Indian XXX नेहा बह के कारनामे
03-04-2021, 10:22 AM,
#91
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
प्रवींद्र समझता था कि नेहा अपने पापा को चाहती है और उसके साथ सेक्स अपनी खुशी से ही किया होगा उसने। खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रहा था उस वक्त प्रवींद्र। वो सोचने लगा अपने दिमाग में दृश्य बनाते हए कि कहाँ दोनों ने इश्क फरमाया होगा? और किस तरह से नेहा ने एंजाय किया होगा अपने पापा के साथ?

फिर अचानक उसको नेहा को अपने पिता के साथ इश्क करते हुए देखने का मन हुआ। उसके मन के अंदर जो नेहा को दूसरों से चुदवाने की फैंटेसी था, वो उभर आया और वो अब नेहा को अपने पिता से चुदते हुए देखना चाहता था। वो अब नेहा से कहना चाहता था कि उसको अपने पापा के साथ चुदते हुए देखने का मौका दे। प्रवींद्र वापस किचेन में गया और नेहा से अपने पापा को आज रात को ठहराने को कहा और उसको उसे चोदने का मौका देने को कहा रात को ही ताकी वो भी देख सके।

मगर नेहा ने कहा- “अगर उसके पापा ठहरेंगे भी तो वो रात को इस घर में उसके साथ करने का रिस्क नहीं लेगा, इस घर में तीन मर्दो के होने के बावजूद..."

मगर प्रवींद्र ने नेहा से कहा- “वो अपने पापा से कहे कि वो रात को उससे मिलने आएगी गेस्टरूम में जब सब सो रहे होंगे तब..."

फिर भी नेहा ने कहा- “अगर उसका ससुर जाग गया या कुछ ऐसा वैसा हुआ तो? बहुत रिस्की होगा...” फिर नेहा
ने कहा- “वो वैसा कुछ नहीं करेगी, बहुत खतरा होगा वैसा करने में..."

प्रवींद्र किसी भी कीमत पर वो सब करवाना चाहता था। वो लाउंज में गया नेहा के पापा और पिता के साथ बातचीत करने के लिए। उसने अपने पिता से कहा- “पिताजी अंकलजी से आज रात यहीं ठहरने को कहिए, कल सुबह चले जाएंगे। अभी काफी देर हो गई है...”

तो प्रवींद्र के पिता ने नेहा के पापा से कहा- “हाँ दोस्त, आज रात यहीं ठहर जाओ कल सुबह चले जाना..'

नेहा के पापा राजी हो गये तो प्रवींद्र ने कहा- “ग्रेट, तो मैं चला गेस्टरूम को ठीक करने अंकल के लिए..."

तो प्यारे पाठकों, आप लोगों ने अगर मेरी कहानी को गौर से फालो किया तो आप सबने देखा होगा कि प्रवींद्र का कमरा और गेस्टरूम कहाँ स्थित है, तो आप सबने देखा कि प्रवींद्र का कमरा

और गेस्टरूम एक दूसरे के बगल में हैं। इसलिये अब प्रवींद्र ने यह बंदोबस्त किया, वहाँ सब ठीक ठाक करने के बहाने।

जिन दिनों नेहा अपने बाप के गाँव गई हुई थी उन दिनों में प्रवींद्र ने अपने कमरे की उस दीवार पर एक होल ड्रिल किया था यह सोचकर कि क्या पता किसी रात को उसका बाप नेहा को उस गेस्टरूम में चोदने को लेकर जाए, अपने कमरे की बजाए। तो ऐसी के पास से जो नजारा देखने को मिलता है वो तो नहीं मिलेगा देखने को उसे इसलिए उसने अपने कमरे में से एक होल ड्रिल किया था गेस्टरूम वाले कमरे के अंदर देखने के लिए। उसने दोनों कमरे में उस होल के पास एक फोटो फ्रेम लगा दिया था, याने एक अपने कमरे में और एक गेस्टरूम में। अब जबकि वो उस गेस्टरूम को तैयार करने गया तो उसने वहाँ से फोटो फ्रेम हटा दिया और वहाँ एक तौलिया लटका दिया ताकी अपने कमरे के अंदर से वो एक तार से उस तौलिया को हटा करके गेस्टरूम के अंदर झाँक सके।

गेस्टरूम में बिस्तर ठीक उस होल के अपोजिट में था और उसको सब कुछ बहुत साफ दिखाई देता। उसने वो सब कछ अपने बाप को नेहा के साथ देखने के लिए किया था। मगर उसने कभी नहीं सोचा था कि आज वो काम आएगा नेहा को अपने पिता के साथ देखने के लिए।

तब प्रवींद्र किचेन में गया नेहा को बताने कि उसका पापा रात को ठहर रहा है। और उसने यह भी कहा कि वो रात को नेहा को चोदेगा क्योंकी उसने सब बंदोबस्त कर दिया है नेहा के लिए अपने पापा के साथ रात बिताने के लिए।

नेहा नहीं मान रही थी मगर प्रवींद्र ने उसको दिलाशा दिलाया कि सब ठीक होगा, कुछ गड़बड़ नहीं होगा। किसी को भी उसके इलावा कुछ पता नहीं चलेगा। नेहा को बहुत फिकर हो रही थी क्योंकी रातों को तो ससुर उसकी लेता है।

अब प्रवींद्र का क्या प्लान था? कैसे वो सब संभाल सकता था? चलें सब साथ मिलकर देखते हैं क्या होता है?

प्रवींद्र गया लाउंज में अपने पिता और नेहा के पापा के साथ बैठने को। प्रवींद्र विस्की सर्व करता गया दोनों बूढ़ों को, और अपने पिता के ग्लास में ज्यादा डालता गया और नेहा के पिता के ग्लास में कम धालता गया। एक घंटे के बाद उसने अपने पिता को बिल्कुल नशे में धुत्त कर दिया। बीच-बीच में नेहा आकर उन लोगों को खाना परोस रही थी। प्रवींद्र ने सिर्फ एक या दो सिप विस्की के लिए थे। नेहा के पिता को भी ज्यादा नशा नहीं हआ था। मगर प्रवींद्र के पिता को उठाकर उसके बेडरूम तक ले जाना पड़ा प्रवींद्र को। वो बिल्कुल धरासाइ हो गया था, लुढ़क गया था बिल्कुल।
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03-04-2021, 10:22 AM,
#92
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रात शुरू हई और रवींद्र, नेहा के पति ने एक-दो बात किया अपने ससुर के साथ फिर सोने चला गया अपने कमरे में। लाउंज में नेहा, प्रवींद्र और नेहा के पापा रह गये थे। रात करीब 10:00 बजे प्रवींद्र नेहा के पापा को बहुत गौर से घूर रहा था। और प्रवींद्र बहुत उत्तेजित हो रहा था जब देखता था कि नेहा का पापा नेहा को बार बार छू रहा था उससे बातें करते वक्त। प्रवींद्र ऐसा व्वहार कर रहा था कि उन दोनों पर उसकी कोई अटेन्शन नहीं थी, ताकी उनको कोई बाधा नहीं हो। मगर नेहा को सब पता था कि प्रवींद्र क्या खेल खेल रहा है और वो भी उसमें भाग ले रही थी, उसको खुश करने के लिए, किचेन में बात हो चुकी थी उसकी प्रवींद्र के साथ।

एक बार ऐसा हुआ कि नेहा के पापा टायलेट गये मूतने के लिए, तो प्रवींद्र ने नेहा से फुसफुसाते हुए कहा- “मैं अब सोने का बहाने करके जाऊँगा, तुम जाओ चेंज करके उसको गेस्टरूम में जाकर जाय्न करना भाभी ओके..." उसको और कुछ बोलने का मौका नहीं मिला और नेहा के पापा वापस आ गया।

नेहा बिल्कुल पहले की तरह एक टू पीस में थी जिसमें उसकी क्लीवेज नजर आ रही थी और स्कर्ट घुटनों के ऊपर थी जिसमें से जांघे भी दिख रही थीं सोफे पर बैठने से। उसके पापा सोफे पर उसके पास ही बैठे थे और उसका हाथ बार-बार नेहा के घुटनों पर जा रहा था बात करते वक्त। पापा का हाथ ऊपर जा रहा था और हर बार नेहा अपने पापा का हाथ अपने हाथ में थाम लेती थी उसको रोकते हुए, प्रवींद्र के चेहरे में देखते हुए।

