XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 32 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें


उर्वशी भाभी का चोदन प्रोग्राम उनकी कोठी में


सलोनी और रूही के जाते ही टेलीफ़ोन की घंटी बज पड़ी, मैंने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ मम्मी जी बोली रही थी- कैसे हो सतीश बेटा! बड़े दिनों से तुम से बात नहीं हो सकी थी, सोचा कि आज बात कर लेती हूँ, और सब ठीक है ना?मैं बोला- चरण स्पर्श मम्मी जी, मैं यहाँ बिल्कुल ठीक हूँ और आप सुनाइए पापा कैसे हैं? और बाकी गाँव में सब ठीक है ना?
मम्मी जी बोली- यहाँ सब ठीक है, अच्छा सतीश, वो पूनम के पापा का फ़ोन आया था और वो कह रह थे कि पूनम की शादी तय हो गई है, इसी सिलसिले में वो हमारी थोड़ी सी मदद मांग रहे हैं.मैं बोला- यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है, वो क्या मदद मांग रहे थे?
मम्मी बोली- वो कह रहे थे पूनम के भाई और भाभी कुछ दिनों के लिए पूनम के साथ लखनऊ आ रहे हैं, अगर हमको कोई ऐतराज़ ना हो तो वे तीनों हमारे घर में रुक जाएँगे और जो दहेज़ इत्यादि खरीदना, बनाना है वो वहाँ रह कर बना लेंगे. उनका सोचना है कि शायद इससे सतीश की पढ़ाई में विघ्न पड़ेगा. मैंने कहा भी कोई विघ्न नहीं होगा, आप भेज दो उन तीनों को… वो आलखन से हमारी कोठी में रह कर अपना काम कर सकते हैं. तुम बोलो सतीश, तुम क्या कहते हो?

मैं बोला- मुझको उनके आने से कोई कष्ट नहीं होगा, आप उनको कह दो कि वे निस्संकोच यहाँ आकर रह सकते हैं जब तक उनकी मर्ज़ी हो!मम्मी बोली- ठीक है, ज़रा नैना को फ़ोन देना, उसको भी समझा दूँ!मैंने फ़ोन नैना को दे दिया जो पास ही खड़ी थी और मम्मी और नैना के बीच थोड़ी देर बात हुई.
नैना अब खिलखिला कर हंस रही थी और हँसते हुए ही बोली- छोटे मालिक, आपकी तो पुरानी आशिक आ रही है, अब तो मज़ा ही मज़ा है.मैं भी खुश हो कर बोला- लेकिन नैना रानी, अबकी बार साथ में भाभी हैं और उसका भाई भी है तो बहुत मुश्किल हो जाएगा मिलना… और खासतौर पर अब जब उसकी शादी तय हो चुकी है तो हम दोनों का उस तरह मिलना ठीक नहीं होगा शायद?नैना बोली- हाँ यह तो है, लेकिन कोशिश करने पर सब कुछ हो सकता है.
मैंने आगे बढ़ कर नैना को बाहों में ले लिया और उसके लबों पर कई चुम्मियाँ जड़ दी.वो भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी.
हम दोनों बेखबर हुए अपने काम में लगे थे कि इतने में पारो भी वहाँ आ गई और वो भी मेरे से पीछे से लिपट गई और अपने मोटे मुम्मे मेरी पीठ से रगड़ने लगी.बड़ा आनन्द आ रहा था आगे मुम्मे और पीछे भी मुम्मे… वाह, क्या बात है!
मैं पारो को भी जफ्फी डालने के बाद उसको बोला- आज कोई चाय पिलाएगा या नहीं? प्यास के मारे जान निकली जा रही है.नैना और पारो दोनों हंसने लगी और फिर पारो दौड़ कर गई किचन में और थोड़ी देर के बाद हम तीनों के लिए चाय बना कर ले आई.
चाय पीते हुए नैना ने बताया कि गाँव में सबने छोटे मालिक की पिक्चर देखी है और सब बहुत खुश हो रहे हैं. तुम्हारी चहेती लड़कियों ने किसी एक के घर में मिल कर तुम्हारे चिपको डांस की नक़ल भी उतारी और आपस में मिल कर खूब मस्ती की और चूमा चाटी भी की.
जब नैना यह सब बता रही थी, मैंने उसको ध्यान से देखा उसका चेहरा काम वासना से एक दम लाल हो रहा था और उसका हाथ अनजाने में ही उसकी साड़ी के ऊपर से चूत को सहला रहा था, वो बेहद गर्म हो चुकी थी यह मैं समझ रहा था.
मैं टहलने के मूड में था तो मैं टहलते हुए रति की कोठी की तरफ निकल गया और मौके की बात देखिये कि भाभी के दर्शन उनकी कोठी के गेट पर ही हो गए.भाभी ने मुझको अंदर बुला लिया और हम दोनों बड़े ही प्यार से एक दूसरे से बातें करने लगे.
तभी मैंने भाभी को बताया कि एक दो दिन में हमारे मेहमान आने वाले हैं गाँव से, तो कुछ दिन रति से और भाभी से मिलना मुश्किल हो जाएगा.भाभी कुछ उदास होते हुए बोली- अच्छा सतीश, फिर तो तुम मेरे पास नहीं आ सकोगे और ना ही मैं तुम्हारे पास आकर कुछ प्यार व्यार कर सकूंगी. अच्छा सुनो सतीश, रति के भैया आज रात के लिए कानपुर जा रहे हैं, हम दोनों इतनी बड़ी कोठी में अकेली हो जाएंगी. तुम आज की रात हमारी कोठी में रह सकते हो क्या?
मैंने कुछ सोचते हुए कहा- ऐसा है भाभी, मुझको तो कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन तुम फिर भी नैना से बात कर लो, अगर वो हाँ कर दे तो मैं आ जाऊंगा रात रहने के लिए!भाभी ने अपने चौकीदार से कहा- सतीश भईया के साथ उनकी कोठी जा रही हूँ थोड़ी देर के लिए और अगर रति या साहिब पूछें तो बता देना, मैं जल्दी ही लौट आऊँगी.
हम दोनों हमारी कोठी की तरफ चल पड़े और रास्ते में भाभी कहती रही- मेरा तो दिल बड़ा मचल रहा है सतीश तुम्हारे लिए… उफ़ कितना मज़ा आएगा सारी रात के लिए एक दूसरे की बाहों में!मैं बोला- वो तो ठीक है भाभी, पर रति भी तो है ना वहाँ, उसको क्या बताओगी?भाभी बोली- उसको मैं समझा लूंगी जब वक्त आएगा! बोलो, तुम तैयार हो क्या? अगर हाँ तो सब ठीक हो जाएगा.
 
