Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:53 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरी बात सुनकर उसने तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखा, और एक कामुक सी मुस्कान देकर बोली – ओह्ह्ह.. तो जनाब सुंदर औरत देखते ही फ्लर्ट करने लगे…, एनीवेस थॅंक्स फॉर कॉंप्लिमेंट…!

माइ प्लेषर बोलकर मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी, मेरी नज़र आगे होते ही वो मेरी तरफ देखने लगी…!

मेने आगे नज़र रखे हुए ही उससे पुछा – आप उसी शहर में रहती हैं..

वो – हां ! मेरा नाम शालिनी है, वहाँ मेरी ससुराल है, फिर उसने अपने परिवार के बारे में बताया, वो एक जॉइंट फॅमिली में रहते हैं,

अच्छा ख़ासा गारमेंट का बिज्निस है, दो भाई हैं, जो एक उसके पति से छोटा है यानी देवर जिसकी शादी किसी ज़मींदार की लड़की के साथ हो चुकी है…!

ज़मींदार शब्द सुनते ही मेरे दिमाग़ ने काम करना शुरू कर दिया.., कहीं ये
रागिनी की जेठानी तो नही..,

लेकिन अपनी एग्ज़ाइट्मेंट पर काबू रखते हुए मेने उस टॉपिक को और आगे नही बढ़ाया वरना शक़ पैदा हो सकता था…

बातों के दौरान मेने उसकी तरफ नज़र डाली, वो लगातार मुझे ही देखे जा रही थी, मेने चुटकी लेते हुए कहा –

क्या देख रही हो मेडम, ऐसा कुछ खास नही है इस थोबडे में जो आप जैसी हसीना के देखने लायक हो…!

वो झेंप कर सामने देखने लगी, फिर कुछ सोच कर बोली – आप भी कुछ बताओ अपने बारे में…!

मे – मेरा कोई खास इंट्रो नही है, मुझे लोग जोसेफ के नाम से जानते हैं…

मस्त मौला मस्त कलंदर आदमी हूँ, जिधर मुँह उठ जाता है, निकल पड़ता हूँ,

खाने कमाने की टेन्षन नही है…बाप दादे ने बहुत कमा के रख छोड़ा है, बस अपनी तो ऐश ही ऐश हैं…!

वो – वैसे आप बड़े दिलचस्प इंसान लगते हैं, और हॅंडसम भी, कोई भी लड़की आपके नज़दीक आना चाहेगी…!

मे – हाहाहा… हॅंडसम और मे..? क्यों चने के झाड़ पर चढ़ा रही हो शालिनी जी.., वैसे आप मेरे नज़दीक आना चाहेंगी क्या…?

मेरी बात से वो मन ही मन मुस्करा उठी, एक कामुक सी नज़र से देखते हुए बोली – अगर आप आने देंगे तो…!

मे – आप जैसी हूर से दूर कों भागना चाहेगा, ये कहकर मेने अपना हाथ उसकी मक्खमली जाँघ पर रखकर उसे धीरे से सहला दिया….!

वो मेरी तरफ झुकने लगी, शायद वो मेरे गाल पर किस करना चाहती थी, लेकिन तभी मेने अपना मुँह उसकी तरफ घुमाया, और हम दोनो के होत आपस में चिपक गये…

शर्म और उत्तेजना से उसके गाल लाल हो गये…!

धीरे-2 उसका भी हाथ मेरी जाँघ से होता हुआ उनके बीच आ गया, और वो जीन्स के उपर से ही मेरे लंड का आकर चेक करने लगी, जो शायद खेली खाई होने की वजह से समझ गयी, कि मेरा मूसल उसकी ओखली की कुटाई अच्छे से कर सकता है…!

शालिनी – वैसे आप हमारे शहर में कहाँ जा रहे हैं…?

मे – वहाँ जाकर कोई अच्छा सा होटेल लेकर एक-दो दिन मटरगस्ति करूँगा…!

उसने कहा – हमारे शहर में 3 स्टार होटेल ही हैं, वैसे शालीमार होटेल बहुत अच्छा है, अगर आप चाहो तो वहाँ रुक सकते हो…!

मेने उसकी तरफ स्माइल देकर कहा – अगर आपको पसंद है, तो वहीं रुक जाएँगे, हमें क्या, मुझे तो कहीं भी अच्छी जगह रुकना है, आप मिलने आओगी ना…!

शालिनी – आप बुलाएँगे तो ज़रूर आउन्गि…, ये कहकर उसने मेरे लंड को अपनी हथेली से मसल दिया.. और खिल-खिलाकर हँस पड़ी…!

मेने अपनी गाड़ी शालीमार होटेल के सामने जाका रोकी, वो मेरी ओर देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी, मुझे पता था ये मेरे साथ अभी के अभी चुदना चाहती है फिर भी मेने उसे छेड़ते हुए कहा…

अगर आप चाहें तो मे आपको आपके घर तक ड्रॉप कर्दू…!

वो कामुक अंदाज से देखते हुए बोली – अभी तो आप दावत दे रहे थे आने की, और अब टरकाना चाहते हैं, चलिए आपका रूम तो देख लूँ…!

मेने मुस्करा कर गाड़ी होटेल के पोर्च की तरफ बढ़ा दी…!

एक अच्छा सा रूम लेकर हम कमरे में गये, काउंटर पर मेने उसका परिचय अपने परिचित के रूप में ही दिया, जो बस मिल-मिलाकर कर कुछ देर में चली जाएगी…!

रूम सर्विस के जाते ही वो मुझसे लिपट गयी, मेने उसकी कसी हुई गान्ड को मसल्ते हुए कहा – ऑश…शालिनी जी, आप तो इतनी जल्दी शुरू हो गयी, थोड़ा फ्रेश व्रेश तो होने दीजिए,

उसकी चूत रास्ते में ही रस छोड़ने लगी थी शायद, सो मेरे होठों को चूमते हुए बोली – मुझे घर भी जाना है, वरना ड्राइवर मुझसे पहले आ गया तो पता नही क्या-क्या बातें बना दे…!

मेने हँसते हुए कहा – चलो ठीक है फिर, जैसी आपकी मर्ज़ी, ये कहकर मेने उसकी साड़ी का पल्लू खींच दिया………..!

साड़ी का पल्लू पकड़ते ही शालिनी खिलखिलाती हुई घूमने लगी, चन्द सेकेंड्स में ही उसकी साड़ी उसके बदन से अपना नाता तोड़कर मेरे हाथों में थी.., जिसे मेने इकट्ठा करके पास पड़े सोफे पर उच्छाल दिया…!

शालिनी की गोरी गोरी चुचियाँ उसके कसे हुए चौड़े गले के ब्लाउस से बाहर को उबली पड़ रही थी, मेने उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने बदन से सटा लिया और अपना मुँह उसकी घाटी के बीच में डाल दिया,

उसके पसीने की महक मेरे नथुनो में सामने लगी, जिसका सीधा असर मेरे लंड महाराजा पर पड़ा, और वो मेरी जीन्स के पीछे नहा धोकर पड़ गया…!

इस समय शालिनी मात्र ब्लाउस और पेटिकोट में थी, उसके गोल-मटोल कद्दू जैसे नितंब फिटिंग वाले पेटिकोट को फाडे दे रहे थे…

उन्हें कसकर मसल्ते हुए मेने उसे अपनी ओर खींचा, मेरा लंड जीन्स फाड़कर उसकी चूत में सामने की कोशिश करने लगा…!

फिर मेने अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके होठ चूस्ते हुए दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगा, ब्लाउस इतना कसा हुआ था कि वो खुल ही नही रहे थे…

जिसमें शालिनी ने खुद से ही अपने आप उसे उतार दिया, तब तक मेने उसका पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया, वो सर सराता हुआ उसके कदमों में जा गिरा…!

आअहह… छोटी सी ब्रा और मात्र दो अंगुल की पट्टीदार पैंटी में शालिनी का भरा हुआ कामुक बदन क्या लग रहा था, गोरी रंगत लिए उसका मक्खन जैसा मादक कूर्वी बदन देख कर में अपना कंट्रोल खोने लगा,

खड़े खड़े ही मेने शालिनी के कंधों पर दबाब डालकर उसे नीचे दबाया, खेली खाई शालिनी मेरा इशारा समझ कर अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरी जीन्स के बटन खोल कर उसने उसे अंडरवेर समेत नीचे खिसका दिया…

बाहर आते ही मेरा 9” लंबा और उसकी कलाई जितना मोटा लंड किसी कोबरा नाग की तरह फुनफुनाकर उसके मुँह पर जा लगा…!

शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?
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06-02-2019, 01:53 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
बाहर आते ही मेरा 9” लंबा और उसकी कलाई जितना मोटा लंड किसी कोबरा नाग की तरह फुनफुनाकर उसके मुँह पर जा लगा…!

शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?

इसे लंड कहते हैं जानेमन… मेने उसकी चुचिओ को दबाते हुए कहा…,

वो तो मे भी देख रही हूँ, लेकिन इतना बड़ा और मोटा…, किसी की भी चूत की धाज्जयाँ उड़ा देता होगा ये तो.. उसने झुरजूरी सी लेते हुए कहा…!

तुम्हें नही उड़वानी अपनी चूत की धज्जियाँ तो मे अपना समान पॅक करूँ डार्लिंग… मेने उसे चिढ़ते हुए कहा…

वो झट से बोल पड़ी, नही नही… मे तो अब इसे ज़रूर लूँगी, पहली बार इतना बड़ा लंड देखा हैं मेने, देखूं तो सही कैसा मज़ा आता है…!

इतना कहकर उसने मेरे 9” लंबे और 3” मोटे कड़क सोटे जैसे लंड को चूमा और उसकी गर्मी को अपने मुलायम फूले हुए गाल से सटा कर आँखें बंद करके उसे अपने गाल से मसाज सी देने लगी…!

एक दो बार उसने उसे हाथ से उपर नीचे किया, लंड के सुर्ख दहक्ते सुपाडे को जीभ से चाट कर उसने अपने मुँह में ले लिया, सुपाडे से ही उसका पूरा मुँह भर गया..

मेरी चीकू जैसी गोलियों को एक हाथ से सहलाते हुए वो उसे मस्ती में आकर चूसने लगी…!

कुछ ही देर में मेरा मूसल एकदम कड़क होकर किसी लोहे की रोड जैसा सख़्त हो गया, उसके चारों ओर के मसल्स बाहर को उभर आए, अब वो गोलाकार ना होकर किसी रोमबुस शेप रोड जैसा दिखने लगा…

मेने उसके कंधे पकड़ कर उपर उठने का इशारा किया, और उसके वाकी बचे कपड़ों को निकाल कर पूरी तरह से नंगा कर दिया…

एक बार उसके होठ चुस्कर, उसकी रसीली चूत को सहलाया, वो बूँद-बूँद करके रिसने लगी थी,

खड़े-खड़े ही मेने उसकी एक टाँग उपर की और अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर टिका कर एक धक्का मार दिया…

सर्र्र्र्र्र्र्ररर…. से गीली छूट में मेरा आधा लंड चला गया, वो अपनी आँखें बंद करके सिसक पड़ी…. आआहह…..सस्स्सिईईईईईईई….. कस गयी मेरी चूत…

उफफफफफ्फ़…बहुत मोटा है तुम्हारा मूसल… मेने एक और धक्का मार कर पुछा – पसंद आया मेरी जान…

वो सिसकते हुए बोली – उउईईई… माआ…माररर गयी रीि.., बहुत मज़ा है इसमें… अब चोदो मुझे…

मेने अपने आधे लंड को भी बाहर निकाल लिया, अब उसकी अच्छे से ग्रीसिंग हो चुकी थी उसी की चूत के ग्रीस से… मेने उसकी चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच अपना लंड रगड़ते हुए पुछा –

वो तुम बता रही थी, तुम्हारी देवरानी किसी ज़मींदार की बेटी है, कहाँ के ज़मींदार हैं वो….?

वो सिसक कर बोली – डार्लिंग ये बातों का वक़्त नही है..आअहह…इसे अंदर करो जल्दी.., मेरी चूत में आग लगी हुई है, और तुम्हें बातें सूझ रही हैं…

अपने लौडे की हल्की सी ठोकर उसकी गरम रसीली चूत की क्लिट की जड़ में लगाकर कहा – डालता हूँ ना, पहले बताओ तो सही वो कहाँ के ज़मींदार हैं…!

वो – आआहह….क्या बेकार की बातें ले बैठे, सस्सिईइ….आअहह… किशनगढ़ के ज़मींदार हैं वो…अब तो डालो राजा…. नही सबर होता मुझसे…

मेने अब अपने सुपाडे को उसके छेद पर रख कर हल्का सा अंदर करके बोला – उनका नाम क्या है…?

