XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 14 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

कॉलेज की लड़कियाँ

अगले दिन दोपहर को कॉलेज कैंटीन में शानू और बानो तो आ गई लेकिन उर्मि नहीं आई.हम तीनो कैंटीन में इंतज़ार कर रहे थे, कोई 10 मिन्ट की इंतज़ार के बाद उर्मि भी आ गई.
हम सब दो रिक्शा पर बैठ कर मेरी कोठी पहुँच गए.लखन लाल चौकीदार ने हम सबको सलाम की और फिर मैं तीनों लड़कियों को लेकर बैठक में आ गया.नैना रानी ग्लासों में शरबत ले आई और मैंने उन सबको उससे मिलवाया और यह भी बताया कि ये लड़कियाँ तुमको एक बुढ़िया समझ रही थी.इस बात पर काफी हंसी मज़ाक चलता रहा.
खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था और अंत में हम सबने आइसक्रीम खाई.खाना समाप्त करके हम सब मेरे कमरे में आ गए जहाँ नैना ने पहले से ही मोटे गद्दे बिछा रखे थे.

शानू और बानो को मैं नैनीताल में चोद चुका था तो वो झट से मेरे पास आ गई और मुझको दोनों ने अपने बाहों में भर लिया. मैं भी एक एक कर के दोनों को चूमने लगा और वो भी खुल्लम खुल्ला मेरे लौड़े को पकड़ कर खेलने लगी.
उर्मि यह सब बड़ी ही हैरानी से देख रही थी.नैना उर्मि के पास गई और उसको लेकर मेरे पास आ गई.शानू और बानो ने हम दोनों का पहले हाथ मिलवाया और फिर दोनों ने उर्मि को मेरी तरफ धकेल दिया.
मैंने झट से उसको अपनी बाहों में ले लिया और कहा- वेरी सॉरी उर्मि जी, आप से नई मुलाकात है न… तो अभी एक दूसरे के साथ खुल नहीं पाये.उर्मि भी अपनी मधुर आवाज़ में बोली- आपका ज़िक्र बहुत बार इन दोनों ने मेरे से किया था लेकिन आपको देखा तो आप बहुत ही अच्छे निकले.मैंने झट से उर्मि को अपने गले लगा लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटों को चूम लिया.उसकी हाइट यही कोई 5 फ़ीट 5 इंच थी तो वो एकदम से मेरे साथ फिट बैठ गई.
जब उसके मोटे उरोज मेरी छाती से टकराये तो मुझको एक झनझनाहट सी हुई सारे शरीर में!मैंने फिर से उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों को बार बार चूमने लगा.नैना मुझको गुस्से में देख रही थी.
मैं समझ गया और मैंने झट से शानू को बाँहों में ले लिया और उसको गरम जोशी से भरी एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने अपना ध्यान बानो की तरफ किया और जल्दी ही उसको भी जफ़्फ़ी डाली और चूमा चाटी शुरू कर दी.
अब नैना ने तीनों लड़कियों से कहा- छोटे मालिक अब बारी बारी से आपके कपड़े उतारेंगे जिसमें मैं उनकी मदद करूंगी.
सबसे पहले बानो सामने आ गई और मैंने उसकी सलवार कमीज धीरे से उतार दी और उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को ब्रा में से उछल कर बाहर आते देखा, जल्दी से उसके मम्मों को एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने शानू को सामने पाया और वैसे ही उसके कपड़े भी उतार दिए और वैसी ही एक चुम्मी उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों को दे दी.
अब नैना उर्मि को लेकर मेरे सामने आई और उसके कपड़े खुद ही उतारने लगी. जब मैंने उसको देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि उसको वो काम करने दो.धीरे धीरे से नैना पहले उर्मि की साड़ी उतारने लगी और फिर उसके पेटीकोट को उतार दिया लेकिन उसने ऐसे तरीके से उर्मि के कपड़ों को उतारा कि मैं और बाकी दोनों लड़कियाँ उसके मम्मों और चूत की झलक नहीं पा सके.
और अंत में उसने उसके मोटे मम्मों के ऊपर से ब्रा भी उतार दी लेकिन हम तीनों बड़ी उत्सुकता से उसके मम्मों और चूत की झलक पाने के लिए बेकरार थे.नैना ने हमारी बेकरारी समझ ली थी, वो जानबूझ कर हम को तरसा रही थी और कुछ भी नहीं देखने दे रही थी.
उर्मि को भी सारे तमाशे से बड़ा आनन्द आ रहा था और वो भी भरसक कोशिश कर रही थी कि हम कुछ न देख पाएँ.इस ऊहापोह में हमने मिल कर नैना की साड़ी खींच दी.जैसे ही उसका ध्यान अपनी साड़ी की तरफ गया, हम तीनों ने उर्मि को खींच कर उसके पीछे से निकाल लिया.
अब उर्मि नंगी ही हम तीनों के सामने थी, मैं तो उसके मम्मों और काले बालों से ढकी चूत को देख कर मुग्ध हो गया, फिर उर्मि के गोल चूतड़ देखे तो मन एकदम पगला गया और मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को फिर से गले लगा लिया.उर्मि भी आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी.

 
तब नैना भी अपने कपड़े उतार कर उर्मि का साथ दे रही थी.दोनों ने मिल कर मुझ को जल्दी ही नंगा कर दिया और उर्मि ने पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को देखा.
वो झट से बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल दिया और शानू और बानो भी मेरे दोनों और खड़ी हो गई और मेरी सफाचट छाती को चूमने लगी.मुझको ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में अप्सराओं के बीच में खड़ा हूँ.
नैना ने जल्दी से आगे बढ़ कर मुझसे पूछा- छोटे मालिक, आप ठीक तो हैं न?मैंने उसको आँख मारी- नैना डार्लिंग, यह सब होने के बाद मैं कैसे ठीक रह सकता हूँ, मेरा तो स्वर्गवास हो गया लगता है.तीनों लड़कियाँ यह सुन कर बहुत ज़ोर से हंसने लगी.
अब उर्मि बोली- इतने मोटे और लम्बे लंड वाला भूत मैंने पहले कभी नहीं देखा था.मैं भी बोला- इतनी सुंदर परियाँ मैंने पहले कभी नहीं देखी थीं.और मैंने झट से उर्मि के गोल मम्मों को झपट कर पकड़ लिया और उनको चूमने लगा. उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हुई थी और लंड के लिए बेकरार हो रही थी.
नैना ने कहा- अब उर्मि नीचे लेट जाए और छोटे मालिक उसको चोदना शुरू कर दें ताकि बाकी दोनों की भी बारी आ जाए. जब तक ये दोनों चुदाई में बिजी हैं, तब तक हम तीनों एक दूसरे से प्रेमालाप करेंगी. उर्मि के बाद शानू की बारी और आखिर में बानो और मेरी बारी है.
मैंने पहले उर्मि को होंटों पर चुम्बन किया और फिर उसके मम्मों को चूसता हुआ पेट पर उसकी नाभि में जीभ से चुसाई और फिर नीचे का सफर शुरू हुआ.
नीचे पहुँच कर नर्म, गुलाबी और उभरी हुई चूत को देखा, उसको सूंघा और फिर उसमें जीभ से हमला कर दिया.उसकी भग को चूसने लगा तो उर्मि ने अपनी कमर उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह में दे मारा और उसको मेरे मुंह में रगड़ने लगी.वो बहुत ही कामातुर हो चुकी थी और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से खींच रही थी, मेरा लौड़ा भी इस हसीना की चूत के लिए तरस गया था..
मैं उसकी टांगों में बैठा और अपने लोह समान लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर एक हल्का धक्का मारा, उर्मि की चूत बहुत ही टाइट थी तो लौड़ा बाहर ही रुका हुआ था.
थोड़ी देर मैंने लंड को चूत के मुंह और भग पर रगड़ा और फिर प्रवेष के लिए अर्जी दी, इस बार शायद चूत ने इजाजत दे दी थी और लौड़ा आसानी से पूरा अंदर चला गया.जैसे ही लंड पूरा अंदर गया, उर्मि के मुंह से बहुत ज़ोर से हाय की आवाज़ निकली.
मैंने घबरा कर पूछा- अंदर जगह कम है तो थोड़ा निकाल लूँ क्या?उर्मि तो नहीं समझी इस लतीफ़े को, लेकिन शानू और बानो ज़ोर से हंस पड़ी.
मैं धीरे धीरे से चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा.उधर नैना भी दोनों सेहलियों को गर्म करने में लगी थी, एक की चूत में उंगली थी और दूसरी के मम्मों में मुंह था.बानो के मोटे मम्मे जबरन निगाहें अपनी तरफ खींच रहे थे और नैना भी उसके मम्मों को बहुत चूस चूस कर मज़ा ले रही थी.
शानू की चूत से बहुत रस टपक रहा था और बानो इस कोशिश में थी कि उसके खुशबूदार रस को पी जाए.
जैसे ही मैं उर्मि को फुल स्पीड से चोदने लगा, वैसे ही उसके मुंह से ‘हाय हाय…’ की मधुर आवाज़ें निकलने लगी और मेरा लौड़ा यह कह रहा था कि फाड़ दूंगा इस साली को छोड़ूंगा नहीं.
एक ज़ोरदार धक्के के बाद उर्मि की कमर इतनी ऊपर उठी और अपने साथ मुझको भी ऊपर उठा दिया पूरा का पूरा.फिर इतने ज़ोर से नीचे हुई कि मेरी कमर उसकी मुलायम और संगमरमरी जांघों की कैद में आ गई.
फिर उर्मि की कंपकंपाहट इतने ज़ोर से शुरू हुई कि मेरे साथ बाकी तीनों चूतों को भी अपना कारोबार रोक कर सिर्फ उर्मि की खूबसूरत जांघों और कमर को देखना पड़ा.मैंने अपना मुंह उर्मि के मुंह से चिपका रखा था ताकि वो और न चिल्लाये.
धीरे धीरे से वो संयत हुई और मैं उसके ऊपर से उठा.मेरा लंड उर्मि की चूत से निकले रस में काफ़ी सराबोर हो गया था जिसको नैना ने तौलिये से साफ़ किया और फिर उर्मि को भी आये पसीने को साफ़ किया और हम सबको शरबत भी पिलाया.
उर्मि ऐसे लेट गई जैसे वो बड़ी लम्बी रेस के बाद लौटी हो.
अब शानू और बानो ने मुझको घेर लिया, दोनों मेरे दोनों तरफ खड़ी होकर मुझको चूमने और मेरी छाती के चुचूकों को चूसने लगी.नैना ने दोनों को पलंग पर लिटा दिया और फिर मुझको उन दोनों के बीच में लेटना पड़ा.
मैंने पहले शानू को चूमा और फिर बानो को, दोनों की चूत में हाथ डाला तो दोनों तपती हुई भट्टी बनी हुई थी क्यूंकि उर्मि की चुदाई और बाद में नैना के साथ खेल खिलवाड़ में दोनों बेहद सेक्सी हो गई थी.

