Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-30-2021, 12:02 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
इतने में वो दोनों घर पहुँच जाती हैं, घर में कामवाली बाईं के सिवा और कोई नहीं था। वो दोनों अंदर जाती हैं, और देखती की मीता और बिटू दोनों सामने खड़े हैं। ये देखकर चरणजीत हैरान जो जाती है, लेकिन सुखजीत को पता होता है, की उन दोनों ने आना ही है। क्योंकी वो आपने आप ही जानबूझ कर हरपाल को कहने के बहाने उन दोनों को इन्वाइट करके आई थी।

चरणजीत मीता को देखकर बोली- “भाईजी आप यहाँ क्या कर रहे हो?"

मीता मूंछच को ताव देकर बोला- “बहनजी बस आपको मिलने के लिए आया हूँ, क्या बात है आजकल आप बात नहीं करते...” कहकर मीता चरणजीत के पास हो जाता है।

उधर बिटू भी सुखजीत के पास हो जाता है और सुखजीत धीरे से कहती है- “भाईजी आप मेरे घर वाले को क्या कहकर आए हो?"

त को कमर से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचकर बोला- "मैंने उसको कहा की आज भाभी बड़ी सेक्सी लग रही है, मैं जरा उसपर अपना हाथ साफ करके आया..”

सुखजीत के मुँह से ये सुनते ही- “आह्ह... आह्ह...” निकलती है, और वो बिटू को अपनी बाहों में भर लेती है।

इधर मीते ने भी चरणजीत को खींचकर अपनी बाहों में भर लिया था और वो बोला- "भाभी आज कमाल की लग रही है..” कहकर वो चरणजीत के चूतरों पर हाथ रखा देता है।

दोनों जट्टियां और उन दोनों के यार एक रूम में मुलाकात कर रहे होते हैं। सुखजीत बिटू को अपनी बाहों में भरकर उसके सीने पर हाथ फेरते हुए बोली- "आप और क्या-क्या कहकर आए हो मेरे पति को?"

बिटू अपना हाथ सुखजीत के चूतरों पर लेकर आता और जोर से मसलकर बोला- “और कहकर आया हूँ, की तेरी घरवाली बहुत मस्त होकर मुझे अपनी चूत देती है.."

सुखजीत आँख बंद करके बोली- “अच्छा और क्या कहा?"

बिटू सुखजीत की कमीज का पल्ला उठाकर पीछे से उसकी गाण्ड में उंगली डालकर बोला- “और मैं ये कहकर आया हूँ, की तेरी घर वाली के चूतरों के बीच उंगलियां डालने में बहुत मजा आता है...”

सुखजीत ये सुनते ही बहुत खुश और गरम हो जाती है। और फिर सुखजीत अपने लाल होंठ बिटू के होंठों में डालकर उसके होंठों को चूसने लगती है। बिटू भी एक हाथ सुखजीत की गाण्ड पर रखता है और दूसरा हाथ उसकी चचियों पर रखकर दोनों को एक साथ मसल देता है।

दूसरी तरफ मीता चरणजीत को चूस रहा था और चरणजीत बोलती है- "ना भाईजी ऐसा ना करो... मुझे जाना भी है, बलविंदर ने मुझे जल्दी आने को कहा था..."

मीता- “ओह्ह... तू छोड़ उस बलविंदर को, जब मैं तेरे साथ हूँ। वैसे बस में तो तू बहुत अपनी चूतर हिला रही थी। अब हिला ना अब मैं तेरे साथ हूँ..” मीता चरणजीत के दोनों चूतर पकड़कर कसकर मसल देता है।

इससे चरणजीत बहुत गरम हो जाती है, और मीते के होंठों को अपने आप चूसने लगती है।

होंठों को चुसवाते हुए सुखजीत चरणजीत को देखकर आँख मारती है।

इतने में चरणजीत के फोन पर बलविंदर का फोन आ जाता है। ये देखकर चरणजीत एकदम घबरा जाती है, और मीता से अलग होकर फोन उठाकर बोली- “हेलो..."

बलविंदर- ओ यार तू कहाँ रह गई, सब यहाँ तेरा इंतेजार कर रहे हैं।

चरणजीत- हाँ बस अभी आई 5 मिनट में।

सुखजीत और बिटू अभी भी लिपटे हुए थे।

चरणजीत उन्हें देखकर बोली- “बहनजी चलो अब फोन आ गया है."

सुखजीत उदास सा मुँह बनाकर बिटू को देखती है और उसके होंठों को चूसकर बोली- "मुझे अब जाना पड़ेगा भाईजी...”

बिटू सुखजीत के चूतर मसलकर फिर से होंठ चूसकर बोला- "आज रात तुझे मैंने मोटर पर ठोंकना है..."

