XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका - Page 4 - SexBaba
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XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका

अपडेट 34

थी “हाय मेरा निकल रहा है….हाय रेशु…निकल रहा है मेरा पानी पूरी जीब घुसादे….…..बहुत अच्छा….ऊऊऊऊऊ…..सीईईईईईइ….मजा आगया राजा…मेरे चुत चाटू भैयां….मेरी चुत पानी छोड रही है………..इस्स्स्स्स्स्स्स्स……मजा आगया….….पीले अपनी दीदी के चुत का पानी….हाय चूसले अपनी दीदी की जवानी का रस…..ऊऊऊऊ…….……” दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झडने लगी और उसकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा.
मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा.
वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी.
उसकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसने के कारण गुलाबी से लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी.
दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी.
मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा.
दीदी को सुस्त पड़े देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा.
चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी.
ऐसे बैठने के कारण उनके गांड का हल्का गुलाबी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी गुलाबी रंग की सिकुडी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और मेरे लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था.
मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के गांड के दरार में ले गया.
दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा.
धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने थोडा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की.
ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद की मालिश करने लगा.
बड़ा मजा आ रहा था.
मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई.
दीदी की गांड कुँवारी थी उंगली भी नही घुस रही थी बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार दीदी की गांड जरूर मारूंगा
में तब तक इसके छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुडी हुई गुलाबी रंग के छेद में ऊँगली डालने पर.
पर गांड की सिकुडी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे लगा जब मेरा लण्ड उसके अन्दर घुसेगा तो बहोत मजा आएगा.
खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा.
दीदी की चुत से पानी बाहर की और निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था.
मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा.
तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला “हटो…….क्या कर रहा है….गांड पर नजर है क्या? वहा नही करूंगी बहोत दर्द होगा वहा….फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई.
मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया.
मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया.

मैं दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा.
थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे खड़े लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली
“हाय रेशु बहुत मजा आया….अच्छा चूसता है…तू…. मुझे लग रहा था की तू अनाडी होगा मगर तुने तो अपने जीजाजी को भी मात कर दिया….उन को चूसना पसन्द नही लेकिन मेरी बहुत इच्छा थी कि मेरी चुत वह चूसे पर कोई बात नही तुमने मेरी इच्छा पूरी की थैंक्स…खैर उनका क्या इधर काम आ,………वहां क्यों खड़ा है रेशु…..….” दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया.
दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली “कितना लंबा और मोटा है एकदम खड़ा हो गया है…..” रात में कितना मजा दिया है इसने
मैं तो इसकी दीवानी हो गई हूं अब तुझे मेरी प्यास बुझानी होगी
मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसकर उसने कुछ देर ऊपर निचे किया.
लाल-लाल सुपाड़े पर से चमडी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली
“हाय रे मेरा सोना….मेरे प्यारे रेशु…. तुझे दीदी अच्छी लगती है…. मेरे प्यारे रेशु ….मेरे राजा….आज दिन और रात भर अपने मोटे लण्ड से अपनी दीदी की चुत का बाजा बजाना……अपने भाई का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं……हाय राजा…॥अपने मुसल से अपनी दीदी की ओखली को खूब कूटना….. …..चल आजा…..आज फिर मुझे जन्नत की सैर करा दे…..” फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया
और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी बेल शेप बॉब्स को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था.
मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था.
दीदी भी अपनी गांड नचाते हुये मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी.
कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोड उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई.
और फिर आगे की ओर सरकते हुये मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली
“जरा चाटकर गीला करदे… बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा…सुखा लुंगी तो…..फट जायेगी मेरी तो…..”
 
अपडेट 35

एक बार मुझे दीदी की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उसकी गुदाज फूल जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो दीदी की चुत रस का खजाना थी.
तुंरत अपने जीभ को निकाल कर गांड पर हाथ जमा कर चुत चाटने लगा.
इस अवस्था में दीदी की गांड को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में गांड के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से चुत के छेद को गीला कर रहा था. वैसे दीदी की चुत भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी.
जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए दीदी की ये बात की वो चुत को गीली कर रही थी हजम तो नहीं हुई,
मगर मेरा क्या बिगड रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता कुछ ही देर दीदी की चुत मेरी थूक से गीली हो गई.
दीदी दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे मोठे खड़े सख्त लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कसकर हिलाते हुए अपनी गांड को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी.
सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड के टोपे को गीला कर रगड़ती रही.
मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब दीदी अपनी चुत में मेरा लंड लेती है.
मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके चुत में घुस जाये.
मुझे गांड उछालते देख दीदी मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लंड की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिसियाते हुए बोला “दीदी प्लीज़….ओह….सीईई अब नहीं रहा जा रहा है….जल्दी से अन्दर कर दो…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ……ओह दीदी….बहुत अच्छा लग रहा है….और तुम्हारी चु…चु….चु….चुत मेरे लण्ड पर बहुत गर्म लग रही है…

ओह दीदी…जल्दी करो ना….क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है…..” अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए दीदी बोली “हाय…रेशु जब इतना इन्तेजार किया है तो थोड़ा और इन्तेजार कर लो….देखते रहो….मैं कैसे करती हूँ….मैं कैसे तुम्हे जन्नत की सैर कराती हूँ….मजा नहीं आये तो अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ देना…..….अभी देखो मैं तुम्हारा लण्ड कैसे अपनी चुत में लेती हूँ…..…घबराओ मत…..रेशु अपनी दीदी पर भरोसा रखो….ये मेरा पहली बार है तुम्हारे जीजा बस सिम्पल सी चुदाई करते है चुदाई क्या होती है वह मैं तुमसे सिख पाई हु मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूं अब तुम्हारे सिवा चुदाई में मजा नही आएगा अब तुम्हे ही मेरी प्यास बुझानी पडेगी …” फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को चुत की दोनों लिप्स के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक लिप्स को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमडी उलट गई. मैं आह करके सिसकी ली तो दीदी बोली “बस हो गया रेशु…हो गया….एक तो तेरा लण्ड इंतना मोटा है…..मेरी चुत एकदम छोटी है….घुसाने में….येले बस एक दो तीन और….उईईईइमाँ…..सीईईईई….….इतना मोटा…..हाय…तेरे जीजा का इससे आधा है मुझे तो वह भी बहोत बडा लगता था ययय…..उफ्फ्फ्फ्फ़….” करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड दीदी की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वोउईईईमाँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उसकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उसकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर दीदी अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई “उफ्फ्फ्फ्फ़….….कैसा मोटा लंड पाल रखा है….ईई….हाय…. फट गई मेरी तो…...सीईईईइ…..रेशु आज तुने….अपनी दीदी की फाड दी….ओह सीईईई….….उईईइमाँ…..गई मेरी चुत आज के बाद…किसी के काम की नहीं रहेगी….है….हाय बहुत दिन संभाल के रखा था….फट गई….मेरी तो हाय मरी….” इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी और मेरा लण्ड अपनी चुत में लेती भी जा रही थी तभी अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोली“हाय….….आरामसे निचे लेट कर चुत का मजा ले रहा है…….मेरी चुत में गरम लोहे का राँड घुसाकर गांड उचका रहा है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ…रेशु अपनी दीदी को कुछ आराम दो….हाय मेरी दोनों लटकती हुई बूब्स तुम्हे नहीं दिख रही है क्या…उफ्फ्फ्फ्फ़…उनको अपने हाथो से दबाते हुए मसलो और….मुंह में लेकर चूसो रेशु….इस तरह से मेरी चुत गीली होने लगेगी और उसमे और ज्यादा गीलापन बनेगा…फिर तुम्हारा लंड आसानी से अन्दरबाहर होगा….हाय रेशु ऐसा करो मेरे राजा….तभी तो दीदी को मजा आएगा और….वो तुम्हे जन्नत की सैर कराएगी….सीईई…” दीदी के ऐसा बोलने पर मैंने दोनों हाथो से दीदी की दोनों लटकती हुई ठोस बॉब्स को अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश करते हुए दबाने लगा और अपनी गर्दन को थोड़ा निचे की तरफ झुकाते हुए एक बॉब्स को मुंह में भरने की कोशिश की.
हो तो नहीं पाया मगर फिर भी निप्पल मुंह में आ गया उसी को दांत से पकड़ कर खींचते हुए चूसने लगा.
दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लंड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपने बॉब्स दबवा और निप्पल चुसवा रही थी.
 
