Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:50 PM,
#41
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
"तुम्हारा क्या मतलब है....?" सोनी ने पूछा, आज स्किन टाईट टी शर्ट में वो ग़जब की लग रही थी.
"अगर मैं तुम्हे बता दूं तो तुम मेरा विश्वास नहीं करोगे..., तुम्हे मेरे साथ चल कर देखना पड़ेगा." मैंने कहा.
"और वो तुम कैसे करोगे और क्या दिखाओगे" इस बार मोनी ने पूछा, वो अपनी मचलती जवानी छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में छुपा कर इठला रही थी.
"हम आज रात प्रोग्राम के टाइम तुम्हारे कॉटेज में आयेंगे और तुम्हे दिखायेंगे.." मैंने उस हूर परी की आँखों में देखकर कहा.
"मुझे तो ये सब बड़ा अजीब सा लग रहा है...." सोनी ने कहा.
"ये अजीब से भी ज्यादा अजीब है....मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ" मैंने उससे कहा.
इतने में हमारी बत्तें सुनकर वो चोदु रेहान बोल पड़ा "तुम कहना क्या चाहते हो..खुल कर बताओ...और शर्त लगाने वाली बात है तो पता तो चले की किस बात पर शर्त लग रही है" उसने अपने गंदे दांत निकालते हुए कहा.
"तुम इसमें इंट्रेस्स्टेड हो या नहीं...बस ये बताओ" मैंने मोनी और सोनी को देखते हुए कहा.
"ये हम तभी बतायंगे जब तुम हमें पूरी बात बताओ" सोनी ने अपना फैसला सुना दिया..
"ठीक है अगर तुम सुनना ही चाहती हो तो बताता हूँ, पर ध्यान रहे, तुम मुझपर नाराज मत होना, क्योंकि मैं अपनी बात प्रूव भी कर सकता हूँ" मैं उससे कहा.
"ठीक है...बोलो" वो चोदु बोला..
"तो सुनो...जब हम सभी बच्चे रोज रात को प्रोग्राम देख रहे होते है तो तुम्हारे पेरेंट्स ग्रुप सेक्स करते हैं. "मैंने उनसे कहा, वो तीनो मेरी बात सुनकर मुझे घूर कर देखने लगे..और उनके चेहरे पर गुस्से के भाव साफ़-२ दिखाई देने लगे.
"ये क्या बकवास कर रहे हो तुम...हमने तुमसे दोस्ती की और तुम हमारे पेरेंट्स के बारे में ऐसी गन्दी बात कर रहे हो, वो एक दुसरे को बहुत प्यार करते है, उन्हें ग्रुप सेक्स करने की क्या जरुरत है...तुमने ऐसा सोचा भी कैसे...." सोनी ने गुस्से से तमतमाकर कहा.
"हाँ ...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसी बात करने की, हमारे पेरेंट्स के बारे में ऐसी बात करने की इजाजत तुझे किसने दी...साले...अपनी औकात में रह..अगर ये लडकियां तेरे साथ ना होती तो मैं तेरा कचूमर निकाल देता.." रेहान ने दांत पिसते हुए कहा.
"मेरा भाई जो कह रहा है वो सही है, मैं इस बात का सबूत हूँ" ऋतू ने बीच में बोलते हुए कहा.
ऋतू की बात सुनकर सोनी, मोनी और रेहान थोड़ी देर के लिए चुप हो गए और सोचने लगे.
"देखो तुम मेरा विश्वास करो, जो मैं कह रहा हूँ वो सच है, ये मैं आज रात के प्रोग्राम के समय साबित भी कर दूंगा, और ये बात मैं तुम लोगो को इसलिए कह रहा हूँ की अब हम दोस्त हैं, और अगर तुम्हारे पेरेंट्स ऐसी कोई हरकत कर रहे हैं तो इसके बारे में तुम्हे मालुम होना ही चाहिए,,,,अगर तुम्हे ये बात हमारे पेरेंट्स के बारे में पहले मालुम चलती तो क्या तुम मुझे न बताती हमारी दोस्ती के कारण...बोलो" मैंने उन्हें समझाते हुए कहा.
"हाँ शायद मैं बताती...पर लोग ऐसी घटिया हरकतें नहीं कर सकते...खासकर हमारे पेरेंट्स..." सोनी ने अपना तर्क दिया.
"ठीक है ..फिर आज रात खुद देख लेना..और उसके बाद मैं तुम्हे एक और सीक्रेट बताऊंगा..." मैंने कहा.
"ठीक है...हम तैयार हैं...पर अगर तुम झूट बोल रहे हो तो मैं ये सारी बात अपने और तुम्हारे पेरेंट्स को बता दूंगी." सोनी ने कहा.
"ठीक है, मुझे मंजूर है.." मैंने कहा,
"तो अब हम ठीक दो घंटे बाद प्रोग्राम वाली जगह पर मिलते हैं. " और ये कहकर सोनी और मोनी चले गए.
"मैं भी देखता हूँ की तुम्हारी बातों में कितनी सचाई है..."रेहान ने मुझे घूरते हुए कहा और ऋतू की तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और वो भी चला गया..साला कमीना..मैंने उसकी गन्दी नजर भांप कर उसे मन ही मन गाली दी.
"क्या सच में तुम ये सब करना चाहते हो..." नेहा अभी भी डर रही थी.
"अरे तुम देखती जाओ..कितना मजा आने वाला है...तुम बस मजे लो" मैंने उसके गोल चूतडों पर हाथ मारते हुए कहा और हम भी वापिस अपने कोट्टेज की तरफ चल दिए.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#42
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
रात को प्रोग्राम शुरू होने के बीस मिनट बाद वो सभी थोड़ी-२ देर में उठे और बाहर आकर एक जगह इकठ्ठा हो गए. रेहान बड़ा फुदक रहा था, वो जानता था की अगर मेरी बात सच हुई तो उसके तो मजे हैं और अगर झूठ निकली तो मेरी बेईसती देखने को तो मिलेगी ही..
मैंने उन्हें समझाया की हमें बिलकुल चुपचाप रहना होगा, अगर जरा सी भी आहट हुई तो सारा खेल बिगड़ जाएगा.
हम सभी उनके कॉटेज में पहुंचे और बिना किसी आहट किये मोनी और सोनी के बेडरूम में चले गए, मैंने देख लिया था की उनके साथ वाले बेडरूम से रौशनी आ रही है, यानी वहां पक्का कोई खेल चल रहा है.
अन्दर जाने के बाद सोनी मेरे बिलकुल सामने खड़ी हो गयी और अपनी छाती ऊपर नीचे करते हुए मुझे देखने लगी और बोली "अब बताओ...क्या कह रहे थे तुम..?"
मैं आगे बड़ा और शीशा हटा कर दुसरे कमरे में देखा, मेरा अनुमान सही था. वहां दो औरतें 69 की अवस्था में एक दुसरे की चूत चाट रही थी, मैंने गौर से देखा तो पाया , ये तो वोही कल वाली आंटी मंजू थी, जिसकी काफी मोटी गांड थी, पर आज वो किसी और जोड़े के साथ थे, और उनके पास बैठे दो आदमी अपने लंड हाथों में पकड़ कर मसल रहे थे और उन्हें देख रहे थे,, एक तो वोही कल वाला आदमी यानी मंजू का पति और सोनी, मोनी का बाप था दूसरा कोई नया आदमी था, मैंने सोनी को कहा "ओके..यहाँ आओ और देखो"
वो उस शीशे के हटते ही आश्चर्यचकित रह गयी की ऐसी जगह उनके कमरे में हैं जहाँ से दुसरे कमरे में देखा जा सकता है, और अगर है भी तो मैं ये कैसे जानता हूँ, पर उसने सोचा ये बाद में देखेंगे अभी तो दुसरे कमरे में क्या है वो देखा जाये..ये सोचकर जैसे ही वो आगे आई और अन्दर देखा तो उसके हाव भाव ही बदल गए, उसका मुंह खुला का खुला रह गया.
मोनी जो अपनी बहन का चेहरा देखते ही समझ गयी थी की अन्दर क्या हो रहा है, झट से आगे आई और उसे पीछे करके अन्दर देखने लगी, सोनी ने उसे रोकने की कोशिश की पर तब तक देर हो चुकी थी..
मोनी ने अन्दर देखा और वो बोली "वाउ .....तुम सच कह रहे थे..."
सोनी ने उससे कहा "मोनी तुम पीछे हट जाओ, तुम्हे ये सब नहीं देखना चाहिये.."
मोनी : "अरे..सोनी देख तो , मम्मी कैसे इंदु आंटी की टांगो के बीच में उनकी चूत चाट रही है....और शर्मा अंकल और पापा कैसे अपने हाथों में अपना लंड लेकर मसल रहे हैं, कितने बड़े हैं दोनों के..." वो देखे जा रही थी और धीरे-२ बोले जा रही थी.
अपनी बहन के मुंह से लंड और चूत जैसे शब्द सुनकर स्तब्ध रह गयी, पर कुछ ना बोली...
"अरे देखो सोनी, पापा अब अपना लंड इंदु आंटी की चूत में डाल रहे हैं....वो....और मम्मी भी शर्मा अंकल को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गयी है और उनका लंड अपनी चूत में ले कर उछल रही है.."
