Indian XXX नेहा बह के कारनामे
03-04-2021, 10:18 AM,
#71
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
फिर बहुत हैरात से देखते हुए, नेहा तकरीबन चिल्लाते हुए बोली- “अरे बाप रे... मैंने आज तक इतना मोटा वाला कभी नहीं देखी है, इतना बड़ा, इतना लंबा और मोटा। यह क्या है यह मेरे अंदर नहीं जा सकता है। ना बाबा ना.." और नेहा प्रवींद्र की ओर देखते हुए उसको इशारे से शीक का लण्ड दिखाती है।, जो मोटा और लंबा था, कुछ हद से ज्यादा ही बड़ा था।

नेहा के जिश्म में एक सिरहन सी हुई और उसने लण्ड को दिलचस्पी से देखा, फिर अपने हथेली में लिया और उसके ऊपरी हिस्से पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए पूछा- “यह ऐसा क्यों है ऊपर, दूसरे लोगों की तरह क्यों नहीं है?" ये सवाल नेहा ने शीक से किया। फिर प्रवींद्र को सवालिया नजरों से देखा, शीक के लण्ड को उससे दिखाते हुए।

शीक ने जवाब दिया- “मेरी जान, यह ऊपर का हिस्सा इसलिए ऐसा है क्योंकी इसका छिलका क सरकमसाइज्ड है..."

नेहा नहीं समझ रही थी तब शीक ने नेहा से रूपचंद की अंडरवेर उतारने को कहा, तब वो उसको समझा पाएगा। जब रूपचंद का लण्ड सामने आया जो एवरेज साइज का था। तब शीक ने रूपचंद से अपने लण्ड को थामने को कहा ताकी उसके लण्ड की आगे की चमड़ी दिखाई दे। तब नेहा को शीक ने समझाया कि जो आगे की चमड़ी रूपचंद के लण्ड के ऊपरी हिस्से पर है वो आके की चमड़ी उसके लण्ड से हटायी गया है इसीलिए उसका लण्ड वैसा है।

तब नेहा ने पूछा- वैसा क्यों है?

शीक ने बताया की वो हाइजेनिक है और उसका धार्मिक संस्कार भी।

नेहा शीक के लण्ड से मजा ले रही थी, उसको जैसे एक खिलोना मिल गया हो उस वक्त। तब तक रूपचंद ने अपने लण्ड को नेहा के मुँह के पास किया और बिना झिझक के नेहा ने उसे अपने मुँह में ले लिए, उसी समय वो शीक का लण्ड हाथ में लिए हुई थी। नेहा बिस्तर पर घुटनों के बल पर आई और दोनों मर्दो को अपने सामने किया और एक-एक हाथ में एक-एक लण्ड को थामा फिर एक-एक करके बारी-बारी दोनों लण्ड को चूसने लगी। शीक का लण्ड मुँह में लेते वक्त उसको अपने मुँह को और खोलना पड़ता था। वो शीक के चेहरे में देखती तो कभी रूपचंद के चेहरे में फिर प्रवींद्र को देखती चूसते वक्त।

प्रवींद्र को बड़ा मजा आ रहा था देखते हए कि किस अदा से नेहा दोनों लण्डों को आराम से संभाल रही थी, जैसे उसके लिए एक मामूली बात हो। नेहा शिकायत कर रही थी शीक से कि उसका मुँह दुख रहा था उसको चूसने से क्योंकी उसका बहुत ज्यादा बड़ा है, मुँह को बहुत ज्यादा बड़ा खोलना पड़ रहा था। शीक एक शैतानी मुश्कुराहट के साथ नेहा के सर को पकड़कर अपने लण्ड को और भी ज्यादा ठूससने की कोशिश करता जा रहा था नेहा के मुँह में, मगर नेहा नहीं ले पा रही थी। फिर भी नेहा ने दोनों मर्दो को बारी-बारी चूसा और दोनों खुश थे।

नेहा ने एक-दो बार प्रवींद्र को भी इशारे से बुलाया उसको भी चूसने के लिए।

मगर प्रवींद्र ने कहा कि वो बस देखेगा वहीं बैठकर और नेहा को जारी रखने को कहा। उस वक्त नेहा को देखते हए प्रवींद्र भी अपने लण्ड को हाथ में थामे हए था। लण्ड को मूठ मारने की तरह हथेली से रगड़े जा रहा था, अपनी जवान भाभी को दो गैर मर्दो के लण्ड चूसते हुए देखकर।

शीक एक हाथ से नेहा की गाण्ड सहला रहा था जिस वक़्त वो उसको चूस रही थी, जो नेहा को अच्छा लग रहा था। रूपचंद की उंगलियां नेहा की चूत से भीग रही थीं और वो अपने दूसरे हाथ से उसकी चूचियों को मसल रहा था।
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03-04-2021, 10:18 AM,
#72
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नेहा गीली हो चुकी थी और उसकी गर्मी बढ़ती जा रही थी धीरे-धीरे। उसकी साँसें भी तेज हो रही थीं और वो जैसे तैयार हो गई थी लण्ड को अपनी चूत के अंदर लेने के लिए। आखिर में नेहा बोली कि उसका मुंह दुखने लगा है और उसने चूसना बंद किया और बेड पर पीठ के बल लेट गई।

दोनों मर्द उसकी चूत पर टूट पड़े तुरंत। दोनों दोस्त मिलकर एक चूत को शेयर कर रहे थे। नेहा ने खुद अपने आप अपनी चूत को दोनों के हवाले करते हुए अपनी दोनों टाँगों को फैला दिया, और सिसकने लगी थी मुट्ठी में चादर को जकड़े हुए और जिश्म को रगड़ते हुए। दोनों मर्द उसकी चूत को बारी-बारी चाट, चूस रहे थे और उनके हाथ नेहा की चूचियों को मसले जा रहे थे।

रूपचंद ने तो एक उंगली नेहा की गाण्ड के छेद में भी घुसाने की कोशिश की, पर नेहा ने झटक दिया तो उसने उंगली अंदर नहीं किया। प्रवींद्र मजा लेते हुए आँखें फाड़े देखे जा रहा था। और फिर नेहा को चोदने का वक्त आ गया।

शीक ने शुरुवात किया, अपने मोटे लण्ड को नेहा की चूत पर रगड़ते हुए।

नेहा ने टाँगों को और भी ज्यादा फैलाया, शीक को अपने अंदर लेने के लिए। और सर को थोड़ा उठाकर उसके लण्ड को अपनी हए देखने लगी।

एक डर सी थी उसके चेहरे में उस पल जिसको प्रवींद्र गौर से देख रहा था। प्रवींद्र उठकर बेड के करीब आया देखने के लिए।

शीक ने पहले अपने लण्ड को नेहा की चूत पर रगड़कर अपने लण्ड को उसके पानी से गीला किया, फिर धीरे से, आराम से लण्ड के सुपाड़े को नेहा की चूत के छेद से लगाया। नेहा ने उसको महसूस करते हुए एक आह्ह... भरी, सर उठाकर देखते हुए, और लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुसा तो नेहा ने सिसकारी लेते हुए ‘इइस्स्स्स ' किया।

शीक ने उसके चेहरे में देखा और कहा- “आराम से बेबी, आराम से... फिकर मत करो मैं बिल्कुल ध्यान से कर रहा हूँ, तुमको कोई दर्द नहीं होने दूंगा। कितनी कोमल दिख रही हो, मेरी परी हो इस वक़्त तुम... इतनी मुलायम चूत को मैं भला चोट कैसे पहुँचा सकता हूँ? तुम बेफिकर रहो बेबी..” और नेहा की तड़पती सिसकारियों और आहों के बीच, शीक ने अपने तजुर्बे के अनुसार धीरे से अपनी कमर को हिलाते हुए लण्ड को अंदर किया। शीक के लण्ड को अपने अंदर घुसते महसूस करते हुए नेहा ने अपने सर को वापस तकिये पर पटक दिया। जिस समय लण्ड उसके अंदर घुसा, एक गहरी साँस लेते हुए नेहा का मुँह खुला हुआ था। और जैसे ही दूसरा धक्का देने के लिये शीक ने लण्ड को बाहर खींचा।

नेहा तड़पती आवाज में चिल्लाई- “उफफ्फ़... उइइ माँ आआहह..."

