desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
सब्जी कट चुकी थी इसलिए शहनाज़ खाना बनाने लगी और शादाब छत पर घूमने चला गया। थोड़ी देर खाना बन गया था और दोनो मा बेटे के खाना खाना शुरू किया तो आज शहनाज़ ने अपने हाथ से खाने का निवाला बनाकर अपने बेटे को खिलाया तो शादाब खुशी से झूम उठा और उसने भी शहनाज़ को अपने हाथ से खाना खिलाया। दोनो मा बेटे जल्दी ही खाना खाकर सोने के लिए बेड पर चले गए। शहनाज़ ने एक ढीली सी नाइटी जबकि शादाब ने भी बहुत बारीक कपडे पहन लिया था। बेड पर जाते ही शहनाज़ ने शादाब को अपनी बांहों में भर लिया और अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया तो सादाब ने भी अपनी अम्मी को खुद में समेट लिया और दोनो मा बेटे एक दूसरे से पूरी तरह से चिपक गए।
शहनाज़ आज दिन में हुए हादसे के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से शादाब ने उसकी जरा सी भी बुराई बर्दास्त नहीं करी और बिना सोचे समझे रेहाना से लड़ पड़ा। शहनाज़ अपने बेटे की इस बात पर बहुत खुश हुई और उसने शादाब का गाल चूम लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा तो शहनाज़ बोली:"
" शादाब बेटा जितना प्यार तू मुझसे करता हैं, उससे कहीं ज्यादा मै तुझसे करती हूं मेरे लाल।
शादाब ने बस शहनाज़ को स्माइल किया और चुप हो गया
शहनाज:" बेटा वो मुझे जाहिल और पुराने जमाने की बोल रही थी, मेरे बेटे को मेरी वजह से सुनना पड़ा मुझे इसका दुख हैं शादाब।
शादाब:" अम्मी जाहिल औरत वो खुद हैं जो अपने पति के जिंदा होते हुए भी अपनी बेटे और मुझे भी फसा रही थी।
शहनाज़:" बेटा अब तेरी मा तेरे हिसाब से चलेगी, बदल दे मुझे नए जमाने के हिसाब से शादाब, मैं एक दिन उसकी आंखो में आंखे डाल कर उसे जवाब दूंगी
शादाब को जैसे उसकी बात पर यकीन ही नहीं हुआ इसलिए वो खुशी छिपाते हुए बोला:"
" क्या अम्मी ? क्या कहा आपने प्लीज़ एक बार और बताओ मैंने ठीक से सुना नहीं ?
शहनाज़ जानती थी कि उसका बेटा जान बूझकर दोबारा पूछ रहा हैं इसलिए वो पूरे आत्म विश्वास के साथ बोली:
" बेटा बदल दे मुझे अपने हिसाब से जैसे तू चाहे, मैं उस कमीनी को दिखा दूंगी कि मैं भी जमाने के साथ चल सकती हूं।
शादाब:" ठीक हैं अम्मी, कल से आपकी ट्रेनिंग शुरु, मैं आपको पूरी तरह से बदल दूंगा।
शहनाज़ ने खुश होकर शादाब का गाल चूम लिया और उससे लिपट गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपट कर सो गए। अलग दिन सुबह 5 बजे शादाब और शहनाज़ दोनो उठ गए और शादाब ने अपनी अम्मी को अपने हाथ बहुत हल्की कसरत कराई तो शहनाज़ आज एक अलग ही खुशी महसूस कर रही थी। उसके बाद नाश्ता करने के बाद शादाब शहनाज़ को लेकर शहर की तरफ निकल गया।
शहनाज ने रोड पर चढ़ते ही खुद ही अपना बुर्का उतार दिया और शादाब को एक स्माइल दी तो शादाब समझ गया कि शहनाज़ सचमुच बदल रही हैं। उसके बाद दोनो मॉल में गए और शादाब ने अपनी अम्मी के लिए एक से बढकर ट्रैक सुइट और जिम में कसरत करने के लिए ड्रेस ली, शहनाज़ के लिए उसने उसने कुछ जीन्स और टी शर्ट भी खरीद ली, शहनाज़ आज कुछ बोल नहीं रही थी बल्कि खुश होकर अपनी पसंद के अनुसार ड्रेस खरीद रही थी। जब शॉपिंग का सब काम खत्म हो गया तो शादाब अपनी अम्मी को एक लेडीज सैलून में के गया और उसके बालो को स्टेट किया और एक नए डिजाइन का कट करवा दिया। शहनाज़ अपने आपको शीशे में देखना चाहती थी लेकिन शादाब ने मना कर दिया और बोला:"
" अम्मी जब तक मैं नहीं कहूंगा आप खुद को शीशे में नहीं देखेंगे।
शहनाज़ अपने बेटे की जिद के चलते मजबुर हो गई और उसके बाद शादाब ने अपनी अम्मी को खाना खिलाया और फिर आते हुए एक जिम में अपना और शहनाज़ का रजिस्ट्रेशन करा दिया और उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। आज शहनाज़ बहुत खुश थी इसलिए घर आते ही शादाब से कस कर चिपक गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे के दिल की धड़कन सब रहे थे और किसी दूसरी दुनिया में ही पहुंच गए थे। शहनाज़ बोली:"
" शादाब तू मेरा इतना ख्याल रख रहा है बेटा, तुझे कभी कभी मुझ पर बहुत गुस्सा आता होगा कि मैंने तुझे तेरा प्यार नहीं दिया।
शादाब:" अम्मी मैं उस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता, आप खुश हो मेरे लिए बहुत हैं।
शहनाज़:" लेकिन मेरा बेटा खुश नहीं हैं, मैं ये जानती हूं शादाब, मैं बहुत बुरी मा हूं ना।
शादाब उसका गाल चूम कर:" अम्मी आप तो दुनिया की सबसे अच्छी अम्मी हो जो अपने बेटे को इतना प्यार करती है।
शहनाज़;" बेटा मुझे थोड़ा टाइम दे, ऐसा नहीं है कि मैं तुझे प्यार नही करती, मैं दुनिया की सबसे अच्छी मा के साथ साथ कुछ और भी बनना चाहती हूं।
शादाब:" कुछ और क्या बनना चाहती हो आप ?