कोठी में पहुंचे तो नैना हमको बैठक में ही मिल गई, भाभी ने तुरंत उसको सब बातें बता दी और उससे पूछा कि क्या सतीश रात हमारी कोठी में रह सकता है?नैना भाभी को साथ लेकर मेरे बैडरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद दोनों वापस लौट आई, तब नैना ने कहा- भाभी के साथ रात रहने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन रति को कैसे पटाओगी? वो बड़ी चालाक है, वो सब समझ जायेगी.भाभी ने बड़ी बेपरवाही से कहा- रति की आप कोई फ़िक्र ना करें, मैं उसको संभाल लूंगी.
मैंने नैना से पूछा- क्या मैं भाभी के अंदर अपना वीर्य छूटा सकता हूँ, उससे उनको कोई फर्क तो नहीं पड़ेगा ना?नैना ने कहा- भाभी के अंदर पूरी तरह से गर्भ ठहर गया है, उसका तुम फ़िक्र ना करो छोटे मालिक. जो करना चाहते हो, वो कर लो भाभी के साथ!भाभी बोली- तो फिर ठीक है ना, सतीश आज रात हमारे घर में सो जायेगा नैना?
मैं बोला- सो तो मैं जाऊंगा भाभी लेकिन मुझको रति का बहुत डर है कहीं वो तुम्हारी गर्भाधान वाली बात भैया को ना बता दे?भाभी बोली- अरे सतीश राजा, तुम काहे घबराते हो, वो तो मेरी मुट्ठी में है, और ज़्यादा उछल कूद की कोशिश की तो तुम उसको भी चोद देना, और क्या?.
मैं मान गया और कहा कि एक घंटे के बाद खाना खाकर आता हूँ लेकिन भाभी ज़ोर डालने लगी- नहीं अभी चलो और खाना भी वहीं खा लेना. मैं तुम्हारे लिए बकरे की रान का मीट बना रही हूँ, वो बड़ा ही स्वादिष्ट बनता है.मैंने भाभी को यह कह कर रवाना किया कि मैं अपने कपड़े बदल कर अभी आता हूँ, आप चलो.
थोड़ी देर बाद मैं अपने रात का कुरता पायजामा पहन कर भाभी के घर पहुँच गया, भाभी मुझको बाहर बलखनदे में ही मिल गई जैसे कि वो मेरा इंतज़ार बड़ी बेसब्री से कर रही हों.भाभी मुझको सीधे अपनी बैठक में ले गई और जाते ही उसने मुझको अपनी बाहों में लेकर एक निहायत ही कामुक जफ्फी मारी और मेरे लबों पर मस्त चुम्मी दे दी.
मैंने पूछा- रति कहाँ है भाभी?भाभी बोली- वो अपनी एक सहेली से मिलने गई है, थोड़ी देर में वो आती ही होगी. वो आ जायेगी तो खाना खा लेंगे, तुमको जल्दी तो नहीं ना?मैं बोला- नहीं भाभी, मुझको कोई जल्दी नहीं है. अगर बुरा ना मानें तो एक बात बताइए, यह भैया हफ्ते में आपको कितनी बार चोदते हैं?
भाभी पहले तो शरमाई फिर धीरे से बोली- कहाँ रे सतीश यार, रति के भैया तो 15-20 दिन में एक आध बार कर लेते हैं जब वो थोड़ी पीकर आते हैं, वरना काफी समय तो वो मेरी तरफ देखते तक नहीं.
मैं अब भाभी-भैया की कहानी में दिलचस्पी लेने लगा था तो मैंने आगे पूछा- तो क्या भैया के करने से आपका पानी छूट जाता है? और आपकी तसल्ली हो जाती है क्या?भाभी उदास होते हुए बोली- कहाँ रे सतीश, भैया तो जब करना शुरू करते हैं तो मुश्किल से वो 5-6 धक्के मारने के बाद ही झड़ जाते हैं और फिर वो साइड लेकर सोते हुए खूब खर्राटे मारते हैं.
मैं भी उदास होते हुए बोला- तभी भाभी, आपका बच्चा होने में प्रॉब्लम हो रही है. फिर आप अपनी तसल्ली के लिए क्या करती हैं?भाभी बोली- पहले तो ऊँगली से काम चलती थी लेकिन आज कल मुझको एक अच्छी नौकरानी मिल गई है जो मेरे संग मुख मैथुन करके, मेरे चूचे चूस कर, मेरी चूत, चूतड़, जांघें चाट कर मुझको पूरी तसल्ली दे देती है.
मैं हैरान होते हुए बोला- अच्छा भाभी, क्या ऐसा भी होता है? स्त्री के संग स्त्री? मैंने कभी ऐसा देखा ही नहीं?भाभी बोली- क्या यह सब देखना चाहोगे लल्ला? चूत चुसाई और जनाना किसिंग किस्साई?मैं बोला- हाँ क्यों नहीं भाभी, अगर आपकी नौकरानी यहाँ है तो और अगर उसको कोई ऐतराज़ नहीं तो ही?भाभी बोली- खाना खाकर जब हम बैडरूम में जाएंगे तो मैं तुमको इसकी छोटी सी झलक दिखा दूंगी.
हालांकि लेस्बो सेक्स के बारे में मैंने सुन और देख रखा था, ग्रुप सेक्स में भी लड़कियाँ आपस में मजे करती थी, लेकिन मैं भाभी को यह जताना चाहता था जैसे मैं कुछ जानता ही नहीं.
थोड़ी देर बाद ही रति भी वापस घर आ गई और मुझको देख कर बड़ी खुश हुई और आते ही मुझ से पूछने लगी- आज यहाँ कैसे सतीश जी?भाभी बोली- आज तुम्हारे भैया रात भर के लिए बाहर गए हैं तो मैंने सतीश और नैना से कहा कि अगर सतीश आज की रात हमारे घर में सो जाए तो कोई ऐतराज़ तो नहीं, और दोनों मान गए हैं तो सतीश लला आज हमारे घर में सोयेगा.
ये बातें चल ही रही थी कि एक बड़ी ही सुंदर जिस्म वाली सांवली सी लड़की ने आकर भाभी से पूछा- भाभी, क्या खाना लगा दूँ टेबल पर?भाभी बोली- हाँ लगा दे लाजो, और रति तुम जल्दी से हाथ मुंह धोकर खाने के लिए आ जाओ.
यह कहते हुए भाभी रसोई में चली गई और रति ने मौका देख कर मुझको धर दबोचा और बड़ी ही कसी जफ्फी मारी और ताबड़तोड़ चुम्मियों की बारिश मेरे होटों पर कर दी.मैंने भी उसको बाहों में कस लिया और उसके लबों पर बहुत ही गहरी चुम्मी जड़ दी और उसके गोल मोटे चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.
 
