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desiaks
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
लोकेशन: अब्दुल की सोडा-शॉप
रात के नौ बजे है, गोकुलधाम सोसायटी के सारे मर्द खड़े है. बातों ही बातों में सेक्स की बात निकलती है.
अय्यर: यस महेतासाब I also do anal sex with Babita regularly. And she also enjoys it.
महेता: Oh yes same case here between me and Anjali.
जेठा को कुछ अंग्रेजी समज नही आ रहा.
जेठालाल: कृपया हिंदी में बात कीजिए, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है.
महेता: ओह हाँ हाँ..जेठालाल, अय्यर ये बोल रहा है की वो बबिताजी के साथ नियमित रूप से एनल-सेक्स करता है और बबिताजी उसे इंजॉय भी करती है. तो मैने बोला, की मेरा और अंजली का भी ये ही केस है.
जेठा: एंजल-सेक्स मतलब ?
महेता: एंजल-सेक्स नही भाई एनल-सेक्स माने गुदामैथुन
जेठा: मतलब
अब्दुल: अरे जेठाभाई गांडमराई की बात चल रही है!
ये सुन के जेठालाल के तो सर से पैर तक जेसे २२० वोल्ट का करंट लगता है. क्योकि आजतक दयाबेन ने कभी उसे गांड को टच भी करने नही दिया, और ये अय्यर स्वर्ग की अप्सरा बबिताजी की नियमित गांड चुदाई करता है??? ये सोच के ही जेठा के तो पुरे बदन में आग लग जाती है.
हाथी: ये तो गलत बात है. कोमल के तो कुल्ले इतने मोटे है मेरे लंड गांड तो क्या, गांड के छेद तक भी नही पहोंच पाता अब्दुल अब मेरा गम मिटाने के लिए एक सोडा ओर बनाओ.
सोढ़ी: इस मामले में रोशन एंड रोशन की कम्पनी में कोई टेंशन नही है जी! मै और रोशन भी भरपूर एनल-सेक्स करते है. महीने में कम से कम तीन-चार बार जब अपनी गड्डी रोशन की गांड में पार्क करता ही हू.
भिडे: (कोलर को ऊँचा करके) और मै और माधवी भी नियमित रूप से गुदामैथुन का अप्रतिम आनंद उठाते है....और हमारे जमाने में तो ...
जेठालाल: भिडे तुम्हारे जमाने के सेक्स के रिती-रिवाजो के बारे में हम अलग से सेमिनार रखेंगे. ठीक है?
जेठालाल के टोकने पर भिडे नाराज हो जाता है, इसलिए जेठा पर व्यंग-बाण चलाता है.
भिडे: हाँ हाँ जरूर सेमिनार रखेंगे, लेकिन मुझे नही लगता तुम हिस्सा ले पाओगे, गांड-चुदाई तो दूर तुमने तो कभी मुख-मैथुन का मजा भी लिया हो ऐसा लगता नही!! तुम सेमिनार में आओगे तो जेसे गणित में कमजोर विद्यार्थी की तरह पिछली बेंच पे बेठे बेठे सो जाओगे!!
(भिडे की ये टिप्पणी बंदूक की गोली की तरह जेठा के आत्म-सम्मान को चीरती हुई निकल जाती है. घायल जेठा अपने आपको सेक्स में माहिर है ऐसा दिखाने हेतु डींगे हांकना शुरू करता है..)
जेठालाल: अरे चल जा जा...तू क्या जाने मेरे बेडरूम के जलवे? मै और दया ...हमलोग तो केवल गांड चुदाई ही करते है. आखरी बार टप्पू को पैदा करने वास्ते ही मेने उसकी चुत मारी थी. बाकी मै अपना लंड उसकी गांड के अलावा कहीं टच ही नही करता. और मै तो वेपारी आदमी हू तो क्या है की कंडोम, माला-डी या नसबंदी का खर्चा कोन ले, इसलिए हम तो देशी-गर्भनिरोधक उपाय ही आजमाते है-माने गांड-चुदाई: एक पैसे का खर्चा नही बोलो! और आज का नही मुझे तो बरसो से गांड चुदाई का अनुभव है. सालो पहेले जब गांव में मै पहेली बार चढा था तो गांड-चुदाई ही की थी, और गांव की आधे से ज्यादा लड़कियों और ओरतो की तो मैंने अपने इक्कीसवें जनमदिन से पहेले ही गांड मार ली थी. आज भी जब गांव जाता हू तो वो सब मुझे देख के शरमा जाती है, घर से बाहर नही निकलती. ऐसा रुआब है मेरा. पता है लोग मुझे गुजरात में किस नाम से बुलाते है? "जेठा ध बर्निंग ट्रेन" क्योंकी मेरा लंड 'बर्निंग ट्रेन' की तरह गांड जलाके रख दे, ऐसी कसकर चुदाई करता है.
मेहता: (जेठा के कान के पास आके एकदम धीमी आवाज में) बस जेठालाल कुछ ज्यादा हो रहा है.
भिडे: रहेने तो महेतासाब ये जेठालाल एक नम्बर का फेंकू है हम सब जानते है.
जेठालाल: मेरी एक एक बात सोलाह आने सच है.
भिडे: मै नही मानता.
सोढ़ी: और मै भी नही मानता. सोरी जेठा प्रा रबजी मुंह न खुलवाए लेकिन डींगे थोड़ी औकात में रहेके हांकनी चाहिए.
जेठालाल: सोढ़ी तू तो भिडे का खास दोस्त है, उसका ही पक्ष लेगा, और भिडे तो मै स्टेम्प पेपर पे लिख के दू, तब भी मेरी कोई बात नही मानेगा.
भिडे: नही स्टेम्पपेपर पे लिखके देने की कोई जरूरत नही, तुम बस एक बार साबित कर दो की तुमने दयाबेन की गांड मारी है. तो हम मान जाएंगे.