उनकी बातें सुनकर वो चोदु रेहान आगे आया और मोनी को साइड करके खुद देखने लगा, अन्दर का नंगा नाच देखकर उसने अपनी जींस के ऊपर से ही अपना लंड मसलना शुरू कर दिया..
"ये सब कितने मजे कर रहे हैं, उनके चेहरे देख कर लगता है की वो इन सबमे खुश हैं, कितनी सफाई से वो एक दुसरे से प्यार कर रहे है..." रेहान ने कहा.
"हाँ ...ये सब खुश हैं और इन्हें मजे भी आ रहे हैं, तभी तो इस वक़्त सभी पेरेंट्स अपने-२ कॉटेज में यही कर रहे हैं.." मैं उनसे कहा.
"ये तुम क्या कह रहे हो...सभी पेरेंट्स यही कर रहे हैं ? " सोनी ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखते हुए कहा.
"हाँ..सभी पेरेंट्स...अगर तुम मेरे साथ आओ तो मैं तुम्हे दिखा भी सकता हूँ" मैंने उसे कहा.
"क्या सच में...मैं तो जरूर देखना चाहूंगी ..." मोनी ने मचलते हुए कहा.
"चलो फिर मेरे साथ...तुम ये सब रोज देख सकते हो अगर तुम चाहो तो.." मैंने उनसे कहा और हम सब बाहर की तरफ चल दिए.
मैंने बाहर आकर देखा और एक और कॉटेज में, जहाँ से लाइट बाहर आ रही थी, चले गए, वहां भी हम सभी चुप चाप अन्दर गए, अन्दर आकर मैंने शीशा हटाया और अन्दर देखा. वासना का नंगा नाच चल रहा था, तीन जोड़े थे वहां पर..सभी एक दुसरे की मारने में लगे हुए थे. मोनी ने मुझे पीछे किया और अन्दर देखने लगी.
"अरे...देख तो सोनी..ये आंटी कैसे अपनी चूत में उस अंकल का लंड ले रही है और दुसरे अंकल उनकी गांड में लंड डाल रहे हैं, और वो आंटी कितने मजे से आँखें बंद करके मजे से चीख रही है..." वो बुदबुदाये जा रही थी और अन्दर का हाल बताये जा रही थी, अन्दर का नजारा, सोनी, मोनी, रेहान, नेहा और रितु ने भी देखा..
मैंने नोट किया की मोनी अन्दर का नजारा देख कर काफी खुश हो रही है, पर जब मैंने सोनी की तरफ ध्यान दिया तो पाया की वो अपनी जींस के ऊपर से अपनी चूत को रगड़ रही है, उससे कण्ट्रोल नहीं हो पा रहा था, मैं समझ गया को अब इसके कपडे उतारने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
और वो चोदु रेहान तो अपनी लार टपका -२ कर ऐसे देख रहा था की अभी दीवार फाड़ कर दुसरे कमरे में घुस जाएगा और चुदाई में शामिल हो जाएगा. घूमकर जब वो मेरी बहन ऋतू को अपनी चुदासी नजरों से देखता तो मेरा खून खोल उठता..पर इस समय मेरा ध्यान इन दो कमसिन लड़कियों, सोनी और मोनी, पर था.
"चलो अब आगे चलते हैं, एक और कॉटेज देखते हैं" मैंने उनसे कहा.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#43
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
हम सब बाहर निकल आये और इस बार मैं उन्हें अपने कॉटेज में ले आया और अपने रूम में आकर मैंने शीशा हटाया और अन्दर देखा, वहां मम्मी और चाची नीचे जमीन पर बैठी हुई पापा और अजय चाचू का लंड चूस रही थी, और एक हाथ से अपनी-२ चूत भी मसल रही थी, मम्मी खड़ी हुई और चाचू की गोद में चढ़ कर अपनी टाँगे हवा में लटका दी और उनका मोटा और खड़ा हुआ लंड उनकी गीली चूत में उतरता चला गया, आआआआआआआआआआआआआह...वहां से मेरी माँ की तेज आवाज आई, आवाज सुनकर सोनी आगे आई और मेरे आगे आकर अन्दर देखने लगी.
मैंने आगे बढकर उसके कंधे पर सर टिका दिया और उसकी उभरती हुई गांड पर अपने लंड का दबाव डाल दिया और कहा "ये हमारे पेरेंट्स है.."
वो विस्मय से मुझे देखकर बोली "ये क्या कह रहे हो...सही में...? कोनसे वाले..?"
"वो जो गोद में चढ़ कर मजे ले रही है वो मेरी माँ है, और जो उनकी मार रहा है वो मेरे चाचू है, और वो नीचे मेरी चाची मेरे पापा का लंड मुंह में लेकर चूस रही है.." मैंने उसके कानो से अपने होंठ सटाते हुए कहा, मेरे होंठो का स्पर्श अपने कानों पर पाकर वो सिहर उठी.
"क्या उन्हें मालुम है की तुम इस तरह उन्हें देखते हो" उसने आगे पूछा
"उन्हें तो नहीं, पर चाचू और चाची को पता है"
"और वो गुस्सा नहीं हुए इस बात पर"
"नहीं..बल्कि ये जानने के बाद तो वो दोनों हमारे कमरे में आये और हमने भी एक दुसरे के साथ मजे किये"
"तुम मजाक तो नहीं कर रहे हो...तुम्हारे सगे चाचा चाची ने तुम दोनों के साथ ये सब किया"
"हम दोनों के साथ ही नहीं, उन्होंने अपनी बेटी के साथ भी चुदाई की" मैंने नेहा की तरफ इशारा किया, नेहा मुस्कुरा दी.
बाप ने बेटी की चुदाई की, ये बात सुनते ही सोनी के दिमाग में एक बिजली सी कौंध गयी और उसके जहन में अपने कमरे से देखा वो नजारा तैर गया जहाँ उसके पापा अपना मोटा लंड अपने हाथ में लेकर मसल रहे थे. उसका एक हाथ बरबस ही अपनी चूत पर चला गया और वो उसे मसलने लगी.
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उसके मोटे चूतडो पर अपना एक हाथ टिका दिया, और मसल दिया, उसने मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देखा पर कुछ कहा नहीं.
मोनी जो काफी देर से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी, आगे आई और अन्दर देखने लगी, रेहान भी उसके साथ-२ देखने लगा.
"पर वो तो बड़े लोग हैं, उनकी उम्र 35 -45 के आसपास होगी, वो ये सब एकदूसरे से करते है, उन्हें तुम लोगो में और तुम्हे उन लोगो में क्या मजा आया होगा." सोनी ने मुझसे कहा.
"सभी को एक दुसरे से मजा आता है, हर व्यस्क अपने से छोटी उम्र वाले के साथ चुदाई करना चाहता है और हर टीनएजर बड़ी उम्र वाले के साथ, और मैं शर्त लगा कर कह सकता हूँ की तुम्हारे मम्मी पापा के साथ भी मैं ये सब कर सकता हूँ और वो ख़ुशी-२ कर भी लेंगे." मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा.
"मैं ये मान ही नहीं सकती..." उसने दृढ़ता से कहा.
"हाँ जैसे तुम वो बात नहीं मान रही थी की तूम्हारे पेरेंट्स ग्रुप सेक्स करते हैं" मैंने उसका जवाब दिया.
मैंने आगे कहा "चलो लगी शर्त...अगर मैंने आज रात उनके साथ ये कर लिया तो तुम्हे कल रात यही सब मेरे साथ करना होगा."
"क्या बकवास है...इसका सवाल ही नहीं उठता" उसने मुझे घूरते हुए कहा.
मोनी ने बीच में बोलते हुए कहा "सोनी, अगर तुम्हे इतना ही विशवास है अपने ऊपर की मम्मी पापा इसके साथ ये सब नहीं करेंगे तो शर्त लगाने में क्या प्रॉब्लम है...और अगर वो कर लेते हैं तो हमें भी तो कुछ मजे लेने का अधिकार है के नहीं.."उसकी जवानी मचल रही थी.
कुछ देर सोचने के बाद सोनी ने कहा "ठीक है...जैसा तुम कहो"
"चलो फिर...चलें यहाँ से.." मैंने उनसे कहा और हम सभी बाहर निकल आये.
बाहर आकर मैं वापिस सोनी और मोनी के कॉटेज के अन्दर गया और शीशा हटा कर अन्दर देखा, वहां अभी तक वही चुदाई का प्रोग्राम चल रहा था.
"इधर आओ और मुझे बताओ, तुम्हारे मम्मी पापा कोन से है" मैं जानता तो था पर कन्फर्म कर रहा था.
"वो जो नीचे जमीन पर बैठी लंड चूस रही है वो मेरी मम्मी है और वो जो पलंग पर उस आंटी की गांड मार रहे हैं वो मेरे पापा हैं" सोनी ने मुझसे कहा.
"ठीक है, तुम सब यहाँ वेट करो, अन्दर मैं और ऋतू ही जायेंगे" मैंने ऋतू को इशारा किया, उसकी तो चूत पिछले 1 घंटे से सुलग रही थी, अलग-२ तरह के लंड और चुदाई देखकर, मेरा इशारा पाते ही वो मेरे पीछे चल पड़ी.