तब तक रूपचंद अपने लण्ड को नेहा की चूचियों के बीच में रगड़ रहा था।

शीक ने धक्का देना शुरू किया और नेहा अपने मुट्ठी में कसके चादर जकड़े हुए अपने जिश्म को ऐंठ रही थी बिस्तर पर। उसकी चूचियां के निपल्स कड़क खड़े ऊपर छत को ताक रहे थे। शीक ने दाँतों को पीसते हए धक्कों की रफ़्तार को बढ़ाया तो नेहा बेड पर रगड़ते हए बेहाल होती चली गई जिससे बिस्तर की चादर इधर की उधर हो गये।

फिर अचानक प्रवींद्र ने कुछ फुसफुसाते हुए शीक और रूपचंद के कानों में कहा।

नेहा ने एक गहरी साँस लेते हुए उनको देखा और पूछा- “अब क्या है? इतना अच्छा तो चल रहा है सब...” तब शीक अपनी पीठ के बल बिस्तर पर लेटा और नेहा को अपने ऊपर ले लिया, लण्ड चूत के अंदर ही रहा उस दौरान।

जब नेहा शीक के ऊपर हो गई तो रूपचंद ने उसकी गाण्ड को चूमना चाटना शुरू किया। उसने थूक से नेहा की गाण्ड के छेद को भिगोया, अपने उगली रगड़ी गाण्ड के छेद के ऊपर। उस वक्त लग रहा था कि नेहा एक घोड़े पर संवार थी, दोनों टाँगें दोनों तरफ थी, शीक का लण्ड उसकी चूत के अंदर था और वो धीरे-धीरे उछल रही थी लण्ड को अपनी चूत के अंदर-बाहर करते हुए। और उसकी गाण्ड के ऊपर रूपचंद अपने हाथ से काम कर रहा
था। तब रूपचंद ने थूक से अपने लण्ड को भी भिगोया और लण्ड को नेहा की गाण्ड के छेद पर रगड़ा और धीरे से उसकी गाण्ड के छेद में अपने लण्ड को ठुसने की कोशिश किया।

जिससे नेहा जोर से चिल्लाई- “नहींईई... वो मत करो, वहाँ नहींईई..”

तो रूपचंद रुक गया एक पल के लिए फिर धीरे-धीरे अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद में घुसेड़ने लगा। नेहा सिसक रही थी, और उस पल शीक के लण्ड का मजा ले रही थी, फुल एंजाय कर रही थी जैसे बस झड़ने ही वाली हो, ऐसा लग रहा था। बिल्कुल बहाल थी, वो उस वक्त जोरों से हाँफती जा रही थी शीक के लण्ड के ऊपर उछलते हुए।

तभी रूपचंद का लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में आधा घुसा और वो कसमसाते हुये चिल्लाई- “उफफ्फ़... ओहह... माई गोड.. इस्स्स्स ... दो-दो एक साथ नहीं बाबा। मैं नहीं झेल पाऊँगी। निकालो उसे नहींन्न्न्न्...”

मगर रूपचंद ने उसकी गाण्ड को चोदना शुरू कर दिया था और उसका लण्ड अंदर-बाहर होने लगा था तब तक। फिर एक पल बाद नेहा की आवाज ऐसी आई- हाँ, हाँ, धीरे-धीरे, इस्स्स्स ... हाँ हाँ आराम से डालो... उफफ्फ़... उईई माँ..." और नेहा झड़ गई दो-दो लण्ड अपने अंदर एक साथ लेते हुए।
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03-04-2021, 10:18 AM,
#73
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
तभी रूपचंद का लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में आधा घुसा और वो कसमसाते हुये चिल्लाई- “उफफ्फ़... ओहह... माई गोड.. इस्स्स्स ... दो-दो एक साथ नहीं बाबा। मैं नहीं झेल पाऊँगी। निकालो उसे नहींन्न्न्न्...”

मगर रूपचंद ने उसकी गाण्ड को चोदना शुरू कर दिया था और उसका लण्ड अंदर-बाहर होने लगा था तब तक। फिर एक पल बाद नेहा की आवाज ऐसी आई- हाँ, हाँ, धीरे-धीरे, इस्स्स्स ... हाँ हाँ आराम से डालो... उफफ्फ़... उईई माँ..." और नेहा झड़ गई दो-दो लण्ड अपने अंदर एक साथ लेते हुए।

प्रवींद्र की खशी की कोई सीमा न थी उस पल, वो सब देखते हए। नेहा ने अपनी टाँगों को पूरी तरह से फैला । दिया था, जैसे दोनों टाँगों को फाड़ दिया हो। और दोनों मर्दो के लण्ड को अपने अंदर दर्द और मजे के साथ लिए
जा रही थी। तड़प भी रही थी, और खशी भी महसूस कर रही थी एक साथ। उसको जो फीलिंग्स हो रही थी बयान करना मुश्किल है। वोही समझ सकती थी कि उस पल क्या महसूस हो रहा था उसे, चूत के अंदर एक मोटा, बड़ा सा लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था और गाण्ड के अंदर दूसरा लण्ड आ जा था, खुद बेकाबू होती जा रही थी हॉफते हुए।

कभी-कभी नेहा का दम घुटने लगता था तो वो गहरी साँसें ले रही थी, गुर्रा भी रही थी, अपने जबड़े को जोर से दबाकर कभी-कभी दाँत पीस रही थी तो कभी सिसकारियां ले रही थी। नेहा के नीचे से शीक अपने लण्ड को उसकी चूत में लूंसे जा रहा था और ऊपर से रूपचंद गाण्ड में घुसा रहा था। नेहा उन दो बूढों के बीच में थी जो दो नौजवानों की तरह उसको बड़े मजे से चोद रहे थे।

फिर कुछ देर बाद शीक नेहा की गाण्ड मारना चाह रहा था, तो उसने रूपचंद को नीचे आने को कहा, पोजीशन बदलने को कहा। रूपचंद मान गया। मगर नेहा ने एतराज किया ये कहकर कि फिर से पीछे में अंदर डालने से

दर्द होगी। तो दोनों मर्द नेहा को फुसलाने लगे, उसको सहलाते हुए चूमने लगे। प्रवींद्र भी आया नेहा को सहलाने मनाने के लिए।

प्रवींद्र ने कहा- “देखो ना सब कितना ठीक चल रहा था, बस अदला-बदली से क्या फरक पड़ेगा? करने दो ना इसको भी पीछे से अब..."

नेहा उन मर्दो की ठरकपन को आगे बढ़ने के लिए मान गई। फिर रूपचंद अपनी पीठ पर लेटा और अपने लण्ड को नेहा की चूत में डाला, और ऊपर से अब शीक ने अपने लण्ड को नेहा की गाण्ड के छेद में घुसेड़ने की कोशिश की। शीक ने अपने लण्ड और नेहा की गाण्ड को थूक से भिगोया और लण्ड ट्रंसने लगा।

नेहा चिल्लाई- “नहीं... रुको, आपका बहुत ज्यादा मोटा है, नहीं घुसेगा, मुझे बहुत दर्द होगी मत डालो अंदर आप, आपका इतना मोटा लौडा मेरे अंदर पीछे में नहीं जाएगा..."

