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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
शुरू करते हैं कहानी किरदार तो पता चल गये हैं अब......
सुबह का वक़्त गोकुलधाम में....तो शुरू करते हैं जेठालाल के घर से हर रोज़ की तरह बापूजी पेपर पढ़ रहे थे अपना बड़ा सा चस्मा लगा के...और उधर जेठालाल कमरे में सोया हुआ था...फिर आई उनकी धरम पत्नी दया...
दया :- टप्पू के पापा ओ टप्पू के पापा उठ जाइए लेट हो रहा है..बापूजी गुस्सा करेंगे...दुकान नही जाना क्या....
जेठालाल :- आरीईए हन्ंननणणन् दया बॅस 5 मिनट और सोने दे ना...फिर उठता हूँ...थोड़ी देर और...
दया :- ओफू टप्पू के पापा आप ऐसे नही मनोगे ना....तभी दया ने एक तरकीब सोची.....उसने जेठालाल के लंड को छुआ.. लंड को छूते ही दया के शरीर में करेंट दौड़ गया...उस वक़्त मन तो बहुत कर रहा था दया को चुदने का मगर नही चुद सकती थी टाइम नही था......अवर जैसे ही दया ने लंड पकड़ा और उसे ज़ोर से दबा दिया....जेठालाल चिल्लाते हुए उठा.....
जेठालाल :- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
दया ये क्या था...इतनी ज़ोर से क्यूँ दबाया आआआआआआअ दर्द हो रहा है......
इतनी ज़ोर की आवाज़ सुन के बापूजी चिल्लाते हुए कमरे में आए क्या हुआ जेठा....और अब जेठालाल और दया का मूत निकलने जैसा हाल हो गया....
जेठालाल :- वो वो वो वो बापूजी....काटा.....चिंटी ने काटा....
बापूजी :- चिंटी पलंग पे चिंटी...पागल हो गया है जेठिया....
एक बार फिर जेठालाल का मूत निकलने जैसे हो गया...
अब दया ने फँसाया था तो उसको दिमाग़ तो लगाना पड़ता ही...और उसने लगाया भी...
दया :- बापूजी वो क्या है ना...जब चिंटी ने काटा तब टप्पू के पापा नीचे थे...जैसे ही उनको काटा वो पलग पर चढ़ गये...
बापूजी :- गुस्से में...आई जेठिया बेबकूफ़ इतनी ज़ोर से कोई चिल्लाता है क्या...नालयक डोबी कहीं का...
जेठालाल :- सॉरी बापूजी ग़लती हो गई...वो एक दम से चींटी ने काटा तो मूह से तेज़ चीख निकल गई..सॉरी...
फिर बापूजी सर हिलाते हुए चले गये...और साथ में ये भी बोल गये कि में मंदिर जा रहा हूँ.......
दया की घंटी बजी..और जो उसे चाहिए था .. उसे वो मिल सकता था...
जेठालाल :- गुस्से में दया नॉनसेन्स डोबी....ऐसा कोई करता है क्या..इतनी ज़ोर से दबाता है क्या कोई लंड को और वो भी जब बापूजी घर में हो....लेकिन थोड़ी ही देर में जेठालाल का गुस्सा कम हो जाता है....सोचिए कैसे.....
जेठालाल डाँट खाने के बाद काफ़ी गुस्से में था और दया ने कुछ ऐसा किया कि उसका गुस्सा शांत होने लगा आइए आगे जानते हैं कैसे.....
जेठालाल बहुत अच्छा महसूस कर रहा था क्यूँ कि दया चद्दर के नीचे जेठालाल का पाजामा उतार कर उसका लंड हाथ में लेकर हिला रही थी...जिससे जेठालाल बहुत खुश हो रहा था.....
जेठालाल :- आरीईई वाहह दया ये क्या सुबह सुबह तू मेरा लंड क्यूँ हिला रही है...
दया :- टप्पू के पापा आपका लंड सुबह क्या मैं दिन रात हिलाना चाहती हूँ ... है ही इतना मस्त कि क्या बताऊ....
वैसे जेठालाल के लंड के बारे में बता दूं...उसी की तरह है तो छोटा सा मगर है बहुत मोटा..लंबाई है 5.5 इंच का मगर मोटाई इतनी कि मुट्ठी में ना आए....जिसकी वजह से दया उसकी दीवानी थी....
जेठालाल :- मुस्कुराते हुए...अच्छा ... तो फिर हाथ से क्यूँ हिला रही है मूह में ले इसे और चूस....
इतना सुनते ही दया जेठालाल का लंड चूसना शुरू कर देती है....ऐसे चूस्ति है कि जैसे कितने दिनो की भूखी हो....
जेठालाल :- आआआआआआआआआआआआआआआआआआअ ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ उउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ अहह दया कमाल कर रही है तू तो...मज़ा ही आअ गया....और चूस इसे....चूस्ति रह ...आहह......
तभी जेठालाल दया की तरफ देखता है...उसे देख के जेठालाल को पता चल जाता है कि दया की चूत में खल बलि मची हुई है.....वो फ़ौरन दया को बोलता है....
जेठालाल :- दया रुक....
दया :- क्यूँ क्या हुआ टप्पू के पापा..मज़ा नही आ रहा...
जेठालाल :- मज़ा तो आ रहा है....लेकिन अगर किसी और को भी मज़ा आए तब और ज़्यादा मज़ा आएगा....
दया :- मुस्कुराते हुए...समझ जाती है....
तभी जेठालाल दया को बोलता है कि तू मेरे उपर लेट के मेरा लंड चूस...और में तेरी चूत को चुसूंगा....मतलब 69 पोज़िशन..
दया उल्टी लेट जाती है और जेठालाल का लंड चूस्ति रहती है ... इतनी देर में जेठालाल दया की साड़ी और पेटिकोट उपर कर के उसकी पेंटी को नीचे खिसका देता है....और देखते ही उसकी आँखे फटी रह जाती है...
जेठालाल :- दया ये क्या...तेरी चूत तो इतनी गीली है कि बता नही सकता....आज से पहले इतनी गीली चूत नही देखी तेरी..इतना बोलते ही बस जेठालाल तो भूके भेड़िए की तरह उस पर चिपक जाता है....और उसे ज़ोर ज़ोर से चूस्ता रहता है....इस वक़्त दया सिर्फ़ छोटी छोटी आहह हुम्म कर रही थी क्यूँ कि उसके मूह में लंड था...मगर थोड़ी देर बाद जो जेठालाल ने किया उससे वो अपने आप को रोक नही पाई....
जेठालाल ने दया की चूत को दोनो हाथ से फैलाया और उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल के कस कस के चूसे जा रहा था....और इससे दया....
दया :- लंड मूह में से निकाल के.............अहह....
