desiaks
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झड़ने से पहले शर्मीली ने मुझको कस कर आलिंगनबद्ध कर लिया और मेरा मुंह चुम्बनों से भर दिया.जब शर्मीली ने आँख खोली तो मैंने उसको आँखों से ही इशारे से कहा कि मैं इधर उधर मुंह मार लेता हूँ जब तक तुम रेस्ट कर लो.उसने भी ख़ुशी से हाँ कर दी.
और फिर मैंने इधर उधर देखा कि कौन सी गद्दे वाली चुदवाने के लिए तैयार है. दो गद्दे छोड़ कर एक और ख़ूबसूरती का मुजस्समा मेरी तरफ टिकटिकी बाँध कर देख रहा था.जैसे ही हम दोनों की आँखें मिली, उसने मुस्करा कर मुझको हाथ के इशारे से अपने गद्देदार महल में बुला लिया.मैं भी जल्दी से उठा और उस हसीना के महल में तख्तनशीन हो गया.
उसने अपना नाम ज़ुल्फी बताया और उसके नाम के अनुरूप ही उसके सर और चूत की ज़ुल्फ़ें थी, घनी, रेशमी और काली!मैंने जाते ही अपना सर उसके सर की ज़ुल्फ़ों में छुपा दिया… क्या खुशबू थी… माशाअल्लाह!!
वो बड़े ही आहिस्ता और शाइस्तगी से बोली- खैर मुकदम हज़ूर-ऐ-आली, आपके जिन्सी करतब देख रही थी! वाह क्या कुवते मर्दानगी है… क्या यह नाचीज़ आपकी मर्दानगी का एक जलवा देख सकती है?मै बोला- ऐ मल्लिका-ऐ-हुस्न, आप पर कई सैकड़ो मर्दानगियाँ न्यौछावर हैं, आप हुक्म कीजिये, ग़ुलाम आपके लिए क्या कर सकता है?
वो भी वैसे ही मुस्कराते हुए बोली- हज़ूर-ऐ-अनवर, बस सिर्फ एक बार आप अपने से इस हथियारे जिन्सी(लंड) से लौंडिया की गुफाये- ऐ-जन्नत (चूत) की सैर करवा दीजिये..
यह सारी बातें दूसरे लड़के और लड़कियाँ गौर से सुन रहे थे और जैसे ही चूत की सेवा का ज़िक्र आया तो सब ज़ोर से हंस पड़े.मैंने नकली गुस्से से उन सबको देखा और उन सबको कहा- इन खूबसूरत मोहतरमा की दिली ख्वाहिश को पूरा करना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ.
बाकी सदस्य हमारे बिस्तर के चारों तरफ खड़े हो गए और इस चूत और लंड के दंगल को देखने के लिए तैयार हो गए.उनके साथ उनकी पार्टनर्स भी थी जो उन लड़कों के आगे थी और उनके साथी लड़के उनके पीछे अपने अधखड़े लण्डों को हाथ में ले कर अपनी साथियों के चूतड़ों के साथ रगड़ रहे थे.आलम यह था कि चारों तरफ ग्रुप सेक्स के कारण सेक्स की खशबू फैली हुई थी और जिसको सूंघ कर वैसे ही इंसान पागल हो रहे थे.
मैंने मोहतरमा से पूछा- ऐ मल्लिका-ऐ-हुस्न आप अपने गुफाये जिन्सी में किस तरह से हल चलवाना चाहती हैं? लेट कर या घोड़ी बन कर या फिर मल्लिके-ऐ-अवध की तरह तख़्त पर बैठ कर?वो बोली- ऐ मेरे ज़र खरीद ग़ुलाम, हम तुम्हारे ऊपर अपना तख़्त लगाकर तुम्हारे इस औज़ारे जांघवी को चखना चाहते हैं.
मैं अपने लौड़े को एकदम सीधा खड़ा करके गद्दे पर बैठ गया और तब बाकी सब लड़कियों ने आगे बड़ कर ज़ुल्फी को मेरे लौड़े के ऊपर बिठा दिया और मैंने उसके मोटे और गोल चूतड़ों को पकड़ कर अपने जिन्सी औज़ार पर बिठा दिया.