सुखजीत शर्मा जाती है, और आँखें नीचे करके लण्ड को पकड़कर आँख मारकर वहां से चली जाती है। दोनों घर से निकल जाती हैं, और शगुन वाली वहां जगह पहुँच जाती हैं। कार से निकलने से पहले चरणजीत सुखजीत की तरफ देखकर बोली।

चरणजीत- “बहनजी आपकी लिपस्टिक खराब हो रखी है.."

सुखजीत ये सुनकर मिरर में अपनी लिपस्टिक को ठीक करती है, और दोनों अपनी-अपनी चूचियां सेट करके पहली जैसी बनकर अंदर चली जाती हैं।

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01-30-2021, 12:02 PM,
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कड़ी_38
चरणजीत और सुखजीत दोनों जाकर फिर शगुन के प्रोग्राम में घुल-मिल जाती हैं। सुखजीत, पिंकी और रीत के पास जाती है। इतने में रीत और पिंकी अपने पीछे बहुत सारे लड़के ला चुकी थीं। सुखजीत भी उनके पास आकर खड़ी हो जाती है, और वो भी शगुन में पिंकी और रीत की तरह प्रोग्राम में चार चाँद लगा रही थी।

इतने में डी.जे. पर गाना चलने लगता है, और पिंकी अपने हाथ पैर गाने की ताल के साथ हिलाने लगती है। क्योंकी उसका मन डान्स करने का हो रहा था।

रीत ये देखकर उससे बोली- “यहाँ खड़ी क्या हाथ पैर हिला रही है, डी.जे. के सामने क्यों नहीं नाचती तू?"

पिंकी- वहां भी नाच लूँगी, पर कोई शुरू तो करे डान्स करना।

रीत- तू अकेली जाकर डान्स करके दिखा दे अपने जलवे जौन से जलवे तूने दिखाने हैं।

पिंकी ये सुनकर उसे अपना मोड़ा मारती है, वो रीत को सुखजीत की तरफ इशारा करती है की तेरे सामने तेरी मम्मी खड़ी है, और तू उनके सामने कैसी बातें कर रही है। इतने में कुछ लड़कियां डी.जे. के सामने डान्स करने लगती हैं, और पिंकी रीत का हाथ पकड़कर डी.जे. के सामने उसे ले जाती है।

दोनों अपनी कमर हिला-हिलाकर डान्स करना शुरू कर देती हैं। लड़के सारे पास-पास होकर उन दोनों को घूर-चूर कर देख रहे थे। लड़के लड़की वालों की तरफ से थे, जिनकी नजर रीत और पिंकी पर होती है। पिंकी ये सब अच्छे से जानती थी, इसलिए पिंकी जान बूझकर उनके सामने अपनी गाण्ड जोर-जोर से मटका-मटकाकर नाच रही थी। ताकी लड़के उसके पीछे पड़े और फिर वो बाद में उन्हें अच्छे से तड़पाए। क्योंकी ऐसी खूबसूरत बला को लड़कों को तडपने में बहत मजा आता है।

इतने में लड़कों की टोली के पीछे से एक जवान सुंदर लड़का सबसे नजरें बचाकर सुखजीत को देखता है, और वो साइड में चला जाता है। ये चीज सुखजीत भी अच्छे से नोट कर लेती है। पर उसको इसमें कुछ अजीब नहीं लगता, क्योंकी अभी-अभी तो बिटू से अपने जिश्म पर हाथ फिरवा कर आई थी। सुखजीत इसलिए पहले से ही गरम हो रखी थी। सुखजीत को दर्शल उस लड़के का चोरी चुपके उसको देखना बहुत अच्छा लग रहा था।

उस जवान लड़के का नाम गगन होता है, और गगन आई.सी.आई.सी.आई. बैंक का मैनेजर होता है साथ के शहर में। दिखने में गगन ऊंचा लंबा 6 फूट का हट्टा-कट्टा लड़का होता है। उसकी पाचवी पेग खुल्ली डैडी और रोबदार कुंदिया मुचा उसकी पूरी शान बना रही थी।

दो-तीन बार सुखजीत और गगन की आँखें आपस में लड़ चुकी होती हैं। इतने में पिंकी सुखजीत के पास आती है और उसे खींचकर उसे डान्स फ्लोर पर ले जाती है। अचानक पिंकी के खींचे जाने की वजह से सुखजीत को कुछ समझ में नहीं आता, इसलिए वो धीरे-धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू कर देती है।