प्रवींद्र यही सब चोरी-चोरी देख रहा था काफी देर से। यह सब देखकर उसका बिल्कुल खड़ा हो गया था। नेहा को पता था कि प्रवींद्र को उसके जिश्म पर यह सब होते हुए देखना बहुत पसंद है। और वो सब देखते हुए प्रवींद्र उत्तेजना से मरा जा रहा था, उसके अंदर गजब की इक्षायें उभर रही थीं नेहा के पिता को उसके जिश्म को छूते हुए देखकर। उसके दिमाग के अंदर लस्ट और इक्षायों ने घर कर लिया और वो उठ खड़ा हुआ और उन लोगों से कहा कि अब वो सोने को चला और गुडनाइट विश किया दोनों को। वो जल्दी से अपने कमरे में गया यह उम्मीद करते हए कि वह लोग जल्दी से गेस्टरूम में जाए। काफी देर तक वो अपने कमरे में इंतेजार करता रहा पर कोई आवाज नहीं सुनाई दी उसे।

जब वह लोग लाउंज से वापस लौटे हुये उसके कमरे के पास से गुजरते तो उसको अंदर सुनाई देता। मगर उसको कुछ भी नहीं सुनाई दे रहा था काफी देर तक, खामोशी छाई हुई थी बिल्कुल। उधर लाउंज में, नेहा अपने पापा की बाहों में थी और वो उसे किस किए जा रहा था सहलाते हए। उसकी स्कर्ट ऊपर कमर तक उठ गई थी और उसके पापा के हाथ उसकी जांघों पर फिर रहे थे और उसके मुँह में नेहा की जीभ थी जिसे वो चूस-चूसकर उसका रस पी रहा था।

प्रवींद्र भी वोही सोचने लगा कि कहीं वो लोग लाउंज में ही तो नहीं एंजाय करने लगे। प्रवींद्र धीरे से अपने कमरे से निकलकर नंगे पाँव चलकर लाउंज में झाँकने गया तो उन दोनों को वो आक्सन करते हुए पाया। उस पल नेहा के पापा का एक हाथ नेहा की चूचियों को मसल रहा था किस करते हुए उसे। मगर ठीक तभी प्रवींद्र को खुशी हुई क्योंकी नेहा ने किस रोकते हुए अपने पापा से कहा- “पापा अब यहाँ से चलें यहाँ सेफ नहीं है रास्ते के लोग यहाँ आकर लाउंज में भी झाँक सकते हैं..."

प्रवींद्र जल्दी से अपने कदमों को वापस अपने कमरे के तरफ किया। फिर कमरे के अंदर से इंतजार करने लगा कान बाहर कारिडोर पर किए हुए। फिर गेस्टरूम का दरवाजा खुलते हुए सुनाई दिया उसको तो पता चला कि वो लोग अंदर दाखिल हो रहे हैं। उसके लिए वो पल अनमोल था तो जल्दी से एक कुर्सी के ऊपर चढ़कर प्रवींद्र उस ड्रिल्ड होल से गेस्टरूम के अंदर देखने लगा। मगर उसको आश्चर्य हुआ यह देखकर कि सिर्फ़ नेहा का पिता था

गेस्टरूम में, नेहा नहीं आई थी।

वो सोचने लगा कि नेहा अपनी नाइटी पहनने गई होगी तो वो इंतेजार करने लगा और थोड़ा। एक घंटे तक उसने इंतेजार किया पर नेहा नहीं आई, उसने कई बार गेस्टरूम के अंदर झांका और आखिर में देखा कि नेहा का बाप सो गया तो प्रवींद्र बहत निराश हो गया। फिर उसने निश्चय किया कि वो नेहा को देखने जाए उसके कमरे में। पर फिर सोचने लगा कि क्या उसका पिता नेहा को अपने कमरे में ले गया होगा? उसने फिर सोचा कि ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकी उसका बाप तो बिल्कुल लुढ़क गया था। इसलिये वो नेहा के कमरे की तरफ बढ़ा।

उसके कमरे के अंदर दाखिल हआ तो देखा कि नेहा वहीं थी मगर सो नहीं रही थी। वो अपने पति के पास बैठी हुई थी, रवींद्र खर्राटे मार रहा था और नेहा उसके पास चुपचाप बैठी थी। नेहा एक फ्लिमसी पिंक नाइटी में थी बिना ब्रा के। उसकी पैंटी दिख रही थी उस पतली सी नाइटी में और उसकी चूचियां भी और बहुत सेक्सी और गरम दिख रही थी नेहा। प्रवींद्र को उसी वक्त नेहा को चोदने का मन किया मगर उस वक़्त तो उसका सपना कुछ और ही था।

प्रवींद्र ने नेहा से बात करते हए पूछा- "तुम क्यों गेस्टरूम में नहीं गई अभी तक?

नेहा ने कहा- “उसको डर लग रही है कि प्रवींद्र का पिता कहीं जाग गया और उधर आ गया या तो?"

प्रवींद्र ने उसको यकीन दिलाया कि ऐसा वैसा कुछ भी नहीं होगा और उसको अपने पापा के पास जाने को कहा। प्रवींद्र के अंदर एक भूख जैसी थी नेहा को अपने बाप के साथ चुदते हुए देखने को। वो देखना चाहता था कि कैसे उसका पिता अपनी खुद की बेटी को सेक्षुयली एंजाय करता है? क्या वो खूब एंजाय करेगा? क्या नेहा उसको डमिनेट करेगी? या बाप बेटी को डामिनेट करेगा? यह सब देखना चाहता था प्रवींद्र। उसने नेहा का हाथ पकड़कर बाहर खींचा और उसको गेस्टरूम के पास छोड़ा और जल्दी से अपने कमरे में घुस गया। दीवार पर की गये छेद से गेस्टरूम के अंदर झाँका तो देखा कि नेहा अपने पिता के बेड के पास खड़ी अपने पापा को देख रही थी।

नेहा के चेहरे पर एक खूबसूरत मुश्कुराहट थी उस वक्त अपने पापा को देखते हुए। पापा नींद में था, नेहा उसके पास बेड पर बैठी और अपने हाथ को मुश्कराते हुए पापा के पैंट के ऊपर रखा। पापा बिना कपड़ा बदले बिस्तर पर लेटा था और उसकी आँख लग गई थी।
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03-04-2021, 10:22 AM,
#93
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा के चेहरे पर एक खूबसूरत मुश्कुराहट थी उस वक्त अपने पापा को देखते हुए। पापा नींद में था, नेहा उसके पास बेड पर बैठी और अपने हाथ को मुश्कराते हुए पापा के पैंट के ऊपर रखा। पापा बिना कपड़ा बदले बिस्तर पर लेटा था और उसकी आँख लग गई थी।

नेहा ने बड़े प्यार से अपने पापा की पैंट की बेल्ट अनहक की फिर धीरे से उसकी जिप को नीचे किया और पैंट को उतारने की कोशिश करने लगी, और नेहा भुनभुनाती गई- “आपने कपड़े भी नहीं बदले पापा, ऐसे सोते हैं क्या? चलो निकालो, उस तरफ घूमो भी ना पापा..."

