09-03-2018, 09:12 PM,
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RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--27 गतान्क से आगे..............
उसके पति ने रात उसे 2 बार चोदा था. उसकी बातें सुन के कम्मो के बदन में आग लग गई.
रमेश अपनी बीवी के साथ मस्त हो चुका था और कभी कभी चेंज के लिए कम्मो की लेने आता था. कम्मो को इस बात से कोई ऐतराज नही था क्योंकि उसे पता था कि जब रमेश की बीवी पेट से हो जाएगी तो वो रेग्युलर्ली आएगा. कम्मो का पति तो वैसे ही ज़ियादा कुच्छ नही करता था. पिच्छले 2 हफ्ते से कम्मो अपनी उंगलिओ से ही गुज़ारा कर रही थी. इसलिए मुन्नी की बातें सुन के उसकी चूत और भड़क गई. थोड़ी देर बाद उसने नोटीस किया की सरला और राखी भी किचन में आ गए और चारों औरतें चाइ पीते पीते खाने की तैयारी में लग गई. घर के मर्दों का कहीं आता पता नही था. जब तक मुन्नी और कम्मो ने आम धोए और सूखने डाले तब तक एक के बाद एक सभी मर्द ड्रॉयिंग रूम में आ गए. फिर उन सब के बीच बिज़्नेस की बातें शुरू हो गई.
कम्मो का ध्यान आज सरला पे था जो कि काफ़ी अलग बिहेव कर रही थी. आज कई दिनो के बाद वो सरला को इतना खुश देख रही थी. बच्चों के आने के बाद से सरला आज पहली बार खुश दिखी थी. कम्मो को भी सरला की तरह बच्चों को देख के अजीब महसूस हुआ था. पर वो घर की नौकरानी थी और उसे इस घर की ज़रूरत थी इसलिए वो कुच्छ नही कह सकती थी. मुन्नी तो बस घर के काम में लगी रहती थी और उसने कभी बच्चों की तरफ ध्यान नही दिया. इन सब बातों के चलते कम्मो के शक्की दिमाग़ ने सरला को गौर से देखने पे मजबूर कर दिया. सरला आज बहुत खुश थी. कई दिनो के बाद उसको शारेरिक सुख मिला था. दूसरे उसे बाबूजी की बताई हुई कहानी से संतुष्टि मिली थी कि ये सब मजबूरी में किया गया था. चूँकि जो हो चुका था उसे वो बदल नही सकती थी ...इसलिए उसने हालत को समझ के मज़े लेने और देने का फ़ैसला किया था.
मज़े लेने और देने के चलते ही कल रात वो पूरी रांड़ के रूप में आई थी. राजू के साथ की पहली चुदाई के बाद में उसने बाबूजी को अपनी बाहों में लिया था. जब बाकी के मर्द सुस्ता रहे थे तो उसने कुत्ति बन के बाबूजी का लोड्ा चूसना शुरू किया. बाबूजी किसी राजा की तरह अपने सोफे पे आधे लेटे हुए विस्की पीते हुए उससे लंड चुस्वाते रहे. सखी सुजीत की गोद में बैठी बैठी अपनी मा का ये नया रूप देखती रही. तब बाबूजी ने अपनी उत्तेजना में संजय और सुजीत को एक बार फिर बुलवाया और कहा कि उन्हे लंड चुस्वाते हुए वही नज़ारा देखना है जो कि दोनो भाइयों ने सरला के साथ कई बार किया था. उनके निर्देश को सुनते ही सुजीत ने नीचे लेट के सरला की चूत में अपना मोटा काला लोड्ा पेल दिया और फिर थोड़ी देर में थूक से भरी हुई गांद में संजय घुस गया. सरला तो पागल हो गई. उसके सभी छेद भरे हुए थे. इसके चलते वो ज़ोर ज़ोर से कराहने लगी. उसकी ये सब आवाज़ें सुन के मिन्नी से रुका नही गया और वो बाबूजी की तरफ चली गई.