 
नैना ने सुझाया- छोटे मालिक, आप इन दोनों लड़कियों को एक साथ चोद डालो जैसे आप कई बार कर चुके हो.मैं बोला- क्यों शानू और बानो, मैं तुमको एक साथ चोद डालूँ या फिर एक एक कर के? बोलो क्या मर्ज़ी है?बानो बोली- अभी तो हम नहीं रुक सकती हैं अभी इतनी गर्मी चढ़ी हुई है. अभी तो साथ साथ कर दो हमारा काम, बाद में सिंगल एंट्री कर देना ओके?शानू भी बोली- हाँ हाँ, यही ठीक रहेगा.
नैना बोली- चलो, फिर तुम दोनों घोड़ी बन जाओ.
जब वो घोड़ी बन गई तो मैं पहले बानो के पीछे से चूत में खड़े लंड को धीरे से डालने की कोशिश करने लगा लेकिन बानो इतनी सेक्सी हो चुकी थी कि उसने ज़रा भी सब्र किये बगैर अपनी गांड को मेरे लंड के साथ जोड़ दिया और लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया.बानो की चूत एकदम गीली और फूली हुई थी, वो स्वयं ही चूतड़ों को आगे पीछे कर रही थी और चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी. उसकी इस हालत को देख कर मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी और उसके चूतड़ों को हाथ में पकड़ कर लम्बे और गहरे धक्के मारने लगा.थोड़ी देर में ही वो छूट गई और उसकी चूत खुलने और बंद होने लगी.
मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाल कर शानू की चूत में डाल दिया और वैसे ही पूरी स्पीड से उसको भी चोदने लगा. वो इतनी गर्म नहीं थी तो उसकी चुदाई मैंने धीरे धीरे करनी शुरू की. धीरे चुदाई का मज़ा ही कुछ और है, वहाँ दोनों पक्ष अपना प्रेम व्यक्त कर सकते हैं.लेकिन अब शानू भी काफी हॉट हो चुकी थी तो मैंने फ़ास्ट और स्लो वाली स्पीड को अपनाया.मैं नीचे हाथ डाल कर उसकी चूत के भग को भी मसलने लगा जिससे उसका मज़ा दुगना हो गया और वो अब जल्दी जल्दी अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी.
दूसरी तरफ नैना उर्मि के साथ प्रेमालाप करने में मग्न थी, उसके गोल सॉलिड मम्मों को चूस रही थी और उर्मि भी अपने हाथ को नैना की चूत में डाल कर उसकी भग को मसल रही थी.जब मैंने महसूस किया कि शानू छूटने के कगार पर है तो मैंने अपनी स्पीड बहुत तेज़ कर दी और कुछ ही मिन्ट में शानू धराशायी हो गई.
मैं अपना लंड शानू की चूत से निकाल कर फर्श पर आ गया और ललकार भरी आवाज़ में बोला- और कोई है माई की लाडली जो मेरे सामने आकर खड़ी हो सके?नैना ने हँसते हुए कहा- अभी तो मैं बाकी हूँ लेकिन अपना हिसाब बाद में कर लूंगी. क्यों उर्मि और इच्छा है क्या?उसने इंकार में सर हिला दिया और बानो और शानू भी कुछ नहीं बोली.
मैं अभी भी उर्मि पर मर मिटा था तो मैंने उर्मि को आलिंगन में लिया और उसके कान में कहा- उर्मि डार्लिंग, तुम बड़ी सेक्सी और सुन्दर हो, तुम से जी नहीं भरा है अभी, क्या कल आना चाहोगी तुम अकेली ही?उसने हाँ में सर हिला दिया और मैंने वैसे ही उसके कान में कहा- फिर कॉलेज में बात कर लेंगे.
कपड़े पहनने से पहले मैंने उर्मि और बानो के मम्मों को चूमा चाटा और शानू के चूतड़ों को हल्के से मसला.फिर तीनों ने कपड़े पहन लिए और हम सब फिर बैठक में आ गए.नैना सबके लिए शर्बत और चाय ले आई. मैंने और उर्मि ने चाय पी और बाकी दोनों ने शरबत पिया.
नैना ने तीनों को हमारे घर का फ़ोन नंबर दे दिया और कहा- कभी ज़रूरत हो तो फोन कर लेना.उर्मि मेरे साथ वाली क्लास में बैठती थी और शानू और बानो एक ही क्लास में बैठती थी.फिर मिलने का वायदा करके वो तीनों अपने अपने घर चली गई.कहानी के नीचे अपने कमेन्ट्स भी लिखिये !

कहानी जारी रहेगी.

 
उर्मि की चूत चुदास

कुछ दिन बाद उर्मि मुझको कॉलेज में फिर मिली.मेरा इंग्लिश का पीरियड खत्म हुआ तो अगला पीरियड खाली था, मैं क्लास में ही बैठा हुआ पिछले नोट्स को कॉपी करने में लगा था
कि मुझको लगा कि कोई मेरे साथ बेंच पर आकर बैठ गया है.

