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Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
प्यास बुझाई नौकर से
पात्र (किरदार) परिचय
01. हरदयाल- रूबी के ससुर,
02. कमलजीत- रूबी की सास,
03. प्रीति- हरजीत की पत्नी, हरदयाल की बेटी,
04. लखविंदर- रूबी का पति, दुबई में नौकरी, हरदयाल का बेटा,
05. रूबी- उम्र 28 साल, लखविंदर की पत्नी, रंग गोरा, कद 54” इंच, सुडौल मुम्मे, कम्प्यूटर डिग्री
06. हरजीत- प्रीति का पति, सरकारी टीचर,
07. रामू- उम्र 22 साल, घर का नौकर,
08. सीमा- कामवाली बाई,
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
दिसम्बर महीना रात का टाइम, चारों तरफ सन्नाटा था। बीच-बीच में दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी। पूरा गाँव नींद की आगोश में था। अचानक घड़ी की आवाज आई टन्न्। रूबी ने देखा रात का एक बज चुका था। पर लाख कोशिश के बाद भी 28 साल की रूबी को नींद नहीं आ रही थी, मानो जैसे नींद रूबी से रूठी हो। गाँव के बाहर बाहर आलीशान घर में रूबी इतनी रात होने पे भी अपने मखमली बेड पे कम्बल में करवटें ले रही थी। अपने बेड पे लेटे-लेटे उसे अकेलापन निगल रहा था।
हमेशा खुश रहने वाली रूबी आजकल काफी अकेलापन महसूस करने लगी थी। 28 साल की गदराई जवानी की मालेकिन रूबी को किश्मत ने सब कुछ दिया था। घर में सासू माँ कमलजीत, और ससुर हरदयाल के अलावा रूबी ही थी। दो साल पहले रूबी दुल्हन बनकर इस घर में आई थी।
हरदयाल और कमलजीत के दो बच्चे थे। पहला बचा लड़की हई। उसका नाम रखा गया प्रीति। उसकी शादी हए 5 साल हो चुके हैं और वो अपने ससुराल में खुश है अपने पति के साथ।
हरदयाल और कमालित का दूसरा बच्चा हुआ लखविंदर। लखविंदर दुबई में कन्स्ट्रक्सन कंपनी में सिविल इंजिनियर है। अच्छी खासी सेलरी है लखविंदर की। दुबई में काम करने के कारण साल दो साल बाद ही इंडिया का चक्कर लगता है। लास्ट टाइम लखविंदर 8 महीने पहले घर आया था। रूबी और लखविंदर की अरेंज मैरेज हुई थी।
रूबी भी पीछे से अच्छे खानदान से है। उसके फादर की सरकारी जाब थी और उसके दो और भाई हैं जो की अभी रूबी से बड़े हैं। रूबी पढ़ने में अच्छी थी तो घर वालों ने कंप्यूटर्स में डिग्री करवा दी। कालेज में कुछ लड़कों ने रूबी को पटाने की कोशिश की। करते भी क्यों ना, गोरा रंग, 5'4' इंच का कद, सुडौल मुम्मे, मोटे चूतर किसी की भी नींद हराम कर सकते थे।
लेकिन अच्छे संस्कार वाली रूबी ने कभी लड़कों में इंटेरेस्ट नहीं लिया। रूबी को पता था की लड़के सिर्फ उसका जोवन रस पीना चाहते हैं। पर वो सिर्फ अपनी पढ़ाई में ही इंटरेस्ट लेती थी। कालेज छोड़ने के बाद रूबी ने प्राइवेट स्कूल में टीचिंग भी की कुछ साल। 26 साल की होते-होते लखविंदर का रिश्ता आया। रूबी के घर वालों ने देखा अच्छा परिवार है, लड़का अच्छा कमाता है, वेल सेटल्ड है। गाँव के बाहर-बाहर आलीशान घर है। जमीन भी अच्छी है तो उन्होंने ने झट से हाँ कर दिया रिश्ते को।
