desiaks
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दूसरी तरफ शहनाज़ ने शादाब के जाने के बाद अपना बुर्का उतार दिया और एक तरफ रख कर अपने घूंघट को ठीक किया और शादाब का इंतजार करने लगी। शहनाज़ के कदम कदमों कि आहट पर लगे हुए थे और उसकी चूत अपने आप टपक रही थी।
शादाब ने ग्लास में दूध भर लिया और एक डिब्बा लेकर शहनाज़ के रूम की तरफ चल पड़ा। कमरे में घुसने के बाद शादाब ने गेट को लॉक लगाकर बंद कर दिया तो शहनाज़ के रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने दूध को टेबल पर रख दिया और डिब्बे में से एक मस्त तेज महक वाला परफ्यूम पूरे कमरे में छिड़क दिया तो पूरा कमरा महक से भर उठा। शादाब ने अपने जूते उतारे और बेड पर चढ़ गया और शहनाज़ के सामने बैठ गया। घूंघट से शहनाज़ के कांपते हुए लाल सुर्ख होंठ साफ दिख रहे थे।
शादाब ने कहा:" उफ्फ अम्मी आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दिन हैं क्योंकि मेरा सबसे बड़ा सपना पूरा हो रहा हैं। आप मिल गई मुझे सब कुछ मिल गया।
शहनाज़ सिर्फ हल्का सा मुस्कुरा उठी तो शादाब बोला:"
" उफ्फ शहनाज़ मेरी अम्मी, मेरी जान बस अब अपना ये चांद सा चेहरा मुझे दिखा दो। मैं अपनी दुल्हन को जी भर कर देख तो लूं एक बार।
शहनाज़ ने ना मैं सिर हिला दिया और तो शादाब बोला:"
" उफ्फ अम्मी आज तो मना मत करो, आज क्यों ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?
शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा अभी काफी नादान हैं इसलिए धीरे से बोली:"
" मेरे राजा, आज के दिन मुंह दिखाई गिफ्ट में दी जाती हैं, पहले मेरा गिफ्ट दो, तब जाकर ये घूंघट हटेगा।
शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी क्या चाह रही हैं इसलिए वो उठा और डब्बे से एक हीरे की अंगूठी निकाल ली और बेड की तरफ चल पड़ा। अब दोनो मा बेटे एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे और शादाब बोला:"
" शहनाज़ मैं मुंह दिखाई देने के लिए तैयार हूं, बस अब देर ना कर मेरी जान।
शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान अा गई और वो उठी और बेड के सिरहाने से एक डिब्बे से अंगूठी निकाल ली। शादाब भी खड़ा हो गया और शहनाज़ को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से आज अपने बेटे के पहले स्पर्श से एक सिसकी निकल पड़ी।
" आह राजा, थोड़ा प्यार से मेरी जान, बहुत नाजुक हैं तेरी अम्मी
शादाब का एक हाथ शहनाज़ की छाती तो दूसरा उसके पेट पर टिका हुआ था। शहनाज़ ने अपने हाथ आगे लाते हुए शादाब के हाथो पर रख दिए तो दोनो एक दूसरे को अंगूठी पहनाने लगे।
शादाब का पूरी तरह से खड़ा हुआ लंड शहनाज़ की गांड़ से लगा हुआ था जिससे शहनाज़ का बदन तपता जा रहा था। अंगूठी पहन लेने के बाद शादाब बोला:"
" बस शहनाज़ मेरी अम्मी अब तो दिखा दे अपना चांद सा चेहरा मुझे।
शहनाज़ ने एक स्माइल दी और शादाब को हान में सिर हिला दिया तो शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ का घूंघट उठाने लगा। जैसे जैसे घूंघट उठता जा रहा था शहनाज़ की सांसे तेज होती जा रही थी। जैसे ही घूंघट हट गया तो शहनाज़ का चांद से ज्यादा चमकता हुआ चेहरा शादाब के आगे अा गया और शादाब बिना पलके झपकाए उसे देखता रहा।
शहनाज़ दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन बनी हुई थी और शादाब अपलक उसे देखे जा रहा था। शहनाज़ की आंखे बंद शर्म से झुकी जा रही थी इसलिए वो शर्म के मारे अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाने लगीं।
शादाब ने शहनाज़ के चेहरे को हाथ से थाम लिया और बोला:"
" उफ्फ मेरी जान, मेरी शहनाज़ देखने दो ना जी भर कर मुझे अपनी दुल्हन को।
शहनाज़ अपने बेटे की बाते सुनकर शर्मा सी गई और बोली:'
" बस कर मेरे राजा और कितना देखेगे मुझे, कहीं नजर लग गई तो?
शादाब :" अम्मी दीवाने की नजर नहीं लगती हैं।
शादाब ने इतना कहकर शहनाज़ का एक हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ ने एक झटके के साथ उससे अपना हाथ छुड़ा लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:"
"इतना गुस्सा किसलिए शहनाज़ ? क्या मुझसे कोई गलती हुई है ?