शहनाज़:" बेटा मैं नहीं बोल पाऊंगी, वक़्त आने पर तुझे अपने आप पता चल जाएगा।
शादाब ने मुस्करा कर शहनाज़ को देखा और दोनो मा बेटे घर के काम में लग गए। शहनाज़ खाने की तैयारी करने लगी और शादाब अपने मोबाइल में फिर से मूवी देखने लगा। शादाब की औरत के जिस्म के बारे में जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी और वो मौका मिलते ही मूवी देखने लगता था।
खाना बन चुका था इसलिए दोनो ने खाना खा लिया और उसके बाद शादाब बोला:"
" अम्मी आज जल्दी सो जाना,कल से आपको जिम करने के लिए जाना हैं।
शहनाज़:" ठीक हैं बेटा, आओ चलते हैं सोने के लिए।
उसके बाद दोनो मा बेटे अपने कपडे बदल कर सोने के लिए चले गए। दोनो रोज की तरह एक दूसरे की बांहों में सो गए। अगले दिन सुबह दोनो जिम के लिए निकल पड़े, शहनाज़ ट्रैक सुट में बहुत खूबसूरत लग रही थीं। दोनो मा बेटे ने एक ही रंग के कपड़े पहने हुए थे तो शादाब बोला:"
" अम्मी एक बात कहूं अगर आपको बुरा ना लगे तो ?
शहनाज़:" हान बोल बेटा मुझे अब तेरी कोई बात बुरी नहीं लगती मेरे बेटा ?
शादाब:" देखो अम्मी, आपको देखने से बिल्कुल भी नहीं लगता कि आप एक जवान बेटे की मा हो, इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं आपको जिम में अम्मी ना बुलाऊ?
शहनाज़ आज दिन में हुए हादसे के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से शादाब ने उसकी जरा सी भी बुराई बर्दास्त नहीं करी और बिना सोचे समझे रेहाना से लड़ पड़ा। शहनाज़ अपने बेटे की इस बात पर बहुत खुश हुई और उसने शादाब का गाल चूम लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा तो शहनाज़ बोली:"
" शादाब बेटा जितना प्यार तू मुझसे करता हैं, उससे कहीं ज्यादा मै तुझसे करती हूं मेरे लाल।
शादाब ने बस शहनाज़ को स्माइल किया और चुप हो गया
शहनाज:" बेटा वो मुझे जाहिल और पुराने जमाने की बोल रही थी, मेरे बेटे को मेरी वजह से सुनना पड़ा मुझे इसका दुख हैं शादाब।
शादाब:" अम्मी जाहिल औरत वो खुद हैं जो अपने पति के जिंदा होते हुए भी अपनी बेटे और मुझे भी फसा रही थी।
शहनाज़:" बेटा अब तेरी मा तेरे हिसाब से चलेगी, बदल दे मुझे नए जमाने के हिसाब से शादाब, मैं एक दिन उसकी आंखो में आंखे डाल कर उसे जवाब दूंगी
शादाब को जैसे उसकी बात पर यकीन ही नहीं हुआ इसलिए वो खुशी छिपाते हुए बोला:"
" क्या अम्मी ? क्या कहा आपने प्लीज़ एक बार और बताओ मैंने ठीक से सुना नहीं ?