मैंने मुड़ कर देखा तो वो उर्मि ही थी, उसको देखते ही मेरी तो बांछें खिल गई.मैं बोला- आओ उर्मि जी, कैसी हैं आप?उर्मि बोली- बिल्कुल ठीक हूँ और तुम सुनाओ सतीश कैसे हो?मैं बोला- बढ़िया, लेकिन आपकी याद में बेकरार हूँ.उर्मि बोली- वही हाल मेरा है. बहुत तरस रही है मेरी वो आपके उनके लिए?मैं शरारत के मूड में बोला- मैं कुछ समझा नहीं उर्मि जी, कौन तरस रहा है किसके लिए?उर्मि थोड़ा शर्माती हुई बोली- वही!
मैं उसके मुंह से पूरा नाम सुनना चाहता था तो बोला- वही कौन? कुछ नाम तो लीजिये कौन है वो?उर्मि बोली- सतीश यार, तुम जानते हो कौन किसके लिए तरस रहा है, फिर भी बनते हो.मैं बोला- सच्ची!! कसम से, मैं कुछ समझा नहीं, इसलिए पूछ रहा था कि कौन किसके लिए तरस रहा है.उर्मि झुंझलाते हुए बोली- मेरी वो तुम्हारे उसके लिए तरस रही है.
मैं कुछ सकुचाते हुए बोला- आपकी वो मेरे उसके लिए तरस रही है? पर क्या है यह ‘वो’ और ‘उस’ ज़रा खोल के समझाओ ना उर्मि जी?
मैं सीधा साधा लड़का हूँ यह लड़कियों की भाषा नहीं समझता उर्मि जी!
मन ही मन मैं मज़े ले रहा था. अब उर्मि ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा और फिर कहा- वाकयी में ही तुम नहीं समझे सतीश?मैं बड़ा मासूम सा पोज़ बना कर बोला- कतई ही नहीं समझा, आप साफ़ शब्दों में कहिये न प्लीज!अब उर्मि कुछ सोच में पड़ गई और फिर अपना मुंह मेरे कान के पास ला कर बोली- मेरी चूत आपके मोटे लंड के लिए तरस रही है.मैं बोला- ऊह्ह्ह… रियली? ओह्ह्ह माय गॉड!उर्मि बोली- क्यों क्या हुआ?
मैंने भी अपना मुंह उर्मि के कान के पास ले जाकर कहा- मेरा भी वो बहुत तरस रहा है आपकी उसके लिए!अब उर्मि और मैं ज़ोर से हंस पड़े और उर्मि ने मेरी कमर में चुटकी काट ली, उर्मि बोली- बहुत शरारती हो गए तुम सतीश!मैं बोला- जो भी बनाया हज़ूर आपने!उर्मि बोली- कब करोगे?मैं बोला- जब तुम चाहो.उर्मि बोली- आज हो सकता है क्या?मैं बोला- हाँ हाँ, हो क्यों नहीं हो सकता, तुम हुक्म तो करो मेरी जान, अभी अरेंज कर लेते हैं, तुम अकेली ही ना?उर्मि बोली- हाँ!मैं बोला- तब ठीक है, मैं नैना को फ़ोन कर देता हूँ, लास्ट पीरियड के बाद कैंटीन में मिलते हैं.
उर्मि चली गई तो मैंने नैना को फ़ोन कर दिया, उसने कहा कि वो खाना तैयार रखेगी.
लास्ट पीरियड की खत्म होने की घंटी बजी तो मैं दौड़ कर कैंटीन पहुँच गया और वहाँ उर्मि का इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर में वो छोटे
से बैग के साथ आ गई.उर्मि और मैं रिक्शा में बैठ कर 10 मिन्ट में ही घर पहुँच गए.
नैना हमारा इंतज़ार कर रही थी, पहले उसने ठंडा शर्बत पिलाया और फिर खाना लगा दिया.खाने के दौरान उर्मि ने बताया कि उसका घर भी वहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है.
नैना ने पूछा कि उसके घर में कौन कौन हैं तो वो बोली- बड़े भैया और भाभी हैं और एक छोटा भतीजा है जो बहुत ही शरारती है. वैसे
हमारा गाँव वहाँ से 2-3 घंटे ही दूर है और मम्मी पापा वहीं रहते हैं.
नैना बोली- तुम बड़ी सुन्दर हो, अब तक तुम्हारी शादी क्यों नहीं हुई?उर्मि बोली- ऐसा है दीदी, मेरे माँ बाप तो पीछे पड़े हैं लेकिन मैं तो एक डॉक्टर बनना चाहती हूँ तो अभी तक सबको बोल दिया है कि
मेरी शादी करने की कोई कोशिश ना करें.नैना भी हँसते हुए बोली- बहुत ही अच्छा विचार है तुम्हारा उर्मि… तुम ज़रूर डॉक्टर बन जाओगी.
फिर हम आइस क्रीम खाकर मेरे कमरे में आ गए. वहाँ नैना थोड़ी देर बाद आई और पूछने लगी- छोटे मालिक, आज मेरी ज़रूरत है
यहाँ क्या?मैंने उर्मि की तरफ देखा और पूछा- क्यों उर्मि? तुम्हारी क्या इच्छा है?उर्मि बोली- सतीश, तुम्हारी क्या इच्छा है तुम बताओ.तब नैना बोली- छोटे मालिक, आज आप अकेले ही संभाल लीजिये उर्मि को!यह कह कर नैना वहाँ से चली गई.मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुड़ कर उर्मि को उठा कर एक बहुत ही प्रगाढ़ आलिंगन किया और उसके होंटों को बहुत ही प्रेम से
चूमा.
उर्मि भी मुझको चूमने लगी बेतहाशा और फिर वो एकदम से मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी और जल्दी जल्दी मुझको वस्त्रहीन करने लगी.मैं भी उसके कपड़े उतारने लगा, पहले उसकी हल्के नीले रंग की साड़ी को उतार दिया और फिर उसके नीले रंग के ब्लाउज को भी
अलग कर दिया और जल्दी ही उसके पेटीकोट को भी उतार दिया.