शहनाज़ ने उसे जलाने के लिए कहा:" हान बहुत बड़ी भूल कर रहा हैं तू राजा, अभी तेरा मेरे सिर्फ पर हक नहीं हैं।
शहनाज़ के मुंह से निकले ये लफ़्ज़ शादाब को एक तीर की तरह से चुभे और बोला:"
" अम्मी ऐसा क्यों बोल रही हो आप ? सब कुछ आपकी मर्जी से तो रहा हैं।
शहनाज़ शादाब का रोना सा मुंह देखकर अंदर ही अंदर मुस्करा उठी और धीरे से अपना मुंह उसके कान के पास लाते हुए बोली:" राजा पहले निकाह में बंधे हुए मेरे मेहर दो मुझे, उसके बाद ही तुम मुझे छू सकते हो।
शादाब ने ग्लास में दूध भर लिया और एक डिब्बा लेकर शहनाज़ के रूम की तरफ चल पड़ा। कमरे में घुसने के बाद शादाब ने गेट को लॉक लगाकर बंद कर दिया तो शहनाज़ के रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने दूध को टेबल पर रख दिया और डिब्बे में से एक मस्त तेज महक वाला परफ्यूम पूरे कमरे में छिड़क दिया तो पूरा कमरा महक से भर उठा। शादाब ने अपने जूते उतारे और बेड पर चढ़ गया और शहनाज़ के सामने बैठ गया। घूंघट से शहनाज़ के कांपते हुए लाल सुर्ख होंठ साफ दिख रहे थे।
शादाब ने कहा:" उफ्फ अम्मी आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दिन हैं क्योंकि मेरा सबसे बड़ा सपना पूरा हो रहा हैं। आप मिल गई मुझे सब कुछ मिल गया।
शहनाज़ सिर्फ हल्का सा मुस्कुरा उठी तो शादाब बोला:"
" उफ्फ शहनाज़ मेरी अम्मी, मेरी जान बस अब अपना ये चांद सा चेहरा मुझे दिखा दो। मैं अपनी दुल्हन को जी भर कर देख तो लूं एक बार।
शहनाज़ ने ना मैं सिर हिला दिया और तो शादाब बोला:"
" उफ्फ अम्मी आज तो मना मत करो, आज क्यों ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?
शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा अभी काफी नादान हैं इसलिए धीरे से बोली:"
" मेरे राजा, आज के दिन मुंह दिखाई गिफ्ट में दी जाती हैं, पहले मेरा गिफ्ट दो, तब जाकर ये घूंघट हटेगा।
शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी क्या चाह रही हैं इसलिए वो उठा और डब्बे से एक हीरे की अंगूठी निकाल ली और बेड की तरफ चल पड़ा। अब दोनो मा बेटे एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे और शादाब बोला:"
" शहनाज़ मैं मुंह दिखाई देने के लिए तैयार हूं, बस अब देर ना कर मेरी जान।
शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान अा गई और वो उठी और बेड के सिरहाने से एक डिब्बे से अंगूठी निकाल ली। शादाब भी खड़ा हो गया और शहनाज़ को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से आज अपने बेटे के पहले स्पर्श से एक सिसकी निकल पड़ी।
" आह राजा, थोड़ा प्यार से मेरी जान, बहुत नाजुक हैं तेरी अम्मी
शादाब का एक हाथ शहनाज़ की छाती तो दूसरा उसके पेट पर टिका हुआ था। शहनाज़ ने अपने हाथ आगे लाते हुए शादाब के हाथो पर रख दिए तो दोनो एक दूसरे को अंगूठी पहनाने लगे।
शादाब का पूरी तरह से खड़ा हुआ लंड शहनाज़ की गांड़ से लगा हुआ था जिससे शहनाज़ का बदन तपता जा रहा था। अंगूठी पहन लेने के बाद शादाब बोला:"
" बस शहनाज़ मेरी अम्मी अब तो दिखा दे अपना चांद सा चेहरा मुझे।
शहनाज़ ने एक स्माइल दी और शादाब को हान में सिर हिला दिया तो शादाब ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ का घूंघट उठाने लगा। जैसे जैसे घूंघट उठता जा रहा था शहनाज़ की सांसे तेज होती जा रही थी। जैसे ही घूंघट हट गया तो शहनाज़ का चांद से ज्यादा चमकता हुआ चेहरा शादाब के आगे अा गया और शादाब बिना पलके झपकाए उसे देखता रहा।
शहनाज़ दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन बनी हुई थी और शादाब अपलक उसे देखे जा रहा था। शहनाज़ की आंखे बंद शर्म से झुकी जा रही थी इसलिए वो शर्म के मारे अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाने लगीं।
शादाब ने शहनाज़ के चेहरे को हाथ से थाम लिया और बोला:"
" उफ्फ मेरी जान, मेरी शहनाज़ देखने दो ना जी भर कर मुझे अपनी दुल्हन को।
शहनाज़ अपने बेटे की बाते सुनकर शर्मा सी गई और बोली:'
" बस कर मेरे राजा और कितना देखेगे मुझे, कहीं नजर लग गई तो?
शादाब :" अम्मी दीवाने की नजर नहीं लगती हैं।
शादाब ने इतना कहकर शहनाज़ का एक हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ ने एक झटके के साथ उससे अपना हाथ छुड़ा लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:"
"इतना गुस्सा किसलिए शहनाज़ ? क्या मुझसे कोई गलती हुई है ?
शहनाज़ ने उसे जलाने के लिए कहा:" हान बहुत बड़ी भूल कर रहा हैं तू राजा, अभी तेरा मेरे सिर्फ पर हक नहीं हैं।
शहनाज़ के मुंह से निकले ये लफ़्ज़ शादाब को एक तीर की तरह से चुभे और बोला:"
" अम्मी ऐसा क्यों बोल रही हो आप ? सब कुछ आपकी मर्जी से तो रहा हैं।
शहनाज़ शादाब का रोना सा मुंह देखकर अंदर ही अंदर मुस्करा उठी और धीरे से अपना मुंह उसके कान के पास लाते हुए बोली:" राजा पहले निकाह में बंधे हुए मेरे मेहर दो मुझे, उसके बाद ही तुम मुझे छू सकते हो।