हम काफी देर एक दूसरे की बाहों में बंधे रहे और फिर किसी के आने के आहट सुन कर हम एक दूसरे से अलग हो गए.
लाजो आई थी खाने की प्लेटें रखने के लिए और जाते हुए नज़र भर कर मुझको भी देख गई और मेरी आँखों से आँखें मिला गई.मैंने भी सोचा ‘कुड़ी फँस सकती है अगर भाभी साथ दे तो!’
लाजो देखने में काफी आकर्षक थी क्यूंकि उसके नयन नक्श बड़े ही तीखे थे चाहे उसको रंग सांवला था और मुझको यकीन था कि वो भी मेरे गाँव वाले काले हीरे से किसी तरह भी कम नहीं थी.उसकी चाल मतवाली थी और सादी सी धोती में उसके मस्त मुम्मे और गोल मोटे चूतड़ों को देखने में बड़ा ही आनन्द आ रहा था.
लाजो को देखने के बाद मन उसके लिए मचल रहा था फिर सोचा आज रात को तो भाभी चूत चुसाई लाजो के साथ दिखाने वाली है तो शायद उस वक्त काम बन जाए?
खाना बड़ा ही स्वादिष्ट बना था और मन पूरी तरह से तृप्त हो गया और फिर हम सब कोक पीते हुए बैठक में बैठे रहे.यहाँ रति मेरे कंधे से कन्धा जोड़ कर बैठी हुई थी और मेरे हाथ के साथ अठखेलियाँ कर रही थी.
फिर भाभी मुझको गेस्ट बैडरूम में ले गई और जहाँ मेरे सोने का पूरा इंतज़ाम कर दिया था.अच्छा बड़ा पलंग था और रेशमी चादर से ढका हुआ था फिर थोड़ी देर बाद वो दोनों अपने अपने कमरों में चले गई.
मैं भी लेट गया और भाभी का इंतज़ार करने लगा और वो करीबन एक घंटे बाद लाजो को लेकर आई और आते ही उसने मुझको एक मीठी सी प्यारी सी जफ्फी मार दी तब मेरी आँखें लाजो से मिलीं और मैंने उसको हल्की आँख मार द॥लाजो के चेहरे पर मुस्कराहट खेल गई.
तब भाभी ने सबसे पहले मेरे कपड़े उतारने शुरू किये और जब मैंने लाजो की तरफ इशारा किया तो वो बोली- अरे सतीश, वो तो अपनी ही है उससे क्या शर्म करना? क्यों लाजो? दिखा दे सतीश भैया को अपने हुस्न के जलवे!और मेरे कपड़ों के साथ ही लाजो के कपड़े भी उतरने शुरू हो गए, जैसे पहले धोती उतरी और फिर ब्लाउज उतरा और फिर पेटीकोट उतरा.
लाजो का नंगा रूप बहुत ही मादक था, उसका सांवला जिस्म एकदम साँचे में ढला हुआ था और उसका हर अंग प्रत्यंग सॉलिड और गोलाई नुमा था.
इधर जैसे ही भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर से आज़ाद किया वो झपट कर भाभी के गालों को छूता हुआ सीधा तन गया.भाभी थोड़ी देर के लिए चौंकी लेकिन फिर जल्दी ही वो संभल गई.लाजो की काली आँखें मेरे सीधे खड़े हुए लंड पर टिकी थी और वो हैरानी से फैली हुई थी.
मैंने अब भाभी को नंगी करने के लिए हाथ बढ़ाया और चंद मिनटों में भाभी को भी निर्वस्त्र कर दिया.तब भाभी ने लाजो को भी अपने पास बुला लिया और फिर हम सब एक दूसरे की गर्दनो में बाहें डाल कर कमरे में घूमने लगे.मैं एक हाथ से लाजो के मोटे सॉलिड चूतड़ों को सहला रहा था और दूसरे से भाभी के चौड़े और फैले हुए चूतड़ों को मसल रहा था.
लाजो की चूत पर बेहद घने और गहरे काले बाल थे जो मैंने आज तक नहीं देखे थे.उसकी सारी चूत काले घने बालों के साये में छुपी हुई थी और उसकी ज़रा सी झलक भी नहीं दिख रही थी.लाजो के मुकाबले भाभी की चूत पर बाल कुछ ज़्यादा घने नहीं थे और वो काफी गीले हो चुके थे क्यूंकि भाभी शायद उस समय काफी कामुक हो रही थी.
जैसे ही भाभी ने मेरे खड़े लंड को देखा, वो जल्दी ही मेरे निकट आ गई और मेरे लंड के साथ खेलने लगी और लाजो ने भी यह मौका ठीक समझ कर मेरे पास आकर अपने मोटे मुम्मे मेरी पीठ पर रगड़ने शुरू कर दिए.फिर भाभी बोली- चल लाजो, सतीश भैया को अपनी चुसम चुसाई दिखा देती हैं, वो उसको देखने के लिए काफी उतावले हो रहे हैं.
लाजो सांवरी मेरे को छोड़ कर भाभी के साथ चिपक गई और उसके लबों पर खूब चुम्बन देने लगी और साथ में वो भाभी की चूत में अपनी ऊँगली से उसकी भग को भी मसलने लगी.
अब भाभी बिस्तर पर लेट गई और लाजो की टांगों में बैठ कर उसकी चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया.जब लाजो ऐसा कर रही थी तो लाजो की गांड हवा में लहरा रही थी.उसके सांवरे गोल चूतड़ हवा में ह्ते और मेरा लंड उसमें एंट्री मारने के लिए अधीर हो रहा था.
लाजो का मुंह तो भाभी की चूत में घुसा हुआ था और भाभी ने अपने चूतड़ों को ऊपर उठा रखा था और एक हाथ से लाजो के सर के बालों को पकड़ रखा था और सर को चूत में ज़ोर से घुसेड़ रखा था.भाभी तो चूत चुसाई में बहुत ही मग्न थी और लाजो की चुसाई का पूरा आनन्द ले रही थी.
मैं अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर धीरे से लाजो की गांड की तरफ बढ़ा और आहिस्ता से पलंग पर चढ़ गया और पीछे से लंड का निशाना बना कर चूत के मुंह पर रख दिया और एक हल्का धक्का ही मारा और लंड एकदम गीली चूत के अंदर घुस गया.
लाजो सब महसूस कर रही थी, उसने भी एक ज़ोर का धक्का अपनी गांड का पीछे की तरफ मारा और मेरा पूरा लंड अपने अंदर लील गई.

कहानी जारी रहेगी.
 

भाभी, लाजो और रति की चुदाई


मैं अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर धीरे से लाजो की गांड की तरफ बढ़ा और आहिस्ता से पलंग पर चढ़ गया और पीछे से लंड का निशाना बना कर चूत के मुंह पर रख दिया.एक हल्का धक्का ही मारा और लंड एकदम गीली चूत के अंदर घुस गया.लाजो सब महसूस कर रही थी, उसने भी एक ज़ोर का धक्का अपनी गांड का पीछे की तरफ मारा और मेरा पूरा लंड अपने अंदर लील गई.
जब मैंने देखा कि भाभी की चूत अब ऊपर उठ रही थी तो मैं समझ गया कि वो छूटने के करीब थी और भाभी भी देख रही थी कि मैं लाजो के साथ मस्त चुदाई में व्यस्त था.लाजो का मुंह भाभी का चोदन कर रहा था और उसकी चूत मेरे लंड का दोहन कर रही थी.
मेरे लंड के धक्कों के कारण लाजो के मुख चोदन की प्रक्रिया तेज़ होती जा रही थी और उसका मुंह भाभी की चूत को काफी तेज़ी से चूस और रगड़ रहा था जिस कारण भाभी अब काफी उछल उछल कर लाजो से चुदवा रही थी.
भाभी यह दोहरा लुत्फ़ ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकी और जल्दी ही हिलते हुए स्खलित हो गई.

अब मैंने लाजो की चुदाई तेज़ कर दी और पूरी स्पीड से धक्के मारना शुरू कर दिया और थोड़ी देर की मेहनत के बाद ही लाजो भी छूट गई, छूटते हुए वो अत्यंत तीव्र गति से हिलने लगी और उसकी चूत से एक बहुत गाढ़ा पदार्थ निकला जो शायद उसकी चूत का था.
जब मैं उठा तो सबसे पहले लाजो ने मुझको कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया और बड़ी ही कामुक चुम्मी मेरे लबों पर दे दी और अपने गोल और मोटे मुम्मे मेरी छाती से रगड़ने लगी.मैंने भी झुक कर उसके लबों को चूमा और फिर उसके मुम्मों को भी चूमा.
भाभी जैसे ही उठी, मैंने उसको पकड़ लिया और उसके होटों पर एक मस्त चुम्मी जड़ दी और उसकी चूत में हाथ डाला तो वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरे लंड का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी.
मैंने भाभी के मुम्मों को चूसते हुए उसको पुनः बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर लंड को अंदर चूत में डाल कर थोड़ी देर के लिए रुक गया ताकि भाभी लौड़े को ज़रा महसूस कर सके.लौड़े की सख्ती से तो वो वाकिफ थी इस लिए मैं आज भाभी को चुदाई के नए तरीके बताने वाला था.
कुछ धक्के मैंने हल्के से मारे ताकि भाभी की चूत को मुंह चुदाई के बाद लंड का स्वाद भी आने लगे.लाजो अब हमारे पास आ कर भाभी के मुम्मों के साथ खेलने लगी और वो भाभी के होटों पर अपनी जीभ फेरने लगी जिससे भाभी का आनन्द और भी बढ़ जाए.
मैं स्वयं बिस्तर पर लेट गया और भाभी को उठा कर मैंने उसको उसकी साइड पर लिटा दिया और उसकी टांगों को सिकोड़ कर उसकी ठुड्डी तक लगा दिया.फिर मैंने साइड से अपना लंड भाभी की गीली चूत में डाला और धीरे धीरे से धक्के मारने लगा.
भाभी शायद पहली बार इस पोज़ में चुदी थी सो बहुत अधिक आनन्द लेते हुए चुदवा रही थी.जैसे ही मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ की, भाभी ने अपनी गांड का धक्का मार कर यह इशारा किया कि अभी तेज़ी नहीं… और मैं भी अब भाभी को आहिस्ता धक्कों से चोदने लगा.
फिर मैं एकदम रुक गया और उसके मुम्मों के साथ खेलने और उसकी मोटी लेकिन फैली हुई गांड पर हाथ फेरने लगा और तभी लाजो भी मेरे पीछे बैठ कर मेरे अंडकोष को चूसने लगी जिससे मुझको बेहद मज़ा आ रहा था.अब मुझ से रहा नहीं गया और मैंने भाभी को सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी.
इस ज़ोरदार चुदाई का कारण यह भी था कि मेरे अंडकोष में इतने दिनों से वीर्य को रोक रखने के कारण दर्द होने लगा था और मेरी कोशिश थी कि मैं भाभी की सेफ चूत में अपना वीर्य स्खलन कर दूँ.
मैंने सांस रोक कर भाभी की ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही मिनटों में मेरा वीर्य पिचकारी की तरह भाभी की चूत में छूट गया और जैसे ही मेरा वीर्य छूट रहा था कि बैडरूम का दरवाज़ा अचानक खुला और रति धड़धड़ाती हुई कमरे के अंदर आ गई.
कमरे का नज़ारा देख कर वो भौंचक्की रह गई और उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला ही रह गया.ऐसा लगा कि वो गुस्से में पागल हो रही थी और वह ज़ोर से चिल्लाई- भाभी यह क्या कर रही हो? सतीश, तुम तो भाभी से ज़बरदस्ती कर रहे हो? उफ़ यह मैं क्या देख रही हूँ?
यह कह कर वो फर्श पर बिछे कारपेट पर बैठ गई और गुस्से में अपने बाल नोचने लगी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.मैं गीले लंड को लिए हुए ही भाभी के ऊपर से उठा और जाकर रति को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया ताकि वो अपने आप को ज़्यादा नुकसान ना पहुंचा सके.
लेकिन वो मुझे देख और भी बिफर गई और मुझ पर अपने हाथों से मुक्के मारने लगी.रति ने उस समय केवल नाइटी ही पहने हुए थी और वो मेरे साथ धींगा मुष्टि में एकदम ऊपर हो गई और उसकी चूत और मुम्मे एकदम नग्न हो गए..
 