मैं और ऋतू घूमकर बाहर आये और मैंने धीरे से ऋतू के कान में अपना प्लान समझाया, और फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने-२ कपडे उतार दिए और नंगे हो गए, मैंने दरवाजा खोला और हम दोनों अन्दर आ गए.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#44
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
सोनी की मम्मी, मंजू, जो शर्मा जी का लंड चूस रही थी, उसकी नजर हम दोनों नंगे भाई-बहन पर पड़ी और वो बोखला गयी और उसने लोडा चुसना छोड़ दिया और बोली "ये क्या है...कौन हो तुम दोनों और यहाँ क्या कर रहे हो..?"
"हमने सुना था की यहाँ कोई पार्टी चल रही है तो हमने सोचा की हमें भी चलना चाहिये.." मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा.
"तुम यहाँ से फ़ौरन चले जाओ, बच्चे ...नहीं तो मैं तुम्हारे पेरेंट्स को बता दूंगी.." उसने थोडा गुस्से में कहा.
"मुझे लगता है की आपको हमें इस पार्टी में शामिल कर लेना चाहिए नहीं तो हम इस सबके बारे में सोनी और मोनी को बता देंगे.." मैंने हँसते हुए कहा.
मंजू आंटी थोडा घबरा गयी और दूसरी औरत की तरफ देखने लगी. वो समझ गयी की मैं उनके बारे मैं सब जानता हूँ. शर्मा आंटी जो ये सब देख रही थी बोली "तुम आखिर चाहते क्या हो ?"
"ये हुई न काम की बात..." मैंने कहा "मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूँ"
"और मैं आपका लंड चुसना चाहती हूँ " ऋतू अपने मोटे-२ चुचे उछालती हुई सोनी-मोनी के पापा, पंकज की तरफ बड़ी.
"पर ये गलत है..." मंजू की आवाज आई
"अगर ऐसा है तो पहले मैं आपकी चूत चूस देता हूँ" मैंने कहा और अपना मुंह उनकी गीली चूत पर रख दिया, वो अभी ना कर रही थी पर मेरा मुंह उनकी चूत पर लगते ही उन्होंने मेरे सर को अपनी चूत पर और तेजी से दबा दिया और अपने मुंह से एक तेज सिसकारी निकाली.. आआआआयीईईईईईइ .........mmmmm....................
उधर सोनी के पापा अपनी तरफ आती एक जवान लड़की को देखकर पागल ही हो गए, ऋतू के उछालते हुए चुचे और रस टपकाती चूत को देखकर उनसे रहा नहीं गया और वो शर्मा आंटी को छोड़ कर ऋतू की तरफ लपके और उसे किसी छोटे बच्चे की तरह ऊपर उठा लिया और अपना मुंह सीधा ऋतू के निप्पल पर रख कर उसका दूध पीने लगे...ऋतू के मुंह से चीख निकल गयी... आआआआआआअह्ह्ह्ह अंकल धेरीईईईईई ......आआआआआअह्ह्ह
पंकज अंकल का हाथ ऋतू की गांड के नीचे था और ऋतू उनका मुंह अपने सीने में दबा रही थी और उन्हें और ज्यादा दूध पीने को उकसा रही थी.
मैंने जब मंजू आंटी की चूत चाटना शुरू की तो उनके रस से मेरा मुंह भीग गया, वो बड़ी रसीली आंटी थी, थोड़ी देर में ही उन्होंने मुझे नीचे जमीन पर लिटाया और अपनी टाँगे मेरे सर के दोनों तरफ फैला कर मेरे मुंह के ऊपर बैठ गयी. और घिसने लगी अपनी चूत मेरे मुंह पर और तेज साँसों से सिस्कारियां लेने लगी..
शर्मा आंटी भी अपनी जगह से उठी और मेरे खड़े हुए लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, उनके चूसने के तरीके की दाद देनी होगी, वो मेरा लंड किसी बच्चे की तरह चूस रही थी, वो सिर्फ अपने होंठो और जीभ का इस्तेमाल कर रही थी, बड़ा ही गर्म मुंह था उनका, उन्होंने अपना एक हाथ आगे किया और मेरे मुंह पर बैठी मंजू आंटी की गांड में एक साथ दो उंगलियाँ डाल दी और दुसरे हाथ से वो अपनी चूत मसलने लगी.
अपनी गांड पर शर्मा आंटी की उंगलियाँ पाकर वो तो बिफर ही गयी, मंजू आंटी ने अपनी चूत को मेरे मुंह के अन्दर तक ठूस दिया, मेरा सांस लेना भी मुश्किल हो गया, बड़ी मुश्किल से मैंने उनकी चूत को अपने मुंह से निकाला.
आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह चुसो नाआआआआआआआआआआआ वो चिल्लाई....
मैंने उसी तेजी से उनकी चूत को चुसना शुरू कर दिया.
उधर शर्मा अंकल ऋतू के पीछे गए और पीछे से उसके दोनों उभार थाम लिए और बड़ी जोर से दबा डाले, ऋतू दर्द के मारे दोहरी होगई और अपने पीछे खड़े शर्मा अंकल पर अपनी पीठ का भार डालकर उनके गले में अपने बाहें डाली और उनके होठों को अपनी तरफ घुमाकर चूसने लगी.
शर्मा अंकल के तो मजे हो गए, उन्होंने इतनी गर्म लड़की आज तक नहीं देखी थी, जो किसी जंगली बिल्ली की तरह उनके होंठ चूस रही थी, उन्होंने ऋतू के निप्पल्स को अपनी उँगलियों में लेकर हलके-२ मसलना शुरू कर दिया, वो निप्पल्स ऋतू की कमजोरी थे, उनके उमेठे जाने से उसकी चूत में आग सी लग गयी और उसने अपनी टाँगे, जो पंकज अंकल की कमर के चारो तरफ लपेट रखी थी, उनका घेरा थोडा खोला और उनके तने हुए लंड पर पहुँच कर अपनी चूत उसपर टिका दी, बाकी काम उनके आठ इंच लम्बे लंड ने कर दिया और वो उसकी गर्म चूत को चीरता हुआ अन्दर तक चला गया...ऋतू जो शर्मा अंकल का होंठ चूस रही थी, चिल्ला पड़ी...आआआआआआआअह्ह्ह्ह ....मर गयीईईईईईईईईई ....... हय्य्यय्य्य्यय्य्य्य..........आआआआआआआअह ....
उसकी चीख इतनी तेज थी की मैंने भी मंजू आंटी की चूत चुसना छोड़ दी और उस तरफ देखा, पर जब उसे हवा में मजे से चुदते हुए देखा तो मैंने फिर से अपना ध्यान सोनी - मोनी की माँ की चूत पर लगा दिया.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#45
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अपनी गांड में शर्मा आंटी की उँगलियाँ और अपनी चूत पर मेरी जीभ का हमला पाकर, मंजू भी झड़ने के कगार पर पहुँच गयी और उन्होंने अपनी चूत के रस को मेरे मुंह में उड़ेल दिया और झड़ने लगी............
आआआआआह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईईईई........
नीचे बैठी शर्मा आंटी ने मौका देखा और मेरे लंड पर अपनी चूत को टिका दिया और नीचे होती चली गयी...आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह...........
शर्मा अंकल ने जब देखा की पंकज ने ऋतू की चूत में लंड डाल दिया है तो उन्होंने भी अपने मोटे लंड पर थूक लगायी और हवा में झूल रही ऋतू की मोटी गांड पर अपने लंड का टोपा टिका दिया, लंड थोडा मोटा था, पर ऋतू जो उछल -२ कर पंकज का लंड ले रही थी, अपनी गांड में आये नए मेहमान को पाकर एक तेज झटके नीचे आई और से उसे भी निगल गयी, और इस तरह वो अब एक साथ पंकज अंकल और शर्मा अंकल के लंड को अपनी चूत और गांड में लेकर हवा में उछल-२ कर चुदवा रही थी.
झटके से ऊपर जाती और नीचे आते हुए अपनी चूत और गांड में दो अलग-२ लंड लेकर बैठ जाती, उसे आज बड़ा मजा आ रहा था, एक साथ अपनी चूत और गांड मरवाने मैं..
आआआआअ ह अह अह अह अह हा ह अह आहा अह आहा वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी....उसकी गांड बड़ी कसाव वाली थी, इतना कसाव शर्मा अंकल से सेहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने लंड का रस उसकी छोटी सी गांड में उडेलना शुरू कर दिया...
आआआआआआआआह्ह्ह्ह .......मजा आ गया....................
आगे की तरफ, अपने मुंह पर ऋतू के उछलते हुए मुम्मो की मार पाकर और अपने लंड पर उसकी गरम चूत का दबाव पाकर, पंकज अंकल भी खल्लास होने लगे....उन्होंने उसके दाए चुचे को अपने मुंह में दबाया और अपना फुवारा उसकी चूत में चला दिया....आगे और पीछे से अपने दोनों छेदों में गर्म पानी पाकर ऋतू भी झड़ने लगी और उसने भी छोड़ दीया...आआआआआआआआआआआआआअयीईईईईई .............आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह
ओई माआआआआआअ...............ओह godddddddddddddddddddddddddd......
