XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 4 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा

टप्पू भाग के अपने दोस्तों के पास पहुँच जाता है...और अब आगे...

अंदर सोढी के घर में एक अजीब सी खामोशी छा गई होती है....तभी अईयर उस खामोशी को तोड़ते हुए...

अईयर :- ये क्या कह रहे हो सोढी तुम..हमारी सोसाइटी में रेप...ऐसा तो हो ही नही सकता...

इतना सुनके जेठालाल बोल पड़ता है...

जेठालाल :- अईयर भाई आप मे कुछ अकल है...कुछ समझ है कि आप क्या बोल रहे हैं....आप आए ही क्यूँ वापिस...

अईयर :- क्या मतलब तुम्हारा जेठालाल मुझे नही आना चाहिए था...

जेठालाल :- ओफो मेरा मतलब ये था..कि आप इतनी जल्दी कैसे आ गये..आप तो कल आने वाले थे.. ना..

अईयर :- तुम को इससे क्या मतलब जेठालाल...

तभी तारक बीच में दोनो को रोकता हुआ...

तारक :- तुम दोनो शांत होगे थोड़ी देर...यहाँ मसला कुछ और है..और तुम बेकार की बात पर लड़ रहे हो...

इतना बोलते ही फिर से वहाँ खामोशी छा जाती है....

तभी चाचाजी सोढी से पूछते हैं...

चाचाजी :- सोढी बेटा तू मुझे ये बता की रोशन ने देखा कि कौन था वो...

सोढी से बोलने के पहले ..रोशन और ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है...तभी हाथी बोलता है..कोमल तुम लोग एक काम करो रोशन भाभी को अंदर दूसरे कमरे में ले जाओ...

लेकिन तभी अंजलि बोलती है...

अंजलि :- नही हाथी भाई हम भी तो सुनें कि किसने रोशन भाभी के साथ ये घिनोनी हरकत की है...

सभी अंजलि की बात पर हामी भरते हैं...और रोशन को समझाते हैं..कि प्लस्स आप चुप हो जाइए...अब रोने की बारी तो उस घटिया आदमी की है जिसने आप के साथ ये सब किया है...

फिर दुबारा से चाचाजी सोढी से पूछते हैं...इस बार सोढी बोलता है...

सोढी :- अब जो नाम में आपको बताने जा रहा हूँ...उसे सुन के आप सबके होश उड़ जाएँगे...

जेठालाल :- भाई गोल गोल मत बोल...सीधे बता कौन है...

सोढी :- आत्माराम तुकाराम भिड़े....

बस फिर क्या होना था ये सुन की सब ऐसे हो गये...जैसे कि वहाँ इंसान की जगह पत्थर खड़े हों...

जेठालाल , तारक , अईयर , हाथी , पोपटलाल , अब्दुल सब के मुँह से एक साथ निकलता है...क्य्ाआआआआआआआ.....

उधर सारी लॅडीस अपने मुँह पे हाथ रख कर हववववव...करती है सिवाई दया को छोड़ के...क्यूँ कि उसका थोड़ा अलग स्टाइल है....हे माआअ माताजीी...

तभी चाचाजी बोलते है...

चाचाजी :- सोढी ये तू क्या बोल रहा है ...ऐसा नही हो स्कता....

सभी चाचाजी की बात पे हामी भरते हैं...

तभी अंजलि की नज़र इधर उधर घूमती है...वो माधवी को ढूँढ रही थी..इतनी बड़ी बात हो गई और माधवी भाभी नज़र नही आ रही...ऐसा अंजलि अपने मन में सोचती है..इससे पहले कि वो कुछ कह पाती..रोशन ने चुप्पी तोड़ी....

रोशन :- अपने आप को संभालते हुए..चाचाजी..ये बिल्कुल सही बोल रहे हैं...जो मेरे साथ हुआ उसके ज़िम्मेदार भिड़े है...

चाचाजी :- क्या तुम्हे पूरा यकीन है..

रोशन :- हाँ..उसने अपना सेहरा ढका हुआ था...इसलिए पहले तो में समझ नही पाई..लेकिन आख़िर में जब वो जाने लगा तो उसने बिल्कुल वैसे ही किया जैसे भिड़े करता है...बोलते वक़्त में आत्माराम तुकारम भिड़े इस सोसाइटी का एक मात्र सेक्रेटरी...

चाचाजी :- मुझे तो विश्वास नही हो रहा कि भिंडी मास्टर ऐसा भी कर सकता है...

जेठालाल :- एक शिक्षक होके ऐसा करेगा..मेने सपने में भी नही सोचा था...

अईयर :- यह इम्पॉसीबल है...

बबीता :- अईयर क्या इंपॉसिबल ... रोशन भाभी झूठ थोड़ी बोलेगी...

तभी सोढी गुस्से से बोलता है..

सोढी :- दोस्तों आ जाने दो भिड़े को में उसे जिंदा नही छोड़ूँगा...
 
सभी उसे समझाते हैं सोढी भाई शांत हो जा..हम सब भिड़े से बात करेंगे..लेकिन भिड़े है कहाँ.....

उधर माधवी को होश आ जाता है...और वो अपने बिस्तर से उठती है और बोलती है..

माधवी :- ये क्या में यहाँ सो रही थी...पर मेरा बदन इतना दर्द क्यूँ कर रहा था.....

