XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 24 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा

बबीता के दिमाग़ में इस वक़्त सिर्फ़ ये चल रहा था...की वो एक औरत है..किसी की पत्नी
नही.....उसे अपने शरीर की आग को शांत करना था...

और आज इस वक़्त..इश्स समय...वो जिस हाल से गुजर रही थी...कि उससे अपने आप को रोका
नही जा रहा था....

जेठालाल की कोहनी.....तो बबीता की लेफ्ट चुचि पे थी इस वक़्त ...और उसे दबा रही थी...

बबीता की आँखें बंद हो चुकी थी...और वो अपना सिर पीछे सीट से टिका के बैठ गई..
थी.....

उसकी आग भड़कती जा रही थी..उससे सहा नही जा रहा था....जेठालाल के बार बार उसके
चुचे पे हाथ चलने ... से वो किसी और ही दुनिया में चली गई थी.......

जेठालाल को पूरा एहसास था..कि उसकी कोहनी चुचों से रगड़ खा के..उन्हे दबा रही
है...
लेकिन वो करता भी क्या......उसके तो मज़े थे....बबीता ने कोई भी विरोध नही किया था...

उसने कुछ सोचा...और अपनी गर्दन पीछे बबीता की तरफ मोडी......और उसने बबीता को
आँखें बंद कर के ...पीछे टेक लगाया हुआ पाया.....

जेठालाल की भी तो हालत खराब थी...आख़िर कार...उसके शरीर में भी तो गर्मी पैदा हो
रही थी....उससे भी रहा नही जा रहा था...लेकिन उससे पता था वो कुछ नही कर सकता....

उसने दया और अंजलि की तरफ देखा...
वो दोनो अभी भी...वैसे ही अपनी ही मस्ती में थी....
तारक की तरफ नज़र घुमाई...वो भी अपनी ही धुन में था.......

जेठालाल ने कुछ सोचा.....
जिस पोज़िशन में जेठालाल और बबीता थे...उस वक़्त सोच का दायरा बस इतना ही होता
है....कि किस तरह अपनी इस प्यास को भुजा सकें....

राइट अभी भी वैसे ही थे...उसके हाथ नीचे ठीक
बबीता की नाभि के आगे..और चूत के सामने....और उसके हाथ की कोहनी..उसके लेफ्ट चुचे को
दबा रही थी..

उसने अपना लेफ्ट हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ाया......
और बदाते बढ़ाते....
उसने बबीता की लेफ्ट जाँघ के उपर रख दिया....

बबीता की आँखें फ़ौरन खुल गई....
क्यूँ कि उसने शॉर्ट्स पहन रखे थी...और उसकी नंगी जाँघ पे ठंडे हाथ पड़ने से वो
चौंक गई.....

जेठालाल ने जैसे ही हाथ रखा...उसने एक बार फिर से बबीता की तरफ देखा...
और उसकी आँखों में देखने लगा....

जेठालाल की तो ट्यूनिंग स्टार्ट हो गई.......
(बॅक ग्राउंड. म्यूज़िक...आहान्ंनननननननननणणन्)
 
इस वक़्त बबीता की आँखों में बस उसे यही दिखाई दे रहा था...कि वो उससे कह रही हो...

कि जेठा जी..प्लस्स...रुकिये मत...आपको जो करना है..जैसा ठीक लगता है..वैसा कीजिए...में
आपको नही मना करूँगी....आज आपने मेरे अंदर एक नयी किसम की आग पैदा की है....
इसे भुजने ना दो....

जेठालाल उसकी आँखों की बातों को अच्छी तरह समझ गया....उसने अपनी गर्दन आगे की
तरफ मोड़ ली....
लेकिन बबीता ने.....अपनी आँखें बंद नही की....
वो अपनी आँखों से देखना चाहती थी...कि जेठालाल क्या करता है.....

जेठालाल ने अब अपना काम शुरू कर दिया.....
उसने अपने हाथ को उसकी जाँघ पे चलाना शुरू कर दिया....
बहुत कोमल एहसास था....
वो अपने हाथ जांघों पर फिराता और घुटनो तक पहुचता...

बबीता ना चाहते हुई भी...उसे अपनी आँखें बंद करनी पड़ी....
उसका हल्का सा मुँह खुला हुआ था.....