रूबी पहले थोड़ा ना-नकर की। पर जब लखविंदर को देखा और बात की तो रूबी को लखविंदर भा गया और उसने हाँ बोल दिया शादी के लिए। पीछे से खुशहाल परिवार की लड़ली को ससुराल भी खुशहाल ही मिला। कमलजीत और हरदयाल इतनी अच्छी बहू पाकर फूले नहीं समा रहे थे। शादी के बाद रूबी अपने ससुराल में अच्छे से अड्जस्ट हो गई। इतना अच्छा ससुराल और पति पाकर रूबी अपनी लाइफ में खुश थी। ससुराल में कोई खास काम नहीं था, जो रूबी को करना पड़ता।
घर की सफाई के लिए गाँव से लड़की आती थी। बस खाना ही बनाना होता था, जो की रूबी और कमलजीत दोनों मिलकर बना लेती थी। हरदयाल अपने खेतों के कामों में राम के साथ बिजी रहता था।
रामू घर का नौकर था जो की 22 साल का था। रामू का काम भैंसों का दूध निकालना, चारा डालना और खेतों का काम करना था। शादी के एक महीने बाद लखविंदर वापिस दुबई चला गया। उसके जाने के टाइम रूबी लखविंदर से सटकर काफी रोई थी। लखविंदर के जाने के बाद रूबी उदास हो गई।
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
अभी-अभी तो शार्द । और अभी तो रूबी अपना पूरा प्यार भी नहीं दे पाई थी लखविंदर को। पर जाना तो पड़ा ही था लखविंदर को। उसके जाने के बाद रूबी के लिए काली रातें काटना मुश्किल हो गया था। रात को सोने के टाइम बेड पे लेटे-लेटे उसे लखविंदर के साथ बिताया टाइम याद आ जाता था। वो ही तो उसका पहला प्यार था, जिसे उसने अपना मन और तन अर्पित किया था सुहागरात को। एक वो ही तो था जिसने रूबी को पहली बार भोगा था। ये तो रूबी की ही हिम्मत थी की इतना गदराया बदन उसने अपने पति के लिए ही बचक्कर रखा था, वरना उसे भोगने की चाहत रखने वाले तो कालेज में भी
लखविंदर के दुबई वापिस जाने के बाद ही रूबी जिश्म की भूख में तड़पने लगी थी। पर उसने अपने आपको संभाला हुआ था। संभालना ही था उसे अपने आपको, बाजारी औरत की तरह तो अपनी नुमाइश नहीं लगा सकती थी। आखीरकार, उसकी ससुराल और मायके की इज्जत का सवाल था। पर आज कुछ ज्यादा ही बेचैनी थी। इस बेचैनी का कारण थी लखविंदर की बहन प्रीति यानी की रूबी की ननद और उसका पति हरजीत। लखविंदर की बहन पिछले कल मायके आई थी हरजीत के साथ। महीने में एक-दो बार वो अपने मायके में मिलने आ जाती थी। रूबी और प्रीति की अच्छी बनती थी। दोनों की उमर में एक-दो साल का ही तो अंतर था। प्रीति का ससुराल 20 किलोमीटर दूर ही तो था।