उधर भिड़े हाथ में कुछ लेके मुस्कुराता हुआ..सोसयटी के गेट से अंदर आ रहा था...

अब जब ये तीनो एक साथ मिलेंगे तो क्या हंगामा होगा.....देखेंगे...आगे..

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भिड़े सोसाइटी के कॉंपाउंड में पहुँच जाता है और वहाँ देख के बोलता है...

भिड़े :- अरी यहाँ इतनी शांति...हाँडी फूट भी गई...और सब लोग कहाँ चले गये...इतनी जल्दी शांति कैसे हो गई यहाँ पर..चलो घर पे चल के देखता हूँ..

और भिड़े फिर अपनी विंग की तरफ निकल जाता है...और अपने घर का गेट खोल के अंदर आ जाता है....

भिड़े :- माधवी , माधवी....कहाँ हो तुम...इतनी जल्दी उपर कैसे आ गये तुम लोग...

तभी उधर से माधवी निकल के बाहर आती है...

माधवी :- क्या जला...क्यूँ चिल्ला रहे हो???

भिड़े :- अरे माधवी इतनी जल्दी तुम लोग उपर कैसे आ गये....

माधवी :- जल्दी कहाँ में तो बहुत देर से उपर हूँ..सो रही थी...

इससे आगे भिड़े कुछ बोलता कि उसको कुछ किसी की आवाज़ आ रही थी..ज़ोर ज़ोर से...वो ध्यान से सुनने की कोशिश कर रहा था....

आवाज़ सोढी के घर की तरफ से आ रही थी...

तभी भिड़े बोलता है...

भिड़े :- अच्छा तो सारी मंडली सोढी के घर पे है..चलो माधवी वहाँ चलते हैं....

माधवी :- आप चलो में आई...

और फिर भिड़े निकल जाता है सोढी के घर की तरफ..

उसे नही पता था कि वो खुद ही मुसीबत की ओर जा रहा है...

उधर सोढी चिल्ला चिल्ला के बात कर रहा था...और सब उसको समझाने की कोशिश कर रहे थे...

तभी सबके कानो में एक आवाज़ पड़ी...

अच्छा तो मंडली मटकी फोड़ के यहाँ आ गई....

सभी गेट की तरफ देखते हैं...वहाँ भिड़े खड़ा मुस्कुरा रहा था...

उसको ऐसा देख के सोढी आग बाबूला हो गया...और वो सीधा भागता हुआ भिड़े के पास पहुचा..कोई भी उसे रोक नही पाया...और सीधे भिड़े की गर्दन पकड़ ली...सब उसकी तरफ भागते हैं...

भिड़े :- अरे क्या कर रहा है सोढी...सांस नही आ रही है...मारेगा क्या...मज़ाक की भी हद होती है..

और पीछे से माधवी भी आ जाती है...

माधवी :- अगोबाई सोढी भाई ये क्या कर रहे हो आप...छोड़िए गला इनका...

फिर सभी बहुत कॉसिश करते हैं सोढी को छुड़ाने की..तभी चाचा जी चिल्लाते हैं...

चाचाजी :- सोढी छोड़ दे अभी के अभी..

इतना सुन के सोढी कुछ सोचता है और उसे छोड़ देता है..

भिड़े :- हांफता हुआ....आईई सोढी पागल है क्या...इतनी ज़ोर से कोई गला दबाता है क्या..मर जाता तो...

सोढी :- अच्छा है ना मर जाता तो...मुझे शांति मिल जाती...

भिड़े ये सुन के चौंक जाता है....

भिड़े :- ये क्या कह रहा है सोढी...पागल हो गया है क्या तू..

जेठालाल :- सही बोल रहा है सोढी..भिड़े मुझे तुझसे ये उम्मीद नही थी...

पोपटलाल :- भिड़े तू एक शिक्षक होके ऐसे हरकत करेगा...छी च्ीईिइ....

अंजलि :- भिड़े भाई आपने ऐसा क्यूँ किया?

दया :- हाँ बोलिए भिड़े भाई आपने ऐसा क्यूँ किया....आपको ज़रा भी शरम नही आईईई...

चाचाजी :- अपनी छड़ी उठाते हुए...बोल बोल बोलता क्यूँ नही है..क्यूँ किया तूने ऐसा....

तभी माधवी बोल पड़ती है....

माधवी :- क्या किया है इन्होने ऐसा?

भिड़े :- हाँ क्या किया है मेने...मुझे पता तो चले....

तभी तारक बोलता है..

तारक :- भिड़े आज जो तुमने किया है...उसके लिए तुम्हे माफ़ नही किया जा सकता...तुम ऐसा करोगे मेने तो सपने में भी नही सोचा था....तुमने ऐसा क्यूँ किया....वो भी इतना पड़े लिखे आदमी होकर...

भिड़े :- मेहता साहब..मुझे पता तो चले मेने किया क्या है...

तभी सोढी गुस्से में आगे फिर से मारने के लिए बढ़ता है ...लेकिन अईयर और अब्दुल ने उसे पकड़ रखा होता है...और बोलता है..में बताता हूँ तुझे...कि तूने क्या किया है...तेरी तो..

फिर तारक बोलता है...

तारक :- सोढी शांति रख..इसे सज़ा तो मिलेगी ....लेकिन तू शांत रह में बात तो कर रहा हूँ ना....

जेठालाल बीच में बोलते हुए..

