desiaks
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टप्पू भाग के अपने दोस्तों के पास पहुँच जाता है...और अब आगे...
अंदर सोढी के घर में एक अजीब सी खामोशी छा गई होती है....तभी अईयर उस खामोशी को तोड़ते हुए...
अईयर :- ये क्या कह रहे हो सोढी तुम..हमारी सोसाइटी में रेप...ऐसा तो हो ही नही सकता...
इतना सुनके जेठालाल बोल पड़ता है...
जेठालाल :- अईयर भाई आप मे कुछ अकल है...कुछ समझ है कि आप क्या बोल रहे हैं....आप आए ही क्यूँ वापिस...
अईयर :- क्या मतलब तुम्हारा जेठालाल मुझे नही आना चाहिए था...
जेठालाल :- ओफो मेरा मतलब ये था..कि आप इतनी जल्दी कैसे आ गये..आप तो कल आने वाले थे.. ना..
अईयर :- तुम को इससे क्या मतलब जेठालाल...
तभी तारक बीच में दोनो को रोकता हुआ...
तारक :- तुम दोनो शांत होगे थोड़ी देर...यहाँ मसला कुछ और है..और तुम बेकार की बात पर लड़ रहे हो...
इतना बोलते ही फिर से वहाँ खामोशी छा जाती है....
तभी चाचाजी सोढी से पूछते हैं...
चाचाजी :- सोढी बेटा तू मुझे ये बता की रोशन ने देखा कि कौन था वो...
सोढी से बोलने के पहले ..रोशन और ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है...तभी हाथी बोलता है..कोमल तुम लोग एक काम करो रोशन भाभी को अंदर दूसरे कमरे में ले जाओ...
लेकिन तभी अंजलि बोलती है...
अंजलि :- नही हाथी भाई हम भी तो सुनें कि किसने रोशन भाभी के साथ ये घिनोनी हरकत की है...
सभी अंजलि की बात पर हामी भरते हैं...और रोशन को समझाते हैं..कि प्लस्स आप चुप हो जाइए...अब रोने की बारी तो उस घटिया आदमी की है जिसने आप के साथ ये सब किया है...
फिर दुबारा से चाचाजी सोढी से पूछते हैं...इस बार सोढी बोलता है...
सोढी :- अब जो नाम में आपको बताने जा रहा हूँ...उसे सुन के आप सबके होश उड़ जाएँगे...
जेठालाल :- भाई गोल गोल मत बोल...सीधे बता कौन है...
सोढी :- आत्माराम तुकाराम भिड़े....
बस फिर क्या होना था ये सुन की सब ऐसे हो गये...जैसे कि वहाँ इंसान की जगह पत्थर खड़े हों...
जेठालाल , तारक , अईयर , हाथी , पोपटलाल , अब्दुल सब के मुँह से एक साथ निकलता है...क्य्ाआआआआआआआ.....
उधर सारी लॅडीस अपने मुँह पे हाथ रख कर हववववव...करती है सिवाई दया को छोड़ के...क्यूँ कि उसका थोड़ा अलग स्टाइल है....हे माआअ माताजीी...
तभी चाचाजी बोलते है...
चाचाजी :- सोढी ये तू क्या बोल रहा है ...ऐसा नही हो स्कता....
सभी चाचाजी की बात पे हामी भरते हैं...
तभी अंजलि की नज़र इधर उधर घूमती है...वो माधवी को ढूँढ रही थी..इतनी बड़ी बात हो गई और माधवी भाभी नज़र नही आ रही...ऐसा अंजलि अपने मन में सोचती है..इससे पहले कि वो कुछ कह पाती..रोशन ने चुप्पी तोड़ी....
रोशन :- अपने आप को संभालते हुए..चाचाजी..ये बिल्कुल सही बोल रहे हैं...जो मेरे साथ हुआ उसके ज़िम्मेदार भिड़े है...
चाचाजी :- क्या तुम्हे पूरा यकीन है..
रोशन :- हाँ..उसने अपना सेहरा ढका हुआ था...इसलिए पहले तो में समझ नही पाई..लेकिन आख़िर में जब वो जाने लगा तो उसने बिल्कुल वैसे ही किया जैसे भिड़े करता है...बोलते वक़्त में आत्माराम तुकारम भिड़े इस सोसाइटी का एक मात्र सेक्रेटरी...
चाचाजी :- मुझे तो विश्वास नही हो रहा कि भिंडी मास्टर ऐसा भी कर सकता है...
जेठालाल :- एक शिक्षक होके ऐसा करेगा..मेने सपने में भी नही सोचा था...
अईयर :- यह इम्पॉसीबल है...
बबीता :- अईयर क्या इंपॉसिबल ... रोशन भाभी झूठ थोड़ी बोलेगी...
तभी सोढी गुस्से से बोलता है..
सोढी :- दोस्तों आ जाने दो भिड़े को में उसे जिंदा नही छोड़ूँगा...