.........टॅप्यूवूऊवूऊवूऊयूयुयूवयू के पपपाााआआआआआआआआअ...... ..........ओह.ओउुुुुुुुुुुुुुुुुउउ
उईईईईईईईईईईईईईई..... ये क्या कर रहे हैं आप....अहह ओह्ह्ह....मर् गईइई में तो.....आअहहाआहह......
और इधर जेठालाल वैसे ही उसकी चूत को चाटे जा रहा था....अब दया भी अपनी आवाज़ दबाने के लिए उसका लंड चूसे जा रही थी....पर अचानक जेठालाल ने दया की चूत की क्लिट को ज़ोर से चूस डाला और दया....
दया :- टप्पुउुउउ के पपप्प्प्पाा में तो गईिईईईईईई.......
और दया सारा कामरस जेठालाल के मूह के अंदर विसरजित कर देती है....लेकिन जेठालाल का नही निकला था इसलिए....
जेठालाल :- दया जल्दी कर मुझसे अब रहा नही जा रहा....
और दया फटाफट चूस्ति रहती है...लेकिन अचानक...
टप्पू :- मम्मी मम्मी किधर हो तुम....मुझे मेरा वीडियो गेम नही मिल रहा है....
दया और जेठालाल टप्पू की आवाज़ सुन के घबरा जाते हैं...और दया जेठालाल का लंड छोड़ के खड़ी हो जाती है और जेठालाल अपने उपर चद्दर ओढ़ लेता है....
टप्पू :- कमरे में आते हुए...मम्मी कहाँ थी तुम...वो मेरा...
दया :- बीच में बात काटते हुए...हाँ बेटा तू चल में आ कर ढूंडती हूँ...और जेठालाल की तरफ अपनी चिडाने वाली स्माइल देके निकल जाती है...
जेठालाल :- गुस्से में बैठा हुआ...सोचता है...हे भगवान मेरी किस्मत तूने कौन से टाइम पे लिखी थी...कुछ नही मिलता मुझे...कम से कम रिलॅक्स तो होने देते...उसमे भी भंज़ी मार दी आपने....
और फिर अपना मूह लटकाए जेठालाल बाथरूम की ओर चला जाता है....
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
वैसे आर्थिक रूप से भिडे परिवार की हालत पूरी गोकुलधाम सोसायटी में सबसे कमजोर है, लेकिन जब पति-पत्नी की हेप्पी सेक्स-लाइफ की बात आये, तो उनके जितना सुखी कोई नही, फिर चाहे वो तारक-अंजली, दया-जेठा, रोशन एंड रोशन, हाथी-कोमल या अय्यर-बबिता हो. भिडे मास्टर ज्यादा लकी इसलिए भी है, क्योकि सोसायटी के अन्य मर्दों की तरह उसे ऑफिस, दुकान या गराज में नही जाना पड़ता. और दोपहर के टाइम पे, जब बच्चे स्कुल गए हो तो कोई ट्यूशन क्लासिस भी नही होते, इसलिए हर रोज- दोपहर १२ से शाम ५ तक, वो अपनी बीवी माधवी के साथ, रोमांस ही रोमांस करता है. चूँकि भिडे मास्टर अपनी बीवी की घर के कामो में बड़ी मदद करता है, इसलिए माधवी के दिल और चुत में उसके लिए एक खास जगह है. जितने चुद्दक्कड माधवी और भिडे है, उतने तो गली के आवारा कुत्ते भी नही. ज्यो ही मौका मिला, फट से चुदाई शुरू. लेकिन फिर, पूरा दिन मस्ती करने पर भी मास्टर का दिल नही भरता. रात को जेसे ही सोनू सो जाती है, माधवी-भिडे फिर से चालु हो जाते है. ऐसी ही एक रात का ये किस्सा है..
लोकेशन: मास्टर आत्माराम भिडे का बेडरूम
भिडे मास्टर अपनी मदमस्त वाइफ माधवी की जांघे और बोबे दबा रहा है. माधवी धीरे धीरे सिसकारिया ले भर रही है.
माधवीभाभी: अको बाई, बस अभी बहोत हो गयी बोबा-दबाई, अब ठुकाई का श्रीगणेश करो.
भिडे मास्टर: अरे माधवी ये क्या बेशिस्त बात कर रही हो?? अरे हमारे जमाने में जब हम चुदाई करते तो सबसे पहेले एक-घंटे ऐसे बोबे दबाई करके 'फॉर-प्ले' करते उसके बाद ही...
माधवीभाभी: आहो....अभी मेरे बदन में आग लगी है...चलो चढ़ो ना..जल्दी!!
भिडे मास्टर अपना कुर्ता उपर और पायजामा नीचे करता है, माधवी का गाउन उपर और पेंटी नीचे करता है.
बेडरूम की खिडकी से चांदनी रात प्रकाश, सीधे पलंग पे आ रहा है इसलिए रात के अँधेरे में भी, माधवी की अनुभवी-झांटेदार-रसीली और मादक खुश्बू वाली मराठी भोस साफ़ साफ़ दिख रही है. सोसायटी के बगीचे से आ रही चमेली के फूलो की भीनी भीनी मीठी मीठी खुश्बू और अंदर से माधवीभाभी की चुत की भीनी-भीनी-मीठी-मीठी, मानो पूरा बेडरूम कामरस से भर गया है, ८० साल का चंपक बुढ्ढा भी बिना वियाग्रा खाए टाईट हो जाए ऐसा माहोल है.
भिडे: देवा...शादी के २० साल होने को आये, लेकिन आज भी माधवी तुम्हे देखता हू तो लंड उतना ही फर्राटे से खड़ा हो जाता है, जितना सुहागरात के वक्त हुआ था.
भिडे तुरंत अपना सर माधवी की दो जांघों के बिच डाले के, तबियत से भोस-चटाई शुरू करता है.
माधवीभाभी: अब क्या...अरे मैंने आपको करने के लिए बोला और आप चाटने बेठ गए. अभी पूरा दिन जब मै आचार-पापड बना रही थी, तबभी मेरी साडी में घुसके आप यही कर रहे थे ना..अभी कितना चाटोगे.
भिडे: माधवी,तुम्हारी इस चुत की बात ही ऐसी है. बनानेवाले ने बड़े आराम से बनाई है, चाहे जितना भी इसे चुसू-चाटू मेरा मन ही नही भरता क्या करू??
माधवीभाभी: गप्पा बस..अबी एक सेंकड भी देरी किया न तो अभी के अभी मायके चली जाउंगी.
भिडे: नही नही...ऐसा गजब न करना.
भिडे माधवी की इच्छानुसार मिशनरी पोजिशन में माधवीभाभी पे सवार हो जाता है. माधवीभाभी की कामासक्त चुत पहेले से ही गीली और बेकरार है, भिडे का लंड बिना अवरोध के ठेठ अंदर चला जाता है जेसे मखन में छुरी. साथ ही साथ माधवी के मुंह से एक जबरजस्त फ्रेंच किस करके, अपने होठ, माधवी के होठों के साथ लोक कर देता है.
