Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
11-11-2020, 01:10 PM,
#51
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
सतीश दिन भर कोशिश करता रहा था के मम्मी को अकेले में मिल सके मगर उसे मौका नहीं मिला. उसने मम्मी की तरफ देखा सानिया का पांव आज भी किसी धुन में फर्श पर टैपिंग कर रहा था मगर वह नहीं जनता था वो धून ख़ुशी की थी या फिर ग़ुस्से की. अचानक सानिया अपनी दायि टांग निचे फर्श अपर लटका देती है और बायीं तांग ऊपर रख लेती है. सानिया जो मैगज़ीन पढ़ रही थी वो उसकी गोद में खिसक गयी थी और उसकी टांगो की पोजीशन की वजह से उसकी स्कर्ट को ऊपर चढ़ने से रोक रही थी. और उसके बेशकीमती अंगों को बेपरदा होने से बचा रही थी. सानिया अपनी बायीं टांग थोड़ी सी और ऊँची उठाती है और अपनी मैगज़ीन अपनी जांघ पर अपने घुटने के पास रखती है और फिर वो सतीश की और थोड़ा सा झुक कर उसे बोलती है.
“सतीश, इसे देखो जरा”? वो एक तस्वीर की और इशारा करके बोलती है. सतीश अपनी गर्दन मोड कर देखने की कोशिश करता है मगर उसे कुछ दिखाई नहीं देता
“जरा पास आकर देखो? सानिया बोली. सतिशने अपने पांव सोफ़े पर रखे और अपनी कमर हिलाकर अपने कुल्हे मम्मी के नजदीक कर दिये. इतने नजदिक के उसकी बायीं जांघ उनकी दायि जांघ से लगभग टच कर रही थी. सतिशने मैगज़ीन के उस हिस्से को गौर से देखा जिस और वो इशारा कर रही थी.
“देखा!" वो बोली. सतीश समाझ नहीं पा रहा था वो कौन सी चीज़ थी जिस और वो उसका का ध्यान अकर्षित करने की कोशिश कर रही थी. अब वो कुछ शब्दों की एक लाइन की और इशारा कर रही थी न के तस्वीर की और जैसे उसने पहली दफ़ा किया था.

“क्या? सतिशने उसे धीरे से पूछा ताकि डैड का ध्यान भंग न हो जाये.

“इसे” सानिया की आवाज़ बेटे की आवाज़ की तरह ही धीमि हो गयी थी. उसका वो हाथ जो उसके हाथ के नज़्दीक था न के वो जिसमे उसमे मैगज़ीन पकड़ी हुयी थी, वापस उसकी जांघ पर चला गया और फिर वो धीरे से हिली और उसका हाथ हिलने से उसकी स्कर्ट भी हिली जो उसके हाथ के साथ ऊपर को हो गयी. यकायक उसकी सारी ज्ञानइन्द्रिया पूरी तरह जागृत हो उठि.

“ओह्ह्ह” वह और भी सानिया की तरफ झुकते हुए उसकी नंगी हुयी जांघ को देखने की कोशिश करता हुआ बोला जिसे वो मैगज़ीन की ओट में पिताजी की नज़र से बचाये हुये थी. मम्मी अपने हाथ बदल लेती है. अब उसका बाया हाथ उसकी स्कर्ट को ऊपर खींच रहा था. उसके पाजामे में बन रहा टेंट हर बितते पल के साथ बढा होता जा रहा था. सानिया की हरकत सतीश को अत्यंत सेक्सी महसूस हो रही थी हालांकि वह अभी कुछ ज्यादा नहीं देख पा रहा था. मैगज़ीन अभी भी मम्मी की जांघो पर पसरि उसकी खुली और नग्न जांघो को धक् रही थी. स्कर्ट काफी ऊँची जा चुकी थी. सतीश उसके नितम्बो तक को मैगज़ीन के निचे से झाँकते देख सकता था मगर उनकी दोनों टांगो के बिच देखने में असमर्थ था. मगर जितना दिखाई दे रहा था, उससे ही सतीश का लौडा उसके पाजामे में झटके मार रहा था.
“तुमने यह हिस्सा देखा? सानिया ने मैगज़ीन का बेटे की तरफ का हिस्सा अपनी जांघ से उठाते हुए कहा. अब उसकी बेटे की तरफ की जांघ सतीश की नज़र के सामने थी जबके पिताजी की तरफ वाली जांघ पर अभी भी मैगज़ीन रखी हुयी थी. सतिशने झूठ मुठ का दिखावा करते हुए सानिया की तरफ और भी झुक गया और मैगज़ीन के निचे से उसकी नग्न जांघ देखने लगा. उसकी दूधिया, क्रीमी जांघे उसकी काली पेन्टी में से कितनी सेक्सी दिख रही थी. सतीश का लंड उसकी पेन्टी में से झाँक रही उसकी चुत की शेप को देख और भी खड़ा हो गया था.

“तो तुम्हारा क्या कहना है इस बारे सतीश? सानिया ऐसे पूछ रही थी जैसे वो कोई साधारण सी बात कर रही हो. सतीश को कोई जवाब नहीं सूघ रहा था. “हउउउम्मम्मम” वो हलके से बहुत ही सेक्सी अंदाज़ में बेटे को उत्साहित करती है.

“जबरदस्त” आखिरकार उसके मुंह से निकला.”यकीन नहीं होता” वह बोला.

“है ना! मुझे मालूम था तुम ऐसे ही कहोगे” सानिया मुस्कराती है. अचानक वो अपना मुंह घुमाकर उसके सामने हो गयी. अब हम एक दूसरे के आमने सामने थे. मम्मी मैगज़ीन वापस अपनी जांघ पर गिरा देती है और अपनी स्कर्ट वापस अपने घुटनो तक कर देती है.

“मुझे दिखाओ तुम क्या पढ़ रहे हो?

मैने अपनी मैगज़ीन मम्मी के सामने कर दी ताकि वो उसे देख सके. सतीश थोड़ा सा निराश हो गया था मगर वह खुश था के मम्मी की पीठ डैड की तरफ थी और उसकी खुली जांघे मेरी तरफ थी और मेरी जांघो के ऊपर थी.

“मैं तुम्हारी देख लू? सतिशने पुछा.
“हु”, खुद देख लो? मम्मी ने धीरे से जवाब दिया. अब हालात ऐसे थे के सतीश और सानिया आमने सामने थे, चेहरे के सामने चेहरा. वह इतने नजदीक थी के उन्हें अपनी जांघे उठाकर सतीश के जांघो पर रखणी पढ़ी थी. उनके घुटने उसके घुटनो के ऊपर थे और उनकी जांघो में हलकी सी दूरी थी. सानिया ने बेटे की मैगज़ीन पकड़ ली थी और उसकी खुद की मैगज़ीन सतीश के मैगज़ीन के निचे थी. सतिशने अपनी मैगज़ीन के निचे से हाथ बढाकर उसकी मैगजीन पकड़ ली और उसे घुमाकर उसका रुख अपनी और कर लिया. फिर सतिशने सानिया की मैगज़ीन को थोड़ा सा अपनी और खींचा ताकि उसे अपनी मैगज़ीन के निचे से देख सके. सतिशने उसे इतना खींचा के अब वो उसकी और सानिया के दोनों की टांगो के ऊपर थी. सतिशने अपने खाली हाथ से मम्मी की स्कर्ट का सिरा पकड़ा और उसे उसकी जांघो के ऊपर की और खिसकाने लगा.

सानिया की स्कर्ट इतनी ढीली थी के वो उसकी जांघो के मध्य में सीधी उसकी पेन्टी तक ऊपर उठ गयी जबके उसकी टांगो की साइड्स पर उसकी स्कर्ट वैसे ही थी वैसे भी सानिया ने भी उसकी मद्त की थी उसने अपनी बायीं जांघ जो डैड की तरफ थी उस पर अपना हाथ रखकर उसे हल्का सा दाबा हुआ था जिससे स्कर्ट साइड्स से ऊपर नहीं जा सके. अब सतीश मैगज़ीन पढ़ने के बहाने मम्मी की खुली जांघो के बिच सीधे देख सकता था, उसकी काली पेन्टी उसकी नज़र के सामने थी.

सानिया की बैठने की स्थिति कुछ ऐसी थी के उसकी कच्छी में सामने से झाँकता कटाव कुछ ज्यादा स्पष्ट नज़र आ रहा था. सतिशने अपना हाथ आगे बढाया और मम्मी की दायि जांघ को सहलाने लगा, उसके अंदरूनी हिस्से को सहलाते जब सतिशने देखा के मम्मी कोई अप्पत्ति नहीं दिखा रही है तो में उसकी बायीं जांघ को भी सहलाने लगा. सतीश की कमोत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी के अब उसके लिए खुद को सम्भालना बहुत मुश्किल था. सतीश का हाथ मम्मी की पेन्टी की और बढ्ने लगा मगर अचानक से सानिया के हाथ ने बिच में आकर उसे वहीँ रोक दिया. सानिया ने अपना सर ना के अंदाज़ में धीरे से हिलाया.