अंदर सोढी के घर में एक अजीब सी खामोशी छा गई होती है....तभी अईयर उस खामोशी को तोड़ते हुए...
अईयर :- ये क्या कह रहे हो सोढी तुम..हमारी सोसाइटी में रेप...ऐसा तो हो ही नही सकता...
इतना सुनके जेठालाल बोल पड़ता है...
जेठालाल :- अईयर भाई आप मे कुछ अकल है...कुछ समझ है कि आप क्या बोल रहे हैं....आप आए ही क्यूँ वापिस...
अईयर :- क्या मतलब तुम्हारा जेठालाल मुझे नही आना चाहिए था...
जेठालाल :- ओफो मेरा मतलब ये था..कि आप इतनी जल्दी कैसे आ गये..आप तो कल आने वाले थे.. ना..
अईयर :- तुम को इससे क्या मतलब जेठालाल...
तभी तारक बीच में दोनो को रोकता हुआ...
तारक :- तुम दोनो शांत होगे थोड़ी देर...यहाँ मसला कुछ और है..और तुम बेकार की बात पर लड़ रहे हो...
इतना बोलते ही फिर से वहाँ खामोशी छा जाती है....
तभी चाचाजी सोढी से पूछते हैं...
चाचाजी :- सोढी बेटा तू मुझे ये बता की रोशन ने देखा कि कौन था वो...
सोढी से बोलने के पहले ..रोशन और ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है...तभी हाथी बोलता है..कोमल तुम लोग एक काम करो रोशन भाभी को अंदर दूसरे कमरे में ले जाओ...
लेकिन तभी अंजलि बोलती है...
अंजलि :- नही हाथी भाई हम भी तो सुनें कि किसने रोशन भाभी के साथ ये घिनोनी हरकत की है...
सभी अंजलि की बात पर हामी भरते हैं...और रोशन को समझाते हैं..कि प्लस्स आप चुप हो जाइए...अब रोने की बारी तो उस घटिया आदमी की है जिसने आप के साथ ये सब किया है...
फिर दुबारा से चाचाजी सोढी से पूछते हैं...इस बार सोढी बोलता है...
सोढी :- अब जो नाम में आपको बताने जा रहा हूँ...उसे सुन के आप सबके होश उड़ जाएँगे...
जेठालाल :- भाई गोल गोल मत बोल...सीधे बता कौन है...
सोढी :- आत्माराम तुकाराम भिड़े....
बस फिर क्या होना था ये सुन की सब ऐसे हो गये...जैसे कि वहाँ इंसान की जगह पत्थर खड़े हों...
जेठालाल , तारक , अईयर , हाथी , पोपटलाल , अब्दुल सब के मुँह से एक साथ निकलता है...क्य्ाआआआआआआआ.....
उधर सारी लॅडीस अपने मुँह पे हाथ रख कर हववववव...करती है सिवाई दया को छोड़ के...क्यूँ कि उसका थोड़ा अलग स्टाइल है....हे माआअ माताजीी...
तभी चाचाजी बोलते है...
चाचाजी :- सोढी ये तू क्या बोल रहा है ...ऐसा नही हो स्कता....
सभी चाचाजी की बात पे हामी भरते हैं...
तभी अंजलि की नज़र इधर उधर घूमती है...वो माधवी को ढूँढ रही थी..इतनी बड़ी बात हो गई और माधवी भाभी नज़र नही आ रही...ऐसा अंजलि अपने मन में सोचती है..इससे पहले कि वो कुछ कह पाती..रोशन ने चुप्पी तोड़ी....
रोशन :- अपने आप को संभालते हुए..चाचाजी..ये बिल्कुल सही बोल रहे हैं...जो मेरे साथ हुआ उसके ज़िम्मेदार भिड़े है...
चाचाजी :- क्या तुम्हे पूरा यकीन है..
रोशन :- हाँ..उसने अपना सेहरा ढका हुआ था...इसलिए पहले तो में समझ नही पाई..लेकिन आख़िर में जब वो जाने लगा तो उसने बिल्कुल वैसे ही किया जैसे भिड़े करता है...बोलते वक़्त में आत्माराम तुकारम भिड़े इस सोसाइटी का एक मात्र सेक्रेटरी...
चाचाजी :- मुझे तो विश्वास नही हो रहा कि भिंडी मास्टर ऐसा भी कर सकता है...
जेठालाल :- एक शिक्षक होके ऐसा करेगा..मेने सपने में भी नही सोचा था...
अईयर :- यह इम्पॉसीबल है...
बबीता :- अईयर क्या इंपॉसिबल ... रोशन भाभी झूठ थोड़ी बोलेगी...
तभी सोढी गुस्से से बोलता है..
सोढी :- दोस्तों आ जाने दो भिड़े को में उसे जिंदा नही छोड़ूँगा...