Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-01-2021, 05:19 PM,
#91
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहित ने रीमा को फ़ोन मिलाया | रीमा अभी घर पंहुची नहीं थी रास्ते में ही थी | आज के उसके कुछ अलग प्लान थे | उसने सोच रखा था, जाकर सबसे पहले 20 मिनट का पॉवर नैप लेगी | फिर मिनिमम कपड़ो में किचन की सफाई करेगी | फिर जल्दी खाना बनाकर, आज अपने सीक्रेट ड्रोर की सफाई करेगी | रोहित तो आने से रहा तो उसे अपनी प्यास अपने तरीके से ही बुझानी पड़ेगी, इसलिए उसी ड्रोर से अपने सीक्रेट टॉयज निकालेगी, जिन्हें खरीदने के बाद से एक बार भी रोहित के असली टॉय के दर्शन रीम को दुर्लभ हो गए, अब इन नकली मशीनी टॉयज से काम चलाना उसकी मजबूरी थी | इन टॉयज के साथ हर तरह की आजादी थी रीमा को लेकिन वो पुरुष देह का कठोर स्पर्श, उसकी मादक गंध, उसकी बलिष्ट भुजाये, चौड़ी छाती और गन्दी गन्दी मादकता फैलाती बाते | बहुत कुछ दिमाग में चल रहा था, लेकिन इतना तय था आज वो कुछ बड़ा खेल खुद के साथ खेलने वाली थी | जैसे ही उसका फ़ोन बजा, उसकी सोचने की तन्द्रा टूटी | स्क्रीन पर पर रोहित का नाम देखेते ही थोडा आश्चर्य हुआ, क्योंकि रोहित के फ़ोन आने का टाइम अक्सर फिक्स ही होता है | इस समय अचानक रोहित का फ़ोन आने से रीमा का चौकना स्वाभाविक था |
रीमा ने कॉल उठाई - हेल्लो रोहित ......
रोहित - हेल्लो रीमा , हाउ आर यू |
रीमा - मै अच्छी हूँ, अपना बतावो |
रोहित - एक काम है मेरा, अगर कर सको तो बहुत अहसानमंद रहूँगा तुमारा |
रीमा ने ताना मारा - मुझे पता था, बिना मतलब इस अबला को याद कौन करता है..........................
रोहित - रीमा मजाक नहीं, इट्स सीरियस |
उसके बाद रोहित ने सारी राम कहानी रीमा को सुना डाली | पहले तो प्रियम के साथ इतनी दूर जाने में रीमा हिचकी, वो निश्चित नहीं थी कि प्रियम कैसे रियेक्ट करेगा पब्लिक के सामने| उसके मन में हल्का सा संदेह था, इतनी दूर प्रियम के साथ अकेले गाड़ी में जाना ठीक रहेगा या नहीं, उसके अपने प्लान थे, अब उसे बेबी सिटर बनकर प्रियम के आगे पीछे घूमना पड़ेगा, पहले सोचा मना कर दे, क्या हो जायेगा अगर वो बर्थडे पार्टी में नहीं जायेगा लेकिन फिर रोहित के जोर देने पर सोचने को मजबूर हो गयी ........, फिर हिम्मत करके उसने रोहित को हाँ कर दी | उसने सोचा जो होगा देखा जायेगा ........ |
रोहित ने प्रियम को फ़ोन मिलाया, प्रियम को जब उसने रीमा के साथ जाने के बारे में बताया तो एकदम से प्रियम उखड़ सा गया |
प्रियम - डैड ये आपके मेरे बीच की बात थी, ये रीमा आंटी बीच में कहाँ से आ गयी | आपने प्रॉमिस किया था चलने के लिए, मै किसी और के साथ नहीं जाऊंगा |
रोहित - मै मानता हूँ मैंने प्रोमिस किया था लेकिन अभी मै नहीं आ सकता | प्रॉब्लम क्या है रीमा के साथ जाने में |
मै नहीं चाहता तुमारी पार्टी मिस हो | मैंने रीमा से बात कर ली है |
प्रियम चौककर - क्या !!!!!!! आपने आंटी से बात भी कर ली और मुझसे पुछा तक नहीं डैड |
रोहित - तो क्या हो गया, तू ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहा है जैसे कोई बाहरी हो |
प्रियम - डैड मुझे आपके साथ जाना था, वहां ढेर सरो मस्ती करनी थी | आपको तो पता है न रीमा आंटी का नेचर | शी ऑलवेज बी सीरियस |
रोहित मन ही मन में - साले अपने बाप को चुतिया बना रहा है, मन ही मन में लड्डू फुट रहे होंगे | रोहित को असलियत पता नहीं थी इसलिए रोहित अपने हिसाब से अनुमान लगा रहा था - देख प्रियम तेरे पास ज्यादा आप्शन है नहीं , मै नहीं आ सकता बहुत ही इम्पोर्टेन्ट काम है | अब तुझे अगर राजू के पार्टी में जाना है तो तेरे पास सिर्फ यही एक रास्ता है | मैंने रीमा को बोल दिया है, एक घंटे के अन्दर वो रेडी होकर गाड़ी लेकर घर पर आ जाएगी | तू तैयार रहना | नहीं जाना है तो अभी बता दे |
प्रियम छुप रहा .....................................................
रोहित - बोल हाँ या न |
प्रियम की सारी खुशियाँ हवा हो चुकी थी, बेहद मायुस आवाज में - ओके डैड .........|

रोहित ने फ़ोन काटकर रीमा की मिलाया और उसे साफ़ शब्दों में प्रियम को किसी भी तरह के अल्कोहल पीने से रोकने की हिदायत दी | रीमा समझ गयी, उसे पता था अब क्या क्या करना पड़ेगा | पहले की बात होती तो एक सिंपल साड़ी लपेट कर पार्टी को रीमा चल देती, लेकिन अब वो अपने बारे में एक अलग नजरिया रखती थी इसलिए घर पंहुचने के बाद उसने अच्छे से खुद को तैयार किया | और अपने तय समय पर गाड़ी लेकर प्रियम के घर के सामने आ गयी | उसने एक दो बार हॉर्न दबाया, कुछ देर तक वेट किया जब प्रियम घर से बाहर नहीं निकला, तो रीमा घर के अंदर चली गयी | उसने प्रियम को आवाज दी | प्रियम अपने कमरे में कुछ ढूंढ रहा था | उसने अन्दर से ही धीमी आवाज में जवाब दिया | रीमा कुछ देर तक इधर उधर टहलती रही, फिर वही लटके झूले पर लेट गयी |
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09-01-2021, 05:19 PM,
#92
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
प्रियम अपने कमरे में कुछ नहीं कर रहा था बस वो रीमा का मूड पता लगाने की कोशिश कर रहा था | इसी चक्कर में बार बार पेंट बदल बदल कर पहन रहा था | पेंट पहनना तो बहाना था वो बस इतना निश्चित करना चाहता था की कही फिर से रीमा उसकी लेना न शुरू कर दे | रीमा ने फिर पुछा - क्या कर रहा है प्रियम, हम लेट हो जायेगें |
पूरी तरह से तैयार प्रियम अन्दर से धीरे से बाहर आया | रीमा ने झूले पर लेटे लेटे ही उसे ऊपर से नीचे तक गौर से देखा | रीमा - बच्चे पेंट की जिप बंद कर ले, बर्थडे पार्टी में जा रहा है लौंडियाँ चोदने नहीं |
प्रियम बुरी तरह झेंप गया - शिटटट ट ट ...........................|
रीमा - जब बिना वजह पेंट बदलेगा तो यही होगा, मुझे पता है जब मै गाड़ी लेकर आई थी तो तू खिड़की के अन्दर से झांक रहा था | मुझे लगा अपने आप ही आ जायेगा | पर तुझे तो नौटंकी करने में और फिर अपनी बेज्जती करवाने में ज्यादा मजा आता है | कोई बात नहीं मेरे सामने क्या क्या बेज्जती.....................तुझे तकलीफ में देखकर मुझे भी दुख होता है | .............................अच्छे से सुन बिलकुल नार्मल दिखना, जैसा है, कॉंफिडेंट | अपने ऊपर ज्यादा लोड मत डाल, आज मै कुछ नहीं करने वाली हूँ | जो कुछ हुआ वो सिर्फ हमारे बीच में रहेगा, समझा न | (कुछ सोचकर ) अच्छा सुन .................................. किसी को न कुछ जताने की जरुरत है, न बताने की जरुरत, अच्छे से समझ ले फिलहाल आज के टाइम में रोहित और मुझसे ज्यादा सगा इस दुनिया में तेरा कोई नहीं है, कई मायनों में मै रोहित से ज्यादा सगी हूँ, रोहित के साथ तू बहुत कुछ नहीं शेयर कर सकता जो तू मुझे बेफिक्र बता सकता और जितना मै तेरे लिए कर सकती हूँ उतना कोई नहीं करेगा, मैंने अपने जिस्म का एक एक कोना तुझे दिखा दिया, और तो और तुझे अपनी चूत खोलकर दिखा दी है, तेरा भला ही चाहती और हर मुसीबत से भी तुझे बचाऊँगी बशर्ते मेरे सामने अपनी औकात में रहियो और मेरी बात मानेगा तो हमेशा फायदे में रहेगा | चल अब पार्टी फुल एन्जॉय करने को तैयार हो जा |
दोनों घर से बाहर निकले, रीमा आगे आगे और प्रियम पीछे पीछे | दोनों गाड़ी में बैठे और रिवर लाउन्ज की तरह को रावना हो गए | रिवर लाउन्ज मुख्य शहर से 8 किमी दूर नदी के दुसरे छोर पर घनी हरियाली के बीचो बीच स्थित था |
रीमा और प्रियम कुछ ही देर में वहां पंहुच गए | राजू के पिता को रोहित ने पहले ही फ़ोन कर दिया था, इसलिए रीमा के लाउन्ज में घुसते ही उसका स्वागत करने चला आया |
राजू के पिता - नमस्ते रीमा जी, आवो प्रियम बेटा, स्वागत है आप दोनों का |
रीमा - धन्यवाद कपिल जी | ये लीजिये .......
रीमा ने उसे गिफ्ट सौंप दिया | उसने भी आभार व्यक्त किया |
एक नजर को रीमा को देखता रह गया क्योंकि रीमा कभी इतना सजाती धजती नहीं थी, इसलिए उसका चौकना स्वाभाविक था | रीमा को देखकर कपिल थोडा असहज था लेकिन जल्द ही संभल गया, फिर उसने शिष्टाचार वस् बोल ही दिया - भाभी जी आप बहुत खूबसूरत लग रही है, आइये आपको गेस्ट से मिलवाता हूँ | प्रियम बेटा, राजू उधर है | प्रियम भागता हुआ एक तरफ चला गया |
रीमा - थैंक्यू सो मच कपिल जी, काफी बड़ी पार्टी की तैयारी की है आपने |
कपिल - कुछ खास नहीं, बेटे का मन था, नेक्स्ट इयर १८ का हो जायेगा तो ये लास्ट टीन ऐज बर्थडे है उसका |
रीमा कपिल टहलते टहलते मैंन हाल में आ गए | वहां बाकि आये गेस्ट से मिलना मिलाना शुरू हुआ | ठीक समय पर बर्थडे केक काटा गया | फिर नाच गाना शुरू हुआ | बच्चो की पार्टी अलग शुरू हुई और बड़े लोगो का ड्रिंक अलग शुरू हुआ | पार्टी में आये मर्दों की नज़रे गाहे बगाहे रीमा की पैमाइश ले ही जाती | सभी गेस्ट फॅमिली के साथ आये हुए थे इसलिए फ़्लर्ट करने की बहुत ज्यादा गुंजाईश नहीं थी लेकिन फिर भी दो पैग जाने के बाद कुछ शायर बन ही गए, कुछ आशिक | सभी जमकर मस्ती कर रहे थे |