जेठा: हाँ तो आ जाना कल सुबह, और खुद दया के मुंह से सून लेना. (जेठा सोचता है, की क्योकि दया एक पतिव्रता नारी है इसलीए पति की इज्जत दांव पे लगी है, ऐसा बोल उसको मना लूँगा की जूठ-मुठ ही सोसायटी के मर्दों के सामने कबूले की वे गुदा-मैथुन करते है)
भिडे: अब दयाभाभी से क्या पूछना, वो तो तुम उन्हें पहेले से ही पट्टी पढा दोगे तो तुम्हारी हाँ में हाँ ही मिलाएगी न? अगर हिम्मत है तो एक अपनी बीवी के साथ, दोनों का चहेरा दीखता हो ऐसा गांड-चुदाई का MMS बनाओ, फिर हम लोग मानेंगे और तुम्हे गांड-चुदाई के सरताज का ख़िताब देंगे, तुम्हारी शोभायात्रा पूरे मुम्बई में निकालेंगे. आये बड़े 'जेठा ध बर्निंग ट्रेन' ..हमको क्या जोनपुर से आयेला समजा है?
जेठालाल का पूरा बदन गुस्से से तप रहा है. एक तो अय्यर बबिताजी की गांड मारता है वो दर्द उपर से भिडे मास्टर के ये व्यंग बाण. अपने दिमाग पे काबू नही रहा, जेठा तिलमिला के बोल उठता है,
जेठालाल: ठीक है....आज गोकुलधाम सोसायटी के सभी मर्दों के सामने मै जेठालाल चम्पकलाल घड़ा, ये चेलेंज कुबूल करता हू की मै अपनी बीवी दया जेठालाल घड़ा की गांड मराई का MMS बनाऊंगा, आप सबको दिखाऊंगा.
फिर जेठा पैर पटक कर, बिना सोडा खत्म किये, अब्दुल की दूकान से चला जाता है.
लोकेशन: जेठालाल का बेडरूम
जेठालाल: दया, मै कोन हू?
दयाबेन: आप टप्पू के पापा हो.
जेठालाल: उसके अलावा?
दयाबेन: आप मेरे पति हो!
जेठालाल: नही मै तुम्हारा पति नही पति-परमेश्वर हू. और आज ये पति-परमेश्वर हुक्म करता है, की तुम उसे अपनी गांड मारने दो.
दयाबेन: हें माँ, माताजी, आप मुझे केसे धर्मसंकट में डाल रहे है. गुदा-मैथुन प्रकृति के नियमों के विरुध्ध है. जानवर भी नही करते ऐसा तो, और आप..आप टप्पू के पापा मेरे पति-परमेश्वर होके भी ऐसा पाप करने की बात कर रहे हो.
जेठालाल: ये सब पूरानी दकियानूसी बाते है दया. आज जमाना कितना बदल गया है. अरे सब पढे-लिखे लोग ऐसा ही करते है. उसको क्या बोलते है...हाँ 'एंजल सेक्स' करते है. और बिना एंजल सेक्स के पति-पत्नी का मिलन अधूरा है...हाँ सच्ची, अभी सोडा की दूकान पे अय्यर और महेतासाब ने खुद बोला, वे भी एसा ही करते है और बबिताजी और अंजलीभाभी को बड़ा मजा भी आता है. चलो न प्लीज़ हम भी ट्राय मारते है.
दयाबेन: तो कोई खड्डे में गिरे तो हमे भी खड्डे में गिरना चाहिए? वो सब ऐसा पाप करके नर्क में जांएगे तो क्या हमे भी वहाँ जाना चाहिए?
जेठालाल: अरे तू क्या नॉनसेन्स बात कर रही है...दया, जब मियाँ बीवी राजी तो क्या करेगा काजी. हम दोनों को आपस में जो करना है वो कर सकते है, इस में धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य बिच में क्यों लाती हो. चलो न बस एकबार, ट्राय तो करे. तुमको मजा आएगा.
दयाबेन: नही नही, अमदावाद में मेरी माँ को पता चलेगा तो वो क्या सोचेगी?
जेठालाल: क्या? सासुमा को केसे पता चलेगा.
दयाबेन: क्यों की मै अपने वैवाहिक जीवन की कोई भी बात माँ से नही छिपाती..क्योकि वो माँ है!!
जेठा (मन में) हें राम ये किस बला से शादी कर ली.
जेठालाल: दया, देख अगर तू आज-अभी-इसी वक्त मेरे साथ गांड चुदाई नही करेगी तो तो...तो. मै कल से दिल्ली पे जंतर-मंतर या रामलीला मैदान- जहां भी पुलिस परमिशन देगी वहाँ पे आमरण-अनशन पे उतर जाऊँगा!
दया: हाँ तो कीजिए ना? आपको उपवास करने की बेहद जरूरत है, देखिये पूरा पेट बाहर आ गया है.थोड़े दिन उपवास करेंगे तो आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा.
जेठा सोचता है (मन में) बातों से दया को नही मना पाऊंगा. आइडिया...भोस-चुदाई की बहाना करके चढता हूँ और अचानक ही बिना चेतावनी दिए, अपना ये भचाऊ का 'भायडा' उसकी गांड में पेल दूंगा.
जेठा: ठीक है तू जीती बस. नही करते गांड चुदाई. लेकिन मुझे अब भोस-चुदाई तो करनी है, तू तो जानती है बिना चोदे मुझे नींद नही आती.
दया: हाँ हाँ तो कीजिए न, किसने मना किया है. आप जब चाहे, जहाँ चाहे, जेसे चाहे मेरी चुत मार सकते है, आपका हक बनता है.
दयाबेन अपनी पीठ के बल, बिस्तर पे लेट जाती है. साडी और घाघरा उपर करती है, पेंटी तो वो वैसे भी रोज रात को सोने से पहेले ही निकाल देती है ताकि जेठा का टाइम बर्बाद न हो और तुरंत अपनी टाँगे पसार देती है.
जेठा: (मन में) यदि ये पीठ के बल लेटेगी तो गुदा-प्रवेश करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. गुदा मैथुन के लिए तो कुतिया-स्टाइल ही सबसे उपयुक्त और आसान रहेगी.
