Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 02:08 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
राजश्री को ऐसा बोलने के लिए मैने इसलिए कहा ,क्यूंकी मुझे डर था कि कही अरुण मुझसे अपने 100 वापस ना ले ले...
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कॅंप के अंदर आकर मैं अपनी जगह लेट गया.इस वक़्त मेरे दिमाग़ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ आंजेलीना ही छाइ हुई थी...मुझे अब भी समझ नही आ रहा था कि उसने मेरा नाम कैसे जाना और तभी मैने फ्लश बॅक मे जाने का सोचा....


फ्लेसबॅक
"आंड हू आर यू..."आंजेलीना थोड़ा झल्लाते हुए बोली.

"मैं अरमान और मैं इस जगह का मॅनेजर हूँ,बोले तो इस जगह का अरेंज्मेंट मैं ही देखता हूँ..."
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"ओह तेरी...उसे तो मैने पहले ही अपना नाम बता दिया था ,वो साली म्बबस की लौंडिया झूठी-झूठी कहानी बनाकर मुझे दो-दो बार चोद दी...कमाल है यार, कैसे-कैसे लोग मौजूद है इस दुनिया मे."
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'आंजेलीना को मेरा नाम कैसे मालूम चला' इसकी गुत्थी सुलझाने के बाद मैं आराम से लेटा .लेकिन एक बेचैनी मेरे अंदर घर कर चुकी थी कि एक लड़की ने....एक लड़की ने मुझे एडा बना दिया ,वो भी इतने जबर्जस्त तरीके से,जिसकी मैं कल्पना तक नही कर सकता और तभी मुझे एक जोरदार झटका तब लगा जब मुझे ये मालूम चला कि मैने अपना गॉगल कहीं खो दिया है...

"बीसी, दिन ही खराब है ,2000 का नुकसान पहले ही दिन हो गया...कितनी मुश्किल से पैसे बचा-बचा कर मैने गॉगल खरीदा था...आंजेलीना, तू अबकी बार मिल मुझसे "

आंजेलीना से पहली ही मुलाक़ात मे मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो गया था लेकिन मैं बेचैन इसलिए नही था कि आज मेरे गॉगल गुम गये थे बल्कि मैं बेचैन इसलिए था कि एक लड़की ने मुझे बेवकूफ़ बनाया वो भी एक खूबसूरत लड़की ने....
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उसी दिन रात के करीब 9 बजे जब मैं सिगरेट पीने कॅंप से चुपके-चुपके निकला तो देखा की सामने वाले कॉलेज के कॅंप पर कोई तेज़ आवाज़ मे चिल्ला रहा था...मैं आवाज़ की तरफ गया तो पाया कि लगभग एक 40-42 साल की एक औरत कुच्छ लड़कियो पर चिल्ला रही थी...मैं उनके कॅंप के थोड़ा और करीब गया तो देखा कि वो औरत जिन लड़कियो पर चिल्ला रही थी वो कोई और नही बल्कि वही तीनो लड़किया थी..जो मुझे नीचे डॅम के पास मिली थी ,बोले तो खूबसूरत आंजेलीना और उसकी बदसूरत दोनो सहेलिया....
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आंजेलीना को डाँट खाते देख मेरे दिल को थोड़ा सुकून मिला.

"और डाँट, बाल पकड़ कर 360 डिग्री पर घूमा...बहुत होशियार समझती है खुद को..."मैने दिल ही दिल मे कहा और फिर अपने कॅंप की तरफ वापस आने के लिए पीछे पलटा तो उस औरत के कुच्छ शब्द मेरे कान मे पड़े,जिसे सुनकर मैं पीछे पलटा...

"आंजेलीना,चींकी और पिंकी...दो दिन मे ये दूसरी बार है,जब तुम तीनो,हमारे मना करने के बावजूद...भाग कर घूमने गये, हम हर बार तुम तीनो की हरकतों को अवाय्ड नही कर सकते...क्यूंकी इससे बाकी के स्टूडेंट्स पर बुरा एफेक्ट पड़ता है...ये आख़िरी वॉर्निंग है तुम तीनो को..."उस 40-42 साल की औरत ने अपना गला फाड़-फाड़ कर कहा....

"इसकी तो ये भी मेरी तरह भाग कर घूमने गयी थी...आज कल के स्टूडेंट्स मे सरिफि बची ही नही है सिवाय मेरे... "
हमारे घोन्चु वॉर्डन ने शुरू मे हम सबसे कहा था कि सामने जो दूसरे कॉलेज का कॅंप है..उनके कॉलेज का लेवेल बहुत गिरा हुआ है और वहाँ के स्टूडेंट्स एक दम डिफॉल्टर है....बाद मे मुझे मालूम चला कि वॉर्डन ने हमे उनसे दूर रहने के लिए ऐसा कहा था, ताकि कोई लफडा ना हो...लेकिन अब लगभग हम सभी जान चुके थे की सामने जिस कॉलेज का कॅंप लगा है उसमे म्बबस के स्टूडेंट्स है और मेरे ख़याल से किसी को ये बताने की ज़रूरत नही कि म्बबस की वॅल्यू क्या होती है .
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"यार अरमान ,वो साले म्बबस के स्टूडेंट्स है..मैने सोचा था कि जब भी उनसे मुलाक़ात होगी तो अपना कॉलर उँचा और सीना चौड़ा करके चलूँगा...लेकिन अब तो..."

"जानेमन, घोड़ो के झुंड मे गधो को शामिल करने से ,वो घोड़ा नही बन जाता और इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि वो म्बबस के स्टूडेंट्स है या 12थ फैल ..."मैने कहा,जबकि मैं जानता था कि फ़र्क तो पड़ता है .

"तो आगे का क्या प्लान है, अरमान भाई...मैं तो बोलता हूँ कि कल फिर नदी के उपर बने पुल मे जाते है और लौन्डो को पेलते है..."

"तू यहाँ ,यही करने आया है क्या...बेटा किस्मत हर बार साथ नही देती.यदि कोई कपल ग्रूप मे आया हो तो फिर चुद जाएँगे..."

"तो फिलहाल अभी क्या करे...भारी बोर हो रहा हूँ "

"फिलहाल तो वर्ल्ड कप निकालो....समय गुजर जाएगा..."
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'प्लॅटिनम' के एक बूंफ़ेर को रात भर मे मैने,अरुण और राजश्री पांडे ने ख़त्म कर दिया था....सुलभ और नवीन दारू पीते नही थे और सौरभ ने कहा कि आज शनिवार है इसलिए वो आज नही पिएगा .

दूसरे दिन सबसे पहले मेरी आँख खुली और आँख खुलते ही मेरी नज़र सबसे पहले मेरे हाथ मे बँधी घड़ी पर गयी और बाद मे दारू के उस बूंफ़ेर पर,जिसे कल रात हम तीन लोगो ने खाली किया था.इस वक़्त 9 बज रहे थे और दारू की बोतल मे कुच्छ दारू अब भी बाकी थी....

"साला कल रात को लगता है ,इन दोनो ने अपना आख़िरी पेग नही लिया...वरना हिसाब से तो आज बोतल को खाली होना चाहिए थी...."प्लॅटिनम की बोतल की तरफ बढ़ते हुए मैं बड़बड़ाया और बोतल को उठाकर सोचने लगा कि इसका क्या किया जाए...बाहर फेक दूं या फिर पी लूँ....

"नही साला कहीं चढ़ गयी तो फिर मैं सबकी दाई चोद दूँगा..."सोचते हुए मैने प्लॅटिनम के ढक्कन को खोला और जैसे ही बचे हुए दारू को गिराने वाला था ,मेरे मन मे ख़याल आया कि"पी ही लेता हूँ,इतने से मेरा क्या होगा...ज़मीन पर गिराने से तो अच्छा है की अपने पेट मे गिरा लूँ..."

इसके बाद मैने बिना कुच्छ सोचे बोतल मे थोड़ा पानी डाला और कुच्छ देर बोतल को हिलाने के बाद बोतल के मुँह को अपने मुँह से लगाया और खेल ख़त्म

मेरे सारे दोस्त अभी तक खर्राटे ले रहे थे,इसलिए मैने वहाँ बिखरी हुई सारी अवैध चीज़ो जैसे कि सिगरेट के पॅकेट, डिस्पोज़ेबल ग्लास और वर्ल्ड कप को एक बड़ी सी पोलिथीन मे भरकर कॅंप से बाहर निकला .

"इधर तो कोई खराब जगह दिख ही नही रही...ये सब कचरा कहाँ फेकू..."मैने सोचा..और फिर ख़याल आया कि चुप चाप जाकर दूसरे कॉलेज के जो कॅंप है ,वहाँ रख देता हूँ ,इससे तो हम लोग दूर-डोर तक नही फसेंगे और मैने ऐसा ही किया...मैं चुप-चाप दूसरे कॉलेज के कॅंप के पास गया और पॉलिथीन वहाँ छोड़ कर वापस आ गया.
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सुबह के 10 बजे सभी स्टूडेंट्स बाहर जमा हुए. हम सब नीचे खड़े थे और हमारा वॉर्डन एक बड़े से पत्थर के उपर वाइट किट पहले खड़ा था.

"सब लोग यहाँ से नीचे जाएँगे और पुल की तरफ ना जाकर राइट साइड मे जाएँगे...राइट साइड मे हम लोगो के लिए बहुत सारी आक्टिविटीस है, जैसे कि राप्पेल्लिंग ,फिशिंग....जिसको जो करना है वो...वो करेगा और शाम के 4 बजे तक वापस यहाँ आना है."पत्थर से नीचे कूदकर वॉर्डन ने आगे कहा"और खबरदार जो कोई यहाँ से नीचे जाने के बाद पुल की तरफ या कॉफी हाउस की तरफ गया तो....यदि मैने किसी को ऐसा करते हुए पकड़ लिया तो आज रात का खाना उसी से बनवाउंगा...अंडरस्टॅंड..."
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"ये साला हमारा वॉर्डन ,खुद को समझता क्या है...बीसी हमलोग कोई बच्चे है क्या जो हर वक़्त ये बताता रहता है कि ये मत करो,वो मत करो....अरमान तू देखना यदि मेरा दिमाग़ खराब हुआ ना तो साले को इसी नदी मे डुबो-डुबो कर मार दूँगा..."पहाड़ी से नीचे उतरते वक़्त अरुण ने कहा....

मैने अरुण को कोई जवाब नही दिया,क्यूंकी इस समय मेरा पूरा ध्यान पहाड़ी से नीचे उतरने मे था...मेरे ऐसा करने की वजह ये थी कि सुबह जो मैने दो पेग मारे थे,उसका हल्का-हल्का असर होने लगा था और मुझे ये डर था कि यदि मैने यहाँ बक्चोदि की तो पहले सीधे नीचे और फिर सीधे उपर पहुचूँगा.....

"तू इतना शांत क्यूँ है बे..."नीचे उतरते वक़्त अरुण ने मुझे पीछे से धक्का दिया.

"बक्चोद है क्या...जो धक्का दे रहा है, यदि गिर जाता तो..."

"तू लोंड़िया है क्या ,जो इतनी से मामूली झटके को नही सह पाएगा..."

"देख ,तू अभी शांति से मुझे नीचे उतरने दे...एक तो वैसे भी सर गोल-गोल घूम रहा है और उपर से तू और तेरी बकवास..."
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"तो बताओ ,क्या प्लान है राइट चले या लेफ्ट...." जब हम लोग नीचे आ गये तो सौरभ बोला"मेरा ख़याल है कि लेफ्ट चलते है...राइट मे बाबाजी का घंटा बस मिलेगा लेकिन लेफ्ट मे इस शहर की कुडिया देखेगी..."
"पर वॉर्डन का क्या..."
"वॉर्डन ,चोदु है साला...कुच्छ भी बोलते रहता है..."
"मेरी तबीयत कुच्छ ठीक नही है ,राइट चलते है..."मैने कहा.
"क्या हुआ.."
"कुच्छ नही, "
"तो फिर लेफ्ट चलते है ना..."
"राइट मे जुगाड़ है...लेफ्ट मे कुच्छ नही है"
"तुझे कैसे पता..."
"अब लवडा ,तुम लोग को हर एक चीज़ बताऊ क्या...चलना है तो चलो वरना..."झल्लाते हुए मैं बोला.
"कंट्रोल यार, तू इतना भड़क क्यूँ रहा है...चल लेफ्ट साइड ही चलते है."अरुण ने मुझे बीच मे टोक कर कहा और हम लोग लेफ्ट साइड बढ़े....
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"साला दारू फिर रियेक्शन कर गयी, ज़मीन पर गिरा देता तो अच्छा रहता..."चलते हुए मैं बड़बड़ाया"आधा एक घंटा ,जल्दी से बीत जाए तो मैं होश मे आउ..."
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राइट साइड चलते रहने के बाद हमने देखा कि नदी के किनारे-किनारे बहुत ही बढ़िया जगह वहाँ थी, जहाँ फिशिंग ,राप्पेल्लिंग करने का इंतज़ाम किया गया था.

"ये साले मछलि मार, अब ये हम लोगो से मछलि की हत्या करवाएँगे..."

"चूतियापा बंद कर...मछलि पकड़ने के बाद उसे वापस पानी मे छोड़ भी देना है..."बोलते हुए मैं रुका और किनारे मे रखे एक पत्थर के उपर थोड़ी देर के लिए बैठ गया....

"थोड़ी देर रूको यही...फिर आगे चलते है..."

"तू पक्का किसी का मुँह मे लेकर आया है...कल रात तक तो ठीक था,अब आज तुझे ये अचानक क्या हो गया..."
"कुच्छ नही ,प्यास लग रही है..."

"सॉरी, मुझे इस वक़्त पेशाब नही लगी है...वरना तुझे नमक वाला गरम पानी पिलाता..."

"क्यूँ दिमाग़ चाट रहा है बे..."दाँत चबाते हुए मैने अरुण से कहा.

इसके बाद कुच्छ देर तक वो सब वही खड़े रहे और मैं पत्थर पर बैठकर ना जाने क्या-क्या सोचने लगा....तभी मुझे ख़याल आया कि मेरे साथ इस कॅंप मे एश भी आई है, मुझे कुच्छ प्लान बनाने चाहिए जिससे कि हम दोनो एक-दूसरे के करीब आ सके.

ऐसी सिचुयेशन मे यदि मुझे एश दिख जाती तो कसम से सारा मूड सही हो जाता लेकिन मुझे एश नही बल्कि आंजेलीना दिखी,वो भी सामने से आती हुई....कल रात जिस तरह से उसने मुझे उल्लू बनाया था उसके बाद तो मैं उसके बारे मे सोचकर ही नर्वस होने लगा था और मैं चाहता था कि वो चुप चाप मेरे बगल से निकल जाए. क्यूंकी इस वक़्त मैं अपने फुल फॉर्म मे नही था .लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा.

"ओ..मिस्टर. मॅनेजर...क्या हाल है..."

आंजेलीना का मुझे इस तरह से बोलने पर जहाँ एक तरफ मैं चौका वही दूसरी तरफ मेरे दोस्त मुझसे ज़्यादा चौके, और साले मुझे देखकर ऐसे मुस्कुराने लगे जैसे कि आंजेलीना मेरी माल हो.....

"क्या हुआ, आज कुच्छ नही बोलना क्या..."आंजेलीना ने आगे कहा और उसकी कल वाली दोनो सहेलिया हँसने लगी.
मन तो मेरा नही कर रहा था कि मैं आंजेलीना के पास जाकर उससे बात करूँ, लेकिन एक घमंड की लहर आई और दोस्तो के बीच अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए मैं उठा....

"तुम्हे पहचाना नही...अपना इंट्रोडक्षन दोगि क्या...वो क्या है कि मैं राह चलते सबको याद नही रखता"आंजेलीना की तरफ बढ़ते हुए मैने कहा...

"पहले अपने पॅंट की ज़िप तो बंद कर लो ,मॅनेजर...फिर मेरा इंट्रो लेना..."हँसते हुए वो बोली.

मेरे पॅंट की ज़िप खुली है ,ये सुनकर मेरा एक हाथ तुरंत नीचे गया लेकिन बाद मे पता चला कि आंजेलीना ने इस बार भी मुझे उल्लू बना दिया है क्यूंकी मेरा ज़िप पहले से ही बंद था.

"होश मे रहा करो इंजिनियर बाबू ,वरना जहाँ काम करोगे,वहाँ का कबाड़ा कर दोगे..."एक फिर उसकी हँसी गूँजी और वो अपने दोनो सहेलियो चींकी ,पिंकी के साथ मेरा मज़ाक उड़ाते हुए आगे बढ़ गयी...
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आंजेलीना के ऐसे बर्ताव पर मेरे सभी दोस्तो का मुँह 3 इंच फट गया था.उन्हे यकीन नही हो रहा था कि कोई मुझे चुना लगा गया....

"क्या बे, ये लोंड़िया तो तुझे चोद के चली गयी...साले लौन्डो का नाम बदनाम कर दिया तूने,आज के बाद बात मत करना मुझसे..."

"वो तो मेरी तबीयत खराब थी...वरना तू तो जानता ही है मुझे...टेन्षन मत ले, अगली बार जब मिलेगी तो मैं सूद-समेत उसकी लूँगा..."अपनी खराब तबीयत का एक्सक्यूस देते हुए मैने मन मे सोचा"सिल्वा, तू अबकी बार मिल मुझे...तब मैं तुझे दिखाता हूँ कि अरमान क्या आफ़त है"

"तू कुच्छ भी बोल अरमान लेकिन तूने आज दिल दुखा गया....बोले तो मैं फैल होने के बाद इतना उदास नही होता हूँ,जितना कि आज हुआ हूँ...."

"जा मूठ मार के आ,सब कुच्छ नॉर्मल हो जाएगा..."

अरुण को जैसे ही मैने मूठ मारने के लिए कहा तो उसकी नज़र दूर जाती आंजेलीना के बॅक साइड पर पड़ी और बस उसकी नज़र आंजेलीना पर जम गयी.....