रीमा ने भी स्कॉच के दो पैग पी लिए थे, उसे अभी गाड़ी ड्राइव करके शहर तक वापस भी जाना था इसलिए उसने सॉफ्ट ड्रिंक भी पीनी शुरू कर दी | उसे पता था अगर बार के आस पास बैठी रही तो कोई न कोई उसे जबरदस्ती पिला ही देगा | इसलिए फ़ोन कॉल का बहाना करके वहां से खिसक ली | उसकी नज़ारे प्रियम को ढूंढ रही थी | आखिर कुछ ही दूरी पर अपनी मंडली के साथ मस्ती करते दिख गया | रीमा ने पास जाकर उनकी पार्टी ख़राब करने की बजाय दूर एक किनारे बैठकर उस पर नजर रखने की सोची | वो एक हट की ओट में बैठकर अपने फ़ोन को चेक करने लगी | बीच बीच में राजू के दोस्तों के ग्रुप पर नजर चली जाती | उनके ग्रुप में १० -११ लड़के लड़कियां थे | कुछ देर देखने के बाद बरबस ही रीमा की नजर के चेहरे पर टिक गयी |
रीमा मन ही मन अनुमान लगाने लगी - मै इसे जानती हूँ ? मैंने इस लड़की को कही देखा है | कौन है ये ?????
दिमाग पर थोड़ा जोर डालते ही उसे के चेहरा याद आ गया, जिसने उसकी जिदगी बदलकर रख दी | अरे ये तो नूतन है, मनोज जी की बेटी | वही नूतन जिसकी बड़ी बड़ी चुचियों को प्रियम और राजू चूस रहे थे | एक स्तन को प्रियम मसल रहा था और एक को राजू मसल रहा था | नूतन बस सिसकारियां भर रही थी | उसके बाद की सारी घटनाये एक के बाद एक उसके सामने से तैर गयी | रीमा बस इन्ही खयालो में खोयी थी तभी कोई उसको आवाज लगता सुनाई दिया | ये और कोई नहीं कपिल था | रीमा हट की ओट से बाहर आई |
कपिल - अरे रीमा जी आप कहाँ गायब हो गयी थी |
रीमा - जी मै वो फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी |
कपिल - कोई नहीं, चलिए आपको राजू के दोस्तों से मिलवाता हूँ |
रीमा - ठीक है चलिए |
रीमा और कपिल वहां पंहुच गए जहाँ सभी बच्चे मस्ती कर रहे थे, बच्चे तो नहीं थे अब वो लेकिन जवान भी नहीं कह सकते | सबकी उम्र 15 से १७ से बीच में ही थी | सिवाय दो को छोड़कर, एक नूतन, दूसरा जग्गू | कुल मिलाकर 7 लड़के और ४ लड़कियां थी |
कपिल - हेल्लो यंग बॉयज एंड गर्ल्स .....
ग्रुप - हेल्लो अंकल |
कपिल - मीट Mrs. रीमा, ये प्रियम की आंट है |
ग्रुप - हेल्लो आंटी .........|
रीमा - हेल्लो एवरीवन, आर यू हविंग अ गुड टाइम |
ग्रुप - यस आंटी |
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09-01-2021, 05:19 PM,
#93
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
सारे लड़के रीमा को जीभर के देखने लगे, जग्गू के तो होश ही उड़ गए | रीमा के बारे जितना प्रियम ने उसे बताया था उससे कही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी | राजू ने दो चार बार देखा था लेकिन बिना मेकअप के इसलिए उसका चौकना भी स्वाभाविक था | सभ्य और असभ्य में एक अंतर होता है, सभी लोग अगर कोई चीज पसंद है तो घुमा फिराकर चासनी लगाकर उसकी तारीफ करते है जिससे सामने वाला असहज न हो | लगभग सभी लडको ने अपनी नजरे नीची कर ली थी और अब नजरे चुराकर रीमा को देखने लगे सिवाय जग्गू को छोड़कर | वो एकटक रीमा को देखे जा रहा था, प्रियम ने जल्द ही ये बात नोटिस कर ली, उसने राजू को चेताया, राजू ने जग्गू के एक हल्का मुक्का मारा और बात संभल ली | जब तक जग्गू संभलता तब तक रीमा की तेज नजरो में वो पूरी तरह स्कैन हो चूका था | रीमा और कपिल दोनों अनुभवी थे, दोनों ने महसूस किया कि यहाँ ज्यादा देर खड़े रहना किसी के लिए भी सहज नहीं है, दोनों ने लड़के और लडकियों की हरकते अच्छे से रिकॉर्ड करी थी |
कपिल - बेटा आप लोग एन्जॉय करो, हम चलते है |
ग्रुप - बाय अंकल बाय आंटी |

रीमा और कपिल फिर से अपने हम उम्र ग्रुप में लौट आये - रीमा ने आगे ड्रिंक लेने से तो मना कर दिया, लेकिन उनके साथ बैठकर लोगों की बोरिंग बाते सुन सुन कर मुस्कुराती रही |
थोड़ी देर बात सभी डांस फ्लोर पर पंहुच गए, सभी नाचने गाने में मशगूल हो गए , रीमा भी उसी में मस्त थी, तभी उसकी नजर दूर खड़े एक परछाई पर गयी | थोडा गौर से देखने पर पता चल गया ये तो जग्गू है | उसको बिना आभास हुए रीमा उस पर निगाह रखने लगी | जग्गू रीमा को घूर रहा था | रीमा को समझते देर न लगी, ये मुर्गा उसे रूप की बलि चढ़ गया है | पहले की रीमा और अब की रीमा में अंतर ये है की पहले की रीमा नाचना बंदकर किसी जगह जाकर शांत बैठ जाती, जहाँ जग्गू उसे देख न पता, लेकिन ये रीमा तो और ज्यादा अग्रेस्सिव होकर मादक तरीके से नाचने लगी | साड़ी पहनकर इस तरह का डांस करना मुस्किल होता है लेकिन रीमा किसी तरह बस मैनेज कर रही थी | फ्लोर की थुलथुल मोटी औरते रीमा से जलभुनकर राख हुई जा रही थी और उनके मर्द अपने अधेड़ उम्र का बचा हुआ रिजर्व भी खर्च करके दुगने जोश से नाच रहे थे | आखिर इतनी हसीं औरत के साथ फ्लोर शेयर करना भी किस्मत वालो के नसीब में होता है | रीमा सबके साथ नाच रही थी लेकिन उसकी नजरे बार बार उस परछाई की तरफ ही जाकर टिक रही थी | कुछ देर बाद परछाई गायब हो गयी | रीमा मदमस्त होकर एक थुलथुल आंटी के साथ नाचने लगी | काफी देर तक नाचने के बाद सभी थक गए थे, सभी आराम करने लगे, रीमा वाशरूम के बहाने प्रियम का हाल चाल लेने निकल पड़ी | प्रियम बच्चो के स्टेज पर नहीं था | बच्चे इधर उधर हो गए थे | रीमा ने चारो तरफ नजर दौड़ाई सभी बच्चे दिख गए सिवाय राजू, प्रियम और जग्गू के | रीमा ने उनको खोजना शुरू किया | इदर उधर पुछा - गेस्ट तो सभी दारू के नशे में फुल थे उन्हें कहाँ होश था लेकिन लाउन्ज के स्टाफ ने बताया की, दो लड़के पीछे की तरफ एक हट है वहां गए है | रीमा तेज कदमो से उधर चल दी |

रास्ते में हल्की रौशनी थी, जबकि हट के पास अच्छी खासी रौशनी थी | रास्ते में जाते समय रीमा को लगा शायद कोई उसका पीछा कर रहा है उसने एक दो बार इधर उधर चौकन्ने होकर देखा लेकिन उसे कुछ दिखाई नहीं पड़ा | वो सतर्क होकर तेज कदमो से हट की तरफ जाने लगी |
हट के पास पंहुचते ही उसे कुछ आवाज सुनाई पड़ने लगी | आमतौर पर इस लाउन्ज के किसी भी हट में दरवाजा नहीं है लेकिन इस हट में दरवाजा था और वो बंद था | अन्दर से कुछ आवाजे आ रही थी, रीमा ने जब उन आवाजो पर गौर किया तो पहचान गयी, वो प्रियम और राजू थे, लेकिन ये तीसरी आवाज तो किसी लड़की की है | अब रीमा के कान खड़े हो गए | उसने इधर उधर से झांककर देखने की कोशिश की लेकिन हट चारो तरफ से बंद थी | रीमा घूमते घूमते हट के पीछे की तरफ चली गयी, जिसके पीछे लाउन्ज की चाहरदीवारी थी | चाहरदीवारी के उधर सब जंगल था | ये लाउन्ज का आखिरी छोर था | मजे की बात इधर से हट के ऊपर के हिस्से में एक एक वर्ग फुट का होल बना रखा था हवा आने जाने के लिए | हट बनाने वालो ने ये होल जानबूझकर दीवार की तरफ रखा हुआ था क्योंकि हट से दीवार की तरफ कोई भी आने जाने से रहा | दीवार भी पूरी तरह ठोस नहीं थी बल्कि ईंटो की जाली और पत्थर के मिश्रण से बनी थी, जिससे उसमे एक रफ़ जंगली लुक आ सके | अन्दर रौशनी थी इसलिए पीछे की तरफ जाते ही रीमा की आँखों में चमक आ गयी, हट से आ रही रौशनी असल में रीमा की उम्मीदों की रौशनी थी | रीमा की ऊँचाई से हट के होल की ऊँचाई ज्यादा थी इसलिए रीमा को जमीन से ऊपर उठने के लिए कुछ और भी चाहिए था | रीमा से अपनी साड़ी ऊँची की और दीवार में उभरे एक पत्थर पर अपना पैर जमाया और चहारदीवारी पर चढ़ गयी, फिर धीरे से खुद को आगे की तरफ झुका लिया | जैसे ही उसने हट के अन्दर का नजारा देखा, उसके होश उड़ गए | राजू, प्रियम और नूतन तीनो हट में मौजूद थे | आस पास दारू के पैग रखे थे | ये दारू कैसे इनको मिली, जरुर ये नूतन का काम होगा | नूतन राजू और प्रियम से दो साल बड़ी थी | नूतन, राजू और प्रियम सेक्स कर रहे है, नूतन प्रियम और राजू का लंड अपने हाथो में लेकर मुठिया रही थी | दोनों के लंड उनकी पतलूनो से बाहर निकले हुए थे और तनकर सीधे हो चुके थे | नूतन की कमसिन तनी हुई चूचिया बेपर्दा थी, उसकी टॉप ऊपर गले तक उठी हुई थी और नूतन एक लंड को अपने नाभि के निचले हिस्से में चूत त्रिकोण पर रगड़ रही थी और दुसरे को तेजी से दुसरे हाथ से मुठिया रही थी | दोनों उत्तेजना के भंवर में गोते लगा रहे थे |