दूसरी तरफ लड़कों की टोली खूबसूरत पंजाबी जट्टियों को नाचते हुये देख रही थी। उनके सबके लौड़ों में खूबसूरत जवान जटियों के डान्स देखकर आग लग रही थी। कोई बैठकर नंबर दे रहा था, पर जब सुखजीत आई तो वो नंबर देने वाला बोला- “हाए ओये भाई इसको तो मेरी ओर से पूरे 10 नंबर। देख इसके मस्त चूतर कैसे हिल रहे हैं..."
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01-30-2021, 12:03 PM,
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गगन भी पूरी मस्ती से सुखजीत का डान्स देख रहा था। पर सुखजीत को ऐसे धीरे-धीरे डान्स करना नहीं आता है। इसलिए वो पूरे जोश में जोर-जोर से नाच रही थी। सुखजीत ने अपनी शर्म थोड़ी हटाई और खुलकर नाचने लगी। इतने में डी.जे. पर ये वाला गाना शुरू हो गया

“लक्क 28 कूदी दा 47 इंतेजार कूदी दा"
सुखजीत ने ये गाना सुनते ही अपनी कमर पर हाथ रखा और जोर-शोर से अपने चूतर हिलाने शुरू कर दिए। फ्लोर पर अकेली सुखजीत ने आग ही लगा दी थी, क्योंकी सुखजीत को ये करते देखकर रीत और पिंकी ने भी अपनी कमर पर हाथ रखा और जोर-जोर से अपनी गाण्ड को हिलाने लगी।

ये सीन देखने वालों का बुरा हाल हो गया, सुखजीत ने नाचते हुए एक-दो बार गगन की आँखों में देखा। गगन सुखजीत और उसके चूतरों की तरफ देख रहा था। सुखजीत पहले से ही थोड़ी गरम हो रही थी, इसलिए उसे ये सब करने में बहुत मजा आ रहा था।

इतने में गाना चेंज हो जाता है, और गगन और उसके कुछ दोस्त डी.जे. वाले फ्लोर पर आ जाते हैं। और वो भांगरा स्टेप करने लगते है।

वो गाना ये था- “आगे पग्गा पोछनिया वाले रही बचने के नि रंगले दुपट्टे वालिए."

गगन और उसके दोस्त बहुत ही अच्छा डान्स कर रहे थे। गगन बार-बार सुखजीत की बाहर निकली गाण्ड को देख रहा था। जब उसकी नजर सुखजीत से मिलती है, तो सुखजीत शर्माकर अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेती है। माहौल धीरे-धीरे गरम हो रहा था।

थोड़ी ही देर गाना चेंज हो जाता है, और इस गाना पर सुखजीत अपनी टाँगें उठा-उठाकर डान्स करने लगती है। अब गगन से और नहीं रुका और वो सुखजीत के ऊपर 100-100 रूपए के नोट वारने लगा।

अपने पीछे इस तरह गगन को पागल हुए देखकर सुखजीत को बहुत मजा आ रहा था। अब सुखजीत को गगन पसंद आने लगता है। सखजीत बार-बार गगन को देखकर शर्मा रही थी।

आसली बात ये थी, की सुखजीत डान्स करते-करते इतनी मस्त हो जाती है की वो भूल जाती है की वो दो बच्चों की माँ और एक शादीशुदा औरत है। साथ में सुखजीत 34 साल की भाभी लग रही थी। जिसका जिश्म सच में बहुत ही मस्त था। गगन भी सारे आशिकों में से एक सुखजीत के मस्त जिश्म का आशिक बना हुआ था। गगन डान्स फ्लोर पर सुखजीत को छेड़ने का एक भी मोका नहीं छोड़ रहा था। बस फिर ऐसे ही काफी देर तक सुखजीत और गगन का नैन मटक्का चला और फिर धीरे से सुखजीत डान्स फ्लोर से चली जाती है। \

फिर वो तीनों बैठ जाती हैं, थोड़ी देर बाद प्रोग्राम खतम हो जाता है। सब बाहर जाने लगते हैं। सुखजीत, रीत और पिंकी भी बाहर आ जाते हैं। पर तभी सुखजीत को याद आता है, की उसका पर्स वहीं चेयर पर रह गया है।

सुखजीत- “ओहो... एक मिनट रुको मैं अपना पर्स चेयर पर भूल आई हूँ..." और सुखजीत भागकर अंदर जाती है, पर उसे उसका पर्स वहां नहीं मिलता। सुखजीत सोचती है- “हाए रब्बा... अब मेरा पर्स कहां चला गया?"

वो इधर-उधर देखती है की वहां आस-पास कोई खास बंदा नहीं था, बस साफ सफाई वाले थे। तभी वो पीछे मुड़ती है तो देखती है, की उसका पर्स गगन अपने हाथ में लिए खड़ा हुआ था। गगन सुखजीत का पर्स सुखजीत को देते हुए बोला- "ये लो जी अपना पर्स..."

सुखजीत अपना पर्स गगन के साथ से लेती है और वहां से चली जाती है।

गगन पीछे से बोला- "थॅंक यू भी नहीं बोलना क्या?"

सुखजीत आटिट्यूड के साथ शर्माकर कुछ नहीं बोली पर दूर होने लगती है।

तभी गगन बोला- “डान्स बहुत अच्छा करते हो आप...”