मेरे लंड के ऊपर शर्मा आंटी बड़ी देर तक उछलती रही और अंत में वो भी झड गयी और एक तरफ लुडक गयी, मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था, मंजू आंटी जो अब थोडा संभल चुकी थी वो उठी और उन्होंने अपनी गांड को हवा में उठाया और मेरी तरफ मुंह करके बोली..."चल घुसा दे...जहाँ तेरी मर्जी हो.."
मैंने उनकी मोटी गांड देखी तो मैंने अपना मुंह उनकी गांड के छेद पर लगा दिया और अपनी जीभ से उनके पीछे वाले छेद को कुरेदने लगा, उनकी गांड बड़ी दिलकश थी, मैंने पहले ही बताया था की मैंने इतनी सुन्दर गांड आज तक नहीं देखीती, इसलिए मैंने सोच लिया की आज मैं उनकी गांड ही मारूंगा, मैंने अपने हाथों से उनके छेद को फैलाया और उनकी गांड के रिंग में अपनी लम्बी जीभ डाल दी, उन्होंने अपनी गांड के अन्दर मेरी गर्म जीभ पाकर अपना कसाव बढाया जिससे मेरी जीभ उनकी गांड के अन्दर फंस सी गयी, मैंने उसे बाहर निकाला और अपने लंड पर उनकी चूत की चिनाई और थोड़ी थूक लगायी और डाल दिया गांड के छेद के अन्दर....वो बड़ी टाईट थी, मेरा लंड उनकी गांड के छेद से काफी मोटा था..
आआआआआआआआआआआह्ह्ह माआर दलाआआआआआआआआ ...आआआआआआआआयीईईईईइ....
वो बिलबिला उठी पर मैंने उनकी गांड को नहीं बक्शा और अपना पूरा लंड उतार दिया उनके अन्दर.....
"थोडा धीरे बेटा, इनका पीछे के छेद का उदघाटन अभी दो दिन पहले ही हुआ है, अपनी शादी के २० साल तक इसने अपनी गांड नहीं मरवाई थी ..."पीछे से उनके पति, पंकज की आवाज आई.
मैं उनके दर्द का कारण समझ गया, पर उनकी चीखे सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था, इसलिए मैंने अपनी स्पीड कम करने के बजाये और तेज कर दी....
आआआआअह उन्हें भी मजा आने लगा...और तेज...और तेज...आआआआअह्ह और तेज मारो मेरी गांड........अहः अह अह अ हा हा हा हः अह अहः हा आहा ह ...........उनकी गर्म गांड और तेज चीखों ने मेरे लंड के पसीने छुड़ा दिए और मैंने अपना पसीना उनकी गांड में छोड़ना शुरू कर दिया....आआआआआआआआआअह्ह मैंने एक लम्बी हुंकार भरी और मंजू आंटी की पीठ पर लुढ़क गया.
वो भी दोबारा झड चुकी थी.
सेक्स का नंगा नाच ख़तम हुआ तो मैंने उनसे कहा "अब हमें चलना चाहिए, हमारे मम्मी-पापा हमें ढूँढ रहे होंगे.." और हम बाहर निकले और अपने-२ कपडे पहन कर सीधे बाहर निकल गए, हमारे पीछे-२ रेहान भी बाहर निकल आया और अपने कॉटेज में चला गया.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#46
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
हम दोनों भागते हुए अपने कॉटेज पहुंचे तो हमारे मम्मी-पापा नंगे अजय चाचू के कमरे से निकल रहे थे, हम दोनों को सामने पाकर वो दोनों ठिठक कर वहीं खड़े हो गए.
"तुम इतनी रात को कहाँ से घूम कर आ रहे हो" मम्मी ने हम दोनों से पूछा, वो पूरी नंगी हमारे सामने खड़ी थी, इसलिए थोडा शर्मा भी रही थी अपनी हालत पर.
"हम दोनों अपने कुछ दोस्तों से मिल कर आ रहे है" ऋतू ने अपने पापा के आधे खड़े हुए लंड को घूरते हुए कहा.
"क्या आप दोनों चाचू के कमरे से आ रहे हैं" मैंने मम्मी की तरफ देखते हुए पूछा .
"ह्म्म्म ..हम उन्हें गुड नेट बोलने गए थे" मम्मी ने हडबडा कर कहा, उनके निप्प्ल्स तन कर खड़े हो चुके थे.
"ठीक है...गुड नेट " मैंने कहा और अपने कमरे में चला गया.
अन्दर जाते हुए हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी, हम जानते थे की हमने मम्मी-पापा को रंगे हाथों पकड़ लिया है, उनकी शक्ल देखते ही बनती थी, अन्दर आकर ऋतू ने अपने कपडे बड़ी फुर्ती से उतार फैंके और बेड पर जाकर लेट गयी, दुसरे कमरे में चाचू और चाची ने जब हमारी बात सुनी और बाद में हमें अन्दर आते देखा तो उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर झाँका और ऋतू को नंगी लेते देखकर चाचू का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और वो उसे सहलाने लगे.
मैंने भी अपने सारे कपडे उतार डाले और बेड पर कूद कर ऋतू की रसीली रसमलाई जैसी चूत पर मुंह टिका दिया.
ऋतू ने अपने चुतड ऊपर हवा में उठा दिए और मेरे मुंह में अपनी चूत से ठोकरें मारने लगी.
दुसरे कमरे में आरती चाची ने मेरा लंड मेरी टांगो के बीच से लटकता हुआ देखा तो उनसे सहन नहीं हुआ और वो दोनों नंगे ही अपने कमरे से निकल कर हमारे कमरे में आ गए और चाची ने आते ही मेरी टांगो के बीच लेटकर मेरे लटकते हुए खीरे को अपने मुंह में भर लिया, मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी. आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह
चाचू भी अपना फड़कता हुआ लंड लेकर आगे आये और मेरे सामने लेती हुई ऋतू के मुंह के पास जाकर उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया, ऋतू ने उसे भूखी शेरनी की तरह लपका और उसका रस चुसना शुरू कर दिया.
चाची बड़ी आतुरता से मेरा लंड चूस रही थी, उनके और ऋतू के मुंह से सपड-२ की आवाजें आ रही थी.
तभी दरवाजा खुला और नेहा अन्दर आ गयी, वो अन्दर का नजारा देखकर बोली "मुझे तुम लोग वहां छोड़कर यहाँ मजे ले रहे हो.." और ये कहकर उसने भी अपने कपडे उतारे और कूद गयी वो भी बेड पर.
ऊपर आकर वो अपने पापा के पास गयी और अपने नन्हे होंठो से उनके मोटे-२ होंठ चूसने लगी, चाचू ने हाथ आगे करके अपनी बेटी के मोटे-२ चुचे थाम लिए और उन्हें जोर से दबा डाला.
नेहा चाचू के आगे आ कर ऋतू के मुंह के ऊपर जाकर बैठ गयी, ऋतू ने चाचू का लंड चुसना छोड़ दिया और नेहा की चूत को चाटने लगी, चाचू का लंड अब नेहा के पेट से टकरा रहा था, नेहा जो पहले ही सोनी-मोनी के कमरे से उनके मम्मी-पापा का ग्रुप सेक्स देखकर उत्तेजित हो चुकी थी, उससे सहन नहीं हुआ और उसने अपने पापा का लंड पकड़कर अपनी रस उगलती चूत पर टिका दिया और उसे अन्दर समाती चली गयी, आआआआआआआआअयीईईईईईईईई पपाआआआआआआअ
... नीचे लेटी ऋतू ने इस काम को बड़ी खूबी से अंजाम दिया, लंड को चूत में धकेलने के लिए. वो अब नेहा की गांड के छेद को चूस रही थी. म्म्म्मम्म्म्मम्म
उधर अपने कमरे में जाने के बाद मम्मी को इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी की आज वो चाचू के कमरे से नंगे बाहर निकलते हुए पकडे गए, इस बात को वो चाचू को भी बताना चाहते थे ताकि अगर हम उनसे भी पूछे की उनके मम्मी - पापा रात के समय नंगे उनके कमरे से क्यों निकल रहे थे तो वो भी वोही जवाब दे जो उन्होंने दिया था.
ये सोचकर वो अपने कमरे से निकली और चाचू के कमरे में चली गयी, वहां जाकर उन्होंने देखा की कमरा तो बिलकुल खाली था, तभी उनकी नजर दिवार पर गयी, शीशा नीचे पड़ा हुआ था और उस जगह एक बड़ा सा छेद था, वो आगे गयी और अन्दर झाँका, वहां का नजारा देखकर पुर्णिमा के परखछे उड़ गए, उनका बेटा नंगा अपनी सगी बहन की चूत चाट रहा था, और नीचे लेटी उनकी देवरानी उनके बेटे का लंड चूस रही थी, और ऊपर उनका देवर अपनी ही बेटी को चोद रहा था और नीचे से उनकी बेटी अपनी जीभ से अपनी बहन की गांड चाट रही थी. उनकी आँखे घूम गयी ये सब देखकर.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#47
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मम्मी जल्दी से भागकर वापिस गयी और अपने कमरे से पापा को बुलाकर लायी, उन्होंने शीशे वाली जगह से अन्दर देखने को कहा, जब पापा ने अन्दर का नजारा देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी, उनका छोटा भाई अपनी बेटी को चोद रहा था, और उनका बेटा अपनी सगी बहन की चुदाई कर रहा था, ये देखकर वो आग बबूला हो गए और मम्मी को साथ लेकर वो दनदनाते हुए हमारे कमरे में आये और चिल्लाये " ये सब हो क्या रहा है!!!!!!!!!!"