माधवीभाभी अपनी दोनों जांघे भिडे मास्टर की कमर के उपर भीड़ देती है, जेसे एनेंकोंडा किसी हिरन को दबोचता हो. और अपने दोनों हाथो से माधवीभाभी भिडे मास्टर के कुल्लो को पकड़के भिडे को धक्का देती है, ताकि वो और अंदर तक प्रवेश कर सके. दोनों जेसे जन्नत की सैर कर रहे है, ना ट्यूशन की फ़िक्र न आचार-पापड के ऑर्डर की..बस चुदाई में मग्न है मानो ये जिंदगी की आखरी रात हो.
फच्च-फच्च...कर के भिडे अंदर-बाहर धक्के मार रहा है. माधवी एक के बाद एक ऑर्गेजम में पानी छोड़ रही है, जिससे की धक्को की आवाज ओर बढ़ रही है..
फच्च-फच्च... साथ ही भिडे का 'उनके जमाने' का वो पुराना पलंग, जो की चूं-चूं आवाज कर रहा है.
फच्च-फच्च चूं-चूं
फच्च-फच्च चूं-चूं
फच्च-फच्च चूं-चूं
जेसे कोई erotic ओर्केस्ट्रा बज रहा हो....ऐसी रिधम में चुदाई चालु है.
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02-04-2021, 01:02 PM,
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
माधवीभाभी के पुरे बदन में एक मीठा सा दर्द हो रहा है, अंतिम क्षण के वो बेहद करीब है,.. माधवीने अपने दोनों हाथो के नाख़ून, भिडे-मास्टर की पीठ में शेरनी की तरह गडा दिए है. भिडे बिचारा ओरत पे चढा मर्द कम और शेरनी के पंजो में जकडा मेमना ज्यादा लगता है, क्योकि जब सेक्स की बात आती है तो माधवी एक सभ्य-ओरत में से भूखी शेरनी बन जाती है, जिसे रोकना मुश्किल है, जिसकी भूख मिटाए बिना उसके पंजो में से निकलना नामुम्किन है..
माधवीभाभी: हाय देवा....बस थोड़ी देर ओर.
भिडे: माधवी आई लव यु. मै तुम्हारा गुलाम हू, तुम जो बोलोगी वो मैं करूँगा, बिलकुल बंधन के सलमानखान की तरह.
माधवीभाभी: गुलाम आप मेरे तो मै दासी आपके चरणों की. (माधवी सामने से भिडे के होठों पे जबरजस्त फ्रेंच किस करती है)
बस अब दोनों ही चरमसीमा के करीब है. पति तो पुरे हिंदुस्तान के चढते है अपनी बीवियो पर, लेकिन बीवी भी सामने सेक्स में उतना ही इंटरेस्ट ले, ऐसा बहोत कम देखने को मिलता है, भिडे-माधवी भी ऐसे लकी-कपल्स में से एक है.
फच्च-फच्च चूं-चूं
फच्च-फच्च चूं-चूं
फच्च-फच्च चूं-चूं
अचानक .....
माधवीभाभी: हाय दैया.....
बस ये ही वो परम-सुख का क्षण है, अपनी जांघों और हाथो से माधवी एकदम जोर से वो भिडे को जकड लेती है, मानो प्राण ही निचोड़ के ले लेंगी. वो तो मास्टर रोज योग-प्राणायम करते है, इसलिए उनके फेंफडो में इतना दम है, बाकि कोई एरागेरा लौडा हो तो साँस भी न ले पाया, उतनी मजबूत पकड है माधवीभाभी की.
भिडे भी अपनी 'स्कूटर' टॉप-गियर में डालता है, धक्को की स्पीड सुपर फास्ट करता है...और अचानक ही, उसी क्षण स्खलित होता है, जब माधवी झड रही होती है. जेसे सो-मीटर की रेस जित के धावक मैदान पे एक्जोस्ट होके लेट जाता है, मास्टर भी माधवी की छाती पे सर रख के हांफने लगते है, सो जाते है. माधवी उनके सर में ऊँगलीया फेरती है, कंधो को सराहती है, जेसे माँ अपने नवजात शिशु को सुला रही हो, क्योकि वो अब भूखी शेरनी में से वापस एक तृप्त ओरत बन गयी.
और इस तरह एकबार फिर, माधवी और भिडे, खुद भी संतुष्ट होते है, और अपने पार्टनर को भी संतुष्ट करते है. उन्होंने जो किया वो सेक्स नही था, क्योकि 'सेक्स' शब्द का मतलब बड़ा स्थूल है. सेक्स माने लंड का चुत में प्रवेश.
लेकिन जो माधवी और भिडे ने किया, वो सेक्स नही, सम्भोग है: कामशास्त्र में 'सम्भोग' की व्याख्या दी गयी है, सम्भोग माने दोनों साथियो को समान रूप से मिला भोग या आनंद.
इधर माधवी-भिडे के मिलाप समाप्त होता है, उधर गोकुलधाम सोसायटी में दो लोंडे ऐसे भी है, जिनके नसीब में मुठ और केवल मुठ मारना ही लिखा है.
उन दो डेढ़-सयानो में से एक है पत्रकार पोपट लाल, और दूसरे चम्पकलाल.
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दोस्तो इनके बारे में फिर कभी बताउन्गा तब तक इधर देख लेते हैं क्या खिचड़ी पक रही है
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02-04-2021, 01:03 PM,
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
नटु-काका: सेठजी आप मेरी पगार कब बढाने वाले हे?
जेठालाल : जब बबिताजी मुझे चुदाई का मौका देंगी!
नटु-काका: इसका मतलब इस जन्म में तो मेरी पगार बढने से रही!!
"रविवार दोपहर की बात हे, जेठालाल और भिडे, अब्दुल की बंध दुकान के बाहर बैठकर डींगे हांक रहे हे.."
मास्टर भिडे: अरे जेठालाल! हमारे जमाने में मै जब मुठ मारता तो आधे घंटे तक जड़ता नही था!
जेठालाल: जा जा फेंकू! अरे जब मै अपने जमाने में मुठ मारता था तो एक घंटे तक नही जड़ता था!
मास्टर भिडे: तो फिर लगी शरत? चलो अभी उपर छत पे जाके मुठ मारे और फेसला हो जाएगा!
जेठालाल: हाँ लेकिन हमे कोई रेफरी भी चाहिए!, एक काम करता हू मै महेता-साहब को बुलाके लाता हू.
मास्टर भिडे: नही वो तो तुम्हारा दोस्त हे..फिर तो मै भी सोढ़ी को बुलाके लाता हू..फिर दो अम्पायर से ही फेसला करवाएंगे!