"यार अरमान, लड़की कैसी भी हो लेकिन माल दुधारू है....कुच्छ दिन इसी को सोच कर 61-62 करूँगा... "

"साला,शुरू हो गया..."अरुण की गर्दन दूर जाती आंजेलीना से हटा कर मैं दूसरे साइड किया और बोला"चल मछलि पकड़ते है..."
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जिस जगह फिशिंग करने का इंतज़ाम किया गया था,वहाँ हमारे कॉलेज के भी बहुत से स्टूडेंट्स थे और साथ ही साथ म्बबस कॉलेज के भी बहुत स्टूडेंट्स थे....कुच्छ वहाँ नदी के किनारे रेत पर बैठे हुए थे तो कुच्छ मछलि पकड़ रहे थे....

"सबसे पहले मैं मछलि पाकडूँगा...."राजश्री पांडे ने अपना हाथ खड़ा किया और जहाँ फिशिंग करने का समान रखा था,उधर भागा.....

पांडे जी ने फिशिंग रोड उठाया और हुक मे बैट डालकर रोड को नदी मे डुबो दिया....

"साला कोई मछलि ही नही फँस रही है"कुच्छ देर बाद फिशिंग रूड को उपर करके पांडे जी ने नया बैट हुक मे फसाया और वापस रोड को नदी मे डुबोया...लेकिन पांडे जी की किस्मत इस बार भी झंड निकली और 10 मिनिट तक, गरम रेत मे अपना गान्ड सेकने के बावजूद जब उनकी पकड़ मे एक छोटी सी भी मछलि नही आई तो,वो रोड को एक तरफ फेकते हुए जहाँ हम खड़े थे,उधर आया....

"साले चोदु बनाते है, एक तो इनका मछलि पकड़ने का एक्विपमेंट खराब है और उपर से इस नदी मे एक भी मछलि नही है...बीसी कही के..."

इतने मे ही जहाँ कुच्छ देर पहले राजश्री पांडे बैठ कर फिशिंग कर रहा था, उससे थोड़ी दूर पर बैठे दूसरे कॉलेज के एक लौन्डे ने एक बड़ी मछलि फसाई और उसे अपने दोस्तो को बड़े शान से दिखाने लगा....

"हे,ड्यूड...मैने बहुत बड़ी फिश पकड़ी है...इधर देखो..."दूसरे कॉलेज के उस लड़के ने हवा मे ही मछलि को लटका कर बोला....

"अबे चोदु,पहले हुक को रिमूव कर वरना ,उसका राम राम सत्य हो जाएगा और फिर बाद मे ड्यूड,चूत करते रहना..."बिना कुच्छ सोचे समझे मैने कहा....

दूसरे कॉलेज के उस लड़के को नसीहत देते वक़्त मुझे एक बार सोच लेना चाहिए था कि वो लड़का मेरे कॉलेज का नही है और जैसे मेरे दोस्त वहाँ पास थे,वैसे ही उसके भी कुच्छ दोस्त वहाँ पास थे...यदि मैने दारू नही पी होती तो यक़ीनन मैं उस लड़को को एक शब्द नही बोलता, लेकिन दारू का नशा चढ़ा होने के कारण मेरी ज़ुबान जैसे स्लिप हो गयी थी,..खैर जो बोल दिया सो बोल दिया....
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"तूने मुझसे कुच्छ कहा क्या..."तुरंत फिशिंग रोड को एक किनारे करते हुए उसने मुझसे पुछा....

"नही,मैं तुझे क्यूँ कुच्छ बोलूँगा....मैं तो इसे समझा रहा था..."राजश्री के सर के बाल पकड़ कर मैने धीरे से खींचा और बोला"चोदु, मछलि को पकड़ने के बाद पानी मे वापस छोड़ना होता है...यदि तूने ऐसा नही किया तो तुझे एक निर्दोष और मासूम फिश की हत्या करने के जुर्म मे धारा 302 के तहत फाँसी की सज़ा मिलेगी...."

मैने राजश्री पांडे को भले ही बीच मे ला दिया था ,लेकिन वो लड़का इतना तो समझ ही चुका था कि मैने राजश्री पांडे को नही बल्कि उसे ही गाली बाकी थी और अब बात पलट रहा हूँ.....उसको यूँ मुझसे बात करता देख उसके जो भी दोस्त थे ,वो उधर उसके पास आने लगे....

"इसने मुझे बेमतलब का गाली दिया , जबकि मैने इसे कुच्छ बोला तक नही..."उस लड़के ने अपने दोस्तो से कहा....

"देखो यार, इसे ग़लतफहमी हुई है...मैं तो इसे जानता तक नही फिर भला मैं इसे गाली क्यूँ दूँगा...मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है..."मैने एक दम प्यार से कहा...

"मैं बोल रहा हूँ ना ,इसने मुझे गाली दी,"

"नही दी भाई ,तू फालतू मे ऐसा सोच रहा है..."

अब तक वहाँ का महॉल गरमाने लगा था, उस लड़के के साथ धीरे-धीरे करके उसके कॉलेज के सभी लड़के खड़े हो गये और इधर हम सिर्फ़ 6 थे....मैने सामने नज़र दौड़ाई तो वहाँ मेरे कॉलेज के भी कुच्छ लड़के इधर-उधर घूम रहे थे....जो वहाँ भीड़ देखकर उधर ही आने लगे थे.....

"हो गया ना पंगा...ये साले 30-40 लौन्डे तो होंगे ही और हमलोग सिर्फ़ 6..."कांपति हुई आवाज़ के साथ नवीन ने कहा...

"चिंता मत कर और सामने देख 15-20 अपने कॉलेज के लड़के इधर ही आ रहे है..."धीरे से बोलते हुए मैने एक बार फिर दूसरे कॉलेज वालो को समझाया कि बात को क्यूँ बढ़ा रहे हो....
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मेरे साथ यदि ऐसा हुआ होता तो मुझे नही पता कि मैं क्या करता..मतलब की यदि किसी अंजान लड़के ने मुझे गाली दी होती तो मुझे नही पता कि मैं बात को जाने देता या फिर मुझे गाली देने वाले को पकड़ कर मारता....खैर यहाँ वो गाली खाने वाला विक्टिम मैं नही था,इसलिए इस वक़्त इस बारे मे सोचने का कोई फ़ायदा नही था.

अब तक मेरे कॉलेज के सभी लड़के वहाँ पहुच चुके थे और जो बाकी फट्टू किसम के थे,वो दोनो ग्रूप से थोड़ी दूर खड़े तमाशा देख रहे थे....

"चल सॉरी बोल ,बीसी"हमारी तरफ आते हुए उनके ग्रूप मे से एक लड़का बोला...

"सॉरी तो मैने आज तक उसे नही बोला,जिससे मैं प्यार करता हूँ...फिर तुम चूतियो की क्या औकात जो मुझसे 'सॉरी' वर्ड का 'स' भी बुलवा लो...."बीसी की गाली सुनकर मेरा भेजा खिसक गया और दारू का पूरा नशा एक पल मे उतर गया,मैने आगे कहा"हां,मैने उसे चोदु बोला...क्यूंकी वो रियल मे चोदु है...असल मे तुम सब चोदु हो ,जो इंजिनियरिंग के लौन्डो से भिड़ने आ रहे हो...तैयार हो जाओ बे."

"मारो सालो को..."उनके ग्रूप मे से कोई चिल्लाया और उन सबने अपना-अपना बेल्ट उतार लिया....
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वेल, ये कंडीशन मेरे अंडर थी..क्यूंकी कयि साल पहले ही मैने ये सोच कर रखा था कि....यदि कभी ग्रूप मे लड़ाई हुई और लड़ाई को टालना हो तो क्या करना चाहिए....जितने लौन्डे उनके पास थे,उतने ही लगभग हमारे पास थे और सभी नॉर्मल थे.लेकिन उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी ये थी कि उनके पास मुझ जैसा कोई नही था...जो अपनी अकल का ज़रा सा भी इस्तेमाल करे.....

"अरुण, निकाल चाकू और जो भी सामने दिखे बीसी को फाड़ देना....सौरभ तू कट्टा निकाल और इनकी *** चोद देना..."मैं अपना पूरा दम लगाकर चीखा और जैसे ही मेरी चीख उन सबके कानो मे पड़ी तो हमारी तरफ उनके बढ़ते हुए कदम रुक गये और मैं समझ गया कि मेरे प्लान का फर्स्ट स्टेप काम कर चुका है....
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"अरे बोसे ड्के के ,देख क्या रहा है...चला गोली बीसीओ पर...आज हर एक की गान्ड मे 200 सेंटिमेटेर का सरिया डालना..."अपने प्लान का दूसरा स्टेप अप्लाइ करते हुए मैं पहली बार से भी ज़्यादा चीखा...जिसका नतीज़ा ये हुआ कि उन सबकी आँखो मे चाकू ,कट्टे का ख़ौफ्फ भर गया और वो सब उल्टे कदम भागने लगे ,इसी के साथ मेरे प्लान का थर्ड आंड लास्ट स्टेप उन लोगो ने खुद अप्लाइ कर दिया..... बोले तो प्लान सूपर डूपर हिट
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"भाग गये लवडे...सालो ने पूरी दारू उतार दी..."उन सबको भागते हुए देख मैने अपने कॉलेज के सभी लड़को को 'थॅंक्स' कहा और सबको उधर से जाने के लिए कहा......

अभी कुच्छ देर पहले जो धमाका हुआ था, उसके कयि आइविटनेस्स थे...जैसे कि मेरे कॉलेज के लड़के और लड़किया...दूसरे कॉलेज के लड़के और लड़किया.मेरे कॉलेज की लड़कियो को तो मेरे कारनामो के बारे मे पता था लेकिन दूसरे कॉलेज की लड़कियो के लिए मैं बिल्कुल नया था,इसलिए वो सब इस समय मुझे अपनी आँखे फाड़-फाड़ कर देख रही थी....

"क्या...ऐसे क्या देख रही है, चल निकल यहाँ से..."एक लड़की को चमकाते हुए मैने कहा, जो मुझे आँख दिखा रही थी....

"और तू क्या आँख दिखा रहा है बे, बीसी यही ज़िंदा दफ़ना दूँगा, भाग म्सी.."दूसरे कॉलेज के एक लड़के को अरुण ने चमकाया...जो उस लड़की की तरह हमे घूर रहा था.
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08-18-2019, 02:08 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
जब मैं और अरुण इतनी भारी-भारी छोड़ रहे थे तो भला हमारे पांडे जी इन सबमे कैसे पीछे रहते.हमारे पांडे जी एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी पॅंट वही उतार दी और दूसरे कॉलेज के कुच्छ लड़के(जो लड़ाई मे शामिल नही थे) जो अभी तक वहाँ खड़े थे, उन्हे संबोधित करते हुए बोले"चुसेगा क्या...काट ले इधर से,वरना लंड सीधे मुँह मे पेल दूँगा...."
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"चलो बे सब पापा बोलो मुझे..."पुल की तरफ चलते हुए मैने कहा.

वहाँ जब लड़ाई हुई तो हम लोग फिशिंग वाली जगह से आगे नही बढ़े और पुल की तरफ आ गये. पहले जहाँ हमारा प्लान राप्पेल्लिंग करने का था वही अब प्लान बदलकर कॉफी हाउस मे जाकर शहर की टकटक आइटम देखने का बन गया था...मुझे पहले से ही किसी लफडे का अंदेशा था इसलिए मैं लगभग 15 लड़को को लेकर कॉफी हाउस की तरफ बढ़ रहा था, इस शर्त पर की उन सबका बिल मैं दूँगा. पर असल मे ऐसा कुच्छ नही होने वाला था ,मतलब कि मैं किसी का बिल नही देने वाला था , मैं तो बस उन सबको चोदु बनाकर अपने साथ ला रहा था.....

"मज़ा आ गया अरमान भाई,उन एमबीबीएस वाले लौन्डो की गान्ड फाड़ दी हमने..."

"वो सब तो ठीक है लेकिन तू यार,हर जगह नन्गराइ मत किया कर...जहाँ देखो पॅंट खोलके खड़ा हो जाता है..."

"ठीक है,आप बोलते हो तो आगे से ऐसा नही करूँगा....लेकिन अभी क्या करे..."पुल मे चढ़ते हुए पांडे जी ने कहा"आज भी इन प्रेमी जोड़ो को परेशान करे या रहने दे..."

"आज रहने दे बे..."मैने कहा...

मैने ऐसा इसलिए नही कहा क्यूंकी मेरा ऐसा करने का मन नही था बल्कि इसलिए क्यूंकी मैने अभी-अभी आंजेलीना को उसकी दो सहेलियो चिन्कि और पिंकी के साथ कॉफी हाउस की तरफ जाते हुए देखा था.

"अरुण, चल अब उस आंजेलीना की भी लेते है, साली बहुत उचक रही है दो दिन से..."
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पी.एस.मेडिकल फील्ड वाले अपडेट को दिल पे मत लेना

मैने हमेशा से एक सपना देखा था कि जब मैं कॉलेज मे पहुचूँगा तो मैं भी एक लड़की पटाउंगा , दिन-रात मोबाइल मे डे-नाइट पॅक डाला-डाला कर उससे बाते करूँगा. ना खाने की फिक्र रहेगी और ना ही सोने की खबर.

वहाँ दम के उपर बने पुल पर कपल्स को देखकर मुझे याद आया कि मैने भी बचपन से एक ऐसा सपना देखा था कि जिसमे मेरे साथ एक खूबसूरत लड़की होगी और मैं इसी तरह उसके साथ किसी ऐसी ही जगह पर बात कर रहा होऊँगा. लेकिन कॉलेज के तीसरे साल मे भी मेरा ये सपना अब तक अधूरा ही था,इसकी वजह चाहे जो हो ,लेकिन मेरे वो अरमान आज भी मेरे दिल मे क़ैद थे,वो अरमान आज भी मेरे दिल मे ज़िंदा थे.

ऐसा नही है कि मैं आज तक किसी लड़की के दिल मे जगह नही बना पाया ,इसलिए मेरा ये सपना अब तक अधूरा था बल्कि इसलिए क्यूंकी मैं उसके दिल मे जगह नही बना पाया ,जिसे मैं चाहता था. जिसे मैं चाहता था कि वो मेरे साथ ऐसे ही किसी पुल पर बैठकर मुझसे बात करे और जब हम दोनो बाते करके थक जाए तो मैं उसकी गोद मे सर रख कर लेटा रहूं और उसका सर नीचे अपनी तरफ झुका कर एक प्यारी सी किस.....
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मैं कल भी इस जगह आया था और आज भी यहाँ था.लेकिन कल मुझे ऐसा कुच्छ भी फील इसलिए नही हुआ क्यूंकी कल मेरे सामने एश नही थी ,जबकि अभी वो मेरे आँख के ठीक सामने थी....बोले तो थोड़ी दूरी मे.

एश को सामने से आता देख पहले मेरे पैर रुके और फिर मेरे रुक जाने के कारण मेरे दोस्त भी रुक गये....सामने से एश ,दिव्या और उनका पूरा ग्रूप आ रहा था.

"तू जानता है अरुण ,मैं हमेशा से यही चाहता था कि...."एश पर अपनी नज़रें टिका कर मैं अरुण से बोला

"रहने दे....रहने दे,मुझे मालूम है अब तू अपनी और उस बिल्ली की 'थे अमेज़िंग लव स्टोरी' के कुच्छ सीन बयान करके मुझे बोर करेगा..."

"देख बे,क्या मस्त नज़ारा है...नीचे पानी, उपर आसमान और सामने एश....बस कमी है तो इसकी की अभी दिन नही रात होनी चाहिए थी."

"मैं दिव्या से बात करूँ..."अरुण ने मुझे रोक कर पुछा...

"नही...ये लड़की ठीक नही है"

"तो फिर मैं बात करता हूँ इससे ,फिर आज रात को ही इसे छोड़ दूँगा...."

"एक बार ना बोलने मे समझ नही आता क्या...."मैने थोड़ी उँची आवाज़ मे कहा...

"मैं इससे क्यूँ ना बात करूँ..."अरुण भी चीखा...

"क्यूंकी यही लड़की उन सबकी वजह थी ,जो कुच्छ महीने पहले हुआ....यदि ये लड़की ना होती तो मैं तीन महीने कोमा मे नही रहता...."

"भूल जा बीती बातो को..."

"सॉरी मैं नही भूल सकता,क्यूंकी जो ग़लती तुम दोनो ने की थी उसका खामियाज़ा तुम दोनो को छोड़ कर बाकी सबको भुगतना पड़ा....तुम दोनो तो बच गये लेकिन बाकी सब नही बचे..."

"ये क्या बोल रहा है..."

"मैं सच बोल रहा हूँ और एक सच तुझे और बताऊ , तू यकीन नही करेगा..."अरुण की तरफ अपना फेस करके मैं बोला"दिव्या जितनी बेवकूफ़ दिखती है उतना ही वो लोमड़ी के माफिक चालक भी है. उसने तेरा प्रपोज़ल ,जो मैने मेस्सेज के ज़रिए भेजा था ,वो उसने गौतम के कहने पर आक्सेप्ट किया....तेरा दिव्या के करीब जाना, दिव्या और गौतम की फुल प्लॅनिंग थी...."

बोलते हुए मैं रुका और अरुण की शकल पर ध्यान दिया तो पाया कि उसके शकल पर तो 12 बजे है....मैने जो कुच्छ भी अरुण को बताया उसपर यकीन करना मुश्किल तो था,लेकिन ये सच था और ये सच मैने इसी मौके के लिए बचा रखा था.....
.
"क्यूँ शॉक लगा ना मेरे लाल ! "

"तू पक्का सच बोल रहा है ना या मुझे चोदु बना रहा है...यदि तेरी कही गयी बाते सच है तो फिर उस हरामजादी को मैं अभी पुल से नीचे फेक दूँगा...." गुस्से से काँपते हुए अरुण बोला...