 
वो उस समय सिर्फ सिल्क की ब्रा में ही थी, मैं दूर खड़ा होकर उसकी ख़ूबसूरती को निहारने लगा.ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म का हर हिस्सा जैसे साँचे में ढला हुआ हो!
और जब मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया तो उसके गोल और ठोस उरोज ऐसे हाथ में उछल कर आ गए जैसे बड़े खूबसूरत गेंद हों.
औरतों के उरोज मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी रहे हैं, मेरी मम्मी बताया करती थी कि जितनी भी आया मेरी देखभाल के लिए रखी जाती थी
वो सब यही कहती थी कि मैं उनकी गोद में जाते ही सीधे उनके मम्मों पर हाथ रखता था.
मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंटों को चूमने लगा.फिर उसको धीरे से मैं अपने पलंग की तरफ ले आया और उसको चित लिटा दिया.
अब मैं खुद पलंग पर बैठ गया और उसके मम्मों के साथ खेलने लगा, फिर उनको मुंह में लेकर उनके काले चुचूकों को भी चूसने लगा,
एक को चूम रहा होता तो उर्मि दूसरा मेरे मुंह में दे देती! जैसे एक के साथ दूसरा फ्री !!!
मैंने उर्मि के मम्मों के बाद अपना ध्यान उसके सपाट पेट और नाभि पर लग दिया और थोड़ा सा चाटने के बाद मैंने चूत पर छाए काले
घने बालों की तरफ ध्यान केंद्रित कर दिया.वहाँ ऊँगली से चूत के रेशमी बालों को छूते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल दी. बेहद गीली चूत में से भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी.
अब मैंने मुंह चूत में डाल दिया और उसकी भग को और चूत के लबों को चाटने लगा. फिर मेरा पूरा ध्यान उर्मि की चूत में छिपे भग
पर चला गया,. भग को मुंह में लेकर हल्के हल्के चूसने लगा.ऐसा करते ही उर्मि के चूतड़ अपने आप ऊपर की तरफ उठ गए और उसके मुख से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज़ आने लगी.
फिर एकदम उर्मि की दोनों जांघों ने मेरे मुंह को अपने बीच जकड़ लिया, उसके हाथों ने मेरे सर को ऊपर उठाने की कोशिश की लेकिन
मैं मस्त चुसाई में लगा रहा.फिर उर्मि एकदम से चिल्ला पड़ी- ऊह्ह्ह ऊह्ह…और उसका सारा शरीर बेहद तीव्रता से कांपने लगा, उसकी जांघों ने मेरे मुंह को ऐसा ज़ोर का जकड़ा हुआ था कि मुझको सांस लेना भी
मुश्किल हो रहा था.
फिर उर्मि का शरीर एकदम से ढीला पड़ गया और यह मौका देख कर मैं उर्मि की टांगों में लेट गया और काफी देर से खड़े अपने लौड़े
को उर्मि की चूत के मुंह पर टिका कर एक हल्का सा धक्का मारा और फच्च से लंड सारा उर्मि की चूत में गृहप्रवेश कर गया.
अब मैंने धीरे धीरे से चुदाई शुरू कर दी. उर्मि का आलम यह था कि वो ही आँखें बंद किये आनन्द ले रही थी.कभी कभी नीचे से ठुमका ज़रूर लगा देती थी नीचे से शायद यह जताने के लिए कि वो सोई नहीं थी.अभी भी मैं उसके उरोजों को मुंह में लेकर चूस रहा था.
धीरे धीरे उर्मि की सोई हुई चूत फिर से जागने लगी और वो अंदर ही अंदर मेरे लंड को पकड़ और छोड़ रही थी क्यूंकि शायद उसको यह
उम्मीद थी कि इस गाय के थन से थोड़ा बहुत दूध निकल आये.लेकिन वो अभी सतीश के लंड से वाकिफ नहीं थी पूरी तरह! यह वो लंड था जिसको ओलिंपिक सेक्स गेम्स में भी गोल्ड मेडल मिल
सकता था.यह मैं नहीं कह रहा यह मेरे द्वारा उन चुदी हुई चूतों का एक मत निर्णय था, ऐसा मेरा ख्याल है.
लेकिन उर्मि की चूत अब पूरी तरह से जाग गई थी और पूरी शानो शौकत से चुदवा रही थी, कुछ धक्कों के बाद ही वो धराशाई हो गई.अब मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया और उसके गोल और मुलायम चूतड़ों को अपने हाथों में लेकर धक्के मारने लगा.
वो भी बिदकी घोड़ी की तरह से अपनी लातें मरने से बाज़ नहीं आ रही थी लेकिन ऐसी घोड़ी को कंट्रोल करना मुझको अच्छी तरह से
आता था.मैंने फुल स्पीड से उसकी चुदाई शुरू कर दी, पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर… इसी क्रम और फिर सरपट घुड़दौड़ से मैंने उर्मि जैसी घोड़ी
को भी मात दे दी.
जब तीसरी बार उर्मि छूटी तो वो पलंग पर ढेर हो गई और मैं उसकी बगल में लेट गया, मेरा लौड़ा तो अभी भी हवा में लहलहा रहा
था.मैं उठा और नैना को बुला लाया.उसने आते ही पहले उर्मि का पसीना पौंछा और फिर उसको और मुझ को रूह अफजा शरबत पीने को दिया.
नैना भी वहाँ रुक गई और उर्मि जो मेरे साथ लेटी थी, उसके मम्मों को सहलाने लगी और उसकी चूत के बालों को संवारने लगी.नैना बोली- उर्मि, अगर चाहो तो हमको बता सकती हो कि तुमको सबसे पहले किसने चोदा था?
उर्मि कुछ देर सोचती रही फिर बोली- मेरे गाँव में मेरा एक दूर का रिश्ते का भाई हमारे साथ रहता था, उसने मुझे पहली बार धोखे से
चोदा था जब मैं किशोरावस्था में थी.मैं बोला-अच्छा? बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ उर्मि… लेकिन उसके बाद तुम चुदाई की शौक़ीन कैसे हो गई?

 
नैना बोली- इस विषय के बारे में मैं बहुत कुछ जानती हूँ वो आप दोनों को भी बता देती हूँ. अगर कच्ची कली को तोड़ा जाए यानि
छोटी उम्र वाली लड़की से यौन क्रिया की जाए तो वो एकदम से पगला जाती है और अक्सर देखा गया है कि वो किसी एक मर्द की हो
कर नहीं रह सकती क्यूंकि उसके एक मर्द से तसल्ली नहीं होती. क्यों उर्मि, क्या मैं ठीक कह रही हूँ?
उर्मि हैरानी से नैना को देख रही थी. फिर एकदम से उर्मि रोने लगी और नैना उसको चुप करवाने की कोशिश करती रही. काफ़ी
कोशिश के बाद उर्मि शांत हुई और बोली- बड़े अरसे के बाद मुझको सतीश जैसा मर्द मिला है जो मेरी भूख को शांत कर सकता है.नैना बोली- छोटे मालिक जैसे आप एक तरह से एक अजीब बिमारी की चपेट में हो, वैसे ही उर्मि को भी उसी तरह की बीमारी है.
यानि जबसे उसकी छोटी उम्र में चुदाई हुई है, तब से उसको चुदाने की तीव्र इच्छा रहती है और वो एक मर्द से पूरी नहीं हो पाती. क्यों
मैं ठीक कह रही हूँ उर्मि?
उर्मि कुछ सोचते हुए बोली- नहीं ऐसी बात नहीं है, असल में मुझको काफी देर की चुदाई और एक रात में 3-4 बार की चुदाई बहुत
अच्छी लगती है. यह ज़रूरी नहीं कि अलग अलग मर्द हों यह काम एक मर्द भी कर सकता है जैसे सतीश कर रहा है.नैना बोली- इसका मतलब यह है कि तुम ने अभी तक कई मर्दों के साथ सम्भोग किया है?
उर्मि बोली- नहीं दीदी, मैंने मुश्किल से 2 मर्दों के साथ ही सेक्स किया है क्यूंकि गाँव में ज़्यादा चॉइस ही नहीं था तो मैं अभी तक तो
ऊँगली से ही काम चलाती रही हूँ.नैना बोली- फिर छोटे मालिक का कैसे पता चला तुमको?उर्मि बोली- वो शानू और बानो ने अपना नैनीताल वाले ट्रिप का किस्सा सुनाया तो मुझको पता चला. लेकिन जब 3 दिन पहले सतीश ने
मेरे को चोदा ना, तो मुझको यकीन हो गया कि सतीश ही वो मर्द है जो मुझको पूरी तसल्ली दे सकता है.
नैना और मैं एक दूसरे को देखने लगे कि क्या किया जाये?नैना ने कहा- उर्मि, यह सारी कहानी तुम्हारे भैया और भाभी को पता है क्या?उर्मि बोली- नहीं… उनको यह बात पता लग गई तो वो मुझको जान से मार देंगे. ठाकुर लोग बड़े ज़ालिम होते हैं आपको तो शायद
मालूम होगा ना?मैं बोला- बड़ी अजीब स्थिति है उर्मि तुम्हारी… अच्छा कब कब महीने में कब कब तुमको चुदवाने की इच्छा बहुत बलवती होती है?
उर्मि अपनी चूत में दायें हाथ की ऊँगली से अपनी भग को हल्के हल्के रगड़ रही थी, उसका बायां हाथ मेरे खड़े लंड के साथ खेल रहा
था.उर्मि शर्माते हुए बोली- पीरियड्स के बाद 10-15 दिन मेरे लिए बड़ी मुश्किल से कटते हैं और फिर मैं नार्मल हो जाती हूँ.नैना बोली- यह समय तो आम लड़कियों और औरतों के लिए काफी उत्तेजना भरा होता है, इन्हीं दिनों गर्भवती होने का ज़्यादा चांस
होता है. इसका मतलब यह है कि तुमको अगर इन 5-6 दिनों में अगर चुदाई का चांस मिल जाए तो इसके बाद तुमको कोई प्रॉब्लम
नहीं होती है?उर्मि ने हाँ में सर हिला दिया.
अब तक उर्मि फिर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और वो मेरे लौड़े को बार बार खींच रही थी कि चुदाई के मैदान में फ़ौरन आ जाए.मैंने उसको पलंग के सहारे खड़ा किया और उसके पीछे से लंड की एंट्री उसकी चूत में कर दी.वो अपनी चुदाई का किस्सा सुनाती हुए बहुत ही कामुक हो चुकी थी.
मैंने धीरे और फिर तेज़ वाली स्पीड का सहारा लिया और पूरी कोशिश में लग गया कि वो पूर्ण रूप से स्खलित हो जाए और उसकी
चुदाई की भूख कुछ शांत हो जाए.मैंने लंड की स्पीड को ऐसे कंटोल किया कि बार बार लंड उसकी चूत की गहराइयों में विचरता रहे और उसकी चूत को हर तरह से
आनन्द की विभूति मिलती रहे.
कुछ देर में ही मैंने महसूस किया कि उसकी चूत से कुछ रसदार पानी निकल रहा है और वो उसकी टांगों के नीचे गिर रहा है.मैंने उस पानी को छूकर देखा तो वो काफी गाड़ा और खुशबूदार था.यह देख कर मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी और कुछ ही क्षण में उसके चूतड़ आगे पीछे होने लगे और फिर एक साथ पूरी तरह से
मेरे लौड़े के साथ चिपक गए.
उर्मि के मुख से कुछ अस्फुट शब्द निकल रहे थे और फिर वो पलंग पर ढेर हो गई.मैं भी कुछ देर अपना लंड उसकी चूत में डाल कर खड़ा रहा उसके पीछे.
थोड़ी देर बाद नैना आई और उसने तौलिये से मुझ को पौंछा, उर्मि की टांगें पकड़ कर उसको पलंग पर लिटा दिया और उसके सारे
शरीर को अच्छी तरह से पौंछा.फिर वो हम सबके लिए शरबत ले आई.
शरबत पीते हुए नैना ने उर्मि को कहा- तुम मुझको टेलीफोन करके आ जाया करो, यहाँ कुछ गपशप मार लिया करेंगे और अगर छोटे
मालिक खाली हुए तो तुम्हारा काम भी कर दिया करेंगे. क्यों छोटे मालिक?मैं बोला- हाँ हाँ ज़रूर, तुम्हारा काम अवश्य कर दिया करेंगे. जब चाहो नैना से फ़ोन पर बात कर के आ जाया करो, मैं तुम्हारी पूरी
सेवा कर दिया करूँगा जैसे तुम चाहो वैसे ही!फिर वो तैयार हो कर चलने लगी तो मैं उसको गेट पर जाकर रिक्शा में बिठा आया.