मगर शीक को नेहा का चिल्लाना और शिकायत करना और भी पसंद आ रहा था और उसका मन उसकी गाण्ड मारने का और भी ज्यादा कर रहा था, वो रुकने वाला कहाँ था। उसने नेहा को बड़ी होशियारी से फुसलाते हुए अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छेद में घुसेड़ ही दिया। सिर्फ एक हिस्सा अंदर घुसा तो नेहा चिल्लाई और उसके आँसू निकल पड़े। फिर शीक ने अपने लण्ड को थोड़ा सा और अंदर पेला तो नेहा रोने लगी। शीक ने फिर और ठूसा तो नेहा सिसक गई और आखिर में शीक का लण्ड भी घुस गया नेहा के अंदर... फिर से दो लण्ड उसकी गहराई में थी और दोनों अंदर-बाहर धक्का देने लगे।

नेहा जोर से चिल्लाती रही- “आआहह.. इस्स्स्स ... मुझको फाड़ डालोगे तुम दोनों... फाड़ डाला मेरी गाण्ड को... उईईई माँ... इतना मोटा लण्ड, मैं कैसे झेल पाऊँगी? बस करो ना दर्द हो रहा है, अंदर जलन सी हो रही है, रुको ना प्लीज..."

मगर कौन रुकने वाला था उस वक्त। दोनों मस्त चुदाई कर रहे थे मजा लेते हुए। जितना नेहा चिल्ला रही थी उतना दोनों मर्दो को ज्यादा मजा आ रहा था। शीक को नेहा की गाण्ड बहत ही टाइट लग रही थी और उसको बेहद मजा आ रहा था, खासकर नेहा जब चिल्ला रही थी तब। वो उसकी गाण्ड में धक्का देता गया और नीचे से रूपचंद अपने लण्ड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करता गया।

नेहा की साँसें फूल रहे थे, वो सिसक रही थी, लंबी-लंबी साँसें लेते हुए तड़पती जा रही थी दोनों मर्दो के बीच। नेहा ऐंठ रही थी, कभी पीछे मुड़कर शीक को देख रही थी, कभी प्रवींद्र को देख रही थी, और जब मुड़कर शीक को देखी तो शीक ने उसके मुंह को अपने मुँह में ले लिया। फिर नेहा ने भूखी शेरनी की तरह शीक की जीभ को मुँह में लेकर चूसा, फिर नेहा ने शीक के कंधे पर अपना दाँत गड़ाई, जिससे शीक के कंधे पर नेहा की दाँतों के निशान बन गये। नेहा पर जैसे एक जुनून सवार हो गई थी उस पल, झूमने लगी थी, उछलने लगी थी, तड़प भी रही थी, नशे की हालत में दिखने लगी थी, उसकी आवाज बदली सी लगने लगी थी।

नेहा झड़ने वाली थी। उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी और रूपचंद का लण्ड बहुत आसानी से अंदर-बाहर होने लगा थे। जबकि शीक का लण्ड बहुत टाइट अंदर बाहर हो रहा था, उसकी गाण्ड के अंदर। फिर रूपचंद ने गुर्राते हए अपने लण्ड को बाहर निकाला और अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ा, जो नेहा के पेट पर पड़ी और वापस रूपचंद के पेट पर गिरी।

नेहा झड़ चुकी थी और जोरों से हाँफ रही थी उस पल जब रूपचंद ने अपना वीर्य छोड़ा।

मगर शीक के लण्ड का तब भी उसकी गाण्ड में आना जाना जारी था। उसने नेहा की कमर को जोर से अपने पंजों में जकड़ा हुआ था और जबरदस्त चोद रहा था, नेहा की गाण्ड मार रहा था और आखिर में वो भी गुर्राया “आगघह... इस्स्स्स ... व्-व-वाहह.." और उसको लण्ड बाहर नहीं निकालना पड़ा, क्योंकी उसने अपने वीर्य को नेहा की गाण्ड की गहराई में ही छोड़ा पूरा के पूरा।
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03-04-2021, 10:18 AM,
#74
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
तब प्रवींद्र बेड के ऊपर आया, और जैसे ही शीक ने अपना लण्ड निकाला प्रवींद्र ने नेहा की गाण्ड में अपना लण्ड लूंस दिया। एक कुत्ते की तरह वो नेहा को चोदने लगा। बिल्कुल डागी पोजीशन पर था वो नेहा की गाण्ड मारते हुए। नेहा फिर से चिल्लाई जिस वक्त तीसरी बार उसकी गाण्ड में लण्ड घुसा। नेहा को उस हालत में देखकर प्रवींद्र को बहुत मजा आ रहा था इसलिए सब कुछ देखने के बाद प्रवींद्र कुछ ही पल में झड़ने लगा और उसने भी अपने वीर्य को नेहा की गाण्ड के अंदर ही छोड़ा।

जिस दौरान प्रवींद्र झड़ रहा था उसका एक हाथ नेहा के पेट को जकड़ा हुआ था और उसकी उंगलियां नेहा की गीली चूत को मसल रही थीं, और वो नेहा की पीठ पर दाँत काट रहा था उसकी पीठ को चूसते हुए, जिससे गहरा लाल निशान हो गया नेहा की पीठ पर। प्रवींद्र ने अपना लण्ड नेहा की गाण्ड में ही रहने दिया और अपनी भाभी के जिश्म पर लेट गया। नेहा भी अपने पेट के बल लेट गई बेड पर हाँफते हुए। दोनों को थकान के मारे जैसे नींद आने लगी थी।

तब दोनों बूढ़े बाथरूम में शावर लेने चले गये। शावर लेने के बाद रूपचंद और शीक एक दूसरे से बात करते हुए बोले- “केवल एक बार नेहा को चोदना काफी नहीं है, मन नहीं भरा है और एक बार उसकी लेनी चाहिए..."

रूपचंद को ये आइडिया आया कि वो प्रवींद्र को अपनी बेटी दिलाए ताकी वह दोनों कुछ और वक्त नेहा के साथ बिता सके। तो इन दोनों ने प्रवींद्र से बात करने को सोचा। जब दोनों कमरे में आए तो नेहा और प्रवींद्र को नींद लग गई थी, दोनों एक दूसरे की बाहों में थे। नंगे थे दोनों मगर नींद में थे। शीक ने नेहा के नंगी जिश्म पर अपना हाथ फेरा कहीं-कहीं, जैसे उसकी पीठ, जाँघ और गाण्ड पर।

नेहा झट से उठी और प्रवींद्र को हिलाकर जगाया। नेहा नहाने के लिए गई तो दोनों बुजुर्गों ने प्रवींद्र से बातें की। उन लोगों ने उसको बताया कि रूपचंद की बहन एक विधवा है और उसकी बेटी 18 साल की है जिसको प्रवींद्र जरूर एंजाय करना पसंद करेगा, अकेले या दोनों से एक साथ मिलकर भी। जब दोनों ने प्रवींद्र को डीटेल में बताया कि कैसे वह दोनों रूपचंद की बहन को एक साथ मिलकर चोदते हैं तो उसका भी खड़ा हो गया और बहत उत्तेजित हुआ वो।

उसके लिए एक बड़े भाई का अपनी बहन को चोदना और उसकी बेटी मतलब भतीजी को भी, यह सब जानकर प्रवींद्र बहुत ही उत्तेजित हो गया। उसने सोचा कि उसका नेहा से रिश्ता काफी मिलता जुलता है और प्रवींद्र इन्सेस्ट रिश्तों से बहुत आकर्षित होता था और उसके लिए वो सब कुछ बहुत ही गरम और लज्जतदार रिश्ते होते होंगे। इसलिए वो दिल से रूपचंद की बहन और बेटी से मिलना चाहता था। मगर बदले में दोनों ने यह चाहा कि नेहा उनके साथ एक बार और करने के लिए राजी हो जाए, तब वह उसको रूपचजांद की भतीजी से मिलाएंगे।

प्रवींद्र ने रूपचंद से उसकी भतीजी के रूप के बारे में पूछा- कैसी दिखती है? उसकी फिगर क्या है एट्सेटरा?

शीक ने रूपचंद की जगह उसको जवाब दिया- “वो बहुत कमाल की है जनाब। तुम्हारी गर्लफ्रेंड से भी बेहतर कहूँगा मैं तो। उसकी माँ भी बहुत उम्दा है भाई। तुम दोनों को चोदना चाहोगे यकीनन.."

प्रवींद्र दोनों से मिलने के लिए उतावला हो गया और दोनों से पूछा- क्या वो लोग उसको इस वक़्त उनसे मिला सकते हैं?