वो – आअहह…तुम क्यों पूछ रहे हो…? सूर्य प्रताप नाम है उनका… अब चोदो भी जल्दी से…सस्सिईई… हाआंन्न…आअहह… मज़ा आ गया… और अंदर करो, उउउफफफ्फ़….हाए रीए…मारीी……

पूरा लंड अंदर डालकर मेने उसे गोद में उठा लिया, और पलंग पर लिटाकर उसकी टाँगों को उपर करके एक बार लंड बाहर निकाल कर फिरसे एक ही झटके में अंदर डाल दिया……!

इस झटके से उसका मुँह भाड़ सा खुल गया…, उसके मुँह से एक कामुक कराह निकल पड़ी…आआययईीी….म्माआ….मार्रीि….उउउफफफ्फ़.. क्या मस्त हथियार है…

हहाईए…फाडो राजा मेरी चूत को, धज्जियाँ उड़ा दो इसकी…आज..

मेरे सोटे जैसा लंड अपनी चूत में लेकर वो मस्ती से अपनी गान्ड उठा-उठाकर चुदने लगी…!

कुछ देर में ही वो झड़ने लगी, और मेरी कमर में अपने पैरों की केँची डालकर मुझसे चिपक गयी…

कुछ देर रुक कर मेने उसे घोड़ी बना दिया, और उसकी 36 की गद्देदार गान्ड को मसल्ते हुए पीछे से अपना लंड उसकी रस से लबालब चूत में पेल दिया…

फुकच…से मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, वो अपना मुँह उपर करके कराह उठी… आअहह…म्माआ…धीरे मेरे राजा…बहुत मोटा है,

मेने उसके कंधों पर अपने हाथ जमाए, और दे ढका-धक जो चुदाई की, वो अनाप-शनाप बकती हुई, चुदाई का मज़ा लेने लगी…!

20 मिनिट चोद कर मेने उसकी चूत को अपनी मलाई से भर दिया, वो औंधे मुँह पलंग पर गिर पड़ी, मे भी उसकी पीठ पर पसर कर अपनी साँसें ठीक करने लगा,

कुछ देर बाद हम अगल-बगल में पड़े एक दूसरे के बदन सहला रहे थे..

मेने उसके होठ चूमकर कहा – बहुत शानदार औरत हो तुम, बहुत मज़ा आया तुम्हें चोद्कर…

वो मेरे बदन से चिपकते हुए बोली – तुम भी बहुत मस्त चुदाई करते हो इस शानदार लंड से, पहली बार इतना मज़ा आया है मुझे कि बता नही सकती…!

फिर वो उठाते हुए बोली – अब मुझे घर जाना होगा, देर हो गयी तो पता नही वो ड्राइवर क्या-क्या नयी कहानी बना दे...?

मे उसे कपड़े पहनते हुए देखकर बोला – और कॉन-कॉन हैं घर में…?

ससुर हैं सास पहले ही चल बसी, हम दोनो अकेली दिनभर घर में रहती हैं, तीनो मर्द दिन में बाहर रहते हैं बिज्निस के काम से…!

मेने उठाते हुए कहा – चलो मे तुम्हें छोड़ देता हूँ तुम्हारे घर, वो मेरी बात मान गयी,

15 मिनट बाद हम उसके घर पर थे…, ये एक अच्छा ख़ासा बंगले नुमा घर था, हॉल में कदम रखते ही रागिनी दिखाई दी जो हॉल नुमा बैठक में सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी, हमें देखते ही बोली –

अरे दीदी, आप..? और ये कॉन है…? चूँकि मे जोसेफ वाले गेट-अप में था, फ्रेंच कट दादी, नीली आँखें, नाक थोड़ी फूली हुई सी…!

शालिनी – ये जोसेफ हैं, रास्ते में हमारी गाड़ी खराब हो गयी थी, इन्होने ही मुझे लिफ्ट दी और यहाँ तक लाए हैं,

फिर उसने सारी दास्तान कह सुनाई, खाली होटेल की अपनी चुदाई छोड़कर… !
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06-02-2019, 01:53 PM,
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रागिनी मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक ले आई, हम तीनो ही सोफे पर बैठे थे…, वो मेरी तरफ बड़े नशीले अंदाज से देख रही थी, मेरी पर्सनॅलिटी देख कर उसके भी अरमान जागने लगे थे…

लेकिन अपनी जेठानी के होते हुए वो कैसे आगे बढ़े..,

लेकिन उसके इस असमंजस को उसकी जेठानी ने ही हल कर दिया…, वो आकर मेरी बगल में ही बैठ गयी और मेरे बदन से सटाते हुए बातें करने लगी……!

रागिनी अपनी जेठानी की आदतों से अच्छी तरह परिचित थी, उसके मेरे साथ चिपकटे ही फ़ौरन ताड़ गयी और बोली – वाह दीदी, आपने तो रास्ते में ही मुर्गा फँसा लिया लगता है…?

शालिनी हँसते हुए बोली – ऐसा हॅंडसम मुर्गा कहाँ मिलेगा मेरी जान, ये कहकर उसने मेरे गाल को चूम लिया और उठते हुए बोली – तुम लोग बातें करो मे ज़रा फ्रेश होकर आती हूँ, फिर मिलकर इस मुर्गे को हलाल करेंगे…!

मुझे पता था, कि उसकी चूत मलाई से लबालब भरी होगी, इसलिए वो उसे सॉफ करने जा रही है,

उसके जाते ही, रागिनी मेरे साथ चिपकते हुए बोली – जोसेफ साब ! आप तो बड़े फास्ट निकले, दीदी को रास्ते में ही फाँस लिया, ये कहते हुए वो मेरी जाँघ सहलाने लगी..

वो इस समय एक रेड कलर का टॉप और फुल लंबाई की स्कर्ट पहने थी, रागिनी पहले से ज़्यादा भर गयी थी, उसका बदन भी शालिनी जैसा ही गदराया हुआ था…!

उसकी स्कर्ट के उपर से उसकी चूत को सहलाते हुए मेने कहा – आपकी जेठानी हैं ही ऐसी, कोई भी एक नज़र देखते ही लट्तू हो जाए, फिर यहाँ तो उन्होने मुझे खुद ही लिफ्ट दे दी..!

रागिनी धीरे से अपना हाथ मेरे लंड तक ले जाते हुए बोली – आपकी पेर्सनलटी है ही ऐसी, कोई भी औरत आपके नीचे लेटने को तैयार हो जाएगी, फिर उनकी तो वैसे भी चूत हर समय प्यासी ही रहती है..,

ये कहते हुए रागिनी खिल-खिलाकर हँसने लगी और उसने अपनी हथेली से मेरे लौडे को कसकर मसल दिया…!

मेने उसके टॉप में हाथ डालकर उसकी गदर चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – अरे हां.., आपकी जेठानी बता रही थी, कि आप ठाकुर सूर्य प्रताप की बेटी हो…!

वो मज़े के आवेश में ही चोन्क्ते हुए मेरी तरफ देखकर बोली – आप जानते हैं उन्हें…?

मे – नही ! मे उन्हें तो नही जानता, लेकिन भानु प्रताप को जानता हूँ…वो आपका भाई है ना…!

रागिनी – हां ! लेकिन आप मेरे भाई को कैसे जानते हो…?

मेने अपना एक हाथ उसके स्कर्ट में डाल दिया, उसने भी फ़ौरन अपनी टाँगें खोल दी, अपने हाथ से उसकी मुनिया को पैंटी के उपर से ही सहलाते हुए कहा –

दरअसल में असलम का दोस्त हूँ, जिसके साथ आपका भाई काम करता था…, अब उसका सब कारोबार और वो खुद उसके अब्बा, सबके सब ख़तम हो गये, यहाँ तक कि उनके सभी पार्ट्नर भी…!

जब ये रेड पड़ी थी तब मे भी वहीं था, मे अपनी फ़ितरत के अनुसार जैसे तैसे करके वहाँ से बच निकला…

रागिनी मुँह बाए मेरी बातें सुन रही थी…, साथ ही साथ वो उत्तेजित भी होने लगी थी..,

मे लगातार उसकी चूत सहलाए जा रहा था, आश्चर्य और उत्तेजना के मिले जुले भाव उसके चेहरे पर परिलक्षित होते दिख रहे थे…

मेने आगे कहा – असलम का बहुत सारा माल और कॅश जो पोलीस की राइड में बच गया था, वो अब मेरे पास है,

मे चाहता हूँ, कि एक-एक करके जो भी पुराने लोग बचे हैं उन्हें इकट्ठा करके फिरसे उस कारोबार खड़ा किया जाए…!

लेकिन कुछ दिनो से तुम्हारे भाई का कोई अता-पता नही चल रहा, सुना है उसने उस एसपी के भाई को किडनॅप किया था, जो उसकी क़ैद से निकल भगा.., अब पोलीस भानु की तलाश में है…?

मेरा जिकर आते ही, क्षणमात्र को रागिनी के चेहरे के भाव बदले, शायद उसे मेरे साथ बिताए हुए वो पल याद आ रहे होंगे..

मेने उसके चेहरे पर एक नज़र डालकर आगे कहा - मे चाहता हूँ, कि अपना धंधा यहाँ से समेट कर मुंबई शिफ्ट कर दूं, और जिन्होने उस धंधे को खड़ा करने में मदद की थी, उनको उनका हक़ मिल सके…

रागिनी – कितना माल वाकी बचा है अभी…?

मे - कम से कम 500 करोड़ का माल अभी बचा होगा…!

रागिनी – 500 करोड़…? बाप रे…, वो कुछ देर सोच में डूबी रही,

मेने उसे पुछा – तुम उसकी बेहन हो शायद तुम्हें तो पता ही होगा वो आजकल कहाँ है…?

मे चाहता हूँ, उसमें से उसका हिस्सा उसे भी मिलना चाहिए, और मेरे साथ मिलकर इस कारोबार को फिरसे खड़ा करना चाहिए…! इसलिए मे उसे ढूड़ने की कोशिश कर रहा हूँ…

तुम्हारी जेठानी से तुम्हारे पिताजी का नाम सुनकर मुझे लगा कि शायद मुझे मेरी मंज़िल का एक मुसाफिर मिल जाएगा.., क्या तुम्हें उसका पता मालूम है…!

रागिनी सोच में डूबी हुई थी, शायद मेरा तीर सही निशाने पर लगा था…, 500 करोड़ का नाम सुनकर उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे, फिर शायद उसने भानु का पता बताने का फ़ैसला कर लिया…!

रागिनी – आप सच कह रहे हैं, भैया को आप मुंबई सेट्ल करके धंधा दोबारा शुरू करना चाहते हैं…?

मे – मेरे उपर तुम्हारे शक़ की क्या वजह है..? चाहो तो फोन करके अपने भाई से मेरा नाम पुच्छ सकती हो…, शायद असलम ने उसे बताया हो कभी…!

रागिनी – नही उसकी कोई ज़रूरत नही है, असल में पोलीस के डर से वो यहीं आकर अंडरग्राउंड हो गये हैं..!

मे – क्या ? यहाँ तुम्हारे घर में..?

रागिनी – नही, घर में तो नही, पर इसी शहर में हैं…, मे आपको उनका नया नंबर और पता देती हूँ, आप रात को उनसे जाकर मिलना, किसी को पता नही चलना चाहिए.

मेने मुस्करा कर कहा – मे इन बातों को अच्छी तरह से समझता हूँ, इस लाइन का बहुत पुराना खिलाड़ी हूँ, आज तक पोलीस मुझे छू भी नही पाई है…!

अब रागिनी को मेरी बातों पर पूरा विश्वास हो चुका था, फिर उसने उसका मोबाइल नंबर और वो कहाँ छुपा है उस जगह का पता भी दे दिया…!

तब तक वहाँ शालिनी भी आ गयी, हमारी बात-चीत का सिलसिला वहीं थम गया, फिर दोनो ने मिलकर मुझे सॅंडविच बना लिया और दोनो तरफ से मेरे लंड पर टूट पड़ी..!

दोनो ही एक से बढ़कर एक मस्त माल मेरे सामने नंगी थी, मेने दोनो को घोड़ी बनाकर आजू बाजू निहुरा लिया…!

रागिनी पहले से ही बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, अपनी जांघों के बीच हाथ लाकर अपनी चूत के रस को पोन्छ्ते हुए बोली –

आअहह… सस्सिईई… दीदी पहले मुझे चुदने दो…उउंम्म… नही सबर हो रहा…!

मेने उसके चुतदो पर थप्पड़ मारते हुए कहा – चल मेरी घोड़ी पहले तू ही सही, ये कहकर मेने अपना मूसल उसकी रसीली चूत में पेल दिया…,

शायद उसे उम्मीद नही थी कि मेरा मूसल इतने बड़े साइज़ का होगा, सो उसके अंदर घुसते ही वो घोड़ी की तरह हिन-हिनाने लगी…!

रागिनी को चोदते हुए मेने अपनी दो उंगलियाँ बाजू में घोड़ी बनी शालिनी की चूत में पेल दी…,

अब मे एक की चूत में लंड पेलता, तो दूसरी की चूत में उंगलियाँ डाल देता…, दोनो ही मेरा मस्त मलन्द लंड लेकर निहाल हो गयी…!