सतीश ने खुद को मम्मी की जांघे सहलाने तक सिमट रखा तब उसे याद आया के उसके पास भी कुछ ऐसा है जिसमे मम्मी को दिलचस्पी थी. वह पूछ रही थी मगर सतिशने ध्यान नहीं दिया. सतिशने अपना पायजामा अपने लंड के ऊपर से निकाल उसे अपने भारी अंडकोषों के निचे फँसा दिया. अब सतीश का लंड खुली हवा में था. थोड़ा सा आगे को होकर सतिशने अपना लंड मम्मी की जांघ पर चुभोया. सानिया ने मैगज़ीन से नज़र घुमाकर उसके लंड को देखा जो उसकी जांघ पर ठोकर मार रहा था और उसने तुरंत अपने पति पर नज़र डाली और फिर उसकी नज़र वापस उसके लंड पर लौट आयी. सतिशने अपनी मैगज़ीन इस तरह से पकड़ ली के सिर्फ वह और मम्मी देख सकते थे के वह क्या कर रहा है और फिर वह अपनी कमर आगे को कर उसकी जांघ पर लंड को रगड़. मम्मी ने अपना सर मज़बूती से ना के अंदाज़ में हिलाया. "हा" सतिशने सर हिलाते हुए फुसफुसा कर धीमे से कहा. सतीश अपनी कमर लगातार हिला रहा था. सानिया खींज उठि और उसने सर घुमाकर फिरसे अपने पति को देखा. वो अपना हाथ निचे लाती ही ताकि बेटे को रोक सके मगर जल्दबाज़ी में उससे वो ग़लती हो जाती है जिसका एहसास उसे तब होता है जब बहुत देर हो चुकी होती है.

उसके हाथ में सतीश का लंड था

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11-11-2020, 01:10 PM,
#52
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सानिया अब सतीश का लंड अपने हाथ में पकडे हुये थी और वो स्पर्श सीधा त्वचा से त्वचा का था. उसकी नाज़ुक उँगलियाँ जब उसके लंड पर कस्स गयीं तो उनका एहसास बहुत ही जबरदस्त था, एकदम अनूठा था. सतिशने अपना लंड उसकी मुट्ठि में धकेला जैसे उसे चोद रहा हो. सानिया का मुंह खुल जाता है और वो धीमि मगर गहरी सांस लेती है मगर वो अपना हाथ वापस नहीं खींचति. सतीश अपना हाथ फिर से मम्मी की जांघ पर रखता है और उसे ऊपर की और लेजाने लगता है इस बार वो मुझे नहीं रोकती.

उनकी सिल्की पेन्टी पर अपनी उँगलियाँ रखते हुये सतीश अपना अँगूठा फ़ैलता है और उसकी पेन्टी की उस दरार में उनका प्रवेश द्वार ढूंडता है जो उसे जल्द ही मिल जाता है. सतीश अपना अँगूठा उस प्रवेश द्वार में उस हद्द तक्क दबाता है जितना उसकी पेन्टी उसे दबाने दे सकती थी. तभी टीवी पर चल रहा प्रोग्राम रुक जाता है और ऐड. आने लगती है. वह दोनों ऐड. की तीखी ऊँची आवाज़ से होश में आ जाते हैं और अपने हाथ वापस खींच लेते है. हालाँकि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं थी क्योंके विशाल अपना मुंह 'द एकनॉमिस्' में गड़ाये हुए था मगर वह हद्द से बाहर होते जा रहे थे. अगर सानिया उसी तरह सतीश का लंड पकडे रहती तो वह उसे उसी समय वहीँ सोफ़े पर चोदने लग जाता चाहे डैड होते या ना होते या फिर उसकी मुट्ठि में ज़ोरों से अपना लंड आगे पीछे करते हुए उनकी पेन्टी पर अपना वीर्य उडेल देता.

सतिशने मम्मी को देख कर सर हिलाकर उसे किचन की और इशारा किया. मम्मी ने इंकार में सर हिलाया. सतिशने सीढ़ियों की और इशारा किया मगर उसने फिर से इंकार में सर हिलाया. मगर सतीश अब वहां नहीं रुक सकता था, कमोत्तेजना से उसका पूरा जिस्म कांप रहा था. सतिशने अपना पायजामा ऊपर चढाया, मैगज़ीन से जितनी अच्छी तरह से अपनी पेण्ट का टेंट ढक सकता था, ढंका और लंगडाते हुये किचन की और चल दिया.

"यह सतीश को क्या हो गया है"?" सतिशने अपने पीछे डैड को मम्मी से पूछते हुए सुना. "कोई चोट लगी है क्या?"

"क्यों? क्या हुआ?" मम्मी पूछती है.

"वो लँगड़ा रहा है" डैड मम्मी को कहते है.

मुझे ऐसा लगा जैसे वो उठ कर उसके पीछे आने वाले है. सतीश घबरा उठा. अगर उनकी नज़र पड़ती तो सतीश पेण्ट में तूफ़ान मचाये अपने लंड के बारे में क्या सफायी देता? तभी उसे अख़बार हिलने का शोर सुनायी देणे लगा. उसकी घबराहट बढ़ गयी थी.
"आप बैठिये. मैं देखति हु." सानिया की आवाज़ आती है. फिर फर्श पर कदमो की आहट सुनायी देती है और फिर सानिया किचन के दरवाजे में नज़र आती है. वो एक दो पल रुकने के बाद फिर से बाहर को जाती है और किचन के दरवाजे के पास से डैड को आवाज़ देती है

"कुछ नहीं हुआ उसको. वो ज्यादा समय एक टांग पर वजन दाल कर बैठ रहा इस्लिये टांग थोड़ी सुन्न हो गयी है. वो बाहर पार्क में घुमने गया है, थोड़ा सा चलेगा तो सही हो जायेगा." सानिया एक पल के लिए रूकती है. "सुनिये में कपडे ढ़ोने पीछे लांड्री रूम में जा रही हू, आपको कुछ चाहिए तो नहि" सानिया दरवाजे के बाहर डैड से बात कर रही थी और अपना हाथ दरवाजे के अंदर करके मुझे घर के पिछवाड़े की और इशारा कर रही थी जहा शायद वो मुझे डाँटने वाली थी. सतीश किचन के दरवाजे से निकल घर के पिछवाड़े की और चल पडा. पदोसीयों की दीवार के साथ साथ लास्ट में हमारा गेराज था और गेराज के डोर से पहले एक डोर घर के पिछवाड़े में भी खुलता था. सतिशने उस डोर के पास जाकर पीछे मुढ़कर देखा के वो उसके पीछे आ रही थी या नहि. सतीश तेज़ कदमो से अपनी और बढ़ती हुयी मम्मी की स्कर्ट के ऊपर निचे उठने के कारन उसकी मक्खन जैसी नरम मुलायम जांघो को देखता उनकी पेन्टी देखने की कोशिश कर रहा था मगर जाहिर था उसमे उसे सफलता नहीं मिलने वाली थी. सानिया उसके पास आते उसे अपने हाथ से दरवाजा खोल पिछवाड़े में जाने को इशारा कर रही थी. वो बिच बिच में पीछे मुढ़कर देख रही थी जैसे उसे डर था कहीं विशाल न आ जाये. सतीश अंदर पहुंचा तो उसके पीछे पीछे मम्मी भी अंदर आ गई. वो घुमकर दरवाजे को अंदर से लॉक करने लगी. सतीश की तरफ सानिया की पीठ होते ही सतीश की नज़र उसकी उभरि हुयी टाइट गांड पर पड़ी और सतिशने अपना हाथ उसके कुल्हे पर रख दिया और उसे अपने हाथ में भरकर दबाया. उफ्फ्फफ्फ्फ्ग कितनी नरम मुलायम गांड थी. सानिया लॉक लगाकर फुर्ती से उसकी तरफ पलटि और सतीश का हाथ अपनी कमर से झटक दिया. सतीश को धकेलते हुये लांड्री रूम की और इशारा किया. सतीश वहीँ उस पर चढ़ जाना चाहता था मगर वहां बहुत खतरा था, पड़ोसियों में से किसी की भी नज़र उधर पड सकती थी. सतीश लांड्री रूम की और बढा और मम्मी घर के अंदर से पिछवडे में खुलने वाले दरवाजे की और गयी. सतीश का अंदाज़ा सही था वो उसे अंदर से लॉक लगाने गयी थी ताकि डैड कहीं उधर न आ जाये. उसके पीछे पीछे वो भी लांड्री रूम में आ गयी.

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11-11-2020, 01:11 PM,
#53
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"कहीं तुम्हे सच में तो चोट नहीं लग गयी?" सानिया अंदर आते ही एक तरफ को झुक कर मेरी टांग और पांव को देखने लगी के में लँगड़ा क्यों रहा था. सतिशने कोई जवाब न दिया. बलके सतिशने आगे बढ़कर उसके दोनों भारी मम्मो को अपने हाथों में भर लिया और उन्हें इतने ज़ोर से दबाया के उसके कड़े निप्पल उभर कर उसके ब्लाउज और ब्रा में से उसकी हथेलियों में चुभने लगे.

"अअअअअहःहःहःह..... सतीशशश...." उसके मुंह से तेज़ और गहरी सिसकि निकलती है.

"रूक जाओ.....सतीश......देखो......." मगर वह नहीं रुकता और उसके सख्त मम्मो को और भी जोर से निचोडने लगता है और उन्हें उसके सीने पर दबाता है.

