hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:26 PM,
#71
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“आओ … आओ तेजस्वी।” कक्ष में दाखिल होते ही कमिश्‍नर साहब ने गर्मजोशी के साथ उसका स्वागत किया जबकि ठक्कर आराम से सोफे पर बैठा बारीकी से तेजस्वी के चेहरे पर मौजूद भावों को पढ़ने की चेष्टा कर रहा था।
तेजस्वी के चेहरे पर दूर-दूर तक गंभीरता विराजमान थी, उसने ठक्कर को हौले से अभिवादन किया और बोला—“अच्छा हुआ आप भी यहीं मिल गए।”
“ऐसी क्या बात है?”
“आप दोनों से कुछ बातें करना चाहता था।”
“आराम से बैठो।”
“थैंक्यू!” उसने कमिश्‍नर से कहा—“बैठिए सर!”
ठक्कर के ठीक सामने वाले सोफे पर बैठता हुआ तेजस्वी बोला—“वे हरामी के पिल्ले समझते हैं मैं ब्लैकमेल हो सकता हूं!”
“कौन हरामी के पिल्ले?” धड़कते दिल के साथ कमिश्‍नर ने पूछा—“कौन ब्लैकमेल करना चाहता है तुम्हें?”
“ब्लैक फोर्स वाले।”
खुद ठक्कर का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था, बोला—“हम समझे नहीं।”
“उन्होंने मेरे परिवार को अगवा कर लिया है।”
“कैसे पता लगा?”
“कुछ देर पूर्व मेरे फ्लैट पर ब्लैक फोर्स का एक आदमी आया था—अपना नाम व्हाइट स्टार बताया उसने—कहता था बल्कि साबित कर दिया कि इस वक्त मेरा परिवार ब्लैक फोर्स के कब्जे में है।”
“तो?”
“चाहते हैं अपने परिवार की खातिर मैं उनके लिए एक काम करूं।”
“क्या काम कराना चाहते हैं?”
“फार्म हाउस की चारदीवारी के बाहर उनका आदमी मुझे एक रिवॉल्वर देगा। मुझे वह रिवॉल्वर फार्म हाउस के लॉन में दाईं तरफ मौजूद कोने वाले गुलाब के पौधे की जड़ में छुपा देना है।”
“उसके बाद?”
“उनका कोई मरजीवड़ा गुलाब के पौधे की जड़ से रिवॉल्वर उठायेगा और अपनी जान की परवाह किए बगैर सारी गोलियां चिरंजीव कुमार के जिस्म में भर देगा।”
“ओह, तुमने क्या कहा?”
“गुस्सा तो इतना आया कि उस हरामी के पिल्ले को वहीं पकड़ लूं और शूट करके ब्लैक स्टार को यह संदेश पहुंचा दूं कि तेजस्वी को ब्लैकमेल करने की कोशिश का अंजाम क्या हो सकता है? मगर फिर, अपने बूढ़े मां-बाप, पत्नी और बच्ची का ख्याल आ गया—सोचा, मेरी उत्तेजना के फलस्वरूप वे बेचारे बेगुनाह मारे जाएंगे—क्यों न कुछ ऐसा करूं कि वे लोग अगर बच सकते हैं तो बच जाएं और वक्त आने पर ब्लैक स्टार का यह भ्रम भी टूट जाए कि वह मुझे ब्लैकमेल कर सकता है।”
“वैरी गुड, तो क्या किया तुमने?”
“फिलहाल उनके द्वारा ब्लैकमेल हो जाने का नाटक कर दिया है—मैं उनका रिवॉल्वर वहां पहुंचा दूंगा जहां वे चाहते हैं—मगर तब तक उसे किसी को नहीं उठाने दूंगा जब तक मेरा परिवार वहां सुरक्षित नजर नहीं जा जाएगा।”
“उसके बाद उठाने दोगे?”
“तय तो यही हुआ है।”
“तय हुआ है से मतलब?”
“मुझे आप लोगों की मदद की जरूरत है।”
“हम समझे नहीं।”
“व्हाइट स्टार ने कहा है, मेरा परिवार चारदीवारी के बाहर नजर जरूर आ रहा होगा मगर प्रत्येक पल ब्लैक फोर्स के लोगों की गन्स के निशाने पर होगा—अगर मैंने गड़बड़ करने की कोशिश की तो वे उन सबको भून देंगे—कहने को तो उन्होंने कह दिया और मैंने सुनकर खौफजदा हो जाने की एक्टिंग भी कर दी—मगर जानता हूं कि फार्म हाउस की चारदीवारी के बाहर तक भले ही मेरा परिवार उनकी गन्स के निशाने पर रहे, परंतु चारदीवारी के अंदर ऐसा कुछ नहीं होगा क्योंकि अगर हथियार साथ रखकर उनमें चारदीवारी के अंदर दाखिल होने की कूव्वत होती तो एक अदने से रिवॉल्वर को मेरे द्वारा अंदर पहुंचाने हेतु इतनी लम्बी-चौड़ी स्कीम क्यों बनाई होती?”
“हंडरेड परसैन्ट ठीक सोचा है तुमने।”
“अगर आप ऐसी व्यवस्था कर दें कि मेरा परिवार एक बार सुरक्षित चारदीवारी के अंदर आ जाए तो फिर मैं उस शख्स की वो गत बनाऊंगा जो गुलाब के पौधे की जड़ में पड़े रिवॉल्वर को छुएगा कि ब्लैक स्टार सात जन्म तक किसी के परिवार को अपने चंगुल में फंसाकर उसे ब्लैकमेल करने का ख्वाब तक नहीं देखेगा।”
ठक्कर ने गंभीर स्वर में कहा—“हमारे ख्याल से तुम्हारी योजना में अभी काफी रद्दोबदल होनी चाहिए।”
“मैं समझा नहीं।”
ठक्कर उसे सब कुछ बताने का फैसला कर चुका था—दरअसल तेजस्वी द्वारा अपने सारे कार्ड ओपन कर देने के बाद अब हालात ऐसे रहे ही नहीं थे कि उसे अलग रखकर योजना तैयार की जा सकती—एक नजर उसने कमिश्‍नर के चेहरे पर डाली और पुनः तेजस्वी से मुखातिब होता बोला—“तुमने साबित कर दिया तेजस्वी कि कमिश्‍नर साहब तुम पर इतना विश्वास ऐसे ही नहीं करते।”
“ज-जी, क्या मतलब?”
“जो तुमने कहा, वह हम दोनों पहले से जानते हैं।”
“य-यानि आपको मालूम था कि मेरा परिवार …।”
“हमें वह भी मालूम है जो तुम नहीं जानते।” ठक्कर अब पूरी तरह खुल चुका था—“और वह ये है कि वे लोग क्या सोच रहे हैं, क्या योजना है उनकी—तुम पर कितना विश्वास कर रहे हैं, कितना नहीं …।”
“कृपया डिटेल बताएं।”
“व्हाइट स्टार से बात करते वक्त ब्लैक स्टार ने शंका व्यक्त की कि तुम कोई चाल चल सकते हो परंतु व्हाइट स्टार ने पुरजोर विरोध किया—कहा, ‘तुम अपने परिवार के लिए वह सब करोगे जो कहा गया है।’
“मैंने व्हाइट स्टार के समक्ष एक्टिंग ही ऐसी की थी जैसे अपने परिवार को उनके चंगुल में पाकर पूरी तरह टूट चुका हूं और उसे बचाने के लिए हर वह काम करूंगा जो वे चाहेंगे।”
“व्हाइट स्टार के दिमाग पर तुम्हारी एक्टिंग का पूरा प्रभाव था।”
“खैर, अब उनकी योजना क्या है?”
“वही जो तुम्हारे और उनके बीच तय हुई है।” ठक्कर बताता चला गया—“चारदीवारी के बाहर एक शख्स तुम्हें रिवॉल्वर सौंपेगा—जब तुम उसे गुलाब के पौधे की जड़ में छुपा चुके होगे तो फार्म हाउस पर एक जीप पहुंचेगी—उसमें तुम्हारा परिवार होगा—जीप चारदीवारी के अंदर प्रविष्ट नहीं होगी लेकिन विशाल गेट के ठीक सामने ऐसे कोण पर खड़ी रहेगी कि तुम चारदीवारी के अंदर रहकर गेट के सामने खड़े होकर अपने परिवार को सुरक्षित देख सकोगे—तब उनका मरजीवड़ा गुलाब के पौधे की जड़ से रिवॉल्वर उठाएगा और अपनी जान की परवाह किए बगैर उसकी सारी गोलियां चिरंजीव कुमार के जिस्म में भर देगा।”
“बिल्कुल ठीक … यही तय हुआ है।”
“फार्म हाउस पर उस वक्त ब्लैक स्टार भी मौजूद रहेगा।”
“ख-खुद ब्लैक स्टार?” तेजस्वी उछल पड़ा। ब्लैक स्टार ने यह बताना था।
“इसलिए हमें अपनी योजना तीन प्वॉइंट्स को मजबूत करते हुए बनानी है—पहला, किसी भी तरह चिरंजीव कुमार का बाल-बांका न हो पाए—दूसरा, भरपूर चेष्टा के बावजूद वे लोग तुम्हारे परिवार को नुकसान न पहुंचा पाएं और तीसरा, ब्लैक स्टार जिन्दा या मुर्दा हमारे हाथ लगना चाहिए—हम यह सुनहरा मौका गंवा नहीं सकते।”
“ल-लेकिन ब्लैक स्टार वहां खुद क्या कर रहा होगा?”
“चिरंजीव कुमार को मरते अपनी आंखों से देखना चाहता है वह।”
तेजस्वी उत्तेजित स्वर में गुर्रा उठा—“उस हरामजादे की यह ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होगी।”
“ऐसे मकसद उत्तेजित होने से नहीं बल्कि शांत दिलोदिमाग से सुलझी हुई योजनाएं बनाने और उन पर अमल करने से पूरे होते हैं इंस्पेक्टर!” ठक्कर ने जानदार मुस्कुराहट के साथ उसे सीख दी—“अतः उत्तेजना से मुक्त होकर दिमाग को योजना बनाने में मशगूल करना मुनासिब होगा।”
“जब आपको इतना सब मालूम है तो योजना भी बना चुके होंगे?”
“खाका काफी हद तक बन चुका है।”
“क्या हम उस बारे में जान सकते हैं?”
“तुम उनका रिवॉल्वर गुलाब के पौधे की जड़ में छुपाने तक कोई गड़बड़ नहीं करोगे। सारा काम उनके निर्देशों के मुताबिक होना चाहिए ताकि तुम्हें वॉच करने के बावजूद कुछ न पकड़ पाएं।”
“क्या उस रिवॉल्वर को चिरंजीव कुमार के इतने नजदीक पहुंचने देना मुनासिब होगा?”
“इस सबके बावजूद चिरंजीव कुमार खतरे से कोसों दूर रहेंगे।”
“वह कैसे?”
“तुम, हम और ब्लैक फोर्स के लोग तो क्या, देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि चिरंजीव कुमार सार्वजनिक स्थान पर हर समय बुलेट-प्रूफ लिबास पहने रहते हैं—केवल धड़ से ऊपर का हिस्सा यानि सिर और चेहरा ही ऐसे हिस्से होते हैं जिन्हें गोलियों से छलनी किया जा सकता है।”
“ब्लैक स्टार की तरफ से मरजीवड़े को पहले ही हिदायत होगी कि वह सारी गोलियां उनके चेहरे और सिर पर मारे।”
“अंतिम सभा और फार्म हाउस के बीच कहीं ऐसी घटना प्लान्ट की जाएगी जैसे विरोधियों ने चिरंजीव कुमार पर पथराव कर दिया हो, एकाध पत्थर चिरंजीव कुमार को लग भी जाए तो कोई बुराई नहीं है।”
“उससे क्या होगा?”
“चिरंजीव कुमार को वहीं एक हैलमेट दिया जाएगा—आम पब्लिक, ब्लैक फोर्स के लोग और खुद चिरंजीव कुमार तक यह समझेंगे कि हैलमेट पत्थरों से बचाव के लिए पहनाया गया है जबकि वास्तव में वह बुलेट-प्रूफ होगा—यहां तक कि चेहरा भी उसमें लगे बुलेट-प्रुफ शीशे के पीछे छुप जाएगा और यह हैलमेट उन्हें उनके बैडरूम में पहुंचने से पहले नहीं उतारने दिया जाएगा।”
“निःसंदेह आपका इंतजाम प्रशंसनीय है सर!”
ठक्कर ने आकर्षक मुस्कान के साथ कहा—“हम कल्पना करते हैं, अब ‘सिच्युएशन’ ये है कि भरा हुआ रिवॉल्वर गुलाब के पौधे की जड़ में पड़ा है—लॉन में मौजूद ज्ञापनदाताओं और कार्यकत्ताओं की भीड़ के बीच ब्लैक फोर्स के एक या ज्यादा मरजीवड़े व्हाइट स्टार, ब्लैक स्टार, हैलमेट लगाए चिरंजीव कुमार, हम लोग और सुरक्षा-व्यवस्था से जुड़े अन्य लोग मौजूद हैं—चारदीवारी के बाहर विशाल गेट के ठीक सामने खड़ी जीप में तुम्हारा परिवार है—इसमें से कोई भी ऐसी कोई हरकत नहीं करेगा जिससे उन्हें किसी किस्म की गड़बड़ का आभास हो, बल्कि शांति किंतु सतर्कता के साथ ब्लैक स्टार की उस हरकत का इंतजार करेंगे जिसके फलस्वरूप व्हाइट स्टार सहित हमें भी उसकी पहचान हो जाए।”
“क्या मतलब?”
“ब्लैक स्टार द्वारा व्हाइट स्टार को दिए गए निर्देश के मुताबिक वह शख्स ब्लैक स्टार होगा जो अचानक अपने कुर्ते के कालर को उल्टा मोड़ ले।” ठक्कर कहता चला गया—“याद रहे, ब्लैक स्टार को पहचानने के बावजूद हम लोग शांत रहेंगे—एकदम से उस पर हमला नहीं होगा—हां, उसके चारों तरफ ऐसा घेरा जरूर डाल लिया जाएगा जिसका किसी भी प्रकार उसे आभास न हो—उसकी पहचान होने के तुरंत बाद पहला एक्शन कमिश्‍नर साहब खुद करेंगे।”
“वह क्या?” बहुत देर से खामोश बैठे शांडियाल को पूछना पड़ा।
“आप टहलते हुए गेट पार करके चारदीवारी से बाहर निकल जाएंगे—आपका काम तेजस्वी के परिवार को जीप सहित चारदीवारी के अंदर सुरक्षित ले आना होगा।”
“लेकिन चारदीवारी के बाहर मौजूद ब्लैक फोर्स के लोगों की नजरें जीप पर लगी होंगी—जैसे ही हम उसे चारदीवारी के अंदर लाने का प्रयास शुरू करेंगे, वे लोग न केवल सतर्क हो जाएंगे बल्कि एक्शन में आ जाएंगे—उनका प्रयास हमें विफल करना होगा, वे फायरिंग तक कर सकते हैं।”
“उन सब हालात से हमें निपटना होगा।”
“यानि?”
“जाहिर है, जैसे ही आप जीप को चारदीवारी के अंदर लाने का प्रयास करेंगे, उनकी निगरानी कर रहे ब्लैक फोर्स के लोगों को आभास हो जाएगा कि कहीं कोई गड़बड़ है और आपको रोकने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं, मगर आपको हर हाल में पूरे परिवार सहित जीप को अंदर ले आना है।”
“गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मियों के कारण यह काम असंभव हो जाएगा।”
“क्यों?”
“उन्हें निर्देश हैं, बगैर तलाशी के एक भी शख्स चारदीवारी के अंदर दाखिल नहीं होना चाहिए—कल्पना करो, हम जीप लेकर दरवाजे की तरफ लपकें—वहां मौजूद ब्लैक फोर्स के लोगों ने जीप पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं—ऐसे समय में जब गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी तलाशी हेतु जीप को रोकेंगे तो जीप और उसमें सवार लोगों की क्या हालत हो जाएगी?”
“गेट पर और चारदीवारी के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों को सिच्युएशन से अवगत करा दिया जाएगा—उन्हें समझा दिया जाएगा कि आप अचानक उस जीप को लेकर चारदीवारी के अंदर दाखिल होंगे—तलाशी आदि के लिए वे जीप को रोकने का प्रयास न करके उन लोगों से मोर्चा लें जो किसी भी तरह से जीप को चारदीवारी के अंदर जाने से रोकने का प्रयास कर रहे हों।”
“गुड … इस स्थिति में काम ज्यादा ‘टिपिकल’ नहीं रह जाएगा।”
“आपको एक साथ दो तरफ से राहत मिलेगी—पहली, जीप को गेट पर रोके जाने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा—दूसरी, जीप को रोकने का प्रयास करने वाले सभी लोग सुरक्षाकर्मियों का निशाना बन जाएंगे बल्कि उन्हें यह निर्देश भी दे दिया जाएगा कि जीप के चारदीवारी के अंदर प्रविष्ट होते ही गेट बंद कर दें।”
“करेक्ट!”
“लेकिन जिस क्षण चारदीवारी के बाहर ये ‘गुलगपाड़ा’ होगा, ठीक उसी क्षण अंदर मौजूद मरजीवड़ा, ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार भी तो सतर्क हो जाएंगे।” तेजस्वी ने कहा—“वे समझ चुके होंगे कि गड़बड़ हो चुकी है।”
“इसमें क्या शक है?”
“उनसे निपटने का इंतजाम?”
“हम लोग क्या अंदर गिल्ली-डंडा खेल रहे होंगे?”
“मैं समझा नहीं।”
“यूं समझो कि चारदीवारी के अंदर और बाहर ‘एक्शन’ एक साथ होगा—उधर, कमिश्‍नर साहब जीप लेकर गेट की तरफ लपकेंगे—इधर मेरा निशाना ब्लैक स्टार होगा—तुम्हारा व्हाइट स्टार और कमांडोज के वे या वह मरजीवड़ा जो रिवॉल्वर की तरफ बढ़ने का प्रयास करेगा—हमारा काम अपने-अपने शिकार को पलक झपकते ही ठीक इस तरह दबोच लेना होगा जैसे बिल्ली चूहे को दबोच लेती है—उधर, स्पेशल गाडर्स चिरंजीव कुमार को चारों तरफ से ढक लेंगे।”
“योजना पुख्ता, सुरक्षित और विश्वसनीय है।”
“अगर हमारा सूत्र कोई नई जानकारी देता है तो उसके मुताबिक तब्दीलियां कर ली जाएंगी।” ठक्कर ने कहा—“अब तक की ‘प्लानिंग’ में कहीं कोई लूज प्वॉइंट नजर आता हो तो बोलो।”
हालांकि लूज प्वाइंट न कमिश्‍नर साहब को नजर आ रहा था न ही तेजस्वी को, मगर फिर भी, अगले तीस मिनट तक तीनों के बीच स्कीम को लेकर चर्चा चलती रही—उसके बाद ठक्कर उठा और इजाजत लेकर कमरे से बाहर निकल गया, उसे जाता देखकर तेजस्वी होठों ही होंठों में बड़बड़ाया—‘आखिर तू भी मेरे जाल में फंस ही गया बेटे!’
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:26 PM,
#72
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
ठक्कर को कक्ष से गए दो मिनट गुजरे थे कि तेजस्वी ने कहा—“ये आदमी हम पर जरा भी विश्वास करने को तैयार नहीं है सर—अपने सूत्र का अता-पता बताने को तैयार नहीं है—जैसे मैं या आप फौरन जाकर ब्लैक स्टार को बता देंगे।”
“हम ही कौन-सा उस पर विश्वास करते हैं।”
“जी?”
“हमने उससे पांडुराम का जिक्र तक नहीं किया।”
“पांडुराम?” तेजस्वी चौंका।
“ओह … हां, तुम्हीं से जिक्र कहां आया है—बड़ी दिलचस्प बात हुई है तेजस्वी, सुनोगे तो ब्लैक स्टार की बुद्धि पर तरस आएगा—बौखलाहट में कैसी-कैसी ओछी चालें चल रहा है वह!”
“मैं समझा नहीं सर!”
“ठक्कर से कुछ देर पूर्व यहां पांडुराम आया—बोला, तेजस्वी वैसा इंस्पेक्टर नहीं है साब, जैसा आप और दूसरे अफसर समझते हैं बल्कि देशराज जैसे इंस्पेक्टरों से भी कई गुना ज्यादा भ्रष्टाचारी है—मनचंदा जैसे लोगों से रिश्वत लेता है—अपने इलाके में होने वाले क्राइम्स की रपट दर्ज नहीं कराता—यहां तक कि लुक्का का खून भी थाने में उसी ने …।”
कमिश्‍नर साहब कहते चले जा रहे थे।
और तेजस्वी!
तेजस्वी अपने स्थान पर खड़ा-खड़ा पत्थर की शिला में तब्दील हो चुका था।
जिस्म के हर मसाम ने एक दूसरे से शर्त लगाकर पसीना उगल दिया—मस्तिष्क अंतरिक्ष में चकरा रहा था—नसों में दौड़ते खून ने मानो अचानक गर्दिश बंद कर दी।
दिलो-दिमाग और जिस्म तक सुन्न पड़ चुका था।
चौंका तब, जब कमिश्‍नर शांडियाल ने उसके दोनों कंधे पकड़कर झिंझोड़ते हुए पूछा—“क्या हुआ तेजस्वी, क्या हो गया है तुम्हें?”
“अ-आं!” मानो गहरी नींद से जागकर हड़बड़ाया हो—“क-कुछ नहीं सर … कुछ नहीं।”
“अचानक तुम्हारे चेहरे से पसीना क्यों बहने लगा?”
“ओह!” वह कुछ और बौखला उठा, जेब से रूमाल निकालकर चेहरे से पसीना पोंछा—इस बहाने वह कमिश्‍नर साहब से अपने चेहरे के उड़ गए रंग को छुपाने का प्रयास कर रहा था। खुद को बड़ी मुश्किल से नियंत्रित करता हुआ बोला—“य-ये सब झूठ है सर, पांडुराम का एक-एक लफ्ज झूठ है।”
“हमने सच कब माना—लेकिन तुम एकाएक इतने नर्वस क्यों हो रहे हो?”
“ये आप समझ सकते हैं सर कि पांडुराम के मुंह से यह सब कहलवाना ब्लैक स्टार की एक चाल है लेकिन कोई और नहीं समझ सकता—हर किसी के पास आप जैसी तीव्र बुद्धि नहीं है सर—ये पसीना, ये घबराहट और नर्वसनैस अचानक मेरे दिलो-दिमाग पर यह सोचकर हावी हो गई कि ये शब्द उसने आपके अलावा किसी अन्य से कह दिए होते तो क्या होता … या आप ही ने ठक्कर से जिक्र कर दिया होता तो कितनी विकट परिस्थितियों में फंस जाता मैं—वह तो वैसे ही किसी पर विश्वास करने को तैयार नहीं है—ये बातें सुनने के बाद तो मेरी गर्दन ही नाप देता।”
“तुम ठीक कह रहे हो।” शांडियाल गंभीर थे—“जिस ढंग से पांडुराम ने वे बातें कहीं, उनसे प्रभावित होकर एक बार को हम भी सोचने पर विवश हो गए—मगर भला हो देशराज के अंतिम शब्दों का—हमें ऐन वक्त पर उसके शब्द याद आ गए और दिमाग ने कहा—यह ब्लैक स्टार की तुम्हें संदेह के दायरे में फंसाने की चाल है—समझ सकते थे कि ठक्कर बेवकूफ है—ब्लैक स्टार की चाल की गहराई को समझने के स्थान पर उसमें फंस जाएगा और तुम्हें अपने संदेह के चश्मे से देखने लगेगा, इसलिए उससे जिक्र नहीं किया।”
“इस वक्त पांडुराम कहां है?” तेजस्वी आहिस्ता से मतलब की बात की तरफ रेंगा।
“एक कमरे में बंद कर रखा है हमने।”
“गुड!” तेजस्वी का शतरंजी दिमाग सक्रिय हो चुका था—“और क्या कह रहा था वह?”