अपडेट 35

उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी.
मैंने दीदी के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल कर उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उसकी आँखों को
चुमते हुए नाक और उसके निचे होंठो के ऊपर जो पसीने की छोटी छोटी बुँदे जमा हो गई थी उसके नमकीन पानी पर जीभ फिराते हुए चाटा और फिर होंठो को अपने होंठो से दबोच कर चूसने लगा.
दीदी भी इस काम में मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और अपनी जीभ को मेरे मुंह में डाल कर घुमा रही थी.
कुछ देर में मुझे लगा की मेरे लंड पर दीदी की चुत का कसाव थोड़ा ढीला पड गया है.
लगा जैसे एक बार फिर से दीदी की चुत से पानी रिसने लगा है.
दीदी भी अपनी गांड उछालने लगी थी.
ये इस बात का सिग्नल था का दीदी की चुत में अब मेरा लण्ड एडजस्ट कर चूका है.
धीरे-धीरे उसकी कमर हिलाने की गति में तेजी आने लगी.
थप-थप आवाज़ करते हुए उसकी जान्घे मेरी जांघो से टकराने लगी और मेरा लण्ड सटासट अन्दर बाहर होने लगा.
मुझे लग रहा था जैसे चुत की दीवारें मेरे लण्ड को जकड़े हुए मेरे लण्ड की चमडी को सुपाड़े से पूरा निचे उतार कर रगडती हुई अपने अन्दर ले रही है. मेरा लण्ड शायद उसकी चुत की अंतिम छोर तक पहुच जाता था.
दीदी पूरा लण्ड सुपाड़े तक बाहर खींच कर निकाल लेती फिर अन्दर ले लेती थी.
दीदी की चुत वाकई में बहुत टाइट लग रही थी.
गजब का आनंद आ रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल में मेरा लंड एक कॉर्क के जैसे फंसा हुआ अन्दर बाहर हो रहा है.
दीदी को अब बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था ये बात उनके मुंह से फूटने वाली सिस्कारियां बता रही थी. वो सीसियते हुए बोल रही थी “आआआ…….सीईईईइ…..रेशु बहुत अच्छा लंड है तेरा…..हाय एकदम टाइट जा रहाहै…….सीईईइ हाय मेरी….चुत…..ओहहो….ऊउउऊ….बहुत अच्छा से जा रहा है…हाय….गरम लोहे के रॉड जैसा है….हाय….कितना तगड़ा लंड है….. हाय रेशु मेरे भैया…तुम को मजा आ रहा है….हाय अपनी दीदी की टाइट चुतको चोदने में…हाय रेशु बताना….कैसा लग रहा है मेरे राजा….क्या तुम्हे अपनी दीदी की चुत की लिप्स के बीच लंड दालकर चोदने में मजा आरहा है…..हाय मेरे चोदु….अपनी बहन को चोदने में कैसा लग रहा है….बताना….अपनी बहन को…. मजा आ रहा…सीईईई….ऊऊऊऊ….” दीदी गांड को हवा में लहराते हुए जोर जोर से मेरे लण्ड पर पटक रही थी.
दीदी की चुत में ज्यादा से ज्यादा लंड अन्दर डालने के इरादे से मैं भी निचे से गांड उचका-उचका कर धक्का मार रहा था.
कच कच चुत में लण्ड डालते हुए मैं भी सिसयाते हुए बोला “ओहसीईईइ….दीदी….….ओह बहुत मजा…..ओहआई……ईईईइ….मजा आ रहा है दीदी….उफ्फ्फ्फ्फ़…बहुत गरम है आपकी चुत….ओह बहुत कसी हुई….है…….मेरे लण्ड को छिल….देगी आपकी चुत….उफ्फ्फ्फ्फ़….एकदम गद्देदार है… चुत है दीदी आपकी…हाय टाइट है….हाय दीदी आपकी चुत में मेरा पूरा लण्ड जा रहा है….सीईईइ…..मैंने कभी सोचा नहीं था की मैं आपकी चुत में अपना लंड डाल पाउँगा….हाय….. उफ्फ्फ्फ्फ़… कितनी गरमहै….. मेरी सुन्दर…सेक्सी दीदी….ओह बहुत मजा आ रहा है….ओह आप….ऐसे ही चोदती रहो…ओह….सीईईई….हाय सच मुझे आपने जन्नत दिखा दिया….सीईईई… चोद दो अपने भाई को….” मैं सिसिया रहा था और दीदी ऊपर से लगातार धक्के पर धक्का लगाए जा रही थी. अब चुत से फच फच की आवाज़ भी आने लगी थी और मेरा लण्ड सटा-सट चुत के अन्दर जा रहा था. पुरे सुपाड़े तक बाहर निकाल कर फिर अन्दर घुस जा रहा था.
मैंने गर्दन उठा कर देखा की चुत के पानी में मेरा चमकता हुआ लंड लप से बाहर निकलता और चुत के दीवारों को कुचलता हुआ अन्दर घुस जाता.
दीदी की गांड हवा लहराती हुई थिरक रही थी और वो अब अपनी गांड को नचाती हुई निचे की तरफ लाती थी और लण्ड पर जोर से पटक देती थी फिर पेट अन्दर खींच कर चुत को कसती हुई लण्ड के सुपाड़े तक बाहर निकाल कर फिर से गांड नचाती निचे की तरफ धक्का लगाती थी.
बीच बीच में मेरे होंठो और गालो को चूमती और गालो को दांत से काट लेती थी. मैं भी दीदी की गांड को दोनो हाथ की हथेली से मसलते हुए चुदाई का मजा लूट रहा था.
दीदी गांड नचाती धक्का मारती बोली “रेशु….मजा आ रहाहै….हाय….बोलना….दीदी को चोदने में कैसा लग रहा है रेशु….….बहुत मजा दे रहा है तेरा लंड…..मेरी चुत में एकदम टाइट जा रहा है….सीईईइ….….इतनी दूर तक आजतक…..मेरी चुत में लौड़ा नहीं गया….हाय…खूब मजा दे रहा है…. ….हाय मेरे राजा….तू भी निचे से गांड उछालना….हाय….अपनी दीदी की मदद कर….सीईईईइ…..मेरे भैयां…..जोर लगाके धक्का मार…हाय बहनचोद….चोद दे अपनी दीदी को….चोददे… ओहआई……ईईईइ…” दीदी एकदम पसीने से लथपथ हो रही थी और धक्का मारे जा रही थी.
लौड़ा गचा-गच उसकी चुत के अन्दर बाहर हो रहा था और अनाप शनाप बकते हुए दाँत पिसते हुए पूरा गांड तक का जोर लगा कर धक्का लगाये जा रही थी.
कमरे में फच-फच…गच-गच…थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी. दीदी के पसीने की मादक गंध का अहसास भी मुझे हो रहा था.
तभी हांफते हुए दीदी मेरे बदन पर पसर गई.
“हाय…थका दिया तुने तो…..मेरी तो एकबार निकल भी गई तेरा एकबार भी नहीं निकला…हाय…अब तुम ऊपर आजाओ.
” कहते हुए मेरे ऊपर से निचे उतर गई. मेरा लण्ड सटाक से पुच्च की आवाज़ करते हुए बाहर निकल गया.
दीदी अपनी दोनों टांगो को उठा कर बिस्तर पर लेट गई और जांघो को फैला दिया. चुदाई के कारण उसकी चुत गुलाबी से लाल हो गई थी.
दीदी ने अपनी जांघो के बीच आने का इशारा किया.
मेरा लपलपाता हुआ खड़ा लण्ड दीदी की चुत के पानी में गीला हो कर चमचमा रहा था.
मैं दोनों जांघो के बीच पंहुचा तो मुझे रोकते हुए दीदी ने पास में पडे अपने पेटिकोट के कपड़े से मेरा लण्ड पोछ दिया और उसी से अपनी चुत भी पोछ ली फिर मुझे डालने का इशारा किया.
ये बात मुझे बाद में समझ में आई की उन्होंने ऐसा क्यों किया.
उस समय तो मैं जल्दी से जल्दी उसकी चुत के अन्दर घुस जाना चाहता था.
दोनों जांघो के बीच बैठ कर मैंने अपना लौड़ा चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर कमर का जोर लगाया.
सट से मेरा सुपाड़ा अन्दर घुसा. चुत एक दम गरम थी. तमतमाए लंड को एक और जोर दार झटका दे कर पूरा पूरा चुत में उतारता चला गया.
लण्ड सुखा था चुत भी सूखी थी. सुपाड़े की चमरी फिर से उलट गई और मुंह से आह निकल गई मगर मजा आ गया.
चुत जो अभी दो मिनट पहले थोडी ढीली लग रही थी फिर से किसी बोतल के जैसे टाइट लगने लगी. एक ही झटके से लण्ड पेलने पर दीदी चिल्लाने लगी थी.
मगर मैंने इस बात पे कोई ध्यान नहीं दिया और तबड़तोब लंड को ऊपर खींचते हुए सटासट चार-पॉँच धक्के लगा दिए.
दीदी चिल्लाते हुए बोली“मादरचोद…साले दिखाई नहीं देता की चुत को पोछके सुखा दिया था… सुखा लंड डालकर दुखा दिया… …. …अभी भी….चोदना नहीं आया…एसे भी कोई करता है.” मैं रुक कर दीदी का मुंह देखने लगा तो फिर बोली “अब मुंह क्या देख रहा है….मारना….धक्का….जोर लगाके मार…हाय मेरे राजा…मजा आगया…इसलिए तो पोछ दिया था….हाय देख क्या टाइट जा रहा है…इस्स्स्स्स….” मैं समझ गया अब फुल स्पीड में चालू हो जाना चाहिए.
फिर क्या था मैंने गांड उछाल उछाल कर कमर नचा कर जब धक्का मरना शुरू किया तो दीदी की चीखे निकालनी शुरू हो गई.
चुत फच फच कर पानी फेंकने लगी.
गांड हवा में लहरा कर लंड लीलने लगी
 
