Indian XXX नेहा बह के कारनामे
03-04-2021, 10:20 AM,
#81
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा अपनी टाँगें फैलाए हुए थे और अनिल का मुँह उसकी टाँगों के बीच में था, उसकी जीभ अपनी बहन की चूत का रस चाट रही थी। जबकि सुनील नेहा की जीभ से रस निकाल रहा था जो नेहा ने उसके मुँह के अंदर डाला हुआ था। फिर धीरे-धीरे कुछ देर बाद नेहा की दोनों चूचियां भाइयों के मुँह में थीं, एक ने बाईं चूची लिया था चूसने को तो एक दायीं वाली चूस रहा था।

इस वक्त नेहा बेहाल थी जिश्म को रेंगते हुए बेड पर। वो जैसे एक नशे की हालत में थी, खुद बेहोश लग रही थी मजे लेते हुए। दोनों भाइयों का एक-एक हाथ नेहा की चूत पर था उस दौरान और उसकी चूत में से पानी बह रहा था, दोनों भाइयों के हाथ बिल्कुल भीग गये थे उसकी चूत के पानी से। नेहा का जिश्म भाइयों के हाथ में काँप उठा और थरथराई। नेहा गहरी साँसें ले रही थी, उसकी आवाज में तड़प भरी थी और वो सिसक रही थी। बिल्कुल गरम हो चुकी थी और लण्ड अपने अंदर लेने के लिये बेकरार थी।

जल्द ही अनिल नेहा के नीचे था और उसका लण्ड नेहा की चूत में अंदर-बाहर होने लगा था। नेहा अनिल के ऊपर थी जैसे एक मोटरसाइकिल पर बैठी हो, दोनों टाँगें फैलाए हुए दोनों तरफ, और वो भी अपनी कमर हिला रही थी मजा लेते हुए। सुनील ठीक नेहा की गाण्ड के करीब था और अपनी बहन की गाण्ड देख रहा था। अनिल उसको चोद रहा था तो सुनील को उस चुदाई के दौरान लगा कि नेहा की गाण्ड की छेद खुल और बंद हो रही थी। जिस जिस वक्त अनिल का लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, सुनील सब देख रहा था अपने लण्ड को हाथ में थामे हुए।

सुनील से रहा नहीं गया और उसने धीरे से अपने लण्ड को अपनी बहन की गाण्ड के छेद में ठंसा। नेहा की तड़पती आवाज गूंज उठी कमरे में तो जल्दी से पीछे से सुनील ने अपना हाथ नेहा के मुंह पर रखते हुए कहा “सस्शह आस पास के कमरे के लोग सुन लेंगे। धीरे बहना धीरे..." ।

नीचे से अनिल उसकी चूत में लण्ड का धक्का दे रहा था और पीछे से सुनील नेहा की गाण्ड मार रहा था। दोनों भाइयों के लण्ड को नेहा खुशी से झेल रही थी। दोनों भाई जमके लण्ड के धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते गये नेहा के दोनों छेद में और नेहा तड़पती गई जिश्म में सिरहन और थरथरी के साथ, उसकी सिसकारियां बढ़ती गई और जिश्म में ऐसी आग भड़की कि बहुत ही जल्द नेहा तेज रफ्तार से साँसें लेते हुए झड़ने के करीब पहुँचते हुये चिल्लाई- “हाँ... ऐसे ही और करो... हाँ भाई इस्स्स्स ... आअहह... उफफ्फ़... और और जोर से, हाँन्न और जोर से
धक्का दो... हाँ इस्स्स्स ... बहुत मजा रहा है भाई... आअहह...”

फिर नेहा अपनी गर्दन मोड़कर सुनील के मुँह को अपने मुँह में लेते हुए उछलती गई अनिल के लण्ड पर। फिर अनिल ने गर्दन ऊपर उठाते हुए नेहा के गले को चूमा और चाटा जल्दी से अपने लण्ड को बाहर निकालकर पिचकारी छोड़ते हुए। और नेहा ने अपने जिश्म को अनिल के जिश्म पर छोड़ दिया जैसे मर गई थी। फिर गुर्राते हुए सुनील ने अपना वीर्य छोड़ा, अपनी बहन की गाण्ड के अंदर ही लण्ड को और गहराई में ठूसते हुए। सुनील की आवाज कुछ ऐसे आई अपनी बहन के गाण्ड में झड़ते हए- “आगघग्ग... उऊहह... इस्स्स्स ... वाह कितना मजा है तेरी गाण्ड में बहना मेरी... आअघह.."

सुनील का मुँह तब नेहा की गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर गया जहाँ उसने चूसा और दाँत काटा, फिर एक लाल निशान बना दिया वहाँ पर। नेहा इतनी गोरी थी कि सुनील के चूसने से वो लाल निशान काला सा लगने लगा, खून जमा हो गया उस जगह जहाँ सुनील ने दाँत गड़ाते हुए चूसा था नेहा की गर्दन के पीछे।

जब वह लोग होटेल से निकल रहे थे तो वो अटेंडेंट नेहा से बात करने गया। सुनील ने मना किया मगर अटेंडेंट ने जिद की। तो अनिल ने कहा बात करने दो जब इतना जिद कर रहा है तो बात करने में क्या जाता है। तो अटेंडेंट नेहा को एक कोने में ले गया और बहत धीरे से बात की उसने। सुनील अपनी कार में चला गया इंतेजार करने और अनिल रिसेप्शन रूम में इंतेजार कर रहा था, मगर नेहा ने उसको भी कार में इंतेजार करने को कहा।

फिर अटेंडेंट ने हिम्मत से नेहा से कहा- “मेडम जी, मैं यहाँ बड़े-बड़े टूरिस्ट और बिज़नेसमैन लोगों के लिए लड़कियों का बंदोबस्त करता हूँ। बहुत सारे आफिसर्स भी आते हैं खूबसूरत, हसीन लड़कियों की तलाश में और आपको पता तो होगा ही कि होटेल क्लाइंटस के लिए हमें यह सब करना पड़ता है उनको खश रखने के लिए। और आपको देखा तो मैं चाहता हूँ कि आप भी उनमें से एक बन जाइए प्लीज...”

नेहा को बिल्कुल हैरानी नहीं हुई क्योंकी उसने सब सुना था जो उसने सुनील से पहले कहा था। नेहा को पता था कि वो अटेंडेंट उसको एक कालगर्ल समझ रहा था। तो जवाब में नेहा ने उससे आराम से कहा- “मैं वैसे लड़की नहीं हूँ माई डियर.."
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03-04-2021, 10:20 AM,
#82
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नेहा को बिल्कुल हैरानी नहीं हुई क्योंकी उसने सब सुना था जो उसने सुनील से पहले कहा था। नेहा को पता था कि वो अटेंडेंट उसको एक कालगर्ल समझ रहा था। तो जवाब में नेहा ने उससे आराम से कहा- “मैं वैसे लड़की नहीं हूँ माई डियर.."

अटेंडेंट- “देखो मेडम, आप यहाँ दो मर्दो के साथ मजा करने के लिए एक कमरे में आई थी तो समझ में आ जाता है कि आप क्या हो? बुरा मत मानना प्लीज..."

नेहा- “देखो मैं शादीशुदा हैं और वह दो आदमी मेरे पति के दोस्त हैं और दोनों मुझे पसंद हैं। बस यही बात है..."

अटेंडेंट- “वोही तो मेडम, वोही तो... आप इतनी यंग और ब्यूटिफुल हो कि कोई भी मर्द आपको इसके लिए चाहेगा। तो जैसे आप अपने पति के दोस्तों के लिए आए वैसे ही मेरे कस्टमर्स के लिए भी आइए ना। आपको अच्छा पैसा मिलेगा, बहुत कमा सकोगी मेमसाहेब..."