मेरा भी लंड उसके सारे शरीर को छू रहा था और फिर मैंने फूर्ति से उसको अपने सामने कर लिया और उसके उफनते होटों पर अपने होंट रख दिए और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ा मार रहा था.जब वो थोड़ी ढीली पड़ी तो मैंने उसको नीचे कारपेट पर लिटा दिया और फ़ौरन उसकी जांघों में बैठ कर अपना गीला अकड़ा हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया.
वो अभी भी अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उसको ऊपर से ऐसा दबा दिया कि वो हिल ही ना सकी.
जैसे ही उसकी सूखी चूत ने मेरे लंड की गर्मी महसूस की, वो मेरे लंड को लपकने लगी.जैसे ही लंड लाल ने अंदर बाहर होने की प्रक्रिया शुरू की तो रति का गुस्सा धीरे धीरे शांत होने लगा और उसकी बाहें मेरे शरीर को अपने से जकड़ने लगी.
मैंने उसकी आँखों में झाँक कर देखा तो उनमें गुस्सा धीरे धीरे गायब होने लगा और उसके होंट मेरे लबों से अपने आप चिपक गए.आगे बढ़ कर उसकी भाभी ने उसके शरीर पर अभी ऊपर हुई नाइटी को उतार दिया और उसके मुम्मे चूसने शुरू कर दिए और दूसरी तरफ से लाजो ने भी वही काम शुरू कर दिया.
लाजो ने अपनी ऊँगली से उसकी चूत में भग को भी मसलना शुरू कर दिया.
अब रति की कमर उछल उछल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी और मेरी तीव्र धक्का शाही के बाद वो कुछ धक्कों में ही धराशायी हो गई.
जब उसका हिलना बंद हुआ तो मैं उसके ऊपर से हटा और उसके साथ ही कारपेट पर लेट गया.
भाभी अब उसके लबों पर गर्म चुम्बन दे रही थी और लाजो उसके मुम्मों के चूचुकों को चूस रही थी.मैं भी रति की चूत पर मुंह से चुसाई करने लगा और इस सामूहिक चोदन से रति का मूड एकदम बदलने लगा और वो भाभी को और लाजो को भी कामुकता से चूमने लगी.
मेरा मन अब कुछ शांत हुआ और मैं रति को फिर तैयार करके उसको आलखन से चोदने की सोचने लगा लेकिन रति को शायद कुछ ख्याल आ गया और वो फिर उद्विग्न हो कर उठ कर बैठ गई.
रति मेरी तरफ देख कर बोली- सतीश, तुम्हारा भाभी के साथ कब से चक्कर चल रहा है? और यह लाजो को कब से पटाया है तुमने? जवाब दो वरना मैं चिल्ला कर सारे मोहल्ले को सर पर उठा लूंगी.
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता, भाभी बीच में आ गई और रति को समझाने लगी- देख रति, सतीश की नौकरानी नैना मेरा इलाज कर रही है ताकि मैं माँ बन सकूँ. इसी सिलसिले में नैना ने बताया था कि मैं हमेशा खुश रहूं और कभी अकेली ना रहूँ.आज तुम्हारे भैया रात के लिए बाहर जा रहे थे तो मैंने सोचा मैं सतीश को यहाँ रात बिताने के लिए राज़ी कर लेती हूँ ताकि हम किसी तरह भी अकेली ना हों और सोचा कि वो कुछ तुम्हारा भी काम कर देगा और तुम्हारी भी पूरी तसल्ली हो जाएगी.
रति बोली- वो तो ठीक है लेकिन आप कैसे सतीश के साथ चुदाई कर रही थी?
भाभी बड़ी मासूमियत से बोली- वो मैं इधर से गुज़र रही थी कि सतीश के कमरे से कुछ आवाज़ें आ रही थी सो मैं इस कमरे के अंदर आ गई यह देखने के लिए सतीश को शायद कुछ चाहिये होगा? यह देख कर हैरान हो गई कि सतीश तो लाजो के साथ चुदाई में बिजी था लेकिन मुझ यह देख और भी अचरज हो रहा था कि सतीश की आँखें तो बंद थी और वो लाजो की चुदाई यह कह कर कर रहा था- रति तुम कितनी सुंदर हो, तुम्हारा शरीर कितना सुन्दर है रति, मेरी डार्लिंग रति, आज मैं तुम को छोड़ूंगा नहीं, सारी रात चोदता रहूंगा.
तभी लाजो बोल पड़ी- रति दीदी, भाभी ठीक कह रही हैं. यकीन मानिए, दरअसल सतीश साहिब मुझको रति समझ कर चोद रहे थे और बार बार आप का ही नाम लेते जा रहे थे. क्या आपका और सतीश साहिब का कोई चकर चल रहा है?
अब बोलने की मेरी बारी थी- सॉरी रति डार्लिंग, मुझको रात में चलने की आदत है और मुझको पता ही नहीं रहता कि मैं क्या कर रहा हूँ? मैं सपने में तो तुमको चोद रहा था. मुझ को बिल्कुल पता नहीं चला कि मैं लाजो को चोद रहा हूँ और फिर कब मैं भाभी पर चढ़ बैठा, मुझ को कुछ याद नहीं.
यह कहानी सुनाते हुए भाभी और लाजो एकदम सीरियस थी और मेरे हाथ रति की चूत और मुम्मों पर भटक रहे थे.रति कुछ सोच ही रही थी कि मैंने लपक कर उसके होटों पर कामुक चुम्बन देने शुरू कर दिए.भाभी उसकी चूत को चाटने लगी और लाजो ने उसके मुम्मों को चूमने और चूसने का प्रोग्राम शुरू कर दिया.
मैंने भी अपना खड़ा लंड उसके मुंह के पास लाकर उसके लबों पर फेरना शुरू कर दिया और फिर रति अपने आप को रोक नहीं सकी और उसने मुंह खोल कर मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया और गपागप चूसने लगी.
तब मैंने भाभी और लाजो की तरफ देखा और दोनों ने इशारा किया कि मैं रति को फिर एक बार चोद दूँ ताकि उसका मुंह सदा के लिए बंद हो जाए और हम सबका भांडा ना फोड़ सके.
जब रति काफी गर्म हो गई तो मैंने उसको घोड़ी बना दिया और फिर पीछे से अपने मोटे लंड को उसकी गीली चूत में डाल दिया और कभी पूरा अंदर और कभी पूरा बाहर निकाल कर उसकी शाही चुदाई शुरू कर दी.
थोड़ी देर में रति का ज़ोरदार स्खलन हो गया और वो कांपते हुए बिस्तर पर पसर गई.
जब वो कुछ संयत हुई तो मैं उसके कान के पास जा कर हल्के से फुसफुसाया- रति, अगर तुम इजाज़त दो तो मैं भाभी और लाजो को भी एक एक बार चोद दूं. दोनों ही लंड की प्यासी हो रही हैं तुमको चुदती देख कर, क्या कहती हो?
रति ने धीरे से हाँ में सर हिला दिया और मैं भाभी को लेकर मस्त चुदाई करने लगा और वो भी रति के साथ कारपेट पर लेट कर!भाभी ने रति का हाथ पकड़ कर अपने मस्त मोटे मुम्मों के ऊपर रख दिया और वो उनको दबाने लगी और चूचुकों के साथ खेलने लगी.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ा हुआ सरपट घोड़े दौड़ाता हुआ भाभी को छूटने के मुकाम पर ले आया और भाभी खूब ज़ोर से कांपती हुई झड़ गई और एकदम रति के साथ लिपट गई.दोनों आपस में एक प्रगाढ़ आलिंगन में बंधी हुई एक दूसरे को चूमने लगी.
अब मैंने लाजो की ओर ध्यान दिया, वो अपनी चूत में ऊँगली डाल कर कुछ आनन्द लेने की कोशिश रही थी, मैं भाभी की चूत से निकले गीले लंड को ले कर लाजो के पीछे खड़ा हो गया और उसको बेड पर हाथ टेक कर खड़ा कर दिया और एक ही झटके में उसकी फूली हुई चूत में लंड को डाल कर तीव्र धक्कों के साथ लाजो को चोदने लगा.
लाजो भी अत्यंत गर्म हो चुकी थी सो वो भी जल्दी ही धराशायी हो गई.फिर रति के कहने के मुताबिक हम चारों कार्पेट पर ही चादरें बिछा कर एक दूसरे की बाहों में सो गए और रात को मुझको याद पड़ता है कि रति और भाभी ने मुझको एक दो बार शायद चोदा था.