"अभी कंट्रोल कर...बाद मे तुझे सब समझाता हूँ और अब समझ आया कि मैं क्यूँ बोल रहा था इस लौंडिया से दूर रहने को..."
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याद है मैने एक बार कहा था कि एक लड़की की खूबसूरती उसे तभी तक बचा सकती है,जब तक वो लड़की सामने वाले को पसंद हो क्यूंकी जिस दिन भी उस लड़की के लिए उस सामने वाले शक्स के अंदर नफ़रत पैदा हुई तो फिर सारी खूबसूरती गयी तेल लेने.....और इसी थियरी को अरुण इस वक़्त प्रूव कर रहा था...जब पुल मे दिव्या और अरुण आमने-सामने हुए तो अरुण ने उसकी तरफ देखा तक नही ,जबकि पहले वो अक्सर दिव्या के सीने और पिछवाड़े को तकता रहता था.अरुण ने दिव्या को ऐसे इग्नोर मारा जैसे सामने वाला इंसान कोई इंसान नही बल्कि एक बदबूदार जानवर हो और इसी के साथ अपुन ने एक ही तीर से दो निशाने लगाए....मेरा पहला निशाना था अरुण को दिव्या के बारे मे सच बताना ,जिसके लिए मैं ना जाने कब से मौका देख रहा था और मेरा दूसरा निशाना था अरुण के अंदर दिव्या के लिए बे-इंतेहा नफ़रत पैदा करना...जो की मेरे इस सच ने पैदा कर दी थी.

"कितना स्मार्ट हूँ मैं "पुल पर आगे बढ़ते हुए मैने खुद से कहा....

"खा दारू कसम की तू सच बोल रहा है और यदि तूने झूठी कसम खाई तो आज के बाद तुझे दारू की एक बूँद भी नसीब नही होगी "

"तू तो जानता ही है कि मैं कभी झूठ नही बोलता .लेकिन यदि फिर भी तुझे यकीन ना हो रहा हो तो दारू की कसम ,मैने कुच्छ देर पहले जो कहा ,वो सब 99.99 % सच था...."

"बाकी का 0.01% कहा है..."

"वो यदि मेरी संभावनाए ग़लता हुई तब के लिए....खैर तू फ़िकरा मत कर"

"कसम से यार,मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा की दिव्या ऐसा करेगी...."

पुल पर आगे बढ़ते हुए मैं और अरुण बाकियो से थोड़ा आगे चल रहे थे,जिससे हम दोनो के बीच जो बात-चीत हो रही थी ,वो हम दोनो तक ही सीमित थी.हमने पुल पार किया और पुल के दूसरी तरफ बने कॉफी हाउस की तरफ बढ़ने लगे.....
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"तुझे कैसे पता चला कि वो सब दिव्या और गौतम की मिली भगत थी ,क्यूंकी दिव्या की हरकतों से ऐसा लगता नही कि वो इतना भयंकर कांड सोच सकती है...."

"दिव्या तो सिर्फ़ एक ज़रिया थी, थर्ड सेमेस्टर के खूनी कांड की....असली गेम तो गौतम खेल रहा था,जो मैं तुझे कभी और बताउन्गा....."कॉफी हाउस के अंदर आंजेलीना को एक टेबल पर बैठा हुआ देख मैने अरुण से कहा"और एक बात बताऊ..."

"क्या..."

"यही की गौतम मेरे जितना होशियार नही है ,ये अलग बात है कि वो खुद को आइनस्टाइन या न्यूटन की औलाद समझता है....अब तू सबको लेकर उस किनारे वाली टेबल पर बैठना...."

"क्यूँ तू कहाँ जा रहा है...याद है ना सबका बिल तुझे ही भरना है..."

"वो देख सामने ,एमबीबीएस वाली छम्मक छल्लो बैठी है...ज़रा उससे मिलकर आता हूँ..."मैने उस टेबल की तरफ आँखो से इशारा करते हुए कहा,जिस पर आंजेलीना अपने दोनो सहेलिया चीखी और पिंकी के साथ बैठी हुई थी....

"ठीक है मैं सबको लेकर दूसरी तरफ जाता हूँ और आंजेलीना से कहना कि वो यदि चाहे तो मेरी गर्ल फ्रेंड बन सकती है,मुझे कोई ऐतराज़ नही "
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अरुण और बाकी सबको कॉफी हाउस के दूसरे तरफ भेजकर मैने खुद का हुलिया सही किया और आंजेलीना की तरफ बढ़ा...जिस टेबल पर वो तीनो बैठी थी उसपर दो चेयर अब भी खाली थी और मेरे ख़याल से वो खाली ही रहने वाली थी क्यूंकी आंजेलीना को कल शाम से मैने सिर्फ़ दो लोगो के साथ देखा था जो उस समय वहाँ मौजूद थे...इसलिए मैं उनसे बिना पुछे कि'क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ', मैने एक चेर खींची और उसपर बैठ गया...आंजेलीना के ठीक सामने बैठने के बाद मैने एक वेटर को इशारा किया....
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08-18-2019, 02:09 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"एक कॉफी लाना..."

"किस तरह की कॉफी लेना आप पसंद करेंगे ,सर..."बड़े ही सहूलियत से उस वेटर ने मुझसे पुछा..

"पहली बात तो ये कि अपना ये घीसा-पिटा डाइलॉग बंद करो,बोले तो मुझे सर और इन तीनो ग़रीब लड़कियो को मेडम कहने की कोई ज़रूरत नही..."

"सच...."रिलॅक्स होते हुए वो वेटर तुरंत खड़ा हुआ और बोला"साला बहुत दिन से अपने जैसा कोई नही मिला था....पक्का तू इंजिनियरिंग स्टूडेंट होगा और ये बीच वाली तेरी आइटम होगी"

"नही यार,ऐसा कुच्छ भी नही है..."उन तीनो के चेहरे से जब मैने रंग उड़ते हुए देखा तो उस वेटर से ज़रा कड़क कर कहा"जा एक कप कॉफी ले आ..."

"कौन सी वाली लाउ..."

"कोई सी भी ले आ, कौन सा मुझे मालूम चलने वाला है कि मैं कौन सी कॉफी पी रहा हूँ, अपने को तो सब कुच्छ एक बराबर ही लगता है..."

"एक नही...चार लाना..."वेटर के पीछे मुड़ने से पहले ही आंजेलीना ने अपना ऑर्डर दे मारा"और बिल मेरे इस बाय्फ्रेंड के खाते मे एड कर लेना..."

"अपने को मालूम है, कॉलेज के दिनो मे मुझे भी इसी तरह लड़कियो ने लूटा है..."
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"तुमने ऐसा क्यूँ कहा कि मैं तुम्हारा बॉय फ्रेंड हूँ..."एक प्रोफेशनल स्माइल मारते हुए मैने दिव्या से पुछा और कॉफी हाउस का मेनू कार्ड देखने लगा....

"तेरी तो...एक कप कॉफी 60 की ,मतलब कि 4 कप कॉफी के 240 ,बीसी ये कॉफी है या लड़कियो का दूध,जो इतना महँगा मिल रहा है..."मेनू कार्ड को देखते ही मेरी आँख फटी की फटी रह गयी और जो ख़याल मेरे मन मे सबसे पहले आया वो ये कि मेरे जेब मे कितने पैसे है....

"1000 , पर मैं अपने हज़ार रुपये इन पर खर्च नही कर सकता..."मेनू कार्ड को देखते हुए मैने कुच्छ सोचा और फिर मुस्कुरा कर आंजेलीना से बोला...

"तो तुम एमबीबीएस की स्टूडेंट हो, पर इसका मतलब ये नही कि तुम किसी भी खूबसूरत और काबिल नौजवान को ऐसे पब्लिक प्लेस पर अपना बाय्फ्रेंड बना लो ,वो भी सिर्फ़ इसलिए ताकि वो तुम्हारे कॉफी का बिल पे कर सके..."

"मैने तुम्हे अपना बॉय फ्रेंड इसलिए नही कहा ताकि तुम मेरा बिल भरो बल्कि इसलिए क्यूंकी तुम यही चाहते थे...."

"कल शाम के वक़्त तुम कॅंप से भाग कर कहाँ गयी थी..."कॉफी का कप ख़त्म करने के बाद मैने पुछा...

"पास मे एक नाइट क्लब है,वही...."

"एक क्लब और यहाँ...इस जंगल मे..."

"बाहर निकल कर देखो इंजिनियर,बहुत कुच्छ है..."

"चलो मैं मान भी लेता हूँ कि यहाँ एक नाइट क्लब है पर गाड़ी यहाँ अटकती है कि ये कैसा क्लब है जो शाम के 5-6 बजे ही खुल जाता है..."

"वो तो तुम्हे क्लब के मालिक से पुच्छना चाहिए...मुझे कैसे पता होगा..."

"ये भी सही है...."
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मैं कुच्छ देर तक शांत ही रहा और इस दौरान आंजेलीना और उसकी सहेलियो ने बहुत कुच्छ ऑर्डर किया...

"लगता है हज़ार रुपये भी कम पड़ेंगे बिल देने मे, लगता है इन भुक्कडो ने जनमो जनम से कुच्छ नही ठूँसा..."

"तो शुरू करो अपना प्रोग्राम..."सब कुच्छ खाने पीने के बाद आंजेलीना बोली"अब ये मत बोलना कि कैसा प्रोग्राम ,क्यूंकी मुझे मालूम है कि तुम यहाँ मुझे नीचा दिखाने के लिए आए हो..."

"ये तुमसे किसने कहा.. "आंजेलीना की बात सुनकर मैं चौका ,क्यूंकी अभी तक तो मैने उसके सामने ऐसा कुच्छ भी नही किया था,जिसकी वजह से उसे मुझपर शक़ हो....

"एक लड़का, जिससे कल रात मेरी मुलाक़ात हुई और आज वो बिना जान-पहचान के 1500 का बिल भर रहा है ,इसका क्या मतलब हुआ..."

आंजेलीना के इस सवाल पर मैं कुच्छ देर तक सोचता रहा कि उसे क्या जवाब दूं ,जिससे मामला ना बिगड़े और जब मुझे सब समझ मे आया कि मुझे क्या कहना चाहिए तो मैं बोला....
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"मैं बहुत ही रहीस घराने से हूँ इसलिए ये हज़ार,दो हज़ार मेरे लिए कोई मायने नही लगते..."अपने दोस्तो की तरफ इशारा करते हुए मैने कहा"उन लोगो को देख रही हो,जो जानवरो की तरह खा -पी रहे है...उनमे से मैं कुच्छ के नाम नही जानता,लेकिन फिर भी उनका बिल मैं ही पे करूँगा...."
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"तू तो बड़ा सॉलिड अमीर लगता है यार...हाई मैं चींकी"आंजेलीना के लेफ्ट साइड वाली लड़की ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया...

"और मैं पिंकी..."आंजेलीना के राइट साइड मे बैठी हुई लड़की ने भी अपना हाथ मेरी तरफ किया...

"और मैं अरमान..."दोनो का हाथ ,अपने दोनो हाथो से थाम कर मैं बोला.
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"मैं अभी आती हूँ..."आंजेलीना अपनी जगह से उठी और चींकी ,पिंकी के साथ वॉशरूम की तरफ बढ़ गयी....

"ओये...बिल ला,जल्दी से..."बोलते हुए मैने उसी वेटर को बिल लाने के लिए कहा, जिससे मैने यहाँ आते ही बात की थी.
मेरे कहने पर उस वेटर ने दोनो टेबल का बिल ,मेरे हाथ मे सौंप दिया .

"5640 ...बीसी,तुम लोगो का बाप भरेगा ये बिल...सालो बाहर मिलो, एक-एक को चोदता हूँ." बिल को टेबल पर रखते हुए मैने उस वेटर से कहा"वो तीनो लड़की ,जो वॉशरूम की तरफ गयी है...उनसे बिल के पैसे ले लेना और कहना कि मैं उनका बाहर अपनी कार मे इंतज़ार कर रहा हूँ..."

"क्या सच मे वो तीनो बिल देंगी..."

"और नही तो क्या और मैं उन लड़को मे से हूँ जो लड़कियो के पीछे तेरी तरह चोदु बनकर अपनी जेब खाली नही करते,थोड़ा दिमाग़ का यूज करते है...चल बाइ."
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08-18-2019, 02:12 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
हम सब कॉफी हाउस के बाहर निकले और वहाँ से बाहर निकलते ही मैं अपना पूरा दम लगाकर दौड़ते हुए बोला"भागो बीसी,वरना बिल ना भरने के कारण गान्ड मे डंडे पड़ेंगे..."

"अब तो सुलभ और राजश्री पांडे भी गये और यहाँ अब सिर्फ़ हम तीनो ही बचे है...."अरुण ने मुझे दिव्या के बारे मे सब कुच्छ बताने के लिए कहा....

कॉफी हाउस से हम सब लौट कर सीधे अपने कॅंप आ गये थे और फिर बाकी का समय कॅंप के अंदर ही बिताया था.इस वक़्त हमारे कॅंप मे सिर्फ़ तीन ही लोग मौजूद थे..मैं,अरुण और सौरभ....क्यूंकी कुच्छ देर पहले ही वॉर्डन ने सबको टेलिस्कोप से आकाश दर्शन करने के लिए बाहर बुलाया था जिसके चलते नवीन, सुलभ और राजश्री पांडे कॅंप मे नही थे...आकाश-दर्शन के लिए जाते वक़्त सुलभ ने हम तीनो से भी बाहर चलने के लिए कहा ,लेकिन हम तीनो ने मना कर दिया ताकि हम तीनो बात कर सके.....

"जल्दी बक बे, अभी 9 बज रहे है और एक घंटे बाद आकाश दर्शन बंद हो जाएगा.,फिर हिलाते रहना पकड़ के.."हमारे बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए सौरभ बोला"तुझे दिव्या पर शक़ कैसे हुआ..."

"शक़ तो उसपर मुझे तभी हुआ था,जब पहली बार वो मुझसे बॅस्केटबॉल ग्राउंड के बाहर मिली थी.वो मिलने मुझसे आई थी,लेकिन जब मैने उसे कोई भाव नही दिया तो उसने अरुण पर डोरे डाले...."

"और वो ऐसा क्यूँ करेगी.."अरुण ने मुझे बीच मे रोका...

"क्यूंकी उसे गौतम ने ये सब करने के लिए कहा होगा...."

"और गौतम अपनी बहन को ये करने के लिए क्यूँ कहेगा ,क्यूंकी जनरली हम लोग ये देखते है कि एक भाई,अपनी बहन को सती-सावित्री देखना चाहता है...फिर गौतम जान बूझकर ऐसा क्यूँ करेगा ,जिससे उसकी बदनामी हो..."

"तुम लोगो ने क्या कभी गौतम को ध्यान से अब्ज़र्व किया है,जब वो मेरे आस-पास से गुज़रता है."

"उस साले मे ऐसा है ही क्या जो हम लोग उसे ध्यान से देखे..."बुरा सा मुँह बनाते हुए अरुण बोला"सब तेरी तरह गे नही है..."

"अरुण ,मैं यहाँ मज़ाक कर रहा हूँ क्या"

"सॉरी,आगे बोल...."

"तो इसकी शुरुआत गौतम से हुई थी...मैने गौतम को देखकर एक चीज़ नोटीस की है वो ये कि मुझे देखते ही उसके दिमाग़ मे कुच्छ ना कुच्छ चलने लगता है और यदि मैं सही हूँ तो वो हर वक़्त सिर्फ़ मुझे नीचा दिखाने की सोचता रहता है...मतलब कि मेरे लिए उसके अंदर एक सुलगता हुआ ज्वालामुखी है और जब बॅस्केटबॉल के मॅच मे मैने उसे टक्कर दी तो उसका सुलगता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ा और तभी उसने अपना पहला दाँव खेला..."

"और वो दाँव एश थी..."सवालिया निगाह मुझपर डालते हुए अरुण ने पुछा...

"बक्चोद ही रहेगा ज़िंदगी भर....कितनी देर से मैं गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहा हूँ कि वो लड़की दिव्या थी और तू साले एश का नाम ले रहा है.2 मीटर दूर खिसक मुझसे "अरुण को बत्ती देते हुए मैं आगे बोला"जब दिव्या ने देखा कि उसका मुझपर कोई असर नही हो रहा है तो उसने तुझ जैसे चोदु पर अपना जाल बिच्छाया ,जिसमे तू तुरंत फँस गया...शुरू-शुरू मे तो मुझे दिव्या एक दम नीट आंड क्लीन लगी...लेकिन फिर जब उसने तेरा प्रपोज़ल जो मैने तेरी मोबाइल से मेस्सेज के रूप मे उसके मोबाइल मे भेजा था,उसे उसने तुरंत आक्सेप्ट कर लिया तो मेरा माथा ठनका...."

"सॉरी यार,पर माथा तो अब मेरा ठनक रहा है बोले तो ,दिव्या ने मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर लिया था...उसमे क्या ग़लत था और वैसे भी तूने ही तो उसे वो मेस्सेज किया था...."

"बेटा जिस तरह का वो बर्ताव करती है ,उसके हिसाब से तुझे लगता है कि वो इतनी बड़ी बात किसी को नही बताएगी...चल मान भी लेते है कि दिव्या ने बात दबा ली ,लेकिन गौतम जो कि हमेशा कॉलेज मे उसके आस-पास ही रहता है ,उसे एक पल के लिए भी दिव्या पर शक़ क्यूँ नही हुआ ?कॉलेज मे सारा दिन दिव्या या तो क्लास मे बिताती है या अपने भाई के साथ घूमती रहती है...लेकिन जब तेरी और उसकी सेट्टिंग हुई तो उसके पास अचानक इतना टाइम कहाँ से आ गया जो वो तेरे साथ छुप-छुप के मिलने लगी थी...."