जेठालाल :- अईयर भाई आपको कोई काम आता है...ढंग से पकडो सोढी को ... हाथ से निकल गया तो..कोई काम ढंग से नही होता आपसे...और बबीता जी की तरफ देखते हुए उनको सॉरी बोलता है...

तारक :- जेठालाल ......

और फिर जेठालाल शांत हो जाता है...

भिड़े :- मेहता शाब मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि आप लोग किसकी बात कर रहे हैं...मुझे आप सॉफ सॉफ बताइए...

तारक :- ठीक है...गहरी साँस लेते हुए...तुमने रोशन भाभी के साथ बलात्कार क्यूँ किया??

भिड़े :- बलात्कार अच्छा.....फिर चौंकते हुए........क्य्ाआआआआआआआआआआ...
ये क्याआअ कह रहे हैं मेहता साहब ...आपका दिमाग़ तो खराब नही हो गया....

इतना सुनते ही माधवी के होश उड़ जाते हैं ..और फिर वो बोलती है...

माधवी :- हे भगवांन....ये क्या बोल रहे हैं आप...और रोने लगती है....

तभी कोमल उसका हाथ पकड़ के अपने पास बिठा लेती है..

कोमल :- माधवी भाभी आप चुप हो जाइए..रोइए मत...प्लस्सस्स

भिड़े :- माधवी तुम क्यूँ रो रही हो...ये सब ग़लत है..मेने कुछ नही किया है...मुझे समझ नही आ रहा कि ये लोग क्या बोल रहे हैं....

तभी सोढी बोलता है ...

सोढी :- अच्छा...तुझे कुछ समझ नही आ रहा....तुझे तो में अभी मार डालूँगा...

भिड़े थोड़ा घबरा जाता है...
 
भिड़े :- मेरी बात का विश्वास करो..मेने कुछ नही किया है तुम लोग एक शिक्षक पे शक कर रहे हो...

पोपटलाल :- कॅन्सल कॅन्सल.....तुम अपने आप को शिक्षक कहना कॅन्सल कर दो...इतनी घिनोनी हरकत करने के बाद भी तुम ये सब बोल रहे हो...

भिड़े :- पोपटलाल तुम चुप रहो...चाचाजी में सच कह रहा हूँ मेने कुछ नही किया है...

सोढी :- अचाहा तो रोशन हम सबसे झूठ क्यूँ बोलेगी...उसकी तुझसे क्या दुश्मनी है....

भिड़े :- रोशन भाभी आप ये क्या कह रही है...मेने आप के साथ बलात्कार..छी च्िी...देव....मेने आपके साथ कब किया ऐसा....

कुछ देर के लिए सभी लोग शांत हो जाते हैं...फिर रोशन चुप्पी को तोड़ते हुए....

रोशन :- भिड़े.....आपने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया...

भिड़े कुछ बोलता उससे पहले रोशन उंगली दिखा के उसे चुप रहने का इशारा करती है...

रोशन :- बोलना शुरू करती है...मास्क पहन के आओगे तो मुझे कुछ पता नही चलेगा कि कौन है...

मास्क वाली बात सुन के भिड़े की फट जाती है...लेकिन वो कुछ बोलता नही है..और रोशन बोलने लगती है..

रोशन :- मास्क लगा के आपने अपना चेहरा छुपा लिया..लेकिन आपका नेचर वो तो नही बदल सकता...आपने जब मेरा पूरा बलात्कार कर लिया ...उसके बाद जाते वक़्त आपने अपनी शर्ट को उपर खिचा .... जैसे आप हर टाइम करते हैं....

भिड़े ये सुन के चौंक जाता है....

भिड़े :- लेकिन रोशन भाभी में तो सोसाइटी में था ही नही....

सब ये सुन के चौंक जाते हैं....

तभी जेठालाल बोलता है..

जेठालाल :- अच्छा तो तुम सोसाइटी में नही थे....

और उसे हाथ से थैला खीच लेता है...और बोलता है ...इसमे क्या है...

भिड़े थोड़ा घबरा जाता है....और बोलता है...

भिड़े :- कककुकच्छ नही है इसमे जेठालाल..

जेठालाल भिड़े की सुनता नही है..और उसमे से एक चीज़ निकालता है....

जिसे देख कर सभी आँख फटी की फटी रह जाती है....

क्यूँ कि उस थैले में से एक काला मास्क निकलता है....

जेठालाल :- रोशन भाभी आप देखिए क्या ये वही मास्क है...

रोशन ध्यान से देखते हुए...

रोशन :- हाँ जेठा भाई ...यही है...और रोने लगती है....

सोढी का सब्र का बंद टूट जाता है....वो अईयर और अब्दुल को धका दे के भिड़े की तरफ बढ़ता है और्र उसका गला दबाने लगता है....

सभी लोग सोढी को हटाने की मशक्कत कर रहे होते हैं...बड़ी मुश्किल से वो भिड़े को सोढी से छुड़वाते हैं....

भिड़े हांफता हुआ...

भिड़े :- सोढी चाहे तो तू मुझे मार दे...लेकिन उससे पहले मेरी बात तो सुन ली....

तभी तारक बोलता है.....

तारक :- सोढी शांत...एक बार भिड़े की तो सुन लो..कि वो क्या कहना चाहता है...