पापा बिल्कुल नहीं हिला और नेहा उसकी पैंट उतारने के लिए स्ट्रगल करने लगी। तो खड़े होकर नेहा पैंट को पाँव के पास से पकड़कर खींचने लगी, उस दौरान उसके पापा का आधा जिश्म बेड से खिसखे बाहर आ गया। उसका आधा जिश्म बेड के बाहर लटक रहा था, मगर पैंट निकल गया। बाप अपने अंडरवेर और शर्ट में था अब। तब नेहा को उसके पापा के जिश्म के ऊपर झुक कर उसको उठाकर बेड पर वापस ठीक करना पड़ा। उसके बाद नेहा अपने पापा की शर्ट के बटन एक-एक करके खोलने लगी। वैसा करते वक़्त उसकी चूचियां बाप के छाती से रगड़ रही थी। फिर नेहा ने अपने पापा की छाती को हल्के से चूमा, फिर गले पर चाटा पापा को।

उस तरफ वो सब देखते हुए प्रवींद्र बहुत उत्तेजित हो रहा था और उसका जमके खड़ा हो चुका था। उसने अपने हाथ को लण्ड पर किया और मूठ मारने की अदा से अपने लण्ड को सहलाते हुए नेहा को देखना जारी रखा।

उधर नेहा ने अपने पिता की पैंट और शर्ट उतार दी थी और अब वो सिर्फ अपने अंडरवेर में बेड पर थे। नेहा उसको चूम और चाट रही थी, उसको जगाते हुए। बूढ़ा नहीं उठ रहा था और नेहा ने बचकानी आवाज में कुछ शरारती अंदाज में कहा- “हम्म्म... पापा उठो भी, उठो ना... आपने दिन में मुझको खुश नहीं किया था, अब करो मुझे इसकी जरूरत है अब। हम्म्म... उठो ना पापा.." एक बेटी अपने बाप से चुदवाने के लिए उसको जगा रही थी। वाह क्या सीन है।

बाप ने एक अंगड़ाई लेते हए आँख खोला और शैतानी नजरों से नेहा को अपनी छाती के ऊपर पाकर उसको अपनी बाहों में जकड़ लिया। नेहा अपने पापा की ठुड्डी पर किस करते हुए उसके मुँह तक पहुँची, फिर बाप के मुँह में अपने जीभ डाल दिया और दोनो किस करने लगे एक दूसरे को। नेहा की चूचियां उसके पापा के बालों वाली छाती पर रगड़ रही थीं जिससे नेहा को मजा आ रहा था उन बालों से। बाप ने नेहा की नाइटी को ऊपर उठाया और उसकी गाण्ड पर अपना हाथ फेरते हुए नेहा की चूत में उंगली करने लगा, उसको किस करते हुए।

जल्द ही नेहा अपने पापा का पेट चाट रही थी और नीचे की तरफ बढ़ती गई और उसके अंडरवेर को निकाल फेंका नेहा ने। फिर पापा के मोटे लण्ड को अपने मुलायम हाथों में लिया नेहा ने, उसपर अपनी जीभ फेरा और हौले से अपने मुँह के अंदर ले लिया अपने पापा के लण्ड को।

बाप गुर्राता गया, तड़पता गया और अपनी कमर उठाकर लण्ड को नेहा के मुँह के और अंदर ह्सता गया हाँफते हए। नेहा को लण्ड को अपने मुँह में संभालने अ तकलीफ हो रही थी तो बार-बार वो उससे बाहर निकाल रही थी साँस लेने के लिए।

प्रवींद्र को बहुत ही मजा आ रहा था नेहा को अपने बाप को उस तरह से चूसते हए देखकर। प्रवींद्र ने सोचा और खुद से कहा- “इस नेहा भाभी को लण्ड बेहद ही पसंद है। हाँ, सच्ची इसको लण्ड बहुत ही पसंद है। देखो तो अपने बाप के लण्ड को कितनी खुशी से चूसे जा रही है भला..."

नेहा के पापा ने आखिर में नेहा को अपनी गोद में ले लिया और उसकी नाइटी निकाला जिसको निकालने के लिए नेहा ने अपनी बाहें ऊपर की जल्दी से, क्योंकी ब्रा नहीं पहनी थी नेहा ने तो बाप उसकी चूचियों को मजे से चूसने लगा रस निकालते हुए। नेहा ने अपनी गर्दन को पीछे किया और उसके लंबे खुले काले बाल उसके पिता की टाँगों पर गिरे। फिर नेहा अपनी गाण्ड रगड़ने लगी अपने पिता के जांघों पर। कुछ पल बाद दोनों बिस्तर पर पाए गये।

बाप अपनी पीठ पर लेटा हुआ था और नेहा उसके ऊपर थी, उसकी टाँगें फैली हुइ, बाप का लण्ड उसकी चूत के अंदर और नेहा खुद हिल रही थी लण्ड को अपनी चूत के अंदर-बाहर करते हुए, अपनी आगजम तक पहुँचने के लिए अपने पिता के लण्ड से। और आखिर में नेहा इस बार अपने पिता से पहले खुश हो गई क्योंकी दिन में बाप झड़ चुका था और नेहा नहीं।

मगर बाप अपने लण्ड को ठुसते हए कराहने लगा और जल्द ही वो भी झड़ने को आया और नेहा ने उसको फिर से दिन की तरह अपने लण्ड को उसके मुंह में देने को कहा। पिता ने जल्दी से लण्ड उसकी चूत से खींचकर हाथ में थामे नेहा के मुंह तक लाया जिसको नेहा ने जल्दी से अपने मुँह में ले लिया और बाप के वीर्य को अपने गलर में उतारी नेहा ने।

प्रवींद्र ने अपने कमरे में उस छेद से सब कुछ देखा और कड़क खड़ा हो गया था उसका। फिर जब उसने नेहा को अपने पापा को गुडनाइट किस करते देखा तो जल्दी से बाहर कारिडोर में निकलकर नेहा का इंतेजार करने लगा। नेहा के कमरे का दरवाजा, प्रवींद्र के कमरे से बिल्कुल दूर नहीं था। जैसा कि आप सब स्केच में देख सकते हैं।

तो जैसा की आप सब फिर से देख सकते हैं कि किसका कमरा किधर है इस स्केच में, गेस्टरूम भी साफ नजर आ रहा है तो आप सबको क्लियर समझ में आ गया होगा सब कुछ।
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03-04-2021, 10:22 AM,
#94
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
अब प्रवींद्र कारिडोर में नेहा के कमरे के पास उसका इंतेजार करने लगा और जैसे ही नेहा वहाँ पहुँची प्रवींद्र ने नेहा को बाहों में जकड़कर किस करने लगा अंधेरे में ही। फिर उसने नेहा को उठाया और अपने कमरे में ले गया। जिस वक्त अचानक उसने नेहा को अंधेरे में कारिडोर में जकड़ा नेहा की चीख निकल गई क्योंकी उसने बिल्कुल नहीं सोचा था कि अंधेरे में कोई उसको अचानक वैसे जकड़ लेगा अपनी बाहों में। एक पल के लिए तो वो डर ही गई थी, मगर तुरंत प्रवींद्र की बाहों का एहसास हआ तो वो चुप हो गई।

उस पल नेहा ने उससे कहा- “ओफ्फो छोड़ो मुझे कोई सुन लेगा, मेरे पापा भी सुन सकते हैं छोड़ो ना प्लीज..."

मगर प्रवींद्र ने उसको अपने बेड पर छोड़ा। कारिडोर में प्रवींद्र नंगा खड़ा था, सिर्फ़ उसके कमरे के दरवाजे से थोड़ी सी रोशनी आ रही थी कारिडोर में वरना बिल्कुल अंधेरा था और वैसे नंगे हालत में ही वो नेहा को अपने बेड पर लाया उठाकर। प्रवींद्र का लण्ड इतना कड़क खड़ा था कि जैसे ही नेहा बेड पर बैठी तुरंत प्रवींद्र ने अपने लण्ड को उसके मुँह के पास कर दिया। नेहा के पास और कोई चारा नहीं था तो उसके लण्ड को मुँह में ले लिया उसने मगर कुछ बड़बड़ाते हुए, और प्रवींद्र के चेहरे में एक छोटे बच्चे की तरह देखते हुए। और वो सब कुछ फिर से हआ, प्रवींद्र ने उसको फिर चोदा। उसकी चूत के ऊपर अपना वीर्य छोड़कर वो नेहा के बाडी पर ही सो गया, और उसका पेट नेहा के पेट से उस वीर्य से चिपक गया।

काफी देर तक प्रवींद्र वैसे ही नेहा के जिश्म पर लेटा रहा और नेहा उससे फुसफूससाते हुए प्यार से बातें किए जा रही थी उसके कानों में उसके बालों में अपने उंगलियां फेरते हुए। और आखिर में नेहा यह कहते हुए उठी- “अब मुझे जाना चाहिए, सुबह तुमको भी जल्दी उठना है, तुमको भी काम पर जाना है शर्माजी के पास..."