"ये भी तो हो सकता है कि वो गौतम से कोई बहाना मार के मुझसे मिलने आ रही थी..."अरुण ने फिर मेरी थियरी पर सवाल खड़ा किया....
.
"चल मान लेते है कि दिव्या ,गौतम से कोई बहाना मार कर तुझसे मिलने आती थी लेकिन हर दिन बहाना मारकर तुझसे मिलने आना...ये थोड़ा डाउटफुल हो जाता है और वैसे भी गौतम इतना चोदु नही था...जो दिव्या के बहानो को हर दिन मान जाए....यदि दिव्या ,गौतम के प्लान मे शामिल नही थी तो तुम दोनो को बहुत पहले ही पकड़ा जाना चाहिए था...जबकि ऐसा नही हुआ इसका सॉफ मतलब है कि दिव्या ,गौतम के साथ मिली हुई थी और वो उसी की मर्ज़ी पर तुझसे मिलने आती थी...."

"अच्छा बेटा,तो फिर ये बता कि ,जब तुझे ये सब पहले से ही मालूम था तो तूने मुझे पहले ही दिव्या के बारे मे क्यूँ नही बताया था..."

"क्यूंकी मैं वो वजह ढूँढ रहा था ,जिसके कारण गौतम ये सारा खेल रच रहा था और ये वजह मुझे तब मालूम चला जिस दिन तू और दिव्या चुम्मा-चाटी करते हुए पकड़े गये थे....तब मुझे समझ आया कि आख़िर गौतम चाहता क्या है...."बोलते हुए मैं चुप हो गया...

"आगे बोल चंदू,रुक क्यूँ गया..."अबकी बार सौरभ बोला"वो वजह क्या थी ,जिसकी वजह से गौतम ने इतना बड़ा चूतियापा किया था..."

"असल मे गौतम को एक रीज़न चाहिए था,जिसकी वजह से वो हम पर अटॅक कर सके और गौतम को ये मालूम था कि हमे मारने के बाद उसका बाप उसे इन झमेलो से बचा लेगा...."

"लेकिन उस दिन ठीक इसके उल्टा हुआ, वो ना तो अरुण को मार पाया और ना ही तुझे...बल्कि वो खुद मार खा गया,हॉस्टिल मे...एक दम सही बोला ना अपुन..."

"एक दम सही बोला चंदू.गौतम को ये लगा था कि उसके बाप के डर से कोई उसकी गॅंग पर हाथ नही डालेगा और वो हम दोनो को मारकर बड़ी आसानी से निकल जाएगा...लेकिन यही पर उसकी सोच उसे धोखा दे गयी और वो कुत्तो की तरह मार खा गया..."अपनी जगह पर खड़े होते हुए मैने एक सिगरेट सुलगई और आगे बोलना शुरू किया"साले सब खुद को अरमान समझते है...सब सोचते है कि जैसे मेरी थिंकिंग,थॉट्स एक दम फिट बैठते है उसी तरह उनकी भी सोच एक दम करेक्ट फिट होगी...पर ऐसा नही होता क्यूंकी अपनी तो बात ही अलग है.अब उन एमबीबीएस वाली छोरियो को ही ले लो,उन लोगो ने वहाँ कॉफी हाउस मे ये सोचा कि बिल मैं पे करूँगा,लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही हुआ...फॅट के हाथ मे आ गयी होगी उनकी जब उन्होने देखा कि मैं वहाँ से भाग चुका हूँ.सालियो ने मुझे गाजर-मूली समझ लिया था जो जब चाहे चूत मे डाल ले और जब चाहे बाहर निकाल ले..."
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"यदि ऐसा है मेरे भाई तो फिर अपने 1400 ग्राम के दिमाग़ का यूज़ करके ये भी बता दे कि क्या दिव्या अब भी कोई जाल बिच्छा रही है या सुधर चुकी है..."

"मैं अभी उसी मिशन पर हूँ,लेकिन दिव्या की अभी तक की हरकतों को देखकर तो यही लगता है कि शी ईज़ स्टिल ऑन हर मिशन....लेकिन उस बीसी को ये मालूम नही कि जितना चालाक वो खुद को समझती है ,उतना वो है नही..उसकी हालत तो मैं दीपिका रंडी से भी बुरी करूँगा..."

"तुझे कैसे मालूम चला कि वो अब भी हमारे लिए जाल बुन रही है...मतलब कि उसने अभी तक तो मुझे अट्रॅक्ट करने की कोशिश नही की..."

"तू साले चंदू ही रहेगा हमेशा...ज़रा सोच कि सुलभ से सीधी मुँह बात ना करने वाली लड़की अचानक उससे बस मे हंस-हंस कर बाते करने लगती है ,जिसके बाद सुलभ मुझे वहाँ बुलाता है और एश मुझे कहती है कि मैं गौतम के साथ एक मॅच खेलु..."

" तो फिर तेरी इस थियरी का मतलब ये है कि अबकी बार एश और मेघा भी उसके साथ शामिल है..."

"ऐसा नही है चंदू...मैने ऐसा कब कहा कि एश और मेघा ,दिव्या के साथ शामिल है... मेरी थियरी के अनुसार ,दिव्या ने मेघा को फोर्स किया होगा कि वो सुलभ से किसी टॉपिक पर बात करे और जब मैं सुलभ के बुलाने पर वहाँ गया तो मैने देखा कि एश के पहले ,दिव्या ने धीमी आवाज़ मे एश से कहा होगा की यदि मुझमे इतना ही दम है तो मैं उसके भाई के साथ बॅस्केटबॉल का कोई मॅच क्यूँ नही खेलता....जिसके बाद एश ने दिव्या की उन्ही लाइन को रिपीट किया..."

"ये भी तो हो सकता है कि एश ,सच मे दिव्या के साथ शामिल हो...क्यूंकी जो लड़का बदला लेने के लिए अपनी बहन का इस्तेमाल कर सकता है...वो अपनी गर्ल फ्रेंड का इस्तेमाल नही करेगा,इसकी क्या गॅरेंटी है...."
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08-18-2019, 02:12 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"ये भी हो सकता है और ये भी हो सकता है कि मैं शुरू से ही ग़लत रहूं...बोले तो दिव्या अंदर से भी वही बेवकूफ़ लड़की हो,जो वो बाहर से दिखती है....होने को क्या नही हो सकता,कुच्छ भी हो सकता है, होने को तो ये भी हो सकता है कि आज रात जब तू गान्ड उठाकर सोया होगा तो तेरी कोई गान्ड मार कर चला जाएगा"

"चूस ले फिर, जब तुझे खुद पर ही कॉन्फिडेन्स नही है तो फिर हमारा इतना समय क्यूँ बर्बाद किया...लवडे"

"टेन्षन मत ले,..मुझे इस एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट,रिक्वाइयर्ड अप्रटस, थियरी और प्रोसीजर मालूम है...बस दिव्या पर एक्सपेरिमेंट करना बाकी है ,जो कि मैं बहुत जल्द करूँगा और रिज़ल्ट तुम दोनो को बता दूँगा...लेकिन फिलहाल तो मैं उस एमबीबीएस वाली के बारे मे सोच रहा हूँ कि उसके दिल पर उस वक़्त क्या बीती होगी ,जब वेटर ने उसे बिल थमाया होगा..."

"पक्का तुझे,माँ-बहन की गालियाँ बाकी होगी "सौरभ बोला.

जैसा कि मैने पहले भी कहा था कि 'लड़कियो के बारे मे मेरी थियरी अक्सर ग़लत हो जाती है..'. जिसकी वजह शायद ये थी कि मैं कभी इन ब्रेनलेस हमन्स के झमेले मे नही पड़ा था...यानी कि आज तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बनी थी..जिसके कारण मैं उन्हे ठीक से समझ सकूँ.

स्कूल के दीनो मे मैने किसी भी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड केवल इसलिए नही बनाया क्यूंकी तब मैं बेहद शरीफ हुआ करता था और मैं नही चाहता था कि एक दिन कोई मेरे घर आए और मेरे घरवालो को 'मेरा किसी लड़की के साथ चक्कर चल रहा है'इसकी इन्फर्मेशन दे...

आज तक कोई लड़की ना तो मेरी गर्लफ्रेंड बनी और ना ही किसी लड़की ने मुझे कभी प्रपोज़ किया,जबकि मुझे हमेशा से यही लगता था कि 'मोस्ट एलिजिबल बाय्फ्रेंड ' तो मैं ही हूँ....फिर ये सारी लौंडिया मुझे 'आइ लव यू' क्यूँ नही कहती .

ये सब तो मैं फिर भी बर्दाश्त कर लूँ लेकिन मुझे लड़कियो के उपर जोरो का गुस्सा और जबर्जस्त हैरानी तब होती है ,जब मैं हमारे 'कल्लू कंघी चोर' जैसे लड़को को एक दम से माल लेकर घूमते हुए देखता हूँ और तब अंदर से एक ही आवाज़ आती है की 'बीसी ,हमारे लंड मे काँटे गढ़े थे,जो इस कल्लू से पट गयी..." उस कल्लू ,कंघी चोर का नाम मैने यहाँ इसलिए लिया क्यूंकी रीसेंट्ली मिली इन्फर्मेशन के मुताबिक़ कल्लू अब तक दो जूनियर को भस्का चुका था और यहाँ कॉलेज मे इतना पॉपुलर होने के बावजूद कोई जूनियर लौंडिया अपुन को फ्रेंड रिक्वेस्ट तक नही भेजती .

कॉलेज मे पॉपुलर होने से मेरा मतलब था बदनामी से...क्यूंकी पिछले दो सालो मे मैने जो-जो कांड कॉलेज मे किए थे वैसा कांड सिर्फ़ एक निहायत ही बर्बाद लड़का कर सकता था. खैर मुझे मेरी बदनामी की कोई परवाह नही क्यूंकी कॅप्टन जॅक स्पेरो ने कहा है कि'यदि बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा...'
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दिव्या पर मेरा जो शक़ था ,वो सही भी हो सकता था और साथ ही साथ इसकी भी संभावना थी कि मैं इस बार पूरी तरह ग़लत साबित हो जाउ...संभावना इसकी भी थी कि एश ,दिव्या के साथ मिली हुई हो या फिर उस बिल्ली को कुच्छ पता ही ना हो....सच चाहे जो भी हो...लेकिन मुझे इस बार दिव्या और गौतम के बिच्छाए जाल को जला कर राख करना था पर उससे पहले ये जानना ज़रूरी था कि एश उनके साथ शामिल है या नही....
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"अरमान ,मैं सोच रहा हूँ कि कहीं वो सब इत्तेफ़ाक़ भी तो हो सकता है..जैसे बस मे सुलभ का लड़कियो के पास जाना और तुझे गौतम से बॅस्केटबॉल खेलने का चॅलेंज मिलना..."कॅंप से बाहर निकलते वक़्त अरुण ने अपनी शंका जाहिर की...

"बेटा, आज कल इत्तेफ़ाक़ से इत्तेफ़ाक़ कुच्छ ज़्यादा ही हो रहे है...इसलिए मैं इसे महज एक इत्तेफ़ाक़ नही मान सकता...."आसमान मे मौजूद चाँद-तारो को देखने के लिए ,जिधर टेलिस्कोप रखा हुआ था उस तरफ जाते हुए मैने कहा...
'स्काइ विषन' बोले तो आकाश दर्शन करने के लिए तीन टेलिस्कोप का इंतज़ाम किया गया था.जो हमारे कॉलेज और एमबीबीएस कॉलेज के कॅंप के बीच मे सिचुयेटेड था.हम लोग'स्काइ विषन' के लिए थोड़ा लेट पहुँचे थे इसलिए वहाँ उतनी भीड़ नही थी जितनी भीड़ होने की मैं कल्पना की थी क्यूंकी बहुत से लोग या फिर कहे कि आधे से अधिक लोग आकाश दर्शन करके इधर-उधर घूम रहे थे...

"लास्ट वाला टेलिस्कोप एक दम खाली है,चल उसपर चलते है..."उबाई मारते हुए सौरभ ने कहा"साला अभी से नींद आने लगी जबकि खाना तक नही खाया अभी तो..."

"लास्ट वाले टेलिस्कोप पे नही ,पहले वाले पर चलो..."एश को सबसे पहले वाले टेलिस्कोप के पास देखकर मैने कहा....

"तू ऐसा इसलिए बोल रहा है ताकि तू एश से मिल सके,उससे बात कर सके...चोदु समझ रखा है क्या..."

"अबे ऐसी बात नही है, बाकी के दोनो टेलिस्कोप खराब है ,इसीलिए वहाँ कोई नही है...."झूठ बोलते हुए मैं आगे बोला"और तुम लोग ऑलरेडी चोदु हो,इसमे समझने का सवाल कहाँ से आ टपका..."
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यदि कोई मुझसे पुच्छे कि मैने आज तक किसे सबसे अधिक बार उल्लू बनाया है तो मेरा जवाब होगा-1.अरुण 2.सौरभ....और इन दोनो को उल्लू बनाने की संख्या मे +1 अभी-अभी हुआ था..

उस समय मुझे ये नही मालूम था कि बाकी के दोनो टेलिस्कोप खराब है या सही...लेकिन एश के पास जाने के लिए मैने ऐसे ही कह दिया कि बाकी के दोनो टेलिस्कोप खराब पड़े है और उन दोनो ने मान भी लिया कितना महान हूँ मैं
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"दिव्या...मैने मंगल ग्रह देख लिया...जल्दी आ..."एश एक दम से चीखते हुए ऐसे बोली ,जैसे उसने मंगल ग्रह नही बल्कि किसी नये ग्रह की खोज कर दी हो.एश की इस हरक़त से उसकी तरफ बढ़ते हुए मेरे कदम एक पल के लिए वही रुक गये.एश ने एक और बार दिव्या को आवाज़ दी लेकिन दिव्या वहाँ नही थी,जिसके बाद एश थोड़ी सी उदास हुई और वापस टेलिस्कोप के अंदर अपनी नज़रें घुसाने लगी....

"ज़रा हट तो, मैं भी देखु मंगल ग्रह..."मैने कहा.

मेरी आवाज़ सुनकर एश ने शुरू मे कोई रियेक्शन नही किया लेकिन जब मैने अपना गोलडेन वर्ड 'बिल्ली' उसके लिए इस्तेमाल किया तो वो एक झटके मे खड़ी हो गयी और अगले ही पल थोड़ा पीछे हट गयी....

"रिलॅक्स हो जा बिल्ली,इतना कूद क्यूँ रही है..."टेलिस्कोप से स्काइ विषन करते हुए मैने एश से पुछा"तुझे कहाँ से मंगल ग्रह दिख गया,मुझे तो नही दिख रहा..."

और जैसे की मुझे उम्मीद थी एश ने आगे कुच्छ नही कहा और अपने गाल,नाक गुस्से से फुलाकर जहाँ पहले खड़ी थी,वही खड़ी रही....

"ये आजकल कैसे-कैसे लोग इंजिनियरिंग करने आ जाते है, कुच्छ मालूम होता नही है..."एश को टारगेट करते हुए मैने अरुण से कहा"तुझे पता है अरुण ,ऐसे ही स्टूडेंट्स की वजह से इंजिनीयर्स की वॅल्यू गिरती जा रही है..."

जवाब मे अरुण और सौरभ ने वही किया ,जो कि वो दोनो हमेशा करते थे. अरुण और सौरभ,दोनो खिलखिला कर हंस पड़े.
"मुझे मेरा लेवल मालूम है और हर सेमेस्टर मे तुमसे ज़्यादा मार्क्स आते है..."मुझपर अपना पूरा गुस्सा निकालते हुए एश चीख पड़ी और आसमान मे एक तरफ एक चमकते तारे(स्टार) को इंडिकेट करते हुए बोली"आँखे फाड़ कर उस लाल तारे को देखो...वही है मंगल ग्रह..."
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एश की इस बचकानी गुस्से भरी हरक़त पर दिल किया कि सीधे उसे अपने सीने से चिपका लूँ लेकिन फिर बाद मे होने वाली आफ़त को भाँपकर मैने ऐसा नही किया और चुप-चाप टेलिस्कोप से उस टिमटिमाते रेड स्टार को देखने लगा ,जिसे एश मंगल ग्रह बता रही थी.

मुझे नही मालूम था कि वो चमकता हुआ लाल तारा ,सच मे मंगल ग्रह ही है या कुच्छ और.लेकिन मुझे एश के विपरीत बोलना था ताकि वो मुझसे लड़ाई और झगड़ा करे....

"वो मंगल ग्रह नही है, तू कुच्छ भी मुँह उठा कर मत बोल दिया कर बिल्ली...क्लास 6 मे मैने पढ़ा था कि ग्रह टिमटिमाते नही..."

"वो मंगल ग्रह ही है,चाहे किसी से भी पुच्छ लो तुम बिलाव, क्यूंकी आसमान मे लाल तारा दिखा मतलब वो मंगल ग्रह है..."

"जिस तरह हर सफेद लिक्विड दूध नही होता..."मैं बोल रहा था कि अरुण मेरे कान मे बोला"कुच्छ स्पर्म भी होता है "

"जिस तरह हर पीली चीज़ सोना नही होती.."अरुण को इग्नोर करके मैने आगे बोलने की कोशिश की ही थी कि वो फिर मेरे कान मे बोल पड़ा"कुच्छ पीली चीज़ ह्यूमन शिट भी होती है..."

"जिस तरह इंजिनियरिंग कॉलेज मे पढ़ने वाला हर लड़का अरमान नही होता..."तीसरी बार अरुण को इग्नोर मारकर मैने अपना डाइलॉग पूरा करना चाहा लेकिन इस बार भी अरुण बाज नही आया और बीच मे ही बोल पड़ा"कुच्छ लड़के गौतम जैसे चोदु भी होते है..."
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अरुण के इस बार-बार इंटर्फियर करने वाली हरक़तो से जब मैं तंग आ गया तो मैं अरुण की तरफ पलटा...

"या तो तू बोल दे या मुझे बोलने दे..."

