desiaks
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“करीब-करीब सभी प्यार करने वाले अपनी प्रेमिकाओं के बारे में ऐसे ही दावे करते हैं, जो मेरे ख्याल में हकीकत से बहुत दूर होते हैं। लेकिन वक्त के अनुभवों से साबित हैं कि बड़े से बड़ा आशिक भी अपनी प्रेमिका के मर जाने पर उसके साथ खुदकशी करके नहीं मरता। और दुनिया के अरबों मर्दो में से जिन दस-पांच लोगों मे ऐसा किया भी, तो बाद में तहकीकात से पता चला था कि वो दिमागी तौर पर कुछ खिसके हुए थे।
"तो फिर आप मुझें भी उन नेक लोगों में से समझ सकते हैं। मेरा यह दावा सिर्फ कहने भर को नहीं है। यह हकीकत हैं कि में अपनी प्रेमिका के बगैर एक दिन भी जिन्दा नहीं रह सकता।
"हालांकि आपकी प्रेमिका किसी दूसरे की पत्नी हैं,जिस पर आपका कोई हक नही है।"
"वां अलग बात हैं। हम से कम मुझें इतनी तसल्ली तो हैं कि मै जब चाहूं उसे देख सकता हूं और मौका हो तो उसे प्यार भी कर सकता हूं। प्यार मोहब्बत में उस वक्त तक मजा ही नहीं आता, जब तक कि प्रेमिका पर पहरे न हो। प्रेमिका की शादी किसी दूसरे से हो जाने पर न तो मेरी सेहत पर कोई फर्क पड़ा हैं, न ही मुझें कोई दिक्कत हुई हैं, बल्कि मुझें उसके प्यार में अब पहले से भी ज्यादा मजा आने लगा है।
"और यही विचार आपकों दूसरों से अलग करते हैं। क्योंकि आम इन्सान अपनी प्रेमिका को कभी भी दूसरे की बाहों में देखना पसन्द नही करते । यह जानते हुए भी कि शादी , प्यार का अंत होती हैं, हर शख्स अपने सपनों की रानी को हमेशा के लिए कब्जे में रखना चाहता हैं"
“इसे ही आप विचारों का मतभेद कह सकते हैं। इस बात से मेरे मिजाज में कोई फर्क नहीं पड़ता, विचारों को भिन्नता से यह मत सोचिये कि मैं इन्सान ही नहीं हूं।"
इसी बीच चाय आ गई। डॉक्टर जय ने चाय बनाकर कप राज की तरफ बढ़ाते हुए शीमें स्वर में सरगोशी की
“और आपकों शायद यह सुनकर भी ताज्जुब होगा कि मैं अपनी प्रेमिका के सिर्फ होंठों को ही चूमना पसन्द करता हूं। आज तक मैने कभी उसकी गालों को छुआ तक नहीं ।
"वो क्यों ?" राज ने पूछा
“इसका मेरे पास कोई जवाब नही। मेरा दिल ही नहीं करता। या मेरे ख्याल में प्रेमिका की सुन्दरता ओर यौवन का सारा रस उसक होंठों में ही होता हैं। इसलिए कोठों के अलावा किसी भी दूसरी चीज को चूमना पत्थर को चूमने के बराबर होता है।
“आपका यह नजरिया भी हैरतअंगेज हैं डाक्टर जय ओर आम इन्सानों की फितरत के विरूद्ध-क्योंकि आम आदमी तो प्रेमिका के जिस्म के हर हिस्से को प्यार करना चाहता है।
"इसके बावजूद मैं फिर कहूंगा कि मैं एक आम इन्सान नही
"इसका मतलब यह कि दो अलग-अलग फितरते आपके अन्दर मौजूद है।
“यह आपका नजरिया है। आप अपने शब्दों में यो भी कह सकते है।"
उसने गर्म चाय का एक लम्बा सा यूंट भरते हुए कहा। फिर राज से पूछा
, “क्या आपने कभी किसी से प्यार नही किया ?"
'अभी तक तो ऐसा इत्तेफाक नही हुआ।" राज ने जवाब दिया।
"तो फिर आप मुझें भी उन नेक लोगों में से समझ सकते हैं। मेरा यह दावा सिर्फ कहने भर को नहीं है। यह हकीकत हैं कि में अपनी प्रेमिका के बगैर एक दिन भी जिन्दा नहीं रह सकता।
"हालांकि आपकी प्रेमिका किसी दूसरे की पत्नी हैं,जिस पर आपका कोई हक नही है।"
"वां अलग बात हैं। हम से कम मुझें इतनी तसल्ली तो हैं कि मै जब चाहूं उसे देख सकता हूं और मौका हो तो उसे प्यार भी कर सकता हूं। प्यार मोहब्बत में उस वक्त तक मजा ही नहीं आता, जब तक कि प्रेमिका पर पहरे न हो। प्रेमिका की शादी किसी दूसरे से हो जाने पर न तो मेरी सेहत पर कोई फर्क पड़ा हैं, न ही मुझें कोई दिक्कत हुई हैं, बल्कि मुझें उसके प्यार में अब पहले से भी ज्यादा मजा आने लगा है।
"और यही विचार आपकों दूसरों से अलग करते हैं। क्योंकि आम इन्सान अपनी प्रेमिका को कभी भी दूसरे की बाहों में देखना पसन्द नही करते । यह जानते हुए भी कि शादी , प्यार का अंत होती हैं, हर शख्स अपने सपनों की रानी को हमेशा के लिए कब्जे में रखना चाहता हैं"
“इसे ही आप विचारों का मतभेद कह सकते हैं। इस बात से मेरे मिजाज में कोई फर्क नहीं पड़ता, विचारों को भिन्नता से यह मत सोचिये कि मैं इन्सान ही नहीं हूं।"
इसी बीच चाय आ गई। डॉक्टर जय ने चाय बनाकर कप राज की तरफ बढ़ाते हुए शीमें स्वर में सरगोशी की
“और आपकों शायद यह सुनकर भी ताज्जुब होगा कि मैं अपनी प्रेमिका के सिर्फ होंठों को ही चूमना पसन्द करता हूं। आज तक मैने कभी उसकी गालों को छुआ तक नहीं ।
"वो क्यों ?" राज ने पूछा
“इसका मेरे पास कोई जवाब नही। मेरा दिल ही नहीं करता। या मेरे ख्याल में प्रेमिका की सुन्दरता ओर यौवन का सारा रस उसक होंठों में ही होता हैं। इसलिए कोठों के अलावा किसी भी दूसरी चीज को चूमना पत्थर को चूमने के बराबर होता है।
“आपका यह नजरिया भी हैरतअंगेज हैं डाक्टर जय ओर आम इन्सानों की फितरत के विरूद्ध-क्योंकि आम आदमी तो प्रेमिका के जिस्म के हर हिस्से को प्यार करना चाहता है।
"इसके बावजूद मैं फिर कहूंगा कि मैं एक आम इन्सान नही
"इसका मतलब यह कि दो अलग-अलग फितरते आपके अन्दर मौजूद है।
“यह आपका नजरिया है। आप अपने शब्दों में यो भी कह सकते है।"
उसने गर्म चाय का एक लम्बा सा यूंट भरते हुए कहा। फिर राज से पूछा
, “क्या आपने कभी किसी से प्यार नही किया ?"
'अभी तक तो ऐसा इत्तेफाक नही हुआ।" राज ने जवाब दिया।