“कहता था तुम ब्लैक स्टार द्वारा रचे गए चिरंजीव कुमार की हत्या के षड्यंत्र की अगवानी कर रहे हो और इस अभियान में तुम्हारा कोड ‘व्हाइट स्टार’ है।”
वास्तव में तेजस्वी की अंतरात्मा तक कांप उठी परंतु प्रत्यक्ष में जोरदार ठहाका लगाया उसने—असल में यह ठहाका वह इसलिए लगा सका क्योंकि समझ चुका था कमिश्‍नर ने पांडुराम की किसी बात पर विश्वास नहीं किया है, खुलकर ठहाका लगाने के बोला—“मैं व्हाइट स्टार … वाह … जोरदार मजाक है—मैं उससे मिलना चाहूंगा सर।”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
कमरे में तेजस्वी को दाखिल होता देखते ही पांडुराम उछल पड़ा—“त-तुम?”
“हां पांडुराम, मैं ही हूं—तुम्हारा साब।” तेजस्वी के होंठों पर जहरीली मुस्कान नाच रही थी।
“स-साब?” पांडुराम ने घृणा से मुंह सिकोड़ा—“ऐसे साब पर थूकना भी पसंद नहीं करूंगा मैं।”
तेजस्वी के चेहरे पर गुस्से का कोई भाव नहीं उभरा—बड़े आराम से एक सिगरेट सुलगाई उसने—जोरदार कश लिया और ढेर सारा धुआं सीधा पांडुराम के चेहरे पर उगलता हुआ बोला—“मुझसे एक भूल हो गई पांडुराम।”
“कैसी भूल?” लहजे में हिकारत थी।
“जिस क्षण तूने मुझे यह बताया था कि स्टार फोर्स ने तुझे, मुझे बेहोश करने का काम सौंपा है, मुझे उसी क्षण समझ जाना चाहिए था कि न तू अब मेरे काम का रह गया है, न ही विश्वसनीय—मेरे काम का तो तू तब था जब मैं प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्त हुआ था—तब, जब तू ब्लैक फोर्स के लिए काम करता था—जिस क्षण तेरी देशभक्ति जागी, मुझे उसी क्षण समझ जाना चाहिए था तू भविष्य में मेरे लिए खतरनाक साबित हो सकता है।”
पांडुराम चुप रहा—कहने के लिए शायद कुछ सूझा नहीं—हां, गुस्से की ज्यादती के कारण कांप रहा था जबकि क्षणिक अंतराल के बाद तेजस्वी ने उससे सवाल किया—“मगर तू मेरे आभामंडल को कैसे भूल गया—मैंने समझाया था, तेरे जैसी बेवकूफी एक पुलिसिए ने पहले भी की थी—वह बेचारा आज तक जेल में पड़ा सड़ रहा है।”
“तुम्हें अपने आभामंडल पर बहुत गुमान है।” पांडुराम गुर्राया, वह तेजस्वी को न केवल ‘आप’ की जगह ‘तुम’ कह रहा था बल्कि लहजे में आदर का कोई भाव न था, गुर्राता चला गया वह—“मैं अभी भी कसम खाता हूं साब, तुम्हारे आभामंडल के परखच्चे उड़ाकर रख दूंगा।”
“काफी जोश में हो।” तेजस्वी हंसा।
“प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्त होते ही तुमने वहां के गुण्डे बदमाश और दूसरे क्रिमिनल्स को हड़काया था—एक लाइन में खड़ा कर दिया था उन्हें और कहा था—जिस थाने पर मुझे नियुक्त कर दिया जाता है, मैं उस थाना-क्षेत्र का सबसे बड़ा गुण्डा होता हूं—उस क्षण मैंने सोचा था, तुम उनसे यह कहना चाहते हो कि अब प्रतापगढ़ में किसी की गुण्डागर्दी नहीं चलेगी, मगर आज … आज उससे आगे भी एक सैन्टेन्स सोचने पर विवश हूं—यह कि वास्तव में तुम उनसे यह कह रहे थे कि ‘अब प्रतापगढ़ में मेरी गुण्डागर्दी चलेगी’—सचमुच तुमने प्रतापगढ़ के हर गुण्डे को नेस्तनाबूद करके अपनी गुण्डागर्दी का राज्य कायम कर लिया।”
“कहना क्या चाहता है तू?”
“केवल इतना कि जो गुण्डागर्दी आपने कायम की है, मैं उसे नहीं चलने दूंगा।” अजीब जुनून में फंसा पांडुराम कहता चला गया—“गुण्डों की इस देश में कोई कमी नहीं है साब—हर गली, हर मौहल्ला गुण्डों से आबाद है—शायद ही देश का कोई ऐसा नुक्कड़ बचा हो जहां गुण्डों की हुकूमत न चलती हो लेकिन अगर किसी गुण्डे को पुलिस की वर्दी मिल जाए तो स्थिति कोढ़ में खाज जैसी हो जाएगी—साधारण गुण्डों के स्थान पर अगर गली-गली में तुम जैसे वर्दी वाले गुण्डे टहलने लगें तो ये देश नर्क से बद्तर बन जाएगा। लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा, अगर ज्यादा कुछ न कर सका तो तुम्हें वर्दी वाले गुण्डे से साधारण गुण्डा तो मैं बना ही दूंगा।” पांडुराम ने एक-एक शब्द को चबाया—“निखालिस गुण्डा … वैसा ही, जैसा इस देश के हर नुक्कड़ पर खड़ा रहता है।”
“तू पहेलियां कब से बुझाने लगा पांडुराम?”
“मैं इस वर्दी को तुम्हारे शरीर से नोंच लूंगा और तब—तब तुम केवल एक गुण्डे होगे—साधारण गुण्डे—वैसे ही जैसे असंख्य गुण्डों को यह मुल्क झेल रहा है।”
“बड़ा खूबसूरत चैलेंज दे रहा है पांडुराम!” तेजस्वी के होंठों पर नाचने वाली मुस्कान गहरी हो गई—“यकीन मान, तेरा ये चैलेंज मुझे पसंद आया—मगर ये महान काम तू करेगा कैसे?”
“जिंदा रहा तो करके दिखाऊंगा साब।”
“जिंदा रहेगा तभी न!”
“मुझे व्यर्थ ही खौफजदा करने की चेष्टा मत करो साब।”
पांडुराम ने एक-एक शब्द चबाया—“तुम्हारा ये नाटक केवल तब तक चल रहा है जब तक कमिश्‍नर साहब की आंखों पर तुम्हारे प्रति विश्वास की पट्टी बंधी है, और अगर तुमने यहां मुझे किसी किस्म का नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो वह पट्टी खुद-ब-खुद खुल जाएगी—कमिश्‍नर साहब स्वतः समझ जाएंगे कि जो मैंने कहा वह सच ही होगा, तभी तो तुम्हें मेरा अस्तित्व समाप्त करने की जरूरत पड़ी।”
तेजस्वी के मस्तिष्क को झटका लगा।
पांडुराम ठीक कह रहा था।
इस वक्त वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता था जबकि पांडुराम की हर सांस उसकी गर्दन पर लटकी नंगी तलवार थी, मगर वह तेजस्वी ही क्या हुआ जो विवश होने के बावजूद खुद को विवश दर्शा दे—अपनी कमजोरियों को भी खूबी बनाकर दर्शाना उसे आता था—सिगरेट का अंतिम सिरा फर्श पर डाला, जूते से कुचला और प्यार से उसका गाल थपथपाता हुआ बोला—“मैं तुझे मारूंगा नहीं बच्चे!”
“तुम मुझे मार ही नहीं सकते साब।”
“दरअसल तेरा चैलेंज मुझे बहुत आकर्षक लगा—मैं तुझे इस जिस्म से वर्दी नोंचने का पूरा मौका देता हूं—एक शख्स इतना शानदार चैलेंज दे और सामने वाला उसे मौका दिए बगैर मौत के घाट उतार दे, तो ये कायरता होती है और तू जानता है, तेजस्वी कुछ भी हो सकता है मगर कायर नहीं हो सकता—तू ये भी जानता है पांडुराम कि शतरंज मेरा प्रिय खेल है और उस स्थिति में शतरंज के खिलाड़ी को चाल चलने में आत्मिक सुकून मिलता है जब सामने वाले के पास भी बेहतरीन चालें चलने के लिए मुकम्मल मोहरे हों—हमारे बीच खेल चालू हो चुका है—तेरा चैलेंज तो मैंने सुन भी लिया और कुबूल भी कर लिया, अब मेरी चुनौती सुन—तू जीवित रहेगा, न कभी मेरी गुण्डागर्दी रोक सकेगा और न वर्दी उतरवा सकेगा—मेरे कारनामों के बारे में केवल सुन सकेगा तू लेकिन कुछ कर नहीं पाएगा।”
“कुबूल है साब … मुझे तुम्हारी चुनौती कुबूल है।”
“तो सुन, तुझे इसी कमरे में पड़े-पड़े बहुत जल्द सूचना मिलेगी कि व्हाइट स्टार की प्लानिंग के मुताबिक चिरंजीव कुमार नाम की हस्ती इस दुनिया से रुखसत हो गई।” कहने के बाद तेजस्वी तेज कदमों के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
पांडुराम की जुबान को मानो लकवा मार चुका था—लाख दिमाग घुमाने के बावजूद उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था कि जो अनर्थ होने जा रहा है, उसे वह कैसे रोक सकता है?
कमिश्‍नर साहब सोफे पर बैठे सिगार फूंक रहे थे, उसे आया देखते ही सवाल किया—“क्या कहा, कुछ बकता है या नहीं?”
“फिलहाल तो पट्ठा मेरे सामने भी बार-बार यही कहे जा रहा है कि उसने मुझे व्हाइट स्टार के रूप में ब्लैक स्टार से बातें करते सुना है, हकीकत उगलने को तैयार नहीं है।”
“हकीकत भी उगल देगा, हम अभी उसे टॉर्चर सैन्टर …”
“मेरे ख्याल से अभी ऐसा करना मुनासिब नहीं होगा।”
“क्यों?”
“ब्लैक स्टार को मालूम नहीं होना चाहिए कि इसके जरिए उसने जो चाल चली थी उसका अंजाम क्या हुआ?” तेजस्वी एक-एक शब्द को नाप-तौलकर बोल रहा था—“फिलहाल कम-से-कम तब तक इसे इसी ‘पोजीशन’ में रखना मुनासिब होगा जब तक चिरंजीव कुमार का दौरा कम्पलीट नहीं हो जाता।”
तेजस्वी के विश्वास में अंधे कमिश्‍नर ने कहा—“ओ.के.!”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:26 PM,
#73
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“देश का नेता कैसा हो … चिरंजीव कुमार जैसा हो!”
“चिरंजीव, तुम संघर्ष करो … देश तुम्हारे साथ है!!”
“चिरंजीव कुमार … जिन्दाबाद!!!”
“चिरंजीव कुमार … जिन्दाबाद!!!”
हर दिशा में ये गगनभेदी नारे गूंज रहे थे।
चारों तरफ अजीब हंगामा, अद्भुत जुनून था।
ढोल-नगाड़े बज रहे थे।
धूल उड़ रही थी।
लोग उस बगैर छत की एम्बेसडर के आगे-आगे आदिवासियों की तरह नाचते चल रहे थे जिसके बीचों-बीच स्पेशल गाड्र्स से घिरा खड़ा चिरंजीव कुमार हाथ हिला-हिलाकर भीड़ का अभिवादन कर रहा था।
केवल दस मिनट पहले अंतिम सभा समाप्त हुई थी—उसके बाद ये जुलूस चला।
मैदान से निकला। सड़क पर आया।
दृष्टि के अंतिम छोर तक भीड़-ही-भीड़ नजर आ रही थी।
पुलिस के चुनिंदा अफसरों, ठक्कर और उसके कमांडोज तथा स्पेशल गाडर्स को मालूम था कि फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर आज क्या होने वाला है, परंतु सारे दिन सुरक्षा-व्यवस्था में कोई ढील नहीं आने दी गई—यह सोचकर लापरवाह हो जाने का कोई सवाल ही न था कि हमला तो फार्म हाउस पर होना है—दुश्मन किसी भी समय अटैक कर सकता था और सुरक्षाकर्मियों का काम था किसी भी आकस्मिक खतरे से चिरंजीव कुमार को बचाना।
केवल सड़कें ही खचाखच नहीं भरी थीं बल्कि छतों और छज्जों तक पर औरतें-बच्चे खड़े नजर आ रहे थे—लड़के तो पेड़ों तक पर चढ़े हुए थे—लोग अपने छोटे बच्चों को कंधे पर चढ़ा-चढ़ाकर उसके दर्शन करा रहे थे।
चिरंजीव कुमार का दूध जैसा खादी का कुर्ता, पाजामा और जाकेट सारे दिन की भाग-दौड़ के बाद न केवल मैले हो गए थे बल्कि मुड़-तुड़ भी गए थे—इसके बावजूद दूधयुक्त रूह आफजा जैसे रंग वाला चिरंजीव कुमार इतना सुन्दर लग रहा था कि लोग सम्मोहित से उसे देख रहे थे।
चेहरे पर गजब की चमक थी।
चौड़े भाल पर लगा सुर्ख रोली का तिलक उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाए हुए था।
मालाओं से लदा-फदा वह अपने गुलाबी होंठों पर मुस्कान बिखेरकर जिधर को हाथ हिला देता उधर सैंकड़ों हाथ हिलते नजर आने लगते—जिस दिशा में माला फेंक देता उधर एक-एक फूल को प्राप्त करने के लिए लोग यूं झपट पड़ते जैसे सोने की गिन्नियां फेंकी गई हों।
छज्जों-छतों पर मौजूद बच्चों और महिलाओं की तरफ मालाएं उछालना उसका प्रिय शौक मालूम पड़ता था।
मारे उन्माद के पागल से हुए लोग एम्बेसडर के बोनट तक पर चढ़ आते, परंतु सादे लिबास में मौजूद सुरक्षाकर्मी उन्हें दूर हटा देते—तीनों सुरक्षा घेरे बराबर वाहन के साथ चल रहे थे।
रास्ते में अनेक जगह स्वागत हुआ।
युवा महिलाओं ने बहन बनकर आरतियां उतारीं, तिलक किए।
मांओं ने दुलारा, छाती से लगाया और आशीर्वाद से नवाजा।
अपने चारों तरफ मौजूद लोगों के प्यार के समुद्र को जब वह ठाठें लगाते देखता तो खुशी से झूम उठता—आंखें रह-रहकर भर आतीं और भावविह्नल होकर एम्बेसडर से कूद जाता।
पब्लिक के बीच घुस जाता।
चकित लोग उसे इस तरह छू-छूकर देखते जैसे विश्वास न कर पा रहे हों कि वह भी उन्हीं की तरह हाड़-मांस का बना एक पुतला है—सुरक्षाकर्मियों के लिए वे क्षण सर्वाधिक संवेदनशील होते।
वे बाज की तरह अपने घेरे को तोड़कर निकल गए चिरंजीव कुमार की तरफ झपटते—पलक झपकते ही पुनः उसके चारों तरफ घेरा बना लेते, मौका लगते ही वापस एम्बेसडर में ले आते।
और उस वक्त जुलूस फार्म आउस से केवल एक किलोमीटर इधर था जब अचानक कई दिशाओं से पत्थर उछले।
एम्बेसडर में लगे, आस-पास गिरे और स्पेशल गाडर्स के जिस्मों से टकराए।
अफरा-तफरी मची!
लोग चारों तरफ को भागने लगे।
हवा में लहराते पत्थर जरूर नजर आ रहे थे परंतु उन्हें फेंकने वाले नजर नहीं आए।
पुलिस ने हल्का लाठी-चार्ज किया।
भगदड़ मच गई।
हालांकि एम्बेसडर के आगे मौजूद चिरंजीव कुमार के समर्थकों की भीड़ बाधक थी, फिर भी चालक जितनी स्पीड बढ़ा सकता था बढ़ा दी—स्पेशल गाड्र्स ने चिरंजीव कुमार को इस तरह ढक लिया जैसे सीप ने मोती छिपा लिया हो।
एम्बेसडर तेजी से पथराव वाला स्थान पार कर गई।
पथराव ज्यादा देर नहीं किया गया।
हल्का-सा नाटक था।
उद्देश्य में कामयाबी मिली अर्थात् चिरंजीव कुमार को हैलमेट पहना दिया गया।
उसके बाद फार्म हाउस तक कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई—जुलूस अपने स्वाभाविक जोश-खरोश के साथ वहां पहुंचा—सतर्क तो सुरक्षाकर्मी पहले ही से थे मगर वहां पहुंचने के बाद अत्यधिक सतर्क नजर आने लगे।
हर अफसर ने अपना-अपना मोर्चा संभाल लिया।
दिलों की धड़कनें यह सोच-सोचकर बढ़ने लगीं कि अब वे घटनाएं घटने वाली हैं जिनका उन्हें सुबह से इंतजार था।
एम्बेसडर लोहे वाला गेट पार करके चारदीवारी के अंदर दाखिल हुई।
स्पेशल गाडर्स के घेरे में चिरंजीव कुमार उतरा।
ज्ञापनदाताओं की भीड़ की ओर बढ़ा, एम्बेसडर इमारत के पीछे की तरफ चली गई।
गेट पर तलाशी का काम मुस्तैदी के साथ चल रहा था।
योजना के मुताबिक तेजस्वी चारदीवारी के बाहर ही रह गया—भीड़ काफी थी लेकिन उसे वह युवक नजर आ गया जिसने नीली शर्ट और काली जीन्स पहन रखी थी—उसे मालूम था, रिवॉल्वर यही युवक देगा—युवक कई बार उसके समीप से गुजरा किंतु तेजस्वी ने ऐसा अभिनय किया जैसे उसे जानता ही न हो।
अचानक युवक पुनः उसके नजदीक आया—धक्का-मुक्की का लाभ उठाकर उसके शरीर से सट गया और ठीक उसी समय तेजस्वी ने अपने पेट पर रिवॉल्वर की नाल की चुभन महसूस की, साथ ही युवक की फुसफुसाहट—“इसे संभालो, अगर जरा भी गड़बड़ करने की चेष्टा की तो अपने सारे परिवार से हाथ धो बैठोगे!”
तेजस्वी मन-ही-मन यह सोचकर उसकी हरकत पर मुस्कराया कि इस बेवकूफ युवक को स्वप्न तक में गुमान नहीं हो सकता कि जिसे वह धमका रहा है, वह यहां होने वाले बखेड़े का मुखिया है—प्रत्यक्ष में उसने खौफजदा होने के अभिनय के साथ रिवॉल्वर उसके हाथ से लेकर जेब में सरका लिया।
अगले पल, नीली शर्ट और काली जीन्स वाला युवक आसपास तो क्या दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा था।
भीड़ में छलावे की तरह गुम हो चुका था वह।
परंतु!
तेजस्वी जानता था, युवक उसे भले ही नजर न आ रहा हो, मगर ठक्कर के दो कमांडो साए की तरह उसके पीछे लग चुके होंगे, उन्हें सख्त हिदायत थी—रिवॉल्वर देने वाला एक सेकेंड के लिए भी उनकी आंखों से ओझल न हो पाए और किसी सूरत में यह न भांप पाए कि उस पर नजर रखी जा रही है या पीछा किया जा रहा है—डेढ़ बजे से पहले उसके साथ किसी किस्म की छेड़छाड़ करने का हुक्म तो बिल्कुल था ही नहीं—ठक्कर के मुताबिक वक्त से पूर्व हुई ऐसी कोई भी हरकत ब्लैक स्टार को चौकन्ना कर सकती थी—परिणामस्वरूप सारे किए-धरे पर पानी फिर सकता था।
जेब में रिवॉल्वर लिए तेजस्वी गेट की तरफ बढ़ा।
चारदीवारी के अंदर पहुंचा।
ठक्कर से नजरें मिलीं—आंखों ही आंखों में तेजस्वी ने बता दिया कि रिवॉल्वर उसकी जेब में है।
लॉन में वर्दी और बगैर वर्दीधारी सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त करीब पांच सौ स्त्री-पुरुष थे—ज्ञापनदाताओं के अलावा वे नेता और सक्रिय कार्यकर्ता भी अभी तक वहीं थे जो हमेशा चिरंजीव कुमार के काफिले के साथ रहा करते थे।
चल रहे ड्रामे से पूरी तरह अनभिज्ञ चिरंजीव कुमार लोगों से ज्ञापन लेने में मशगूल था।
उसने कई बार हैलमेट उतारने की कोशिश की, मगर स्पेशल गाडर््स ने विनम्र अनुरोध के साथ ऐसा नहीं करने दिया।
हालांकि सुरक्षाकर्मियों की गिद्ध-दृष्टि हरेक शख्स को वॉच कर रही थी परंतु अभी तक ब्लैक स्टार, मरजीवड़ों या व्हाइट स्टार की पहचान नहीं हो पाई—होती भी कैसे … व्हाइट स्टार तो स्वयं तेजस्वी ही था।
योजना के मुताबिक तेजस्वी बाईं तरफ मौजूद गुलाब के पौधे की तरफ बढ़ा और निर्धारित पौधे की जड़ में ऐसे अभिनय के साथ रिवॉल्वर फेंक दिया जैसे अपनी इस हरकत पर किसी की नजर न पड़ने देता चाहता हो।
लगभग उसी समय एक जीप चारदीवारी के बाहर, गेट से थोड़ी दूर लेकिन ठीक सामने आकर खड़ी हो गई—चारदीवारी के अंदर परंतु गेट के ठीक सामने अपने मोर्चे पर तैनात कमिश्‍नर शांडियाल का दिल जीप पर नजर पड़ते ही जोर-जोर से धड़कने लगा।
उन्होंने ड्राइवर को जीप में मौजूद दो महिलाओं और एक अधेड़ से कुछ कहते देखा।
फिर ड्राइवर जीप से बाहर निकला। गेट की तरफ बढ़ा, तलाशी के बाद चारदीवारी के अंदर आ गया।
यहां मौजूद अन्य बहुत से लोगों की तरह उसने भी खादी का सफेद कुर्ता-पाजामा पहन रखा था।
शांडियाल की दृष्टि उसी पर केन्द्रित थी।
ठक्कर की सतर्क आंखें उस शख्स को खोज रही थीं जिसे किसी भी क्षण अपने कुर्ते का कॉलर उलटा मोड़ लेना था।
कमांडो नंबर वन और फोर ड्राइवर के दाएं-बाएं मोर्चा संभाल चुके थे, तेज कदमों के साथ चलता हुआ वह तेजस्वी के नजदीक से गुजरता हुआ बड़बड़ाया—“चैक कर सकते हो, परिवार आ चुका है।”
उसकी यह बड़बड़ाहट नंबर वन और फोर ने भी सुनी परंतु जाहिर कुछ नहीं किया।
तेजस्वी इस तरह गेट के सामने की तरफ सरक गया जैसे पुष्टि कर लेना चाहता हो कि उसका परिवार चारदीवारी के बाहर मौजूद है अथवा नहीं, मगर निगाह गुलाब के पौधे की जड़ में पड़े रिवॉल्वर पर ही थी—मानो, जब तक परिवार के पहुंचने की पुष्टि न हो जाए, तब तक किसी को रिवॉल्वर हासिल नहीं करने देगा।
उधर, ड्राइवर ने अपने कुर्ते का कॉलर उलट दिया।
ठक्कर उछल पड़ा।
ठक्कर ही क्यों, लगभग सभी ऑफिसर्स ने उसकी हरकत देख ली थी।
सुरक्षाकर्मियों में भूचाल-सा आ गया।
मगर ये भूचाल ऐसा था जिसने कोई विस्फोट नहीं किया—हल्की-सी गड़गड़ाहट तक नहीं हुई और आंखों के इशारों ही इशारों में ड्राइवर चारों तरफ से बुरी तरह सुरक्षाकर्मियों से घिर गया—अफसरों के विचारानुसार उसे अपने घिर जाने का गुमान तक नहीं था किंतु वास्तव में यह ऑफिसर्स का भ्रम था—उस शख्स को न केवल अपने घिर जाने की जानकारी थी बल्कि कॉलर उल्टा मोड़ने की हरकत उसने की ही घिर जाने के लिए थी—ये अलग बात है कि वह दर्शा यही रहा था कि उसे दूर-दूर तक अपने घिर जाने का इल्म नहीं है।
अगर सही शब्द इस्तेमाल किए जाएं तो यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि फार्म हाउस के लॉन में शतरंज बिछी हुई थी—सुरक्षाकर्मियों और ब्लैक फोर्स की तरफ से चालें चली जा रही थीं—सबसे ज्यादा मजे की बात ये थी कि दोनों तरफ से चालें चलने वाला खिलाड़ी एक ही था, उसका नाम था—तेजस्वी!