घर की सबसे बड़ी बहू ने अपने ससुर को सोफा पर बिठा के उनकी तरफ पीठ रखते हुए उनका लोड्ा अपनी भीगी चूत में डलवाया. फिर उसने 2 लोड़ों की सवारी करती हुई सरला का मूह पकड़ा और अपनी और बाबूजी की टाँगों के बीच लगवा दिया. सरला कंचन बुआ और उनके पति के साथ ये सब कर चुकी थी सो उसने भी बिना देर किए मिन्नी और बाबूजी के मिक्स्ड जूस चाटने शुरू कर दिए. बीच बीच में वो जीभ लपलपा के मिन्नी की चूत का दाना छेड़ देती. फिर कभी बाबूजी के टटटे मूह में भर लेती. सुजीत और संजय उसको ऐसा करते देख बहुत उत्तेजित हो रहे थे. उधर राखी और सखी भी राजू के साथ सेकेंड राउंड मारने के लिए तैयार थी. पहले दोनो एक दूसरे को चूमती और चूस्ति रही. राजू उनके चूचों और नितंबों से खेलता रहा. दोनो मिल के उसका लोड्ा भी चूस्ति रही. एक उसका लंड मूह में भरती तो दूसरी पहली वाली के होठों को साइड से चाट लेती. राजू का सूपड़ा मूह में भर के रखती तो दूसरी उसके लंड की लंबाई पे मूह चलाती. फिर राजू ने राखी को कुत्ति बनाया और चोदना शुरू किया. राखी के सामने सखी टाँगें खोल के लेट गई और राखी की जीभ से अपनी चूत चुदवाने लगी.
देखते ही देखते एक के बाद एक सभी चूतो और लोड़ों ने फिर से पानी छोड़ा. पर इस बार एक चीज़ बहुत अलग हुई. और वो था सरला का अपने दोनो दमादो और अपने समधी को भद्दी भद्दी गालियाँ देना. आज पहली बार सामूहिक चुदाई में बाबूजी के घर में किसी ने गंदी गंदी गालियाँ निकाली थी. बहुओं और बेटों के सामने ना तो बाबूजी कुच्छ गालियाँ देते थे और ना ही उनके बेटे / बहुएँ. यहाँ तक की घर की नौकरानियो की चुदाई में भी कभी ऐसा नही हुआ था. सरला ने भी सुजीत और संजय से चुदाई में लंड चूत चूचे गांद जैसे शब्दों का प्रयोग किया था पर गालियाँ नही. गालियाँ वो सिर्फ़ बाबूजी, कंचन बुआ और फूफा जी के सामने उनके घर में इस्तेमाल करती थी.
मदारचोड़, गान्डू, बेहेन्चोद, भद्वे, छिनाल, कुत्ति, हरांजादों, भोसड़ी के, लंड्खॉनी वागरह वाग्रह गंदी गंदी गालिओं को कहते हुए वो 3 बार लगतार झरी. उसकी बातें सुन के संजय ने पिछे से उसकी चूचिओ को पकड़ के इतना निच्चोरा कि वो दर्द से पागल हो गई और उसी दर्द में उसका आख़िरी बार झरना हुआ. संजय ने जोश में आके इतनी कस के उसकी गांद मारी कि वो अपना चीखना चिल्लाना रोक नही पाई. अपनी समधन को ऐसे देख के बाबूजी ने भी मिन्नी को जम के चोदा और उसे कुच्छ कुच्छ गालियाँ दी. आज ये पहली बार हुआ था तो मिन्नी कुच्छ बोली नही पर दिल के किसी कोने में उसकी अंदर की रांड़ भी जाग गई. रात को करीब 12 बजे हुए इस कांड के बाद सब इतना थक गए की वही सो गए. करीब 5 मीं बाद सखी जो कि सिर्फ़ जीभ से चुदी थी उसने जब अपने पति को अपनी मा की गांद से लंड निकालने को कहा तो सबको होश आया. बिना कुच्छ कहे सरला अपने बेडरूम में गई और फ्रेश होके सो गई. उसे नही पता चला कि उसके साथ और क्या हुआ. जब वो फ्रेश हो रही थी तब एक दूसरे को चूमते चाटते हुए बाकी सब सुस्ताते रहे. फिर बाबूजी ने कहा कि फटाफट सब खाना खाएँ और सोने जाएँ.
खाना खाते हुए बाबूजी ने सुजीत और संजय से सरला के साथ हुई चुदाई के बारे में पुछा. एक के बाद एक सब बातें खुलती चली गई. 3नो बहुएँ ये सब सुन के गुस्से में थी. फिर अचानक पता नही बाबूजी को क्या सूझा उन्होने मूड को हल्का करने के लिए कम्मो, मुन्नी और शारदा वाला किस्सा भी सुना डाला. उनकी सब बाते सुन के 3नो बहुओं ने और भी मूह बना लिया. तब बाबूजी की बात पे संजय ने 3नो भाईओं की किरण के साथ चुदाई और फिर राजू ने अपनी कम्मो और मुन्नी की चुदाई का किस्सा भी सुना दिया. खाना ख़तम हो चुका था और 3नो बहुओं की चूतो में गजब की आग लग गई थी. साथ ही साथ उनके मन भी दुखी थे कि उनके घर के मर्दों ने पराई औरतों के साथ इतनी चुदाई की और वो इन सब से वंचित रही. मिन्नी ने यही बात बाबूजी से कह डाली.
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