नेहा के मन में अंदर उस वक्त कुछ अजीब महसूस होने लगा और उसने सोचा कि क्यों ना वो वैसा भी कुछ अड्वेंचर अनुभव करके देखे। तो उसने अटेंडेंट से कहा- “तुमको कैसे पता कि तुम्हारे कस्टमर्स मुझको पसंद करेंगे? उन लोगों ने तो मुझको देखा भी नहीं...”

अटेंडेंट- "जानती हो मेमसाहेब, मेरे कस्टमर्स आँखें बंद करके मेरी लाई हुई लड़कियों को पसंद करते हैं, क्योंकी मुझको उन लोगों की पसंद मालूम है, उनका टेस्ट पता है मुझे, आप हो उन लोगों का टेस्ट, आप सबसे फवरिट होंगी अब। सिर्फ़ एकाध घंटों में आप ₹3000 से ₹5000 कमा सकती हो मेमसाहिब, सोच लो...”

नेहा- “तुम मुझको एक रंडी समझ रहे हो ना?"

अटेंडेंट- “नहीं नहीं मेडम, बिल्कुल नहीं। हमारे कस्टमर्स को रंडीयां बिल्कुल पसंद नहीं। गली की कोई लड़की तो बिल्कुल ही नहीं। हमारे कस्टमर्स को वैसी बीवियां पसंद हैं जो अपने पति को चीट करती हों। जो अपने घर से भागकर यहाँ मजा लूटने के लिए आती हैं। बहुत सारी ऐसी औरतें हैं जो ऐसा करती हैं और उनके पतियों को आज तक पता नहीं चला है... मैं पूरा गुप्त रखता हूँ सब, बात यहाँ से बिल्कुल बाहर नहीं जाती.."

नेहा को सब सुनकर बहुत उत्तेजना हो रही थी। उसको कुछ हो रहा था मन के अंदर जैसे एक झुकाव उस आदमी के बातों की तरफ और मन में वो सब करने की एक इच्छा जाग रही थी। नेहा को वो सब ट्राइ करने को मन कर रहा था। सोच रही थी कि एक ट्राइ करे कि नहीं? निश्चय नहीं कर पा रही थी। तो उससे पूछा- “अगर मैंने स्वीकार किया तो तुमसे कैसे सम्पर्क करूँगी मैं.."

अटेंडेंट- “मुझे पता है कि आप नहीं चाहेंगी की मुझे आपके पते का पता चले, और ना ही आप मुझे कोई फोन नंबर दोगी, तो मैं आपको अपना नंबर देता हूँ, जब भी आप तैयार हों मुझको काल करना, मैं आपको कहीं पर भी पिकप करने आ जाऊँगा..."

नेहा- “नहीं, मैं कभी तुमको काल नहीं करूँगी, मैं डाइरेक्ट यहीं चली आऊँगी अगर निश्चय किया तो। क्या तुम हर समय यहाँ मौजूद रहते हो?" ।

अटेंडेंट- “हाँ मेडम, मैं हमेशा यहीं होता हूँ, अगर मैं नहीं दिखा तो रिसेप्शनिस्ट से कहना कि आप बाबूलाल से मिलना चाहती हो, तो वो तुरंत मुझको बुलवाएगी..."

नेहा- “ओके बाबूलाल, तो मैं अब चलती हूँ। मैं तुमसे मिलने जरूर आऊँगी। मगर याद रहे मैं रात को कभी भी नहीं आ सकती किसी के लिए भी, मैं सिर्फ दिन में ही फ्री होती हूँ ओके.."

उस रिसेप्शनिस्ट लड़की ने सब कुछ सुना और जब नेहा जाने लगी तो मुश्कुराते हुए उसने नेहा से सर से इशारा करते हुए हेलो किया।

नेहा बाहर गई और अपने भाइयों को कार में जायन किया। दोनों भाई जानना चाहते थे कि उस आदमी ने क्या कहा? मगर नेहा ने टापिक चेंज करते हुए कुछ और बातें की दोनों से।
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03-04-2021, 10:20 AM,
#83
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा बाहर गई और अपने भाइयों को कार में जायन किया। दोनों भाई जानना चाहते थे कि उस आदमी ने क्या कहा? मगर नेहा ने टापिक चेंज करते हुए कुछ और बातें की दोनों से।

अनिल ड्राइव कर रहा था और सुनील और नेहा पीछे वाली सीट पर बैठे। उसने नेहा को बाहों में भरके उसको किस किया, उसकी चूचियां को चूसा और बहुत कुछ किया, रियर मिरर में सब देखते हुए अनिल भी एंजाय करते हए ड्राइव कर रहा था। उसने कार रोका और नेहा के लिए थोड़ी चूड़ियां अंगूठियां, कान की बाली और समान खरीदने के लिए। फिर आखिर में नेहा अपने घर पहुंच गई। दोनों भाई वापस चले गये नेहा को छोड़कर।

प्रवींद्र बेकरारी से इंतेजार कर रहा था, क्योंकी उसको लग रहा था कि वो अपने दोनों भाईयों के साथ चुदाई के लिए ही गई हुई है। मगर वो खुद को हौसला देते हुए कहता जा रहा था कि ये सब उसके गंदे दिमाग का सोचना है बस और कुछ नहीं। फिर अचानक प्रवींद्र को याद आया जब नेहा ने अपने पापा का नाम लिया था अपने ससुर की बात करते वक्त। फिर उसने सोचा कि नेहा से इस बारे में उसको अब बात करना चाहिए। प्रवींद्र ने तय किया कि आज ही बात करते वक्त इस सब्जेक्ट पर वो नेहा से बात करेगा।

जैसे ही भाइयों के गाड़ी दूर निकल गई, प्रवींद्र नेहा के पीछे घर के अंदर गया। नेहा के बेडरूम में पहुँचा वो और पीछे से नेहा को बाहों में भरकर उसको चूमने चाटने लगा। उसके गले और कान पर किस करते हुए भुनभुनाते हुए कहता जा रहा था- “ओह्ह... भाभी, आई मिस्ड यू सो मच हम्म्म... आप इस साड़ी में बहुत ही गरम और सेक्सी लग रही हो, कयामत ढा रही हो मुझपर, कितनों को घायल किया होगा शहर में है ना... आई मिस्ड यू भाभी मिस्ड यू आ लाट...”

नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “चल झूठे...”

प्रवींद्र फिर भी नेहा को वैसे ही स्मूच करते जा रहा था। झपटा-झपटी हो रही थी, कभी उसका गाल तो कभी उसका गला चूम रहा था, चाट रहा था, अपने जिश्म को नेहा के जिश्म से चिपकाया हुआ था। और कहा- “भाभी एक बात बताओ, आपने इतनी सेक्सी साड़ी पहनी की आपकी क्लीवेज दिख रही थी तो आपके भाइयों ने कुछ नहीं कहा?"

नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा- “यह सवाल क्यों? वह दोनों मेरे भाई थे बायफ्रेंड नहीं..."

और वहीं झपटा-झपटी में नेहा के बाल पीछे गर्दन से सरक गये और प्रवींद्र की नजरें उस गहरे लाल निशान पर पहुँचे जो सुनील ने चूसकर किया था। प्रवींद्र तो नेहा के जिश्म को बहुत अच्छी तरह से पहचानता था और उसके जिश्म पर कब और कहाँ कोई निशान होता है, सब प्रवींद्र को पता होता है। क्योंकी वो उसके इतने करीब है। तो उसको तुरंत पता चल गया कि नेहा भाइयों से चुदवाकर आ रही है।

प्रवींद्र को बहुत ही गुस्सा आया क्योंकी नेहा ने उससे झूठ बोला था। फिर चिल्लाते हुए कहा- “तुम तो पक्की रंडी निकली भाभी। अपने सगे भाइयों से भी चुदवाती हो। वाह... एक नहीं दो-दो भाइयों के साथ चुद कर आ रही हो, कमाल है...”