सुखजीत शर्मा जाती है और बोली- “आप भी अच्छा डान्स कर लेते हो.."

गगन ये सुनकर खुश हो जाता है, और सुखजीत वहां से चली जाती है।
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01-30-2021, 12:03 PM,
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सुखजीत अब गगन को पसंद करने लगती है। सुखजीत रीत और पिंकी घर चली जाती है। घर आते ही रीत के फोन पर मलिक का फोन आता है।

रीत- हाय।

मलिक- क्या हाल मेरी जान के?

रीत- आपके बिना कैसा हो सकता है मलिक जी?

मलिक- तो मेरी जान आ जा मेरे पास।

रीत- दिल बहुत करता है, पर आऊँ कैसे? अगर मैं बाहर निकली तो सब घर वाले 100 से ज्यादा सवाल पूछेगें।

मलिक- अच्छा अगर ऐसी बात है, तो मैं आ जाऊँ?

रीत- हीहीहीही... आ जाओ अगर दम है तो?

मलिक- दम तो इतना है, की मैं सबके सामने तेरे होंठों को चूस लूँ।

रीत- शीए शीए गंदे... जब देखो गंदी बातें करते हो।

मलिक- क्या करूँ मेरी जान है ही इतनी सेक्सी। बार-बार उसके होंठों को चूसने का बहुत मन करता है।

रीत शर्मा जाती है और बोली- “अच्छा फिर आओ चूस लो..” रीत ने तो मजाक में कह दिया था, ये सोचकर की मलिक यहाँ नहीं आएगा।

मलिक- जान आज कौन सा सूट डाला हुआ है? प्लीज़्ज़... एक पिक भेजो ना।

रीत उठकर अपनी चूचियों को उठाकर ऊपर करती है, और अपना हल्का सा क्लीवेज दिखाते हुए मिरर में देखकर अपनी एक फोटो क्लिक करके मलिक को भेज देती है।

मलिक पिक देखकर बोला- “हाय्य आए ओये रब्बा... कितनी सुंदर लग रही है तू मैं अभी आ रहा हूँ जान...”
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01-30-2021, 12:04 PM,
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कड़ी_39

घर पहुँचने के बाद सुखजीत थोड़ा थक चुकी थी, इसलिए वो आते ही बेड पर लंबी लेट जाती है। फिर वो गगन के साथ हुए, नैन मटक्के के बारे में सोचने लगती है। उसकी नजर अचानक उसके पर्स पर पड़ती है। सुखजीत तभी अपने पर्स को खोलती है, उसे अपने पर्स में एक लेटर मिलता है। जिसमें ये लिखा था।
मेरी आँखों में बंद तेरे ही ख्वाब हैं, और दिल मेरे तेरे लिए प्यार बहुत।
यार तू बन गई है जान मेरी। तुझे मिलने को तरसे दिल मेरा।
बता कैसे समझाऊँ इस पागल दिल को? तुझे पाने के लिए ये है बेकरार बड़ा।
और नीचे गगन ने अपना नंबर लिखा हुआ था।

सुखजीत ये पढ़कर मुश्कुरा पड़ती है, और वो ही सीन याद करने लगती है। जब वो एक दूसरे को देखकर डान्स कर रहे थे, और गगन उसके हुश्न पर पैसे वार रहा था। सुखजीत अपने मन में सोचती है, की कोई ना कोई बात तो है इस लड़के में। तभी सुखजीत का फोन रिंग करने लगता है। वो नंबर देखते ही समझ जाती है, की ये नंबर बिटू का है।

"
सुखजीत फोन उठाकर बोली- “हेलो..."

बिटू- क्या कर रही है मस्त भाभी?

सुखजीत भी ठरकी आवाज में बोली- “मैं तो बस अपने देवर को याद कर रही थी..."

बिटू- अच्छा भाभी फिर क्या सोचकर याद कर रही थी मुझे?

सुखजीत उल्टी होकर लेट जाती है, और अपनी टाँगें हिलाकर बड़े मजे में बिटू से बात कर रही थी।

सुखजीत- ये ही सोच रही थी, की मेरा देवर मेरा कितना ध्यान रखता है।

बिटू- देवर तो इतना ध्यान रखेगा, की तेरी सलवार का नाड़ा हर टाइम ढीला ही रहेगा।

सुखजीत- सीयी पागल... अगर ढीला होगा तो मेरी सलवार नीचे गिर जाएगी।

बिटू- तो क्या हो गया भाभी, आज रात तेरी सलवार मोटर पर नीचे ही गिरेगी।

सुखजीत नखरे दिखाकर बोली- “नहीं नहीं, मैं नहीं आऊँगी, मेरा दिल डरता है..."

बिटू- यार के होते हुए डर कैसा?