"नही सतीश......अभी नहीं जबकि तुम्हारे डैड घर पर ही है" उसकी आवाज़ में भी उतनी ही मादकता भरी हुयी थी जितनी के उसकी आवाज़ में. सतिशने उसके निप्पल को अपने अंगूठे और उँगलियों के बिच मसल कर खीँच रहा था और फिर उससे मम्मो को ऊपर उठाया, दो पल उन्हें वहीँ थामे रखकर सतिशने उन्हें छोड़ दिया. वो ब्रा के अंदर ऊपर निचे जम्प मारते आखिरकार फिर से अपनी पहली स्थिति में आकर खड़े होगये.

"जो आज तुमने ऊपर किया न........बिल्कुल पागलपन था.....मेरी तो अभी भी डर से जान कांप रही है के अगर तुम्हारे डैड हमें पकड़ लेते तो?" उसकी आवाज़ में कामुकता और उसकी सांसो की गहरायी पहले से काफी बढ़ गयी थी. सतिशने उसे कोई जवाब नही दिया और निचे झुक कर उसके घुटनो के पास से उसकी स्कर्ट का नीचला सिरा पकड़ा और उसे पूरा ऊपर उठा दिया. सतिशने दूसरे हाथ को उसकी पेन्टी के ऊपर से उसकी चुत पर रखा और उसे अपने हाथ में भरकर मसलने लगा. सतिशने एक हाथ से उसके बाल मुट्ठि में भरकर उन्हें पीछे को खींचा तो उसका सर पीछे को झुक गया. सतिशने अपना मुंह उसके खुले मुंह पर रख अपने होंठ उसके होंठो पर चिपका दिये. सतीश की जीव्हा मम्मी के मुख में प्रवेश कर चुकी थी और सतिशने उसके बालों को छोड़ उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसे अपने स्टील की तरह सख्त लौडे का रास्ता दिखाया. पाजामे के ऊपर से अपने लंड पर उसका हाथ रख सतिशने उसके हाथ को ज़ोर से दबाया. सानिया उसके मुंह में ज़ोर से कराहती है तो वह उसका हाथ अपने पाजामे के अंदर घुसा उसे छोड़ देता है.

सानिया तुरंत उसके लंड को पकड़ लेती है और उसकी कोमल उँगलियाँ उसके अभिमान के प्रतीक उसके मोठे लंड के गिर्द कस्स जाती है. सतीश का दूसरा हाथ उसकी पेन्टी को खींचता हुआ उसकी भीगी चुत से निचे कर देता है. उसकी चुत बेपरदा हो चुकी थी और वह बिना एक भी पल गंवाये उसकी नंगी चुत पर अपना हाथ रख देता है और उसमे दो उँगलियाँ घुसेड देता है. सानिया का जिस्म कांपने लगता है और वो सर झटकने लगती है. सतीश अपने खाली हाथ से उसके सर को पकड़ उसके मुंह को अपने मुंह पर चिपकाये रखता है और उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगता है.
सानिया ने अपना हाथ उसके लंड पर से नहीं हटाया था, इसलिये वह जानता था के वो मुझे रोकने वाली नहीं हैं चाहे वो इंकार में आज कितना ही सर हिला ले. सतीश उसकी चुत को अपनी उँगलियों से छेड़ता रहा और जब उनका चुम्बन टूटा तो सतिशने गंदे कपड़ों से भरी बास्केट को उठकर फर्श पर पलट दिया और कपड़े फर्श पर बिखर दिये. फिर वह मम्मी के सामने फर्श पर घुटनो के बल बैठ गया और उसकी पेन्टी को उसकी जांघो से खींच कर उसके पैरों में कर दिया. सानिया ने कोई विरोध नहीं किया मगर जब वह उसके पांव उठाकर उसकी पेन्टी को निकालने लगा तो वो टांगे हिलाने लगी. सतिशने अपने हाथ उसकी जांघो पर रख उसकी टांगो को पूरी तरह कस्स लिया. उसकी जांघो के मास्स को बेदर्दी से पकड़ सतिशने सानिया की टांगे चौड़ी कर दी और मम्मी की रस टपकती चुत खींच कर अपने प्यासे होंठो के नज़दिक लाने लगा.

"हाय भगवान....हाय भगवान.......आहह्ह्..." सानिया के होंठो से एक लम्बी सिसकि निकलती है जबके सतीश का मुंह उसकी चुत के होंठो को दबोच लेता है और उसकी जीव्हा उसकी चुत के अंदर गहरायियो तक समां जाती है. सतीश उसकी जांघो को छोड़ उसकी गांड को थाम लेता है. मम्मी के दोनों नितम्बो को अपने हाथों में भरके पूरी शक्ति से उन्हें दबाता है जबके सानिया खुद उसके सर को पकड़ अपनी कांपती चुत पर दबाती है.

"आह्.........." उसके मुंह से बेटे की तारीफ में लम्बी लम्बी सिस्कियों का निकलना बद्स्तूर जारी था.

"हाय भगवान....हाय भगवान........ओहः......ओह.....ही भगवान......आह...." अचानक सानिया का हाथ उसके सर को इतनी ज़ोर से पकड़ कर चुत पर दबाता हैं के वह सांस भी नहीं ले पाता, नाक से भी नहि. उसकी चुत से उसके जूस की लहरें निकल कर उसके मुंह पर टकराने लगती है. अखिरकार जब उसका झटके खाता जिस्म शांत पढ़ जाता है तो सतीश ने खडे होकर उसे वक्त पर अपनी बाँहों में थाम लेता है क्योंके वो एकदम सुस्त होकर गिरने वाली थी.
सतीश सानिया को उठकर सीधी खड़ी करता है और वो अपनी बाहें बेटे के गर्दन में दाल देती है. जब उसे एहसास होता है के सतीश का लंड उसकी चुत का छेद ढूंढ रहा है तो वह खुद अपनी टांगे खोल देती है और उन्हें चौडा किये रखती है. अखिरकार कई कोशिशों के बाद उसके लंड को उसकी चुत का छेद मिल जाता है और वो एक झटके में अंदर घुस जाता है. मम्मी के मुंह से एक लंबि, तीखी और मादक सिसकि निकलती है. किसी औरत द्वारा मर्द की ऐसी तारीफ का कहना ही क्या!
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11-11-2020, 01:11 PM,
#54
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
“ओह गॉड”!
सतीश भगवान का शुक्र मना रहा था के उसने पहले मम्मी की चुत चाट ली थी. मम्मी की चुत अंदर से इतनी भीगी हुयी थी के सतीश का लंड फिसलता हुआ सीधा उसकी चुत में घुसता चला गया. मगर वह साफ़ साफ़ महसूस कर सकता था के उसकी तंग चुत को इतनी बुरी तरह से भरने की आदत नहीं थी जैसे उसके लम्बे तगड़े लंड के अंदर जाने पर वो भर गयी थी और बुरी तरह से फैल कर उसके नये यार का स्वागत कर रही थी......उसका नया यार-उसका बेटा.

सतीश ने बिलकुल भी समय बरबाद नहीं किया. सतीश सानिया को पूरी बेदर्दी से ठोकने लगा. उसके ताबड़तोड़ धक्को से उसका जिस्म इधर उधर डोलने लगा. उसकी मादक आहें और सिसकियाँ सतीश का जोश और भी बढा रही थी. अखिरकार जब सतिशने उसकी चुत को अपने वीर्य से भर दिया तो वह बुरी तरह से थक चुका था. सानिया की टांगों के अंदरूनी हिस्से पर बेटे का वीर्य निचे को बहता जा रहा था और सतीश की खुद की टांगे इतना ज़ोर लगाने के कारन कांप रही थी. शुक्र था सतिशने सानिया को खड़े खड़े ही चोद दिया था और उसने भी खड़े खड़े चुदवा लिया था. अगर कहीं वह उसे फर्श पर लिटा देता ताकि उसकी टांगे उठाकर उसके घुटने उसके मम्मो पर दबाकर उसे चोद सके या फिर उसे पेट् के बल उसकी कमर ऊपर खींच उसे किसी कुतीया की तरह चोदता तो उनकी जांघो के टकराने की आवाज़ शायद हमारे पडोसीयो के कानो तक भी पहुँच जाती. मम्मी की वो ताबड़तोड़ चुदाई और वो जबरदस्त स्खलन हमेशा एक यादगार बन गया था
एक दिन पक्का करने के बाद के उसके डैड हर संडे की तेरह उस दिन भी टेनिस खेलने के लिए निकल गए थे, सतीश चुपके से दबे पांव अपने परेंट्स के बैडरूम में दाखिल हुआ बिलकुल नंगा. सानिया पेट् के बल सो रही थी. सतिशने बिलकुल धीरे धीरे उसके ऊपर से कम्बल उतारना सुरु किया, एक एक इंच कर. कम्बल उतरने के बाद वो उसके सामने थी एक नाइटी पहने जो उसकी गांड से हल्का सा निचे थी. उसकी टांगे खुली हुयी थी और उसने बायीं टांग मोढ़ कर आगे को रखी हुयी थी. सावधानी से में बेड पर चढ़ गया और मम्मी की खुली टांगों के बिच पहुँच गया. फिर सतिशने एक हाथ उसकी बगल में रखते हुये अपना वजन उस पर डाल कर आगे को झुक गया.

सानिया कुछ फुसफुसाती है. शायद उसको अर्ध निद्रा में अभास हुआ के उसका पति वापस आ गया है. अचानक नींद में वो अपनी टांगे थोड़ी सी और खोल देती है और बिलकुल उलटी पेट् के बल हो जाती है. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था खास कर अगर उसकी इच्छा ज़ोरदार चुदाई करवाने की नहीं थी. सतिशने अपने कुल्हे निचे किये और अपना पूरा सख्त लंड उसकी बेपरदा चुत के पास लेजाने लगा और अंत में सतीश का सुपडा उसकी चुत के होंठो के बिच था.

