desiaks
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फिर मैंने डायना को एक और गर्मागर्म चुम्मी की और उसके मोटे गोल मम्मे दबाते हुए मैं बाहर जाने के लिए चल पड़ा और डायना भी मुझको बाहर तक छोड़ने के लिए आई.
कोठी में नैना मेरा इंतज़ार कर रही थी, मुझको देखते ही मुझ पर बरस पड़ी- छोटे मालिक तुम भी ना ज़रा ध्यान नहीं रखते अपना? गर्ल्स हॉस्टल में जाने की क्या ज़रूरत थी? तुम पर बड़ी भारी मुसीबत आ सकती थी और तुम बुरी तरह फंस सकते थे!
मैं भी शर्मिंदा होते हुए बोला- वेरी सॉरी नैना… लेकिन मैं क्या करता मैं तो गोरी चमड़ी के चक्कर में फंस गया था और तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो, मैं तो फंसते फंसते बचा हूँ.फिर मैंने उसको सारी कहानी सुना दी.
खाना खाने के बाद नैना ने बताया कि मेरे पीछे पूनम के भाई और भाभी का फ़ोन आया था और वो सब कल दोपहर में पहुँच रहे हैं और उनके साथ 4-5 दूसरी औरतें भी होंगी, कल उनके रहने का इंतज़ाम भी करना पड़ेगा, कैसे करें यह सब?
मैं बोला- भैया भाभी को नीचे का मम्मी के कमरे के साथ वाला कमरा दे दो और जो बाकी औरतें होंगी उनको ऊपर कमरे दे दो, मेरे कमरे के साथ वाले कमरे. क्यों यह ठीक नहीं है क्या?
नैना कुछ झुंझलाई हुई लग रही थी लेकिन मैंने उसको जफ्फी मारी और साथ में उसको एक कामुक चुम्मी भी की और उसको थोड़ा प्यार व्यार किया तो वो कुछ संयत हुई.
अगले दिन मैं जब कॉलेज से लौटा तो कोठी में काफी हलचल थी, सारे मेहमान आ चुके थे, वे मुझको बैठक में ही मिल गए.पूनम और उसके परिवार के लोग बड़े गर्म जोशी से मिले और पूनम ने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया.नैना ने उनके खाने का बड़ा अच्छा अरेंजमेंट किया हुआ था, सबने खाने की बड़ी तारीफ की और नैना और पारो की मेहनत को खूब सराहा.
अब मैंने आने वाले मेहमानों को ध्यान से देखा.पूनम के भैया काफी स्मार्ट और पढ़े लिखे लग रहे थे, उनके साथ आई औरतों को देखा तो पूनम की भाभी काफी सुंदर और नखरे वाली लगी.
उनके साथ आई औरतों में से 2 पूनम की दूर की भाभियाँ थीं जो ज़्यादा स्मार्ट तो नहीं थी लेकिन शरीर से काफी सेक्सी लग रही थी.उनमें 3 कमसिन उम्र की लड़कियाँ भी थी जो काफी आधुनकि सलवार सूट पहने हुये थीं लेकिन दिखने में कोई ख़ास सूंदर नहीं लगी मुझको!
नैना ने उनके सोने का इंतज़ाम ऐसा किया हुआ था कि भैया भाभी को नीचे एक कमरे में और बाकी सब ऊपर मेरे कमरे के साथ वाले 3 कमरों में ठहरा दी गई थीं.रात बड़ी देर तक पूनम और उसके रिश्तेदार औरतें मेरे कमरे में बैठी रही और खूब बतियाती रही.
उनमें से एक बहुत ही तेज़ भाभी, जिसका नाम चंचल था, मेरे से बार बार आँखें चार कर रही थी और कई बार मैंने उसको मुझको बेशर्मी से घूरते हुए पाया.एक दो बार वो उठते बैठते हुए मुझको छू जाती और आँखों ही आँखों में मुझको इशारा भी कर रही थी.
पहले वो मेरे सामने ही बैठी थी लेकिन फिर वो टॉयलेट होकर आई तो मेरे साथ खाली जगह पर बैठ गई और उसके कंधे मेरे कन्धों से रगड़ खा रहे थे.जब वो साथ बैठी तो दो बार उसने जानबूझ कर अपने मम्मे मेरे बाज़ू से रगड़ दिए जिसका मुझको काफी आनन्द आया और यह भी महसूस हुआ कि वो काफी सुघटित शरीर वाली है.
रात को जब हम सब सोने के लिए उठे तो मैंने और नैना ने जाकर उन सबसे पूछा कि आपको किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है.चंचल भाभी का कमरा मेरे साथ वाला ही था और उनके साथ एक थोड़ी सांवली सी कुंवारी लड़की सोई हुई थी.