कमिश्‍नर और ठक्कर की आंखें मिलीं—ठक्कर ने उन्हें ‘एक्शन’ करने का संकेत दिया, कमिश्‍नर साहब धाड़-धाड़ करते, अपने दिल को संभाले गेट की तरफ बढ़ गए—योजना के मुताबिक टहलते से गेट पार करके जीप के नजदीक पहुंचे—एक निगाह चारों तरफ मौजूद भीड़ पर डाली—शायद उनका प्रयास ब्लैक फोर्स के लोगों की पहचान करना था, जिसमें वे एक परसैन्ट भी कामयाब न हो सके—कम-से-कम उन्होंने महसूस नहीं किया कि कोई जीप की निगरानी कर रहा है—फिर भी, योजना के मुताबिक ड्राइविंग डोर के नजदीक जाकर इस तरह पूछताछ शुरू की जैसे पुलिस किसी से भी सामान्य पूछताछ कर सकती है, उनका पहला सवाल अधेड़ से था—“आपका नाम?”
“अरविन्द कुमार।” अधेड़ ने जवाब दिया।
शांडियाल ने अधेड़ महिला से पूछा—“आपका?”
“नलिनी।” वे सहमे हुए नजर आ रहे थे।
उन्होंने चश्मे वाली युवा महिला से कहा—“तुम्हारा नाम शायद ‘शुभा’ है?”
“ज-जी, मगर …”
“घबराओ नहीं!” शांडियाल ने धीमे से कहा—“हम पुलिस कमिश्‍नर हैं और जानते हैं कि अब तक तुम लोग ब्लैक फोर्स की कैद में थे—तुम तेजस्वी के माता-पिता और पत्नी हो न?”
“हां-हां!” तीनों एक साथ कह उठे।
“धीमे स्वर में बात करो, तेजस्वी की बेटी कहां है?”
नलिनी रो देने वाले लहजे में कह उठी—“व-वो अभी तक उन्हीं के कब्जे में है साब!”
शांडियाल के पैरों-तले से जमीन खिसक गई।
दिमाग में दो शब्द गूंजे।
“धोखा … चालाकी!”
अगर योजना पर अमल किया गया तो तेजस्वी की बेटी मारी जाएगी।
क्या करें?
दुविधा में फंस गए वे!
परंतु केवल एक पल के लिए।
अगले पल निश्चय कर चुके थे।
ब्लैक स्टार लॉन में पहुंच चुका है और अब केवल तेजस्वी की बेटी की खातिर योजना पर अमल को नहीं रोका जा सकता—वह मरती है तो मर जाए या ब्लैक स्टार के उनके कब्जे में आने के बाद वे उसे इतनी आसानी से नहीं मार सकेंगे—कमिश्‍नर ने यह सोचकर फैसला कर डाला कि जो होगा देखा जाएगा—फिलहाल उनकी ड्यूटी इन लोगों को बचाना है, पूछा—“तेजस्वी की बेटी को क्यों रोक लिया उन्होंने?”
शुभा ने बताया—“कहते थे, अगर तेजस्वी ने कोई गड़बड़ नहीं की तो उसे भी छोड़ दिया जाएगा।”
“और अगर गड़बड़ की तो वे उसे मार डालेंगे।” अधेड़ की आवाज भर्रा गई।
“तेजस्वी की तरफ से कौन से काम में गड़बड़ की जाने का अंदेशा था उन्हें?”
“हमें नहीं मालूम।”
“खैर!” कमिश्‍नर का स्वर और धीमा हो गया—“सुनो, हम अचानक ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे और आनन-फानन में जीप को उस लोहे वाले गेट के अंदर ले जाएंगे—तुम लोग घबराना नहीं, आराम से बैठे रहना।”
“य-ये कहां हैं?” शुभा ने पूछा।
“कौन?” कमिश्‍नर साहब ने खड़े-ही-खड़े ठक्कर की दी हुई ‘मास्टर की’ निकालकर इग्नीशन में फंसा दी—“तेजस्वी?”
“हां!”
“अंदर है!” उन्होंने चाभी घुमाकर देखी, चाभी फिट थी।
“उनसे कहो गड़बड़ न करें।” नलिनी ने कहा—“वे लोग अरुणा को …।”
मगर।
उसका वाक्य पूरा न हो सका।
स्टार्ट होने के साथ ही जीप ने एक तेज झटका खाया था—गजब की फुर्ती के साथ कमिश्‍नर साहब ड्राइविंग सीट पर बैठे—किसी भी तरफ से चलने वाली गोलियों की परवाह किए बगैर जीप को गियर में डालकर एक्सीलेटर दबा दिया।
जीप तोप से छूटे गोले की तरह गेट पार कर गई।
उम्मीद के विपरीत कहीं कोई फायर नहीं हुआ, कोई गोली नहीं चली।
जीप के गुजरते ही गेट बंद हो गया।
तेजस्वी के बेहद नजदीक पहुंचकर कमिश्‍नर साहब ने जोर से ब्रेक लगाए—टायरों की तीव्र चीख-चिल्लाहट के कारण चिरंजीव कुमार सहित सभी साधारण लोगों ने उस तरफ देखा।
लेकिन केवल साधारण लोगों ने।
ड्राइवर को घेरे खड़े सुरक्षा-अफसरों ने ठक्कर सहित उस पर जम्प लगा दीं।
अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि वह चूहे की तरह उनके चंगुल में फंस गया—एक तरफ वह सब हो रहा था, दूसरी तरफ अरविन्द कुमार, नलिनी और शुभा तेजस्वी को बेहद नजदीक खड़ा देखकर जीप से कूदे, नलिनी ने चीखकर कहा उससे—“कोई गड़बड़ मत करना बेटे, वे हमारी अरुणा को मार डालेंगे।”
“आप इधर आइए मांजी!” कमिश्‍नर ने उन्हें पकड़ा।
अब तेजस्वी से वही गुहार अरविन्द कुमार करने लगा।
“व्हाइट स्टार भी यहीं कहीं होगा।” तेजस्वी चीखा—“तलाश करो उसे।”
इस अफरा-तफरी में शुभा की तरफ किसी ने ध्यान न दिया—वह तेज कदमों के साथ चिरंजीव कुमार की तरफ बढ़ी, एक स्पेशल गार्ड ने उसका रास्ता रोक लिया।
“मुझे उनके चरण-स्पर्श करने दो!” शुभा चीखी।
“नहीं …।”
गार्ड ने रोकना चाहा मगर खुद चिरंजीव कुमार ने कहा—“फिक्र मत करो, आने दो उन्हें।”
गार्ड को एक तरफ हटना पड़ा।
चिरंजीव कुमार ने आत्मीयता से भरपूर हाथ शुभा के कंधे पर रखा और अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ मीठे स्वर में पूछा—“कहां से आई हो?”
शुभा जवाब दिए बगैर उसके चरणों में झुक गई।
ठक्कर को जाने क्या आभास हुआ कि जोर से चीखा—“रोको उसे …।”
धड़ाम!
भयंकर विस्फोट हो चुका था।
इंसानी खून और गोश्त के लोथड़े दूर-दूर तक बिखर गए।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:26 PM,
#74
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“वैरी गुड!” ट्रिपल जैड झूम उठा—“तुमने कमाल कर दिया तेजस्वी!”
“मेरे पास बकवास सुनने का टाइम नहीं है।” तेजस्वी का लहजा बर्फ की मानिन्द ठंडा था—“पेमेन्ट की अंतिम रसीद मेरे हवाले करो।”
ट्रिपल जैड ने कहना चाहा—“मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा था तेज …।”
“अपनी तारीफ मुझे इस वक्त बकवास लग रही है।” उसकी बात काटकर तेजस्वी सपाट लहजे में कहता चला गया—“देर मत करो बेवकूफ—अभी संपूर्ण प्रशासन सदमे में है—कुछ देर बाद परिन्दे तक का प्रतापगढ़ की सीमा से बाहर निकलना असंभव हो जाएगा—अतः रसीद मेरे हवाले करो और फरार हो जाओ यहां से।”
“मेरा आइडेन्टिटी कार्ड?”
“ये रहा …।” तेजस्वी ने जेब से उसका परिचय-पत्र निकाल कर दिखाया—“एक हाथ से रसीद दो, दूसरे से इसे ले लो।”
“गुड!” ट्रिपल जैड ने अपनी जेब से रसीद निकाली।
उसके बाद सचमुच अपने एक हाथ से रसीद दी, दूसरे से परिचय-पत्र ले लिया—तेजस्वी ने रसीद चैक की और संतुष्ट होने के बाद जेब के हवाले करके फिरकनी की तरह घूमा, तेज कदमों के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ता हुआ बोला—“सौदा पूरा हुआ मिस्टर ट्रिपल जैड—आज के बाद न तुम मुझे जानते हो, न मैं तुम्हें, गुड बाई!”
“ठहरो!” एकाएक ट्रिपल जैड के हलक से सर्द गुर्राहट फूटी।
दरवाजे की तरफ बढ़ता तेजस्वी ठिठक गया।
ट्रिपल जैड के आदेश के बगैर हाथ ऊपर उठा लिए उसने।
ट्रिपल जैड की तरफ उसकी पीठ थी—मात्र लहजे से तेजस्वी ने अनुमान लगा लिया था कि इस वक्त ट्रिपल जैड के हाथ में मौजूद रिवॉल्वर उसकी तरफ तना हुआ होगा, अजीब स्वर में पूछा उसने—“क्या मैं पलट सकता हूं?”
“अभी नहीं!” गुर्राने के साथ ट्रिपल जैड तेजी से उसके नजदीक आया—दाएं हाथ में मौजूद साइलेंसरयुक्त रिवॉल्वर की नाल तेजस्वी की पीठ पर टिकाई और बायां हाथ बढ़ाकर होलेस्टर से उसका सर्विस रिवॉल्वर निकालकर अपनी जेब में ठूंसने के बाद गुर्राया—“याद रखना, जरा भी हरकत की तो मैं गोली चला दूंगा।”
तेजस्वी ने बगैर जरा भी हिले, उसी पोजीशन में खड़े-खड़े पूछा—“अगला आदेश क्या है?”
“घूमो!”
तेजस्वी हाथ ऊपर उठाए घूम गया।
नजरें मिलीं—ट्रिपल जैड की आंखों में विजयी भाव थे—शिकस्त या खौफ का एक भी लक्षण तेजस्वी की आंखों में नजर नहीं आ रहा था, बहुत ही आत्मविश्वासपूर्वक कहा उसने—“एक बात मैं भी कहूं दोस्त?”
“बको!” वह गुर्राया।
“वहां!” तेजस्वी ने सोफे की तरफ इशारा किया—“शरीफ लोगों की तरह बैठकर बातें करें तो बेहतर होगा।”
“यहीं खड़े-खड़े बको, एक बार फिर कहूंगा … ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश की तो …।”
ट्रिपल जैड ने जानबूझकर अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
तेजस्वी ने ‘जैसी मर्जी’ वाले अंदाज में कंधे उचकाए, मुंह बिचकाया और बोला—“मैं ये जानना चाहता हूं बंदापरवर कि इस हरकत का आखिर मतलब क्या हुआ?”
“कौन-सी हरकत का?”
“हमारे बीच एक सौदा हुआ था—यह कि मैं चिरंजीव कुमार को खलास करूंगा और तुम मुझे किस्तों में पेमेन्ट करोगे—दोनों के काम हो गए, उसके बाद ये रिवॉल्वर बीच में क्यों आया?”
“अगर तुमने यह सोचा था कि काम होने के बाद हम तुम्हें जिंदा छोड़ देंगे तो यह तुम्हारी बेवकूफी थी।”
“वजह?”
“तुम्हें पहले ही समझ जाना चाहिए था कि हम ऐसे एक भी आदमी को दुनिया में जीवित नहीं छोड़ेंगे जिसके जरिए कल लोगों को यह पता लग सके कि ये काम ब्लैक फोर्स का नहीं, हमारे देश का था—पहले मैंने योगेश के जरिए तुम्हारा खात्मा करने की योजना बना रखी थी—मगर उसकी मौत के कारण खुद मैदान में आकर यह काम करने पर मजबूर हो गया।”
“अब मैं भी एक बात कहूं?”
“बोलो।”
“मैं बेवकूफ नहीं हूं।”
“यानि?”
“तुमने अभी-अभी कहा अगर मैंने ऐसा सोचा था कि काम होने के बाद तुम मुझे जिंदा छोड़ देने वाले हो तो वह पूरी बेवकूफी थी—जवाब साफ है ट्रिपल जैड, मैंने ऐसा नहीं सोचा था बल्कि मालूम था तुम कितने ऊंचे उड़ोगे।”
“बकवास!” ट्रिपल जैड ने कहा—“अगर मालूम होता तो तुम परिस्थिति से निपटने की तैयारी रखते।”
“तुमसे किसने कहा मैं तैयारी करके नहीं आया था?”
ट्रिपल जैड को लगा, तेजस्वी ब्लफ मार रहा है, बोला—“आने की बात छोड़ो बेटे, अपनी तरफ से तो तुम सौदा पूरा करके लौटने लगे थे—मैंने ही आवाज देकर रोका …।”
“मुझे मालूम था तुम रोकोगे।”
“खाक मालूम था तुम्हें!” ट्रिपल जैड पूरे कॉन्फिडैन्स में था—“अब तुम अपनी झेंप मिटा रहे हो—दरअसल तुम्हें अपने बारे में ‘डींग’ मारने की आदत है, कभी कुबूल नहीं करोगे कि तुम धोखा खा गए।”
“कभी खाया तो सीना तानकर कुबूल करूंगा दोस्त, लेकिन फिलहाल तेजस्वी को पोंगा पंडित समझकर धोखा तुमने खाया है—हालांकि मैंने तुम्हें चेताने की कोशिश की थी—कहा था कि मुझे कुम्बारप्पा या चिदम्बरम समझने की भूल मत करना मगर तुम नहीं चेते—अब अंजाम भुगतोगे।”
“वैरी गुड, रिवॉल्वर मेरे हाथ में है और अंजाम तुम भुगताओगे?”
“ऐसे आर्टिस्टिक चमत्कार कर दिखाने वाले को ही तो लोग तेजस्वी कहते हैं।” उसने अपने एक-एक शब्द पर जोर दिया—“सुनो ट्रिपल जैड, जहां तुम और तुम्हारा देश मुझे इसलिए जीवित नहीं रहने दे सकता क्योंकि तुम अपना भेद नहीं खुलने देना चाहते, वहीं मेरा भी एक सिद्धांत है, यह कि मैं खुद पर हावी होने वाले शख्स को इस दुनिया में जीवित नहीं रहने देता—तुमसे अंतिम रसीद लेने के बाद मैं तुम्हें यहां खलास कर देने के उद्देश्य से आया था—वापस जाने का नाटक केवल इसलिए किया क्योंकि जानता था, तुम मुझे वापस जाने देने वाले नहीं हो—एक ही इच्छा थी कि पहल तुम करो और तुमने की—अब तुम अपनी मौत का जिम्मेदार मुझे नहीं ठहरा सकते—तुम खुद जिम्मेदार होगे … तुम खुद!”
“अब तुम ये ऊंची-ऊंची डींगें मारने के अलावा कुछ नहीं कर सकते तेजस्वी!” ट्रिपल जैड गुर्राया—“इस किस्म की बातें करके मुझे नर्वस करने की कोशिश करना बेवकूफी है।”
“गोली चला मुन्ना!” तेजस्वी ने व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ कहा—“तेरे रिवॉल्वर से निकली गोली का अंजाम खुद बता देगा कि मैं डींग मार रहा हूं या कहीं कोई सच्चाई है?”
एकाएक यह सोचकर ट्रिपल जैड को आश्चर्य हुआ कि जब उसका उद्देश्य ही तेजस्वी को मार डालना है तो अब तक मार क्यों नहीं डाला—इतनी बातें क्यों कर रहा है वह उससे और उसकी इतनी बकवास सुनी ही क्यों—जबड़े खुद-ब-खुद भिंचते चले गए, हलक से गुर्राहट निकली—“मरना ही चाहता है तो ले हरामजादे … ले!”
जुनून में दो बार ट्रेगर दबाया उसने।
दोनों गोलियां तेजस्वी के सीने से टकराकर यूं छितरा गईं जैसे पत्थर पर से टकराई हों।
पलक झपकते ही ट्रिपल जैड के जहन में विचार कौंधा—तेजस्वी बुलेट-प्रूफ लिबास पहने हुए है—उसने तेजी से अपने रिवॉल्वर का रुख उसके चेहरे की तरफ उठाना चाहा मगर देर हो चुकी थी—उसका प्रयास कामयाब होने से बहुत पहले तेजस्वी का दुहत्थड़ पूरी ताकत के साथ रिवॉल्वर वाली कलाई पर पड़ा।
रिवॉल्वर छिटककर दूर जा गिरा।
गुरिल्ले के पंजों की मानिन्द तेजस्वी के दोनों हाथ उसकी गर्दन पर आ जमे, वह पूरी ताकत से उसका गला दबाता हुआ गुर्रा रहा था—“अब भी समझ में आया नहीं विदेशी कुत्ते कि मैं यहां पूरी तैयारी के साथ आया था?”
ट्रिपल जैड के हलक से गूं-गूं के अलावा दूसरी आवाज न निकल सकी।
आंखें पलकों की सीमा से बाहर कूद पड़ना चाहती थीं।
“मरते-मरते अब तेरी समझ में यह भी आ गया होगा कि शुरू से ही मैंने तेरे रिवॉल्वर का रौब क्यों नहीं खाया?” गुर्राने के साथ वह ट्रिपल जैड की गर्दन पर अपने हाथों का दबाव बढ़ाता चला गया।
ब्लैक स्टार एक खिड़की के पार खड़ा उस दृश्य को देखकर हौले-हौले मुस्करा रहा था।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
तेजस्वी ने अपने हाथ उसकी गर्दन से तब हटाए जब यकीन हो गया कि अब उसमें जीवन का कोई चिन्ह शेष नहीं रह गया है—गर्दन दबाने में पूरी ताकत लगाने के कारण वह बुरी तरह हांफ रहा था।
कुछ देर बाद जब सांसें नियंत्रित हुईं तो सबसे पहले उसकी जेब से अपना सर्विस रिवॉल्वर निकालकर होलेस्टर में डाला—सिगरेट सुलगाई और सोफे पर बैठकर पहला कश ही लिया था कि कमरे में आवाज गूंजी—“मुबारक हो तेजस्वी, मुबारक हो!”
तेजस्वी एक झटके से खड़ा होकर घूमा।
कमरे में दाखिल होते ब्लैक स्टार को देखकर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई—पत्थर की शिला की मानिन्द खड़ा रह गया वह, पलकें तक ने झपकना बंद कर दिया था।
जिस्म पसीने-पसीने हो गया।
तड़पता सा दिल उसकी पसलियों से सिर टकराने लगा—बोलने की लाख चेष्टाओं के बावजूद हलक से आवाज न निकल सकी जबकि संतुलित कदमों के साथ उसकी तरफ बढ़ रहे ब्लैक स्टार ने जीवंत मुस्कान के साथ कहा—“तुम हमें यहां देखकर इसलिए हैरान हो न कि हमें ट्रिपल जैड के ठिकाने का क्या पता?”
“स-सर …।” हलक में मानो कुछ अटककर रह गया।
“तुम्हारे ख्याल से हमें ट्रिपल जैड नामक किसी शख्स के अस्तित्व तक की जानकारी नहीं होनी चाहिए।” ब्लैक स्टार उसके बेहद नजदीक आ गया—“लेकिन तुम्हारा ये ख्याल गलत है बल्कि शुरू से गलत था।”
“य-यानि आप जानते थे मैं श्रीगंगा के कीर्ति कुमारम् का नहीं बल्कि वास्तव में अरविन्द कुमार का लड़का हूं?” तेजस्वी बड़ी मुश्किल से पूछ सका।
“ये भी जानते थे कि तुम चिरंजीव कुमार का मर्डर प्रतिशोध की आग के कारण ही नहीं, बल्कि ट्रिपल जैड द्वारा धन मिलने के कारण करने वाले हो—यह बात भी हम तभी से जानते हैं जब तुमने जंगल के बेसमेन्ट में प्रभावशाली ढंग से एक काल्पनिक कहानी सुनाकर, अपनी समझ में हमारे सामने खुद को कीर्ति कुमारम् का बेटा सिद्ध किया—हम यह भी जानते थे कि तुम्हारे असली सर्टिफिकेट्स को नकली साबित करने के पीछे ट्रिपल जैड है।”
“भला फिर आपने मेरी बातों में आ जाने का नाटक क्यों किया?”
“हमें एक ऐसे आदमी की जरूरत थी जो सचमुच चिरंजीव कुमार का मर्डर करना चाहता हो—इस बात से हमारी सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था कि वह मर्डर प्रतिशोध की खातिर करना चाहता है या धन की खातिर, तुम्हें हासिल करने के लिए तुम्हारी बातों में आ जाने का नाटक करने में हमें कोई बुराई नजर नहीं आई।”
“तब तो आपको ये भी मालूम होगा कि वह झूठी कहानी मैंने इसी के कहने पर आपको सुनाई थी?”
“तुम व्यर्थ ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हो।”
“ज-जी?”
“जितने बड़े ऑर्गेनाइजेशन को हम चला रहे हैं, उसे चलाने के लिए जिस्म की आंखों की नहीं, दिमाग की आंखों की जरूरत होती है तेजस्वी, और दिमाग की ये आंखें चौबीस घंटे खुली रखनी पड़ती हैं—हमें यह भी मालूम है कि ट्रिपल जैड ने तुमसे क्या कहा और यह भी कि तुम हमें ट्रिपल जैड के बारे में क्यों नहीं बताना चाहते थे—दरअसल तुम्हें डर था, अगर हमें ट्रिपल जैड की तरफ से तुम्हारी दिशा में बह रहे धन की गंगा की भनक लग गई तो उसकी एक मोटी धार अपनी तरफ बहाने के लिए कह बैठेंगे।”
तेजस्वी की जुबान तालू से जा चिपकी।
कम्बख्त से कुछ भी नहीं छुपा था।
कहे तो क्या कहे, अपने उस लम्बे-चौड़े झूठ की क्या सफाई दे?
ब्लैक स्टार कहता चला गया—“जबकि जो तुमने सोचा वह पूरी तरह गलत था—हमें धन की धार की नहीं बल्कि तुम जैसे टेलैंटिड शख्स की जरूरत थी—जब तुमने कहा—‘ठक्कर और अपने अफसरों का विश्वास जीतने के लिए तुम्हें ऐसा नाटक रचना पड़ेगा जैसे तुमने प्रतापगढ़ से ब्लैक फोर्स का सफाया कर दिया हो और इसके लिए शुब्बाराव एवं थारूपल्ला का मारा जाना जरूरी है तथा पूरा विश्वास जमाने के लिए झावेरी के पुल का उड़ना भी जरूरी है तो एक पल को हमें शक हुआ, कहीं तुम सचमुच ही तो ब्लैक फोर्स को ध्वस्त करने के मिशन में मशगूल नहीं हो मगर अपने जासूसों की इस रिपोर्ट के बाद संतुष्ट हो गए कि ऐसा नहीं है—सचमुच तुम्हारा लक्ष्य चिरंजीव कुमार है, इस महान काम को अंजाम देने के लिए हमने तुम्हारी धाक जमाने हेतु जबरदस्त नुकसान उठाए, शुब्बाराव और थारूपल्ला जैसे लोग खोए—काली बस्ती में मौजूद हमारे समर्थक आज तक कैदियों जैसा जीवन बिता रहे हैं—जिसने इतना सब कुछ होने दिया वो क्या तुमसे चंद सिक्कों की गुजारिश करता?”
“स-सॉरी सर, स्वीकार करता हूं मैंने गलत सोचा।”
“इस सबके बावजूद ‘सॉरी’ बोलने की जरूरत नहीं है तेजस्वी—जितना बड़ा काम तुमने किया है उसकी एवज में तुम्हारी शुरूआत करना हम अपना दायित्व समझते हैं—अगर ध्यान से देखा जाए तो तुमने हमसे कोई धोखा नहीं किया, कोई गद्दारी नहीं की—सिर्फ एक छोटा-सा झूठ बोला है—और हम ट्रिपल जैड की तरह अपने काम आने वाले को धोखा नहीं देते—यहां आए ही इसलिए थे क्योंकि मालूम था, काम होते ही पेमेन्ट की अंतिम किस्त तुम्हें यहां खींच लाएगी—यह भी मालूम था कि ट्रिपल जैड तुम्हें यहां से जीवित निकल जाने देने का इरादा नहीं रखता—हम नहीं चाहते थे वह तुम्हें कोई नुकसान पहुंचा पाए अर्थात अगर तुमने इसका गला न घोंटा होता तो हमारे रिवॉल्वर की गोली से मारा जाता।”
“ल-लेकिन ये तो मुझ पर दो फायर कर चुका था, तब …।”
“हमें मालूम था तुम बुलेट-प्रूफ लिबास पहने हुए हो।”
तेजस्वी कह उठा—“क्या कहीं कुछ ऐसा भी था, जो आपको मालूम नहीं था?”
