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RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
सतीश दिन भर कोशिश करता रहा था के मम्मी को अकेले में मिल सके मगर उसे मौका नहीं मिला. उसने मम्मी की तरफ देखा सानिया का पांव आज भी किसी धुन में फर्श पर टैपिंग कर रहा था मगर वह नहीं जनता था वो धून ख़ुशी की थी या फिर ग़ुस्से की. अचानक सानिया अपनी दायि टांग निचे फर्श अपर लटका देती है और बायीं तांग ऊपर रख लेती है. सानिया जो मैगज़ीन पढ़ रही थी वो उसकी गोद में खिसक गयी थी और उसकी टांगो की पोजीशन की वजह से उसकी स्कर्ट को ऊपर चढ़ने से रोक रही थी. और उसके बेशकीमती अंगों को बेपरदा होने से बचा रही थी. सानिया अपनी बायीं टांग थोड़ी सी और ऊँची उठाती है और अपनी मैगज़ीन अपनी जांघ पर अपने घुटने के पास रखती है और फिर वो सतीश की और थोड़ा सा झुक कर उसे बोलती है.
“सतीश, इसे देखो जरा”? वो एक तस्वीर की और इशारा करके बोलती है. सतीश अपनी गर्दन मोड कर देखने की कोशिश करता है मगर उसे कुछ दिखाई नहीं देता
“जरा पास आकर देखो? सानिया बोली. सतिशने अपने पांव सोफ़े पर रखे और अपनी कमर हिलाकर अपने कुल्हे मम्मी के नजदीक कर दिये. इतने नजदिक के उसकी बायीं जांघ उनकी दायि जांघ से लगभग टच कर रही थी. सतिशने मैगज़ीन के उस हिस्से को गौर से देखा जिस और वो इशारा कर रही थी.
“देखा!" वो बोली. सतीश समाझ नहीं पा रहा था वो कौन सी चीज़ थी जिस और वो उसका का ध्यान अकर्षित करने की कोशिश कर रही थी. अब वो कुछ शब्दों की एक लाइन की और इशारा कर रही थी न के तस्वीर की और जैसे उसने पहली दफ़ा किया था.
“क्या? सतिशने उसे धीरे से पूछा ताकि डैड का ध्यान भंग न हो जाये.
“इसे” सानिया की आवाज़ बेटे की आवाज़ की तरह ही धीमि हो गयी थी. उसका वो हाथ जो उसके हाथ के नज़्दीक था न के वो जिसमे उसमे मैगज़ीन पकड़ी हुयी थी, वापस उसकी जांघ पर चला गया और फिर वो धीरे से हिली और उसका हाथ हिलने से उसकी स्कर्ट भी हिली जो उसके हाथ के साथ ऊपर को हो गयी. यकायक उसकी सारी ज्ञानइन्द्रिया पूरी तरह जागृत हो उठि.
“ओह्ह्ह” वह और भी सानिया की तरफ झुकते हुए उसकी नंगी हुयी जांघ को देखने की कोशिश करता हुआ बोला जिसे वो मैगज़ीन की ओट में पिताजी की नज़र से बचाये हुये थी. मम्मी अपने हाथ बदल लेती है. अब उसका बाया हाथ उसकी स्कर्ट को ऊपर खींच रहा था. उसके पाजामे में बन रहा टेंट हर बितते पल के साथ बढा होता जा रहा था. सानिया की हरकत सतीश को अत्यंत सेक्सी महसूस हो रही थी हालांकि वह अभी कुछ ज्यादा नहीं देख पा रहा था. मैगज़ीन अभी भी मम्मी की जांघो पर पसरि उसकी खुली और नग्न जांघो को धक् रही थी. स्कर्ट काफी ऊँची जा चुकी थी. सतीश उसके नितम्बो तक को मैगज़ीन के निचे से झाँकते देख सकता था मगर उनकी दोनों टांगो के बिच देखने में असमर्थ था. मगर जितना दिखाई दे रहा था, उससे ही सतीश का लौडा उसके पाजामे में झटके मार रहा था.