भाभी ने, जब नैना का ध्यान कहीं और था, तब हल्की सी आँख भी मारी और मैं तत्काल समझ गया यह भाभी भी लण्ड की प्यासी है.मैंने भी वापस आते हुए उसको आँख मार दी और उसको जता दिया कि मैं भी तैयार हूँ.
मैं अपने कमरे में अकेला ही सोया था और करीब आधी रात को मैंने साथ वाले कमरे में सोई चंचल भाभी के कमरे में झाँका और यह देख कर हैरान हो गया कि भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठा का अपनी चूत में ऊँगली मार रही थी.उसकी आँखें मुंदी हुई थी और वो बड़े ही कामुक अंदाज़ में अपने होंठ दांतों के नीचे दबा रही थी जैसे कि वो शीघ्र ही स्खलित होने वाली हो.
मैंने हल्के से खांसी की और भाग कर अपने कमरे में आ गया और अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर कर दिया.जैसा कि मुझको उम्मीद थी, भाभी यह देखने के लिए उठी कि कौन खांस रहा है.
तब उसने मेरे कमरे में झांका और जब उस ने देखा कि मैं सोया हूं और मेरा लौड़ा एकदम अटेंशन खड़ा है तो वो एकदम चौंक गई,डरते हुए वो मेरे कमरे के अंदर आ गई और मेरे खड़े लौड़े को बड़े ध्यान से देखने लगी.
फिर उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और अपनी साड़ी ऊपर करके वो पलंग पर चढ़ आई और आते ही मेरे लण्ड को चूसने लगी.मैं भी सोने का बहाना करके मस्त लेटा रहा लेकिन चंचल भाभी जब लण्ड चुसाई कुछ देर कर चुकी तो वो अपनी साड़ी को ऊपर उठा कर मेरे खड़े लंड के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी.
उसकी चूत अति द्रवित हो चुकी थी तो वो जैसे ही लंड पर बैठी, मेरा लण्ड घप्प से उसकी चूत में प्रवेश कर गया और उसकी मुलायम गुदाज जांघें मेरे पेट से रगड़ा खाने लगी.
उसकी आँखें मेरी आँखों की तरफ ही देख रही थी कि कहीं मैं जाग तो नहीं पड़ा लेकिन जैसे उसको चुदाई का आनन्द आने लगा, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने सर को इधर उधर फ़ेंक कर मेरी चुदाई करने लगी.
उसकी चूत से गाढ़ा और सुगन्धित द्रव्य निकल कर मेरे पेट पर गिर रहा था और वो बिना किसी हिचक के मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती रही.थोड़ी देर में वो तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगी और मुझको आभास हो गया कि शीघ्र ही वो स्खलित हो जाएगी.
मैं अब अपने आप को रोक नहीं सका और मैंने चंचल भाभी को फ़ौरन अपनी बाहों में बाँध लिया.चंचल भाभी पहले तो हैरान रह गई यह सोच कर कि मैं सिर्फ सोने की एक्टिंग कर रहा हूँ और फिर वो खुश हो गई कि मैं भी उसको चाहता हूँ इस लिए उसको सोते हुए भी उसको चोदने दिया.
अब मैंने चंचल भाभी को पलटी मार कर अपने नीचे पर लिया और मैं ऊपर चढ़ कर उसको जम के चोदने लगा.चुदाई की स्पीड कभी तेज़ और कभी आहिस्ता करते हुए मैंने भाभी को जल्दी ही कनारे लगा दिया.
जब उसकी किश्ती किनारे पहुंची तो उसके शरीर से निकलने वाली लहरें इतनी तीव्र थी कि मेरी स्वयं की किश्ती भी डांवाडोल होने लगी.लेकिन चंचल भाभी इतनी ज़्यादा कामुक हो चुकी थी कि उसने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका लिया और नीचे से फिर धक्के मारने लगी.
मेरा लंड तो खड़ा था ही तो चुदाई का आलम फिर से शुरू हो गया लेकिन मैं अब भाभी को बहुत ही धीरे धीरे चोदने की कोशिश कर रहा था.थोड़ी देर में भाभी फिर तेज़ी में आ गई और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी.
मैं भी आँखें बंद करके भाभी की टाइट चूत का आनन्द लेने लगा.तभी हल्की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुल गया और एक जनाना आवाज़ ने गुस्से के लहजे में पूछा- सतीश, यह क्या हो रहा है?
यह आवाज़ सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और जल्दी ही चंचल भाभी के गर्म और रसीले शरीर को छोड़ कर खड़ा हो गया और अपने आप ही मेरे खड़े लंड का दरवाज़े की तरफ निशाना बन गया.मैं भौंचक्का हुआ आने वाले की तरफ देख रहा था और आने वाले का मुंह मेरे लंड की दशा देख कर खुला का खुला रह गया.