सुखजीत- हाए यार से तो मेरा दिल डरता है।

बिटू- जब पहली बार हाथ फिरवाया था, तब डर नहीं लगा?

सुखजीत- हाए तेरे हाथ में तो जादू है, जब भी तू अपना हाथ फेरता है। तभी मेरी जान निकाल लेता है।

बिटू- आज मोटर पर तेरी जान ही निकालनी है, और साथ में चरणजीत को भी ले आईओ, मीता बहुत तरस रहा है, उसकी चूत मारने को। आज रात तुम दोनों देवरानी और जेठानी की टाँगें उठा-उठाकर मारेंगे।

सुखजीत- वो नहीं मानेगी, बहुत डरती है वो।

बिट्ट- तू तो किसी को भी मना सकती है भाभी।

सुखजीत- “अच्छा जी ठीक है फिर...” कहकर सुखजीत फोन कट कर देती है।
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01-30-2021, 12:04 PM,
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दूसरी तरफ रीत को मलिक का फोन आता है।

रीत- हेलो।

मलिक- ऐसा कर घर की बैक साइड आ जा, जहाँ पर भैंसें बँधी हुई हैं।

रीत- क्यों?

मलिक- मैंने एक जरूरी बात करनी है।

रीत- गंदे मुझे पता है, क्या बात करनी है तूने?

मलिक- ओहह... मेरे बाबू, सच में बात करनी है।

रीत- ओके, मैं आती हूँ।

मलिक वहां खड़ा होता है, जहा भैंसें होती हैं। उस जगह पर दोपहर को कोई भी नहीं आता था। शादी के काम में सारे बंदे बहुत बिजी थे। थोड़ी देर को रीत उधर आ जाती है। रीत ने लोवर और एक टी-शर्ट डाली हुई थी।

रीत मलिक के पास जाकर बोली- “हाँ जी बोलो क्या बात करनी है.."

मलिक सेक्सी सी स्माइल करके रीत को खींचकर अपने सीने से लगा देता है। मलिक अपना हाथ रीत के चूतरों पर ले जाता है। जैसे ही रीत के चूतरों पर मलिक का हाथ जाता है, वो कसकर मलिक को अपनी बाहों में भर लेती है, और बोली।

रीत- हाए प्लीज़्ज़... मलिक यहाँ कुछ ना करो, घर का मामला है। कोई भी कहीं से भी आ सकता है।

पर मलिक रीत की एक बात नहीं मानता और वो रीत के होंठों पर अपने होंठ रखा देता है। रीत ना ना ही करती रह जाती है। मलिक अपना हाथ रीत की टी-शर्ट में लेकर जाता है। आज रीत ने ब्रा नहीं डाली हुई थी, इसलिए मलिक के हाथों में रीत के नंगी चूचियां आ जाती हैं। जैसे ही मलिक हल्का सा उसकी चूचियां मसलता है, तभी रीत कसकर मलिक को अपनी बाहों में भर लेती है। फिर रीत जोर-जोर से उसके होंठों के सने लगी।

इतने में उन्हें बाल्टी की आवाज सुनाई देती है, वो दोनों एकदम घबरा कर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। पर जब वो दोनों देखते है, की बाल्टी तो भैंस ने हिलाई है। तो रीत ये देखकर जल्दी से वहां से भाग जाती है। जाते जाते वो मलिक को जीभ निकालकर चिढ़ाती देती है।

मलिक भी देखकर हँसते हुए कहता है- “साली आज फिर निकल गई हाथ से...”

इतने में रात होने लगती है, सभी खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे होते है। 11:00 बजे चुके थे, चरणजीत किचेन में बर्तन साफ कर रही थी।

सुखजीत उसके पास आती है और बोलती है- “क्या बात है बहनजी अभी तक सोए नहीं आप?"

चरणजीत- नहीं ये थोड़ा काम है, ये बर्तन साफ करने के बाद देखती हूँ।

सुखजीत- बहनजी आज जो घर में हुआ, उस बात का किसी को पता तो नहीं चला?

चरणजीत- नहीं बहनजी घर में कोई नहीं था।

सुखजीत मोढ़ा मारकर बोली- “चलिए बहनजी?"

चरणजीत हेरनी से बोली- कहां बहनजी?

सुखजीत- मोटर पर बहनजी।

चरणजीत- हाए नहीं बहनजी मैंने नहीं जाना।
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01-30-2021, 12:04 PM,
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कड़ी_40

सुखजीत- “क्यों बहनजी मजा नहीं आया क्या दोपहर को हाथ फिरवा कर, जब उसने अपना हाथ आपके चूतरों पर रखा था...” और सुखजीत अपना हाथ चरणजीत के चूतरों पर रख देती है।

चरणजीत झट से गरम हो जाती है और फिर वो बोलती है- “आहह... नहीं बहनजी अगर किसी को पता चल गया की सरदार बलविंदर की वाइफ मोटर पर जाकर अपनी चूत मरवाती है। हर किसी के आगे अपनी टाँगें उठाये फिरती है। अगर ये सब किसी को पता चल गया तो मेरी और मेरे परिवार की क्या इज्जत रह जाएगी?"