जेठालाल ने अब दो तरफ़ा वार किया...एक हाथ चल रहा जाँघ पे..और अपनी कोहनी..से दाब
रहे चुचे...

बबीता की पीठ हल्की सी हवा में उठ रही थी..........

एक अजीब सी खामोशी थी....इस वक़्त टॅक्सी में.....तारक तो अपना सर पीछे टिकाए आँखें
बंद के लेटा था...
अंजलि और दया बाहर के नज़ारे देख रही थी.......

इधर जेठालाल और बबिता....दोनो एक दूसरे को प्यार बाँट रहे थे...लेकिन बिना कुछ बोले...
बिना किसी को इशारा दिए....लेकिन बस एक दूसरे को प्यार बाँट रहे थे...

लेकिन ये खामोशी ज़्यादा देर नही चली....और टूट गईईयी...............

एक बहुत ही तेज़ी से ब्रेआकककककककककककक लगा टॅक्सी का....और सब के सब आगे की तरफ
लूड़क पड़े........

और इस बार भी पीछे से आवाज़ आई.....

और इस बार आवाज़ में कुछ बदलाव था.......

बबीता के मुँह से और जेठालाल के मुँह से एक साथ ही चीख निकली............

अवववववववववववववववववववववववववव..ओह...
अहह...

दया और अंजलि भी आगे की तरफ लुड़की...लेकिन उनके मुँह से इतनी तेज़ आवाज़ नही निकली.....

आगे तारक को भी झटका लगा...वो भी आगे की तरफ गिरा....आह...बस उसके मुँह से इतनी
ही आवाज़ निकली.......

तारक फ़ौरन पीछे मुड़ा.....

तारक :- जेठालाल..बबीता जी क्या हुआ......

बबीता के गाल बिल्कुल लाल थे....जैसे किसी ने रेड लिपस्टिक से चेहरा भर दिया हो.....
जेठालाल की तो शक़्ल...की बॅंड बज चुकी थी..

(बॅक ग्राउंड. म्यूज़िक........फ्लश चलने वाली आवाज़...) (डिस्क्राइब नही कर सकता...आप सब इमॅजिन कर लीजिए)

दया :- हाँ टप्पू के पापा...इस बार क्या हुआ आपको...

जेठालाल :- अपनी शकलें बनाते हुए.....
टॅक्सी ड्राइवर पे चढ़ गया....
आई भाई..कैसे चला रहे हो तुम...अभी किसी को ज़्यादा लग जाती तो...
 
ये बात सुन के सबका दिमाग़ डाइवर्ट हो गया.....और वो भी टॅक्सी ड्राइवर पे चढ़ गये...

तारक :- आई भाई...तुझे कौन सी भाषा में समझाऊ......
कैसे चला रहा है भाई........

टॅक्सी ड्राइवर :- भाई साहब..क्या करूँ आगे वाले ने एक दम ब्रेक लगा दी..

तारक :- अरे तो तू कम स्पीड में चला ना भाई....अभी किसी को लग जाती तो...बेकार
में तो हमारे टूर को सत्या नाश करने में लगा है....

थ्डा पॉज़ हो के....
फिर से बोलना शुरू करता है..

तारक :- अभी देखा ना तूने...कैसे कैसे आवाज़ें निकल रही है.....आहह..ओह्ह्ह...कर रहे हैं..
अब अगली बार ढंग से चलाओ भाई....नही तो पता नही और कौन से किसम की आवाज़ें सुनने
को मिलेंगी...

टॅक्सी ड्राइवर :- जी सर...अब में अच्छे से चलूँगा..और आपको सही सलामत छोड़ दूँगा..आप
टेंशन मत लो..हमारा रोज़ का काम है..

तारक :- भाई तो ढंग से चला....नही तो पीछे की आवज़ों से में पागल हो जाउन्गा..

उस तरफ जेठालाल मन में..

जेठालाल :- हाशह...किसी ने पूछा नही..कि ऐसे क्यूँ चिल्लाए....

इतना सोच ही रहा होता है...कि बॅस..

दया :- अरे टप्पू के पापा...आप क्यूँ चिल्लाए थे इतनी तेज़....क्या हुआ आपको..

जेठालाल अपने मान में....
ये दया को भी चैन नही है.....

जेठालाल कुछ बोलता उससे पहले बबीता बोल पड़ती है...