कहानी जारी रहेगी.
 

सामूहिक चोदन का प्रोग्राम


फिर रति के कहने के मुताबिक हम चारों कार्पेट पर ही चादरें बिछा कर एक दूसरे की बाहों में सो गए और रात को मुझको याद पड़ता है कि रति और भाभी ने मुझको एक दो बार शायद चोदा था.
अगले दिन जब रति और मैं कॉलेज पहुंचे तो सलोनी और उसकी सहेली रूही हमको गेट पर ही मिल गई.क्यूंकि मेरा पहला पीरियड फ्री था और वो दोनों भी फ्री थीं, मैं उन दोनों को लेकर कैंटीन चला गया और वहाँ चाय पीते हुए हम बातें करने लगे.
सलोनी बोली- सतीश जी, वो ग्रुप सेक्स करने में कुछ प्रोब्लम आ रही है जैसे कुछ लड़कियों को अपनी इज़्ज़त का ख्याल आ रहा है कि कहीं सामूहिक चोदन के बाद उनकी बदनामी ना हो जाए? या बाद में उनके घरवालों को पता ना चल जाए?
मैंने कहा- बिल्कुल सही कह रही हैं वो सब और मैं उनकी सोच से बिल्कुल सहमत हूँ. अब बोलो क्या करें?सलोनी बोली- वो कुछ बहुत अधिक मॉडर्न लड़कियाँ तो तैयार हैं लेकिन वो पहले उन लड़कों से जो आर्गी लिए तैयार हैं के साथ मिलना जुलना चाहती हैं और डेटिंग वेटिंग करना चाहती हैं ताकि वो एक दूसरे को अच्छी तरह से जान सकें और समझ सकें कि क्या वो लड़के उनके लिए योग्य हैं भी या नहीं.
मैं बोला- बिल्कुल ठीक सोच रही हैं वो लड़कियाँ. मेरे ख्याल में सलोनी तुम उन सब को आज मेरी कोठी में बुला लो वहाँ बैठ कर इस विषय में चर्चा भी कर लेते हैं और अगर किसी की मर्ज़ी हो तो वो एक दूसरे को फ़क भी कर सकते हैं, क्यों यह योजना कैसी रही?सलोनी एकदम खुश होती हुई बोली- यह ठीक रहेगा, आज मैं उन सब लड़कियों और लड़कों को आपके घर बुला लेती हूँ और वहीं सब कुछ डिस्कस कर लेते हैं. मैं लंच में आपको बता दूंगी कि कितने लोग हो जाएंगे वो सब!मैं बोला- ओके, फिर मिलते हैं लंच की छुट्टी में!

लंच ब्रेक में हम कोई 7-8 लड़के लड़कियाँ कैंटीन में इकट्ठे हुए और मैंने उन सबसे कहा- एक एक कोक की बोतल ले लि और कॉलेज के गार्डन में आ जाओ, वहीं बैठ कर बात कर लेते हैं.सब कोक की बोतलें लेकर कॉलेज के गार्डन में इकट्ठे हो गये और वहीं घास पर ही सब बैठ गए.
सलोनी ने सबका परिचय दिया और फिर हम संजीदा होकर बातें करने लगे कि कैसे ग्रुप सेक्स को आयोजित किया जाए ताकि किसी को कोई खबर भी ना लगे और सारा काम भी ढंग से हो जाए.मैंने कहा- हेलो फ्रेंड्स, मुझको उम्मीद है कि आप सब ही ग्रुप सेक्स में इंटरेस्टेड हैं?
सबने सर हिला दिया फिर मैंने उनसे पूछा- आप में से कितने आपस में प्रेमी है और अक्सर एक दूसरे से सेक्स करते हैं? प्लीज सब अपने साथियों के साथ बैठ जाएँ.सब लड़के लड़कियाँ अपने अपने साथी के साथ बैठ गए और एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया.
मैंने बोलना जारी रखते हुए कहा- आप सब ग्रुप सेक्स के नियम और कायदे से आमतौर पर वाकिफ होंगे. फिर भी मैं आपको संक्षेप में बता देना चाहता हूँ कि इस ग्रुप सेक्स का मुख्य मकसद होता है कि हम सब केवल अपने पार्टनर के साथ ही यौन क्रिया नहीं करते बल्कि सब उपस्थित लड़के लड़कियों को अपना पार्टनर बना कर सेक्स करते हैं. अगर ऐसा करने में किसी को भी कोई दिक्क्त हो या ऑब्जेक्शन हो तो उसको ग्रुप सेक्स में शामिल होने का सोचना ही नहीं चाहिए.क्यूंकि अपने निश्चत साथी के साथ सेक्स करने का मौका तो आप सबको हर समय ही प्राप्त है, अगर आप में किसी को भी इसमें कोई आपत्ति है तो वो अभी भी यह मीटिंग छोड़ कर जा सकता है.
कोई लड़का या लड़की मीटिंग में से जाने के लिए तैयार नहीं हुआ.यह देख कर हम सब मुस्करा पड़े क्यूंकि यह ही ग्रुप सेक्स का मुख्य आधार होता है कि सब अपने पार्टनर को एक्सचेंज करने के लिए पूरी तरह से तैयार हों.मैंने मीटिंग समाप्त करते हुए कहा- वेलकम टू ग्रुप सेक्स टीम!
सलोनी ने जाने से पहले सब युवाओं को बताया कि कल का दिन फिक्स किया है ग्रुप सेक्स के लिए और समय होगा दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक और किसी को भी खाने या पीने की कोई वस्तु लाने की ज़रुरत नहीं है, जो भी खर्चा होगा, उसको बाद में आपस में बाँट लिया जाएगा.
सलोनी बोलना जारी रखते हुए कहने लगी- सतीश की हाउसमेड बड़ी ही माहिर है सेक्स के मामले में, उसको बुला लिया है, अगर किसी को उसकी ज़रूरत पड़े तो उसकी मदद ले सकता है.थोड़ी देर में सब अपने क्लास के लिए चल पड़े सिवाए मेरे और सलोनी के.
मैंने सलोनी को रोक कर कहा- सलोनी डार्लिंग, तुम्हारा कोई पार्टनर नहीं आया क्या?सलोनी मुस्कराते हुए बोली- तुम्हारा भी पार्टनर कहाँ है? मैं तो अब तुम्हारी पार्टनर हूँ, क्यों मंज़ूर है?मैंने सलोनी का हाथ पकड़ते हुए कहा- बिल्कुल मंज़ूर है सलोनी जान… और आज शाम का क्या प्रोग्राम है डियर?सलोनी बोली- मैं तो खाली हूँ, क्या आ जाऊँ तुम्हारी कोठी?मैं खुश होते हुए बोला- ज़रूर आ जाओ, थोड़ी चुदाई की प्रैक्टिस कर लेते हैं.
 