दो घंटे की जमकर चुदाई के बाद मे पस्त हो गया, वो दोनो भी चुदते-चुदते पानी छोड़ते छोड़ते बहाल हो गयी..

दोनो को अपने लंड का लोहा मनवाकर शाम ढलते ही मे रागिनी के घर से चला आया, उन्होने मुझसे फिर मिलने का वादा लेकर मुझे विदा किया…!

भानु का पता पाकर मे बहुत खुश था, मेने फ़ैसला लिया कि आज रात ही उसे वहाँ से निकल कर ले जाउन्गा…!
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06-02-2019, 01:54 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरे वहाँ से निकलते ही रागिनी ने भानु को फोन किया, हमारे बीच हुई सारी बातें डीटेल से उसको बता दी,

चूँकि भानु ने मेरा नाम सुन रखा था सो शक़ करने की कोई वजह नही थी, उसे मेरे ज़रिए अपने बचने की किरण दिखाई देने लगी.. साथ ही इतना बड़ा लालच भी…!

मे होटेल में लौटते ही फ्रेश हुआ, दो घंटे आराम किया, जब उठा तब तक अंधेरा घिर चुका था…
मेने खाना ऑर्डर किया, और साथ ही भानु को कॉल लगाई…

वो शायद मेरे फोन का ही इंतजार कर रहा था, सो फ़ौरन कॉल पिक कर ली…

मे – हेलो भानु प्रताप, पहचाना मुझे…!

वो – कॉन जोसेफ..?

मे – हां ! मे जोसेफ बोल रहा हूँ, लगता है तुम्हारी बेहन ने तुम्हें सब कुछ बता दिया है..

वो – हां ! तुम कहाँ हो अभी…!

मे – मेरी छोड़ो, इधर आने की ग़लती भी मत करना.., ये बोलो क्या सोचा है अब…?

वो – मुझे क्या सोचना है, मुझे जल्दी से जल्दी किसी तरह यहाँ से निकालो, मे तुम्हारे साथ काम करना चाहता हूँ…!

मे – ठीक है, 10 बजे देल्ही हाइवे पर शहर से 5 किमी बाहर मिलो, मे गाड़ी लेकर वहाँ ठीक 10 बजे पहुँच जाउन्गा…!

वो – ठीक है, मे तुम्हारा इंतजार करूँगा… आना ज़रूर…..

मे – डॉन’ट वरी, मे समय पर पहुँच जाउन्गा…ओक, टेक केर….!

मेने 9 बजे तक खाना ख़तम किया, 9:45 को तय सुदा जगह से आधा किमी पहले मेने अपनी गाड़ी रोड से नीचे झाड़ियों के पीछे छुपा दी,

मे देखना चाहता था, कि भानु जैसा कुत्ता कोई चाल तो नही चल रहा, क्या पता उसने पता लगा लिया हो कि जोसेफ के भेष में मेने ही उस्मान के गॅंग को ख़तम कराया था…!

वैसे तो श्वेता को भी इस बारे में कुछ पता नही होना चाहिए कि मे ही जोसेफ था…!

कुछ देर बाद एक ऑटो मेरे सामने से गुजरा, उसमें भानु अकेला ही था, मुझे तसल्ली हो गयी कि ऐसा कुछ नही है, जो मेने सोचा था…

मेरे बताए हुए जगह पर जाकर वो ऑटो रुका, उसमें से भानु बाहर आया, उसने एक कपड़े से अपने आप को पूरी तरह से ढक रखा था,

जब वो ऑटो वहाँ से वापस मुड़कर शहर की तरफ चला गया, तब मेने अपनी गाड़ी रोड पर लाकर भानु के पास जाकर रोकी, भानु पर्सनली जोसेफ से कभी नही मिला था, लेकिन असलम से उसका नाम ज़रूर सुना था…

अपने सामने गाड़ी रुकती देख वो उसकी तरफ लपका, मेने शीशा नीचे करके पुछा – भानु प्रताप…

उसने फ़ौरन अपनी मंडी हां में हिलाई, उसने लंबी सी दाढ़ी रख रखी थी शायद अपनी पहचान छुपाने के लिहाज से…

मेने कहा – आ जाओ अंदर, उसके बैठते ही मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी…!

रास्ते में हम वही बातें करते रहे, मेने उसे बताया, किस तरह से पोलीस की रेड पड़ी, कॉन-कॉन मारा गया, मे कैसे बच निकला…!

कुछ देर वो सब सुनता रहा, फिर जैसे ही मेरी बात ख़तम हुई तो उसने पुछा – अब हम देल्ही क्यों जा रहे हैं…?

मेने कहा – वहाँ से ट्रेन पकड़ कर मुंबई जाएँगे, सारा समान ऑलरेडी मेने शिफ्ट कर दिया है, बस अपने आदमियों को इकट्ठा करने में लगा हूँ, अब तुम मिल गये हो, आदमियों का इंतेज़ाम तो अब तुम जल्दी कर ही लोगे…

वो – हां ! आदमियों की तुम चिंता मत करो, जिट्नी चाहिए उतने कर दूँगा, एक से बढ़कर एक ख़तरनाक लोग, आज भी मेरे लिंक अपने आदमियों से बने हुए हैं..

कुछ दूर जाकर मेने रोड के साइड में गाड़ी खड़ी कर दी, रात के सन्नाटे में उसने पुछा – गाड़ी यहाँ क्यों रोक दी तुमने..?

मेने अपनी छोटी उंगली दिखाकर मूतने का इशारा करते हुए कहा – बहुत ज़ोर्से लगी है, तुम भी फारिग होलो, फिर हम दिल्ली जाकर ही रुकेंगे…!

मे एक तरफ रोड साइड को अपनी पॅंट खोल कर खड़ा हो गया, मेरे से कुछ कदम दूर भानु दूसरी तरफ मुँह करके मूतने लगा…!

अंधेरा तो था ही, एक दूसरे का समान तो दिखने का कोई चान्स ही नही था…, भानु बिंदास होकर फारिग होने में मसगूल हो गया

अभी वो मूतने के बाद अपने लंड को अंदर भी नही कर पाया था, कि रिवॉल्वर के हत्थे की एक जोरदार चोट उसकी कनपटी पर पड़ी, वो त्यौराकर ज़मीन पर गिर पड़ा…

मेने घसीटकर उसे गाड़ी में डाला, और उसे दौड़ा दिया अपने तय सुदा ठिकाने की तरफ…………!

दो ढाई घंटे की ड्राइव के बाद मे श्वेता के फार्म हाउस में था, चावी मेने भैया से पहले ही ले रखी थी, पोलीस की सील को तोड़ा और भानु को ले जाकर मेने उसी हॉल में बाँध कर डाल दिया जिसमें उन्होने मुझे डाला था...,

उसे बेहोश बँधा छोड़कर मे अपने ज़रूरी कामों में जुट गया…!
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06-02-2019, 01:54 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
हॉल के एक-एक एंगल पर मेने पॉवेरफ़ुल्ल मिनी कॅमरा फिट कर दिए, जिससे यहाँ का एक-एक मूव्मेंट पता लग सके,

ये कमरे कोई मामूली कैमरे नही थे, ये स्पाइ कमरे थे जिनका लिंक डालकर नेट के द्वारा कहीं से भी आक्सेस किया जा सकता था..!

सारा काम निपटाकर मे फिर से भानु के पास आया, उसे होश में लाने से पहले मे अपने असली रूप में आ गया था…!

होश में आते ही भानु मुझे अपने सामने देख कर बुरी तरह से चोंक पड़ा… तुउउम्म्म्मममम…

हां मे भानु ! मे ही जोसेफ हूँ, और मेने ही उस्मान और कामिनी के अड्डे को तबाह करवाया था,

वो अभी भी हैरत भरी नज़रों से मुझे देख रहा था, वो समझ गया कि अब उसका खेल ख़तम है, इतना सब कुछ होने के बाद अब ये मुझे नही छोड़ेगा,

लेकिन ये भी सोचने पर मजबूर हो गया कि मे उसे यहाँ जीवित क्यों लाया हूँ…?

ये विचार आते ही वो बोला – लेकिन तुमने अभी तक मुझे मारा क्यों नही…!

मे – तू मुझे अभी तक समझा ही नही भानु, मे बार-बार कहता रहा, एक बार फिर कहता हूँ, मेरा अभी भी तेरे साथ कोई बैर नही है,

तुझे जिसने भी यूज़ किया एक मोहरे की तरह यूज़ किया वो भी ग़लत कामों के लिए…!

लेकिन मे तुझे बचने का एक मौका और देता हूँ, अगर तू मेरा काम करे तो वादा करता हूँ, मे तुझे हमेशा के लिए बचा लूँगा, तेरा पोलीस भी कुछ नही बिगाड़ सकेगी…!

वो मुँह बाए मेरी बात सुन रहा था, उसे ये विश्वास ही नही हो पा रहा था, कि मे अभी भी उसे बचना चाहता हूँ…

मे – क्या सोच रहे हो भानु भैया, सच मानो, मेरा आज भी यही मानना है, कि एक अच्छे पड़ौसी की तरह हमारे संबंध फिर से सुधर जायें, लेकिन हर बार तुमने मेरे साथ दगा की.. वो भी ग़लत लोगों के साथ मिलकर…

अब एक अच्छा काम करके अपने को बचा लो, वरना तुम तो जानते ही हो मेरे पास ऐसा मसाला है, जिससे तुम तो जैल की हवा खाओगे ही, तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त दो कौड़ी की नही रहेगी, लोग थूकेंगे ठाकुर सूर्य प्रताप के मुँह पर…!

सोचो अगर मे तुमसे बदला ही लेना चाहता तो क्या अब तक इंतजार करता, तुम्हारे अंडरग्राउंड होते ही ये सारे वीडियोस, सारे सबूत सार्वजनिक कर चुका होता…!

भानु को कहीं ना कहीं मेरी बात जायज़ लगाने लगी, और वो बोला – तो अब मुझसे तुम क्या चाहते हो…?

मेने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – मे चाहता हूँ, तुम अपने कुछ आदमी लेकर श्वेता और उसकी फ्रेंड हेमा को पकड़ कर यहीं इसी जगह लेकर आओ, जिससे मे उसे उसी तरह की सज़ा दे सकूँ जैसी उसने मुझे दी थी…!

तुम उन दोनो को ड्रग्स देकर ज़्यादा से ज़्यादा आदमियों के साथ उन दोनो को इतना चोदो कि वो मौत के लिए तड़पें…!

मेरी बात सुनकर भानु की आँखें फटी की फटी रह गयी, मेने फिर कहा –

ऐसे क्यों आँखें फाड़कर देख रहे हो, जब यही सब उसने मेरे साथ किया था तब तुम्हें बुरा नही लगा..? सच मानो भानु, ये लोग किसी के सगे नही होते…,

क्या तुम्हारे बचकर भागने के बाद श्वेता ने एक बार भी तुम्हें खोजने या पोलीस से बचाने की कोशिश की…! नही ना…!

इनके लिए तुम हमेशा ही एक मोहरा रहे हो और रहोगे, इससे ज़्यादा कुछ नही…!

भानु पर मेरी बात का सही असर हुआ, वो अब मुझसे सहमत होता नज़र आ रहा था, कुछ देर चुप रहने के बाद बोला– मे अगर तुम्हारा ये काम कर दूं तो उसके बाद तुम मुझे बचा लोगे ना…?

मे – ये एक मर्द की ज़ुबान है, वादा करता हूँ, तुम्हारा बाल भी बांका नही होगा, और तुम अपनी आराम की जिंदगी अपने परिवार के साथ जी सकोगे…!

भानु – इस बीच अगर पोलीस ने मुझे धर लिया तो…?

मे – आज के बाद पोलीस का कोई भी आदमी तुम पर हाथ नही डालेगा, ये मेरा वादा है.., अब चाहो तो तुम यहीं आराम से रात गुज़ार सकते हो, या अपने घर जाकर बीवी के साथ सकुन से मज़े कर सकते हो… !

जैसे ही तुम उन्हें यहाँ ले आओगे, मुझे एक कॉल ज़रूर कर देना…!

भानु – ठीक है मे तुम्हारा ये काम ज़रूर करूँगा, अब मुझे मेरे घर छोड़ दो, आज की रात मे अपनी बीवी के साथ सुकून से गुज़ारना चाहता हूँ, वो बेचारी बहुत दिनो से मेरे बिना अकेली ही है…

मे – वो भी बेचारी तुम्हारे ग़लत कामों का फल भोग रही है, ज़रा सोचो इन सब कामों से तुमने क्या मिला..?

खैर कोई बात नही देर से ही सही तुम्हें मेरी बात समझ तो आई.., चलो मे तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूँ,

अगले दिन भानु अपने आदमियों को इकट्ठा करता रहा, तीसरे रोज़ दिन के कोई 11 बजे उसका फोन आया और उसने बताया कि वो उन दोनो को उठा लाया है…!

मेने कहा ठीक है, उन दोनो को ड्रग्स के हेवी डोज देकर अपने आदमियों के साथ उन दोनो की जमकर चुदाई शुरू करो…!