बबीता :- वो क्या है ना दया भाभी...ब्रेक लगने की वजह से में एक पैर जेठा जी के
पैर के पंजो के उपर पड़ गया..और कुछ ज़्यादा ज़ोर से पड़ा..जिसकी वजह से हुआ....

दया :- ओह्ह अच्छा....

जेठालाल बबीता को देखते हुए.....अपने मन में...
वाह बबीता जी वाह...क्या दिमाग़ पाया है आपने...कितनी बखूबी से बचाया है मुझे..
सलाम है आपको...

बॅस वो इतना सोच ही रहा था कि फिर से...

दया :- लेकिन बबीता जी आपको क्या हुआ था..आप क्यूँ ऐसे चीखी थी....

बबीता को कुछ समझ नही आया कि क्या बोले..
इस बार उसकी मदद जेठालाल ने की.....
 
जेठालाल :- दया....कितने सवाल करती है तो...अब ब्रेक लगा तो बबीता जी डर गयी ....एक दम
से अचानक हुआ ना सब कुछ....तू शांति से बैठ ना भाई..

दया :- ओह्ह सॉरी....

बबीता ने जेठालाल की तरफ देखा..
और अपने मन में...

वाहह जेठा जी...वाह...क्या आइडिया निकाला आपने...मान गये आपको...सलाम करने का मन कर रहा है
आपको.....कमाल है.....

देखा आप सब ने.....

खुद को बचाने के लिए इनके पास कोई भी आइडिया नही थी....लेकिन एक दूसरे को बचाने के
लिए उन दोनो के पास कुछ था.....
ये किस तरीके का अट्रॅक्षन है......
अट्रॅक्षन है...या कोई प्यार.....
पता नही.....ये तो दोनो ही जानते हैं....
हाँ मगर कुछ तो है....इन दोनो के बीच.....तभी वो एक दूसरे को समझ पा रहे हैं...

अरे हाँ वो तो में आप सब को बताना ही भूल गया.....
कि हुआ क्या था जो दोनो की एक साथ ऐसी भयानक चीख निकल गई.....

तो हुआ यूँ था...

चलिए चलते हैं फ्लॅशबॅक में....लेकिन बस थोड़ी देर पहले का....चलें फिर..इंतजार किस
बात का...

एक दम ब्रेक लगने की वजह से हुआ यूँ था..

ब्रेक लगने की वजह से बबीता आगे की तरफ गिरी...

और सबको पता ही है...की जेठालाल की कोहनी बबीता के चुचों के उपर थी.....तो वो जैसे
ही आगे की ओर गिरी....उसके दोनो चुचे जेठालाल की कोहनी में धँस गये...पूरे के
पूरे चुचे ऐसे दब गये जैसे किसी ने संतरा निचोड़ दिए हों....उसकी वजह से बबिता
को थोड़ा दर्द हुआअ...इसलिए वो चिल्लाई...

चुचे दबने के कारण..साइड की तरफ से बबीता के टॉप में से बाहर होने को हो रहे थे..
मानो अभी साइड पूरा टॉप फट जाएगा...

नही नही....यही एक वजह नही थी...उसके चिल्लाने की...

अगर आप सब को याद होगा...तो जेठालाल का हाथ बबीता की चूत के सामने था...
तो हुआ यूँ..आगे आने की वजह से चुचों का तो जूस निकल ही गया...
लेकिन चूत के सामने हाथ होने की वजह से...
जेठालाल का हाथ...बबीता की चूत के उपर आ गया...
और उसकी चूत बुरी तरह से पिस गई जेठालाल के हाथों की वजह से.....
जेठालाल ने हाथ से मानो चूत को जान बुझ के निचोड़ दिया हो....किसी कपड़े की
तरह......

तो यही वजह थी बबीता के चिल्लाने की..

लेकिन कहीं मत जाइए....अभी जेठालाल की भी तो बारी है...
 
तो जब बबीता आगे की तरफ को गिरी......तो वो जेठालाल के हाथो का
सपोर्ट लेना चाहती थी...लेकिन उसका हाथ फिसल गया...और जाके
सीधा पड़ा जेठालाल के लंड पे एक बार फिर्र...

