desiaks
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अपडेट 22
और फिर वो आराम से कार चलाने लगि, और हम एक घर के नजदीक ही एक मॉल में गए और वहाँ दीदी ने घर के लिए कुछ सामान लिया और फिर हम बाहर खाना खाने गये, और बाहर एक होटल में डिनर निपटा के घर पहुंचे तो उस वक़्त ९.३० हो रहे थे. हम दोनों घर में आते ही दोनों एक एक सोफ़े पर लेट गए और मैंने फैन ऑन कर दिया, फिर मैंने दीदी से कहा.दीदी....ह्म्मम्....सुबह तो बिगडी आप की पर शाम को मज़ा आया की नही... .ओह माय गॉड, रेशु, बहुत मज़ा आया, सच में इतना में कभी थाकि नही,लेकिन मज़्ज़ा बहुत आया. एक तो घुमने का मज़्ज़ा और ऊपर से तुम्हारे नाटक, दोनों ने सच में आज का दिन बना दिया.. दीदी की आवाज़ में एक किस्म की शान्ति थी. .नाटक.? मेरे कौन से नाटक.. नाटक तो आपने किया था बिमार पड़ने का.. बाय गॉड में कितना डर गया था. मैंने बात कंटिन्यू की.अच्छा किया, तुम इसी लायक हो. तुम जैसे लोग, वो बिचारा गधा, अपनी गधी के साथ कुछ कर रहा था तो तुमसे देखा नहीं गया और उसे देखने लगे.? शर्म नहीं आती. . हमारी कमैंट्स का दौर जारी रहा. अब मेरे पास कोई जवाब नहीं था में सोफ़े पर से खड़ा हुआ, एक अंगडाई ली और दीदी से कहा, दीदी में नहाने जा रहा हू. आज बहुत मज़ा करने में भागा-दौड़ी भी बहुत हुई हे. .हाँ रेशु वैसे भी तुम बहुत बद्बू मारते हो.. दीदी एक भी मौका नहीं चुक रही थी मुझे परेशान करने का.. पर मैंने भी कहा.अच्छा...तो तुम ही नहला दो.. में भी तो देखु अच्छे से कैसे नहाया जाता हे... अब दीदी की बारी थी, एक झटका खाने की, पर उन्होंने मना कर दिया.नही..नही अपने आप ही नहाऊ.. अपने बहन से ऐसे कहते शर्म नहीं आती. दीदी ने मना किया. .क्यूं बड़ी अब शर्म आ रही हे, तेज़ गाड़ियां दौड़ाते हुए, लड़की होने का पता नहीं चलता. मैंने भी और एक तीर जैसे लाइन कहि, अब दीदी की बारी थी चुप होने की, वो कुछ बोली नही, पर उठि और मेरे जैसे अंगडाई लेने लगी तभी मैंने दीदी से कहा.दीदी याद हे.. हम छोटी चाची के गाँव में कुए में नहाने जाते थे. और एक बार तो साँप भी देखा था.. मैंने पास्ट में से एक बात निकाली..हा, और तुम उस टाइम अंडरवेअर में भागे थे, घर के लिये.. .हाँ तुम भी तो टॉवल में भागि थी.. फिर से हमारे बीच नोक झोक होने लगी..हा..पर तब हम छोटे थे.. दीदी ने कहा और किचन में जाने लगि, तो मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और दीदी के कान में कहा..छोटे थे तो मज़ा आता था तो अब तो और भी मज़्ज़ा आएगा.. और दीदी को बाथरूम के लिए ढ़केलने लगा. दीदी ने थोड़ी सी कोशिश जरूर की चुतने की पर चुत नहीं पायी, इतने में तो में उन्हें बाथरूम तक ले आया और इससे पहले की दीदी कुछ कहे, में दीदी को लेकर बाथरूम में घुस गया.मै बाथरूम में तो गया पर हा, अंदर जाने के बाद पता नहीं पर में थोड़ा सा शर्मा गया या कुछ सोच रहा था यह भी याद नही, पर फिर दीदी ने कहा.रेशु..क्या तुम सही में चाहते हो कि मैं तुम्हे नहलाऊं”?.या फिर कुछ और सोच रहे हो.? दीदी एक दम नार्मल लग रही थी और मैंने भी कह दिया.ऑफ़ कोर्स दीदी.. “आई ऍम शुअर”