भानु उन्हें ड्रग्स के इंजेक्षन देने के बाद होश में लाया, जब वो ड्रग के असर में आने लगी तभी उसने अपने आदमियों को उनके उपर छोड़ दिया…

मेने अपने डिवाइस से कमरों का लिंक डालकर वहाँ का सारा आँखों देखा हाल देखने लगा…!

सीन देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये, भानु और उसके आदमी जो उसके समेत 8 लोग थे, दारू के नशे में दे दनादन उन दोनो की चुदाई कर रहे थे…

XXX गंगबॅंग देख कर मज़ा आ गया, एक-एक आदमी दोनो की चूत में लंड डाले था, एक-एक उनकी गान्ड में, एक एक ने उनके मुँह में लंड डाला हुआ था तो वाकी के दो उनकी चुचियों को मीँजने में लगे हुए थे…!

ड्रग के नशे में धुत्त.. दोनो किन्ही पेशेवर रंडियों की तरह उन आठों लोगों के साथ पूरी मस्त होकर चुद रही थी..,

मेने अपने मोबाइल से श्वेता के पति पुष्प्राज को फोन लगाया…, कॉल कनेक्ट होते ही उसने कहा – हेलो कॉन..?

मेने टपोरी वाली भाषा में कहा – तुम्हारी बीवी इस समय कहाँ है सेठ..?

वो – क्यों ? तुम कॉन हो ? और मेरी बीवी के बारे में क्यों पुच्छ रहे हो..?

मे – लगता है तुम्हें भी अब उसमें कोई इंटेरेस्ट नही रहा, ठीक है भाई चुदने दो साली को किसी के भी साथ हमें क्या..?

मेने सोचा शायद तुम उसे किसी और के साथ चुद’ते हुए नही देखना चाहोगे इसलिए बोल दिया…!

वो – कॉन हो तुम और ये क्या बकवास कर रहे हो, मेरी बीवी मेरे घर पर है…

मे – हाहाहा….अच्छा ! तो एक काम करो, एचटीटीपी\\व्व्व. ****** इस लिंक को अपने डिवाइस में टाइप करके कनेक्ट कर्लो, लाइव शो देखने को मिल जाएगा…!

ये कहकर मेने कॉल कट कर दी, कोई 5 मिनट के बाद ही उसका दोबारा फोन आ गया…

वो गुस्से से पागल हो रहा था और बोला – ये सब कहाँ चल रहा है…?

मे – तेरे ही फार्म हाउस में…जा जाकर तू भी इस खेल का मज़ा ले सेठ…!
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06-02-2019, 01:54 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरा प्लान कामयाब रहा, पुष्प्राज, गुस्से में अँधा हो चुका था, उसने अपनी माउज़र ली, और अकेले ही गाड़ी ड्राइव करके आँधी-तूफान की तरह दौड़ा कर अपने फार्म हाउस जा पहुँचा…

भड़ाक से गेट खोलते ही, उसकी आँखों के सामने अपनी बीवी और उसकी दोस्त को एक साथ 4-4 लोगों के साथ चुद’ते देखकर वो पागल हो उठा…!

सीन ही इतना आपत्तिजनक था, कोई भी सभ्य समाज का व्यक्ति इस तरह अपनी बीवी के साथ गॅंग-बंग होते देख सहन नही कर सकता था..,

दरवाजे की आवाज़ सुनकर भानु समेत उन लोगों का ध्यान दरवाजे की तरफ गया जहाँ पुष्पराज को गन हाथ में लिए खड़ा देख कर उनके होश उड़ गये..,

इस’से पहले कि वो लोग अपना चुदाई अभियान बंद करते, पुष्प्राज ने अपना मानसिक संतुलन खोते हुए उनपर गोलियों की बरसात करदी..,!

अंदर चुदाई अभियान में लिप्त 10 के 10 लोगों को उसने गोलियों से उड़ा दिया, और फिर लास्ट बची एक गोली से उसने गन अपनी कनपटी पर रख कर खुद को भी ख़तम कर लिया…!

ये सारा घटनाक्रम मे अपने ऑफीस में बैठा देख रहा था, मे अभी अपना सिस्टम बंद करने ही वाला था, कि वहाँ पड़े 11 निर्जीव मानव शरीरों में से एक के शरीर में हरकत हुई..!

उनमें से एक आदमी कराहते हुए अपने सिर को पकड़े खड़ा होने की कोशिश कर रहा था, शायद गोली निशाने से चूक गयी थी, उसके सिर के बीच में न लगकर उसके सिर के दायें तरफ घाव बनती हुई निकल गयी थी…!

वो किसी शराबी की तरह लहराता हुआ जैसे तैसे करके खड़ा हुआ और फिर जैसे ही उसका मुँह कैमरे के सामने आया, मे बुरी तरह चोंक पड़ा…!

ये कोई और नही बल्कि भानु ही था, किस्मत ने एक बार फिर उसका साथ दिया और गोली ठीक निशाने पर नही लगी थी,

लेकिन सिर से निकलने वाले खून को देखकर तो ऐसा लग रहा था कि घाव काफ़ी गहरा होना चाहिए…!

साला भानु भी बड़ा जीवट प्राणी था, अपने गोली के घाव को कस्के दबाए हुए वो खड़ा हुआ और एक बार वहाँ पड़े सभी निर्जीव लाशों को देखा जिनमें कहीं भी, किसी में भी कोई हलचल दिखाई नही दी…,

फिर उसने एक कोने में पड़े अपने कपड़े उठाए और अपनी हिम्मत बटोरकर किसी तरह उस हॉल से बाहर निकल गया..!

अब वो मेरी नज़रों से ओझल हो चुका था, इसी के साथ ही मेने भी अपना सिस्टम बंद किया और सब समान समेट कर अपना बॅग पॅक कर लिया…!

मेने भैया को पहले ही कॉल कर दिया था, सो उन्होने पूरी पोलीस फोर्स को ले जाकर फार्म हाउस अपनी कस्टडी में ले लिया…!

पोलीस के मुतविक सारा मामला एक दम आईने की तरह सॉफ था…! सेक्स की भूखी औरतों ने खुद ही उन लोगों के साथ सामूहिक सेक्स किया…!

किसी तरह श्वेता के पति को इस बात का पता चल गया और उसने मौकाए वारदात पर पहुँचकर सबको गोली से उड़ा दिया, और ज़िल्लत के कारण उसने खुद को भी गोली मार ली…!

इस तरह लगभग सारे गुनेहगारों को उनके अंजाम तक पहुँचाकर आज मुझे सकुन मिला था…!

रेखा का रेप केस यहाँ तक पहुचेगा ये किसी ने भी नही सोचा होगा..., लेकिन उसकी वजह से ये शहर अब अपराध मुक्त था, जो यहाँ की पोलीस के लिए एक बड़ी राहत की बात थी…!

भानु का क्या हुआ वो बच पाया या नही इस बात की मुझे कोई फिकर नही थी, क्योंकि अब वो नितांत अकेला था और अपनी जिंदगी सार्वजनिक तौर पर नही जी सकता था..,

उसकी तरफ से बेफिकर होकर अब जल्द से जल्द मे अपने घर पहुँचना चाहता था,

अपनी इस कामयाबी को मे अपनी भाभी माँ के साथ मिलकर सेलेब्रेट करना चाहता था, जिनसे मुझे हर मुश्किल से लड़ने की प्रेरणा मिलती रहती थी……!

शहर की बुराइयों के अंतिम बीज़ की समाप्ति होने तक का सारा आँखों देखा हाल अपने सिस्टम पर देखने के बाद मेने अपने ऑफीस को बंद किया,

घर पहुँचकर अपना समान पॅक करने से पहले मेने प्राची को कॉल किया, और सारी बातों से अवगत कराया, वो ये सब सुनकर खुशी के मारे फोन पर ही चीखने लगी…!

फिर जब मेने उसे बताया कि मे अभी बस घर निकलने ही वाला हूँ, तो वो चहकते हुए बोली – अरे वाह… अकेले-अकेले सेलेब्रेट करने का इरादा है.., मुझे शामिल नही करेंगे..?

मेने फ़ौरन कहा – क्यों नही, लेकिन क्या तुम अभी 15 मिनट में यहाँ आ सकती हो..?

प्राची – आप गाड़ी लेकर यहीं आ जाइए ना, मे आपको रेडी मिलूंगी, उनको खबर कर देती हूँ, यहीं से साथ निकलते हैं…!

मेने अपना बॅग उठाया और आंटी को बोलकर गाड़ी एसएसपी आवास की तरफ दौड़ा दी…!

वहाँ मुझे प्राची एकदम रेडी मिली, फिर हम दोनो घर की ओर निकल पड़े…!

घर पहुँचते- पहुँचते हमें काफ़ी अंधेरा हो गया था, गाड़ी खड़ी करके जैसे ही घर के अंदर पहुँचे,

आँगन में बैठी रूचि जो अपने छोटे भाई सुवंश के साथ चारपाई पर खेल रही थी, हमें देखते ही हमेशा की तरह चीखती हुई मेरी तरफ दौड़ी…. चाचू…चाची…और उच्छल कर मेरे गले से लटक गयी…

प्राची ने मेरी गोद में लटकी प्राची के गाल को चूमकर उसे प्यार दिया, और फिर वो निशा के कमरे की तरफ बढ़ गयी…!

मेने अपने हाथ रूचि की पीठ पर कसते हुए उसे अपने सीने में कस लिया और उसके दोनो कोमल गालों पर किस करके बोला – कैसा है मेरा बेटा…?

रूचि – मे तो ठीक हूँ, लेकिन देखो ना चाचू ये भैया मुझे बहुत परेशान करता है…

मे उसे गोद में लिए चारपाई पर खेल रहे सुवंश के पास आया और बोला – वो तो बेचारा चुप चाप पड़ा खेल रहा है, फिर क्या परेशान किया तुम्हें इसने…?

रूचि – ये मम्मा..मम्मा तो बोलता है, लेकिन दीदी..दीदी नही कहता…!

रूचि की भोली भली बातें सुनकर मुझे बड़ा प्यार आया, और उसके माथे पर एक किस करके कहा – बेटा अभी भैया छोटा है ना, कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा आपको इसके मुँह से दीदी सुनने के लिए…

फिर मेने रूचि को नीचे उतार कर सुवंश को अपनी गोद में उठा लिया, मेने जैसे ही उसके गाल पर अपना गाल सटाया, उसने मुँह घूमाकर मेरे गाल पर किस कर लिया...

ये नज़ारा थोड़ी दूर खड़ी भाभी देख रही थी, जो रूचि की आवाज़ सुनकर रसोई से बाहर निकल आई थी, और मुझे बच्चों के साथ खेलते हुए देख रही थी…

मेरे पास आकर धीरे से बोली – देखा कैसा अपने बाप को झट से पहचान लेता है ये नटखट, रूचि के पापा की तो गोद में भी मुश्किल से जाता है…!

मे बस भाभी को देखता ही रह गया, फिर मेने अपने बेटे के माथे पर एक किस करके उसे भाभी की गोद में दे दिया…!

फिर जैसे उनको कुछ याद आया हो, सो निशा को आवाज़ देकर बोली – अरे निशा जल्दी से आरती की थाली तो सज़ा, देख अपना अर्जुन महाभारत का युद्ध जीतकर आया है…

मेने कहा – क्या कहा आपने, अर्जुन ? और कोन्से महाभारत की बात कर रही हो..?

भाभी – मुझे प्राची ने निकलने से पहले फोन कर दिया था, तुमने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि वो सबके सब उसमें फँस गये और अपने आप ही सब ख़तम हो गये…!

निशा आरती की थाली ले आई, साथ में प्राची भी, दीपक जलाकर निशा ने मेरे माथे पर विजय तिलक किया और मेरी आरती करने लगी…!

मे – लेकिन भाभी इसमें आपका भी तो बड़ा योगदान रहा है, अगर आप प्रेरित ना करती तो मे तो सब छोड़ ही चुका था…, एक तरह से आप इस युद्ध की कृष्ण हैं..

भाभी – नही इस महाभारत के अर्जुन भी तुम हो और कृष्ण भी, प्रेरणा देने वाले तो और भी बहुत थे अर्जुन को, जिसमें साथ दिया था बासुदेव कृष्ण ने, पर यहाँ तो तुम अकेले ही थे…!

फिर उन्होने सुवंश को रूचि की गोद में देकर निशा के हाथ से थाली लेकर मुस्कराते हुए बोली – कुछ रिस्ता मेरा भी है तुम्हारी आरती उतारने का, ये कहकर उन्होने भी मुझे तिलक किया और मेरी आरती उतारने लगी…..!

डिन्नर के समय बड़े भैया और बाबूजी भी आ गये, सब मिलकर डिन्नर करने लगे, तभी भाभी ने पुछा – हां तो कृष्णा-अर्जुन अब बताओ अपने आख़िरी युद्ध की कथा…!