सोढी :- इतना सब कुछ कर दिया इसने...और आप कह रहे हैं कि इसकी सुन लूँ....इसे तो जान से मार देना चाहिए...

तारक :- अच्छा बाबा मार देना..लेकिन पहले उसकी बात तो सुन लो...और वो भिड़े से बोलता है...बोलो भिड़े क्या कहना चाहते हो...

भिड़े :- मेहता साहब ये मेरा मास्क नही है....मुझे ये मास्क सोसाइटी कॉंपाउंड के बाहर मिला तो में इसे ले आया...

भिड़े कहानी बनाते हुए...क्यूँ कि मास्क तो उसी का होता है...वही खरीद के लाता है...उसके प्लान के मुताबिक यही था कि मास्क पहन के रोशन के साथ सेक्स करने का..लेकिन....

भिड़े सोचना बंद कर देता है...क्यूँ कि तारक बोलता है...

तारक :- आगे बोलो भिड़े..

भिड़े :- मेहता साहब मुझे मेरे एक स्टूडेंट का फोन आया था...वो मुझे सोसाइटी के बाहर नाके पे मिलने के लिए बुला रहा था...उसको कुछ कम था और जल्दी में था इसलिए वो यहाँ नही आया...

ये बात भिड़े की सच थी...इस बार वो कोई कहानी नही बना रहा था...
 
भिड़े :- मेहता साहब मुझे मेरे एक स्टूडेंट का फोन आया था...वो मुझे सोसाइटी के बाहर नाके पे मिलने के लिए बुला रहा था...उसको कुछ कम था और जल्दी में था इसलिए वो यहाँ नही आया...

ये बात भिड़े की सच थी...इस बार वो कोई कहानी नही बना रहा था...

सोढी :- झूठ बोल रहा है ये...

भिड़े :- सोढी में झूठ नही बोल रहा ...अगर तुम्हे यकीन नही है तो में फोन लगा के बात करवा देता हूँ...

और भिड़े फोन मिला देता है...दूसरी तरफ स्टूडेंट फोन उठाता है..

स्टूडेंट :- हेलो सर...

भिड़े :- हेलो....अच्छा मुझे ये बताओ कि तुमने मुझे आज सोसाइटी के बाहर नाके पे बुलाया था ना...

और फोन लाउडस्पिकर पे कर देता है...

स्टूडेंट :- जी हाँ सर....बुलाया था..लेकिन आप क्यूँ पूछ रहे हैं....

सब उसकी ये बात सुन के चौंक जाते हैं....और माधवी खुश हो जाती है...

भिड़े :- थॅंक यू बेटा...वो तुम्हे बाद में बताउन्गा....

और फोन कट कर देता है...

भिड़े :- देखा में कह रहा था ना..लेकिन आप लोग इतना घिनोना जुर्म मुझ पर लगा रहे थे...

रोशन :- लेकिन भिड़े भाई आप नही थे..तो फिर उस आदमी ने आप जैसी नकल क्यूँ करी...

भिड़े :- मुझे क्या पता रोशन भाभी...

तभी सोडी बोलता है...

सोढी :- भिड़े प्रा.. मुझे माफ़ कर दे...लेकिन में क्या करता ...मेरी बीवी ने जब मुझे बताया तो गुस्सा आना तो स्वाभाविक है...मुझे माफ़ कर दे...

और सब एक एक करके भिड़े से माफी माँगने लगते हैं....

भिड़े :- बोलता है....कोई बात नही ... ग़लत फ़हमी हो जाती है.....और अपने मन में सोचता है....

किस ने किया होगा ये काम..मेरी नकल कर के....साला हरामी...मेरा सारा प्लान चौपट कर दिया...सला मज़े खुद लेकर गया और फँसा मुझे दिया...यहाँ पर...शूकर है कि में बच गया..नही तो बिना कुछ करे आज तो मुझे जैल की सज़ा काटनी पड़ती...शूकर है देवा तेरा लाख लाख शूकर है...

तभी तारक बोलता है...

तारक :- अगर भिड़े ने नही किया ... तो वो कौन आदमी था जिसने रोशन भाभी के साथ ये सब कुछ किया...और उसने भिड़े की नकल क्यो की...

भिड़े :- यही तो में भी सोच रहा हूँ मेहता साहब...

जेठालाल :- मेहता साहब ये तो बहुत गंभीर बात है अब...क्या करें...

और सभी सोचने लगते हैं......

( दोस्तो आप भी सोचो की किसने किया है... )
 
सभी सोढी के घर पे ही थे....और सोचने में लगे थे की आख़िर कौन हो सकता है....

उधर टप्पू अपने दोस्तों के पास पहुँच जाता है....और उन्हे सारी कहानी बता देता है...सिवाई गोगी के बाकी सब समझ जाते हैं..गोगी बहुत पूछने की कोशिश करता है लेकिन टप्पू मना कर देता है...

गोली :- टप्पू ये तो बहुत बड़ी बात है...और घटिया भी...ऐसा कैसे हो सकता है..

टप्पू :- गोली मुझे पता है कि बात बहुत गंदी है....और जिसने भी ये करा है में उसे छोड़ूँगा नही...

ऐसा बोलते ही सब उसकी बात पर हामी भर देते हैं....

उधर एक तरफ जेठालाल और चंपक दूसरी तरफ से टहल रहे होते हैं सोचते सोचते ...और चलते चलते आपस में टकरा जाते हैं....