“था।” ब्लैक स्टार ने बेहिचक कहा।
“ज-जी?”
“जिस वक्त तुम थारूपल्ला को अपने रूल से पीटने काली बस्ती गए और ट्रांसमीटर पर झूठ बोलकर अपना काम निकाल ले गए, उस वक्त हमें बिल्कुल मालूम नहीं था कि तुम झूठ बोल रहे हो—सचमुच उस वक्त हम तुम्हारे द्वारा मूर्ख बन गए और असल में तुम्हारे उसी कारनामे ने हमें यह ‘मैसेज’ दिया कि वह शख्स तुम्हीं हो जो चिरंजीव कुमार जैसे स्तम्भ को नेस्तनाबूद कर सकता है—वह शिकस्त खाने के बाद ही हमने इस बड़े काम के लिए तुम्हारा चुनाव किया था।”
“अब आप मुझसे क्या चाहते हैं?”
“कुछ और बड़े काम कराना।”
“क्या चिरंजीव कुमार के मर्डर से बड़ा भी कोई काम बाकी है?”
“सबसे बड़ा काम यमनों का एक अलग राष्ट्र बनाना है।”
“यानि आपका अंतिम लक्ष्य?”
“यकीनन!” ब्लैक स्टार ने कहा—“चिरंजीव कुमार लक्ष्य नहीं, लक्ष्य के रास्ते की एक बाधा-मात्र था—लक्ष्य तो यमनिस्तान की स्थापना है।”
तेजस्वी चुप रह गया।
“बोलो तेजस्वी, हिचको मत—जो कहना चाहते हो, कहो।”
“बुरा न मानिएगा सर, इतनी बातें सुनने के बाद आपके समक्ष झूठ बोलने की हिम्मत नहीं पड़ रही—अगर हिम्मत कर पाता तो शायद इस वक्त आपको खुश करने की खातिर कह देता कि एक यमन होने के नाते मैं भी एक अलग राष्ट्र के पक्ष में हूं और इस मिशन में आपका पूरा साथ दूंगा।”
“हम खुश हुए कि तुमने ऐसा नहीं कहा बल्कि सच्चाई बयान की—क्योंकि तुम्हारे इस झूठ के जाल में हम बिल्कुल फंसने वाले नहीं थे—हम जानते हैं, न तुम्हें यमनिस्तान बन जाने से खुशी होगी, न ही न बनने का दुःख है।”
“तो आप समझ गए होंगे, आपके लक्ष्य हेतु मैं किसी काम का नहीं।”
“फिर भी, हमारी ख्वाहिश तुम्हारे टेलेन्ट का इस्तेमाल करने की है।”
“क-कैसे?”
“जैसे ट्रिपल जैड ने किया।”
“यानी?”
“भविष्य में तुम्हें हमारे लिए किए गए हर काम की मुंह मांगी कीमत मिलेगी।”
तेजस्वी को लगा, इस वक्त इंकार करना उसके हाथ में नहीं है, अतः दो मिनट सोच-विचार में गंवाने का नाटक करने के बाद बोला—“डन!”
“गुड!”
“तो अगले मिशन के बारे में कुछ कहिए।”
“ये बातें यहां नहीं हो सकतीं, चलना होगा।”
“कहां?”
“जंगल में।”
“वहां जाने का वक्त कहां है सर, अभी तो मुझे चिरंजीव कुमार के मर्डर से उत्पन्न परिस्थितियों से निपटना होगा—फिलहाल कुछ देर के लिए यहां इस काम से निपटने इसलिए चला आया था क्योंकि अफरा-तफरी मची हुई थी—किसी को मालूम नहीं था कौन कहां है। मगर अब … जैसे-जैसे समय गुजरेगा सबको एक-दूसरे का ख्याल आना शुरू हो जाएगा—मैं गायब पाया गया तो बेवजह संदेह के दायरे में फंसूंगा, इस वक्त मेरा वहां मौजूद रहना जरूरी है।”
“तुम्हें ताजा सिच्युएशन्स नहीं मालूम जबकि हम जानते हैं।” ब्लैक स्टार ने कहा—“और उनके मुताबिक तुम्हारा वहां जाना मौत के मुंह में जाने के समान है।”
“ऐसा क्या हो गया है?” तेजस्वी चौंक पड़ा।
“जंगल में पहुंचकर बताएंगे—फिलहाल यहां से चलो।” कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ मुड़ गया—“अगर ट्रिपल जैड की लाश को ठिकाने लगाना जरूरी समझते हो तो साथ ले लो।”
तेजस्वी ने फर्श पर पड़ा ट्रिपल जैड का रिवॉल्वर उठाकर जेब में डाला—उसका निर्जीव जिस्म कंधे पर और ब्लैक स्टार के पीछे दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:27 PM,
#75
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
अजीब से मॉडल की एक कार हिचकोले खाती हुई झावेरी नदी के किनारे-किनारे कच्चे रास्ते पर दौड़ी चली जा रही थी—अजीब से मॉडल की इसलिए कहा गया क्योंकि भरपूर दिमाग खपाने के बावजूद तेजस्वी पता नहीं लगा सका कि ऐसी कार देश या विदेश की किस कम्पनी ने तैयार की है?
कार के सामने की तरफ हैडलाइट्स के प्रकाश के अलावा तीनों तरफ अंधकार छाया हुआ था।
दूर-दूर तक सन्नाटा!
कार के अंदर भी केवल उसके इंजन की आवाज गूंज रही थी—तेजस्वी कार ड्राइव करते ब्लैक स्टार की बगल वाली सीट पर बैठा था—पिछली सीट पर पड़ी ट्रिपल जैड की लाश हिचकोले खा रही थी।
एकाएक तेजस्वी ने पूछा—“क्या हम सचमुच जंगल जा रहे हैं?”
“हम झूठ नहीं बोला करते।” ब्लैक स्टार ने संक्षिप्त जवाब दिया।
“ल-लेकिन!” तेजस्वी ने साहस करके कहा—“मेरे ख्याल से यह रास्ता जंगल की तरफ नहीं जाता!”
“जाता है!” ब्लैक स्टार ने केवल इतना कहा।
और फिर उसने एक सुनसान स्थान पर कार रोकी।
बैक गियर में डाली, ऐसी पोजीशन में ले आया कि हैड लाइट्स के झाग नदी के पानी पर थिरकने लगे—एकाएक तेजस्वी का दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगा।
“अपनी तरफ का शीशा चढ़ा लो।” ब्लैक स्टार ने हुक्म दिया।
ये शब्द तेजस्वी के मुंह से बरबस निकल पड़ा—“क्यों?”
“जो कहा गया है वो करो!” लहजा सख्त हो उठा—“जवाब खुद मिल जाएगा।”
तेजस्वी को लगा, उसके हाथ ने दिमाग के आदेश के बिना वह काम कर दिया जो ब्लैक स्टार चाहता था—उसकी तरफ की खिड़की के अलावा गाड़ी के अन्य शीशे पहले ही से चढ़े हुए थे—उधर उसके हाथ ने अपना काम किया, इधर एक तेज झटका खाकर कार तेजी से सीधी नदी के पानी की तरफ झपटी।
“अ-रे …रे …ये आप क्या …?” हैरत में डूबे तेजस्वी के हलक से अस्पष्ट से शब्द बाहर निकलकर रह गए, जबकि क्षणभर के लिए हवा में लहराने के बाद कार छपाक से नदी के पानी पर टकराई और डूबती चली गई।
उस वक्त मारे आश्चर्य के तेजस्वी का बुरा हाल था जब उसने कार को ठीक किसी छोटी पनडुब्बी की तरह नदी के पानी के बीच सफर करते पाया—पानी में गाड़ी की हैडलाइट्स पर्याप्त न थीं—सो, तभी उसने ब्लैक स्टार को एक अन्य बटन दबाते देखा—परिणामस्वरूप पानी के अंदर रास्ता एकदम साफ नजर आने लगा।
“क-कमाल की गाड़ी है ये!” बुदबुदाने के साथ उसने ब्लैक स्टार की तरफ देखा—अपेक्षा थी वह जवाब में कुछ कहेगा परंतु कोई प्रतिक्रिया न पाने के कारण खुद उसे भी चुप रह जाना पड़ा।
ब्लैक स्टार का पूरा ध्यान ड्राइविंग में था।
तेजस्वी को लगा, ब्लैक स्टार के व्यक्तित्व में ऐसा कुछ है जिसके कारण वह उसके दिलो-दिमाग पर हावी होता जा रहा है।
उसने देखा, पनडुब्बी बनी कार कुछ देर नदी में सफर करने के बाद दूसरे किनारे पर मौजूद पानी से भरी एक गुफा में घुस गई—दोनों तरफ गुफा की दीवारें थीं और करीब चार मोड़ बाद कार ऐसे स्थान पर रुकी जिसके बारे में अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि वहां गुफा खत्म थी।
ब्लैक स्टार ने डैशबोर्ड पर लगा एक लाल रंग का बटन दबाया—तेजस्वी न जान सका कि उसके दबाने पर कहां क्या प्रतिक्रिया हुई मगर इतना तो समझ ही सकता था कि कहीं न कहीं कुछ न कुछ जरूर हुआ होगा।
क्या हुआ है?
यह जानने के लिए उसका दिल असामान्य गति से धड़कने लगा।
खुद ब्लैक स्टार कुछ बता नहीं रहा था और उसकी हिम्मत सवाल करने की पड़ी नहीं।
बौखलाया सा तेजस्वी अभी गाड़ी के चारों तरफ नजर आ रहे पानी को देख रहा था कि बहुत ही हल्की-सी सरसराहट ने कानों को कुरेदा—ऐसा लगा जैसे कोई दीवार सरकी हो मगर ये शायद उसका वहम था—गाड़ी के तीन तरफ नजर आ रहीं दीवारें यथास्थान मौजूद थीं—अभी जहन उस आवाज का कारण खोज ही रहा था कि नजरें स्वतः कार की छत की तरफ उठ गईं—हालांकि कुछ नजर नहीं आया किंतु इस बार वह इतना समझ गया कि लोहे का कोई भारी कुन्दा कार की छत में उभरे किसी दूसरे कुन्दे में फंस गया है।
कार ऊपर उठने लगी।
जैसे क्रेन द्वारा उठाई जा रही हो।
कुछ देर बाद उसने कार को पानी से पूरी तरह बाहर एक गोल पथरीले कमरे के बीचों-बीच हवा में लटके पाया—नीचे की तरफ अर्थात कमरे के फर्श पर दीवारों के सहारे उसने ब्लैक फोर्स के वर्दी से लैस ए.के. सैंतालीसधारी देखे—उन्हीं में से एक को दीवार में लगा लाल बटन दबाते देखा।
पुनः दीवार सरकने जैसी आवाज।
इस बार तेजस्वी समझ गया—कमरे का फर्श और पानी से भरी गुफा की छत यथास्थान फिक्स होने जा रही थी, उसकी यह सोच उस वक्त सही सिद्ध हो गई जब हवा में टंगी कार धीरे-धीरे नीचे आने लगी और फर्श पर टिक गई।
“आओ!” कहने के साथ ब्लैक स्टार ने ड्राइविंग डोर खोलकर कमरे में कदम रखा।
ब्लैक फोर्स के सभी लोगों ने जोरदार सैल्यूट दिए।
तेजस्वी भी तेजी से अपनी तरफ का दरवाजा खोलकर बाहर निकला—देखा, इस गोल पथरीले कमरे की छत करीब पंद्रह फुट ऊपर थी और छत के बीचों-बीच लगी एक चर्खी पर वह मोटी जंजीर लिपटी जा रही थी जिसके सिरे पर क्रेन के कुन्दे जैसा भारी कुन्दा लगा हुआ था।
सारा सिस्टम स्वतः उसकी समझ में आ गया।
“आओ!” पुनः कहने के साथ ब्लैक स्टार गोल कमरे के एक दरवाजे की तरफ बढ़ा—तेजस्वी लपका—दरवाजा पार करके उन्होंने करीब बारह सीढ़ियां उतरीं—अब वे एक ऐसी गुफा में पहुंच गए जिसकी जमीन डाबर की तरह चिकनी थी।
दूर तक सीधी चली गई थी वह।
रोशनी ही नहीं सुरक्षा का भी भरपूर इंतजाम था—फर्श से करीब बीस फुट ऊपर मेहराबदार छत में जगह-जगह बल्ब लगे हुए थे—उसी तरह, दोनों तरफ की दीवारों से चिपके प्रत्येक तीस फुट पर वर्दीधारी सशस्त्र गार्ड खड़े थे।
सीढ़ियों के नजदीक एक सफेद रंग की मारुति वन थाउजैण्ड खड़ी थी।
तेजस्वी को समझते देर न लगी कि जिस दीवार में सीढ़ियां थीं उसके ठीक दूसरी तरफ पानी से भरी वह गुफा है जहां से विचित्र कार को कुन्देयुक्त जंजीर से उठाकर ऊपर खींचा गया था।
ब्लैक फोर्स के एक सैनिक ने आगे बढ़कर मारुति वन थाउजैण्ड का ड्राइविंग डोर खोल दिया।
ब्लैक स्टार ड्राइविंग सीट पर जा बैठा।
तेजस्वी बायां दरवाजा खोलकर उसकी बगल में।
उसके बाद जो मारुति ने गुफा में रेस लगाई है तो खुद तेजस्वी न गिन सका कि कितने मोड़ पार किए—बस इतना देख पाया कि गुफा में कदम-कदम पर सशस्त्र गार्ड और रोशनी की पूरी व्यवस्था थी।
उस वक्त चमत्कृत रह गया जब खुद को ठीक वहां पाया जहां जंगल में एक पेड़ की जड़ से शुरू होने वाली सीढ़ियां उतरने के बाद पाया था—सारा नक्शा उसकी समझ में आ गया।
इस वक्त वे जंगल के नीचे थे।
गाड़ी को एक स्थान पर छोड़कर ब्लैक स्टार उसे उसी कमरे में ले गया जहां पुलिस ऑफिसर्स को बेवकूफ बनाने के लिए उन दोनों ने बैठकर प्रतापगढ़ से ब्लैक फोर्स के सफाए, शुब्बाराव व थारूपल्ला की मौत और झावेरी का पुल उड़ाने की योजना बनाई थी। ब्लैक स्टार ने शानदार सोफा सेट की तरफ इशारा किया—“बैठो!”
“मेरी समझ में नहीं आ रहा आप मुझे यहां क्यों लाए हैं?”
उसके ठीक सामने बैठते हुए ब्लैक स्टार ने कहा—“क्योंकि अब तुम्हारा खुली दुनिया में जाना संभव नहीं है।”
“क-क्यों?” तेजस्वी ने पूछा—“ऐसा क्या हो गया है?”
“ठक्कर, बचे हुए स्पेशल गाड्र्स और कमिश्‍नर तक को मालूम हो चुका है कि चिरंजीव कुमार की हत्या के षड्यंत्र की अगवानी तुम कर रहे थे।”
“क-कैसे मालूम हो गया?”
“तुम शायद पांडुराम को भूल गए?”
“वो क्या कर सकता है?”
“वो अकेला कुछ नहीं कर सकता था मगर बहुत-सी बातों ने मिलकर सब कुछ कर दिया।”
“मैं समझा नहीं—पूरा किस्सा विस्तारपूर्वक बताइए।”
“विस्फोट के पंद्रह मिनट तक किसी की समझ में कुछ नहीं आया—चारों तरफ चीखो-पुकार और भगदड़ मची रही—हर शख्स को केवल अपने प्राण बचाने की परवाह थी—चिरंजीव कुमार की पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं तक को यह होश नहीं रहा कि जिसके जिन्दाबाद के नारे लगाते-लगाते उनके गले बैठ चुके थे वह कहां है—चारों तरफ खून, लाश बल्कि लाशों के टुकड़े बिखरे पड़े थे—भागने के लिए लोगों ने चारदीवारी का गेट तक खोल दिया था।”
“क्षमा करें, वह सब मुझे मालूम है—उसी अफरा-तफरी का लाभ उठाकर मैं वहां से गायब होकर ट्रिपल जैड के पास पहुंचा था।”
“अब तुम्हारे वहां से गुम हो जाने के बाद का किस्सा शुरू होता है।” ब्लैक स्टार कहता चला गया—“चिरंजीव कुमार की लाश की शिनाख्त सबसे पहले उसकी पार्टी के शहर अध्यक्ष ने की—वह भी चिरंजीव कुमार के जूते से—खून सने मानव अंगों के बीच पड़ी एक ऐसी टांग को देखते ही वह चिल्ला उठा जिसमें मौजूद जूते को वह पहचानता था—जैसे ही चीखा—‘हमारे नेता नहीं रहे’ वैसे ही अफरा-तफरी और भगदड़ पर कुछ अंकुश लगा—लोग पागलों की तरह पूछने लगे—‘हमारा नेता कहां है … हमारा नेता कहां है?’ मगर नेता तो बोटी-बोटी हुआ लहू के तालाब में पड़ा था—जब लोगों को वास्तविकता का भान हुआ तो छातियां पीट-पीटकर रोने-चिल्लाने लगे—वातावरण चीत्कारों से भर गया—पागल-से हो चुके वे लोग चिरंजीव कुमार का सिर और धड़ ढूंढने लगे।”
तेजस्वी गंभीरतापूर्वक अपना कारनामा सुन रहा था।
“फिर ठक्कर, कमिश्‍नर, बचे हुए स्पेशल गाड्र्स और अन्य पुलिस ऑफिसर्स चेते—व्यवस्था बनाने के लिए उनकी समझ में जो आया किया—लोगों को लाशों के ढेर से दूर हटाया, एम्बुलैंस के लिए फोन किया—चिरंजीव कुमार और तुम्हारी पत्नी सहित कुल मिलाकर बीस आदमियों के मरने और बारह के घायल होने की सूचना है। लाशें और मानव अंगों के टुकड़े खून के तालाब में एक-दूसरे से गड्ड-मड्ड हुए पड़े थे, पुलिस ने बड़ी मुश्किल से घायलों और चिरंजीव कुमार की लाश के टुकड़ों को अलग-अलग जगह से उठाकर एक जगह जोड़ा और अस्पताल भेजा।”
“उन टुकड़ों को अस्पताल ले जाने की क्या जरूरत थी?”
“जो उनकी समझ में आया, किया—इसमें हम क्या कर सकते हैं?”
“खैर, उसके बाद?”
“ठक्कर, कमिश्‍नर, डी.आई.जी., एस.एस.पी. और एस.पी. आदि उसी समय एक-दूसरे से पूछने लगे थे कि तेजस्वी कहां है—किसी को पता होता तो बताता—ढूंढने की कोशिश की गई—जाहिर है, तुम नहीं मिले—एम्बुलैंस के साथ वे अस्पताल पहुंचे—एक बार फिर तुम्हारी चर्चा चली तो ठक्कर ने शंका व्यक्त कर दी—‘मेरे ख्याल से उसे मालूम था कि क्या होने वाला है?’
‘हो सकता है।’ कमिश्‍नर कह उठा—पांडुराम कह भी रहा था।
‘कौन पांडुराम?’ ठक्कर उछल पड़ा।
‘एक हवलदार है।’
‘क्या कह रहा था वो?’
“कमिश्‍नर ने सब कुछ बता दिया—सुनकर ठक्कर पागल हो उठा चीखा—‘उफ् … यह सब कुछ मुझसे छुपाकर आपने क्या बेवकूफी की—पांडुराम ठीक कह रहा था—सब कुछ तेजस्वी का ही किया धरा है, गुलाब के पौधे की जड़ में रिवॉल्वर को उठाने की कोशिश किसी ने नहीं की—जीप पर किसी ने कोई फायर नहीं किया—वह शख्स ब्लैक स्टार नहीं बल्कि स्टार फोर्स का छोटा-सा प्यादा है जिसे हमने कॉलर उल्टा मोड़ने के जुर्म में ब्लैक स्टार समझकर गिरफ्तार कर लिया। हर घटना स्पष्ट कर रही है वह सारा ड्रामा नकली था—तेजस्वी द्वारा हमें नकली योजना में भटकाया गया—असल में हत्या उसकी बीवी को करनी थी इसलिए जीप से उतरते ही अपनी बीवी को नहीं पकड़ा।’ ऐसे बहुत-से प्वाइंट ठक्कर ने पलक झपकते ही उठा दिए जिन्हें मिलाने पर एकमात्र नतीजा यह निकला, कि चिरंजीव कुमार के हत्यारे तुम हो।”
“मुझे मालूम था, यह हरामी का पिल्ला ऐसा कर सकता है।”
“सुना है ठक्कर ने खुद पांडुराम से बात की और उसके बाद तो उसे इसमें कोई शक ही नहीं रह गया कि हत्यारे तुम ही हो—फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर हुए विस्फोट की आवाज सारे राष्ट्र को झकझोर चुकी है, लोग जाग चुके हैं, त्राहि-त्राहि मची हुई है—ट्रांसमीटर, वायरलेस, टेलीप्रिन्टर्स, फोन और संचार के प्रत्येक माध्यम पर केवल एक ही सूचना इधर-से-उधर दौड़ रही है—यह कि एक बम विस्फोट में चिरंजीव कुमार मारे गए और उनकी हत्या के जुर्म में तेजस्वी नामक एक इंस्पेक्टर की जोर-शोर से तलाश जारी है—बोलो, क्या इस अवस्था में तुम बाहर की दुनिया में कदम रखकर जीवित रह सकते हो?”
“मेरे माता-पिता कहां हैं?”
“पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है।”
“और मेरी बेटी तो यहां होगी ही?”
“सो तो तुम्हें मालूम ही है।”
ब्लैक स्टार ने जो कुछ बताया, उसे सुनकर तेजस्वी के चेहरे पर हवाइयां नहीं उड़ीं—केवल चिंता के लक्षण नजर आ रहे थे—जबकि ब्लैक स्टार के मतानुसार जो कुछ उसने बताया उसे सुनकर तेजस्वी के होश उड़ जाने चाहिए थे।
जब काफी देर तक ब्लैक स्टार ने उसे सोचों में ही डूबा पाया तो बोला—“क्या सोच रहे हो?”
“बाहर की दुनिया में जाए बगैर मेरा काम नहीं चलेगा।”
“मतलब?”
“अगर मैं नहीं मिला तो वे टॉर्चर करते-करते मेरे माता पिता को मार डालेंगे।”
“अगर वे ऐसा प्रयास करते हैं तो हम किसलिए हैं—ब्लैक फोर्स नामक ये ऑर्गेनाइजेशन किसलिए है?”
“मतलब?”
“हमारे चंद मरजीवड़े तुम्हारे मां-बाप को उनके चंगुल से निकालकर यहां ले आएंगे।”
“उसके बाद?”
“उन सहित तुम्हें इस देश से निकालने और जिस देश में चाहोगे, स्थापित करने की जिम्मेदारी हमारी।”
“निःसंदेह आप मुझ पर बहुत बड़ी मेहरबानी करने के लिए तैयार हैं और मैं इसके लिए आपका एहसानमंद हूं।”
“ये कोई मेहरबानी नहीं तेजस्वी बल्कि एक सैटिंग है।” ब्लैक स्टार ने साफ लफ्जों में कहा—“हमें तुम्हारे जैसे टेलैन्टिड आदमी की जरूरत है—जिस देश में चाहो हम उसी देश में अपने हक में तुम्हें कोई काम सौंप देंगे … उस काम की मुंहमांगी कीमत भी मिलेगी।”
“फिर भी, वह जिंदगी कोई जिंदगी नहीं होगी जिसमें मरते दम तक मेरी गर्दन पर ये तलवार लटकती रहे कि जाने कब चिरंजीव कुमार के हत्यारे के रूप में मेरी पहचान हो जाए और उस देश की पुलिस मुझे गिरफ्तार करके इस मुल्क को सौंप दे।”
“हम गारंटी दे सकते हैं, ऐसा कभी नहीं होगा।”
“हालांकि आपका ऑफर आकर्षक है लेकिन …।”
“लेकिन?”