“तुमने यह हिस्सा देखा? सानिया ने मैगज़ीन का बेटे की तरफ का हिस्सा अपनी जांघ से उठाते हुए कहा. अब उसकी बेटे की तरफ की जांघ सतीश की नज़र के सामने थी जबके पिताजी की तरफ वाली जांघ पर अभी भी मैगज़ीन रखी हुयी थी. सतिशने झूठ मुठ का दिखावा करते हुए सानिया की तरफ और भी झुक गया और मैगज़ीन के निचे से उसकी नग्न जांघ देखने लगा. उसकी दूधिया, क्रीमी जांघे उसकी काली पेन्टी में से कितनी सेक्सी दिख रही थी. सतीश का लंड उसकी पेन्टी में से झाँक रही उसकी चुत की शेप को देख और भी खड़ा हो गया था.
“तो तुम्हारा क्या कहना है इस बारे सतीश? सानिया ऐसे पूछ रही थी जैसे वो कोई साधारण सी बात कर रही हो. सतीश को कोई जवाब नहीं सूघ रहा था. “हउउउम्मम्मम” वो हलके से बहुत ही सेक्सी अंदाज़ में बेटे को उत्साहित करती है.
“जबरदस्त” आखिरकार उसके मुंह से निकला.”यकीन नहीं होता” वह बोला.
“है ना! मुझे मालूम था तुम ऐसे ही कहोगे” सानिया मुस्कराती है. अचानक वो अपना मुंह घुमाकर उसके सामने हो गयी. अब हम एक दूसरे के आमने सामने थे. मम्मी मैगज़ीन वापस अपनी जांघ पर गिरा देती है और अपनी स्कर्ट वापस अपने घुटनो तक कर देती है.
“मुझे दिखाओ तुम क्या पढ़ रहे हो?
मैने अपनी मैगज़ीन मम्मी के सामने कर दी ताकि वो उसे देख सके. सतीश थोड़ा सा निराश हो गया था मगर वह खुश था के मम्मी की पीठ डैड की तरफ थी और उसकी खुली जांघे मेरी तरफ थी और मेरी जांघो के ऊपर थी.
“मैं तुम्हारी देख लू? सतिशने पुछा.
“हु”, खुद देख लो? मम्मी ने धीरे से जवाब दिया. अब हालात ऐसे थे के सतीश और सानिया आमने सामने थे, चेहरे के सामने चेहरा. वह इतने नजदीक थी के उन्हें अपनी जांघे उठाकर सतीश के जांघो पर रखणी पढ़ी थी. उनके घुटने उसके घुटनो के ऊपर थे और उनकी जांघो में हलकी सी दूरी थी. सानिया ने बेटे की मैगज़ीन पकड़ ली थी और उसकी खुद की मैगज़ीन सतीश के मैगज़ीन के निचे थी. सतिशने अपनी मैगज़ीन के निचे से हाथ बढाकर उसकी मैगजीन पकड़ ली और उसे घुमाकर उसका रुख अपनी और कर लिया. फिर सतिशने सानिया की मैगज़ीन को थोड़ा सा अपनी और खींचा ताकि उसे अपनी मैगज़ीन के निचे से देख सके. सतिशने उसे इतना खींचा के अब वो उसकी और सानिया के दोनों की टांगो के ऊपर थी. सतिशने अपने खाली हाथ से मम्मी की स्कर्ट का सिरा पकड़ा और उसे उसकी जांघो के ऊपर की और खिसकाने लगा.
सानिया की स्कर्ट इतनी ढीली थी के वो उसकी जांघो के मध्य में सीधी उसकी पेन्टी तक ऊपर उठ गयी जबके उसकी टांगो की साइड्स पर उसकी स्कर्ट वैसे ही थी वैसे भी सानिया ने भी उसकी मद्त की थी उसने अपनी बायीं जांघ जो डैड की तरफ थी उस पर अपना हाथ रखकर उसे हल्का सा दाबा हुआ था जिससे स्कर्ट साइड्स से ऊपर नहीं जा सके. अब सतीश मैगज़ीन पढ़ने के बहाने मम्मी की खुली जांघो के बिच सीधे देख सकता था, उसकी काली पेन्टी उसकी नज़र के सामने थी.