"नही , विशाल! तुम भूलगये. आज संडे है, शनिवार नही. तुमने कल का दिन मिस कर दिया." सानिया उसे विशाल समझ के बोल उठती है. ओह गॉड इसका मतलब डैड हर शनिवार के शनिवार ही मम्मी को चोदते थे. उफ्फफ्फ्फ़ लानत थी उन पर. इतनी सेक्सी बीवी हो और आदमी हफ्ते में बस एक बार उसे चोदे तो उस को लानत ही दी जा सकती थी. खैर चाहे विशाल ने अपना शनिवार मिस कर दिया था मगर सानिया मिस नहीं कर पायी. बेटे की मेहरबानी से कल उसकी लांड्री रूम में खूब ज़ोरदार चुदाई हुयी थी. सतिशने अपने लंड का दबाव बनाया और सुपाडा उसकी चुत के होंठो को चीरता हुआ अंदर घुस गया.

एक झटके से मम्मी की ऑंखे खुल गयी, उसे सुपाडे के साइज से जरूर एहसास हो गया होगा के उसकी चुत में घूसने वाला लंड उसके पति का नहीं हो सकता था. सतिशने ज़ोर लागते हुए लंड कुछ इंच और अंदर दाल दिया मगर आज उसकी चुत भेदना कल से कहीं अधिक मुश्किल था तब उसकी चुत पूरी तरह भीगी हुयी थी.

"आगे से मम्मी की चुत मारने से पहले अच्छी तेरह चाट लिया करुँगा" सतिशने सोचा मगर अब बहुत देर हो चुकी थी. पूरी बेदर्दी से वह अपनी मम्मी की चुत में अपना लंड ठेलता गया. सतीश का विरोध करने की बजाय सानिया ने अपनी गांड हवा में ऊँची उठा दी ताकि सतीश पूरा लंड उसकी चुत में पेल दे.

"हाय,...,.............." पूरा लंड घुसते ही सानिया की चीखें घर में गूंजने लगी. वो अपने दांत भींचे उसके कन्धो को पकडती है और ज़ोर से चिल्लाती है. "चोद मुझे.......चोद मुझे........आह चोद......"

ओर सतिशने ठीक वैसे ही किया जैसे उसने कहा था. पूरे जोश से वह उसकी चुत में अपना लंड पेलने लगा. एक तो सतीश का मोटा लंड वो सिर्फ दुसरी बार अपनी चुत में ले रही थी और ऊपर से उसकी तंग चुत बिलकुल सूखि थी.

"आह...आह…..ओह…..ओह" उसकी दर्द से चीखे निकल रही थी मगर उसने एक बार भी बेटे को धीमे होने के लिए नहीं कहा. साफ़ था सतीश का मोटा लंड जितनी उसे तकलीफ दे रहा था उससे कई गुणा अधिक मज़ा दे रहा था. उसे खुद चुत के सूखेपन से लंड की रगढ का बड़ा ही अनोखा मज़ा आ रहा था. मम्मी की चुत की कोमलता और नाजुजकता चुत के सूखेपन ने और भी बढा दी लगती थी. "कभी कभी मम्मी की चुत सूखी ही मारा करुन्गा" सतिशने भविष्य के लिए योजना बनाते हुए सोचा. फिलहाल चुत को रगड रगड कर उसके अंदर बाहर हो रहे लंड की मेहनत रंग लाने लगी. सानिया की चुत भीगने लगी थी और लंड अब आराम से फिसलने लगा था. उसके धक्को की रफ़्तार अब दुगनी हो चुकी थी.

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11-11-2020, 01:11 PM,
#55
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
"अअअअअहःहःहःहः............उउउउउउउऊँणह्ह्हह्ह्........बेटा......बेटा....मार मेरी चुत.........हाये ऐसे ही मार......उउउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़.......उउउऊँणगग्गहहहाय....ओह भगवान........चोद दाल अपनी मम्मी को मेरे लाल....चोद दाल अपनी मम्मी को......." सानिया की सिसकियाँ पूरे कमरे में गुंज रही थी.

सतिश ने आगे को होकर मम्मी कंधे पकड़ लिए ताकि उसे निचे दबाये रख सके और उसके सर को ऊपर को उठाये ताकि पसीने से भीगा उसका चेहरा जिस पर ज़माने भर की उत्तेजना और कामुकता छायी हुयी थी, को देख सके. उसके चेहरे के मादक भाव उसकी उत्तेजना को कई गुणा बढा रहे थे. उसके चेहरे से मालूम चल रहा था के उसके मोटे लंड से चुदवाने में उसे कितना आनंद आ रहा था.

"हाय......ज़ोर से.......और ज़ोर से ........आह..........एस...,........बेटा.........आह मेरी चुत......मेरी चुत......ठोक अपना मोटा लंड मेरी चुत में.......ठोकता रह........यस ओह चोद मुझे......." सानिया की सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी.

सतीश ने धक्के मारते हुये मम्मी की टांगे पकड़ी उन्हें खोलता और फिर से बंद कर देता. कभी कभी वह उसके नितम्बो को पकड़ कर फ़ैलाता ताकि उसकी चुत में अंदर बाहर हो रहे अपने लंड को देख सके और कभी उन्हें आपस में दबा देता. फिर सतिशने उसे ऊपर खींच कर घुटनो के बल कर दिया और पांव के बल मम्मी के पीछे झुलता हुआ उसे चोदने लगा. फिर उसने वापस उसे बेड पर दबाके उसकी चुत मारने लगा.

चाहे वह उसे जिस तरह भी, जिस पोजीशन में भी चोदता सानिया पहले से भी ज्यादा सीत्कार भरती और जाहिर करती उसे इस नयी पोजीशन में चुदवाने में पहले से भी ज्यादा मज़ा आ रहा है. उसकी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थी. सतीशने उसे पूरा दम लगाकर दिल खोलकर चोदा और सानिया ने दिल खोलकर उससे चुद्वाया. अखिरकार सतिशने उसकी चुत अपने वीर्य से भर दी, एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार. दो बार चोदने के बाद ही सतिशने उसे बेड से निचे उतरने दिया. पहली बार झड़ने के बाद जब दोनों कुछ शांत पढ़ गए और सानिया बेड से निचे उतरने लगी तो सतिशने उसे वापस बेड पर खींच लिया. उसने विरोध किया, मगर उसका विरोध बहुत हल्का सा था और सतिशने उसके विरोध की कोई परवाह न की और उसे वापस बेड के बीचो बिच खींच कर पीठ के बल पीछे को दबाया. सतीश उसकी टांगे तब तक ऊपर उठता रहा जब तक सतिशने उसके घुटने उसके सर के पीछे नहीं दबा दिये.

उफ........ उस स्थिति में सानिया कितनी अश्लील कितनी कामुक दिख रही थी.............. किस तरह उसकी चुत बेपरदा थी खुली हुयी थी...,.बिल्कुल किसी रंडी की तरह........ गिली चुत रस से चमक रही थी, सुजी हुयी थी, उसका गुलाबीपन और भी गहरा हो गया था. सतिशने उसकी गांड को और भी ऊँचा उठाया और अपना लंड धम्म से उसकी चुत में पेल दिया. दूसरी बार लंड घुसने पर सानिया के मुंह से आनंद की ऐसी सिसकारियां निकलने लगी के सतीश का जोश दुना चौगुना हो गया. सतीश हुमच हुमच कर उसे चोदने लगा. सिसकती कराहती वो बेटे को अपनी चुत को और भी ज़ोर ज़ोर से मारने का आग्रह कर रही थी. सतिशने भी उसकी खवाहिश पूरी करने में कोई कसार बाकि ना रखी और जब दूसरी बार उसके लंड ने उसकी चुत को भरा तो दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.

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11-11-2020, 01:11 PM,
#56
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सूबह के करिबन दस् बजे थे, सतीश और सानिया दोनों निचे सोफ़े पर तैयार बैठे विशाल के लौटने का इंतज़ार कर रहे थे क्योंके हर संडे के दिन उनका पूरा परिवार मंदिर जाता था. सतीशने सानिया को सोफ़े पर पीछे को धकेला, उसके सामने फर्श पर बैठ उसकी लाल रंग की साडी जो उसने मंदिर जाने के लिए पहनी थी, में अपना सर घूसा देता है. मम्मी की पेन्टी को निचे खींच के अपने होंठ उसकी चुत के होंठो पर रख उसकी चुत में अपनी जीव्हा घुसेड देता है. कुछ ही पलों बाद सानिया की चुत रस टपकाने लगती है.