पापा की आवाज सुनकर मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो मैं स्तब्ध रह गया, पर मेरा लंड जो झटके मार-मारकर अपनी बहन को चोद रहा था, वो नहीं रुका, मैंने धक्के देते हुए हैरानी से उनकी तरफ देखा और बोला "मम्मी पापा आप....?"
उधर नेहा की चूत में उसके पापा का लंड अपनी आखिरी साँसे ले रहा था, उनसे सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपना रस अपनी बेटी की चूत में उगलना शुरू कर दिया...नेहा ने भी आँखें बंद करके अपने पापा के गले में अपनी बाहें डालकर एक लम्बी चीख मारी .आआआआआआअयीईईईइ पपाआआआआआआआ ..और वो भी झड़ने लगी, उनका मिला जुला रस नीचे लेटी ऋतू बड़े चटखारे ले-लेकर पी रही थी, उसे मालुम तो चल गया था की उसके मम्मी - पापा कमरे में आ गए हैं, पर अपनी चूत में अपने भाई के लंड के धक्के और अपने मुंह पर बरसते गर्म रस का मजा लेने से उसे कोई नहीं रोक सका.
उसने भी अपनी उखड़ी साँसों से उन्हें देखा और पूछा "मोम डैड आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"
"आशु क्या तुम ये करना बंद करोगे....."मम्मी ने मेरी तरफ घूरकर देखते हुए कहा, वो एक तरह से मुझे अपनी बहन की चूत मारने से रोक रही थी.
मैं अपने आखिरी पलो में था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकाला उसका विकराल रूप जो की मेरी बहन की चूत के रंग में डूबकर गीला हो चूका था और उसपर चमकती नसे देखकर मेरी माँ की आँखें फटी की फटी रह गयी, लंड ने बाहर निकलते ही झड़ना शुरू कर दिया और मेरी पिचकारी सीधे ऋतू की खुली हुई चूत से जा टकराई..
चाची जल्दी से आगे आई और मेरे लंड पर अपना मुंह टिका दिया और मेरा सारा रस पी गयी, फिर उन्होंने ऋतू की चूत के ऊपर अपना मुंह टिकाया और वहां से भी मलाई इकट्ठी करके खा गयी..और मेरी आ की तरफ देखकर बोली "भाभी आपके बच्चे बड़े टेस्टी है..."
"आरती...तुम ये सब कैसे कर सकती हो..."उन्होंने चाची को डांटते हुए कहा.
"हमें तो इन्होने ही बुलाया था..." चाची ने सपाट लहजे में कहा.
"क्या........." मेरी माँ का मुंह खुला का खुला रह गया.
और फिर चाची ने सारी कहानी हमारे मम्मी-पापा को सुना दी, वो अपना मुंह फाड़े सब बाते सुन रहे थे, उन्होंने ये भी बताया की हम दोनों उनके कमरे में देखते हैं और हमें उनके बारे में सब पता है की कैसे वो चारों लोग ग्रुप सेक्स करते हैं.
मम्मी-पापा ये सारी बात सुनकर शर्मिंदा हो गए पर फिर भी मम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली "तुम दोनों ने ये सब क्यों किया"
"हम भी आपके और पापा की तरह बनना चाहते थे, जब हमने देखा की आप और पापा, चाचू और चाची के साथ मिलकर सेक्स कर रहे हो और एन्जॉय भी कर रहे हो तो हमने भी ठान लिया की हम भी ये करेंगे, हमने यहाँ और लोगो को भी ग्रुप सेक्स करते देखा है और वो सब भी खूब एन्जॉय करते हैं.." मैंने उन्हें सीधे शब्दों में बताया.
"लेकिन तुम्हे ये सब नहीं करना चाहिए" मम्मी ने मुझसे रुंधी आवाज में कहा.
"क्यों नहीं करना चाहिए...मेरी चूत में हर तरह का लंड चला जाता है और मुझे उन्हें चूसने में भी मजा आता है..तो फिर ये सब क्यों नहीं करना चाहिए" अब ऋतू भी मेरे पक्ष में बोल पड़ी.
"पर ये सब गलत है, भाई बहन को आपस में ये सब नहीं करना चाहिए.." मम्मी ने फिर से कहा.
"अच्छा ......तो आप लोग जो करते हो वो गलत नहीं है क्या" ऋतू ने अपने शब्दों को पीसते हुए उनसे कहा.
चाची जो बड़े देर से ये सब देख रही थी वो मम्मी की तरफ हँसते हुए बोली "देखो भाभी, ये जो कह रहे है वो सही है, हम लोग भी कहाँ रिश्तेदारी का ख्याल रखते है, हमें भी तो सिर्फ सेक्स करने में मजा आता है, अगर ये भी वोही कर रहे है तो बुरा क्या है"
"पर ये हमारे बच्चे हैं.." मम्मी ने फिर से कहा.
"हाँ है और तभी इनके साथ ये सब करने में कुछ ज्यादा ही मजा आता है" अब की बार चाचू ने कहा और अपनी बाँहों में पकड़ी नंगी नेहा को अपने सीने से दबा दिया और आगे बोले " और मुझे लगता है की आपको भी एक बार ये सब ट्राई करना चाहिए"
मम्मी ने अपने सर को एक झटका दिया और कहा "मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, मैं सोने जा रही हूँ, इस बारे में कल बात करेंगे"
"ठीक है बाय ..." चाची ने उनसे कहा
"बाय का क्या मतलब है...तुम लोग नहीं जा रहे क्या अपने कमरे में" मम्मी ने हैरानी से पूछा.
"नहीं अभी मुझे कुछ और भी काम है " और चाची ने हाथ बढाकर मेरे लंड को थाम लिया और दुसरे हाथ से अपनी चूत मसलने लगी.
"आरती...बंद करो ये सब" मम्मी चिल्लाई.
"अरे भाभी आप यहाँ आओ और थोडा relax करो" चाचू आगे आये और मम्मी का हाथ पकड़कर बेड पर बिठा दिया उनका झूलता हुआ लंड उनकी आँखों के सामने लटक रहा था, चाचू ने उनका मुंह पकड़ा और अपना लंड उनके मुंह में ठूस दिया और उन्हें नीचे धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उनकी छाती पर चढ़ बैठे.
"अब चुपचाप लेटी रहो और मेरा लंड चुसो..."चाचू ने मम्मी की आँखों में देखकर कहा. और आरती की तरफ देखकर बोले "डार्लिंग...मेरी थोड़ी मदद करो न..."
"हाँ हाँ क्यों नहीं .." चाची अपनी जगह से उठी और बेड के किनारे आकर मम्मी के नाईट गाउन को खींच कर बीच में से खोल दिया, उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था, और उनकी मोटी जांघे पकड़कर रसीली चूत पर अपना मुंह रख दिया.मम्मी के मुंह में चाचू का लंड था पर फिर भी उनके मुंह से घुटी हुई सी सिसकारी निकल गयी...आआआआअह्ह्ह्ह.
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12-13-2020, 02:50 PM,
#48
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
चाचू का लम्बा लंड मम्मी के मुंह में किसी पिस्टन की तरह आ जा रहा था, नीचे बैठी चाची भी अपनी लम्बी जीभ के झाड़ू से मम्मी की चूत की सफाई करने में लगी हुई थी. चाचू ने मम्मी के ऊपर बैठे हुए उनके गाउन के बटन खोल दिए और मम्मी के मोटे चुचे ढलक कर दोनों तरफ झूल गए.
उन्होंने उसे मम्मी के कंधो से थोड़ी मुश्किल से उतारा और बाकी काम नीचे बैठी चाची ने कर दिया, उन्होंने उनकी गांड ऊपर करके उसे नीचे से बाहर खींच दिया और इस तरह मम्मी हमारे सामने पूरी नंगी हो गयी.
उन्हें इतनी पास से नंगा देखने का ये मेरा पहला अवसर था, वो किसी professional की तरह चाचू के लंड को आँखें बंद किये चूस रही थी, उनकी चूत से इतना रस बह रहा था की चाची उसे पी ही नहीं पा रही थी और वो बहकर मम्मी की गांड को भी गीला कर रहा था.उनके मोटे-२ चुचे देखकर मेरे मुंह में भी पानी आ गया, मैंने उनके चुचे हमेशा अपने मुंह में लेने चाहे थे, घर में भी जब वो बिना चुन्नी के घुमती थी तो मेरा मन उनकी गोलाइयाँ देखकर पागल हो जाता था. और अब जब वो मेरे सामने नंगे पड़े थे, मेरा लंड उन्हें देखकर तन कर खड़ा हो गया था, मैंने अपने हाथ से उसे मसलना शुरू कर दिया.