यह सुनकर प्रवींद्र के सीने पर कुछ भारी वजन सा महसूस हुआ। और उसने अपने जिश्म को बेड पर पटक दिया काम के बारे में सोचकर। नेहा ने उसको उस हालत में देखा तो हँसते हुए दरवाजे तक निकलते हुए प्रवींद्र को एक फ्लाइयिंग किस भेजा जो उसने कैच किया और नेहा चली गई।

अगली सुबह को नेहा जैसे कशमकश में थी, इस कमरे से उस कमरे में दौड़ रही थी, इसको जागते हए उसको जगाते हए, कभी किचेन में ब्रेकफास्ट तैयार कर रही होती तो कभी प्रवींद्र को, तो कभी अपने पापा को जगाने जाती। आज पाँच लोगों के लिए ब्रेकफास्ट बनाना था और 3 लोगों के लिए काम पर ले जाने के लिए टिफिन तैयार करना था। नार्मली तो हर रोज प्रवींद्र दिन के 10-11 बजे तक सोकर उठता था तो उसके लिए तो कुछ नहीं बनाना पड़ता था नेहा को। पर अब उसके लिए भी सब कुछ तैयार करना था।

कुछ ही देर बाद 3 मर्द टेबल के पास बैठ गये प्रवींद्र के इलावा। नेहा के ससुर ने कहा- “जाकर उस निकम्मे को जगाओ नेहा बेटा...”

चौथी बार नेहा गई प्रवींद्र को हिलाकर जगाने और उससे कहा कि उसका बाप गुस्सा हो रहा है।

प्रवींद्र ने नेहा को बाहों में भरकर उदास चेहरे से कहा- “भाभी, आपको बहत ही मिस करूँगा, दिन भर आपसे नहीं मिल पाऊँगा, आपको नहीं देख पाऊँगा, आपके करीब नहीं रहँगा। और हाँ... अब हम कैसे प्यार करेंगे भाभी? कैसे और कब?"

नेहा ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए उसको दोनों हाथों से बिस्तर पर से खींचा। प्रवींद्र आउट आफ बेड हो गया तो नेहा ने अपना मुँह उसके कान के पास लाकर उसको छेड़ते हुए कहा- “रात को प्यार करेंगे, अब दिन में किस
और हग करना आज से बंद। पिछले कई महीनों से तुम ऐसा कर रहे थे अब बंद तुम्हारा दिन में मजा करना हेहेहे...”
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03-04-2021, 10:22 AM,
#95
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा ने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए उसको दोनों हाथों से बिस्तर पर से खींचा। प्रवींद्र आउट आफ बेड हो गया तो नेहा ने अपना मुँह उसके कान के पास लाकर उसको छेड़ते हुए कहा- “रात को प्यार करेंगे, अब दिन में किस
और हग करना आज से बंद। पिछले कई महीनों से तुम ऐसा कर रहे थे अब बंद तुम्हारा दिन में मजा करना हेहेहे...”

मगर प्रवींद्र ने तुरंत पूछा- “मगर भाभी रात को कैसे? रात को तो डैड आपकी लेगा, मैं कैसे करूँगा?"

नेहा ने माथे पर हाथ पीटते हुए कहा- “उफ्फ... तुम उसकी फिकर मत करो मुझे मालूम है कैसे क्या करना है? तुम्हारे पापा को अब मेरा नाइट शिफ्ट के टाइम टेबल को रेस्पेक्ट करना होगा हीहीही.." और नेहा जोर से हँसी। थोड़ी देर बाद सभी मर्द घर से चल पड़े। नेहा ने बाकी के सभी मर्दो के सामने अपने पापा को गले लगाया

प्रवींद्र नेहा के पापा की सभी हरकतों को देख रहा था उस वक्त। ससुर भी गौर से गले लगते हए देख रहा था। नेहा ने अपने पापा के दोनों गाल पर किस किया और बाप ने भी नेहा के दोनों गाल पर किस किया और दूसरी किस के दौरान उसके होंठ नेहा के होंठ से छुए।

ससुर ने वो अच्छी तरह से देखा और यह भी नोट किया कि नेहा के बाप का हाथ उसकी कमर पर था किस करते वक्त। ससुर ने अपना खड़ा होते हुए महसूस किया उन बाप बेटी का प्यार और लगाओ देखकर। और ससुर को भी थोड़ा सा शक हुआ और खुद से सवाल किया- “क्या यह बाप अपनी बेटी को ही नहीं चोदता है? लग तो कुछ ऐसा रहा है मुझे इतना अपनापन। खैर, पता नहीं अगर कुछ है तो कुसूर बाप का नहीं है। नेहा है ही ऐसी चीज...”

आखिरकार, सब चले गये और पहली बार नेहा ने अपने आपको घर में अकेली पाया। जिस दिन से शादी होकर आई है इस घर में यानी पिछले 7-8 महीनों में यह पहली बार था कि वो बिल्कुल अकेली थी। नेहा ने घर के कामों में खुद को बिजी कर लिया तब।

प्रवींद्र जहाँ काम कर रहा था उसके चारों तरफ बड़े-बड़े मोटर, एंजिन का शोर शराबा था, ट्रैक्टर्स, कांक्रीट मिक्सर्स, ड्रिलर, सभी शोर करने वाली मशीनें उसके चारों तरफ, और कोई 200 लोग काम कर रहे थे उस साइट पर। उस वक्त प्रवींद्र सर्वेयर को असिस्ट कर रहा था नाप लेने में जमीन की। उसको बहुत बेचैनी हो रही थी
और वहाँ से भाग जाना चाहता था। अपनी प्यारी भाभी की बाहों में जाकर अपने आपको समेटना चाहता था। वो सिर्फ़ नेहा को ही सोच रहा था।

उसने सोचा कि अब कभी भी वो रूपचंद की बहन और उसकी बेटी से नहीं मिल पाएगा। उसको घुटन सी महसूस होने लगी। वो काम नहीं कर पाएगा उसने सोचा। उसका दिमाग गरम हो रहा था, चैन नहीं था बिल्कुल उसको, बेताब था, एक किश्म की पीड़ा थी उसके मन में और समझ मेंनहीं आ रहा था उसे कि वो करे मगर उसको पता था कि कोई रास्ता नहीं था उसके पास, वो सब कैसे भी करके झेलना ही था।

दिन गुजरते गये।
धीरे-धीरे प्रवींद्र को अपने नये काम में आदत हो गई। उसको एक ग्रुप का लीडर बनाया गया था वो उन लोगों के काम को कंडक्ट कर रहा था उस साइट पे, वह लोग उसको रिपोर्ट करते थे काम करने के बाद। मिसटर शर्मा जो इंजीनियर कांट्रैक्टर था वहाँ का प्रवींद्र के साथ घुल मिल गया। दोनों की दोस्ती हो गई। शर्माजी शहर में रहते थे

और बहुत लंबा सफर तय करके हर रोज गाँव में आता था काम पर। तो प्रवींद्र उसका असिस्टेंट के जैसा ही था और सब वर्कर्स प्रवींद्र को रिपोर्ट करते थे और जब शर्माजी आते तब प्रवींद्र उसको सब समझाता की क्या हुआ और क्या नहीं?