ज़ुल्फी ऊपर से काफी देर ऊपर नीचे होती रही पर जब मैंने देखा कि उसको छूटने में परेशानी हो रही है तो मैंने उसको घोड़ी बना कर ज़बरदस्त चुदाई शुरू कर दी और वो थोड़ी देर में ही पस्त हो गई और चिल्लाती हुई- मरी रे मरी रे… छूट गई!
फिर मैं उठा और अपने अकड़े खड़े लंड को हवा में लहलाते हुए बोला- कोई लड़की जिसका एक बार भी ना छूटा हो, वो सामने आये,उसकी दिल की तमन्ना पूरी करने की कोशिश की जा सकती है.
कोई भी लड़की सामने नहीं आई तो फिर मैंने सब लड़कियों से पूछा- आप में से कोई ऐसी लड़की है जो मुझसे चुदवाने की ख्वाहिश रखती हो, वो भी सामने आ सकती है और अपनी इच्छा ज़ाहिर कर सकती है?एक गौरी लड़की सामने आई, उसने कहा- मेरा नाम डायना है और मैं एंग्लो इंडियन हूँ और मेरी दिली खवाहिश है कि मैं सतीश राजा से एक बार फक करवाऊँ अगर उनको कोई ऐतराज़ ना हो तो!
मैंने मुस्कराते हुए कहा- तुम्हारा वेलकम है… लेकिन मैं सोचता हूँ बाकी सबको सिर्फ आपके लिए रोके रखना ठीक नहीं है, आप मेरे साथ मेरी कोठी में चल सकती हैं, वहाँ आपकी पूरी तसल्ली कर दी जायेगी. क्यों नैना ठीक है ना?नैना ने भी हामी भर दी.
एक दूसरे को चूमने के बाद कपड़े पहन कर सब जाने के लिए तैयार हो गए. और जाने से पहले सबने एक दूसरे को थैंक्स किया और सलोनी को भी धन्यवाद दिया.सबने जाते हुए अपने टेलीफोन नंबर बता दिए और यह वायदा भी किया कि फिर ज़रूर मिलेंगे.
मैंने नैना को बोला- तुम रिक्शा कर के घर पहुँचो, मैं डायना को लेकर घर आता हूँ.
कहानी जारी रहेगी.
और फिर मैंने इधर उधर देखा कि कौन सी गद्दे वाली चुदवाने के लिए तैयार है. दो गद्दे छोड़ कर एक और ख़ूबसूरती का मुजस्समा मेरी तरफ टिकटिकी बाँध कर देख रहा था.जैसे ही हम दोनों की आँखें मिली, उसने मुस्करा कर मुझको हाथ के इशारे से अपने गद्देदार महल में बुला लिया.मैं भी जल्दी से उठा और उस हसीना के महल में तख्तनशीन हो गया.
उसने अपना नाम ज़ुल्फी बताया और उसके नाम के अनुरूप ही उसके सर और चूत की ज़ुल्फ़ें थी, घनी, रेशमी और काली!मैंने जाते ही अपना सर उसके सर की ज़ुल्फ़ों में छुपा दिया… क्या खुशबू थी… माशाअल्लाह!!
वो बड़े ही आहिस्ता और शाइस्तगी से बोली- खैर मुकदम हज़ूर-ऐ-आली, आपके जिन्सी करतब देख रही थी! वाह क्या कुवते मर्दानगी है… क्या यह नाचीज़ आपकी मर्दानगी का एक जलवा देख सकती है?मै बोला- ऐ मल्लिका-ऐ-हुस्न, आप पर कई सैकड़ो मर्दानगियाँ न्यौछावर हैं, आप हुक्म कीजिये, ग़ुलाम आपके लिए क्या कर सकता है?
वो भी वैसे ही मुस्कराते हुए बोली- हज़ूर-ऐ-अनवर, बस सिर्फ एक बार आप अपने से इस हथियारे जिन्सी(लंड) से लौंडिया की गुफाये- ऐ-जन्नत (चूत) की सैर करवा दीजिये..