कहानी जारी रहेगी.
कोठी में नैना मेरा इंतज़ार कर रही थी, मुझको देखते ही मुझ पर बरस पड़ी- छोटे मालिक तुम भी ना ज़रा ध्यान नहीं रखते अपना? गर्ल्स हॉस्टल में जाने की क्या ज़रूरत थी? तुम पर बड़ी भारी मुसीबत आ सकती थी और तुम बुरी तरह फंस सकते थे!
मैं भी शर्मिंदा होते हुए बोला- वेरी सॉरी नैना… लेकिन मैं क्या करता मैं तो गोरी चमड़ी के चक्कर में फंस गया था और तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो, मैं तो फंसते फंसते बचा हूँ.फिर मैंने उसको सारी कहानी सुना दी.
खाना खाने के बाद नैना ने बताया कि मेरे पीछे पूनम के भाई और भाभी का फ़ोन आया था और वो सब कल दोपहर में पहुँच रहे हैं और उनके साथ 4-5 दूसरी औरतें भी होंगी, कल उनके रहने का इंतज़ाम भी करना पड़ेगा, कैसे करें यह सब?
मैं बोला- भैया भाभी को नीचे का मम्मी के कमरे के साथ वाला कमरा दे दो और जो बाकी औरतें होंगी उनको ऊपर कमरे दे दो, मेरे कमरे के साथ वाले कमरे. क्यों यह ठीक नहीं है क्या?
नैना कुछ झुंझलाई हुई लग रही थी लेकिन मैंने उसको जफ्फी मारी और साथ में उसको एक कामुक चुम्मी भी की और उसको थोड़ा प्यार व्यार किया तो वो कुछ संयत हुई.
अगले दिन मैं जब कॉलेज से लौटा तो कोठी में काफी हलचल थी, सारे मेहमान आ चुके थे, वे मुझको बैठक में ही मिल गए.पूनम और उसके परिवार के लोग बड़े गर्म जोशी से मिले और पूनम ने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया.नैना ने उनके खाने का बड़ा अच्छा अरेंजमेंट किया हुआ था, सबने खाने की बड़ी तारीफ की और नैना और पारो की मेहनत को खूब सराहा.
अब मैंने आने वाले मेहमानों को ध्यान से देखा.पूनम के भैया काफी स्मार्ट और पढ़े लिखे लग रहे थे, उनके साथ आई औरतों को देखा तो पूनम की भाभी काफी सुंदर और नखरे वाली लगी.
उनके साथ आई औरतों में से 2 पूनम की दूर की भाभियाँ थीं जो ज़्यादा स्मार्ट तो नहीं थी लेकिन शरीर से काफी सेक्सी लग रही थी.उनमें 3 कमसिन उम्र की लड़कियाँ भी थी जो काफी आधुनकि सलवार सूट पहने हुये थीं लेकिन दिखने में कोई ख़ास सूंदर नहीं लगी मुझको!
नैना ने उनके सोने का इंतज़ाम ऐसा किया हुआ था कि भैया भाभी को नीचे एक कमरे में और बाकी सब ऊपर मेरे कमरे के साथ वाले 3 कमरों में ठहरा दी गई थीं.रात बड़ी देर तक पूनम और उसके रिश्तेदार औरतें मेरे कमरे में बैठी रही और खूब बतियाती रही.
उनमें से एक बहुत ही तेज़ भाभी, जिसका नाम चंचल था, मेरे से बार बार आँखें चार कर रही थी और कई बार मैंने उसको मुझको बेशर्मी से घूरते हुए पाया.एक दो बार वो उठते बैठते हुए मुझको छू जाती और आँखों ही आँखों में मुझको इशारा भी कर रही थी.
पहले वो मेरे सामने ही बैठी थी लेकिन फिर वो टॉयलेट होकर आई तो मेरे साथ खाली जगह पर बैठ गई और उसके कंधे मेरे कन्धों से रगड़ खा रहे थे.जब वो साथ बैठी तो दो बार उसने जानबूझ कर अपने मम्मे मेरे बाज़ू से रगड़ दिए जिसका मुझको काफी आनन्द आया और यह भी महसूस हुआ कि वो काफी सुघटित शरीर वाली है.
रात को जब हम सब सोने के लिए उठे तो मैंने और नैना ने जाकर उन सबसे पूछा कि आपको किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है.चंचल भाभी का कमरा मेरे साथ वाला ही था और उनके साथ एक थोड़ी सांवली सी कुंवारी लड़की सोई हुई थी.
