Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने
12-01-2018, 12:22 AM,
#31
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैंने भाभी को कमर से अपने करीब लेकर उनके बालो को थोडा पीछे करके हलके से उनके माथे को चूमा और भाभी को ड्राय किस दिया... हम दोनों नंगे खड़े थे तो ये किस के साथ मेरे लंड ने दस्तक दी भाभी के चूत पर...

भाभी: आराम कहा कोई करने देगा... ये महाराजा तो तैयार बैठे है...
मैं: तू है ही इतनी चिकनी माल के क्या करे कोई...
भाभी: फिर तेज बुरा मान जाएगा अगर चूत उसे नहीं मिली तो...
मैं: ओके उनसे ही पूछ लेते है... की उसे सिर्फ चढ़ के हल्का होना है या बाकायदा चुदाई करनी है?
भाभी: लण्ड एक बार खड़ा हो जाये न तो मर्द को मना करना मुश्किल है... वो फिर अपनी सिर्फ हवस पूरी करता है...
मैं: मैं बात करता हु उनसे...
भाभी: वो शायद मान भी जाये नौकर जो ठहरा... हा हा हा... तो फिर मैं सो जाउंगी थोड़ी देर...

मैं तेजसिंह को मनाने उनके रूम में गया... वो राह ही देख रहा था... पर मुझे देख उनकी आँखों पर नाराज़गी साफ दिखाई दी...

मैं: देख तुजे सिर्फ चढ़ना है भाभी पर या मस्त चुदाई करनी है...
तेज: चुदाई करनी है...
मैं: तो अभी उसे सोने दे... एक घंटे के बाद वो निचे तेरे रूम में आएगी ठीक है?
तेज: ह्म्म्म्म
मैं: देख सो के उठेगी मस्त ताज़ा माल मिलेगा समजे... नाह के भी आ रही है तो सफाई हो जायेगी... साले लकी है तू...

उसे जो भी लगा उसके पास भी कोई चारा नहीं था... मैं केविन के रूम में जहा भाभी नहाने गई थी वहा गया... भाभी तो पलंग पर मस्त सोई हुई थी...



मैंने भाभी को उठाना ठीक नहीं समझ के बाहर चला आया... भाभी को पता ही होगा के मैं उनके लिए तेजसिंह को मना ही लूँगा... हम सब मैंने कपड़े पहने... दोस्तों सभी बाहर गए थे... रामु मस्त सो रहा था... तेज एक घण्टा पसार कैसे करे सोच रहा होगा... इस बिच भाभी के निप्पल में छेद करवाने के लिए बंदा हाज़िर हुआ तब मैंने उनको वापस चले जाने को कहा, पर गया नहीं बोला के कुछ तो खर्च पानी का दो... मैंने सोचा के चलो इसे कुछ मिला नहीं पर अब ५०० रूपये दे ही देता हु... मैंने सोचा के निप्पल में छेद किसी और दिन करवाएंगे... भाभी को पसन्द था करवाना तो करवाएंगे ज़रूर....

वो चला गया... प्लानिंग की माँ चुद गई थी और ऐसे कार्यक्रम में ऐसा ही होता है... मैंने केविन को फ़ोन लगाया और बोला के उनके दोनों क्लाइंट को भी मना कर दे... वो थोडा गुस्सा हुआ पर मैंने उनको मिलके चोदेंगे बताया तो मान गया... वैसे भी बर्थडे आज मेरा था... मेरा खुराफाती दिमाग अब कुछ और लेवल पर जा रहा था.. वो मैं आपको बाद में बताऊंगा....

भाभी एक घंटे के बाद निचे उतरी... बिल्कुल ऐसे तैयार हो के..



भाभी तेजसिंह के होश उड़ाने वाली थी... ऐसी सिल्की और मिल्की बदन वाली भाभी अभी तेजसिंह की भी हो जाने वाली थी... मैंने जैसे ही निचे उतरी के भाभी को अपनी एयर खीच के एक मस्त किस उनके मम्मो पर हाथ फिराते हुए की... भाभी के मम्मो की जाली को थोडा निचे करके मम्मो पर भी थोडा अपनी जीभ फिराई...

भाभी: चलो अब दूर हटो वो बुढ्ढे का लण्ड मेरी राह देख रहा है...
मैं: भाभी तेरी ये अल्हड जवानी के तो हर कोई पागल है... जाओ बाद में हमे भी रसपान करवाना है... चलो चलते है...

मैं और भाभी दोनों तेजसिंह के रूम में गए... तेज ऐसे ही पड़े पड़े सो गया था... बेचारा... फिर भाभी ने हलके से उनके बदन पर अपना नरम नरम हाथ फैलाया... तेज की आँखे खुली और सामने ये रूप देख कर... उसे अपनी बाहो में खीच लिया...

तेज: साली मदरचोद इतनी देर इंतज़ार क्यों करवाया?
भाभी: अरे डार्लिंग आ तो गई न अब? अब तेरे पास ही हु... जी भर के चोद लेना..
तेज: अरे अब तो जाने भी तो नहीं दूंगा साली... रंडी होकर इतनी देर कराती है कस्टमर को?
भाभी: चलो जो करना है कर लो पर अब गुस्सा थूंक दो...
तेज: अरे वो तुजे चोदने के टाइम बता दूंगा... गांड मरा....
भाभी: तुजे जो करना है कर लेना...

तेज के हाथ भाभी के अध् नंगे बदन पर घूम रहे थे... मम्मे की जाली को तो उन्होंने भी खीच कर आज़ाद कर ही दिया... वो मम्मो के पीछे पागल था शायद... वो लगातार मम्मो को चूस रहा था...

भाभी: तू चाहे तो काट भी ले...
तेज: सच?
भाभी: हा... मज़ा तुजे तब ही तो आएगा... पर हल्का हल्का...

तेज ये सुनके भाभी के मम्मो पर दांत भीच ने लगा... कैरम में स्ट्राइकर को मारते है वैसे निप्पल पर मारता... और दांतो से भाभी कहर न उठे खिचता....

भाभी: जब इनमे निप्पल में रिंग आ जायेगी तब आप लोगो को और मज़ा आएगा...

तेज ने ये सुनके के इक ही जटके में भाभी की पूरी लिंगरी फाड़ के एक जोरदार चमात मम्मो पे मारी...

तेज: साली तू मेरा बिस्तर गरम करने आई है या मालिक से बाते करने? मालिक आप बाहर जाओ प्लीज़...
मैं: अरे मैं कहा...
तेज: मालिक प्लीज़ आप बाहर चले जाइए... मैं इनको... एक तो साली रंडी आई भी देर... मुझे इनको अकेले में ही चोदना है... चले जाओ प्लीज़...
भाभी: ठीक है समीर चले जाओ...

मैं बाहर निकला के सोच ने लगा के अब अंदर क्या होगा? उनका रूम छोटा था तो मुझे आवाज़ सुनाई दे रही थी... पर देखने के लिए की होल में ट्राय करने लगा... मुझे काफी कुछ दिख रहा था... पर वो अगर बिस्तर पर है तो मैं देख सकूँगा वर्ना नहीं... तेज का शारीर महाकाय था... वो जैसे भाभी के पास रूम बन्द करके गया के भाभी पलंग पर बैठी थी वो दिख ही नहीं पाया... भाभी ने बैठे बैठे अपने पैर फेलाए... तो लगा के तेज ने अपना लण्ड भाभी को मुह में लेने को बोला है... और भाभी उनको नजदीक बुला रही है... मैं देख नहीं पा रहा था... मेरा बर्थडे है देखना था मुझे... मैंने दरवाज़ा खटखटाया बार बार खटखटाया... तो तेज ने खोल के बोला...

तेज: मालिक.. प्लीज़...
मैं: तेजसिंह आज मेरा बर्थडे है और मेरी वजह से तुजे ये मस्त माल मिला है मुझे देखना है...

मुझे वो मना नही कर सका... मैं अंदर गया...

तेज: देख कुतिया अगर तूने मालिक की और देखा भी गलती से तो मैं बहोत ख़राब बन जाऊंगा... एक औरत चुदते समय सिर्फ आजूबाजू वाले मर्द पर होना चाहिए...
भाभी: ठीक है...
तेज: चल मुह में ले मेरा...निचे घुटने पे आ... चूस.... आह... आह... अंदर... और जाएगा मेरी रांड ले ले... और बस एक धक्का बस आ...ह ये हुई ना बात... पूरा निगल गई रे तू... बस ऐसे ही चूस चूस... हम्म आ...ह

भाभी पूरा निगल बैठी थी पर तेजसिंह फिर भी धक्के मार रहा था... वो सिर्फ लण्ड पर दबाव बना रहा था.. लण्ड से मुह चोद नहीं रहा था... भाभी जब साँसे फूल गई तब जाके उसने छोड़ा... लंड बाहर निकाल के...

तेज: देख बहन की लौड़ी... मैं रंडियो से काम करवाता हूँ... मैं रंडियो का काम नहीं करता... मैं जैसे भी चोदु धक्के तू ही मारेगी... मैं सिर्फ वीर्य तेरी चूत में निकालूँगा...सिर्फ उसी टाइम मेहनत करूँगा...

ऐसा करके वो पलंग पे सो गया... और भाभी के लिए लण्ड खड़ा कर के सवार होने को बोला... भाभी ने ठीक वैसे किया... भाभी उस खड़े लण्ड पर अपनी चूत जमाने लगी पर... भाभी अभी भी ड्राय थी... चूत इतनी गीली नहीं हुई थी... भाभी अपने थूंक से गीली करने जा रही थी... पर भाभी को तेज ने रोक दिया...

तेज: मज़ा तेरी चूत को जलन पहोंचे तब आएगा मुझे... तेरी चूत तो आज जलनी ही चाहिए... साली बहोत तड़पाया है तूने...
भाभी: तो सिर्फ तू अकेले के बारे में सोचेगा और मैं अच्छा नही फिल करुँगी तो मैं तुजे मज़ा कैसे दे पाउंगी? मज़ा तब आएगा तुजे जब मैं खुद तू जो नहीं भी सोचता वो भी दे दूँ... तब न आएगा? और वो मैं तुजे तब ही दे पाऊँगी जब तू मुझे अच्छा फिल करवाएगा...
तेज: ह्म्म्म्म पर मुझसे रहा नही जा रहा...
भाभी: अरे मैं अब कहीं नहीं भागी जा रही हूँ...
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12-01-2018, 12:22 AM,
#32
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
तेज ने बात तो मान ली.. और भाभी के बदन को हल्का धक्का दे के पलंग पर गिराके भाभी के पैरो को फैला के भाभी की चूत चाट ने लगा... भाभी को इतना मज़ा आ रहा था के भाभी ने खुद तेज के हाथ को उठाके अपने मम्मे से खेलने को दे दिया... वाह समर्पण... तेज अब ये समझ गया के ये किस टाइप की रांड है... तेज ने भाभी की चूत में एक दो ऊँगली भी डाल कर, जल्दी अंदर बाहर कर के जडने में मदद की... तेज ने भाभी को जाड़कर ही चूत से होठ हटाये... और उंगलिया भी बाद में ही निकाली.... भाभी ने तुरंत ही अपने हाथ से तेज के माथे पर रख के अपनी ऊपर खीच लिया... और अपने ही रस का स्वाद लेते हुए तेज को जबरदस्त किस करने लगी... तेज लगातार मम्मो को दबा ही जा रहा था.. और भाभी को किस करते हुए... दूसरे हाथो से बालो को पीछे से खीच कर दर्द भी दे रहा था... दोनों एकदूसरे की आँखों में देख रहे थे मम्मे भाभी की गर्म सांसो के कारण ऊपर निचे हो रहे थे... दो सेकण्ड के पोज़ के बाद अचानक भाभी ने घूमते हुए अपनी गांड दिखाई... तेज बालो को खीच रहा था वो भाभी पर सवारी करने का न्योता दे रहा था.... जो भाभी ने नैनो की भाषा और मर्द के वर्तन से समझ लिया... तेज ने कमान संभाली... और बालो को खीचते हुए लंड को एडजस्ट करने लगा... भाभी के बालो को वो खिचता तो भाभी नज़दीक आती.. लण्ड ऐसे नही घुसने वाला था.... तो भाभी खुद ट्राई कर रही थी के लंड घुस जाए... तेज के लिये आज ये रांड नौकर ही थी... कर तो अपनी मनमानी ही था.... भाभी ने खुद कर के लण्ड को चूत में घुसाया... तेज धक्के अपने पैरो का इस्तेमाल करके नहीं कर रहा था.. पर बालो को खीच कर पैदा कर रहा था... आखिरी धक्का जैसे लगाया के भाभी के बालो को पूरी तरह खीच लिया...