सानिया की बैठने की स्थिति कुछ ऐसी थी के उसकी कच्छी में सामने से झाँकता कटाव कुछ ज्यादा स्पष्ट नज़र आ रहा था. सतिशने अपना हाथ आगे बढाया और मम्मी की दायि जांघ को सहलाने लगा, उसके अंदरूनी हिस्से को सहलाते जब सतिशने देखा के मम्मी कोई अप्पत्ति नहीं दिखा रही है तो में उसकी बायीं जांघ को भी सहलाने लगा. सतीश की कमोत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी के अब उसके लिए खुद को सम्भालना बहुत मुश्किल था. सतीश का हाथ मम्मी की पेन्टी की और बढ्ने लगा मगर अचानक से सानिया के हाथ ने बिच में आकर उसे वहीँ रोक दिया. सानिया ने अपना सर ना के अंदाज़ में धीरे से हिलाया.
सतीश ने खुद को मम्मी की जांघे सहलाने तक सिमट रखा तब उसे याद आया के उसके पास भी कुछ ऐसा है जिसमे मम्मी को दिलचस्पी थी. वह पूछ रही थी मगर सतिशने ध्यान नहीं दिया. सतिशने अपना पायजामा अपने लंड के ऊपर से निकाल उसे अपने भारी अंडकोषों के निचे फँसा दिया. अब सतीश का लंड खुली हवा में था. थोड़ा सा आगे को होकर सतिशने अपना लंड मम्मी की जांघ पर चुभोया. सानिया ने मैगज़ीन से नज़र घुमाकर उसके लंड को देखा जो उसकी जांघ पर ठोकर मार रहा था और उसने तुरंत अपने पति पर नज़र डाली और फिर उसकी नज़र वापस उसके लंड पर लौट आयी. सतिशने अपनी मैगज़ीन इस तरह से पकड़ ली के सिर्फ वह और मम्मी देख सकते थे के वह क्या कर रहा है और फिर वह अपनी कमर आगे को कर उसकी जांघ पर लंड को रगड़. मम्मी ने अपना सर मज़बूती से ना के अंदाज़ में हिलाया. "हा" सतिशने सर हिलाते हुए फुसफुसा कर धीमे से कहा. सतीश अपनी कमर लगातार हिला रहा था. सानिया खींज उठि और उसने सर घुमाकर फिरसे अपने पति को देखा. वो अपना हाथ निचे लाती ही ताकि बेटे को रोक सके मगर जल्दबाज़ी में उससे वो ग़लती हो जाती है जिसका एहसास उसे तब होता है जब बहुत देर हो चुकी होती है.
उसके हाथ में सतीश का लंड था
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RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
सानिया अब सतीश का लंड अपने हाथ में पकडे हुये थी और वो स्पर्श सीधा त्वचा से त्वचा का था. उसकी नाज़ुक उँगलियाँ जब उसके लंड पर कस्स गयीं तो उनका एहसास बहुत ही जबरदस्त था, एकदम अनूठा था. सतिशने अपना लंड उसकी मुट्ठि में धकेला जैसे उसे चोद रहा हो. सानिया का मुंह खुल जाता है और वो धीमि मगर गहरी सांस लेती है मगर वो अपना हाथ वापस नहीं खींचति. सतीश अपना हाथ फिर से मम्मी की जांघ पर रखता है और उसे ऊपर की और लेजाने लगता है इस बार वो मुझे नहीं रोकती.
उनकी सिल्की पेन्टी पर अपनी उँगलियाँ रखते हुये सतीश अपना अँगूठा फ़ैलता है और उसकी पेन्टी की उस दरार में उनका प्रवेश द्वार ढूंडता है जो उसे जल्द ही मिल जाता है. सतीश अपना अँगूठा उस प्रवेश द्वार में उस हद्द तक्क दबाता है जितना उसकी पेन्टी उसे दबाने दे सकती थी. तभी टीवी पर चल रहा प्रोग्राम रुक जाता है और ऐड. आने लगती है. वह दोनों ऐड. की तीखी ऊँची आवाज़ से होश में आ जाते हैं और अपने हाथ वापस खींच लेते है. हालाँकि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं थी क्योंके विशाल अपना मुंह 'द एकनॉमिस्' में गड़ाये हुए था मगर वह हद्द से बाहर होते जा रहे थे. अगर सानिया उसी तरह सतीश का लंड पकडे रहती तो वह उसे उसी समय वहीँ सोफ़े पर चोदने लग जाता चाहे डैड होते या ना होते या फिर उसकी मुट्ठि में ज़ोरों से अपना लंड आगे पीछे करते हुए उनकी पेन्टी पर अपना वीर्य उडेल देता.