"ऊऊफ ........बहुत बड़े कमीने हो तुम्..,........" सानिया बेटे को उसकी चुत से मुंह हटाते ही बोलती है. सतीश उठ कर खड़ा होता है. अपनी पेण्ट का बक्कल खोल उसे निकाल दूसरे सोफ़े पर रख देता है. इसके अगले ही पल सतीश का अंदरवियर ज़मींन पर पढ़ा होता है और सतीश का लंड हवा में झटके खा रहा होता है. सतीश उसकी साडी और पेटीकोट उठाकर उसकी कमर को पूरा नंगा कर देता है. और फिर उसकी टांगे उठाकर फिर से उसके घुटने उसके मम्मो पर दबा देता है. सतीश अपना लंड उसकी चुत के होंठो पर रखता है. सानिया नज़र जमाये अपनी चुत में घूसने वाले उसके लंड को ही देख रही थी. सतीश जैसे ही धक्का मारकर अपना लंड अंदर घुसाता है वो सिसक पड़ती है और अपना नीचला होंठ अपने दाँतो में दबा लेती है. सतीश बिना रुके बाकि का लंड भी दो धक्कों में उसकी चुत में पेल देता है. उस सुबह वह तीसरि बार सानिया की ले रहा था और उसके मुख से फूटती मादक सिसकियाँ इस बात की गवाह थी के उसे भी देणे में बहुत मज़ा आ रहा था.

उसे नहीं मालूम मम्मी को किस आसन में चोदने में उसे ज्यादा मजा आता था---- सामने से उसकी टांगे उठाकर उसके घुटने मम्मो पर दबाकर जैसे के वह उस वक्त उसे चोद रहा था----या फिर सुबह में पहली बार की तररह----- पीछे से उसकी कमर थाम उसकी चुत में लंड पेलने में. मम्मी भी इस मसले में उसकी मद्त नहीं कर रही थी. उसे देखने से लगता था के उसे दोनों तरह से मरवाने में मज़ा आता है. मतलब यह के उसे पहले उसकी दिन रात खूब चुदाई करनी पडेगी तभी वह किसी नतीजे पर पहुँच सकता था.

"प्रार्थना करो डैड जल्दी लौट कर न आये" वह मम्मी की चुत में लंड पेलते हुये उसे सलाह देते हुए बोला. " में इस बार फुल्ली लोडेड हु और तुम बहुत देर तक चुदने वाली हो" सतीश सुबह का दो बार झड़ चुका था इस्लिये इस बार सख्लित होने में यक़ीनी तौर पर कहीं ज्यादा समय लेने वाला था.

"अच्छा........देखते हैं मेरी चुत की गर्मी के सामने तुम्हारा लंड कितनी देर ठहर पाता है सानिया हस पड़ती है फिर एक जोरदार चुदाई होती है जैसे ही दोनो शांत होते है अपने आप को साफ करके कपड़े पहनकर बैठते है कि दरवाजे की बेल बजती है विशाल आया था आते ही बोलता है सॉरी आज हम मंदिर नही जा पायेंगे
लेकिन इस वक़्त हम तीनो बाहर जा रहे है...
सतीश : बाहर... लेकिन कहा...?
विशाल : हमारे फार्म हाउस पे... वहाँ कोरिया से क्लाइंट आये हुये है...
सतीश : तो क्लाइंट से मिलने के लिए आप हम को क्यों ले जा रहे है... वहाँ हमारा क्या काम... क्यूँ मम्मी में ठीक कह रहा हूँ ना... और वैसे भी डैड... मैं और मम्मी अभी मंदिर जाने के बाद शॉपिंग पे जा रहे है... उन क्लाइंट्स से आप ही मिल लो...
विशाल : जी नहीं ये पॉसिबल नहीं है... तुम दोनों को मेरे साथ वहां चलना ही पडेगा... क्यूँ की मुझे कोरियाई भाषा नहीं आती...
सतीश : तो मुझे कौन सी आती है...
विशाल : सानिया को आती है... वो उन क्लाइंट्स से बड़े आराम से बात कर सकती है... और रही बात शॉपिंग की तो... मीटिंग के बाद तुम दोनों आराम से और जी भर के शॉपिंग कर लेना...
सतीश और सानिया उदास मन से हाँ कह देते है...
विशाल: तो फिर चलो...
तीनो कार के पास जाते है... सतीश कार में भरे सामान को देख के चोंक जाता है...
सतीश : डैड ये क्या है...?
विशाल : ये सैम्पल्स हैं जो क्लाइंट को दीखाने है...
सतीश : पर डैड हम कहाँ बैठेंगे... कार में तो पूरा सामान भरा है... मेरे और मम्मी के लिए जगह है ही कहा...
विशाल : पीछे वाली सीट पे है ना जगह... तुम दोनों वहां बैठ जाना...
सतीश : डैड पीछे वाली सीट पे तो एक ही आदमी के बैठने की जगह है... मम्मी और में वहां कैसे बैठेंगे...? सतीश : आप कुछ सैंपल्स निकाल दो ताकि हम आराम से बैठ के जा सके...
विशाल : नहीं में इन में से एक भी सैंपल नहीं निकाल सकता...
सतीश : तो फिर आप ही बताओ की हम क्या करे...
विशाल : एक रास्ता है अगर तुम्हे ठीक लगे तो...
सानिया : और वो क्या है...?
विशाल : वो ये की अगर सतीश कार में बैठ के तुम्हे अपनी गोद में बैठा ले तो बात बन सकती है...
सानिया : पर विशाल यहाँ से फार्म हाउस का सफर ५ से ६ घंटे का है...
विशाल : हाँ मुझे पता है... लेकिन तुम इतनी भारी नहीं हो की सतीश तुम्हे अपनी गोद में न बैठा सके... क्यूँ सतीश क्या कहते हो... क्या तुम अपनी मम्मी को फार्म हाउस तक अपनी गोद में बैठा सकते हो...
सतीश : हाँ हा.... क्यों नही... अगर मम्मी को इस तरह मेरी गोद में बैठने में कोई प्रॉब्लम न हो तो... क्यूँ मम्मी क्या कहती हो...
सानिया : अगर तुम्हे मुझे अपनी गोद में बैठाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है... तो मुझे क्यों प्रॉब्लम हो गि...
विशाल : चलो... अब जल्दी से बैठ जाव... हम को पहले ही बहुत देर हो गई है...
सतीश और विशाल दोनों कार में बैठ गयी... विशाल ड्राइविंग सीट पे और सतीश बैक सीट पे...
सानिया : मैं अभी आयी...
ये कह के सानिया घर के अंदर अपने रूम में जाती है और जल्दी से अपनी साड़ी ब्लाउस पेटिकोट निकाल कर स्कर्ट और शर्ट पहनती है और पेन्टी पेहेन के एक कोट हाथ में ले के बाहर आ जाती है...
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11-11-2020, 01:12 PM,
#57
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
सतीश और विशाल दोनों कार में बैठ गये... विशाल ड्राइविंग सीट पे और सतीश बैक सीट पे...
सानिया : मैं अभी आयी...
ये कह के सानिया घर के अंदर अपने रूम में जाती है और जल्दी से अपनी साड़ी ब्लाउस पेटिकोट निकाल कर स्कर्ट और शर्ट पहनती है और पेन्टी पेहेन के एक कोट हाथ में ले के बाहर आ जाती है...
सतीश : मम्मी ये कोट किस लिये...?
सानिया : मीटिंग के लिये...
विशाल : सानिया अब जल्दी करो... हम लेट हो रहे हैं...
सानिया : हाँ हाँ चालो...
सतीश अपनी मम्मी को अपनी गोद में बैठने का इशारा करता है... और सानिया शरमाते हुए अपने बेटे की गोद पे बैठ जाती है...
अपणे बेटे की गोद में बैठ के जब सानिया ने निचे देखा तो उसे ये एहसास हुआ की उसकी स्कर्ट काफी ऊपर उठ गई है... और उसकी गोरी चिकनी जाँघ साफ़ नज़र आ रही है...
सतीश इस वक़्त टीशर्ट और लूज शोर्ट्स में है... सानिया शरमाते हुए कार का दरवाज़ा बंद कर देती है...
सानिया के नंगे चिकने पैर अपने बेटे के पैरों से पूरी तरहा से चिपके हुए है.. सानिया शरमाते हुए अपने बेटे से पूछती है...
सानिया : सतीश तुम्हे कोई प्रॉब्लम तो नहीं हो रही है ना...
सतीश : नहीं मम्मी.. मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है... बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है...
तभी विशाल कहता है...
विशाल : अब चलें...
सानिया : हाँ चलो...
कार में इतना सामान भरा हुआ है की... न ही विशाल पिछली सीट पे बैठि अपनी बीवी और बेटे को देख पा रहा है... और न ही इन दोनों माँ बेटे को विशाल नज़र आ रहा है... इन्हें कुछ दिखाई दे रहा है तो वो है एक दूसरे के सर के बाल... और कुछ नही...
विशाल : सानिया तुम अपने बेटे की गोद में ठीक से तो बैठि हो ना... तुम्हे कोई परेशानी तो नहीं है ना...
सानिया ने अपने चुत्तड़ को अपने बेटे की गोद में एडजस्ट करते हुए कहा.
सानिया : तुम फ़िक्र मत करो में अपने बेटे की गोद में बड़े मज़े से... मतलब आराम से बैठि हु... तुम एक काम करो रेडियो ऑन कर दो ताकि गाने सुनते सुनते वक़्त आराम से कट जाए...
विशाल ने रेडियो ऑन कर दिया... तीनो गाने का मज़ा लेने लगा...
तभी अचानक सानिया को अपने चुत्तड़ के बीच में कुछ कड़क सा मेहसुस होने लगा... उसने फ़ौरन अपने चुत्तड़ को हिला के अपने बेटे की गोद में खुद को एडजस्ट किया... लेकिन उस कड़क पण का एहसास कम होने के बजाये और बढ्ने लगा... तभी उसे ये एहसास हुआ की जो कड़क चीज़ इस वक़्त उसके चुत्तड़ के बीच में चुभ रही है वो और कुछ नहीं बल्कि उसके अपने बेटे का लंड है... जो की हर पल के साथ खड़ा हो रहा है... सानिया मस्ती और डर के मारे सिहर उठि...
ओ ये सोचने लगी की कहीं ऐसा न हो की मेरे चुत्तड़ की गर्मी अपने लंड पे मेहसुस कर के सतीश जोश में आ जाए और यहाँ कार में डैड के सामने ही कुछ उलटी सीढ़ी हरकत करने लगे... मुझे उसे ऐसा करने से रोकना होगा... पर वो चाह के भी अपने बेटे से कुछ कह नहीं पा रही है..
सतीश का लंड खड़ा हो के सानिया के चुत्तड़ के बीच से होता हुआ उसकी गांड की छेद में घूसने की कोशिश करने लगा.. सानिया की चुत अपने बेटे के लंड के एहसास से मस्ती में वीर्य छोड ने लगी...
सानिया ने झुक के नीचे देखा तो उसे ये एहसास हुआ की इस वक़्त उसकी स्कर्ट ऊपर उठि हुई है और उसकी छोटी सी पेन्टी साफ़ नज़र आ रही है... और नज़र आ रहा है पेन्टी में चुत के पास का गीलापन..
उसने देखा की सतीश के हाथ उसकी बगल में सीट पे दोनों साइड पे है... वो ये सोचने लगी की कहीं सतीश ने उसकी चुत वीर्य से भीगी पेन्टी देख ली तो क्या होगा... कहीं ऐसा न हो की वो जोश में आ के मुझे यहीं ना चोदने लगे...
उसे धीरे धीरे इन सब में मज़ा आने लगा... उसके जिस्म में मस्ती की लेहर दौडने लगी... आज अपने पति के सामने अपने बेटे की गोद में बैठि हूँ और मेरे बेटे का लंड मस्ती में आ के खड़ा हो रहा है... और इस एहसास से मेरी चुत गीली होने लगी है... अभी हम को ट्रैवेलिंग में सिर्फ आधा घंटा हुआ है और अभी से हम माँ बेटे का मस्ती में ये हाल है... अभी तो करीब ५ घंटे का सफर और बाकी है...
न जाने आगे क्या होने वाला है...
सानिया की आखों में मस्ती की लाली है और उसकी चुत में मस्ती का पानी है...
ओ ये जानती है की उसका पति उसकी ऊपर खिसकी स्कर्ट और गीली पेन्टी नहीं देख सकता है... दोनों माँ बेटे कार में रखे सामान की आड़ में छुपे हुए है...
ओ ये सोच ही रही थी की तभी सतीश थोड़ा शिफ़्ट हुआ जिस से उसका लंड सानिया की गांड के छेद में घूसने लगा... लेकिन इस से पहले की सतीश का लंड सानिया की गांड में घुसता.. सानिया फ़ौरन पीछे खिसक गयी... अब सतीश का लंड सानिया की गांड से निकल के उसकी चुत में घूसने की कोशिश करने लगा...
सानिया ने मस्ती में सिसकते हुए अपने बेटे से पूछ...
म्म्म्ममम... सतीश तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं हो रही है न बेटा...
सतीश : नहीं मम्मी.. मैं ठीक हु... तुम बताओ तुम्हे कैसा लग रहा है...?
सानिया : मुझे जो मेहसुस हो रहा है वो लाजवाब है... मुझे बेहद मज़ा आ रहा है... आज पहली बार मुझे कार में सफर करने में इतना मज़ा आ रहा है.. सानिया : सतीश मुझे लगता है की सीट पे रखे रखे तुम्हारे हाथ दर्द करने लगे होंग...
सतीश : हाँ मम्मी..
सानिया : तुम ऐसा क्यों नहीं करते की अपना हाथ आगे करते ताकि तुम्हे थोड़ा आराम मिल सके...