अब वो भाभी पे सवारी ही कर रहा था... लम्बे लम्बे धक्के मार रहा था... जब भाभी जड़ी के पानी का उपयोग भाभी की गांड में भिगाने के लिए कर दिया... थोड़ी देर बाद भाभी के गांड में भी अनाड़ी ने एक जटके में लण्ड घुसेड़ दिया... अब साला और अनाड़ी हो गया कभी एक साथ दस बारा जटके चूत में मारे फिर दस बारा जटके गांड में... दोनों छेद का मस्त उपयोग कर रहा था... करीब बिस मिनिट के बाद उसने अपनी पोसिशन बदली और भाभी को सुलाके उस पर खुद सो गया... साला जैसे ही भाभी पे सोया के भाभी के हाथ पैर के अलावा कुछ् ना दिखे उतना तो चौड़ा था तेज का शरीर... भाभी पचास पचपन किलो के करीब और वो साला नब्बे किलो के करीब.. अब भाभी के लिए ये काफी चॅलेंजिंग होने वाला है....

भाभी पर पड़ते ही उस पुरे बदन पर तेज मस्त दबाव दिया... उसे होठ पर गले पर मम्मो पर लगातार काटता रहा और धीरे धीरे चूत पर लण्ड सटा के चोदने भी लगा... मिशनरी पोसिशन में भी भाभी एक और बार ज़द चुकी थी... चूत की गहराई अब इतनी हो चुकी थी के पानी निकले ही जा रहा था... भाभी की चूत गीली गीली, सर भी पसीने से लथपथ... तेज चौड़ी छाती के निचे पूरा शरीर गर्मी के कारन पसीना पसीना... जैसे तेज लण्ड अंदर डालता... भाभी के मम्मे दब के साइड से बाहर आते, लण्ड बाहर निकालते ही मम्मे खीच जाते... तेज ने मम्मे को भी अंदर खीच के अपने अंदर भीच लिया... ता के वो भी आखरी पलो में उनके साथ हो... ये बंदा कुछ अलग ही कर रहा था... धक्के उसने थोड़े कम किए.. और अपने हाथ भाभी के फिरते लेने के लिए भाभी को हल्का ऊँचा करके पीठ के निचे अपने हाथ दाल दिए... दोनों हाथ एकदूसरे को पकड़ के कसकर जमे हुए थे... तेज के पैर ने भाभी के पैरो की आंटी ली... और भाभी के पैरो के निचे अपने पैर जमाए... अब भाभी के दोनों पैर एकदूसरे के करीब जुड़े हुए थे और इसीलिए चूत सुकुड़ गई... लंड अंदर और उसपर दबाव का मज़ा तेजसिंह ले रहा था... अब धक्के वापस से तेज करना चालू कर दिया.. अब तो सिर्फ भाभी के हाथ आज़ाद थे... जो की तेज के पसीने वाले पीठ पर घूम रहे थे... भाभी के चहेरे के हावभाव से उसे कसी चूत में लंड शायद एयर ही मज़ा दे रहा था... तेज भाभी के कंधो पर अपना सर रखे इसी पोसिशन में लगातार भाभी को बस रगडे जा रहा था...भाभी लगातार आह... आउच.... ओह नो... प्लीज़... आह धीमे... अरे मैं पूरी दब गई... आह... थोड़ी देर.... प्लीज़.... पर तेज तो तेजी से आगे ही निकले जा रहा था... और एक समय ऐसा आया के भाभी को तेज ने कुछ मजबूती से एकदम पकड़ा और भींचते भींचते ही पूरा वीर्य भाभी के चूत में खाली कर दिया....

वह क्या नज़ारा था... भाभी भी उस टाइम जड़ चुकी फिर से... अब वो काफी थक चुकी थी... इतना वजन था फिर भी वो हिलने का नाम नहीं ले रही थी... गरमी के कारन तेज खुद निचे उतरा भाभी पर से... और सीधा लेट गया... एक ही जटके में लंड निकाला वो दर्द भाभी को जुरूर हुआ... पर तेज अलमस्त अपनी ही धुन में था... और मुह फेर कर सो भी गया... मैंने भाभी को उठने में सहारा दिया और उनको बाहर लेके आया...

साले तेजसिंह ने सच में एक रंडी की तरह ही चोद दिया भाभी को... पर भाभी का चहेरा कुछ अलग बयां कर रहा था... वो खुश तो थी पर थकी थी... अब तो प्लान सब चोपट हो गया था जो हमने बनाया था... मैं भाभी का ये जज़्बा देख कर उसे अकेले उनसे ख़ुशी पाने की सोच रहा था... शाम के पांच बजे थे और कम से कम मेरे पास चार पांच घंटे थे... सब ने भाभी को चोद चोद कर अपनी हवस पूरी कर ली थी। दोनों नोकर भी सो गए थे हवस पूरी कर के... मेरे दोस्त को कभी भी उनको अब घर आके चोद ने ही वाले थे... बाकि के प्रोग्राम का कुछ करेंगे "रिटर्न गिफ्ट" धीरे धीरे दे देंगे भाभी को चाहिए तो...

मैं कपड़ो में और भाभी नंगी हम केविन के रूम में आये...

भाभी: जाओ बुला लाओ तेरे सारे दोस्तों को...
मैं: क्यों? मन नहीं भरा?
भाभी: ऐसी बात नहीं उन लोगो के आई हूँ और उन्ही लोगो को सिर्फ एक बार मिली हु मैं... तो उनका काम तो होना चाहिए न?
मैं: ह्म्म्म पर मैं क्या सोच रहा था?

मेरा ध्यान भाभी की चूत पर था... पसीने से लथपथ भाभी की चूत से वीर्य टपक रहा था... भाभी की चूत फूल चुकी थी।

भाभी: हम? क्या सोच रहे हो?
मैं: भाभी क्यों न हम दोनों कहि अकेले ये शाम बिताये?
भाभी: तो तेरे दोस्त?
मैं: उसे मना लूंगा माँ चुदाये लोग, मेरा बर्थडे है आखिर... और तू सब में बटी जा रही है...
भाभी: हा हा हा जलन?
मैं: वैसे कुछ समझ ले.. मैं और तुम सिर्फ दो।
भाभी: और चुदाई....!
मैं: अरे वो तो करना ही पड़ेगा न?
भाभी: पर अभी ये लोग?
मैं: अरे वो घर आकर तुजे चोद लेंगे न?
भाभी: ह्म्म्म वो भी ठीक है...
मैं: हा तो चलो...
भाभी: अरे पर कपड़ा तो नही है और जायेंगे कहा?
मैं: केविन की कार है... पीछे पड़ी है... हम दोनों उसमे जाएंगे...
भाभी: कपड़े?
मैं: नंगी रहना... पर देख ले कोई लिंगरी मिल जाए तो थोडा ढकना ही तो है... रस्ते पर कोई मिल जायेगा तो वही किसीको तुज पे चढ़वा दूंगा...
भाभी: तो तू मुझे लोगो से चुदवाने ले जा रहा है?
मैं: नहीं बस ये चाहता हूँ के कुछ अलग और नया करना है... अभी तो क्या सब आयंगे और तुज पे चढ़ेंगे तेरा डबल पेनेट्रेशन करेंगे और फिर मज़ा ख़तम... यो सब सो जायेंगे... ज्यादा से ज्यादा ट्रिपल पेनेट्रेशन करेंगे तेरा... आज कुछ नया करते है...
भाभी: चल कुछ नया करना है न? जा गाडी तैयार रख के राह देख मैं तैयार होक आती हूँ... मैंने कुछ देखा है... चल कुछ नया करते है...

भाभी सीडियो पर नंगी चढ़ती गई कवीन के रूम में और मैंने केविन की गाडी की चाबी जो मुझे मिली थी उसे उठा ली... मैंने केविन को फोन लगाया और उसे सब बताया... मेरा बर्थडे था तो मुझे कोई मना नहीं कर सकता था... पर भाभी को घर आकर बराबर बिना कोई रोकटोक सब भीच कर मसल देगा... ये वादा लेकर वो लोग मान गए...

मैं गाड़ी में भाभी की राह देख रहा था... के भाभी के दर्शन हुए... भाभी ने ऐसे कपड़े पहने थे...
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12-01-2018, 12:22 AM,
#33
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
वह तो कातिल था... भाभी मेरे साथ इस हाल में मेरी प्यास और हवस बुजाने और अपनी चूत गांड का बाजा बजवाने आने वाली थी... मेरी गाडी में बैठी... आते ही मैंने उनके पुरे बदन पर हाथ फैलाया...मम्मो की घाटी में मैंने मस्त किस किया... भाभी के बदन की खुशबु कुछ अगल बयां कर रही थी के वो नाह के आई है... मेरे लिए भाभी ने अपने बदन को सवारा था... भाभी और मैं गाडी में बैठे बैठे... अरे यार कोई कैसे अपने आप को संभाल पाये अगर एक खूबसूरत औरत जो एकदम अल्हड़ बदन की मालिक आपके सामने... माफ़ कीजिए एकदम बगल में और वो भी ऑलमोस्ट नंगी... पता है औरत अधनंगी जब सामने आ जाए तो हालात खस्ता हो जाये... ये शाम एकदम हसीं जाने वाली थी वो भाभी के स्माइल से पता चल रहा था...

अपने होठो पर अपनी लाल जीभ घुमा कर मुझे उकसा रही थी...

भाभी: हैपी बर्थडे समीर...

क्या मादक अदा और अपने मम्मे को मेरी और जुका के बोली...

मैं: भाभी तू चीज़ सच में जबरदस्त है...
भाभी: तेरी है... इस बदन का मालिक तू ही है... और आज तो तू अपना जन्मदिन मना... अभी की शाम अब तू और मैं पति पत्नी है... तू मुझे सिर्फ कीर्ति बुलाएगा...

भाभी की ये अदा जो अपने मम्मे के जलवे दिखाते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हल्का सा दबा दिया... मुझे एकदम करीब आके प्यार किया और मस्त मेरे होठो पर कसकर किस किया... आज ये खूबसूरत औरत मेरी पत्नी थी, तन और मन दोनों से अब ये मेरी थी... अगले तिन घंटे तक... ये मेरी सबसे हसीं शाम होने जा रही थी... मैंने कार का इंजिन स्टार्ट किया ही था के भाभी ने मेरे पेंट की ज़िप खोलनी स्टार्ट की...

मैं: कीर्ति प्लीज़ अभी नहीं में अपना संतुलन खो बैठुगा...
कीर्ति: आप टेंशन मत लो मेरे स्वामी, मैं आपको अगले मुकाम पर ले जाना चाहती हूँ...
मैं: हनी... प्लीज़ अभी नहीं हाइवे पर... आज नहीं डरूंगा... आज तुजे वही मसलूँगा, ज़ाडिओ में चोदुंगा... तेरे बदन से इत्तर निकालूँगा... पर अभी नहीं प्लीज़...
कीर्ति: तो ले के चलो मुझे जहा आपका मन करे... बस मुझे अलग मत करना मैं आपको जो चाहिए वो दूंगी, जो चाहेंगे करुँगी।

भाभी का आप से जो समर्पण भाव जन्मा था... उसके पुरे मस्त बदन का मालिक मैं था...

मैं: मेरी जान बस आज तो तुजे मैं ही नहीं जो भी मिलेगा वो भी चोदेगा... बस देखती जा किस किस को तुज पे चढ़वाता हूँ...
भाभी: हा हा हा... आप जो बोलेंगे वही करुँगी और आपको जो पसंद है वही होगा...

मैंने धड़कते दिल के साथ गाडी को हाइवे की और ले ली... दोनों के मन में वासना का कुछ अलग ही लेवल था.... दोनों के मन में एकदूसरे को खुश करने का हवस साफ़ दिख रहा था... गाड़ी हाइवे पर रुकते ही... मंद मंद हवा में भाभी की और का काच निचे किया ता के ठण्डी ठण्डी हवा में वो अलग महसूस करे... ठंडक महसूस करे... कीर्ति की चूत गीली होती चली जा रही थी... मैंने देर न करते हुए गाड़ी को हाइवे पर जगह देखे बीना रोक दी... शाम का वख्त सूरज डूबने की और जा रहा था और हम दोनों गाडी के रुकते ही एकदूसरे को रोक ही नहीं पाये और एकदूसरे को एकदम आगोश में ले लिया... कीर्ति को कितनी बार चोद चूका था पर हर बार उसके बदन से मुझे एक नया ही संतोष और आंनद मिलता है... औरत वही है जो अपने बदन को हर बार अपने मर्द को अलग अलग अंदाज़ में परोसे... तो मर्द कही बाहर जा ही नहीं सकता.. दोनों की साँसे हांफते हांफते एकदूसरे को सुख देने में थी और एकदूसरे को चूमते हुए बाते करती रही...

कीर्ति: प्लीज़ प्लीज़ समीर... प्लीज़... मुझे चोदो, मुझे छोड़के मत जाना... प्लीज़ जो करना है... मुझसे करवा लेना...
मैं: कीर्ति... तू तो मेरे जीवन में आई हुई पहली औरत है.. तुजे मैं... कैसे..... छोड़ सकता हूँ... आज तुजे... हाइवे पर ही बड़ी बेरहमी से चोदने वाला हूँ... पति... हु तेरा....
कीर्ति: हा समीर बस भर ले मुझे अपनी बाहो में... आज ये मेरा वादा है... आप जो कहेंगे वो हर वादा पूरा करुँगी...