सब लोग भाभी की तरफ देखने लगे, उन्होने हँसते हुए कहा – अरे आप लोग ऐसे क्या देख रहे हो मेरी ओर, आप खुद ही सुन लो कि मेने लल्ला जी को ये नाम क्यों दिया है…!

फिर मेने सबको शुरू से लेकर अंत तक का सारा वृतांत कह सुनाया, खाली चुदाई की बातें एस्कॅप करके,

भाभी और प्राची के अलावा वाकी लोग मुँह फेड मेरी बातें सुन रहे थे…और वो दोनो मंद मंद मुस्करा रही थी..

अंत में भाभी बोली – क्यों बाबूजी, मेने सही नामकरण किया है ना…!

बाबूजी और भैया प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देख रहे थे, उनका सीना अपने बेटे और भाई के कारनामों की वजह से गर्व से दुगना हो रहा था…!

फिर बाबूजी बोले – मोहिनी बेटा लाओ, दूध भी दे ही दो, सोते हैं, सुवह जल्दी पंचायत के लिए भी जाना है तुम्हें भी…!

मे – कैसी पंचायत बाबूजी…?

भाभी – वो मे तुम्हें बाद में बताती हूँ…,

निशा ने लाकर सबको दूध दिया, जिसे पीकर वो दोनो सोने चले गये, और भाभी मुझे लेकर मेरे कमरे में आ गयी और कल होने वाली पंचायत के बारे में बताने लगी…!

कुछ देर बाद निशा और प्राची भी वहीं आ गयी, और हम चारों मिलकर देर रात तक बातों में लगे रहे..,

भाभी ने मेरा और प्राची के रिस्ते का टॉपिक छेड़ दिया, और बातों बातों मे हमें बताना पड़ा कि हमारी दोस्ती किस लेवेल तक की थी..!

भाभी को ये पता लगना ही था कि मे और प्राची पहले ही चुदाई का मज़ा लूट’ते रहे थे कि फ़ौरन चुटकी लेते हुए बोली…!

तुम्हारे अंदर तनिक भी लाज शर्म है कि नही लल्ला - अपने सगे भाई और वो भी पोलीस का इतना बड़ा ऑफीसर उसे तुमने अपनी झूठन पकड़ा दी…!

उनकी ये बात सुनकर प्राची ने शर्म से अपना सिर झुका लिया, वहीं मेने उन्हें अपनी गोद में खींचर उनके होठों को चूमते हुए कहा…!

अच्छा देवर की बड़ी फिकर हो गयी आपको, और अपने पति का तनिक भी ख्याल नही आया…?
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06-02-2019, 01:54 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरी इस बात पर निशा समेत हम तीनो खिल-खिलाकर हँसने लगे, ये देखकर प्राची की सारी शंकाए दूर हो गयी और वो भी हमारे साथ शामिल हो गयी..!

निशा प्रेग्नेन्सी की वजह से कुछ टॉनिक लेती थी, जिसके असर से उसे जल्दी नींद आने लगी, तो उसे भाभी ने रूचि के कमरे में सोने भेज दिया…!

फिर वो प्राची की कमर में चिकोटी काट’ते हुए बोली- क्यों छुटकी क्या कहती है, जीत की खुशी मनाई जाए, हो जाए एक बार थ्रीसम लल्ला के साथ…!

झेन्प्ते हुए प्राची ने भी हामी भर दी, फिर क्या था वो दोनो घोड़िया एक साथ मेरे उपर टूट पड़ी……….

दूसरे दिन सूवा 9 बजे से ही पंचायत घर पर लोग जमा होने लगे…!

मामला था – पूर्व सरपंच रामसिंघ के बेटे का चक्कर रामदुलारी के टोले की एक लड़की से चल रहा था, भेन्चोद लड़का भी बाप के पदचिन्हों पर चल रहा है..

हमारे कॉलेज में एक कहावत थी – “अनाड़ी का चोदना, चूत का सत्यानास”

लड़की पेट से हो गयी, जब ये बात रामदुलारी को पता लगी, वो तो रामसिंघ से खाए हुए धोखे की वजह से खार खाए बैठी थी.., फिर क्या था, उछाल दी उसने ये बात पूरे गाओं में…!

अब लड़का था शादी-सुदा, लेकिन दुलारी ने हाथ रख दिया लड़की के परिवार वालों पर, कहने लगे जी इसे लड़की के साथ शादी करनी पड़ेगी…

उधर लड़का सीधा नाट गया जी, कहने लगा – ये झूठा इल्ज़ाम लगा रही है मुझे बदनाम करने के लिए, मेरा इसके साथ कोई लेना देना नही है…!

पंचायत घर ज़्यादा बड़ा नही था, हां उसके सामने का मैदान ज़रूर अच्छा ख़ासा था, जिसमें गाओं के ज़्यादातर लोग जमा थे,

दो कमरों के आगे के वरॅंडा में सरपंच के लिए एक कुर्सी डाल दी गयी थी, जिसपर भाभी बैठ गयी, मे उनके बाजू में किसी सेवक की तरह खड़ा हो गया..

सामने एक बड़े से तखत पर बाबूजी, चाचाओं और रामसिंघ समेत गाओं के और भी मुआजिद लोग बैठे थे…!

दोनो पक्षों की बातें सुनी गयी, जो लगभग वही थी जो पहले से ही वो कहते आ रहे थे…!

भाभी ने धीमी आवाज़ में कहा – लल्ला, तुम क्या सोचते हो, क्या फ़ैसला होना चाहिए इसका…?

मे – अभी तक दोनो तरफ से यही सॉफ नही है, कि ग़लती किसकी है तो फ़ैसला किस बात का, और कैसे होगा…?

भाभी – तो अब क्या करें..? ये तो बड़ा जटिल मामला है..

मेने कहा – बस आप देखती जाओ मेरा कमाल ये कह कर मेने उँची आवाज़ में कहा –

सरपंच चाहती हैं कि वो एक बार दोनो तरफ के फरीख से अलग अलग बात करके सच्चाई पता की जाए, उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है,

तो पहले चाचा रामसिंघ जी और उनके बेटे से बात होगी, उसके बाद लड़की के परिवार वालों के साथ…

मेरी बात सुनकर रामसिंघ और उनका लड़का उठकर हमारे पास आए, उन्हें लेकर मे और भाभी एक कमरे में चले गये…!

मेने लड़के से कहा – हां भाई..! अब हमें तो तुम सच सच बताओ बात क्या है..?

वो – अरे भाई वकील साब, वो साली मेरे उपर ग़लत-सलत आरोप मढ़ रही है, मे बीवी बच्चे वाला आदमी भला उस साली च**** के पीछे पड़ूँगा…?

मे – देख भाई, आज के जमाने में इस तरह की बातें नही होती, वो जमाने गये जो सारे मसले पंचायत में ही हल होते थे…!

अभी तो बात अपने ही हाथ में है, अगर ये पोलीस या कोर्ट तक पहुँच गयी, तो दोनो की मेडिकल रिपोर्ट निकाली जाएगी, जिसमें डीएनए से तुरंत पता चल जाएगा कि उसके पेट में पल रहा बच्चा किसका है…?

वो लड़का – हां ! ऐसा भी कहीं होता है, कि जाँच से उसके बीज़ का पता चल जाए..?

मे – बिल्कुल, और अगर वो तेरा ही निकला तो फिर सोच ले कोर्ट जो फ़ैसला करेगा वो तुम लोगों को मानना ही पड़ेगा, इसलिए भलाई इसी में है कि जो सच है वो बता दे, हम कुछ ले देकर बात को रफ़ा दफ़ा कर सकते हैं…

रामसिंघ अपने लड़के की तरफ देखने लगा, वो अपनी गर्दन झुकाए बोला – हां..
वो.. ग़लती से हो गया.., पर इसमें मेरी सारी ग़लती थोड़ी ना है, वो भी तो इतने दिनो से मज़े कर रही थी मेरे साथ…!

मेने रामसिंघ से कहा – देखो चाचा , घर गाओं की बात है, किसी ग़रीब की लड़की का घर बस जाएगा, और आपकी भी बात बनी रहेगी, सो मेरे विचार से आप उसकी लड़की की शादी का जिम्मा ले लो..

उसी की बिरादरी में कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसकी शादी करदो, खर्चा आप उठा लेना..

रामसिंघ ने फ़ौरन मेरी बात को मान लिया, फिर हमने लड़की के परिवार को अकेले में बुलाया, साथ में दुलारी भी आई और आते ही शुरू हो गयी अपनी राम कहानी लेकर..

मेने उसे शांत करते हुए समझाया – देखो भौजी…, मे जानता हूँ, ये बच्चा उसी लड़के का है, पर तुम खुद सोचो,

एक तो जात बिरादरी का मामला, दूसरा अगर उसको ज़बरदस्ती शादी के लिए कहा भी तो कोर्ट एक पत्नी होते हुए दूसरी की इज़ाज़त कभी नही देता है, जब तक कि पहली वाली से तलाक़ ना हो…!

मानलो तलाक़ भी दिलवा दी, तो पहली को घर से तो निकाल नही सकता, अब तुम खुद सोचो, कि तुम्हारे ही घर में तुम्हारी ही सौत लाकर बिठा दी जाए, तो क्या तुम उसे अपना लोगि..?

नही ना ! तो अब तुम खुद सोचो, क्या वो लड़की ऐसे में खुश रह पाएगी…?

तो मेरी राई है, कि हम कुछ भी करके उसकी शादी का खर्चा रामसिंघ से दिलवा देंगे, बस तुम लोग कोई अच्छा सा लड़का उसके लिए तलाश कर्लो…!

मेरी बात से लड़की के माँ-बाप राज़ी दिखाई देने लगे लेकिन दुलारी अभी भी भड़की हुई लग रही थी…

मे उसे अकेले एक कोने में ले गया, और सबकी नज़र बचाकर उसकी गान्ड को मसल्ते हुए कहा – भौजी ये मसला जाति दुश्मनी निकालने का नही है, बात बढ़ाने से लड़की की बदनामी होगी,

अभी तो बात गाओं तक ही सीमित है, इलाक़े में फैल गयी तो कोई भला आदमी शादी भी नही करेगा उसके साथ…!

उस लड़की का घर बस जाने दो, कोई अच्छा सा घर तलाश करो, दहेज की चिंता मत करना… रामसिंघ से हम फिर कभी बदला ले लेंगे, जिसमें मे आपका साथ दूँगा..

इस तरह दुलारी को पटा कर हम बाहर आए, और सभी लोगों के सामने उँची आवाज़ में मेने कहा –

भाइयो – ये हमारे गाओं और समाज की इज़्ज़त का मामला है, अब इसमें रामसिंघ के बेटे की ग़लती है, या वो लड़की ग़लत बयानबाज़ी कर रही है,

हम लोग इसी के पीछे पड़े रहे तो इससे हमारे गाओं की बदनामी आस-पास के इलाक़े में होगी, जो हम सबके लिए शर्म की बात होगी…!

इसलिए सच्चाई जो भी हो हम उसपर बहस ना करते हुए पंचायत ये फ़ैसला लेती है कि लड़की के लिए उचित वर तलाश करके उसकी शीघ्र शादी करदी जाए…

दहेज और शादी में और जो भी खर्चा आएगा उसे हमारे पूर्व सरपंच श्री रामसिंघ जी अपनी तरफ से उठाएँगे..! अब आप लोग बताइए क्या ये सही फ़ैसला है या ग़लत…!

ज़्यादातर समझदार लोगों ने इस बात का समर्थन किया, और दोनो पक्षों की रज़ामंदी लेकर पंचायत ख़तम की………!

घर आकर भाभी ने मेरी बहुत तारीफ़ की और बोली – लल्ला जी… सच में तुमने आज मेरा दिल जीत लिया, वाह ! क्या फ़ैसला किया है, मे ये कभी नही कर पाती…!

मेने उनके दोनो चुतड़ों को अपने हाथों में कसकर अपने सीने से सटाते हुए कहा – कोरी तारीफ से काम नही चलेगा सरपंच साहिबा आज तो कुछ स्पेशल गिफ्ट देना होगा आपको…!

भाभी ने मेरा गाल काट लिया, और मेरे होठों को चूमकर बोली – सब कुछ तुम्हारा है मेरे राजा…जो चाहिए ले लो..

मेने उनकी रूई जैसी गुद-गुदि गान्ड की दरार में उंगली डालते हुए कहा – आज इसका मन है…! दोगि क्या…?

अपने चुतड़ों को कसकर भींचते हुए उन्होने मेरी उंगली को अपनी दरार में जप्त करते हुए कहा – डाल लो, एक दिन सारा काम निशा को ही करना पड़ेगा.. मुझे क्या..?

मेने कसकर भाभी की चूत को अपने लंड पर दबाते हुए कहा – मज़ाक कर रहा था, अपनी जान को दर्द हो वो काम में अब कभी नही करूँगा…!

वो मेरे होंठों पर टूट पड़ी, कुछ देर चुस्कर अपनी मुनिया को मेरे लंड के उपर रगड़ते हुए बोली – तुम्हारे लिए हर दर्द मंजूर है मेरे लाड़ले देवर…! बस हुकुम करो..