नूतन एक सामन्य से लोअर मिडिल क्लास फैमिली से आती थी | नूतन बचपन से ही पड़ने में बहुत तेज थी इसलिए उसका इस कॉलेज में नाम नर्सरी से ही लिखा हुआ था | नूतन के घर की आर्थिक हालत बहुत बेहतर नहीं थी इसलिए उसे पॉकेट मनी के नाम पर बहुत कम पैसे मिलते थे, नूतन को स्कूल में अपने दोस्तों से बराबरी करने का मौका नहीं मिलता था | जब भी उसका खर्च करने का नंबर आता उसके पास पैसे ही नहीं होते थे | अमीर स्कूल में पढने के ये नुकसान गरीब बच्चो की अक्सर अनुभव करने पड़ते है | नूतन ने 6 क्लास तक आते आते इसका तोड़ निकल लिया, उसने अमीर घरो के लडको को पटाना शुरू कर दिया | वो पढने में तेज थी इसलिए कभी उनका होमवोर्क कर देती, कभी उनको दिया असाइनमेंट बना देती, इस तरह से वो लड़के नूतन को अच्छा खासा पॉकेट मनी दे देते थे | धीरे धीरे उसकी आदते डेवेलोप होने लगी | 8 तक आते आते उसे अहसास हो गया कि सिर्फ होमवर्क करके काम नहीं चलेगा | उसने एक अमीर लड़के को पटाकर उसको किस करना चालू कर दिया और उसके ग्रुप में खुद को उसकी गर्लफ्रेंड घोषित कर दिया | लड़का भी जोश में नूतन के सारे खर्चे उठाने लगा | लेकिन ये सिलसिला बस दो साल चला, क्योंकि अगले साल नूतन इन सब दुनिअदारी में इतनी उलझ गयी की फ़ैल हो गयी | उसके घर में तो जैसे आसमान टूट पड़ा हो, घर के ताने और चिकचिक से तंग आकर वो ज्यादातर स्कूल में ही टाइम बिताती | फ़ैल होने से उसका पूरा फ्रेंड सर्किल उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ गया और अपने फ्रेंड सर्किल में नूतन एक तरह से वैम्प या कामिनी लड़की की तरह जानी जाने लगी |
नूतन से इससे त्रस्त होकर अपने से जूनियर से दोस्ती करनी आरम्भ कर दी | उससे दो क्लास जूनियर दो अमीर लड़के उसके दोस्त बने, जिनका नाम था राजू और प्रियम | ऐसा नहीं था नूतन के बाकि लड़के दोस्त नहीं थे, वो सबसे अपना मतलब सीधा रखने के लिए दोस्ती रखती थी | उम्र बढ़ने के साथ साथ नूतन के और भी कई तरह से लड़कों को अपने जाल में फ़साना शुरू किया | इससे उसे अपनी पढाई का पूरा खर्चा निकल आता था | फिलहाल राजू और प्रियम उसे सबसे ज्यादा पैसे देते थे इसलिए राजू और प्रियम उसके खास दोस्त थे | ऐसा नहीं था की नूतन कोई बेश्या थी | पुरे कॉलेज के ज्यादातर लडको का मानना था कि नूतन के बेहद ही बोल्ड और बिंदास लड़की है, और उसके न जाने कितने लड़को से रिश्ते है | सब ये मान चुके थे वो न जाने कितनी बार चुद चुकी होगी लेकिन इसके उलट कहानी ये थी, कि नूतन असल में अब तक कुंवारी थी | इतने सारे लडको के साथ फ्लर्ट करने के बावजूद सबको बस यही लगता था की ये सामने वाले के साथ सोई होगी | कोई भी ये दावा नहीं कर सका कि मै नूतन के साथ सोया हूँ और मैंने उसे चोदा है | अफवाहे उड़ती रहती थी इससे बेपरवाह नूतन बस अपने में मस्त रहती | नूतन के अपने करीब के एक रिश्तेदार की बेहद शालीन बेटी को गर्भवती होते देखा था, जो कि उन्ही के किसी रिस्तेदार ने से चोरी छिपे चुदवाकर पेट से हो गयी थी | जिसने भी उसके बारे में सुना था यकीन नहीं कर पाया, बेचारो को शहर छोड़ दूसरी जगह जाना पड़ा रहने के लिए | वो एक दिन था जब उसकी माँ ने उसका माथा चूमा था और गर्व से बोली थी - मेरी बेटी कैसी भी लेकिन चोरी छिपे किसी के साथ मुहँ काला नहीं कराती |
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09-01-2021, 05:20 PM,
#94
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
उसी दिन से नूतन का नियम था, below the बेल्ट नो एंट्री | उसके फ्रेंड सर्किल में ये बात भी तैरती रहती किनूतन घुमती सबको है लेकिन देती किसी को नहीं | जाहिर से बात है उसके पास राजू को महगा गिफ्ट देने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए उसने उसके बर्थडे को स्पेशल बनाने की सोची | दूसरा उन तीनो में सिर्फ राजू था जो अब तक हर तरफ से कोरा था, चूत को चोदना तो छोड़ो, उसके लंड को भी अभी तक किसी लड़की ने नहीं छुआ था | प्रियम इस मामले में थोडा लकी रहा | इसलिए नूतन का प्लान था की राजू का लंड चूसकर उसे भी थोडा अच्छा फील कराया जाये इससे उसक कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा | लेकिन राजू इतना फट्टू था कि अकेले के लिए राजी ही नहीं हुआ इसलिए देखते देखते नूतन ने प्रियम के लिए भी मूड बना लिया |

असल में हट के अन्दर आते ही नूतन ने लंड चूसने की शरुआत प्रियम से करी ताकि उसे देखकर राजू को पता चल जाये की क्या होने जा रहा है और वो जरुँरत से ज्यादा उत्तेजित न हो | रास्ते में नूतन दोनों के लंड पेंट के ऊपर से सहलाती हुई आ रही थी इसलिए दोनों के तम्बू पेंट के अन्दर तने हुए थे | नूतन ने प्रियम की पेंट की जिप खोली और सीधे उसका लंड का सुपाडा मुहँ में ले लिया और टॉफी की तरह चूसने लगी | राजू आंखे चौड़ी करके ये नजारा देखने लगा | थोड़ी देर तक नूतन प्रियम का लंड बिलकुल लोलीपोप वाले अंदाज में चूसती रही |

फिर वो राजू की तड़प को भांप कर उसका भी लंड पेंट के बाहर खींच लिया उसके लंड को हाथ में लेकर मुठीयाने लगी | राजू का लंड भी पेंट के अन्दर ही तनकर कठोर हो चूका था | कुछ देर तक राजू का लंड मुठीयाने के बाद अब वो दोनों हाथो से दोनों लंडो को मुठीयाने लगी थी | ये देखकर राजू बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया | नूतन ने धीरे धीरे दोनों लंडो के सुपाडे पर अपनी जीभ फिरनी शुरू कर दी | नूतन की गीली खुदुरी जीभ दोनों के खून से उबलते गरम लंडो पर किसी ठंडी फुहार जैसी लग रही थी | इस अनुभव को महसूस करके दोनों मस्ती के सागर में गोते लगाने लगे | दोनों के मुहँ से आहे कराहे निकलने का सिलसिला बदस्तूर जारी हो गया | नूतन के मुहँ से बस लोलीपोप चूसने जैसी ही आवाजे आ रही थी लेकिन राजू और प्रियम के मुहँ से आह आह आह लगातार निकल रहा था | अब नूतन दोनों लंड बारी बारी से चूस रही थी | रीमा जब आई तो ना केवल दोनों के कपडे उतर चुके थे बल्कि नूतन पूरी गति से दोनों लंडो को अच्छे से संभाल रही थी | नूतन को देखकर लगता था वो इस गेम में की पुरानी खिलाडी रह चुकी है | रीमा भी ये देखकर नूतन का ये स्किल देखकर उससे इम्प्रेस हो गयी, दो लंडो को संभालना किसी नयी लड़की के लिए इतना आसन नहीं होता |

प्रियम और राजू के धड़कने तेज थी, दोनो एक दुसरे की सांसो की आवाजे सुन सकते थे | नूतन का जिस्म भी गरम हो चला था उसकी चूत ने भी अपना पहला रिसाव करना शुरू कर दिया था | प्रियम और राजू नूतन की चुचियो से खलेने लगे और वो उनके लंडो से खेल रही थी | तीनो की आँखों में वासना की सुर्खियाँ तैरने लगी | रीमा को अब समझ आया अच्छा तो इसलिए ये लड़का पार्टी में आने की इतनी जिद इसलिए कर रहा था | रीमा चाहती तो उनको अभी रोक सकती थी लेकिन पिछले बार की टोकाटोकी उसके पक्ष में नहीं गयी थी इसलिए रीमा को लगा यहाँ से उसे चले जाना चाहिए, फिर एक पल को रूककर कुछ सोचने लगी | उसे यहाँ से क्यों जाना चाहिए | उसे तो इस थ्रीसम के मजे लेने चाहिए | रीमा के लिए ये बिलकुल नया था जब दो लंड एक ही लड़की शेयर कर रहे हो और तीनो में से किसी को भी रत्ती भर की शर्म नहीं थी | उसने अपना मोबाईल निकाला और फ़्लैश off कर दिया, फिर अन्दर के नज़ारे को मोबाइल में शूट करने लगी | प्रियम और राजू की पतलूने नीचे खिसक चुकी थी, नूतन घुटनों के बल नीचे बैठ गयी और बारी बारी से दोनों के लंड के सुपाडे पर अपनी गीली गुलाबी जीभ घुमाने लगी | दोनों की सिकरियां निकली शुरू हो गयी थी | नूतन एक हाथ से लंड की खाल को मसल रही थी और दुसरे सर हिला हिला कर बारी बारी से दोनों लंडो के सुपाडे को मुहँ में लेकर चूस रही थी | प्रियम राजू तो जैसे जन्नत की सैर कर रहे हो - यस बेबी लाइक दैट, सक इट बेबी, येस्स्स्सस्स्सस बेबी चुसो, कसकर चुसो |
नूतन भी मुहँ से लंड निकालकर - यस बेबी आई ऍम सकिंग इट, चूस रही हूँ कसकर चूस रही हूँ |

ये सब देखकर रीमा की हालत ख़राब होने लगी, उसकी गुलाबी चिकनी चूत भी रिसने लगी | रीमा को यकीन ही नहीं हुआ, यहाँ इस अँधेरे में दीवार के ऊपर जिस तरह से वो हवा में टंगी रहकर उनका विडिओ बना रही थी उसके बावजूद अगर उसकी चूत गीली हो चली थी इसका मतलब जरुर उसके साथ कुछ गलत है | रीमा खुद के अन्दर ही खुद का व्यवहार देखकर हैरान थी | उसे यहाँ से चले जाना चाहिए | हर जवान लड़के लड़की को जवानी का सुख भोगने का हक़ है , क्या सही है क्या गलत है उनके माँ बाप देखे, संभाले, वो कौन होती है मोरल बॉस बनकर उनको रोकने वाली | बड़ा अंतर्द्वंद उसके अन्दर चलने लगा | उसे भी एन्जॉय करना चाहिए ये सीन देखकर !!!, क्या ये सीन देखना सही है ????, किसी के प्राइवेट पलो को इस तरह से छिपकर देखना कितना सही है | अगले पल खुद से ही खुद को उत्तर भी दे रही थी - काहे का प्राइवेट पल, प्राइवेट दो लोगो के बीच में होता है, तीन के नहीं | ऊपर से प्राइवेट करना है तो घर में कमरे में करे, यहाँ पब्लिक के बीच में हट में नहीं | क्या इस तरह से दुसरे के बेहद निजी मोमेंट को मोबाइल से रिकॉर्ड करना सही है | जब प्रियम ने मेरे नंगा विडिओ रिकॉर्ड किया था तो मुझे कितना बुरा लगा था | लेकिन कल को मेरे पास प्रूफ तो है मै कौन सा इसे अपलोड करने जा रही हूँ | रीमा इसी उधेड़बुन में खोयी थी, तभी उसने देखा खुद नूतन दोनों के तने सख्त लंडो को मुहँ से सटाकर सेल्फी ले रही है | उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं था, क्या जमाना आ गया है, अपने ही सेक्स की फोटो खीच रहे है और मै कहाँ सही गलत के चक्कर में पड़ी थी | उसे भी ये सब देखने में मजा आ रहा है फिर क्या सही क्या गलत, मेरी चूत भी तो गीली हो रही है इसका मतलब उसको भी मजा आ रहा है |
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09-01-2021, 05:20 PM,
#95
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
नूतन से अलग अलग पोज में कम से कम 20 फोटो खीचे | तीनो आपस में इतने मस्त थे की किसी का ध्यान हट में ऊपर की तरफ हवा पास कने के लिए बने छेद की तरफ नहीं गया | हालाँकि अन्दर रौशनी से भरे हुत से बाहर देखने पर केवल काला असमान दिखता लेकिन अगर उनमे से कोई गौर से देखता तो काले आसमान में दाग भी दिख जाता और वो दाग कोई और नहीं रीमा थी | अब बारी राजू की थी, राजू ने अपना मोबाईल निकाला और नूतन प्रियम के लंड के साथ तरह तरह के पोज देने लगी | कुछ देर बाद प्रियम फोटो खीचने लगा और राजू के लंड के साथ नूतन पोज दे रही थी |