ऋतू ने इशारा करके पापा को अपनी तरफ बुलाया, वो थोडा झिझकते हुए उसके पास आये और हम सबके साथ आकर खड़े हो गए, ऋतू ने अपना हाथ उनकी कमर में लपेट दिया और उनसे सट कर खड़ी हो गयी, पापा थोडा असहज महसूस कर रहे थे, हो भी क्यों न उनकी जवान लड़की नंगी जो खड़ी थी उनसे चिपककर..
हम सभी की नजर मम्मी पर गडी हुई थी, मेरी देखा देखी पापा ने भी अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपनी पत्नी को अपने भाई और उसकी पत्नी के द्वारा चुद्ता हुआ देखकर वो भी अपना लंड हिलाने लगे, उनका मोटा लंड देखकर ऋतू की आँखों में एक चमक आ गयी, वो अपने पापा के लंड को काफी दिनों से देख रही थी और मन ही मन उनसे चुदना भी चाहती थी, आज उन्हें अपने साथ खड़ा होकर हिलाते देखकर उससे सहन नहीं हुआ और उसने झुक कर अपने पापा का लंड अपने मुंह में भर लिया..
पापा के मुंह से एक ठंडी सिसकारी निकल गयी...स्स्सस्स्स्सस्स्स आआआआआअह्ह्ह
उन्होंने अपना हाथ हटा लिया, अपने सामने बैठी अपनी नंगी बेटी को देखकर उनका लंड फुफकारने लगा और वो तेजी से उसका मुंह चोदने लगे...
आआआआआआआआह्ह्ह्ह .....उन्होंने अपनी आँखें बंद करी और एक तेज आवाज निकाली.
ऋतू उठ खड़ी हुई और पापा के लंड को पकड़कर आगे की तरफ चल पड़ी, बेड पर पहुंचकर उसने पापा को नीचे लिटाया और उनकी कमर के दोनों तरफ टाँगे चोडी करके बैठ गयी, और उनकी आँखों में देखकर अपनी चूत का निशाना उनके लंड पर लगाया....और बोली...पापा प्लीस ...चोदो मुझे..और उसने अपने मोटे चूतडो का बोझ पापा के लंड के ऊपर डाल दिया.
उनका मोटा लंड अपनी बेटी की चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गर्म छुरी.. आआआआआअह्ह ऋतू ने एक तेज सीत्कारी ली.......उसकी आवाज सुनकर मम्मी ने अपनी आँखें खोली और पास लेते अपने पति को अपनी बेटी की चूत मारते हुए देखा और फिर उन्होंने भी मौके की नजाकत समझी और अपनी आँखें बंद करके चाचू का लंड चूसने में मस्त हो गयी.
पापा और मम्मी ने जब एक दुसरे को देखा तो वो समझ गए की अब अपने आपको रोकना व्यर्थ है इसलिए इन हसीं पलों के मजे लो, और जब मम्मी ने आँखें बंद करली तो पापा ने अपना ध्यान ऋतू की तरफ लगा दिया, उन्होंने अपने हाथ ऊपर उठाये और ऋतू के झूलते हुए मुम्मे अपने हाथों में भर लिए, वो हमेशा घर पर अपनी बेटी के ब्रा में कैद और टाईट टी शर्ट में बंद इन्ही कबूतरों को देखकर मचलते रहते थे, आज ये दोनों रस कलश उनके हाथ में थे, उन्होंने अपना मुंह ऊपर उठाया और उन कलशो से रस का पान करने लगे, उनके मोटे -२ होंठ और मूंछे ऋतू के नाजुक निप्पलस पर चुभ रहे थे, पर उनका एहसास बड़ा ही मजेदार था, उसने अपने पापा के सर के नीचे हाथ करके अपनी छाती पर दबा दिया और अपना चुचा उनके मुंह में ठुसने की कोशिश करने लगी, पापा ने अपना मुंह पूरा खोल दिया और ऋतू का आधे से ज्यादा स्तन उनके मुंह के अन्दर चला गया, उनका मुंह अपनी बेटी के चुचे से पूरा भर गया, और फिर जब उन्होंने अपनी जीभ अन्दर से उसपर घुमानी शुरू की तो ऋतू तो जैसे पागल ही हो गयी, इतना मजा आजतक उसे नहीं आया था, नीचे से पापा का लम्बा लंड उसकी चूत की प्यास बुझा रहा था और ऊपर से पापा उसका दूध पीकर अपनी प्यास बुझा रहे थे.
चाची अपनी जगह से उठी और अपनी चूत को मम्मी के मुंह के ऊपर लेजाकर रगड़ने लगी, चाचू मम्मी के मुंह से नीचे उतर गए और उनके उतरते ही अपनी जवानी की आग में तड़पती हुई नेहा उनपर झपट पड़ी और उनके होंठ अपने मुंह में दबाकर नीचे चित्त लिटा दिया और चाचू का लंड अपनी चूत पर टीकाकार उसे अन्दर ले लिया.
मैंने मम्मी की चूत के ऊपर अपना मुंह रखा और उसे चाटने लगा, मम्मी को शायद पता चल गया था की मैं उनकी चूत चूस रहा हूँ, उन्होंने उत्तेजना के मारे अपने चुतद ऊपर उठा दिया, मैंने नीचे हाथ करके उनके चौड़े पुट्ठे पकडे और अपनी दो उँगलियाँ उनकी गांड के अन्दर डाल दी और अपनी लम्बी जीभ उनकी चूत के अन्दर..
आआआआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह मम्मी मचल उठी इस दोहरे हमले से...
मैं उठा और अपना लंड उनकी चूत के छेद पर टिका दिया, आज मैं उसी छेद के अन्दर अपना लंड डाल रहा था जहाँ से मैं निकला था...मेरे लंड का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मम्मी तो बिफर ही पड़ी उन्होंने अपने चुतद फिर से ऊपर उठाय और मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर समाता चला गया..
आआआआअह उनके मोअन की हलकी आवाजें चाची की चूत से छनकर मुझे सुने दे रही थी...
मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और मैं तेजी से अपनी माँ की चूत मारने लगा..
उधर ऋतू अपने आखिरी पड़ाव पर थी, वो पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी.... आआआअह्ह्ह चोदो मुझे पापा...अपने प्यारे लंड से ....फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से....चोदो न....जोर से....आआआह्ह्ह बेटी चोद सुनता नहीं क्या तेज मार...भोंसडीके ....कुत्ते...बेटिचोद....चोद जल्दी जल्दी....आआआआआह्ह ......डाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......और तेज और तेज और तेज.......आआआअह्ह्ह हाँ ऐसे ही.....भेन्चोद....चोद...अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह...और पापा से अपनी बेटी के ये प्यारे शब्द बर्दाश्त नहीं हुए और उन्होंने अपना रस अपनी छोटी सी बेटी की चूत के अन्दर उड़ेल दिया....ऋतू भी पापा के साथ-२ झड़ने लगी...
ऋतू को देखकर नेहा को भी जोश आ गया....वो भी चिल्लाने लगी चाचू के लंड पर कूदकर...हननं डेडी...चोदो अपनी बेटी को...देखो ऋतू को अंकल कैसे चोद रहे है,....वैसे ही चोदो अपनी लाडली को...डालो अपना लंड मेरी चूत के अन्दर तक....ahhhhhhhhhhhh ......दाआअलूऊऊऊऊओ .....और वो भी चाचू के साथ-२ झड़ने लगी..
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12-13-2020, 02:51 PM,
#49
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू पापा के लंड से नीचे उतरी और उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, चाची जो अपनी चूत मम्मी से चुसवा रही थी, उन्होंने अपना सर आगे किया और ऋतू की चूत से टपकते पापा के रस को पीने लगी, मेरे लिए भी अब सब्र करना कठिन हो गया था, मैंने भी एक-दो तेज झटके मारे और अपना पानी मम्मी की चूत के अन्दर छोड दिया...मम्मी ने अपने अन्दर मेरे गर्म पानी के बहाव को महसूस किया और वो भी जोर से चिल्ला कर झड़ने लगी.आआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह आआआआआ अह अह अ अ हहा ह अ ह हा हा हा ........मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतू जो पापा के लंड से उतर चुकी थी आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी, अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी...उन्होंने उसके सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगे खींचकर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी, ऋतू की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी, थोड़ी ही देर में उनकी चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक-दुसरे के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी.
"ये कितने अच्छे बच्चे हैं..." चाची ने हम तीनो बच्चो की तरफ हाथ करके कहा.. वो हमारी पर्फोर्मांस से काफी खुश थी.
"ये कुछ ज्यादा ही हो गया..." मम्मी ने बेड से उठते हुए कहा.
"क्या आपको ये सब अच्छा नहीं लगा मम्मी" ऋतू ने उनसे पूछा.
"हम्म्म्म हाँ अच्छा तो लगा...पर ये सब एकदम से हुआ...मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है.." उन्होंने धीरे से कहा.
"पर हमें तो बड़ा मजा आया, क्या आपको मेरी चूत को चुसना अच्छा नहीं लगा...मेरी तो इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गयी पापा के लंड से अपनी चूत मरवाकर...कितना मजा आया उनका मोटा लंड लेने में...क्या आपको नहीं आया भैय्या का लंड अपनी चूत में लेनेमें....बोलो.." ऋतू ने उनसे सवाल किया.
सबकी नजरें मम्मी की तरफ उठ गयी..
