desiaks
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उर्वशी भाभी का चोदन प्रोग्राम उनकी कोठी में
सलोनी और रूही के जाते ही टेलीफ़ोन की घंटी बज पड़ी, मैंने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ मम्मी जी बोली रही थी- कैसे हो सतीश बेटा! बड़े दिनों से तुम से बात नहीं हो सकी थी, सोचा कि आज बात कर लेती हूँ, और सब ठीक है ना?मैं बोला- चरण स्पर्श मम्मी जी, मैं यहाँ बिल्कुल ठीक हूँ और आप सुनाइए पापा कैसे हैं? और बाकी गाँव में सब ठीक है ना?
मम्मी जी बोली- यहाँ सब ठीक है, अच्छा सतीश, वो पूनम के पापा का फ़ोन आया था और वो कह रह थे कि पूनम की शादी तय हो गई है, इसी सिलसिले में वो हमारी थोड़ी सी मदद मांग रहे हैं.मैं बोला- यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है, वो क्या मदद मांग रहे थे?
मम्मी बोली- वो कह रहे थे पूनम के भाई और भाभी कुछ दिनों के लिए पूनम के साथ लखनऊ आ रहे हैं, अगर हमको कोई ऐतराज़ ना हो तो वे तीनों हमारे घर में रुक जाएँगे और जो दहेज़ इत्यादि खरीदना, बनाना है वो वहाँ रह कर बना लेंगे. उनका सोचना है कि शायद इससे सतीश की पढ़ाई में विघ्न पड़ेगा. मैंने कहा भी कोई विघ्न नहीं होगा, आप भेज दो उन तीनों को… वो आलखन से हमारी कोठी में रह कर अपना काम कर सकते हैं. तुम बोलो सतीश, तुम क्या कहते हो?
मैं बोला- मुझको उनके आने से कोई कष्ट नहीं होगा, आप उनको कह दो कि वे निस्संकोच यहाँ आकर रह सकते हैं जब तक उनकी मर्ज़ी हो!मम्मी बोली- ठीक है, ज़रा नैना को फ़ोन देना, उसको भी समझा दूँ!मैंने फ़ोन नैना को दे दिया जो पास ही खड़ी थी और मम्मी और नैना के बीच थोड़ी देर बात हुई.
नैना अब खिलखिला कर हंस रही थी और हँसते हुए ही बोली- छोटे मालिक, आपकी तो पुरानी आशिक आ रही है, अब तो मज़ा ही मज़ा है.मैं भी खुश हो कर बोला- लेकिन नैना रानी, अबकी बार साथ में भाभी हैं और उसका भाई भी है तो बहुत मुश्किल हो जाएगा मिलना… और खासतौर पर अब जब उसकी शादी तय हो चुकी है तो हम दोनों का उस तरह मिलना ठीक नहीं होगा शायद?नैना बोली- हाँ यह तो है, लेकिन कोशिश करने पर सब कुछ हो सकता है.
मैंने आगे बढ़ कर नैना को बाहों में ले लिया और उसके लबों पर कई चुम्मियाँ जड़ दी.वो भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी.
हम दोनों बेखबर हुए अपने काम में लगे थे कि इतने में पारो भी वहाँ आ गई और वो भी मेरे से पीछे से लिपट गई और अपने मोटे मुम्मे मेरी पीठ से रगड़ने लगी.बड़ा आनन्द आ रहा था आगे मुम्मे और पीछे भी मुम्मे… वाह, क्या बात है!
मैं पारो को भी जफ्फी डालने के बाद उसको बोला- आज कोई चाय पिलाएगा या नहीं? प्यास के मारे जान निकली जा रही है.नैना और पारो दोनों हंसने लगी और फिर पारो दौड़ कर गई किचन में और थोड़ी देर के बाद हम तीनों के लिए चाय बना कर ले आई.
चाय पीते हुए नैना ने बताया कि गाँव में सबने छोटे मालिक की पिक्चर देखी है और सब बहुत खुश हो रहे हैं. तुम्हारी चहेती लड़कियों ने किसी एक के घर में मिल कर तुम्हारे चिपको डांस की नक़ल भी उतारी और आपस में मिल कर खूब मस्ती की और चूमा चाटी भी की.
जब नैना यह सब बता रही थी, मैंने उसको ध्यान से देखा उसका चेहरा काम वासना से एक दम लाल हो रहा था और उसका हाथ अनजाने में ही उसकी साड़ी के ऊपर से चूत को सहला रहा था, वो बेहद गर्म हो चुकी थी यह मैं समझ रहा था.
मैं टहलने के मूड में था तो मैं टहलते हुए रति की कोठी की तरफ निकल गया और मौके की बात देखिये कि भाभी के दर्शन उनकी कोठी के गेट पर ही हो गए.भाभी ने मुझको अंदर बुला लिया और हम दोनों बड़े ही प्यार से एक दूसरे से बातें करने लगे.
तभी मैंने भाभी को बताया कि एक दो दिन में हमारे मेहमान आने वाले हैं गाँव से, तो कुछ दिन रति से और भाभी से मिलना मुश्किल हो जाएगा.भाभी कुछ उदास होते हुए बोली- अच्छा सतीश, फिर तो तुम मेरे पास नहीं आ सकोगे और ना ही मैं तुम्हारे पास आकर कुछ प्यार व्यार कर सकूंगी. अच्छा सुनो सतीश, रति के भैया आज रात के लिए कानपुर जा रहे हैं, हम दोनों इतनी बड़ी कोठी में अकेली हो जाएंगी. तुम आज की रात हमारी कोठी में रह सकते हो क्या?
मैंने कुछ सोचते हुए कहा- ऐसा है भाभी, मुझको तो कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन तुम फिर भी नैना से बात कर लो, अगर वो हाँ कर दे तो मैं आ जाऊंगा रात रहने के लिए!भाभी ने अपने चौकीदार से कहा- सतीश भईया के साथ उनकी कोठी जा रही हूँ थोड़ी देर के लिए और अगर रति या साहिब पूछें तो बता देना, मैं जल्दी ही लौट आऊँगी.
हम दोनों हमारी कोठी की तरफ चल पड़े और रास्ते में भाभी कहती रही- मेरा तो दिल बड़ा मचल रहा है सतीश तुम्हारे लिए… उफ़ कितना मज़ा आएगा सारी रात के लिए एक दूसरे की बाहों में!मैं बोला- वो तो ठीक है भाभी, पर रति भी तो है ना वहाँ, उसको क्या बताओगी?भाभी बोली- उसको मैं समझा लूंगी जब वक्त आएगा! बोलो, तुम तैयार हो क्या? अगर हाँ तो सब ठीक हो जाएगा.