कहानी जारी रहेगी
 
ग्रुप सेक्स की तैयारी

कुछ दिन बीत जाने के बाद मुझको उर्मि फिर कॉलेज में मिली और बोली- तुमसे ज़रूरी बात करनी है, आओ कैंटीन चलते हैं.मैं उसके पीछे चलते हुए कैंटीन पहुँच गया और वो एक टेबल पर बैठते हुए बोली- सतीश यार कुछ खाओगे या पियोगे?मैं बोला- तुम बोलो, क्या लाऊँ तुम्हारे लिए?उर्मि बोली- कुछ नहीं चाहिए यार, क्या तुम मेरे घर आ सकते हो थोड़े टाइम के लिए?
मैं बोला- क्या काम है उर्मि, बोलो?उर्मि बोली- मेरी एक क्लास फेलो तुमसे मिलना चाहती है.मैं बोला- कब और कहाँ?उर्मि बोली- मेरे घर में, आज ही!
मैं बोला- ऐसा क्या काम आन पड़ा तुम्हारी सहेली को जो मुझको बुलाना चाहती है वो?उर्मि बोली- मैं उसको बुला लाती हूँ तुम यहीं रुको.मैं वेट करने लगा और थोड़ी देर में वो एक अपने जैसी ही खूबसूरत लड़की को साथ लेकर आ गई.
उसने हम दोनों को मिलवाया. उस लड़की का नाम हिना था और वो एक बड़े ही अमीर घराने से थी, वो कॉलेज अपनी कार में आया जाया करती थी.हम दोनों ने हेलो किया एक दूसरे को!फिर मैं चुपचाप वेट करने लगा कि इस लड़की को क्या काम हो सकता है मुझसे.

हिना बोली- देखो सतीश, मुझको तुम्हारी कुछ खासियतें पता चली हैं जिन पर मुझको कतई विश्वास नहीं, तो मैं चाहती हूँ कि मैं खुद उनको जांच लूँ?मैं गुस्से में कांपने लगा था लेकिन मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाला और बड़े ही संयत स्वर में बोला- देखिये मैडम, मुझमें कोई भी ऐसी खासियत नहीं है जिसकी आपको जांचने की ज़रूरत पड़े, थैंक यू मैडम, बाय मैडम और बाय उर्मि!यह कह कर मैं वहाँ से उठ आया और अपनी क्लास की तरफ जाने लगा.
तभी उर्मि ने मुझको आवाज़ दी- रुको सतीश, बात तो सुन लो पूरी हिना की..मैं बोला- मैंने कोई बात नहीं सुननी, ओके बाय.मैं फिर मुड़ कर जाने लगा कि हिना मेरे निकट आ गई और बोली- मुझको माफ़ करना सतीश, मुझको ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी.
मैं चुप रहा.तब हिना फिर बोली- एक बार मेरी बात सुन तो लो यार सतीश.
मैं बोला- वैरी सॉरी हिना जी, वास्तव में जब आप ने मेरी खासियतों की जांच की बात की तो मुझको गुस्सा आ गया था. मुझमें ऐसी कोई भी खासियत नहीं है जो दूसरे लड़को में न हो!हिना बोली- सॉरी यार, मुझसे गलती हुई थी, अच्छा ऐसा है मैं एक प्रोग्राम बनाना चाहती हूँ जिसमें सिर्फ हम 4 लड़के फ्रेंड्स और 4 लड़कियाँ सहेलियाँ होंगे.मैं बोला- फिर क्या होगा.?
हिना बोली- मैं एक बहुत बड़े बंगले में रहती हूँ लखनऊ में जो मेरे पिताजी का है और वो इस शहर के बहुत ही अमीर आदमी हैं. कुछ दिनों के लिए मेरी सारी फैमिली लखनऊ से बाहर जा रही है तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं अपने बंगले में एक नाईट पार्टी अपने फ्रेंड्स के साथ करूँ.मैं बोला- लेकिन मैं तो आपका दोस्त नहीं हूँ फिर मेरा क्या काम उसमें?हिना बोली- मैं तुमको अपना दोस्त ही तो बनाना चाहती हूँ सतीश यार!
मैं बोला- ठीक है मैं दोस्ती के लिए तैयार हूँ लेकिन आप पहले मेरी कोठी में आओ तो सही, मुझको मेहमान नवाज़ी का मौका तो दो, फिर देखेंगे आगे की पार्टी का!हिना बोली- ठीक है, कल मैं तुमसे आगे बात करूंगी, ओके बाय!
मैं भी अपने टाइम पर कॉलेज से वापस घर आ गया और खाना वगैरह खा कर कुछ देर के लिए सो गया. शाम को नैना को सारी बात बताई और पूछा- क्या कल अपने दोस्तों को यहाँ बुला लूँ?नैना बोली- हाँ हाँ बुला लो न, मैं सब इंतज़ाम कर दूंगी.
अगले दिन कॉलेज खत्म होने पर हिना, उर्मि और उसकी कुछ फ्रेंड्स मुझको कैंटीन में मिले, सबसे परिचय करवाया गया. फ्रेंड्स में 2 लड़के और एक लड़की थी.
लड़कों के नाम विनोद और राज थे और लड़की का नाम निशि था. यह सब साइंस के विद्यार्थी थे जबकि मैं और उर्मि और निशि आर्ट्स के विद्यार्थी थे, हम चारों ही इंटर के प्रथम साल के विद्यार्थी थे.फिर हम सब हिना की कार में बैठ कर मेरी कोठी में आ गए.
वहाँ नैना ने हम सबका स्वागत किया, बैठक में ले गई और शरबत और जलपान का इंतज़ाम कर दिया.अब मैंने नए मेहमानों का निरीक्षण परीक्षण किया, इन नए मेहमानों में से मैं सिर्फ उर्मि को ही जानता था.
हिना और निशि देखने में सुन्दर थी, उनकी शारीरिक सुंदरता उनके कपड़ों के कारण नहीं आंकी जा सकती थी लेकिन वो मनमोहक अवश्य थी.लड़कों में विनी 5 फ़ीट 8 इंच का पतले शरीर वाला लड़का था और राज का शरीर थोड़ा भरा हुआ नाटे कद बुत वाला था.
तभी नैना ने आकर कहा- खाना मेज पर लग गया है.हम सब बैठ कर खाना खाने लगे और वहीं बातें शुरू हो गई कि क्या प्रोग्राम बनाया जाए?
हिना बोली- ऐसा है, मैं काफी अरसे से सोच रही थी कि हम कुछ लड़के लड़कियाँ मिल कर डांस और ग्रुप सेक्स का प्रोग्राम बनायें. ‘उसके लिए आजकल के माहौल में मॉडर्न लड़के और लड़कियाँ कहाँ से मिलेंगी?’‘मैंने पूछताछ की तो पता चला कि मेरे अलावा दो लड़कियाँ और भी हैं जो इस किस्म का शौक रखती हैं और कुछ लड़कों ने भी अपनी रज़ामंदी जताई.’ हिना ने बताया.
विनी बोला- मेरे ख्याल में हम सबके अलावा भी कुछ और लड़के लड़कियाँ होंगे जिनको ग्रुप सेक्स से कोई परहेज़ ना हो.उर्मि बोली- मैं भी कालेज की कुछ लड़कियों को जानती हूँ जिन्होंने ग्रुप सेक्स का आनन्द पिछले कुछ दिनों में ले लिया है.यह कह कर वो मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं सर नीचे कर के किसी से भी नज़र नहीं मिला रहा था.
राज बोला- मैं अपने बारे में तो कह सकता हूँ कि मुझको ग्रुप सेक्स में कोई ऐतराज़ नहीं होगा और मैं काफी मज़ा ले सकूंगा.
अब मैं बोला- मैं सोचता हूँ कि हम सब ग्रुप सेक्स का पूरा मतलब नहीं समझे हैं अभी तक, मेरे विचार में ग्रुप सेक्स का पूरा मतलब और उससे जुड़ी हुई समस्याओं को पूरी तरह समझ पाएँ, उसके बाद फैसला लें कि यह करना है या नहीं.हिना बोली- वाह सतीश यार, तुम तो काफी जानकारी रखते हो इस बारे में… मेरे ख्याल में सतीश ठीक कह रहा है और हमको इस बारे में पहले पूरी जानकारी ले लेनी चाहये. लेकिन यह जानकारी मिलेगी कहाँ से?