हम दोनों एकदूसरे को चूमे जा रहे थे... भाभी की लिंगरी जाली वाली थी और उसके ऊँगली फसा कर उसके बदन का लुफ्त उठा रहा था... निप्पल भी बाहर थे... जिसे मैं खीच खीच कर भाभी की आवाज़े बढ़ा रहा था...

मैं: कीर्ति मैं चाहती हूँ आज तू जो भी फिल करे वो जोर जोर से बोल... भले जिसे सुनना हो सुने... मैं तेरा पिघलना जोरो से सुनना चाहता हूँ... तू तेज़ आवाज़े कर... बस ये मुझे और उकसा रही है...

भाभी का मुह अब पूरी आज़ादी से चीखे दे रहा था... जैसे में निप्पल को खींचू... वो जोर से आउच करती... उसके मम्मो पर जोर से चपत मारता वो और जोर से आवाज़े निकालती... हर बार सेक्सी तरीके से...

मैं: चल पीछे की सिट पर...
कीर्ति: हाइवे का मतलब हाइवे.... आओ बाहर चलो... रस्ते पर ही चोद डालो... मुझे आज नहीं डरना... भले ही कोई आ जायेगा... तो उसे देख लेंगे... पिछली बार भी डर के मारे आप खुल नहीं पाये थे... पर आज नहीं... आज आपका मन मारना नहीं है मुझे... आपका बर्थडे स्पेशियल बनाना है... जो सुबह के बाद और भी रंगीन हो जाए...
मैं: हा चल मादरचोद...
कीर्ति: आप कपडे पहने रखिएगा... मैं नंगी आपके निचे...

हवस का लेवल को और आगे बढ़ा कर हम दोनों गाडी से निकल के बाहर आये... कीर्ति बड़ी बेशर्मी से अपने बदन को ढकने की कोशिश भी नहीं कर रही थी... नंगी ही तो थी... मंद मंद चलते पवन में हम दोनों बाहर निकलते ही कुछ भी देखे बिना के कहा है हम... एकदूसरे को चूमने लगे... मैं कीर्ति को बड़ी बेरहमी से सब जगह काट रहा था... चूंटी काटता... मसल रहा था... मैं बोनेट पर था और कीर्ति मुज पर... हम गाडी के एक और जाके एकदूसरे से लिपट गए... भले ही आज चुदाई पब्लिक में होने वाली थी पर जितना हो सके छुप भी रहे थे क्योकि डर तो लगा रहता है मन में.... मैंने कीर्ति को धक्का मार के हाइवे पर उसकी लिंगरी से वापस खिंचा... लिंगरी बिच में से चिर गई... एक तो पतली सी थी... वो भी खुद ने अपनी बाकी की लिंगरी का हिस्सा खुद काट डाला... पूरी नंगी हो गई... और मेरे शर्ट के बटन उसने खीच के फाड़ डाले.... हम दोनों एकदम से इन्टेन्स एकदूसरे को गले लग गए... मैं उनके मम्मो को हाथ में लिए हुए किस कर रहा था... भाभी पे सनलाइट गिर रही थी और उनका बदन चमक रहा था... किस करते करते भाभी मेरे शर्ट को निकाले मेरे छाती पर किस करते करते घुटनो पर बैठ गई... उसने मेरा बेल्ट निकाल के मेरा पेंट निकाला... तय हुआ था के मैं कपड़ो में रहूँगा... पर आज कोई प्लान काम नहीं कर रहा था... हवस जो करा रहा था वही हो रहा था...

भाभी एकदम मस्त स्माइल देते हुए, मेरे लण्ड को मुह में लेकर मस्त अपने मुह को चुदवा रही थी.... मैं भी भाभी के सर के बाल पकड़ कर अंदर बाहर चुदाई कर रहा था... भाभी की आँखे अपना मुह चुदवाने के टाइम मुझे देख कर आँख मार रही थी... उसे मैंने बालो से उठाया और बोनेट पर उल्टा रख कर पीछे से चूत में लौड़ा घुसाने लगा... खड़े खड़े भाभी ने अपना एक पैर बोनेट पर चढ़ाया और चूत में लण्ड को जाने का रास्ता दिया... मैंने सर के बाल को अपनी और खीच कर दूसरे हाथ से मम्मे पर एक जोरदार चाट मारी... और उसी टाइम लण्ड को चूत में पेल दिया... भाभी बड़ी आवाज़ कर कर के मुझे और उकसा रही थी... आसपास कोई नहीं दिख रहा था... भाभी की चूत का आगे का हिस्सा बोनेट को छु रहा था मेरे हर धक्के पर... मैंने भाभी को पूरा बोनेट पर धक्का दे दिया... अब भाभी के मम्मे बोनेट पर थे... पीठ मेरी ओर... मैं भाभी की मस्त और घमासान चुदाई कर रहा था... भाभी के चूत से अचानक लण्ड निकाल कर मैंने भाभी को सीधा कर के भाभी की चूत पर एक चमात मारी... भाभी की मुह से आवाज़ सुन कर मुझे और ताव चढ़ा और दोनों मम्मो पर एक बार फिर से चमात जड़ दी... भाभी को बोनेट पर सुला के मैं भाभी के ऊपर उसे दबोच रहा था... भाभी के मम्मो से खेल रहा था... पर लण्ड को चूत में घुसा नहीं रहा था... मैंने भाभी को ज़ाडिओ में ले जाने का फैसला किया... मैं भाभी के निप्पल को खीचते हुए नंगी लेकर ज़ाडिओ में ले गया... पर उससे पहले मैंने अपना पेंट पहन लिया था... वहा ज़ाडिओ में कांटे बहोत थे जो भाभी को परेशान कर रहे थे... मैंने मस्ती में एक कांटे को तो हलके से मम्मो और निप्पल घुमाया... वो कहर उठी...

मैं: अरे जाने मन जब निप्पल में छेद करवाओगी तो ऐसे ही किसी नुकीली चीज़ से छेद होगा...
कीर्ति: आप सिख लेना और आप ही वो दर्द दे देना.... निप्पल में कौनसी टाइप का रिंग पहनाना है वो भी आप ही तय करना...
मैं: अरे जानेमन अभी तो मैं तुजे ये कह रहा हूँ के यही नुकीली जगह पर तुज चोदना चाहता हूँ...
कीर्ति: मुझे वैसे भी दर्द भरी चुदाई पसंद है... और वैसे भी यहाँ कहा कुछ ऐसा है जो हम निचे रख पाएंगे... कोई जानवर का डर है बस... आपको कुछ नहीं होगा आप तो मेरे पर सोयेंगे न?

भाभी को मैंने घुटनो के बल वापस बैठाया... भाभी को थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्योकि भाभी जैसे बैठी के घास भाभी के चूत को छु रहा था... मैं ये देख रहा था और इसीलिए भाभी को निचे और बैठने के लिए धक्के मार रहा था...

कीर्ति: अरे ये घास चूत में जा रहा है...
मैं: इसिलिए तो कर रहा हूँ... घास से भी चुदवाऊँ तुजे...
कीर्ति: तो ठीक है...

वो अच्छे से बैठ गई... फिर उनके बाजु में मैं बिठा और पेंट से लौड़ा निकाल कर भाभी के सर को जुका के लण्ड चुसवा रहा था... उस टाइम में भाभी के चूत में घास डाल के उसे छेड़ रहा था... उसके मम्मो पर घास घुमा रहा था... मैंने अपना पेंट निकालना चाहा तो मैं खड़े होने जा रहा था... लण्ड मुह से निकल गया...

मैं: मादरचोद खबरदार जो लण्ड मुह से निकाला तो....

मैंने अपना पेंट निकाला और अब नंगा खड़ा था... भाभी मेरे लण्ड के निचे बोल्स भी चूस ने लगी... अब मैं अपने बस में नहीं था...

मैं: चल मेरा अब होने वाला है... जल्दी सो जा... मैं अब तुज पे चढूंगा... तेरी चूत में ही माल निकालूँगा अपना... चल चल जल्दी सो जा...

भाभी ने ऐसा ही किया... घास पर वो सो गई... मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया... और लण्ड पर हल्का सा दबाव दिया चूत में घुसाने को... तभी रोड से ट्रक निकला... मैंने कार देखि खुली थी... तो मैंने भाभी को बोला....

मैं: जा... भोसडीकि... कार बंध कर के आ... चाबी भी ले आ...
कीर्ति: अरे पहले चोद लो ना... आपका होने वाला था न?
मैं: अरे रंडी में कंट्रोल कर रहा हूँ... तू जा...
कीर्ति: हा तो उठिए तो सही मेरे पर से...
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12-01-2018, 12:22 AM,
#34
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैं ने उठकर उसे जाने की जगह दी... भाभी गांड मटकाये हाइवे पर जाकर कार का दरवाज़ा बन्द करके बिंदास वापस आ गई... मैंने वापस उसे सोने को कहा... मैं वापस उसपर चढ़ गया... मैंने अपने पैर उनके पैरो पर रखे और मेरे हाथ उनके हाथ पर.. और हलके से लण्ड को चूत में घुसाने लगा... ठंडे ठंडे पवन में मैंने थोडा दबाव बनाकर भाभी की चूत में लण्ड पूरा घुस दिया। खुली हवा में चोदना अलग ही मज़ा है... मैंने अब हल्के हल्के धक्को को बड़े में तब्दील किया... मैं बकायदा घास पर उसे रगड़ रहा था.. मेरा माल जब निकलने वाला था तो उनके मम्मो को मैंने हाथ में लेकर... अपने नाख़ून से उसे दबा रहा था... जैसे मम्मा नही इक बलून हो... और ऐसे ही मैं उनको चोदते चोदते अपनी चरमसीमा पहुंच के पूरा वीर्य भाभी की चूत में उगल दिया... अहह्ह्ह... क्या बयां करू उस ख़ुशी के मौके का... मज़ा ही मज़ा... लड़की के ऊपर चढ़कर उसके अंदर हल्का होना और वो भी बाहर कहीं हाइवे पर... थोड़े थोड़े डर के साथ... मज़ा आ गया... हमने वहा कामक्रीड़ा में करीब आधा घंटा बिता दिया था... 

वही पड़े पड़े पसीने से लथपथ ज़ाडिओ के बिच में एक दूसरे की बाहो में थे... भाभी की पीठ पर घास चिपके हुए थे... मम्मो पर मेरे नाख़ून के निशान दिख रहे थे... पर मैं भाभी के ऊपर से उतरा नहीं... भाभी की छाती पर मैं अपना सर टिका कर सो रहा था... भाभी मेरी उंगलिओ में हाथ घुमा रही थी...

भाभी: अब तो मेरे पास कुछ नहीं पहनने को और ऊपर से चादर भी नहीं लाइ... क्या करेंगे...
मैं: अरे तू आज मेरी बीवी है... देखा जाएगा... अपने अपार्टमेंट में वैसे भी दस बजे के बाद सन्नाटा है... मैं कपडे लाऊंगा और तू गाडी में पहन लेना ऊपर आ जाना...
भाभी: और तब तक?
मैं: अरे तब तक तो तू मेरे साथ है... हमारे पास अभी भी तिन घंटे है... कुछ् मस्ती मारते है... तुजसे किसी को खुश करवाते है...
भाभी: यहाँ ? कहा? अरे कुछ गड़बड़ हो गई तो?
मैं: तुजे चोदेंगे उस से ज्यादा तो और क्या हो सकता है?
भाभी: आप भी न....
मैं: चल अभी तो गाड़ी में चल...
भाभी: हा आप पहन लो कपड़े... मुझे तो नंगी ही रहना है...
मैं: एक काम करते है... ऐसे नंगी तो मज़ा नहीं आएगा... तू मेरा शर्ट पहन ले... मैं ऊपर से नंगा रहूंगा चलेगा... चल पहले मेरा लौड़ा साफ़ कर दे...

भाभी ने अच्छे से मेरा लौड़ा साफ़ किया और फिर हमने ऐसे ही किया जो तय किया था... जब गाडी में बैठी... वो अपने आप को पूरी ढक भी नही पा रही थी। शर्ट वैसे सिर्फ कुछ कुछ हिस्सा ढकने को तैयार था पर नंगी तो थी वो बिलकुल बयां कर रहा था... मेरा शर्ट भाभी के मम्मो के उभार पर तो कैसे आ सकता था?

हमने गाडी में फिर से एकदूसरे को मस्त किस किया और गाडी चलाने लगा... थोड़ी दूर ही गए थे की मैंने देखा की एक ढाबा आया था... वह जगह काफी सुमसाम लग रही थी.... वो अभी खोल ही रहा था... और वो होते है न कुछ ढाबे जहा सिर्फ रात को ही आते जाते है लोग और वो भी ट्रक वाले बस वैसे ही एक ढाबा लग रहा था... मैंने गाडी रोकी..