“मुझे ऐसी जिंदगी गुजारना कुबूल नहीं।”
“तो क्या फांसी के फंदे पर झूल जाना पसंद है?”
“जिसे ये बात पसंद होगी उसका नाम गिनीज बुक वालों को सबसे टॉप पर लिखना पड़ेगा।”
“लगता है तुम अपना नाम गिनीज बुक में टॉप ही पर लिखवाना चाहते हो—तुम्हारे एक बार यहां की पुलिस के चंगुल में फंस जाने का सीधा अर्थ है, भविष्य में फांसी के फंदे पर झूल जाना।”
“क्षमा करें सर, मैं ऐसा नहीं समझता।”
“वजह?”
“कृपया ‘सिच्युएशन’ से प्रभावित या आतंकित हुए बगैर गौर करें!” तेजस्वी अपने एक-एक शब्द पर जोर डालता हुआ बोला—“चिरंजीव कुमार की हत्या के जुर्म में वे मुझे फांसी तो क्या एक मिनट की सजा नहीं दिला पाएंगे।”
“वे खुलेआम तुम्हें रेडियो, टी.वी. पर चिरंजीव कुमार के हत्यारे के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।”
“क्या उनके इस प्रचार से मैं हत्यारा सिद्ध हो जाऊंगा?”
“यानि?”
“ये ठीक है वे जान चुके हैं मैं चिरंजीव कुमार का हत्यारा हूं, मगर जरा इस देश के कानून पर गौर फरमाइए, किसी के कुछ जानने से मेरे जैसे आदमी का कुछ नहीं बिगड़ सकता। आम लोगों की बात तो छोड़ ही दीजिए, अगर वह जज भी आपके कारनामों को अच्छी तरह जानता हो जिसकी अदालत में आपका मुकदमा है तो वह तब तक आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता जब तक आप पर लगाया गया आरोप सिद्ध न हो जाए—मेरा जोर सिद्ध होने पर है—महत्त्वपूर्ण किसी का जानना नहीं बल्कि मुझे अदालत में चिरंजीव कुमार का हत्यारा सिद्ध कर देना है और मुझे दूर-दूर तक दिमाग घुमाने के बावजूद ऐसा कोई प्वाइंट नजर नहीं आ रहा जिसके बूते पर कोई माई का लाल इस देश की किसी भी अदालत में मुझे हत्यारा सिद्ध कर सके।”
निःसंदेह ब्लैक स्टार सोचों में डूब गया—पांच मिनट डूबा रहा वह और सोचते-ही-सोचते उसकी विचित्र आंखें जुगनुओं की मानिन्द जगमगा उठीं, बोला—“गुड … वैरी गुड तेजस्वी—अनुकूल परिस्थितियों में सही निर्णय लेने वाले को बुद्धिमान कहते हैं, परंतु जो विपरीत परिस्थितियों में खरे निर्णय ले वह जीनियस होता है—और इस वक्त तुमने सिद्ध कर दिया कि तुम जीनियस हो।”
तेजस्वी को ब्लैक स्टार पर ‘हावी’ होना अच्छा लग रहा था। जितना आनंद उसे ब्लैक स्टार को अपने दिमाग का लोहा मनवाने में आ रहा था उतना पहले कभी नहीं आया था—दिमागी स्तर पर ब्लैक स्टार को अपने से ‘बौना’ साबित करने पर आमादा तेजस्वी ने आगे कहा—“आपका अंतिम लक्ष्य यमनिस्तान की स्थापना है न?”
“ये सवाल बार-बार क्यों पूछ रहे हो?”
“क्योंकि आप वर्षों के संघर्ष के बावजूद आज तक इस लक्ष्य को प्राप्त न कर सके।”
“इतने बड़े लक्ष्य को हासिल करने में टाइम लगता है।”
तेजस्वी ने तपाक से कहा—“जबकि मैं चंद महीनों में आपका यमनिस्तान आपको दे सकता हूं।”
“क-क्या?” वह शख्स बुरी तरह चौंक पड़ा जिसे कभी किसी ने हल्के से भी चौंकते नहीं देखा था—“क्या कह रहे हो तुम?”
“छोटा मुंह बड़ी बात है सर, लेकिन मैं यकीनन ये चमत्कार करके दिखा सकता हूं।”
“कैसे?”
“बस, आपकी थोड़ी-सी मदद की जरूरत पड़ेगी।”
“मदद की क्या बात कर रहे हो तेजस्वी—थोड़ी-सी क्या, जितनी चाहो मदद मिलेगी—मगर योजना क्या है?”
“इस देश के कानून, संविधान और व्यवस्था में उससे कहीं ज्यादा छेद हैं जितने आटा छानने की छलनी में होते हैं—अगर मेरे जैसा फितरती शख्स उनसे लाभ उठाकर कुछ करना चाहे तो जो चाहे कर सकता है—इस सच्चाई का इल्म आपको मेरी योजना सुनने के बाद हो जाएगा।”
“अब अगर तुमने योजना सुनाने में देर की तो हम पागल हो सकते हैं।”
“तो सुनिए।” कहने के बाद जब तेजस्वी शुरू हुआ तो सांस लेने को भी तभी रुका जब बात पूरी कर चुका और उसकी बात पूरी होने के बहुत पहले बल्कि तभी से ब्लैक स्टार की अनोखी आंखों की ज्योति बढ़नी शुरू हो गई थी जब तेजस्वी ने अपनी बात शुरू की—योजना का अंत होते-होते तो उसकी वे आंखें बाकायदा यमनिस्तान के झण्डे को शान से हवा में फहराता देखने लगीं—उधर तेजस्वी चुप हुआ, इधर ब्लैक स्टार मारे खुशी के झूमता हुआ कह उठा—“तुम्हारी ये बात सुनने के बाद केवल एक ही बात कही जा सकती है तेजस्वी—यह कि ऊपर वाले ने तुमसे ज्यादा तेज दिमाग वाला दूसरा शख्स इस धरती पर नहीं भेजा।”
“अब आप शायद मेरी खिंचाई पर उतर आए?”
“नहीं तेजस्वी!” ब्लैक स्टार पूरी तरह गंभीर था—“ये हमारे दिल की आवाज है।”
“तो फिर मुझे प्रतापगढ़ भेजने की व्यवस्था कीजिए, योजना पर अमल शुरू किया जाए।”
“यमनिस्तान स्थापित करने की कीमत?”
“लक्ष्यप्राप्ति से केवल एक घंटा पहले बताऊंगा।”
“हमें मंजूर है, सब कुछ मंजूर है तेजस्वी—जो कीमत मांगोगे मिलेगी।”
“तो देर न कीजिए।” तेजस्वी ने एक सिगरेट सुलगा ली—“आखिर मुझे एक बड़ा काम करना है।”
“उससे पहले हम अपने एक सवाल का जवाब चाहेंगे।”
“पूछिये।”
“योजना ‘मानव बम’ द्वारा चिरंजीव कुमार को उड़ा देने की थी—इस काम के लिए हमारे पास मरजीवड़ों की कोई कमी न थी—हमने कहा भी था, ये काम कोई भी कर सकता है—मगर तुम नहीं माने, खुद कहा कि अरुणा को मार डालने की धमकी देकर यह काम तुम्हारी पत्नी से कराएं—तुमने पूरे विश्वास के साथ यह भी कहा था कि इस धमकी के समक्ष वह घुटने टेक देगी—भले ही मजबूर होकर करे मगर ये काम उसे करना पड़ेगा।”
“क्या मैंने गलत कहा था?”
“गलत तो नहीं कहा था लेकिन …।”
“आप शायद यह जानना चाहते हैं कि मैंने शुभा को ही क्यों चुना, अपनी पत्नी की बलि क्यों की?”
“यह सवाल हमने तुमसे उस वक्त भी पूछा था मगर तुम यह कहकर टाल गए कि वक्त पर जवाब दोगे, क्या अभी वक्त नहीं आया है?”
“आ चुका है।”
“तो जवाब दो, चिरंजीव कुमार के साथ तुमने उसे क्यों मार डाला?”
“चिंकापुर में मेरी गैरमौजूदगी का लाभ उठाकर एक पड़ोसी से इश्क लड़ा रही थी साली!” कहते वक्त तेजस्वी के चेहरे पर साक्षात् आग धधकती नजर आई—“और समझती थी मुझे कुछ नहीं मालूम।”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
तेजस्वी को मालूम था, जो वातावरण उसके खिलाफ सारे देश में बन चुका है उसके रहते अगर इस वक्त उसे कोई पहचान ले तो पब्लिक हाथ-पैरों से ही पीट-पीटकर मार डालेगी। अतः किसी की भी नजर में आए बगैर सीधा शांडियाल की कोठी पर पहुंचा—वहां तैनात सब-इंस्पेक्टर उसे देखकर इस तरह उछल पड़ा जैसे भूत देख लिया हो—बुरी तरह हड़बड़ाकर उसने अपनी गन तेजस्वी की तरफ तान दी, दहाड़ा—“हैन्ड्स अप … आई से हैन्ड्स अप!”
“मैं यहां खुद को गिरफ्तार कराने ही आया हूं बच्चे!” कहने के साथ तेजस्वी ने अपने हाथ हवा में उठा लिए।
सब-इंस्पेक्टर दंग रह गया और उस वक्त तो आश्चर्य के कारण उसका बुरा हाल था जब तेजस्वी को जरा भी विरोध करता न पाया—कुछ देर बाद पुलिस वायरलेस पर उसकी गिरफ्तारी का समाचार इधर-से-उधर दौड़ रहा था।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:29 PM,
#76
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अगर तूने हमारे एक भी सवाल का जवाब गलत दिया तेजस्वी, तो अंजाम ऐसा होगा जिसकी तूने स्वप्न तक में कल्पना न की होगी।” गुस्से से पागल हुए जा रहे कमिश्‍नर शांडियाल ने दोनों हाथों से टॉर्चर चेयर पर बैठे तेजस्वी का गिरेबान पकड़ रखा था, दांतों-पर-दांत जमाए वे गुर्राते चले गए—“बोल … तूने यह सब क्यों किया—क्या केवल यमन होने के नाते, क्या तू भी यमनिस्तान चाहता था?”
“नहीं सर!” तेजस्वी ऐसे अंदाज में बोला जैसे जीवन से निराश हो चला हो—“यह बात नहीं थी।”
“फ-फिर … फिर क्या बात थी हरामजादे?” कमिश्‍नर साहब दहाड़ उठे—“चिरंजीव कुमार जैसे देवता को क्यों मार डाला तूने? क्यों किया ये घृणित काम?”
तेजस्वी ने इस तरह गर्दन झुका ली जैसे पश्चाताप की अग्नि में सुलग रहा हो।
एकाएक ठक्कर आगे बढ़ा—कमिश्‍नर साहब के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें अलग हटने का संकेत किया और तेजस्वी के बाल पकड़े—एक झटके से उसका चेहरा ऊपर उठाया, आंखों में आंखें डालकर बोला—“अगर कोई चालाकी करने की कोशिश की तो तेरे जिस्म से खून की एक-एक बूंद निचोड़ ली जाएगी इंस्पेक्टर …।”
तेजस्वी कुछ नहीं बोला।
सूनी-सूनी आंखों से उसे देखता भर रहा।
टॉर्चर चेयर के ऊपर चार दिशाओं में तेज रोशनी वाले लाल बल्ब लगे हुए थे—चारों की सम्पूर्ण रोशनी का फोकस तेजस्वी के जिस्म पर केन्द्रित था—उस रोशनी के कारण खून में नहाया-सा लग रहा था वह।
चैम्बर में वे तीनों ही नहीं बल्कि डी.आई.जी., एस.एस.पी., एस.पी. देहात और सिटी, कमांडो नंबर वन, स्पेशल गार्ड और पांडुराम भी मौजूद थे—परंतु पांडुराम को वहां इसलिए रखा गया था ताकि तेजस्वी मुकर न सके लेकिन वह एक परसैन्ट भी मुकरने के मूड में नजर नहीं आ रहा था—शायद इसीलिए ठक्कर को लगा, तेजस्वी ने पुनः कोई चाल चलने की तैयारी के साथ खुद अपनी गिरफ्तारी दी है।
तेजस्वी ने उसी पोजीशन में कहा—“आप लोग मुझे इस टॉर्चर चेयर में शायद इसीलिए लाए हैं ताकि अगर मैं आपके सवालों के जवाब न दूं तो मुझे टॉर्चर किया जा सके?”
“हमें जवाब नहीं, सही जवाब चाहिएं इंस्पेक्टर।”
“जिसका सब कुछ उजड़ चुका है—उसे गलत जवाब देकर अब करना भी क्या है सर!”
“क्या मतलब?”
“आप लोगों के साथ धोखा तो हुआ ही है—मगर उससे बड़ा धोखा मेरे साथ हुआ।”
“क्या बकना चाहता है?”
“शुरू से शुरू करूं तो बेहतर होगा।” एक लम्बी सांस लेने के बाद तेजस्वी शुरू हो गया—“पांडुराम ने आपसे ठीक कहा था कमिश्‍नर साहब—मैं कभी वैसा पुलिसिया नहीं रहा जैसा आप लोग समझते थे—नंबर एक का रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी और धूर्त पुलिसिया रहा हूं मैं—पांडुराम ने मुझे वर्दी वाला गुण्डा कहा है और सचमुच मैं वर्दी वाला गुण्डा ही था—जिस थाने पर नियुक्त कर दिया जाता उस थाना-क्षेत्र में अपनी गुण्डागर्दी की हुकूमत कायम कर लेता—प्रतापगढ़ में भी मैंने वही किया—यमन होने की खातिर नहीं बल्कि पैसे की खातिर … पैसे की खातिर मैंने न केवल ब्लैक स्टार का ऑफर कुबूल किया बल्कि उससे हाथ मिलाया, चिरंजीव कुमार की हत्या का षड्यंत्र रचा।”
“तूने ये सब कितने पैसे की खातिर किया?”
“पचास लाख की खातिर।”
“केवल पचास लाख की खातिर तूने देवतातुल्य चिरंजीव कुमार को मारना कुबूल कर लिया?”
तेजस्वी चुप रह गया।
“खैर!” ठक्कर गुर्राया—“आगे बक, तेरे और उसके बीच सौदा कब हुआ?”
“इस थाने पर नियुक्ति से पहले ही।” तेजस्वी बेखौफ कहता चला गया—“कमिश्‍नर साहब को याद होगा—मेरी प्रतापगढ़ में नियुक्ति की सबसे जोरदार सिफारिश चिदम्बरम और कुम्बारप्पा ने की थी—यहां यह भी बता देना मुनासिब होगा कि वे दोनों जिस तरह ट्रिपल जैड से पगार पाते थे, उसी तरह ब्लैक स्टार के भी पिट्ठू थे और उसी के कहने पर उन्होंने मेरी नियुक्ति प्रतापगढ़ थाने पर करवाई थी।”
“क्या ट्रिपल जैड और ब्लैक स्टार का भी आपस में कोई संबंध स्थापित हो गया था?”
“इस बारे में मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं जानता कि एक दिन ब्लैक स्टार ने मुझसे कहा कि प्रतापगढ़ में चिरंजीव कुमार के मर्डर के उद्देश्य से ट्रिपल जैड नामक एक विदेशी एजेंट भी सक्रिय है।”
“निश्चित ही कुम्बारप्पा और चिदम्बरम के जरिए उनके बीच कोई सौदा हुआ होगा।”
“मुमकिन है।”
“आगे?”
“एक-एक घटना का जिक्र करने के स्थान पर अगर यह कह दिया जाए तो पर्याप्त होगा कि आपकी नजरों में महत्त्वपूर्ण बनने के लिए हमने एक योजना तैयार की—उसके मुताबिक ब्लैक स्टार ने जान-बूझकर मेरे द्वारा अपने अड्डे नष्ट कराए, शुब्बाराव और थारूपल्ला को मरवाया—झावेरी का पुल उड़ने दिया—आड़ ये बना दी गई कि ब्लैक स्टार मुझे अपने हाथ से मारने की कसम खा चुका है—कुम्बारप्पा को पुलिस हैडक्वॉर्टर में मैंने खुद अपने हाथों से मारा, फिर ऐसा प्लान स्टेज किया जिसमें फंसकर आपके कमांडोज को खुद चिदम्बरम और ट्रिपल जैड का खात्मा करना पड़ा—इन तीनों को मारना इसलिए जरूरी था क्योंकि उनके जरिए कभी भी षड्यंत्र का पर्दाफाश हो सकता था।”
“लुक्का के रूप में नंबर फाइव का मर्डर?”
“सच वही है जो पांडुराम ने बताया होगा।”
“ब्लैक स्टार से कहां मिलते थे तुम?”
“रात के किसी समय वह खुद मेरे क्वॉर्टर पर आता था।” तेजस्वी ने सफेद झूठ बोला—“लेकिन चिरंजीव कुमार के आने की तारीख पक्की होते ही ब्लैक स्टार ने मुझे एक ट्रांसमीटर दिया, कहा कि भविष्य में मिलना खतरनाक हो सकता है, अतः अब हम इसी पर बातें करेंगे—अपना कोड मैंने व्हाइट स्टार रखा—शुरू में क्योंकि देशराज से संबंधित प्लान की मुझे कोई जानकारी नहीं थी इसलिए वह जुंगजू के रूप में जंगल तक जा पहुंचा, मगर जैसे ही कमिश्‍नर साहब द्वारा पता लगा, मैंने ब्लैक स्टार को उसका निशाना चैक करने के सांकेतिक शब्दों में इन्फॉरमेशन दे दी।”
कमिश्‍नर साहब का जी चाहा कि अपने बाल नोच लें।
ठक्कर ने पूछा—“यह बात तुमने ट्रांसमीटर पर सांकेतिक अंदाज में क्यों कही, ब्लैक स्टार को स्पष्ट क्यों नहीं बताया कि जुंगजू असल में देशराज है?”
“जो बातें आप कमिश्‍नर साहब को बताते थे—ये आपसे छुपाकर मुझे बता देते थे—उन्हें सुनकर मुझे विश्वास हो गया कि आपने मेरे और ब्लैक स्टार के ट्रांसमीटर्स की फ्रीक्वेंसीज कैच कर रखी है—तब मैंने और ब्लैक स्टार ने आपको इन्हीं ट्रांसमीटर्स के जरिए धोखे में डालने की योजना बनाई।”
“ओह!” अब ठक्कर का दिल चाहा कि अपना माथा पीट ले।
“योजना यह थी कि जो कुछ हम ट्रांसमीटर्स के जरिए ‘लीक’ करते रहे, वह आपको होता भी नजर आता रहे ताकि पक्के तौर पर आप इस भ्रम में रहें कि आप सही पटरी पर हैं। व्हाइट स्टार के रूप में मैंने अपने ही परिवार को किडनैप करने की बात कही और आपको भ्रम में फंसाने के लिए उस पर अमल भी किया—फिर तेजस्वी के रूप में वह सब बताने मैं कमिश्‍नर साहब के बंगले पर पहुंच गया—जानता था कि जो भेद आपको पहले से पता है उसे दूसरे ढंग से मेरे मुंह से सुनकर न केवल खुश हो जाएंगे बल्कि मुझ पर विश्वास और भी पक्का होगा तथा योजना ऐसी बनाई जो हम चाहते थे—ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार के फार्म हाउस पर मौजूद रहने की बात ट्रांसमीटर्स पर की ही इसलिए गई थी ताकि आप लोग दोनों को गिरफ्तार करने के लालच में फंस जाएं—कुर्ते का कॉलर उलटने के लिए ब्लैक फोर्स के एक मरजीवड़े को भेजा इसीलिए गया था ताकि आप लोग अंत तक भ्रमजाल में फंसे रहें, जबकि गुलाब के पौधे की जड़ में पड़े रिवॉल्वर को असल प्लानिंग के मुताबिक किसी को हाथ तक नहीं लगाना था।”
“सो तो जाहिर हो गया—मर्डर तुम्हारी बीवी को करना था?”
“नहीं सर, योजना यह नहीं थी—भला अपनी पत्नी के मर जाने की योजना मैं क्यों बनाता!”
“तो?”
“ब्लैक स्टार ने मुझसे कहा था—‘ठक्कर की योजना के मुताबिक जिस जीप को कमिश्‍नर तुम्हारे परिवार को बचाने के मंसूबे के साथ तीर की तरह चारदीवारी के अंदर ले जाएगा, उसके नीचे ब्लैक फोर्स का एक ऐसा मरजीवड़ा छुपा होगा जिसने अपने कपड़ों के नीचे एक ऐसी बैल्ट बांध रखी होगी जिसमें एक बटन दबाते ही जबरदस्त धमाका होगा और मरजीवड़ा सहित सब कुछ खत्म हो जाएगा—ये बटन वह चिरंजीव कुमार के चरण स्पर्श करते वक्त दबाएगा। आप समझ सकते हैं, उसे जीप के नीचे छुपाने की बात तलाशी से बचने हेतु कही गई थी।”
“तुम झूठ बोल रहे हो?”
“नहीं सर, योजना यही थी—मगर मेरे साथ धोखा हुआ।”
“कैसा धोखा?”
“चारदीवारी के अंदर जीप के रुकते ही जब मेरे माता-पिता ने बताया कि अरुणा उनके साथ नहीं है तो यह सोचकर मेरा दिमाग भन्ना उठा कि ऐसा क्यों है—योजना के मुताबिक ब्लैक स्टार को मेरा सारा परिवार जीप में भेजना था—इस हल्की-सी तब्दीली ने मुझे झकझोर कर रख दिया और अभी ठीक से कुछ समझ भी नहीं पाया था कि वह भयंकर विस्फोट हो गया—दूसरे लोगों की तरह बल्कि आप सबसे कुछ ज्यादा ही मैं बदहवास हो उठा क्योंकि चिरंजीव कुमार के साथ मेरी पत्नी भी मारी गई थी—पगलों की तरह भागता-दौड़ता मैं सीधा अपने फ्लैट पर पहुंचा।”
“वहां किसलिए?”
“मिशन पूरा होने के बाद ब्लैक स्टार ने वहीं मिलने का वायदा किया था।”
“ओह!”
“मगर वहां वह नहीं, उसका एक पत्र मिला।”
“पत्र?”
“आप मेरी कमीज की दाहिनी जेब से निकालकर पढ़ सकते हैं।”
ठक्कर ने झपटने के-से अंदाज में उसकी जेब से कागज निकाला—खोला, सभी उस पर झुक गए—लगभग सभी ने एक साथ पढ़ा, लिखा था—
“हमें मालूम है इंस्पेक्टर, योजना में जो हल्की सी तब्दीली की गई है, वह तुम्हें दुःख पहुंचाएगी—मगर यह तब्दीली तुम्हारे किसी भी ‘डबल क्रास’ से बचने के लिए जरूरी थी—हम अच्छी तरह जानते हैं, तुम्हारी बेटी को बचाने के लिए तुम्हारी पत्नी अपने प्राणों की आहुति अवश्य देगी—चिंता मत करो, तुम्हारी बेटी तुम्हें सुरक्षित मिल जाएगी और बाकी के पच्चीस लाख इस पत्र के साथ हाजिर हैं—तुम्हें पहुंचे आघात के लिए हमें खेद है।”
—ब्लैक स्टार
कागज को पढ़ने के बाद सभी के दिमाग झन्ना उठे।
दीन-हीन बना तेजस्वी टूट चुके शख्स की मानिन्द बोला—“जो जैसा बीज बोता है सर, उसे वैसी ही फसल काटनी पड़ती है—इधर मैंने आप लोगों को विश्वास में लेकर सारे मुल्क को छला, उधर ब्लैक स्टार ने मुझे विश्वास में लेकर मेरी सबसे प्यारी चीज छीन ली।”
“लेकिन तू तो कह रहा था सौदा पचास लाख में हुआ, इसमें तो केवल पच्चीस का जिक्र है?”
“पच्चीस सौदा होने से पहले मिल चुका था।”
“कहां है वह?”
“मेरे फ्लैट पर।”
ठक्कर उसे घूरता रह गया—जाने क्यों उसे लग रहा था कि तेजस्वी अब भी कोई चाल चल रहा है।
मगर क्या?