तो फिर कपडे पहन के नहाना चाहते हो क्य...? और वो अपने मुँह पर हाथ रख के मुस्कुरा पडी. मैने भी अब अपने कपडे उतारना शुरू किया और एक के बाद एक अपने शर्ट के सारे बटन खोल डाले और शर्ट उतार के साइड में रख दिया. तब दीदी ने भी बड़े सिडक्टिव अंदाज़ में मेरे सीने पर हाथ रक्खा और कहा
.ओहः.. रेशु, अब समझि तुमने आज वेस्ट नहीं पहनी थी, इसीलिए कब से पसीने से बद्बू मार रहे थे. दीदी ने मुझे चिड़ाने के लिए कहा और यह सुनकर मैंने भी वो किया जो वो चाहती थी, मैंने भी उन्हें खिंच कर अपनी बाँहों में भर लिया और उनसे सट के लिपट गया, और अपने दोनों हाथों में जैसे वो टूट रही हो वैसे जम चुकी थी, मैंने फिर दीद से कहा
.क्यों दीदी पसिना कैसे लग रहा हे..? “आई होप की मज़ा आ रहा होगा”.. मैंने भी फिर से नहले पे दहला मारते हुए कहा.फिर दीदी भी मेरे सिने से अपने फेस को उठाय और मेरी और देखा और कहा,
.”सच कहूं..रेशु मज़ा आ रहा हे”... और फिर से वो हंस पड़ी और में भी थोड़ा सा शॉक हो गया. और वो मेरे पकड़ से आज़ाद हो गयी, फिर उन्होंने कहा की चलो मेरा टाइम वेस्ट मत करो और अपना पैंट भी उतारो, तो मैंने दीदी से कहा की ठीक हे और में घूम कर दीवार की और मुँह कर के अपने पैंट का हुक खोलने लगा, तो दीदी ने पूछ ही लिया जो में चाहता था .अरे पीछे क्यों घूम गया...? तो मैंने कहा की “दीदी तुम्हे तो कोई शर्म नहीं पर मुझे तो शर्म आयेगी ना”..
और फिर वो आराम से कार चलाने लगि, और हम एक घर के नजदीक ही एक मॉल में गए और वहाँ दीदी ने घर के लिए कुछ सामान लिया और फिर हम बाहर खाना खाने गये, और बाहर एक होटल में डिनर निपटा के घर पहुंचे तो उस वक़्त ९.३० हो रहे थे. हम दोनों घर में आते ही दोनों एक एक सोफ़े पर लेट गए और मैंने फैन ऑन कर दिया, फिर मैंने दीदी से कहा.दीदी....ह्म्मम्....सुबह तो बिगडी आप की पर शाम को मज़ा आया की नही... .ओह माय गॉड, रेशु, बहुत मज़ा आया, सच में इतना में कभी थाकि नही,लेकिन मज़्ज़ा बहुत आया. एक तो घुमने का मज़्ज़ा और ऊपर से तुम्हारे नाटक, दोनों ने सच में आज का दिन बना दिया.. दीदी की आवाज़ में एक किस्म की शान्ति थी. .नाटक.? मेरे कौन से नाटक.. नाटक तो आपने किया था बिमार पड़ने का.. बाय गॉड में कितना डर गया था. मैंने बात कंटिन्यू की.अच्छा किया, तुम इसी लायक हो. तुम जैसे लोग, वो बिचारा गधा, अपनी गधी के साथ कुछ कर रहा था तो तुमसे देखा नहीं गया और उसे देखने लगे.? शर्म नहीं आती. . हमारी कमैंट्स का दौर जारी रहा. अब मेरे पास कोई जवाब नहीं था में सोफ़े पर से खड़ा हुआ, एक अंगडाई ली और दीदी से कहा, दीदी में नहाने जा रहा हू. आज बहुत मज़ा करने में भागा-दौड़ी भी बहुत हुई हे. .हाँ रेशु वैसे भी तुम बहुत बद्बू मारते हो.. दीदी एक भी मौका नहीं चुक रही थी मुझे परेशान करने का.. पर मैंने भी कहा.अच्छा...