 
कुछ समय तक जब कोई नहीं बोला तो मैंने कहा- अगर हिना जी और आप सबको भी मंज़ूर हो तो मैं अपनी हाउसकीपर नैना रानी से मिलवा देता हूँ शायद उसको कुछ मालूम हो!हिना और सबने कहा- ठीक है आप बुलाओ उनको हम पूछ लेते हैं!
मैं नैना को बुला लाया.हिना ने सारी बात उसको बताई और पूछा कि आपकी राय में हमको क्या करना चाहिये इस मामले में.
नैना बोली- देखिये, मैंने भी अभी तक ग्रुप सेक्स या सामूहिक सेक्स के बारे में पढ़ा था कि पहले ज़माने में यह प्रथा राजा रजवाड़ों में आम थी और कई अमीर-उमरा इस तरह का सामूहिक यौन समारोह अपने महल मेंकिया करते थे लेकिन उसमें भाग लेने वाली स्त्रियाँ अक्सर बाज़ारू होती थी. जहाँ तक घरेलू लड़कियों का सवाल है, आजकल मॉडर्न माहौल में शायद यह मान्य हो लेकिन इसमें सबसे बड़ी अड़चन लड़कियों के लिए होती है क्यूंकि वास्तव में इस सारी क्रिया में लड़कियों का रोल इम्पोर्टेन्ट हैं. क्या आप लड़कियाँ इसके साथ होने वाली बदनामी की सम्भावना के लिए तैयार हैं?
हिना बोली- कैसी बदनामी दीदी?नैना बोली- क्या आपके साथ यौन क्रिया में भाग लेने वाले लड़के इस बात की गारंटी ले सकते हैं कि यह बात बाहर नहीं निकलेगी?लड़के चुप रहे.मैंने कहा- नैना जी ने सही सवाल उठाया है, क्या आज आप इन तीनों लड़कियों के साथ सेक्स करने के बाद यह गारंटी लेते हैं कि इसके बारे में कभी किसी को कोई बात नहीं बताएंगे?
सब लड़के चुप रहे.तब नैना बोली- आप सिर्फ 6 लड़के लड़कियाँ हैं, आप में यह बात छुप सकती है अगर आप सब मिल कर कसम खाएँ कि कभी भी इस ग्रुप सैक्स के बारे में किसी को भी कुछ नहीं बताएँगे.सबने ज़ोर से कहा- हम सब कसम खाएंगे कि हम इस बारे में कभी भी किसी को नहीं बताएँगे.
नैना बोली- चलो यह तय हो गया. अब सवाल है कि किस जगह यह कार्यक्रम किया जाए, क्यों हिना तुम्हारा क्या इरादा है?हिना बोली- मैं सोच रही थी कि अगले हफ्ते मेरे मम्मी पापा बाहर जाने वाले हैं तो मैं अपने बंगले में उनके जाने के बाद इसका आयोजन कर लूंगी.नैना बोली- सिर्फ शाम का या फिर पूरी रात का आयोजन होगा यह?हिना बोली- नैना जी, आप क्या उचित समझती हैं?
नैना बोली- मेरे विचार में आप इस कार्यक्रम को दोपहर में कॉलेज खत्म होने के बाद ही रखें. आपके पास 3-4 घंटे होंगे इस काम के लिए… मेरे ख्याल में वो काफी हैं और फिर किसी भी लड़की को झूठ का सहारा नहीं लेना पड़ेगा अगर यह प्रोग्राम दिन को करते हैं.हिना बोली- वो तो ठीक है लेकिन मेरे पास तो जगह सिर्फ रात को मिल पाएगी न!नैना ने मेरी तरफ देखा, मैं उसका इशारा समझा गया और मैंने कहा- मेरी कोठी में यह प्रोग्राम रख सकती हैं लेकिन उसमें हिस्सा लेने वाले केवल यही लोग होंगे सिर्फ हम 6… क्यों? मंज़ूर है?
हिना ने सबकी तरफ देख कर पूछा- क्यों बॉयज एंड गर्ल्स मंज़ूर है?सबने कहा- मंज़ूर है.नैना बोली- आप सब लड़कियों को मालूम होना चाहिए कि इस ग्रुप सेक्स प्रोग्राम में कोई भी लड़का किसी लड़की के साथ और कोई लड़की किसी दूसरे लड़के के साथ सेक्स कर सकती है और किसी को कोई भी ऐतराज़ नहीं होगा.सब बोले- हमको मंज़ूर है.
हिना बोली- इस प्रोग्राम में कुछ ख़ास खाने के लिए या पीने का इंतज़ाम हम आपस में पैसे इकटठे कर के करेंगे. क्यों मंज़ूर है?
जब सबने हाँ बोल दी तो हिना ने कहा- आप सब नैना दीदी को 100-100 रूपए दे दें. इस प्रोग्राम की तारीख बाद में तय होगी.तब हिना बोली- आज जब हम सब इकट्ठे हुए ही हैं तो क्यों न आज कुछ थोड़ी सी शुरुआत कर लें? क्यों सतीश और नैना जी?मैं बोला- हमको तो कोई ऐतराज़ नहीं, आप सब देख लो, क्यों नैना?नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, ठीक है, अगर आप सब तैयार हैं तो प्रबंध कर सकते हैं हम!हिना ने सबसे पूछा तो सबने हाँ कर दी.
नैना बोली- इससे पहले कि कार्यवाही शुरू करें, आप सब अपनी कसम तो खा लो मिल कर!
हिना ने कहा- आओ सब जने एक दूसरे का हाथ पकड़ें और कसम खाएँ कि हम 6 इस ग्रुप में घटने वाली किसी भी घटना का ज़िक्र किसी और से नहीं करेंगे.सबने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर कसम खाई, फिर नैना सबको लेकर मुख्य गेस्ट रूम में ले गई. वहाँ नीचे फर्श पर मोटे गद्दे बिछा रखे थे और टेबल पर शीशे के गिलास, शरबत और कोक की बोतलें ला कर रख ली.
मैं बोला- आप सब शर्बत या फिर कोक पी सकते हैं. एक बात और अगर हिना जी और आप सब बुरा न मानें तो नैना जी सारे कार्यक्रम के दौरान यहीं रहेंगी ताकि कोई प्रॉब्लम हो तो वो उसको अटेंड कर सकती हैं.हिना और सबने कहा- हमको कोई ऐतराज़ नहीं है.
फिर हिना ने नैना के साथ कुछ सलाह की और कहा- हम सब अपने कपड़े उतार देंगे. किसी को शर्म वर्म की प्रॉब्लम तो नहीं है ना? इस काम में नैना जी हम लड़कियों की मदद करेंगी.
फिर लड़के लोग अपने कपड़े उतारने लगे और नैना एक एक कर के लड़कियों के कपड़े उतारने लगी. सब से पहले हिना ही नग्न हुई, उसके बाद निशा और अंत में उर्मि.
अब नैना ने कहा- लड़के एक लाइन में खड़े हो जाएँ और लड़कियाँ उनके सामने लाइन बना कर खड़ी हो जाएँ.अब मैंने और बाकी सबने अपने सामने खड़ी लड़की या लड़के को गौर से देखा कि वो देखने में कैसे हैं.
मेरे सामने हिना खड़ी थी और उसका शरीर काफी ख़ूबसूरती लिए हुए था, उसके मम्मे गोल और ज़्यादा मोटे नहीं थे लेकिन उसके चूतड़ मोटे और फैले हुए थे, गोल नहीं थे, चूत पर हल्के भूरे बाल थे और पेट एकदम स्पाट था.फिर निशा को देखा, उसके मम्मे गोल लेकिन छोटे थे और चूतड़ भी गोल और छोटे थे, उभरे हुए नहीं थे और उसकी चूत पर काले घने बाल छाए हुए थे.
लड़को को देखा तो सिवाए मेरे किसी और का लंड खड़ा नहीं था, मेरा लंड एकदम तना हुआ खड़ा था.
नैना ने कहा- अब लड़की और लड़के की जोड़ियाँ बनाने का टाइम है, इसके दो तरीके हैं, या तो जैसे आप खड़े हैं आमने सामने वही आपके पार्टनर हैं या फिर लाटरी डाली जाए?सबने कहा- आमने सामने वाले ही ठीक हैं.
नैना ने कहा- अब आप अपने पार्टनर को अपने पास ला सकते हैं और आगे का कर्यक्रम शुरू कर सकते हैं, लेकिन याद रहे कोई भी ऐसी हरकत ना करें जो आपके पार्टनर को मंज़ूर न हो.