रहने दीजिए वरना सारे दिन निशा मुझे गालियाँ देगी.. ये कह कर मेने उनके ब्लाउस के उपर से ही भाभी की एक चुचि को दाँतों में दबाकर काट लिया…!

आअहह…बदमाश, अब ये क्या है..? अब छोड़ो, कोई आ जाएगा, चौड़े में खड़े हैं, दिन का मामला है..

मेने उन्हें नीचे उतारते हुए कहा – ठीक है, तो आज दोपहर को थ्रीसम करते हैं, चिकनी करके रखना..!

उन्होने मेरे लंड को मसल्ते हुए कहा – पक्का.. एक दम चिकनी चमेली मिलेगी तुम्हें.. जी भर कर चाटना, खूब रस पिलाउन्गी तुम्हें आज…!

हमारी ये रासलीला निशा जाने कब से देख रही थी, अपनी चूत को भींचते हुए बोली – चलो दीदी, दोनो एक साथ चिकनी करते हैं…!

भाभी ने कपड़ों के उपर से ही उसकी चूत मसलते हुए कहा – बड़ा जल्दी है चुसवाने की हां..! आज लल्ला नही मे तेरा रस पीउंगी.., बोल पिलाएगी ना…!

हइई….दीदी, सच में, आहह…सुनकर ही गीली हो गयी मे तो, वैसे भी राजे अब जमके चुदाई नही करते मेरी, तो फिर आपको ही ज़्यादा लेना पड़ेगा इनका,

ये कहकर वो भाभी के होठ चूसने लगी, वो दोनो एक दूसरे की चुतो को मसल्ते हुए किस में जुट गयी, मे धीरे से वहाँ से खिसक कर चाची के घर की तरफ निकाल लिया……..!
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06-02-2019, 01:55 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
भाभी के साथ हुई छेड़-छाड़ की वजह से मेरा लंड पाजामा में बुरी तरह से फुसकार रहा था…!

घर से निकलते हुए मेने जैसे तैसे अपने खड़े लंड को त्राउजर में अड्जस्ट किया वरना वो खूँटे की तरह तना हुआ सामने से दिखाई दे रहा था…,

मानो अंबेडकर की प्रतिमा हाथ आगे करके रास्ता बता रही हो….!

चाची के दरवाजे को मेने हल्का सा पुश किया तो वो खुलता चला गया,

इस टाइम वंश और चाचा तो स्कूल में ही होने चाहिए, आँगन में जाकर मे अभी चाची को आवाज़ देने ही वाला था, कि तभी वो अपने सोने के कमरे से बाहर आती हुई दिखी…!

शायद नहाने की तैयारी थी, सो मात्र एक कसे हुए ब्लाउस और पेटिकोट में चाची का कामुकता से भरपूर बदन इन दो कपड़ों में देखकर मेरे पहले से तने हुए लंड ने और ज़्यादा बग़ावत करदी,

जहाँ मेने उसे जबदस्ती ठूंस-थान्स कर अड्जस्ट किया था, वो वहाँ से निकल्कर खूँटे की तरह फिर तन्कर सतर हो गया, मानो इशारा कर रहो हो कि वो रही चूत…!

कमरे से बाहर आती चाची की नज़र जैसे ही मेरे उपर पड़ी, वो एकदम खुश हो गयी, और चहकते हुए बोली – ओहूओ… अंश के बापू आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये..?

चाची का पेटिकोट और ब्लाउस दोनो ही कुछ ज़्यादा पुराने से लग रहे थे, सो एक तो वो छोटे पड़ गये थे, दूसरे उनका कपड़ा इतना हल्का हो गया था, कि उनमें से चाची का कसा हुआ गेंहूआ रंग सॉफ झलक रहा था…

काले काले निपल को ब्लाउस का कपड़ा छुपाने में असमर्थ था, फिर जैसे ही मेरी नीचे नज़र पड़ी, पेटिकोट के नाडे के बाधने की जगह पर वो कुछ ज़्यादा ही फटा हुआ था,

सोने पे सुहागा, वो फटा हुआ हिस्सा ठीक चूत के सामने था, जिसमें से उनकी झांतों के बाल अपने मुँह चमका रहे थे…!

मेने पास जाकर उस फटे हुए झरोखे में अपना हाथ डालकर चाची की झांतों को पकड़ कर हल्के से खींचते हुए कहा – मे कुछ दिन रास्ता क्या भूल गया, आपने तो पूरा जंगल ही खड़ा कर लिया यहाँ…!

आअहह…ज़ोर्से मत खीँचो लल्ला…ससिईइ…हाए…किसके लिए सॉफ करूँ…? मादक सिसकी लेकर बोली चाची…तुम तो आते ही नही अब…

मेने अपने उस हाथ की एक उंगली चाची की चूत के अंदर करदी, दूसरे हाथ से चाची की ब्लाउस के महीन कपड़े से चमकती निपल की एक घुंडी को पकड़ कर मरोड़ दिया…

सस्सिईईईईईईई…..आआहह….खड़े खड़े ही पानी निकाल दोगे तुम तो मेरा, बिस्तर तक तो चलो… यहाँ कोई देख लेगा…!

मेने चाची को पलटा दिया, उनकी गाड़ की शेप कसे हुए पेटिकोट से मस्त दिखाई दे रही थी, गान्ड के दोनो पाटों ने बीच की दरार को कस्के दबा रखा था…,

तरबूज जैसी गान्ड के दोनो पाटों को ज़ोर्से मसल्ते हुए मेने अपने दोनो हाथ उनकी बगलों से निकाल कर उनकी मस्त गदर चुचियों पर कस दिए और अपने सोटे का उभार चाची की गान्ड की दरार में दबाकर चिपकते हुए कहा….!

बस चुदाई तक का ही वास्ता रखती हो चाची, ये भी नही पूछा कि लल्ला क्या लोगे.., कुकच्छ खाओगे पीओगे…?

आअहह… बोलो ना मेरे रजाअ.. क्या लोगे, चाय या दूध.. ज़रा छोड़ो तो सही तभी तो बनाउन्गी…

मे – क्या…?

वो – चाय..!

मे – आज तो मे कुछ और ही पीने आया हूँ मेरी जान,

वो – हाईए…और क्या पीओगे रजाअ…!

मे – बताता हूँ, ये कहकर मेने उन्हें अपनी तरफ घुमाया, और नीचे बैठकर मेने उनके फटे हुए लहंगे को और ज़्यादा फाड़कर एक झरोखा बना दिया….!

हाए लल्लाआअ… ये क्या किया तुमने, मेरा लहंगा फाड़ दिया…

मे – मुझे जो पीना है, वो चासनी तो यहीं है ना, ये कहकर मेने अपना मुँह चाची की मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी जाँघो के बीच फँसा दिया…!

चाची की चूत का रस टपक कर झान्टो के बालों पर एक दो बूँद जमा हो गया था, उनकी जांघों को चूत के पास चाट कर मेने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसेड दी…

आअहह…भरते हुए चाची की टाँगें चौड़ी हो गयी, मे उनकी चासनी को चपर-चपर कुत्ते की तरह चाटने लगा…!

चाची ने अपनी एक जाँघ मेरे कंधे पर रख ली, और अपनी गान्ड मटका-मटका कर मस्ती में आँखें बंद करके अपनी चूत चटवाने लगी…

सस्स्सिईईई…आअहह….उउउफफफ्फ़…लल्ला…और घुसाओ अंदर.. हाए…रे मारीइ….माआअ…. उंगली डालूओ….दो एक संग…हहाअ… और अंदर कारूव…उउफ़फ्फ़…गायईयीई…

उूउउऊऊहह….उउफ़फ्फ़…करते हुए चाची मेरा सिर अपनी चूत के मुँह पर ज़ोर्से दबाकर झड़ने लगी,

मेने अपनी जीभ से चाट कर उनके अमृत कलश से निकली हुई एक-एक बूँद को अपने पेट में पहुँचा दिया.. और चटकारे लेकर चाची से बोला –

बहुत मीठी हो चाची, मज़ा आ गया, उन्होने झपट कर मेरे कंधे पकड़ कर मुझे खड़ा किया और मेरे होठों पर टूट पड़ी…!

बहुत जालिम हो लल्ला.. चाची नशीली अदा से मेरे गले में बाहें डालकर बोली – औरत को अपनी उंगलियों पर नचाना अच्छे से आता है तुम्हें…!

मेने उनके ब्लाउस के बटन खोलते हुए कहा – आपको अच्छा नही लगता मेरा ये सब करना…?

मेरे ट्राउज़र में हाथ डालकर लंड को अपनी मुट्ठी में लेने की कोशिश करती चाची बोली – अच्छा नही लगता होता तो टाँगें क्यों खोलती…!

अब तो चलो भीतर, यहाँ उपर से किसी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा…!

मे - उपर तो हमारा ही घर है ना चाची, फिर कोन देखेगा…?

चाची - निशा या मोहिनी बहू ने देख लिया तो…? मान जाओ लल्ला अच्छा नही लगता… चलो अंदर चलते हैं…

मेने चाची को अपनी गोद में उठा लिया और उनके कमरे में लेकर जाने लगा…

चाची – हाए लल्ला, बहुत भारी हूँ, उतार दो मुझे…!

मेने गान्ड में उंगली करते हुए कहा – मुझे तो भारी नही लग रही हो…!

वो – तुम जवान मर्द हो इसलिए, तुम्हारे चाचा तो मेरी टाँग भी नही उठा पाते..

मेने चाची को बेड पर पटका, और वाकी के कपड़े नोच डाले, फिर अपना पाजामा नीचे करके अपना खूँटा उनके मुँह के सामने लहरा दिया…!

मेरे सोट जैसे लंड को अपनी आँखों के सामने झूमते हुए देख कर चाची की आँखों में चमक उभर आई, और उसे चूमते हुए बोली –

ये पहले से कुछ और ज़्यादा तगड़ा हो गया है लल्ला…!

मे - हां चाची अब ज़रा इसकी सर्विस तो करो, उन्होने उसे अपने मुँह में भरने की कोशिश की, मुश्किल से चौथाई लंड मुँह में लेकर वो उसे चचोरने गली…!

दो मिनट के बाद मेने उसे बाहर खींच लिया, और चाची की मोटी मोटी चुचियों के उपर चटकाया, लंड से उनके कड़क हो चुके निप्प्लो को रगड़ा…

फिर उनकी खाई के बीच फंसकर उन्हें अपनी चुचियों को उसके इर्द-गिर्द दबाने को बोला और टिट फक्किंग करने लगा…!

मक्खन जैसी मुलायम चुचियों के बीच सटा-सॅट चलता लंड जब उपर जाता तो उसका सुपाडा उनके होठों तक पहुँच जाता जिसे चाची अपने मुँह में ले लेती…

टिट फक्किंग करने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था… लेकिन चाची की चूत को पानी पिलाना भी ज़रूरी था, वो इस समय पटल तोड़ बोर की तरह लगातार बहे जा रही थी…

मेने चाची की गान्ड के नीचे दो तकिये लगाए, और उनकी मांसल जांघों को चूमकर उपर किया, अब उनकी रस परी ठीक मेरे मूसल के सामने थी, सो एक दो बार उसके रस से उसको चिकनाया और सॅट्ट से एक धक्का मार दिया…

शर्सरा कर आधे से ज़्यादा वो उनकी रसीली चूत में समा गया, चाची के मुँह से एक मादक कराह निकल गयी….आआहह….रजाअ… बहुत मोटा है… आरामम.. ससीए…डाल्लूओ….

चाची की चुचियों को मसल्ते हुए मेने बचे हुए को भी अंदर कर दिया, और हल्के हल्के धक्के देने लगा…

चाची मेरे सोट को ज़्यादा देर तक नही झेल सकी, थोड़ी ही देर में उनकी चूत ने अपना नल खोल दिया…!

फिर मेने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से लंड डालकर चोदने लगा…!

मोटा खूँटे जैसा लंड लेते ही चाची नील गाय की तरह रम्भाने देने लगी.., अपना सिर उपर करके पीछे मुड़ते हुए कराह कर बोली –

कितने निर्दयी हो लल्लाअ…, कम से कम अपनी माँ जैसी चाची की चूत का तो ख्याल करो.., एक दम से डाल देते हो..,,,हाईए रामम.. कितना मोटा हो गया है निगोडा..

मेने चाची की पीठ सहलाते हुए अपने होठ उनके लज़ीज़ होठों से सटा दिए…!

वो अपना दर्द भूल कर गान्ड उचकाते हुए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…!

चाची की जमकर चुदाई करके, उन्हें पूरी तरह से तृप्त कर दिया, उनके लहंगे से अपना लंड पोंच्छ कर कपड़े पहने और एक किस उनके मोटे-मोटे माल पुआ जैसे गालों पर देकर अपने घर की तरफ चल दिया…..!