"तू ही बोल..."

"तो अब चुप रहना..."वापस एश की तरफ अपना चेहरा करके मैं बोला"तो मैं क्या बोल रहा था कि...जिस तरह हर वाइट लिक्विड दूध नही होता,जिस तरह हर पीली चीज़ सोना नही होती,जिस तरह इंजिनियरिंग कॉलेज मे पढ़ने वाला हर लड़का अरमान नही होता....उसी तरह आसमान मे दिखने वाला हर लाल तारा मंगल ग्रह नही होता....समझी..."

"लेकिन ये मंगल ग्रह ही है,आइ नो..."

"बहुत जानती है तू बिल्ली..हुह.तुझे शायद पता नही कि नासा वाले हर प्रोग्राम के पहले मेरी अड्वाइज़ लेते है और तू मुझे ही ग़लत साबित करने पे तुली है..."

"कुच्छ भी मैं जा रही हूँ ."वहाँ से खिसकते हुए एश बोली...

"तो जाना,कौनसा तुझे मैने यहाँ रुकने के लिए कहा है..."
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एश के जाने के बाद हम तीनो ने टेलिस्कोप से स्काइ विषन किया और तभी मैं आंजेलीना को उनके कॅंप की तरफ एक पत्थर पर बैठे हुए देखा....वो अकेली उस बड़े से पत्थर पर बैठकर रहस्यमयी नज़र से मुझे देख रही थी....उसका इस तरह से मुझे देखने से मैं थोड़ा डरा लेकिन फिर'एक लड़की मेरा क्या उखाड़ लेगी' ये सोचकर मैं उसकी तरफ बढ़ा......

"कॉफी हाउस का खाना कैसा लगा "आंजेलीना के पास पहूचकर मुस्कुराते हुए मैने उससे पुछा..

उन दिनो आंजेलीना को यूँ शांत देखकर मुझे लड़कियो के बारे मे एक और बात चली जो ये थी कि वो कभी अपनी हार स्वीकार नही कर सकती और ख़ासकर के लड़को के हाथो मिली हर उनके पूरे अस्तित्व को हिला कर रख देती है....मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकी अभी तक मैने जिस आंजेलीना को देखा था ,जिसके दिमाग़ के सामने मेरा दिमाग़ दो बार पानी पी चुका था...वो इस समय किसी घुटन मे थी.उसकी आँखे उदास थी और किसी गहरी सोच मे डूबी हुई थी....

मैं आंजेलीना को दो-तीन बार 'हाई..हेलो' बोल चुका था लेकिन वो मेरे 'ही...हेलो' का जवाब दिए बिना मुझे ऐसे घूर रही थी..जैसे अपने शिकार को अपने सामने देख शिकारी घूरता है....वो शायद मुझे ताड़ रही थी और सोच रही थी कि कैसे वो मुझे हराए पर सिल्वा डार्लिंग को ये नही मालूम था कि अपुन भी इन सब खेलो मे कोई नौसीखिया नही था

"लगता है ,इसने वो इन्सिडेंट अपने दिल पे ले लिया..."गुस्से से लाल होते हुए आंजेलीना के फेस को देखकर मैने सोचा"आइ लव यू बोल दे,माँ कसम 6000 वापस करूँगा..."
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जब आंजेलीना की पोटेन्षियल एनर्जी मे कुच्छ देर बाद भी कोई परिवर्तन नही हुआ तो मैने वहाँ से जाना ही बेहतर समझा क्यूंकी अभी तक आंजेलीना कॉफी हाउस मे पे किए गये अपने पैसो का शोक मना रही थी, वहाँ से मैं चुप चाप चला जाना चाहता था लेकिन तभी मेरे अंदर ना जाने क्या खुजली हुई जो मैं आंजेलीना की तरफ वापस पलटकर बड़े ही अभिमान और गर्व से बोला...
"हमे अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए और ये मान लेना चाहिए कि सामने वाला हमसे बेहतर था...."

"ऐसा नही है अरमान ! ,कभी-कभी लंगूर के हाथ मे भी अंगूर लग जाता है..."मेरे लिए ज़हर उगलते हुए आंजेलीना बोली और बनावटी मुस्कान की एक परत अपने होंठो पर ले आई....

"सही कहा...कभी-कभी लंगूर के हाथ मे भी अंगूर लग जाता है ,जैसे कि तुम्हारे हाथ शुरू मे दो बार लगा था...."मैने भी अपने अंदर का ज़हर निकाला और सीधे फेक-कर उसके मुँह मे दे मारा...'साली मुझसे डाइलॉग-बाज़ी करती है '
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आंजेलीना जिस पत्थर पर अभी तक अपनी पोटेन्षियल एनर्जी ,कॉन्स्टेंट किए हुए बैठी थी ,उस पत्थर से उठकर वो खड़ी हो गयी और तुरंत पीछे मुड़कर अपने कॉलेज के लड़को को आवाज़ लगाई....

"तुम लोगो ने कहा था कि अरमान नाम के एक लड़के से तुम लोगो की बहस हुई थी...ये रहा वो..."

आंजेलीना की इस हरकत ने मुझे जबर्जस्त झटका दिया क्यूंकी मैने एमबीबीएस कॉलेज वालो की तरफ आते हुए एक सेकेंड भी ये नही सोचा था कि ऐसा भी कुच्छ हो सकता है....

हमारे कॉलेज का कॅंप जिस जगह मैं अभी खड़ा था वहाँ से कोई 20-22 मीटर की दूरी पर था और इस समय मेरे पास दो रास्ते थे .पहला ये कि मैं अपनी पूरी ताक़त लगाकर वहाँ से अपने कॅंप की तरफ भाग जाउ और दूसरा ये कि मैं वही खड़ा रहकर अपने कॉलेज के लौन्डो को आवाज़ दूं...मेरे पास जो दो रास्ते थे उनमे से पहले वाला तरीका अपनाने पर मेरी बेज़्जती होती बोले तो एक ऐसा लड़का जो कुच्छ घंटो पहले जिन लड़को के सामने गोली ,चाकू की बात कर रहा था वो अब अकेला होने पर डर के मारे भाग रहा था और दूसरा तरीका अपनाने पर मेरी सॉलिड बेज़्जती होती ,क्यूंकी मेरे दूसरे तरीके के अनुसार मुझे अपने कॉलेज के लड़को को आवाज़ देना था और जब तक मेरे लौन्डे वहाँ पहुचते तब तक मुझे एक दो हाथ पड़ सकते थे और ये एक-दो हाथ मुझे और मेरे फॅन के दिल मे तलवार की तरह चुभते ...इसलिए मेरा दूसरा रास्ता भी फ्लॉप था....

जब दोनो रस्तो मे से मुझे कोई भी पसंद नही आया तो मैने तुरंत तीसरा रास्ता बनाते हुए आंजेलीना से कहा....

"मैं तो यहाँ तुम्हारे पैसे लौटने आया था...."

"क्या "आंजेलीना की खुशी का ठिकाना ना रहा...

"ये मेरी जेब मे रुपयो की गड्डि देखकर अंदाज़ा लगा सकती हो..."पॅंट मे पड़े मोबाइल को रुपयो की गड्डी बताकर मैने आंजेलीना पर जाल फेका...

"सच..."मुझे पकड़ कर मेरे कॅंप की तरफ लाते हुए आंजेलीना बोली"तो ये बात पहले बतानी चाहिए था ना..."

"इतनी देर से तो यही बोलना चाह रहा था मैं...खैर छोड़ो ,और अपने रुपये लो..."बोलते हुए मैने अपने जेब मे हाथ डाला....

आंजेलीना की आँखे ,जेब मे मेरे हाथ जाने से तुरंत चमक उठी,लेकिन फिर मैं आंजेलीना से बोला"तुम्हारे कॉलेज के स्टूडेंट्स की नज़र हम दोनो पर है और यदि उन सबने मुझे ,तुम्हे हज़ार-हज़ार के नोट देते हुए देखा तो ग़लत समझेंगे ,मेरे ख़याल से तुम समझ गयी होगी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ..."

"ओके...ओके, यहाँ से थोड़ा दूर चलते है..."

"हां,ये सही रहेगा..."बोलते हुए मैने खुद को शाबासी दी....
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मैं और आंजेलीना अब मेरे कॅंप की तरफ बढ़ रहे थे और जब हम दोनो मेरे कॉलेज के कॅंप के सामने पहुच गये तो आंजेलीना के दिमाग़ की बत्ती जली,लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी....

"ये तो मोबाइल लग रहा है..."मेरे पॅंट की जेब को बाहर से दबाते हुए आंजेलीना गुर्राते हुए बोली...

"जानेमन,..आराम से.इधर-उधर हाथ मार रही हो,आख़िर इरादा क्या है.."

"ओह गॉड !"मैं आंजेलीना को सब कुच्छ समझाता उससे पहले ही वो सब कुच्छ समझ गयी और मेरी आँखो मे अपनी आँखे गढ़ाते हुए बोली"यू फूल्ड मी अगेन..."

"अभी नयी हो इसलिए ऐसा झटका लग रहा है,बाद मे आदत हो जाएगी...डॉन'ट वरी."अपनी जीत पर मैं बोला"अब तुम जाओ और मुझे हराने के लिए अपना फ्लॉप प्लान बनाओ..."

"कल देख लूँगी तुम्हे..."चुटकी बजाते हुए उसने मुझे चॅलेंज दिया.

"अपने मोबाइल से मेरी फोटो ले लो और रात भर देखते रहना..."
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आंजेलीना को वहाँ से विदा कर मैं पीछे पलटा तो मेरी मंडली सैकड़ो सवाल लिए मेरा इंतज़ार कर रही थी....

"हिसाब बराबर हो गया बे...चलो पापा बोलो सब मुझे..."

"यार,भाई,मेरे दोस्त,मेरे जिगर के टुकड़े...इसकी दिला दे ना एक बार..."आंजेलीना के बॅक साइड पर आँख गढ़ाए हुए अरुण ने लार टपकाया.

"साले,भाभी है तेरी...कुच्छ तो शरम कर झाटु "

यहाँ आने से पहले हम सबने ये सोच रखा था कि हम लोग किसी आदि मानव की तरह संघर्ष करेंगे और अपना पेट भरने के लिए खुद खाना बनाएँगे....लेकिन 'स्काइ विषन' के कार्यक्रम के बाद हमारे वॉर्डन ने हमे ये कहकर सर्प्राइज़ दिया कि हमारे खाने का इंतज़ाम, यहाँ की मॅनेज्मेंट के द्वारा ऑलरेडी किया जा चुका है....जिसमे हमारे कॉलेज के स्टूडेंट्स तो शामिल होंगे ही साथ मे वहाँ कॅमपिंग का लुत्फ़ उठा रहे एमबीबीएस कॉलेज के स्टूडेंट्स भी इन्वाइटेड थे...और आख़िर हो भी क्यूँ ना, हमारी तरह पैसे तो उन्होने भी दिए थे.
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08-18-2019, 02:12 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"तभी साला ,मैं सोचु कि इतनी रात हो गयी लेकिन ये वॉर्डन खाना बनाने का इंतज़ाम क्यूँ नही करवा रहा है....साला धोकेबाज़..."सूट बूट पहनते हुए पांडे जी ने राजश्री की एक पॅकेट फाडा और सारा माल मुँह मे भरकर बोले"अरमान भाई...वैसे एक तरह से देखा जाए तो ये सही भी है...कम से कम एमबीबीएस वाली लौन्डियो से मेल-मिलाप तो हो जाएगा...."

"उस आंजेलीना जौली से बचकर रहना बेटा...वो बहुत खिसियाई हुई है..."

"अरे यदि वो आंजेलीना जौली है तो हम है यहाँ के ब्रॅड पिट, आख़िर चुदेगि तो हमी से..."अरुण शीसे मे अपने बाल ठीक करते हुए बोला...

"तू बेटा ,हमेशा अपनी औकात से उँची उड़ान ही मारने की सोचता है और फिर बाद मे...."

"इसी उड़ान मे तो मज़ा है पगले..."बीच मे ही अरुण बोल पड़ा"वरना अपनी औकात मे तो तुझ जैसे मिड्ल क्लास के लोग भी उड़ लेते है, अपुन थोड़ा स्पेशल है..."

"जाओ बेटा, जब वो चोदेगि तो मेरे ही पास आओगे..."बड़बड़ाते हुए मैं कॅंप से बाहर निकला और मेरे बाहर निकलने के बाद मेरी टोली भी बाहर निकली....
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"निकल आए राजकुमारो...अब इधर भी आ जाओ..."हम बाहर निकले ही थे कि हमारे जलँखोर वॉर्डन ने ताना मारते हुए कहा....

"अरमान, साले की शकल देख...एक दम गधे की गान्ड जैसी है...बीसी मेरी खूबसूरती से जलता है..."अपनी आदत अनुसार अरुण ने धीमी आवाज़ मे वॉर्डन को सलामी ठोकी.
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वॉर्डन इस समय भी ठीक उसी बड़े से पत्थर पर खड़ा था,जहाँ आज सुबह खड़े होकर इन्स्ट्रक्षन दे रहा था....वॉर्डन के सामने हमारे कॉलेज की पूरी भीड़ जमा थी और जब हम 6 लोग उस भीड़ मे शामिल हुए तो वॉर्डन जो कि अपने दोनो हाथ शक्तिमान स्टाइल मे अपने कमर मे रखा हुआ था, वो नीचे कुदा.....

"अरमान जी ,आप कहाँ है...अपने खूबसूरत नूरानी चेहरे का दीदार तो हम सबको कराईए,आपसे कुच्छ बात करनी है..."वॉर्डन बड़े ही कूल अंदाज मे बोला....

ऐसा बोलते वक़्त वो खुद को बहुत स्मार्ट समझ रहा था लेकिन साला एक नंबर का चोदु लग रहा था और कुच्छ नही...साला गधे की गान्ड

"इधर हूँ मैं...सर"अपना हाथ खड़ा करते हुए मैं बोला...

"आज की रिपोर्ट के मुताबिक़ तुमने ,सामने वाले कॉलेज के कुच्छ लड़को से हाथा-पाई की और उन्हे गोली मार देने की धमकी भी दी...."

"कहाँ सर...मैं तो पूरे दिन बुखार से तड़प रहा था,यकीन ना हो तो अरुण और पांडे जी से पुच्छ लो..."

"तुम पहले सामने आकर अपना फेस दिखाओ ,बाद मे मैं किसी और से कुच्छ पुछुन्गा...."
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मैने अपना सर नीचे झुकाया और आँखे उदास करके वॉर्डन की तरफ बढ़ा....

"तुम नीचे खाना खाने नही जाओगे...तुम्हारे दोस्त तुम्हारा खाना पॅक करवा के ले आएँगे..."

"मेरी उन सबसे आज सुबह ही लड़ाई हो गयी है,फिर वो मेरे लिए इतना क्यूँ करेंगे और मैं सच मे नीचे नही गया था..."

"फिर एमबीबीएस वालो ने तुम्हारा नाम क्यूँ लिया...."
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वॉर्डन के इस सवाल पर मैं एक डायलॉग मारने जा ही रहा था कि बीकेएल दिव्या ,बीच मे कूद पड़ी...

"झूठ बोलता है ये सर, मैने इसे दोपहर को पुल पर देखा था यकीन ना आए तो एश से पुच्छ लो और मेघा से भी...."

"दिव्या सच कह रही है क्या..."कड़क आवाज़ के साथ वॉर्डन ने एश और मेघा से सवाल किया और दोनो ने हां मे अपनी गर्दन हिला दी....

"अब बोलो अरमान..."अपनी जीत पर भयंकर हँसी और आँखो मे विजयी चमक लिए वॉर्डन मेरी तरफ मुड़ा"तुमने तो कहा था कि ,तुम अपने कॅंप से बाहर ही नही निकले थे...फिर पुल पर इन तीनो ने तुम्हे कैसे देखा...."
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दिव्या के द्वारा मेरे खिलाफ बोलना मुझे रास नही आया और दिल किया कि अपना जूता उतार कर सीधे उसके मुँह पर दे मारू या उसके सर के बाल को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से ज़मीन पर दे मारू....लेकिन तभी मेरे 1400 ग्राम के ब्रेन ने अपनी ताक़त दिखाई और दिव्या को मैने उसी के द्वारा फेके हुए जाल मे फाँसते हुए कहा....

"मैं मानता हूँ कि मैं कॅंप से निकलकर पुल की तरफ गया था लेकिन यहाँ सवाल ये खड़ा होता है कि दिव्या वहाँ क्या कर रही थी,जबकि...आपने किसी भी स्टूडेंट को पुल की तरफ जाने से सॉफ मना किया था...."इसके बाद मैने वॉर्डन से धीमे लफ़ज़ो मे कहा,जिससे आगे की वार्तालाप सिर्फ़ हम दोनो ही सुन सके...मैं बोला"अरे सर, हम लोग तो फिर भी लड़के है..हमारा क्या होगा,लेकिन लड़कियो का इस तरह से घूमना ठीक बात नही, कही कुच्छ उच-नीच हो जाती तो आप किसी को मुँह दिखाने के लायक नही रहते....आपकी नौकरी तो हाथ से जाती ही ,साथ मे इन लड़कियो के माँ-बाप आप पर लापरवाही का केस भी करते..."

"ह्म्म..."

"सर हम लोग तो फिर भी आपके हॉस्टिल मे रहते है,हमे मालूम है कि आपकी इज़्ज़त को कैसे बचना है लेकिन इन लड़कियो की क्या मज़ाल जो आपके...आपके हुक़ुम की अवहेलना करे,..ये तो सरासर आपके गाल पर तमाचा जड़ा है इन लौन्डियो ने...सॉरी मेरा मतलब इन लड़कियो ने मैं तो कहता हूँ कि अभिच उस माँ दी लाडली को पनिशमेंट दो..."
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"तुम तीनो पुल पर क्या कर रही थी..."आँखो मे अँगारे लिए हुए वॉर्डन ने दिव्या की तरफ देखा और दिव्या ने मेरी तरफ...साली मुझे ऐसे गुस्से से देख रही थी,जैसे मैं उसके टुकड़ो पर जीता हूँ. उसकी इस हरकत से मेरा खून भी खौल उठा....