सतिशने मम्मी को देख कर सर हिलाकर उसे किचन की और इशारा किया. मम्मी ने इंकार में सर हिलाया. सतिशने सीढ़ियों की और इशारा किया मगर उसने फिर से इंकार में सर हिलाया. मगर सतीश अब वहां नहीं रुक सकता था, कमोत्तेजना से उसका पूरा जिस्म कांप रहा था. सतिशने अपना पायजामा ऊपर चढाया, मैगज़ीन से जितनी अच्छी तरह से अपनी पेण्ट का टेंट ढक सकता था, ढंका और लंगडाते हुये किचन की और चल दिया.
"यह सतीश को क्या हो गया है"?" सतिशने अपने पीछे डैड को मम्मी से पूछते हुए सुना. "कोई चोट लगी है क्या?"
"क्यों? क्या हुआ?" मम्मी पूछती है.
"वो लँगड़ा रहा है" डैड मम्मी को कहते है.
मुझे ऐसा लगा जैसे वो उठ कर उसके पीछे आने वाले है. सतीश घबरा उठा. अगर उनकी नज़र पड़ती तो सतीश पेण्ट में तूफ़ान मचाये अपने लंड के बारे में क्या सफायी देता? तभी उसे अख़बार हिलने का शोर सुनायी देणे लगा. उसकी घबराहट बढ़ गयी थी.
"आप बैठिये. मैं देखति हु." सानिया की आवाज़ आती है. फिर फर्श पर कदमो की आहट सुनायी देती है और फिर सानिया किचन के दरवाजे में नज़र आती है. वो एक दो पल रुकने के बाद फिर से बाहर को जाती है और किचन के दरवाजे के पास से डैड को आवाज़ देती है
"कुछ नहीं हुआ उसको. वो ज्यादा समय एक टांग पर वजन दाल कर बैठ रहा इस्लिये टांग थोड़ी सुन्न हो गयी है. वो बाहर पार्क में घुमने गया है, थोड़ा सा चलेगा तो सही हो जायेगा." सानिया एक पल के लिए रूकती है. "सुनिये में कपडे ढ़ोने पीछे लांड्री रूम में जा रही हू, आपको कुछ चाहिए तो नहि" सानिया दरवाजे के बाहर डैड से बात कर रही थी और अपना हाथ दरवाजे के अंदर करके मुझे घर के पिछवाड़े की और इशारा कर रही थी जहा शायद वो मुझे डाँटने वाली थी. सतीश किचन के दरवाजे से निकल घर के पिछवाड़े की और चल पडा. पदोसीयों की दीवार के साथ साथ लास्ट में हमारा गेराज था और गेराज के डोर से पहले एक डोर घर के पिछवाड़े में भी खुलता था. सतिशने उस डोर के पास जाकर पीछे मुढ़कर देखा के वो उसके पीछे आ रही थी या नहि. सतीश तेज़ कदमो से अपनी और बढ़ती हुयी मम्मी की स्कर्ट के ऊपर निचे उठने के कारन उसकी मक्खन जैसी नरम मुलायम जांघो को देखता उनकी पेन्टी देखने की कोशिश कर रहा था मगर जाहिर था उसमे उसे सफलता नहीं मिलने वाली थी. सानिया उसके पास आते उसे अपने हाथ से दरवाजा खोल पिछवाड़े में जाने को इशारा कर रही थी. वो बिच बिच में पीछे मुढ़कर देख रही थी जैसे उसे डर था कहीं विशाल न आ जाये. सतीश अंदर पहुंचा तो उसके पीछे पीछे मम्मी भी अंदर आ गई. वो घुमकर दरवाजे को अंदर से लॉक करने लगी. सतीश की तरफ सानिया की पीठ होते ही सतीश की नज़र उसकी उभरि हुयी टाइट गांड पर पड़ी और सतिशने अपना हाथ उसके कुल्हे पर रख दिया और उसे अपने हाथ में भरकर दबाया. उफ्फ्फफ्फ्फ्ग कितनी नरम मुलायम गांड थी. सानिया लॉक लगाकर फुर्ती से उसकी तरफ पलटि और सतीश का हाथ अपनी कमर से झटक दिया. सतीश को धकेलते हुये लांड्री रूम की और इशारा किया. सतीश वहीँ उस पर चढ़ जाना चाहता था मगर वहां बहुत खतरा था, पड़ोसियों में से किसी की भी नज़र उधर पड सकती थी. सतीश लांड्री रूम की और बढा और मम्मी घर के अंदर से पिछवडे में खुलने वाले दरवाजे की और गयी. सतीश का अंदाज़ा सही था वो उसे अंदर से लॉक लगाने गयी थी ताकि डैड कहीं उधर न आ जाये. उसके पीछे पीछे वो भी लांड्री रूम में आ गयी.