रात को अक्सर प्रवींद्र नेहा के साथ अपनी थकान को दूर करता था। नेहा उसकी तरफ और भी ज्यादा अटेन्शन देने लगी थी क्योंकी अब दूरी जो हो गई थी दोनों के बीच। क्योंकी दिन भर नेहा भी उसको मिस करती थी इसलिए रातों को फूल टाइम देती थी प्रवींद्र को। प्रवींद्र नेहा से बहत खुश था हालांकी अब दिन में उससे दूर रहता था। जब शाम को काम से प्रवींद्र वापस आता था तो नेहा उसकी ऐसी खिदमत करती थी जैसे वोही उसका पति है।

ससुर ने भी नोटिस किया कि नेहा प्रवींद्र को बहुत प्यार करती है, मगर वो उस प्यार को भाई-बहन वाला प्यार समझता था। उसको लगता था कि दोनों हम उम्र हैं इसलिए उनकी दोस्ती है और दोनों एक दूसरे को समझते हैं। मगर क्योंकी अब दिन में प्रवींद्र घर पर नहीं रहता था तो उसके दिल में एक डर रहता था कि कहीं कोई
और नेहा को सिड्यूस ना करे या कोई और नेहा से सिड्यूस ना हो जाए दिन में किसी तरह से।
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03-04-2021, 10:22 AM,
#96
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
अक्सर दिन में प्रवींद्र, नेहा के बाप और भाइयों के बारे में भी सोचा करता था। सोचता था उन लोगों को अब दिन में बहत आजादी मिल गई है नेहा के साथ वक्त बिताने के लिए। जब प्रवींद्र यह सब सोचता था तो उसका मन काम में नहीं लगता था और दौड़कर घर वापस जाना चाहता था। उसको अब भी रूपचंद और उसकी बेटी से मिलने की ख्वाहिश बाकी था। इसलिए वो एक दिन का आफ लेना चाहता था उस ख्वाहिश को अंजाम देने के लिए।

एक दिन शर्माजी प्रवींद्र से लड़कियों और औरतों के बारे में बात कर रहा था। तो प्रवींद्र ने नेहा के बारे में सोचा

और शर्माजी से कहा कि उसकी एक गर्लफ्रेंड है।

शर्माजी ने कहा कि हाँ उसको पता है कि आजकल हर एक नौजवान की गर्लफ्रेंड होती है। मगर शर्माजी कुछ और पूछ रहे थे जो प्रवींद्र नहीं समझा। तो शर्माजी ने प्रवींद्र से कहा- “और इस गाँव की लड़कियों के बारे में क्या ख्याल है? टाइम पास के लिए कोई नहीं मिली तुमको?"

तब प्रवींद्र सोचने लगा कि शर्माजी क्या कहना चाहता था। वो 40 साल के ऊपर का था, बड़े शहर का था और अपने सूट-बूट और बड़ी कार वाले एक बड़े बास का लुक रखता था। ऊँचे स्टेटस का दिखता था, उसको देखकर कोई भी अंदाजा लगा लेता कि वो एक बड़ा बास है। तो प्रवींद्र ने बिल्कुल नहीं सोचा था कि वो गाँव की लड़कियों में भी इंट्रेस्टेड हो सकता है।

फिर प्रवींद्र ने पूछा- क्या वो गाँव की लड़कियों में इंट्रेस्टेड है?

शर्माजी ने कहा- “वोही तो वो पूछना चाहता था उससे...” उसने पूछा- “क्या वो किसी ऐसी लड़की को जानता है जो टाइम पास के लिए मिलेगी उधर गाँव में..” फिरशर्मा ने कहा- “उसने सुना है कि गाँव में मस्त लड़कियां होती हैं टाइम पास के लिए भी..."

प्रवींद्र सोचने लगा की ऐसी खबरें गाँव के बारे में उस तक कैसे पहँची? उल्टा गाँव वालों को यह पता था कि शहर की लड़कियां टाइमपास के लिए तैयार रहती हैं और शर्माजी को खबर मिली के गाँव की लड़कियां वैसी हैं। ऐसी खबरें किसने फैलाइ ऊपर वाला जाने, प्रवींद्र ने सोचा।

प्रवींद्र ने शर्माजी से पूछा- “क्या आप एक लड़की चाहते हैं गाँव से, जिसके साथ आप टाइम पास कर सकें?"

जवाब हाँ में मिला।

प्रवींद्र ने कहा कि वो उसको वैसी एक लड़की तक पहुँचा देगा जब वो तैयार होगा। प्रवींद्र ने सोचा उसको वो नेहा से मिलाने ले जाएगा। यह प्रवींद्र के लिए अब जुनून सा बन गया था, नेहा को किसी और के साथ करते हए देखने को, खासकर जब मर्द उम्र वाला हो। मगर फिर प्रवींद्र ने रूपचंद की बहन और बेटी को सोचा। प्रवींद्र ने सोचा उसी बहाने उसको शायद रूपचंद की भतीजी भी मिल जाएगी। तो उसने अपने बास को दूसरे गाँव चलने को कहा।

बड़ी हाई क्लास वाली गाड़ी रूपचंद के घर के सामने रुकी, और प्रवींद्र अंदर गया तो रूपचंद की बहन और बेटी को अकेले घर पर पाया। शर्माजी कार में इंतेजार कर रहा था जब तक प्रवींद्र अंदर डील फाइनलाइस कर रहा था। प्रवींद्र ने उन लोगों से कहा कि शर्माजी बहत अमीर आदमी हैं और उनसे उन लोगों का बहुत फायदा हो सकता है, तो उनको इज्जत से रिसीव करें। उसने रूपचंद की बहन से कहा के उसके हिस्से का पेमेंट भी उसका बास करेगा (वो उसकी बेटी को पाना चाहता था और बहन को शर्माजी के हवाले करना था)। तो उसने उस लड़की को घर के किसी दूसरे कमरे के अंदर रहने को कहा जब शर्माजी अंदर आएं, ताकी वो सिर्फ उसकी माँ को देख सके।

बाहर जाकर उसने अपने बास को बुलाया अंदर आने के लिए। रूपचंद की बहन जिसका नाम था संगीता, एक बहुत ही गरम विधवा थी जिसको देखकर कोई भी कह सकता था कि वो माल सिर्फ चोदने के लिए ही बनाई गई है। उसकी जवानी उसकी उम्र को ढकती थी, वो अपनी उम्र का आधा लगती थी। थी तो 37-38 साल की मगर दिखती थी 25 साल से कम उम्र की। शर्माजी को वो पसंद आ गई और उसके साथ वो कमरे के अंदर चला गया। तो प्रवींद्र बहुत खुश हुआ के उसको बेटी मिल गई चोदने को।

बहुत हसीन पल गुजारे उस घर में एक घंटे तक दोनों ने।

संगीता की बेटी पूजा ने प्रवींद्र से उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा जिसका जिक्र रूपचंद ने किया था पिछली बार जब प्रवींद्र वहाँ गया था उन लोगों से मिलने। तो पूजा ने कहा कि वो उसकी गर्लफ्रेंड से मिलना चाहती है उसको देखना चाहती है, और सबके साथ मिलकर मस्त पार्टी करना चाहती है। तो प्रवींद्र ने उससे कहा के बहुत ही जल्द वो सब इंतेजाम करेगा।

अब, जहाँ प्रवींद्र रहता था वहाँ उसके घर के सामने, रास्ते के उस पार एक दुकान थी जो सालों से बंद थी। उसके बगल में एक वेस्टलैंड था जो उस तरफ पड़ता था जिस तरफ नेहा कपड़े धोती है पत्थर पर। एक हफ्ते पहले से एक गैरेज वाले ने उस दुकान और उस वेस्टलैंड को भाड़े पर लिया है, अपने मेकैनिकल काम करने के लिए।

उस वेस्टलैंड में गैरेज वाला बिगड़ी हई गाड़ियों को रखता था और गैरेज में रिपेयर करता था। गैरेज वाला कोई 40 साल का अधेड़ आदमी था, मोटा था और उसका मोटा पेट था। 3 लोग उसके साथ काम करते थे। गैरेज सुबह 9:00 बजे खुलता था और शाम 4:00 बजे बंद होता था। तो ना प्रवींद्र, ना उसका बाप ना भाई कभी उन लोगों को मिला ना देखा, क्योंकी जिस वक्त यह लोग घर से निकलते हैं और जिस वक्त वापस आते हैं तो गैरेज वाले लोग उस वक्त कभी नहीं होते गैरेज में।
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03-04-2021, 10:23 AM,
#97
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
अब क्योंकी कई सालों से वो एक बंद दुकान थी तो वहाँ ना पानी, ना ही बिजली थी। तो पहले दिन जब वो गैरेज वाला आया था उस दिन वो नेहा का दरवाजा खटखटाया और बोला कि कुछ दिनों के लिए उसको अपने नल से पानी लेने दें, जब तक उसको नया कनेक्सन नहीं मिल जाता।

नेहा ने इनकार नहीं किया और उन लोगों से कहा कि जब भी पानी की जरूरत पड़े आकर भर ले जाए किसी भी वक्त।