जेठालाल: लेकिन सोढ़ी तो तुम्हारा भी पक्का दोस्त हे!
मास्टर भिडे: तो फिर चम्पक चाचाजी को ही बुला लेते हे! वो किसी की भी तरफदारी नही करेंगे!
जेठालाल: अरे भाई मरवाओगे क्या? बापूजी के डर से तो मेरी पुप्ली टाईट भी नही होती तो मुठ केसे मारूंगा??
मास्टर भिडे: तो ठीक हे डॉ. हाथी को ले लेते हे?
जेठालाल: नही वो तो छत पर धीरे धीरे चढेंगे तब तक सुबह से शाम हो जाएगी!
मास्टर भिडे: अब्दुल?
जेठालाल: हाँ ठीक हे..अब्दुल,महेता-साहब और सोढ़ी ..ये तीन हमारे अम्पायर रहेंगे.
जेठा और भिडे, तीनों लोगो को फोन करके छत पे बुलाते हे..
सोढ़ी: ओ भिडू! हमको उपर क्यों बुलाया?
भिडे: देखो ना सोढ़ी ये जेठालाल शेखी मार रहा हे की वो मुठ मारके एक घंटे तक नही जड़ता! तो फिर हमने शर्त रखी हे और तुमको रेफरी की भूमिका अदा करनी हे.
सोढ़ी: ओय तुम दोनों इधर मुठ मारके मजा करो और मै देखू? ओ बेवकूफ समजा हे क्या? ओ में भी इस स्पर्धा में शामिल होना चाहता हू!
(बेकग्राउण्ड म्यूजिक...ओ पापाजी..ओ पापाजी..)
"अब ये लोग मिलकर ये तय करते हे की तीनों (जेठा,भिडे और सोढ़ी) एकसाथ मुठ मारेंगे और महेता अपने मोबाईल की स्टॉप-वोच के जरिये देखेंगे की कोन सबसे अंत में जडता हे? और जो सबसे अंत में झड़ेगा, उसको बाकि के दोनों हारे हुए स्पर्धक एक महीने तक मुफ्त में सोडा पिलाएँगे!
किन्ही कारणों से अब्दुल अभी तक नही आया, इसलिए, उसके बगेर ही मुठ-बाजी स्पर्धा चालु हुयी!"
महेता: रेडी!!??? वन...टू..थ्री...एंड स्टार्ट!!
तीनों स्पर्धक बड़ी कुशलता से मुठ मार रहे हे, और
सोढ़ी (मुठ मारते हुए): बल्ले..बल्ले..वाहू..
कुछ ३-४ मिनट पश्च्यात:
सोढ़ी: आह मै तो झड़ने की कगार पे हू...अरे हाय रब्बा मै तो गया....
(सोढ़ी की पिचकारी छूट जाती हे!)
महेता: सोढ़ी तुम आउट हो गए!
सोढ़ी: ओ यार मेरा तो बेडलक ही खराब हे.
"अब केवल भिडे व् जेठा के बिच में स्पर्धा...
कुछ १०-१२ मिनट के बाद:"
भिडे: आईई....आह मेरा लौडा इतना बे-शिस्त क्यों हो गया..में भी जड़ने वाला हू..अरे में तो गया...
(भिडे की बंदूक भी फायर कर जाती हे!)
महेता: भिडे तुम भी आउट हो गए! इसका मतलब जेठालाल विजेता हे!
भिडे: एक मिनट महेता साहब! जेठालाल ने कहा था की वो एक घंटे तक नही झड़ता इसलिए, अभी पिक्चर बाकी हे...उसे विजेता घोषित होने के लिए, एक घंटे तक बिना झडे मुठ मारनी होगी!
जेठालाल (मुठ मारते हुए): अरे एक घंटा तो क्या मै एक दिन तक ऐसे ही मुठ मार सकता हू!
कुछ ३० मिनट बाद:
जेठा का ६१-६२ अभी भी चालु ही हे, क्योकि वो मन ही मन सुन्दरलाल के बारे में सोच रहा हे इसलिए वह मानसिक रूप से सेक्स के लिए जरा भी उत्सुक नही हे, अत: झड़ने का तो सवाल ही पैदा नही होता! अब उसने आँखे भी बंध कर ली हे ताकि बिना रुकावट के अपना काम चालु रख सके.
भिडे को एहसास हो जाता हे, की जेठालाल का विजेता होना अब निश्चित हे! अत: वो एक खुराफाती तरकीब लगाता हे.. दौडकर निचे जाता हे और गोकुलधाम सोसायटी के सभी सदस्यों को बुला चुप चाप छत पे लाता हे! सब के होश उड़ जाते हे की जेठालाल आधी पेंट नीचे उतारे हुए, आखें बंध किये मुठ मार रहा हे!
दया से बिलकुल रहा नही जाता और ...
दया: हे माँ...माताजी! टप्पू के पापा ये आप क्या कर रहे हे??
जेठालाल (भोचक्का रहे जाता हे): अरे दया तुम?
दया: आप ये कर रहे हे यंहा पे? अरे अमदावाद में मेरी माँ को पता चलेगा तो वो क्या सोचेगी? की उनके जमाई-राजा रात को बेडरूम में बीवी चुदाई के बदले दिन-दहाड़े छत पे मुठ मारते हे?
जेठालाल : अरे ये तो वो भिडे...
चम्पकलाल: शूऊऊ....चुप कर जेठिया बबुचक! तुने तो आज मुझे शर्म से पानी पानी कर दिया. एक बच्चे का बाप हुआ तो भी अक्ल नही आई तुजमे! अब में भचाऊ में सब लोगो को क्या मुंह दिखाऊंगा?
जेठालाल : अरे ये तो वो भिडे... अरे महेता साहब आप कुछ बोलते क्यों नही??
महेता साहब: अब क्या बोलू जेठालाल ??
अंजली: तारक आप यहा क्या कर रहे थे?
महेता साहब(मन में सोचते हे): अगर इनलोगों को पता चल गया की मै यहा मुठबाजी स्पर्धा में निर्णायक बना था तो मेरी भी फजीहत हो जाएगी, इसलिए कोई बहाना बनाता हू..
महेता साहब (अंजली से): ये सब तुम्हारी गलती हे अंजली! एक तो तुम ठीक से कुछ खाना बनाके खिलाती नही मुझे! तो में बोर हो रहा था, तो छत पे घूमने आया था! और देखा की जेठालाल यंहां ये गंदी हरकत कर रहे हे तो में बस यहा उसको रोकने ही वाला था की आप लोग आ गए.!!
जेठालाल: ये क्या.... दोस्त दोस्त ना रहा..
रोशन (बीवी): ऐ रोशन टू इधर क्या करता हे बावा?