जेठा:नही दया, ये मिशनरी नही आज हम डोगी-स्टाइल में करते है.
दया: मतलब?
जेठा:मतलब तू कुत्तिया की तरह चार पैरों पे हो जा, मै कुत्ते की तरह उपर चढ़ जाता हू.
दया: है माँ - माताजी, आप ये क्या बोल रहे हो? हम इंसान से कुत्ते-कुत्ती बन जाएँ? आत्म-सम्मान जेसी चीज है की नही?
जेठा: ओफ्फो...दया तू संगम के राजेन्द्र कुमार की तरह सोचती बहोत है, करती कम है. ठीक है भाई कुत्ता कुत्ती नही बनते तो घोडा-घोड़ी तो बन सकते है न? उसमे तो कोई बुराई नही.
दया(थोडा सोच कर): हाँ घोडा-घोड़ी बनने में कोई बुराई नही.
दया पलंग पे अपने दो हाथ और दो घुटनों के बल, एक घोड़ी की माफक पोजिशन लेती है. और जेसे कोई नर पशु, मिलन से पहेले मादा को मुड में लाने के लिए, उसकी योनी पीछे से सूंघता-चाटता है, वैसे जेठालाल भी चार पैरों पे होके, पीछे से आकर दया की भोस सूंघने-चाटने लगते है.
दयाबेन: उई..माँ, टप्पू के पापा, जिस खूबी से आप जीभ चलाते है, अगर हमारे क्रिकेटर अपना बल्ला चलाते तो वर्ल्ड कप आठ साल पहेले ही जित गए होते!
जेठालाल: हाहाहा..मानती है न की ये जेठा की जीभ का कोई मुकाबला नही!!
दयाबेन: हाँ बाबा हाँ!
कुछ मिनटों तक ओर भोस-चटाई के बाद, दयाबेन स्खलित हो जाती है, लेकिन जेठालाल बखूबी जानते है, की हर चुदाई सेशन में दया कम से कम ४ ऑर्गेजम लिए बिना संतुष्ट नही होती, इसलिए ये तो केवल शुरुआती दस ओवर थी, अभी लम्बी पारी खेलनी होगी.
जेठालाल: सेठानीजी अब रेडी हो, ये मजदूर टेम्पो लेके आ रहा है आपके गोडाउन में!
दयाबेन: क्या टप्पू के पापा आप भी!
जेठालाल एक ही धक्के में पूरा टेम्पो चुत के अंदर जमा देता है, और फिर धीरे धीरे आगे पीछे कमर हिलाने लगता है.
जेठालाल (मन में) धीरे धीरे दया तैयार हो रही है, थोड़ी ओर मस्ती में आने दो, बाद में गांड में डालूँगा तो उसे मजा भी आएगा और विरोध भी न करेगी.
जेठालाल १०-१५ धक्के ओर लगाते है...अब दयाबेन के पूरे बदन में मस्ती छा रही है, शर्म-संकोच सब गायब हो गया, खुद ही अपनी कमर हिला के जेठा के लंड को वो आगे से धक्का दे रही है.
जेठालाल (मन में) हाँ अब लौहा गरम है, मार दो हथोड़ा!
जेठा अचानक से अपना लंड दया की मदमस्त चुत में से निकाल के गांड के छेद पे रख देता है, ओर कसकर धक्का देने की कोशिश करता है, लेकिन दयाबेन की गांड एक अक्षतकुँवारी कन्या की माफिक एक दम टाईट है, उसमे नटराज पेन्सिल बी मुश्किल से जा सकती है जेठालाल के मोटे लंड का कोई चांस ही नही.
दयाबेन: हाय राम..आप क्या कर रहे हो?
जेठालाल दया की बात को सुना-अनसुना करके, थोडा ओर जोर लगाते है. मुश्किल से शिन्श्नाग्र का आधा इंच ही अंदर जा पाता है... फिर की कोशिश अभी जारी है.
टप्पू के पापा..बाहर निकलिए अभी के अभी..
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
जेठालाल आगे मुड के अपने दोनों हांथो से दया की निपल्स मसलने लगता है, और कान के पास आके कहेता है....दया प्लीज़ एक बार करने दो ना!!
दयाबेन: नही टप्पू के पापा, मेरी माँ के संस्कार मुझे गुदा-मैथुन करने की अनुमति नही देते!
वो तुरंत जेठालाल को धक्का देकर एकतरफ हटा देती है और कसकर रजाई ओढकर सो जाती है. जेठालाल को लगता है गलती से बड़ा मिस्टेक हो गया, गांड-चुदाई एकतरफ इधर तो भोस-चुदाई का भी मौका चला जाएगा. वो वापस दया के पास आते है.
जेठालाल:दया..दया....सोरी मुझसे गलती हो गयी, बस बाबा अभी गांड-चुदाई के लिए नही कहूँगा कभी भी. प्लीज़ ..
जेठालाल दया के बदन से रजाई हठाने की कोशिश करते है. लेकिन दया पीठ फेर के दूसरी ओर सो जाती है.
जेठालाल: चल ना.....देख मेरा तो माल भी नही गिरा...काम तो पूरा कर लेने दे. आज से तुमको हो पसंद उसी तरह करेंगे बस!
लेकिन जेठा की मिन्नतो का कोई असर नही, दया कोई रिस्पोंस नही देती. जेठालाल अपनी किस्मत को कोसता सो जाता है.
दुसरे दिन सुबह: डाइनिंग टेबल पे.
दया चाय रख के जाती है, जेठा उसका हाथ पकड़ लेता है...दया अभी भी नाराज हो, बोलाना सोरी, अभी पूरानी बाते भूल जाओ.
लेकिन दयाबेन अपना हाथ छुडवा के किचन में चली जाती है.
उसी शाम,
जेठालाल मनमे: अगर सोडा शॉप पे गया तो वापस भिडे की बाते सुननी होंगी की किधर है MMS. इसलिए अभी एकाध हफ्ता सोडा का उपवास रखना पडेगा.