शहनाज़ जानती थी कि उसका बेटा जान बूझकर दोबारा पूछ रहा हैं इसलिए वो पूरे आत्म विश्वास के साथ बोली:
" बेटा बदल दे मुझे अपने हिसाब से जैसे तू चाहे, मैं उस कमीनी को दिखा दूंगी कि मैं भी जमाने के साथ चल सकती हूं।
शादाब:" ठीक हैं अम्मी, कल से आपकी ट्रेनिंग शुरु, मैं आपको पूरी तरह से बदल दूंगा।
शहनाज़ ने खुश होकर शादाब का गाल चूम लिया और उससे लिपट गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपट कर सो गए। अलग दिन सुबह 5 बजे शादाब और शहनाज़ दोनो उठ गए और शादाब ने अपनी अम्मी को अपने हाथ बहुत हल्की कसरत कराई तो शहनाज़ आज एक अलग ही खुशी महसूस कर रही थी। उसके बाद नाश्ता करने के बाद शादाब शहनाज़ को लेकर शहर की तरफ निकल गया।
शहनाज ने रोड पर चढ़ते ही खुद ही अपना बुर्का उतार दिया और शादाब को एक स्माइल दी तो शादाब समझ गया कि शहनाज़ सचमुच बदल रही हैं। उसके बाद दोनो मॉल में गए और शादाब ने अपनी अम्मी के लिए एक से बढकर ट्रैक सुइट और जिम में कसरत करने के लिए ड्रेस ली, शहनाज़ के लिए उसने उसने कुछ जीन्स और टी शर्ट भी खरीद ली, शहनाज़ आज कुछ बोल नहीं रही थी बल्कि खुश होकर अपनी पसंद के अनुसार ड्रेस खरीद रही थी। जब शॉपिंग का सब काम खत्म हो गया तो शादाब अपनी अम्मी को एक लेडीज सैलून में के गया और उसके बालो को स्टेट किया और एक नए डिजाइन का कट करवा दिया। शहनाज़ अपने आपको शीशे में देखना चाहती थी लेकिन शादाब ने मना कर दिया और बोला:"
" अम्मी जब तक मैं नहीं कहूंगा आप खुद को शीशे में नहीं देखेंगे।
शहनाज़ अपने बेटे की जिद के चलते मजबुर हो गई और उसके बाद शादाब ने अपनी अम्मी को खाना खिलाया और फिर आते हुए एक जिम में अपना और शहनाज़ का रजिस्ट्रेशन करा दिया और उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। आज शहनाज़ बहुत खुश थी इसलिए घर आते ही शादाब से कस कर चिपक गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे के दिल की धड़कन सब रहे थे और किसी दूसरी दुनिया में ही पहुंच गए थे। शहनाज़ बोली:"
" शादाब तू मेरा इतना ख्याल रख रहा है बेटा, तुझे कभी कभी मुझ पर बहुत गुस्सा आता होगा कि मैंने तुझे तेरा प्यार नहीं दिया।
शादाब:" अम्मी मैं उस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता, आप खुश हो मेरे लिए बहुत हैं।
शहनाज़:" लेकिन मेरा बेटा खुश नहीं हैं, मैं ये जानती हूं शादाब, मैं बहुत बुरी मा हूं ना।
शादाब उसका गाल चूम कर:" अम्मी आप तो दुनिया की सबसे अच्छी अम्मी हो जो अपने बेटे को इतना प्यार करती है।
शहनाज़;" बेटा मुझे थोड़ा टाइम दे, ऐसा नहीं है कि मैं तुझे प्यार नही करती, मैं दुनिया की सबसे अच्छी मा के साथ साथ कुछ और भी बनना चाहती हूं।
शादाब:" कुछ और क्या बनना चाहती हो आप ?
शहनाज़:" बेटा मैं नहीं बोल पाऊंगी, वक़्त आने पर तुझे अपने आप पता चल जाएगा।
शादाब ने मुस्करा कर शहनाज़ को देखा और दोनो मा बेटे घर के काम में लग गए। शहनाज़ खाने की तैयारी करने लगी और शादाब अपने मोबाइल में फिर से मूवी देखने लगा। शादाब की औरत के जिस्म के बारे में जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी और वो मौका मिलते ही मूवी देखने लगता था।
खाना बन चुका था इसलिए दोनो ने खाना खा लिया और उसके बाद शादाब बोला:"
" अम्मी आज जल्दी सो जाना,कल से आपको जिम करने के लिए जाना हैं।
शहनाज़:" ठीक हैं बेटा, आओ चलते हैं सोने के लिए।
उसके बाद दोनो मा बेटे अपने कपडे बदल कर सोने के लिए चले गए। दोनो रोज की तरह एक दूसरे की बांहों में सो गए। अगले दिन सुबह दोनो जिम के लिए निकल पड़े, शहनाज़ ट्रैक सुट में बहुत खूबसूरत लग रही थीं। दोनो मा बेटे ने एक ही रंग के कपड़े पहने हुए थे तो शादाब बोला:"
" अम्मी एक बात कहूं अगर आपको बुरा ना लगे तो ?
शहनाज़:" हान बोल बेटा मुझे अब तेरी कोई बात बुरी नहीं लगती मेरे बेटा ?
शादाब:" देखो अम्मी, आपको देखने से बिल्कुल भी नहीं लगता कि आप एक जवान बेटे की मा हो, इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं आपको जिम में अम्मी ना बुलाऊ?