01-04-2022, 12:09 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 22,998
Threads: 1,134
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Muslim Sex Kahani खाला जमीला
बातों-बातों में रात हो गई, पता भी नहीं चला। एक अच्छा सा डिनर करते हुये भी खुशगवार माहौल रहा। अब्बू भी आ गये थे। रात सोने का टाइम आया तो डिसाइड हुआ की मैं और साजिद एक रूम में। अम्मी अब्बू ऑफकोर्स अपने रूम में और एक रूम में भाभी और बाजी जोया।
मुझे मौका नहीं मिल रहा था की किसी तरह बाजी को इशारा करंग आधी रात को मिलने का। अफसोस करते हमें मैं रूम में आ गया और कब आँख लगी पता नहीं चला। देर रात अचानक मेरी आँख खुली, मुझे पेशाब की हाजत हो रही थी। देखा तो साजिद भाई नहीं थे अपनी जगह पे। खैर मैंने ज्यादा गौर नहीं किया और उठकर वाशरूम की तरफ चला गया।
में वाशरूम में पेशाब कर रहा था तो मुझे सीटियों से धीरे-धीरे आवाजें आजे लगी। क्योंकी वाशरूम सादियों के पास ही बना हुआ था। मैं वाशरूम से बाहर निकला। हर तरफ घुप्प अंधेरा था। मैं किसी खयाल से एक तरफ रूक गया तो देखा सीदियों से नीचे आ रहे थे अम्मी और साजिद भाई। दोनों हँस-हँस के बातें कर रहे थे, और उनके लिए भी कुछ ठीक नहीं थे। साजिद ने अम्मी को कमर में हाथ डालकर अपने साथ लगाया हुवा था।
में हैरान परेशान उनको देख रहा था। ये क्या दृश्य है बास? मुझे जब होश आई तो देखा अब वा दोनों सीढ़ियां उत्तर के खड़े हो गये थे। भाई साजिद ने अम्मी को बाहों में लिया और एक किस की।
अम्मी की आवाज आई- "मुझे अब छोड़ भी दो साजिद... क्या कर रहे हो? पहले ही कितनी देर हो गई है और रिस्क लेकर तुमसे मिली हूँ.."
मैं आराम से वहां से खिसका और रूम में आ गया। मैं आँखें बंद करके सोता बन गया। मैं अपनी ही सोचों में गुम हो गया। साजिद भाई भी आकर लेंट चुके थे।
अम्मी का ये रूप देखकर मुझे हैरानगी और गुस्मा आने लगा। लेकिन मुझे चुप रहना था इस मामले में। बोलता तो अपनी ही बदनामी थी।
अब मैं सोचने में लग गया। मतलब भाई साजिद की शादी के वाकिये मुझे याद आने लगे की एक रात जब में मामी जूबिया से मिलने उनकी चारपाई पे गया था। लेकिन सुबह उठा तो मामी से पता चला वहां चारपाई पे अम्मी लेटी हई थी। उस रात चारपाईयां बदल गई और ... और ओह माई गोड... इसका तो मुझे खयाल ही नहीं आया, ना मामी ने हुआ लगने दी मुझे।
मतलब उस रात साजिद भाई अम्मी का समझ के मामी जूबिया को चोदकर चले गये, और मैं मामी का समझ के तब अम्मी की फुद्दी मार बैठा था अंजाने में। लेकिन मामी ने क्यों मुझसे छुपाया? शायद कोई मसला हो इस में भी।
अब मुझे एहसास हो रहा था की साजिद और अम्मी को नहीं पता वो किसी और से सेक्स कर चुके हैं। लोकन मुझे और मामी जूबिया को पता था की क्या हो चुका है। इसका मतलब मामी जूबिया को पता चल चुका था। अब ये तो उनसे मिलने से ही पता चल सकता है। मेरा तो सोच-सोच के दिमाग दुखने लगा था। इतना बड़ा काम हो गया और मुझे अब जाकर हुआ लगी।
लेकिन मैं भी क्या करता। मैं अभी छोटा था। मैं सोच है सकता था, कुछ कर नहीं सकता था। ऐसे ही सोचों में गुम कब नीद आई पता नहीं चला। सुबह दिन चढ़े मेरी आँख खुली।
दस बजे होंगे की साजिद भाई जाने के लिये तैयार हो गये। मैं उनको बाइक पे बस स्टाप छोड़कर आ गया। घर
आया तो खाला और लुबना आई हई थी। सब बैठे गपशप कर रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया। मेरे सामने भाभी फरजाना बैठी हुई थी। भाभी का चेहरा चमक रहा था। मैं बार-बार उसका चेहरा देख रहा था।
|
|
01-04-2022, 12:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 22,998
Threads: 1,134
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Muslim Sex Kahani खाला जमीला
भाभी को भी पता चल गया था में उनके मम्मे देख रहा हूँ। भाभी ने मेरे बाज में हाथ मारा और कहा- "बाज आ जाऔ अली। क्या नजर आ रहा है जो आँखें फाइ-फाड़ के देख रहे हो?"