रूपचंद ने तुरंत ही प्रवींद्र को अपने साथ चलने को कहा और कहा कि अभी ही उसको अपनी बहन और भतीजी से मिलवा देता है।

कोई 200 मीटर चलकर प्रवींद्र को रूपचंद के घर तक जाना था। नेहा उस वक़्त नहा रही थी और उसको तो वहाँ नहीं ले जा सकते थे, तो प्रवींद्र ने बाथरूम के दरवाजे के पास खड़े होकर नेहा से कहा कि वो कुछ देर के लिए किसी से मिलने जा रहा है बाहर और बस थोड़ी देर में वापस आ जाएगा।

जब रूपचंद और प्रवींद्र चले गये, उसके बस थोड़ी देर बाद नेहा बाथरूम से नहाकर निकली। शीक उसको निहार रहा था। पानी की बूंदें नेहा की नंगी पीठ पर बहते हुए उसकी कमर पर जा रही थीं और कमरे के तरफ चलते हुए वो अपने सर के बाल पर उस वक्त तौलिया रगड़ रही थी। शीक को देखकर वो मुश्कुराई तो शीक ने उसे एक आँख मारा।

नेहा ने नजरें एक तरफ करते हुए पूछा- “वह दोनों कहाँ चले गये?"

शीक ने जवाब दिया- “उन लोगों ने मुझे तुम्हारे साथ एक और मौका दिया है जानेमन..."

नेहा ने शीक के चेहरे में मुड़कर देखते हुए गंभीरता से कहा- “नहीं, मैं और नहीं करना चाहती अब..."

शीक खड़ा हआ और उसके कदम नेहा की तरफ बढ़ने लगे और नेहा अपने कदम पीछे की तरफ करने लगी। मगर वो और करीब आ गया था तो उसने झट से नेहा को अपनी बाहों में जकड़ा और अपने लण्ड को जो पैंट के अंदर था, नेहा के पेट के नीचे के हिस्से पर दबाया, नेहा को जोर से बाहों में भरते हुए। नेहा शीक को धकेल रही थी मगर शीक का मुँह नेहा के होंठों को तलाशने लगा था।

फिर शीक नेहा के कानों में फुसफुसाया- “चलो ना जानेमन, हम अकेले हैं, कोई भी तो नहीं इस वक्त, वो लोग इतनी जल्दी नहीं आएंगे, देखो मेरा कैसे फिर से खड़ा हो गया है, इसे महसूस करो कि कैसे रगड़ रहा हूँ तुम्हारी जांघों पर। हम्म्म... उनके वापस आने से पहले हमको करने का मौका मिल जाएगा, नखरे मत करो एक बार
और एंजाय करते हैं चलो मेरी जान..."

नेहा उसको बाहों में जकड़े हुए ही। बचकानी अदा से अपने पैरों को जमीन पर पीटते हुये कहा- “हम्म्म... मैं थक
गई हूँ अंकल और नहीं ले सकती मैं हम्म्म... आप बहुत गंदे हो अंकल हम्म्म..."
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03-04-2021, 10:19 AM,
#75
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा उसको बाहों में जकड़े हुए ही। बचकानी अदा से अपने पैरों को जमीन पर पीटते हुये कहा- “हम्म्म... मैं थक
गई हूँ अंकल और नहीं ले सकती मैं हम्म्म... आप बहुत गंदे हो अंकल हम्म्म..."

फिर शीक ने उसको अपनी गोद में एक छोटे बच्चे की तरह उठाकर बेड पर लेटाया। लेट गई नेहा फिर से, इस बार उसका जिश्म एक तौलिया में लिपटा हुआ था, उसका नंगा जिश्म शीक के सामने दोबारा आया। शीक नेहा के गोरे जिश्म को दोबारा निहारने लगा, उसकी गदराए जांघों को जैसे खा जाने को मन कर रहा था उसका। फिर एक भूखे भूड़िये की तरह शीक ने झट से उसके तौलिया को बदन से खींचा और नेहा बिल्कुल नंगी हो गई बेड पर लेटे हुए।

बहत जल्दी-जल्दी शीक ने अपने कपड़े उतारे और बेड पर चढ़ गया। शीक ने नेहा की टांग को चूमना शुरू किया। उसकी टांग की उंगलियों को चूसा, फिर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता गया, उसके घुटनों के पीछे चूमा और चाटा। नेहा अपने आपको संभाल नहीं पाई वैसी छुवन से। शीक चूमते चाटते हुए उसकी जांघों से होकर पेट और नाभि से गुजरते हुए उसकी चूचियों तक पहुँचा। इस दौरान नेहा कसमसाती गई बेड पर कभी मुट्ठी में चादर जकड़ते हुए, तो कभी अपनी मुट्ठी में शीक के सर के बालों को नोचते हुए अपने जिश्म को ऐंठने लगी थी।

उसके जिश्म में एक मस्ती सी चढ़ी और उसकी साँसें फिर से बिल्कुल तेज हो गई थीं और गर्मी चढ़ गई उसके पूरे बदन में। नेहा की तड़प बढ़ने लगी जिस तरह से शीक उसके जिश्म से खेल रहा था और उसकी तड़प शीक को और भी मजा दे रही थी। वो उस वक्त उसकी दोनों चूचियों को मसलते हुए चूसे जा रहा था। नेहा के जिश्म पर कहीं-कहीं पानी की बूंदें अब भी थीं शावर से जो निकली थी। और शीक उसके जिश्म को चूमते चाटते हुए उन बूंदों को पी रहा था। नेहा सिसकती गई और आखिर में दोबारा खुद ही अपने आपको शीक के हवाले कर दिया।

शीक समझ गया कि अब नेहा उसके काबू में है जिससे उसका मजा दोगुना होता गया और वो नेहा की निपल्स को हल्के से अपने दाँतों में थामकर ऊपर की तरफ खींच रहा था फिर छोड़ रहा था, कई बार उसने ऐसा किया जिससे नेहा की सिसकारियां बढ़ती गई। अपनी आँखों को बंद करके नेहा सब महसूस किए जा रही थी। तड़प रही थी सिसकारियों के बीच और अब इंतजार में थी शीक का मोटा लौड़ा अपने अंदर लेने के लिए। शीक अपने लण्ड को वो सब करते वक्त रगड़ते जा रहा था नेहा की चूत के ऊपर। इसीलिए नेहा बेताब हो गई उसको अपने अंदर लेने के लिए।

मगर शीक उसको तड़पाना चाह रहा था इसलिए लण्ड को चूत के ऊपर ही रोका हुआ था, अपने हाथ से लण्ड को चूत के छेद पर रगड़ा उसने, जो बिल्कुल गीली हो गई थी, मगर अंदर नहीं डाला शीक ने, फिर से चूत के ऊपर रगड़ने लगा। उसका लण्ड नेहा की नाभि को भी छू रहा था चूत के ऊपर रगड़ते हुए। इतना लंबा था कि एक रगड़ से चूत पर फिसलते हुए नेहा के पेट से होकर उसकी नाभि तक को छू जाता था।

नेहा अपने जज़्बातों को काबू में नहीं रख पा रही थी, उसके जिश्म की गर्मी बिल्कुल बढ़ गई थी और उसकी तड़प कमरे में गूंजने लगी। नेहा का जिश्म शीक के नीचे मचलने लगा और नेहा ने अपनी कोमल बाहें शीक के कंधे के ऊपर फैलाते हुए उसको अपनी बाहों में भरा और खुद अपने होंठों को शीक के मुँह से लगाया तो शीक ने अपनी जीभ को नेहा के मुँह के अंदर डाला, जिसको नेहा खुशी से मुँह में लेकर चूसने लगी, उसके लण्ड को अपनी चूत के ऊपर रगड़ते हुए महसूस करके।
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03-04-2021, 10:19 AM,
#76
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
और फिर आखिर में शीक ने अपने लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाला तो नेहा ने एक गहरी साँस लेते हुए “उफफ्फ़... इस्स्स्स... आआहह..” की आवाज किया और अपनी कमर को थोड़ा सा उठाकर पोजीशन दिया, शीक को अच्छी तरह से अंदर घुसने के लिए।