घर में कदम रखते ही निशा से सामना हो गया, वो देखते ही मेरे उपर राशन पानी लेकर चढ़ दौड़ी…

किसी भाटीयारीन की तरह अपना हाथ नाचते हुए अकड़कर बोली- हम दोनो को गरम करके कहाँ खिसक लिए थे जनाब…हां..?

मेने खिसियानी हसी हँसते हुए कहा – हहहे… मे थोड़ा चाची के घर तक गया था, बहुत दिनो से मिल नही पाया था ना इसलिए…! तुम बताओ, खाना बना कि नही..?

निशा अपनी कमर पर दोनो हाथ रख कर बोली – खाना…कैसा खाना ? हम दोनो इतनी गरम हो गयी, कि एक दूसरे को शांत करने में लग गयी… अभी दीदी नहाने गयी हैं उसके बाद मे जाउन्गी, तब कहीं बनेगा…!

लंच लेट होने के कारण दोपहर का थ्रीसम का प्रोग्राम पोस्टपोन करना पड़ा, भाभी ने रात को हमारे कमरे में आने का वादा कर दिया…

खाने के बाद मे दो घंटे की नींद लेकर शाम के समय खेतों की तरफ निकल गया. ट्यूबिवेल पर मुझे कोई नही मिला, तो बगीचे में टहलता हुआ बड़ी चाची की तरफ निकल गया…!

उन्होने अपने खेतों पर एक कच्ची ईंटों का एक घर बना लिया था, जिसमें काफ़ी जगह थी जिससे एमर्जेन्सी में अनाज वग़ैरह भी रखा जा सके मौसम बिगड़ने पर…

मे जैसे ही झोंपड़ी जैसे मकान के नज़दीक पहुँचा, अंदर से मुझे आहें कराहें, सिसकियों की आवाज़ें सुनाई दी…
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06-02-2019, 01:55 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने सोचा आज चाचा दिन में ही मज़े लेने लगे शायद, चलो लेने दो इन्हें ये सोच कर मे लौटने लगा कि तभी मुझे मन्झलि चाची की आवाज़ सुनाई दी…

आअहह…जेठ जी और ज़ोर्से पेलो उउउफफफ्फ़…बड़ा मज़ा आ रहा है…

मेरी तो खोपड़ी हवा में उड़ने लगी, ये मन्झलि चाची दुश्मन के घर…, ये कैसे हुआ, मेरी उत्सुकता अंदर चल रहे खेल को देखने की हो उठी…!

एक झिरी सी ढूँढ कर मेने अंदर का जायज़ा लिया…, ओ तेरे की दो-दो घोड़ियाँ एक साथ एक ही घोड़े पे सवारी कर रही थी…!

बाबूजी इस समय मंझली चाची को घोड़ी बना कर सटा-सॅट पेल रहे थे…, बड़ी चाची उनके बराबर में ही अपनी गान्ड औंधी कर घुटनों पर इंतजार कर रही थी…

बाबूजी अपने एक हाथ से बड़ी चाची की चौड़ी चकली गान्ड पर हाथ फेरते जा रहे थे, कभी-कभी धक्के की लय पर उनकी गान्ड पर थाप भी लगा देते…

बीच-बीच में अपनी दो उंगलियाँ बड़ी चाची की चूत में डाल देते, बाबूजी के मुँह से बस हुउन्ण..हुन्न.. जैसी आवाज़ें आ रही थी, और वो दोनो घोड़िया, मज़े से हिन-हिना रही थी..

कुछ देर में ही मंझली चाची ने हथियार डाल दिए और वो अपनी गान्ड के भूरे सुराख को सिकोडकर झड़ने लगी…!

आआईय…आअहह…जेठ जी क्या खाते हो राजाजी मेरा तो हो गया, अब आप जीजी को संभलो…!

बाबूजी ने उनकी चुत से फुच…करके अपने लौडे को बाहर खींचा, और बड़ी चाची की गान्ड पर थपकी देते हुए नीचे लेट गये…!

इस उमर में भी बाबूजी का खूँटा डंडे की तरह अकड़ कर उपर तरफ शान से खड़ा नयी चूत का इंतेजार कर रहा था…!

मंझली चाची की चूत रस से लवरेज, जिसे देख कर बड़ी चाची उनका इशारा समझकर बाबूजी के लौडे को एक बार मुँह में लेकर चाटा और फिर अपनी धरा सी गान्ड लेकर उसके उपर सवार हो गयी…!

सस्सिईइ…आआहह…जेठ जी.., कितना मज़ा देता है ये…उउउफ़फ्फ़..मज़ा आजाता है लेते ही.., बड़ी चाची सिसकारी भरते हुए लंड के उपर उठक बैठक करने लगी..,

चूत रस से गीला बाबूजी का चमकता लंड किसी पिस्टन की तरह चाची की चूत में अंदर बाहर हो रहा था..,

इस नज़ारे ने मेरे सोए हुए लंड को पूरी तरह जगा दिया था, मेने ज़्यादा देर वहाँ रुकना उचित नही समझा, और उसे पाजामे में ही उमेठ कर चुपचाप दबे पाँव वहाँ से खिसक लिया…!

इसका मतलब आख़िरकार बाबूजी ने दोनो में सुलह करा ही दी, चलो अच्छा है, तीनो का भला हो रहा है, और घर में सुख शांति कायम रहेगी.., ये सोचता हुआ मे घर की तरफ चल दिया…….!

भाभी इस समय अकेली किचन में स्लॅब के सहारे खड़ी आटा लगा रही थी, फिटिंग वाली मेक्सी में उनकी मखमली मुलायम गान्ड रिदम के साथ हिलोरें ले रही थी…!

खेतों के गरमा-गरम चुदाई सीन को देखने के बाद से ही मेरे खून में वैसे ही गर्मी फैली हुई थी, अब ये नज़ारा देखते ही मेरे घोड़े ने हिन-हीनाना शुरू कर दिया…!

अभी के अभी मेक्सी उपर करके डाल दे इस मक्खन जैसी गान्ड में मुझे.., मेने अपने लंड को नीचे को दबाते हुए उसे शांत करने की नाकाम कोशिश की..

और चुपके से भाभी के पीछे जाकर अपना मूसल उनकी गान्ड की दरार की सीध में रख कर उनको अपनी बाहों में कस लिया…!

तीर एकदम सही निशाने पर लगा था, अपनी गान्ड के होल पर लंड की ठोकर वो भी अचानक से पाकर भाभी के रोंगटे खड़े हो गये, वो एकदम से सिहर कर आहह…भरते हुए पीछे को पलटी…!

बाहों के घेरे की वजह से वो पलट तो नही पाई, लेकिन अपना मुँह मेरी तरफ मोड़ कर कुछ बोलना चाहती थी कि मेने अपने तपते होठ उनके लज़्जत भरे होठों पर टिका दिए…!

एक पल में ही भाभी की आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे.., मेने अपना एक हाथ आगे से उनकी चूत पर ले जाकर उसे मुट्ठी में दबा लिया…!

भाभी के मुँह से गुउन्ण..गगुउन्ण.. जैसी आवाज़ें आने लगी, आटे से सने हाथों से वो कुछ तो कर नही सकती थी, फिर मेने जैसे ही उनके होठों को आज़ाद किया, वो झूठा गुस्सा जताकर बोली –

गुंडे, बदमाश, मवाली.., थोड़ी बहुत लाज शरम है कि नही, कम से कम इतना तो ख्याल करो, घर में इस समय सब लोग मौजूद हैं, और एकदम से अटॅक कर देते हो.., अभी कोई देख ले तो…!

उनकी बात सुनकर मेने उन्हें अपने बंधन से मुक्त किया और अपने कान पकड़ कर बोला – सॉरी भाभी माँ ग़लती हो गयी, माफ़ करदो अपने बेटे को…!

बेटे के बच्चे, पता है तुमने क्या अनर्थ कर दिया…?

मे एकदम से घबरा गया, और बोला – क्या हुआ भाभी ? कुछ गड़बड़ हो गयी क्या मुझसे..?

मुझे घबराया देख कर भाभी के चेहरे पर अचानक से मुस्कान आ गयी और अपनी मुनिया की तरफ इशारा करते हुए शरारती स्वर में बोली –

तुमने इसे गरम कर दिया है, ये बेचारी आँसू टपकाने लगी है, इसका क्या..?

मेने उनकी चुचियों को पकड़ने के लिए हाथ आगे करते हुए कहा – लाओ इसको अभी शांत कर देता हूँ…!

वो पीछे हट’ते हुए बोली – नही अभी रहने दो, रात में देखेंगे.., ये बताओ तुम कहाँ चले गये थे..?

मे ज़रा खेतों की तरफ चला गया था, फिर जैसे कुछ सोचते हुए मेने कहा – भाभी, ज़रा बाबूजी का अच्छे से ख़याल रखा करो…!

भाभी मेरी बात सुनकर एकदम से चोंक पड़ी, अचानक ये बात मेने उन्हें क्यों कही, सो थोड़ा असमनजस जैसी स्थित में आकर बोली –

ये तुम्हें अचानक बाबूजी का ख़याल रखने की बात क्यों सूझी, क्या उन्होने तुमसे कुछ कहा क्या…? या तुम्हें लगता है कि हम उनका अच्छे से ख़याल नही रखते..?

उनकी दूबिधा समझते हुए मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी आप मेरी बात को अन्यथा मत लो, मे तो बस मज़ाक में बोल रहा था, और जानती हैं मे ये क्यों कह रहा था…?

भाभी मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी…

मेने कहा - अब बाबूजी एक साथ दो-दो घोड़ियों की सवारी करने लगे हैं…!

भाभी चोन्क्ते हुए बोली – क्या दो-घोड़ियों की सवारी मतलब…?


बुढ़ापे में घुड़सवारी करने का शौक चढ़ा है उनको…?

मे – अरे भाभी असली घोड़ी नही, अपने घर की वो दोनो घोड़ियाँ…!

भाभी – ओह्ह्ह….तो ये बात है, मतलब बड़ी और मंझली चाची दोनो एक साथ..? पर तुमने कहाँ देख लिया उनको…?

फिर मेने उन्हें पूरी बात बताई…, तो भाभी हँसते हुए बोली – बेटा तो बेटा बाप भी पक्का चोदुपीर है..हाहाहा.., इस बात पर हम दोनो खूब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे…

हमें ज़ोर-ज़ोर्से हँसते देखकर निशा हमारे पास आकर पुछ्ने लगी कि हम इतने ज़ोर-ज़ोर्से क्यों हंस रहे हैं.. तो भाभी बोली – ये बच्चों को बताने लायक बात नही है…

निशा तुनकते हुए बोली –हुउन्न्ं दीदी ! आप भी ना, मुझे अभी तक बच्चा ही समझती हैं, जबकि मे खुद बच्चे की माँ बनने वाली हूँ..

भाभी ने छेड़ते हुए कहा – बनी तो नही ना, जब बन जाएगी तो बड़ों में शामिल कर लेंगे… ओके..

निशा – हुउन्न्ं… बताओ ना प्लीज़ क्या बात है…

भाभी – अच्छा बाबा ठीक है, बता दो लल्ला इसे भी.., फिर मेने उसको भी बताया, वो अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली – हाए दीदी इनका तो अवा का अवा ही बिगड़ा हुआ है.., इस बात पर हम तीनों ही हँसने लगे….!

हसी के बीच ही भाभी बोली – पूरा का पूरा अवा तो नही, एक राजा रामचंद्र के पोते भी हैं इस घर में, जो अपनी ही बीवी से चार बार पर्मिशन मिलने पर ही चोदते हैं..हाहाहा…, उनका इशारा बड़े भैया की तरफ था…!

इस तरह हसी खुशी से ये दिन भी बीत गया था, अब रात का इंतजार था, जब हम तीनो प्रेमी, एक साथ खाट कबड्डी खेलने वाले थे…….!

वो रात भी आ गयी, निशा का ख़याल रखने के बहाने भाभी पूरी रात हमारे साथ ही रही, जमकर चुदाई अभियान चला, जमकर बारिश हुई…

बस थोड़ा निशा को प्यार और एहतियात के साथ संतुष्ट किया, लेकिन मेने और भाभी ने चुदाई की सारी हदें पार कर दी,

जो तरीक़े किसी मूवी या किताब में भी नही देखे होंगे वो हमने आजमा लिए…!

दिनो-दिन गदराते जा रहे भाभी के बदन का अहसास होते ही मेरा लंड एक बार झड़ने के बाद जल्दी ही फिरसे खड़ा हो जाता…,

गान्ड मराने के अलावा भाभी ने सारे आसान आजमा लिए, क्योंकि कहीं ना कहीं ये काम क्रीड़ा हमें अनैतिक लगती है, जो कि सत्य भी है..,

मेने एक बुक में पढ़ा था, अक्सर लगातार गुदा मैथुन करने से लिंग में इन्फेक्षन होने के चान्स बढ़ जाते हैं…!