रोशनसिंह (वो भी जूठ बोलता हे): ओ मेरी सोणिये! ओ मै तो इधर बस फोन का सिग्नल नही आ रहा था इसलिए आया था..
रोशन (बीवी): टू घरे आवनि ...में टेरे को सबक सिखाती हू! टू पक्का इधर पार्टी-शार्टी का पोग्राम बनाने आया होगा!
बबिताजी: जेठाजी ये.... इट इज सो डिस्गस्टिंग! आई कैंट बिलीव यु वेर डूइंग धिस डर्टी थिंग हियर!
जेठालाल ( वैसे अंग्रेजी समज नही आती हे): अरे नही बबिताजी आप मुझे गलत समज रहे हे.. वो तो में ये भिडे ने ......
अय्यर: रहेने दो बबिता..ये जेठालाल में तो कुछ मैनर्स हे ही नही..चलो हम घर चलते हे.
जेठालाल: अरे अय्यर भाई मुझे बोलने का मोका तो दीजिए... ये भिडे ने मेरे साथ शर्त लगाई थी की कोन देर से झड़ता हे और ...ये खुद अभी यहाँ मुठ मार रहा था..देखो उसकी वीर्य की पिचकारी वो वंहा पड़ी..
जेठालाल छत की फर्श की और ऊँगली करता हे लेकिन दोपहर की गर्मी में भिडे का गिरा हुआ वीर्य तो कब का सुख चूका था वहा कोई नामोनिशान नही था!
भिडे: जेठालाल तुम गलती करते हुए पकड़े गए, अब बहाने बना रहे हो. अरे भाई तुम यहा पे एसी गंदी हरकते करते हो, कंही बच्चो ने देख लिया तो उनपर क्या असर पडेगा? अपनी उम्र का लिहाज करो और कुछ शिस्त से वर्तन करो, वरना सोसायटी के एकमेव सेक्रेटरी की हेसियत से मुझे तुम्हे दंडित करना होगा!
पोपटलाल: अरे मेतो कहता हु इस जेठालालका यहाँ रहना कैन्सल कर देना चाहिए....
अय्यर: तुम ठीक कह रहे हो पोपटलाल....
जेठालाल(अय्यर ओर पोपटलालकी ओर गुस्सेसे देखते हुए मनमे): चापलिचंपा....
भिड़े(मनमे): अरे देवा, येतो सचमे जेठालाल को सोसाइटी से निकाल देंगे....
भिड़े(मेहता साहब के कानमे): मेहता साहब कुछ कीजिये नहीतर ये लोग जेठालाल को सोसाइटी से निकाल देंगे....
मेहता साहब(भिड़ेसे): रुको में कुछ करता हु....
मेहता साहब(बाजी सँभालते हुए): नहीं पोपटलाल, तुम्हारी ये बात उचित नहीं हे इसमें गलती जेठालालकी हे उसकी सजा उसके पुरे परिवार को तो नहीं दे सकते.. नहीं नहीं ये बिलकुल गलत हे....
अय्यर: में क्या कहता हु मेहता साहब इस जेठालाल की मुछ मुंडवा दो....
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desiaks
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
जेठालाल यह सुनकर हिल जाता हे और मेहता साहबको खुदको बचाने का इशारा करता हे और मेहता साहब उसे शांत रहनेका इशारा करते हे....
मेहता साहब(फिरसे बाजी सँभालते हुए): अरे क्या अय्यर तुमभी, मानाकी जेठालाल से गलती हुए हे लिकिन इसका मतलब येतो नहीं के उसकी मुछ ही मुंडवा दी जाये....
चंपकलाल: नहीं मेहता, अय्यर ठीक कह रहा हे इस बबुचकने काम ही एसा किया हे की इसे मुछे रखनेका कोए अधिकार नहीं, इसकी मुछे मुंडवा दो और जबतक इसे इसकी गलती का एहसास ना हो तब तक ये अपनी मुछे नहीं बढ़ाएगा और पूरी सोसाइटीका कचरा भी साफ करेगा यही इसकी गलती की सजा हे....
जेठालाल: लेकिन बाबूजी मेरी बात तो....
बाबूजी: शूऊऊ.... तुमने गलती की हे तो इसकी सजातो तुम्हे भुग्तनिही पड़ेगी.... चलो चलो अब सब लोग अपने घर जाओ, और तूभी चल बबुचक....
सभी लोग जेठालाल की ओर गुस्सेसे देखते हुए घर जाते हे इस मोकेका फायदा उठाकर मेहता साहब, भिड़े और सोढ़ी जेठालालसे बचकर चुपकेसे निकल जाते हे ताकि उन्हें जेठालालका सामना ना करना पड़े........
जेठालाल जेसेही टेरेस परसे निचे आता हे के तभी
चंपकलाल(गुस्सेमें): येले ज़ादू आज तू पूरी सोसाइटीका कचरा साफ करने के बाद ही घर आएगा समजा बबुचक कहीका.... अब जल्दी से ये ज़ादू उठा......
जेठालाल(डरते हुए): जी बाबूजी......
जेठालाल(मनमे): आजका तो दिन ही ख़राब हे नाही में भिड़े से शरत लगता ओर ना ये सब होता.....
चंपकलाल: चल अब ज़ादू उठा..........
जेठालाल: हा हा उठाताहू बाबूजी.........
जेठालाल ज़ादू लेकर पूरी सोसाइटीका कचरा साफ करता हे, कचरा साफ करने के बाद अपने घर जाता हे ओर दरवाजा ख़त-खटाता हे....
जेठालाल: दया दरवाजा खोल मुझे भूख लगी हे......
दया: नही में दरवाजा नही खोल सकती.....
जेठालाल: पर क्यों????
दया: बाबूजीने मना किया हे, उन्होंने कहाथा की जब टप्पूके पापा आये तो दरवाजा मत खोलना.....
जेठालाल जोर जोर से दरवाजा ख़त-खटते हे की तभी बाबूजी बहार आते हे...
चंपकलाल: ये क्याहे जेठ्या???? यु पागलोकी तरह दरवाजा क्यों ख़त-खता रहा हे??????
जेठालाल: देखयेना बाबूजी ये दयाने दरवाजा उन्दर से बंध कर दिया हे ओर खोलभी नही रही हे.....
चंपकलाल: मेने ही बहुको एसा करने को कहा हे........
जेठालाल: पर क्यों बाबूजी?????
चंपकलाल: क्योंकी आज तुने जो किया इसके लिए तुम्हे खाना नही मिलेगा ओर आज तू बहार ही सोयेगा वोभी भूखे पेट, खा-खा के फाफदा- जलेबी जेसा हो गया हे, बबुचक कहीका........
जेठालाल: पर बाबूजी......
चंपकलाल: शूऊऊ.......