भाभी ने, जब नैना का ध्यान कहीं और था, तब हल्की सी आँख भी मारी और मैं तत्काल समझ गया यह भाभी भी लण्ड की प्यासी है.मैंने भी वापस आते हुए उसको आँख मार दी और उसको जता दिया कि मैं भी तैयार हूँ.
मैं अपने कमरे में अकेला ही सोया था और करीब आधी रात को मैंने साथ वाले कमरे में सोई चंचल भाभी के कमरे में झाँका और यह देख कर हैरान हो गया कि भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठा का अपनी चूत में ऊँगली मार रही थी.उसकी आँखें मुंदी हुई थी और वो बड़े ही कामुक अंदाज़ में अपने होंठ दांतों के नीचे दबा रही थी जैसे कि वो शीघ्र ही स्खलित होने वाली हो.
मैंने हल्के से खांसी की और भाग कर अपने कमरे में आ गया और अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर कर दिया.जैसा कि मुझको उम्मीद थी, भाभी यह देखने के लिए उठी कि कौन खांस रहा है.
तब उसने मेरे कमरे में झांका और जब उस ने देखा कि मैं सोया हूं और मेरा लौड़ा एकदम अटेंशन खड़ा है तो वो एकदम चौंक गई,डरते हुए वो मेरे कमरे के अंदर आ गई और मेरे खड़े लौड़े को बड़े ध्यान से देखने लगी.
फिर उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और अपनी साड़ी ऊपर करके वो पलंग पर चढ़ आई और आते ही मेरे लण्ड को चूसने लगी.मैं भी सोने का बहाना करके मस्त लेटा रहा लेकिन चंचल भाभी जब लण्ड चुसाई कुछ देर कर चुकी तो वो अपनी साड़ी को ऊपर उठा कर मेरे खड़े लंड के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी.
उसकी चूत अति द्रवित हो चुकी थी तो वो जैसे ही लंड पर बैठी, मेरा लण्ड घप्प से उसकी चूत में प्रवेश कर गया और उसकी मुलायम गुदाज जांघें मेरे पेट से रगड़ा खाने लगी.
उसकी आँखें मेरी आँखों की तरफ ही देख रही थी कि कहीं मैं जाग तो नहीं पड़ा लेकिन जैसे उसको चुदाई का आनन्द आने लगा, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने सर को इधर उधर फ़ेंक कर मेरी चुदाई करने लगी.
उसकी चूत से गाढ़ा और सुगन्धित द्रव्य निकल कर मेरे पेट पर गिर रहा था और वो बिना किसी हिचक के मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती रही.थोड़ी देर में वो तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगी और मुझको आभास हो गया कि शीघ्र ही वो स्खलित हो जाएगी.
मैं अब अपने आप को रोक नहीं सका और मैंने चंचल भाभी को फ़ौरन अपनी बाहों में बाँध लिया.चंचल भाभी पहले तो हैरान रह गई यह सोच कर कि मैं सिर्फ सोने की एक्टिंग कर रहा हूँ और फिर वो खुश हो गई कि मैं भी उसको चाहता हूँ इस लिए उसको सोते हुए भी उसको चोदने दिया.
अब मैंने चंचल भाभी को पलटी मार कर अपने नीचे पर लिया और मैं ऊपर चढ़ कर उसको जम के चोदने लगा.चुदाई की स्पीड कभी तेज़ और कभी आहिस्ता करते हुए मैंने भाभी को जल्दी ही कनारे लगा दिया.
जब उसकी किश्ती किनारे पहुंची तो उसके शरीर से निकलने वाली लहरें इतनी तीव्र थी कि मेरी स्वयं की किश्ती भी डांवाडोल होने लगी.लेकिन चंचल भाभी इतनी ज़्यादा कामुक हो चुकी थी कि उसने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका लिया और नीचे से फिर धक्के मारने लगी.
मेरा लंड तो खड़ा था ही तो चुदाई का आलम फिर से शुरू हो गया लेकिन मैं अब भाभी को बहुत ही धीरे धीरे चोदने की कोशिश कर रहा था.थोड़ी देर में भाभी फिर तेज़ी में आ गई और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी.
मैं भी आँखें बंद करके भाभी की टाइट चूत का आनन्द लेने लगा.तभी हल्की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुल गया और एक जनाना आवाज़ ने गुस्से के लहजे में पूछा- सतीश, यह क्या हो रहा है?
यह आवाज़ सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और जल्दी ही चंचल भाभी के गर्म और रसीले शरीर को छोड़ कर खड़ा हो गया और अपने आप ही मेरे खड़े लंड का दरवाज़े की तरफ निशाना बन गया.मैं भौंचक्का हुआ आने वाले की तरफ देख रहा था और आने वाले का मुंह मेरे लंड की दशा देख कर खुला का खुला रह गया.
कहानी जारी रहेगी.