अपडेट 36

हाय चोद…रेशु ऐसेही बेदर्दीसे….. चोद अपनी कोमल दीदी की चुतको….ओह माँ….कैसा बेदर्दी रेशु है….हाय कैसे चोद रहा है….अपनी बड़ी बहन को….हाय माँ देखो….……चोदना इसके लिए कोई बात नहीं….मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…….मर गई….हाय बड़ा मजा आ रहा है…..सीईईईई…..मेरे चोदु भैयां…मेरे जानू….हाय मेरे चोदु रेशु…..सीईईईई….” मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था.
मेरा जोश भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मैं अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था.
दीदी की बॉब्स को मुठ्ठी में दबोच ते दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए मैं भी जोश में सिसिया हुए बोला
” ओह मेरी प्यारी बहन ओह….सीईईईइ….कितनी मस्त हो तुम….हाय…सीईईई सीईई…दीदी बहुत मजा आ रहा है…हाय सच में दीदी आपकी गद्देदार चुत में लौड़ा डालकर ऐसा लग रहा है जैसे…..जन्नत….हाय…पुच्च..पुच्चओह दीदी मजा आगया….ओह दीदी तुम गाली भी देती होतो मजा आता है….हाय…मैं नहीं जानता था की मेरी दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है….हाय मेरी चुदैल बहना….
सीईईईई हमेशा अपने रेशु को ऐसे ही मजा देती रहना….ऊऊऊऊउ….दीदी मेरी जान….हाय….मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे लिया खड़ा रहता था….हाय आज….मन की मुराद….पूरी हुई.सीईईई….” मेरा जोश अब अपने चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकल जायेगा
दीदी भी अब बेतहाशा अंट-शंट बक रही थी और गांड उचकाते हुए दांत पिसते बोली
“हाय साले….चोदने दे रही हूँ तभी खूबसूरत लग रहीहूँ …. मुझे सब पता है…..चुदैल बोलता है….साले तूने अपने लंड का दीवाना बनाया है तभी बनि हु चुदैल नहीं तो मैं तेरे जीजाजी से ही खुश होती……..हाय जोर….अक्क्क्क्क…..जोर से मारता रह बहनचोद…. मेरा अब निकलेगा…हाय रेशु मैं झरने वाली हूँ….सीईईईई….और जोर से ….चोद चोद….चोद चोद…. रेशु….बहनचोद….बहनकेलंड…..” कहते हुए मुझे छिपकिली की तरह से चिपक गई.
उसकी चुत से छलछला कर पानी बहने लगा और मेरे लण्ड को भिगोने लगा. तीन-चार तगड़े धक्के मारने के बाद मेरा लण्ड भी झरने लगा और वीर्य का एक तेज फौव्वारा दीदी की चुत में गिरने लगा.
दीदी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरी कमर पर लपेट मुझे बाँध लिया.
जिन्दगी में दूसरी बार अपनी बहन की चुत के अन्दर झड़ा था.

वाकई मजा आ गया था. ओह दीदी ओह दीदी करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था.
हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारी कमर अभी भी आगे पीछे हो रही थी दीदी अपनी चुत का रस निकाल रही थी और मैं लंड को चुत की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उसकी चुत में झड रहा था.
सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था.
अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पुरे बदन में एक अजीब सी शान्ती महसूस हो रही थी.
करीब दस मिनट तक वैसे ही पडे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन से निचे उतर गया.
मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चुत से बाहर निकल गया.
मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया.
दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी.
मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई. शाम को अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चुत की खुसबू का अहसास हुआ.
एक रात से मैं चुत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए…ये क्या…मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ.
मैं ने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी.
दीदी की चुत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था.
रोज सपना देखता था की कोई मुझे ऐसा मजा दे अब दीदी मुझे शाम को ऐसे जगा कर मजा दे रही है.
झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चुत को मुंह में भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा.
उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी.
उसी समय पहले दीदी को एक बार और चोद चोद कर ठंडा करके बिस्तर से निचे उतर बाथरूम चला गया.
फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी.
रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था.
कोमल दीदी ने उस दिन लाल रंग की साड़ी और काले रंग का ब्लाउज पहन रखी थी.
उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे.
दीदी ने मुझे दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चुत चटवाई और मेरे ऊपर लेट कर चुत चटवाइ और लंड चूसा. टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे.
कभी मैं उसकी बॉब्स दबा देता कभी वो मेरा लंड खींच कर मरोड देती.
मुझे कभी मादरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर.
इसी तरह रात होने इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई.
मैं बाहर ही बैठा रहा.
तभी उन्होंने पुकारा “रेशु वहां बैठ कर क्या कर रहा है…रेशु आजा….….” मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था.
कूद कर के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने में अपने आप को देखने लगी.
मैं दीदी की गांड को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता.
मेरा मन अब थोडा ज्यादा बहकने लगा था.
ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था.
दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी.
बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया.
मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का किस लेने लगा.
तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया.
 