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11-11-2020, 01:12 PM,
#58
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
ये कह के सानिया ने सतीश के दोनों हाथ उठा के अपनी जाँघ पे रख दिया...सानिया : अब ठीक है... इस तरहा से तुम्हे कोई तकलीफ नहीं होगि...
सतीश : हाँ मम्मी तुम ठीक कहती हो... ऐसे मुझे बड़ा आराम मिल रहा है...
ये कह के सतीश अपना हाथ अपनी मम्मी की चिकनी जाँघ पे फिरने लगा... धीरे धीरे उसकी उँगलियाँ सानिया की पेन्टी की तरफ बढ्ने लगी... सानिया का दिल चाहने लगा की उसका बेटा जलद से जलद उसकी चुत को अपने हाथ में ले के मसलने लगे... अपने पति की मौजूदगी में वो चाह के भी अपने बेटे को अपनी चुत में ऊँगली करने के लिए नहीं कह पा रही है..
ओ ये जानती है की उसका बेटा भी उसी की तरहा मस्ती में तड़प रहा है.. जैसे जैसे सतीश के हाथ अपनी मम्मी की पेन्टी पे घुमने लगा.. सानिया की मस्ती भी बढ्ने लगी.. वो अपने हाथ अपने बेटे के हाथों पे रख देती है.. और अपने हाथों से अपने बेटे के हाथों को पकड़ के अपनी जाँघ पे घुमने लगती है.. फिर वो अपने पति की तरफ देखति है और.. थोड़ा ऊपर उठ के अपनी स्कर्ट अपने चुत्तड़ के नीचे से निकाल के फिर से अपने बेटे की गोद में बैठ जाती है.. और अपने बेटे का हाथ उठा के अपनी पेन्टी पे रख देती है.. और अपने पेअर फैला देती है.. मगर सतीश जो की अपनी मम्मी की जाँघ पे अपने हाथ घुमा रहा था. अचानक अपना हाथ मम्मी की पेन्टी पे से हटा लेता है.. सानिया सतीश का हाथ अपने हाथ में ले के उसे अपनी पेन्टी पे चुत के ऊपर रख के दबा के उसे ऐसा करने का इशारा करती है.. लेकिन सतीश अपना हाथ बिना हिलाये डुलाये सिर्फ मुस्कुरा रहा है..
सानिया अपने बेटे की कुछ न करके सिर्फ मुस्कुराने की वजह समझ में नहीं आती..
सानिया इस वक़्त मस्ती में पागल हो रही है.. वो अपने बेटे से कहती है..
सानिया : अबे यूँ मुस्कराता ही रहेगा या फिर कुछ करेगा भी. सतीश अपनी मम्मी की बात के जवाब में सिर्फ मुस्कुरा देता है...
सानिया ये समझ रही है की सतीश उसे परेशान कर रहा है... वो ये जानती है की उसे अपने बेटे को कैसे रस्ते पे लाना है...
ओ अपने बेटे का हाथ उठा के अपनी पेन्टी के ऊपर ले जाती है... और पेन्टी के थोड़ा ऊपर अपने जिस्म पे सतीश का हाथ दबा के पेन्टी के ऊपर से घिसका ते हुए पेन्टी के अंदर ले जाने लगती है...
धीरे धीरे सतीश का हाथ सानिया की चुत के ऊपर पहुँच जाता है...
सानिया मस्ती में सिसकार उठती है... मममममम... वो अपने बेटे के हाथ को अपनी पेन्टी के और अंदर चुत पे ले जाने लगी लेकिन उसकी टाइट पेन्टी की वजह से सानिया और सतीश के हाथ उसकी चुत पे नहीं पहुँच पा रहे है... ये सोच के उसने अपना हाथ अपनी पेन्टी में से बाहर निकाल लिया... और अपने चुत्तड़ थोड़ा ऊपर उठा के
अपणे अँगूठे अपनी पेन्टी के दोनों साइड में दाल के अपनी पेन्टी को निचे खिसकाने लगी... जैसे ही उसकी पेन्टी उसके घुटनो तक आई सतीश अपना हाथ अपनी मम्मी की चुत पे ले गया और अपनी ऊँगली चुत में घुसाने की कोशिश करने लगा...
अपनी पेन्टी घुटनो में फासी हो ने की वजह से सानिया को अपने पेअर फैलाने में तकलीफ होने लगी... ताकि उसका बेटा उसकी चुत में अच्छे से ऊँगली कर के उसे मज़ा दे सक...
ये सोच के सानिया जैसे ही अपनी पेन्टी उतारने के लिए निचे झुकी... सतीश फ़ौरन अपना दूसरा हाथ आगे बढा के अपनी मम्मी की पेन्टी उतारने लगा... सानिया भी अपने पैर उठा के पेन्टी उतारने में अपने बेटे की मदत करने लगी...
पेन्टी उतरने के बाद सानिया ने अपने पैर पूरी तरहा से फैला दिये... इस वक़्त सानिया की चुत पूरी तरहा से गीली थी वो बेतहाशा वीर्य छोड रही थी.
सतीश ने अपनी मम्मी की रसीली चुत में अचानक से दो ऊँगली घूसा दि... सानिया मस्ती में सिसकार उठि...
आआआआगघः...
विशाल ने सानिया की सिसकारी सुन के चोंक के पूछा...
विशाल : सानिया... तुम ठीक तो हो ना...? सानिया ने फ़ौरन अपने पति को जवाब दिया...
सानिया : हा... मैं ठीक हु... और मेरे ख़याल से अपने बेटे की गोद में बैठ के सफर करना इतना बुरा भी नहीं है... “क्यूँ सतीश... मैं ठीक कह रही हूँ ना...?
सानिया ने अपने बेटे को आँख मार के कहा.
इधर सानिया अपने पति से बात कर रही है और उसका बेटा उसकी चुत में तेज़ी से अपनी ऊँगली अंदर बाहर कर रहा है...
सानिया : विशाल... हम को कितना टाइम और लगेगा फार्म हाउस पहुँचने मे...
विशाल : करीब ४ घंटे और लगेंगे... अगर तुम कहो तो आगे ढ़ाबे पे में कार रोक दुं... हम वहां कुछ देर आराम कर सकते हैं...
सानिया : नही... वैसे रास्ते में कहीं रुक्ने की कोई ख़ास ज़रूरत नहीं है... क्यूँ सतीश तुम क्या कहते हो...
सतीश : हाँ मम्मी... मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है... हम आराम से बिना रुके आगे जा सकते हैं...
सानिया : गूड... विशाल हम बड़े मज़े में है... आप आराम से कार चलते रहिये... लेकिन अगर आप को कोई प्रॉब्लम है तो अलग बात है...
विशाल : जब तुम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मुझे भी कोई प्रॉब्लम नही...
सानिया ने पीछे मुड के अपने बेटे से कहा.
सानिया : मुझे लगता है की हम जितना आगे बढेंगे हम को उतना ही ज़्यादा मज़ा आयेगा... ये सफर एक यादगार और बेहद मज़ेदार सफर बन्ने वाला है... क्यूँ सतीश में ठीक कह रही हूँ ना...?
सतीश : हाँ मम्मी.. ये आईडिया अच्छा है... बिना रुके आगे बढ्ने का...
सानिया : विशाल मैं नहीं चाहति की हम कहीं रुकें...
विशाल : सतीश.. तुम्हे अपनी मम्मी को अपनी गोद में बैठाने में कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना...?
सतीश : नहीं डैड... मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है... मेरी गोद में मम्मी अपनी पोजीशन बार बार चेंज कर रही है इस वजह से मुझे बड़ा आराम मिल रहा है... वो थोड़ी थोड़ी देर में मेरी गोद से थोड़ा ऊपर उठ जाती है... ताकि मुझे उनका वज़न ज़्यादा मेहसुस न हो...

