मैं भी तो अपना काम कर रहा हूँ. तुम आज मेरे सामने झुक झुककर और ऐसे कपड़े पहन मुझे दिखा रही थी ना. अब मैं इनको देख रहा हूँ." यह कहते हुवे उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए तो वह मेरे हाथ को पकड़ बोली, "नही भाय्या हाए आप क्या कर रहे है, मैं आपकी छ्होटी बहन हूँ." "नही पगली तू मेरी खूबसूरत और जवान बहन है. सच बोलना तुम आज सुबह से मुझे अपनी इन मस्त चुचियों को दिखा रही हो या नही.
 
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