दो दिन हो जाते है.
जेठा लाख कोशिश करता है, दया को मनाने की लेकिन दयाबेन तो मौनव्रत पर है.
चौथे दिन सुबह:
जेठालाल: ऐसे नही जी सकता, बिना चुदाई के मुझे तो नींद ही नही आती. क्या करू, केसे मनाऊ दया को? आइडिया, फायर ब्रिगेड महेता साहब.
लोकेशन : तारक महेता का घर
अंजली बाजार में करेले और लौकी की शोपिंग करने गयी है. तारक अकेला अकेला अपने लेपटोप में exbii.com पर वखारियाभाई रचित वेळअम्मा कोमिक्स का गुजराती संस्करण देखने में व्यस्त है.
तभी डोरबेल बजी---
मेहता: बोलो जेठालाल क्या मुसीबत आ पड़ी?
बेकग्राउंड म्यूजिक: जेठालाल पूरा किस्सा बयाँ करता है की केसे उसकी दया को बेवकूफ बनाके गांड-चुदाई करने की ट्रिक असफल रही और अब दया ने रुठ के बात तक करना छोड़ दिया है. और अब लाख मिन्नतो के बाद भी दयाबेन उन्हें माफ नही कर रही.
मेहता: ओफ्फो जेठालाल, इतनी सी बात, अरे भाई दयाबेन को मै अच्छी तरह से जानता हू, बड़ी मासूम और भोली है. चिंता मत करो, ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ता....फिर वो तुम्हे माफ कर ही देंगी, और गाड़ी वापस पटरी पे आ जाएगी..
जेठालाल: लेकिन महेतासाहब तब तक मै सोऊ केसे? बिना चुदाई के मुझे नींद ही नही आती. आप नही मानोगे, पिछले ४ दिन से मै सोया ही नही.
महेता: तो यार सोने से पहेले, बाथरूम में जाके मुठ मार लो ना उसमे क्या है?
जेठालाल: वो भी करके देखा, लेकिन माल गिर ही नही रहा. मेरे लंड को हस्तमैथुन की आदत नही.
महेता: क्या? तुमने हमको भी जोनपुर से आएला समजा है? तुमको हस्तमैथुन की आदत नही? अरे मै दावे के साथ कहे सकता हू, तुम बबिताजी के नाम की मुठ हफ्ते में कमसे कम तीन बार तो मारते ही हो. आये बड़े संत जेठादास 'मुठ की आदत नही'!
जेठालाल: आपका अंदाजा गलत है.
मै मुठ नही मारता,
मै केवल दया की चुत मारता हू,
लेकिन हा, उस वक्त आँखे बंद करके कल्पना तो ये ही करता हू की वो बबिताजी ही है!!!!
महेता: हाँ तो जाके दया, I mean दया भाभी की मारो ना...
जेठालाल: अरे भाई ये ही तो टेंशन है, वो मारने ही नही दे रही.
महेता: यार मुझे confuse मत करो, तुम्हारा प्रॉब्लम क्या है?
A. मुठबाजी से माल नही गिर रहा, या
B. की दयाबेन दाव नही दे रही वो?
जेठालाल: कमाल है, अरे आपका ध्यान किधर है. देखिये क्या हुआ की....
(बेकग्राउंड म्युजिक के साथ जेठालाल फिर से पूरी स्टोरी विस्तार से समजता है)
महेता: ओह हम्म...यस...देखो जेठालाल, ये तो कोमनसेन्स की बात है, बीवी को नाराज करना किसी भी ठरकी बंदे के लिए नुकसान का धंधा है. वापस जाके जरा और दिल से, जरा और नरमी से, जरा और इमोशनल होके दयाभाभी से माफ़ी मांगो. वैसे भी वो तो बड़े नरम दिल की है, आसानी से तुमको माफ़ कर देंगी, और फिर अपना 'काम' तमाम कर लो.
जेठालाल: ठीक है आप बोलते है तो.
जेठालाल वापस घर जाता है, दया को फिर से मिन्नते करता है, माफ़ी मांगता है, sad romantic songs गाता है......कोई असर नही.
जेसे तेसे करके वो रात तो निकल जाती है, लेकिन अगले पन्द्रह दिनों तक दयाभाभी का मुंह चिढा का चिढा ही रहेता है, ना वो जेठिया से बात करती है, ना दाव देती है.
जेठालाल : हें भगवान, किस जनम का बदला ले रहे हो. महेतासाहब ने तो बोला था, दो हफ्ते में दया गुस्सा थूंक देगी इधर पन्द्रह दिन होने आये.. वापस फायर-ब्रिगेड को कंसल्ट करता हू.
महेता: आओ जेठालाल इस बार क्या हुआ भाई?
जेठालाल: वो अभी पहेले वाला प्रॉब्लम सोल्व ही नही हुआ. दया अभी भी दाव नही दे रही. वैसे कभी आपके और अंजलीभाभी के बिच ऐसा हुआ है क्या?
महेता: अंजली....अरे उसको केवल शक भी हो जाए न की मैंने ऑफिस में कुछ चटकीला-मसालेदार खाया है, तो भी दाव नही देती बोलो. और ऐसा शक तो उसे महीने के २० दिन रोज शाम को होता है!!! इसलिए ये लेखक केवल कलम का नही मुठबाजी का भी बेताज-बादशाह है.
जेठालाल: क्यों उस दिन तो अय्यर के सामने बड़ी फेंक रहे थे की मै और अंजली भी 'एंजल सेक्स' इंजॉय करते है!?
महेता: जेठालाल वो एनल-सेक्स की बात बिलकुल सच्ची है, लेकिन हम लोग सेक्स बहोत कम ही बार करते है, ये बात भी उतनी ही सच्ची है.
जेठालाल: खेर आप केसे मनाते हो अंजलीभाभी को?