बिचारे जेठालालको भूखे पेट सोसाइटीके क्लबहाउसमें सोना पड़ता हे जहा उसे मच्छर काटते रहते हे....
जेठालाल: आज उस भिड़ेके वजह से मुझे भूखे पेट सोसाइटी के क्लबहाउसमें सोना पद रहाहे उस भिड़े को तो में एसा सबक सिखाउगा की मुझे जिन्दगी भर नही भूलेगा....
दुसरे दिन सुबह जब जेठालाल उठाता हे तो चोंक जाता हे, पूरी सोसाइटीके लोग सुबह सुबह क्लबहाउसमें खड़े होते हे....
जेठालाल: आप सब लोग यहाँ???? और इतनी सुबहे सुबहे क्लबहाउसमें क्या कर रहे हे????
रोशनसिंह: ओये जेठालाल तुम्हारे लिए एक सरप्राइस हे........
जेठालाल: सरप्राइस??? मेरे लिए?? क्या हे क्या????
चम्पकलाल: आ भाई अन्दर आजा......
तभी एक आदमी ठेला लेके क्लबहाउसमें दाखिल होता हे.....
चम्पकलाल: येही हे वो आदमी चल अब जल्दीसे काम पे लग जा.......
जेठालाल: बाबूजी कोन हे ये आदमी?? और क्या काम करने आया हे????
तभी वो आदमी अपने ठेलेमेसे उस्तरा निकलता हे......
रोशनसिंह: जेठालाल ये नाई हे और ये तेरी मुछे मुंडने आया हे.......
जेठालाल(डरके मारे): क्या???????????????????
रोशनसिंह: ओये हा....... चल अब तैयार होजा मुछे मुंडवाने के लिए.......
जेठालाल: नहीं बाबूजी में मुछ नहीं मुंडवाउंगा....
चम्पकलाल: तुम्हे मुछ मुंडवानिही पड़ेंगी.... देखताहू तू केसे मुछ नहीं मुंडवाता अरे तुजे तो क्या तेरे बाप को भी मुछे मुन्दानी पड़ेगी.....
रोशनसिंह: पर चाचाजी आपकोतो मुछे हेही नहीं, तो आप क्या मुंडवाओगे?????
जेठालाल: अरे चुप करना भाई तुभी क्या इस टाइम मजाक कर रहा हे...
रोशनसिंह: ओये सॉरी जेठालाल.....
जेठालाल: और बाबूजी आपने मेरी गलतिकी सजा कल देदिथी.... अब ये क्या हे??.
चम्पकलाल: मुछे तो तुझे मुंडवानिही पड़ेगी..(नाईसे)चल भाई ऐ काम पे लग जा......
नाईको अपने पास आते देख जेठालाल भागने लगता हे.... के तभी सोढ़ी उसे पकड़ लेता हे.... जेठालाल सोढ़ी को छोड़ने के विनती करता हे पर सोढ़ी उसे नहीं छोड़ता.... जेठालाल जोरजोरसे उसकी मुछे ना मुंडवाने के लिए चिल्लाता हे के तभी....
उसकी आँखे खुल जाती हे.... और उसे पता चलता हे के वो एक सपना देखा रहा था....
दया: क्या हुआ तप्पुके पापा???? कोई बुरा सपना देख लिया क्या???
जेठालाल: हा दया, बुरा नहीं बहुत ही खोफ्नाक सपना था.....
दया: क्या..... एसा आपने क्या देखा सपनेमे???
जेठालाल दया को सपनेकी सारी बाते बता देता हे....
दया: आहाहाहा... क्या तप्पुके पापा आपभी ऐसे सपनेसे डर गये???? इसीलिए में आपसे रोज कहतीहु की आप रोज मेरी जम्म्मम्म के चुदाय करे ताकि आपको एसे सपने ना आये पर आप हेकी मेरी बात मानतेही नहीं... मेरी माँ क्या कहती हे की रोज रातको गांड मरानेसे और चुदाय करने से नींद अच्छी आती हे और पति-पत्निमे प्यार भी बढ़ता हे....
जेठालाल: चलना ऐ चापलि अपना काम करना.... आ गई सुबहे सुबहे गांड मरवाने.... और तुम्हारी माँ से कहना अगर इतनीही अच्छी नींद चाहिए तो अपने बेटे सुन्दर से गांड मरवा ले जिससे उन्हें नींद भी अच्छी आयेगी और माँ-बेटेका प्यार भी बढेगा.... समजी नॉन-सेन्स....
दया(गभराकर): हा हा समज गयी.... अब आप जल्दीसे उठके नहा लीजिये में आपके लिए चाय और नास्ता बनादेती हु...
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सुबहके 11:00 बजे रहे थे.
दया: हेल्लो?? हा बोलिए अंजलिभाभी, कुछ काम था???
अंजलि: नहीं वो जो आपने कल मेथीके ठेपले बनाकर मेरे घर भिजवाए थे इसीके लिए आपको थैंक्स कहना था.....
दया: अरे नहीं नहीं उसमे थैंक्स की क्या बात हे.... वो तो मेने एसेही टप्पूके पापाके लिए बनाये थे तो सोचा मेहतासाहब कोभी देदु.... इसी लिए भेज दिए....
अंजलि(टीवीकी चैनल बदलते बदलते): फिरभी थैंक्स...
दया: अरे कोई बात नहीं....
अंजलिभाभी टीवीकी चैनल बदल रही थीकि तभी टीवी में दो लडकियोंका किस्सिंग सीन आ रहा था... यह देखके अंजलिभाभिको मस्ती सूजी...
अंजलि: दयाभाभी में क्या कहती हु क्यूना आज दोपहरको किटीपार्टी रखे?????
दया: आज दोपहरको??? थिक हे वेसे भी आज मेरा काम जल्दी ख़तम हो गया हे.....
अंजलि: और हा दयाभाभी आजकी पार्टी कोई एसी-वेसी पार्टी नहीं होगी, आज हम लेस्बियन पार्टी करेंगे...
दया (आश्चार्यसे): लेबीबियन पार्टी?? वो क्या होती हे अंजलिभाभी??
अंजलि (हसते हुये): दयाभाभी लेबीबियन नही लेस्बियन पार्टी, यह एक एसी पार्टी हे जहा दो या उससे ज्यादा ओरते एक दुसरे के साथ चुदाय करते हे उन्हें सेक्स-सेटिसफेक्सन देतीहे... तो क्या ख्याल हे आपका आज कुछ नयी अलग तरहकी और मजेदार पार्टी की जाये???
दया(एक दम खुश होकर): सचमे?? अंजलिभाभी आपने क्या आईडिया दिया हे हम जरुर करेंगे यह लेबीबियन पार्टी.... आज दोपहर दो बजे आप मेरे घर आजायेगा हम मेरे घरपे जरूर यह अलग और मजेदार पार्टी करेंगे...