मैं: जा दो कोफ़ी बोल के आ...
भाभी: इस हाल में?
मैं: ह्म्म्म जा और थोडा तड़पा के आ इस ढाबे वाले को...
भाभी: आप भी तो आओ...
मैं: नहीं मैं देखूंगा दूर से.. क्या होता है...बिना मज़ा करवाये मत आना...

हम दोनों हस पड़े... भाभी मेरा एक शर्ट पहने हुई थी, अपने आप को संभाले हुए... क्या संभाल ने लायक था...? वैसे तो नंगी ही थी... एक शर्ट से एक लड़की अपने आप को कितना छुपा सकती है... चोबीस-पच्चीस उम्र की अल्हड़ लड़की (आपको पहले ही बताया ये पांच साल पुरानी कहानी है, और भाभी और मेरे बिच ये सम्भोग वाला रिश्ता डेढ़ साल के बाद ही शुरू हो चूका था) नंगी होये तो क्या मज़ा करवा सकती है ये आप उसपे चढ़ो तो ही जान सकते हो... भाभी गांड मटकाये गाडी से उतर कर ढाबे वाले की और चल दी। पुरे नंगे पैर गांड मुश्किल से ढकी जा रही थी और आगे भरे मम्मो के कारन शर्ट बन्द नहीं हो पा रहा था और हो भी सकता तो शायद बटन न होने के कारन तो पकडे की चलने पड़ता, क्योकि जरा सा आजूबाजू खिसके के चूत तो दिख ही जाती... दूर से मैं क्या देख पाता? सुन भी नहीं सकता था तो मैंने बाहर निकल के भाभी के साथ जाने का फैसला किया... भाभी की पास जा के मैंने कहा...

मैं: मैं मूत के आता हूँ... तब तक इसे मुता मत देना...

हम दोनों हस पड़े... ढाबे वाला दूर से सब देख रहा था... उसके हाव भाव से उसे अपने आप पर यकीन नहीं हो रहा था... अपनी आँखे मसल रहा था... उसे मुझे देखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी... वो तो सिर्फ अधनंगी एकदम मस्त माल को देख रही थी... क्या गजब की एक मस्त लड़की अपने बदन को सिर्फ एक कपडे से ढके हुए अपनी और आ रही थी उसे देख रहा था... मैं जा के ढाबे के पिछवाड़े से होकर अंदर आया... मैं उनको देख पाउ और बाते सुन पाउ ऐसे बैठ गया... भाभी अपने मम्मे को ढकने का व्यर्थ प्रयत्न करते हुए आगे बढ़ रही थी शर्म थी थोड़ी मुह पे... पर अगर मम्मे छुपाना चाहे को चूत की लाइन दिख जाने के डर से वो खुद को बचाते बचाते आगे बढ़ी और...

भाभी: भैया दो कोफ़ी देना...
ढाबेवाला: वो... ये... है न... आगे... वो सब... अभी खुला नहीं... मैं... हा हा बन जायेगी... आगे... यहाँ... नहीं अंदर... हा हा... बैठिए... हा हा कोई बात नहीं खड़ी रहिए... बैठेंगे तो... मेरा मतलब है....
भाभी: हा हा हा... लड़की नहीं देखि क्या कभी?
ढाबेवाला: हा... मतलब नहीं.... आपके जैसे नहीं.... आप बैठिए न... मतलब है खड़ी रहिए... जो आपको ठीक लगे...
भाभी: क्या करू बोल बैठु... के खड़ी रहूँ?
ढाबेवाला: ज... जो आपको ठीक लगे... मेमसाब...
भाभी: तू क्या चाहता है?
ढाबेवाला: मैं...बस... बैठिए न... नहीं नहीं खड़ी रहिए...
भाभी: हा हा हा... सकल तो देख अपनी... हा हा हा...

भाभी हँसी तो मम्मे थोड़े बाहर को निकल ने की कोशिश करने लगे... निप्पल के आजुबाजु के रिंग तक तो उनका दाया मम्मा साफ़ बाहर निकल पड़ा था... भाभी ने उसे ठीक करने की कोशिश की, तो थोड़ी हवा आई उसमे निचे से शर्ट थोडा उठ गया तो चूत के हलके से दर्शन होने लगे... ढाबेवाला तो समझ ही नहीं पा रहा था के आगे करे क्या? मतलब हालत उनकी खस्ता हो गई थी... नज़रे कहा गाड़ के रखे? मम्मो पर या चूत पर? ढाबेवाला हल्का काले रंग का और ये भाभी मस्त गोरी चिट्टी...

भाभी: कोफ़ी बना रहे हो के जाउ?
ढाबेवाला: अरे रुको रुको... बना रहा हूँ... बस... हा...
भाभी: हा हा हा... अभी झांखना बंद करो... और काम करो.. क्या नाम है तुम्हारा?
ढाबेवाला: भोलू...
भाभी: भोलू... जरा भी भोला नहीं है तू... कहा कहा नज़रे जमा के रख रहा है... काम कर अपना... मेरे पति यही है... आते ही होंगे...
भोलू: अरे मेमसाब... मैं... अपना... पर आप ने... कपडे... पर... ठीक है... माफ़ कीजिए....

वो नीची मुंडी करके अपना काम करने लगा पर तिरछी नज़र से तो वो भाभी के हुस्न को पि रहा था... कोफ़ी बनाने पे उनका ध्यान ही नही था... दूध की थैली ली पर दूध काटने गया और फर्श पे गिर गया... पोछा मारना चाह रहा था और जाड़ू से सफाई कर रहा था... गैस पर बर्तन जो रख्खा था वो सिर्फ पानी उबल रहा था... नमक लिख्खा था फिर भी डाल दिया... दूध की दूसरी थैली आधा निचे आधा अंदर... वो क्या कर रहा था... उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था... भाभी उसे देख देख कर हस रही थी के अचानक भाभी का हाथ शर्ट से छूटा और भाभी के मम्मो की स्पस्ट घाटी के साथ साथ... दो सेकेण्ड के लिए चूत के दर्शन हो गए... ये तो अचानक ही था वो मुझे भाभी के हावभाव से पता चला....

भोलू: मेमसाब अभी लोग आना चालू करेंगे... जल्दी से कोफ़ी पीके चलते बनिए... प्लीज़...
भाभी: तू कोफ़ी भी तो कहा बना रहा है... इतना क्या शरमा रहा है?
भोलू: वो... मेमसाब... है न?
भाभी: सब ख़राब कर रहा है... सीधा सीधा बोल क्या है?
भोलू: आप ऐसे एक कपडे में हो इसलिए मेरा ध्यान वहा से हट नहीं रहा है... आपके पास कपडे नहीं है क्या? क्या हुआ कुछ हुआ क्या? ये हाइवे में ऐसा कभी कुछ गलत नहीं हुआ पहले...
भाभी: तो तू क्या चाहता है... पुरे कपडे पहन के आउ? तो मज़ा आएगा?

साली ने अब लाइन देना स्टार्ट किया तो ये तो वैसे भी ढाबेवाला था... उनकी भाषा को तो कोई कैसे पहोच पाये?

भोलू: ऐसे नंगी घुमोगी तो किसीका ध्यान कही पे भी भटकता रहेगा... क्या खाक काम में मन लगा रहेगा... हादसे ऐसे ही हो जाते है...
भाभी: वाह... मुझे जैसे कपडे पहन ने हो ऐसे पहनू... तू कौन होता है बोलने वाला?

भाभी ने उनके हावी होने से पहले खुद को हावी कर दिया... भोलू चुप चाप काम करने लगा... वो अकेले अकेले बोले जा रहा था...

भोलू: पहले बोले के सीधा बोलो तो सीधा बोल दिए... फिर जब सीधा बोले तो मिर्ची लग गई... खुद अधनंगी घूम रही है और मुझे ज्ञान दिए जा रही है... मैं भी मर्द हूँ... भले अच्छा हु पर नियत नही बिगड़ेगी क्या?

भाभी सुन तो सब रही थी पर कुछ नहीं सुनने का नाटक कर रही थी... भाभी हलके से गैस के उस और थी वो साइड से होकर अंदर आने लगी... भोलू अंदर की और जाने लगा...

भोलू: मेमसाब आपके पति आजायेंगे और हमारे ग्राहक भी... एक तो दूसरा आदमी भी आज छुट्टी पर है... आप बाहर खड़े रहे... गाडी में चले जाए... चाय आपको वही दे जाऊँगा... कितना नुकसान कर दिया मैंने धंधे के खोलते ही...

वो अब अपने काम पर लग चूका था... बात को भाभी भी आगे बढ़ा नहीं रही थी... ढाबेवाले का नुकसान मुझे भरपाई करवाना था भाभी से... मैं अब आया...

मैं: क्या डार्लिंग, बिना कपड़ो के ही बाहर आ गई...
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12-01-2018, 12:22 AM,
#35
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैं ऊपर से नंगा था... मैंने भाभी को मेरी और खीच के शर्ट के अंदर से भाभी को अपने बदन से सटीक दिया... पीछे छे शर्ट हल्का उचा करके कूल्हे पर मैंने हाथ फिराया... और भोलू की और देखा और उनको भी भाभी के कूल्हे का नज़ारा दिखाया...



मैं: मस्त है न?

भोलू: हा... पर... ह्म्म्म... मालिक... वो..



मैंने भाभी को भोलू की और किया और भाभी ने तुरंत अपने शर्ट से खुद को ढक दिया... मैंने भाभी को रोक दिया उसने मेरे सामने डर से देखा और दोनों शर्ट के फीते अलग हो गए और चूत के नज़ारे को दिखाने लगे... भाभी अपने आपको छुपाने के लिए मुझसे फिर से गले लग गई... तो मैंने भाभी का पिछला हिस्सा ऊपर करके वापस गांड के दर्शन भोलू से करवाये... भोलू खुद को संभालने में असमर्थ था... तिस बत्तीस साल का ये भोलू अपना आपा अब खो रहा था... पर खुद पे कंट्रोल कर रहा था...



भोलू: साहेब कोई आ जायेगा... प्लीज़ चले जाओ...

मैं: तू बोल सच में चला जाऊ?

भालू: साहेब हा चले जाओ... यहाँ आने वाले लोग अभी थोड़ी देर में आएंगे वो कोई अच्छी नियत से नहीं आएंगे... कुछ बुरा हो जाएगा...



भाभी तो मुझसे गले लगी हुई थी... मैंने शर्ट को और ऊपर किया और भाभी की गोरी गोरी पीठ भी बताई... पीछे से तो भाभी मानो पूरी नंगी ही थी...



मैं: बोल चला जाऊ? सोच ले... एकबार फिर से...

भोलू: अरे मालिक क्यों परेशान कर रहे हो?

मैं: तो जाऊ या बैठु?

भोलू: मेमसाब से तो पूछो?

मैं: वो सिर्फ मेरी बात सुनती है... और अभी में तुम्हारी... बोल... जल्दी..

भोलू: रुक सकते हो तो रुको...

मैं: तो तेरे ग्राहक?

भोलू: आएंगे तब पीछे कमरे में चले जाना...

मैं: ओके चल तू कहता है तो रुकते है... कहा बैठे बोल?

भोलू: मालिक, आप को जहा ठीक लगे...



मैंने भाभी को मुझसे अलग किया...



मैं: चल अब अंदर जाकर बैठते है....



भाभी ने वापस अपने शर्ट को ठीक से पकड़ना पड़ा ता के चूत के दीदार हो न जाए... मैं और भाभी अंदर वो जहा चाय बना रहा था... वह जगह चैर लगाई... मैंने एक अपने लिए ही लगाई...



मैं: तू अपनी खुद ले कर आ...



ये अब भाभी के लिए खुद को ढकने में चैलेंज था... वो ना नुकुर करती रही.. पर मैंने दबाव दिया...



भाभी: भोलू तू उस साइड देख...

मैं: अरे तू थोड़ी मालकिन है इस जगह की... वो देखना होगा तो देखेगा नहीं तो नहीं देखेगा... तू आ अंदर आके बैठ...



भाभी को पता था के मैं नहीं मानने वाला... भाभी के पास और कोई चारा नहीं था... भोलू एकटुक सब देखे जा रहा था... उसे तो जो भी मिल रहा था जैकपॉट ही था ये सब... भाभी ने हार मानकर चैर उठाई और एक जटके में उसे अपने बदन को ढकने जैसे रख दिया... तो कुछ नज़ारा दिखा तो नहीं पर मैं भोलू को देख समझ गया के उनके मनमे क्या क्या चल गया... भाभी अपने पैर पे पैर चढ़ा के चूत को ढाँके हुए बैठी... और मम्मो भी शर्ट से ढकने का व्यर्थ प्रयोग किया...



मैं: चल कोफ़ी बनाएगा? या इसे देखे ही रहेगा?

भाभी: वो कुछ नहीं बना रहा है... नुकसान पे नुकसान किये जा रहा है...

भोलू: अरे मालिक अभी दस मिनिट में...

मैं: वैसे तू इन्हें घूर क्यों रहा है?