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11-11-2020, 01:12 PM,
#59
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
अपने डैड से बात करते हुए सतीश अपनी मम्मी की चुत में अपनी ऊँगली और अंदर तक घूसा के अंदर बाहर करने लगा.. सानिया मस्ती में अपने होठो को अपने दांतों के बीच में दबाने लगी... ताकि वो अपनी सिसकारी को अपने मुह से निकलने से रोक सके... उसने मस्ती में अपने बेटे का हाथ पकड़ा और अपनी चुत पे कस के दबाने लगी... वो अपने बेटे की उँगलियों को अपनी चुत के और अंदर तक घुसाना चाह रही थी... सतीश अपनी मम्मी का इशारा समझ गया और अपनी ऊँगली को मम्मी की चुत में जहाँ तक हो सके घुसाने लगा...
सानिया मस्ती में अपनी गांड हिला के अपने बेटे की ऊँगली को अपनी चुत में अंदर बाहर होने में उसका साथ देणे लगी...
सानिया ने थोड़ा ऊपर हो के अपने पति की तरफ देखा... विशाल अपनी पत्नी और बेटे की हरकत से अंजान... रेडियो पे बज रहे गाने को सुनते हुए अपनी धून में कार चला रहे थे... कार में भरे सामान की वजह से उन्हें अपनी पत्नी और बेटा नज़र नहीं आ रहे है...
ईसी बात का फायेदा उठा के सानिया और सतीश अपनी मस्ती में मस्त है...
अगर विशाल ने अपने बेटे को अपनी पत्नी की चुत में ऊँगली करते हुए देख लिया तो न जाने वो क्या कर जाये...
अपने बेटे की ऊँगली को अपनी चुत में अंदर बाहर होते हुए मेहसुस कर के सानिया का जिस्म मस्ती में काम्पने लगा और वो झड़ने के करीब पहुँचने लगी...
लेकिन तभी अचानक सतीश ने अपना हाथ उसकी चुत से हटा लिया... उसे अपने बेटे की इस हरकत पे बेहद गुस्सा भी आया और उसे बेहद हैरानी भी हुई... उसे ये समझ में नहीं आ रहा था की उसके बेटेने उसे झड़ने के करीब ला के बीच में अधुरा क्यों छोर दिया... वो ये सोच ही रही थी की तभी उसे ये एहसास हुआ की उसका बेटा उसकी ड्रेस के बटन खोल रहा है... ऊपर से ले कर नीचे तक्...
जैसे जैसे सानिया की ड्रेस के बटन खुल रहे थे वैसे वैसे उसे कार के एयर कंडीशन की ठण्डी हवा अपने जिस्म पे मेहसुस हो ने लगी... सानिया की चूचि सखत हो ने लगी और उसके निप्पल्स में कसाव आने लगा...
फिर आखरी बटन खोल के सतीश ने अपनी मम्मी को सामने से पूरी खोल दिया...
सानिया अपने बेटे के सामने आगे से पूरी नंगी हो गयी..
सानिया : सतीश तुम पागल तो नहीं हो गयी... ये क्या कर रहे हो... मुझे नंगी क्यों कर रहे हो...? अगर तुम्हारे डैड ने मुझे इस हालत में देख लिया तो...?
सतीश : मम्मी तुम बेकार में डर रही हो... इतने सामान के बीच में डैड हम दोनों को नहीं देख सकते... और कार में ब्लैक गिलास लगे होने की वजह से कोई बाहर से भी हम दोनों को नहीं देख सकता... इस लिए डरना छोडो और आराम से सेक्स का मज़ा लो...
सानिया : वाह... सतीश तुम तो बहुत स्मार्ट हो गए हो...
सतीश : मम्मी अभी तुम ने अपने बेटे की स्मार्टनेस देखि ही कहाँ है... तुम बस देखति जाओ की में इस कार में डैड की मौजूदगी में तुम्हे कैसे चुदाई का मज़ा देता हु...
ये कह के सतीश ने अपनी मम्मी के नंगे जिस्म पे हाथ घुमाने लगा और उसकी चूचि कस कस के दबाने लगा...
मास्ति में सानिया के मुह से ज़ोर से सिसकारी निकलने लगी...
म्म्म्म्ममम... ऊऊऊऊह्ह्... अअअअअअअगघः...
सानिया की आह सुन के विशाल घबरा गया...
विशाल : क्या हुआ सानिया तुम ठीक तो हो न...?
सानिया : वो कय....अ है... खराब.... रोड और... कार में लग रहे.... झटके की वजहसे.....अह स.... मेरा घुटना कार के दरवाज़े से टकरा... गया और मुझे चोट लग गयीईइ...
विशाल : क्या कहा.? तुम्हे चोट लग गयी... रुको में अभी कार रोकता हूं...
अपने पति की बात सुन के सानिया घबरा गयी...
सानिया : नही..... कार रोक्ने कोई ज़रूरत नहीं है... मुझे बस हलकी सी चोट आई है... और वैसे भी सतीश है ना.. वो मेरे घुटनो का मसाज कर देगा... जिस से मेरा दर्द जलद ही ख़तम हो जायेगा... इस लिए तुम मेरी फ़िक्र छोडो और कार की स्पीड थोड़ा बढाओ... कहीं ऐसा न हो की हम को फार्महाउस पहुँच ने में देर हो जाये... और हाँ रेडियो का वॉल्यूम थोड़ा बढा दो... ताकि मेरी दर्द से भरी आवाज़ सुन के कहीं तुम फिर से कार रोकने न लगो...
विशाल : तुम कहती हो तो ठीक है... बेटा सतीश अपनी मम्मी का अच्छे से मसाज करना... और ये ध्यान रखना की उसे पूरा आराम मिले. फिर विशाल ने कार की स्पीड बढा दी और रेडियो का वॉल्यूम तेज़ कर दिया...