"आँख नीचे कर ले और अपने बाप का रुतबा किसी और पर झाड़ना वरना थर्ड सेमेस्टर की कहानी दोबारा दोहराने मे मुझे ज़रा सा भी वक़्त नही लगेगा और सर को ये बता कि तू पुल पर किससे मिलने गयी थी..."

"तू कॉलेज पहुच तब तुझे मैं अपनी पॉवर दिखाती हूँ..."

"ओके, बेबी...लेकिन पहले ये बता कि तू क्या करवाने पुल के उस पार गयी थी...जबकि सर ने सॉफ मना किया था कि कोई उस तरफ नही जाएगा..."
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जहाँ कुच्छ देर पहले सारे स्टूडेंट्स मंद-मंद मुस्कान के साथ मेरी और वॉर्डन के बीच की बात-चीत का मज़ा लूट रहे थे,वही अब महॉल गड़बड़ा गया था...एक पल मे सारा मज़ा अब हैरानी से भरा पड़ा था.वहाँ बीत रहा हर एक पल, मेरी और दिव्या के बीच हो रही हर बात-चीत...वहाँ मौजूद सभी के दिलो पर एक डर पैदा कर रही थी....दिव्या शांत नही हो रही थी और मैं तो शांत होने से रहा....

"मैं कुच्छ भी करने गयी थी ,तुझे उससे क्या....तू क्या करने गया था..."

"दारू पीने गया था ,अब बोल..."जब मेरा माथा ठनका तो मैं सीधे आर-पार की लड़ाई पर उतर आया"इसे समझा लो रे कोई,वरना यही पर लाल कर दूँगा...फिर जाकर चाहे अपने बाप को बताना या फिर अपने बगल वाली के बाप को...."
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इस गरमा-गर्मी के दौरान दिव्या अपना सारा आपा खो चुकी थी और यही हाल मेरा भी था,...मैं यदि चाहता तो इस सिचुयेशन को बहुत अच्छी तरह से संभाल सकता था

लेकिन गुस्सा मुझपर भी सवार था और खून मेरा भी खौल रहा था....मुझे पक्का यकीन है कि यदि मेरे दोस्तो ने मुझे और दिव्या की सहेलियो ने उसे नही रोका होता तो मेरे हाथ वो बहुत पूरी तरह मार खाती....लेकिन ऐसा हो नही पाया और मेरे दोस्त मुझे तुरंत वहाँ से पकड़ कर दूर ले आए....

"माँ चोद दूँगा उसकी, बीसी समझती क्या है खुद को...अपने बाप के दम पर उचक रही है...ज़्यादा दिमाग़ खराब हुआ तो इस बार उसके भी बाप को मारूँगा...फिर चाहे मेरा मर्डर ही क्यूँ ना हो जाए..."अरुण और सौरभ को दूर धकेल कर मैं लड़कियो के उस झुंड की तरफ बढ़ा ,जिस झुंड के बीच मे दिव्या थी....
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08-18-2019, 02:13 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"बाहर निकल साली..."
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उस समय मुझे पता नही क्या हो गया था जो मैं इतने सारे लोगो के बीच ऐसी हरकते कर रहा था..,रह-रह कर मुझे सिर्फ़ वो पल याद आता,जब दिव्या के बाप की वजह से मैं तीन महीने तक हॉस्पिटल मे रहा था.....

"मुझे मार, ज़्यादा दम आ गया है तुझमे...ले मार मुझे."हमारे हॉस्टिल का वॉर्डन सीधे मेरे सामने खड़ा होकर ज़ोर से चीखा"गुंडा गर्दि करने आया है तू यहाँ..."

वॉर्डन को सामने देखकर मैं रुक गया और आस-पास देखा तो पाया कि ना सिर्फ़ मेरे कॉलेज वाले,बल्कि एमबीबीएस कॉलेज के भी स्टूडेंट्स , इस हंगामे से वहाँ आ चुके थे....और तब जाकर मुझे होश आया.
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"सॉरी..."वॉर्डन को बोलकर मैं अपने कॅंप की तरफ मुड़ा....लेकिन एमबीबीएस कॉलेज के कुच्छ लड़को की हँसी की गूँज ने मेरे खून को फिर से गरम करने का काम कर दिया"क्या है बे, यहाँ कोई सर्कस चल रहा है क्या...सीधे से निकल लो बेटा वरना सारी हँसी निकाल दूँगा..."
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मेरे दोस्त मुझे पकड़ कर कॅंप के अंदर लाए.जिसके बाद गर्ल्स हॉस्टिल की केर्टेकर और हमारे वॉर्डन ने मुझे खूब सुनाया और मेरे घर का नंबर माँगा....मैने अपने घर का नंबर देने से सॉफ मना कर दिया जिसके बाद वॉर्डन ने मुझे बहुत सारी धमकिया दी और पनिशमेंट के तौर पर नीचे ,जहाँ सब खाना खाने जा रहे थे...वहाँ मेरे जाने पर बॅन लगा दिया....जब वॉर्डन वहाँ से चले गये तो मेरे दोस्त अंदर आए...बहुत देर तक तो हम मे से कोई कुच्छ नही बोला लेकिन फिर कुच्छ देर बाद मेरे सारे दोस्त अचानक हँसने लगे.....
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"क्या हुआ..."

"कुच्छ नही...लवडा क्या चोदुपना किया है आज तुम दोनो ने...ज़िंदगी भर याद रहेगा "

"म्सी,भूख लगी है...कुच्छ जुगाड़ है क्या."उन सबकी तरफ देखकर मैने पुछा...

"बेटा तेरे चक्कर मे ,हमे भी नीचे नही जाने दिया गया..."

"ऐसा क्यूँ..."

"वॉर्डन बोला कि ,सबके लिए पनिशमेंट है...और तो और उसने दिव्या,एश और मेघा को भी नीचे नही जाने दिया..."

"अरे गजब... "एक दम से खड़ा होते हुए मैं बोला"एश को पटाने का एक सॉलिड आइडिया आएला है बीड़ू...चल जल्दी..."

"कहाँ..."

"नीचे...खाना खाकर आते है..."

"इसके पहले मैं क्या एलीयेन्स की लॅंग्वेज मे बोला क्या कि...वॉर्डन ने नीचे जाने के लिए मना किया है..."

"वॉर्डन के माँ की फिल इन दा ब्लॅंक्स....भागकर चलते है..."

'गर्ल' जिसे हिन्दी मे लड़की ,गुजराती मे 'छोकरि' ,मराठी मे 'मुलगी' और हम जैसे नौजवान 'आइटम' या 'माल ' कहते है...ये बड़ी ही कश -मकश पैदा करने वाली प्रजाति है...लड़किया उलझन मे बहुत डालती है...जैसे किसी लड़की ने एक-दो बार किसी लड़के को देख क्या लिया बंदा ज़िंदगी भर इसी उलझन मे रहता है कि वो मुझे लाइन दे रही थी या सिर्फ़ ऐसे ही मज़े लूट रही थी...लड़किया इतना उलझन पैदा करती है कि एक-दो बार भगवान भी कन्फ्यूषन हो जाता होगा कि इसे नीचे भेजू या यही अपने पास रख लूँ

और हम जैसे लौन्डो का तो पुछो ही मत...जिस बंदे ने एक लड़की क्या पटा ली साला बिहेव ऐसे करता है जैसे पूरी दुनिया जीत ली हो. उसका खाना-पीना, नहाना-धोना ,सब कुच्छ एक लड़की के चक्कर मे शटडाउन हो जाता है.....अब हमी लोग को देख लो...मैं यहाँ नीचे इसलिए नही आया था कि मुझे भूख लगी थी बल्कि इसलिए ताकि मैं लड़किया ताड़ सकूँ....मेरे दोस्त जो नीचे आते समय हर-कदम मुझे वॉर्डन का डर दे रहे थे...वो भी इस समय मेरे साथ नीचे इसलिए थे ताकि वो लड़कियो को देख सके. बोले तो 'नयंदर्शन' या 'नयनसुख'.
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"मैं सोच रहा था कि उन तीनो के लिए भी खाना वगेरह पॅक कर के ले जाते है..."एक प्लेट उठाते हुए मैने कहा और पेलम-पेल सलाद प्लेट मे भर लिया.

"कौन तीनो..."आगे-पीछे नज़र मारकर सौरभ ने भी पेलम-पेल सलाद भर लिया और बोला"हम सब तो है यहाँ...."
"अबे,हम लोग यदि मार रहे हो और इससे एक ग्लास पानी की फरियाद करे ,तब भी ये हमे एक ग्लास पानी लाकर नही देगा और बोलेगा कि'लवडे,उपर जाकर डाइरेक्ट जलपान करना'....ऐसा लौंडा है ये..."मेरे और सौरभ की तरह अरुण ने भी रेलम-पेल सलाद अपनी प्लेट मे भरा और कहा"ये तो उन तीनो के लिए है..जिन्हे वॉर्डन ने नीचे आने के लिए माना किया है..."
"वो तीनो... "अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए सौरभ ने पुछा"कहीं तू,दिव्या...एश और मेघा की बात तो नही कर रहा..."

"एक दम सही जवाब..."

"सच "मेरी तरफ आँखे फाड़-फाड़ कर देखते हुए सौरभ ने चम्मच उठाया और अपने प्लेट मे रखते हुए बोला"तू लड़कियो के सामने कब से हार मानने लगा,अब ये मत बोल देना कि तुझे अपनी ग़लती का अहसास हो गया है और तू अब उसे सॉरी बोलने जा रहा है...."

"अरे लवडे,सॉरी तो हमने तब भी नही बोला जब ग़लती हमारी थी...तो अब क्या बोलूँगा..."

"ये...यही जुनून अंत तक बनाए रखना और चाहे जो हो जाए लंड को चूत के सामने झुकने मत देना क्यूंकी लंड कट सकता है लेकिन झुक नही सकता "
.
बातो ही बातो मे जब सौरभ ने मेघा का नाम लिया तो मेघा के नये-नवेले आशिक़ सुलभ को बेचैनी हुई और उसने हम तीनो के बीच मे अपना सर घुसेड कर जो डिस्कशन चल रहा था...उसका टॉपिक पुछा....

"कुच्छ खास नही,बस सोच रहा था कि उन तीनो के लिए खाना पॅक करके ले जाएँ..."

"सच "

"यस, और तू ही वो लौंडा है जो तीनो के लिए डिन्नर पॅक करेगा..."

"घंटा,इस पूरी भीड़ मे तुझे एक अकेला मैं ही दिखा जो ये काम करूँगा...बेटा ये बड़े शहर की बड़ी पार्टी है ना कि तेरे गाँव की शादी ,जहाँ पूरे खानदान के लिए खाना पॅक करवा लिया जाएगा...यहाँ तो साला ये भी सॉफ नही है कि मुझे खाना मिलेगा या नही...और एक बात पुच्छू तुम तीनो ने ये जनवरो की तरह सलाद क्यूँ भर लिया है..."

"बेटा, वो एमबीबीएस वेल भूक्खड़ो की भीड़ देख और उस भीड़ को देखकर मेरा 1400 ग्राम का दिमाग़ कहता है कि अच्छी तरह से प्लेट भरने मे कम से कम 10-15 मिनिट तो लगेंगे ही..."

"तो.."

"तो तब तक हम लोग सलाद खाकर टाइम पास करेंगे..."

"सही है..."कहते हुए सुलभ ने भी अपनी प्लेट मे पेलम-पेल सलाद भर लिया.
.
जब सब मेरे खाना पॅक करवाने वाले प्लान से सहमत हो गये तो एक नयी समस्या पैदा हुई और वो समस्या ये थी कि उन तीनो के लिए डिन्नर कौन पॅक करवाएगा...क्यूंकी ऐसी पार्टी ,जहाँ इतने सारे लोग हो वहाँ अपने हाथ मे प्लास्टिक लेकर खड़े रहना ,मतलब अपनी रेप्युटेशन को खुले बाज़ार मे कौड़ियो के दाम मे बेचना था और ये काम सिर्फ़ एक शक्स कर सकता था और वो थे हमारे राजश्री प्रॉडक्ट के ब्रांड अंबासडर श्री-श्री 1008 पांडे जी.....

"क्या अरमान भाई...अपुन की भी कोई इज़्ज़त है...काहे को अपुन की ऐसी-तैसी करने पर तुले हो..."

"ये काम कर दे ,10 राजश्री मेरी तरफ से फ्री..."

"रहने दो,मैने राजश्री खाना छोड़ दिया..."

"फिर एक पॅकेट गुदंग-गरम सिगरेट..."

"अपुन सिगरेट भी छोड़ देगा अरमान भाई...पर अपुन की लंगोट मत उतारो..."

"चल,फिर एक बोतल पव्वा...अब बोल "

"दारू भी छोड़ दूँगा मैं आज से..."

"तेरी तो...तू बेटा कॉलेज मे मिल.फिर तेरी इज़्ज़त वहाँ ठीक ढंग से सवारूँगा..."जब मेरे सारे लालच राजश्री पांडे पर बेअसर हो गये तो मैने उसे धमकी देने का रास्ता अपनाया आंड ऐज ऑल्वेज़ राजश्री पांडे मान गया...,पता नही क्यूँ साला मेरी धमकी से इतना डरता था....

"ठीक है अरमान भाई,जैसा आप बोलो...लेकिन ये आप ठीक नही कर रहे मेरे साथ "

"दिल पे मत ले...."राजश्री पांडे का पीठ थपथपाते हुए मैने अपने जेब से कयि सारी प्लासटिक्स निकाल कर जल्दी से उसके जेब मे डाल दी और बोला"मुँह मे ले.."
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राजश्री को उसका काम सौंप कर हमने उसे खुद से दूर किया और सलाद खाते-खाते अपनी प्लेट भरने लगे....
"मैं कोफ्ता और भिंडी लेकर अभी आया...."बोलकर सौरभ वहाँ से आगे बढ़ गया और नवीन,सुलभ पहले ही साथ छोड़ चुके थे...
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"आज देखा दिव्या कैसे उड़ रही थी ,अच्छे से बैठाया है उसको,अब कुच्छ दिन मेरे सामने अपनी ज़ुबान खोलने से पहले 3 लाख किलोमीटर/सेक. की स्पीड से सोचेगी कि कुच्छ बोलू या नही..."

"अब तू अपनी तारीफ करना शुरू मत हो जाना...."

"अबे नही..मैं तो तुझसे ये कहना चाहता हूँ कि इन लड़कियो मे दिमाग़ की जगह गोबर भरा पड़ा है..कुच्छ सोचती-समझती नही बस को-को चिल्लाती रहती है...दिव्या को ही देख ले, उसे क्या ज़रूरत थी बीच मे बोलने की ? लेकिन नही उसे तो मुझसे पंगा लेना था ,कर दिया ना नंगा...अब तू उस एमबीबीएस वाली को ही ले ले, दो बार मुझे उल्लू क्या बनाया ,खुद को अरमान से बड़ी समझने लगी...उसे भी ढंग से बत्ती दिया और ऐसा बत्ती दिया है की ज़िंदगी भर 'अरमान' शब्द सुनकर उसके दिमाग़ की बत्ती गुल हो जाएगी..."

"काफ़ी ग़लतफहमी पाल रखी है तुमने अपने अंदर...ज़मीन पर रहना सीखो वरना एक पल ऐसा आएगा जब पटल के भी नही रहोगे..."एक सेक्सी आवाज़ ने मेरा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया और जब मेरी आँखे उस सेक्सी आवाज़ की मालकिन पर पड़ी तो आँखे जैसी उस पर जम कर रह गयी...

"आंजेलीना...ये इतना सब कुच्छ हो जाने के बाद भी मुझसे मुस्कुरा कर बात कर रही...ज़रूर ये किसी प्लान के साथ आई होगी,निकल ले बेटा..."मैने खुद से कहा और एक प्रोफेशनल मुस्कान अपने होंठो पर ले आया...जबकि आंजेलीना को देखते ही मैं थोड़ा घबरा गया था क्यूंकी वो इस समय एक घायल शेरनी की तरह थी...जो बस उस एक मौके की तलाश मे थी जिसके कारण वो मुझे,हम दोनो के बीच चल रहे माइंड-गेम मे पराजित कर सके...इस समय मैं आंजेलीना डार्लिंग से उलझना नही चाहता था...इसलिए वहाँ से भाग जाना ही बेहतर समझा...

जंग के मैदान मे बिना लड़े भागने का मेरा अपना एक अलग ही स्टाइल है,जो हमेशा ही कारगर साबित होता है और वो स्टाइल ये है"डर के कारण जंग के मैदान को भी इस तरह छोड़ो की सामने वाले को ये महसूस हो कि आप वहाँ से भाग कर उसपर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हो...' इसके दो फ़ायदे है-पहले ये कि इस तरह से आपकी इज़्ज़त भी बच जाती है और दूसरा ये की सामने वाली की इज़्ज़त थूक जाती है.....
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"मीट माइ फ्रेंड..."एक लड़के की कमर पर हाथ रखकर आंजेलीना बोली"इसका नाम..."

"ये कोई जॉनी डेप या रॉबर्ट डाउनी इक. है क्या,जो मैं इससे मिलू....जाओ पहले मुझसे मिलने का अपायंटमेंट मेरे सेक्रेटरी से लेकर आओ..."वहाँ से खिसकते हुए मैने कहा"चल बे अरुण, कोफ्ते के काउंटर पर भीड़ कम हो गयी है.."

आंजेलीना डार्लिंग से पीछा छुड़ाकर हम लोग एक तरफ खड़े हो गये और अपने मासूम से पेट को भरने लगे...मैं और मेरे दोस्त वॉर्डन के मना करने के बावजूद नीचे आ गये है,इसकी खबर किसी ने वॉर्डन को दे दी और हाथ मे खाने की प्लेट लिए वॉर्डन हमारे पास आया....