जब मैं घर पहुँचा तो नैना न बताया कि पूनम का फ़ोन आया था कि वो कुछ दिनों बाद आएंगे और पूछ रही थी कि सतीश राजे का लंड कायम है ना और वैसे ही घोड़े की तरह दौड़ता है क्या?मैं हँसते हुए बोला- साली पूनम है बड़ी शौक़ीन माशूका… फिर तुमने क्या जवाब दिया?
नैना ने बताया- मैंने कहा कि सतीश राजे का लंड तो घोड़े की तरह हिनहिनाता रहता है तेरे लिए… तू आएगी तो देखना कि कैसे के लपक कर तुझको चोदने के लिए तुझ पर झपट पड़ेगा. फिर वो बोली कि सतीश के लंड को चखने की बड़ी इच्छा है लेकिन भैया भाभी साथ होंगे तो कुछ मुश्किल हो सकती है? मैंने उसको समझा दिया कि तू इसकी फिकर ना कर, हम तेरे को सतीश से चुदवा देंगे जितनी बार तू कहेगी.
हम ये बातें कर ही रहे थे कि सलोनी अपनी कार में बैठ कर आ गई.बैठक में आते ही उसने मुझको एक कामुक आलिंगन में बाँध लिया और मुझको लबों पर चुंबनों की झड़ी लगा दी और फिर मुझको छोड़ कर वो नैना से भी लिपट गई और उसको भी खूब चूमा चाटा.
फिर मैं सलोनी को लेकर अपने बैडरूम में चला गया और साथ में ही नैना को भी इशारे से कहा कि वो भी आ जाये.मैं और सलोनी एक दूसरे को चूम ही रहे थे लेकिन मैंने अपने साथ नैना को भी शामिल कर लिया और उसके मोटे गदाज़ चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.
सलोनी ने आगे बढ़ कर सबसे पहले मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और नैना सलोनी के कपड़े उतारने लगी.सलोनी दिखने में बहुत ही ज़्यादा सेक्सी और कामुक थी और जैसे वो पूर्ण तौर पर नंगी हुई उसके खूबसूरत जिस्म की चमक से नैना भी बहुत प्रभावित हुई और उसने झट उसके मुम्मों पर कब्ज़ा कर लिया और मैंने उसके गीले होटों पर अपने होटों को रख कर अपनी जीभ को उसके मुंह के अंदर डाल कर एक अच्छा खासा चुसम चुसाई का खेल शुरू कर दिया.
मेरा एक हाथ उसकी चूत के अंदर उसकी भग को सहला रहा था और दूसरे को उसकी गांड में डाल रखा था.सलोनी का भी एक हाथ मेरे सटीक खड़े लंड को मुट्ठी बना कर आगे पीछे कर रहा था.नैना भी अब सलोनी के मोटे गोल मुम्मों को चूसने और उसके निप्पलों के साथ खेलने में व्यस्त थी.
सलोनी अब मुझको खींच कर बेड की तरफ ले जा रही थी और मैं उसकी पनियाई चूत को चोदने के लिए व्यग्र हो रहा था. सलोनी ने मुझको बेड पर सीधा लिटा दिया और खुद एक कूद मार कर मेरे ऊपर विराजमान हो गई और नैना उसके पीछे बैठ कर उसके मुम्मों के साथ खलने लगी और सलोनी मुझको ऊपर से चोदने लगी.
सलोनी इतनी गर्म हो चुकी थी कि वो बिना सांस लिए जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही थी और अपनी आँखें बंद कर के चुदाई का आनन्द ले रही थी और मैं उसके चूतड़ों के नीचे दोनों हाथ रख कर उसको और भी तेज़ी के लिए प्रेरित करने लगा.
नैना भी उसके पीछे बैठ कर उसके मुम्मों और चूत में स्थित भग को मसल रही थी ताकि सलोनी जल्दी से स्खलित हो जाए.थोड़ी देर की मेहनत के बाद ही सलोनी में छूटने के आसार दिखने लगे जैसे उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी आँखें भी बंद हो गई और उसकी सांस एकदम तेज़ चलने लगी.अब उसकी स्पीड भी बहुत तेज़ हो गयी और वो ओह्ह्ह्ह्ह… हाय… हाय… करते हुए झड़ गई और अपने शरीर को एकदम ढीला छोड़ कर मेरे ऊपर लुढ़क गई.
नैना ने भी उसको बिस्तर पर पूरी तरह से लिटा दिया और खुद मुझको चूमने लगी और अपने हाथों से मेरा गीला लंड पकड़ उसको चूमने लगी.
मैंने भी मौका देखकर नैना को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी टाइट पर फूली हुई चूत में अपना अकड़ा हुआ लंड डाल दिया और पूरी स्पीड से उसकी चुदाई शुरू कर दी.मैं नैना की रग रग से वाकिफ था सो मैं जानता था कि कैसे और कब वो स्खलित हो जायेगी.
मैं पहले उसको बहुत तेज़ी से चोद रहा था और फिर धीरे धीरे से चुदाई की स्पीड एकदम आहिस्ता करने लगा और फिर एकदम रुक रुक कर उसको चोदने लगा.नैना अब खुद ही मुझको अपनी गांड को आगे पीछे कर चुदाई की स्पीड को निर्धारित करने लगी.
मैं नैना की गांड पर हल्के हल्के थप्पड़ मारने लगा और मेरे ऐसे करने का लुत्फ़ उठाती हुई नैना ने अपनी चुदाई स्पीड एकदम तेज़ कर दी और मैं सिर्फ चुदाई का आनन्द लेते हुए केवल उसकी गांड को पकड़ कर बैठा रह गया.
 