[अपडेट 37

मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा “हाय रेशु….ये तो एकदम टाइम पर लाइट चली गई…मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में चुत चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चुत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं….साड़ी नहीं खोलनी ठीकहै….” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनके चुत के पास पहुँच गया. साड़ी को ऊपर उठकर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हाय रेशु….चुत चाटू…..राजा….हाय सच में तूतो कमाल कर रहा है….एकदम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघलिया….सीईईईइ बहनचोद….….है…..है मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दीसे कपडे खोलो….” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइट आजाने से ठीक रहा नहींतो मैं सोच रही थी….. …” कहते हुए अपनी साड़ी को खोलने लगी. साड़ी और पेटी कोट खुलते ही दीदी कमर के नीचे से पूरी नंगी हो गई. फिर उन्होंने ब्लाउज खोला उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उसकी ब्लाउज के ऊपर से उनके बॉब्स के निप्पल को मैं देखता रहा था.

दोनों बॉब्स आजाद हो चुके थे और कमरे में उनके बदन से निकल रहे पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और बॉब्स को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उसकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गाड दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला. उनको भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी. मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से पेटीकोट के नाडे को खोल कर खीचने लगा. इस पर दीदी बोली “फाडदेना….…….औरफाडदे….” पर मैंने खींचते हुए पूरे पेटीकोट को निचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठकर एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा कर पैर के अंगूठे को चाटने लगा धीरे धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा. फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पुरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा. जांघो पर दांत गडाते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था. दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी. मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था. वो मदहोश हो रही थी. मैं जांघो के जोड को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी चुत कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा. दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली “क्या कर रहा है…हाय गांड के पीछे हाथ धोकर पड गया….है….सीईईई गांड मारेगा क्या….जब देखो तब चाटने लगता है…उस समय भी चाट रहा था….हाय .सीईई…चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी…… आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है…..और तू…..जबदेखो…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….हाय चाटना है तो ठीक से चाट…..मजा आ रहा है….रुक मुझे पलटने दे……” कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के निचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली “ले अब चाट….…. अपनी बहन की गांड….को…..बहनचोद…..बहन की गांड….खा रहाहै…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम……” मेरे लिए अब और आसन हो गया था. दीदी की गांड को उनके दोनों गांड को मुठ्ठी में कसते हुए मसलते हुए खोल कर उसकी पूरी गांड की खाई में जीभ डाल कर चलाने लगा. गांड का छोटा सा गुलाबी रंग का छेद पक पका रहा था. होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा. तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली “हाय ठीक से चाट…चाटना हैतो….छेद पूरा फैलाकर….चाट…मेरा भी मन करता था चटवाने को…..तेरी जो वो राज शर्मा की किताब है न उसमे लिखा है….हाय रेशु…..मुझे सब पता है…बेटा….तू क्याक्या करता है….इसलिए चौंकना मत….बस वैसेही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट..हाय…जीभ अन्दर डालकर चाट….हाय सीईईईईई…..” मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को कडा कर के उसकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड के छेद को अपने अंगूठे से पकड फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड में अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली“हाय राजा…अब गांड चाटना छोड़ो….हाय राजा….मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ…..हाय मुझे तुने….मस्त कर दिया है…हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और…….उसकी चुत में अपना मस्त लंड डालकर चोद और उसका रस निकाल दे…..हाय सनम….मेरे राजा….चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा….” दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उसकी गांड पर से हटाया और बोला ” हायदीदी जब आपने राज शर्मा की किताब पढ़ी थी तो…आपने पढ़ा तो होगा ही की….कैसे गांड….में…हाय मेरा मतलब है की एकबार दीदी….अपनी गांड….” दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली “हाय हरामी….रेशु…..तू जितना दीखता है उतना सीधा है नहीं….सीईईईइ…बहनचोद….मैं सब समझती हूँ….तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है…..कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू….साले…यहाँ मेरी चुत में आग लगी हुई है और तू….हाय….नहीं रेशु मेरी गांड एकदम कुंवारी है और आजतक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डालीहै…
 
अपडेट 38

हाय रेशु तेरा लंड बहुत मोटा है….गांड छोड़ कर चुत मारले…मैंने तुझे गांड चाटने दिया….गांड का पूरा मजा लेलिया अब रहने दे….” मैं दीदी की मिन्नत करने लगा.
“हाय दीदी प्लीज़….बस एक बार…किताब में लिखा है कितना भी मोटा…..हो चला जाता है…हाय प्लीज़ बस एक बार…बहुत मजा…आता है…मैंने सुना है….प्लीज़….”
अब दीदी को क्या मालूम कि मैं उसकी माँ की भी गांड मार चुका हूं पर कभी कभी मासूम बनने में भी मजा आता है मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, गांड को चूम रहा था,
कभी हाथ को चूम रहा था.
दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में मिन्नते करने लगा.
कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी बोली
”ठीक है रेशु तू करले….मगर मेरी एक शर्त है….पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे….या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डालकर एकदम चिकना करदे फिर….अपना लण्ड डालना…डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना….हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चुत में ही लुंगी खबरदार जो…. तुने अपना पानी कही और गिराया….गांड मारने के बाद चुतके अन्दर डालकर गिराना….नहीं तो फिर कभी तुझे चुत नहीं दूंगी… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकडकर खड़ी हो जाउंगी…..बस….”
मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मख्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया.
दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपने आधे धड को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी.
मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चुतडो को फैला कर मख्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उसकी गांड में ठेलने लगा.
गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उसकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था.
मैंने धीरे धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर निचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा.
पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों गांड को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया.
गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर गांड पर लग गया.
मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ.
दीदी इस पर बोली
“देखा रेशु मैं कहती थी न की एकदम टाइट है….ल….मेरी बात नहीं मान रहा था…किताब में लिखी हर बात…..सच नहीं….हाय तू तो….बेकार में….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं….दर्द भी होगा…..हाय…..चुत में डाल ले….ऐसा मत कर….”
मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा.
थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने गांड को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दियाऔर बोली
“ले अपने मन की आरजू पूरी करले…. हाथ धो के पीछे पड़ा है….ले अब घुसा….
लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगाकर उसके बाद….धक्का मार…धीरे धीरे मारना…….…..
” मैंने दीदी के फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा.
इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया. गांड की छेद फ़ैल गई.
सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था.
पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड फड़फड़ाने लगी.
वो एक दम से चिल्ला उठी और गांड खींचने लगी.
मैंने दीदी की कमर को जोर से पकड़ लिया और थोड़ा और जोर लगा कर एक और धक्का मार दिया.
लण्ड आधा के करीब घुस गया क्योंकि गांड तो एक दम चिकनी हो चुकी थी.
पर दीदी को शायद दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ चिल्लाते हुए बोली “हरामी….कुत्ते…कहती थी….मतकर… मादरचोद….पीछे पड़ा हुआ था…..साले….हरामी….छोड़….. हाय…मेरी गांड फट गई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….सीईईईई….अब और मत डालना….हरामी….तेरी माँ को चोदु…..मतडाल….. हाय निकल ले…निकल ले रेशु….गांड मतमार….हाय चुत मारले….हाय दीदी की गांड फाड़कर क्या मिलेगा….सीईईईईइ…आईईईईईइ……..मररररर….गईइइइ …..”
दीदी के ऐसे चिल्लाने पर मेरी गांड भी फट गई और मैं डर रुक गया और दीदी की पीठ और गर्दन को चूमने लगा और हाथ आगे बढा कर उसकी दोनों लटकती हुई बॉब्स को दबाने लगा.
मुझे पता था कि अभी निकल लिया तो फिर शायद कभी नहीं डालने देगी इसलिए चुप-चाप आधा लण्ड डाले हुए कमर को हलके हलके हिलाने लगा. कुछ देर तक ऐसे करने और बॉब्स दबाने से शायद दीदी को आराम मिल गया और आह उह करते हुए अपनी कमर हिलाने लगी.
मेरे लिए ये अच्छा अवसर था और मैं भी धीरे धीरे कर के एक एक इंच लण्ड अन्दर घुसाता जा रहा था.
हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे.
थोड़ी देर में ही मेरी मेहनत रंग लाइ और मेरा लण्ड लगभग पूरा दीदी की गांड में घुस गया.
 