नेहा को झटका लगा और प्रवींद्र के चेहरे में लाल चेहरे के साथ देखने लगी। उसका गला सूख गया और जिश्म काँपने लगा।

प्रवींद्र ने और चिल्लाते हुए कहा- “मुझको ऐसे मत देखो, यह क्या है आपकी गर्दन के पीछे? क्या है यह? आज सुबह तो कुछ नहीं था वहाँ पर, शहर जाने से पहले। दोनों में से किस भाई ने आपकी गाण्ड मारा है? थ्री-सम किया था भाइयों के साथ बोलो.."

नेहा सुनील वाले गहरे किस और चुसाई को याद करने लगी, जो उसने किया था उसके गर्दन पर झड़ने के बाद। नेहा खुद को कुसूरवार महसूस करते हुए सोफे पर थक कर बैठ गई और सर नीचे झुका लिया।

प्रवींद्र उसका जवाब का इंतेजार कर रहा था और पूछा- “तो क्या हुआ भाभीजी? कहाँ ले गये थे आपके भाई लोग आपको चोदने के लिए? जिस वक़्त आप घर से निकल रही थी तभी मुझको कुछ अजीब महसूस हुआ था। मगर तब मैंने सोचा कि मेरे खयालात गंदे हैं। मगर अब चाहता हूँ कि आप मुझे जवाब दें, जवाब दो मुझे बोलो.."

नेहा को उसके बोलने का तरीका बुरा लगा और उसने भी जोर से चिल्लाते हुए कहा- “हँ, हाँ मैं अपने भाइयों से चुदवाने गई थी, इसमें तुम्हारी क्या प्राब्लम है? इटस नोट आफ युवर बिज़नेस। जब तुम्हारे पिताजी जो मेरा ससुर है मुझको चोदता है, जब तुम मेरे देवर होकर मुझको चोदते हो, जब तुम मुझको दो बूढे अजनबियों से चुदवा सकते हो तो कौन सी कयामत आ गई अगर मेरे भाइयों ने भी मुझको चोदा तो? साला तुम खुदगर्ज,

मतलबी, कुंजर, यू हिप्पोक्रेट, सेल्फिश बास्टर्ड.." यह सब कहने के बाद नेहा बेड पर बैठकर अपने चेहरे को हथेली में छुपाए रोने लगी।

प्रवींद्र की तो सिट्टी-पिट्टी गुम, बोलती बिल्कुल बंद हो गई नेहा के उस रूप को देखकर। नेहा को पहली बार उसने उस स्टेट में देखा था। एक पल के लिए तो उसको लगा कि उसके सभी अरमानों पर अब पानी फिर गया। उसको लगा कि अब नेहा और उसके बीच सब खतम हो गया। उसका सपना, नेहा को फिर रूपचंद के पास ले जाने का, रूपचंद की बेटी को पाने का, सब अब शायद सपना ही रह जाएगा उसने सोचा। तो क्या करता अब?
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03-04-2021, 10:21 AM,
#84
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वो जल्दी से नेहा के पास गया, उसको जोर से अपनी बाहों में भरा और नेहा को दिलाशा देने लगा उसके सर सहलाते हए। और धीरे-धीरे कहता गया- “आई आम सारी भाभी, वेरी सारी, मुझे माफ कर दो प्लीज... मुझे पता नहीं क्या हो गया था? शायद जलन थी। प्लीज... भाभी, माफ कर दो मझे... माई डार्लिंग भाभी आई लव यो ऐसे सवाल नहीं करूँगा, आप फिर से अपने भाइयों के साथ जाइए, या किसी के साथ भी आप जाइए, मैं कोई सवाल नहीं करूंगा अब, आई प्रॉमिस। सारी भाभी सारी माफ कर दो ना अब..."

नेहा ने एक गहरी साँस ली और अपने आँसू पोंछते हुए कहा- “नहीं, माफी मुझको माँगनी चाहिए, मैं तुम पर चिल्लाई ना, सारी... मुझे माफ कर दो, मुझको इस तरह से नहीं बात करनी चाहिए थी तुम्हारे साथ, सारी..."

और दोनों एक दूसरे को जोर से बाहों में जकड़कर एक गहरी किस में खो गये। बिस्तर पर जिस तरह से दोनों नेहा और प्रवींद्र लोट रहे थे, एक लव्ली कपल दिख रहे थे। तकरीबन आधे घंटे तक दोनों वैसे ही रहे एक दूसरे की बाहों में किस करते, सहलाते हुए एक दूसरे को। प्रवींद्र ने नेहा को अपने रंगों में फिर से रंग ही लिया और लड़ाई, गुस्सा खतम हुई।

दोनों ने बातचीत फिर से शुरू किया मामूल तौर पर।

नेहा ने पूछा- “मेरी गर्दन पर वो निशान देखकर तुम क्यों इतने जल गये?"

प्रवींद्र ने जवाब देते हुए कहा- "भाभी, मैं आपको अपने एहसास समझा नहीं सकता। मैं आपको बेहद प्यार करता हँ, हम दोनों बिल्कुल सच्चे प्रेमी की तरह तो हैं, दोनों की सेम सेक्सुअल फीलिंग्स हैं, आप स्वीकार करती हो वो करना जो मुझे पसंद है, और हालांकी पापा और चाचा आपके साथ थे फिर भी मैंने आपको स्वीकार किया, तो मुझे लगा कि आपको मुझे अपने भाइयों के बारे में भी बता देना चाहिए था क्योंकी मैं आपके बारे में तकरीबन सब कुछ तो जानता ही हूँ। अगर आपने बता दिया होता अपने भाइयों के बारे में पहले से ही तो मैं कंफर्टबल महसूस करता, जिस वक्त आप उन लोगों के गये गये हुए थे.."

नेहा ने प्रवींद्र को अपने भाइयों और पिता के बीच वाला रिश्ता सब कुछ डीटेल में बता दिया, सब कुछ... अपनी शादी से पहले कैसे वह सब उसके साथ छोटे से ही मजा करते थे ऊपर-ऊपर करके। सब बता दिया प्रवींद्र को नेहा ने। प्रवींद्र को सुनने में बहत मजा आया और उसका जमके खड़ा हो गया, और पूछा- “आपके पापा... अपने पापा, वाउ... यह तो बहुत ही गरम और उत्तेजक है भाभी, वाह.."

नेहा ने कहा- “मेरे पापा हमेशा से मुझको सहलाता था जब नशे में होता था, बहुत बहुत पहले से ही, मैं बहुत छोटी थी तब से। वो अक्सर मेरी जांघों को चाटता, चूसता था और मेरी चूचियों के शुरू होने से पहले ही वहाँ भी चूसता था और मैं हमेशा नींद में होने का नाटक किया करती थी, उन दिनों जब वो यह सब करता था, तो मुझे कहीं ना कहीं पता ही था कि मेरी शादी के बाद वो मेरे साथ सब आराम से करेगा। तो वही हुआ.."

फिर नेहा ने होटेल में अटेंडेंट वाली बात बताई।
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03-04-2021, 10:21 AM,
#85
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
फिर नेहा ने होटेल में अटेंडेंट वाली बात बताई।

तब प्रवींद्र ने कहा- "मुझे वो बिल्कुल नहीं पसंद भाभी, आप वैसा कुछ मत करना प्लीज..”

नेहा ने कहा- “ठीक है अगर तुम नहीं चाहते तो वैसा कुछ नहीं करूँगी, वो बात यहीं पर दफना देती हूँ अभी इसी वक्त..."