उसके बाद फिर से लंड चुसाई शुरू हो गयी, इस बार तेजी से फुर्ती के साथ नूतन दोनों का लंड बारी बारी से चूस रही थी | लंड को अन्दर तक मुहँ में ले जाने के लिए जोर जोर से अपना सर हिला रही थी | जीतनी तेजी से प्रियम के लंड पर अपना सर हिलाकर उसे अपनी ओंठो की सख्त जकड़न में लेकर चूस रही थी और मुहँ में ले रही थी, प्रियम को रीमा की लंड चुसाई याद आ गयी | यहाँ उतनी रिद्धम और कला नहीं थी, न ही नजाकत थी लेकिन स्पीड कमाल की थी | जीतनी तेज नूतन के मुहँ में प्रियम का लंड जा रहा था उतनी ही तेज राजू का लंड भी नूतन के हाथ में फिसल रहा था | दो लंडो के साथ इतनी स्पीड में खेलने से नूतन हांफने लगी थी और तीनो ने एक और ब्रेक लिया | नूतन की चूत का रस अब बाहर की तरफ बहने लगा था, उसके तेज धडकने उसको साफ़ सुनाई दे रही थी, यही हाल राजू और प्रियम का था, दोनों अपने चरम की बढ़ते बढ़ते काम वासना में कराह रहे थे | नूतन की इस एक्सप्रेस लंड चुसाई से दोनों का रोम रोम खड़ा हो गया, तभी नूतन ने एक और ब्रेक लेने की सोची, अगर नूतन दोनों का लंड मुठियाना और चुसना न बंद करती तो शायद दोनों झड़ने के कगार पर पंहुच जाते और जल्दी ही उनकी पिचकारी छुटने लगती |

तीनो अपनी अपनी सांसे काबू करने में लगे हुए थे, नूतन कैमरा का टाइमर ऑन करके एक जगह रख आई | इस बार कैमरा टाइमर के साथ फोटो खीची जाने लगी | ऐसा लग रहा था हट में तीन कमसिन युवा जवानी की प्यास बूझाने नहीं आये है बल्कि नंगी फोटो शूटिंग करने आये है, ऐसा तो बस पोर्न फिल्मो के स्टेज पर होता है | तीनो को ये सब करने में न कोई शर्म थी न कोई झिझक | जी तरह से नूतन दोनों के लंडो को पकड़ पकड़ कर फोटो खीच रही थी, ऐसा लग रहा था आगे चलकर उसे न्यूड मॉडलिंग ही करनी है | सबसे बड़ी बात है वो इसे पूरा एन्जॉय कर रही थी और पूरी तरह से कॉंफिडेंट भी लग रही थी | कही से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि वो इस हट में उन दोनों का कोई अहसान चुकाने आई है, बल्कि बॉडी लैंग्वेज से राजू और प्रियम कम कॉंफिडेंट लग रहे थे | शायद इसलिए क्योंकि राजू ये सब पहली बार एक्सपीरियंस कर रहा था, जाहिर सी बात है उसके मन में हजारो सवाल और जिज्ञासाए होंगी और प्रियम का रीमा के सामने आखिरी एक्सपीरियंस जैसा था उस हिसाब से उसका कम उत्साही होना समझ में आ रहा था | नूतन दोनों में जोश भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी, वो दोनों को कुछ वाइल्ड करने के लिए जमकर उकसा रही थी | आजकल के युवा सेक्स में कितना जंगलीपन चाहते है ये देखकर रीमा हैरान थी | सेक्स दो लोगो के बीच का बेहत निजी पल होता है लेकिन यहाँ तो तीन थे और तीनो को इस बात का न कोई संकोच था, न मलाल, तीनो इस बात से भी पूरी तरह बेपरवाह थे कुछ दूरी पर उनके फैमिली वाले है | वो सब इस बात को लेकर कॉंफिडेंट थे की शराब के नशे में उन्हें ढूढ़ने यहाँ कोई नहीं आने वाला | उनकी खैर खबर अब सुबह ही लेने कोई आएगा, अगर आएगा तो |

कैमरा बंद होते ही तीनो फिर से अपने काम में लग गए लेकिन इस बार की चुसाई थोड़ी अलग थी | थोड़ी उग्र थी, थोडा जंगली पन लिए हुई थी नूतन बेहद स्पीड से दोनों के लंड मसलने लगी, मुहँ में लेकर चूसने लगी, कभी कभी दोनों लंडो के फूले गुलाबी सुपाडे मुहँ फैलाकर एक साथ मुहँ में रख लेती | दोनों अब उत्तेजना से कराहने लगे थे | बीच बीच में उनके लंडो के सुपाडे पर अपनी दांत गडा देती , उनके सख्त लंडो की खाल को दन्त से कटाने लगती | ऐसा होते ही दोनों की कराह ज्यादा तेज हो जाती | बीच बीच में नूतन दोनों को उकसाती रहती, ताकि कुछ मर्दाना जोश दिखाए | हालाँकि दोनों पर इसका कम ही असर हुआ | प्रियम अब तक रीमा के सदमे से बाहर नहीं आया था लेकिन वो वासना की उत्तेजना के चरम की तरफ बढ़ रहा था इसलिए उस असर को दिलोदिमाग पर छाई हवस ने कम जरुर कर दिया था, इसलिए अब वो सक्रीय रूप से इसमें भाग ले रहा था | वो भी नूतन की चूची कसकर रगड़ कर मसल देता जिससे नूतन के मुहँ में ही घुटी चीख निकल जाती | कभी कभी दोनों के लंडो को अपने मुहँ में भरकर कसकर उन पर दांत से काटने लगाती | रीमा को ये जंगलीपन बहुत भा रहा था | उसके दिमाग में बस यही ख्याल आ रहा था उसने ऐसा कभी क्यों नहीं किया | दो लंडो को तो वो जन्नत की बड़ी आसानी से सैर करा सकती है और जंगली बिल्ली बनकर अपना सारा जंगलीपन उन पर उतार सकती है |

दो दो लंडो की चुसाई से नूतन का बदन भी आग की भट्ठी की तरह गरम हो गया, उसके शरीर पर भी पसीने के बुँदे झलक आई | नूतन के राजू के लंड को कसकर सख्ती से हाथो में लकड़ लिया और मुहँ के अन्दर बाहर करने लगी, राजू का ये पहला मोमेंट था, इसलिए राजू की हालत ज्यादा खराब थी, प्रियम ने राजू का लंड नूतन के मुहँ से निकालते ही अपना लंड नूतन के मुहँ में ठूंस दिया और उसके सर को पकड़कर उसके मुहँ को चोदने लगा | नूतन के एक पल लगा सँभलने में, फिर वो आराम से मुहँ खोलकर प्रियम के लंड से अपना मुहँ चुदवाने लगी, उसके मुहँ से बस गों गों की आवाजे आने लगी | दोनों की सांसे धौकनी की तरह चल रही थी लेकिन दोनों के जिस्मो में लगी आग उन्हें जलाये दे रही थी | उसे बुझाना बहुत जरुरी था चाहे जो करना पड़े | प्रियम के अपने अंदर उमड़ रहे लावे को बाहर निकालना ही था नहीं तो अन्दर ही अन्दर वो उसे झुलसा देता | नूतन के शरीर में भी आग लगी हुई थी, उसे भी बारिश के मौसम की पहली फुहार की जरुरत थी जो इस तपते बदन को ठंडा कर सके | उसकी चूत में मचा तूफान बस फुहार छुटने के बाद ही शांत होगा | नुतन को प्रियम का ये अंदाज बहुत पसंद आया लेकिन राजू के ये देखकर फट गयी | राजू भी प्रियम को देखकर कसकर नूतन के उरोजो को मसलने लगा | नूतन तो जैसे इस दर्द में भी अपन परम सुख पा रही थी | आजतक उसका मुहँ ऐसे किसी ने नहीं चोदा था, वो तो प्रियम की कायल हो गयी | नूतन बस मुहँ खोले प्रियम के लंड को घोटने में लगी थी | नूतन ने राजू के लंड को कसकर जकड लिया और बेदर्दी से मसलने लगी | जीतनी तेज प्रियम के धक्के उसके मुहँ पर लग रहे थे उतनी तेज वो राजू का लंड मुठिया रही थी |

ये सब देख रीमा की तो हालत ख़राब हो गयी, उसकी चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी और उसकी पैंटी का एक हिस्सा उसके चूत रस से गीला हो गया था | प्रियम दे दनादन धक्के पर धक्के धक्के जमकर नूतन का मुहँ चोदने रहा था , उसकी आँखों से मेकअप का काजल आंसुओं के साथ बहाने लगा | लार निकालकर गले को तर करने लगी और प्रियम दे धक्के पर धक्के जमकर नूतन का मुहँ चोद डाला | नूतन का शरीर उसके काबू में नहीं था, उखड़ती सांसे, धकधक करता सीना और पुरे शरीर में दौड़ रही मादक तरंग अब उसके शरीर को कांपने लगी थी | नूतन चरम पर पंहुच गयी थी, उसकी पिंडलिया उर जांघे कांपने लगी थी वो झड़ने लगी थी | तभी राजू ने मोबाईल का विडिओ कैमरा नूतन के मुहँ पर फोकस करके ऑन करके रख दिया | असल में नूतन और दोनों के झड़ने का विडिओ रिकॉर्ड करना चाहता था, इससे बेहतर बर्थडे गिफ्ट क्या होगा |
नूतन भी उतनी बेदर्द से राजू के लंड को मुठीया रही थी | प्रियम के लंड मुहँ से निकालते ही नूतन ने एक लम्बी साँस ली और तेज हांफने लगी | उसके शरीर का कंपन कम होने लगा था, नूतन को चरमसुख का अनुभव प्रियम ने करा दिया था, नूतन झड़ चुकी थी |
हांफते हुए ही प्रियम से पुछा - ये कहाँ से सीखा प्रियम |
प्रियम अपने चरम के करीब था - कही से भी सीखा हो तुझे मजा तो आया न |
नूतन - बहुत मजा आया, तुमने तो मुहँ का पुर्जा पुर्जा हिला दिया, जमकर चोद दिया, मुझे ओर्गास्म हो गया |
प्रियम - ओ रियली, तो फिर फिर से लो न मजा बेबी | इतना कहकर फिर से लंड मुहँ में ठेल दिया |अब तीनो उत्तेजना के चरम पर पंहुच गए थे | नूतन जोरो से राजू के लंड को मुठिया रही थी, जबकि प्रियम ने एक बार फिर नूतन का मुहँ चोदना शुरू कर दिया | इधर राजू की पिच्ज्कारी छुटने के कगार पर आ गयी | राजू जोर जोर से कराहे लगा - आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्ह नूतन मै माआआआआआआ ................................................|
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09-01-2021, 05:20 PM,
#96
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
प्रियम के लंड से नूतन के चुदते मुहँ पर ही राजू की पिचकारी गिरने लगी, इतने में प्रियम ने नूतन के मुहँ से लंड निकल लिए और बुलेट ट्रेन की स्पीड से मुठीयाने लगे | राजू के सफ़ेद लंड रह से नूतन का पूरा मुहँ सन गया, कुछ लंड रस उसके मुहँ में भर गया | नूतन ने राजू का लंड छोड़ दिया, राजू खुद ही अपने लंड को पकड़कर बचा कुचा सफ़ेद लंड रस की बुँदे निचोड़ने लगा |
इधर प्रियम की भी पिचकारी छुटने लगी | प्रियम - आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्ह नूतन माय जान बेबी, आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्ह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! और दे दनादन एक के बाद एक, कभी नूतन के ओठो पर कभी उसकी आँखों पर, कही गले, कभी सीधे मुहँ में, प्रियम की गोलियों में भरा गरम सफ़ेद गाढ़ा लावा लंड से निकलकर गिरने लगा | उस गरम लावे की तपिश नूतन को अपने गरम बदन पर भी महसूस हो रही थी | दोनों लंड के मथन से उनके जिस्म से निकला गरम सफ़ेद गाढ़ा लंड रस से नूतन का पूरा मुहँ सरोबार हो गया | वो अपने मुहँ पर फैले गरम लावे को समेटकर अपने मुहँ में भरने लगी | दोनों के लंड हाथ में लेकर उनसे आखिरी बूंद तक निचोड़ने लगी, उसके मुहँ में भरी सफ़ेद गाढ़ी क्रीम उसके उन्ठो की गिरफ्त की पार करके मुहँ से बाहर फिसलने लगी और नूतन बड़ी सैक्स्ट अदाओ से मोबाईल के कमरे की तरफ देख रही थी |