शीक धक्का देने लगा एक के बाद एक जबरदस्त और नेहा ने जोर से शीक को अपनी बाहों में जकड़ लिया खुद मजा लेते हए सिसकारियों के साथ। शीक को उसका समर्पण करना बहत अच्छा लगा और यह महसूस करते हए कि किस तरह से नेहा खुद चुदवा रही है, इससे शीक का मजा और बढ़ गया और वो धक्के पे धक्का देता गया रफ़्तार बढ़ाते हुए। चोदते वक्त दोनों एक दूसरे को जमके किस कर रहे थे, नेहा की लार टपक रही थी जिसको शीक चूस और चाट रहा था।

शीक अपने एक हाथ को नेहा के जिश्म के उन हिस्सों पर फेर रहा था जिसे कामुक अंग कहते हैं, जहाँ से सेक्स बढ़ता है। और उसके वैसा करने से नेहा की आग और भड़क रही थी जिससे शीक को बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। फिर होना क्या था, शीक ने महसूस किया कि उसका लण्ड भारी हो गया और वो झड़ने वाला है तो झट से अपने लण्ड को गुर्राते हुए चूत के बाहर निकाला, थोड़ी सी वीर्य नेहा की पेट पर गिरी तब तक शीक ने अपने लण्ड को हाथ में जकड़े नेहा के मुँह तक किया और उससे लण्ड को चाटकर वीर्य को साफ करने को कहा।

तड़पती आवाज में नेहा ने उस मोटे लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसको चाटने लगी लण्ड के छेद पर तो नेहा की जीभ पर नमकीन लज्जत महसूस हुई वीर्य की। फिर भी वो नशे की हालत में चाटती गई और अंत में लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी अपनी जांघों को एक साथ दबाकर।

नेहा भी झड़ चुकी थी, वो शीक के झड़ने से पहली ही झड़ चुकी थी, और आखिर में हाँफते हुए नेहा ने कहा “बस मेरा मुँह दुख गया, इतने बड़े लण्ड को मैंने आज तक अपने मुँह में कभी नहीं लिया था। बाप रे... यह है क्या उफफ्फ़... मगर सच में बहुत ही मजा आया आपके साथ अंकल जी। आपसे फिर कभी जरूर करना चाहँगी..."
\
फिर नेहा ने अपने बदन से वीर्य को पोंछते हुए बचकानी आवाज में कहा- “हम्म्म... देखो ना आप बहुत बुरे हो
अंकल, मैं नहा चुकी थी और आपने मुझको फिर से गंदा कर दिया छी.."

शीक हँसा और नेहा को फिर से किस करने लगा जोर से बाहों में भरकर और कहा- “मैं करता भी क्या? तुम हो ही ऐसी चीज कि मुझसे रहा नहीं गया..."

रूपचंद और प्रवींद्र आधे घाटे बाद वापस आए, और कुछ पल में टैक्सी ने बाहर हार्न किया। प्रवींद्र ने नेहा को रूपचंद के अगले प्रोग्राम के बारे में नहीं बताया। और नेहा ने प्रवींद्र को नहीं बताया कि उसके जाने के बाद शीक ने उसको फिर से चोदा।

जब टैक्सी में दोनों घर वापस लौट रहे थे तो प्रवींद्र सोच रहा था कि कैसे नेहा को अगली मीटिंग के बारे में बताए? दोनों घर वापस पहुँच गये इससे पहले कि प्रवींद्र का पिता खेत से वापस आता। प्रवींद्र ने सब ठीक से प्लान किया था कि घरवालों को कुछ भी पता ना चले।

नेहा नहाने चली गई और प्रवींद्र बैठकर सोचने लगा कि अगली मीटिंग बुजुर्गों के साथ कब और कैसे करेगा? रूपचंद की बेटी का दीवाना सा हो गया था प्रवींद्र, और उसकी माँ भी कमाल की थी। उसको चोदने के लिए उतावला सा हो गया था इसलिए नेहा को उन दोनों के हवाले फिर से करना चाहता था क्योंकी रूपचंद की बेटी को पाने के लिए यही शर्त रखी थे उन दोनों ने कि नेहा को दोबारा लाया जाए। प्रवींद्र सोच रहा था कि नेहा क्या सोचेगी या कहेगी जब उसको दोबारा वहाँ जाने के लिए वो कहेगा तो? खैर रात ठीक से गुजरी और वो बेहाल सोता रहा। उसे यह जानने की उत्सुकता नहीं थी कि इस रात को नेहा ससुर के साथ सोने जा रही है कि नहीं? तका हुआ था और सो गया बेहाल।
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03-04-2021, 10:19 AM,
#77
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा नहाने चली गई और प्रवींद्र बैठकर सोचने लगा कि अगली मीटिंग बुजुर्गों के साथ कब और कैसे करेगा? रूपचंद की बेटी का दीवाना सा हो गया था प्रवींद्र, और उसकी माँ भी कमाल की थी। उसको चोदने के लिए उतावला सा हो गया था इसलिए नेहा को उन दोनों के हवाले फिर से करना चाहता था क्योंकी रूपचंद की बेटी को पाने के लिए यही शर्त रखी थे उन दोनों ने कि नेहा को दोबारा लाया जाए। प्रवींद्र सोच रहा था कि नेहा क्या सोचेगी या कहेगी जब उसको दोबारा वहाँ जाने के लिए वो कहेगा तो? खैर रात ठीक से गुजरी और वो बेहाल सोता रहा। उसे यह जानने की उत्सुकता नहीं थी कि इस रात को नेहा ससुर के साथ सोने जा रही है कि नहीं? तका हुआ था और सो गया बेहाल।

दूसरे दिन प्रवींद्र ने नेहा से बात करने की कोशिश की। शुरुवात किया यह पूछते हुए कि कल खूब एंजाय किया उन लोगों के साथ या नहीं?

नेहा थोड़ी सी शर्माते हुए हाँ में सर को हिलाया।

प्रवींद्र ने कहा- “भाभी, आपके साथ शर्माना सही नहीं बैठता। आपको शर्माना नहीं चाहिए बिल्कुल.."

नेहा ने पूछा- “क्यों भला... तुम चाहते हो कि मैं उन गरम, सेक्सी रंडियों की तरह व्वहार करूँ?"

प्रवींद्र ने जवाब दिया- “नहीं, यह बात नहीं है, मगर जिस तरह से तुम शर्मा रही हो कल वाली बात को कहने में तो ऐसा लगता है कि चाहती तो हो, मजा तो आया, शायद और भी वैसे मजा लेना चाहती हो मगर अपने अंदर छुपाना चाहती हो..”

नेहा ने हँसते हुए कहा- “आफकोर्स मुझे बेहद पसंद आई थी सब कुछ कल, मगर क्या मुझे चिल्लाकर कहना चाहिए वो सब भला। सुनना चाहते हो तो हाँ मैंने खूब एंजाय किया और बहुत पसंद किया सब कुछ कल, अब खुश..."

यह सुनकर प्रवींद्र बहुत खुश हुआ और नेहा के नजदीक जाकर कहा- “भाभी, मुझे आपकी यही अदा और उत्तेजित करती है, मैं जानना चाहता हूँ कि आप कैसा महसूस करती हैं उस बारे में, बताओ ना मुझे, मुझे सुनने में बहुत मजा आता है और उत्तेजित हो जाता हूँ, मेरी रगों में एक मस्ती दौड़ती है और जिश्म के हर कोने में एक कशमकश होती है आपकी फीलिंग्स को जानकर। जहाँ आप और सेक्स जुड़ते हैं तो आप दोनों एक हो जाते होभाभी, आप और सेक्स जुड़े हुए हैं। सेक्स आपके बिना अधूरा है और आप सेक्स के बिना। मेरे लिए सेक्स नाम आपसे शुरू होती है और खतम भी। मेरे लिए आप लोव गाडेस हो। आप मेरी जिंदगी की पहली औरत हो यह तो आपको पता है। मेरे लिए आपका क्या महत्वा है मैं आपको समझा नहीं सकता, पर शायद आप समझ गई होंगी। तो प्लीज आप मुझे अपने अंदर की फीलिंग्स बताइए ना... मुझे बहुत खुशी होगी भाभी.."