मगर ठीक कुछ देर बाद प्रवींद्र बोला- “मगर भाभी, मुझे वो होटेल वाली बात अब बढ़िया लग रही है, क्यों ना आप वहाँ जाए उस अटेंडेंट को मिलें, और मैं भी आपके साथ चलूं। मैं आपका पति बनकर चलँगा, आप मेरी पत्नी और आप मुझको उस अटेंडेंट से परिचय करवाना अपना पति कहकर और तुम उस अटेंडेंट से अपने कस्टमर्स से मिलने की बात करना मगर कंडीशन यह होगी कि मैं भी साथ रहँगा... क्या खयाल है भाभी?"

नेहा ने इनकार किया और बात को खतम करने को कहा। मगर हम दोनों सहमत हो गए थे की सेक्स को लेकर आगे जो कुछ भी करना है, दोनों एक दूसरे को जरूर सब कुछ बताएंगे।

तभी प्रवींद्र ने नेहा को रूपचंद की विधवा बहन और उसकी बेटी की बात बताई।

नेहा बोली- “ओहह... तो उस रोज तुम मुझको उस शीक के साथ अकेली छोड़कर उन लोगों से मिलने गये थे। पता है, मैंने तुमको बताया नहीं मगर उस रोज तुम नहीं थे तो शीक ने एक बार और किया था मेरे साथ। जैसे ही मैं बाथरूम से निकली उसने मुझे एंजाय किया.."

प्रवींद्र को सुनकर बड़ा मजा आया और झूमते हुए कहा- “क्या? अरे वाह... तुम भी काफी कुछ छुपी रुस्तम हो, है न भाभी? तो शीक ने फिर से किया आपके साथ, भाभी वो कमाल का है, है ना? आप उसको बहत पसंद करती हो है ना भाभी? सच बताना प्लीज...”

नेहा ने हाँ में सर हिलाते हए कहा- “मैंने उसके जैसा लौड़ा कभी नहीं देखा, इतना बड़ा बाप रे... और अपनी उम के लिहाज़ से वो बुजुर्ग बहुत मजबूत है, अब भी बहुत दम है उसमें। आई रियली एंजाय्ड माइसेल्फ विद हिम..”

प्रवींद्र नेहा की आँखों में घूर रहा था और उसकी खोई हुई नजरें शीक की याद में बहुत पसंद आई प्रवींद्र को।

नेहा ने फिर कहा- “बिल्कुल जैसे तुम मुझको बुजुर्ग लोगों के साथ करते हुए देखना पसंद करते हो तो मैं भी तुमको किसी और के साथ करते हुए देखना पसंद करूंगी, कोई और औरत जो तुमसे उम्र में बड़ी हो। क्या यह हो सकता है?"

प्रवींद्र ने तुरंत कहा- “बिल्कुल हो सकता है भाभी, हमको सिर्फ एक बार और रूपचंद और उसके परिवार के साथ मिलना चंद की विधवा बहन के साथ देख सकोगी, वो तकरीबन 35-37 साल की है और उसकी बेटी आपकी उम्र की है...”

फिर निश्चय किया गया कि रूपचंद ग्रुप से एक और अपायंटमेंट लिया जाए।

तब नेहा ने कहा कि वो नहाने जा रही है।

प्रवींद्र बोला- “तो आज मुझे तुमको नहलाने का मौका मिलेगा भाभी। सही मौका है."

नेहा ने मना किया यह कहते हये कि उसने अपने दो भाइयों के साथ किया है और थकी हुई है मगर जिद्दी प्रवींद्र नेहा की पीछे गया बाथरूम तक। बाथरूम के अंदर घुसते ही प्रवींद्र ने अपनी भाभी की साड़ी निकालना शुरू किया, बड़ी उत्तेजना में नेहा को घुमाते हए साड़ी को निकालता गया। नेहा घूम रही थी उसके सामने मुश्कराते हुए। फिर प्रवींद्र ने नेहा को रोका और उसकी ब्लाउज़ खोलना शुरू किया धीरे-धीरे आराम से उसकी सफेद और
गलाबी रंग की चूचियों को ऊपर से धीरे-धीरे नीचे के तरफ देखते हए। फिर ब्लाउज़ निकालते वक्त नेहा को उसने बाहों में भर लिया और अपने होंठों को फेरना शुरू किया उसके गले और चूची के ऊपरी हिस्सों पर।
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03-04-2021, 10:21 AM,
#86
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
ब्लाउज़ अभी भी उसके जिश्म पर ही था और नेहा बिल्कुल बुत की तरह खड़ी थी। उसको बिल्कुल मन नहीं था करने को, क्योंकी वो दो-दो से चुदवाकर आई हुई थी। नेहा पेटीकोट और अनहक ब्लाउज़ में खड़ी थी और तभी प्रवींद्र ने शावर खोल किया।

नेहा ठीक शावर के नीचे थी और पानी उसके सर से होकर उसके जिश्म को भिगोने लगा। उसके लंबे काले बालों से पानी उतरते हुए उसके गले से गुजरते हुये उसकी चूचियों के अंदर जाते हुए पेट की तरफ से होकर पानी उसकी चूत और जांघों से गुजरता गया और प्रवींद्र नेहा को छोड़कर एक कदम पीछे खड़े होकर पानी का खेल देखने लगा। सोचा पानी भी नेहा के अंग-अंग को तराश रही है। नेहा भी अपना सर ऊपर उठाकर पानी का लुत्फ़ लेने लगी अपने तन को और भिगोते हए। फिर प्रवींद्र ने नेहा की भीगी कमर पर हाथ फेरा और उसके नजदीक गया।

उस पल तक नेहा थोड़ी बहत उत्तेजित होने लगी थी भीग कर। मगर उसको और कुछ चाहिए था गरम होने के लिए। तो प्रवींद्र नेहा के सामने घुटनों पर गया और उसने धीरे से उसकी पेटीकोट को उठाना शुरू किया जिसका वजन बढ़ गया था भीगने की वजह से। प्रवींद्र उसको बहत धीरे-धीरे उठता गया ऊपर नेहा के चेहरे में देखते हुए। उसके चेहरे पर पानी अब भी बह रहा था शावर से गिरकर। नेहा कभी कभार अपने दोनों हाथों को चेहरे पर फेर रही थी बालों को पीछे करते हए। पेटीकोट ऊपर उठता गया और धीरे-धीरे नेहा की खूबसूरत जांघे नजर आने लगी जिस पर भी पानी उतर रहा थे।

उस पल उसकी जांघे इतनी खूबसूरत और आकर्षक लग रही थीं कि प्रवींद्र को लगा कि उसका लण्ड पैंट को फाड़कर बाहर निकल आएगा। और जब पेटीकोट नेहा की कमर तक उठा दिया प्रवींद्र ने तो नेहा की भीगी हुई पैंटी को देखकर उससे रहा नहीं गया। तब भी वहाँ से पानी गुजर रहा था। नेहा ने अपनी दोनों जांघों को एक के ऊपर एक किया थोड़ा कसमसाते हए। प्रवींद्र ने अपना मुँह पैंटी से लगाया और वहाँ से बहते पानी को पिया। फिर अपनी जीभ को पैंटी पर दबाते हुए चूत के छेद में धंसाया। लगता था कि वो अपनी जीभ से एक छेद करना चाह रहा था पैंटी पर, जिस तरह से जीभ को गड़ा रहा था वहाँ।