भोलू: (अपना काम चालू रखते हुए) मालिक ऐसा कभी मैंने पहले देखा नहीं है... जो आज मैंने देखा है...

मैं: क्यों? लड़की नहीं देखि?

भोलू: अरे मालिक... काम के बोज़ से कुछ फुरसत मिले तो न?

मैं: शादी नहीं की?

भोलू: शादी कौन करेगा ढाबेवाले से? और कौन करायेगा? घर पे कोई होना भी तो चाहिए...



भोलू अपनी पीठ घुमाए बात कर रहा था... इसीलिए बिना हिचकिच बोले जा रहा था...



मैं: कोई नहीं है मतलब?

भोलू: अरे परिवार में अकेला हूँ.. अनाथ हु... आते जाते राहदारी ही परिवार है... पता नहीं कब से यही हूँ... यहाँ का कोई मालिक था वो गुज़र गया है दस साल पहले तब से यही रोजी रोटी है मेरी...

मैं: ह्म्म्म तो खाना बनाना और चाय वगैरह सब सिख कैसे लिया?

भोलू: बस मालिक काम पर आने से पहले दो तिन जगह होकर आता था... और ऐसे ही सिख सिख के सब चला दिया... और अब चल रहा है...

मैं: वाह, बड़ी हिम्मत है तुज में... चल अगर मस्त कोफ़ी पिलाएगा तो एकदम मजेदार इनाम भी दूंगा... शायद...



भाभी मेरी और देख के धीमे से बोली

भाभी: इसे कुछ नहीं मिलगा इतना काफी है

मैं: आज मेरा जन्मदिन है... और तू मेरी बीवी.. याद है?



वो जूठा सा गुस्सा कर ने लगी... पर वो कुछ नहीं कर सकती थी क्योकि मैं उनका अभी पति हूँ और आज मेरा बर्थडे है... मैंने भोलू के लिए सोच के रख्खा था...



मैं: तो कभी कुछ करने को मन नहीं होता?

भोलू: (शरमा कर) अरे मालिक क्या पूछते हो... मेमसाब के सामने?

मैं: हा तो कोई बात नहीं उसने भी तो मज़े किये... अभी अभी मज़े करके ही तो आई है.. है न डार्लिंग? तू अपना बता...

भोलू: नहीं मुझे शरम आती है...

मैं: अरे बोल न... इधर शरम आती है तो उधर देख के ही बोल...

भोलू: मालिक मेमसाब बुरा नहीं मानेगी न?

मैं: नहीं मानेगी बोल...

भोलू: मन तो बहोत होता है... पर हाथ से काम चलाना पड़ता है... यहाँ ढाबे पे भी तो आप आये उससे पहले कोई लड़की... मेरा मतलब ये जगह अच्छे लोगो के लिए नहीं है ऐसा लोग मानते है तो कोई आता नहीं... सिर्फ ट्रक वाले ही आते है...

मैं: ये मेरी बीवी है...

भोलू: हा मालिक नसीब वाले हो आप...

मैं: तू उनसे बाते कर... मैंने काफी ड्राइविंग की है थक गया हूँ... मैं यहाँ पर लेटा हु थोड़ी देर... कोई आये तो इसे अंदर भेज देना...

भोलू: मालिक कोफ़ी तो पिलो...

मैं: तुम दोनों पीओ मुझे नींद की ज़रूरत ज्यादा है...



अब मैं उनके पीछे थोड़ी जगह थी वहा जाकर सोने का नाटक करने लगा... मुझे अब देखना था के भाभी और भोलू आगे क्या करते है...



भोलू: लीजिए कोफ़ी मेमसाब...

भाभी: आजा तू भी कोफ़ी लेकर...

भोलू: वो आप पीजिए न... मैं... फिर... मेरा ध्यान...

भाभी: रिलेक्स... मेरे पति ने तुजे मुझसे बाते कर ने को बोला है फिर क्यों डरता है?

भोलू: अरे ऐसे नहीं होता न... मैं कुछ गलत कर जाऊ तो वही मालिक मुझे मार मार के भरता बना देंगे...

भाभी: अजी सुनते हो? ये अगर मेरे से कुछ बात करे या कुछ उल्टा सुलटा करे तो आप को कोई दिक्कत है?

मैं: अरे मुझे सोने दो न... जो करना है करो मुझे मत जगाना अगले एक घंटे तक... तुजे जब बुरा लगे तो मुझे उठाना...



मैंने खुली छूट दे दी... पर ज़रूरी है भोलू की आज़ादी...



भाभी: देख लिया...अब बोल... आजा मेरे पास बैठ जा...

भोलू: बढ़िया तो फिर... पर आप लोग हो कहा से...

भाभी: बाजु के शहर से...

भोलू: ह्म्म्म शरीर से ही शहरी लग ही रहे हो...

भाभी: शरीर से?

भोलू: हा वही तो... गोरा गोरा बदन... मालिक का भी है देख के पता चल जाता है...

भाभी: और मैं?

भोलू: (नीची मुंडी किये) आप तो स्वर्ग से उतरे अप्सरा के तरह हो...

भाभी: कभी लड़की को छुआ तक नहीं पर सोच तो बहोत गहरी है...

भोलू: अरे मूवी देखते है न... बी ग्रेड मूवी देखते है तब...

भाभी: अच्छा... बी ग्रेड मूवी देखते हो आप महाशय?

भोलू: अरे मेमसाब... क्या करे हलके होने के लिए...

भाभी: पोर्न नहीं देखता?

भोलू: (एकदम लाल जो गया) अरे मेमसाब क्या बोल रही हो... एक दो दफा देखि थी... उसमे तो विदेशी औरते क्या जलवे दिखाते है... एक बात बोलुं? अगर बुरा न माने तो?

भाभी: हा बोल...

भोलू: आप न एकदम उनके जैसे ही दीखते हो...

भाभी: हा हा हा... कपडे से या दिखने पर?

भोलू: दोनों तरीको से...

भाभी: अच्छा जबान अच्छी चलने लगी तेरी अब...

भोलू: अरे मैंने पहले ही बोला था... माफ़ कर दो मेमसाब...

भाभी: हा हा हा मज़ाक कर रही हूँ... तो तू पोर्न भी नहीं देखता?

भोलू: कहा मेमसाब यहाँ तो टीवी देखने को भी नहीं मिलता...

भाभी: काफी बोरिंग लाइफ नहीं जी रहा तू?
भोलू: क्या कर सकते है... लोग बाते करते है तो लगता है की मेंढक बन के रह गए है...
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12-01-2018, 12:22 AM,
#36
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी ने अपने पैरो की करवट एक से लेकर दूजे पर की... ये एकदम बोल्ड मूव था मेरे हिसाब से... भाभी ने अपने शर्ट को पकड़ना वैसे बातो बातो में छोड़ दिया था... दोनों मम्मे की बीचमे भाभी की कोमल छाती मस्त दिख रही थी... भाभी मेरी और थी और भोलू की पीठ मुझे दिख रही थी... मैंने भाभी को इशारा कर के आगे बढ़ने को बोला... पर ये अनाड़ी क्या करेगा ये भी एक प्रश्न था... पर मैंने सिर्फ देखना मुनासिब समजा... भाभी को अभी तक जो भी मिले ये सब अनाड़ी ही मिले, ये देखनेवाली बात थी, सुबह कैक वाले को छोड़ कर ये मुझे थोड़ी उकसा रही थी की एक औरत कुछ ही दिनों में काफी मर्दों के कौमार्य को छीन रही थी... अपनी चूत से... इनके साथ भाभी की बात आगे बढ़ेगी के नहीं वो देखना था... मैं उनमे शामिल होउ भी या नहीं ये भी मेरे मन में विचार दौड़े जा रहे थे...

भाभी: तू ठीक से बैठ जा...

भोलू एक्चुअली में अपने पेंट में लण्ड को छुपाने की कोशिश कर रहा था...

भोलू: वो मेमसाब कोई कैसे...
भाभी: क्यों क्या हुआ?
भोलू: आप बहोत ही खूबसूरत है और आपने बहोत ही कम कपडे है...

एक ही सांस में भोलू बोल गया...

भाभी: हा हा हा... मैंने कपडे ही कहा पहने है?
भोलू: हा वही... आप...
भाभी: हा बोल जो बोलना है खुल के बोल...

भाभी अपने बालो को संवारती हुई...

भोलू: मेमसाब आपसे कुछ भी बोले कम है आप सचमुच की अप्सरा है... मैं नहीं बोल पाउँगा... मालिक भी यहाँ है... और मैं...
भाभी: अरे बाबा... सर कुछ नहीं बोलेंगे... तुम बोलो जो मर्जी है... देखो कितने बजे?
भोलू: हम्म? साढ़े सात बजे...
भाभी: मेरे पास दो घंटे है यहाँ से निकल ने के लिए... तो बोल...
भोलू: पर आधे घंटे में तो काफी लोगो की चहल पहल चालू हो जायेगी... आप को देरी न करते हुए अभी चले जाना चाहिए...
भाभी: अरे तू बार बार मुझे जाने के लिए ही क्यों बोल रहा है? चली जाउ? चलो चले ही जाते है... अजी सुनते हो?
मैं: हा बोल! क्या हुआ?
भाभी: ये जाने को बोल रहा है... चलो चले जाते है....
भोलू: अरे अरे मालिक आप... अरे मेमसाब मुझे... एक मिनिट...

वो बोलते बोलते चुप हो गया क्योकि भाभी जब कड़ी हुई उसने अपने शर्ट को नहीं संभाला था... और चूत साफ़ साफ़ दिख रही थी...

भाभी: क्यों कुछ देख के तो कुछ कुछ होने लगता है और जाने को बोलते हो?

अब भोलू को भूल जाओ... हा हा हा... वो अब बिलकुल खुल चूका था... अधनंगी औरत को देख कर... जन्नत का रास्ता देख कर... वाह क्या नज़ारा...

भोलू: अरे आप तो हा हा हा निचे देखिए जरा...
भाभी: ले बंद कर दिया बस?

भाभी ने शर्ट वापस ढक दिया... शर्ट के बटन थे नहीं तो शर्ट बंद भी तो नहीं कर सकते थे...

भोलू: अरे आप क्या कर रही है... कुछ समझ नही आ रहा...
भाभी: तुजे समझ के करना भी क्या है?
भोलू: पर ये सब काल्पनिक लग रहा है... सपने के तरह...

भाभी हलके से एक कदम आगे बढ़ी... भोलू एक कदम पीछे गया... भाभी ने हाथ लंबा करके भोलू के कंधे पर रख्खा... दूसरे से शर्ट को संभालती रही... या यु कहो के संभल ने नाटक करती रही... हाथ रखते ही...

भोलू: आ...हा...हा.... मेमसाब ये सपना तो नही लग रहा... पर अलग अलग लग रहा है... आपने इस गरीब को छु कर पवित्र कर दिया...
भाभी: अभी तक छुआ कहा है... बिच में ये शर्ट है तेरा... इस के बहाने तू मुझे छूने को बोल रहा है...
भोलू: हा अगर आज्ञा हो तो...

भोलू भोलू ही था... वो लड़की से बात करने का तरीका या फ्लर्ट करने का तरीका जनता ही नहीं था... इसलिये ये सब दिलचस्प रहा... भोलू ने अपना हाथ उठा के डाइरेक्ट भाभी की छाती पर छूने जा रहा था...

भाभी: अरे अरे ये क्या कर रहे हो...
भोलू: माफ़ कीजियेगा छु रहा था...
भाभी: तो हाथ छु न...
भोलू: सॉरी सॉरी गलती हो गई...
भाभी: चल तुजे जहा छूना है वहा छु ले...
भोलू: अरे वो गलती से... क्या सच में?
भाभी: हा सच में... हा हा हा...
भोलू: आप बुरा नहीं मानेगी न?
भाभी: मैं ही कह रही हूँ...

भोलू के कापते हाथ आगे बढे, और अनाड़ी की तरह से भाभी के छाती में जहा से स्तन के उभार चालू होते है वह जो के स्तन का सबसे नरम हिस्सा होता है वो एक ऊँगली से दबा दिया...

भोलू: बस बस मालिक जाग जायेंगे...
मैं: भोलू... मैं जाग ही रहा हूँ.. पर मेमसाब जो भी कहे वो कर ठीक है?

पहले तो हड़बाबड़ा गया... पर फिर कुछ शांत हुआ... उनके दिल की धड़कने तो मुझे भी शायद सुनाई दे रही थी...

भाभी: तू डरता बहोत है... चल अब मालिक ने भी बोल दिया...
भोलू: तो मैं वापस छु सकता हूँ क्या?
भाभी: हा छु ले... हा हा हा....

भोलू ने वापस से पहली ऊँगली से ही वही हिस्से को दबा दिया...