सुखजीत चरणजीत के पीछे आकर उसके पल्ले के अंदर डालकर उसके चूतरों को मसलते हुए बोली- “ओहो... बहनजी आप भी ना फालतू की इतनी टेन्शन लेती रहती हो। वो सरदार चाहे जो मर्जी करे, पर उसकी वाइफ थोड़ा सा मजा भी नहीं ले सकती भला बताओ?"

चरणजीत- आहह... स्स्सीई नहीं बहनजी सारी मुझसे नहीं होगा ये सब।

सुखजीत- अच्छा बहनजी, आप कुछ ना करवाओ। पर मेरे साथ तो चल ही सकती हो ना?

चरणजीत थोड़ा सोचकर बोली- “ठीक है बहनजी, मैं सिर्फ आपके साथ जाऊँगी, पर कुछ करूँगी नहीं मैं..."

सुखजीत चूतर मसलकर खुश होकर बोली- “ठीक है बहनजी.."

पर सुखजीत अपने मन में बोली- “चल साली गश्ती... मीते को देखकर तू अपने अप अपनी सलवार खोलकर उसे अपनी चूत देगी वहां...”

चरणजीत- “हाए बहन प्लीज़्ज़... मेरे चूतरों को ना मसला करो, मुझे दर्द होता है..."

सुखजीत- “क्या करूँ बहनजी इतने सुंदर चूतरों को देखकर रहा नहीं जाता। और बहनजी, अगर मैं मसलू तो आपको दर्द होता है। और अगर मीता आपके चूतर मसले तो आपके मुँह से मजे वाली आहह... निकलती है।

चरणजीत ये सुनकर शर्मा जाती है- “पर जाना कैसे है बहनजी?"

सुखजीत- “बहनजी पैदल ही जाना है, अब सारे सो चुके हैं। चलो अब चलते हैं.."

चरणजीत- बहनजी ध्यान रहे किसी को पता ना चले बस।

सुखजीत- अरे किसी को कुछ पता नहीं चलता, बस आप चुपचाप निकलो।
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फिर सुखजीत और चरणजीत दोनों घर का गेट खोलकर बाहर निकल जाती हैं। थोड़ी ही देर में वो दोनों मोटर पर पहुँच जाती है। मोटर पर एक छोटा सा बल्ब जल रहा था। जिसकी बहुत हल्की सी रोशनी होती है। मोटर के पास पीपल के पेड़ के नीचे मीता और बिटू बैठे दारू पी रहे थे। इतने में मीते को सुखजीत और चरणजीत नजर आती है, तभी वो बोला।

मीता- “भाई बिटू, देख अपना माल आ रहा है।

बिटू पेग खींचकर बोला- “यार अपना माल अपने पास ही आएगा, और कहीं नहीं जाएगा। वैसे इनके बंदों के बस की है नहीं ये दोनों..."

मीता- हाए ओये आज तो चरणजीत भी आई है, आज तो मैं इसकी जमकर मारूँगा।

बिटू- हाँ आज जमकर चोदियो साली चरणजीत को।
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01-30-2021, 12:04 PM,
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इतने में सुखजीत उनके पास आकर खड़ी हो जाती है, सुखजीत बिटू को स्माइल करती है। तभी बिटू सुखजीत का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींचकर उसे अपनी गोद में बिठा लेता है। सुखजीत भी आपने मोटे और मुलायम चूतर सुखजीत के लण्ड पर रखकर बैठ जाती है। बिटू अपना एक हाथ सुखजीत के पेट पर रखता है

और एक हाथ से अपनी मूछों को ताव देते हुए बोला।

बिटू- भाभी आज अपने जैसा नशीला पेग बना दे।

सुखजीत ये सुनकर शर्मा जाती है, और पेग बनने लगती है। सुखजीत दो पेग बनाती है।

ये देखकर बिटू बोला- “भाभीजी एक अपना और चरणजीत का भी बना लो.."

चरणजीत- नहीं बहनजी मेरा ना बनाओ, मैंने कभी पी नहीं।

सुखजीत- ओहो... बहनजी मैंने भी कभी नहीं पी, चलो आज दोनों ट्राई करते हैं।

मीता चरणजीत की तरफ देखकर बोला- “पी लो ना भाभीजी...”

चरणजीत देखकर हँस पड़ती है और बोलती है- "ठीक है, थोड़ी सी डालना..”

सुखजीत चार पेग बना देती है और सबको एक-एक पकड़ा भी देती है। मीता और बिटू एकदम पेग पी लेते हैं। सुखजीत भी एकदम पी जाती है, पर चरणजीत सोच रही थी की पेग को पियूं या ना पियूं?