यह वह न समझ सका।
खुद को खुले शब्दों में चिरंजीव कुमार की हत्या का षड्यंत्री कुबूल करने के बाद भला वह क्या चाल चल रहा हो सकता था—सब कुछ स्वीकार कर चुका था तेजस्वी, ऐसा कुछ भी तो नहीं था जो उसने कुबूल न कर लिया हो, अतः ठक्कर के पास पूछने के लिए कोई सवाल बाकी न रहा—काश, उसे इल्म होता कि तेजस्वी किस बला का नाम है!
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
अगले दिन!
संचार माध्यमों के जरिए सारा देश जान चुका था कि चिरंजीव कुमार की हत्या कैसे हुई—मुल्क के लगभग हर अखबार के विशेष संस्करण प्रकाशित हुए—उनमें पुलिस को दिया गया तेजस्वी का बयान विस्तारपूर्वक छपा था।
देश तो खैर यही सोच-सोचकर भौंचक्का था कि इस हत्या का षड्यंत्र एक ऐसे पुलिसिए ने रचा जो खुद भी सुरक्षा-व्यवस्था का एक हिस्सा था मगर सबसे ज्यादा हैरान थे प्रतापगढ़ के लोग।
वे, जिनके लिए इस रहस्योद्घाटन से पूर्व तेजस्वी फरिश्ता जैसा था।
बच्चा-बच्चा अखबार में छपा उसका बयान पढ़कर दंग रह गया।
पुलिस ने उसके फ्लैट से पचास लाख रुपये बरामद कर लिए थे।
अरुणा लोगों को एक स्थान पर बेहोश पड़ी मिली।
तेजस्वी को विशेष अदालत में पेश किया जाने वाला था—उसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से प्रतापगढ़ आ गए—विशेष अदालत के चारों तरफ लाखों की भीड़ इकट्ठा हो गई—भीड़ इतनी उत्तेजित थी कि यदि तेजस्वी हाथ लग जाता तो पीटते-पीटते मार डालती—इस बात को पुलिस अच्छी तरह जानती थी—किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरा प्रबन्ध किया गया था—जबरदस्त सुरक्षा-व्यवस्था के बीच तेजस्वी को कचहरी लाया गया।
विशेष कोर्ट में पेश किया गया।
कोर्ट की कार्यवाही कचहरी के चारों तरफ मौजूद लाखों की भीड़ को सुनाई देती रहे, इसके लिए लाउडस्पीकर्स लगाए गए थे। यह प्रबन्ध तब किया गया जब व्यवस्थापकों को लगा कि यदि ऐसा न किया गया तो गुस्से और रोष से भरी भीड़ कोर्ट की कार्यवाही नहीं चलने देगी।
चारों तरफ से बंद अदालत कक्ष में सरकारी वकील द्वारा तेजस्वी को उसका बयान सुनवाया गया।
कटघरे में खड़ा तेजस्वी केवल मुस्कराता रहा।
सरकारी वकील के चुप होने पर न्यायाधीश द्वारा उससे पूछा गया—“क्या अपने इस बयान के बारे में तुम्हें कुछ कहना है मिस्टर तेजस्वी?”
तेजस्वी को मालूम था इस वक्त वह जो कहेगा, उसे दूर-दूर तक खड़े लाखों लोग सुनेंगे, अतः बोला—“केवल इतना ही कहूंगा योर ऑनर कि इस बयान में कहीं कोई सच्चाई नहीं है।”
सभी चौंक पड़े। खलबली मच गई।
“क्या मतलब?” न्यायाधीश ने पूछा—“क्या ये बयान तुमने नहीं दिए?”
“हमारे पास टेप है मी लार्ड।” सरकारी वकील चीख पड़ा।
“जरूर होगा!” तेजस्वी ने एक-एक शब्द पर जोर दिया—“मगर उसमें वह मजबूरी नहीं भरी गई जिसके कारण मुझे पुलिस के समक्ष यह बयान देना पड़ा।”
“क्या तुम्हें यह बयान देने के लिए पुलिस ने मजबूर किया था?” न्यायाधीश संभलकर बैठ गए।
“बयान मेरे मुंह से निकला जरूर है सर, लेकिन वास्तव में वह मेरा नहीं, पुलिस का बयान है, कमांडो फोर्स के मुखिया का बयान है—मुझे वही सब कहना पड़ा जो वे लोग चाहते थे।”
“वजह?”
“मेरे माता-पिता इनकी कैद में थे और इन्होंने धमकी दी थी कि अगर वह सब नहीं कहा जो टेप में भरा है तो उन्हें खत्म कर दिया जाएगा—ऐसी धमकी के बाद टॉर्चर-चेयर पर बैठा कोई भी शख्स इनकी बात मानने के अलावा कर भी क्या सकता था योर ऑनर?”
“ये आदमी झूठ बोल रहा है मी लॉर्ड!” सरकारी वकील दहाड़ उठा—“इस कोर्ट को, बल्कि सारे देश को बरगलाना चाहता है ये!”
“ये झूठ है!” तेजस्वी हलक फाड़कर चीखा—“सारे देश को बेवकूफ बनाने की कोशिश केन्द्रीय कमांडो दस्ते का चीफ ठक्कर कर रहा है—पुलिस कमिश्‍नर, डी.आई.जी., एस.एस.पी. स्पेशल गार्ड, हवलदार पांडुराम, एस.पी. देहात और सिटी कर रहे हैं।”
“यानि वे सबके सब झूठे हैं?” सरकारी वकील ने व्यंग्य किया—“और तुम अकेले सच्चे?”
“एक ही नाव पर सवार होने के कारण वे सब एक ही सुर में बोल रहे हैं योर ऑनर!”
“क्या मतलब?”
“चिरंजीव कुमार की हत्या के लिए ये सब बराबर के कुसूरवार हैं—अपनी गर्दनें बचाने के लिए ये बड़े अफसर गाज मुझ जैसे छोटे ओहदे वाले पुलिसिए पर गिराना चाहते हैं बल्कि गिरा चुके हैं, मगर मैं इनके षड्यंत्र को किसी हालत में कामयाब नहीं होने दूंगा—सारे देश के सामने उनके चेहरों पर पड़े नकाब नोंच लूंगा—मैं इन्हें नंगा कर दूंगा योर ऑनर—असल में मैं नहीं, ये लोग इस मुल्क की व्यवस्था के माथे पर लगे कोढ़ के धब्बे हैं।”
“कैसे?”
“खुद को दुनिया का सबसे बड़ा धुरंधर समझने वाले मिस्टर ठक्कर इस मामले में ऐसा धोखा खाए हैं कि अपनी गर्दन बचाने के लिए उनके पास पैंतरा बदलने के अलावा कोई चारा नहीं था—जो हुआ है, कृपया मुझे उसे संक्षेप में बताने की इजाजत दी जाए।”
“इस वक्त ये इजाजत नहीं दी जा सकती मी लॉर्ड।”
“देश के सामने सच्चाई आनी चाहिए योर आनर।”
न्यायाधीश ने गंभीर स्वर में कहा—“आप जो कहना चाहते हैं कहें मिस्टर तेजस्वी।”
“थैंक्यू सर!” कहने के बाद तेजस्वी ने गला खंखारा, बोला—“असल में हुआ ये योर ऑनर कि परसों रात करीब ढाई बजे मेरे फ्लैट पर ब्लैक फोर्स का एक आदमी आया—उसने मुझे विश्वास दिलाया कि मेरा पूरा परिवार ब्लैक स्टार के कब्जे में है और अगर मैं एक रिवॉल्वर फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर गुलाब के पौधे की जड़ में नहीं पहुंचाऊंगा तो मेरे परिवार को खत्म कर दिया जाएगा—दिल चाहा कि उस हरामजादे को वहीं शूट कर दूं, मगर अपने परिवार का अंजाम सोचकर वैसा नहीं कर सका—कुबूल करता हूं सर, उस वक्त मैं कमजोर पड़ गया था मगर घुटने नहीं टेके थे—सोचा, क्यों न कोई ऐसी चाल चली जाए जिससे अपने परिवार को बचा सकूं और चिरंजीव कुमार को भी—मैं उस शख्स के जाते ही, जिसने अपना नाम ‘व्हाइट स्टार’ बताया था, कमिश्‍नर साहब के बंगले पर पहुंचा—वहां ठक्कर साहब भी मौजूद थे—मैंने सारी सिच्युएशन उन्हें साफ-साफ बता दी—यह सुनने के बाद मुझे दंग रह जाना पड़ा कि वे दोनों मेरे साथ घटी घटना से पूर्वपरिचित थे—मैंने सूत्र पूछा—मिस्टर ठक्कर ने बताने से इंकार कर दिया—साथ ही एक योजना बनाई—मेरे परिवार और चिरंजीव कुमार को बचाने के साथ-साथ ‘ब्लैक स्टार’ और कथित ‘व्हाइट स्टार’ को गिरफ्तार करने की योजना—इनके उस अज्ञात सूत्र के मुताबिक उन दोनों को वहां आना था—ये बात तो खुद पुलिस कमिश्‍नर और दूसरे अफसर भी अदालत को बताएंगे सर कि हम सब तो केवल मोहरे थे—योजना भी ठक्कर साहब की थी और उसकी अगवानी भी वे ही कर रहे थे और फिर … फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर वह योजना इस कदर फ्लॉप हो गई कि चिरंजीव कुमार मारे गए—मेरे साथ-साथ उसी क्षण इनकी समझ में भी यह बात आ गई कि असल में हम सब ब्लैक-स्टार द्वारा मूर्ख बना दिए गए हैं—वह हमारा ध्यान कहीं और लटकाए रहा तथा हत्या दूसरे तरीके से कर दी—इन सब बड़े अफसरों को लगा कि ये सबके सब फंसेंगे—तब, उन्होंने मुझे बलि का बकरा बनाने की योजना बनाई।”
“तुम्हीं में क्या सुर्खाब के पंख लगे थे?” सरकारी वकील ने कहा—“किसी और को बलि का बकरा क्यों नहीं बना दिया उन्होंने?”
“क्योंकि मैं अकेला उनकी राह का कांटा था।”
“मतलब?”
“जीप में अपनी बेटी के न होने और चिरंजीव कुमार के साथ अपनी पत्नी के मरने की घटनाओं ने पलभर में मुझे समझा दिया कि ब्लैक स्टार ने शुभा को किस तरह मजबूर करके उससे यह घृणित काम कराया होगा—आपे से बाहर होकर मैं घटनास्थल पर ही चीख-चीखकर ठक्कर और कमिश्‍नर से कहने लगा कि असल में चिरंजीव कुमार और मेरी पत्नी की हत्या के जिम्मेवार वे लोग हैं—ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार को गिरफ्तार करने के लालच में फंसकर वे न कोई स्कीम बनाते, न ही चिरंजीव कुमार की इतनी वीभत्स मौत होती—मुझे यह सब बकता देखकर वे लोग घबरा गए—उन्हें लगा, मैं अपनी बेवकूफी से अपने साथ साथ सबको फांसी के फंदों पर पहुंचा दूंगा और तब … अफरा- तफरी के बीच उन लोगों ने मुझे दबोच लिया योर ऑनर—फार्म हाउस की इमारत के अंदर ले गए—एक कमरे में बंद कर दिया और कुछ देर यह ड्रामा स्टेज किया कि मैं गायब हूं—उसके बाद चिरंजीव कुमार की हत्या का षड्यंत्र रचने वाले के रूप में मेरा नाम प्रसारित कर दिया—फिर ये ड्रामा जैसे मुझे गिरफ्तार कर लिया गया हो—मुझे वहां से निकालकर गुप्त तरीके से टॉर्चर चेम्बर में ले जाया गया—वहां जब माता-पिता को मारने की धमकी के साथ यह कहा गया कि मैं खुद को व्हाइट स्टार और ब्लैक स्टार से मिलकर चिरंजीव कुमार की हत्या का षड्यंत्री कुबूल कर लूं तो भौंचक्का रह गया—तब तक वे लोग वह पूरी कहानी तैयार कर चुके थे जो कुछ देर पहले वकील साहब ने सुनाई—वे लोग जो चाहते थे वह सब कुछ मैंने यह सोचकर अपने मुंह से कह दिया कि अगर इस वक्त इनकी बात नहीं मानी तो माता-पिता के साथ मुझे भी मार डालेंगे और लोगों के सामने कभी हकीकत नहीं आ सकेगी—अब जब कि कोर्ट को मैंने हकीकत बता दी है योर ऑनर—मेरी और मेरे परिवार की हिफाजत की जाए।”
“अगर पुलिसियों की कहानी झूठी है तो उसे तुम्हारे फ्लैट से पचास लाख रुपये कैसे मिले?”
“रुपये इनके अपने हैं, मेरे फ्लैट से बरामद दिखाए गए।”
“और ये लैटर?” वकील ने ब्लैक स्टार का लैटर हवा में लहराया।
“अपनी झूठी कहानी को सच्चाई का जामा पहनाने की खातिर लैटर इन्होंने खुद तैयार किया है।” तेजस्वी कहता चला गया—“दरअसल ठक्कर का वह सूत्र कोई और नहीं बल्कि ब्लैक स्टार और व्हाइट स्टार के ट्रांसमीटर्स की फ्रीक्वेंसीज थी—मेरे शुरू से ही ब्लैक फोर्स से मिले होने की कहानी केवल इसलिए गढ़ी योर ऑनर ताकि प्रतापगढ़ के जो लोग मुझे बेहद प्यार करते हैं वे नफरत करने लगें।”
“और तुम्हारी बेटी को ब्लैक स्टार ने क्यों छोड़ दिया?”
“खुद कुबूल कर रहा हूं कि उसने यह काम शुभा से अरुणा को मारने की धमकी देकर कराया होगा—और अब जब उसका काम हो चुका है तो अरुणा को कैद रखकर या मारकर उसे क्या मिलना था?”
“यह शख्स झूठ का जाल फैलाकर सबको भरमाना चाहता है मी लॉर्ड।”
“यह तो विस्तृत छानबीन और बहस के बाद ही साबित हो सकेगा योर ऑनर कि देश को ठगने की कोशिश कौन कर रहा है—इस वक्त प्रतापगढ़ और देश की जनता को केवल इतना ही संदेश देना चाहूंगा कि मेरे ब्लैक स्टार से मिले होने और व्हाइट स्टार होने की कहानी एकदम झूठी, बकवास और बेबुनियाद है—चिरंजीव कुमार की हत्या में एक सुरक्षाकर्मी होने के नाते जितना दोष मेरा है, उससे कहीं ज्यादा मेरे अफसरों का है और मैं उन्हें गुनाहगार साबित करने के बाद ही दम लूंगा।”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:30 PM,
#77
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“मेरे जीवन का यह पहला केस है जिसमें दुश्मन सब कुछ कर गया जबकि मेरे द्वारा कुछ किया जाना तो दूर, भरपूर इच्छा और चेष्टाओं के बावजूद उसे रोक तक नहीं सका।” अफसोसनाक स्वर में ठक्कर कहता चला गया—“अगर अब भी कुछ न कर पाया तो परिणाम सारे देश को भुगतना होगा।”
कमिश्‍नर ने कहा—“क्या कहना चाहते हो?”
“चिरंजीव कुमार के मर्डर के बाद जिस ढंग से कुछ देर गायब रहने के उपरान्त तेजस्वी ने खुद को गिरफ्तार कराया—टॉर्चर चैम्बर में सब कुछ आसानी से स्वीकार करके अदालत में मुकरा और उसके बाद चुनाव लड़कर प्रदेश का चीफ मिनिस्टर बन बैठा—यह ढंग खुद-ब-खुद कह रहा है कि वह जो कुछ कर रहा है, किसी पूर्वनिर्धारित योजना के तहत कर रहा है—क्या आपको नहीं लगता कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ है?”
“लगता तो है लेकिन …।”
“लेकिन?”
“अब तेजस्वी इतना ‘ऊंचा’ पहुंच चुका है कि हम उसके बारे में ऐसी बातें तक नहीं कर सकते—हम लोग उसके समक्ष ‘मच्छर’ हैं जिसे जब जहां चाहे मसल सकता है।”
“कहना क्या चाहते हैं आप?”
“ऐसी अवस्था में उसके बारे में इस किस्म की बातें करने का लाभ ही क्या?”
“मैं कमिश्‍नर साहब से सहमत हूं।” डी.आई.जी. ने कहा—“जब जनता ही इतनी बेवकूफ है कि उस जैसे दो कौड़ी के आदमी को चीफ मिनिस्टर बना देती है—तो हम क्या कर सकते हैं—हम तो नौकर हैं उसके।”
“मेरे ख्याल से योजनाबद्ध तरीके से हुए इस काम का लक्ष्य यमनिस्तान की स्थापना है—अपने इस ख्याल से मैंने केन्द्र सरकार को भी अवगत करा दिया है और बेहद चिंतित हूं—मामले पर ढंग से जरा विचार कीजिए, आप लोग भी चिंतित हो उठेंगे—आज वह प्रदेश का मुखिया है—जनता द्वारा चुनी हुई विधानसभा में जो प्रस्ताव पारित करा दे वह कानून बन जाएगा—दो-तिहाई बहुमत के कारण कोई भी प्रस्ताव पास कराना उसके लिए चुटकी बजाने जितना आसान है—केन्द्र सरकार यह सोचकर चिंतित है कि कल अगर वह ब्लैक स्टार के इशारे पर विधानसभा में यह प्रस्ताव पास करा दे कि प्रदेश अब एक अलग देश है—केन्द्र सरकार से उसका कोई लेना-देना नहीं तो दुश्मन राष्ट्र उसे मान्यता देने के लिए तैयार बैठे हैं—ऐसी अवस्था में दुनिया की कोई ताकत यमनिस्तान के जन्म को नहीं रोक सकेगी।”
“मान लिया जाए ऐसा होने वाला है, तब भी हम लोग क्या कर सकते हैं?”
उत्तेजित पांडुराम गुर्रा उठा—“मैं कहता हूं साले को गोली मार देनी चाहिए।”
“तुम चुप रहो पांडुराम!” कमिश्‍नर ने डांटा—“उस घटना के बाद से हम लोग तुम्हें हर किस्म की मीटिंग्स में बैठाने लगे हैं, इसका मतलब ये नहीं कि सबकी शर्म लिहाज ताक पर रखकर जो मुंह में आए बकने लगो—क्या यह बकवास करते वक्त तुम्हें याद था कि तुम चीफ मिनिस्टर के बारे में बात कर रहे हो?”
पांडुराम सकपका गया।
ठक्कर बोला—“पांडुराम ने बात भले ही गलत तरीके से कही हो मगर प्रदेश सरकार की तरफ से देश पर जो खतरा मंडरा रहा है, उसे टालने के लिए हम सबके दिलों में ऐसा ही जुनून होना चाहिए।”
“मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं।” एस.एस.पी. ने कहा।
“पूछिए!”
“जिस कमांडो फोर्स के आप चीफ हैं उसका काम वी.आई.पी. की सुरक्षा करना है—चिरंजीव कुमार की मौत के बाद आप यहां से चले भी गए थे मगर फिर लौट आए—क्या हम जान सकते हैं कि अब आप यहां किस मकसद से आए हैं?”
“चिरंजीव कुमार का मर्डर और उसके हत्यारे का चीफ मिनिस्टर बन जाना ऐसी घटनाएं हैं जिन्होंने केन्द्र सरकार की नजरों में मेरे सम्पूर्ण कैरियर पर सवालिया निशान लगा दिए हैं और अगर वह हो गया जिसका मुझे डर है तो मैं अपने आपको कभी माफ नहीं कर सकूंगा—राष्ट्र का बंटना मेरी अयोग्यताओं का प्रतीक है—जब मेरी संभावनाएं सुनने के बाद केन्द्र सरकार चिंतित हुई तो जासूसों के पूरे दल को इस मिशन के साथ यहां भेजने पर विचार करने लगी कि अगर तेजस्वी सरकार ऐसा करने के बारे में सोच रही है तो समय रहते उसे विफल कर दिया जाए—तब रिक्वेस्ट करके मैंने यह मिशन हाथ में लिया—कहा, ‘तेजस्वी मेरी अयोग्यताओं के कारण आज चीफ मिनिस्टर बन बैठा है और अपनी हैसियत का लाभ उठाकर वह जो भी कुछ करेगा मेरी आत्मा उसके लिए मुझे उत्तरदायी ठहराएगी, इसलिए चाहता हूं इस मिशन पर मुझे भेजा जाए—बड़ी मुश्किल से प्रार्थना स्वीकार की गई।”
“अपने मिशन की कामयाबी हेतु आप हमसे क्या चाहते हैं?”
“अगर ब्लैक स्टार का खात्मा हो जाए तो …।”
एस.पी. देहात ने कहा—“सैकड़ों बार कोशिश हो चुकी है—कभी कुछ हाथ नहीं लगा—केवल एक ही तरीका है, जंगल पर बेशुमार बम बरसाए जाएं, उसकी इजाजत प्रदेश सरकार देगी क्यों?”
“हल ये भी नहीं है।” एस.पी. सिटी ने कहा—“इस तरह हम जंगल और वहां मौजूद ब्लैक फोर्स के लोगों को नष्ट कर सकते हैं मगर ब्लैक स्टार को नहीं—जब तक वह जीवित रहेगा तब तक ब्लैक स्टार को समूल नष्ट नहीं माना जा सकता।”
“मैं तुमसे सहमत हूं।” ठक्कर बोला—“जंगल और ब्लैक स्टार साथ-साथ ध्वस्त होना चाहिए।”
“और ब्लैक स्टार हमारे हाथ लगेगा नहीं।”
“कोई जाल बिछाना होगा—मुझे मिली इन्फॉरमेशन के मुताबिक ब्लैक स्टार इस वक्त जंगल में है—अगर एक बार वह चंगुल में फंस जाए तो जंगल पर बमबारी कराकर मैं उसके हैडक्वॉर्टर को तबाह कर दूंगा।”
“तेजस्वी वहां बमबारी का हुक्म क्यों देने लगा?”
“प्रदेश सरकार हुक्म नहीं देगी तो केन्द्र सरकार के आदेश पर ऐसा किया जाएगा।”
“अगर ऐसा हो सकता है तो हम लोग व्यर्थ ही विचार-विमर्श में वक्त बरबाद कर रहे हैं।” कमिश्‍नर ने कहा—“आपके मुताबिक ब्लैक स्टार भी इस वक्त जंगल में है, बमबारी में वह भी …।”
“ऐसा इसलिए नहीं करना चाहता क्योंकि पक्के तौर पर ब्लैक स्टार के मरने की पुष्टि नहीं हो पाएगी—वैसे भी, इस तरह से उसके मरने की संभावना कम है—ऐसा हमला होने पर उसने अपने बचाव का पूर्व प्रबन्ध अवश्य किया हुआ होगा—मैं ये चाहता हूं कि इधर ब्लैक स्टार चंगुल में फंसे, उधर जंगल को नष्ट कर दिया जाए।”
“ब्लैक स्टार तक पहुंचना सूरज पर कदम रखने जितना संभव है।”
एकाएक ठक्कर ने पांडुराम से पूछा—“क्यों पांडुराम, क्या तुम कोई रास्ता सुझा सकते हो?”
“नहीं साब, ब्लैक स्टार की इच्छा के बगैर उस तक कोई नहीं पहुंच सकता।” पांडुराम ने हड़बड़ाकर कहा।
ठक्कर ने पूछा—“थारूपल्ला का स्थान रंगनाथन ने ले लिया है न?”
“हां साब।” पांडुराम बोला—“तेजस्वी के चुनाव में उसने इतना काम किया कि खुश होकर मेजर बना दिया गया—आप जानते ही होंगे, झावेरी का पुल पुनः निर्मित हो चुका है—अब वह थारूपल्ला की तरह काली बस्ती में रहता है।”
“ट्रांसमीटर पर ब्लैक स्टार से बात भी कर सकता है?”
“मेजर को यह पावर होती है साब।”
“वह जंगल में जाकर ब्लैक स्टार से मिल भी सकता है?”
“केवल तब जब ब्लैक स्टार बुलाए।”
“सुना है प्रतापगढ़ में रंगनाथन की एक रखैल रहती है?”