भोलू: वाह क्या नरम नरम हिस्सा है...
भाभी: पूरी की पूरी ऐसी ही हूँ...
भोलू: मालिक खुश किस्मत है...
भाभी: ह्म्म्म्म...
भोलू: और छु सकता हूँ क्या? गले....
भाभी: ओ बाप रे... गले मिलना है तुजे? पता है न के मैंने कुछ नहीं पहना...
भोलू: वो बस... मैं तो... माफ़ कीजिएगा...
भाभी: हा हा हा हा... चल आजा....
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12-01-2018, 12:23 AM,
#37
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभीे को अपना शर्ट छोड़ना पड़ा... और भाभी ने अपनी बाहे फैला कर उसे सीधा गले मिल गई... भोलू हक्का बक्का था... भाभी का अधनंगा बदन भोलू को छु रहा था... भोलू सोच रहा था के वो भाभी को भींचे या नहीं...

भाभी: तू नहीं गले लगेगा क्या?
भोलू: मैं अपने हाथ... सच में?
भाभी: ह्म्म्म्म

भोलू ने अपने हाथ भाभी के पीठ पर लगाये... उनके मजबूत हाथ में ये नाजुक सी कली आ गई थी... उसने भाभी को छाती से एकदम भींचने की कोशिश की... और हलके से हाथ निचे किया... जैसे में भाभी की गांड सहला रहा था.. वैसा प्रयास... भाभी ने रोका नहीं... तो हाथ घूमते घूमते शर्ट ख़तम हुआ तब तक पहोच गए... और भाभी कुछ नहीं बोली तो हाथ शर्ट से निचे गांड पर हल्का सा स्पर्श किया... डर से, गलती से पहोच गया ऐसा जता कर फिर से शर्ट पर हाथ घुमा रहा था के भाभी ने भोलू के हाथ को वापस निचे कर के गांड पर रखवाया और भोलू के सामने देखने लगी... दोनों एकदूसरे को देख रहे थे...

भाभी: डर मत छु ले...

भोलू ने हल्के हल्के कुल्हो को मसलना शुरू किया... मख्खन जैसे भाभी के कूल्हे भाभी की शान थे... जो थोड़ी देर पहले आँखों के सामने मसले जा रहे थे... वो अब भोलू के हाथ में थे.. दोनों हाथ से भोलू मसले जा रहा था के वो अकड़ गया और थोडा ठंडा पड़ गया... साला पहली बार लड़की को छु रहा था... तो वो खलास हो गया...?

भाभी: हा हा हा हा.....
भोलू: वो सॉरी मेमसाब... वो... गलती... सॉरी...
भाभी: कोई बात नहीं इट्स ओके.... हो जाता है...

भाभी को अब शर्ट को पकडे रहने की आवश्यकता नहीं थी... चूत साफ़ दर्शन करवा रही थी...

भोलू: वो... मैं... गलती... ऐसा...
भाभी: अरे बाबा कोई नहीं... चलो निकालो पेंट...
भोलू: अरे नहीं नहीं... कोई आ जायेगा... आप भी..
भाभी: मैं नंगी नहीं हूँ डरना तो मुझे चाहिए... चल पेंट निकाल...

भाभी जबरदस्ती कर रही थी... न करती तो भी वो मान जाने वाला था... भाभी अपने घुटनो के बल बैठ गई...

भोलू: अरे अरे मालकिन आप घुटनो पे...
भाभी: औरत का सच्चा स्थान यहीं है...
भोलू: क्या क्या क्या मेमसाब?
भाभी: कुछ नहीं.... मुझे बैठे बैठे ही फायेगा...

भाभी ने पेंट की चेन खोली तब ही लण्ड नाप लिया था... पेंट की क्लिप खोली तो अंदर निक्कर गिला पाया.. भाभी ने तुरंत ही निक्कर निचे किया... और सामने बाप रे... ग्यारह इंच का लम्बा साँप... तिन इंच चौड़ा... मज़दूर लोग का ये हथियार हमेशा मजबूत होते है... भोलू... अपना लौड़ा छुपाने की कोशिश कर रहा था.. पर भाभी तो उनके लिए इंतज़ार ही नहीं कर रही थी... अभी ये छुपाने की कोशिश कर ही रहा था के... भाभी ने लण्ड हाथ हाथ में ले लिया...

भोलू: मेमसाब क्या कर रही हो? प्लीज़.. ये गन्दा है...
भाभी: शह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्...
भोलू: पर....
भाभी: चुप एकदम चुप... मज़ा आ रहा है न?
भोलू: (आँखे बन्द कर के) हा.... एकदम... क्या हाथ है आपके...

भोलू की आँखे बन्द थी का फायदा उठा कर भाभी ने अपनी जीभ निकल के लौड़े के टोपे पर हल्की सी छु ली... भोलू की आँखे तुरंत खुल गई उनके बदन में बिजली पसर गई...

भोलू: ये क्या कर रही है... बिलकुल ही विदेशी औरत की तरह....
भाभी: तुजे पसंद है? मैं उनके जैसा करू क्या?
भोलू: पर ये गन्दा है... मुझे साफ़ करने दो...
भाभी: मुझे पसंद है...

भाभी ने जीभ फिराई... भोलू से खड़ा रहा नही जा रहा था... तो कुरसी पे बैठ गया.. भाभी ने एडजस्ट किया और आधा मुठी में लेकर और आधा लण्ड हल्के से मुह में लिया... भोलू बस एन्जॉय कर रहा था... भाभी ने हलके से लण्ड को मुह में जगह दी... धीरे धीरे लण्ड को वो पूरा निगल गई... भोलू को नहीं पता था के लण्ड से क्या करना है... तो भाभी ने उनका काम किया... खुद मुह को अंदर बाहर करने लगी... इसको तो ये भी पहला अनुभव था तो इसे डीप थ्रोट देना भाभी को मेहनत का काम लगा... पर भाभी जब अंदर बाहर कर रही थी तो लण्ड फिर कड़क हो गया... वो खुद भी ऊपर निचे हो रहा था... जब मज़ा लेना हो तो खुद को भी मेहनत करनी पड़ती है ऐसा भोलू को लगा तो वो खुद मुह में अंदर बाहर करने लगा... जैसे मूवी में देखा था वैसा अनुकूरण करते हुए... वो अब खुद डीप थ्रोट देने लगा... दरअसल उसे गले के अंदर उतरते जब लण्ड पर दबाव आ रहा था वो मज़ा दे रहा था... वो वापस जड़ने की कगार पे था... भाभी ने जानबुज कर लण्ड को और मुह की गहराई में डालने लगी... भोलू को कुछ पता नही था... पर वो भी भाभी के मुह में लण्ड ठूसने जा रहा था... भाभी के सर को भी उसने दबाया और जब वीर्य निकलने लगा तो अचानक डरते हुए भोलू ने लण्ड को बाहर निकालना चाहा, साला मज़ा लेने के टाइम मादरचोद... अरे कौन बताये इनको के मुह में जड़ना कितना अलौकिक होता है.. भाभी मुह से निकलने नहीं दे रही थी और भोलू निकाल ने में था के भोलू के लण्ड ने फवारा छोड़ दिया... और भाभी के मुह को भर दिया...

भोलू: (एकदम तेज़ हांफते हुए) हा.... ह्म्म्म्म... इसीलिए... ह्म्म्म सॉरी... पर.... ह्म्म्म आपने.... निकाल ने नहीं दिया...

भाभी पूरा वीर्य चाट के साफ करके लण्ड को चूस चूस के साफ क्र दिया...

भाभी: देख....लड़की अगर सामने हो तो वीर्य लड़की के छेद में ही निकालना चाहिए... तूने अपना मज़ा आखिर में किरकिरा कर दिया...
भोलू: ह्म्म्म्म आप बिलकुल विदेशी छोरियो के तरह ही करती थी... बहोत मज़ा आया...
भाभी: हम्म्म्म्म बस तो...

भाभी खड़ी हुई और मुड़ गई... और अपने बदन से शर्ट हटाया... भाभी पीछे से बिलकुल नंगी... और फिर मूडी अपने भरावदार मम्मो के साथ... भोलू का लण्ड फिर से सलामी दे रहा था... भाभी ने उठने को इशारा किया... भोलू उठके नंगी भाभी के पास गया... अब उसे कुछ बोलना नहीं पड़ रहा था... अपने हाथ आगे बढ़ाकर सीधा निप्पल को छुआ... मजबूत काम किए हाथ से भाभी को थोड़ी चुभन हुई..

भोलू: दर्द हो रहा है?
भाभी: लड़की को हर बार दर्द होता ही है.. पर मर्द वही जो परवाह उनकी इच्छा के अनुसार करे...
भोलू: (अपनी ही धुन में) कितने नरम नरम है?
भाभी: वो तो जितना दबायेगा मज़ा और आएगा...

भोलू के हाथ काम कर कर के खुरदुरे से थे.. भाभी के सॉफ्ट सॉफ्ट स्तन पर वो जब घूम रहे थे तो भाभी को अलग आनंद आ रहा था... ये अनाड़ी को थोड़े ही पता था के कितना और कैसे दबाते है मम्मे को... वो तो एक हाथ से एक मम्मे पर जैसे रिक्षा का भोंपू बजा रहा हो वैसे दबा रहा था... भाभी ने उनके दूसरे हाथ को भी अपने दूसरे मम्मे पर रख दिया....

भोलू: थोडा और तेज दबाउ? बहोत ही सॉफ्ट है... ऐसा तो कभी अनुभव ही नही हुआ...
भाभी: हा कर न जो करना है.. तुजे मज़ा आना चाहिए...
भोलू: बहोत आ रहा है... अलौकिक है ये... में मम्मे सिर्फ टीवी पर देखे थे आज छु रहा हूँ... वो तो कितना ज़ोर से मसलते है... विदेशी है न?
भाभी: हा तो क्या हुआ... तू भी मुझे आजमा के देख...

भाभी का इगो हर्ट हुआ... के साला अभी नौसिखिया मुझे कैसे चेलेंज कर सकता है... पर भोलू ने आगे की परवाह न करते हुए भाभी के दोनों एकदम लिसे मम्मे पर अपना खुरदुरा हाथ फटाफट चलाने लगा... उसे पता नहीं था के मम्मो को मसला कैसे जाये पर उनका मम्मो पर का पहला स्पर्श उसके चहेरे पर साफ़ जलक रहा था...

भोलू: कितना सॉफ्ट है ये... पर ठीक से मज़ा नहीं आ रहा है...
भाभी: आ...ह और... हा.... क्या करना.... चाहते हो? अच्छे से मसल तो.... आह.... रहे हो?
भोलू: मेमसाब ये मेरा पहला अनुभव है... मैं इसे और भींचना चाहता हूँ...
भाभी: तो दिवार से सट के खड़ी हो जाती हूँ...

भोलू के लिए तो ये भी नया था... वो भाभी को दिवार से टिका के मम्मे को बराबर भीच रहा था... भाभी आह और आउच बोलती रही... मुझे लगता था के मम्मे दबाने से बड़े होते है... पर आज तो दब जायँगे... जितना है वो निकलना जाएगा ऐसा मुझे लग रहा था... साला इतना तो हम भी नहीं दबाये थे.... पर देखने में मज़ा आ रहा था.... जब वो भींचता भाभी की साँसे रुक जाती... और मुह से आह या आउच निकलता... भोलू के हाथ मम्मो के बिच की घाटी में भी घूमते और निप्पल पर भी घूमते... निप्पल पर वो अपना अंगूठा और ऊँगली में उसे फसा के भीच देता... भाभी कहर उठती...

भोलू: खींचू मेमसाब?
भाभी: हा....खीच... आह.... हा... ऐसे ही खीच दाने को... आह तेरे हाथ... खुरदुरे है मज़ा आ रहा है... क्या हाथ है तेरे... हा.... ऐसे ही.... उइमा बस बस इतना भी नहीं... पर बस हा ऐसे ही...
भोलू: मेमसाब... क्या बनाया है खुदाने औरत को नहीं?
भाभी: आप सब के लिए ही तो है...
भोलू: हमारा नसीब कहा मेमसाब... इतना भी मिल गया बहोत है...
भाभी: अरे अभी तो शुरुआत है... तूने विदेशी फ़िल्म में क्या क्या देखा था? मुह में लेगा?
भोलू: हा आपकी इजाजत है तो...
भाभी: हा ले इनको...

भोलू ने अपना पेंट उतार दिया... भाभी ने शर्ट भी उतार ने में मदद की.. अब दोनों नंगे थे... भाभी ने भोलू को अपने और खीच के भोलू के मुख को अपने मम्मे के ऊपर रख दिया... भोलू तो पगला गया था... भोलू की जीभ जैसे भाभी के मम्मे को स्पर्श हुई के भाभी आह कर उठी... एक हाथ में मम्मा और दूसरे पर भोलू का मुह... भाभी ने अपना निप्पल खुद पकड़ के भोलू के मुह में दिया... भोलू जैसे बच्चा दूध पिता है वैसे उसे चूसने लगा...

भाभी: हा हा हा हा... तू भी... ये तो छोटे बच्चे करते है...
भोलू: तो?
भाभी: तूने फ़िल्म में क्या देखा था?
भोलू: वो तो...
भाभी: हा ऐसे ही कर...