गान्ड की अन्दरुनि सतहों पर सफाई के बाद भी मैला चिपका रह जाता है, लंड जब ज़्यादा अंदर तक जाता है, तो उस मैला से उसकी नाज़ुक त्वचा पर कीटाणु लगे रह जाते हैं, जो अंदर ही अंदर लंड की मुलायम स्किन में इन्फेक्षन पैदा कर सकते हैं..,

वो अलहदा बात है कि कुछ लोग कहानी को ज़्यादा बल्गर और इंट्रेस्टिंग बनाने के चक्कर में आदमी से मैला खिलवा भी देते हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर की बात हैं…!

एनीवेज, आख़िर उनकी चूत में ही लंड चेन्प्कर हम सो गये…! और ये नया अनुभव हुआ कि वो जबतक अपनी सुरंग में रहा, तन्कर खड़ा ही रहा,

यही नही उनकी यौनि भी गीली होती रही, सो जागते ही एक बार फिरसे मेने भाभी को जमकर चोद डाला…..!
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06-02-2019, 01:55 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने सोचा आज चाचा दिन में ही मज़े लेने लगे शायद, चलो लेने दो इन्हें ये सोच कर मे लौटने लगा कि तभी मुझे मन्झलि चाची की आवाज़ सुनाई दी…

आअहह…जेठ जी और ज़ोर्से पेलो उउउफफफ्फ़…बड़ा मज़ा आ रहा है…

मेरी तो खोपड़ी हवा में उड़ने लगी, ये मन्झलि चाची दुश्मन के घर…, ये कैसे हुआ, मेरी उत्सुकता अंदर चल रहे खेल को देखने की हो उठी…!

एक झिरी सी ढूँढ कर मेने अंदर का जायज़ा लिया…, ओ तेरे की दो-दो घोड़ियाँ एक साथ एक ही घोड़े पे सवारी कर रही थी…!

बाबूजी इस समय मंझली चाची को घोड़ी बना कर सटा-सॅट पेल रहे थे…, बड़ी चाची उनके बराबर में ही अपनी गान्ड औंधी कर घुटनों पर इंतजार कर रही थी…

बाबूजी अपने एक हाथ से बड़ी चाची की चौड़ी चकली गान्ड पर हाथ फेरते जा रहे थे, कभी-कभी धक्के की लय पर उनकी गान्ड पर थाप भी लगा देते…

बीच-बीच में अपनी दो उंगलियाँ बड़ी चाची की चूत में डाल देते, बाबूजी के मुँह से बस हुउन्ण..हुन्न.. जैसी आवाज़ें आ रही थी, और वो दोनो घोड़िया, मज़े से हिन-हिना रही थी..

कुछ देर में ही मंझली चाची ने हथियार डाल दिए और वो अपनी गान्ड के भूरे सुराख को सिकोडकर झड़ने लगी…!

आआईय…आअहह…जेठ जी क्या खाते हो राजाजी मेरा तो हो गया, अब आप जीजी को संभलो…!

बाबूजी ने उनकी चुत से फुच…करके अपने लौडे को बाहर खींचा, और बड़ी चाची की गान्ड पर थपकी देते हुए नीचे लेट गये…!

इस उमर में भी बाबूजी का खूँटा डंडे की तरह अकड़ कर उपर तरफ शान से खड़ा नयी चूत का इंतेजार कर रहा था…!

मंझली चाची की चूत रस से लवरेज, जिसे देख कर बड़ी चाची उनका इशारा समझकर बाबूजी के लौडे को एक बार मुँह में लेकर चाटा और फिर अपनी धरा सी गान्ड लेकर उसके उपर सवार हो गयी…!

सस्सिईइ…आआहह…जेठ जी.., कितना मज़ा देता है ये…उउउफ़फ्फ़..मज़ा आजाता है लेते ही.., बड़ी चाची सिसकारी भरते हुए लंड के उपर उठक बैठक करने लगी..,

चूत रस से गीला बाबूजी का चमकता लंड किसी पिस्टन की तरह चाची की चूत में अंदर बाहर हो रहा था..,

इस नज़ारे ने मेरे सोए हुए लंड को पूरी तरह जगा दिया था, मेने ज़्यादा देर वहाँ रुकना उचित नही समझा, और उसे पाजामे में ही उमेठ कर चुपचाप दबे पाँव वहाँ से खिसक लिया…!

इसका मतलब आख़िरकार बाबूजी ने दोनो में सुलह करा ही दी, चलो अच्छा है, तीनो का भला हो रहा है, और घर में सुख शांति कायम रहेगी.., ये सोचता हुआ मे घर की तरफ चल दिया…….!

भाभी इस समय अकेली किचन में स्लॅब के सहारे खड़ी आटा लगा रही थी, फिटिंग वाली मेक्सी में उनकी मखमली मुलायम गान्ड रिदम के साथ हिलोरें ले रही थी…!

खेतों के गरमा-गरम चुदाई सीन को देखने के बाद से ही मेरे खून में वैसे ही गर्मी फैली हुई थी, अब ये नज़ारा देखते ही मेरे घोड़े ने हिन-हीनाना शुरू कर दिया…!

अभी के अभी मेक्सी उपर करके डाल दे इस मक्खन जैसी गान्ड में मुझे.., मेने अपने लंड को नीचे को दबाते हुए उसे शांत करने की नाकाम कोशिश की..

और चुपके से भाभी के पीछे जाकर अपना मूसल उनकी गान्ड की दरार की सीध में रख कर उनको अपनी बाहों में कस लिया…!

तीर एकदम सही निशाने पर लगा था, अपनी गान्ड के होल पर लंड की ठोकर वो भी अचानक से पाकर भाभी के रोंगटे खड़े हो गये, वो एकदम से सिहर कर आहह…भरते हुए पीछे को पलटी…!

बाहों के घेरे की वजह से वो पलट तो नही पाई, लेकिन अपना मुँह मेरी तरफ मोड़ कर कुछ बोलना चाहती थी कि मेने अपने तपते होठ उनके लज़्जत भरे होठों पर टिका दिए…!

एक पल में ही भाभी की आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे.., मेने अपना एक हाथ आगे से उनकी चूत पर ले जाकर उसे मुट्ठी में दबा लिया…!

भाभी के मुँह से गुउन्ण..गगुउन्ण.. जैसी आवाज़ें आने लगी, आटे से सने हाथों से वो कुछ तो कर नही सकती थी, फिर मेने जैसे ही उनके होठों को आज़ाद किया, वो झूठा गुस्सा जताकर बोली –

गुंडे, बदमाश, मवाली.., थोड़ी बहुत लाज शरम है कि नही, कम से कम इतना तो ख्याल करो, घर में इस समय सब लोग मौजूद हैं, और एकदम से अटॅक कर देते हो.., अभी कोई देख ले तो…!

उनकी बात सुनकर मेने उन्हें अपने बंधन से मुक्त किया और अपने कान पकड़ कर बोला – सॉरी भाभी माँ ग़लती हो गयी, माफ़ करदो अपने बेटे को…!

बेटे के बच्चे, पता है तुमने क्या अनर्थ कर दिया…?

मे एकदम से घबरा गया, और बोला – क्या हुआ भाभी ? कुछ गड़बड़ हो गयी क्या मुझसे..?

मुझे घबराया देख कर भाभी के चेहरे पर अचानक से मुस्कान आ गयी और अपनी मुनिया की तरफ इशारा करते हुए शरारती स्वर में बोली –

तुमने इसे गरम कर दिया है, ये बेचारी आँसू टपकाने लगी है, इसका क्या..?

मेने उनकी चुचियों को पकड़ने के लिए हाथ आगे करते हुए कहा – लाओ इसको अभी शांत कर देता हूँ…!

वो पीछे हट’ते हुए बोली – नही अभी रहने दो, रात में देखेंगे.., ये बताओ तुम कहाँ चले गये थे..?

मे ज़रा खेतों की तरफ चला गया था, फिर जैसे कुछ सोचते हुए मेने कहा – भाभी, ज़रा बाबूजी का अच्छे से ख़याल रखा करो…!

भाभी मेरी बात सुनकर एकदम से चोंक पड़ी, अचानक ये बात मेने उन्हें क्यों कही, सो थोड़ा असमनजस जैसी स्थित में आकर बोली –

ये तुम्हें अचानक बाबूजी का ख़याल रखने की बात क्यों सूझी, क्या उन्होने तुमसे कुछ कहा क्या…? या तुम्हें लगता है कि हम उनका अच्छे से ख़याल नही रखते..?

उनकी दूबिधा समझते हुए मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी आप मेरी बात को अन्यथा मत लो, मे तो बस मज़ाक में बोल रहा था, और जानती हैं मे ये क्यों कह रहा था…?

भाभी मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी…

मेने कहा - अब बाबूजी एक साथ दो-दो घोड़ियों की सवारी करने लगे हैं…!

भाभी चोन्क्ते हुए बोली – क्या दो-घोड़ियों की सवारी मतलब…?


बुढ़ापे में घुड़सवारी करने का शौक चढ़ा है उनको…?

मे – अरे भाभी असली घोड़ी नही, अपने घर की वो दोनो घोड़ियाँ…!

भाभी – ओह्ह्ह….तो ये बात है, मतलब बड़ी और मंझली चाची दोनो एक साथ..? पर तुमने कहाँ देख लिया उनको…?

फिर मेने उन्हें पूरी बात बताई…, तो भाभी हँसते हुए बोली – बेटा तो बेटा बाप भी पक्का चोदुपीर है..हाहाहा.., इस बात पर हम दोनो खूब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे…

हमें ज़ोर-ज़ोर्से हँसते देखकर निशा हमारे पास आकर पुछ्ने लगी कि हम इतने ज़ोर-ज़ोर्से क्यों हंस रहे हैं.. तो भाभी बोली – ये बच्चों को बताने लायक बात नही है…

निशा तुनकते हुए बोली –हुउन्न्ं दीदी ! आप भी ना, मुझे अभी तक बच्चा ही समझती हैं, जबकि मे खुद बच्चे की माँ बनने वाली हूँ..

भाभी ने छेड़ते हुए कहा – बनी तो नही ना, जब बन जाएगी तो बड़ों में शामिल कर लेंगे… ओके..

निशा – हुउन्न्ं… बताओ ना प्लीज़ क्या बात है…

भाभी – अच्छा बाबा ठीक है, बता दो लल्ला इसे भी.., फिर मेने उसको भी बताया, वो अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली – हाए दीदी इनका तो अवा का अवा ही बिगड़ा हुआ है.., इस बात पर हम तीनों ही हँसने लगे….!

हसी के बीच ही भाभी बोली – पूरा का पूरा अवा तो नही, एक राजा रामचंद्र के पोते भी हैं इस घर में, जो अपनी ही बीवी से चार बार पर्मिशन मिलने पर ही चोदते हैं..हाहाहा…, उनका इशारा बड़े भैया की तरफ था…!

इस तरह हसी खुशी से ये दिन भी बीत गया था, अब रात का इंतजार था, जब हम तीनो प्रेमी, एक साथ खाट कबड्डी खेलने वाले थे…….!

वो रात भी आ गयी, निशा का ख़याल रखने के बहाने भाभी पूरी रात हमारे साथ ही रही, जमकर चुदाई अभियान चला, जमकर बारिश हुई…

बस थोड़ा निशा को प्यार और एहतियात के साथ संतुष्ट किया, लेकिन मेने और भाभी ने चुदाई की सारी हदें पार कर दी,

जो तरीक़े किसी मूवी या किताब में भी नही देखे होंगे वो हमने आजमा लिए…!

दिनो-दिन गदराते जा रहे भाभी के बदन का अहसास होते ही मेरा लंड एक बार झड़ने के बाद जल्दी ही फिरसे खड़ा हो जाता…,

गान्ड मराने के अलावा भाभी ने सारे आसान आजमा लिए, क्योंकि कहीं ना कहीं ये काम क्रीड़ा हमें अनैतिक लगती है, जो कि सत्य भी है..,

मेने एक बुक में पढ़ा था, अक्सर लगातार गुदा मैथुन करने से लिंग में इन्फेक्षन होने के चान्स बढ़ जाते हैं…!

गान्ड की अन्दरुनि सतहों पर सफाई के बाद भी मैला चिपका रह जाता है, लंड जब ज़्यादा अंदर तक जाता है, तो उस मैला से उसकी नाज़ुक त्वचा पर कीटाणु लगे रह जाते हैं, जो अंदर ही अंदर लंड की मुलायम स्किन में इन्फेक्षन पैदा कर सकते हैं..,

वो अलहदा बात है कि कुछ लोग कहानी को ज़्यादा बल्गर और इंट्रेस्टिंग बनाने के चक्कर में आदमी से मैला खिलवा भी देते हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर की बात हैं…!

एनीवेज, आख़िर उनकी चूत में ही लंड चेन्प्कर हम सो गये…! और ये नया अनुभव हुआ कि वो जबतक अपनी सुरंग में रहा, तन्कर खड़ा ही रहा,

यही नही उनकी यौनि भी गीली होती रही, सो जागते ही एक बार फिरसे मेने भाभी को जमकर चोद डाला…..!
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