यह सारी बातें दूसरे लड़के और लड़कियाँ गौर से सुन रहे थे और जैसे ही चूत की सेवा का ज़िक्र आया तो सब ज़ोर से हंस पड़े.मैंने नकली गुस्से से उन सबको देखा और उन सबको कहा- इन खूबसूरत मोहतरमा की दिली ख्वाहिश को पूरा करना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ.
बाकी सदस्य हमारे बिस्तर के चारों तरफ खड़े हो गए और इस चूत और लंड के दंगल को देखने के लिए तैयार हो गए.उनके साथ उनकी पार्टनर्स भी थी जो उन लड़कों के आगे थी और उनके साथी लड़के उनके पीछे अपने अधखड़े लण्डों को हाथ में ले कर अपनी साथियों के चूतड़ों के साथ रगड़ रहे थे.आलम यह था कि चारों तरफ ग्रुप सेक्स के कारण सेक्स की खशबू फैली हुई थी और जिसको सूंघ कर वैसे ही इंसान पागल हो रहे थे.
मैंने मोहतरमा से पूछा- ऐ मल्लिका-ऐ-हुस्न आप अपने गुफाये जिन्सी में किस तरह से हल चलवाना चाहती हैं? लेट कर या घोड़ी बन कर या फिर मल्लिके-ऐ-अवध की तरह तख़्त पर बैठ कर?वो बोली- ऐ मेरे ज़र खरीद ग़ुलाम, हम तुम्हारे ऊपर अपना तख़्त लगाकर तुम्हारे इस औज़ारे जांघवी को चखना चाहते हैं.
मैं अपने लौड़े को एकदम सीधा खड़ा करके गद्दे पर बैठ गया और तब बाकी सब लड़कियों ने आगे बड़ कर ज़ुल्फी को मेरे लौड़े के ऊपर बिठा दिया और मैंने उसके मोटे और गोल चूतड़ों को पकड़ कर अपने जिन्सी औज़ार पर बिठा दिया.
ज़ुल्फी ऊपर से काफी देर ऊपर नीचे होती रही पर जब मैंने देखा कि उसको छूटने में परेशानी हो रही है तो मैंने उसको घोड़ी बना कर ज़बरदस्त चुदाई शुरू कर दी और वो थोड़ी देर में ही पस्त हो गई और चिल्लाती हुई- मरी रे मरी रे… छूट गई!
फिर मैं उठा और अपने अकड़े खड़े लंड को हवा में लहलाते हुए बोला- कोई लड़की जिसका एक बार भी ना छूटा हो, वो सामने आये,उसकी दिल की तमन्ना पूरी करने की कोशिश की जा सकती है.
कोई भी लड़की सामने नहीं आई तो फिर मैंने सब लड़कियों से पूछा- आप में से कोई ऐसी लड़की है जो मुझसे चुदवाने की ख्वाहिश रखती हो, वो भी सामने आ सकती है और अपनी इच्छा ज़ाहिर कर सकती है?एक गौरी लड़की सामने आई, उसने कहा- मेरा नाम डायना है और मैं एंग्लो इंडियन हूँ और मेरी दिली खवाहिश है कि मैं सतीश राजा से एक बार फक करवाऊँ अगर उनको कोई ऐतराज़ ना हो तो!
मैंने मुस्कराते हुए कहा- तुम्हारा वेलकम है… लेकिन मैं सोचता हूँ बाकी सबको सिर्फ आपके लिए रोके रखना ठीक नहीं है, आप मेरे साथ मेरी कोठी में चल सकती हैं, वहाँ आपकी पूरी तसल्ली कर दी जायेगी. क्यों नैना ठीक है ना?नैना ने भी हामी भर दी.
एक दूसरे को चूमने के बाद कपड़े पहन कर सब जाने के लिए तैयार हो गए. और जाने से पहले सबने एक दूसरे को थैंक्स किया और सलोनी को भी धन्यवाद दिया.सबने जाते हुए अपने टेलीफोन नंबर बता दिए और यह वायदा भी किया कि फिर ज़रूर मिलेंगे.
मैंने नैना को बोला- तुम रिक्शा कर के घर पहुँचो, मैं डायना को लेकर घर आता हूँ.
कहानी जारी रहेगी.