तो तुम ही नहला दो.. में भी तो देखु अच्छे से कैसे नहाया जाता हे... अब दीदी की बारी थी, एक झटका खाने की, पर उन्होंने मना कर दिया.नही..नही अपने आप ही नहाऊ.. अपने बहन से ऐसे कहते शर्म नहीं आती. दीदी ने मना किया. .क्यूं बड़ी अब शर्म आ रही हे, तेज़ गाड़ियां दौड़ाते हुए, लड़की होने का पता नहीं चलता. मैंने भी और एक तीर जैसे लाइन कहि, अब दीदी की बारी थी चुप होने की, वो कुछ बोली नही, पर उठि और मेरे जैसे अंगडाई लेने लगी तभी मैंने दीदी से कहा.दीदी याद हे.. हम छोटी चाची के गाँव में कुए में नहाने जाते थे. और एक बार तो साँप भी देखा था.. मैंने पास्ट में से एक बात निकाली..हा, और तुम उस टाइम अंडरवेअर में भागे थे, घर के लिये.. .हाँ तुम भी तो टॉवल में भागि थी.. फिर से हमारे बीच नोक झोक होने लगी..हा..पर तब हम छोटे थे.. दीदी ने कहा और किचन में जाने लगि, तो मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और दीदी के कान में कहा..छोटे थे तो मज़ा आता था तो अब तो और भी मज़्ज़ा आएगा.. और दीदी को बाथरूम के लिए ढ़केलने लगा. दीदी ने थोड़ी सी कोशिश जरूर की चुतने की पर चुत नहीं पायी, इतने में तो में उन्हें बाथरूम तक ले आया और इससे पहले की दीदी कुछ कहे, में दीदी को लेकर बाथरूम में घुस गया.मै बाथरूम में तो गया पर हा, अंदर जाने के बाद पता नहीं पर में थोड़ा सा शर्मा गया या कुछ सोच रहा था यह भी याद नही, पर फिर दीदी ने कहा.रेशु..क्या तुम सही में चाहते हो कि मैं तुम्हे नहलाऊं”?.या फिर कुछ और सोच रहे हो.? दीदी एक दम नार्मल लग रही थी और मैंने भी कह दिया.ऑफ़ कोर्स दीदी.. “आई ऍम शुअर”
तो फिर कपडे पहन के नहाना चाहते हो क्य...? और वो अपने मुँह पर हाथ रख के मुस्कुरा पडी. मैने भी अब अपने कपडे उतारना शुरू किया और एक के बाद एक अपने शर्ट के सारे बटन खोल डाले और शर्ट उतार के साइड में रख दिया. तब दीदी ने भी बड़े सिडक्टिव अंदाज़ में मेरे सीने पर हाथ रक्खा और कहा
.ओहः.. रेशु, अब समझि तुमने आज वेस्ट नहीं पहनी थी, इसीलिए कब से पसीने से बद्बू मार रहे थे. दीदी ने मुझे चिड़ाने के लिए कहा और यह सुनकर मैंने भी वो किया जो वो चाहती थी, मैंने भी उन्हें खिंच कर अपनी बाँहों में भर लिया और उनसे सट के लिपट गया, और अपने दोनों हाथों में जैसे वो टूट रही हो वैसे जम चुकी थी, मैंने फिर दीद से कहा
.क्यों दीदी पसिना कैसे लग रहा हे..? “आई होप की मज़ा आ रहा होगा”.. मैंने भी फिर से नहले पे दहला मारते हुए कहा.फिर दीदी भी मेरे सिने से अपने फेस को उठाय और मेरी और देखा और कहा,
.”सच कहूं..रेशु मज़ा आ रहा हे”... और फिर से वो हंस पड़ी और में भी थोड़ा सा शॉक हो गया. और वो मेरे पकड़ से आज़ाद हो गयी, फिर उन्होंने कहा की चलो मेरा टाइम वेस्ट मत करो और अपना पैंट भी उतारो, तो मैंने दीदी से कहा की ठीक हे और में घूम कर दीवार की और मुँह कर के अपने पैंट का हुक खोलने लगा, तो दीदी ने पूछ ही लिया जो में चाहता था .अरे पीछे क्यों घूम गया...? तो मैंने कहा की “दीदी तुम्हे तो कोई शर्म नहीं पर मुझे तो शर्म आयेगी ना”..