अंजलि: में जल्दी से अपना सारा काम ख़तम कर देती हु... और क्यों न हम सोसाइटी की दूसरी ओरतोको भी इस पार्टी में बुलाये....
दया (उत्साह में): हा हा क्यों नहीं अंजलीभाभी येभी कोई पूछने की बात हे हम लोग जितने ज्यादा होंगे पार्टीका मजा भी उतनाही आयेगा… (और फिर जोरसे अपनी स्टाईल में हँसती हे)... में भिदेबेन और बबिताजी को फ़ोन कर देती हु आप कोमलभाभी और रोशनभाभी को फ़ोन कर दीजिये.....
अंजलि: थिक हे में कर देती हु... ओके बाय मिलते हे आज दोपहर को...
दया: हा हा मेरे घर ठीक 2:00 बजे आ जायएगा... थिक हे बाईईई....
जेसेही दयाभाभी फ़ोन रखती हे की तभी बाबूजी घरमे दाखिल होते हे...
दया(मनमे): अरे बापरे में तो बाबूजी के बारेमे तो भूल ही गयी अब क्या होगा??
बाबूजी: बहु, क्या हुआ क्या सोच रही हे???
दया: कुछ नहीं बाबूजी... आईये आप खाना खा लीजिये...
बाबूजी: हा थिक हे....
बाबूजी खाना खानेकेबाद टीवी देखने लगते हे, के तभी फ़ोनकी घंटी बजती हे, बाबूजी फ़ोन उठाते हे
बाबूजी: हेल्लो, हा बोल मनिया, क्या?? आज?? थिक हे थिक हे में थोड़ी देर में आता हु, (दयासे)बहु में अपने दोस्तोके साथ कामसे बहार जा रहाहू तुम घरका ध्यान रखना...
और हा मुझे आते आते शाम हो जाएगी ईसी लिए जेठीयाको बता देना, मेरी चिंता मत करना और खाना खा लेना में बहार सेही खाना खाके आऊंगा .....
दया(मनमे खुश होते हुआ): जी बाबूजी.... आप आरामसे जाईये और घरकी चिंता मत करीये यहाँ पे मेंहु में घरका और सबका अच्छेसे ध्यान रखुँगी, आप आरामसे घुमके आईये...
बादमे बाबूजी तेयार होकर अपने दोस्तोंके साथ निकल जाते हे....
दया(अपनेआपसे): हाश... अच्छा हुआके बाबूजीको कुछ कामसे बहार जाना पड़ा वर्ना हमारी कटती पार्टी होही नहीं पाती.... चलो चलो बहुत सारा काम करना हे पहले में अच्छी तरह नहाकर अपनी चूत और गांड बराबर धो लेती हु बादमे सबके लिए गरमा-गरम नास्ता बना देती हु... फिर बबिताजिने जो ड्रेस दिया थावो पहन लेती हु साडीमें लेबीबियनपार्टी करनेका मजा नहीं आएगा....
फिर दयाभाभी मुस्कुराके गाना गाती हुई बाथरूम में चली जाती हे...
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RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
दोपहरके 2:00 बज रहे हे.... दयाके घर बेल बजती हे... दया दरवाजा खोलती हे...
दया: आईये आईये अंजलिभाभी... बेठिये...
अंजलि: अरे वाह दयाभाभी आप तो इस ड्रेस में एक दम सुन्दर लग रही हे.......
दया: अरे वो तो बबिताजीने मुझे गिफ्ट दिया था.. सोचा साडीमें लेबीबियन पार्टी करने का मजा नहीं आएगा इसी लिए यह पहन लिया....
अंजली: क्या बात हे दयाभाभी, आजतो आपने बराबर तेयारी कर लीहे पार्टी का लुफ्त उठानेकी....
दया(शरमाते हुए): आहा हा हा, सही कहा आपने....
अंजलि: अरे हा दयाभाभी, वो कोमलभाभी और रोशनभाभी किटी पार्टी में नहीं आ रहे हे, उनको कुछ कामसे बहार जाना हे.....
दया(निराश होते हुए): क्या?? ओहोओ... अगर वो लोगभी यहाँ आते तो कितना मजजजा आता...... (खुश हो कर) खेर कोई बात नहीं... मेने भिदेबेन और बबिताजिको फ़ोन कर दिया हे वो आतेही होंगे....
बबिता और माधवी(साथमे): आते नही होंगे?? आ गई हे......
दया: आहा हा हा हा, आईये आईये हम आपकाही इंतेजार कर रहे थे बेठिये में आप लोगो लिए चाय-नास्ता लेके आती हु...
बबिता: वाव, दयाभाभी यु लुकिंग सो ब्यूटीफूल इन धीस ड्रेस... इट्स रियली सुट्स ओन यु...
माधवी: हा दयाभाभी आपपे ये ड्रेस बहुत जच रहा हे कहा से लिया आपने मुझेभी ऐसा ही एक ड्रैस खरीदना हे...?
दया(शरमाते हुए): थेंक यू भिडेबेन-बबिताजी... (निराश होते हुए) और भिडेबेन ये ड्रैस मुझे बबिताजी ने गिफ्ट में दी थी तो मुझे दुकान के बारे में पता नही हे सोरररी...
बबिता: माधवीभाभी आप बेफिकर रहिये में आपको शॉप ले जाउंगी आपको जो चाहिए वो ड्रैस ले लेना...
अंजलि: मुझेभी चलूंगी आपके साथ और एक-दो ड्रैस सिलेक्ट कर लुंगी...
बबिता: स्योर अंजलीभाभी, दयाभाभी आपभी चलियेगा हमारे साथ, हम सभी गोकुलधामकी औरते साथही जाएंगे...
दया(खुश हो कर): हा हा क्यों नही बबजिता में जरूर आउंगी, आप लोग बेठिये में नास्ता लेके आती हु बाद में हम लोग स्टार्ट करते अपनी (शरमाते हुए) पार्टी...
सभी एक साथमे(खुश हो कर): ओहॊऒऒओ दयाभाभीको बहुत जल्दी हे.....
दया(शरमाते हुए): आहा हा हा, क्या आप लोगभी…
इतना कह कर दयाभाभी हँसते हुए किचनमें भाग जाती हे...
सभी लोग थोडा नास्ता करने के बाद दयाभाभीके रूम में जाते हे... दयाभाभी और माधवीभाभी एक दुसरे का चेहरा देख रही हे....
बबिता: क्या हुआ??? आप लोग एक दुसरे को ऐसे क्या देख रहे हो????
दया: बबिताजी हमें कुछ समजमे ही नहीं आ रहा हे के कहासे शुरू करते हे???
माधवी: हाआ..... हम यह पहली बार कर रहे हे इसी लिए हमें नहीं पता आप जरा समजा देंगी तो.....