नेहा ने कहा- “अरे बाप रे... तुमने तो भाषण दे दिया मुझको लेकर उफ्फ..” असल में नेहा उसकी फीलिंग्स को समझती थी। और वो अच्छी तरह समझ रही थी कि वो क्या कहना चाहता था। तो नेहा ने आहे भरते हुए कहा "अच्छा, तुम मुझे बताओ कि तुमको कैसा महसूस हआ मुझको उन दो गैर मदों के साथ वो सब करते हए देखकर? तुमको कैसा लगा जब मैं उन दोनों के कपड़े उतार रही थी, और उनके लण्ड को हाथ में थामकर चाट और चूस रही, उस वक्त तुमको कैसा महसूस हो रहा था? मैं भी तुम्हारी फीलिंग्स को जानना चाहती हूँ, पहले तुम बताओ मुझे तब मैं अपने बारे में बोलूंगी."

प्रवींद्र ने बिल्कुल नहीं सोचा था कि नेहा उससे वैसा सवाल करेगी इसलिए उसको ताज्जुब हुआ। फिर भी उसने जवाब दिया- "भाभी, आपको तो पहले से ही पता था कि मैं आपको दो आदमियों के साथ देखना चाहता था, जैसे पापा और चाचा रात को आपके साथ होते हैं, तो मैंने कई बार आपसे कह दिया था कि वैसे ही मैं तीसरा आदमी होना चाहता था आपके साथ है ना? तो वो मेरे लिए एक सपना पूरा होने जैसा था। वो बहत ही उत्तेजक, थ्रिलिंग

और एलेक्ट्रिफाइयिंग मोमेंट था मेरे लिए। ऐसा लगता था कि मैं नशे की हालत में था उस वक़्त, अब भी सब कुछ एक सपना जैसा लग रहा है... एक हसीन, खुशी से भरे सपने जैसा."

फिर नेहा बोली- “तो मेरे प्यारे देवर जी, वैसा ही मेरे लिए भी था सब कुछ कल। मुझे भी बहुत ही उत्तेजना महसूस हो रही थी उन दो मर्दो के बीच होकर, और खासकर तुम्हारा भी वहाँ सबके सामने होना। मैं बार-बार तुमको देख रही थी, तुम्हारे चेहरे के एक्सप्रेशन्स को देख रही थी, मुझको तुम बहुत उत्तेजित कर रहे थे, मैं सोच रही थी कि मैं किसी और मर्द के साथ नंगी हूँ बिस्तर पर और तुम वहीं बैठकर सब देख रहे हो। यह मुझे बहुत ही गरम कर रही थी। सबसे ज्यादा मजा मुझको तब आता था जब तुम्हारे चेहरे में मुझको खुशी और प्यार नजर आता था, और हाँ... उस आदमी का लण्ड कितना बड़ा था उफ्फ... ज़िंदगी में मैंने पहली बार उतना बड़ा लण्ड देखा रे बाबा। वो सब कुछ जिश्म की संतुष्टि के लिए बहुत अच्छा था। मतलब कुल मिलकर मैं बहुत खुश थी और खूब एंजाय किया था। मेरे झड़ने लिए सब बहुत जबरदस्त था और खूब झढ़ि मैं। इसके लिए मैं बेहद खुश थी। आई लव्ड इट माइ डियर..."

नेहा की बातों को सुनकर प्रवींद्र बहुत खुश हुआ और फिर उसने असल बात कहना शुरू किया, कहा- "तो अब यह बताओ भाभी, वैसे ही एक और मुलाकात के लिए क्या कहती हो?"

नेहा ने उसको एक आँख से देखते हुए मुश्कुराकर कहा- “मुझे पूरा यकीन था कि तुम यही सवाल करोगे?"
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03-04-2021, 10:19 AM,
#78
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
प्रवींद्र ने नेहा को कमर के बल से अपनी तरफ खींचा, उसके जिश्म से चिपका तो नेहा की गरम साँसों को अपने गले पर महसूस किया और धीरे से उसके कान के करीब कहा- “भाभी वो लम्हे, उन दोनों मर्दो के साथ तुम्हारे बीच, मेरी जिंदगी के सबसे हसीन पलों में से थे, आप इतनी गरम और प्यारी थीं, आप हर पल को एंजाय कर रही थीं, आप उस वक्त एक प्रोफेशनल लग रही थी सेक्स को लेकर, एक-एक पल आपने भरपूर एंजाय किया था, और मैं उन पलों को बार-बार आपके साथ वैसे ही गुजारना चाहता हूँ...”

नेहा ने कहा- “अच्छा ठीक है, मगर इतनी जल्दी नहीं। बाद में मैं खुद तुमको बताऊँगी कि कब दोबारा वो सब करेंगे ओके...”

प्रवींद्र खुश हआ और प्रार्थना किया कि वो दिन जल्दी आए। दो दिन गुजरे और दोनों के बीच हल्के-फुल्के लोव सेशन्स हुए, कुछ खास नहीं थे। एक दिन दोनों साथ सो गये दिन में। जब प्रवींद्र के बाप ने खेत से वापस आते वक्त आँगन में कुछ शोर किया तो दोनों हड़बड़ा कर उठे, और नेहा अपने कमरे में भागी इससे पहले कि उसका ससुर या पति उसको देखते।

और फिर यह दिन आया। एक कार उनके घर के सामने रुकी दिन के 10:00 बजे के करीब, और प्रवींद्र बाहर देखने गया तो देखा कि नेहा के दोनो भाई, सुनील और अनिल आँगन में घर की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रवींद्र ने दोनों को ग्रीट किया और अंदर आने को कहा, फिर जल्दी से नेहा को बुलाने गया।

जब नेहा ने अपने दोनों भाइयों को देखा तो बहुत चकित और बेहद खुश हुई। उसका चेहरा लाल हो गया और
आँखों से आँसू चछलककर गालों पे बहने लगे। पहले नेहा ने सुनील को गले से लगाया, सुनील ने उसको अपनी बाहों में जोर से जकड़ा और हल्के से अपनी हथेली को उसके पीठ पर फेरा क्योंकी ब्लाउज़ पीठ पर लो कट वाली थी। नेहा एक साड़ी में थी उस वक्त। और सुनील का दूसरा हाथ नेहा की कमर से होते हुए उसकी गाण्ड पर रुकी।

प्रवींद्र वो सब थोड़ी हैरानी से देख रहा था। प्रवींद्र ने खुद से कहा- “क्या? इसके भाई भी इसके साथ करते हैं क्या? या यह मेरे गंदे दिमाग की सोच हैं, नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, मेरा दिमाग बहुत मैला हो गया है। सिर्फ यही सब आता हैं मेरे दिमाग में अब। यह भाई बहन का प्यार है, मैं गंदा सोच रहा हूँ धत्त.."