हरजीत सरकारी टीचर था स्कूल में। सरकारी जाब के कारण उसे सनडे की तो छुट्टी मिलती ही थी। और तो और बाकी सरकारी छुट्टियां मिल जाती थी। इसलिए महीने में एक आध बार वो ससुराल आता था प्रीति के साथ। वैसे प्रीति खुद भी अकेले कई बार घर आ जाती थी। पहले भी तो प्रीति और हरजीत घर में आते थे। पहले तो कभी रूबी को इतनी बेचैनी नहीं हई थी, तो आज क्या हो गया था जो उसे नींद नहीं आ रही थी। जब भी वो आँख बंद करती उसकी आँखों के सामने कुछ देर पहले का दृश्य सामने आ जाता और वो आँखें खोल लेती।
अभी एक घंटे पहले की तो बात है। रूबी करवटें ले रही थी। लेटे-लेटे अपने और लखविंदर के उन प्यार भरे लम्हों को याद कर रही थी। और करती भी क्या? याद ही तो कर सकती थी। उसे भोगने वाला तो था ही नहीं उसके पास। इतनी ठंड में उन लम्हों को याद करते-करते कम्बल में रूबी को गर्मी आ गई थी और गला सूखने लगा था। रूबी ने सोचा थोड़ा पानी पी लेती हैं, और अपने कमरे से बाहर निकलकर किचेन में चली गई। अपने कमरे का दरवाजा खोलने और किचेन तक जाने का काम उसने धीरे-धीरे किया ताकी कोई घर में डिस्टर्ब ना हो।
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
अभी एक घंटे पहले की तो बात है। रूबी करवटें ले रही थी। लेटे-लेटे अपने और लखविंदर के उन प्यार भरे लम्हों को याद कर रही थी। और करती भी क्या? याद ही तो कर सकती थी। उसे भोगने वाला तो था ही नहीं उसके पास। इतनी ठंड में उन लम्हों को याद करते-करते कम्बल में रूबी को गर्मी आ गई थी और गला सूखने लगा था। रूबी ने सोचा थोड़ा पानी पी लेती हैं, और अपने कमरे से बाहर निकलकर किचेन में चली गई। अपने कमरे का दरवाजा खोलने और किचेन तक जाने का काम उसने धीरे-धीरे किया ताकी कोई घर में डिस्टर्ब ना हो।
पानी पीने के बाद अब वो कमरे क पास आई तो उसे सिसकियां सनाई दी। वो आ रही थी, वहीं खड़ी हो गई। उसे लगा सिसकियां ननद के कमरे से आ रही थी, रूबी ने सोचा। आधी रात हो गई थी और वो अभी तक सोई नहीं थी। रूबी का तो समझ में आता है इतनी रात तक करवटें लेना पर प्रीति? रूबी के दिल में आया की पास जाकर देखा जाए। इधर रूबी लाबी में थी और वहां पे व लाइट आफ थी और अंधेरा था। कोई अपने कमरे के बाहर आकर टकटकी लगाकर देखता उसकी तरफ, तभी पता चल सकता था की वहां पे कोई है। रूबी ने प्रीति के कमरे के दरवाजे पे कान लगाया और सिसकियां सुनने लगी।
प्रीति-अहह... अहह... उम्म्म्म
... अभी कितना बाकी है।
हरजीत- अरे बेबी आधा ही अंदर किया है अभी तो।
प्रीति- तो डाल दो पूरा। क्यों तड़पते हो?
हरजीत- क्योंकी मैं अपनी बीवी को अच्छे से भोगना चाहता हूँ। मेरा तो दिल करता है की सारी उमर तुम्हें ऐसे ही चोदता रहूं।
प्रीति- तो और क्या करते आए हो अभी तक? हफ्ते में एक आध दिन ही होता है जब आपका मन नहीं करता, नहीं तो यह तो आपका डेली का कम है।
हरजीत- बेबी तुम हो ही इतनी खूबसूरत। क्या करें रहा नहीं जाता। क्या तुम्हें मजा नहीं आता?