सुखजीत- बहनजी पी लो कुछ नहीं होता।

फिर चरणजीत हौसला करके पी जाती है। बिटू को पहले से ही दारू का नशा हो रखा था। वो सुखजीत के होंठों को देखकर बोला- “भाभी देख तेरे होंठों पर अभी भी दारू लगी हुई है..."

सुखजीत बिटू के गले में बाहें डालकर बोली- “कहाँ लगी है?"

बिटू अपने होंठ सुखजीत के होंठों पर रखा देता है, और सुखजीत भी उसका पूरा साथ देती हुई अपने होंठ उससे चूसवाने लगती है।

मीते उन दोनों को सब करते देखकर चरणजीत की तरफ देखता है। चरणजीत अपनी नजरें घुमा लेती है।

बिटू सुखजीत के होंठों में से अपने होंठ बाहर निकाल लेता है। सुखजीत ठरकी आवाज में बोली- “भाईजी अभी कहाँ साफ हए मेरे होंठ, देखो अभी भी कितनी शराब लगी हुई है अभी..."

बिटू ये सुनते ही उसकी चूचियां मसल देता है और उठकर सुखजीत को अपनी गोद में उठाकर उसे अंदर ले जाता है, और सुखजीत को मंजे पर गिरा देता है। फिर उसपर लंबा लेटकर उसके होंठों को चूसने लगता है। सुखजीत पूरी मस्ती में उसको कसकर अपनी बाहों में भर लेती है, और बिटू का वो पूरा साथ देती है।

बिटू सुखजीत की चुन्नी को उतारकर साइड में फेंक देता है, और उसके गले पर किस करते हुए बोला- “भाभी आज क्या कहकर आई है घर पर?"

सुखजीत- “आहह... आहह... मैं कहकर आई हूँ, मैं बिटू ने नीचे लेटने जा रही हूँ..."

बिटू ये सुनकर कस-कस के चूचियां मसलने लगता है। और कहता है- “क्या बात है? हरपाल ने पूछा नहीं की क्यों बिटू ने नीचे लंबी लेटने जा रही है?"

सुखजीत- आss मैंने कहा की मुझे बिटू का लण्ड पूरा मजा देता है।

ये सुनकर दोनों गरम हो जाते हैं।
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01-30-2021, 12:04 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
कड़ी_41

सुखजीत बिटू को एक धक्का देखकर अपने ऊपर से हटा देती है, और फिर उठकर अपनी कमीज उतारकर साइड में फेंक देती है। फिर सुखजीत अपनी चूचियां अपने आप बिटू के सीने से लगाकर बोली- “आह्ह... स्स्सी... अब इस जटी का तेरे बिना सरता नहीं, आज जमकर चोद दे मझे..."

बिटू ये सुनते ही अपना हाथ सुखजीत की कमर पर ले जाता है। उसकी ब्रा का पीछे से हुक खोलकर, उसकी ब्रा उतारकर साइड में फेंक देता है। बिट्ट मंजे पर लंबा लेता हआ था। वो खड़ा हो जाता है, और सुखजीत उसका सिर पकड़कर अपनी चूचियों में दबा लेती है। बिटू फिर मजे में सुखजीत की चूचियां चूसने लगता है। बिटू सुखजीत की चूचियां चूसते-चूसते उसकी सलवार का नाड़ा खोल देता है।

दूसरी तरफ चरणजीत खड़ी होती है, वो घबरा रही थी। मीता शराब से पूरी तरह से मस्त हो गया था और वो बोला- "किसका इंतजार कर रही है भाभी? उन दोनों ने सुबह से पहले नहीं आना। तू यहाँ आकर मेरे पास बैठ मैंने तुझसे चार बातें करनी हैं..."

चरणजीत- “देख मीते मुझे पता है तू कौन सी चार बातें करना चाहता है। देख मैं उस तरह की औरत नहीं हूँ, प्लीज़्ज़... मुझसे तू दूर ही रह...

मीता चरणजीत का हाथ पकड़कर अपनी तरफ उसको खींचता है। ऐसे खींचने से चरणजीत एकदम मीते के पास आ जाती है, और उसकी चूचियां एकदम मीते की छाती पर ल गईं।

मीता- "हाए मेरी बिल्लो... तू ऐसी औरत नहीं है, तो कैसी औरत है। आज मुझे बता ही दे?"

चरणजीत मीते के ताकतवर जिश्म में फँसकर रह जाती है, वो उससे छूटने की नामुनकीन कोशिश कर रही थी। इतने में मीता चरणजीत के चूतरों पर हाथ फेरते हुए बोला।

मीता- “भाभी उस दिन तो तू बड़े मजे से मुझसे धक्के मरवा रही थी...”