दोनों भाइयों ने नेहा के गाल पर किस किय, आवाज वाले किस, और नेहा ने भी भाइयों के गाल चूमे, मगर प्रवींद्र ने नोटिस किया कि जब अनिल ने नेहा को चूमा तो उसके जीभ नेहा के होंठों से टकराई। फिर प्रवींद्र ने खुद से कहा कि वो इतना गंदा सोचने लगा है कि उसको सिर्फ यही चीजें दिखाई देती हैं।

आधे घंटे की बातचीत के बाद सुनील ने प्रवींद्र से कहा कि दोनों भाई नेहा को अपने साथ शहर ले जाने के लिए आए हैं क्योंकी वह दोनों उसके लिए कुछ गिफ्ट खरीदना चाहते हैं, जिसको खुद नेहा पसंद करेगी शहर में।

पाठकों को याद होगा कि जब नेहा अपने पिता की गाँव गई थी तो सुनील ने नेहा को चोदा था, मगर अनिल ने कुछ नहीं किया था। तो सुनील ने अनिल से कहा था कि वो उसको लेकर यहाँ नेहा के पास आएगा। तो यही प्लान था इन दोनों भाइयों का।

प्रवींद्र को जलन सी हुई जब उसने नेहा को एक खूबसूरत सिल्क साड़ी में तैयार होते देखा। साड़ी फिलमसी थी, ब्लाउज़ लो, डीप-कट थी, उसकी पूरी क्लीवेज नजर आ रही थी, और वो अपने भाइयों के साथ वैसे जा रही थी। प्रवींद्र को जलन और गुस्सा आ रहा था। उसने खुद से कहा- “अपने भाइयों के साथ जा रही है तो जरा ढंग के कपड़े पहनती ना। लगता है अपने पति के साथ बाहर जा रही है यह भी कोई ड्रेस है पहनने की... पता नहीं कितने सारे मर्द उसको शहर में देखेंगे घूर-चूर कर। भाई लोग तो शायद खयाल भी नहीं करेंगे कि उसके जिश्म के कौन से हिस्से दिख रहे हैं, मगर मुझे तो पता है कि भाई लोग तो बहन के जिश्म पर नजर नहीं डालेंगे मगर बाकी के शहर के लोग तो नेहा को सेक्स की नजर से देखेंगे। मुझे भी साथ जाना चाहिए..."

प्रवींद्र ने सुनील से कहा कि उसका भी मन कर रहा है शहर जाने को साथ में।

मगर सुनील ने कहा कि उसका पिता अगर वापस आये और उससे कोई काम हुई और उसको घर पर नहीं पाया तो बहुत नाराज होगा इसलिए उसको घर पर रहना चाहिए अपने पिता को बताने के लिए कि नेहा किधर गई है? क्योंकी वो तो नेहा को ढूँढेगा अगर वापस आया तो?

नेहा ने भी यही बात कही प्रवींद्र से।
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03-04-2021, 10:19 AM,
#79
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
प्रवींद्र ने सुनील से कहा कि उसका भी मन कर रहा है शहर जाने को साथ में।

मगर सुनील ने कहा कि उसका पिता अगर वापस आये और उससे कोई काम हुई और उसको घर पर नहीं पाया तो बहुत नाराज होगा इसलिए उसको घर पर रहना चाहिए अपने पिता को बताने के लिए कि नेहा किधर गई है? क्योंकी वो तो नेहा को ढूँढेगा अगर वापस आया तो?

नेहा ने भी यही बात कही प्रवींद्र से।

बेचारे प्रवींद्र के पास जवाब नहीं था, खामोश रहना पड़ा। वो नेहा से कहना चाहता था कि कोई दूसरी ड्रेस पहने, मगर उसके भाइयों के सामने कैसे कुछ कह सकता था, अब भी चुप रहना पड़ा। प्रवींद्र की नजर नेहा की गाण्ड पर थी जब वो घर से निकली कार के तरफ जाते वक्त।

क्या मटक रही थी उसकी गाण्ड उस खूबसूरत साड़ी में लिपटी। नेहा खुश दिख रही थी और एक बहुत खूबसूरत मुश्कुराहट सजी हई थी उसके लबों पर, जब घर से निकली अपने दोनों भाइयों के साथ। लग तो ऐसा रहा था कि अपने किसी बायफ्रेंड के साथ डेट पर जा रही थी। प्रवींद्र को भी वैसा दिख रहा था, नेहा की खुशी और खुशगवार अदायें देखकर उसको शक हो रहा था। ना चाहते हुए भी नेहा के भाइयों पर शक कर रहा था। वो सोचते हुए खुद से कहने लगा- “क्या दो-दो भाई अपनी एकलौती बहन को चोद सकते हैं भला? क्या वह दोनों नेहा को चोदने के लिए कहीं ले जा रहे हैं? नहीं नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता, मैं ऐसा हो गया हूँ इसीलिए दूसरों के बारे में भी वैसा सोचने लगा हूँ। मैं क्यों ऐसा सोचता रहता हूँ नेहा को लेकर भला। मेरे दिमाग में जरूर कोई लोचा है हाँ..."

जहाँ से नेहा गुजरी उसकी सेंट की खुशबू फैल गई, और प्रवींद्र उसकी खुशबू में खो गया कि अचानक कार स्टार्ट हुई तो उसने देखा कि नेहा कार के अंदर से मुश्कुराते हुए उसको वेव कर रही थी, उसकी क्लीवेज नजर आ रही थी क्योंकी पल्लू सरक गई थी छाती पर से। कार चली गई शहर की तरफ और प्रवींद्र उदास चेहरे के साथ घर के अंदर चला गया।

सुनील जो बड़ा भाई था, उसने पहले से ही एक रूम बुक कर रखा था सबसे करीबी शहर में नेहा को लेने आने से पहले ही। अनिल को भी पता था मगर नेहा को नहीं। नेहा सोच रही थी कि वह दोनों उसको कहीं और ले जा रहे हैं।

जब होटेल पहुँचे और सुनील ने कार पार्क किया तब नेहा ने पूछा- “वो कौन सी जगह थी?"

सुनील ने उसको समझाया।

तब आहें भरते हुए नेहा ने कहा- “तुम ना भाई हाँ.."

रिसेप्शन की तरफ तीनों बढ़े और सुनील ने रूम की चाभी माँगी जो रिजर्व किया था उसने। एक खूबसूरत लड़की जो रिसेप्शनिस्ट थी, उसने सुनील को चाभियां दाते हुए नेहा को घूर रही थी, क्योंकी उसे पता था कि वो चुदने जा रही थी और वो भी दो-दो आदमियों के साथ। मगर उसको यह तो नहीं पता था कि वो अपने दो भाइयों के साथ कमरे में जा रही थी।

एक अटेंडेंट रिसेप्शनिस्ट के पास आया तो लड़की ने उस अटेंडेंट के कान में कहा- “वो देखो एक के साथ दो-दो.."

अटेंडेंट ने ठरक भरी नजरों से नेहा को देखा, जब वो कारिडोर में चलकर कमरे की तरफ जा रही थी दोनों के साथ। जब वो लोग कमरे में घुस गये तो अटेंडेंट ने रिसेप्शनिस्ट से कहा- “कितनी जवान और फ्रेश दिख रही है वो लड़की, उन दो मर्दो के मुकाबले, नयी है क्या?" अटेंडेंट ने सोचा होटेल की हायरे की हुई कालगर्ल्स में से एक है नेहा।

मगर रिसेप्शनिस्ट ने उससे बताया कि उसको तो जो दो ग्राहक आए हैं वह लोग ही उसको लेकर आए हैं, होटेल की कस्टमर नहीं है वो लड़की।

अटेंडेंट को आइडिया मिला कि उस लड़की (नेहा) को होटेल के कस्टमर्स के लिए लिया जा सकता है। उसने मैनेजर से इस बारे में बात की। तो मैनेजर ने भी सोचा कि वो लड़की (नेहा) एक कालगर्ल है तो वो अब उसको देखना चाहता था। तो दोनों मैनेजर और अटेंडेंट गये उनके रूम के दरवाजा को नाक करने।

अनिल ने दरवाजा खोला तो मैनेजर अंदर दाखिल हुआ और कहा कि वो उनकी साथ वाली लड़की से बात करना चाहता है। मगर सुनील ने इनकार किया कि वो उसको नेहा से बात नहीं करने देगा।

मैनेजर ने गुस्से में कहा- “उसको पता है कि वो एक कालगर्ल को बाहर से हायर करके लाया है तो क्या होटेल के लिए वो उसको हायर नहीं कर सकता?"