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RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
“ओह गॉड”!
सतीश भगवान का शुक्र मना रहा था के उसने पहले मम्मी की चुत चाट ली थी. मम्मी की चुत अंदर से इतनी भीगी हुयी थी के सतीश का लंड फिसलता हुआ सीधा उसकी चुत में घुसता चला गया. मगर वह साफ़ साफ़ महसूस कर सकता था के उसकी तंग चुत को इतनी बुरी तरह से भरने की आदत नहीं थी जैसे उसके लम्बे तगड़े लंड के अंदर जाने पर वो भर गयी थी और बुरी तरह से फैल कर उसके नये यार का स्वागत कर रही थी......उसका नया यार-उसका बेटा.
सतीश ने बिलकुल भी समय बरबाद नहीं किया. सतीश सानिया को पूरी बेदर्दी से ठोकने लगा. उसके ताबड़तोड़ धक्को से उसका जिस्म इधर उधर डोलने लगा. उसकी मादक आहें और सिसकियाँ सतीश का जोश और भी बढा रही थी. अखिरकार जब सतिशने उसकी चुत को अपने वीर्य से भर दिया तो वह बुरी तरह से थक चुका था. सानिया की टांगों के अंदरूनी हिस्से पर बेटे का वीर्य निचे को बहता जा रहा था और सतीश की खुद की टांगे इतना ज़ोर लगाने के कारन कांप रही थी. शुक्र था सतिशने सानिया को खड़े खड़े ही चोद दिया था और उसने भी खड़े खड़े चुदवा लिया था. अगर कहीं वह उसे फर्श पर लिटा देता ताकि उसकी टांगे उठाकर उसके घुटने उसके मम्मो पर दबाकर उसे चोद सके या फिर उसे पेट् के बल उसकी कमर ऊपर खींच उसे किसी कुतीया की तरह चोदता तो उनकी जांघो के टकराने की आवाज़ शायद हमारे पडोसीयो के कानो तक भी पहुँच जाती. मम्मी की वो ताबड़तोड़ चुदाई और वो जबरदस्त स्खलन हमेशा एक यादगार बन गया था
एक दिन पक्का करने के बाद के उसके डैड हर संडे की तेरह उस दिन भी टेनिस खेलने के लिए निकल गए थे, सतीश चुपके से दबे पांव अपने परेंट्स के बैडरूम में दाखिल हुआ बिलकुल नंगा. सानिया पेट् के बल सो रही थी. सतिशने बिलकुल धीरे धीरे उसके ऊपर से कम्बल उतारना सुरु किया, एक एक इंच कर. कम्बल उतरने के बाद वो उसके सामने थी एक नाइटी पहने जो उसकी गांड से हल्का सा निचे थी. उसकी टांगे खुली हुयी थी और उसने बायीं टांग मोढ़ कर आगे को रखी हुयी थी. सावधानी से में बेड पर चढ़ गया और मम्मी की खुली टांगों के बिच पहुँच गया. फिर सतिशने एक हाथ उसकी बगल में रखते हुये अपना वजन उस पर डाल कर आगे को झुक गया.