लेकिन इस बार केवल लंड नही....उसके अंडकोष भी पकड़ लिए...
कहने का तात्पर्य ये है...कि पूरा लंड जड़ से पकड़ लिया..था...और उसे ऐसे
निचोड़ दिया...जैसे कोई छोटा बच्चा बलून को ज़ोर से दबा देता है..जिसके
कारण बलून फट जाता है...
वो तो शूकर है..कि बबीता ने फ़ौरन हाथ हटा लिया..नही तो....जेठालाल के लंड का
हाल भी ....हाहहहहहः.... आगे आप समझ ही गये होंगे....

चलीए बाहर निकल जाते हैं फ्लॅशबॅक से...

बबीता परेशान.....
उधर..
जेठालाल भी परेशान....

बबीता इसलिए परेशान थी..क्यूँ कि उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था...
आधी पैंटी गीली हो गई थी उसकी...
और जेठालाल इसलिए परेशान ..क्यूँ कि उसका लंड दर्द कर रहा था..लेकिन अभी भी वैसा
ही खड़ा था...और अपना पानी निकालने को बेताब था.....

तारक :- भाई..ये रिज़ॉर्ट और कितनी देर में आएगा.....
पीछे बैठने में तकलीफ़ हो रही होगी...
क्यूँ हैं ना जेठालाल..

जेठालाल तो सोच में डूबे पड़े थे...उन्होने ने ध्यान ही नही दिया...

तारक :- जेठालाल...

जेठालाल होश में आते हुए..

जेठालाल :- हाँ मेहता साब..

तारक :- पीछे . में कोई तकलीफ़ तो नही है..

जेठालाल :- नही नही..कोई तकलीफ़ नही है....एक दम आराम से बैठे हैं...

तारक मन में...

तारक :- हाँ भाई..तुम्हे क्यूँ कोई तकलीफ़ होगी...बबीता जी के साथ जो बैठे हो...
और ये सोचते सोचते उसके चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है....

तारक :- हाँ भाई..बताया नही कब तक आएगा..

टॅक्सी ड्राइवर :- बॅस..15 मिनट और साहब..

टॅक्सी ड्राइवर की ये बात सुन के बबीता थोड़ी उदास हो जाती है...
क्यूँ कि वो चाहती थी..कि वो पूरा झड जाए..अपना पूरा पानी निकाल दे..
जेठालाल के हाथों की वजह से....

लेकिन वो क्या कर सकती थी...यूँ सबके सामने तो नही निकलवा सकती थी...
लेकिन उस वक़्त होश में कौन होता है...

बबीता ने धीरे धीरे..अपने हाथ..जेठालाल के हाथ के उपर रखे...

जेठालाल एक बार तो बबीता के हाथ का स्पर्श पके..घबरा गया..लेकिन दूसरे ही
पल...उसने अपनी गर्दन घुमा के देखा बबीता की तरफ....और मुस्कुरा दिया..

इस बार बबीता की ट्यूनिंग शुरू हो गई..

(बॅक ग्राउंड. म्यूज़िक .... आईए छोरी......)...
 
बबीता ने हाथ हटा लिया...और पीछे गर्दन कर ले लेट गई....
और अपनी गर्दन जेठालाल की तरफ करली...जिससे कि उसकी आवाज़ सिर्फ़ जेठालाल की सुन पाता और
कोई नही...

जेठालाल की तो हिम्मत ही नही हो रही थी..कि वो अपना हाथ उसकी चूत पे ले जाके उसको
सहलाए...
इसलिए उसने...अपना हाथ जाँघ पे रख के उसे सहलाता रहा..
और अपनी कोहनी को अब सिर्फ़ बबीता की ताने हुए निपल्स पे फिरा रहा था.....
सिर्फ़ निपल के सेन्सुयेशन टच हो रही थी....

वो ऐसे शो कर रहा था...जैसे अंजाने में हो रहा हो....

बबीता इस प्राहर को सह ही नही पाई....पता नही उसे क्या हुआ....उसे कंट्रोल नही हुआ..
ये सहेना....निपल्स की टीज़िंग उससे बर्दष्त नही हुई...और वो झड गईई.....

उसके मुँह से हल्की से आह....निकल गई..और अपनी आँखें बंद कर ली.......
जो जेठालाल ने सुन ली....

और...