“वो तो तभी से उसकी चेली है साब, जब रंगनाथन ने कच्ची शराब खींचने का धंधा शुरू किया था।”
“मगर उसके बारे में ब्लैक स्टार को कुछ नहीं मालूम।”
पांडुराम बोला—“इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है साब।”
“हमें है—वह अक्सर रात के अंधेरे में उससे मिलने आता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि उसकी इस हरकत की भनक ब्लैक स्टार को लगे—अगर हम होशियारी से काम लें तो इस ‘सिच्युएशन’ का लाभ उठा सकते हैं।”
“आप जो कहेंगे करने को तैयार हूं साब, बस यमनिस्तान नहीं बनना चाहिए, मगर मेरे ख्याल से आप गलत आदमियों के पीछे पड़े हैं—असली बदमाश साला तेजस्वी है, अपनी स्थिति का फायदा उठाकर वही तो यमनिस्तान की घोषणा …।”
“जड़ ब्लैक स्टार है पांडुराम—कल तेजस्वी न रहे तो वह अपने किसी दूसरे साथी को चीफ मिनिस्टर बनाकर विधेयक पास करा देगा क्योंकि दो-तिहाई विधायक दरअसल उसके हैं—जबकि ब्लैक स्टार न रहे तो तेजस्वी यमनिस्तान की घोषणा किसके लिए करेगा?”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
तेजस्वी हड़बड़ाकर उठा।
बाएं हाथ की तर्जनी में मौजूद मोटे नग वाली अंगूठी से निकलकर एक सुईं रह-रहकर अंगुली में चुभ रही थी—उसने मुख्यमंत्री हाउस के शानदार बैडरूम में एक निगाह दौड़ाने के बाद अंगूठी में मौजूद नन्हा-सा बटन दबाया।
मोटा नग हल्की-सी आवाज के साथ अलग हो गया।
अब अंगूठी से आवाज निकल रही थी—“हैलो … हैलो नंबर टेन रिपोर्टिंग सर!”
“वैरी गुड!” तेजस्वी की आंखें चमक उठीं—“इस वक्त वह कहां है?”
“हमारे अड्डे पर।”
“होश में या बेहोश?”
“बेहोश!”
“उसे होश नहीं आना चाहिए नंबर टेन—जैसे ही आने लगे, पुनः क्लोरोफार्म सुंघा देना—तुम लोगों की शक्ल तक न देख पाए वह—बहुत खतरनाक आदमी है, होश में आते ही गड़बड़ कर सकता है।”
“क्षमा करें, हमें तो वह जरा भी खतरनाक नहीं लगा।”
“इस भुलावे में मत रहना नंबर टेन।” तेजस्वी ने चेतावनी दी—“बेहोश ही रखना उसे—हम कल सुबह दस बजे प्रतापगढ़ पहुंच रहे हैं।”
“ओ.के. सर!”
“ओ.के.!” कहने के बाद जो उसने बटन दबाया तो अंगूठी का नग यथास्थान फिक्स नजर आने लगा—पहली बार उसने अपने बैड पर पड़ी सो रही नन्हीं अरुणा पर नजर डाली।
उसे इस तरह गोद में उठाया कि नींद न टूट पाए।
दरवाजा खोलकर गैलरी में आया—अंदर से बंद एक अन्य दरवाजे पर दस्तक दी।
“कौन है?” किसी नारी का स्वर उभरा।
“मैं हूं मम्मी, दरवाजा खोलो!” तेजस्वी ने धीमे स्वर में कहा।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला, उसकी मां ने पूछा—“क्या बात है बेटा?”
“इसे अपने पास सुला लो, मुझे इसी समय कहीं जाना है।”
“रात के इस वक्त?” मां ने बारह बजा रही घड़ी की तरफ देखते हुए पूछा—“कहां जाना है?”
“ओह मां, तुम बार-बार क्यों भूल जाती हो कि अब मैं इस प्रदेश का चीफ मिनिस्टर हूं—बहुत काम रहता है, सारा प्रदेश देखना है मुझे!”
“अच्छा ला!” मां ने दोनों हाथ फैला दिए।
अरुणा को मां के सुपुर्द करके तेजस्वी वापस अपने कमरे में आया—एक अलमारी खोली—एयर बैग निकाला—उसमें रखा सामान चैक किया—एयर बैग में एक काली पैंट, वैसी ही शर्ट—गोताखोरी का लिबास और प्लास्टिक की एक बहुत लम्बी नली में मौजूद डायनामाइट था—नली में डायनामाइट के बीच दो तार भी नजर आ रहे थे—बैग में एक रिमोट भी था।
संतुष्ट होने के बाद उसने एयर बैग बंद कर दिया।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:31 PM,
#78
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
बंद दरवाजे पर दस्तक हुई।
गुलजारा के पहलू में पड़ा रंगनाथन उछल पड़ा।
चौंकी गुलजारा भी थी परंतु उसके सांवले चेहरे पर घबराहट का कोई भाव न था जबकि रंगनाथन के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही थीं, फुसफुसाया—“जल्दी देख कौन है?”
गुलजारा हौले से खिलखिलाई—तीखे नाक-नक्श एवं बड़ी-बड़ी आंखों वाली गुलजारा देखने मात्र से ‘प्यासी’ नजर आती थी, बोली—“जब से तेरी तरक्की हुई है, पता नहीं तू इतना क्यों डरने लगा?”
“समझने की कोशिश कर, ब्लैक स्टार को मेरे यहां आने-जाने का पता लग गया तो …।”
वाक्य अधूरा रह गया।
दस्तक पुनः उभरी थी।
इस बार रंगनाथन ने उसे कोहनी मार कर देखने का इशारा किया—गुलजारा उठी, अस्त-व्यस्त कपड़े एवं बालों को दुरुस्त किया और आगे बढ़कर दरवाजा खोल दिया—वहां खड़े व्यक्ति के जिस्म पर मौजूद पुलिस की वर्दी को देखकर वह थोड़ी हड़बड़ा गई—“हवलदार, क्या बात है?”
“मुझे रंगनाथन से मिलना है, कह कि पांडुराम आया है।”
“र-रंगनाथन!” गुलजारा ने आह भरी—“अब वह निर्दयी यहां कहां आता है, जब से मेजर बना है …।”
“उड़ने की कोशिश मत कर।” पांडुराम ने ठीक वही रुख अपनाया जो ठक्कर ने समझाया था—“वह इस वक्त अंदर है—मैंने अपनी आंखों से उसे तेरे फ्लैट में घुसते देखा है।”
गुलजारा ने पुनः कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि अंदर से रंगनाथन की आवाज उभरी—“आने दे गुलजारा, आने दे—इतनी समझ तो तुझे होनी चाहिए कि मैं ब्लैक स्टार के भेदियों से डरता हूं, पुलिस के कुत्तों से नहीं।”
गुलजारा दरवाजे के बीच से हट गई।
पांडुराम ने अंदर कदम रखा।
सारे जिस्म को लिहाफ में छुपाए रंगनाथन उठा और पलंग की पुश्त से पीठ टिकाकर बैठ गया—उसका केवल चेहरा लिहाफ से बाहर था—पांडुराम समझ सकता था कि इस वक्त वह नंगा भी हो सकता है—उसे घूरते से रंगनाथन ने पूछा—“क्या बात है, तेरे पेट में क्या ‘ऐंठन’ हुई कि मुंह उठाये यहां चला आया?”
“ये लिफाफा ब्लैक स्टार के पास पहुंचाना है।” पांडुराम ने जेब से एक लिफाफा निकाल लिया।
“क्या है इसमें?”
“एक ऐसी जानकारी जो यदि फौरन उनके पास न पहुंची तो उनके जीवन का वह सबसे बड़ा काम बिगड़ जाएगा जिसे वे तेजस्वी के जरिए पूरा करने का मंसूबा बनाए हुए हैं।”
“क्या बक रहा है, मेरी समझ में कुछ नहीं आया।”
“मुझे मालूम था तेरी समझ में नहीं आएगा।”
“फिर …।”
“वे शब्द बोलना जो मैंने कहे हैं—वे समझ जाएंगे—जो कसर रह जाएगी उसे यह लिफाफा पूरी कर देगा—लिफाफा देखने के बाद शायद वे तुझसे कहें ‘पांडुराम को पकड़कर मेरे पास लाओ’ यह सुनकर तू डरना नहीं, उन्हें नहीं बताना कि ये मैंने तुझे यहां दिया था।” कहने के बाद पांडुराम लिफाफे को पलंग पर डालकर मुड़ा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
“ठहर!” रंगनाथन गुर्राया।
वह ठिठका, मुड़ा।
“तुझे कैसे पता लगा मैं यहां मिलूंगा?”
“पुरानी शराब को भला कोई छोड़ता है?” ये शब्द पांडुराम ने गुलजारा की तरफ देखकर कुछ ऐसे अंदाज में कहे कि गुलजारा खिलखिलाकर हंस पड़ी जबकि रंगनाथन गुर्राया—“तूने यह कैसे सोच लिया कि ब्लैक स्टार तेरे जैसे दो कौड़ी के हवलदार से मिलेंगे?”
“आदमी की अहमियत उसके ओहदे से नहीं बल्कि मुट्ठी में कैद जानकारी से होती है—यह लिफाफा उन्हें संकेत दे देगा कि मेरे पास उनके जबरदस्त फायदे की जानकारी है—तब शायद वे मिलना चाहें और हां, लिफाफे को खोलने की कोशिश मत करना—शायद उन्हें तेरी यह गुस्ताखी पसंद न आए।” कहने के बाद वह मुड़ा और बाहर निकल गया।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
तेजस्वी के जिस्म पर इस वक्त काली पैंट, काली शर्ट, काले जूते और सबके ऊपर गोताखोरी का लिबास था—पीठ पर ऑक्सीजन-सिलेण्डर नजर आ रहा था और उससे जुड़े पाइप का सिरा नाक एवं मुंह पर।
पानी से भरी सुरंग में वह ठीक वहां तैर रहा था जहां से विचित्र कार को कुंदे में फंसाकर ऊपर उठाया गया था—उसके सिर पर मौजूद हैट में एक शक्तिशाली टॉर्च फिक्स थी।
टॉर्च की रोशनी उसके सिर के साथ घूमकर आंखों के सामने फैल जाती।
हर तरफ से नि‌िश्‍चंत वह टेप की मदद से डायनामाइट से भरी प्लास्टिक की नली को उस दीवार पर चिपकाने में मग्न था जिसके दूसरी तरफ उसके हिसाब से जीना और वह सुरंग थी जहां ‘मारुति एक हजार’ खड़ी थी।
उसे एक घंटा लगा।
दीवार पर डायनामाइटयुक्त नली का जाल-सा बना नजर आने लगा—सारी गुफा में तैर-तैरकर उसने हर कोण से ‘जाल’ को देखा—संतुष्ट होने के बाद एयर बैग संभाला और वापसी हेतु गुफा में तैर गया।
शीघ्र ही नदी में पहुंचा।
नदी पार की।
झाड़ियों में छिपी एक ऐसी कार में कपड़े चेंज किए जिसमें मुख्यमंत्री के होने की कल्पना तक कोई नहीं कर सकता था—गोताखोरी का लिबास आदि नदी के हवाले करने के बाद जब वह वहां से चला तो कार के डैश बोर्ड पर फिक्स घड़ी रात के तीन बजने का ऐलान कर रही थी।
तेजस्वी बाकायदा होंठों को सिकोड़कर सीटी बजाने लगा।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
“ऐसा आपने उसमें क्या लिख दिया है सर, जो बार-बार इतने विश्वास के साथ कहे जा रहे हैं कि एक बार वह लिफाफा ब्लैक स्टार तक पहुंच जाए और उसमें रखे पत्र को पढ़ ले—उसके बाद वह खुद मुझसे मिलने के लिए बेचैन हो उठेगा?”
“हमने उसमें तुम्हारे नाम से एक छोटा-सा पत्र लिखकर रखा है।”
“कैसा पत्र?”
“लिखा है—केन्द्र सरकार यमनिस्तान की घोषणा होने से पहले तेजस्वी को कत्ल करने की योजना बना चुकी है—ठक्कर के नेतृत्व में पूरा एक दल इस मिशन पर प्रदेश में आ चुका है—मुझे उनकी योजना और ठिकाने की मुकम्मल जानकारी है और मैं इस जानकारी को बेचकर हमेशा के लिए यह देश छोड़ देने का ख्वाहिशमंद हूं।”
“इसमें ऐसा क्या है जिसे पढ़ते ही ब्लैक स्टार …!”
“यह बात मुझे किसी व्यक्ति ने नहीं बल्कि मेरे अनुभव ने बताई है कि ब्लैक स्टार और तेजस्वी मिलकर इस प्रदेश को देश से अलग करने के षड्यंत्र पर काम कर रहे हैं—अगर मेरा अनुमान ठीक है तो ये बात भी पक्की है कि उनके इस षड्यंत्र के बारे में किसी तीसरे व्यक्ति को कोई भनक नहीं होगी, इस अवस्था में जब वह तुम्हारे पत्र के जरिए यह जानेगा कि तुम प्लान के बारे में जानते हो तो यह जानने के लिए पागल हो उठेगा कि इस रहस्य को तुम जानते कैसे हो? लिहाजा तुम्हें बुलाएगा।”
“अगर आपका अनुमान गलत हुआ?” पांडुराम ने पूछा—“यानी उसके और तेजस्वी के बीच प्रदेश को अलग करने के स्थान पर कोई दूसरी खिचड़ी पक रही हुई तो?”
“हालांकि अनुमान गलत होने की उम्मीद न के बराबर है—केवल डिस्कशन के लिए मान लेते हैं कि ऐसा है—तब पत्र को पढ़कर उसके दिमाग में यह बात आएगी कि पुलिस कोई षड्यंत्र रचना चाहती है—षड्यंत्र क्या है, यह जानने के लिए उसे तुमसे मिलने की जरूरत पड़ेगी।”
“यानि दोनों स्थितियों में मुझे रंगनाथन के साथ जंगल में जाना होगा?”
“शायद!”
“मगर उससे होगा क्या, जंगल में जाकर भी मैं उसका क्या बिगाड़ पाऊंगा?”
ठक्कर ने जवाब नहीं दिया—ध्यान से पांडुराम के चेहरे को केवल देखता रहा—जैसे जांच रहा हो कि जो काम वह इस शख्स से लेना चाहता है उसे करने के लिए तैयार भी होगा या नहीं?
“ऐसे क्या देख रहे हो साब?” पांडुराम थोड़ा सकपका गया।
“सोच रहा हूं तुम ये काम कर पाओगे या नहीं?”
“कौन-सा काम साब?”
“ब्लैक स्टार को खत्म करने का।”
“यही तो पूछ रहा था, वहां मैं क्या कर पाऊंगा?”
ठक्कर ने एक-एक शब्द पर जोर देते हुए कहा—“जिस तरीके से चिरंजीव कुमार की हत्या की गई थी, उससे मुझे यह इल्म हुआ कि अगर आदमी का बच्चा खुद मरने के लिए तैयार हो जाए तो कहीं भी कुछ भी कर सकता है।”
“क-क्या कहना चाहते हो साब?” पांडुराम की आवाज में हल्का सा कम्पन्न उत्पन्न हो गया।
“मीटिंग के दरम्यान मैंने तुम्हारे अंदर देश के प्रति जो ललक देखी, वह वही थी जो कभी देशराज में महसूस की थी—देश को तोड़ने वालों को खत्म करने का हमने तुम्हारे अंदर एक जुनून देखा था—कहा भी था कि सबके दिलों में ऐसा ही जुनून होना चाहिए—यह सब देखने के बाद मैंने तुम्हें अपने साथ इस मिशन में लगाने का फैसला किया था।”
“ल-लेकिन क्या जरूरी है कि खुद मरकर भी ब्लैक स्टार को मारा जा सके?”
ठक्कर ने अपनी पैंट खोली—पैंट पर बंधी एक चौड़ी बैल्ट की तरफ इशारा करके बोला—“यह ठीक वैसी बैल्ट है जैसी के बूते पर तेजस्वी की बीवी ने फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर वह विस्फोट किया जिसने इस देश से उसका बेटा छीन लिया—बैल्ट के पीछे लगा एक बटन दबाने मात्र से ऐसा धमाका होगा जो पांच फुट की परिधि में मौजूद हर शख्स के परखच्चे उड़ा देगा।”
“ओह!” पांडुराम के हलक से केवल यही एक शब्द निकल सका।
“मैं तुम्हारे चेहरे पर छा गये पीलेपन को देख सकता हूं पांडुराम।” उसे ध्यान से देख रहे ठक्कर ने कहा—“ठीक भी है दोस्त, हर कोई देशराज की तरह मरने के लिए तैयार नहीं हो सकता है—एक दूसरा काम तो कर सकते हो तुम?”
“क्या?”
“जब ब्लैक स्टार पूछे कि जो कुछ तुमने पत्र में लिखा है वह कहां से पता लगा तो कह देना ‘गोंजालो’ से।”
“कौन गोंजालो?”
“वह मैं होऊंगा।”
“समझा नहीं साब!”
ठक्कर ने जेब से एक फेसमास्क निकाला, उसे दिखाता हुआ बोला—“जिस तरह नंबर फाइव लुक्का बना हुआ था, उसी तरह मैं गोंजालो बनूंगा—जब वह गोंजालो का पता पूछे तो तुम उसे एक एड्रेस बता देना—कहना, तुम्हें इससे ज्यादा कुछ नहीं मालूम कि वह फलां जगह रहता है।”
“उसके बाद क्या होगा?”
“रहस्य की तह तक पहुंचने के लिए वह मुझे किडनेप कराकर जंगल में मंगाने के लिए मजबूर हो जाएगा।”
“उसके बाद?”
“उसे नजदीक पाते ही मैं बैल्ट के पीछे लगा बटन दबा दूंगा।”
“नहीं साब!” पांडुराम भावुक हो उठा—“आपकी जान बहुत कीमती है, उस राष्ट्रद्रोही को खत्म करने के लिए इतनी कीमती जान की आहुति नहीं दी जानी चाहिए।”
“देश से ज्यादा कीमती किसी की जान नहीं होती पांडुराम—अगर वह मुल्क के टुकड़े करने में कामयाब हो गया तो मेरे जैसे लाखों लोगों की कीमती जानों को देश क्या रखकर चाटेगा?”
“मैं ऐसा हरगिज नहीं होने दूंगा।”
“क्या मतलब?”
“बैल्ट मुझे दीजिए साब, ये आपके नहीं मुझ जैसे छोटे आदमी के पेट पर ज्यादा जंचेगी।”
“प-पांडुराम!” ठक्कर जैसे शख्स की आवाज कांप गई।
मगर पांडुराम की आवाज बिल्कुल नहीं कांप रही थी, कहता चला गया वह—“ये हवलदार आपसे वादा करता है साब, अपनी मौत के खौफ से जरा भी नहीं डरूंगा—चीचड़ी की तरह उस हरामी के जिस्म से चिपटकर बटन दबा दूंगा—बस, आपसे एक इल्तिजा है—मेरी पत्नी से कहना, पांडुराम देश के लिए ज्यादा-से-ज्यादा जो कुछ कर सकता था, कर गया—यह सुनकर उसने मुझे बहुत धिक्कारा था कि मैं खौफ के कारण ब्लैक फोर्स के लिए काम करता था।”
ठक्कर उसके भीतर छुपे जुनून को साफ देख रहा था।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply
12-31-2020, 12:31 PM,
#79
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
समूचे प्रतापगढ़ में हंगामे का माहौल था।
होता भी क्यों नहीं?
चीफ मिनिस्टर को आना था आज यहां—हालांकि प्रदेश की राजधानी ज्यादा दूर नहीं थी—कार द्वारा केवल डेढ़ घंटे में आया जा सकता था मगर मुख्यमंत्री हैलीकॉप्टर से आ रहे थे।
वह मुख्यमंत्री ही क्या हुए जो गाड़ी से आएं?
एक स्कूल के मैदान में हैलीपैड बनवाया गया था—वहां से खुली जीप से प्रतापगढ़ घूमना था उन्हें—चीफ मिनिस्टर बनने के बाद पहली बार आ रहे थे—प्रतापगढ़ की जनता को धन्यवाद देना था।
जनता में लगभग वैसा ही उत्साह था जैसा करीब चार महीने पूर्व चिरंजीव कुमार के लिए देखा गया था—कमिश्‍नर शांडियाल सहित पुलिस चकरघिन्नी बनी घूम रही थी—हैलीपैड पर और जिन रास्तों से उसे गुजरना था उन पर जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
ठीक सात बजे हैलीकॉप्टर ने लैंड किया।
तेजस्वी की जय-जयकार से संपूर्ण दिशाएं गूंज उठीं।
गगन थर्रा उठा।
पुलिस वाले दौड़-दौड़कर अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे थे—सड़कों के दोनों तरफ मौजूद भीड़ में वैसा ही जुनून था जैसा मुख्यमंत्री के अपने क्षेत्र में आने पर होता है—खादी के सफेद कुर्ते-पजामे में सांवला तेजस्वी चिरंजीव कुमार के बराबर भले ही न जंच रहा हो मगर बुरा भी नहीं लग रहा था—मालाओं से लदा-फदा वह सर्किट हाउस पहुंचा—कार्यकर्ताओं से मिला और पुनः जुलूस चालू हो गया। ठीक दस बजे जहां उसका ब्रेकफास्ट रखा गया था, वहां के बारे में खुद तेजस्वी ने अपने सैक्रेटरी से कहा था—“वह हमारे बचपन के दोस्त का घर है, अतः ब्रेकफास्ट पूरी तरह व्यक्तिगत होगा—कोठी में हमारे और हमारे बचपन के दोस्त के अलावा कोई नहीं होना चाहिए।”
“ऐसा ही होगा सर।” सैक्रेटरी ने सम्मानपूर्वक कहा था।
वह बेचारा क्या जानता था कि चीफ मिनिस्टर साहब का प्रतापगढ़ आने का असल मकसद ही वहां जाना था—प्रतापगढ़ का दौरा करना या जनता का धन्यवाद करना तो बहाना मात्र थे।
वहां उसे नंबर टेन मिलना था।
वही हुआ।
सैक्रेटरी ने पुलिस को निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री साहब जहां ब्रेकफास्ट लेंगे वहां उस सहित किसी को भी अंदर नहीं जाने देना है—पुलिस भी इमारत के बाहर ही रहेगी—लिहाजा तेजस्वी के अलावा चिड़िया का बच्चा तक कोठी में न घुस सका।
कोठी में दाखिल होते तेजस्वी ने पूछा—“तुम्हारे अलावा और कौन है यहां?”
“केवल ‘वही’—वह भी बेहोश!” नंबर टेन ने बताया।
“तुम्हारे साथी?”
“आपका हुक्म होते ही मैंने सबको टरका दिया।”
“गुड … किधर है वह?”
“उस कमरे में साहब।” कहने के साथ वह गैलरी की तरफ लपका—कोठी के बाहर मौजूद पब्लिक के शोर की आवाज वहां तक साफ आ रही थी, तेजस्वी ने कहा भी—“पब्लिक साली बहुत शोर मचा रही है।”
“कमरा साऊंड प्रूफ है सर।”
“वैरी गुड, काफी समझदार हो तुम।” तेजस्वी सचमुच खुश नजर आया।
नंबर टेन उसे जिस कमरे में ले गया, उसका दरवाजा बंद होते ही तेजस्वी के जहन को सुकून मिला—अब बाहर की कोई आवाज उसके कानों तक नहीं पहुंच रही थी—कमरे में ए.सी. चल रहा था।
एक बेहद चमकदार सनमाइका वाली मेज के इस तरफ रखी कुर्सी पर रस्सी की मदद से एक आदमी बंधा हुआ था—बेहोश होने के कारण उसकी गर्दन एक तरफ को झूल रही थी—इस वक्त वे दोनों कुर्सी के पीछे की ओर थे—ठीक सामने, मेज के पार एक ऊंची पुश्त वाली चमकदार चमड़ा मंढ़ी रिवॉल्विंग चेयर रखी थी, नंबर टेन ने उसकी तरफ इशारा करके अदब से कहा—“बैठिये सर!”
“तुमने ब्रेकफास्ट का इंतजाम बढ़िया किया है।” तेजस्वी मेज की तरफ बढ़ा।
नंबर टेन ने केवल इतना कहा—“थैंक्यू सर!”