जब भी नेहा बाहर कपड़े धोती थी तो वो आदमी लगातार नेहा को देखा करता था। नेहा कभी कभार उस तरफ देखती थी मगर कभी उस आदमी पर तवज्जो नहीं की। अब एक दिन ऐसा हुआ कि उन 3 लोगों में से एक लड़का बोतल में पानी भरने को आया जब नेहा कपड़े टांग रही थी सुखाने के लिए तार पर अंगने में। और नल ठीक उसी जगह पर था।

एक 25 का जवान लड़का आया था पानी लेने और उसने नेहा से सर झुकाते हए इशारे से ग्रीट किया और पानी भरने गया नल के पास। हर बार जब नेहा झुक रही थी बमैल्टी से एक कपड़ा लेने के लिए तार पर टाँगने के लिए, तो वो आदमी नल के पास खड़ा नेहा की क्लीवेज चोरी-चोरी झाँक रहा था। और नेहा को महसूस हुआ कि
वो उसको झाँक रहा है, मगर नेहा ने ऐसा व्वहार किया कि उसको कुछ नहीं पता। कपड़े धोते वक़्त नेहा की ड्रेस पार्ट्ली भीग गई थी और उसकी जिश्म पर सटी हुई थे। खासकर जांघों के बीच-ओ-बीच, जिससे उसकी टाँगें और जांघों के साइज दिख रहा था। उसकी गाण्ड का शेप भी नजर आ रहा था।

वो लड़का पानी भरने के बाद नेहा का शुक्रिया अदा किया, तो नेहा ने मुश्कुराते हुए उससे सर से ओके में इशारा किया और वो लड़का हँसते हुए नेहा की क्लीवेज को देखते हुए वहाँ से गैरेज वापस चला गया। जाते वक्त कई बार मुड़कर वो नेहा को देखता रहा। जितनी बार भी वो मुड़कर नेहा को देखा, हर बार नेहा ने भी उसको देखा मुश्कुराते हुए।

लड़का गैरेज में वापस जाकर अपने दोस्तों से नेहा के बारे में बात किया। तब नेहा ने देखा कि वहाँ से चारों मर्द उसकी तरफ देख रहे हैं। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। वह लोग नेहा को कपड़े धोने के लिए बाहर आने का इंतेजार करते, जब वो आती तभी पानी भरने जाते थे जानबूझ कर उसका जिश्म और क्लीवेज को देखने के लिए। वापस गैरेज में आपस में सब यही बात करते थे- “क्या मस्त भाभी है यार? क्या क्लीवेज है? क्या मस्त गाण्ड है यार देखने से जी नहीं भरता यार। और कितनी मीठी भी है, बिल्कुल हँसती रहती है, नाराज बिल्कुल नहीं होती, बहुत अच्छी भी है यार। और खूबसूरती तो हेरोइनों जैसी है यार। एक बार अगर मिल जाए तो क्या बात होगी यार। क्या मिल सकती है यार?"

फिर एक दिन जब गैरेज वाला मालिक सुबह आया तो नेहा के घर के सामने खड़ा था काफी देर तक। घर के अंदर से नेहा ने उसको देखा। कुछ देर तक वहीं खड़ी नेहा उसको देखती रही कि वो क्या करना चाहता है और क्यों उसके घर के सामने रास्ते पर खड़ा उसके घर की तरफ देख रहा है। उस वक्त नेहा अपनी नाइटी में थी और उसकी पतली-पतली स्ट्रैप्स थे कंधों पर और उसकी चूचियां साफ दिखाई दे रही थीं। अभी तक चेंज नहीं किया था नेहा ने। जब घर से बाहर कपड़े धोने जाती थी तब चेंज करती थी, क्योंकी अपने घर के अंदर थी तो तब तक वैसे ही थी।

नेहा को लगा कि वो आदमी घर के आँगन में दाखिल होना चाहता था मगर हिचकिचा रहा था। नेहा को लगा कि उसको किसी चीज की जरूरत है या पानी लेने आना चाहता है तो वो उसकी मदद करना चाहती थी। तो नेहा ने एक खिड़की खोला जो रास्ते पर खुलती थी और उस आदमी की तरफ देखा, तो आदमी ने सर हिलाते हुए नेहा को 'हाय' जैसे किया जिसका जवाब नेहा ने भी सर हिला कर दिया, आदत के मुताबिक अपनी मुश्कुराहट के साथ।

जिस समय नेहा ने खिड़की को खोला तो उसको एक हाथ से खिड़की को खोलना पड़ा तो दूसरे हाथ से सपोर्ट कर रही थी खुद को। वैसा करने से उसका वो हाथ जिससे खिड़की को खोली थी, उस हाथ के ऊपर उठने की वजह से उसकी बाजू के नीचे, कांख रास्ते पर से दिखाई दे रही थी और कंधे पर नाइटी की पतली स्ट्रैप्स भी।

और कहने की जरूरत नहीं कि उसकी चूचियां भी नजर आईं, और उसकी बाजू के नीचे के सफेद हिस्से, मुलायम नर्म हिस्से और चूचियों के साइड वाले आधे गोल हिस्से भी दिखे उस आदमी को जो नेहा को देखते जा रहा था और उसको लगा कि नेहा उसको इन्वाइट कर रही है अपनी तरफ वैसा आक्सन करके।

मगर खिड़की खोलने के बाद जब नेहा घर के अंदर वापस चली गई तो वो आदमी अपने गैरेज में वापस चला गया और अपने काम में मसरूफ हो गया। बाकी के तीन लड़के भी काम पर आ गये थोड़ी देर में, मालिक पहले आया था। और वो तीन लड़के जब से आए सिर्फ़ नेहा के आँगन में नजरें गड़ाए हुए थे खासकर उस जगह पर जहाँ नेहा कपड़े धोने आती है, जहाँ पर नल है।
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03-04-2021, 10:23 AM,
#98
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
उन तीनों में से एक 27 साल का लड़का था जो नेहा में काफी इंट्रेस्टेड था और वोही सबसे ज्यादा नेहा को देखा करता था और पानी भरने जाता था बोतल में हर बार। उसकी नजरों में नेहा के लिए सिर्फ सेक्सी खयालात आते थे और... वोही नेहा के बारे में सबसे ज्यादा बातें किया करता था हर रोज सबके साथ।

ऐसे ही एक बार उसने कहा- “यार, यह भाभी बहुत ही सेक्सी और गरम है यार और दिन भर बिल्कुल अकेली रहती है यहाँ। उसको कोई बच्चा वगैरह नहीं है, ऐसी अकेली को पाना काफी आसान लगता है। इसका पति शायद दूर कहीं काम करता है इसलिए हमारे यहाँ काम पर आने से पहले ही घर से निकल जाता है। इस घर में
और कोई दिखता ही नहीं कभी इस खूबसूरत गरम भाभी के इलावा। यारों यह भाभी हम सबके लिए एक आसान शिकार है.."

उस वक़्त गैरेज वाले ने उसकी बातों को सुना तो कहा- “और बकबक करना बंद करो, अगर पा सकते हो तो उसको पाकर दिखाओ तब बात करना तुम। क्या तुम उसको हासिल कर सकते हो?"

वो नौजवान अपने आप पर गर्व करते हुए कहा- “हाँ... बिल्कुल मैं आपको साबित करके दिखाऊँगा.."

बास ने कहा- “तो फिर ठीक है अगर तुम कामयाब हुए तो मुझे बताना तब मैं भी जाऊँगा उसके पीछे। वो सच में कमाल की है। आज सुबह तुम लोगों के आने से पहले मैं उसके घर के सामने काफी देर तक खड़ा उसको देख रहा था। कमाल है, वो एक नाइटी में थी और खिड़की खोली तो मुझे उसकी काँख और चूचियां नजर आईं। बहुत ही मस्त फिगर है उसकी। उस वक़्त मेरा लण्ड फनफना उठा और उसको चोदने का मन किया.."