दोनों के लंड नरम होने शुरू हो गए थे | नूतन बार बार मुहँ से फिसल कर नीचे की तरफ जा रही गाढ़ी सफ़ेद लंड क्रीम को मुहँ में भर लेती और फिर दोनों के सुपाडे को बारी बारी चिसने लगती | दोनों अपने नरम होते झड चुके लंड को नूतन के लंड रस से सने मुहँ पर हिला रहे थे | उसके गाल सहला रहे थे और नूतन बारी बारी से उनके सुपाडे को मुहँ में ले रही थी |

अब तीनो बिस्तर पर निढाल हो गए | सबकी आंखे बंद थी, शायद अभी अभी मिले चरम सुख को याद कर रहे थे | रीमा ने मोबाईल ऑफ किया और धीरे से दीवार से उतरी, वो वापस मैं हाल में जाने लगी तभी उधर से उसे कोई आता दिखाई दिया | रीमा एक झुरमुट की आंड में हो गयी | जब वो काफी नजदीक आ गया तो रीमा उसे पहचान गयी, ये तो वही परछाई वाला शख्स है | ये तो जग्गू है | ये इधर क्या करने आ रहा है | कही इसको मेरे बारे में पता तो नहीं चल गया | या ये प्रियम से मिलने आ रहा है | या ये भी नूतन के प्लान का हिस्सा है | अब दोनों के जाने के बाद ये अपनी प्यास बुझाएगा | जग्गू जैसे जैसे हट की तरफ बढ़ रहा था रीमा को उसके बारे में सब कुछ साफ़ दिखने लगा था | वो पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाते हुए आ रहा था | इसक मतलब ये था की वो भी अपनी ठरक उतारने ही उधर आ रहा है | जग्गू ने भी शराब पी रखी थी |

इससे पहले जग्गू हट के गेट तक पंहुचता | हट का गेट खुल गया | प्रियम और राजू दोनों चोरो की तरह उसमे से बाहर निकले, चारो तरफ नजर दौडाई, जब उन्हें कोई नजर नहीं आया तो चोरो की तरह चुपके से अपने गतव्य की ओर चल पड़े | प्रियम और राजू को देखकर जग्गू एक बारगी को एक पेड़ की ओट हो गया | जग्गू समझ गया कुछ तो गड़बड़ है | इतनी देर से इन्हें ढूंढ रहा हूँ और ये साले यहाँ इतनी दूर इस झोपड़े में क्या कर रहे है | उसे रंगे हाथो प्रियम और राजू को पकड़ना था लेकिन उसकी बजाय, उसकी दिलचस्पी हट में ज्यादा थी | ऊपर से प्रियम की चाची रीमा उसके लिए एक रहस्य सी बन गयी थी | उनको कहाँ कहाँ नहीं ढूँढा लेकिन वो कही दिख ही नहीं रही है | हाल में सब नशे में धुत है, कही तो वो भी नशे में धुत पड़ी होंगी, अपने हसीन जवान गोर जिस्म को लेकर | बस एक बार दर्शन हो जाये दूध जैसे गुलाबी गोरे बदन के, जहाँ मिलेगी वही दबोच लूगाँ, मसल डालूँगा साली | साली क्या माल है, ये आटू झान्टू लौडिया उसके आगे सब बेकार है | साला एक बार उसकी चूत गुलाबी के दर्शन हो जाये तो जिंदगी सफल हो जाये | बस एक बार साली को चोदने का मौका मिल जाये, जिंदगी भर की प्यास बुझा लूँगा | पूरी रात चोदुगा साली को, भले ही गोली खानी पड़े | यही सब सोचकर जग्गू तेजी से पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था | जैसे ही प्रियम और राजी थोडा दूर निकल गए, जग्गू हट की तरफ बढ़ गया |

रीमा भी झुरमुट की आंड से निकलकर हट के पास आ गयी | पता नहीं आज क्या होने को था, वो तो बस प्रियम को ढूढ़ने आई थी और यहाँ जो हो रहा था उसे देखकर रुक गयी लेकिन खेल तो पता नहीं किस तरफ जा रहा था | रीमा को अब ऐसे रहस्यमयी खेलों में बड़ी दिलचस्पी रहती थी | अब ये जग्गू हट के अन्दर जाकर पता नहीं क्या गुल खिलायेगा | रीमा का वहां से जाने का मन था, वो प्रियम के लिए आई थी और प्रियम जा चूका था | अब उसका यहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं था, लेकिन जग्गू में अचानक जगी उसकी दिलचस्पी, उसके अंतर्मन को कुचल उसके शैतानी दिमाग पर हावी होती जा रही थी | रीमा ने लम्बी उहा पोह के बाद आखिर सच पता चलने तक रुकने और इन्तजार करने का फैसला किया |

नूतन और जग्गू की आपस में नहीं बनती थी, उसका कारन था जग्गू का मुहँ फट्ट होना | नूतन को उसका जाहिलपन बिलकुल पसंद नहीं था | जग्गू नूतन के मुहँ पर ही वो सारी बाते बोल देता था जिनके बारे लोग नूतन की पीठ पीछे बाते करते थे | नूतन के नजर में जग्गू एक नंबर का लुच्चा लफंगा बदमाश और लडकियों की इज्जत न करने वाला लड़का था | जग्गू की नजर में नूतन एक नंबर की छिछोरी रंडीबाज लौंडिया थी जो न जाने कितने लंडो से कितनी बार चुद चुकी होगी, और चुदवा चुदवा कर अपनी चूत सुरंग बना चुकी होगी | नूतन जिस भी लड़के से बात करती थी जग्गू उसका मतलब ये समझता था की नूतन उससे भी चुदवा चुकी है या चुदवाने की तैयारी में है | इसी वजह से जग्गू उसकी जरा सी भी इज्जत नहीं करता था |

रीमा हट के गेट के पास आ गयी, जग्गू अब तक अन्दर घुस चूका था | जग्गू ने अन्दर जाकर जो देखा, उसके मुहँ से अनायास ही निकल गया - अरे बहनचोद ये साले यहाँ इस रंडी को चोदने आये थे इसलिए साले हमको नहीं बताये | इनकी माँ की चूत साला ये तो जैकपोट मार लिए, हमको बताया तक नहीं बहनचोदो | इनकी माँ का भोसना मादरचोदो की | इनको तो बाद में देखूगां, पहले जरा इस रंडी नूतन की चूत का हाल चल तो लू | जग्गू में मतलब भर की शराब पी रखी थी, और उसका साफ़ असर उसके बोल चाल में दिख रहा था |
नूतन ने भी एक पैग लगा रखा था लेकिन वो पुरे होशो हवास में थी, अचनक से जग्गू को हट में देखकर हक्की बक्की सी जग्गू को देख रही है, उसे कुछ समझ नहीं आया, ये जग्गू कहाँ से आ गया | असल में प्रियम और राजू के जाने के बाद नूतन हट का दरवाजा बंद करना भूल गयी | बल्कि ऐसे ही खुद को ठीक करने लगी | लंड रस से सने मुहँ को अच्छे से पोछकर मेकअप करने लगी | इसी चक्कर में अपने कपड़े पहनना भूल गयी , उसकी छातियाँ बिलकुल बेपर्दा थी | उसकी शार्ट पेंट भी नीचे को खिसकी हुई थी, उसकी गुलाबी पैंटी भी अपनी जगह से नीचे को खिसकी हुई और उसके चूत त्रिकोण का चिकना बाल रहित इलाका और चूत की दरार साफ़ दिख रहा था | जग्गू को देखते ही उसने झट से कपडे उठाकर खुद को ढकने की असफल कोशिश की, लेकिन जग्गू उसके जवान कमसिन जिस्म के उतार चढ़ाव की एक पैमाइश तो ले ही चूका था | जग्गू ने आज तक कभी नूतन की चुंचियां और उरोज नहीं देखे थे बस ऊपर से टाइट कपड़ो के उभारो उसके स्तनों और चुताड़ो का अंदाजा लगाता था |
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09-01-2021, 05:20 PM,
#97
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
जग्गू शराब के नशे में था, बहुत ज्यादा नहीं पी रखी थी लेकिन फिर भी मतलब भर की पीने के कारन ठीक थक नशा उसे चढ़ा हुआ था - नूतन रानी यहाँ एकांत में दो दो लंडो से चुदवा रही थी | साला हमको भनक तक नहीं लगने दी बहनचोद | इतना बुरा है मेरा लंड क्या ???
नूतन अपने की ठीक करते करते भड़कती हुई - यहाँ क्या कर रहा है तू |
जग्गू कुटिल मुस्कान के साथ - यही सवाल तो मै तुझसे पूछु साली कुतिया तो ......................|
नूतन - वहां बहुत शोर हो रहा था, मुझे एकांत चाहिए था इसलिए यहाँ आई थी |
जग्गू - रंडी की चूत साली रंगे हाथो पकड़ा है तुझे लेकिन फिर भी न झूठ बोलना नहीं छोड़ेगी | रंडी की औलाद सच काहे नहीं बोलती, चुदने आई थी और वो दोनों तुझे चोदकर चले भी गए |
नूतन - देख जग्गू जबान संभलकर बात कर, वरना आज तू पिटेगा मेरे हाथो |
जग्गू - साली चुद्दकड़ कुतिया, तू मुझे धमका रही है | अभी एक आवाज लगा दू, तेरी सारी पोल पट्टी खुल जाएगी |
एक लंड काफी नहीं तो दो दो से चुदने का चस्का पाल लिया हरामजादी |
नूतन - बकवास बंद कर और यहाँ से फुट ले जल्दी| तेरे जैसा आदमी गन्दी नाली का कीड़ा ही रहेगा | जैसी जगह से आया है वैसा ही सोचेगा, गटर छाप |
नूतन ने बस कमर के नीचे के कपड़े काफी हद तक ठीक कर लिए थे | अपनी ब्रा बस पहनने जा रही थी......
गटर छाप सुनते ही जग्गू को गुस्सा आ गया, उसने आगे बढ़कर नूतन के बाल खीच लिए - साली कुतिया गटर छाप किसको बोला, तू गटर छाप, तेरा खानदान गटर छाप, यहाँ खुलेआम चुदवा रही थी और गटर छाप मै ?????