“इसे होश में लाओ।” रिवॉल्विंग चेयर पर बैठने के साथ तेजस्वी ने अपनी आंखें कुर्सी पर पड़े बेहोश व्यक्ति के चेहरे पर जमा दीं—इस वक्त उसकी आंखों में वह चमक थी जो इंसान की आंखों में केवल तब उभरती है जब उसने अपने संपूर्ण जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम करने में सफलता अर्जित कर ली हो।
उधर, नंबर टेन ने उसका हुक्म होते ही जेब से एक शीशी निकालकर बेहोश व्यक्ति की नाक के नजदीक लहरानी शुरू कर दी—दो मिनट बाद वह कराहने लगा, नंबर टेन ने शीशी हटाने के साथ कहा—“होश आ रहा है सर।”
“अब तुम जाओ, यहां कोई नहीं आना चाहिए।”
“ओ.के. सर … और हां, मेज की दाईं दराज में सबसे ऊपर एक रिमोट पड़ा है—चाहें तो उसकी मदद से यहीं बैठे-बैठे दरवाजा लॉक कर सकते हैं, उसके बाद केवल रिमोट से ही खुलेगा।”
“हम तुम्हें तुम्हारी समझदारियों का इनाम जरूर देंगे।” तेजस्वी मुस्कराया।
“आपका सेवक हूं सर!” अदब से कहने के बाद वह बाहर चला गया।
कुर्सी पर बंधे व्यक्ति की पलकें कांपने लगी थीं, तेजस्वी ने दराज खोली—रिमोट के साथ उसमें एक रिवॉल्वर मौजूद था, हल्की मुस्कान के साथ तेजस्वी ने रिमोट का बटन दबाकर दरवाजा लॉक कर दिया और होश में आते शख्स को देखने लगा।
कुछ देर बाद वह शख्स मिचमिचाती आंखों से सामने बैठे तेजस्वी को देखता रहा और जब विश्वास हो गया कि वह ख्वाब नहीं देख रहा है तो बुरी तरह चौंके हुए स्वर में कह उठा—“अ-आप … इंस्पेक्टर साहब?”
“इंस्पेक्टर नहीं, चीफ मिनिस्टर!” तेजस्वी हौले से हंसा—“मुख्यमंत्री!”
“हां-हां, मुझे मालूम हुआ कि अब आप इस राज्य के मुख्यमंत्री बन गए हैं।” उसने हड़बड़ाकर कहा—“क-कमाल कर दिया आपने—इतनी जल्दी इतनी तरक्की करते मैंने किसी को नहीं देखा मगर …।”
“मगर?” तेजस्वी की मुस्कराहट गहरी होती चली गई।
“य-ये क्या चक्कर है—आपने मुझे यहां इस तरह क्यों बुलवाया और कुर्सी के साथ बांधा हुआ क्यों है? मेरे ख्याल से तो मैंने कोई गलती नहीं की साहब—आपने कहा था कि प्रतापगढ़ से चुपचाप फरार होकर सीधा फिल्म नगरी चला जाऊं—वही मैंने किया था, पलटकर एक बार भी प्रतापगढ़ की तरफ नहीं देखा।”
“झूठ बोल रहे हो, अगर प्रतापगढ़ न आए होते तो यहां … इस अवस्था में क्यों होते?”
“र-रात ही तो फिल्म नगरी से यहां आया था मगर कोठी के बाहर कुछ लोगों ने हमला किया—अंधेरे के कारण यह भी न देख सका कि वे थे कौन—वैसे भी, जाने कैसे मैं बेहोश होता चला गया—होश में आया तो यहां आपके सामने हूं—लगता है वे आपके आदमी थे—आपने यह तो नहीं कहा था साहब कि फिल्म नगरी से लौटकर कभी प्रतापगढ़ आऊं ही नहीं—अगर आपकी यही इच्छा थी और है तो इस बार छोड़ दीजिए—मैं प्रतापगढ़ की तरफ मुंह तक करके नहीं साऊंगा।”
“क्या तुम्हें थाने से निकलने और फिल्म नगरी पहुंचने के बीच कोई ऐसा शख्स मिला था जिसे तुमने थाने में मेरे और अपने बीच हुई बातें बताई हों?”
“नहीं साहब, कसम खाकर कहता हूं मैंने कभी किसी को कुछ नहीं बताया—कोई नहीं मिला मुझे, किसी ने पूछा ही नहीं तो बताता क्यों?”
“याद करो इकबाल, तुमने निश्चित रूप से किसी को कुछ बताया था।”
“क्या बात कर रहे हैं साहब—किसी से कुछ नहीं कहा मैंने।”
“तो जो बातें केवल मेरे और तुम्हारे बीच हुई थीं, जिस बारे में मैंने उस वक्त थाने में मौजूद पांडुराम तक को नहीं बताया, वे बातें किसी और को कैसे पता लग गईं ?”
“किसे पता लग गईं साहब?”
“ब्लैक स्टार को।”
“ब-ब्लैक स्टार?” इकबाल हकला उठा।
हैरत की ज्यादती के कारण मुंह खुला-का-खुला रह गया उसका।
चेहरे पर खौफ नाचने लगा था।
बहुत ही गहरी मुस्कराहट के साथ तेजस्वी ने कहा—“अब जाकर तुम्हें एहसास हुआ है कि क्या गलती कर चुके हो—इकबाल के रूप में बार-बार कह रहे हो कि वे बातें तुम मुझे बता चुके हो, समझदार से समझदार आदमी गलतियां करता है मिस्टर ब्लैक स्टार, जरूरत होती है उन्हें पकड़ने वाले की—यह गलती तुम उसी वक्त कर बैठे थे जब थारूपल्ला के कमरे में लगे ट्रांसमीटर पर मैं तुमसे बातें कर रहा था—उस वक्त मुझ पर अपनी जानकारी का रौब गालिब करने के फेर में तुम वह कह बैठे जो मेरे और इकबाल के अलावा किसी को पता ही न था—बात मैंने उसी वक्त पकड़ ली थी—शक हो गया था कि तुम यानि ब्लैक स्टार इकबाल के अलावा कोई नहीं है और विश्वास जंगल में हुई तुमसे पहली भेंट होते ही हो गया—तुमने फेसमास्क पहना हुआ था—हेयर स्टाइल बदली हुई थी—विचित्र कॉन्टैक्ट लैंस लगाकर अपनी आंखें विचित्र बना रखी थीं—चाल-ढाल और आवाज तक बदले हुए थे मगर गर्दन पर ठीक सामने मौजूद तिल की तरफ तुम्हारा ध्यान नहीं गया—इस तिल ने मुझे बता दिया कि तुम इकबाल हो।”
“ऐसा था तो इस रहस्य को छुपाए क्यों रहे?”
“उन परिस्थितियों में यह सब कहके मरना था क्या?”
अब इकबाल के चेहरे पर हल्की-सी कठोरता उभर आई—हलक से गुर्राहट निकली—“अगर तुम हमारा रहस्य जानते थे तो इस हरकत का क्या मतलब है?”
“मतलब तो अब तक आपकी समझ में जा जाना चाहिए था।”
“यानि?”
“नहीं, इतनी जल्दी क्लाइमैक्स पर आना बेहतर नहीं होगा।” बड़े व्यंग्यात्मक लहजे में कहने के बाद तेजस्वी ने कुर्ते की जेब से लाइटर-पैकिट निकाले—सिगरेट सुलगाई और अपनी आदत के मुताबिक जोरदार कश लेने के बाद गाढ़ा धुआं उगलता हुआ बोला—“जब तुमने मुझे ट्रिपल जैड का मर्डर करते पकड़ा था तब काफी रहस्य खोले थे—एकाध रहस्य तो मैं भी खोल ही दूं—अपने भाई यानि असलम की मौत का समाचार पाकर जब तुम ‘श्रीगंगा’ से प्रतापगढ़ आए तो अपनी भाभी यानी सलमा को दयाचन्द की मुहब्बत के जाल में फंसी देखकर भुनभुना उठे मगर क्योंकि इकबाल के रूप में ऐसा कुछ नहीं करना चाहते थे जिससे लोगों की दृष्टि तुम पर ठहरे इसलिए एक साधारण व्यक्ति के रूप में थारूपल्ला से सौदा किया—जब तुमने देखा कि देशराज ने गोविन्दा को फंसाकर सारा गुड़ गोबर कर दिया है तो तुरंत ब्लैक स्टार के रूप में फोन करके उसे सही लाइन पर लगा दिया।”
“पिछली बातों को दोहराने से कोई लाभ नहीं तेजस्वी।” इस बार इकबाल के हलक से ब्लैक स्टार वाली आवाज निकली—“अपनी इस ताजी हरकत का मतलब बताओ हमें।”
“मतलब इतना सीधा और साफ है कि मुझे बार-बार तुम्हारे सवाल करने पर तरस आ रहा है—मरे ही जा रहे हो तो सुनो, अब मुझे तुम्हारे द्वारा इस दुनिया से और ज्यादा ऑक्सीजन खींचे जाना पसंद नहीं अर्थात तुम्हारा अंतिम समय आ पहुंचा है। तुम्हें खलास करने के मेरे पास दो तरीके थे—पहला, यह कि ब्लैक फोर्स के मरजीवड़ों पर किसी तरह यह रहस्य खोल देना कि यमनिस्तान के नाम पर यमन युवकों की भावनाओं को भड़काने वाले तुम खुद यमन नहीं हो, बल्कि किसी अन्य देश के इशारे पर यमन बनकर सम्पूर्ण जाति का खून बहा रहे हो—यह रहस्य जानने के बाद शायद वह युवक खुद ही तुम्हें नोच-नोचकर खा जाते—दूसरा तरीका ये था जो अपनाया, यानि अपने आदमी तुम्हारी प्रतापगढ़ वाली आलीशान कोठी के चारों तरफ इस आदेश के साथ लगाकर कि तुम्हें आते ही दबोच लें—मुझे मालूम था तुम वहां पहुंचोगे क्योंकि एकाध दिन बाद असलम मर्डर केस का फैसला होने वाला है—मैंने अपने आदमियों को निर्देश दिया कि वे तुम्हें संभलने का मौका न दें, बेहोश रखें—बहुत खतरनाक आदमी हो—वे कह रहे थे तुम उन्हें जरा भी खतरनाक न लगे—वे बेचारे क्या जानें, तुम केवल इकबाल के रूप में साधारण व्यक्ति बनकर प्रतापगढ़ की सड़कों पर उतरते हो—खैर, दूसरा तरीका मैंने इसलिए अपनाया क्योंकि इसके तहत मेरी और तुम्हारी यह मुलाकात होनी थी—वह तो अच्छा न होता कि यमन युवकों के हाथों से तुम मर भी जाते और यह भी न जान पाते कि उन पर तुम्हारा भेद खोलने का महान काम किया किसने है?”
“यानि वही हुआ जिसकी हमने शंका व्यक्त की थी?”
“कौन-सी शंका?”
“सत्ता का नशा सवार हो गया है तुम पर, हमसे हुए सौदे को निभाना नहीं चाहते?”
“हालांकि मैंने बार-बार कहा—तुम्हारे सामने ट्रिपल जैड से भी कहा था कि तेजस्वी किसी की गुलामी करने के लिए नहीं बल्कि सबको अपना गुलाम बनाने के लिए पैदा हुआ है—इसके बावजूद अगर तुमने मुझे अपना गुलाम बनाने की बेवकूफाना चेष्टा की तो इसमें मेरा क्या दोष है—तुमसे हुई पहली भेंट पर ही मैंने अपने दिमाग में तुम्हारा अंजाम फिक्स कर लिया था—दरअसल तेजस्वी को वह शख्स दुनिया में कुबूल ही नहीं जो उस पर हुकूमत करने के बारे में विचार तक करे—मैं हुकूमत करने के लिए पैदा हुआ हूं, कर रहा हूं और करूंगा—रहा सत्ता के नशे का सवाल … तो ये बात भी किसी हद तक सही है—जहां पहुंचा हूं, यहां पहुंचने के बाद मुझे लगता है, बाकी सारे लक्ष्य बहुत बौने हैं।”
एकाएक इकबाल ने बड़ा ही अजीब सवाल पूछा—“क्या तुम्हें हमारे चेहरे पर कहीं मौत का खौफ नजर आ रहा है?”
“नहीं!” तेजस्वी ने कहा—“वाकई नहीं, सच्चाई ये है कि यह देखकर मैं खुद हैरान हूं—निःसंदेह तुम जीदार हो—मौत को सामने देखकर भी जिसके चेहरे पर शिकन न उभरे, ऐसे बिरले दुनिया में देखने को कम मिलते हैं।”
“कारण नहीं जानना चाहोगे?”
“बता दो।”
“मेरी मौत के बाद तुम ज्यादा दिन तक यह सुख नहीं भोग पाओगे।”
“वह कैसे?”
“जिस शख्स को मेरे बाद ब्लैक स्टार की छवि संभालनी है उसे हमारे बीच हुए सौदे की पूरी जानकारी है—जब एक तरफ वह मुझे रहस्यमय तरीके से गायब पाएगा, दूसरी तरफ तुम यमनिस्तान की घोषणा नहीं करोगे तो उसकी समझ में सारा मामला आ जाएगा—और तब वह जो कुछ करेगा वह उससे कई गुना ज्यादा खतरनाक होगा जो इस वक्त मैं अपने मुक्त होने पर कर सकता हूं।”
“तुम फिर गच्चा खा गए मिस्टर ब्लैक स्टार—फिर ये भूल गए कि तेजस्वी न कच्चे कदम उठाता है न अधूरे काम करता है—ये देखो, मेरी जेब में ये रिमोट है।” कहने के साथ उसने जेब से रिमोट निकालकर उसे दिखाया, बोला—“इसका ये लाल वाला बटन दबाते ही नदी से शुरू हुई गुफा की वह दीवार मुकम्मल तौर पर ध्वस्त हो जाएगी जिसके दूसरी तरफ जंगल का बेसमेंट है—खुदा का बच्चा भी जंगल के नीचे तुम्हारे द्वारा बनाई गई आलीशान दुनिया को नदी के पानी में डूबने से नहीं बचा सकेगा—ब्लैक फोर्स का एक भी मरजीवड़ा नहीं बचेगा दोस्त, तुम्हारा उत्तराधिकारी भी वहीं डूबकर मर जाएगा।”
“त-तुम बकवास कर रहे हो।” इकबाल के चेहरे पर पहली बार बौखलाहट के चिन्ह उभरे।
तेजस्वी उसे इस अवस्था में देखकर आनंदित हो उठा, बोला—“जैसे ही इधर से मेरे आदमियों ने तुम्हारे चंगुल में फंस जाने की सूचना दी—मैं खुद … चीफ मिनिस्टर होने के बावजूद, मैं खुद साधारण व्यक्ति की तरह कार लेकर राजधानी से प्रतापगढ़ आ
Reply
12-31-2020, 12:31 PM,
#80
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
इकबाल के चेहरे पर मौत का खौफ स्पष्ट नजर आने लगा—हकीकत ये है कि उसके मुंह से बोल न फूट पा रहा था—जबकि तेजस्वी ने दराज खोली—रिवॉल्वर उठाया, नाल पर लगे साइलैंसर को घूरा और बोला—“अब तुम्हारे चेहरे पर मैं मौत के खौफ को बाकायदा कत्थक करते देख रहा हूं दोस्त—तुम जैसी हस्ती के चेहरे पर यह मुझे अच्छा नहीं लग रहा इसलिए अलविदा।”
“पिट् … पिट् …।”
दो गोलियां चलाईं उसने।
एक इकबाल की छाती में जा धंसी, दूसरी ने भेजा उड़ा दिया।
रिवॉल्वर को वापस दराज में रखते वक्त तेजस्वी उसे रूमाल से साफ करना नहीं भूला।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
तो यह था मुख्यमंत्री का ब्रेकफास्ट!
नंबर टेन को लाश ठिकाने लगाने का ऑर्डर देने के बाद जब तेजस्वी कोठी से बाहर निकला तो उसके इंतजार में खड़ी भीड़ पुनः जोर-शोर से नारे लगाने लगी—सुरक्षाकर्मियों ने यांत्रिक तरीके से उसे अपने घेरे में ले लिया।
खुली जीप पर जा चढ़ा वह।
विजय जुलूस पुनः चल पड़ा—अपने स्वागत में उमड़ी भीड़ की तरफ वह ऐसी प्रसन्न मुद्रा में हाथ हिला रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो—चारों तरफ उसकी जय-जयकार के नारे लग रहे थे।
“तेजस्वी … जिन्दाबाद” का शोर था।
प्रतापगढ़ की विभिन्न सड़कों से गुजरता यह जुलूस एक बजे पुलिस मुख्यालय पहुंचा—निर्धारित प्रोग्राम के मुताबिक पहले वहां उसे लंच लेना था—उसके बाद पुलिस ऑफिसर्स की मीटिंग—मीटिंग के बाद पुनः खुली जीप द्वारा हैलीपैड पर पहुंचना था।
ठीक तीन बजे वापसी।
साढ़े तीन बजे राजधानी में भूकम्प-पीड़ितों को कम्बल बांटने थे।
लंच के बाद पुलिस ऑफिसर्स की मीटिंग उसने कुछ इस तरह लेनी शुरू की—
“कहिये मिस्टर शांडियाल, क्या हाल हैं?” उसने सीधे कमिश्‍नर से पूछा।
कमिश्‍नर साहब अदब से खड़े होकर बोले—“ठीक हूं सर!”
“और तुम मिस्टर डी.आई.जी.?” तेजस्वी ने कहा—“क्या नाम था तुम्हारा?”
“ए.एल.के. साहनी सर!” डी.आई.जी. हकला गया।
“प्रतापगढ़ में क्राइम की क्या ‘सिच्युएशन’ है?”
“इस बार गनीमत है सर।” एस.एस.पी. ने कहना चाहा—“पिछले साल इन दिनों में …।”
“हम तुम से नहीं, कमिश्‍नर से पूछ रहे हैं।” तेजस्वी ने ऐसी गुर्राहट के साथ कहा कि एस.एस.पी. बेचारा “सॉरी सर … सॉरी सर।” कहता बैठ गया।
शांडियाल ने कहा—“पिछले साल …।”
“खड़े होकर बताओ।”
“स-सॉरी सर!” कमिश्‍नर साहब हड़बड़ाकर खड़े हो गए—“पिछले साथ इन दिनों बासठ हत्याएं, पैंतीस डकैतियां, बारह बस लूट की घटनाएं हुई थीं, मगर इस साल अब तक कुल अड़तालीस हत्याएं …।”
“हमें आंकड़ेबाजी में उलझाने की कोशिश मत करो कमिश्‍नर।”
“ज-जी?”
“इस इलाके में ब्लैक फोर्स सक्रिय है।” तेजस्वी ने कहा—“उसके खिलाफ कोई कार्यवाही हुई या नहीं?”
मीटिंग में सन्नाटा छा गया।
लगभग सभी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो चुकी थी।
सहमी-सी नजरों से एक-दूसरे की तरफ देखते रह गए वे—किसी की समझ में नहीं आया क्या जवाब दिया जाए—उन्हें लगा, अब यह कहें कि ब्लैक फोर्स इलाके में खूब फल-फूल रही है तो पुलिस के मुंह से अजीब सा लगेगा और अगर यह कहें कि उसके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है तो चीफ मिनिस्टर साहब कहीं भड़क न उठें!
जिन्हें ‘सर’ कहते-कहते तेजस्वी की जुबान नहीं थकती थी उनके मुंह से खुद को ‘सर’ सुनने में उसे अलौकिक सुख का एहसास हो रहा था—जिनकी डांट से उसकी सिट्टी- पिट्टी गुम हो जाती थी, उन चेहरों पर मौजूद भावों को देखकर वह आनंदित हो उठा—इस वक्त वे सब बिल्ली की अदालत में खड़े चूहे-से लग रहे थे।
सन्नाटा लम्बा होने लगा तो वह गुर्राया—“क्या हुआ, सबको सांप सूंघ गया—क्या तुम लोग इतने नाकारा हो कि हमारे सवाल का जवाब तक नहीं दे सकते?”
हिम्मत करके एस.पी. सिटी ने कहा—“उनके खिलाफ कार्यवाही चल रही है सर!”
“क्या कार्यवाही चल रही है?”
“पिछले दिनों ब्लैक फोर्स के संरक्षण में चल रहे जुए के अड्डों और कच्ची शराब की भट्टियों पर छापे मारे गए।” एस.पी. देहात ने कोरी गप्पें हांकनी शुरू कर दीं—“बहुत-से लोग पकड़े गए, उन्हें जेल में …।”
“मैं ये पूछ रहा हूं मिस्टर एस.पी. कि ‘जंगल’ में कभी कोई कार्यवाही की जाएगी या नहीं?”
“ज-जंगल में सर …!”
“ये तो, हकलाने लगे!” तेजस्वी दहाड़ा—“तुम जवाब दो कमिश्‍नर।”
“व-वो सर आप तो जानते हैं—जंगल से उनका सफाया करने के अनेक अभियान छेड़े गए मगर कभी कामयाबी नहीं मिल पाई—उनके पास अत्याधुनिक हथियार हैं—विशेष रूप से जंगल की भौगोलिक स्थिति उन्हें मदद देती है—हर बार पुलिस को ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है—इसलिए ऐसा कोई ऑपरेशन नहीं किया गया।”
“क्या तुम्हारे ख्याल से ऐसा कोई तरीका है जिससे उनका उन्मूलन किया जा सके?”
“हवाई हमला ही एकमात्र तरीका है सर!”
“जब तरीका है तो अब तक इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?”
“हमें कभी किसी सरकार ने ऐसा हमला करने का आदेश नहीं दिया।”
“हम आदेश देते हैं।” तेजस्वी ने जोरदार लहजे में कहा—“हमारे यहां से निकलते ही अर्थात् सवा तीन के आसपास जंगल पर जोरदार हवाई हमला कर दिया जाए—हम कोई बहाना सुनना नहीं चाहेंगे—चाहे जितने बम इस्तेमाल करने पड़ें, लेकिन जंगल में ब्लैक फोर्स का एक भी आदमी जीवित नजर न आए—सुना है, उन्होंने जंगल के नीचे बेसमेन्ट बना रखा है—या तो वह पुलिस के कब्जे में होना चाहिए या ध्वस्त हो जाना चाहिए।”
कमिश्‍नर सहित सभी पुलिस अधिकारी उसे इस तरह देख रहे थे जैसे सूरज को पश्चिम से उदय होता देख रहे हों—लग रहा था, या तो उनके कान बज रहे हैं या यह वह तेजस्वी नहीं है जिसने ब्लैक स्टार के साथ मिलकर चिरंजीव कुमार की हत्या का षड्यंत्र रचा था और जो आनन-फानन में चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर पहुंचा ही ब्लैक स्टार की मेहरबानियों के कारण है।
तेजस्वी जानता था कि वे दंग हैं।
अगर उनके दिमागों में तेजस्वी के खेलों को समझने की क्षमता होती तो यह दिन ही क्यों देखना पड़ता—वह जानता था, ये लोग इस भ्रम में भी हो सकते हैं कि वह केवल दिखावे के लिए जंगल में कार्यवाही करने की बात कर रहा था—वास्तव में यह सब किया गया तो नाराज हो जायेगा, जबकि सच्चाई ये थी कि अपनी योजना के मुताबिक वह वास्तव में उक्त कार्यवाही कराना चाहता था ताकि नदी के पानी से त्रस्त ब्लैक फोर्स के मरजीवड़े बेसमेन्ट से निकलकर जंगल में आएं तो बरसते हुए बम उनका स्वागत करें।
यह थी तेजस्वी की मुकम्मल योजना।
एक-एक अफसर के चेहरे पर अपनी नजरें फिसलाता हुआ वह कहता चला गया—“रात के आठ बजे हमें हवाई हमले के परिणाम से अवगत कराया जाए—याद रहे, एक बार फिर कहे देते हैं—कोई बहाना नहीं सुनेंगे हम—अगर हंडरेड परसैन्ट कामयाबी की खबर नहीं मिली तो तुम सबको सस्पैंड कर दिया जाएगा।”
आश्चर्य के कारण सभी ऑफिसर्स का बुरा हाल था।
जबकि तेजस्वी ने अपने कुर्ते की जेब में हाथ डाला—रिमोट निकाला और यह सोचकर लाल बटन दबा दिया कि बेसमेन्ट को नदी के पानी से भरने के लिए दो-तीन घंटे तो चाहिएं ही—जब तक वे पानी से त्रस्त होकर ऊपर आएंगे, तब तक बमबारी शुरू हो चुकी होगी।
सभी ऑफिसर्स ने उसे लाल बटन दबाते देखा मगर कोई भला कैसे समझ सकता था कि ये नन्हां-सा बटन दबाकर उसने हजारों लोगों की जल-समाधि का इंतजाम कर दिया है।
तो यह था मुख्यमंत्री का लंच!
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,448,866 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,451 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,211,006 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,467 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,622,873 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,055,494 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,909,114 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,917,168 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,977,566 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,946 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)