और वोही पल था जब नेहा की आग भड़की और उसको अब सब कुछ करने की जरूरत पड़ गई। नेहा ने प्रवींद्र के सर को अपनी चूत पर दबाते हुए उसके सर के बालों को अपनी मुट्ठी में भरकर नोंचा, जबकी प्रवींद्र अपने दाँत से उसकी पैंटी उतारने पर लग गया। और कुछ देर में दोनों नंगे पाए गये, शावर का पानी दोनों को बिल्कुल भिगा चुका था, दोनों के तन पर पानी बह रहा था, दोनों एक दूसरे को बाहों में भरे हुए थे किस करते हुए और पानी को निगलते हुए क्योंकी किस करते वक्त शावर का पानी दोनों में मुँह में आ रहा था। नेहा ने अपने जिश्म पर मलने के लिए उसको अपना शैम्पू दिया, और थोड़ा सा अपनी हथेली में भी लिया प्रवींद्र के जिश्म पर लगाने के लिए।

फिर दोनों एक दूसरे के तन पर शैम्पू मलने लगे। प्रवींद्र नेहा की चूत तक गया और चूत को अच्छी तरह से शैम्पू से धोया। उस वक्त नेहा का जिश्म एक साँप की तरह ऐंठ रहा था खड़े पोजीशन में ही। फिर प्रवींद्र ने उसकी चूत को चूसना शुरू किया, उसकी कमर में बाहें लपेटकर और अपनी हथेली को नेहा की गाण्ड पर दबाते हए। उसके उंगलियां उसकी गाण्ड के भरे हए गोश्त पर धंस रही थीं। एक गहरी चसाई के बाद, जिसने नेहा को बिल्कुल गरम कर दिया और उसकी चूत का पानी शावर के बहते पानी में घुल रहा था। तब वक्त था कि नेहा अपने देवर को नहलाए।

नेहा अपने घुटनों के बल बैठ गई और प्रवींद्र के खड़े लण्ड पर शैम्पू को मला और धीरे-धीरे नेहा की उंगलियां फिसलती गई अपने देवर के लण्ड पर। नेहा ने उस पोजीशन में उसका लण्ड धोया बिल्कुल जैसे मूठ मार रही थी उसको। धीरे-धीरे नेहा की हथेली ने रफ़्तार पकड़ी और प्रवींद्र थरथराने लगा और कमर हिलाते हुए अपने लण्ड को अपनी भाभी के हाथ में जैसे उसकी हाथ को चोद रहा था। और आखिर में झड़ने का टाइम हआ क्योंकी तब तक दोनों को उसकी सख्त जरूरत पढ़ गई थी। प्रवींद्र खड़ा हुआ और नेहा को बिल्कुल उस पोजीशन में लिया जैसे उस वक्त लिया था जब नेहा पत्थर पर कपड़े धो रही थी। उसने नेहा की एक टांग को अपने हाथ में थामा और उसको अपने करीब खींचा।
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03-04-2021, 10:21 AM,
#87
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा बाथरूम की दीवार के ठंडे मार्बल पर पीठ किए खड़ी थी, और प्रवींद्र ने अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसाया जिससे नेहा ने एक तड़पती आवाज दी और अपनी दूसरे टांग की उंगलियों पर खड़ी हो गई उसको और ज्यादा पोजीशन देते हुए अंदर घुसाने के लिए।

प्रवींद्र अपने आपको खोता गया एक के बाद एक जबरदस्त धक्का देते हुए अपनी भाभी की चूत में। उसका मुंह उस वक्त नेहा के भीगे हुए गले को चाट रहा था, और जल्द ही गर्दन झुका कर उसकी चूचियों को चूसने लगा,
धक्कों के रफ़्तार बढ़ाते हुए। नेहा सिसकती गई अपने जिश्म को उसके जिश्म से रगड़ते हुए और अपनी चूचियों को उसके छाती पर दबाते हुए।
फिर नेहा की तड़पती आवाज सुनाई देने लगी और कुछ ऐसे आई- “हम्म्म... आआहह... इस्स्स्स ... आई लोव यू बेबी... हाँ तेज और तेज करो... हाँ अब करो... आह्ह.." और नेहा झड़ गई, प्रवींद्र को बहुत ज्यादा जोर से अपनी बाहों में जकड़ते हुए।

फिर प्रवींद्र ने अपने लण्ड को चूत के बाहर निकाला और नेहा को घुमाकर देवार से चिपकाया। ठंडी संगेमरमर की दीवार पर नेहा की चूचियां दब गईं और प्रवींद्र ने नेहा की गाण्ड के बीच में अपने लण्ड को रगड़ा, थोड़ा सा शैम्पू लगाया अपने लण्ड पर और नेहा की गाण्ड पर और पीछे से अपनी बाहों में नेहा के भीगे जिश्म को जकड़ा जोश में था, अपनी जवान भाभी के जवान ) जश्म को बाथरूम के अंदर पाकर, फिर लण्ड को थोड़ा उसकी गाण्ड के ऊपर रगड़ा प्रवींद्र ने और तब उसकी गाण्ड के छेद पर लण्ड को मसला और झट से छेद के अंदर लूंस दिया, जिससे नेहा की चीख निकल गई। शैम्पू के होने की वजह से लण्ड आसानी से घुस गया था गाण्ड में।

फिर प्रवींद्र अपनी भाभी की गाण्ड मारने लगा उसको दीवार से चिपकाए हुए। नेहा की साँस उखड़ी जा रही थी जब तक उसका देवर उसकी गाण्ड मारता रहा। प्रवींद्र अपने पैरों के उंगलियों पर खड़े हुए अपना लण्ड ठुसता गया अपनी भाभी की गाण्ड की गहराई में और दिमाग के अंदर एक दृश्य बनता गया कि किस तरह से उसके दोनों भाई उसको चोद रहे थे और वो मजा ले रही थी। नेहा के भाइयों को सोचते हए नेहा की गाण्ड मार रहा था प्रवींद्र। फिर दिमाग में उसने शीक को भी सोचा, शीक के मोटे लण्ड की कल्पना किया कि किस तरह से नेहा उस लंबे मूसल को अपनी गाण्ड में ले रही थी मजे से।

वो सब सोचते हुए प्रवींद्र झड़ने को आया और चिल्लाया- “आगघघ्ग... भाभी आआहह... इस्स्स्स ... बहुत मजा
आया भाभीईई वाहह... इस्स्स्स ..” और लण्ड के पूरे वीर्य को प्रवींद्र ने उसकी गाण्ड के अंदर छोड़ा, अपने मुँह से नेहा की गरदन पर उसी जगह चूसते हए जहाँ सुनील ने निशान बनाया था, ठीक उसी जगह पर वो भी चूसता गया उस निशान को और भी गहरा
दोनों हाँफ रहे थे, और नेहा ने इस्स्स्स ... करते हुए उसको धीरे से कहा- “उफफ्फ़.... अब निकालो उसको वहाँ से.."

मुश्कुराते हुए प्रवींद्र ने पूछा- “क्या निकालूं भाभी और कहाँ से?"

नेहा ने उसको हल्के से झापड़ मारते हुए कहा- “अपने लण्ड को निकालो मेरी गाण्ड में से, अब वो नरम हो चुका है बदमाश कहीं का, अपनी भाभी की गाण्ड मारता है बेशर्म..."