"तुम लोगो को मना किया था यहाँ आने के लिए..."अपने दाँत चबाकर उसने हम सबको बत्ती दी और सामने से गुजरने वाले एक शक्स को बड़े ही शालीनता से बोला"हेलो, आप कैसे है..."

जब वो शक्स गुजर गया तो वॉर्डन फिर हमारी तरफ मुड़ा और हमे गालियाँ बकना शुरू कर दिया...वो भी बड़े प्यार और दुलार से, क्यूंकी हर वक़्त-बेवक़्त कोई ना कोई वहाँ से गुज़रता जिसके कारण वॉर्डन हम पर अपना गला नही फाड़ पा रहा था...एक तरफ वॉर्डन हमे हंस-हंस कर बत्ती दे रहा था तो वही हम लोग हंस-हंस कर बत्ती ले रहे थे......

"तुम लोग उपर मिलो ,फिर बताता हूँ तुम्हे.."वॉर्डन ने एक बार फिर अपना दाँत चबाए लेकिन दूसरे पल सामने से गुजर रही एक औरत को देखकर मुस्कुराते हुए बोला"कैसी है आप,डिन्नर हो गया आपका..."

"यस...यस....यस"तीन बार 'यस' बोलकर वो औरत चलती बनी और हम लोग भी मौका देखकर उसी वक़्त वहाँ से खिसक लिए....
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"पांडे जी को गुटखे का पॅकेट दो कोई,इन्होने हमारा काम जो किया है..."पहाड़ी पर उपर चढ़ते हुए मैने कहा...

"रहने दो अरमान भाई, आज सबके सामने मेरी इज़्ज़त मे जितने होल हुए है ना ,उसके बाद गुटखा,दारू सब कुच्छ भूल सा गया हूँ...दिमाग़ मे बार-बार बस वही सीन आ जाता है जब वहाँ मौजूद लोग मुझपर हंस रहे थे..."

"मर्द बन बे लवडे "पांडे जी की पीठ ज़ोर-ज़ोर से थपथपाते हुए सौरभ बोला"नाम बता उनका जिन्होने तुझपर हंसा...अभी सालो का मुँह उनके गान्ड मे घुसा कर आता हूँ..."

"मालूम नही ,कौन-कौन हंस रहा था...मैं तो बस अपना सर झुकाए खड़ा था वहाँ..."
Reply
08-18-2019, 02:13 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अरमान तू हमेशा बोलता रहता है कि 'आइ लव दारू मोर दॅन' "

"गर्ल्स..."अरुण के पहले ही मैने अपना डाइलॉग कंप्लीट किया...

"एक बार ये बोल कि तू, दारू को मुझसे ज़्यादा प्यार करता है..."

"इसमे कौन सी बड़ी प्राब्लम है...आइ लव दारू मोर दॅन गे-अरुण..."और इसी के साथ हम सभी हंस पड़े,सिवाय अरुण को छोड़ कर....

"अब यही लाइन एश के लिए बोल तो..."उसने आगे कहा...

"अब क्या मैं दिन भर सबके नाम जपता रहूं क्या..."

"इसकी कोई ज़रूरत नही बस तू एक बार ये बोल दे कि 'आइ लव दारू मोर दॅन एश'...बस बात ख़त्म..."

"इसमे कौन सी बड़ी बात है,ले अभी बोल देता हूँ..."अरुण पर हँसते हुए मैने बोलना शुरू किया"आइ लव दारू मोर दॅन......"
"मोर दॅन..."जब मैं बोलते-बोलते चुप हो गया तो अरुण ने एक बार फिर से अपनी टाँग अड़ाई...

"मोर दॅन...मोर दॅन..."

"रहने दे बेटा, बोल चुका तू..."एक ज़ोर का घुसा मेरे पीठ मे मारकर अरुण ने कहा"तूने दिल तोड़ दिया मेरा आज.साले मेरा नाम ले सकता है लेकिन उसका नाम नही ले सकता...बस बेटा ,देख ली तेरी ये दोस्ती...तुझे पता नही कि तूने मुझे आज कितना दुखी किया है....दिल कर रहा है कि यहाँ से नीच कूदकर अपनी जान दे दूं,लेकिन फिर जो दारू का एक बमफर तेरे बॅग मे रखा है,उसे कौन पिएगा...ये सोचकर नही कूद रहा...बाकी दिल तो एक दम छलनी-छलनि हो गया आज..."

"ओये नौटंकी, चुप हो जा... और तू क्या सोचता है कि मैं एश को दारू से ज़्यादा प्यार करता हूँ...बिल्कुल नही, ले अभी बोले देता हूँ,वो लाइन जो तू सुनना चाहता है..."कहते हुए मैने एक बार फिर से ट्राइ किया...लेकिन ज़ुबान एश का नाम लेती ,उससे पहले ही अटक गयी....मेरी फेवोवरिट लाइन को एश का नाम लेकर पूरा करने के लिए मेरा मुँह ज़रूर खुलता लेकिन शब्द नही निकल रहे थे......

"आइ लव दारू मोर था ए...मोर दॅन ईईईई......"बारहवी बार कोशिश करते हुए मैं बोला लेकिन पिछली ग्यारह बार की तरह इस बार भी ज़ुबान धोखा दे गयी....
.
"गान्ड मरा तू अरुण..."फ्रस्टेशन मे मैं चीखा और तेज कदमो के साथ थोड़ा आगे बढ़ गया....

पता नही मेरी ज़ुबान क्यूँ लड़खड़ा रही थी...जबकि मैं ऐसा काबिल लौंडा था ,जिसे गले तक दारू पिलाकर यदि हज़ार लोगो के सामने भाषण देने के लिए स्टेज पर खड़ा कर दिया जाए तब भी एक शब्द इधर से उधर ना हो....

"ओ तेरी, उस बिल्ली से तो मैं 100 % प्यार करता हूँ...."

कॉलेज के चार सालो मे तीसरे साल मुझे ये मालूम चला कि एश से मैं सच मे प्यार करता हूँ .

"पता नही साला दोस्ती कब होगी, मैं उसे प्रपोज़ कब करूँगा और कब वो मेरी गर्ल फ्रेंड बनेगी....जिस स्पीड के साथ मैं हूँ ,उसके हिसाब से तो साला ये जनम और इसके आगे वाला जनम भी कम पड़ जाएगा..."
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कॅंप मे आने के बाद ये डिसाइड हुआ कि मैं और सुलभ उन तीनो के कॅंप मे जाएँगे और डिन्नर छोड़ कर आएँगे....

"तू जा रहा है तो जा,लेकिन मेरी एक बात अपने गान्ड मे गाँठ बाँध के रख लियो कि भूले से भी उन लौन्डियो को सॉरी बोला तो अल्टा-पलटा के चोदुन्गा...."धमकी के रूप मे सौरभ ने अपनी शर्त रखी...

"अबे, मेरी शकल देखकर तुझे क्या लगता है कि मैं उसे सॉरी बोलूँगा...उस दिव्या की तो शकल तक नही देखूँगा..."

"यही जज़्बा बनाए रखियो बेटा ,बहुत दूर तक जाएगा...इतना दूर की टेलिस्कोप से भी तू नही दिखेगा...अब मेरे पैर छुकर आशीर्वाद ले और चलता बन उस 'आर. दिव्या'के कॅंप की तरफ..."

"ये 'आर. दिव्या' का क्या मतलब"खाने के पॅकेट अपने हाथ मे पकड़ते हुए सुलभ ने पुछा...

"वो मैं तुझे रास्ते मे समझा दूँगा,अब चल इधर से..."
.
अपने कॅंप से निकल कर मैं और सुलभ , 'आर.दिव्या ' के कॅंप की तरफ बढ़े और इस समय मेरे दिमाग़ मे जो चल रहा था ,वो ये कि...उन तीनो का मुँह कितना इंच फटेगा ,जब वो लोग मुझे और सुलभ को अपने कॅंप के अंदर देखेगी....

"कहीं कोई हार्ट अटॅक से ना मर जाए...."चलते वक़्त मैं बड़बड़ाया...

"कौन मर रहा है अरमान..."

"तू चुप-चाप चल ना आगे...ये बार-बार उंगली करना ज़रूरी है क्या...."
.
हमारे कॉलेज के लगभग आधे स्टूडेंट आ चुके थे जिसका पता मैने आधे से अधिक कॅंप मे से आती हुई रोशनी से लगाया....'आर.दिव्या' के कॅंप से भी रोशनी आ रही थी...उनके कॅंप से कुच्छ दूरी पर जब मैं और सुलभ पहुँचे तो मैं रुक गया...
.
"क्या हुआ अरमान..."

"कुच्छ नही..बस सोच रहा हूँ कि वापस चलते है..."

"क्यूँ..."

"अबे पहली बात तो ये कि हमे ऐसा करते देख जो कि हम दोनो अभी करने जा रहे है...उन तीनो को दिल का दौरा पड़ेगा और मुझे डर है की कही कोई लुढ़क ना जाए...."

"और दूसरी बात क्या है..."

"दूसरी बात ये कि हम दोनो की...सॉरी हम दोनो की नही, सिर्फ़ मेरी...मेरी बेज़्जती भी होगी...."

"और तीसरी बात..."हाथो मे खाने का पॅकेट लिए सुलभ मुझे इतने ध्यान से सुन रहा था की उसकी पकड़ खाने के पॅकेट्स पर कमजोर हो गयी और एक के बाद एक दो-तीन पॅकेट ,ज़मीन पर धमाके के साथ गिरे.....

"तीसरी बात ये कि, तू महा-बक्चोद है और मेघा के सपने देखना छोड़ दे...चूतिया साला,पांडे जी कि मेहनत को बेकार कर दिया..."सुलभ को खरी-खोटी सुनाते हुए मैं बोला"अब मेरा मुँह क्या देख रहा है,उठा के देख कि कुच्छ सलामत भी है या सब ख़त्म हो गया..."

"बोसे ड्के चिल्ला मत,वरना यही मारूँगा...कसम गंगा मैया की "

"मज़ाक कर रहा था पगले,तू तो हर बात दिल पे ले लेता है... "
.
हँसते-खेलते,लड़ते-झगड़ते...मैं और सुलभ आख़िर 'आर.दिव्या' के कॅंप के सामने पहुच ही गये ,लेकिन अब सवाल ये था कि हम दोनो मे से अंदर कौन जाए....क्यूंकी सुलभ की फट रही थी और मैं पहले अंदर नही जाना चाहता था और दूसरे शब्दो मे कहे तो मेरी भी फट रही थी...क्यूंकी इन लड़कियो का क्या भरोशा,साली 'हेल्प-हेल्प' चिल्लाकर हमे कही फँसा ना दे...
.
"तू साले बहुत शेर-दिल बनता है...तू ही जा पहले..."

"मुझे देखकर वो माँ दी लड़ली दिव्या सनक जाएगी...और लंबा चौड़ा बखेड़ा कर देगी..."

"एक काम करते है ,दोनो साथ चलते है अंदर..."

"ये सही रहेगा..."

मैने , सुलभ का हाथ ऐसे पकड़ा जैसे सात फेरे लेने जा रहा हूँ और कॅंप की तरफ बढ़ते हुए पुछा...

"गेस कर सकता है क्या कि वो तीनो क्या कर रही होगी ,इस वक़्त..."

"पक्का मूठ मार रही होगी..."

"क्या आदमी है बे, इतना खराब तो मैं भी नही बोलता....एक से बढ़कर एक है यहाँ...एक बात बता,तू सच मे मेघा को प्यार करता है या ऐसे ही अरुण की तरह दूध-गान्ड दबाने के लिए मेघा का चक्कर काट रहा है..."

"लेफ्ट साइड वाला प्यार है बे और मुझपर उंगली उठाने से पहले खुद को देख, तीसरा साल चल रहा है लेकिन इतना दम नही कि इन तीन साल मे उसे जाकर तीन शब्द बोल सके...और मुझपर उंगली उठाने से पहले खुद से पुच्छ कि क्या तू एश से लेफ्ट साइड वाला प्यार करता है या नही..."

"अपना तो 100 % पूरे है,आज कन्फर्म भी हो गया और अब चल..."
.
मैने सर नीचे करके कॅंप के अंदर पहले अपना सर घुसाया और अगल बगल देखा....वहाँ सिवाय एश के और कोई नही था और एश भी दूसरी तरफ अपना फेस किए हुए बैठी थी....

"अबे ,अरमान...तेरी बिल्ली कही कोई जादू-टोना तो नही करती ,क्यूंकी जिस पोज़िशन मे वो अपने बाल खुले करके बैठी है ,उससे अपुन को चुडैलो की याद आ रही है..."

"बक्चोद ,वो वीडियो गेम खेल रही होगी... ,तू साले लड़कियो की इज़्ज़त करना कब सीखेगा "खुस्फुसाते हुए मैने सुलभ से कहा और एश को आवाज़ दी लेकिन एश पहले के तरह ही इसबार भी बैठी रही....
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"अरमान,मैं क्या बोलता हूँ कि अब हमे चलना चाहिए...मेरी फट रही है...कही किसी ने ऐसे करते हुए देख लिया तो...भारी लफडा हो जाएगा...."

"डर मत...इस समय एश का बाप भी आ जाए तो मुझे कुच्छ नही बोलेगा...मेरे पास बॅक अप प्लान है..."

"ठीक है तो तू यही रुक मैं चला...वैसे भी मेघा यहाँ नही है..."

"रुक बे, वरना तेरे बाप को कॉल करके बता दूँगा कि तू उनके मना करने के बावजूद इधर कॅमपिंग मे आया है..."

सुलभ को रोक कर मैने एक और बार एश को धीरे से आवाज़ दिया लेकिन वहाँ बज रहे संगीत की ध्वनि मे मेरे मुँह से निकली ध्वनि घुल-मिल गयी और एश पर कोई प्रभाव नही पड़ा....

"एश....बिल्ली..पलट"थोड़ा तेज आवाज़ मे मैने कहा और जैसे ही एश पीछे पलटी,सुलभ अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ाकर वहाँ से उल्टे पैर भाग गया....साला डरपोक .

"अरमान......."मुझे देखते ही एसा चौकी और तुरंत ही उठकर मेरे पास आई..."क्या चाहिए तुम्हे..."

"एक चुम्मी..."मैने सोचा कि ऐसा बोल दूं,लेकिन फिर नही बोला और अपना सर ना मे हिला दिया.....

"कुच्छ कहना है.... "एश ने दोबारा सवाल किया.

मैने हां मे अपना सर हिलाया और सोचा कि ये बोल डू'आइ लव यू मोर दॅन दारू...' लेकिन फिर हिम्मत नही हुई....

"सॉरी बोलने आए होगे, आइ नो..."
Reply
08-18-2019, 02:13 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"आइ नो, यू नो, डॉन'ट नो,हू नो...बहुत कन्फ्यूषन है..."मैं बोला"वो तुम लोग नीचे नही गये थे खाना खाने...तो मुझे फिक्र होने लगी कि कही तुम लोगो का भूख के मारे पेट ना खराब हो जाए,इसलिए तुम तीनो के लिए खाना पॅक करवा के लाया हूँ...लेकिन सुलभ की मेहरबानी से सारे खाने का सत्यानाश हो गया..."

"क्य्ाआआआअ......."बोलते हुए एश ज़मीन मे गिरते-गिरते बची.

शुरू मे सोचा कि मस्त कूदकर एश को लपक लूँ लेकिन तभी मेरे दिमाग़ ने कहा कि'ना बेटा ना...लफडा हो सकता है' और मैने फिर वैसा कुच्छ भी नही किया....

"मुझे तो पहले से ही अंदाज़ा था कि इसका कुच्छ यही हाल होगा....अभी इसको हार्ट अटॅक भी आएगा "

"मुझे यकीन नही हो रहा कि तुम हमारे लिए खाना लाए हो, थॅंक्स...लेकिन दिव्या और मेघा भी चोरी-चोरी नीचे गयी है...."

"उस आर.दिव्या मे इतना टॅलेंट और हिम्मत कहाँ से आ गया"

"आर.दिव्या का मतलब..."

"आर.दिव्या का मतलब.....ह्म्म...रेस्पेक्टेड दिव्या "सुलभ के हाहाकार से जो खाने के पॅकेट बच गये थे उन्हे एश को पकड़ाते हुए मैने मन मे सोचा"चल अब आइ लव यू बोल और किस कर "

"मुझे समझ नही आ रहा कि मैं तुमसे डिन्नर लूँ या रहने दूं..."हाथो की तरफ देखते हुए एश बोली....

"ज़्यादा मत सोच...दिमाग़ पर असर पड़ता है, बिंदास होकर खाने का फिर सो जाने का बोले तो ख्पस "

"ख्पस मीन्स कृष्णा पब्लिक स्कूल..."

"ये ले अरे हमारी डिक्षनरी मे तो आइआइटी का फुल फॉर्म भी ' इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नालजी' नही होता तो फिर ख्पस का फुल फॉर्म कृष्णा पब्लिक स्कूल कैसे होगा...ख्पस का मतलब है खाओ,पियो और सो जाओ..."

"ओके..देन ख्पस टू यू..."बोलकर एसा ऐसे खुश हुई जैसे कितना भारी डाइलॉग मार दिया हो...

"तो मैं चलता हूँ..."(आइ लव यू बोल...)

"हां जाओ..."पलट कर जाते हुए एश बोली, लेकिन कुच्छ दूर आगे जाने के बाद पता नही उसको क्या हुआ ,जो वो एक दम से पलटी...उसके तेवर देखकर मैं हैरान परेशान हो गया....

"अपना खाना अपने साथ ले जाओ...मुझे कोई ज़रूरत नही..."वही से खाने की पॅकेट्स मेरी तरफ फेक कर एश बोली"और दोबारा मुझसे बात करने की कोशिश मत करना यहाँ तक कि मेरे करीब भी मत भटकना,..."