जेठालाल अपने मन में...
बबीता जी आप तो अपना रस बहा के... संतुष्ट हो गई..लेकिन मेरा क्या हाल है ये
में ही जान सकता हूँ..
लेकिन कोई बात नही...आप खुश तो में खुश......

तभी तारक बोला और जेठालाल को होश आ गया..

तारक :- अरी वाहह देखो जेठालाल रिज़ॉर्ट आ गया..

जेठालाल भी रिज़ॉर्ट को देखता है..उसकी तो आँखें फट जाती है...
उसकी क्या सबकी आँखें फट गई...रिज़ॉर्ट देख के....
............................
 
बबीता और जेठालाल टॅक्सी में भरपूर मज़े ले चुके थे....देखा जाए..
तो बबीता ने ज़्यादा मज़े लिए थे....उसने तो अपना रस तक बहा दिया
था....बट बेचारा जेठालाल का हाल वैसा ही था.....
इतने में रिज़ॉर्ट आ जाता है........

सभी लोग टॅक्सी में से उतर के आते हैं......

सबके मुँह से ....

तारक :- वाहह भाई वाह...क्या मस्त रिज़ॉर्ट है .. हैं ना अंजलि..

अंजलि :- हाँ सच में....

जेठालाल :- सही बात है मेहता साब....

दया :- मज़ा आ जाएगाआअ..........

भिड़े :- मज़ा आएगा यहाँ तो..

माधवी :- आगूओ बाई...मस्त जगह है...

बबीता :- वॉट आ लव्ली प्लेस..........

रोशन :- हाँ बावा...ये तो होटेल से भी अच्छा है...

सोढी :- हाँ रोशन मेरी जान....मज़ा आएगा.....

मोहन लाल :- तो आप सब यही खड़े रहेंगे..कि चलेंगे भी अंदर..

बता दूं..कि रिज़ॉर्ट कैसा था..
फिलहाल तो अभी हम सिर्फ़ फ्रंट ही देख सकते हैं.......

सामने से देखने में..

रिज़ॉर्ट काफ़ी बड़ा लग रहा था...
मस्त चका चक..बाहर से वाइट मार्बल की फ्लॉररिंग थी.....
एंट्री गेट से अंदर घुसो..तो बीच में एक फाउंटन बना हुआ था...
साइड में कोकनट जैसे ट्रीस लगे हुए थे..

हरियाली ही हरियाली थी चारो तरफ...

सभी लोग चल के अंदर पहुच जाते हैं....
अंदर रिसेप्षन पे एक सुंदर सी लड़की खड़ी होती है..उसकी उमर कोई लगभग
24 या 25 साल की लग रही थी.......

रेसेपटॉनिस्ट :- हेलो मोहन सर..हाउ आर यू??

मोहन लाल :- हेलो रीता....

रीता.......सोसायटी वाली रीता आगे निकली....

मोहन लाल :- ओह्ह हाँ रीता...इसका नाम भी रीता है...

जेठालाल :- अरे ये तो बड़ा कनफ्यूज़िंग हो गया....
दोनो का नाम रीता...
एक न्यूज़ रिपोर्ट करती है...दूसरी कमरे की रिपोर्ट करती है....
हाहहहहः

सभी हंस पड़ते हैं....ये बात सुन के.......

मोहन लाल :- रीता..मुझे वो जो स्पेशल कमरे हैं...उसकी कीस चाहिए....

रीता (रिसेप्सनिस्ट.) :- ओके सर .

मोहन लाल :- और हन्न्न.....किसी गेस्ट को भी उस साइड के कमरे मत देना....

रीता (रिसेप्सनिस्ट.) :- ओके सर...बट में तो आ सकती हूँ ना...

मोहन लाल :- स्योर...तुम्हे तो आना ही पड़ेगा..तुम्हारे बिना तो गाड़ी आगे ही नही
चलेगी............

रीता (रिसेप्सनिस्ट.) :- मुस्कुराते हुए.....जी सर...
 
मोहन लाल :- स्योर...तुम्हे तो आना ही पड़ेगा..तुम्हारे बिना तो गाड़ी आगे ही नही
चलेगी............

रीता (रिसेप्सनिस्ट.) :- मुस्कुराते हुए.....जी सर...

और फिर वो ड्रॉयर में से कीस निकालती है...और मोहन लाल को दे देती है..