फिर मेरे लंड ने नैना की चूत के अंदर की हलचल को महसूस किया, वो उसके गहरे हिस्से तक चला गया, मैंने उसके चूतड़ों को अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और फिर उसकी आंतरिक सिकुड़न शुरू हो गई और वो मेरे लंड को दोहने की कोशिश करने लगी.
कुछ ही क्षणों के बाद वो पूर्ण तरह से स्खलित हो गई और अपने शरीर को ढीला छोड़ कर बिस्तर पर पसर गई.जब मैंने उसकी चूत में से लंड को निकाला तो एक ज़ोरदार पटाके सी आवाज़ आई और मेरा लौड़ा विजयी सांड की तरह चूत में से सर उठा कर निकल आया और हवा में लहलाते हुए झूमने लगा.
दो दो मस्त सुंदरियों पर विजयी हो कर निकला था सो उसका लहलहाना वाजिब ही था.अब मैं मज़े में उन दोनों काम की देवियों के बीच में आलखन फरमा रहा था.
सब से पहले सलोनी ने आँख खोली और अपनी मस्त नशीली आँखों से मेरे अभी मस्त लौड़े को लहलहाते देखा और ज़ोर से हुंकार भरी और बोली- ज़्यादा मत इतरा बे, मैं जल्दी ही तेरा घमंड तोड़ के रख दूंगी. समझा के नहीं साले?मैं भी मुस्कराते हुए बोला- ऐ घमंडी लड़की, तू पूरा दम लगा ले, यह तेरे सामने या फिर तेरे जैसी दर्जनों कड़क लड़कियों या औरतों के सामने कभी भी सर नहीं झुकाएगा, ऐसा मेरा मानना है.
यह कह कर मैंने सलोनी और नैना को अपनी बाहों में ले कर एक पूरी तसल्ली वाली जफ्फी मारी और उन दोनों का धन्यवाद किया.
थोड़े समय के आलखन के बाद नैना बोली- सलोनी, क्या तुमने हर लड़की को यह समझा दिया है कि उनको चुदाते हुए गर्भवती होने के खतरा हर समय रहेगा. क्या वो इस संभावना से परिचित हैं?सलोनी ने थोड़ा घबराते हुए बोला- नहीं नैना दीदी, इस संभावना की और तो हमारा किसी का ध्यान गया ही नहीं?
नैना बोली- वो तो ठीक है, लेकिन इसका कुछ तो उपाय करना पड़ेगा?सलोनी बोली- मुझको कुछ समझ ही नहीं कि इसके बारे में क्या करें अब?
नैना बोली- अरे तुम लड़कियाँ इतने दिनों से खतरनाक तरीके से सेक्स करती रही हो? शुक्र करो आप में से कोई भी लड़की माँ बनने के जाल में नहीं फँसी नहीं तो ना सिर्फ आप लोगों की बदनामी ही होती बल्कि जीवन को खतरा बन सकता था.सलोनी अब घबरा गई और रोनी सूरत बना कर पूछने लगी- नैना दीदी, तुम्ही बताओ क्या करें जिससे सब लड़कियों की हानि ना हो?
नैना कुछ सोचते हुए बोली- कल जब ग्रुप सेक्स शुरू होगा, उससे पहले मैं सब लड़कियों को समझा दूंगी और कुछ उपाय भी कर दूंगी, तुम घबराओ नहीं सलोनी डार्लिंग.मैं बोला- लेकिन नैना डार्लिंग, उन लड़कों का क्या होगा जिनकी चुदाई का समय बहुत ही कम होगा यानि वो शीघ्र पतन के शिकार होंगे और जल्दी ही घुड़सवारी से गिर जाएंगे?
नैना बोली- उनका भी इलाज मेरे पास है, खेल शुरू करने से पहले मैं उनका भी कुछ उपचार कर दूंगी. सिर्फ आपको उन सब लड़कों को मेरा बताया हुआ उपचार करने के लिए बाध्य करना पड़ेगा. बोलो हाँ?मैं और सलोनी बोली- हाँ जी हाँ!

कहानी जारी रहेगी.
 

ग्रुप सेक्स यानि सामूहिक चूत चोदन


नैना कुछ सोचते हुए बोली- कल जब ग्रुप सेक्स शुरू होगा, उससे पहले मैं सब लड़कियों को समझा दूंगी और कुछ उपाय भी कर दूंगी, तुम घबराओ नहीं सलोनी डार्लिंग.
मैं बोला- लेकिन नैना डार्लिंग, उन लड़कों का क्या होगा जिनकी चुदाई का समय बहुत ही कम होगा यानि वो शीघ्र पतन के शिकार होंगे और जल्दी ही घुड़सवारी से गिर जाएंगे?
नैना बोली- उनका भी इलाज मेरे पास है, खेल शुरू करने से पहले मैं उनका भी कुछ उपचार कर दूंगी. सिर्फ आपको उन सब लड़कों को मेरा बताया हुआ उपचार करने के लिए बाध्य करना पड़ेगा. बोलो हाँ?

मैं और सलोनी बोली- हाँ जी हाँ!
अगले दिन कॉलेज के बाद ग्रुप सेक्स के सब सदस्य सलोनी के घर इकट्ठे होने शुरू हो गए. कुल मिलाकर 5 जोड़े थे जो बाहर से आये थे और सलोनी और मुझको मिला कर 6 युगल हो गए थे.नैना और सलोनी सब लड़कियों को अपने साथ लेकर एक बैडरूम में चली गई और लड़कों के साथ मुझको समझाने का कार्यक्रम करने का हुक्म हुआ.
मैंने लड़कों को इस सारे कार्यक्रम को गुप्त रखने की शपथ दिलाई और उनको अच्छी तरह से समझा दिया कि अगर इस ग्रुप सेक्स की भनक अगर किसी को भी पड़ गई तो हम सबके चाल चलन पर उँगलियाँ उठ सकती हैं तो सबको इस कार्यक्रम के बारे में कोई भी डींग हांकने से अपने आप को रोकना होगा.

फिर मैंने एक एक लड़के से उनके सेक्स के अनुभव के बारे में पूछा तो सबने यही विश्वास दिलाया कि वो सब 2-3 पार्टनर्स के साथ सेक्स कर चुके हैं और उनको अपने अभी के सेक्स पार्टनर का किसी और से सम्बन्ध के बारे में कोई ऐतराज़ नहीं होगा.यह पूछे जाने पर वो लड़कियों में प्रेगनेंसी न हो पाये के बारे में क्या प्रबंध कर रहे हैं तो सबने कहा कि वे काफी सारे कंडोम साथ ले कर आये हैं और वो कंडोम लगा कर ही लड़कियों की चूत चुदाई करेंगे.
थोड़ी देर में नैना सब लड़कियों को लेकर वापस कमरे में आई और आते ही उसने कहा- सबको पूरी तरह से समझा दिया!जवाब में मैंने भी उसको बताया कि मैंने लड़कों को भी पूरी तरह से समझा दिया है.और विश्वास व्यक्त किया कि सब अपना दिया हुआ वायदा याद रखेंगे और आगे चल कर आज के सामूहिक चोदन प्रोग्राम के बारे में किसी से भी कोई ज़िक्र नहीं करेंगे.
अब प्रश्न उठा कि लड़के और लड़की की जोड़ी का चयन कैसे किया जाए.नैना और मैंने आपस में सलाह करने के बाद यह फैसला किया कि सब लड़कों के नाम की एक एक चिट बना कर एक जगह रख दी जायेगी और सब लड़कियाँ बारी बारी से एक चिट उठाएंगी और जिस लड़के का नाम उस चिट पर होगा वो लड़का उनका शुरू का पार्टनर होगा.उसके बाद के पार्टनर एक दूसरे की सहमति से ही चुने जाएगा और किसी किस्म की कोई ज़बरदस्ती नहीं की जायेगी.
हर लड़की एक चिट उठाती थी और उस पर लिखे लड़के का नाम ज़ोर से बुलाती थी और फिर वो उसके साथ जाकर खड़ी हो जाती थी.मेरा नाम अंत में पुकारा गया और मेरे हिस्से में एक साधारण रूप रंग वाली लड़की ही आई और वो जल्दी ही आकर मेरे साथ खड़ी हो गई और हम दोनों ने बड़ी गर्म जोशी से एक दूसरे का हाथ मिलाया.
जब सब जोड़ियाँ बन गई और एक दूजे के साथ खड़ी हो गई तो मैंने और नैना ने सब को अच्छी तरह से देखा भाला.सलोनी ने अपनी कोठी का हाल कमरा इस काम के लिए चुना था और वहाँ 7-8 मोटे गद्दे और तकिये फर्श पर बिछे हुए थे.
छोटे से नाश्ते पानी के बाद नैना ने एक ख़ास किस्म के स्वादिष्ट दूध को बना रखा था जो उसने सबको पिला दिया.
मेरे साथ वाली लड़की का नाम रूचि था और वो गंदमी रंग की छोटे छोटे उरोजों और छोटे चूतड़ों वाली थी.उसको देख कर मन में कोई विशेष उत्साह नहीं जगा था और फिर मैंने बाकी लड़कियों ध्यान से देखा.
उनमें से 3 काफी सुन्दर शरीर वाली और मनमोहक लग रही थी लेकिन उनके हिस्से में आये लड़के भी एकदम साधारण से दिख रहे थे. यह तो लाटरी थी जिसके हिस्से में जो माल आया उसको उससे सब्र करना था.
फिर हम एक दूसरे संग चुम्बन और आलिंगन करने में व्यस्त हो गए.रूचि बहुत ही अधिक कामुक थी और वो चूमते हुए अपनी चूत को मेरे लौड़े के साथ कपड़ों के बाहर से ही रगड़ रही थी और मेरी कमीज के बटन भी खोल रही थी.
मैंने भी उसके छोटे परन्तु गोल उरोजों को मसलना शुरू कर दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सररर से उतरती सलवार को बीच में हाथ से रोक दिया और इसी बहाने उसकी चूत पर छाये काली ज़ुल्फ़ों को सहला दिया.यह मौका देख कर रूचि ने मेरी पैंट को उतारना शुरू कर दिया और तभी मैंने अपने चारों तरफ देखा तो मेरे साथ वाले गद्दे पर युगल अपने कपड़े उतार कर चुदाई में संलग्न होने वाले ही थे.
और दूसरी तरफ के युगल अभी भी किसिंग में ही मशगूल थे हालाँकि उनके हाथ एक दूसरे के शरीर के गुप्त अंगों पर चल रहे थे.
 