सब वर्कर हँस पड़े उसकी बातों को सुनकर।

असल बात यह थी कि पहले दिन से ही वो गैरेज वाला खुद नेहा को निहारता चला आ रहा है और जिस दिन उसने अपने वर्कर्स को नेहा के बारे में बात करते हुए सुना तो उसकी इच्छा और भी बढ़ गई। मगर एक अंजान लड़की से अपरोच करना ही सबसे मुश्किल लग रहा था सबको।

अब वो नौजवान 27 साल वाला जिसका नां सुभाष था, उसने देखा कि नेहा घर से बाहर आ रही है कपड़े धोने को तो उसने अपनी बोतल लिया और पानी भरने के लिए चल पड़ा। नेहा पत्थर पर झुकी हुई थी, एक स्कर्ट और टी-शर्ट में थी नेहा, जिसमें उसकी गोल-गोल चचियां बहत आकर्षित कर रही थीं और चचियों का आकार बहुत अच्छी तरह से नजर आ रहा था उस टी-शर्ट में। सुभाष जब आँगन में दाखिल हुआ तो नेहा को पीछे से पत्थर पर झुके हुए पाया, यानी सभास को नेहा की पीठ नजर आई उसकी टी-शर्ट पर उसकी ब्रा की हक और स्ट्रैप के आकार दिखे और क्योंकी नेहा झुकी हुई थी पत्थर पर कपड़े धोती हुई तो उसकी गाण्ड पर उसकी पैंटी का आकार भी दिखा सुभाष को।

उसका बिल्कुल खड़ा हो गया नेहा को वैसे देखते हुए और अपने हाथ से लण्ड को पैंट के अंदर सीधा करते हुए वो नल के पास गया जहाँ नेहा थी। नेहा ने जब उसको आते देखा तो मुश्कुराकर उसकी तरफ देखा और उसको नल से पानी भरने देने के लिए नेहा खड़ी हो गई, क्योंकी झुकी हुई थी उससे पहले। सुभाष 3 बोतलें लेकर आया था भरने के लिए और उसने हिम्मत करके नेहा से बात करने को सोचा जब तक बोतल में पानी भरता।

सुभाष- "आपका बहुत शुक्रिया भाभीजी जो आप हम लोगों को हर रोज अपने यहाँ से पानी भरने देती हो..."

नेहा- “कोई बात नहीं, पानी के लिए बैंक्स नहीं कहते."

सुभाष ने अपने केहुनी को नेहा की गाण्ड के पास करते हुए पानी भरते वक्त कहा- “हम लोगों को बहुत प्यास लगती है, देखना जब हमको पानी की कनेक्सन मिल जाएगी तब इतना पानी की जरूरत नहीं पड़ेगी। जो चीज नहीं होती है उसकी ज्यादा जरूरत पड़ती है अक्सर.” जब तक सुभाष ने इतना कहा तब तक उसकी केहुनी बिल्कुल नेहा की गाण्ड पर पूरा छुई, अच्छी तरह से सुभाष ने महसूस किया। और जानबूझ कर सुभाष ने नल को कम खोला था ताकी पानी को भरने में ज्यादा वक्त लगे और वो ज्यादा देर तक वहाँ ठहर सके।

अब नेहा एकाध बार झुक कर बाल्टी में साबुन से धुले हुए कपड़े को पानी में धो रही थी, जबतक सुभाष पानी भर रहा था। तो नेहा जब वैसा कर रही थी तो उसकी टी-शर्ट काफी हद तक सरक जाती थी और उसकी पूरी क्लीवेज और ब्लैक ब्रा की स्ट्रैप्स उसके गोरे कंधे पर सुभाष को साफ-साफ दिख रहे थे। ब्लैक ब्रा में उसकी गोरी चूचियां और ब्रा पर कुछ डिजाइन्स सब साफ नजर आ रहे थे।

ऐसा लगता था कि नेहा जानबूझकर झुकी थी बाल्टी में कपड़े रिन्स करने के लिए सुभाष के सामने। सुभाष क्या... कोई भी मर्द उस वक्त नेहा को उस पोजीशन में देखता तो तुरंत चोदने का मन करता। सुभाष को फिर से अपने लण्ड को पैंट के अंदर सीधा करना पड़ा जो नेहा ने अच्छी तरह से देखा। नेहा खुद से मुश्कुराई सुभाष को वैसा करते देखकर। नेहा को मालूम था कि वो उसकी क्लीवेज देखकर खड़ा हो गया था। तो तुरंत नेहा सीधा खड़ी हो गई उसके सामने।

सुभाष ने पानी भर लिया था तब तक और उसको वापस जाना पड़ा और गैरेज में जाकर अपने बास और बाकी साथियों को सब कुछ बताया। और अपनी जगह से नेहा उसे जाते हुए देखते हुए हँस रही थी। जब सुभाष बिल्कुल नेहा के आँगन से निकल गया तो नेहा जोर से हँसी और खुद से काहा- “बेचारे का मेरा क्लीवेज देखकर एकदम से खड़ा हो गया और संभाल नहीं पाया अपने आपको वो हीहीही...”

वहीं से नेहा गैरेज में सबको देखने लगी क्योंकी उसको पता था कि वो वहाँ जाकर अपने दोस्तों से सब कुछ कहेगा। और नेहा ने देखा के हाँ सब उसके पास जमा खड़े हैं, उसका बास भी और सुभाष सबको पता नहीं क्या क्या समझा रहा है हाथों से अपने छाती की तरफ इशारे करके और झुक कर।
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03-04-2021, 10:23 AM,
#99
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
वहीं से नेहा गैरेज में सबको देखने लगी क्योंकी उसको पता था कि वो वहाँ जाकर अपने दोस्तों से सब कुछ कहेगा। और नेहा ने देखा के हाँ सब उसके पास जमा खड़े हैं, उसका बास भी और सुभाष सबको पता नहीं क्या क्या समझा रहा है हाथों से अपने छाती की तरफ इशारे करके और झुक कर।

मतलब वो समझा रहा था अपने दोस्तों को किस तरह से नेहा झुकी हुई थी और उसकी क्लीवेज नजर आ रही थी उसे। नेहा ने सब देखा और समझ गई कि सुभाष सब कुछ कह रहा है उन लोगों से। क्योंकी वहाँ से बास और बाकी के वर्कर्स नेहा की तरफ देख रहे थे सुभाष को सुनते हुए।

सुभाष के बास ने कहा- “अगर तुम्हारे वहाँ जाने के बावजूद भी वो लड़की झुक कर कपड़े धो रही थी तो इसका मतलब यह हुआ कि उसको अच्छी तरह से पाता था कि तुम उसकी चूचियां और ब्रा सब देख रहे थे। और जिस तरह से तम कह रहे हो कि उसने तमको अपने लण्ड को पैंट में सीधा करते हए देखा और मश्कराई तो मतलब साफ है कि उसने कुछ भी माइंड नहीं किया और सब समझ गई कि तुम्हारा खड़ा है गया उसको देखकर। तो मुझे लगता है कि वो तुम्हारे हाथ आ जायेगी। अब, तुम फ्लर्ट करते हुये आगे बढ़ो सुभाष."

अपने बास की बातों को सुनकर सुभाष ने एक बोतल से सब पानी फेंक दिया और कहा कि वो तुरंत फिर जा रहा है बोतल में पानी भरने नेहा के पास। सबने उसको उत्साहित किया जाने को।

नेहा भी उम्मीद कर रही थी कि वो जरूर वापस आएगा, और वो आया। नेहा ने पूछा- “क्या हुआ?"

सुभाष ने कहा- "यह वाला बोतल गिर गया हाथ से छूटकर और सब पानी बह गया तो दोबारा भरना है..."

नेहा सब समझ गई कि वो बहाने बना रहा है तो जानबूझ कर इस बार नेहा उसके सामने नहीं झुकी। खड़ी रही और एक शरारती मुश्कान के साथ वो सुभाष को देखती रही पानी भरते हुए। अब जब सुभाष ने देखा कि नेहा खड़ी रह गई और उसका बोतल भर गया तो नेहा को देखते हुए पूछा- “आप कपड़े नहीं धोओगी भाभी?"
.
नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “धोऊँगी.."

सुभाष निराश हो गया क्योंकी अपने प्लान के मुताबिक वो फ्लॉप हो गया था तो उसको एक आइडिया आया। उसने नेहा से पूछा- “भाभी, क्या मैं यहाँ बैठकर एक सिगरेट पी सकता हूँ.”