अपडेट 39

दीदी को अभी भी दर्द हो रहा था और वो बड़बड़ा रही थी. मैं दीदी को सांत्वना देते हुए बोला“बस दीदी हो गया अब….पूरा घुस चूका है…थोड़ी देर में लंड….सेट होकर आपको मजा देने लगेगा….हाय…परेशान नहीं हो….मैं खुद से शर्मिंदा हूँ की मेरे कारण आपको इंतनी परेशानी झेलनी पड़ी….अभी सब ठीक हो जाएगा….” दीदी मेरी बात सुन कर अपनी गर्दन पीछे कर मुस्कुराने की कोशिश करती बोली “नहीं रेशु…इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है…हम आपस में मजा ले रहे है….इसलिए इसमें मेरा भी हाथ है……रेशु तू ऐसा मत सोच….मेरे भी दिल में था की मैं गांड मरवाने का स्वाद लू….अब जब हम कर ही रहे है तो….घबराने की कोई जरुरत नहीं है….तुम पूरा कर लो पर याद रखना….अपना पानी मेरी चुत में ही छोड़ना…लो मारो मेरी गांड…मैं भी कोशिश करती हूँ की गांड को कुछ ढीला कर दू….”ऐसा बोल कर दीदी भी धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी. मैं भी धीरे धीरे कमर हिला रहा था. कुछ देर बाद ही सक सक करते हुए मेरा लण्ड उसकी गांड में आने-जाने लगा. अब जाकर शायद कुछ ढीला हो रहा था. दीदी के कमर हिलाने में भी थोड़ी तेजी आ गई, इसलिए मैंने अपनी गांड का जोर लगाना शुरू कर दिया और तेजी से धक्के मारने लगा. एक हाथ को उसकी कमर के निचे ले जाकर उसकी चुत के टीट को मसलने लगा और चुत को रगड़ने लगा. उसकी चुत पानी छोड़ने लगी. दीदी को अब मजा आ रहा था. मैं अब कचाकाच धक्का लगाने लगा और एक हाथ उनके बॉब्स को थाम कर लण्ड को गांड के अन्दर-बाहर करने लगा. चुत से दो गुना ज्यादा टाइट दीदी की गांड लग रही थी. दीदी अपनी गांड को हिलाते हुए बोली ” हाय रेशु मजा आ रहा है…..सीईईईई….बहुत अच्छा लग रहा है……शुरु में तो दर्द कर रहा था …..मगर अब अच्छा लग रहा है…..सीईईईई…..हाय राजा….मारो धक्का…जोर जोर से चोदो अपनी दीदी की गांडको……हाय सैयां बताओ अपनी दीदी की गांड मारने में कैसा लग रहा है…..मजा आ रहा है की नहीं…..मेरी टाइट गांड मारने में…. बहन की गांड मारने का बहुत शौक था ना तुझे…. तो मन लगा कर मार….हाय मेरी चुत भी पानी छोड़ने लगी है….हाय जोर से धक्का मार….अपनी बहन को बीबी बना लिया है….तो मन लगाकर बीबी की सेवाकर….हाय राजा सीईईईईईइ…..बहन चोद बहुत मजा आ रहा है…..सीईईईईइ….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..” मैं भी अब पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया ” हाय दीदी सीईईई….बहुत टाइट है तुम्हारी गांड….मजा आ गया….हाय एकदम संकरी छेद है….ऊपर निचे जहाँ के छेद में लंड डालो वही के छेद में मजा भरा हुआ है….हाय दीदीसाली….मजा आ गया….सच में तुम बहुत सेक्सी हों….. बहुत मजा आ रहा है….सीईईईई….मैं तो पागल हाय….मैं तो पूरा बहन चोद बन गया हूँ…..मगर तुम भी तो भाईचोदी बहन हो मेरी डार्लिंग सिस्टर…..हाय दीदी आज तो मैं तुम्हारी चुत और गांड दोनों फाड कर रख दूंगा…..” तभी मुझे लगा की इतनी टाइट गांड मारने के कारण मेरा किसी भी समय निकाल सकता हु. इसलिए मैंने दीदी से कहा की
“दीदी…मेरा अब निकाल सकता है…तुम्हारी गांड बहुत टाइट है….इतनी टाइट गांड मारने से मेरा तो छिल गया है मगर…..बहत मजा आया….अब मैं निकाल सकता हूँ….हाय बोलो दीदी क्या मैं तुम्हारी गांड से निकाल कर चुत में डालूया फिर…..तुम्हारी गांड में निकल दू….बोलो न मेरी लण्डखोर बहन….साली मैं तुम्हारे चुत में झडु या फिर….गांड में झडु…..हाय मेरी स्वीट दीदी…..” दीदी अपनी गांड नचाते हुए बोली “साले मादरचोद….….हाय अगर निकलने वाला है तो पूछ क्या रहा है…बहनचोद..जल्दी से गांड से निकाल चुत में डाल….” मैंने सटक से लंड खिंचा और दीदी भी उठ कर खड़ी हो गई और बिस्तर पर जा कर अपनी दोनों टांग हवा में उठा कर अपने जन्घो को फैला दिया. मैं लगभग कूदता हुआ उनके जांघो के बीच घुस गया और अपना तमतमाया हुआ लंड गच से उसकी चुत में डाल कर जोर दार धक्के मारने लगा. दीदी भी निचे से गांड उछाल कर धक्का लेने लगी और चिल्लाने लगी ” हाय राजा मारो….जोर से मारो…अपनी बहन की…हाय मेरे सैयां…बहुत मजा आ रहा है…इतना मजा कभी नहीं मिला….मेरे रेशु मेरे जानू ….अब तुम मेरे हो…हाय राजा मैं तुमसे हर बार चुदूँगी ….हाय अब तुम्ही मेरे सैयां हो….मेरे बालम….….ले अपनी दीदी की की चुत का मजा….पूरा अन्दर तक लंड डालकर…चुत में पानी छोडो….…” मैं भी चिल्लाते हुए बोला ” …मेरे लण्ड का पानी अपनी चुत में ले….हाय मेरा निकलने वाला है….मैंने अपना पुरा वीर्य उनकी चुत में डाल दिया हम दोनों काफी थक गए थे एक दूसरे की बाहो में सो गये जब सो कर उठे तो रात की बाते सोच कर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को बाहो में भिचने लगे मुझे हम दोनों ने कल बहुत गंदी गंदी बाते करते करते सेक्स किया था यह मेरा आइडिया था हम किंकी सेक्स करना चाहते थे मेरी इच्छा का मान रखकर हमने सेक्स किया जो हम दोनों को बहुत पसंद आया था
 