नूतन बिलबिला गयी - आआआआईईईई छोड़ हरामी के लंड मादरचोद, छोड़ मेरे बालो को, सुवर की औलाद |
जग्गू - साली जबान संभाल कर बोलना, माँ की गली नहीं जानती नहीं मै कौन हूँ | साला यही रगड़ दूगां, 6 दिन तक बिस्तर से नहीं हिलेगी |
नूतन दर्द से बिलबिला रही थी, उसके पैर का घुटना चल गया लेकिन निशाना चुक गया, सेण्टर में लगने की बजाय वो जग्गू की बायीं जांघ पर जाकर लगा |
अब जग्गू का गुस्सा और बढ़ गया - साली मुझे मर्दानगी दिखाएगी | जग्गू ने नूतन को बिस्तर पर पटक दिया |
जग्गू का गुस्सा अब बहुत बढ़ चूका था - साली कुतिया मादरचोद, मुझे चोट पन्हुचाएगी | साला एक तो वैसे भी जब से पार्टी में आया हो, दिमाग ख़राब हो रखा है | उस भोसड़ी वाली प्रियम की चाची को भी आज ही आना था | मादरचोद दिमाग का दही कर दिया है, भोसड़ी वाली उस हुस्न परी को जब से देखा है, लंड नरम होने का नाम ही नहीं ले रहा | ऊपर से सहला सहला कर हाथ में भी दर्द हो गया है लेकिन ये साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा | साला इतनी खूबसूरत औरते बनाने की क्या जरुरत है कि खुद को रोकना मुस्किल हो जाये | साली साड़ी में भी इतनी क्लासिक लग रही थी, उसी चूची देखि है साली कुतिया तूने, उसकी गांड देखि है, जब चलती है कैसे चूतड़ थलर थलर हिलते है | मेरा तो साला उसके चलते समय उठती हिलती गांड के झटके देखकर कर ही नियति ख़राब हो गयी थी | मन कर रहा था वही गिरा जमीं पर उसकी साड़ी खोलकर वही उसकी गांड में लंड घुसेड़ दू और कुतिया बनाकर खूब चोदु , जब तक मन न भर जाये | उसके आगे तेरे जिस्म में तो कुछ भी नहीं है | उसके बारे में सोच सोच कर वैसे ही दिमाग ख़राब हो रखा है | ऊपर से तू रंडी की जनी यहाँ चूत खोलकर नंगी बैठी है |
अब अगर तेरी जैसी किस्मत से अचानक नंगी मिली चूत को भी नहीं चोदा तो साला धिक्कार है अपनी जिंदगी पर | तुझे तो कुतिया बनाकर तेरी चीखे ना निकलवाई तो मेरा नाम भी जग्गू नहीं |
जग्गू नशे और गुस्से में क्या क्या बक रहा था, उसे भी पता नहीं था, बस बक रहा था | अब नूतन के चेहरे पर गुस्से और डर के भाव के जगह एक सन्नाटे वाली दहसत ने ले ली थी | एक खामोश सी चीत्कार करती दहसत, जिसकी खामोश चीखे नूतन के रोम रोम में घुसकर, उसके शरीर के हर नस नस में सिहरन भर रही थी | उसके सामने सवाल था अब क्या होगा, क्या आज सचमुच उसकी इज्जत लुट जाएगी, क्या आज जागु उसका बलात्कार कर डालेगा ?????????????? बिस्तर पर पड़ी नूतन के मन में ऐसे अनगिनत जिस्म में सिहरन पैदा करने वाले दहसत भरे सवाल उसके दिमाग में उमड़ रहे थे |

जग्गू की बाते सुनकर हट के गेट के पास कड़ी रीमा के रोम रोम में सिहरन दौड़ गयी, जग्गू की बातो ने उसके अन्दर उत्तेजना, रोमांच और दहशत तीनो ही उसके अन्दर भर दी थी | रीमा को लगा उसे जाकर नूतन को बचाना चाहिए | फिर उसने सोचा, कही वो ही उल्टा न फंस जाये, पता चला नशे में धुत जग्गू उसकी इज्जत तार तार करके उसकी दुर्गति कर दे, फिर वो समाज में कैसे जी पायेगी, कैसे खुद से आंख में आंख मिला पायेगी | दो टके का नाली का कीड़ा उसे पाने का कोई हसीन ख्वाब नहीं देख रहा था बल्कि सबसे दर्दनाक वहसी तरीके से उसके जिस्म को नोचने का सपना पाले बैठा था | उसके न मिलने पर आज वो मासूम नूतन को अपना शिकार बनाएगा | वो नूतन के मासूम नाजुक कोमल जिस्म को नोच नोच कर वसियाना तरीके से भोगेगा और बेचारी बेबस नूतन उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगी | डर और क्रोध के कारन रीमा का रोम रोम कांपने लगा | उसका बस चले तो जग्गू जैसो को अभी गोली मार दे |

रीमा ने एक पल को आंखे बंद की, एक लम्बी साँस खीची और उसकी चेतना, गुस्से और डर से बाहर आई | उसने हर हाल में नूतन को बचाने का फैसला किया | उसने अपने फ़ोन का कैमरा ऑन कर दिया और दरवाजे को ओट से ही जो भी अन्दर हो रहा था उसे शूट करने लगी |

अपने दिमाग की उधेड़बुन से बाहर आती नूतन ने जग्गू से हवसी जकड़न से बचने की आखिरी कोशिश की और बिस्तर से हट के गेट की तरफ उठ भागी | जग्गू ने बिस्तर से उठकर भागने की कोशिश करती नूतन को एक बार फिर से बिस्तर पर पटक दिया |
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09-01-2021, 05:20 PM,
#98
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
एक तो शराब का नशा और ऊपर से नूतन की नौटंकी, जग्गू का गुस्सा बढ़ रहा था जग्गू गुस्से से दांत पीसता हुआ - देख ज्यादा हाथ पाँव मारेगी तो मुझे भी सख्ती करनी पड़ेगी | प्रियम और राजू से अपनी चूत चुदवा चुकी है, अब चुपचाप मुझसे भी चुदवा ले और शांति से घर चली जा | जग्गू नूतन की पैंटी खिसकाने लगा और एक झटके में नूतन के जिस्म से वो कपड़े का आखिरी टुकड़ा भी अलग हो गया |
नूतन को लगा अब जग्गू से बचने का एक ही तरीका है, उसने हाथ जोड़ लिए और रिक्वेस्ट के मोड मोड़ में आ गयी, उसे लगा रहा था कि वो जग्गू के चंगुल से निकालकर यहं से नहीं जा पायेगी, अपनी इज्जत बचाने के लिए उसकी चिरौरी करने में भी क्या बुराई है |
नूतन तोडा नरम होते हुए - मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है, जग्गू तू समझ क्यों नहीं रहा है |
जग्गू को लगा ये उसका चुतिया काट रही है - साली तू मुझे क्या मंद बुद्धि समझती है |
नूतन - मेरी बात का यकीन करो, जैसा तुम सोच रहे हो वैसा बिलकुल नहीं है |
जग्गू - कैसा नहीं है साली कुतिया, अभी अभी यहाँ से राजू और प्रियम गए है | यहाँ तू अन्दर अधनंगी खुद को ठीक कर रही थी, क्या सोचु मै | उनसे आराम से चुदवा लिया, मेरे से चुदवाने में क्या तकलीफ है, मेरे लंड में क्या नागफनी के कांटे लगे है, जो तेरी चूत चीर डालेगे | जैसा उनका लंड है वैसा ही तो मेरा लंड है |
नूतन की आँखों में आंसू आ गए - तू क्या बकवास कर रहा है, प्लीज जग्गू मेरी बात मान, मै सच बोल रही हूँ हमने ऐसा वैसा कुछ नहीं किया |
जग्गू एक बार फिर से नूतन के दोनों हाथ दबाकर उस पर पसरता हुआ - क्या नहीं किया ??? मेरे माथे पर क्या चुतिया लिखा हुआ है |
नूतन - हमने कोई चुदाई वुदाई नहीं करी, प्लीज मेरी बात का भरोसा कर |

जग्गू का गुस्सा और बढ़ गया - कुतिया साली, तो यहाँ नंगी होकर क्या भजन कीर्तन कर रही थी | देख कान खोलकर सुन, उस औरत ने पहले ही मेरा दिमाग ख़राब कर रखा, पता नहीं कहाँ गुम हो गयी है, पिछले घंटे भर से अपने लंड को सहलाकर उसको ढूंढ रहा हूँ, कही दिख ही नहीं रही | साला सोचा था कुछ नहीं मिलेगा तो उसको देखकर मुठ ही मार लूगाँ लेकिन पता नहीं कहाँ अंतर्ध्यान हो गयी | देख पिछले एक घंटे से लंड खड़े खड़े थक गया है, इसे तो बैठना पड़ेगा | अब तेरी मर्जी है तू आराम से चुदवा ले या मै जबदस्ती करके तुझे चोदु | देख प्रियम की चाची की चूत कब मिलेगी पता नहीं लेकिन अभी जो उसके नाम का बुखार चढ़ा है उसे तो उतरना ही पड़ेगा | अब सामने तू मिल गयी वो भी जांघे खोलकर नंगी चूत लिए हुए, तो तुझे ही चोदूगां |
रीमा ये सब बाते कान लगाये सुन रही थी, उसे तो यकीन ही नहीं हुआ इस उम्र के लडके भी उसके बारे में ऐसा भी सोच सकते है |
नूतन अपनी ही उलझन में थी उसे रीमा से कोई लेना देना ही था - प्रियम की चाची का बुखार उन पर जाकर उतारो, उसको ढूंढो और जाकर चोदो, मेरी नन्ही जान के पीछे क्यों पड़ा.................. मेरी क्या गलती है |
जग्गू - तेरी गलती ये है मेरा लंड खड़ा है और तू बिलकुल नंगी है मेरे सामने, अब तेरी नंगी गुलाबी चिकनी चूत ही मेरे लंड के सामने है |
नूतन - जाकर प्रियम और उसकी चाची से हिसाब करो अपना, मुझे छोड़ दो प्लीज जग्गू |
जग्गू भी नरम होने लगा - छोड़ दूंगा लेकिन चोदने के बाद, सिर्फ एक बार चोद लेने दे, सिर्फ एक बार ही चोदूगां....................... जैसे खुसी खुसी प्रियम और राजू से चुद ली हो वैसे ही मुझे भी अपनी चूत चोद लेने दो , उसके बाद आराम से घर जावो | सब हैप्पी हैप्पी |
नूतन - जग्गू प्लीज मेरी बात मान, मै सच बोल रही हूँ, उन्होंने मुझे नहीं चोदा, दोनों में से किसी ने भी नहीं |
जग्गू के तेवर उग्र हो गए - फिर वही ड्रामा, तू साली कुतिया रंडी की चूत, ऐसे नहीं मानेगी |
जग्गू नूतन पर पसर हुआ था , जग्गू ऊपर था और नूतन नीचे, जग्गू अपने पेट की बेल्ट खोलने थोड़ा सा टूटन के जिस्म पर से बांयी तरफ को तिरछा हुआ , नूतन उसको धक्का देखर भागने की कोशिश करी, लेकिन जग्गू ने गिरते पड़ते उसे पकड़ लिया | अब जग्गू का गुस्सा हद से ज्यादा बढ़ गया था, रीमा की हवस और शराब के नशे में डूबा जग्गू पागलपन की हद तक तक पंहुच गया था | उसे लगा नूतन पर रहमदिली दिखाना व्यर्थ है |
उसने धड़ाम से नूतन को बिस्तर पर पटका और तीन चार झापड़ नूतन को लगा दिए | नूतन दर्द और बेबसी के कारन रोने लगी | जग्गू उसके ऊपर पसर गया, उसे बेतहाशा चूमने लगा - अब तो न सिर्फ तू चुदेगी, बल्कि कुतिया की तरह चुदेगी | साली प्यार से मना रहा था तो नौटकी कर रही थी | अब रंडी की तरह चोदूगा तुझे तब पता चलेगा, जग्गू के लंड से पंगा लेने का क्या मतलब होता है |