महेता: अरे भाई मेने तो केस ही छोड़ दिया है. कमसे कम चार घंटे मिन्नते करो तब जाके वो महारानी पन्द्र मिनट हाथ लगाने देती है, अब रोज-रोज कोन इतनी मिन्नते करे, मै तो ऐसे ही सो जाता हू. तुम्हे क्या बताऊं में, मेरे लंड एक धधकता ज्वालामुखी है, और उसे ठंडा कर सके .....
जेठालाल: ठीक है ठीक है, मै समज गया, मै तो अपनी रामायण ले के आया था, आपने तो अपनी महाभारत शुरू कर दी. अरे भाई हमारा प्रॉब्लम सोल्व कीजिए, कोई उपाय बताइए मुनिवर!!
महेता: मेरे केस में तो जब अंजली का सेक्स का मुड होता है, वो अपने आप पुराने गिलेशिक्वे भुला के चली आती है और मुजसे लिपट जाती है.
जेठालाल: लेकिन दया तो पिछले पन्द्रह दिनों से मुझे हाथ भी नही लगाया, वैसे तो वो बड़ी चुदासी है, मेरी तरह वो भी एक दिन से ज्यादा अनचुदे रहे नही सकती, मै भी ये देख के हैरान हू वो पन्द्रह दिनों तक बिना चुदाई के केसे रहे पाई ...जरूर छिप छिप के ऊँगली डालती होगी या फिर केला या फिर बेंगन.
महेता: बेंगन से याद आया, बड़े दिनों से बेंगन का भरथा खाने की इच्छा हो रही है, चलों वो गुजराती लोज में आज..
जेठालाल: महेतासाहब मेरी पोब्लेम सोल्व कीजिए, वादा करता हू, बेंगन का भरथा क्या, पुरे बत्तीस पकवान खिलाऊंगा.
महेता: सच बोलू जेठालाल, ये रूठी बीवी दाव नही देती: ये तो 'कहानी घर घर की है" तुम एक काम करो, तुम आत्माराम से मिलो. ऐसे केस में वो क्या करता है उसे पूछो.
जेठालाल: नही नही, मेरा भिडे का छत्तीस का आंकड़ा है. मै जाऊँगा तो पहेले बोलेगा MMS क्लिप दिखाओ. उसी के कारण तो ये सारी बवाल हुई है. और वैसे भी भिडे तो एक नम्बर का भोस-चटोरा है. पूरा दिन माधवीभाभी की सेवा में लगा रहेता है, मुझे नही लगता माधवीभाभी कभी भी उस से नाराज हुई होंगी.
महेता: हाँ ये भी सोचनेवाली बात है, तो एक काम करो-रोशनसिंह सोढ़ी को मिलो. उसकी भी पार्टी-शार्टी की आदतों के कारण, आयेदिन रोशनभाभी उसको चोदने नही देती होगी, वो क्या ट्रिक लगाता है, तुम उसी से जान के आओ.
जेठालाल: ओके. आज दुकान जाते वक्त, उसके गेरेज से होके जाऊँगा.
जेठालाल, सोढ़ी के गेरेज में
सोढ़ी: आओ जी आओ. बड़े दिनों बाद हमारी याद आई. ओय बिल्लू दो चाय बोलके आ.
जेठालाल: नही चाय बाय की जफा मत करो, मै एक खास काम से आया हू.
सोढ़ी: ओ हुक्म करो मालिक, जान हाजिर है.
बेकग्राउंड म्यूजिक: जेठालाल पूरी कहानी विस्तार से बताता है, सोढ़ी सर हिलाता है, जेठा अपना मुंह
सोढ़ी:ओह्हो ओजी ये बात है.
जेठालाल: हाँ तो बोल क्या इलाज है.
सोढ़ी: अब यारो से क्या छिपाना. ये मेरी वोट्टी रोशन...उसकी खासमखास सहेली शर्ली रहेती है अमरीका. और वहाँ से वो रोशन को एक से एक लाजवाब डिल्डो, वायब्रेटर और न जाने कितने उलजुलूल सेक्स टॉय, गिफ्ट में आये दिन भेजती रहेती है. ओ सच बोलू, रोशन को मेरे बेडरूम में होने न होने से कोई फर्क नही पड़ता. वो तो आखिर मेरे को ही मिन्नते कर कर के, कान पकड़ पकड़ माफ़ी मांगनी पड़ती है, तब जाके रोशन मेंन्नू लिप्टम-चिप्टम करने देती है.
जेठालाल: माफ़ी और मिन्नते तो मेने भी दया को बहोत की, लेकिन कोई असर नही.
जेठा उदास चहेरे के साथ दूकान जाता है, नटुकाका देख के ही भांप जाते है की मामला गडबड है.
लोकेशन: घड़ा इलेक्ट्रनिकस
नटुकाका: सेठजी is there anything wrong? why are you so sad?
जेठा: हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, कृपया हिंदी का प्रयोग करे.
नटुकाका: सेठजी, कोई टेंशन है क्या? आप इतने उदास क्यों है?
बेकग्राउंड म्यूजिक: जेठालाल पूरी कहानी विस्तार से बताता है, नटुकाका अपना सर हिलाते है, जेठा अपना मुंह
जेठा: बोलो ऐसा हुआ.
नटुकाका: मेरे साथ तो ऐसा टेंशन ही नही!!
जेठा: क्यों?
नटुकाका: क्योंकी मेरी बीवी मंगला तो गुजरात में वापी के पास आये उन्धाई गांव में रहेती है. और मै इधर. झगड़ा तो तब होगा न जब मियाँ-बीवी एक ही छत के नीचे रहेते हो!
जेठालाल: तो फिर, महीने में कितनी बार मुठ मारते है आप नटुकाका?
नटुकाका: वैसे तो मैने कमाठीपुरा में एक शबनम बाई के यहाँ अपना monthly account खुलवा दिया है. फिर भी हमारी पद्मावती भोजनालय की मालकिन पद्माबेन के नाम की मुठ, महीने में ५-६ बार मार ही लेता हू.
जेठालाल: monthly account मतलब?