भिड़े :- तो चलें फिर्र.....
समान उठा ते हैं....

रीता (रिसेप्सनिस्ट.) :- सर आप सब अपने रूम्स में जाइए...अभी समान आपके कमरे में
पहुच जाएगा...

भिड़े :- अच्छा..लेकिन ..मेडम..उसके चार्ज कितने होंगे..

जेठालाल :- आई भाई....तो कहाँ पे आया है....मोहन लाल भाई के साथ ना..
और रिज़ॉर्ट में आया है...
क्या फालतू बात करता है भाई तू....

तारक :- जेठालाल भिड़े..अपने ज़माने की बात कर रहा है..हाहहः...

और सब ये सुन के हँसने लगते हैं...

भिड़े :- नही वो तो में..

जेठालाल :- नही वो तो क्या...तू चल ना भाई....
क्यूँ बेकार में टाइम वेस्ट कर रहा है....

सोढी :- हाँ भाई चलो.....

और सब चल पड़ते हैं मोहन लाल के पीछे.....

मोहन लाल :- देखिए आप सब पहले एक कमरे में चलिए....
में आपको वहाँ से इस रिज़ॉर्ट का बॅक साइड दिखाउन्गा....

अब्दुल :- क्यूँ ऐसा क्या स्पेशल है पीछे.....

मोहन लाल :- पहले चल तो सही....

सीडियो से चलते हुए...सब फर्स्ट फ्लोर पे पहुचते हैं.....और उसके बाद...
एक गली में से होते हुए...बॅक साइड पे पहुच जाते हैं.......
फिर वहाँ से एक और छोटी सी गॅलरी लेफ्ट साइड से जा रही थी.....
थोड़ा चलने के बाद.... सामने वाली साइड पे...लाइन मे कमरे बने हुए थे.....

ऐसा लग रहा था...एक मानो ये हिस्सा सभी कमरों से अलग हो.....
लेकिन अगर गॅलरी के लास्ट में जाके अगर देखे...तो एक गेट था...उसपे ताला
लगा हुआ था....शायद ऐसा कोई स्टोर रूम हो.....
 
ऐसा लग रहा था...एक मानो ये हिस्सा सभी कमरों से अलग हो.....
लेकिन अगर गॅलरी के लास्ट में जाके अगर देखे...तो एक गेट था...उसपे ताला
लगा हुआ था....शायद ऐसा कोई स्टोर रूम हो.....

मोहन लाल :- तो चलें..में आप सब को दिखा देता हूँ....रिज़ॉर्ट के पीछे
का नज़ारा.....

जेठालाल :- हाँ हाँ चलो...

और फिर मोहन लाल के पीछे एक एक कर के घुस जाते हैं.......

क्या लाजवाब कमरा था....

घुसते ही..बगल में बाथरूम का डोर...

आगे चल के राइट साइड में..डबल बेड का आलीशान पलंग...
ठीक उसके सामने...एलईडी टीवी.... उसके पीछे..वॉल पेपर्स लगे हुए थे..

कुल मिला के लग ही रहा था..कि कोई वीआईपी कमरा हो.....
चलते चलते सभी बाहर आ जाते हैं...बरामदे में.....

और वहाँ का नज़ारा देख के सबके मुँह से बॅस यही निकलता है.....वाहह....

अरे उनके मुँह से क्या मेरे मुँह और आप सबके मुँह से यही निकलता...नज़ारा..
ही कुछ ऐसा था वहाँ का......

सामने एक पूल...जिसकी लंबाई काफ़ी ज़्यादा बड़ी थी...
2फीट से लेकर 6 फीट.....
स्वीमिंग पूल में काफ़ी लोग तेर रहे थे.........
स्वीमिंग पूल के दोनो साइड...बड़े बड़े ट्रीस थी.....बड़ी बड़ी झाड़ियाँ थी...
कुछ छोटी सी जगह बनी थी...शायद कुछ देर वहाँ जाके रिलॅक्स कर स्के..
एकांत में....
 
रिलॅक्स करने के लिए थी या फिर...कुछ और करने की..हाहहहहः.....
हाँ वहाँ आराम से किसी की भी चुदाई हो सकती है...कोई देख भी नही पाएगा....
बॅस..आह..औहह....की आवाज़ें सुन पाएगा....हहेहेहेहेः

इंडियन्स तो थे ही...लेकिन गोरी मेम भी तेर रही थी......

