desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
फिर जेठालाल दया की सीट की तरफ बढ़ता है....
उसकी चादर सर तक धकि थी...बस उसकी नीचे से ग्रीन कलर की ड्रेस दिख रही
थी थोड़ी सी...
और वो ना तो तो पेट के बल लेती थी..ना पीठ के बल..वो अपने सर के नीचे
हाथ रख के लेती थी....मतलब ये कि जेठालाल की तरफ उसकी पीठ थी...
जेठालाल चादर के अंदर आराम से घुसता है....उसके उपर एक कंबल भी होता है.
वो उसे ढंग से उठाता है..और अपने उपर रख लेता है...फिर अपनी नज़र इधर
उधर दौड़ाता है....कि कोई देख तो नही रहा क्या...
जब उससे पूरी संतुष्टि मिलती है कोई नही देख रहा...फिर फ़ौरन से पूरा का पूरा
कंबल के अंदर घुस जाता है...और अपना मुँह भी अंदर कर लेता है...जिससे उसको
कोई देख के नही सकता था....
जेठालाल को महसूस हुआ कि दया जाग चुकी है वो फटाफट अपना हाथ उसके मुँह पे रख
देता है....
जेठालाल :- दया ये में हूँ ... टप्पू के पापा...
दूसरी तरफ से सिर्फ़...उन्न्न..उन्न्ञन्..की आवाज़ आ रही थी....
जेठालाल :- दया ... मेने सोचा अभी कुछ मज़े किए जाए...मेरा बुरा हॉल है नीचे
से.....
और अपना दूसरा हाथ ले जाके....उसके चुचों पे रख देता है...और उन्हे आराम
आराम से दबाने लगता है...
उसका एक हाथ अभी भी मुँह पर ही था.....क्यूँ कि वो नही चाहता था..कि दया ज़रा
सी भी आवाज़ निकाले.....
उसके हाथ चुचों पे लगातार चल रहे थे......लेकिन अब कुछ तेज़ी से दबा रहा था..
जेठालाल :- दया मेरे लंड की मालिश कर दे....देख कैसे फुदक फुदक के बाहर
आने की कॉसिश कर रहा है...
वो कुछ नही करती पास चुप चाप लेटी रहती है...
जेठालाल :- अरे कर ना...
लेकिन फिर जेठालाल अपना हाथ चुचों से हटा के.....दया का हाथ पकड़ के....
अपने पाजामे के उपर से लंड पे रख देता है....और ज़ोर से उसका हाथ लंड पे दबा
देता है...
जेठालाल के मुँह से हल्की सी अहह निकल जाती है...
जेठालाल :- दया इसे ऐसे ही...मसल बहुत तड़प रहा है ये...और अपना हाथ हिलाता
रहता है....अहह...दया...मज़ा आ रहा है...
चल एक मिनट रुक...और हाथ रुक जाता है...
और फिर अपनी कॅप्री का बटन खोलता है...और दया का हाथ खिच के...अंदर
लंड पे रख देता है....
उसकी चादर सर तक धकि थी...बस उसकी नीचे से ग्रीन कलर की ड्रेस दिख रही
थी थोड़ी सी...
और वो ना तो तो पेट के बल लेती थी..ना पीठ के बल..वो अपने सर के नीचे
हाथ रख के लेती थी....मतलब ये कि जेठालाल की तरफ उसकी पीठ थी...
जेठालाल चादर के अंदर आराम से घुसता है....उसके उपर एक कंबल भी होता है.
वो उसे ढंग से उठाता है..और अपने उपर रख लेता है...फिर अपनी नज़र इधर
उधर दौड़ाता है....कि कोई देख तो नही रहा क्या...
जब उससे पूरी संतुष्टि मिलती है कोई नही देख रहा...फिर फ़ौरन से पूरा का पूरा
कंबल के अंदर घुस जाता है...और अपना मुँह भी अंदर कर लेता है...जिससे उसको
कोई देख के नही सकता था....
जेठालाल को महसूस हुआ कि दया जाग चुकी है वो फटाफट अपना हाथ उसके मुँह पे रख
देता है....
जेठालाल :- दया ये में हूँ ... टप्पू के पापा...
दूसरी तरफ से सिर्फ़...उन्न्न..उन्न्ञन्..की आवाज़ आ रही थी....
जेठालाल :- दया ... मेने सोचा अभी कुछ मज़े किए जाए...मेरा बुरा हॉल है नीचे
से.....
और अपना दूसरा हाथ ले जाके....उसके चुचों पे रख देता है...और उन्हे आराम
आराम से दबाने लगता है...
उसका एक हाथ अभी भी मुँह पर ही था.....क्यूँ कि वो नही चाहता था..कि दया ज़रा
सी भी आवाज़ निकाले.....
उसके हाथ चुचों पे लगातार चल रहे थे......लेकिन अब कुछ तेज़ी से दबा रहा था..
जेठालाल :- दया मेरे लंड की मालिश कर दे....देख कैसे फुदक फुदक के बाहर
आने की कॉसिश कर रहा है...
वो कुछ नही करती पास चुप चाप लेटी रहती है...
जेठालाल :- अरे कर ना...
लेकिन फिर जेठालाल अपना हाथ चुचों से हटा के.....दया का हाथ पकड़ के....
अपने पाजामे के उपर से लंड पे रख देता है....और ज़ोर से उसका हाथ लंड पे दबा
देता है...
जेठालाल के मुँह से हल्की सी अहह निकल जाती है...
जेठालाल :- दया इसे ऐसे ही...मसल बहुत तड़प रहा है ये...और अपना हाथ हिलाता
रहता है....अहह...दया...मज़ा आ रहा है...
चल एक मिनट रुक...और हाथ रुक जाता है...
और फिर अपनी कॅप्री का बटन खोलता है...और दया का हाथ खिच के...अंदर
लंड पे रख देता है....