नूतन रोते रोते गिदगिड़ाइ, उसके हाथो की सख्त पकड़ को छुड़ाने की असफल कोशिश करती हुआ - प्लीज जग्गू छोड़ दो मुझे, मैंने कुछ नहीं प्रियम और राजू के साथ | प्लीज मै तुमारा लंड भी झाड़ दूँगी हाथ से, चूस भी दूँगी | प्लीज नीचे मत करो, चूत मत चोदो मेरी |

जग्गू - साली मुठ ही मरवानी होती तो लौडिया की क्या जरुरत है, अपने हाथ से ना मार लू |
नूतन - मेरा मुहँ चोद लो जग्गू प्लीज, लेकिन मेरी चूत मत मारो |
जग्गू एक हाथ से नूतन को थामकर एक हाथ से अपनी पेंट की बेल्ट खोलता हुआ - साली कितनी नौटंकी बाज है, साला मुहँ में क्या चोदेगें, ऐसे नखरे दिखा रही है जैसे साली की चूत पहली बार चुदने जा रही हो |
नूतन रोते हुए - ऐसा ही है जग्गू, प्लीज कही भी कर लो लेकिन चूत में नहीं जग्गू | कही भी कर ले लेकिन चूत में नहीं प्लीज.............................................................| मेरा मुहँ चोद ले, वो दोनों भी मुहँ में ही करके गए है, मै सच बोल रही हूँ, तेरी कसम |
जग्गू ने पेंट नीचे खिसका दी, अपना तना हुआ लंड सहलाने लगा - कितनी बड़ी नौटंकी है तू, साला मेरी कसम खाकर मुझे ही मारना है............साले वो दोनों चुतिया है................. तो क्या मै भी तुझे चुतिया लगता हूँ, चूत सामने होते हुए भी जो मुहँ में झड कर चला जाये उससे बड़ा चुतिया लंड नहीं होगा कोई दुनिया में .............और तू कौन कुंवारी कन्या है, जो इतना ड्रामा रच रही है, जहाँ इतने लंड ले लिए अपने अन्दर वहां एक और सही........ जिस चूत में एक बार लंड गया, उसमे फिर चाहे जीतनी बार जाये क्या फर्क पड़ता है |
नूतन के अन्दर जग्गू की दहसत भर गयी थी उसे लगा अब ये नहीं रुकेगा, उसने रोते हुए हाथ जोड़कर - प्लीज जग्गू उसमे आज तक किसी का लंड नहीं गया, उसे मत चोदो |
जग्गू - साली कुतिया ये रोने धोने का ड्रामा बंद कर, सौ सौ लंड खाके चूत बोले मै कुंवारी, चुप कर साली, बंद कर ये नौटंकी | अगर साली तेरी चूत की सील नहीं भी टूटी है तो इससे अच्छा क्या होगा कि उसकी सील मै तोडू | तेरे उन रईस लौंडो के कागज के लंडो से बेहतर है तो चूत के सामने होते हुए भी चुसवा कर चले गए , अलसी लंड है मेरा, चूत चोदने वाला, चूत की सील खोलने वाला, एक ही बार में पक्क्क से तेरी सुरंग का दरवाजा खोल देगा | फिर क्या सटा सट सटा सट सटा सट सटा सट सटा सट जमकर चुदो |

जग्गू को रत्ती भर मतलब नहीं था कि नूतन कुंवारी है या नहीं | उसे रीमा की हवस का बुखार चढ़ गया था और अभी फिलहाल उसे उतारने के लिए उसे एक चूत की जरुरत थी | नूतन उसका प्रतिरोध करने लगी | जग्गू ने एक हाथ से उसके दोनों हाथ थाम लिए और दुसरे हाथ से उसकी बेल्ट खोलने लगा | अभी तक छिपकर विडिओ बना रही रीमा अब सामने आ गयी | दोनों आपस में ही ऐसे उलझे थे , इसलिए गेट की तरफ दोनों में से किसी ने देखा ही नहीं | दोनों में जबरदस्त नूर कुश्ती चल रही थी | जग्गू किसी तरह से नूतन को अपने हाथ से नीचे बिस्तर पर दबाये था और नूतन अपने पैर पटक रही थी | उसकी चूतड़ की दरारों के बीच से हाथ घुसा कर उसकी चिकनी गुलाबी चूत उंगलियों से रगड़ने लगा | नूतन उससके चंगुल से बचने की कोशिश में हाथ पांव मार रही थी |

नूतन की तरफ से जबरदस्त प्रतिरोध होता देख, उसकी चूत जोर जोर से रगड़ने लगा ताकि चूत गरम होने से उसके अन्दर चुदास जग सके | वो आराम से नूतन को चोदना चाहता था इसलिए नरमी बरतने की कोशिश कर रहा था - साली चुपचाप आराम से कर लेने दे, वरण क्यों हड्डी पसली तुड़वाकर चुदना चाहती है | तुझे भी पता है आज मै तुझे चोदकर ही रहूगां | जग्गू ने जो चीज ठान ली वो करकर ही रहता है | आराम से चुदवा ले, आइस्ते से डालूँगा चूत में लंड| जब धीर धीरे जायेगा तेरी चूत में मेरा लंड , तो तू भी अपनी चूत में मेरे लंड का मजा ले | अच्छे से चोदूगा तुझे, धीरे धीर तेरी चूत में पेलुगां, फिर जमकर चोदुंगा, बीच में अधूरा प्यासा तड़पता हुआ छोड़कर नहीं जाउगा |
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09-01-2021, 05:21 PM,
#99
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
नूतन को लगा अब उसकी कुंवारी चूत नहीं बचेगी | आज जग्गू उसे चोदकर ही मानेगा | एक बार को उसके मन में आया हाथ पाँव ढीले छोड़ दे | नूतन उसके भरी भरकम शरीर के नीचे अपने हाथ पाँव पटक रही थी | नूतन को फिर चूत चुदाई के बाद होने खतरे याद आ गए | कही वो पेट से हो गयी तो | इसके पास तो कंडोम भी नहीं है | अभी तो मुझे बहुत पढ़ना है, उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए |
आंसुओं से भरी आंखे लिए सदमे की दहसत में नूतन ने आखिरी बार गिडगिडाते हुए - कही भी कर ले जग्गू मै मना नहीं कर रही हूँ, बस मेरी चूत छोड़ दे | तू समझ नहीं रहा, कही पेट से हो गयी मै तो, तेरे पास कंडोम भी नहीं है | तुझे आगे पीछे जहाँ करना है, कर ले बस चूत छोड़ दे | मुहँ चोद ले, पीछे गांड में करना है वहां कर ले | जो भी दर्द होगा सह लूंगी, बस मेरी चूत छोड़ दे |
जग्गू वासना में पूरा अँधा हो चूका था, उसे न तो समझ आ रह था कि नूतन क्या कह रही है और न ही उसे मतलब था - साली तेरी गांड की टट्टी अपने माँ बाप से साफ़ करवाना, मै तो तेरी चूत ही मारूगां, चोद चोद कर तेरी चूत को सुरंग बना दूंगा | जग्गू नशे में धुत नूतन की चूत देखने लगा | पहाड़ी की तरह उठे दोनों चुताड़ो के बीच की दरार के निचले हिस्से में बनी घाटी में किसी नदी के बहाव की लकीर खीचती नूतन की चूत जो अपने दोनों ओंठो को कसकर एक दुसरे से चिपकाये हुए थी, ऐसी कसी टाइट चिकनी मक्खन मलाई जैसी नूतन की गुलाबी मखमली चूत देखकर जग्गू का लंड और जोर से फाड़ने लगा | उसके अन्दर की वासना की उत्तेजना अब बेकाबू होने लगी | बार बार नूतन की चूत देख जग्गू अपने होशो हवास खोने लगा | नशे में धुत, वासना में डूबा, हवस से सरोबार कुछ देर तक नूतन की चूत ही देखता रहा और बडबडाने लाहा - साला कैसे नजाकत से साफ़ सुथरी चिकनी मक्खन जैसी बनाकर रखी है अपनी चूत तूने | साला मन करता है गप गप करके खा ही जाऊ |

जग्गू उसकी पैंटी पहले ही छिलके की तरह उतार कर अलग फेंक चूका था, जग्गू उसकी चिकनी गोरी मांसल जांघो को सहला रहा था , नूतन को लगा अब उसके लिए करो या मरो की स्थिति है | नूतन ने अपने हाथ पांव ढीले कर दिए थे, जग्गू को लगा नूतन ने हथियार डाल दिए है, नूतन को इस तरह काबू में देखने के बाद जग्गू ने एक हुंकार भरी, जैसे उसकी ये पहली विजय हो | जग्गू एक हाथ अपने मुहँ की तरफ लार लेने के लिए ले गया | उसने अपनी हथेली पर लार निकाली और अपने लड़ के सुपाडे पर मलने लगा | नूतन के सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो गयी थी | नूतन को लगा अब चुदना ही है, तो रोने धोने का क्या फायदा | कभी न कभी किसी न किस से तो चुदुंगी ही | कोई न कोई लंड पहली बार मुझे चोदेगा ही | रही बात पेट से होने की तो यहाँ से घर पंहुचते ही गोलियां खा लूंगी | नूतन ने हथियार डाल दिए थे | अब उसके आगे अपनी चूत जग्गू के लंड से चुदवाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था |

जग्गु ने अपने लंड पर मुहँ की गीली लार मलने के बाद अपने लंड को नूतन के चूत के मुहाने की तरफ बढाया और नूतन की चूत के मुहँ से सटा दिया | एक धक्का और नूतन की चूत में जग्गु का लंड घुस जाना था | जग्गू नूतन को पीछे से चोदने के सपने देखने लगा | वो पीछे से हचक हचक कर नुतन की गुलाबी कुंवारी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा है और नूतन उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठा गिरा रही है | पहली बार चुदने से चूत में हो रही जलन और कामवासना से तर बतर नूतन जग्गू के हर धक्के के साथ कराह रही है, उसके मुहँ से आह आह की अवजे निकल रही है और जग्गू बिना रुके पूरा का पूरा सख्त लंड नूतन की चूत में पेल रहा है | नूतन की मादक सिसकारियां जग्गू का और जोश बढ़ा रही है और वो जमकर नूतन को चोद रहा है