भोलू अपने मुह में भाभी का मम्मा पूरा ठूसने की कोशिश कर रहा था... अपने नाख़ून लगा रहा था... दाँतो से काटने लगा... निप्पल को दाँतो से अलग करने का प्रयास करता हो ऐसे ही खीच रहा था... जीभ घुमा रहा था... अपने दाँतो के निशान मम्मो पर देख भोलू पूछ बैठा...

भोलू: मेमसाब दर्द नहीं हो रहा है न?
भाभी: आह.... हां... हो.... आउच... हो रहा है... पर तू चालू रख मज़ा आ रहा है...

भाभी ने भोलू का लण्ड हाथ में लेकर मुठिया ने लगी और भोलू का ध्यान सिर्फ मम्मो पर था....

भोलू: आह... मेमसाब... हा.... बहोत अच्छा.... हा करिए...

ऐसे बोलते बोलते जहा हाथ था वो मम्मे पर भोलू ने अपने नाख़ून से कुछ ज्यादा ही दबा दिया... और दांत से खुछ गहराई से मम्मे को काट दिया....

भाभी: आ.....उ.....च.... आह..... उइमा.... धीमे धीमे धीमे.... हा..... क्या कर रहा है.... दुखता है... कहीं भागी नहीं जा रही हूँ...

भोलू डर गया... पर हाथ से कुछ छोड़ नहीं रहा था.... भाभी का एक मम्मा नाख़ून से तो दूसरा दाँतो से थोडा हल्का सा छिल गया... थोडा ज्यादा करता तो शायद खून निकल आता... अनाड़ी कहीं का... भोलू ने भाभी को गले लगाया... पूरी नंगी भाभी पुरे नंगे भोलू में छुप चुकी थी... भाभी के मम्मे अब भोलू के छाती के बिच दब रहे थे... भोलू का लण्ड भाभी के चूत पर दस्तक दे रहा था... भोलू के हाथ भाभी के पीठ और गांड पे घूम रहे थे... भोलू ने गांड पर भी ऐसे ही अपने हाथो से दबाया... वह जगह भी नाख़ून से दबाना चाह रहा था... पर जो मम्मे का हुआ वो देख कर डर रहा था...

भाभी: आह.... हा भोलू... कर... वहा भी तू जो चाहे कर सकता है.... उसे भी काट दे....हा बिलकुल ऐसे ही...

भोलू अपने नाखुनो से भाभी के नरम नरम कुल्हो पर काट रहा था... अचानक उसे क्या सूजी के एक जोरदार चमाट मार दी...

भोलू: माफ़ कीजिए माफ़ कीजिए...
भाभी: आ.....उ....च.... तू माफ़ी माग माग कर सब किये जा रहा है...

दोनों के बदन के बीच का अंतर ज़रा भी नहीं था... दोनों एकदूसरे को.... भाभी तो ये मजबूत बदन से भीचे जाने पर अलग ही आनंद प्राप्त किये जा रही थी... और भोलू इतनी नर्म नर्म लड़कीको भीचे जा रहा था... भाभी ने अपना मुह थोडा ऊपर करके भोलू के होठ पे अपने गरम गरम होठ रख दिए... भोलू के लिए ये पहला चुम्बन का अनुभव था... वो भाभी के होठ को मस्त चूसे जा रहा था... चूस चूस के भाभी के होठ सुजा दिए... भाभी को बराबर मसल रहा था... करीब चार पांच मिनिट तक होठ चूसे जाने के बाद भाभी का होठ जब दर्द देने लगा तो थोडा अलग किया...
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12-01-2018, 12:23 AM,
#38
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी: अरे पूरी होठ को निकाल दोगे क्या?
भोलू: निचे सब किया तब को कुछ नहीं बोले आप मेमसाब...
भाभी: तो ऊपर नहीं करते... चल ठीक है... मजा आया लड़की को किस करते?
भोलू: हा... गिला गिला लगा... पर मज़ा आया..... जब आपने मुह में लिया तब तो कुछ अलग ही लग रहा था... मेरे माल की खुशबु आ रही है आपके मुह से मजा आया...
भाभी: हा हा हा... अभी तेरे कोई ग्राहक नहीं आये..?
भोलू: पता नहीं क्यों पर अच्छा है न?
मैं: क्या चल रहा है?
भोलू: वो मालिक जो मेमसाब कह रही है वही सब चल रहा है...
मैं: मेमसाब जो बोले वो सब करना...
भोलू: जी मालिक... मेमसाब आप जो कहोगी वो करूँगा... पर मेरी एक इच्छा है बताऊ?
मैं: हा बोल...
भोलू: मेमसाब मैं आप पर सोना चाहता हूँ...
भाभी: हा हा हा... सिर्फ सोना?
भोलू: वो...
भाभी: एक शर्त पर...
भोलू: हा बोलिए?
भाभी: तू जो भी बोलेगा खुल के बोलेगा...
भोलू: हा मेमसाब...
भाभी: हा चल पहले खटिए पर आजा...

भाभी खटिए पर सोई और अपने पैर फैला दिए... और चूत को जैसे होठ चूसे थे वैसे ही चूसने को कहा...

भाभी: भोलू... तूने जो ऊपर के होठ को चूस चूस के सुजा दिया... वैसे ही ये निचे के होठ को चूस चूस के सुजा दे... और जब रस निकले वो पी जाना...
भोलू: सच मेमसाब? आप अपना अंगत अंग मुझे सौपेंगे?
भाभी: हा... कर प्लीज़...

भाभी ने अपने पैर चौड़े कर के चूत पर ऊँगली रख्खी... और इशारा किया आने का...

मैं: भोलू पूरी ताकत लगा देना...

भोलू को और हिम्मत आई... भोलू चूत के पास अपना मुह लगा कर बड़ी जोर से अंदर घुसने का प्रयास करने लगा...

भोलू: अरे ये तो और भी मुलायम है...
मैं: मादरचोद... चूत सामने है और तुजे ऐसा कुछ सूज कैसे सकता है... चल मुह में ले... चूस साली रंडी की चूत को...

भोलू अवाक् हो गया मेरी ये भाषा सुन के...

भाभी: तू प्लीज़ चल चालू रख... मत सुन इनको...

भोलू तो वैसे भी यही चाहता था... वो तू टूट पड़ा चूत में.... उसे चूसे जा रहा था...

मैं: तेरे खुरदुरे हाथ डाल चूत में.... और चूस... निचे गांड में भी डाल, इस रांड का कोना कोना मुलायम सिल्की है...

भोलू वैसे ही किए जा रहा था... भोलू का लण्ड फिर से तन कर खड़ा था... भाभी ने अपने जरने के टाइम पर अपने पैर भोलू के सर पर रख के दबाया... जैसे भाभी अपनी चूत में भोलू का सर डालना चाहती हो.... भाभी ने बड़े चाव से वो पल का आनंद उठाया और ज़ड गई... भोलू जो भी रस निकल के बाहर आया सब पि गया...

भाभी: वाह मेरे भोलू... मज़ा आ गया... आजा मेरे ऊपर...

भोलू अब अपने आपको लण्ड को संभाले हुए भाभी के ऊपर चढ़ गया उसे समझ नहीं आ रहा था के कैसे वो भाभी पर सोए... बेचारा... भाभी ने अपने पैर अलग किए जैसे वो सो सके... भोलू अपना लण्ड अपने पैरो के बिच फसा कर खुद को सुलाने के लिए मेहनत कर रहा था....

भाभी: हा हा हा हा... ये क्या कर रहा है?
भोलू: अरे वो फिर मैं...
भाभी: हम? हम? हम? बोल?
भोलू: वो मैं कैसे सोऊ?
भाभी: तू लण्ड की चिंता मत कर और सो जा... आजा...
भोलू: पर वो... आप के अंदर... वो समझ रही है न?
भाभी: हा हा हा हा... नहीं समझ रही हूँ जरा समजा तो? पहले ही बोला था के खुल के बोलना...
भोलू: फिर मेरा लण्ड आपकी चूत को छुएगा... पर आप अंदर ले लो तो ये प्रोब्लेम सॉल्व हो जाएगा...
भाभी: तो तू करना क्या चाहता है? तू जनता है इसे क्या कहते है?
भोलू: हा मेमसाब... चोदु क्या? प्लीज़? इतना तो आपने मुझे दे दिया है... थोडा और सही!
भाभी: तू जानता भी है के तू मेरे पति के सामने क्या बोल रहा है...

भोलू एकदम भोलेपन से मुझे पूछा

भोलू: मालिक मेमसाब को चोदु क्या?

मैं एयर भाभी दोनों हँसने लगे...

मैं: मुझे क्या पूछ रहे हो, पूछो मेमसाब से...
भोलू: हा क्या मेमसाब?
भाभी: पूछो मालिक से...
भोलू: हा मालिक?

हम दोनों एकदूसरे को पास कर रहे थे के...

भोलू: प्लीज़ बस कीजिए आप दोनों मुझे दर्द हो रहा है... प्लीज़?

भाभी ने भोलू का मुह अपनी और किया... उसे एकदम नजदीक खीच के उसे किस करने लगी... भाभी ने अपना हाथ खुद लम्बा किया और भोलू के लण्ड को अपनी चूत के द्वार पर रख्खा... और भोलू ने जो देखा था उसका प्रयोग किया... भाभी की गीली चूत पर भोलू ने अपना लंड थोडा प्रेस किया... भोलू तेज तेज साँसे छोड़ रहा था.. और चूत पे धक्का मार रहा था... पर लण्ड बेंड हो जा रहा था... वो घुस नहीं मार पा रहा था... ऐसा मेरे साथ भी हुआ था मैं समझ सकता था... भाभी के साथ किस करते हुए भोलू ने धीरे धीरे अपने तंग लण्ड का टोपा जैसे ही अंदर घुसाया के भाभी ने अपने पैर और फैलाकर भोलू के पीठ पर रख दिए... ताके उसको घुसने को और जगह मिले और भाभी के ये करतब ने कमाल कर दिया... थोड़ी ही देर में एडजस्ट करते करते भोलू ने अपना लण्ड भाभी के चूत में समा दिया.... पर एकदम स्थिर हो गया...

भाभी: क्या हुआ?
भोलू: बस अब एडजस्ट हो गया...
भाभी: तो ख़तम? आगे नहीं करना क्या कुछ?
भोलू: क्या करू?
भाभी: अरे अपने लण्ड को आगे पीछे कर तो उससे भी ज्यादा मज़ा आएगा... फ़िल्म में नहीं देखा?
भोलू: पर मेरा अंदर फटा जा रहा है... थोडा भी हिलाया तो कुछ निकल जाएगा....
भाभी: हा हा हा... भले निकल जाए पर जब तक खाली न हो जाए तब तक अंदर बाहर करता रह....

भोलू ने धीमे धीमे अपनी गांड को ऊपर निचे करना चालू किया... वो वजन खटिए पर दे रहा था जो भाभी ने अपने बदन पर दे रहा था... दोनों की सांसे तेज चल रही थी मुझे भी सुनाई दे रही थी... भोलू ने भाभी के बदन को महसूस करते हुवे भाभी को यहाँ तहा किस करने लगा...

भाभी: भोलू.... बस ऐसे ही... तूने जो फ़िल्म में देखा है न जो लड़के विदेशी औरत के साथ करते है... आह्ह्ह्ह्ह् बस.... उम्म्म्म्म्म्म्म वाहआआआआ.... हा ऐसे.... आआआआआ आकर कर मेरे बदन से... मज़ा आ रहा है....

भोलू जाने एक्सपर्ट हो गया हो वैसे लण्ड बाहर अंदर करने लगा के एक दफा लण्ड बाहर निकल गया... पच करके... उसने वापस अंदर डालने की कोशिश की पर फिर से भाभी ने अपना हाथ लम्बा करके लण्ड को चूत से मिलवाया... एक बार वापस से ये शुरू हुआ.....

धीरे धीरे आखिर वापस एकबार चूत में लण्ड घुस गया... भाभी, भोलू के खुरदुरे कसे हुए शरीर से जल्द ही एक और बार जड़ गई... और भोलू के लिए जो थोड़ी दिक्कते हो रही थी चूत में।लण्ड को पेलने में उसे आसानी मिल गई... वो भाभी पर अब आसानी से लण्ड को आगे पीछे कर पा रहा था... चूत से जब वीर्य की टपके बाहर निकली तो मुझे पता चला के भोलू भी एक बार तो जड़ ही चूका है... ये अब चौथी बार जड़ने की कोशिश कर रहा था... पहेली बार में भी काफी कुछ कर दिया उसने... क्योकि वो एकदम काम किया हुआ कसे हुए बदन का मालिक था... भाभी उनका बिलकुल ही साथ दे रही थी... खटिए से कच कच की आवाज़ आ रही थी क्योकि भोलू की स्पीड की मात्रा धीरे धीरे बढ़ रही थी... उसने अब तो भाभी को एकदम ही अपने आप से भीच लिया और भाभी में ही एक और बार जड़ कर एकदम ख़ुशी का इज़हार भाभी के हुश्न को चूमते हुए करने लगा... भोलू ख़ुशी के मारे रो पड़ा....