चरणजीत ये सुनकर थोड़ी कमजोर हो जाती है और बोली- “उस दिन मुझसे गलती हो गई थी."

मीता उसके चूतरों को मसलता हुआ बोला- “अच्छा आज सुबह जब मैंने तेरे ही घर में तुझे पकड़ा था तब?"

चरणजीत अब कुछ नहीं कहती, वो बस सिसकारियां भरते हुए बोली- "आss आह्ह... स्स्सीईई..”

मीता समझ जाता है की अब चरणजीत उसके काबू में आ गई है। फिर मीता चरणजीत के दोनों चूतरों को मसलते हुए, मोटर के बाहर ही उसके होंठों को चूसने लगता है। चरणजीत मीता का साथ नहीं दे रही थी, पर उसे मजा बहुत आ रहा था।

मीता चरणजीत के होंठों को अच्छे से चूसकर बोला- “भाभी तुझे नहीं मालूम की मैं कितना बड़ा आशिक हूँ तेरी इस मस्त जवानी का। भाभी बस एक बार तू मुझे अपनी इस जवानी का मजा मुझे चखा दे, उसके बाद तू जो मुझे कहेगी वो ही मैं करने को तैयार हूँ भाभी..”
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01-30-2021, 12:04 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
चरणजीत मीते की बातें सुनकर गरम होने लगती है। मीता भी चरणजीत के गालों पर अपने हाथ फेरने लगता है। उसके बाद चरणजीत मीता को अपनी बाहों में भरती है और मीता चरणजीत को अपनी बाहों में भर लेता है। वो दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं।

दूसरी तरफ बिटू ने सुखजीत की सलवार का नाड़ा खोलकर उसकी सलवार को उतार दिया था। अब सुखजीत सिर्फ अपनी पैंटी में ही बिट्ट के नीचे मंजे पर लेटी हई थी। बिट्ट ने भी अपना कुर्ता पाजामा उतार दिया था। वो भी सिर्फ अंडरवेर में था, बिटू ने सुखजीत की दोनों टाँगें उठाकर अपनी टांगों में फँसाई हुई थी। वो दोनों एक दूसरे को पागलो की तरह चूस रहे थे।

बिटू नीचे से हाथ डालकर सुखजीत के चूतर उठाकर जोर से थप्पड़ मारकर बोला- “भाभी अगर तेरे पति ने तुझे मेरे नीचे नंगी पड़ी देख लिया, तो भाभी तू क्या करेगी?"

सुखजीत पूरी गरम होकर बोली- “अगर वो हम दोनों को इस हालत में देखेगा, तो मैं अपनी टाँगें उठा-उठाकर तेरा लण्ड लूँगी। और उसे कहूँगी की अब इस जट्टी का इस लण्ड के बिना नहीं सरता...'

सुखजीत के मुँह से ऐसी बातें सुनकर बिटू बहुत गरम हो जाता है, और वो जोर-जोर से सुखजीत के चूतरों पर थप्पड़ मारने लगता है।

सुखजीत- “हाए ओये आराम से मार, तूने क्या मेरी जान निकालनी है.."

बिटू- "भाभी जान, नहीं आज तेरी खुराक निकालनी है मैंने..."

सुखजीत नशीली आवाज में- “हाए फिर निकाल दे ना मेरी खुराक, मेरी चूत का दाना तो मेरी जान ले रहा है."

बिटू ये सुनकर अपने अंडरवेर में से अपना लण्ड बाहर निकालता है, और सुखजीत की पैंटी को साइड करके अपना लण्ड उसकी चूत पर रखकर, एक झटके में अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल देता है। लण्ड अंदर जाते ही सुखजीत जी जान निकल गई। वो जोर से चिल्लाते हुए बिटू के जिश्म को कसकर पकड़कर उसे अपनी बाहों में भर लेती है।

दूसरी तरफ बाहर मीते ने चरणजीत के गले से उसकी चुन्नी उतारकर साइड में फेंक दी, और फिर वो उसकी चूचियों को सूट के बाहर निकालकर मसलते हुए बोला- “भाभी अब बता तुझे मजा आ रहा है या नहीं?"

चरणजीत ये सुनकर पानी-पानी हो जाती है, वो शर्माते हुए बोली- “भाईजी जो करना है प्लीज़्ज़... ऊपर-ऊपर से कर लो, अंदर से मैंने कुछ नहीं करने देना..."

तभी मीता कसकर चरणजीत को अपनी बाहों में भर लेता है। फिर वो चरणजीत को उठाकर मोटर वाले रूम में लेकर जा रहा था।

तभी चरणजीत बोली- “भाईजी कहां लेकर जा रहे अब आप मुझे?"

मीता- अपनी भाभी के साथ प्यारे करने के लिए अंदर लेकर जा रहा हूँ भाभी।
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