नूतन को समझ नहीं आया अचानक जग्गू को क्या हो गया, किस सोंच में पड़ गया, कही उसे अपनी गलती का अहसास तो नहीं हो गया |
शायद वो जो करने जा रहा है उसे उसके गलत होने का अहसास हो गया है | जग्गू नूतन के चोदने की सपनीली कल्पना में डूबा गीली लिसलिसी लार से अपने गरम लंड को मलकर चिकना कर रहा था, ताकि नूतन की सुखी कुंवारी चूत की सील तोड़ने में उसे ज्यादा जोर न लगाना पड़े |
नूतन अचानक - जग्गू रुको, मेरी सूखी चूत की संकरी सी सुरंग में, जिसमे आजतक किसी का लंड नहीं घुसा ऐसे ही लंड पेल दोगे, थोड़ी लार और लगा लो लंड पर |
जग्गू शराब और वासना दोनों के नशे में धुत था | इससे पहले जग्गू कुछ रियेक्ट करता नूतन ने जग्गू की ढीली पकड़ से अपना दाहिना हाथ छुड़ाया, और अपने मुहँ से ढेर सारा लार अपनी हथली में उड़ेल लिया | जग्गू जब तक कुछ समझता, तब तक नूतन अपनी लार से जग्गू का लंड मसलने लगी | जब जग्गू को अहसास हुआ कि नूतन क्या कर रही है, तब विजयी अंहकार के साथ बोल पड़ा - बोला था न, साली चुदने का मन सबका होता है बस नखरे इतने दिखाती है की गांड से पसीना निकाल दे |
नूतन - तुझे अच्छा लग रहा है मै तेरा लंड पकड़कर मल रही हूँ |
जग्गू - जल्दी से मल, अब रुका नहीं जाता, मेरे लंड का ठिकाना अब तेरी गुलाबी चूत की अँधेरी सुरंग है | इसे ज्यादा देर मत रोक
नूतन - हाँ हाँ, इसकी अलसी मालिश तो मेरी कुंवारी मखमली चूत की कसी हुई दीवारे ही करेगी, मै तो बस थोड़ा लोशन लगाये दे रही हूँ, ताकि आराम से मालिश हो |
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09-01-2021, 05:21 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
जग्गू पूरी तरह से वासना में मस्तियाँ गया | नूतन एक हाथ से जग्गू का लंड मसल रही थी और दुसरे हाथ अभी भी जग्गू के सख्त पकड़ में था | नूतन ने अपनी करवट बदल जग्गू के ऊपर आने की कोशिश की, पहली कोशिश ने नाकाम रही लेकिन जब उसने जग्गू के लंड को जोर से मुठियाना शुरू किया तो जग्गू थोड़ा रिलैक्स हो गया और वो जग्गू के पैरो में से अपने पैर तो खिसकाने में कामयाब हो गयी | इतना होते ही उसने पूरी ताकत से जग्गू के तने हुए कठोर लंड जकड लिया और उसके दुसरे हाथ में कसकर काट लिया | एकदम अचानक हुए इस हमले से जग्गू के हाथ, पांव ढीले हो गए और नूतन उछालकर उसके चंगुल से बाहर आ गयी | जग्गू दर्द से बिलबिला गया | वो हाथ पकड़कर दर्द के मारे चिल्लाने लगा | इससे पहले नूतन रीमा को देख पाती रीमा फिर से दरवाजे के सामने से हटकर दरवाजे की ओट में चली गयी | नूतन के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था , वो पूरी तरह से नंगी थी, उसके चेहरे पर डर और सदमे का गहरा मिश्रण था, बाल उलझे हुए थे, गालो पर थप्पड़ के निशान थे और हाथो पर लालिमा छाई हुई थी | आँखों में आंसुओं का सैलाब था | रीमा को देखते ही फूटफूट कर रोने लगी | उसकी अहलत देखकर रीमा का कलेजा अन्दर तक काँप गया | ऐसी नंगी और बदहवास हालत में अगर वो बाहर जाती है तो उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और अगर नहीं गयी तो इज्जत खतरे में थी | किस्मत अच्छी थी जो समय पर रीमा आ गयी और नूतन का रेप नहीं हुआ, जग्गू जैसे जानवर के हाथो चुदने लुटने से बच्ग गयी | इससे पहले कि दर्द से बिलबिलाता जग्गू संभल कर नूतन पर वार करता या दहसत से भरी नूतन बाहर की तरफ भागती | बाहर से एक जोर की आवाज आई - प्रियम आर यू देयर ????
नूतन और जग्गू दोनों चौंक गए | नूतन कुछ समझ के लिए बाहर झांकती, इससे पहले रीमा हट के दरवाजे के मुहाने तक आ चुकी थी |
दरवाजे पर आते ही रीमा ने जो देखा - ओह माय गॉड,............................|
नूतन भी रीमा को देखकर एक दम शाक्ड रह गयी, उससे ज्यादा तगड़ा झटका जग्गू को लगा, जिसका कांपता हुआ तना कठोर सीधा लंड उसकी पेंट के बाहर झूल रहा था | नूतन सही गलत सोचने की स्थिति में नहीं थी, वो बस रीमा की तरफ लपकी और चीखी - ये जानवर मेरा रेप करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा ने नूतन को सांत्वना दी | नूतन रीमा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी | रीमा ने ऐसा जताने की कोशिश की जैसे वो यहाँ बस अभी आई हो, तेज आवाज में गरजी - क्या हो रहा है यहाँ ??????
जग्गू बस बुत बनकर खड़ा हो गया - वो औरत जिसको चोदने के वो सपने देखता था, उसके सामने इस हालत में, पेंट पैरो में पड़ी हो, तना हुआ लंड खून के दौरान से कांपता हुआ, हाथ में काटे जाने का जख्म और बलात्कार का आरोप | जग्गू के रीमा को चोदने के सपने की तो जैसे बाल हत्या हो गयी | एक पल में वो विलेन बन गया | सबसे बड़ी बात थी इसके लिए किसी तरह के सबूतों की जरुरत नहीं थी |
जग्गू हतप्रभ था, ये यहाँ कैसे आ गयी, उसका नशा छु मंतर हो गया | रीमा उसे दरकिनार करते हुए अन्दर की तरफ बढ़ी | नूतन के कपड़े उठाये और तेजी से फिर नूतन के पास पंहुच गयी |
रीमा ने बिना पल गंवाए नूतन को बोला - भाग नूतन भाग |

रीमा और नूतन दोनों मैंन हाल की तरफ भाग निकले, एक अच्छी खासी दूर आने के बाद नूतन ने जैसे तैसे अपने बदन पर कपडे डाले | उसके बाद दोनों मैंन हाल की तरफ चलते रहे | बीच बीच में नूतन अपने अस्त व्यस्त बालो को ठीक करने लगती लेकिन अभी भी उसे पूरा होश नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है , उसके टॉप से उसके बड़े बड़े स्तन बाहर को साफ़ झलक रहे थे | उसके बाल उलझे थे, चेहरे का मेकउप अस्त व्यस्त हो गया था, आँखों से आंसू निकलने के कारन काजल बहकर गालो तक आ गया था | दोनों तेज तेज भागते हुए मैंन हाल की तरफ पंहुच गए, बाहर लान में लाइट जल रही थी लेकिन धीमी धीमी, जबकि अन्दर हाल पूरा रौशनी से जगमग था | रीमा ने बाहर से ही हाल की तरफ देखा, जिसमे शीशे के बड़े बड़े दरवाजे लगे, उसे हाल में कोई दिखाई नहीं दिया | वह नूतन को वही एक कोने में खड़ी रहने को कहकर तेजी से अन्दर गयी, वहां कोई नहीं दिखा, उसे समझ नहीं आया कि लोग ऐसे कैसे गायब हो गए, कहाँ गए सब के सब | उसने वहां सर्व कर रहे एक वेटर से भी पुछा | उसने अनभिज्ञता जाहिर की | उसने वेटर से पानी की दो बोतले ली और नूतन को पकड़कर बाथरूम की तरफ चली गयी | बाथरूम जाकर उसका अच्छे से मुहँ धोया, नूतन के कपड़े ठीक करने लगी | नूतन की भी चेतना लौटने लगी थी | नूतन भी खुद को सँभालने लगी | नूतन ने अपना मुहँ पोछा, बाल ठीक किये और शीशे में खुद को देखने लगी | उसके चेहरे पर डर और सदमे दोनों के भाव थे | वो बस फिर से रोने वाली ही थी, रीमा ने हाथ पकड़कर मजबूत आवाज में - रोना मत नूतन, उस हरामी के पिल्लो को आज सबक सिखाकर ही यहाँ से जायेगें | अगर तूने रो दिया तो वो साला दो टके का लौंडा जग्गू और उसके अन्दर का जानवर जीत जायेगें | चल अभी तो उसकी फाड़ने की बारी है |

उधर जग्गू नशे और वासना में धुत , उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है, उसके हाथ पर नूतन के दांतों के खुनी निशान बन गए थे, वो दर्द से बिलबिला रहा था, लंड उसका पहले की तरह ही अकड़ा हुआ था | इधर जग्गू जब तक अपनी पेंट संभालता और उसमे अपने पूरी तरह से तने कठोर मुसल लंड, जो खून के तेज दौरान से फड़क रहा था, को हाथ से मसलता हुआ, नशे में हिलता हुआ, अपने हाथ को सहलाता हुआ, नूतन के दांतों के बने निशान देखकर कराहता हुआ जैसे ही रीमा और नूतन को पकड़ने/रोकने हट गेट के बाहर निकला, उसे रीमा और नूतन मैंन हाल की तरफ भाग कर जाती दिखाई दी | नशे में होने के बावजूद वो उनके पीछे भागा, उसकी पेंट और अंडरवियर घुटनों से खिसकती हुई पंजो की तरफ जा रही थी, जब उसकी पेंट और चड्ढी ही उसके कदमो में फसने लगी तो वो झुंझलाकर कुछ कदम दौड़कर रुक गया | नशे में भी उसका दिमाग काम कर रहा था, वो समझ गया मैंन हाल में उसका बाप होगा और ये जालिम कमसिन बेशुमार हुस्न की मलिक्का रीमा चाची पता नहीं क्या करने वाली है | उसने अपने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि वहां क्या होने वाला होगा | वो हाल की तरफ भागती जा रही रीमा के उठते गिरते थलर थलर होते और नूतन के अध् खुले बड़े बड़े मांसल उठे हुए चुतड़ो तब तक देखता रहा जब तक उसकी नजरो से वो मंजर ओझल नहीं हो गया | रीमा और आधी नंगी नूतन उसकी पलको के सामने से एक पल में ओझल हो गयी | जग्गू कभी अपने हाथ पर बने दांतों के घाव को देखता कभी खून से भरे तने कठोर लंड को | क्या करे क्या न करे ये सब उसकी समझ से दूर था | अपने घाव वाले हाथ को दुसरे हाथ से थामे, दर्द को सहता हुआ, पैरो के पंजो तक सरक कर पंहुची अंडरवियर और पेंट में फंसे पैरो से दो चार कदम और आगे की ओर चला, लेकिन रीमा और नूतन गायब हो गए थे, जहाँ तक उसे बल्बों की रौशनी दिख रही थी, सन्नाटा था, कोई नहीं था, उसके आगे घटाटोप अँधेरा | हारे हुए जुंआरी की तरह थका हारा जग्गू पीछे की तरफ लौटा, जैसे ही उसके कदम पीछे की तरफ घूमे उसे अपनी हालात का ख्याल आया | एक पल को वो तेजी से पीछे हटा, हाथ के दर्द को बर्दाश्त करते हुए, किसी तरह अपनी अंडरवियर और पेंट को ऊपर को चढ़ाया, और हट की तरफ भागा | हट के अन्दर आते ही जोर से चीखना चाहता था लेकिन चीख नहीं सका, अपने लंड को जोर जोर से मुठीयाने लगा, लेकिन शायद वक्त और माहौल को उससे ज्यादा उसका लंड भांप चूका था, उसने अपनी अकडन छोड़ नरम होना शुरू कर दिया, उसके अन्दर की वासना मर चुकी थी, उसके मन मस्तिष्क उसके हाथो का साथ नहीं दे रहा था | बेतहाशा मुठीयाने के बावजूद लंड मुरझाता ही जा रहा था |

आखिर हारकर उसने उसे अपनी अंडरवियर और पेंट में कैद कर दिया | उसे पता था मैंन हाल में जाना बेवकूफी है और प्रियम राजू ने भी उससे अपना राज शेयर नहीं किया था | कुछ देर अपने आधे होशो हवास में वो सोचते सोचते वही बैठा रहा फिर आखिरकार थके बोझिल लड़खड़ाते कदमो से हारे हुए योद्धा की तरह पार्किंग की तरफ चल दिया | वहां उसकी गाड़ी में लेटे उसके ड्राईवर को भगाकर उसमे लेट गया | ड्राईवर को जग्गू के इस तरह के व्यवहार की आदत थी, वो जाकर जान पहचान वाले एक ड्राईवर के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया |

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