नेहा को वो बात सुनकर शाक लगा और दोनों सुनील और अनिल खुले मुँह एक दूसरे के चेहरे में हकबकाए देखने लगे।

तब सुनील ने मैनेजर का हाथ पकड़कर एक तरफ खींचा और समझाया- “वो लड़की शादीशुदा है और उसका पति फिलहाल विदेश गया हुआ है तो इन दोनों ने उससे थोड़ा एंजाय करने का प्लान बनाया है, वो कालगर्ल नहीं है..."
अटेंडेंट ने भी पूरी बात सुनी।

मैनेजर तो समझ गया और वहाँ से चला गया। मगर अटेंडेंट जिसको कालगर्ल्स लाने पर कमीशन मिलता था उसने सोचा कि वो लड़की (नेहा) चाहे शादीशुदा ही क्यों ना हो, उसको वो पटा सकता है होटेल के रोज के कस्टमर्स के लिए और नेहा को और उसको भी बहुत पैसा मिल सकेगा। चाहे वो शादीशुदा औरतें हो या कोई। अटेंडेंट ऐसी कई औरतों से डील करता था जिसको वो होटेल के धनी कस्टमर्स के लिए पटाकर लाता था पैसे कमाने के लिए। कई ऐसी जवान औरतें थीं उसकी लिस्ट में जिनको वो लाया करता था होटेल में। होटेल में ऐसे बहुत सारे धनि बिज़नेसमैन टूर पर आते थे और शादीशुदा औरतों को ही चोदना पसंद करते थे, कालगर्ल्स को नहीं, तो अटेंडेंट ने सोचा यह बढ़िया मौका है उसको माल कमाने के लिए। वैसे लड़कियों या औरतों को होटेल में 'सोशल होर्स' के नाम से बुलाया जाता था।

कमरे के अंदर सुनील ने नेहा को समझाया कि पिछली बार जब वो गाँव आई थी तो क्योंकी अनिल से नहीं मिल पाई थी इसीलिए उन दोनों ने यह प्रोग्राम बनाया उसके साथ मजा करने के लिए।

मुश्कुराते हुए नेहा ने कहा- “तो आपने अनिल भाई को सब कुछ जो हमारे बीच हुआ था उस दिन बता दिया?"
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03-04-2021, 10:20 AM,
#80
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
तब अनिल ने तुरंत कहा- “अरे, मैं तुमको लेने आया तो था मेरे लिए मगर पापा ने तुमको मेरे साथ आने के लिए मना किया था। देखो छोटी बहना, जब तुम छोटी सी थी तबसे हम दोनों तुम्हारे साथ मजा करते थे किसी ना किसी तरह, तुमको शायद ये सब नहीं याद है मगर हमारे लिए तो तुम हमारी गुड़िया थी और हम तुम्हारे साथ खब एंजाय करते थे हमेशा से ही। ऊपर-ऊपर ही सही खब मजा करते थे याद है तमको कि नहीं?"

नेहा ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुश्कुराती जा रही थी।

तब अनिल ने और कहा- “हम तीनों अक्सर एक साथ हुआ करते थे, जंगल में, नदी किनारे, खेतों में, छत पर, कभी-कभी नंगे भी हुआ करते थे, मगर हमेशा साथ-साथ रहते थे, और हमको बहुत मौका मिलता था तुम्हारे साथ बहुत कुछ करने को, इसीलिए मैं और सुनील भाई एक साथ हैं और हम कभी एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते। जब तुम गाँव आई थी तो हमारे लिए तो बड़ी खुशी की बात थी, और उसने तुमको पा लिया और मैं नहीं तो हम दोनों को बहुत अफसोस हुआ। सो आज का दिन आया हम तीनों के लिए अब..."

नेहा ने मुश्कुराते हुए अपने आपसे कहा- “तुम दोनों सोचते हो कि मुझे कुछ याद नहीं मगर मुझे सब याद कि हम तीनों क्या-क्या किया करते थे, तुम दोनों किस तरह से मेरी पैंटी खींचते थे और अपने लण्ड रगड़ते थे मेरी चूत के ऊपर-ऊपर और अपने वीर्य से मुझे भिगोते थे। पहली बार जब मैंने वीर्य देखा थी तो पूछा था यह क्या है? और मैंने सोचा था कि तुमने मूठ दिया मुझ पर हीहीही... मैं बहुत छोटी थी इसलिए उस वक्त मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि तुम लोग क्या करते थे मेरे साथ..” ये सब सोचते हुए नेहा खुद पर हँस रही थी।

नेहा दोनों भाइयों के बीच बैठी थी बेड पर और सुनील ने उसकी कंधे से साड़ी को सरकाना शुरू किया। नेहा ने उसको साड़ी निकालने में खुद रास्ता दिया। सुनील ने कई बार साड़ी को उसके जिश्म की तरफ घुमाया और अनिल ने भी हेल्प किया। उसकी परी क्लीवेज नजर आने लगी और नेहा हँसने लगी दोनों भाइयों के चेहरे में उसके लिए भूख देखकर। नेहा को खड़ा होना पड़ा ताकी सुनील उसके जिश्म से साड़ी को निकाल सके। जब सुनील साड़ी निकाल रही थी और नेहा खड़ी हई तो अनिल ने नेहा को उस खड़े पोजीशन में अपने बाहों में भरके किस करने लगा, उसके गालों पर, गले पर, अपने पैंट के अंदर से ही लण्ड को नेहा की जांघों पर रगड़ते हुए।

फिर सुनील ने उसका ब्लाउज़ निकला। नेहा मुश्कुराते हए सब कुछ करने दे रही थी। आखिर में जब नेहा ब्रा और पैंटी में खड़ी थी तो दोनों भाइयों ने जल्दी से अपने-अपने कपड़े उतारे और अपनी बहन को भी बिल्कुल नंगी कर दिया दोनों ने मिलकर। जब नेहा बिल्कुल नंगी हो गई तो दोनों खड़े-खड़े उसके जिश्म को घूरने लगे तो नेहा जोर से हँस पड़ी दोनों को उसके जिश्म को वैसे देखते हुए देखकर। नेहा हँसती जा रही थी, हँसते-हँसते बिस्तर पर बैठ गई तो वोह दोनों भी हँसने लगे।

नेहा बोली- “क्या तुम दोनों मुझे इसीलिए यहाँ लाए हो, हँसने खेलने के लिए भाई लोग?"

तब अनिल बेड पर अपने घुटनों के बल हआ और अपने लण्ड को हाथ में लेकर अपनी बहन के मुंह के पास किया, और कहा- “सुनील भाई ने कहा कि अब तुम चूसने में माहिर हो गई हो तो जरा मुझको चूसकर अपना तजुर्बा दिखाओ तो जरा मेरी प्यारी बहना.."

नेहा तब भी थोड़ी बहत हँस रही थी और अपने अनिल भाई के लण्ड को अपने मुलायम हाथों में लेते हए कहा “क्यों आरती भाभी तुम्हारे लिए यह काम नहीं करती है क्या अनिल भाई? वो जवान और माडर्न है तो मेरे ख्याल से वो भी यह सब करती होगी ना..."

अनिल ने जवाब दिया- “एक बीवी की चुसाई और एक बहन की चुसाई कभी एक नहीं हो सकती रानी बहना, यह इन्सेस्ट चुसाई है और वो लीगल चुसाई है, और इन्सेस्ट चुसाई में जो मजा है वो लीगल में कहां मेरी जान?"

तब तक नेहा ने अपनी जीभ फेरना शुरू कर दिया था अपने भाई के लण्ड की लंबाई पर। और सुनील मजे से अप्रीशियेट कर रहा था नेहा को निहारते हुए कि कितनी खुशी और आराम से वो अनिल के लण्ड को चाट रही थी। फिर सुनील ने भी अपने लण्ड को हाथ में थामे नेहा के मुँह के करीब किया तो नेहा ने अनिल का लण्ड छोड़कर सुनील के लण्ड को चाटना शुरू किया, और चूसना शुरू किया। फिर सुनील के लण्ड को चेंज करके अनिल को चूसने लगी फिर दोबारा सुनील को चूसा और वैसे करती गई कई दफा। एक के बाद एक के लण्ड को चूसती गई काफी देर तक। दोनों भाइयों कि खुशी की इंतेहा नहीं थी उस वक्त। फिर जल्द ही तीनों बिस्तर पर लेटे हुए पाए गये।
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