नटुकाका: मतलब मै किसी रोज भी जाके चढ़ सकता हू, रोज रोज अलग से पेमेंट नही देना, पगार की तारीख पे एक साथ हिसाब करते है.
जेठालाल: कितना खर्चा
नटुकाका: ३०० रूपये.
जेठालाल: बस? केवल तिनसो. माने बहोत सस्ती वाली घटिया बम-भोसड़ा आंटी टाइप रांड के यहाँ जाते हो ?
नटुकाका: हाँ तो सेठजी आप मेरी पगार जो नही बढाते!! जितना पगार आप देते हो, उसमे तो ये ३०० भी जेसे तेसे ही परवडते है. महीने में ४ दिन पद्मावती भोजनालय नही जाके पैसे बचाता हू, तब बजेट बेलेंस होता है. वैसे आपको चलना है तो बोलो, एकदम रापचिक आइटम भी मिलती है उधर.
जेठालाल: नही नही नटुकाका, वैसे मै एक नम्बर का ठरकी जरूर हूँ. पडोस की शादीशुदा ओरत पे नजरे भी बिगाड़ता हू, लेकिन मै अपने बापूजी का इकलौता शरीफ और इज्जतदार बेटा, और अपनी बीवी का वफादार पति हू. मुजे नही करनी रंडी-चुदाई. thanks for your offer but I'm not interested.
बाघा: वो तो अब जेसी जिसकी सोच!!
जेठालाल: क्या??? ये बाघा कब किधर से आया?
बाघा: जब आपका नटु-काका की सेक्स-पुराण सुनने में लिन थे तब. वैसे सेठजी, नटुकाका का सजेशन एकदम सही है.
जेठालाल: क्या सही सजेशन है?? ये नटुकाका मेरे वडील, मेरे पिता समान होके मुझे रंडीखाने की उल्टी पटरी पे चढा रहे है? कल उठके दया को पता चल गया तो? मेरा तो सुखी संसार ही बर्बाद हो जाएगा. और बापूजी मुझे घर से लात मारके निकाल देंगे वो अलग. नही नही ये रिक्स में नही ले सकता.
नटुकाका: सेठजी आप रणदीप हुडा की उस फ्लॉप फिल्म का टाइटल सोंग भूल गए: रिस्क ना लिया तो क्या किया?...लाखो करोडो में कोई लेता है...रिस्क!!
जेठालाल: मेरी मति मारी गयी थी जो मैंने अपनी समस्या आपको बताई. अब आप चुपचाप दूकान सम्भालिए.
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02-04-2021, 01:04 PM,
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
उधर पोपटलाल.....तैयार हो के ..सोफे पे बैठे हुए..मेगजीन पढ़ रहे थे....बेचारा कुँवारा है ना तो कोई है तो नही जो उसका ख्याल रखा करे या फिर उसके लंड का ख्याल रखा करे ... तो उसे खुद ही अपना ख्याल रखना पड़ता है.....मेग्ज़ीन पढ़ते पढ़ते धीरे धीरे अपने लंड को घिसता रहता है....क्यूँ कि वो मेग्ज़ीन न्यूड फोटोस से भरी हुई थी...
पोपटलाल अक्सर अपनी शांति के लिए ऐसी मेग्ज़ीन पढ़ता रहता है...
अब पोपटलाल एक एक करके न्यूड गर्ल्स को देख कर लंड हिलाए जा रहा था...अब लंड बिल्कुल तन कर पूरी तरह खड़ा हो चुका था..वैसे बता दूं पोपटलाल का लंड उसी की तरह पतला सा है पर लंबा बड़ा है अपने छाते की तरह....8.5 इंच का......
तेज़ी से अपने लंड हो हिलाते हुए....पोपटलाल एक एक करके पन्ने बदल रहा था....अब वो लंड को बहुत तेज़ी से उपर नीचे कर रहा था...उसकी साँस अब फूलने लगी थी....ऐसा लग रहा था कुछ ही पलों में वो झड जाएगा...और कुछ 2 मिनट ऐसे ही तेज़ी से हिलाने के बाद उसके लंड से एक तेज़ धारा बाहर निकली और वो झड गया...
पोपटलाल :- हांफता हुआ.....आअहह...उफफफ्फ़....मज़ा आ गया....लेकिन कुछ पलों में अपने आप से बोलते हुए...क्या खाक मज़ा आ गया...हर रोज़ मुझे ऐसे ही शांत होना पड़ता है....कब मेरा ये लंड कोई और पकड़ के मूठ मारेगा..आख़िर कब मेरी शादी होगी...कबतक में ऐसे ही नंगी लड़कियों की फोटो को देखता रहूँगा.... और झल्लाता हुआ ... अपने ऑफीस की ओर निकल पड़ता है.....
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02-04-2021, 01:06 PM,
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
उधर डॉक्टर.हाथी अपने क्लिनिक में पेशेंट को देख रहे होते हैं....उनकी बीवी कोमल भी उन्ही के साथ होती है....
पेशेंट :- डॉक्टर. साहब मुझे एक प्राब्लम हो गई है...
डॉक्टर.हाथी :- क्या हुआ भाई बोलो?
पेशेंट :- डॉक्टर. मेरे लंड में से कम पानी निकलता है....पहली बार करने के बाद ...दूसरी बार में तो एक बूँद भी नही टपकती..कुछ करिए ना डॉक्टर.साहब...
डॉक्टर.हाथी :- ओह्ह्ह अच्छा तो ये प्राब्लम है...जी ये तो बहुत गंभीर बात है..देखिए वैसे तो में सेक्स का डॉक्टर नही हूँ .... लेकिन आपको एक दवाई दे देता हूँ...और एक अच्छे से सेक्स डॉक्टर का नंबर. भी...अगर दवाई काम ना करे तो आप इन डॉक्टर से जाके मिल लेना....
पेशेंट :- थॅंक यू डॉक्टर...
इधर कोमल ज़रा सी बात सुनकर ही गरम हो जाती है....क्यूँ कि इसे कम चुदने को मिलता है...और वो बोलती है...
कोमल :- हंस .... कुछ करो ना...में गरम हो गई..