आपडेट 40

दीदी भी बहुत खुश थी और वो भी मुझे नहीं छोड़ना चाहती थी, पर कल चाचा-चाची आ रहे थे और कल जिजु भी बाहर से लौट रहे थे. दूसरे दिन में उठा तो दीदी हमेशा की तरह मेरे से पहले उठ चुकी थी और मैंने फ्रेश हो कर बाहर आया तो मेरे मोबाइल पर दीदी का मैसेज आया था की वो माँ डैड को रिसीव करने जा रही हे और एक घंटे में लौटेंगी.
मैं बाहर आ कर ब्रेकफास्ट करने बैठा और जैसे ही मैंने ब्रेकफास्ट ख़त्म किया की दीदी की कार के आने की आवाज़ आई और में फट से डरवाजा खोलने दौड़ा और मैंने देखा तो में सही था चाची आ चुकी थी. मैंने चाचा चाची के पाँव छुए और चाची और कोमल दीदी बातें करने लगी, में भी पास में ही बैठा था पर में तो बस दोनों को देखे जा रहा था और में दीदी के पास में बैठा था इसीलिए में चाची को देख रहा था और इस बात का दीदी को शायद पता नहीं था जब की चाची अच्छे से जानती थी, की में बस उन्हें निहार रहा हू, चाची ब्लैक साडी में और मैचिंग ब्लाउज में थी और चाची की कमर क्या मस्त लग रही थी, चाची का भी अब ध्यान दीदी से बातों से हट कर मेरी और था की में क्या देख रहा था फिर उन्हें शर्म आई तो चाची ने अपनी साडी ठीक की और अपने पल्लू से अपने आप को कवर किया, मैंने थोड़े ग़ुस्से में चाची को देखा पर कुछ कर नहीं सकता था इतने में दीदी ने कहा की उन्हें अब चलना चहिये, क्यूँकि जिजु भी आने वाले थे, इसीलिए वो उठी और कहा की वो अपना लगेज पैक करने जा रही हे, और चाची ने भी कहा की वो चाय बनाती हे, सबके लिये. तो वो दोनों उठी और जैसे ही दीदी अपने रूम में गयी, और चाची किचन में जा रही थी की मैंने पीछे से चाची को धक्का देते हुए सीधा किचन में लाते हुए मैंने चाची को पीछे से अपनी बाँहों में थाम लिया और फिर चाची भी घूम गयी और मेरी और देखा और मैंने भी उनकी और और मैंने अपने हाथ में उनका चेहरा रक्खा और चाची के लिप्स को चूसने लगा और चाची भी मेरे लिप्स को अपने लिप्स में भर रही थी. वो भी १५ दिन से प्यासी थी, मैंने फिर चाची को गांड से पकड़ा और उठा के किचन के प्लेटफार्म पे बिठा दिया और चाची के लिप्स को सक करने लगा और चाची ने भी अपनी बाहें मेरे गले के आसपास फैला दी और में सच में चाची को किस करने में खो गया और चाची भी.
फिर एक दम से चाची ने मुझे छोड़ दिया और धक्का दे दिया और प्लेटफार्म से उतर गयी, मैंने देखा तो किचन के दरवाजे पर दीदी खड़ी हो के सब देख रही थी, चाची शर्म के मारे बेहाल हो रही थी, चाची अपने पल्लू से अपने फेस को छूपाने की कोशिश करने लगी, दीदी भी अदब बना के देख रही थी और फिर वो मेरे पास आई और मुझे कस के एक थप्पड़ जड़ दिया. आई वास् टोटली शॉकड. की दीदी मेरे साथ ऐसा कर सकती हे. चाची तो कुछ बोलने के हालत में नहीं थी, चाची तो क्या अब तो में भी कुछ बोलने के हालत में नहीं था और फिर दीदी ने मेरी चाची की और देखा और चाची ने फिर से अपने फेस को पल्लू से ढकने की कोशिश की, मेरा तो हाथ ही अपने गाल से हट नहीं रहा था एक मिनट तक किचन में एक दम शांती रही थी और फिर दीदी ने फिर से मेरी और देखा और मुझे अपने हाथों से पकड़ा और मेरे लिप्स पर किस कर दिया. चाची के लिए तो यह डबल शॉक था और चाची का मुँह शॉक से खुला ही रह गया और फिर दीदी ने चाची की और देखा और चाची से कहा की माँ यु हैव मेड नाइस चोइस..यह बहुत नालायक लड़का हे, लेकिन अच्छा हे. चाची कुछ समझ नहीं पाई और फिर दीदी चाची को ले कर अपने रूम में चलि गयी.

****छोटी चाची की चुदाई ****

फ्रेंड्स, दीदी को पता तो चल गया, और बाद में चाची को भी पता चल गया की मैंने दीदी के साथ सेक्स किया था चाची बहुत नाराज़ हुई थी मुझसे भी और दीदी से भी. पर फिर दीदी चाची को समझाने में सफल रही और फिर दोनों ने कहा की यह बात हम तीनो में ही रहेगि, कोई किसी से कुछ भी नहीं कहेगा, और यह भी तय हुआ की सुबह जैसे में चाची से किस करते दीदी के हाथो से पकड़ा गया, वैसे ही किसी और से पकड़ा जा सकता हूँ तो अगली बार से ओपन में छूना मना था
मुझे बात में दम लगा और में भी सब मान गया. सब सही चल रहा था की एक दिन सुबह १० बजे छोटी चाची का कॉल आया की दादाजी की तबियत ठीक नहीं हे, तो आप सब लोग आ जाइये और हम फ़टाफ़ट से पहुंचे और सूरत से माँ डैड भी आ गए थे. वहा पहुंचे तो छोटी चाची ने दादाजी को इंजेक्शन दे कर रिलैक्स तो कर दिया था पर उन्हें तेज़ बुखार था तो बड़े चाचा ने कहा की वो दादाजी को साथ ले चलते हे और वहीँ पर उनका अहमदाबाद में ठीक से ख्याल भी हो पायेगा. सब तय हुआ, और फिर में माँ और दोनों चाची के साथ बैठा था और ऐसे में माँ ने कहा .
रेशु तुम ऐसा क्यों नहीं करते. की हमारे साथ क्यों नहीं चलते..? यहाँ से साथ में जाएंगे. वैसे भी बहुत दिन हो गए हे.. तब छोटी चाची ने कहा “रेशु ऐसे देखा जाये तो तुम तो आज यहाँ पर पूरे पांच साल बाद आये हो, तो तुम यहाँ क्यों नहीं रुक जाते”.?
ओर फिर बहुत डिस्कशन के बाद तय हुआ की में गाँव में ही रुकूँगा, थोड़ा सा मेरा रुक्ने का मन नहीं था पर इतना भी बुरा नहीं था लेकिन फिर मेरी मम्मी ने भी कहा की “रेशु तुम बड़े दिनों बाद आये हो तो रुक जाओ, अपने गाँव को शायद भूल चुके होंगे, तो यहाँ रुको और फिर बाद में बड़ी चाची के पास चले जाना”. .”एक दम सही हे दीदी.. रेशु तुम यही रुकोगे और जब तक में नहीं कहती तुम कहीं नहीं जा सकते”.. छोटी चाची ने आखरी आर्डर दे दिया और मुझे वहीँ पर रुकना पडा दोपहर को लंच के बाद बड़े चाचा-चाची और मम्मी पापा सब निकल गये,