प्रीति- नहीं बाबा... आपको ऐसा क्यों लगता है? आप जैसा पति पाकर कौन औरत खुश नहीं होगी।
रूबी ना जाने क्यों वहां से हिल नहीं पाई और उसका मन किया की थोड़ी देर और रुक जाए। रूबी ने कभी किसी की चुदाई नहीं देखी थी। वो चुपचाप दरवाजे के साथ कान लगाए कमरे की आवाजें सुनने लगी। प्रीति की सिसकियां रूबी पे सीने को तीर बनकर लग रही थी। उसने आँखें बंद कर ली और अंदर के नजारे को इमेजिन करने लगी। धीरे-धीरे रूबी गरम होने लगी। इस ठंडी रात में वो सिर्फ अपनी नाइटी में लाबी में खड़ी थी, पर उसे गर्मी का एहसास हो रहा था।
उधर प्रीति और हरजीत प्यार के आगोश में खोए हए और इस बात से अंजान थे की रूबी दरवाजे के पास कान लगाए सब कुछ सुन रही थी। उनकी आवाजें सुनते-सुनते रूबी का एक हाथ उसके दायें वाले मुम्मे को दबाने लगा। करती भी क्या? खुद को ही करना पड़ा, कोई और तो था नहीं। रूबी उत्तेजना से भरती जा रही थी। उसके लिए वहां पे खड़े होना भी मुश्किल हो रहा था।
उधर हरजीत ने प्रीति के मम्मे पे काट लिया और प्रीति की हल्की सी चीख निकल गई। इस चीख से रूबी अपने होशो हवाश में आई। वि पशीने से तरबतर थी।
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
अगले दिन रूबी सुबह उठी और ब्रश वगेरा करने के बाद सलवार सूट में आ गई, और फिर अपने कमरे से बाहर आ गई, तो देखा मम्मीजी किचेन में थे। रूबी ने उनके पैर छुए और उनका हाथ बंटाने लगी।
ससुर अभी टहलने गये थे। कुछ देर बाद वापिस आ गये और फिर तीनों ने बैठकर चाय पी और बातें करने लगे। सुबह का अखबार भी आ चुका था। तीनों ने अलग-अलग पेज लेकर पढ़ना शुरू कर दिया। बातें करते-करते 8:00 बज गये थे।
रामू ने बाहर खड़े होकर मालिक को आवाज लगाई। हरदयाल बाहर गया और दोनों के बीच कुछ बात होने लगी।
रामू- बाबूजी काफी टाइम हो गया है घर गये। कुछ दिन की छुट्टी डेडा घर वालों से मिल आएं।
हरदयाल- अरे राम तुम्हें पता है ना काम कितना है खेतों का? अगर तुम मिलने गये तो जल्दी वापिस नहीं वाले हो, और मैं अकेला कैसे सारा काम देखूगा। पहले भी तुम दो हफ्तो का कहकर जब भी जाते हो और महीने से ज्यादा लगाके आते हो।
राम- बाबूजी क्या करें? घर पे कोई ना कोई काम पड़ जाता है और टाइम ज्यादा लग जाता है।
हरदयाल- चल देखता हूँ कुछ दिनों तक। अगर कुछ हो सका तो चले जाना।
राम- "ठीक है बाबू जी। और बाबू जी अगर पगार थोड़ी सी बढ़ा देते तो घर का गुजारा थोड़ा सा अच्छे से चल जाता। पिछले साल से पगार नहीं बढ़ी है और खर्चे बढ़ गये हैं।
हरदयाल- हाँ हाँ, देखता हूँ इसके बारे में भी। तुम्हारी छुट्टी खतम होने के बाद जब तुम वापिस आओगे तो बढ़ा दूंगा पगार।
रामू- ठीक है बाबूजी।
हरदयाल- ठीक है। भैसों को नहला दो और बाद में खेतों में खाद डालने चलना है।
रामू- ठीक है बाबू जी।
हरदयाल वापिस आकर अखबार पढ़ने लगता है। रूबी और कमलजीत वापिस किचेन में आ गये थे, और खाने की तैयारी कर रहे थे।
कमलजीत- क्या कह रहा था रामू?
हरदयाल- कुछ नहीं वही छुट्टी का रोना और पगार बढ़ाने का बोल रहा था।
कमलजीत- इन लोगों का यही इश्यू होता है। छुट्टी दे दो घर जाना है। पगार बढ़ा दो।
हरदयाल- हाँ, वो तो है। पर इतना है की रामू काफी टाइम से काम कर रहा है और सबसे बड़ी बात ईमानदार भी
कमलजीत- हाँ जी यह तो है।
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