अब मैंने जल्दी करते हुए कुछ ही क्षणों में रूचि को निर्वस्त्र कर दिया और उसने भी मुझे वस्त्रहीन कर दिया.जब मेरा लंड उछल कर रूचि के हाथ में आया तो उसके मुंह में से तेज़ आवाज़ में ‘हाय लखन…’ निकल गया.
सबकी नज़र एकदम हम दोनों पर आ टिकी और जब सबने मेरे लंड के साइज को देखा तो सारी लड़कियाँ कुछ पूरी नंगी और कुछ अधनंगी दौड़ कर हमारे पास आ गई और बड़ी ही हैरानी से मेरे लौड़े को देखने लगी.
सब लड़कियाँ उत्सुकता से मेरे लंड को देख कर उसको छू भी रही थी और उसको ऊपर नीचे भी करने की कोशिश कर रही थी.कुछ ने नीचे झुक कर उसको चूमने की कोशिश भी की लेकिन मैंने मना कर दिया और कहा- बाद में हम सब करेंगे इस लंड को प्यार… तब तक रहो अपने वाले लंड के साथ!
इस सामूहिक चोदन प्रोग्राम की तीनों सुंदरियों ने मुझसे आँखें चार कर के आखों में ही इल्तजा की हमें मत भूल जाना.सब लड़कियाँ अब काफी गर्म हो चुकी थी, उनके साथियों ने उनकी चुदाई शुरू कर दी थी.
ज्यादातर युगल लड़की नीच और लड़का ऊपर वाले आसन में चुदाई में मग्न थे लेकिन मैंने रूचि को अपनी गोद में बिठा कर बहुत ही अधिक टाइट चूत में लंड को डाल कर कभी धीरे और कभी तेज़ चुदाई का क्रम शुरू कर दिया.
रूचि भी अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर बहुत तीव्रता से झूला झूलते हुए आगे पीछे हो रही थी.वो थोड़ी थोड़ी देर बाद की चुदाई में 3-4 बार छूट चुकी थी और हर बार उसके छूटने पर वो हल्के से कांपती थी और फिर वो छुटाने के लिए झट दोबारा तैयार हो जाती थी.
अब मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया लेकिन उसके मुंह से हलकी हाय हाय निकल रही थी जिससे मैं चिंतित हकर उस से बोला- रूचि अगर दर्द हो रहा है तो निकाल लूं क्या?उसने मुस्करा कर पीछे मुड़ कर देखा और कहा- अरे सतीश यार, इस दर्द में भी कितन मज़ा छुपा है. यह चुदाई मुझको ज़िंदगी भर याद रहेगी! उफ्फ्फ मेरी माँ!
फिर मैंने जल्दी करके उसको अंतिम बार चरम सुख दे दिया और वो पूरी तरह से थक हार कर गद्दे पर पसर गई.अपन गीला लंड निकाला और साथ वाली जोड़ी की तरफ देखा तो लड़का तो बेसुध पड़ा था लेकिन उसकी साथी लड़की मुझको बड़ी गौर से देख रही थी और मैंने उसको इशारा किया और उसको अपने गद्दे पर बुला लिया.जैसे हो वो आई, उसने मेरे कान में फुस्फसाहट में कहा- शर्मीली मेरा नाम है सतीश जी!
मैंने भी कहा- वेलकम शर्मीला जी, तुम सुंदरता का जीता जागता नमूना हो यार! क्या रंगत है और क्या शरीर की बनावट है… उफ़ मेरे मौला मेरी खैर रखियो.शर्मीला हंस पड़ी- क्यों सतीश राजा, मुझसे डरते हो क्या? क्या मैं तुमको खा जाऊँगी?मैं भी हंस कर बोला- काश ऐसा हो सकता कि तुम मुझको खा जाती तो मैं हर वक्त तुम्हारे साथ रहता.
शर्मीली ने मेरा गीला लंड पकड़ रखा था और उसको ऊपर नीचे कर रही थी. मैं भी उसके गोल और शानदार मुम्मों को सहला रहा था.फिर उंगली से उसकी चूत को महसूस किया तो वो सूखी थी एकदम!मैं बोला- यह क्या है शर्मीली? क्या तुमको अभी फक नहीं किया उस लड़के ने?
शर्मीली बोली- फक तो किया साले ने… पर उसकी लुल्ली बहुत ही छोटी थी, उससे मेरा कुछ नहीं बना तो अब तुम्हारी शरण में हूँ, देखो तुम क्या करते हो?मैं बोला- ऐसा है क्या? चैलेंज दे रही हो मुझको?वो हँसते हुए बोली- यही समझ लो जानी, अगर मेरा पानी छूटा दो तो एक के साथ एक फ्री?
मैं बड़े ज़ोर से हंस पड़ा जिसको देख कर बाकी युगल अपना काम छोड़ कर मुझको देखने लगे.मैंने उन सबको इशारा किया कि लगे रहो भाइयो अंदर बाहर की गेम में!
शर्मीली को अब मैंने अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों पर एक कामुक चुंबन दे दिया, साथ में ही उसकी चूत जो सफाचट थी, में अपनी ऊँगली डाली और उसकी भग को मसलने लगा.भग पर हाथ लगते ही वो चिहुंक कर उछल पड़ी.
मैंने उसको लिटा दिया और स्वयं उसकी जांघों के बीच बैठ कर उसकी चूत को चूसने लगा.
चूत पर मुंह लगते ही वो फिर उछल पड़ी लेकिन मैंने भी हाथों से उसकी कमर को पकड़ रखा था और फिर खूब तेज़ी से उसकी भग को अपने होटों में रख कर खेलने लगा.उसकी कमर और गांड काफ़ी हिल रही थी लेकिन मैंने भी उसको नहीं छोड़ा और अपने मुंह से उसकी चूत और भग को बार बार चूसने और चाटने लगा.
धीरे धीरे उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया और वो अब स्वयं अपनी चूत को मेरे मुंह से जोड़ कर अपनी कमर ऊपर कर रही थी.जब तंदूर तप गया तो मैंने उसको चित लिटा कर और एक झटके से अपने अकड़े लंड को उसकी फूली चूत में डाल दिया.लंड का अंदर प्रवेश होते ही उसकी कमर एकदम ऊपर उठी और मेरे लंड को पूरा अंदर लील गई.
अब मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसको मस्ती से चोदना शुरू कर दिया. शर्मीली ने अब अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मेरे लंड के करतब का मज़ा लेने लगी.थोड़ी देर की धक्काशाही के बाद वो एकदम ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी और वो हाय हाय करती हुई झड़ गई.
 
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