बबिता: अरे माधवीभाभी उसमे क्या हे, देखिये सबसे पहले शरुआत किसिंग से होती हे.... बादमे हम किस करते करते एक दुसरेक कपडे निकालेंगे उसके बाद हम एक दुसरेकी चुत और गांड चाटेंगे.... और ये देखिये में कुछ खिलोनेभी यहाँ लायी हु.....
दया(आश्चार्यसे): खिलोने??? केसे खिलोने??? बबिताजी हम क्या पार्टीमें घर-घर खेलेंगे???
अंजलि: अरे नहीं दयाभाभी वेसे खिलोने नहीं, चुतमे डालने वाले खिलोने जो एक तरह से लंडका काम करते हे....
दया: ओह्ह....
बबिता: ये देखिये दयाभाभी......
दया: अरे वाह येतो एक दम लंडकी तरहही लग रहाहे..... आज तो मजा आ जायेगा..... आहा हा हा हा......
बबिता: तो फिर सबसे पहले में और अंजलीभाभी सुरु करते हे बादमे आपभी वैसेही करना जेसे हमने किया......
बबिता और अंजलि एक दुसरेके होठ से होठचिपका के एक दुसरे को किस करते हे... साथ ही साथ एक दुसरे के बूब्स कोभी दबाती हे... धीरे धीरे वह एक दुसरे के कपडे निकालने लगते हे.... बबिताअंजलिका पूरा ड्रेस निकल देती हे ठीक उसी तरह अंजलीभी बबिताकी टी-शर्ट और जींस निकल देती हे... बबिताकी बॉडी देखके दयाभाभी उन्हें देखतीही रह जाती हे.... बबिताने जी- स्ट्रिंग ब्रा और पेंटी पहने थे जिससे उनके बूब्स और गांडके उभार साफ साफ दिख रहे थे....
दया: वाह बबिताजी क्या बॉडी हे आपकी... और उसपे यह छोटीसी पेंटी आपके उभारको निखार रही हे.... तभी में सोचु टप्पूके पापा आप्पे इतने मरते क्यों हे....
बबिता: ओह दयाभाभी थँक्स.... यु आर सो स्वीट.... और हा इसे जी-स्ट्रिंग ब्रा-पेंटी कहते हे....
माधवी: बबिताजी आप एसी ब्रा और पेंटी पहनके अय्यरभाईके सामने जाते होंगे तो उनकातोएसेही छुट जाता होगा....????
बबिता: हा एसा होता लेकिन में अय्यरके सामने एसे कपडोमे नहीं जाती.... (मनमे) एसे कपडोमे मुझे देखने का हक़ सिर्फ जेठालालको हे...
अंजलि: एसा क्यों भला????
बबिता: अय्यरको एसे कपडे पसंद नहीं....
दया: अय्यरभाई एक नंबर के बुद्धु हे जो एसे कपडे पसंद नहीं करते वो भी बबिताजिकी बॉडी पर.....
बबिता: सही कहा आपने....
दया: बबिताजी मेरे लिए भी इसी एक ब्रा-कच्छी मंगवा दीजियेगा....
बबिता(दयाभाभीको छेड़ते हुए): ओहॊऒओ लगता हे इसे पहनकर आप जेथाजीको सरप्राइज देना चाहती हे....
दया(शरमाते हुए): आहा हा हा हा... सही कहा आपने....
बबिता: स्योर, दयाभाभी में आपके लिए जरूर ले आउंगी....
फिर दया भी खुश होके माधविको होठो पे किस करने लगती हे और उनके बूब्स दबाती हे.... धीरे धीरे वह भी एक दुसरेके कपडे निकाल देते हे.... फिर अंजलि बबिताकी पेंटी उतारती... बबिताने अपने ज़ातोको काटके दिल शेप दिया था वह देख कर अंजलि और भी कामुक हो जाती हे... बाद में बबिता अंजलीकी पेंटी उतारती हे.... अंजलीकी चुत एकदम चिकनी थी यह देखके बबिता बिना कोई देरी किये उसे चाटने लगती हे.....
उसे देख दयाभी माधविकी पेंटी उतार देती हे.... जेसेही वह माधविकी पेंटी उतरती हे की उनकी चुत देखके दया छक हो जाती हे.... माधविके चुत पे सिर्फ बाल ही बाल थे....
दया: अरे ये क्या माधवीभाभी आप अपनी चुतके बाल नहीं निकालते??? ये देखो कितने बड़े हो गये हे.... मेरी माँ कहती हे हमें हर दो या तीन हफ्तोमे अपनी
चुतके बाल निकाल देने चाहिए नहितर चुतकि सुंदरता घट जाती हे.... और पतियोको उसे चोडनेमे मजा नहीं आता....
माधवी: हा दयाभाभी मुझे पता हे पर क्या हे सोनुके पापा ही हर बार मेरे बाल निकलते हे.... पर क्या हे बच्चोकी परीक्षा आ रही हे इसी लिए उनके पास टाइम ही नहीं हे....
दया: ओह होओओओ.... मतलब भिड़ेभाई आचार-पापड़की डिलीवरीके अलावा यह काम भी करतेहे..... आहा हा हा हा.....
माधवी शरमा जाती हे... फिर धीरे धीरे दया और माधवी बबिता और अन्जलिकी तराह एक दुसरेके साथ सेक्स करते हे..... बबिता दया और माधविको दिल्डोसे केसे खेलते हे वहभी सिखाती हे.... यह सब लगभग 1:30 घंटे तक चलताहे बादमे वो सभी एक दुसरेके साथ नंगिही सो जाती हे....
1:00 घंटे बाद.... सभी ओरते जागती हे और फ्रेश होकर सोफे पर बैठते हे.... दया सबके लिए चाय नास्ता लेकर आती हे....
दया(चाय पीटे हुए): आज तो मज्ज्जा आगया.... मेने आज तक इसी चुदाय नहीं की थी.... अंजलीभाभी आपका बहोत बहोत शुक्रिया जो आपने हमें एसा आईडिया दिया.... थेंक यु....
माधवी: हा सही कहा आपने दयाभाभी....
बबिता: थेंक यु सो मच अंजलिभाभी.....
अंजली: अरे नहीं नहीं इसमें थेंक यु की क्या बात हे.... मुझे आईडिया सुजा तो मेने कह दिया......
बबिता: अगली बार हम सब मेरे घर पर ये पार्टी करेंगे....
दया: हा हा क्यों नहीं..... और उस दिन हम रोशनभाभी और कोमलभाभी को भी बुलाएँगे.... फिरतो ओरभी मज्ज्जा आ जायेगा..... आहा हा हा हा हा.......
माधवी: हा हा जरुर......
बाद में सभी ओरते अपने आपने घर चले जाते हे....
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