डॉक्टर.हाथी :- हँसते हुए...क्या कोमल तुम भी इतनी सी बात पे गरम हो गई...और इस वक़्त में कुछ नही कर सकता ..मेरे पेशेंट बाहर हैं...
कोमल :- झिल्लाते हुए...कोई नही है बाहर जल्दी से कर दो ना मुझसे अब रहा नही जा रहा..
डॉक्टर.हाथी :- कोमल तुम्हे पता है ना मेरा जल्दी खड़ा नही होता ..इससे बहुत टाइम ल्गता है....इतनी जल्दी में खड़ा होगा पर जरा सा..और वो तो तुम्हे दिखेगा भी नही...
देखिए डॉक्टर.हाथी की एक अनोखी बात है...उनका लंड खड़ा तो होता है मगर उनका पेट इतना बड़ा है कि लंड दिखता नही है...इसलिए वो एक स्पेशल दवाई लेते हैं जिसे खाते ही उनका लंड हाथी जैसा हो जाता है...तभी वो चुदाई करते हैं...
कोमल :- सोचते हुए...हंस ठीक बोल रहे है..लेकिन अब में क्या करूँ मुझसे तो रहा भी नही जा रहा...फिर उसके दिमाग़ में आइडिया आता है...हंस तुम मुझे लंड से तो नही चोद सकते ...मगर अपनी ये बड़ी बड़ी उंगलियो से तो ज़रूर कर सकते हो ना..
डॉक्टर.हाथी :- सही बात है.............
इतना सुनते ही...अपनी पॅंट उतार देती है और पेंटी भी.....चूत बिकुल सॉफ होती है कोई भी बाल नही होता...चूत बहुत ज़्यादा गीली होती है...और हाँ बता दूं कि कोमल ने उंगलियों से चुदने की बात क्यूँ की ...क्यूँ कि डॉक्टर.हाथी की उंगलियाँ कुछ कम नही है...साली इतनी बड़ी है कि लंड को भी मात दे दें...
डॉक्टर.हाथी :- कोमल तुम्हारी चूत तो बहुत पानी छोड़ रही है....
कोमल :- हंस कुछ बोलो मत अब जल्दी करो...
और डॉक्टर.हाथी अपनी एक उंगली अंदर चूत मे डाल देते हैं जिसकी वजह से कोमल हल्की सी सिसक उठी है..अहह...और अब डॉक्टर.हाथी कोमल की चूत में उंगली अंदर बाहर करना शुरू कर देता है....कोमल को बहुत मज़ा आने लगता है...वो डॉक्टर.हाथी के शोल्डर पे हाथ रख कर खड़ी हो जाती है...क्यूँ कि उसके लिए खड़ा होना मुश्किल हो जाता है....अब डॉक्टर.हाथी..2 उंगलियाँ अंदर डाल की चूत को मारने लगते हैं.....जैसे ही दूसरी उंगली अंदर जाती है कोमल ज़ोर से चिल्ला उठती है.....हन्ंननन्न्न्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहह...........ओह.....मर् गयी......बहुत मज़ा आ रहा है.... .उईईईईईईईईईईईईईईईईई.... ..ओह....उफफफफफफफफफफफफ्फ़....और तेज़ करो.....अब डॉक्टर हाथी स्पीड बढ़ा देता है...और कमरे में पच पच की आवाज़ें शुरू हो जाती है....कोमल हान्फते हुए बोलती है..हंस में झड़ने वाली हूँ...और तेज़ करो.....अब डॉक्टर. हाथी पूरी ताक़त से चूत मारने लगते हैं....जिससे कोमल से अब सहन नही हो पाता और चिल्लाते हुए............अहहओह..माआआआआआआआआआअ....में तो गयी....और अपना कामरस छोड़ देती है....और उस रस को डॉक्टर. हाथी अपनी जीभ से सारा चाट लेते हैं..
कोमल :- पॅंट उपर करते हुए...थॅंक यू हंस...तुमने ने तो मुझे स्वर्ग की सैर करा डी थी...
डॉक्टर.हाथी :- यूआर वेलकम कोमल..मगर इतनी मेहनत करने के बाद बहुत भूक लगी है कुछ खाने को दो ना...
कोमल...हंसते हुए....हंस तुम भी ना....
कोमल को हंसता देख डॉक्टर .हाथी भी हंस देता है और फिर कोमल किचन में चली जाती है.............!!!!!!
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02-04-2021, 01:17 PM,
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
उधर भिड़े सोसायटी बोर्ड पे कुछ सूचना लिख रहा था....और आज मेहता साहब ऑफीस नही गये थे तो वो बाहर चेर पे बैठे थे...जैसे ही उन्होने देखा कि भिड़े कुछ लिख रहा है तो वो चले गये वहाँ उसे पढ़ने....और बोर्ड पे कुछ इस प्रकार लिखा था...
आज सोसाइटी में ठीक 10 बजे मीटिंग है..और आप सभी को सही समय पर उपस्थित होना है...ये मीटिंग कल के होने वाले प्रोग्राम के लिए रखी गई है..
तभी तारक भिड़े से पूछता है...
तारक :- भाई भिड़े किस चीज़ का प्रोग्राम करना है सोसाइटी में??
भिड़े :- मेहता साहब आप कैसे भूल गये ... कल सोसाइटी में दही हाँडी है...
तारक :- हाँ वो तो में भूल ही गया था....अच्छा है तुम जैसे सेक्रेटरी हमारे सोसाइटी में है तुमको याद नही रहता तो कोई प्रोग्राम हो ही नही पता...
भिड़े :- थॅंक यू मेहता साहब..वैसे ये मेरा फ़र्ज़ है...
उसके बाद तारक अपने घर चला जाता है....और भिड़े अब्दुल की दुकान की तरफ निकल पड़ता है...
भिड़े अब्दुल की दुकान पे जाके अब्दुल को एक काम देता है.......