में मुश्कुराते ह- "भाभी बहुत अच्छी चीज नजर आ रही है, इसलिए मेरी आँखें फट रही हैं."
भाभी- "बदतमीज... चलो मैं नहीं खड़ी होती तुम्हारे पास..." बोलकर वहां से चली गई खाला लोगों के पास।
रात को सोने के लिये सब लेट गये रुम में। मैंने सहन में अपना बिस्तर लगा लिया। मुझे इस वक्त नींद नहीं
आ रही थी। सोचते-सोचते कितना टाइम निकाल गया पता है नहीं चला। होश तब आई जब रूम से कोई निकला। देखा तो वो खाला थी। मैंने उनको देखा तो खाला की नजर भी मुझ पे पड़ी।
मैं क्या हुवा खाला, कहा जा रही हो?
खाला- वाशरूम जा रही हूँ।
खाला के बाल खुले हये थे आँखें जींद की जैसी हो रही थी। खाला चलती हुई वाशरूम तक गई। मुझे पीछे से उनके चूतड़ हिलते हुये नजर आ रहे थे। गोल-गोल चूतड़ बाहर का निकले हसे थे। खाला के भारी चूतड़ देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। खाला कोई 5 मिनट बाद वाशरूम में निकली।
खाला मेरे पास आते हुये- "तुम सोए नहीं अभी? तक काफी टाइम हो गया है.."
मैं- खाला नींद नहीं आ रही क्या करूं। तुम ही थोड़ी देर मेरे पास बैठ जाओ। जब नींद आए तुम चली जाना।
खाला- "नहीं बेटा ऐमें ठीक नहीं है। कोई और उठ गया तो खामखाह वो भी पूछने आ जायेगा क्या हुआ?" फित कुछ सोचते हमे खाला ने कहा- "चलो छत पे चलते हैं। वहां जाकर बैठते हैं.."
फिर मैं और खाला छत पे आ गये। एक चारपाई पे में लेट गया जाकर, और खाला बैठ गई पैर लटका कर।
लेकिन में कुछ और ही चाहता था। इसलिए मैंने खाला को खींचकर चारपाई के ऊपर लिटा लिया। खाला ने मना भी किया लेकिन मैं नहीं माना, और आखीर कार, उनको लिटा लिया। वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई। अब मैं और खाला करवट लेकर लेटे हुये थे। खाला को इतने नजदीक करके मुझे बड़ा अच्छा लगा। उनके जिश्म का गरम-गरम स्पर्श मुझे बहुत मजा दे रहा था।
मैंने खाला का कह भी दिया- "मुझं तुम्हारा जिश्म इस वक्त बहुत मजा दे रहा है.."
खाला मुश्कुराते हमें- “हौँ मुझे पता है की मेरा बेटा मुझे बहुत प्यार करता है इसलिए इतनी अच्छी लगती हूँ.."
मैं- खाला तुम में कुछ तो है जो तुम मुझे इतना अच्छा लगती हो?
खाला मुँह बनाते हमें- "सिर्फ अच्छी लगती हैं?"
मैं- "अच्छी के साथ-साथ तुम सेक्सी भी हो खाला। और सैक्सी भी ऐसी की मेरा दिल नहीं भरता..." ऐसे कहते हुये मैंने खाला का एक मम्मा पकड़ लिया। मम्मा दबाते इये मैंने कहा- "खाला बहुत दिल करता है तुम्हारी फुद्दी मारने को। लेकिन तुम अंदर करने नहीं देती..."
खाला- "बेटा, अभी तुम छोटे हो। बड़े हो जाओं फिर कर लेना अंदर भी। अभी दो-तीन साल सबर करो..."
मैं- "खाला बैसे तुम्हारी फुददी है बहुत मजे की। इसके होंठों फूले हमे हैं। इनमें लण्ड ऊपर नीचे करने का बहुत मजा आता है...
खाला अब धीरे-धीरे गरम हो रही थी मेरी बातों से। खाला ने मेरा लण्ड पकड़ लिया। खाला ने कहा- "तुम्हारा लण्ड तो हर वक़्त मुझे देखकर खड़ा हो जाता है। लगता है तुम्हारे लण्ड को भी मेरी फुद्दी बहुत अच्छी लगती है...' कहकर खाला लण्ड पे हाथ चला रही थी।
|
|
|