कहानी जारी रहेगी.

 
ग्रुप सेक्स

नैना ने कहा- अब आप अपने साथी को अपने पास ला सकते हैं और आगे का कर्यक्रम शुरू कर सकते हैं, लेकिन याद रहे कोई भी ऐसी हरकत ना करें जो आपके पार्टनर को मंज़ूर न हो.हिना धीरे धीरे चल कर मेरे पास आई, हम दोनों ने हाथ मिलाया, फिर हिना मेरे खड़े लंड को दखने लगी.वो हैरान थी क्यूंकि किसी लड़के का लंड अभी भी पूरा खड़ा नहीं हुआ था.
राज का लंड काफी मोटा था लेकिन वो लम्बाई में छोटा था और उधर विनी का लंड लम्बा था लेकिन पतला लग रहा था.क्यूंकि उर्मि के हिस्से में राज आया था सो वो उसके छोटे लंड को बड़ी मायूसी से देख रही थी और उसकी आँखें तो मेरे लम्बे और मोटे लंड की तरह ही थी.
मैंने हिना को अपने पास खींच लिया और उसके लबों पर एक सॉफ्ट चुम्बन जड़ दिया. उसने भी मेरे चुम्बन का जवाब अपनी बाहों को मेरे गले में डाल कर मुझको एक बड़ा ही गहरा चुम्बन दिया.उसका हाथ अपने आप सरकता हुआ मेरे लौड़े पर चला गया और उसके साथ खेलने लगा.

बाकी जोड़े भी एक दूसरे को लेकर बिजी हो गए. विन्नी निशि को किस कर रहा था और राज उर्मि के मम्मे चूस रहा था लेकिन वो दोनों ही अपने खड़े लंडों को लेकर दोनों लड़कियों के ऊपर टूट पड़े.
मैं और हिना एक दूसरे को बहुत ही गहरी किसिंग में लग गये, वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसके भग को मसल रहा था.
फिर मैंने हिना को लिटा दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा और मेरा एक हाथ उसके भग के को सहला रहा था.हिना की चूत भी गीली हो चुकी थी लेकिन अभी इतनी नहीं थी कि लंड को डाला जाए.
मैं उसके मम्मों के काले चुचूकों को चूसने लगा और ऊँगली से उसकी भग को रगड़ने लगा. थोड़ी देर में ही हिना ने मेरे लौड़े को खींचना शुरू किया जिसका मतलब था कि वो चुदाई के लिए तैयार है.मैंने उसकी गोल सिल्की टांगों में बैठ कर अपने खड़े लंड को उसकी चूत के ऊपर रख कर भग को ज़ोर ज़ोर से रगड़ना शुरू किया.अब हिना रह नहीं पा रही थी और अपनी कमर को ऊपर उठा कर लंड को अंदर डालने की कोशिश कर रही थी.
जब मैंने देखा कि वो काफ़ी उतावली हो गई है तो मैंने लंड का सिर्फ मुंह उसकी चूत पर रखा और थोड़ा भाग ही अंदर डाला कि उसके चूतड़ ने नीचे से ज़ोर से धक्का मारा और पूरा लंड अंदर ले गई.अब मैंने अपने हाथ उसकी कमर के नीचे रखे और उसके चूतड़ों को अपने हाथ में ले लिया और धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये, पूरा लंड निकाल कर फिर पूरा अंदर डालना यही क्रम मैंने अपना लिया.हिना भी नीचे से पूरी कमर उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी..
दूसरी तरफ देखा कि विनी तेज़ धक्कों के आखरी पड़ाव पर पहुँच चुका था और राज उर्मि के अंदर झड़ चुका था और वो उर्मि की बगल में लेट कर हाम्फ़ रहा था.उर्मि के हाव भाव से लग रहा था कि उसका कुछ भी नहीं हुआ और वो उठ कर बाथरूम में जा रही थी.
इधर मैंने हिना की चुदाई धीरे धीरे से थोड़ी तेज़ कर दी और ऐसा करते ही हिना ज़ोर से स्खलित हो गई और उसके मुख से हाय की जोर की आवाज़ निकली.मैं भी रुक गया और जब वो थोड़ी सी संयत हुई तो उसको उठा कर मैंने अपने ऊपर बैठा लिया.
अब वो ऊपर से मुझको धक्के मारने लगी और मैं अपने हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा, ख़ास तौर से उसके चुचूकों को ऊँगली से गोल गोल घुमाने लगा.जल्दी ही हिना फिर से तैयार हो गई और ऊपर से बैठे ही मुझको ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी. कोई 5 मिन्ट की ऐसी चुदाई के बाद वो फिर से काम्पने लगी और फिर झड़ गई और मेरे ऊपर पूरी तरह से लेट गई.
अब मैंने उसको उठाया और उसको दीवार के सहारे खड़ा करके पीछे से चोदने लगा.वो भी बड़े आनन्द से इस पोज़ में मुझसे चुदती रही. केवल 5 मिन्ट में फिर मैंने महसूस किया कि उसकी चूत फिर बंद और खुल रही है और थोड़ी देर में उसका ढेर सारा पानी झड़ गया और वो थक कर वहीं बैठ गई.