आजू बाजू...रेलक्शिंग कुर्सियाँ पड़ी थी..उन पर..गोरी गोरी..मस्त बिकनी
पहने....गोरी गोरी औरतें..और लड़लियाँ लेटी पड़ी थी....

कुछ फ़ोरनर्स...स्वीमिंग पूल के साइड में चल रहे थे.....

मतलब एक तरीके से .. वहाँ बैठ कर आराम से किसी का भी 2 या 4 घंटा निकल जाए...

ये तो कुछ नही....उसके ठीक सामने....स्वीमिंग पूल का बाप.....

जी हाँ...सामने एक मस्त...बीच था......

जहाँ पे बहुत सार लोग थी....कुछ तो समुंदर में नहा रहे थे...
कुछ वही रेत पे लेटे पड़े थे....
कुछ लोग वहाँ बोट में घूम रहे थे...
कुछ आयिलिंग करवा रहे थे....धूप सेकते हुए.....

क्या नज़ारा था....मस्त मस्त पतली टाँगों वाली...सेक्सी बॉडी वाली गोरी मेम...
बीच में चल रही थी.....
मस्त सभी आँखे सेक रहे थे......

सभी जेंट्स का ये सीन देख कर....नीचे तंबू बन गया था....

और ..सबकी बीवियों ने ये नोटीस कर लिया...कि ये सब क्या देख रहे हैं...

सभी ने अपनी कोहानियों से .. अपने अपने.पति की कमर पर मारा...

औचह.....
अहह....

ऐसी कुछ आवाज़ें निकली.....लेकिन एक को छोड़ के...वो थे अईयर भाई..
बबीता तो उनसे दूर खड़ी थी...काफ़ी नाराज़ लग रही थी...
क्या होगा अईयर का इस टूर पे....बेचारे को एक मज़ाक महँगा पड़ रहा है...

तारक बात को संभालते हुए..

तारक :- मोहन भाई...क्या रिज़ॉर्ट है आपका...मज़ा ही आ गया...

जेठालाल स्वीमिंग पूल के पास चल रही एक फ़ोर्नर को देखते हुए बोलता है...

जेठालाल :- सही बोल रहे हो मेहता साब..बहुत मज़ा आने वाला है..

सोढी :- यार मुझसे तो अब रहा नही जा रहा..

भिड़े :- सोढी सबर रख...सबर...

अब्दुल :- क्यूँ ना हम सब चलें..स्वीमिंग पूल में....
धूप भी मस्त हो रही है..मज़ा आ जाएगा..

सभी अब्दुल की बात को सुन के उसकी तरफ देखते हैं...

अब्दुल :- घबराते हुए...में तो बस आइडिया दे रहा हूँ...बाकी जो आपकी मर्ज़ी...

भिड़े :- अरे अब्दुल तूने तो मेरे मुँह की बात छीन ली....

माधवी :- आपको बड़ी जल्दी है जाने की...

(बॅक ग्राउंड. म्यूज़िक.....भिड़ेईईईईई..)

अंजलि :- हाँ तारक....बड़ा तेरने का मन कर रहा है..

दया :- हाँ क्यूँ नही मन करेगा....गोरी मेम..जो हैं वहाँ पर...(चिड़ते हुए..)

रीता :- में तो तैयार हूँ.......

जेठालाल :- ये हुई ना बात.........

तारक :- अंजलि यहाँ हम मस्ती करने तो आए हैं....अब तुम ऐसे क्यूँ बोल
रही हो...

अंजलि :- अरे में तो मज़ाक कर रही हूँ........चलो चलते हैं..

सभी युपीीईई....बोल के नीचे स्वीमिंग पूल के पास चलने लगते हैं...

लेकिन तभी बीच में बोलती है..

दया :- अरे लेकिन हमारे कपड़े कहाँ है...

जेठालाल :- अरे हाँ....कपड़े तो बॅग में है..और बॅग तो अभी आए ही नही..
मोहन भाई....वो आप ज़रा पूछो कि बॅग कहाँ हैं अभी तक नही आए.....

मोहन लाल :- जेठा भाई..आप सब टेशन मत लो....
आप सब स्वीमिंग पूल के पास चलो तो सही पहले...
 
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