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11-11-2020, 01:12 PM,
#60
RE: Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान
सतीश : डैड आप फ़िक्र मत करो में मम्मी का अच्छे से मसाज करुँगा...
ये कह के सतीश अपनी मम्मी की चूचि को अपने हाथों से कस कस के मसलने लगा...
सानिया ने अपना सीना आगे कर दिया ताकि सतीश और कस के उसकी चूचि दबा सके...
फिर सानिया थोड़ी ऊपर हुई और उसने अपनी गांड के नीचे से अपनी ड्रेस हटा दिया... सतीश फ़ौरन अपनी मम्मी का इशारा समझ गया...
उसने फ़ौरन अपना हाथ नीचे किया और अपनी शॉर्ट्स की ज़िप खोल दि... लेकिन ज़िप खुलने के बाद भी उसका लंड मम्मी की गांड में फसा हुआ था...
सानिया ने अपनी गांड और ऊपर उठायी...
विशाल : क्या बात है जान...? तुम ठीक तो हो ना...? तुम्हे अपने बेटे की गोद में बैठने में कोई परेशानी तो नहीं हो रही है ना.. अगर तुम कहो तो में कार रोकता हु...
सतीश ने अपना अंदरवियर नीचे कर दिया... जिस वजह से उसका लंड आराम से बाहर आ गया और सानिया अपने बेटे के खड़े लंड पे अपनी गांड रख के बैठ गयी... उसकी नंगी गांड में उसके बेटे का लंड दबने लगा...
सानिया : नहीं जान तुम्हे कार रोक्ने की कोई ज़रूरत नहीं है... मुझे लगता है की अगर में थोड़ा राईट को मूव करुँगी तो में कम्फर्टेबले हो जाउँगी... तुम क्या कहते हो सतीश...? क्या तुम ठीक हो...? क्या तुम चाहते हो की में कुछ करु...?
सतीश ने अपने हाथ अपनी मम्मी की नंगी गांड पे रख के कहा.
सतीश : मम्मी अगर तुम थोड़ा ऊपर उठो तो में अपनी पोजीशन ठीक कर लुंगा...
सानिया फ़ौरन अपने बेटे की बात समझ गयी... की वो क्या कहना चाह रहा है...
उसने फ़ौरन अपनी गांड ऊपर उठायी जहाँ तक वो उठा सकती थी... फिर उसे ये मेहसुस हुआ की उसके बेटे का एक हाथ उसकी गांड पे से हटा...
ओ ये फ़ौरन समझ गयी की उसका बेटा अपने हाथ से क्या कर रहा है...
ये सोच के वो निचे अपने बेटे की गोद पे बैठने लगी... फिर तभी... फिर तभी उसे अपने बेटे के लंड का सुपडा अपनी चुत के छेद पे मेहसुस हुआ...
मास्ति में उसके मुह से सिसकारी निकल गयी... आआआह्ह्... और वो अपने बेटे के लंड पे बैठने लगी... उसके बेटे का लंड उसकी गीली चुत में आराम से घूसने लगा...
जैसे जैसे वो अपने बेटे के लंड पे बैठ रही थी... उसके बेटे का लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ अंदर घूसने लगा...
सानिया खुद को रोक नहीं पायी और मस्ती में ज़ोर से सिसकार उठि...
आंआंआग्ग़ह...
उसकी सिसकारी सुन के उसके पति ने पीछे मुड के उस से पूछा...
विशाल : सानिया तुम वाक़ई में चाहती हो की में कार न रोकूँ...
सानिया तब तक खुद को निचे करती रही जब तक उसे अपने बेटे के लंड का उसकी चुत में पूरा अंदर तक घूसने का एहसास न हो गया...
सानिया : ना, ना, डोंट स्टोप... मैं चाहती हूँ की तुम बिना रुके आगे बढ़ते रहो... मैं अगले आधे घंटे तक खुद को संभाल सकती हु... क्यूँ सतीश तुम्हारे लिए आधा घंटा ठीक है ना...?
सतीश : हाँ मम्मी.. जब तुम मेरे ऊपर दोबारा बैठि थी तब मैंने अपनी पोजीशन ठीक कर ली थी... अब आधा घंटा तो क्या...? मैं तुम्हे एक घंटे तक संभाल सकता हु...
लेकिन मुझे थोड़ा ऊपर उठना पड़ेगा ताकि में खुद को ठीक से सेट कर सकूँ...
सानिया : क्या तुम चाहते हो की में तुम्हारे साथ उठूं...?
सतीश : नहीं मम्मी तुम मेरी गोद में ही बैठी रहो... मैं अपने साथ तुम को भी उठा लुंगा...
ये कह के सतीश अपनी मम्मी का कन्धा पकड़ के उसे अपने लंड की तरफ दबा के ऊपर उठने लगा... जिस से उसका लंड मम्मी की चुत में जड़ तक घुस गया...
सानिया उसी वक़्त मस्ती में झड गयी... और अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी... ताकि उसके बेटे का लंड उसकी चुत में अंदर बाहर हो सके...
अपने बेटे के लंड को अपनी चुत में अंदर बाहर करते हुए सानिया अपने पति की तरफ देख रही थी...
सतीश भी मस्ती में अपनी मम्मी की चुत में तेज़ी से अपना लंड अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा है.. सानिया कार में नंगी हो के अपने पति की मौजूदगी में अपने बेटे से चुदवा रही है...
सानिया : विशाल... तुम्हे क्या लगता है...? कितना टाइम लगेगा हम को मीटिंग मे...? क्यूंकि मीटिंग के बाद हम को शॉपिंग पे भी जाना है...?
विशाल : मीटिंग एक घंटे में ख़तम हो जाएगी... उसके बाद तुम दोनों शॉपिंग पे जा सकते हो... काम में बिजी होने की वजह से में नहीं जा सकुंगा... लेकिन तुम दोनों जा सकते हो... तुम जब चाहे अपने बेटे के साथ जा सकती हो...
अपणे बेटे का लंड अपनी चुत में लिए चुदाई करते सानिया अपने पति से बात कर रही है... इस एहसास ने वह और भी ज़्यादा हॉर्नी हो गयी और वो झड़ने लगी...
झडने के बाद अपने बेटे के लंड पे उछलते हुए सानिया ने कहा.
सानिया : विशाल में तुम्हारी मजबूरी समझ सकती हु... तुम फ़िक्र मत करो... मैं अपने बेटे के साथ कहीं भी... कभी भी... कितनी बार भी...जा सकती हु...
क्यों सतीश ठीक है ना...?

सतीश : मम्मी तुम जब चाहो... जितनी बार चाहो... आ सकती हो... मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है... बल्कि तुम्हारे बार बार आने से मुझे बेहद ख़ुशी होगी... जितनी बार तुम आओगी मुझे उतना ही अच्छा लगेगा...
ये कहने के बाद सतीश अपनी मम्मी की गांड को अपने हाथ में पकड़ के मम्मी की चुत में कस कस के अपना लंड पेल्ने लगा...
दोनो माँ बेटे की इस डबल मीनिंग की बात से अन्जान विशाल अपनी धून में कार चला रहा है...
सतीश : मम्मी तुम्हे क्या लगता है...? तुम कितनी जल्दी आने वाली हो...?
सानिया : बहुत जल्द सतीश.. बहुत जल्द...
ये कह के सानिया अपनी गांड तेज़ी से अपने बेटे के लंड पे आगे पीछे करने लगी...
अपने बेटे के साथ चुदाई में उसके जिस्म का सिर्फ एक ही हिस्सा हिल रहा था और वो है उसकी गांड...
उसने अपने सर को बिलकुल सीधा रखा था ताकि उसके पति को कोई शक न हो...
तभी उसे ये मेहसुस हुआ की वो झड़ने वाली है... उसने फ़ौरन अपने बेटे का हाथ अपनी गांड पे से हटा के चूचि पे रख दिया. अपने बेटे का लंड चुत में और हाथ अपनी चूचि पे मेहसुस कर के सानिया मस्ती में झड़ने के करीब पहुँच गयी... उसका जिस्म मस्ती में काम्पने लगा और वो झड़ने लगी... उसकी चुत से वीर्य का सैलाब बहने लगा और वो करीब ३० सेकण्ड्स तक झडती रहि... ये अब तक का उसका सबसे लम्बा ओर्गास्म था... झड़ने के बाद वो अपने बेटे के ऊपर ढेर हो गयी...
लेकिन उसका बेटा अभी तक झडा नहीं था... वो धनाधन अपनी मम्मी की चुत में अपना लंड पेल रहा था..
लेकिन अचानक सतीश झड़ने लगा... वो अपने लंड की पिचकारी मम्मी की चुत में मारने लगा... और देखते ही देखते सतीश ने अपनी मम्मी की चुत को अपने वीर्य से भर दिया...
दोनो माँ बेटा इस ज़बरदस्त चुदाई के बाद थक के आराम करने लगे...
विशाल : आगे का साइन बोर्ड बता रहा है की आगे १० मिनट की दूरी पे एक ढाबा है... क्या तुम लोग कुछ खाना चाहोगे...?
सतीश : हाँ डैड मुझे बहुत भूक लगी है... मैं पूरा खाली हु...
अपणे बेटे की बात सुन के सानिया ने पीछे मुड के अपने बेटे की तरफ देखा और उसके होठो को चूम के वो मुस्कुराने लगी...
सतीश : मम्मी तुम क्या खाओगी...
सानिया ने अपने बेटे को आँख मार के कहा.
सानिया : मैं तो वैसे पूरी फुल हु... लेकिन तू कहता है तो में कुछ खा लुंगी...
सानिया कार की फ्लोर मैट से अपनी पेन्टी उठाने के लिए झुकी...
उसके झुकते ही उसके बेटे का लंड उसकी चुत से बाहर आ गया...
सानिया ने अपनी पेन्टी में अपने पैर डाले और जैसे ही
ओ अपनी पेन्टी अपनी ऊपर करने लगी उसके बेटे ने झट से अपनी ऊँगली मम्मी की चुत में दाल दि...
सानिया ने अपने बेटे के हाथ पे एक चपट लगायी... तो उसने फ़ौरन अपनी ऊँगली मम्मी की चुत से बाहर निकाल ली... और सानिया ने अपनी पेन्टी पहन ली और अपनी ड्रेस के बटन बंद करने लगी...
सतीश ने भी अपना लंड अपनी पैंट में ड़ाला और ज़िप बंद कर दिया...
फिर तीनो ने मज़े से अपनी पसंद का खाना ढ़ाबे पे खाया...

ओर..

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