नेहा ने इजाजत दे दी।

सुभाष ने नेहा का शुक्रिया अदा करते हुए एक सिगरेट सुलगाया नेहा के सामने बैठकर अपने पैरों पर। वो नेहा को घूर रहा था तो नेहा ने कपड़ों को धोना जारी किया उससे बातें करते हुए।

नेहा ने पूछा- “किधर के रहने वाला हो तुम?"

सुभाष- “यहाँ से 50 किलोमीटर दूर के एक शहर का हूँ भाभीजी..."

तब नेहा ने पूछा- “क्या तुम शादीशुदा हो?"

मुश्कुराते हुए सुभाष ने कहा- “अरे नहीं भाभी, मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझको धोखा दे दिया और किसी और एक अधेड़ आदमी के साथ भाग गई वो..."

नेहा जोर से हँसी और उसके चेहरे में देखते हुए कहा- “ओहह... माई गोड। क्यों उस लड़की ने एक अधेड़ आदमी को पसंद किया तुमको छोड़कर... जरूर तुमने उसको खुश नहीं किया होगा..."

नेहा जिस तरह से हँसते हुए उससे बात कर रही थी तो सुभाष को उससे और इंटिमेट बातें करने की हिम्मत बढ़ी। उसने कहा- “पता नहीं उसने वैसा क्यों किया भाभी? आप तो लड़की हो भाभी, आप ही बताओ क्या आप मुझ जैसे हैंडसम नौजवान को छोड़कर किसी अधेड़ आदमी को और पसंद करोगी क्या?"

तब नेहा मुश्कुराते हुए उसके सामने झुक गई कपड़े को बाल्टी में रिन्स करने के लिए और अपने क्लीवेज को उसको दिखाते हए और कहा- “पता नहीं डिपेंड करता है, अगर वो अधेड़ आदमी ज्यादा खयाल रखता हो मेरा, ज्यादा प्यार करता हो मुझे, ज्यादा अफेक्षनेट हो, तो हो सकता है हाँ..."
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03-04-2021, 10:23 AM,
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
सुभाष को नेहा का जवाब सुनकर बहुत अच्छा लगा और उसने सोचा कि शायद यह भाभी भी अधेड़ आदमियों पसंद करती है। फिर सभाष नेहा की नरम चचियों को उसकी ब्रा में लटके हए देखने लगा। लगता था कि अब चूचियां ब्रा के बाहर निकल आयेंगी। सुभाष का खड़ा हो गया, नेहा की टी-शर्ट के अंदर उसकी चूचियों के देखते हुए और उसने नेहा से कहा- “और आप भाभी... बहुत पहले से शादी हो गई है आपकी... आप लगती तो बहुत जवान हो, मुझसे भी उम्र में छोटी दिखती हो..”

नेहा फिर से सीधा खड़ी हुई, अपने बाल को सामने से पीछे पीठ पर किया और धुले हुए कपड़े को एक बाल्टी से दूसरे बाल्टी में ट्रान्स्फर करते हुए सुभाष को जवाब दिया- “9 महीने से इस घर में ब्याह कर आई हूँ, क्यों पूछा तुमने?”
सुभाष ने फिर कहा- “बस ऐसे ही पूछा, तो मतलब आप सिर्फ अपने पति के साथ रहती हो यहाँ?"
तब तक नेहा पत्थर पर एक दूसरा कपड़ा रगड़ रही थी और वैसा करने से सुभाष उसकी चूचियों को आता जाता देख रहा था, उसकी टी-शर्ट के अंदर सब साफ दिख रही थी। उसकी हिलती हुई चूचियां बहुत मस्त दिख रही
थीं। सुभाष ने सोचा काश उन चूचियों को नंगे वैसे लटकते और हिलते हुए पूरा देख सकता।

उसका सिगरेट खतम हुआ और वो उठकर नेहा के पास नल के पानी से अपना हाथ धोने के बहाने गया और अपने जिश्म को जानबूझ कर नेहा के बहुत करीब करते हुए खड़ा हुआ। हाथ धोते हुए सुभाष ने अपने जिश्म को नेहा के जिश्म से छुआ और हल्के से रगड़ दिया। और जितना थोड़ा सा टाइम लिया हाथ धोने के लिए उतने में जितना बात कर सका किया। फिर पूछा- “तो भाभी आपने बताया नहीं मुझे क्या सिर्फ आप दोनों रहते हो यहाँ
क्या..."

नेहा ने उससे कुछ दूर हटने की कोशिश किया मगर नहीं हट पाई क्योंकी जगह कम थी, तो उसको जवाब दिया नेहा ने- “नहीं मेरा ससुर और देवर भी साथ रहते हैं..”

तब तक सभाष ने हाथ धो लिया और हिम्मत करके कहा- “क्या मैं अपने हाथों को आपकी स्कर्ट में पोंछ सकता हूँ भाभीजी.."

नेहा ने इसका जवाब नहीं दिया, मगर सिर्फ उसके चेहरे में देखा, तो सुभाष ने अपनी हथेली को नेहा की स्कर्ट के ऊपर जांघों पर रगड़ हाथ पोंछते हुए पूछता गया। कई बार नेहा की मस्त जांघों को महसूस करते हुए मजे से। और धीरे से अपने एक हाथ को सुभाष ने थोड़ा सा अंदर किया उसकी जांघों पर और हल्के से सहला दिया।

तब नेहा ने हटते हुए कहा- “अब तो हाथ सूख भी गया..'

इस बार सुभाष ने बहुत हिम्मत जुटाकर कहा- “भाभी, आप बहुत ही खूबसूरत और गरम हो, मैं आपकी तरफ खिंचा चला आता हूँ, प्लीज मुझे एक छोटी सा पप्पी लेने दो ना.."

नेहा बिल्कुल सर्पोइज नहीं हुई जब सुभाष ने वैसा कहा तो, क्योंकी नेहा अच्छी तरह से उसके इरादे समझ गई थी कि वो उसके करीब आना चाहता था। मगर साइज होने का नाटक करते हुए नेहा ने उससे कहा- "तुम्हारी हिम्मत की तो दाद देनी पड़ेगी यंग मैन। हम एक दूसरे को जानते तक नहीं और तुम मुझको किस करना चाहते
हो हम्म्म ...”

तब तक सुभाष नेहा के बहुत करीब खड़ा हो गया था और उसने नेहा के मुलायम हाथ को अपने हाथ में ले लिया था, और अपने चेहरे को नेहा के चेहरे के बहुत नजदीक ला चुका था, और जैसे ही वो नेहा के गाल पर एक चुम्मी देने वाला था, तभी नेहा मुड़कर पीछे गैरेज की तरफ देखने लगी कि कहीं उधर से कोई देख तो नहीं रहा। नेहा के वैसे मुड़ने से सुभाष ने उसके गाल को मिस कर दिया। फिर नेहा ने अपने हाथ को उसके हाथ में से खींचते हुए कहा- “तुम्हारे सभी दोस्त वहाँ से देख रहे होंगे, अब जाओ तुम..”

मगर तब सुभाष ने अपने दोनों हाथों को उसकी जांघों पर किया और अपने मुँह को नेहा के गले के पास करके उसकी बाल और गले को सूंघ रहा था लंबी साँस लेकर। तो नेहा अपने होंठों को दाँतों में दबाते हुए सुभाष की हरकत पर मुश्कुराने लगी।

उसको सूंघते हुए सुभाष ने कहा- “आपकी खुशबू कितनी अच्छी है भाभी, एक बार किस करने दो ना प्लीज भाभीजी..."

अपने हाथों से नेहा ने अपने चेहरे पर आते बालों को पीछे किया क्योंकी वो झुक कर कपड़े धो रही थी तो बाल हर बार लटक जाते थे उसके चेहरे पर। तब तक सुभाष का हाथ उसकी जांघों से होते हए तकरीबन उसकी चूचियों तक आ पहुँचा था थोड़ा बहुत हल्के से सहलाते हुए।

नेहा के जिश्म में एक हल्की सी कंपकंपी उठी और उसने कहा- “ओके, सिर्फ एक किस और तुम तुरंत चले जाओगे, ठीक है?"
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