भिड़े :- देख भाई अब्दुल ... में तुझे एक सर्क्युलर दे रहा हूँ..सबके घर पे दे आना...वैसे मेने सोसायटी बोर्ड तो लिख दिया है लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं सोसाइटी मे जो उसे पढ़ेंगे नही...
अब्दुल :- ठीक है भिड़े भाई में दे आउन्गा...आप टेन्षन मत लो..
फिर भिड़े बाहर निकल जाता है...और अब्दुल अपनी दुकान पे किसी को बिठा के सर्क्युलर बाटने निकल जाता है........
................................
उधर बबिता बैचैन हो रही थी सुबह दया की बातों को सुन कर...वो बार बार ये सोच कर परेशान थी कि आइयर तो कुछ करता ही नही है..और जेठाजी को देखो कितने मज़े से दया भाभी के साथ करते हैं...वो सोच ही रही थी की उसके घर की कोई घंटी बजाता है...
बबिता :- गेट खोल कर........अरे अब्दुल भाई आप...आइए ना अंदर आइए..
अब्दुल :- नही नही बबिता जी...आप बस इस सर्क्युलर को पढ़ कर साइन कर दी जिए..
बबिता सर्क्युलर लेके पढ़ती है...आज सोसाइटी की मीटिंग है कल के दही हाँडी के प्रोग्राम के लिए...और फिर बबिता उसे पढ़ कर साइन करके अब्दुल को देके गेट बंद कर देती है....
और फिर से उसी सोच में डूब जाती है....तभी उसके फोन की घंटी बजती है...दूसरी तरफ दया का फोन होता है..
दया :- हेलो बबिता जी....मेरे घर पे सारी महिला इकट्ठी हो रही है तो आप भी आजाइयेगा आधे घंटे में..
बबिता :- पहले सोचती है मना कर दूं...फिर भी वो हाँ कर के फोन काट देती है....
आधे घंटे बाद.....
दया के घर में सब हँसी मज़ाक कर रहे थे और चाइ नाश्ता कर रहे थे...सब हंस रहे थे.....और आपस में बात कर रहे थे...बस एक को छोड़ के...जी हाँ बबिता को छोड़ के....वो अभी भी उसी बात से परेशान रहती है...और तभी अंजलि की नज़र उस पर पड़ती है...और वो बबिता से पूछती है...
अंजलि :- बबिता जी क्या बात है..आप बड़े चुप चुप लग रहे हो...कोई बात हुई है क्या??
जब सब अंजलि की बात सुनते हैं तब सब उसकी तरफ देखते हैं..मगर दया समझ जाती है कि क्या बात है और बोलती है...
दया :- अंजलि भाभी मुझे पता है कि बबिता जी क्यूँ परेशान है..
सब दया से पूछते हैं क्या बात है दया भाभी...
दया :- वो बात ये है...कि आइयर भाई बबिता जी का ख़याल नही रखते..
सब लोग कुछ समझ नही पाते..और बोलते हैं दया भाभी सॉफ सॉफ बताइए ना..
दया :- हाँ बताती हूँ....वो क्या है आइयर भाई बबिता जी को संतुष्ट नही करते...हमेशा काम में ही लगे रहते हैं....उनको बबिता जी के साथ सॅक्स करने का टाइम नही मिलता...
सब दया की बात सुन के चौंक जाते है...और बबिता की तरफ देखते हैं..सबसे पहले अंजलि बबिता से बोलती है..
अंजलि :- देखिए बबिता जी...आप ऐसा मत सोचिए आइयर भाई आपसे बहुत प्यार करते हैं..कुछ काम में बिज़ी होंगे इसलिए नही कर पा रहे होंगे..
बबिता :- ऐसा नही है अंजलि भाभी.....आइयर अब वैसा नही रहा..उसको बस अपनी ही पड़ी है...वो बस यही चाहता है कि में उसका चूस के शांत कर दूं....वो खुद तो कुछ करता ही नही है...काफ़ी टाइम हो गया अंजलि भाभी हम दोनो ने सेक्स नही किया..में परेशान हो चुकी हूँ...आप ही बताइए कब तक में अपनी उंगली से काम चलाउन्गी...
दया :- हाँ सही बात है अंजलि भाभी..बबिता जी बिल्कुल ठीक बोल रहे हैं...आइयर भाई को ध्यान रखना पड़ेगा...
अंजलि :- वो बात तो ठीक है दया भाभी...बबिता जी अब सभार रखिए सब ठीक हो जाएगा..
कोमल :- हाँ बबिता...तुम्हारी तरह मेरा भी यही हाल है तुम तो जानती हो ना डॉक्टर हाथी को वो तो सेक्स कर ही नही पाते बहुत कम ही करते हैं...उनका लंड खड़ा ही बहुत कम होता है....पर हाँ वो मुझे अपनी उंगलियों से संतुष्ट कर देते हैं...आपको पता है कि उनकी उंगलियाँ इतनी मोटी है कि लंड की कमी ज़्यादा महसूस नही होती और वो हंस पड़ती है...
बाकी सब भी कोमल की बात सुनके हंस पड़ते है....और इस बार बबिता भी हंस पड़ती है..
उधर रोशन भी बोलने लगती है..
रोशन :- अब में क्या बताऊ इस मामले में इसलिए परेशान हूँ कि इस रोशन (यानी सोढी) को हमेशा मेरी चूत मारने को लगा रहता है.....और जिस दिन पार्टी शार्टी कर के आता है..उस दिन तो रात भर नही सोने देता ...एक तो पूरी रात मेरी मारता रहेगा...और दूसरी इतनी ज़ोर ज़ोर से मारता है कि क्या बताऊ जान निकाल देता है मेरी...
रोशन की बात सुनके सब हंस पड़ते हैं और बोलते हैं...कि रोशन भाभी आप तो बहुत लकी हैं....
फिर थोड़ी देर और ऐसे ही बात करने के बाद...सब बोल के चले जाते हैं कि शाम को मीटिंग में मिलते हैं.........................
अब देखते हैं शाम की मीटिंग में क्या डिसाइड होता है.......!!!!!!!
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