सानिया कुछ फुसफुसाती है. शायद उसको अर्ध निद्रा में अभास हुआ के उसका पति वापस आ गया है. अचानक नींद में वो अपनी टांगे थोड़ी सी और खोल देती है और बिलकुल उलटी पेट् के बल हो जाती है. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था खास कर अगर उसकी इच्छा ज़ोरदार चुदाई करवाने की नहीं थी. सतिशने अपने कुल्हे निचे किये और अपना पूरा सख्त लंड उसकी बेपरदा चुत के पास लेजाने लगा और अंत में सतीश का सुपडा उसकी चुत के होंठो के बिच था.
"नही , विशाल! तुम भूलगये. आज संडे है, शनिवार नही. तुमने कल का दिन मिस कर दिया." सानिया उसे विशाल समझ के बोल उठती है. ओह गॉड इसका मतलब डैड हर शनिवार के शनिवार ही मम्मी को चोदते थे. उफ्फफ्फ्फ़ लानत थी उन पर. इतनी सेक्सी बीवी हो और आदमी हफ्ते में बस एक बार उसे चोदे तो उस को लानत ही दी जा सकती थी. खैर चाहे विशाल ने अपना शनिवार मिस कर दिया था मगर सानिया मिस नहीं कर पायी. बेटे की मेहरबानी से कल उसकी लांड्री रूम में खूब ज़ोरदार चुदाई हुयी थी. सतिशने अपने लंड का दबाव बनाया और सुपाडा उसकी चुत के होंठो को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
एक झटके से मम्मी की ऑंखे खुल गयी, उसे सुपाडे के साइज से जरूर एहसास हो गया होगा के उसकी चुत में घूसने वाला लंड उसके पति का नहीं हो सकता था. सतिशने ज़ोर लागते हुए लंड कुछ इंच और अंदर दाल दिया मगर आज उसकी चुत भेदना कल से कहीं अधिक मुश्किल था तब उसकी चुत पूरी तरह भीगी हुयी थी.
"आगे से मम्मी की चुत मारने से पहले अच्छी तेरह चाट लिया करुँगा" सतिशने सोचा मगर अब बहुत देर हो चुकी थी. पूरी बेदर्दी से वह अपनी मम्मी की चुत में अपना लंड ठेलता गया. सतीश का विरोध करने की बजाय सानिया ने अपनी गांड हवा में ऊँची उठा दी ताकि सतीश पूरा लंड उसकी चुत में पेल दे.
"हाय,...,.............." पूरा लंड घुसते ही सानिया की चीखें घर में गूंजने लगी. वो अपने दांत भींचे उसके कन्धो को पकडती है और ज़ोर से चिल्लाती है. "चोद मुझे.......चोद मुझे........आह चोद......"
ओर सतिशने ठीक वैसे ही किया जैसे उसने कहा था. पूरे जोश से वह उसकी चुत में अपना लंड पेलने लगा. एक तो सतीश का मोटा लंड वो सिर्फ दुसरी बार अपनी चुत में ले रही थी और ऊपर से उसकी तंग चुत बिलकुल सूखि थी.
"आह...आह…..ओह…..ओह" उसकी दर्द से चीखे निकल रही थी मगर उसने एक बार भी बेटे को धीमे होने के लिए नहीं कहा. साफ़ था सतीश का मोटा लंड जितनी उसे तकलीफ दे रहा था उससे कई गुणा अधिक मज़ा दे रहा था. उसे खुद चुत के सूखेपन से लंड की रगढ का बड़ा ही अनोखा मज़ा आ रहा था. मम्मी की चुत की कोमलता और नाजुजकता चुत के सूखेपन ने और भी बढा दी लगती थी. "कभी कभी मम्मी की चुत सूखी ही मारा करुन्गा" सतिशने भविष्य के लिए योजना बनाते हुए सोचा. फिलहाल चुत को रगड रगड कर उसके अंदर बाहर हो रहे लंड की मेहनत रंग लाने लगी. सानिया की चुत भीगने लगी थी और लंड अब आराम से फिसलने लगा था. उसके धक्को की रफ़्तार अब दुगनी हो चुकी थी.