 
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घर पर में छोटी चाची और चाचा ही थे.
मैं थोड़ा बोरिंग फील कर रहा था क्यों की यहाँ मेरी उमर का कोई नहीं था चाची की एक लड़की थी पर वो मुंबई में अपने मामा के घर पर रहकर पड़ती थी.
गाँव का घर था इसीलिए मेरे लिए कोई अलग से रूम नहीं था एक रूम अलग से था वहाँ पर चाचा और चाची सोते थे.
मैं वहीँ हॉल में अपनी खाट बिछाके सो गया और सोच्ने लगा.
बड़ी चाची के बारे और सेक्स के बारे मे.
छोटी चाची भी एक दम सेक्सी तो थी,
पर उनसे कभी ऐसे बात नहीं की थी.
और यह भी सोचा की क्या छोटी चाची को सिड्यूस करना और सेक्स करना सही होगा?
क्यूंकि घर में आलरेडी २ फीमेल को मैंने सिड्यूस कर दिया था फिर मैंने मन बनाया की नही,
छोटी चाची के साथ ऐसा कुछ नहीं करूँगा क्यूँकि उनसे वैसे ही मेरी अच्छी पट्ती थी और वो वैसे ही मुझसे अच्छे से बीहेवे करती थी.
और वैसे भी इतना चुदक्कड़ बन्ने में भी मज़ा नहीं था लेकिन ऐसे ही में सोचते सोचते छोटी चाची के बारे में फेंटीसी करने लगा.
वो सच में इतनी सिडक्टिव थी की में सोच्ने से अपने आपको रोक नहीं पा रहा था वो एक दम एक्ट्रेस स्वाति वर्मा की तरह लगती हे.
क्या कमर और क्या बॉब्स हे चाची के,
पर मैंने सोच लिया की नहीं रेशु, गाँव में किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी हो जायेगी और ऐसे सोचते सोचते ही में सो गया.
अचानक 11 बजे उठा तो देखा की चाची कही जाने को रेडी थी,
वो बस निकलने ही वाली थी की में उठा तो मुझे देखकर चाची ने कहा
“अरे रेशु इतनी जल्दी क्यों उठ गये..?
अब उठ गए हो तो सुनो, तुम्हारे चाचा अपने क्लिनिक पर गए हे और में भी गाँव वाले क्लिनिक पर जा रही हू, तो अच्छे से घर को देखना, और चिंता मत करना, में जल्दी ही आ आउंगी”..
चाची ने कहा और चाबि मुझे दे कर मेरे गाल पर किस दे कर चलि गयी.
बॉस..नीन्द में से जागने की बारी अब थी,
क्यूँकि आज से पहले कभी छोटी चाची ने ऐसे मुझे किस नहीं किया था में बेड पे बैठे बैठे सोचता रहा और चाची को फैंटेसी करते करते सोचता रहा की आखिर चाची ने किस किया क्यों..
कहीं वो मेरे बारे में भी तो नहीं सोच रही,
जैसे में चाची के बारे में फैंटसी करता हू,
पर फिर सोचा की नहीं वो तो में बोर न हो जाऊं इसीलिए ऐसे किया होगा. फिर में सोचना छोड और टीवी ऑन कर के देखने लगा.
अब मेरे चाचा के बारे में, जी मेरे चाचा अपने ही गाँव में एक क्लिनिक चलाते थे,
पर फिर उनकी प्रैक्टिस अच्छी चल्ने लगी इसीलिए उन्होंने पास के शहर में एक हॉस्पटल खोल दिया,
लेकिन अभी अभी यह सब करने से वो काम में बहुत बिजी रहते थे,
डॉक्टर्स का इंनरोलमेंट,
एडमिनिस्ट्रेशन और वो भी घर से दुर, इसीलिए वो सुबह ९ बजे चले जाते और शाम को ८ बाजे आते थे, इसीलिए अब गाँव के क्लिनिक में छोटी चाची पेशेंट को देखति थी और वो भी दोपहर को 12 से 5.
क्यूंकि सारे काम से उन्हें भी फूर्सत नहीं मिलति थी, वैसे भी अब सारे पेशंट, चाचा के हॉस्पिटल में ही जाते थे.
तो जैसे तइसे मैंने 2 तो घडी में बजा दिये,
पर फिर बोर होने लगा तो मैंने फिर चाची के क्लिनिक पे जाने का सोचा, क्यों न वहॉ जा कर चाची से बातें की जाए,
वैसे भी वहा पर पेशेंट्स तो कम आते हे.
मैंने घर को लॉक किया और निकला की तभी बूंदा बांदी होने लगी और अभी में गाँव के बाहर निकला ही था की तेज़ बारिश होने लगी,
मुझे मज़ा आने लगा, क्यूँकि यह मौसम की पहली बारिश थी.
बॉस भिगने में मज़ा आ गया,
रस्ते के किनारे मुझे छोटी सी बस्ती दीखि थोड़ी दूर पे स्कूल भी था जहा बच्चें खेल रहे थे वहा से लगभग हाफ की मि आगे निकला ही था की बहुत तेज़ बारिश होने लगी
अब में रोड के दोनों तरफ रुक्ने के लिए जगह देख रहा था पर कोई रुक्ने की जगह नहीं दिख रही थी तभी मुझे रोड के लेफ्ट साइड में ५०-६० मीटर दूर एक बहुत बडा पीपल का पेड दिखा जिसके आस पास ४-५ फीट के पत्थर भी थे,

मैने वहि पर रुक्ने का मन बनाया और उस तरफ चल दिया वहा पहुच के मैंने पेड के पास जा के खडा हो गया बारिश और भी तेज़ हो गई थी २५-३० मीटर के बाद कुछ भी दिखाई नहीं देरहा था.
की तब मुझे लगा पेड के पीछे कुछ है मैं थोड़ा घबराया और उस तरफ जा के देखा तो वहा २ लडकिया बैठि थी दोनों स्कूल ड्रेस में थि,एक ने फ्रॉक पहना था जो की उसके घुटनो तक था और दूसरी ने सलवार-सूट पहनी थी.
मुझे सामने देख के दोनों घबरा गई,मैं भी २ मिनट के लिए समझ नहीं पा रहा था की क्या रियेक्ट करु,
 
अपडेट 42

मैने वहि पर रुक्ने का मन बनाया और उस तरफ चल दिया वहा पहुच के मैंने पेड के पास जा के खडा हो गया बारिश और भी तेज़ हो गई थी २५-३० मीटर के बाद कुछ भी दिखाई नहीं देरहा था.
की तब मुझे लगा पेड के पीछे कुछ है मैं थोड़ा घबराया और उस तरफ जा के देखा तो वहा २ लडकिया बैठि थी दोनों स्कूल ड्रेस में थि,एक ने फ्रॉक पहना था जो की उसके घुटनो तक था और दूसरी ने सलवार-सूट पहनी थी.

मुझे सामने देख के दोनों घबरा गई,मैं भी २ मिनट के लिए समझ नहीं पा रहा था की क्या रियेक्ट करु,

खैर मैं उनके पास गया तो वो दोनों खडी हो गई मैने पूछा…
तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो और तुम लोगो का घर कहा है,
तो उनमे से एक लडकी ने कहा वो पास वाली प्रायवेट स्कूल में १०थ क्लास में पढ़ती है,
ओर सुबह लेट हो जाने की वजह से वो स्कूल नहीं गई स्कूल में लेट होने पे टीचर से मार पड़ती है और वापस घर जाती तो डाँट पड़ती.
इसलिए दोनों यही रुक के स्कूल छूटने का इंतज़ार कर रही थि,इनका घर यहाँ से २ किमी आगे राईट साइड में एक गाव है वहा पर था.
थोड़ी देर उनसे मैंने बात की अब तक मैंने उन्हें अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया था,वह दोनों बहुत भोलि और मासूम थि, तब तक मेरे मन में कुछ भी गलत नहीं था उनको लेकर .