"तेरी माँ की इसको क्या हुआ...अभी तो अच्छे से बात कर रही थी..."हज़ार वोल्ट्स करेंट के झटके खाते हुए मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी थी और मुँह कयि इंच तक खुल गया था....एश का ऐसा रूप मैने अब से पहले कभी नही देखा था, उसे गुस्से मे देखा था लेकिन ऐसा काली माँ वाला रूप पहली बार देख रहा था.....दिल और दिमाग़ मे काई सवाल लिए मैने उससे पुछा...

"क्या हुआ..."

"अपना ये अहसान जो ज़मीन पर पड़ा है उसे उठाओ और यहाँ से दफ़ा हो जाओ..."

"अरे लेकिन ये तो बता हुआ क्या....तुझमे ये ज़ीरो टू इन्फिनिट वाला परिवर्तन कैसे और क्यूँ आ गया..."भड़क मैं भी सकता था लेकिन एश का लिहाज करते हुए खुद पर कंट्रोल करके रखा हुआ था....

"एक बार मे सुनाई नही देता क्या...मैने कहा ना दफ़ा हो जाओ यहाँ से..."

"देख बिल्ली, मेरा बॉडी का टेम्परेचर मत बढ़ा...नही तो..."

"नही तो क्या...तुमने गौतम के साथ जो किया उसके बाद तुम इसकी उम्मीद रखते हो कि मैं तुमसे सही ढंग से बात करूँगी...कुच्छ देर पहले तो मैं एक पल के लिए जैसे सब कुच्छ भूल ही गयी थी,वरना कॅंप के अंदर घुसने नही देती.अब ये अपना सड़ा सा खाना उठाओ और चलते बनो..."

"कंट्रोल कर बे...गाली मत देना इसको..."जब तक मैं एश के कॅंप मे था तब तक मैं हर पल खुद से यही कहता रहा और इसपर कामयाब भी हुआ....एश को यूँ मुझ पर भड़कता देख मेरा दिल कर रहा था कि अपना कॉलर उपर करू, गॉगल आँख मे चढ़ा कर एसा पर अपनी गालियों की पूरी डिक्षनरी खाली कर दूँ....

लेकिन दिक्कत ये थी कि मेरा शर्ट विदाउट कॉलर था ,गॉगल तो एक दिन पहले ही खो चुका था और एश का चेहरा देखकर मेरी गालियों की डिक्षनरी खुल ही नही रही थी....मैने ज़मीन पर पड़े हुए खाने के पॅकेट उठाए और वहाँ से जाते हुए एश से बोला...

"मेरी नही तो कम से कम इस खाने की तो इज़्ज़त की होती...खैर कोई बात नही, ख्पस"
.
एश के कॅंप से निकल कर मैं अपने कॅंप की तरफ बढ़ा...मुझे समझ नही आ रहा था कि एश मुझपर अचानक इतना भड़क क्यूँ गयी ? क्यूंकी यदि उसे मुझपर भड़कना ही था तो शुरू से ही भड़कती...शुरू मे प्यार-मोहब्बत दिखा कर बाद मे गाली देना ये कहाँ का व्यवहार है...इन लड़कियो को कभी हम ग़रीब लड़को के अरमानो की कद्र ही नही होती.शुरू मे उसके हाव-भाव से ऐसा लग रहा था कि अभी मुझे ' आइ लव यू' बोल देगी...लेकिन सारी उम्मिदो को जला कर राख कर दिया


"तो बेटा और भागो उसके पीछे,अपुन तो कॉलेज के पहले दिन से ही उससे दूर रहने को बोला था लेकिन नही...तुम्हारे ही पिछवाड़े मे उंगली हो रही थी अब भुग्तो..."अपनी कॅंप की तरफ जाते हुए मैं खुद से लड़ रहा था....कभी मैं एक पहलू से एश की बुराई करता तो कभी दूसरे पहलू से उसका बचाव करता....

"अरे बेटा...डर मत,मर्द बन....ये मेघा,विभा..जैसी लौंडिया तो बाए हाथ का खेल है...यदि दमदरी दिखानी है तो एश जैसी किसी खूबसूरत आइटम को सेट करने का....वरना ज़िंदगी भर मूठ मारने का...."
.
"धत्त तेरी की..."अपना सर पकड़ कर मैं जहाँ था वही खड़ा हो गया और खुद से बोला" आइ लव दारू मोर दॅन एश...नही...आइ लव एश मोर दॅन दारू....नोप, आइ लव दारू मोर दॅन एश...चुप हो जा बोसे ड्के ,आइ लव एश मोर दॅन दारू...तुझे तेरे लंड की कसम ...आइ लव दारू मोर दॅन....................."

"तुम्हारी माँ की "मैं चीखा ,चिल्लाया और जब खुद से जूझते हुए ध्यान दिया तो पाया कि मैं पहाड़ी के एक दम किनारे मे खड़ा हूँ.जहाँ से दो-चार कदम यदि मैं और आगे बढ़ता तो सीधे भगवान से फेस टू फेस मिलता....

"बीसी, मुझे नही लगता कि ऐसे मे मैं ज़्यादा दिन तक ज़िंदा रहूँगा...इस एश का कुच्छ तो करना पड़ेगा..."बड़बड़ाते हुए मैं तुरंत वहाँ से पीछे कुदा...
.
अपने कॅंप की तरफ बढ़ते हुए मैने घड़ी मे टाइम देखा ,रात के 11 बज रहे थे....मेरे दिल और दिमाग़ के वर्ल्ड वॉर के बाद मैं अब एक-दो पेग मारकर शांति से सोना चाहता था....लेकिन जब कॅंप के अंदर पहुचा तो वॉर्डन वहाँ पहले से मौजूद था...

"म्सी सला..."वॉर्डन को कॅंप के अंदर देख मैने दिल ही दिल मे कहा....

"कहाँ गये थे सर..."गधे की गान्ड जैसा मुँह बनाते हुए वॉर्डन ने पुछा...

"पेशाब करने गया था..."

वॉर्डन ने मुझे अपने बगल मे बैठाया और 'बेटा-बेटा' बोलकर बहुत सारी नसीहत दी और वहाँ से चला गया......जब वॉर्डन वहाँ से खिसका तो मैने सोचा कि अब चुप-चाप दो पेग मारकर सो जाता हूँ लेकिन मेरे खास दोस्त अरुण के गान्ड मे इल्ली थी....
.
"तूने आज मेरा बहुत दिल दुखाया है..."जब मैं अपनी आँखे बंद करके लेट गया तो मुझे हिलाते हुए अरुण ने कहा...

"एक काम कर...तू गान्ड मरा और दोबारा मुझे टच किया तो गान्ड फाड़ डालूँगा..."

"तू एक बार बोल दे कि ' आइ लव दारू मोर दॅन एश'...बस बात ख़त्म..."

"नही बोलूँगा...जो उखाड़ सकता है उखाड़ ले..."

"तेरे पास है ही क्या उखाड़ने को...तू बोल दे आज ,वरना सोने नही दूँगा..."

"बेटा जितना बड़ा तू नही है,उससे बड़ा तो मेरा लंड है...और एक बात बता, तू साले कही गे तो नही है..."

"अरुण चाहे गे हो या लेज़्बीयन, पहले तू ये बता कि तुझे एश ज़्यादा प्यारी है या हम लोग..."अबकी बार सौरभ के पिछवाड़े मे इल्ली हुई और वो भी उठकर बैठ गया....
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08-18-2019, 02:14 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
इसके बाद तो एक-एक करके सबके पिछवाड़े मे मानो किसी ने लंबा डंडा घुसेड दिया , साले सब मुझे धिक्कार रहे थे यहाँ तक की राजश्री पांडे भी...

"अरमान भाई...मैने जो आज आपके लिए किया वो सात जनम मे यदि एश ने कभी कर दिया तो माँ कसम मैं राजश्री खाना बंद कर दूँगा...."

"अरमान ,पहले फ्रेंड बाद मे गर्ल फ्रेंड..."सुलभ भी नसीहत देते हुए बोला...

"अबे तुम सबने भंग चढ़ा रखी है क्या,जो इतनी रात को ऐसी बेहूदा बकवास कर रहे हो...सो जाओ.."बोलते हुए मैने फिर चादर तानी ,लेकिन अरुण ने चादर छीन्कर दूर ज़मीन पर फेक दिया...

"बेटा ,बोल दे कि ' आइ लव दारू मोर दॅन एश' वरना...तुझे कॅंप से बाहर निकाल देंगे...साले वो लौंडिया हमसे बड़ी है क्या...."
.
जब सब दोस्त आपके खिलाफ हो जाए तो बड़ी आफ़त होती है यार ! ना चाहते हुए भी वो करना पड़ता है...जो करने मे रत्ती भर भी इंटेरेस्ट नही होता....मैं, ज़मीन पर दूर पड़ी अपनी चादर को कुच्छ देर तक देखता रहा और फिर उसे उठाकर अरुण की तरफ देखकर बोला...
"साले,वो कहाँ सूरजमुखी और तू कहाँ ज्वालामुखी...ज़मीन-आसमान का अंतर है तुम दोनो मे...मैं दूसरे कॅंप मे सो जाउन्गा लेकिन वो नही बोलूँगा...जो तुम लोग मुझसे बुलवाना चाहते हो....गुड नाइट "

मैं अपनी चादर समेट कर बाहर जा ही रहा था कि अरुण ने आवाज़ देकर वापस बुला लिया....
"रहने दे, तू भी क्या याद रखेगा कि किस लड़के से पाला पड़ा था..."

"मैं जानता था की तू मुझे जाने नही देगा...."
वापस लेट कर मैने चादर तानी और दिन भर की थकान के कारण मुझे नींद जल्दी आ गयी. मैं सुबह 8 बजे तक अपनी थकान मिटाता रहा और हमेशा की तरह आज भी मैं सबसे पहले उठा.....

10 बजे तक सारे स्टूडेंट्स कल की तरह उसी जगह जमा हुए,जहाँ कल हुए थे...और हमारा वॉर्डन कल की तरह आज भी शक्तिमान स्टाइल मे अपने दोनो हाथ अपनी कमर मे रखकर इन्स्ट्रक्षन दे रहा था.....उसने एक बार फिर सबसे कहा कि, कोई भी पुल के उस पार नही जाएगा और ना ही कोई दूसरे कॉलेज वालो से कोई विवाद खड़ा करेगा.....एक और बात जो वॉर्डन ने हमे बताई वो ये कि आज रात को खाना जल्दी हो जाएगा ,जिसके बाद इंजिनियर वनाम. डॉक्टर का डिबेट होगा....
"जो-जो लोग पार्टिसिपेट करना चाहते है ,वो मॅम के पास अपना नाम दे दे..."गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन की तरफ इशारा करते हुए उसने कहा....
.
"अरमान, जा तू भी अपना नाम दे दे..."मेरे पीछे खड़े अरुण ने मुझे एक लात मारते हुए कहा...

"लवडे, पॅंट काहे गान्ड कर रहा है और ये सब चूतियापा मेरे लिए नही है...."

"बोल ना फट गयी...बहाने क्यूँ मारता है..."

"मेरी किसलिए फटेगी बे..."

"तेरी इसलिए फटेगी क्यूंकी सबके सामने जाकर बोलने का गट्स तेरे मे नही है...तू बस हम लोग के सामने लंबी-लंबी छोड़ सकता है..."

"अबे जब 5000 लोगो के सामने ,जहाँ मीडीया वाले भी थे....उनके सामने मुझसे कहा गया था कि मैं हमारे देश के मिज़ाइल मॅन से कुच्छ सवाल करू...उस वक़्त जहाँ हर सेकेंड मे मीडीया वाले सैकड़ो फोटो खींच रहे थे...
उस वक़्त जब न्यूज़ चॅनेल्स के सैकड़ो कॅमरा लपलपा रहे थे...
उस समय जब मैं नॅशनल लॉ इन्स्टिट्यूट,भोपाल मे अपने स्कूल को रेप्रेज़ेंट कर रहा था....
तब मेरे हाथ मे माइक दिया गया और मुझसे कहा गया कि मैं डॉक्टर.आव्दुल पाकिर ज़ैनुलब्दीन अब्दुल कलाम से कोई सवाल पुच्छू....

जब उस वक़्त मेरी ज़ुबान नही लड़खड़ाई तो अब इन तुच्छ प्राणियो के सामने मैं हिचकिचाउँगा....ये तेरी ग़लतफहमी है बालक "अरुण से मैने कहा....

मुझे बोलने से पहले ही मालूम चल गया था कि मेरे बोलने के बाद अरुण मुझपर हसेगा और इसपर यकीन नही करेगा....लेकिन साले ने यकीन कर लिया

"खा माँ कसम कि तू सच मे अपने अब्दुल कलाम से फेस टू फेस बात किया है..."

"किया है तो किया है...अब इसमे माँ कसम खाने की क्या ज़रूरत है बे..."

"क्या सवाल किया था तूने...."

"बाद मे बताउन्गा...."बोलते हुए मैं सामने मुड़ा, जहाँ हमारा वॉर्डन बड़े से पत्थर मे खड़े होकर आज रात होने वाले डिबेट की कुच्छ जानकारी दे रहा था....
.
जो स्टूडेंट्स इंजिनियर वनाम. डॉक्टर के खेल मे इंट्रेस्टेड थे उन्होने अपना नाम दे दिया और फिर सभी पहाड़ी से नीचे उतर कर लेफ्ट साइड जाने लगे...कल की तरह आज भी वॉर्डन ने शुद्ध हिन्दी मे निर्देश दिए थे कि पुल की तरफ कोई नही जाएगा और शाम को 4 बजे तक...सब वापस लौट आएँगे.....

कल एमबीबीस कॉलेज के लड़को की वजह से हम लोग फिशिंग के बाद राप्पेल्लिंग मे नही जा पाए थे,जबकि मज़ा तो उसी मे आता था.इसलिए हमारी टोली ने डिसाइड किया कि आज पहले राप्पेल्लिंग मे जाएँगे और फिर वॉर्डन के इन्स्ट्रक्षन की धज्जिया उड़ाकर पुल के पार जाएँगे.....
.
राप्पेल्लिंग करके जब हम लोग उपर से नीचे उतरे तो हमारे शर्ट के कॉलर अपने आप खड़े हो गये थे...सीना गर्व के कारण 3-4 इंच अपने आप चौड़ा हो गया था...

"शुरू मे मेरी नीचे उतरने मे गान्ड फट रही थी लेकिन अब बहुत आसान लग रहा है...अब तो मैं आँख बंद करके पहाड़ के उपरी हिस्से से नीचे ज़मीन पर आ जाउ..."रौबदार आवाज़ के साथ सौरभ ने अपनी बढ़ाई की....
.
"अब किधर चलने का प्लान है...अरमान भाई..."राप्पेल्लिंग वाली जगह से जब हम लोग बहुत आगे आ गये तो पांडे जी ने पुछा...जबकि जवाब वो पहले से जानता था....

"नादिया के पार..."

"वॉर्डन ने देख लिया तो..."पांडे जी ने अपनी शंका जाहिर की..

"एक काम कर तू मत जा...हर बार नेक काम करने से पहले उस मनहूस का नाम लेना ज़रूरी है क्या..."

"मैं तो बस ऐसे ही पुच्छ रहा था ,अरमान भाई...नाराज़ क्यूँ होते हो "
.
हमारे साथ-साथ वॉर्डन खुद भी शायद यह जानता था कि हम लोग उसके मना करने के बावजूद आज भी पुल के उस पार जाएँगे,इसीलिए उसने आज सुबह हम मे से किसी को नही टोका था...हम लोग पुल पर चढ़े तो सुलभ ने पुल मे इधर-उधर बैठकर रस-लीला कर रहे प्रेमी जोड़ो को परेशान करने की फरमाइश की...लेकिन सुलभ के सिवा हम मे से किसी और का ऐसा करने का बिल्कुल भी मन नही था,इसलिए हमने प्रेमी जोड़ो को परेशान करने का ये प्लान ड्रॉप किया और सीधे पुल के उस पार पहुँचे....
.
"कॉफी हाउस भी नही जा सकते,वरना यदि वो वेटर हमे पहचान गया तो लफडा कर देगा...."पुल के दूसरी तरफ पहूचकर मैने कहा...

"क्यूँ...आंजेलीना ने बिल तो भरा ही होगा ना कल..."

"बिल भले ही आंजेलीना ने भर दिया हो..लेकिन बिना बिल पे किए हम लोग वहाँ से भागे थे ये मत भूल और मेरा सिक्स्त सेन्स कहता है कि हमारे वहाँ जाने से कोई लोचा हो सकता है...."

इस तरह हमने कॉफी हाउस के अंदर जाने का भी प्लान ड्रॉप किया और इधर उधर नज़र मारी तो एक छोटी सी दुकान दिखी...जो कॉफी हाउस से थोड़ी दूर मे थी.

"सबको एक-एक चाय पिलाना भैया..."ऑर्डर देकर जब हम लोग अंदर घुसने लगे तो दंग रह गये...क्यूंकी वहाँ अंदर कल्लू,कंघी चोर...समोसे की प्लेट हाथ मे पकड़ कर सरपट खाए जा रहा था,.....

"ये भी भागता है...यकीन नही होता..."बोलते हुए अरुण कल्लू के बगल मे बैठा और ज़ोर से उस कन्घिचोर की पीठ थपथपाई...जिससे उसके हाथ से समोसे का प्लेट सीधे ज़मीन मे आ गिरा....

"साले, अब इसके पैसे क्या तेरा बाप देगा...."कल्लू भैया के हाथ से जब उनके समोसे का प्लेट छूट कर ज़मीन पर गिर गया तो वो एक दम से अरुण के उपर भड़क उठा, बिना इसकी परवाह किए की उसकी पेलाइ भी हो सकती है....

"सॉरी.."अरुण बोला...
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