बापूजी :- आई बाबुचक देख के चल ना...डोबी कहीं का...

जेठालाल :- सॉरी बापूजी .... वो सोच रहा था तो ध्यान नही दिया...आपको कहीं लगी तो नही....

बापूजी :- चुप रे बे बाबुचक...चोट वादी...चल दूसरी तरफ जा...

और जेठालाल बड़बड़ाते हुई जा रहा होता है...

बापूजी :- क्या .... क्या बोला तू...

जेठालाल :- कुछ नही बापूजी...

बॅस इतना कहते ही.... कुछ देर के लिए शांति छा जाती है...ऐसा लगता है मानो वहाँ हवा के अलावा कोई और है ही नही....

फिर इस हवा को.....एक बार फिर...मिस्टर. अईयर चीर देते हैं....

अईयर :- मेरे ख्याल से हमे पोलीस में जाके कंप्लेन करनी चाहिए...

तभी तारक बोलता है...

तारक :- नही अईयर कैसे पागलों वाली बात कर रहे हो...अगर पोलीस में कंप्लेन करी तो वो लाखों सवाल करेंगे...जिससे बहुत ज़्यादा शर्मिंदगी हो सकती है....और फिर बात उछल जाएगी और फिर सबको पता चलने का डर भी है....

चाचाजी :- हाँ मेहता सही बोल रहा है....

जेठालाल :- अईयर भाई आप सच में पागल ही हो...ऐसे वाहियात आइडिया मत दिया करो...
और फिर बबीता जी की तरफ देख के उन्हे सॉरी बोलता है...

अईयर :- जेठालाल.....
बॅस इतना ही बोलता है कि जेठालाल रोक देता है..

जेठालाल :- अईयर भाई हमे आपके कोई और आइडिया नही चाहिए..आप अपने पास रखो....और बात को काट देता है....

चाचाजी :- अरे तुम दोनो बहस मत करो....और ये सोचो कि ये सब किया किसने है....

सोढी :- हाँ चाचाजी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं.....हमे उससे ढूंड के उसको मार मार के ऐसी हालत मे कर देना है...कि अगली बार किसी के साथ कुछ भी करने से डरेगा....

पोपटलाल :- लेकिन कैसे...कैसे पता चलेगा....

तभी उधर से टप्पू सेना सोढी के घर पहुँच जाती है....

टप्पू सेना को देख कर तारक उससे पूछता है...

तारक :- बच्चो तुम यहाँ...हमने मना करा था ना...कि आप लोग यहाँ मत आना...

टप्पू :- मेहता अंकल हमे सब पता चल चुका है.....

सभी टप्पू की बात सुन के चौंक जाता हैं....

तारक :- बच्चो तुम्हे ये सब कैसे पता...और तुम लोगों को इस मामले में नही पड़ना चाहिए...ये बड़ों की बात है...

टप्पू :- मेहता अंकल आप ये सब बात छोड़िए.....हमे बस ये देखना है कि वो आदमी कैसे पकड़ा जाए....

दादाजी :- मेहता टप्पू सही बोल रहा है...और बच्चे अब बड़े हो गये हैं...उनको रहने दे ..क्या पता कुछ सोच ले ...ये सब...

टप्पू :- अरे दादाजी सोच ले क्या....सोच लिया है...कि हमे उस आदमी को कैसे पकड़ना है....

सब टप्पू की बात सुन के खुश हो जाते हैं....

और सब एक साथ बोलते हैं...........
कैसीईईईईईईईईई.......

और टप्पू सारा प्लान उन सबको बता देता है....

सभी प्लान सुन के शॉक हो जाते हैं....कि इतना छोटा बच्चा ऐसा आइडिया भी सोच सकता हैं...
 
जेठालाल :- टप्पू ये तेरा प्लान जो है...कुछ गड़बड़ तो नही हो गी ना...क्यूँ कि थोड़ा रिक्सी लगता है ये...

टप्पू :- पापा आप चिंता मत करो...सब अच्छी तरीके से हो जाएगा...

तारक :- अरी जेठालाल तुम चिंता मत करो....टप्पू का आइडिया है...कभी फैल नही होगा....

फिर टप्पू बोलता है...

टप्पू :- अब डरने की बारी तो उस आदमी की है.......और अपने बाल अपनी फूँक से उड़ा देता है................!!!!!!!

जैसे ही टप्पू सोढी के घर से बाहर जाने लगता है...तभी पीछे सी फिर से अईयर उंगली करता है...

अईयर :- लेकिन टप्पू बेटा तुम्हारे इस प्लान से तो सभी सोसाइटी वालों को तो पता चल ही जाएगा....

सोढी :- कोई बात नही अईयर अगर सोसाइटी में पता चलता है तो चलने दो ...ये सोसाइटी भी तो हमारे परिवार की तरह ही है...

जेठालाल :- सोढी सही बोल रहा है....ये अईयर भाई भी ना...हमेशा बीच में उछल पड़ते हैं....अईयर भाई आपके पास और कोई प्लान है...

अईयर :- अजीब सा मुँह बनाते हुए..नही...

जेठालाल :- तो बस चुप रहिए फिर....

तारक :- अरे तुम दोनो फिर से झगड़ा करने लग गये चुप रहो...
और फिर टप्पू से पूछता है...

टप्पू बेटा प्लान की शुरुआत कब करनी है...