 
नैना जल्दी से आई और मैंने और उसने मिल कर उसको गद्दे पर लिटा दिया.
दूसरी तरफ़ दोनों निशि और उर्मि खाली हाथ बैठी थी और दोनों लड़के आलखन से गद्दों पर लेटे थे.मुझको हिना से फारिग होते देख कर निशि उठ कर आई और मेरे लंड को चूसने लगी और उधर उर्मि विनी को जगाने की कोशिश करने लगी.
मैंने निशि की चूत को टटोला तो वो बहुत ही गीली हो रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या इरादा है निशि? मुझसे करवाना है क्या?वो बोली- हाँ सतीश प्लीज!मैंने उसको कहा कि वो फ़ौरन घोड़ी बन जाए.जैसे ही वो घोड़ी बनी, मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों के साथ खेलने लगा, अपनी पुरानी घुड़चाल शुरू कर दी यानि पूरा लंड निकाल कर फिर उसको पूरा डालना पहले धीरे धीरे, फिर जल्दी ही तेज़ी से घुड़ दौड़ शुरू कर दी, साथ ही उसके चूतड़ों पर हाथ की थपकी भी देने लगा.
चूतड़ों पर पड़ती थपकी को निशि ने बहुत ही पसंद किया और उसने अपने चूतड़ों को हिला हिला कर इस का अभिवादन किया.अब मैंने उसको गर्म होते महसूस किया तो मैं पूरी ताकत से उसको पीछे से चोदने में लग गया, मेरी बेतहाशा स्पीड से वो घबरा गई और जल्दी ही छूट गई और छूटते ही चिल्ला पड़ी- मर गई रे!
नैना जल्दी से आई और उसको संभालने लगी.
मुझको खाली देख उर्मि दौड़ कर आ गई और बोली- सतीश प्लीज, मेरा भी काम कर दो, प्लीज सतीश!
मैं खड़ा हो गया और उसको चूतड़ों से उठा लिया और अपने खड़े लंड का निशिना लगा कर उसकी चूत में अपना मोटा लंड घुसेड़ दिया और फिर उसको हाथों में लेकर सारे कमरे का चक्कर लगाने लगा.उर्मि मेरे लंड पर बैठी हुई अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और जल्दी ही वो पूरी तरह से मुझको चोदने लगी.
मैं आलखन से खड़ा था और वो मेरे लंड पर नाच रही थी. जल्दी ही उसका नाच इतना तेज़ हो गया कि मैं और नैना उसको संभाल नहीं पा रहे थे.जल्दी ही वो मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर मुझ से चिपक गई और सिर्फ अपने चूतड़ों को आगे पीछे नचा रही थी.
थोड़ी देर में उसका नाचना बंद हो गया और वो मेरे मुंह से अपना मुंह जोड़ कर मेरी छाती से चिपक गई और ज़ोर ज़ोर से कांपने लगी.जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो वो अपने आप से मेरे लंड के ऊपर से हट गई और उसके हटते ही मेरा लंड पॉप कर बाहर आ गया. लंड का रंग एकदम लाल हो गया था जैसे बहुत ही गुस्से में हो!एक घंटे में 3 जवान लड़कियों को चोदने के बाद कोई भी आदमी या फिर लंड लाल सुर्ख हो ही जाता.
जब सबने थोड़ी देर आलखन कर लिया तो नैना सबके लिए रूह अफजा का शरबत ले आई.शरबत पीने के बाद तीनों लड़कियाँ मेरे चारों तरफ खड़ी हो गई और बिना कुछ कहे ही बहुत सी बातें अपनी आँखों से कह गई जिसमें मुख्य बात थी कि अब फिर कब? तब सिर्फ़ मेरे साथ!
मेरी भी आँखें जवाब दे रही थी- देखेंगे तब की तब, फिर आ जाना सब की सब!नैना बोली- चलिए खेल खत्म करें या अभी कुछ मन में बाकी है?हिना ने सब की तरफ देख कर कहा- बोलो क्या मर्ज़ी है आप सब की?
लड़के सब चुप थे लेकिन उर्मि और निशि की मर्ज़ी अभी बाकी खेल खलने की थी.नैना ने कहा- लड़के तो खेल खत्म करना चाहते है सो अच्छा हो गा अगर यह आज का शो यहीं खत्म किया जाए. चलिए लड़कियां और लड़के अलग अलग बाथरूम में अपने कपडे पहन लें.
नैना लड़कों को साथ वाले कमरे के बाथरूम में ले गई और तीनों लड़कियाँ वहीं बाथरूम में कपड़े पहनने लगी.कपड़े पहन कर हम सब फिर बैठक में इकट्ठे हुए.हिना बोली- कहो, कैसा रहा यह ग्रुप सेक्स का एक नमूना. आशा है आप सब ने इस प्रोग्राम का आनन्द लिया होगा. आगे का प्रोग्राम रखा जाए या नहीं उसके बारे में बाद में सोचेंगे. अब लड़के अपने घर जा सकते हैं लेकिन यह याद रहे कि जो कसम हम सबने खाई है उसका पूरा निर्वाह होना चाहये.
मैं विनोद और राज को कोठी के बाहर तक छोड़ आया जहाँ से उन्होंने रिक्शा कर ली थी.वापस आया तो लड़कियों में बहस चल रही थी, उन सब का कहना था कि सिवाए मेरे बाकी दोनों लड़के बिल्कुल नौसिखिया थे, उनको काम क्रिया का ज़्यादा अनुभव नहीं था.
नैना बोली- मेरा भी यही ख्याल है, उसका मुख्य कारण मैं यह समझ रही हूँ कि शायद यह उनका सेक्स का पहला ही मौका था.हिना बोली- मैं नहीं समझती कि आगे का प्रोग्राम हम अभी बना सकते हैं क्यूंकि जब तक हमको अनुभवी लड़के और लड़कियां नहीं मिल जाते, आगे के प्रोग्राम के बारे में सोचना भी बेकार है. क्यों नैना दीदी?नैना बोली- बिल्कुल ठीक कह रही हो हिना जी!
हिना बोली- लेकिन एक बात जो साफ़ हो गई है वो है कि अपना सतीश कमाल का लड़का है यार, तीन तीन को तीन बार चोद देना और फिर तीन बार हर एक का छूटा भी देना और फिर खुद ज़रा सा भी नहीं थकना… वाह वाह… यह सब किस से सीखा तुमने सतीश? सच सच बताना?मैं थोड़ा शरमाया और फिर बोला- सच बताऊँ, मेरी सेक्स गुरु नैना रानी है, ये सब दांव पेच नैना जी ने सिखाये हैं.तीनो लड़कियों ने खूब तालियाँ बजाई.
हिना बोली- मुझको भी पूरा सेक्स का ज्ञान नहीं है और इन दोनों को भी शायद बहुत कम ज्ञान होगा, क्यों?उर्मि और निशि ने हाँ में सर हिला दिया.
हिना बोली- नैना दीदी, क्या आप हम लड़कियों को भी सेक्स के मामले में ट्रेनिंग दे सकती हो?नैना ने मेरी तरफ देखा और कहा- अगर छोटे मालिक इजाज़त दें तो यह काम हो सकता है.मैं बोला- हाँ हाँ, ज़रूर ट्रेनिंग दो इनको भी और जो दूसरी लड़कियाँ भी ट्रेनिंग लेना चाहें, उनको भी ट्रेनिंग दो, यह तो पुण्य का काम है.नैना बोली- लेकिन छोटे मालिक इसमें प्रैक्टिकल कर के भी दिखाना पड़ सकता है तो ऐसा पुरुष कहाँ से लाएँगे जो प्रैक्टिकल कर के लड़कियों को समझा सके?
मैं चुप रहा लेकिन हिना बोली- क्यों, अपना सतीश प्रैक्टिकल करके दिखा सकता है अगर ज़रूरत पड़ेगी तो!मैं चुप रहा और फिर थोड़ी देर सोचने के बाद बोला- खैर वो मदद तो मैं करने को तैयार हूँ, बाकी जो नैना कहेगी वो हम सबको करना पड़ेगा. इस काम के लिए नैना को भी तो कुछ फीस मिलनी चाहिए न, बेचारी कॅाफ़ी मेहनत करेगी.
हिना बोली- उसकी आप चिंता छोड़ दीजिये, वो मैं संभाल लूंगी. अगले हफ्ते हम फिर यहाँ ही मिलते हैं आगे का कार्यक्रम तय करने के लिए!

कहानी जारी रहेगी.

 
Back
Top