भाभी: अरे अरे अरे क्या हुआ?
भोलू: मेमसाब... बहोत बहोत धन्यवाद... मैं आपका ऋणी हु... मैं आपका नौकर हूँ... बस आप जो कहेंगे... मैं आपका गुलाम हूँ... मुझे आज स्वर्ग मिल गया... मैं.... मेमसाब....
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12-01-2018, 12:23 AM,
#39
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी ने उनके आसु पोछे और उनको और करीब लाकर...

भाभी: चल एक और बार कर...
भोलू: मुझसे तो एक बार में भी थका जाता हु... आज गिनती भूल गया हूँ... उतना... हांफ चूका हु... और... बस... अब नहीं...

दोनों बदन एकदूसरे को वापस चूमने लगे... पसीने में लथपथ दोनों एक हुए अपने आपको दूसरे के साथ मज़े करवा रहे थे... भाभी दबी हुई भी खुश और सेक्सी लग रही थी... भाभी ने इस पोसिशन में अपने आप को थोडा बाहर निकाल के लण्ड को चूत में ही रखकर भोलू के ऊपर आ गई... पसीने में ये नज़ारा कुछ् ऐसे दिख रहा था...



अब भाभी ऊपर और भोलू निचे था... भाभी ने कमांड हाथ में लिया और एकबार फिर अपनी गांड ऊपर निचे करने लगी, लण्ड ने पकड़ मजबूत बनाये रखी थी चूत में.. भाभी उसका पूरा उपयोग कर रही थी... भोलू मम्मा चूस रहा था.. काट रहा था... और भाभी चुदवाने में भोलू को सहयोग दे रही थी... भाभी फिर एकबार जड़ गई... भोलू भी जड़ने की कगार पर था... और फिर जोर से भाभी के मम्मे से खीच कर अपनी और लेकर कस के दबा कर एक और बार पिचकारी चूत में दाल दी... चूत से और एक बार वीर्य बाहर आ रहा था... भाभी लण्ड को चूत में रखे हुए भोलू पर पड़ी रही... भोलू भी अपने पैर फैला कर पड़ा रहा और भाभी के बदन से खेल रहा था... पर कुछ सुरसुराहट थोड़ी देर में हुई.. हल्के से कान में भोलू बोला...

भोलू: मूतना है मुझे...
भाभी: कहीं नहीं जाना पड़ा रह...
भोलू: इधर ही हो जाएगा... आपकी चूत में...
भाभी: कर दे...

साले ने चूत में मूतना चालू किया... कितना सारा पानी चूत से निकल ने लगा...

मैं: ये क्या हो रहा है..?

दोनों एकदूसरे के सामने देख हसने लगे... और किस किया... मुझे बहोत मजा आया...

मैं: चलो अब और कोई आये उससे पहले निकलते है...
भाभी: चूत में लण्ड अभी भी जवां है और आपको जाना है? अगर कोई आये तो आप उससे निपट लेना... आज तो भोलू के साथ उनकी मेमसाब ऐयाशी करेंगे क्यों भोलू?
भोलू: हा मालिक ऐसा बदन हमें कहाँ नसीब होगा.. और ये तो फिर भी मेरा पहला अनुभव है... हम अंदर के रुम में ही है कोई आये तो बुला लेना... चले मेमसाब?
भाभी: क्या मेमसाब मेमसाब लगा रखा है? रंडी बुला छिनाल बुला..... गाली वाली नहीं आती क्या?
भोलू: हा मादरचोद आती भी है... पर डर रहा था.. पर तू रण्डी आ गई मेरे निचे तो अब तू मेरी भी है... चल अंदर जाकर मज़े करते है...
भाभी: चल...

भोलू ने लण्ड बाहर निकाल के रखा ही था के भाभी ने लपक मुह में ले लिया... और साफ़ किया... मैं पड़ा पड़ा देख रहा था...

भाभी: आप यह थोड़ी देर बैठिये मैं अभी इनका बिस्तर गर्म करते आती हु...

हस्ते हुए वो दोनों भोलू के रूम में चले गए...दरवाज़ा कर दिया बंध भोलू और भाभी की आवाज़े आ रही थी, भोलू पहली बार चुदाई कर रहा था... पर भाभी उनको आखरी बार मिलने वाली थी, तो वो भी पूरी तरह अपना बिस्तर गरम करवाने में लगा था.. एक घंटे तक भोलू और भाभी का कश्मकश भरी इन्टेन्स चुदाई का अंत हुआ और भोलू अपना पतलून ठीक करते हुए अपने शर्ट के बटन बंध करते हुए बाहर निकला...

मैं: वो किधर गई?
भोलू: पड़ी है मेरे बिस्तर पर साली, मलाई है साली, खूब निचोड़ के रख्खा है... वैसे ये माल मिला कहा मालिक?
मैं: मेरी बीवी है क्या बकवास कर रहे हो?
भोलू: क्या मालिक? कोई अपनी बीवी को किसी का बिस्तर गर्म करवाने ऐसे थोड़ी दे देगा? मस्त रंडिया भी शरमा जाए ऐसी काबिल है बिस्तर पर... मेरा पहला अनुभव था पर वो इतनी मस्त है की मुझे पक्का खिलाडी बना दिया... विदेसी मेमसाब भी ठीक है इनके सामने
मैं: मज़ा आया न?
भोलू: बहोत, चूत में जन्नत के द्वार है ये आज अहसास भी हो गया... क्या मख्खन माल है.. आज एहसास हुआ के आदमी का दिमाग चलने में औरत का कितना बड़ा हाथ होता है... मालिक आपने मुझे तृप्त कर दिया... ये आपका गुलाम हुआ आजसे...
मैं: मैंने थोड़ी कुछ किया है? ये तो सब मेमसाब का काम है...
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12-01-2018, 12:23 AM,
#40
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
इधर उधर की बाते करके मैं अंदर गया तो भाभी बिस्तर पर थकी हुई पड़ी थी... एक खटिए पर एकदम निढाल होकर पड़ी थी, उनके चहेरे पर उनके बाल बिखराये हुए थे... पैर एकदुसरे पर थे और हाथ ऊपर करके, जिससे भाभी के मम्मो में उभार और भी अच्छे लग रहे थे... मैंने भाभी को हल्का जगाया...

मैं: उठ मेरी रानी घर नहीं जाना?
भाभी: ह्म्म्म्म्म्म जाना तो है पर मन नहीं है... काश ये लम्हे खत्म ही ना हो..
मैं: (उनके मम्मो पर हाथ फिराते हुए और मज़ा अनुसार दबाते हुए) यही हम मर्द सोचते है, जब निकलने वाला होता है तब... के काश ये पल यही रुक जाए और वीर्य ज्यादा टाइम निकलता ही रहे... चल अब बड़ी चुनोती है, घर भैया से पहले पहोचना पड़ेगा... और तेरे पास कपड़े तो है नहीं...
भाभी: वो तो कम्बल ओढ़ लुंगी... भोलू का ले लेंगे
मैं: हा वो तो... ख़ुशी ख़ुशी दे देगा... पर घर पहुचने का टाइम जायेगा दो घंटे तो चलो....चले?
भाभी: हम्म्म चलो... आपके दोस्त?
मैं: वे तो आ जायेंगे अपने आप, वे टाइम पर न पहुंचे तो भी फर्क नहीं पड़ता...
भाभी: सही है...

भाभी ने वहा पड़ा एक कम्बल उठा लिया और मैंने अपना खुला बिना बटन वाला शर्ट ऐसे ही पहन लिया... हम बाहर निकले...

भोलू: अरे ये कम्बल, चलो ठीक है तू ही रख ले, देने आना वापिस...
भाभी: हा अब तो आना ही पड़ेगा... अब तू नहीं रोयेगा... मैं महीने में एक बार आया करुँगी तेरे पास इसके इलाज के लिए...

भाभी ने हल्का का दबा दिया भोलू के लौड़े को... कम्बल से हाथ बाहर निकल ते ही एक साइड का थोडा खुल्ला हो गया जहा से भाभी का आधा बदन और एक मम्मा खुल्ला हो गया जो भोलू ने पलक जपकते ही पकड़ के मसल लिया...

भोलू: एकबार इसे मुह में लेना चाहता हूँ..
भाभी: ले ले...

भोलू ने कुछ पांच मिनिट दोनों चुचिया मुह में भर के चूसी, चूत में ऊँगली करना तो बिच में चलता ही रहता था.. और फिर भाभी ने भोलू को एक मस्त किस दे कर विदा ली.. गाडी में बैठते ही हम दोनों ने वापिस एक बार मस्त किस की... और हम दोनों घर की और चल पड़े... भाभी रस्ते में सोती रही, भाभी को चोदने की इच्छा मुझे बिच रस्ते पर हुई जरूर थी पर अब घर पहुचना इतना ही जल्द था...

हमने जब गाडी कंपाउंड में एंटर की तो नई गाडी के कारन सिक्यूरिटी ने रोक दिया, तब भी भाभी सोई हुए थी, पर कम्बल थोडा निचे गिरा था तो मम्मे की घाटी थोड़े अच्छे से दिख रही थी, सिक्यूरिटी की नज़र थी वहा पर... पर वो क्या बोलता, गाडी अवैध नहीं है और हम दोनों ये बिल्डिंग में रहते है पता चलते ही गाडी को अंदर आने ही देना था... भाभी को देखने में मेरा टुटा शर्ट नज़र नहीं आया, मैंने भी सोचा भले आज ये सिक्यूरिटी वाला भी ये जलवे देख ले....

पार्किंग में जाते ही मैंने भाभी को उठाया, और फिर हम धीमे धीमे लिफ्ट की और पहोंचे, पर मुझे अँधेरे में ज़रूर दिखा के सिक्योरिटी वाला जरूर देख रहा है... भाभी और मैं लिफ्ट आते ही अंदर घुस गए और मैंने भाभी के कम्बल को निचे गिरा दिया... पूरी नंगी कर के लिफ्ट को लास्ट फ्लोर तक ले जाकर वापस पहले माले पर लाया तब तक उसके बदन से चिपक कर रगड़ता रहा... अपना एक पैर उठा कर भाभी ने मुझे पूरा सपोर्ट दिया...

थोड़ी सावधानी के साथ हम हमारे फ्लेट में आखिर दाखिल हुए... जहा हम वापस बदन से चिपके रहे... और किस देते रहे...

भाभी: एक मिनिट... तेरे भैया कभी भी आ सकते है मुझे पूछने दे...

भाभी ने फोन लगाया और पूछा तो पता चला के उसे अभी और एक घण्टा हो सकता है....

मैं: चलना रण्डी ये घण्टे का उपयोग ये घंटे से करते है...
भाभी: अभी और नहीं..
मैं: मेरा बर्थडे है... एक तो मुझे जो मिलनी चाहिए वो तो गिफ्ट का इंतेज़ाम भी नहीं किया और गिफ्ट तो दी ही नहीं...
भाभी: अरे वाह बच्चू तेरे लिए सुबह से चुदती आ रही हूँ.. और तू है की...
मैं: अरे हा वो तो तुजे भी पसन्द था वही हुआ... जो सबको मिला वही मिला... हा... मुझे गिफ्ट चाहिए...
भाभी: अरे बाप रे अभी कहा से लाउ गिफ्ट?
मैं: कुछ भी दे पर दे....
भाभी: कुछ नहीं है गिफ्ट और मुझे नहाने जाना है... अभी तेरे भैया को भी देना पड़ेगा.... बाय...
मैं: ठीक है... कोई बात नहीं...

मैं मुह बनाके बैठ गया... भाभी आके मेरी गोदी में बैठी...

भाभी: चल साथ नहाते है...
मैं: (मम्मो पर चूंटी काटते हुए) ये हुई न रण्डी वाली बात... चल

हम दोनों एकदूसरे को किस करते हुए बाथरूम में घुसे तब तक मेरे भी सारे कपड़े उतर चुके थे...

मैं: भाभी आप गालिया क्यों नहीं बोलती?
भाभी: मालिक को गालिया नहीं देनी चाहिए... तू मेरे बदन का मालिक है...
मैं: पर दूसरे?
भाभी: अरे मेरे बदन पे जो चढ़ते है वो मालिक बन जाते है...
मैं: चल जो भी है....

मैंने बातो में टाइम वेस्ट नही किया और शावर के बिच एक धमाकेदार चुदाई की... भाभी का गिला बदन... आह... मुह से स्माइल हट नहीं थी थी...

भोलू: बहोत, चूत में जन्नत के द्वार है ये आज अहसास भी हो गया... क्या मख्खन माल है.. आज एहसास हुआ के आदमी का दिमाग चलने में औरत का कितना बड़ा हाथ होता है... मालिक आपने मुझे तृप्त कर दिया... ये आपका गुलाम हुआ आजसे...
मैं: मैंने थोड़ी कुछ किया है? ये तो सब मेमसाब का काम है...
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