उसने पापा से पूछा "और पापा क्या आपको मेरी चूत पसंद नहीं आई..."
उन दोनों को चुप देखकर चाची ने कहा "अरे...अब आप दोनों ऐसे क्यों शर्मा रहे हैं...आप दोनों को अपने बच्चो के साथ सेक्स करने मं मजा आया है तो इस बात को कबूल करने में इतना झिझक क्यों रहे हो..हमने भी तो अपनी बेटी नेहा को इस खेल में शामिल किया है, और उसकी चूत चूसने में मुझे तो बड़ा मजा आता है और उसके पापा भी कल से अपनी बेटी की कसी हुई चूत का बार बार तारीफ़ कर रहे हैं...."
"चलो ठीक है...अब हमें अपने कमरे में चलना चाहिए" मम्मी ने कहा.
"अरे. भाभी मूड़ मत खराब करो...अभी तो मजा आना शुरू हुआ है...अभी तो पूरी रात पड़ी है.." चाची ने कहा.
साली इस चाची के बदन में आग लगी है, पूरी रात चुदवाने की तय्यारी से आई थी हरामजादी..मैंने मन ही मन सोचा.
"नहीं...अब और नहीं..चलो तुम दोनों अब चुपचाप सो जाओ...और आरती-अजय .. प्लीस.. आप भी चलो यहाँ से.." मम्मी ने कहा.
हम सबने उनकी बात को मानना उचित समझा और अपने बेड पर जाकर रजाई के अन्दर घुस गए.
"चलो ठीक है..तुम कहती हो तो चलते हैं..चलो अजय अपने रूम में जाकर हम दोनों ही आपस में चुदाई करते हैं..." और चाची हमारे पास आकर हमें गुड नाईट बोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मसल दिया..और बोली "काफी मजा आया..कल मिलते हैं"
सबके जाने के बाद हम तीनो अपने बेड पर नंगे रजाई में बैठे हंस रहे थे,
ऋतू बोली "मुझे विशवास ही नहीं हो रहा है की हमने अपने मम्मी पापा के साथ भी चुदाई की..और इतना सब होने के बाद भी उन लोगो ने हमें फिर से इस कमरे में छोड दिया हा हा हा ...."
"और मैं सच कहूं तो तुम्हारे मम्मी पापा को भी काफी मजा आया होगा, वो अभी खुलकर नहीं बता रहे हैं पर तुम दोनों से सेक्स करके वो भी कम खुश नहीं थे..." नेहा ने अपने चूत को मेरी टांगो पर दबाते हुए कहा.
ऋतू ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर कहा "तो क्या तुम्हारा ये लंड अभी भी कुछ कारनामे दिखाने के मूड में है क्या..."
"मेरे लंड के कारनामे देखना चाहते हो तो उसे तैयार करो और फिर मैं तुम दोनों को दिखाता हूँ की चुदाई क्या होती है" मैंने उन्हें उकसाया..
"ओह....माय माय.....लगता है किसी को अपने लंड पर कुछ ज्यादा ही गुरुर हो गया है...." ऋतू ने अपनी आँखें मटकाते हुए नेहा की तरफ देखा और फिर वो दोनों एक साथ बोली "और गुरुर तोडना पड़ेगा हा हा हा" और फिर जो चुदाई का खेल शुरू हुआ तो उनकी चूत के परखचे ही उड़ गए...उस रात मैंने ऋतू और नेहा की कितनीबार चुदाई की, मुझे खुद ही नहीं मालुम..और वो दोनों बेचारी अपनी सूजी हुई चूत लेकर नंगी ही मुझसे लिपटकर सो गयी.
उधर अपने कमरे में पहुंचकर चाची ने शीशे वाली जगह पर ही खड़े होकर चाचू से लगभग तीन या चार बार अपनी चूत मरवाई...दुसरे कमरे में अपनी बेटी और अपनी भतीजी को मुझसे चुदते हुए देखकर..
*****

अगली सुबह मैंने अपने लंड के चारो तरफ गीलेपन का एहसास पाया, कोई मेरा लंड चूस रहा था, मैंने अपने दोनों तरफ देखा, ऋतू और नेहा दोनों अपने मोटे-२ चुचे मुझमे घुसेड़े आराम से सो रही थी, मैंने नीचे देखा तो पाया की आरती चाची मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही है, मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वो मुस्कुरा दी और मुझे गुड मोर्निंग बोलकर फिर से मेरा लंड चाटने लगी, मेरे शरीर की हलचल पाकर ऋतू भी जाग गयी और जब उसने देखा की चाची मेरे लंड से ब्रुश कर रही है तो उसकी चूत भी सुबह की खुमारी में रस से सराबोर हो गयी, उसने थोड़ी जगह बनाकर चाची को बेड पर आने को कहा, चाची ऊपर आई और अपनी टाँगे ऋतू के चेहरे के ऊपर करके वापिस मेरा लंड चाटने लगी, नेहा भी अब जाग चुकी थी, अपनी माँ को सुबह-२ नंगी लंड चूसते देखकर उसके बदन में भी आग लग गयी और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, मैंने अपने हाथ उसके उभारों पर रख दिए और उन्हें दबा दबाकर उन्हें और बड़ा करने लगा..नेहा के चुचों के बारे में एक बात कहना कहता हूँ, वो बड़े ही मुलायम है पर उसके एरोहोल और निप्पल उतने ही कठोर, वो किसी कील की तरह मेरे हांथों में चुभ रहे थे, मैंने उन्हें और जोर से दबाना शुरू कर दिया, और उतनी ही बेदर्दी से उसके नाजुक होंठो को भी चुसना जारी रखा.
तभी दरवाजा खुला और हमारे पापा अन्दर आ गए, उन्होंने जब देखा की अन्दर सुबह की चुदाई की तय्यारी चल रही है तो वो चुपचाप अन्दर आये और अपने कपडे उतार कर वो भी ऊपर चढ़ गए, चाची की चूत तो वो कई बार मार चुके थे, और कल रात उन्होंने ऋतू की भी जम कर चुदाई करी थी, इसलिए आज उनकी नजर नेहा के कमसिन जिस्म पर थी, नेहा जो मेरे मुंह में घुसी हुई कुछ ढून्ढ रही थी, उसकी टाँगे छोड़ी करके पापा ने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगे.
नेहा ने जब अपनी चूत पर अपने ताऊ जी की गर्म जीभ को पाया तो उसकी उसकी रस बरसाती चूत से एक कंपकपी सी छूट गयी आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह....म्म्मम्म्म्मम्म.....हाआआआआअन्न्न ऐसे ही......जोर से....... और वो पापा को और जोर से अपनी चूत को चूसने के लिए प्रोत्साहित करने लगी..
जवान लड़की की चूत पाकर पापा भी दुगने जोश से अपने experience का इस्तेमाल उसे करते हुए उसकी चूत की तलाशी लेने लगे.
वहां अजय चाचू की जब नींद खुली तो चाची को बगल में ना पाकर उन्होंने भागकर शीशे वाली जगह देखा और वहां का नजारा देखकर वो नंगे ही हमारे कमरे में दौड़कर चले आये, उनकी पत्नी मेरा लंड चूस रही थी और उनके बड़े भाई उनकी बेटी की चूत चाट रहे थे और उनकी पत्नी की चूत को उनकी भतीजी साफ़ कर रही थी, कमरे में अब सिर्फ ऋतू की चूत ही बची थी जो खाली थी, वो उसकी तरफ चल पड़े, और वहां पहुंचकर अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके ऋतू की चूत और गांड बारी-२ से चाटने लगे.
पुरे कमरे में सिस्कारियां गूंज रही थी.
पापा का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, वो खड़े हुए और नेहा की एक टांग को हवा में उठाकर अपना लंड उस छोटी सी चूत पर टिका दिया, उनका टोपा काफी बड़ा था, नेहा की छोटी सी चूत के सिरे पर वो फंस सा रहा था, उन्होंने थोडा जोर लगाया तो नेहा दर्द से बिलबिला उठी....आआआआआआआआह्ह्ह्ह धीरे डालो बड़े पापा....धीरे.....
लंड का टोपा अन्दर जाते ही बाकी का काम उसकी चूत की चिकनाई ने कर दिया, वो उस पतली सुरंग में फिसलता चला गया..अयीईईईईईईईईईईईईई मर गयी......और पापा ने तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए...
अह अह अह अह अह अह ...उसके मोटे चुचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और उसके खुले मुंह से निकलती लार मेरी छाती पर टपक रही थी...
चाची भी उठ खड़ी हुई और मेरे दोनों तरफ टाँगे करके अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और नीचे बैठ गयी. अब उनके मोटे तरबूज भी मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे, मैंने हाथ बदकार उन्हें भी सहलाना शुरू कर दिया, चाची थोडा और आगे हुई और मेरे सीने पर लेती हुई अपनी बेटी नेहा के होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी.
ऋतू जो अब तक अपनी चूत चट्वाकर काफी गर्म हो चुकी थी उसने चाचू के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपनी चूत छुडवाई और उनके लम्बे लंड को एक किस करके उनके ऊपर चढ़ बैठी, बाकी काम चाचू ने कर दिया अपना खड़ा हुआ लंड उसकी रस टपकाती चूत में डालकर. अब हमारे कमरे में तीन चुदाई चल रही थी और सभी बड़े जोरो से आवाजें निकाल-निकालकर चुदाई कर रहे थे..