प्रवींद्र ने हँसते हुए लण्ड को बाहर खींचा और नेहा को बाहों में भरकर किस करने लगा, उसकी चूचियां प्रवींद्र की छाती से चिपक के फ्लैट हो गईं। उस रात को नेहा को और करने की मूड नहीं थी तो वो अपने कमरे में बंद रही, ससुर के यहाँ नहीं गई। मगर ससुर उस रात को करना चाहता था। रात 1:30 बजे तक ससुर उसका इंतेजार करता रहा और जब नेहा नजर नहीं आई तो ससुर उसके कमरे में गया। नेहा गहरी नींद में थी जब ससुर ने उसको हिलाकर जगाया। एक झटके में उसकी आँखें खुली और बचकनी आवाज में उसने कहा कि उसका मन नहीं है आज।
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03-04-2021, 10:22 AM,
#88
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
मगर ससुर ने कहा कि उसका तो बहुत ही मन है और उससे इंतेजार नहीं हो रहा। फिर ससुर ने नेहा को अपनी गोद में उठाया एक बच्ची की तरह और अपने कमरे में ले गया। नेहा जमुहाइ ले रही थी मुँह पर हाथ रखे हुए, वो अपनी फ्लिमसी नाइटी में थी बिना ब्रा के, उसकी पैंटी ड्रेस के ऊपर से दिख रही थी। ससुर उसको गोद में लेकर चलते हुए ही खड़ा हो गया और उसको चोदने के लिए बेकरार था। नेहा को अपने बिस्तर पर ससुर ने लेटाया और खूब चोदा उसको, जी भरके चोदा।

नेहा चिल्ला उठी, पिछले 24 घंटों में 4 मर्दो से चुदवाते हुए थक गई थी। दो भाइयों से, फिर प्रवींद्र से और अब ससुर से। फिर नेहा ससुर के साथ ही सो गई अगली सुबह तक उसको बाहों में जकड़कर।
………………………………
नेहा का पति रवींद्र सुबह 6:00 बजे उठा, टायलेट गया, बाथ लिया, ब्रश किया, मगर नेहा को नहीं ढूँढा हालांकी वो बेड पर कमरे में नहीं थी। उसको पता था कि नेहा उसके बाप के कमरे में उसके बेड पर सोई होगी। अब नेहा की रवैया कैसी थी रवींद्र की ओर?

नेहा उसके साथ बहुत मीठी-मीठी बातें करती थी। उसको नेहा हर सुबह चाय सर्व करती थी, जब भी उसको पानी की जरूरत होती तो नेहा उससे पानी देती थी, सबके साथ उसको भी डिनर सर्व करती थी, और जब रवींद्र खेत से वापस आता था तो नेहा उसके हाथ पैर दबाती थी और रात को जब तक रवींद्र सो ना जाए नेहा उससे बातें करती थी। तो नेहा एक पत्नी का फर्ज़ निभाती थी रवींद्र के साथ चुदाई के सिवा... रिश्ता ऐसा था जैसे कि रवींद्र उसका भाई है या कोई करीबी रिश्तेदार जिससे कोई नाता हो।

रवींद्र दिल से तो चाहता था नेहा को मगर कुछ कर नहीं पाता था। वो तो खुद शर्मिंदा था उसके लिए और जब उसे पता चलता कि नेहा उस तरह से उसके करीब आ रही है तो वो कापने लगता था और उसके पशीने छटने लगते थे। इसलिए नेहा ने उसके और करीब जाना बंद कर दिया था, बस पत्नी के बाकी के फर्ज़ निभाती थी। रवींद्र को कभी कोई शिकायत का मौका नहीं मिला था नेहा की तरफ से। हाँ उसको नेहा और उसके पिता के रिश्ते के बारे में पता था क्योंकी उसी ने इजाजत दिया था उस रात को अपने पिता को नेहा से संभोग करने की।

उस सुबह को नेहा की नींद टूटी तो वो सदमा खा गई, ये देखकर कि उजाला हो गया और वो तब तक नींद में थी और वो भी अपने ससुर के बिस्तर पर उसके साथ। बिल्कुल नंगी थी। उसको हैरानी हुई कि रात भर वो नंगी सोती रही ससुर के साथ। सब थकान की वजह से हुआ था उसने सोचा और जल्दी से अपनी नाइटी उठाई और भागती हुई अपने कमरे के तरफ बढ़ी। मगर रवींद्र किचेन में चाय पी रहा था जो उसने खुद बनाया था, उसने नेहा को देखकर भी अनदेखा किया। नेहा को बहुत चिंता महसूस हुई यह देखकर कि उसके पति ने उसको, उसके ससुर के कमरे से तकरीबन नंगी निकलते हुए देखा था।

जब रवींद्र और उसके पिता खेत चले गये तो हर सुबह की तरह नेहा एक कप चाय लेकर प्रवींद्र के कमरे में गई उसको उठाने के लिये। उसको उठाते वक़्त नेहा उसके साथ बहुत छेड़खानी करती थी हमेशा। ऐसा लगता था एक माँ अपने नटखट बच्चे को जगा रही है वैसे कुछ नजारा होता था हर सुबह प्रवींद्र को जगाते वक़्त। अपनी नटखटी हरकतों से नेहा को तंग करने के बाद आखिर में प्रवींद्र उठा और नहाने जा रहा था तो नेहा से फिर से अंदर चलने को कहा कि कल की तरह मिलकर नहाएंगे। मगर नेहा ने हँसते हुए उससे कहा कि वो पहले ही नहा चुकी है।

इस दिन बारह बजे अचानक नेहा का ससुर घर आ गया। वो उस वक़्त कभी नहीं आता था। शुक्र है कि नेहा
और प्रवींद्र कुछ कर नहीं रहे थे उस वक्त। नेहा ससुर को उस वक्त घर में पाकर बहुत डर गई। ससुर ने प्रवींद्र को बुलाया और उससे कहा कि एक इंजीनियर आया हुआ है बांध बनाने के लिए और उसको एक असिस्टेंट की जरूरत है और उसने प्रवींद्र का नाम दे दिया है।

प्रवींद्र को उस इंजीनियर से मिलने जाना था तुरंत अपने पिता के साथ। प्रवींद्र को घर पर रहने की आदत हो गई थी, एक शहजादे की जिंदगी जी रहा था। और उसको कोई भी काम करने का कोई मन नहीं था खासकर जब अब नेहा है उसकी ज़िंदगी में उसके साथ हर पल घर में थी। प्रवींद्र अपने पिता के चेहरे में अजीब नजरों से देख रहा था, उसकी नजरें कह रही थीं कि वो नहीं जाना चाहता कहीं कोई काम करने। नेहा भी उदास हो गई
और उदासी के साथ प्रवींद्र के चेहरे में देखा तो उसको भी समझ में आ गया कि अब जुदाई होगी दोनों के बीच।

जब बाप ने देखा कि प्रवींद्र को काम करने का कोई मन नहीं है, जिस तरह से वो उसको देखे जा रहा था तो उसने कहा- “अबे कब तक मफ़्त की रोटी तोडेगा त? खेत जाना तो त पसंद नहीं करता. बडा आया पढ़ा लिखा क्या कर लिया पढ़ लिख कर? कुछ करेगा या ऐसे ही घर में बैठेगा तू? कुछ तो करना सीख। पैसों की जरूरत तो नहीं है मुझे और ना तुझे, मगर जिंदगी में कुछ करना भी तो चाहिए। चल उस इंजीनियर के साथ कुछ काम सीख ले कभी तेरे काम आएगा..."

प्रवींद्र ने धीमी आवाज में कहा- “मेरा मन नहीं है जाने को..."

ससुर ने नेहा से कहा- “बह इस निकम्मे से कहो कि गाँव में आवारा की तरह घूमना बंद करें और अपने बाप की कमाई खाना बंद करें, बोलो इससे कि कुछ कमाएं, कुछ जिमेदार बनें, किसी की जिम्मेदारी तो उठाए। शर्माजी के यहाँ लोग कतार लगा रहे हैं उसके असिस्टेंट के काम के लिए। वो मेरा दोस्त है इसलिए रुका हुआ है और इसका इंतेजार कर रहा है, कुछ समझाओ इसे बहू.."

नेहा का चेहरा लाल हो गया और उसकी समझ में नहीं आया कि क्या कहे?