अब तक हम लोग खडे होकर ही बातें कर रहे थे मैंने उनको बैठ जाने को कहा और खुद भी वही पडे २ फ़ीट के पत्थर पे बैठ गया और वो दोनों मेरे सामने दो छोटे पत्थरो पे घुटने को अपने गर्दन से चिपका के बैठ गई,
गिली होने के वजह से उन्हें थोडी ठण्ड भी लग रहा थी उनके होंठ कांप रहे थे,तभी मेरी नज़र उस लडकी पे गई जिसने फ्रॉक पहना था उसका फ्रॉक निचे से उसके घुटने से निकल कर निचे चला गया था और उसकी लाल चड्डी मुझे दिखि,उस्की चड्डी दीखते ही मानो मुझे करंट का झटका लगा हो,
अब मेरे अंदर का शैतान मुझ पे हावि होने लगा था मुझे सेक्स किये हुये भी बहुत दिन हुये थे अब एका-एक वो लडकिया मुझे सेक्सी और कामुक लगने लगी थी उसकी गोरी-गोरी जाँघे देख के मेरा लंड टाइट हो गया था,
अब मैं उन दोनों लड़कियों को चोदने का प्लान करने लगा था वो दोनों लड़कियां मेरी इस मानसिकता से अन्जान बारिश में ठण्ड से कांप रही थी और एक दूसरे से चिपक कर बैठि थि,
अब मैं उन दोनों को घुर रहा था दोनों का रंग साफ था अब गाव की लड़कियां तो शहर की लड़कियों की तरह गोरी होती नहीं है,
उन दोनों का ऐज x6 या x7 साल होगा.
गाल फुले हुए थे होंठ पतले और लाल-लाल थे उनके बॉब्स मुझे नहीं दिख रहे थे उनके बैठे होने के कारण अब मैं उनको थोड़ा डराना चाहता था ताकि मैं जो करना चाहता हूँ उसमे आसानी हो,
मैने उन दोनों लड़कियों की तरफ देखा और पूछा तुम दोनों झूठ तो नहीं बोल रही मुझ से,कहि किसी और कारन से तो यहाँ इतने सुन्सान जगह पे तुम दोनों रुकि नहीं हो?

उनमे से एक लडकी ने घबराते हुए कहा नहीं -नहीं हम सच कह रही है,मैने थोडा टाइट आवाज़ में कहा देखो मैं एक पुलिस बाला हूँ अगर झूठ बोली तो अभी फ़ोन कर के पुलिस वालों को बुलाउंगा और तुम्हे ठाणे में ले जा के वो सब सच उगलवा लेंगे अब वो लडकिया डरणे लगी थी पुलिस का नाम सुन के तो अच्छे-अच्छे डरणे लगते है वो तो गाव की मासूम और भोली-भाली लडकिया थी.
मैने उन्हें अब और डराया ….मैने पूछा तुम दोनों यहाँ किसी लड़के के साथ तो कुछ करने नहीं आई हो या कर चुकी और मुझे देख के वो लड़के भाग गये,बोलो?

ओ दोनों लड़कियां अब और घबरा गई और रोने जैसी शकल बनाते हुए बोलने लगी की नहीं वो सच कह रही है और यहाँ किसी लड़के से मिलने नहीं आए है,..अब वो दोनों खडी हो गई थि, मैंने कहा ठीक है मैं अभी फ़ोन कर के गाडी मंगवाता हूँ और तुमलोगो को ठाणे ले के चलता हूँ वहा जब गांड पे डण्डे पडेंगे तो सब सच बोल दोगी और डॉक्टर भी तुम्हे चेक कर के बता देगा की तुमलोगो ने किसी लडके से करवाया है या नहि, मै अपना मोबाइल निकाल के ऐसे ही नम्बर डायल करने लगा वो दोनों रोने लगी और रोते हुए बोली नहीं हमे ठाणे नहीं ले जाइये गाव में हमारी बदनामी होगी.

मैने कहा तब तो मुझे ही चेक करना पड़ेगा की तुमने किसी लड़के के साथ कुछ किया है या नहि,वो दोनों झट से मान गई मैने उनका नाम पूछा तो जिसने फ्रॉक पहना था उसने अपना नाम गीता बताया और दूसरी का नाम रानी अब जब वो दोनों खडी थी तो उनके बॉब्स अब मुझे दिख रहे थे गीता के बॉब्स थोड़े बड़े और रानी के बॉब्स उससे थोड़े छोटे थे.
मैं गीता के पास गया और उसके पीठ पे हाथ फिराते हुए उसके गांड तक गया और दोनों हांथों से उसके गांड के दोनों पार्ट को दबाया उसकी गांड बहुत प्यारी थी छोटी और बहुत कोमल.
फिर मैंने उसके बॉब्स को देखा और पूछा ये क्या है वो शरमाई और सर निचे कर ली मैंने फिर पूछा तो उसने बताया ये स्तन है
मैंने उसके दोनों बॉब्स को पकड़ के थोडा दबाया और फिर हाथ निचे की तरफ सहलाते हुए उसके नवी से निचे उसकी कमर पे लेगया उसकी कमर बहुत पतली लगभग २४ साइज की थी
और उसके गांड का साइज ३२, मैने उसके फ्रॉक के उप्पर से ही ऊसके चुत को सहलाया और पूछा
इसे क्या कहते है तो उसने डरते हुए और शरमाते हुए कहा की ये चुत है, अब मैं रानी की तरफ गया और उसके अंगों का साइज मैं लेने लगा वो गीता से थोड़ी लम्बी थी
पर उसके बॉब्स गीता से छोटे थे गीता का बॉब्स जहा ३४ साइज का था
वहि रानी का साइज ३२ था लेकिन जैसे ही मैं रानी की गांड पे अपने हाथ फिराये उसकी गांड बहुत मस्त और फुली हुई थी उनका साइज ३६ था या उससे ज्यादा होगा.

मैने रानी के बॉब्स को दुबारा से दबाया और कहा
"अरे ये तो गीता के बॉब्स से छोटे है मतलब गीता ने जरूर किसी लडके से चुदाया है और अपना बॉब्स चुसवाया है तभी उसके बॉब्स बडे है….
ये सुन के गीता घबरा गई और बोली
"नहीं अभी तक किसी लड़के ने मुझे नहीं छुआ न ही मैंने किसी से चुदवाया है".
मैने कहा "
ठीक है फिर अपने कपड़े उतारो फिर चेक करते है"
वो बोली …"नहीं आप ऊपर से ही चेक कर लीजिये"..
मैने थोडा ऊँचे आवाज में दुबारा कपड़े उतारने क लिए कहा तो वो झिझकते हुए कपड़े उतारने लगी फिर मैंने रानी से भी कहा की तू भी अपने कपड़े उतार तेरा भी चेक अप करना है वो दोनों अब भी झिझक रही थी तो मैंने कहा
"देखो मैं यहा पे अकेला हूँ और तुम्हे जानता भी नहीं अभी तुम लोगो का चेकअप कर के मैं यहाँ से चला जाउँगा और तुम अपने घर चलि जाना किसी को कुछ पता नहीं चलेगा".
 
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