ऋतू चिल्लाई...आआआआआआह्ह्ह चाअचूऊऊऊऊऊ.......चोदो मुझे ...और जोर से......अह.........
नेहा भी बोली.....बड़े पापा......डालो अन्दर तक अपना मोटा लंड......आआआआह्ह और तेज चोदो अपनी नेहा को बड़े पापा........
चाची भी कहाँ पीछे रहने वाली थी....आआआआअह्ह आशु......डाल बेटा...अपनी चाची की चूत कैसी लगी....बता ना.....
मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा....भेन चोद.....कुतिया......कितने लोगो से मरवा चुकी है....तेरी माँ की चूत....साली....कमिनी..बता मुझे...
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12-13-2020, 02:51 PM,
#50
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
चाची ने उखड्ती साँसों से कहा. "बड़े लंड लिए है अपनी चूत में....पर अपनों का लेने में जो मजा है वो कहीं नहीं है....चोदो मुझे...दुनिया की हर चाची को तेरे जैसा भतीजा मिले जिसका इतना मोटा लंड हो तो मजा ही आ जाए...बिना पूछे डाल दिया कर अपना लंड मेरी चूत में कभी भी....कहीं भी...आआआआआआह्ह्ह्ह ...."
चाची लगता है मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस हो गयी थी.
मैंने उनके होर्न अपने हाथों में पकडे और अपने इंजिन की स्पीड बड़ा दी.
तभी दरवाजा दुबारा खुला और मम्मी वहां खड़ी थी..
"तुम लोगो को कोई शर्म है के नहीं" मम्मी ने अन्दर आकर पुछा.
"हाय मोम...गुड मोर्निंग..."मैंने उनसे कहा.
उन्होंने पापा की तरफ देखा और कहा "आप तो कम से कम इन्हें रोकते, पर आप तो खुद ही यहाँ लगे हैं अपनी भतीजी की मारने में"
पापा ने जवाब दिया "पूर्णिमा, अब ये लोग हमारे कहने से रुकने वाले तो हैं नहीं, और कल जब सब कुछ हो ही चूका है तो आज इनकार करने से क्या फायदा, आओ तुम भी आ जाओ ऊपर."
"हाँ मम्मी, आप यहाँ आओ, मेरे मुंह के ऊपर मैं आपकी चूत चुसना चाहता हूँ, बड़ी प्यास लगी है मुझे..." मैंने अपनी जीभ अपने होंठो पर फिराते हुए कहा.
"हाँ भाभी ...आ जाओ ऊपर..." चाचू ने भी जोर दिया.
मम्मी ने सभी की बात सुनी और अपना सर हिलाते हुए उन्होंने अपनी हार मान ली और उन्होंने अपना गाउन वहीँ जमीन पर गिरा दिया और नंगी ऊपर बेड पर चढ़ गयी और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गयी, मेरी लम्बी जीभ उनकी चूत का इन्तजार कर रही थी, जैसे -२ वो नीचे हुई, मेरी पेनी जीभ उनकी चूत में उतरती चली गयी.
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह उन्होंने एक लम्बी सिसकारी मारी और मैंने अपनी जीभ से उनकी क्लिट को दबाना और चुब्लाना शुरू कर दिया, उनका मुंह मेरे लंड की तरफ था, जहाँ चाची मेरे लंड की सवारी करने में लगी हुई थी, चाची ने आगे बढकर मम्मी के मोटे जग्ग्स को पकड़ा और उन्हें फ्रेंच किस करने लगी, मम्मी अपनी चूत मेरे मुंह पर बड़ी तेजी से रगड़ रही थी.
मैं जिस तरह से मम्मी की चूत चाट और चबा रहा था उन्हें काफी मजा आ रहा था, आज अपने बीच तीनो बच्चो को शामिल करके सेक्स करने का मजा लेने में लगे थे सभी बड़े लोग.
उन्होंने अपनी दाई तरफ देखा जहाँ उनके पति अपनी भतीजी की चूत का तिया पांचा करने में लगे थे. और बायीं तरफ उनकी लाडली बेटी अपने चाचू के लंड को ऑंखें बंद किये मजे से उछल-२ कर ले रही थी. और उनके नीचे लेता उनका बेटा उनकी चूत चाटने के साथ -२ अपनी चाची को भी चोद रहा था..इतनी कामुकता फैली है इस छोटे से कमरे में.
तभी चाची ने एक तेज आवाज करते हुए झड़ना शुरू कर दिया....और वो निढाल होकर नीचे लुडक गयी..मेरा लंड उनकी गीली चूत से निकलकर तन कर खड़ा हुआ था, मम्मी ने जब अपने सामने अपने बेटे का चमकता हुआ लंड देखा तो उनके मुंह में पानी आ गया उन्होंने नीचे झुककर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूस चूसकर साफ़ करने लगी, मैंने पलटकर मम्मी को नीचे किया और घूमकर उनकी चूत की तरफ आया और अपना साफ़ सुथरा लंड उनकी फूली हुई चूत पर टिका दिया...मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा...आई लव यू मोम....और अपना लंड उनकी लार टपकाती चूत में उतार दिया..
आआआआआआआआआह्ह्ह्ह म्म्म्मम्म्म्मम्म ...मम्मी ने मेरा लंड पूरा निगल लिया और मेरी कमर पर अपनी टांगो का कसाव बना कर मुझे बाँध लिया..."बस थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहो.....मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ...." मैं उनकी छाती पर लेता रहा और उनके अधखुले होंठो को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
धीरे -२ उन्होंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए, मैंने उनकी टांगो का जाल खोला और उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़कर उनकी टांगो को और भी चोडा कर दिया और लगा धक्के पे धक्के मारने अपनी माँ की चूत में..
उनके मुंह से बरबस ही बोल फुट पड़े...आआआआअह्ह्ह चोद मुझे बेटा....चोद डाल....और अन्दर डाल. अपना लंड....मादरचोद....चोद मुझे...भोंस्डीके...भेन चोद....चोद मुझे.....आआआआआह्ह्ह डाल अपना मोटा लंड अपनी माँ की चूत में....आः आह ह्ह्ह्हहहाहा आहा ह्ह्ह हा अ ह्ह्ह्हह्ह ..
मैंने भी उनकी चूत मारते हुए कहा..."ले साली रंडी....बड़ी सती सावित्री बनती है....अपने देवर से चुद्वाती है और मुझसे शर्मा रही थी...और अब लंड डाला है तो दुगने मजे ले रही है...कुतिया कहीं की...साली रंडी..."
"हाँ मैं रंडी हूँ...तेरी रंडी हूँ मैं आज से...चोद मुझे...घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे...अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी माँ को....अपने टीचेर्स से भी चुदवाना अपनी माँ को...शाबाश बेटा चोद मुझे..."
मम्मी पहले जितना शर्मा रही थी उतनी ही खुल गयी थी अब..
पापा ने इतनी टाईट चूत आज तक नहीं मारी थी, नेहा के कसाव के आगे उनके लंड के पसीने छुट गए और उन्होंने अपनी बाल्टी उसकी चूत में खाली कर दी. नेहा अभी भी नहीं झड़ी थी.
चाचू के लंड को ऋतू अजीब तरीके से दबा रही थी अपनी चूत से,
उन्होंने भी अपनी जवान भतीजी के आगे घुटने टेक दिए और झड़ने लगे उसकी चूत के अन्दर. ऋतू भी बिना झाडे रह गयी, उसने नेहा को इशारा किया और उसे अपने पास बुलाकर उसकी टांगो के बीच अपनी टाँगे फंसाकर अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ने लगी, दोनों की चूत जल रही थी, और जल्दी ही उन्होंने एक दुसरे की चूत को अपने रस से नहलाना शुरू कर दिया.
आआआआआआआआह्ह्ह येस्सस्सस्स बेबी ......ओह...फचक्क्क्क आआआह्ह्ह ...
मम्मी भी मेरे लंड की सवारी को ज्यादा नहीं कर पायी और उन्होंने एक दो झटके मारे और झड़ने लगी....आआआआआआअह्ह्ह्ह मैं तो गयी.....आआआआअह्ह्ह मजा आआअ गयाआआअ..... आआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह .
मैंने उनकी चूत की गर्मी महसूस करी और मैंने भी अपना रस अपनी जननी की चूत में उतार दिया.
चारों तरफ वीर्य और चूत के रस की गंध फैली हुई थी.
सबने एक दुसरे को चूमना और सहलाना सुरु किया और बारी-२ से सबकी चूत और लंड साफ़ किये और फिर सभी उठ खड़े हुए...नाश्ता भी तो करना था.
और मुझे सोनी और मोनी का ख्याल आया, कल वाली शर्त जीतने के बाद आज उनकी चूत भी तो मारनी है मुझे...
मैं, ऋतू और नेहा एक टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे तो वहां वो चोदु रेहान आ गया और हमारे साथ बैठ कर गप्पे मारने लगा, मैंने अपनी नजरें चारों तरफ दौडाई पर मुझे सोनी और मोनी कहीं न दिखाई दी.
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