प्रवींद्र अपने प्रोग्राम के बारे में सोचने लगा, रूपचंद से मीटिंग के बारे में सोचने लगा, अब कैसे वो सब पूरा करेगा इस सोच में पड़ गया वो। अब उसको नेहा की आदत सी हो गई थी और उससे दूर नहीं रहना चाहता था। तकलीफ हो रही थी उसके दिल को। घुटन सी हो रही थी उसे। और फिर जलन भी हो रही थी उसे के कहीं कोई और नेहा को ना चुरा लें उसकी गैर-हाजिरी में। उसको बहुत फिकर और गुस्स होने लगा, समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पिता को क्या जवाब दे?

उसके पिता ने जबरदस्ती उसको डाँटते हुए उसके साथ चलने को कहा। कोई चारा नहीं था, उसको जाना ही पड़ा। उसने नेहा को उदासी भरे चेहरे से देखा, लगता था कि अब रो पड़ेगा। नेहा को भी बहुत उदासी महसूस हुई मगर उसने सिर्फ प्रवींद्र के चेहरे में हमदर्दी भरी नजरों से देखा। नेहा कुछ भी नहीं कर पाई क्योंकी प्रवींद्र का बाप आर्डर दे रहा था और उसके हकम के खिलाफ जाना किसी के बस की बात नहीं थी।

जब वह दोनों चले गये तो ठीक 5 मिनट के बाद डोरबेल बजी। नेहा किचेन में लंच के बाद वाली प्लेटें धो रही थी। नेहा ने खुद से कहा- “कौन हो सकता है इस वक्त? कोई भी तो नहीं आता कभी, प्रवींद्र वापस भाग आया क्या?" फिर उसने सोचा कि वह लोग वापस आए हैं, शायद कुछ भूल गये लेने के लिए..." और वो दरवाजा खोलने को गई।

और जब नेहा ने सामने का दरवाजा खोला तो हैरानी के साथ बहुत खुश हुई अपने पिता को बहुत सारे समान के साथ घर के द्वार पर पाकर। जब से नेहा की शादी हुई यह उसके पिता की पहला विजिट थी। नेहा बेहद खुश हुई अपने पापा को देखकर और अपने आपको खुद उसकी बाहों में समेट दिया उसने। उसके पापा ने नेहा को बाहों में भरके उसके गालों को चूमा, फिर गले पर चूमा और उसके चूतरों पर हथेली को फेरा।

नेहा ने जोर से खुशी के साथ कहा- “पापा, आप सिर्फ 5 मिनट लेट आए, मेरे ससुर और देवर अभी-अभी घर से निकले हैं, दोनों यहीं थे 5 मिनट पहले। प्रवींद्र को लेने आया था मेरा ससुर। वरना वो अभी यहीं होता हर रोज घर पर ही रहता है..."
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03-04-2021, 10:22 AM,
#89
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा के पिता ने धीरे से उसके कानों में कहा- “कौन कम्बख़्त तुम्हारे ससुर या प्रवींद्र से मिलना चाहता है मेरी जान... यह तो मेरी खुशनसीबी है कि दोनों चले गये ऐन वक्त पर और मेरी प्रार्थना कुबूल हुई। मैं यही प्रार्थना करते आ रहा था कि घर पर तुम अकेली मिलो मुझे इस वक्त..” खुशी से यह कहते हुए उसका बाप घर के अंदर दाखिल हुआ नेहा की कमर पर एक बाजू किए हुए।

नेहा एक टु पीस में थी, वो उसकी फेवोरिट थी। घर पर वो हमेशा टू पीस पहनना पसंद करती थी। उसकी क्लीवेज हमेशा की तरह नजर आ रही थी और उसकी स्कर्ट ठीक घुटनों के ऊपर थी और उसकी जांघों के ऊपरी हिस्से भी नजर आ रहे थे। वह हिस्से जो थोड़ा और सफेद और ज्यादा गोरे दिखते थे। उस हिस्से को देखकर कोई भी मर्द नजर को हटा नहीं सकता था, वो बहुत ही उत्तेजक और आकर्षित करने वाले हिस्से थे एक लड़की की जिश्म में। नेहा खासकर वैसी ड्रेस अपने ससुर और प्रवींद्र के लिए ही पहना करती थी, और जांघों और क्लीवेज उन दोनों के लिए ही दिखाती रहती थी क्योंकी दोनों मर्दो को वह पसंद थे।

नेहा के पिता ने सामान नीचे रखते हुए नेहा को बाहों में भरकर अपनी जीभ को उसके गले और क्लीवेज पर फेरने लगा।

नेहा ने मुश्कराते हुए एक शरारती आवाज में कहा- “क्यों मेरे प्यारे पिताजी, आप बहुत भूखे लग रहे हो हम्म्म?"

पिता ने उसको जकड़े हुए कहा- “मेरी रानी गुड़िया, तुमको बहुत-बहुत ही मिस किया मैंने मेरी जान, क्या बताऊँ तुम्हारी कमी कितनी खल रही थी मुझे। अब जो तुम्हारी लज्जत चख लिया है तो लत लग गई है री तेरी तेरे पापा को, मैं क्या करूँ बेबी? आ जा मेरी जान, पापा तुमको खाना चाहता है, जी भरकर खाने दो मुझे...”

नेहा हँसी और कहा- “हम्म्म... जैसे मेरे वापस आने के बाद आपको कोई और नहीं मिली खाने को क्यों पापा...”

बाप को उसको चोदने की बहुत जल्दी थी उस वक्त, उसका हाथ नेहा की स्कर्ट के नीचे उसकी गाण्ड पर पैंटी के ऊपर फिरने लगा था, उसकी जांघों को टटोल रहा था और मुँह में नेहा का मुँह ले लिया था चूसते हुए।

नेहा ने भी मुँह खोल दिया, अपने पापा की जीभ को अपने मुँह के अंदर एक्सप्लोर करने के लिए और दोनों एक गहरी किस में खो गये कुछ देर के लिए। फिर पिता का एक हाथ नेहा की पैंटी नीचे की तरफ करने लगा। दोनों खड़े पोजीशन में ही थे उस वक्त। फिर नेहा ने किस करते हुए ही अपने पिता को बेडरूम का इशारा किया अपने नजरों को तिरछी करके बेडरूम की तरफ नजरों को करते हुए नेहा की आँखों ने पिता से कह दिया- “कमरे में चलो ना पिताजी यहाँ क्यों पैंटी उतार रहे हो? मेरे बिस्तर पर चलो आराम से ऐसा करना अपनी लाडली के साथ..."
यह सब पिता की नजरों ने पढ़ा नेहा की नजरों से।
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03-04-2021, 10:22 AM,
#90
RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
दोनों बेडरूम में आ गये और खुद नेहा ने अपनी पैंटी उतारी, अपनी ब्लाउज़ निकाला। फिर पिता करीब आया उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाया और ब्रा को निकाल फेंका। फिर भूखे भूड़िये की तरह अपनी बेटी की चूचियों को चाटने, चूसने, नोंचने लगा। नेहा की चूचियों को चूसते हुए ही पिता ने अपनी शर्ट और पैंट उतारी और तब नेहा की स्कर्ट को निकाला चूचियों को चूसते हुए ही। फिर नेहा ने अपने जिश्म को अपने पिता के हवाले करते हुए बिस्तर पर आराम से नंगी लेट गई।

पिता तब फर्श पर घुटनों के बल आ गया और उसकी पैंटी हाथ में उठाकर उसको सूंघा, चाटा, और नेहा अपने पापा के चेहरे में देखते हुए अपनी दोनों टाँगों को ऊपर उठाते हुए फैला दिया, पिता को अपनी खुली भीगी चूत दिखाते हुए। पिता एक शेर की तरह गुर्राया और अपने जबड़े को दबाकर दाँत पीसते हुए नेहा की चूत पर अपनी हथेली दबाया फिर इस कदर उसकी चूत पर टूटा और चाटने चूसने लगा जैसे एक रस भरे हुए पके आम को चूस रहा था।