टप्पू :- मेहता अंकल आज रात को करेंगे...और मुझे पूरा विश्वास है कि इस प्लान से वो आदमी जल्दी पकड़ा जाएगा...

फिर सभी अपने अपने घर की तरफ चल देते हैं...

जेठालाल घर पहुच के...

जेठालाल :- बाबूजी मुझे तो अभी तक विश्वास नही हो रहा है कि ऐसा हमरी सोसाइटी में कैसे हो सकता है...

बापूजी :- हाँ जेठिय बात तो सही कह रहा है...... लेकिन अब जो हो गया हो वो गया ...अब तो उसे सुधारने की बारी है...

दया :- हाँ बापूजी... बेचारी रोशन भाभी पे क्या बीती होगी...जल्द से जल्द वो आदमी पकड़ा जाए... में उसे श्राप देती हूँ....अगली बार वो मास्क पहने और उसका आगे का हिस्सा फट जाए.....

बस इतना ही बोल पाती है और जेठालाल बीच में रोक देता है...

जेठालाल :- बॅस दया...तू अपना ये श्राप पुराण शुरू मत कर....अब तो बस रात को क्लब हाउस में देखते हैं क्या होगा...

उधर तारक और अंजलि अपने घर पे पहुचते हैं...

अंजलि :- तारक मुझे तो बहुत दुख हो रहा है...रोशन भाभी के साथ इतनी बड़ी घटना हो गई...

तारक :- देखो अंजलि..अब होनी को तो कोई नही टाल सकता...लेकिन में ये सोच रहा हूँ कि उस आदमी ने रोशन भाभी को ही क्यूँ चुना.... कोई पुरानी दुश्मनी तो नही है...

अंजलि :- हमम्म...तारक आप सही कह रहे हैं...क्या पता ऐसा हो...

तारक :- अब तो सिर्फ़ टप्पू के प्लान का वेट करना है..वैसे मुझे लगता है कि उसका प्लान सफल हो जाएगा...अब रात को क्लब हाउस में ही पता चलेगा...

उधर अईयर बबीता से....

अईयर :- बबीता डियर...ये क्या हो गया हमरी सोसाइटी में....ऐसा नही होना चाहिए था..अगर किसी बाहर वालों को पता चल गया तो हमारी सोसाइटी की कितनी बदनामी होगी...

बबीता :- अईयर तुम सच में पागल हो..जेठा जी सही बोल रहे थे....तुम्हे सोसाइटी की पड़ी है...उधर रोशन भाभी के साथ इतना बुरा हो गया ...उनकी कोई परवाह नही है तुम्हे...

जेठालाल का नाम सुन के थोड़ा चिड जाता है लेकिन कुछ बोलता नही है...

अईयर :- देखो बबीता मेरे कहने का मतलब वो नही था...मुझे भी रोशन भाभी के लिए दुख है...

बबीता :- हुह...बसस्स टप्पू का प्लान सक्सेस हो जाए...में तो बस यही चाहती हूँ...

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उधर भिड़े अपने सोफे पे बैठे सोच रहा था...और फिर माधवी आती है..

माधवी :- क्या सोच रहे हैं आप??

भिड़े :- माधवी में ये सोच के परेशान हूँ कि इतनी घटिया हरकत का कम करने के बाद उस आदमी ने मुझे फसा दिया..छी...और ये सब लोग भी मुझे ग़लत समझने लगे..

माधवी :- ओहू अब छोड़िए ना उस बात को....और वैसे भी रोशन भाभी के साथ जो हुआ वो बहुत ही ज़्यादा ग़लत हुआ...

भिड़े:- हाँ वो तो है....

और मन में सोचता है...बेकार में उस आदमी ने मेरे प्लान पे सारा पानी फेर दिया...

माधवी भिड़े को ऐसा सोचते देख पूछती है...

माधवी :- क्या सोच रहे हो??

भिड़े :- घबराता हुआ .... कुछ नही बस यी सोच रहा था...कि बस अब वो आदमी पकड़ा जाए...

माधवी ह्म्म्म कर देती है......

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इधर अब रात हो चुकी थी...

सब क्लब हाउस में पहुच जाते हैं...

आगे देखते हैं कि इस क्लब हाउस में अब क्या टप्पू को सफलता मिलेगी कि नही........!!

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मित्रो गोकुलधाम सोसायटी की चटपटी खबरें जानने के लिए पढ़ते रहें तारकमेहता का नंगा चश्मा
 
सब लो क्लब हाउस में जमा हो चुके थे.....सामने वाली तीन कुर्सी पर सोसाइटी के सेक्रेटरी आतमाराम तुकाराम भिड़े....उसके साथ पत्रकार पोपटलाल और कृष्णन अईयर...

उनके सामने सोसाइटी के सभी लोग बैठे थे...और आपस में ऐसे बातें कर रहे थे...जिसकी वजह से शोर हो रहा था.....

भिड़े काफ़ी कोशिश कर रहा था कि सब चुप हो जाए...लेकिन उसकी बात तो कोई सुन ही नही रहा था....

फिर सोसाइटी के बुजुर्ग खड़े हुए...

चंपकलाल :- अरे ऊओ.....चुप हो जाओ सब....ये जेठिया चुप हो जा....

जेठालाल :- शांति शांति...बापूजी कुछ बोल रहे हैं....हाँ बोलिए बापूजी...