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RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
"अअअअअहःहःहःहः............उउउउउउउऊँणह्ह्हह्ह्........बेटा......बेटा....मार मेरी चुत.........हाये ऐसे ही मार......उउउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़.......उउउऊँणगग्गहहहाय....ओह भगवान........चोद दाल अपनी मम्मी को मेरे लाल....चोद दाल अपनी मम्मी को......." सानिया की सिसकियाँ पूरे कमरे में गुंज रही थी.
सतिश ने आगे को होकर मम्मी कंधे पकड़ लिए ताकि उसे निचे दबाये रख सके और उसके सर को ऊपर को उठाये ताकि पसीने से भीगा उसका चेहरा जिस पर ज़माने भर की उत्तेजना और कामुकता छायी हुयी थी, को देख सके. उसके चेहरे के मादक भाव उसकी उत्तेजना को कई गुणा बढा रहे थे. उसके चेहरे से मालूम चल रहा था के उसके मोटे लंड से चुदवाने में उसे कितना आनंद आ रहा था.
"हाय......ज़ोर से.......और ज़ोर से ........आह..........एस...,........बेटा.........आह मेरी चुत......मेरी चुत......ठोक अपना मोटा लंड मेरी चुत में.......ठोकता रह........यस ओह चोद मुझे......." सानिया की सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी.
सतीश ने धक्के मारते हुये मम्मी की टांगे पकड़ी उन्हें खोलता और फिर से बंद कर देता. कभी कभी वह उसके नितम्बो को पकड़ कर फ़ैलाता ताकि उसकी चुत में अंदर बाहर हो रहे अपने लंड को देख सके और कभी उन्हें आपस में दबा देता. फिर सतिशने उसे ऊपर खींच कर घुटनो के बल कर दिया और पांव के बल मम्मी के पीछे झुलता हुआ उसे चोदने लगा. फिर उसने वापस उसे बेड पर दबाके उसकी चुत मारने लगा.
चाहे वह उसे जिस तरह भी, जिस पोजीशन में भी चोदता सानिया पहले से भी ज्यादा सीत्कार भरती और जाहिर करती उसे इस नयी पोजीशन में चुदवाने में पहले से भी ज्यादा मज़ा आ रहा है. उसकी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थी. सतीशने उसे पूरा दम लगाकर दिल खोलकर चोदा और सानिया ने दिल खोलकर उससे चुद्वाया. अखिरकार सतिशने उसकी चुत अपने वीर्य से भर दी, एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार. दो बार चोदने के बाद ही सतिशने उसे बेड से निचे उतरने दिया. पहली बार झड़ने के बाद जब दोनों कुछ शांत पढ़ गए और सानिया बेड से निचे उतरने लगी तो सतिशने उसे वापस बेड पर खींच लिया. उसने विरोध किया, मगर उसका विरोध बहुत हल्का सा था और सतिशने उसके विरोध की कोई परवाह न की और उसे वापस बेड के बीचो बिच खींच कर पीठ के बल पीछे को दबाया. सतीश उसकी टांगे तब तक ऊपर उठता रहा जब तक सतिशने उसके घुटने उसके सर के पीछे नहीं दबा दिये.
उफ........ उस स्थिति में सानिया कितनी अश्लील कितनी कामुक दिख रही थी.............. किस तरह उसकी चुत बेपरदा थी खुली हुयी थी...,.बिल्कुल किसी रंडी की तरह........ गिली चुत रस से चमक रही थी, सुजी हुयी थी, उसका गुलाबीपन और भी गहरा हो गया था. सतिशने उसकी गांड को और भी ऊँचा उठाया और अपना लंड धम्म से उसकी चुत में पेल दिया. दूसरी बार लंड घुसने पर सानिया के मुंह से आनंद की ऐसी सिसकारियां निकलने लगी के सतीश का जोश दुना चौगुना हो गया. सतीश हुमच हुमच कर उसे चोदने लगा. सिसकती कराहती वो बेटे को अपनी चुत को और भी ज़ोर ज़ोर से मारने का आग्रह कर रही थी. सतिशने भी उसकी खवाहिश पूरी करने में कोई कसार बाकि ना रखी और जब दूसरी बार उसके लंड ने उसकी चुत को भरा तो दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.
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