उसकी चूत के तमाम रस को चूस लिया पिता ने और नेहा सिसकते हए आहें भरने लगी बिस्तर पर जिश्म को ऐंठते हुए। नेहा कभी दाएं घूम रही थी तो कभी बाएं और बहुत मजा आ रहा था उसे और तड़पती आवाज में सिसकारियां ले रही थी मजे के साथ। क्योंकी अपने पापा के साथ करना भी बहत पसंद था उसे। इससे नेहा की बचपन की यादें जुड़ी हुई थीं, इसलिए उसको बहुत मजा आता था पिता के साथ। जब पिता उसके साथ करता था तो नेहा खुद को फिर से छोटी बच्ची महसूस करती थी।

वो ऐसा महसूस करती थी कि वो वोही शादी से पहले वाली नेहा है और उसका पिता उसको चोदना चाह रहा है
और वो अपने आपको उसके हवाले कर रही है खुशी से। ऐसे खयालात आते थे नेहा के दिमाग में अपने पिता के साथ करते वक्त। और ऐसे खयालों को दिमाग में लाते हुए नेहा की गर्मी तेजी से बढ़ती थी और उसका गीलापन भी बढ़ता था और चोदने की चाह भी बहुत बढ़ती थी। उसे जबरदस्त उत्तेजना होती थी। नेहा से बर्दाश्त नहीं हो रही थी ये सब सोचते हुए जब बाप उसकी चूत को चूसे जा रहा था और नेहा अपनी उंगलियों से बाप के सर पर बचे-खुचे बालों को नोचे जा रही थी।

नेहा को खूब चूसने के बाद, बाप ने अपने तने हुए लण्ड को हाथ में थामकर उसे नेहा के मुँह के पास किया। उसको अपने लण्ड चूसवाना बेहद पसंद था क्योंकी उसने जिंदगी में, अपनी जवानी में तो कभी किया नहीं था यह सब। शुरू नेहा से हई और आरती ने भी किया और आज नेहा से दोबारा सब करने का मौका मिल रहा था नेहा के पिता को।

नेहा ने बड़े प्यार और आराम से अपने मुलायम हाथों में अपने बाप का लण्ड थामा, आगे की चमड़ी को हटाया, और हल्के से अपनी जीभ फेरा ऊपरी हिस्से पर, जिससे पिता का जिश्म थोड़ा सा काँप उठा, फिर नेहा ने उसके लण्ड के छेद पर अपनी जीभ फेरा, अपने पिता के चेहरे मेंटे

बाप का जिश्म थरथराया, और उसने तड़पती आवाज में कहा- “हाँ मेरी जान, मेरी बेबी, मेरी रानी, पापा को खुश करो बेटा, चूसो पापा के लण्ड को, अपने मुँह के अंदर ले लो इसे, गहराई में अंदर लो, अपने गले तक अंदर घुसने दो, पापा को खुश करो मेरी लाडली खुश करो पापा को मेरी जान इस्स्स्स... आघघ्गग.."

नेहा जो अब बहुत अनुभवी या एक्सपर्ट हो गई थी चूसने में, अपने पापा को एक बहुत ही बेहतरीन ब्लो जाब दिया। उसका पापा तड़पता गया, कांपता गया, थरथरता गया खुशी के साथ मजा के साथ एंजाय करते हुए। झड़ने वाला था तो कहा- “बेबी, मैं झड़ने वाला हूँ, रुको रुको मेरी जान... मैं तुमको चोदना चाहता हूँ अगर यहीं झड़ गया तो नहीं चोद पाऊँगा मेरी जान को..."

नेहा एक शैतानी नजर से अपने पिता को देखते हए रुकी और उसकी आँखें नशीले हो गई थीं जैसे कोई नशीली दवा लिया था नेहा ने। यह एक्स्टेसी थी जिसमें वो डूब रही थी उस वक्त। पिता ने अपने लण्ड को हाथ में जोर से पकड़कर दबाया ताकी वो ना झड़े, और कुछ पल इंतेजार किया। फिर नेहा के ऊपर चढ़ा और बिल्कुल टाइम नहीं लगा, जैसे ही उसका लण्ड नेहा की गीली चूत के अंदर दाखिल हुआ, नेहा ने एक जोर से “आआहह... करते हुए आवाज दी, और बाप ने सिर्फ 5-6 बार धक्का दिया कि झट से लण्ड को बाहर निकालना पड़ा क्योंकी वो
झड़ने लगा था।

नेहा जल्दी से उठी और बिना पिता के कहे नेहा ने अपने हाथ में अपने पापा के लण्ड को लिया और अपने मुँह के अंदर डाल दिया। थोड़ा बहुत वीर्य नेहा की चूचियों पर गीरा और बाकी नेहा के मुँह के अंदर झड़ा। नेहा ने अपने पिता के वीर्य के आखिरी कतरे तक चूसा, जिससे उसके पापा का जिश्म थरथरता गया और अजीब सा चैन और सुकून हासिल हुआ उसके पूरे बदन में अपनी बेटी की उस अजीब-ओ-गरीब चुसाई से।

... मेरी प्यारी बेटी... पापा को कितना खुश करती है... आघघ्यह..
वो गुर्राता गया- "आगज्गघह... उफफ्फ़.... इस्स्स्स मेरी लाडलीईई इस्स्स्स ..."

फिर कुछ पल बाद बाप ने गहरी साँस लेते हुए अपनी प्यारी लाडली को बाहों में भरे हुए किस करते हुये कहा “बहुत कमाल की हो तुम मेरी लाडली बेटी, कितना खुश किया अपने बूढ़े पापा को तुमने, मेरी रानी। बहुत खुश हुआ मैं मेरी बेटी, मगर माफ करना तुमको खुश नहीं कर पाया, मैं तो बहुत जल्द झड़ गया री..."

नेहा के पिता देर शाम तक वहीं रहे जब उस घर के तीनों मर्द काम से घर वापस आए। नेहा का पिता और उसके ससुर एक ड्रिंक लेकर बैठे, जब नेहा खाना बनाने गई।

प्रवींद्र नेहा के पीछे-पीछे गया किचेन में और उसके पिता के बारे में सवाल किया और पूछा- क्या उसके पिता ने उसके साथ कुछ किया या नहीं?

नेहा ने उसको साफ-साफ बता दिया कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि वो कुछ नहीं करता। जब मौका हसीन था
और वो बिल्कुल अकेली थी घर पर तो।

प्रवींद्र को जलन हई और कहा- “कमाल है भाभी, ठीक जब हम चले गये तब वो आया, जैसे हमारे जाने का इंतेजार कर रहा था, वैसे मैं हर रोज घर पर रहता था तब वो कभी भी नहीं आए थे। ऐसा लगता है कि तुमने उसको किसी तरह से कम्यूनिकेट करके उसको बताया कि तुम अकेली हो और वो आ सकता है..."

नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “शुकर है कि हमारे यहाँ एक फोन भी नहीं है, वरना मेरे यहाँ से और कितने लोग फोन करते यह तुम्हें पता ही है.."

प्रवींद्र को बेचैनी हो रही थी और वो लाउंज में नेहा के पिता को घूरने गया जहाँ वो उसके पिता के साथ बैठा पी रहा था। मगर वो कर भी क्या सकता था। हालांकी उसको पसंद नहीं था कि उसका नेहा के साथ वैसा रिश्ता हो।

प्रवींद्र समझता था कि नेहा अपने पापा को चाहती है और उसके साथ सेक्स अपनी खुशी से ही किया होगा उसने। खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रहा था उस वक्त प्रवींद्र। वो सोचने लगा अपने दिमाग में दृश्य बनाते हए कि कहाँ दोनों ने इश्क फरमाया होगा? और किस तरह से नेहा ने एंजाय किया होगा अपने पापा के साथ?
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