बापूजी :- बोलिए वादी...चुप नही हो सकते...इतनी देर से भिड़े चिल्ला रहा है और तुम लोग अपनी धुन में लगे हुए हो...

तारक :- सॉरी चाचाजी....

और बोलता है....सब शांत हो जाओ...

और फिर सब शांति से बैठ जाते हैं...
और फिर जेठालाल बोलता है...

जेठालाल :- हाँ भाई भिड़े तो शुरू करें मीटिंग...

भिड़े :- जेठालाल अभी 2 जने आने बाकी हैं..

जेठालाल :- कौन??

भिड़े :- नाट्टू काका और बाघा..

जेठालाल :- क्या बोल रहा है भिड़े....तू उन शक़ कर रहा है...

भिड़े :- ऐसी बात नही है जेठालाल...

जेठालाल :- तो फिर कैसी बात है...

तभी तारक बीच में बोल पड़ता है...

तारक :- देखो जेठालाल..इसमे कुछ ग़लत नही है...तुम देखो सभी को बुलाया हुआ है जो उस दिन हंडी के वक़्त थे....तो इसका मतलब ये नही है कि हम उनपर शक़ कर रहे हैं...बात को समझो...

और फिर जेठालाल समझ जाता है...

उधर टप्पू सेना एंट्री कर चुकी होती है....फिर भिड़े उनसे पूछता है...

भिड़े :- टप्पू तैयारी पूरी हो गई...

टप्पू :- जी हाँ भिड़े अंकल...

उधर नाट्टू काका और बाघा आ जाते हैं...

नटू काका :- हेलो सेठ जी....कैसे हैं आप..

जेठालाल :- हाँ भाई बढ़िया तुम दोनो ने आने में देर क्यूँ कर दी....

नटू काका :- आपको पता है ना बारिश का मौसम है...रिक्शा बड़ी मुश्किल से मिलती है...और हाँ आप ये बताइए आपने हम लोगों को यहाँ क्यूँ बुलाया है....

जेठालाल :- अरे भाई अब आए हो ना..तो पता चल जाएगा...परेशान मत करो भाई शांति से बैठ जाओ....

फिर भिड़े मेहता साहब को अपने पास बुलाता है...और उन्हे सारी बात बताने के लिए बोलता है...

तारक :- देखिए दोस्तों में आपको आब जो बताने जा रहा हूँ...उससे शायद आप सब अचंभित हो जाए..तो प्लीज़ मेरा सहयोग करिएगा...और हाँ कृपया कर के ये बात किसी और को नही पता चलनी चाहिए.........

और सारी घटना बता देता है....एक एक बात जो उस दिन हुई थी....सबके मुँह खुले के खुले रह जाते हैं...सब ख़ुसर पुसर करने लगते हैं...

फिर तारक उन्हे शांत रहने के लिए बोलता है और टप्पू को अपने पास बुलाता है....

टप्पू तारक के पास आकर बोलना शुरू कर देता है...

टप्पू :- देखिए में आप सबको अब ये बताउन्गा कि हम उस आदमी को कैसे पकड़ेंगे....हमे एक एविडेन्स मिला है..जिससे हम उस आदमी को ज़रूर पकड़ लेंगे...

एविडेन्स वर्ड सुन के जेठालाल दया से पूछता है...

जेठालाल :- दया तुझे समझ आया कि ये एविडेन्स क्या है...

दया :- नाआआआअ....

और फिर जेठालाल तारक से पूछता है...

तारक :- एविडेन्स का मतलब सुराग..

जेठालाल दया को बोलते हुए...समझी दया...और दया हाँ में सर हिला देती है...

टप्पू :- जो सुराग हमे मिला है....उससे उस आदमी को आराम से पहचान लिया जाएगा.....शायद वो आदमी जल्द बाजी में वहाँ गार्डन में छोड़ के चला गया है......मगर एक प्राब्लम है...

सभी बोलते हैं क्य्ाआआअ....

टप्पू :- वो सुराग की चीज़ मेने गोली को दी थी...मगर उसने वो कहीं गार्डन में ही गिरा दी.....और हम सुबह से ढूँढ रहे हैं लेकिन वो मिली ही नही...

भिड़े :- ये गोया किसी काम का नही है...टप्पू क्यूँ दी तूने इसे...इसे खाने के अलावा कुछ और आता ही नही है.....

सोढी :- गोली तुझे ध्यान से रखना चाहिए था ना...

गोली :- सॉरी सोढी अंकल....वो पता नही मेने वहाँ गार्डन के बेंच पर रखा था...और फिर मुझे भूक लगी तो में अब्दुल की दुकान चला गया कुछ लेने के लिए....और जब वापिस आया तो वो वहाँ थी ही नही....शायद कहीं गिर गयी...

भिड़े :- देखो इसे...सारा दिन बस ठूंसवा लो...

तारक :- अब छोड़ो भिड़े..बच्चा है ग़लती हो गई...तो टप्पू अब तुमने क्या सोचा है...

टप्पू :- मेहता अंकल अब रात में तो मिलेगा नही....इसलिए अब कल सुबह ही ढूंढ़ेंगे....

सभी टप्पू की बात पर सहमत हो जाते हैं...और सब अपने अपने घर की तरफ़ निकल जाते हैं...............
 

अब इस वक़्त रात के 12 बज रहे होते हैं...घड़ी में टिक टोक ...टिक टिक...और बाहर सिर्फ़ तेज़ हवाओं की चलने की आवाज़ आ रही होती है...

पूरी जगह सुनसान होती है.....तभी...

गार्डन में किसी का साया होता है....

वो जो कोई भी होता है...बार बार इधर उधर चक्कर लगा रहा होता है...उसके हाथ में छोटी सी टॉर्च होती है ...जिसे वो जला के गार्डन की घास पे डाल रहा होता है....

इसका मतलब तो यही होता है कि वो कुछ ढूँढ रहा होता है.....

वो बार बार इधर से उधर...कभी उस कोने में...कभी इस कोने....चक्कर पे चक्कर लगा रहा होता है...लेकिन उसके हाथ वो चीज़ नही लगती जिसे वो ढूँढ रहा होता है.....वो थक कर एक जगह खड़ा हो जाता है....और सोचने लगता है....तभी....

तभी पीछे से उसके कंधे पर कोई हाथ रख देता है....वो घबरा जाता है.....वो पीछे पलटता है...लेकिन अंधेरे की वजह से उसका चेहरा ढंग से दिखाई नही देता....

तभी उसके मुँह पर रोशनी मारी जाती है.....और उसका चेहरा देख कर सब चौंक जाते हैं....

सब का मतलब....जेठालाल , भिड़े , अईयर , तारक , चंपकलाल , सोढी , टप्पू सेना...

क्यूँ कि जो चेहरा वो देखते हैं...वो बाघा का होता है....

जेठालाल चंपकलाल और सभी चीखते हैं....बाघाअ तुउुुुउउ......!!!

सभी बाघा को वहाँ गार्डन में देख कर सन्न रह जाते हैं....किसी को यकीन नही हो रहा था कि बाघा ऐसा कर सकता है....

जेठालाल :- बगहा तू....मुझे तो यकीन हे नही हो रहा है कि तू ये कर सकता है...

बाघा :- सेठजी जो आप सोच रहे हैं..वैसा कुछ नही है...

जेठालाल :- मुझे सेठ जी मत बोल ...

सोढी :- इससे पहले मेरा हाथ इस्पे उठ जाए ...इसको पोलीस के पास ले चलो..

बाघा :- मेरी बात तो सुनिए...बापूजी आप तो सुनिए ... मेने ऐसा कुछ नही किया है..

बापूजी :- अरे शांति रखो एक मिनट...उसे तो बोलने दो कि वो क्या कहना चाहता है...

तारक :- हाँ भाई एक बार उसे तो मौका दो कि वो क्या कहना चाहता है...

जेठालाल :- ठीक है जब बापूजी और मेहता साहब बोल रहे हैं तो चल बता भाई क्या बोलना है तुझे..

बाघा :- देखिए आप सब...में यहाँ सिर्फ़ इसलिए हूँ...कि जब टप्पू सेठ ने बोला कि वो चीज़ खो गई है तो में उसे यहाँ ढूँढने आ गया..मेने सोचा कि आज ही ढूँढ लूँ...कहीं कल सुबह तक किसी और ने ढूँढ लिया तो गड़बड़ हो जाएगी...

सब उसकी बात सुन के राहत की सांस लेते हैं ..ख़ासकर जेठालाल..

जेठालाल :- तो भाई पहले बोलना था ना...खाम खा हमने क्या सोच लिया तेरे बारे में...

बाघा :- लेकिन आपने मुझे कुछ बोलने का मौका ही नही दिया...

जेठालाल :- अच्छा वो छोड़...तुझे वो चीज़ मिली कि नही....

बाघा :- नही सेठ जी...बहुत कॉसिश करी लेकिन मुझे वो चीज़ मिली ही नही...

जेठालाल :- ओफूऊ...पता नही कहाँ होगी...

और बोलते बोलते वो पीछे की तरफ मुड़ता है....और उसको एक साया नज़र आता है....वो चिल्लाता है..कौन कौन है वहाँ....

वो साया इधर उधर घूमने लगता है...

जेठालाल की आवाज़ सुन के सब मुड़ते हैं और उस साए को देखते हैं....वो सब चिल्लाते हैं...और उसे आने को बोलते हैं..

तभी वो साया बाहर आता है....उसको देख के फिर से एक बार सबको झटका लगता है....क्यूँ कि वहाँ उन्ही की सोसाइटी का एक सदस्य खड़ा होता है...और सब उससे पूछते हैं तू वहाँ....मतलब तू ही है...

वो आदमी :- नही नही चाचाजी... में तो यहाँ वही चीज़ ढूँढने आया हूँ....मेने सोचा कि अगर वो चीज़ मिल जाए..तो हम उस आदमी को पकड़ सकते हैं....

तभी बोलते हैं...ओफो तुम भी...क्या सब ढूँढने ही आएँगे...और भी रात को...

तभी टप्पू को बोलता है...

टप्पू :- झूठ बोल रहे हैं.....शिवांक अंकल (दोस्तों आप इस किरदार को जानते होंगे...लेकिन में उसकी ढंग से स्पीलींग नही डिस्क्राइब कर पा रहा ..लेकिन उसका नाम कुछ ऐसा ही है)

सब टप्पू की बात सुन के टप्पू की तरफ देखते हैं....और उससे बोलते हैं...कि ये क्या टप्पू क्या कह रहे हो...

उधर शिवांक घबरा जाता है...
 
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